2038 तक इन राशियों पर रहने वाली है शनि की साढ़े साती, नहीं हो पाएगा दुखों का अंत

वैदिक ज्‍योतिष में शनि देव को एक क्रूर ग्रह माना गया है। शनि देव न्‍याय के देवता हैं जो मनुष्‍य को उसके कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। ज्‍योतिषशास्‍त्र में शनि का गोचर बहुत महत्‍व रखता है। शनि एक ऐसे ग्रह हैं जो लंबे अंतराल के बाद राशि परिवर्तन करते हैं।

शनि की साढ़े साती और ढैय्या को बहुत कष्‍टकारी माना जाता है। ज्‍योतिष के अनुसार इस दौरान व्‍यक्‍ति को कई तरह के कष्‍टों और दुखों को सहना पड़ता है। उसके सामने कई तरह की चुनौतियां आती हैं और उसके बनते हुए काम भी बिगड़ने लगते हैं।

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जिस राशि पर शनि की साढ़े साती रहती है, उससे अगली और बारहवें स्‍थान वाली राशि पर भी साढ़े साती का प्रभाव पड़ता है। इन तीन राशियों का सफर तय करने में शनि देव को साढ़े सात साल का समय लग जाता है जिसे साढ़े साती कहते हैं। कुछ राशियां ऐसी हैं जिन पर साल 2038 तक शनि की साढ़े साती रहने वाली है।

इस ब्‍लॉग में आगे बताया गया है कि इस बार किन राशियों को शनि की साढ़े साती का कष्‍ट सहना पड़ेगा और यह साढ़े साती साल 2038 तक चलने वाली है लेकिन उससे पहले जान लेते हैं कि ज्‍योतिष में शनि ग्रह का क्‍या महत्‍व है।

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ज्‍योतिष में शनि ग्रह का महत्‍व

वैदिक ज्‍योतिष में शनि को एक महत्‍वपूर्ण ग्रह बताया गया है। शनि को आयु, पीड़ा, रोग, विज्ञान, तकनीक, लोहा, कर्मचारी, सेवक और तेल आदि का कारक माना गया है।। शनि मकर एवं कुंभ राशि के स्‍वामी ग्रह हैं और वह तुला राशि में उच्‍च और मेष राशि में नीच के होते हैं।

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शनि एक राशि में ढ़ाई वर्ष तक रहते हैं जिसे शनि की ढैय्या के नाम से जाना जाता है। नौ ग्रहों में शनि सबसे धीमी चाल चलते हैं। शनि की दशा साढ़े सात साल तक रहती है जिसे शनि की साढ़े साती कहते हैं।

लोगों को शनि के नाम से ही डर लगता है जबकि सच तो यह है कि शनि मनुष्‍य को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। शनि पीड़ित होने पर ही जातक को अशुभ प्रभाव देते हैं। किसी की कुंडली में शनि उच्‍च का हो, तो वह व्‍यक्‍ति रंक से राजा भी बन सकता है।

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साढ़े साती क्‍या है?

शनि ग्रह की साढ़े सात साल तक चलने वाली एक तरह की ग्रह दशा को साढ़े साती कहते हैं। सौरमंडल में सभी ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करते हैं, इनमें से शनि ही एकमात्र ऐसे ग्रह हैं जो सबसे धीमी चाल चलते हैं।

शनि देव सूर्य और छाया के पुत्र हैं एवं वह यमुना और यमराज के भाई हैं। शनि का रंग नीला होता है। चंद्र राशि के आधार पर शनि की साढ़े साती की गणना की जाती है। मनुष्‍य जो भी कर्म करता है, उसे उसके अनुसार फल देने का कार्य शनि देव का ही है। इसलिए शनि देव से भयभीत होने के बजाय मनुष्‍य को अच्‍छे कर्म करने चाहिए ताकि शनि देव की कृपा हमेशा उस पर बनी रहे।

साढ़े साती के प्रभाव की बात करें, तो इस दौरान कार्यों की पूर्ति में अड़चन आती है और जातक को लाख कोशिशें करने के बाद भी सफलता नहीं मिल पाती है। कुछ ज्‍योतिषीय उपायों की मदद से शनि की साढ़े साती के दुष्‍प्रभाव को कम किया जा सकता है।

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2038 तक किस पर रहने वाली है शनि की साढ़े साती

अभी शनि कुंभ राशि में बैठे हैं और अगले साल सानी 2025 में वे मीन राशि में गोचर करेंगे। साल 2025 में मेष राशि के अंदर शनि की साढ़े साती के पहले चरण की शुरुआत होगी। इस समय मीन राशि पर दूसरा और कुंभ राशि पर आखिरी चरण रहेगा। कुंभ राशि के ऊपर शनि की साढ़े साती 03 जून, 2027 तक रहने वाली है।

जैसे ही 2025 में शनि का गोचर होगा, वैसे ही मेष राशि में शनि की साढ़े साती शुरू हो जाएगी और यह साल 2032 तक रहने वाली है। साल 2027 में वृषभ राशि में शनि की साढ़े साती का पहला चरण आरंभ होगा। मिथुन राशि वालों पर 08 अगस्‍त, 2029 से शनि की साढ़े साती की शुरुआत होगी। यह अगस्‍त 2036 में जाकर समाप्‍त होगी। कर्क राशि पर मई, 2032 से शनि की साढ़े साती का प्रभाव शुरू होगा जो कि 22 अक्‍टूबर, 2038 तक रहने वाला है। इस प्रकार 2025 से लेकर 2038 तक कुंभ, मीन, मेष, वृषभ और कर्क राशि के लोगों पर शनि की दृष्टि रहने वाली है।

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इन राशियों से हटेगी शनि की नज़र

वर्ष 2025 में शनि जब मीन राशि में प्रवेश करेंगे, तब मकर राशि में शनि की साढ़े साती खत्‍म हो जाएगी। इसके साथ ही कर्क और वृश्चिक राशि पर चल रही शनि की ढैय्या भी समा‍प्‍त होगी।

शनि की साढ़े साती के लिए कुछ ज्‍योतिषीय उपाय

अगर आपकी शनि की साढ़े साती चल रही है, तो आप कुछ सरल उपायों की मदद से शनि के अशुभ प्रभावों को कम कर सकते हैं :

  • शनिवार के दिन शनि देव की पूजा करें।
  • रोज़ हनुमान चालीसा का पाठ करने से भी लाभ होता है।
  • इसके अलावा आप अपने दाएं हाथ की मध्‍यमा उंगली में लोहे का छल्‍ला धारण करें। यह छल्‍ला घोड़े की नाल से बना होना चाहिए।
  • शनिवार के दिन तांबा और तिल का तेल शनि देव पर चढ़ाएं।
  • काली चीटियों को शहद और चीनी खिलाने से भी शनि देव शांत होते हैं।

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