30 साल बाद कुंभ राशि में शनि और सूर्य की युति; इन जातकों का बिगड़ सकता है काम!

कुंभ राशि में सूर्य-शनि की युति: एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको कुंभ राशि में सूर्य और शनि की युति के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान करेंगे। बता दें कि पिता, आत्मा और तेज के कारक ग्रह सूर्य, परम तपस्वी और न्याय के कारक ग्रह शनि के साथ कुंभ राशि में युति करने जा रहे हैं। यह युति 13 फरवरी 2024 को होगी। आइये अब आगे जानते हैं कि कुंभ राशि में सूर्य-शनि की युति किन राशि के जातकों के लिए शुभ साबित होगी व किन राशि के जातकों को जीवन में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है। सभी जानकारी के लिए ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़ें।

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ज्योतिष में सूर्य और शनि ग्रह का महत्व

ज्योतिष के मुताबिक सूर्य एक शक्तिशाली ग्रह है, जो सभी ग्रहों के राजा हैं। इसका प्रभाव हमारे जीवन में विशेष रूप से पड़ता है। सूर्य प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली में व्यक्तित्व और जीवन पथ के बारे में बहुत कुछ बताता है। सूर्य हमारी पहचान, जीवन शक्ति और उद्देश्य का प्रतिनिधित्व करता है। हिन्दू धर्म और वैदिक ज्योतिष में सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया है। सूर्य के बिना पृथ्वी पर मानव जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। इसके अलावा, सूर्य देव को मान-सम्मान, उच्च पद और नेतृत्व क्षमता का कारक माना जाता है। इन्हें सिंह राशि का स्वामित्व प्राप्त है। सूर्यदेव मेष राशि में उच्च के और तुला राशि में नीच के होते हैं।

वहीं शनि ग्रह की बात करें तो, हिन्दू ज्योतिष में शनि ग्रह को आयु, दुख, रोग, पीड़ा, विज्ञान, तकनीकी, लोहा, खनिज तेल, कर्मचारी, सेवक, जेल आदि का कारक माना जाता है। यह मकर और कुंभ राशि का स्वामी होते हैं। तुला राशि शनि की उच्च राशि है जबकि मेष इनकी नीच राशि मानी जाती है। शनि वैदिक ज्योतिष में अशुभ ग्रह में से एक है। अलग-अलग पौराणिक कथाओं के अनुसार शनि की भूमिका अलग-अलग होती है। रोमन पौराणिक कथाओं में, शनि ग्रह को कृषि का देवता माना गया है। वैज्ञानिक रूप से शनि को सूर्य के चारों ओर एक चक्कर पूरा करने में लगभग 29.5 वर्ष लगते हैं। यानी शनि राशि चक्र के प्रत्येक राशि में लगभग 2.46 वर्ष व्यतीत करते हैं। वैदिक ज्योतिष में शनि को कर्म या न्याय का देवता कहा जाता है। यह नैतिकता, न्याय, करियर, जीवन में उपलब्धियों और गुणों का प्रतिनिधित्व करता है।

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कुंभ राशि में सूर्य और शनि की युति: ओवरव्यू

सूर्य व शनि की युति प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली में पिता और पुत्र के बीच अहंकार के कारण टकराव और अलग-अलग प्रक्रियाओं के कारण मतभेद पैदा कर सकती है। क्योंकि सूर्य पिता और शनि पुत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। आपको बता दें कि शनिदेव और सूर्य देव के बीच पिता-पुत्र का संबंध है लेकिन दोनों ग्रह एक दूसरे से शत्रु भाव रखते हैं। ऐसे में, जातक करियर में अपने पिता से अलग राह चुन सकता है। सूर्य और शनि के बीच रस्साकशी केवल तभी दिखाई देती है जब दोनों ग्रह एक दूसरे से 9-14 डिग्री के अंदर स्थित होते हैं क्योंकि शनि सूर्य से 9 डिग्री के भीतर अस्त होता है। सूर्य आपके आत्मविश्वास का प्रतिनिधित्व करता है, लेकिन जब नीच का सूर्य शनि के साथ युति करेगा, तो यह आपके आत्मविश्वास में कमी ला सकता है।

सूर्य-शनि की युति जातक को स्वभाव में अहंकारी बनाती है क्योंकि शनि जीवन की कड़वी सच्चाई को उजागर करता है जो आपके अहंकार को चोट पहुंचाता है। इस युति के परिणामस्वरूप आपको छोटी उम्र से ही कई ज़िम्मेदारियों व चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है जिससे आप जीवन में जल्दी ही परिपक्व हो जाते हैं। यह युति आपको विभिन्न क्षेत्रों में कड़ी मेहनत करवा सकती है। यदि शनि सूर्य से पहले भाव में स्थित हो तो आपको अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे। आप सरकारी, कानूनी और राजनीतिक क्षेत्र में आगे तेजी से बढ़ेंगे या आपको इन क्षेत्रों से लाभ हो सकता है। इसके अलावा, आप चिकित्सा पेशे में भी अच्छा करेंगे और सकारात्मक परिणाम प्राप्त करेंगे।

कुंभ राशि में सूर्य-शनि की युति: समय व तिथि

शनि जनवरी, 2023 से कुंभ राशि में गोचर कर रहे हैं और अब सूर्य 13 फरवरी, 2024 की दोपहर 03 बजकर 31 मिनट पर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। ज्योतिष गणना के मुताबिक लगभग 30 वर्ष बाद कुंभ राशि में शनि और सूर्य की युति होने जा रही है। ऐसे में, इस युति का विशेष महत्व होगा और यह दिलचस्प संयोजन भी होगा क्योंकि सूर्य और शनि दोनों ग्रह विपरीत ऊर्जाएं उत्सर्जित कर रहे हैं। आइए जानते हैं कि करीब एक महीने तक ये दोनों ग्रह एक-दूसरे के निकट आने पर सभी 12 राशियों पर किस प्रकार का प्रभाव डालेंगे।

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कुंभ राशि में सूर्य-शनि की युति: सभी 12 राशियों पर शुभ व अशुभ प्रभाव

मेष राशि

मेष राशि के जातकों के लिए सूर्य पांचवें भाव के स्वामी हैं और शनि दसवें व ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं। सूर्य और शनि आपके ग्यारहवें भाव में युति करेंगे। ग्यारहवें भाव में सूर्य और शनि की युति जातक की सामाजिक प्रतिष्ठा को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है। इस युति के माध्यम से जातक समाज में अधिक मान-सम्मान प्राप्त करेगा।

हालांकि, आपके करियर की बात करें तो सूर्य-शनि की कुंभ राशि में युति के परिणामस्वरूप आपको अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने और आगे बढ़ने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ सकती है तभी आपको सफलता प्राप्त होगी। साथ ही, आपको सलाह दी जाती है कि आप जो भी काम करेंगे उसमें पूरी तरह से केंद्रित हो। इस युति का नकारात्मक प्रभाव आपके वैवाहिक जीवन में देखने को मिल सकता है। जीवनसाथी के साथ आपकी किसी बात को लेकर नोकझोंक हो सकती है।

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वृषभ राशि

वृषभ राशि के जातकों के लिए सूर्य चौथे भाव के स्वामी हैं और शनि नौवें व दसवें भाव के स्वामी हैं। सूर्य और शनि की युति आपके दसवें भाव में होगी। इसके परिणामस्वरूप आपको करियर में अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे। आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में ध्यान केंद्रित करेंगे। इस युति के परिणामस्वरूप आपको यह महसूस हो सकता है कि आप जो नौकरी या जो काम कर रहे हैं वह आपके लिए नहीं हैं। यानी आपको लग सकता है कि आप अपने मन मुताबिक काम नहीं कर रहे हैं।

सकारात्मक पक्ष की बात करें तो शनि-सूर्य की युति के कारण आप अपने लक्ष्यों व शीर्ष तक पहुंचने के लिए कड़े प्रयास करेंगे और आपको सफलता भी प्राप्त होगी। हालांकि इस युति के दौरान आपको अपनी माता के स्वास्थ्य का अधिक ध्यान देना होगा क्योंकि इस युति में दो विपरीत ऊर्जाएं एक साथ आ रही हैं और सीधे चौथे भाव पर दृष्टि डाल रही है इसलिए इस अवधि के दौरान आपकी माता के स्वास्थ्य में गिरावट आ सकती है, जो आपके लिए चिंता का कारण बन सकती है। इसके अलावा माता जी के साथ आपके संबंधों में भी उतार-चढ़ाव आ सकता है और आप दोनों के बीच वाद-विवाद व झगड़े हो सकते हैं।

मिथुन राशि

मिथुन राशि के जातकों के लिए सूर्य तीसरे भाव के स्वामी हैं और शनि आठवें व नौवें भाव के स्वामी हैं। नवम भाव व्यक्ति के भाग्य को दर्शाता है। सूर्य और शनि की युति आपके नौवें भाव में हो रही है। इस भाव में सूर्य और शनि की युति जातक पर अलग-अलग प्रभाव डाल सकता है, जो व्यक्ति की कुंडली पर निर्भर करता है। इस युति के परिणामस्वरूप आप अपनी इच्छा को पूरा करने के लिए प्रयासरत होंगे और जीवन में उद्देश्य लेकर आगे बढ़ेंगे। इस दौरान आपका झुकाव आध्यात्मिक गतिविधियों की तरफ अधिक होगा और आप धर्म-कर्म के कामों में अधिक रुचि लेंगे। साथ ही, आपके अंदर अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त करने की लालसा पैदा होगी।

इस अवधि आप अपनी जिम्मेदारियों को बेहतर तरीके से समझेंगे और अपनी शिक्षा व अपने काम पर अधिक ध्यान केंद्रित करेंगे। आपको उच्च शिक्षा हासिल करने या कार्यक्षेत्र में कई नए अवसर प्राप्त होंगे। आप इस दौरान अपनी जीवनशैली में कुछ परिवर्तन कर सकते हैं।

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कर्क राशि

कर्क राशि के जातकों के लिए सूर्य दूसरे भाव के स्वामी हैं और शनि आपके सातवें व आठवें भाव के स्वामी हैं। सूर्य और शनि की युति आपके आठवें भाव में होगी। इसके परिणामस्वरूप आपके अंदर अपनी कमजोरियों व अपनी शक्तियों को पहचानने की क्षमता बढ़ेगी। जिसके चलते आपको अच्छे निर्णय लेने और अपने रिश्ते को मजबूत करने में मदद मिलेगी। इस अवधि आपके ऊपर बहुत अधिक जिम्मेदारियां हो सकती है, जिसके चलते आप तनाव में आ सकते हैं और आपका व्यवहार दूसरों के प्रति खराब हो सकता है। लोग आपके शब्दों का गलत अर्थ निकाल सकते हैं। इस दौरान आप किसी कानूनी मामलों में भी फंस सकते हैं। आपके पारिवारिक जीवन की बात करें तो परिवार के सदस्यों के साथ विवाद हो सकता है और अलगाव की स्थिति पैदा हो सकती है। पैतृक संपत्ति को लेकर परिवार में परेशानियां आ सकती है।

सिंह राशि

सिंह राशि के जातकों के लिए सूर्य पहले भाव के स्वामी हैं और शनि आपके छठे और सातवें भाव के स्वामी हैं। सूर्य और शनि की युति आपके सातवें भाव में होगी। इसके परिणामस्वरूप आपकी इच्छाशक्ति मजबूत होगी, जिसके चलते आप कठिन से कठिन कार्यों को भी आसानी से करने में सफलता हासिल करेंगे।

आपके आर्थिक जीवन की बात करें तो, सातवें भाव में सूर्य-शनि की युति आपके जीवन में आर्थिक स्थिरता लेकर आएगा और आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। इस दौरान आपके कार्यक्षेत्र में आपकी प्रतिभा उभर कर आएगी और आपके काम की चारों तरफ सराहना होगी। आपकी निर्णय लेने की क्षमता मजबूत होगी और आप पूरी समझदारी से महत्वपूर्ण फैसला लेने में सक्षम होंगे।

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कन्या राशि

कन्या राशि के जातकों के लिए सूर्य बारहवें भाव के स्वामी हैं और शनि आपके पांचवें व छठे भाव के स्वामी हैं। सूर्य और शनि की युति आपके छठे भाव में होगी। इसके परिणामस्वरूप आपके स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है क्योंकि छठा भाव स्वास्थ्य और कल्याण से जुड़ा है। इस दौरान आपको चिंता, अवसाद और नींद न आने की समस्या परेशान कर सकती है इसलिए आपको अपने स्वास्थ्य के प्रति इस दौरान सतर्क रहना होगा। आपके आर्थिक जीवन की बात करें तो आपको वित्तीय मामलों में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

तुला राशि

तुला राशि वालों के लिए सूर्य ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं और शनि आपके चौथे व पांचवें भाव के स्वामी हैं। सूर्य और शनि की युति आपके पांचवें भाव में होगी। इसके परिणामस्वरूप आप अपने जीवन के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए प्रयासरत होंगे और इसी सिलसिले में बड़ा फैसला ले सकते हैं। आपके आर्थिक जीवन की बात करें तो सूर्य और शनि की युति के दौरान आपको वित्तीय मामलों में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। यदि आपने शेयर बाजार में धन निवेश किया है तो आशंका है कि आपको अच्छे परिणाम प्राप्त न हो और हानि का सामना करना पड़े। यह अवधि शेयर बाजार में धन निवेश के लिए अच्छी प्रतीत नहीं हो रही है। दूसरी ओर, सूर्य और शनि की युति जातक की कुंडली के आधार पर कुछ सकारात्मक बदलाव भी ला सकती है।

यह युति कुछ अच्छे परिणाम भी ला सकती है, जैसे काम में आपका ध्यान केंद्रित हो सकता है और आपके दृढ़ संकल्प की वृद्धि होगी। साथ ही, आपके कौशल में सुधार देखने को मिल सकता है। यदि आपका खुद का बिज़नेस है या आप राजनीति से संबंधित क्षेत्रों से जुड़े हैं तो आपको अच्छी सफलता प्राप्त होगी। इसके अलावा, इस युति के फलस्वरूप आपके निजी जीवन में कुछ सकारात्मक बदलाव भी देखने को मिल सकते हैं, जिससे आपको संतुष्टि व खुशी महसूस होगी।

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए सूर्य दसवें भाव के स्वामी हैं और शनि तीसरे व चौथे भाव के स्वामी हैं। सूर्य और शनि की यह युति आपके चौथे भाव में होगी। चौथे भाव में सूर्य और शनि की युति आमतौर पर सकारात्मक प्रभाव डालती है। इसके परिणामस्वरूप आप अपने कर्तव्यों का निर्वहन बेहतर तरीके से करेंगे। आप मेहनती होंगे और पारिवारिक माहौल बेहतर बनाए रखने में सक्षम होंगे। आपके आर्थिक जीवन की बात करें तो आप इस दौरान आर्थिक रूप से स्थिर महसूस करेंगे और आपके पास धन लाभ कमाने के कई अच्छे व शानदार अवसर होंगे। इस युति के फलस्वरूप आप सामाजिक रूप से भी सक्रिय होंगे और आपके पास मित्रों की एक बड़ी मंडली हो सकती है। आपका झुकाव आध्यात्मिक गतिविधियों की तरफ अधिक होगा और आप धर्म-कर्म के कामों में अधिक रुचि लेंगे।

धनु राशि

धनु राशि के जातकों के लिए सूर्य नौवें भाव के स्वामी हैं और शनि दूसरे व तीसरे भाव के स्वामी हैं। शत्रु ग्रह सूर्य और शनि की युति आपके तीसरे भाव में होगी। इसके परिणामस्वरूप आपके व्यवहार में नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा। आप स्वभाव से अड़ियल हो सकते हैं, जिसके चलते आपके मित्र भी आपसे रूठ सकते हैं। इस दौरान आपके लिए खुद को स्पष्ट रूप से व्यक्त करना कठिन हो सकता है। जिसके कारण आपको संचार संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और आशंका है कि आपके शब्दों का गलत अर्थ निकाला जाए। ऐसे में, आपको सलाह दी जाती है कि अपनी वाणी पर नियंत्रण रखें और सोच समझकर बोलें।

इसके अलावा, इस युति के कारण आप अपने परिवेश के बारे में अधिक गहराई से और गंभीरता से सोचने पर मजबूर हो सकते हैं। आशंका है कि आप चीज़ों को लेकर गंभीर हो जाए और खुद के बारे में विचार करें। इस अवधि आपको अपने करियर में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं। हालांकि, आपके राजनीतिक संबंधों में वृद्धि होगी, जिससे आपको लाभ भी होगा।

मकर राशि

मकर राशि के जातकों के लिए सूर्य आठवें भाव के स्वामी हैं और शनि आपके पहले व दूसरे भाव के स्वामी हैं। सूर्य और शनि की युति आपके दूसरे भाव में होगी। दूसरे भाव में सूर्य और शनि की युति के परिणामस्वरूप आपको कई नकारात्मक प्रभाव से गुजरना पड़ सकता है। संभावना है कि इस दौरान आपको आर्थिक जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़े। आप धन कमाने और धन की बचत करने में असफल हो सकते हैं। इसके अलावा, कार्यक्षेत्र में भी उतार-चढ़ाव का सामना भी करना पड़ सकता है। संकेत है कि आपके लिए नौकरी में स्थिरता बनाए रखना मुश्किल साबित हो।

यह युति आपके रिश्ते में भी परेशानियां पैदा कर सकती है। आशंका है कि आपका अपने पार्टनर से वाद-विवाद हो जाए और बाद ब्रेकअप या अलगाव तक पहुंच जाए। इसके अलावा, सूर्य और शनि की युति आपके स्वास्थ्य पर भी प्रभाव डाल सकती है। इस दौरान आपको थकान महसूस हो सकती है। इसके अलावा, आपका पाचन तंत्र खराब हो सकता है और यहां तक कि आप तनाव महसूस कर सकते हैं इसलिए इस दौरान अपना खास ख्याल रखें।

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कुंभ राशि

कुंभ राशि के जातकों के लिए सूर्य सातवें भाव के स्वामी हैं और शनि पहले व बारहवें भाव के स्वामी हैं। सूर्य और शनि की युति आपके पहले भाव में होगी और इसका नकारात्मक प्रभाव आपके रिश्ते में पड़ सकता है। इसके परिणामस्वरूप आपको रिश्ते निभाने में कठिनाई हो सकती है। आशंका है कि आपका पार्टनर के साथ आप विवाद हो जाए और यह विवाद इतना बढ़ जाए कि स्थिति अलगाव तक आ जाए। आपको अकेलेपन की भावना महसूस हो सकती है और आप दूसरों से दूर-दूर रह सकते हैं। संभावना है कि आपको दूसरों से संवाद करने में कठिनाई हो और किसी कठिन परिस्थिति में फंसे होने का अहसास हो।

रिश्ते के लिहाज से यह युति आपको चुनौतीपूर्ण लग सकती है। आपको यह महसूस हो सकता है कि आपको अपने पार्टनर से वह नहीं मिल रहा है जिसकी आपने उम्मीद कर रखी है। इसके अलावा, संभावना है कि आप इस बात से भी परेशान रहे कि आपका पार्टनर आपकी जरूरतों को पूरा नहीं कर रहा है।

मीन राशि

मीन राशि के जातकों के लिए सूर्य छठे भाव के स्वामी हैं और शनि ग्यारहवें व बारहवें भाव के स्वामी हैं। सूर्य और शनि की युति आपके बारहवें भाव में होगी। ज्योतिष के अनुसार, यह एक दिलचस्प और अनोखा संयोजन है। वैदिक ज्योतिष में बारहवां भाव सबसे रहस्यमय और सबसे कठिन भाव होता है। यह वह भाव है जहां व्यक्ति के सबसे गहरे रहस्य छिपे होते हैं और इस भाव में सूर्य व शनि की युति व्यक्ति के जीवन पर शक्तिशाली प्रभाव डालती है। इस युति का प्रभाव जातक के जीवन में सकारात्मक व नकारात्मक दोनों तरह से पड़ेगा। सकारात्मक पक्ष की ओर देखें तो इस युति के परिणामस्वरूप आप जीवन की हर चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहेंगे और आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि और आंतरिक प्राप्त करेंगे। 

नकारात्मक पक्ष की बात करें तो, इस युति के दौरान आपके अंदर असुरक्षा की भावना महसूस हो सकती है। आप हर किसी को संदेह भरी दृष्टि से देखेंगे। बारहवें भाव में सूर्य और शनि की युति आपके रिश्ते में अलगाव की स्थिति पैदा कर सकती है। आशंका है कि आप खुद से कोई फैसला लेने से डरे क्योंकि यह एक ऐसा भाव है जो जातक की आंतरिक शक्तियों और कमजोरियों पर ध्यान केंद्रित करता है। इसके अलावा, इस युति का प्रभाव आपके आर्थिक जीवन में भी देखने को मिलेगा। संभावना है कि आपको धन हानि का सामना करना पड़े क्योंकि बारहवां भाव हानि और व्यय का भाव है इसलिए सोच समझकर व योजना बनाकर धन खर्च करें।

कुंभ राशि में सूर्य-शनि की युति: प्रभावशाली उपाय

  • रविवार के दिन गुड़, गेहूं और तांबे का दान करें।
  • रविवार को छोड़कर प्रतिदिन तुलसी के पौधे को जल अर्पित करें।
  • प्रतिदिन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
  • यदि संभव हो तो अक्सर लाल और नारंगी रंग के कपड़े पहनें।
  • प्रतिदिन तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें लाल गुलाब की पंखुड़ियां डालकर सूर्य को अर्घ्य दें।
  • अपने घरों और कार्यालयों में सूर्य यंत्र स्थापित करें और पूजा करें।
  • प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को शनि मंत्र ‘ऊँ शं शनैश्चराय नमः’ का 108 बार जाप करें।
  • गरीबों व जरूरतमंदों को काले चने या काले चने की खिचड़ी दान करें।
  • गरीबों और दिव्यांग लोगों को खाना खिलाएं।
  • अपने बड़ों का सम्मान करें और वृद्धाश्रम में दान करें।
  • प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें।

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