50 साल बाद सूर्य गोचर से बनेगा शुभ योग, ये राशि वाले जरूर पढ़ लें अपने बारे में!
सूर्य का गोचर मतलब सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में जाना। सूर्य हर महीने लगभग 30 दिनों में एक राशि से दूसरी में प्रवेश करता है। वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह को आत्मा, आत्मविश्वास, पिता, मान-सम्मान, और नेतृत्व का प्रतीक माना जाता है। यह अग्नि तत्व का भी ग्रह है जो तेज, ऊर्जा और जीवनी शक्ति का मुख्य स्रोत है। सूर्य की स्थिति कुंडली में यह दर्शाती है कि व्यक्ति का आत्मबल, प्रतिष्ठा और प्रशासनिक क्षेत्र में कैसा प्रभाव रहेगा। यह सिंह राशि के स्वामी हैं, मेष राशि में उच्च और तुला राशि में नीच का होता है।
जन्म कुंडली में सूर्य की शुभ स्थिति व्यक्ति को साहसी, प्रसिद्ध और नेतृत्व में कुशल बनाती है, जबकि अशुभ स्थिति में अहंकार, गुस्सा और पिता से तनाव उत्पन्न हो सकता है। सूर्य 14 अप्रैल 2025 को मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश कर चुके हैं। सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करते ही बेहद शुभ योग चतुर्ग्रही योग का निर्माण हुआ है। इस योग का प्रभाव सभी राशियों में देखने को मिलेगा लेकिन कुछ राशियों के जातक को इस योग से सकारात्मक परिणाम की प्राप्ति होगी।
तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं सूर्य का मेष राशि में गोचर से बनने वाले चतुर्ग्रही योग किन जातकों के लिए शुभ परिणाम लेकर आया है।
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मिथुन राशि
मिथुन राशि के जातकों इस योग से हर क्षेत्र में बेहतरीन परिणाम मिलेंगे। आपके लिए यह समय नई संभावनाओं और अवसरों से भरा हुआ रहेगा। आपकी वाणी की मधुरता और संवाद कौशल से आप लोगों का दिल जीतने में सफल रहेंगे। शिक्षा, लेखन, मीडिया, मार्केटिंग और कंसल्टिंग जैसे क्षेत्रों में सफलता मिलेगी। व्यापार के क्षेत्र में नए संबंध बनेंगे और नौकरी में पदोन्नति या नई ज़िम्मेदारियां मिलने की संभावना है। मित्रों और परिवार का सहयोग बना रहेगा और सामाजिक मान-सम्मान में वृद्धि होगी। यात्रा के योग भी बन सकते हैं, जो लाभकारी सिद्ध होंगे। आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और रुके हुए कार्यों में गति आएगी। कुल मिलाकर, यह समय आपकी प्रतिभा को निखारने और जीवन को एक नई दिशा देने वाला साबित हो सकता है।
धनु राशि के जातकों के लिए यह समय आत्मविश्वास, उत्साह और विस्तार का प्रतीक बनकर आया है भाग्य आपका साथ देगा और आपके अधूरे कार्य पूरे होंगे। शिक्षा, विदेश यात्रा, उच्च अध्ययन और अध्यात्म से जुड़े क्षेत्रों में प्रगति के योग बनेंगे। आप अपनी ईमानदार सोच के कारण दूसरों का भरोसा जीतने में सफल होंगे। कार्यस्थल पर सराहना मिलेगी और नए अवसर द्वार खटखटाएंगे। यह समय आपके विचारों और जीवन दर्शन को विस्तार देने वाला रहेगा। संतान पक्ष से शुभ समाचार मिल सकता है और परिवार में आनंद का माहौल बनेगा। नए संपर्क लाभदायक सिद्ध होंगे और आपकी सोच सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ेगी। कुल मिलाकर, यह समय आपके आत्म विकास और सौभाग्य की वृद्धि का संकेत है, जहां आपकी मेहनत और सच्चाई आपको सफलता की ऊंचाइयों तक ले जा सकती है।
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कुंभ राशि
कुंभ राशि के जातकों के लिए यह योग कई नए अवसर लेकर आएगा। आपकी रचनात्मकता और अलग सोच आपको भीड़ से अलग पहचान दिलाएगी। करियर में उन्नति के योग बन रहे हैं, विशेषकर तकनीकी, शोध, लेखन, शिक्षा और सामाजिक कार्यों से जुड़े क्षेत्रों में विशेष सफलता मिल सकती है। आपकी योजनाएं धीरे-धीरे फलीभूत होंगी और लोग आपके विचारों से प्रभावित होंगे। मित्रों और शुभचिंतकों का साथ मिलेगा, जिससे आत्मबल बढ़ेगा। आर्थिक स्थिति में सुधार के संकेत हैं और निवेश से लाभ हो सकता है। जीवन में कोई नई दिशा या उद्देश्य मिलने की संभावना है, जिससे आप और अधिक प्रेरित महसूस करेंगे। कुल मिलाकर, यह समय कुंभ राशि के जातकों के लिए यह अवधि आत्मसंतोष लेकर आएगा।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. सूर्य का मेष राशि में गोचर कब होगा?
सूर्य 14 अप्रैल 2025 को मेष राशि में गोचर कर चुके हैं।
2. सूर्य के कारक क्या है ?
ज्योतिष में सूर्य को आत्मा, पिता, मान-सम्मान, लीडरशिप, राजकाज और उच्च प्रशासिनक पद का कारक ग्रह माना जाता है।
3. सूर्य की सात किरणों के नाम क्या हैं?
1- सुषुम्णा 2- सुरादना 3-उदन्वसु 4-विश्वकर्मा 5-उदावसु 6-विश्वव्यचा 7-हरिकेश सूर्य की सात किरणें अलग अलग रंग की होती है ।
क्या है छिद्र दशा और ग्रहों का खेल, सिलेब्रिटी की कुंडली से समझें!
आपमें से कई लोगों ने पहली बार ‘छिद्र दशा’ के बारे में सुना होगा। आमतौर पर इस शब्द का इस्तेमाल बहुत कम किया जाता है और जो लोग वैदिक ज्योतिष का गहराई से अध्ययन करते हैं, केवल वही इस शब्द से परिचित होते हैं। खैर, इसका मतलब होता है विंशोत्तरी दशा या आपकी कुंडली में ग्रह की वह समयावधि जो आपके लिए नकारात्मक हो।
वैदिक ज्योतिष में ‘छिद्र दशा’ एक विशेष ज्योतिषीय चरण को दर्शाता है। दशा वो समयावधि होती है, जब कोई विशेष ग्रह व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करता है। छिद्र (का अर्थ छेद या पीड़ा होता है) एक ऐसी स्थिति को दर्शाता है जिसमें ग्रह की दशा के कारण समस्या या तनाव उत्पन्न हो रहा हो।
हालांकि, यह शब्द एक ऐसी परिस्थिति को संदर्भित कर सकता है जहां पर दशा नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रही हो या व्यक्ति के जीवन में बाधा उत्पन्न कर रही हो जिससे उसे अड़चनों या अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ रहा हो। इसे व्यक्ति के जीवन में एक ‘छेद’ के रूप में देखा जा सकता है जो उसकी सफलता और स्वास्थ्य दोनों को प्रभावित कर रहा हो। कुछ ग्रंथों में उल्लिखित है कि छिद्र दशा से संघर्ष और मुश्किलें आती हैं जो इस बात पर निर्भर करता है कि इसमें कौन-कौन से ग्रह शामिल हैं, कुंडली में उनकी स्थिति क्या है और अन्य ग्रहों के प्रभाव से उन पर क्या असर पड़ रहा है।
छिद्र ग्रहों से संबंधित कुछ सामान्य विचार:
चुनौतीपूर्ण स्थितियों में अशुभ ग्रह:शनि, राहु और केतु जैसे ग्रहों का संबंध चुनौतियों से होता है। यदि ये अशुभ ग्रह कुंडली में विशेष भावों में स्थित हों या दृष्टि डाल रहे हों, तो वह व्यक्ति के जीवन में ऐसी कठिनाईयां उत्पन्न कर सकते हैं जिन्हें छेद, फटा हुआ या चुनौतियों से भरा हुआ समझा जाएगा।
कमज़ोर शुभ ग्रह: जब शुभ ग्रह जैसे कि बृहस्पति या शुक्र कमज़ोर या नीच स्थान में हो जैसे कि छठे, आठवें या बारहवें भाव में हों या नीच राशि में हों या वे राहु-केतु के अक्ष पर हों, तो इस स्थिति में शुभ ग्रह भी व्यक्ति के जीवन में रुकावटें और असंतुलन पैदा कर सकता है।
पीड़ित लग्न: यदि लग्न भाव का स्वामी कमज़ोर हो या अशुभ स्थान में हो, तो इससे भी छिद्र का आभास हो सकता है। इससे व्यक्ति के जीवन और उसके उद्देश्य के बीच अलगाव पैदा हो सकता है।
दुष्टान भाव में ग्रह: छठे, आठवें या बारहवें भावों में बैठे ग्रहों को दुष्टान भाव कहा जाता है और ये अड़चनें, समस्याएं एवं छिपे हुए शत्रुओं से संबंधित होते हैं। ये ग्रह व्यक्ति के जीवन में छेद या अंतराल की तरह महसूस हो सकता है। इसका सेहत, संपत्ति या रिश्तों जैसे विभिन्न पहलुओं पर असर पड़ता है।
पीड़ित या अस्त ग्रह: जो ग्रह अस्त हों या जिन पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव हो, वे नुकसान या समस्या दे सकते हैं।
छिद्र ग्रहों का उदाहरण
शनि: ये ग्रह अक्सर देरी, प्रतिबंध और बाधाएं देने का काम करता है। यदि शनि कुंडली में अशुभ स्थान जैसे कि छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो, तो इसकी वजह से जीवन में कठिनाईयां और रुकावटें आ सकती हैं।
राहु/केतु: ये दोनों छाया ग्रह कंफ्यूज़न, छिपे हुए डर और जीवन को बदलने वाली घटनाओं का कारक होते हैं जिससे जीवोन में स्थिरता या सुरक्षा की भावना प्रभावित हो सकती है।
मंगल: यदि मंगल पीड़ित हो तो इसकी वजह से आक्रामकता, मतभेद और जल्दबाज़ी में फैसले लिए जा सकते हैं जिससे व्यक्ति के जीवन की गति बाधित हो सकती है।
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छिद्र दशा का प्रभाव
जीवन में बाधाएं छिद्र दशा के दौरान व्यक्ति को अपने जीवन के विभिन्न हिस्सों जैसे कि करियर, रिश्तों, वित्त या सेहत में अचानक रुकावटों या बाधाओं का अनुभव हो सकता है। यह एक ऐसी समयावधि की ओर संकेत करता है जब प्रगति में अवरोध आ जाए या व्यक्ति को ठहराव महसूस हो।
रिश्तों में चुनौतियां इसमें रिश्तों में गलतफहमियां या अलगाव हो सकता है खासतौर पर रोमांटिक संबंध या पारिवारिक रिश्तों में। गंभीर मामलों में यह भावनात्मक अलगाव का कारण बन सकता है।
मानसिक तनाव जिन लोगों की कुंडली में छिद्र दशा चल रही होती है, उन्हें मानसिक रूप से तनाव महसूस हो सकता है या उन्हें ध्यान लगाने में दिक्कत हो सकती है जिससे तनाव, चिंता और कभी-कभी डिप्रेशन भी हो सकता है। ऐसा अक्सर कुंडली में प्रमुख ग्रहों के पीड़ित होने पर होता है।
वित्तीय समस्याएं वित्तीय समस्याएं, आकस्मिक खर्चे या आय में कमी आ सकती है। निवेश से मनचाहा रिटर्न नहीं मिल पाता है और व्यवसाय या ट्रेड में नुकसान हो सकता है।
स्वास्थ्य समस्याएं पीड़ित ग्रह के कारण ऐसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं जिनका निदान या इलाज करना मुश्किल होता है और रिकवरी भी धीमी हो सकती है। यह सर्जरी या दुर्घटनाओं के संकेत भी दे सकता है जिनका प्रभाव लंबे समय तक रहता है।
अप्रत्याशित बाधाएं व्यक्ति को अपने निजी या पेशेवर कार्यों में बार-बार और अनजान रुकावटों का सामना करना पड़ सकता है। ये बाधाएं अचानक आ सकती हैं जैसे कि कोई प्रगति को रोक रहा है।
अब स्पष्ट हो गया कि छिद्र दशा क्या होती है, चलिए अब जान लेते हैं कि छिद्र ग्रह क्या होते हैं और इनका मनुष्य के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है।
छिद्र ग्रह एक और ज्योतिषीय अवधारणा है। इसका मतलब एक ऐसे ग्रह से है जो बहुत ज्यादा पीड़ित है लेकिन बहुत कम डिग्री (0 से 3 डिग्री) या उच्च डिग्री (27 से 29 डिग्री) पर स्थित है। ऐसा ग्रह अपना परिणाम देने में असमर्थ होता है क्योंकि उसके पास उसकी संपूर्ण शक्ति नहीं होती है और वह कुंडली में वह अपनी भूमिका एवं महत्व को लेकर अनभिज्ञ होता है।
चलिए अब हम इसे उदाहरण से समझते हैं, यदि कोई कर्मचारी नौकरी छोड़ने का नोटिस दे चुका है और जल्द की कंपनी को छोड़ने वाला है, तो वह अच्छा प्रदर्शन करने के लिए अधिक उत्सुक नहीं होगा। वहीं दूसरी ओर, जब काई नया कर्मचारी कंपनी में आता है, तब उसे कंपनी में अपनी भूमिका और जिम्मेदारियों के बारे में ज्यादा पता नहीं होता है और अपने काम को पूरी तरह से समझने एवं उससे क्या अपेक्षाएं हैं, इसे जानने में समय लगता है।
कुछ ऐसा ही ग्रहों के साथ भी है। यदि ग्रह अशुभ ग्रहों के साथ युति में बहुत ज्यादा पीड़ित है या उस पर अशुभ ग्रहों की दृष्टि पड़ रही है या ग्रह बहुत कम या उच्च डिग्री पर है, तो वह ग्रह अच्छे या शानदार परिणाम देने में असमर्थ होगा और इस दौरान जीवन में कई चुनौतियां, निराशा और बड़ी बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।
राजेश खन्ना की कुंडली से समझें
आइए भारत के पहले सुपरस्टार श्री राजेश खन्ना की जन्मकुंडली से इसे समझने की कोशिश करते हैं। इससे छिद्र दशा और ग्रहों को समझते हैं और चुनौतीपूर्ण दशा एवं उसके प्रभाव को पहचानने के लिए उनकी कुंडली का गहन विश्लेषण करते हैं।
सभी जानते हैं कि राजेश खन्ना भारत के पहले सुपरस्टार थे और उन्होंने अपने फिल्मी करियर में असीम लोकप्रियता हासिल की थी। 1965 से लेकर 1972 तक राजेश लगभग हर भारतीय के दिलो-दिमाग पर छाए हुए थे। वह भारत के पहले रोमांटिक हीरो थे जो हर तरह से सुपरस्टार थे। उनका सुंदर और मनमोहक चेहरा, अद्भुत स्टाइल और आकर्षक मुस्कान लोगों को मंत्रमुग्ध कर देती थी।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि राजेश खन्ना को उनके निसंतान चाचा और चाची ने बचपन में ही गोद ले लिया था और उन्हें अपने असली माता-पिता के साथ बहुत कम समय के लिए ही रहने को मिला था। जी हां, बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं और यह उनकी कुंडली में भी नज़र आता है। एक्टर का जन्म 29 दिसंबर, 1942 को सूर्य ग्रह की महादशा में हुआ था।
जब 1947 में उनकी चंद्रमा की महादशा शुरू हुई, तब उन्हें उनके चाचा गोद ले चुके थे और वो अपनी मां से दूर रहते थे जिसका उनके भावनात्मक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ा था और यह अलगाव एवं उदासीनता के रूप में सामने आया। उनके साथ काम करने वाले अभिनेता, निर्देशक और निर्माताओं को अक्सर उनके कठोर व्यवहार का सामना करना पड़ता था। जैसे-जैसे वो बड़े हुए और खुद को व्यक्त करने लगे, वैसे-वैसे उनके स्वभाव में ये चीज़ें और ज्यादा दिखाई देने लगीं। उन्होंने अपनी भावनात्मक परेशानियों को आत्मविनाशकारी तरीके से व्यक्त किया जिससे करियर में इतनी लोकप्रियता हासिल करने के बाद भी वो अंधेरे में चले गए।
उनकी कुंडली में चंद्रमा राहु के साथ तीसरे भाव में युति में है और 29 डिग्री 22” 13′ पर स्थित है।
चंद्रमा राहु-केतु के अक्ष पर और बालावस्था में है जो कि चंद्रमा की महादशा को छिद्र दशा बनाता है।
चंद्रमा मां का कारक होता है और राजेश खन्ना को अपनी मां का प्यार और सुरक्षा नहीं मिल पाई थी।
चूंकि, उनकी कुंडली में चंद्रमा ने छिद्र ग्रह की तरह काम किया है और अत्यधिक उच्च डिग्री पर है। ऐसे में चंद्रमा परिणाम देने में असमर्थ था और उसने जीवन में चुनौतियां पैदा की। उन्हें अपने बचपन में भावनात्मक सुरक्षा नहीं मिली जिसकी वजह से उनका बचपन काफी चुनौतीपूर्ण रहा है।
इस वजह से वह हमेशा मीडिया के सामने अपने बचपन के बारे में बात करने से कतराते थे और उनके साथ कई फिल्मों में काम करने वाली अभिनेत्री आशा पारेख ने बताया था कि शुरुआती दिनों में राजेश के अंदर हीन भावना थी और वे अक्सर तनाव में रहते थे।
चंद्रमा के पीड़ित होने की वजह से उन्हें भावनात्मक अलगाव और शराब की लत लगी।
अगर हम उनकी कुंडली में बृहस्पति को देखें, तो बृहस्पति 28 डिग्री 49” 55’ पर स्थित है जो कि छिद्र ग्रह की तरह काम कर रहा है और उसकी स्थिति अधिक अशुभ न होने और किसी अशुभ ग्रह की उस पर दृष्टि नहीं पड़ रही है लेकिन तब भी वह बहुत अच्छे परिणाम देने में असमर्थ है। हालांकि, यह शत्रु राशि में लग्न भाव में स्थित है।
1982 में उनकी बृहस्पति की महादशा शुरू हुई थी जो कि 1998 तक चली थी। इस दौरान राजेश खन्ना बॉक्स ऑफिस पर लगातार कई फ्लॉप फिल्में देने के बाद लाइमलाइट से दूर हो गए थे।
उन्हें कई प्रतिभाशाली अभिनेताओं जैसे कि अमिताभ बच्चन, ऋषि कपूर आदि ने पीछे छोड़ दिया था।
इस दौरान उन्होंने राजनीति में अपनी किस्मत आज़माई और 1991 में उन्हें सफलता का स्वाद चखने को मिला लेकिन 1996 के बाद उनकी राजनीति से रुचि कम होने लगी। असल में बृहस्पति की महादशा के कारण राजेश खन्ना ने एक करियर से दूसरा करियर चुना लेकिन उन्हें किसी में भी सफलता और संतुष्टि नहीं मिली।
उन्होंने बृहस्पति की महादशा में बिज़नेस में भी हाथ आज़माया लेकिन वहां भी वो खाली हाथ ही रह गए क्योंकि उनकी कुंडली में बृहस्पति ने छिद्र ग्रह की तरह काम किया।
छिद्र महादशा या ग्रह मुश्किल और परीक्षा लेने वाले हो सकते हैं लेकिन यह स्वाभाविक रूप से नकारात्मक नहीं हैं। भले ही ये मुश्किलें लेकर आते हों लेकिन इनका उद्देश्य पुरानी संरचनाओं को हटाना और नए विकास के लिए जगह बनाना होता है। यदि इसे जागरूकता के साथ अपनाया जाए, तो यह परिवर्तन का एक शक्तिशाली चरण बन सकता है जो संतुलित और समृद्ध भविष्य की ओर ले जा सकता है। इस चुनौतीपूर्ण समय का लाभ उठाने के लिए धैर्य, आत्मचिंतन और बदलाव को स्वीकार करना ज़रूरी है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1. क्या छिद्र दशा हमेशा नकारात्मक होती है?
उत्तर. छिद्र दशा मुश्किलें और चुनौतियां लेकर आ सकती है लेकिन यह व्यक्ति को आगे बढ़ने के सबक भी सिखाती है।
प्रश्न 2. क्या 20 से 24 डिग्री के बीच स्थित ग्रह को छिद्र ग्रह माना जाएगा?
उत्तर. नहीं, जब ग्रह 27 या इससे उच्च डिग्री पर होता है या 0 से 3 डिग्री के बीच में और अशुभ ग्रह के प्रभाव में होता है, तब उसे छिद्र ग्रह माना जाता है।
प्रश्न 3. क्या लग्न भाव का स्वामी भी दृष्टि, युति या डिग्री के कारण छिद्र ग्रह बन सकता है?
उत्तर. हां, कोई भी ग्रह अशुभ प्रभाव में आने पर छिद्र ग्रह बन सकता है।
एक दिन में होते हैं कितने मुहूर्त? जानें कब होता है शुभ समय!
जब कभी परिवार में कोई शुभ कार्य करना होता है या घर में कोई पूजा होती है या संपत्ति, प्रॉपर्टी या वाहन लेने से पहले या गृह प्रवेश की पूजा करने से पहले हम ‘मुहूर्त’ ज़रूर देखते हैं। कोई नया बिज़नेस शुरू करना हो या धार्मिक अनुष्ठान हो, हम भारतीय हर शुभ काम को शुरू करने से पहले मुहूर्त देखते हैं। लेकिन क्या हम सच में जानते हैं कि मुहूर्त का क्या महत्व है या इनमें से कई हमारी रोज़मर्रा की जिंदगी और जीवन में होने वाली घटनाओं को कैसे प्रभावित करते हैं?
एस्ट्रोसेज एआई के इस खास ब्लॉग को इस तरह से तैयार किया गया है कि इसकी सहायता से आपको ‘मुहूर्त’ शब्द को और गहराई से जानने एवं समझने का मौका मिलेगा। तो चलिए अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि मुहूर्त क्या होता है और इसके कितने प्रकार होते हैं।
समय एक महत्वपूर्ण अवधारणा है जिसे सभी धर्म और संस्कृति के लोगों ने अपनाया है। लोग प्राचीन काल से ही समय पर निर्भर रहे हैं और वैदिक काल में भी समय की अवधारणा का उल्लेख मिलता है। भारत में प्राचीन समय में सूर्य की गति, अन्य खगोलीय पिंडों की गति तथा चंद्रमा जैसे अन्य प्रकाशमान ग्रहों की गति का अध्ययन कर के समय की गणना की जाती थी। 30 कलाओं या 48 पश्चिमी मिनटों की अवधि को मुहूर्त कहा जाता है। 30 मुहूर्त वाले दिन और रात, 24 पश्चिमी घंटों के बराबर होते हैं।
ऋग्वेद के अलावा तैत्तिरीय ब्राह्मण और शतपथ ब्राह्मण दोनों में ही मुहूर्त का उल्लेख मिलता है। ब्राह्मणों के अनुसार मुहूर्त समय का एक विभाजन है जो कि 48 मिनट या एक दिन के तीसवें हिस्से के बराबर होता है। तैत्तिरीय ब्राह्मण में 15 मुहूर्तों का उल्लेख किया गया है जिसमें विज्ञानं, संज्ञानं, जनद, सभिजानत, संकल्पमानं, प्रकल्पनं शामिल हैं। मनुस्मृति के अनुसार एक काष्ठा 18 निमिषों के बराबर होती है। निमिष का अर्थ पलकों का झपकना होता है।
मुहूर्त का महत्व
हिंदू धर्म में सभी लोग अनुष्ठान, पूजा-पाठ, प्रार्थना और कोई भी धार्मिक कार्य करने से पहले शुभ समय देखने को महत्वपूर्ण मानते हैं। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार शुभ मुहूर्त में किए गए कार्य से उसके सफल होने की संभावना बढ़ जाती है। इसी तरह, जब हम शुभ मुहूर्त में पूजा करते हैं, तो हमें उसका अधिक लाभ प्राप्त होता है।
वैदिक काल में यज्ञ करने के लिए मुहूर्त को प्राथमिकता दी जाती थी।
जिन लोगों की कुंडली नहीं है या जिनकी कुंडली में कोई दोष है, उन्हें पूजा के लिए मुहूर्त ज़रूर देखना चाहिए।
शुभ मुहूर्त में की गई पूजा में हिस्सा लेने से नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों से रक्षा होती है।
ज्योतिष के अनुसार शुभ मुहूर्त हमारे शरीर से ऊर्जा के प्रवाह की असामान्यताओं को ठीक करने में मदद कर सकता है।
इससे आत्मविश्वास बढ़ता है और बेहतर निर्णय लेने में मदद मिलती है।
ये कुछ कारण हैं जो बताते हैं कि शुभ समय में पूजा करना क्यों ज़रूरी है। ध्यान रहे कि मंदिर में भी पूजा मुहूर्त के हिसाब से ही होती है। मुहूर्त में ग्रहों की स्थिति बहुत महत्वपूर्ण होती है। उनकी स्थिति से किसी भी कार्य में सफल परिणाम प्राप्त करना आसान हो जाता है। मुहूर्त को और बेहतर तरीके से समझने के लिए ज्योतिषी सप्ताह के दिनों के साथ लग्न और नक्षत्र के संयोजन पर ध्यान देते हैं। इसे आप निम्न तरह से समझ सकते हैं:
जब हमारी कुंडली में कोई भी ग्रह आठवें भाव में गोचर न कर रहा हो।
जब लग्न किसी शुभ ग्रह में हो।
जब लग्न किसी पाप कर्तरी और चंद्रमा के साथ न हो।
जब अमावस्या न हो।
जब चंद्रमास का चौथा, नौवां या चौदहवां दिन हो।
जब ग्रह त्रिक या केंद्र भाव में हो।
जब वह रिक्त तिथि में न हो।
ज्योतिष के अनुसार ये कुछ कारक हैं जो शुभ मुहूर्त को समझने में मदद करते हैं। ये नया काम शुरू करने, विवाह कार्य, गृह प्रवेश, पूजा और अन्य नए कार्यों की शुरुआत के लिए सर्वोत्तम होते हैं। इससे आप जो काम कर रहे हैं, उससे सकारात्मक परिणाम मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
बृहत् कुंडलीमें छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरालेखा-जोखा
मुहूर्त के प्रकार
चौघड़िया मुहूर्त: कोई भी नया काम शुरू करने के लिए यह शुभ समय होता है। यह कई भारतीय राज्यों में प्रचलित है। यहां प्रत्येक अवधि को चौघड़िया कहा जाता है जो कि डेढ़ घंटे या 3.75 घटी के बराबर होता है। शुभ, लाभ और अमृत सिद्धि इसके शुभ मुहूर्त हैं। वहीं रोग, काल और उद्वेग अशुभ मुहूर्त हैं।
ब्रह्म मुहूर्त: यह सूर्योदय से डेढ़ घंटे पहले होता है। आयुर्वेद के अनुसार शरीर में तीन दोष होते हैं जो कि वात, पित्त और कफ हैं। 24 घंटों के अंदर ये दोष विभिन्न समय में प्रभावी होते हैं। सुबह 3 बजे से लेकर 6 बजे तक जब वात सक्रिय होता है, तब ब्रह्म मुहूर्त होता है। इसलिए ब्रह्म मुहूर्त में ध्यान या योग सबसे अधिक लाभकारी होते हैं।
अभिजीत मुहूर्त: निवेश करने और मीटिंग करने के लिए यह दिन का सबसे उत्तम समय होता है। जब हम अभिजीत मुहूर्त में ये कार्य करते हैं, तो इसका सकारात्मक परिणाम मिलता है।
राहु काल: यह अशुभ समय होता है और किसी भी व्यावसायिक लेन-देन के लिए यह समय अनुकूल नहीं होता है। राहु काल में भक्त कोई भी शुभ कार्य या पूजा-पाठ करने से बचते हैं। हालांकि, राहु काल में आप जो काम पहले से कर रहे थे, उसे जारी रख सकते हैं।
शुभ होरा: इसे दिन का शुभ समय माना जाता है। प्रार्थना, अनुष्ठान और विवाह आदि करने के लिए यह सबसे शुभ होता है। चूंकि, शादी एक नई शुरुआत होती है इसलिए लोग शुभ मुहूर्त में ही विवाह करने को प्राथमिकता देते हैं।
ये दिन के कुछ मुहूर्त हैं। हमेशा अपने काम शुभ मुहूर्त के अनुसार करना बेहतर रहता है। पूजा करते समय शुभ मुहूर्त देखना लाभकारी रहता है क्योंकि इससे उस पूजा का बेहतर परिणाम मिलता है और हमारी दिव्य शक्ति से जुड़ने की क्षमता भी बढ़ती है।
अब आगे बढ़ने से पहले हम अलग-अलग प्रकार के होरा मुहूर्त के बारे में जान लेते हैं। साथ ही आपको यह भी बताएंगे कि ये शुभ होते हैं या अशुभ और किस तरह के कार्य के लिए कौन सा होरा उपयुक्त होता है। क्या आप जानते हैं कि होरा मुहूर्त को ग्रहों और इन पर शासन करने वाले ग्रहों की विशेषताओं के आधार पर अलग-अलग होरा में विभाजित किया जाता है। जी हां, दिन में कई होरा मुहूर्त होते हैं जो हमे अपने रोज़मर्रा के कामों में अच्छे परिणाम पाने में मदद कर सकते हैं। तो चलिए प्रत्येक होरा, उसके महत्व और होरा मुहूर्त की गणना करने के बारे में जानते हैं।
दिन में होरा मुहूर्त के प्रकार
क्या है होरा मुहूर्त
वैदिक ज्योतिष में एक दिन को 12 होरा मुहूर्तों में विभाजित किया गया है। एक होरा लगभग एक घंटे का होता है। प्रत्येक मुहूर्त पर अलग-अलग ग्रहों जैसे कि सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र और शनि का शासन होता है और फिर यही क्रम दोहराया जाता है। उदाहरण के तौर पर:
रविवार का पहला होरा सूर्य के अधीन आता है।
सोमवार के पहले होरा पर चंद्रमा का शासन है और इसी तरह से यह आगे बढ़ता है।
इसे और बेहतर तरीके से समझने एवं भविष्य में इसका उपयोग करने के लिए आप एस्ट्रोसेज एआई की होरा टेबल को देख सकते हैं। सूर्योदय के बाद का पहला होरा हमेशा उस दिन के स्वामी ग्रह द्वारा शासित होगा और इसके बाद अन्य होरा इसी क्रम में चलते हैं।
प्रत्येक ग्रह का होरा, कार्य की प्रकृति और उस विशेष होरा के स्वामी ग्रह के स्वभाव के आधार पर शुभ या अशुभ माना जाता है। तो चलिए अब जानते हैं कि हर घंटे के लिए होरा कैसे अलग होता है और इसका हमारे रोज़मर्रा के जीवन या घटनाओं पर क्या असर पड़ सकता है।
होरा मुहूर्त की गणना करने का तरीका
सबसे पहले पंचांग में देखें कि सप्ताह का कौन सा दिन है और उस दिन सूर्योंदय एवं सूर्यास्त का सही समय क्या है।
दिन के सभी होरा निकालने के लिए आप सूर्योदय और सूर्यास्त के समय को 12 बराबर भागों में विभाजित कर दें।
रात का होरा निकालने के लिए इसी तरह से सूर्यास्त से अगले दिन के सूर्योदय तक के समय को 12 बराबर भागों में बांट दें।
अब जिस दिन का होरा निकालना है, उस दिन के स्वामी ग्रह के अनुसार पहला होरा निर्धारित करें।
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होरा के अनुसार सात ग्रह और उनका प्रभाव
अब जानते हैं कि प्रत्येक होरा ग्रह को कैसे प्रभावित करता है और किस होरा में किस प्रकार का कार्य करना चाहिए। विभिन्न कार्यों को करने के लिए होरा का समय देखना कई तरह से लाभ दे सकता है जैसे कि इससे अपार सफलता मिल सकती है, सही दिशा मिलती है, समय का सही उपयोग करने एवं आध्यात्मिक और व्यक्तिगत उन्नति मिलती है।
सूर्य: यह ग्रह नेतृत्व करने के गुण, बॉस, अधिकारी, शक्ति और शारीरिक ताकत आदि को दर्शाता है। कार्य: प्रमोशन मिलना, कार्यक्षेत्र और निजी जीवन में मतभेदों का सुलझना और इंटरव्यू एवं मीटिंग करना।
चंद्रमा: यह ग्रह मां, भावनाओं, पोषण और कला का प्रतीक है। कार्य: यात्रा, जल या तरल से संबंधित व्यवसाय, सामाजिक संपर्क या नेटवर्क बनाना।
मंगल: ऊर्जा, साहस और कार्य करने की प्रेरणा को मंगल ग्रह दर्शाता है। कार्य: प्रॉपर्टी से संबंधित कार्य जैसे कि जमीन खरीदना-बेचना, स्वास्थ्य से संबंधित उपचार, शस्त्रों से जुड़ा कार्य आदि।
बुध: यह ग्रह बुद्धि, संचार और वाणी का प्रतिनिधित्व करता है। कार्य: संचार, मार्केटिंग या पीआर एजेंसी खोलने, स्टेशनरी या प्रिंटिंग बिज़नेस खोलने, मीडिया, पत्रकारिता से संबंधित कार्य।
बृहस्पति: ज्ञान, शिक्षा, बुद्धि और आध्यात्मिक विकास का कारक है। कार्य: नए एडमिशन लेने, शिक्षा शुरू करने, आध्यात्मिक कार्यों, परामर्श करने और वित्तीय निर्णय लेने के लिए है।
शुक्र: प्रेम, सौंदर्य और कला का प्रतीक शुक्र ग्रह है। कार्य: कॉस्मेटिक से जुड़ा कोई व्यापार शुरू करने, डिज़ाइनिंग के कॉलेज में दाखिला लेने और विवाह का प्रस्ताव रखने के लिए है।
शनि: सुपरवाइज़र, अनुशासन और व्यवस्थित तरीके से कार्य करना। कार्य: दीर्घकालिक लक्ष्यों की योजना बनाने, धातु या कबाड़ का व्यवसाय करना, पहचान बनाने के लिए कड़ी मेहनत करना।
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1. मुहूर्त क्या है?
उत्तर. किसी कार्य को करने या न करने के लिए शुभ या अशुभ समय को मुहूर्त कहते हैं।
प्रश्न 2. क्या वैदिक ज्योतिष में मुहूर्त एक अहम पहलू है?
उत्तर. हां, प्राचीन समय से ही मुहूर्त का अस्तित्व एवं महत्व है।
प्रश्न 3. किन धार्मिक अनुष्ठानों के लिए मुहूर्त निकालने की जरूरत होती है?
उत्तर. विवाह, गृह प्रवेश और मुंडन आदि।
बृहस्पति 2032 तक रहेंगे अतिचारी, जानें क्या पड़ेगा 12 राशियों पर प्रभाव!
बृहस्पति का ‘अतिचारी’ गोचर 2032 तक चलेगा। तो क्या बृहस्पति की इस चाल की वजह से हमारे आसपास कोई खतरा मंडरा रहा है? एस्ट्रोसेज एआई के इस ब्लॉग में हम आपको अतिचारी बृहस्पति के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में बहुत कम बात की जाती है। इसे लेकर आपके मन में कई तरह के सवाल आ रहे होंगे लेकिन सबसे पहला और अहम सवाल यही होगा कि आखिर इस अतिचारी बृहस्पति का मतलब क्या है?
आखिर, किसी ग्रह के अपनी सामान्य गति से थोड़ा तेज चलने में समस्या क्या है? इसे लेकर इतना शोर क्यों हो रहा है? बता दें कि जब कोई ग्रह अपनी सामन्य गति से तेज चलता है, तो यह कोई शुभ बात नहीं है लेकिन यह हमेशा बुरा भी नहीं होता है। आमतौर पर इस स्थिति में कोई भी ग्रह अचानक, अस्थिर, असामान्य या अप्रत्याशित परिणाम दे सकता है।
वैदिक ज्योतिष में अतिचारी बृहस्पति का अर्थ है जब गुरु ग्रह किसी राशि में अपनी सामान्य गति से ज्यादा तेजी से गोचर करता है। सामान्य तौर पर बृहस्पति को एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करने में 12 से 13 महीने का समय लगता है। हालांकि, जब बृहस्पति की गति तेज हो जाती है, तब यह जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे कि करियर, प्रेम जीवन और विकास पर गहरा एवं महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। अतिचारी का मतलब है ‘बहुत तेज’ या ‘त्वरित’। बृहस्पति बुद्धि, समझ और सौभाग्य का प्रतीक है इसलिए जब यह तेज गति से चलता है, तो इसके त्वरित और गंभीर परिणाम देखने को मिलते हैं। इस समय बृहस्पति ज्यादा तेज गति से चल रहे हैं जिस वजह से बृहस्पति अपने प्राकृतिक कारकत्व में कमी लाएंगे। हालांकि, इस तेज गति से चलने की वजह से वह आपको गलत जानकारी दे सकता है जिससे आप गलत तथ्यों पर भरोसा कर के ऐसे फैसले ले सकते हैं जो आप सामान्य परिस्थिति में नहीं लेते। यह गोचर प्रगति, सुख-सुविधा और संपन्नता प्रदान करेगा।
तो अब आपको पता चल गया कि अतिचारी बृहस्पति क्या होता है, अब आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि क्या ऐसा पहली बार हो रहा है या पहले भी ऐसा हो चुका है? आपको जानकर हैरानी होगी कि जब भी ऐसी घटना होती है, तब दुनिया किसी ऐसी बड़ी आपदा का सामना करती है या उसे पार करती है जिसका प्रभाव पृथ्वी पर रहने वाले हर जीव-जंतु पर पड़ता है।
बृहत् कुंडलीमें छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरालेखा-जोखा
बृहस्पति अतिचारी 2032 तक: अतीत में इसका प्रभाव
पिछली शताब्दियों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब बृहस्पति ने अतिचारी गति में गोचर किया है और इस दौरान भारत और दुनियाभर में इतिहास की कई घटनाएं घटीं। जब बृहस्पति किसी भी राशि में अतिचारी होता है, तब यह अशांति लेकर आता है और ऐसे निर्णय दिलवाता है जो किसी व्यक्ति को खुश नहीं कर सकते हैं। बृहस्पति एक शुभ ग्रह है और इसके तेज गति से चलने से कई बार उथल-पुथल और अस्थिरता आती है। वर्तमान समय में दुनिया के पूर्वी और पश्चिमी देशों के मध्य संघर्ष चल रहा है और यह वैश्चिक स्तर पर एक बड़े असंतुलन के आने का संकेत दे रहा है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि जब कुरूक्षेत्र में ऐतिहासिक महाभारत युद्ध हुआ था, तब बृहस्पति अतिचारी थे। उस समय कौरवों और पांडवों के बीच जबरदस्त रक्तपात के बाद पांडवों ने सत्ता हासिल कर बड़ा परिवर्तन किया था।
वहीं द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भी कई महान ज्योतिषियों ने बृहस्पति को अतिचारी देखा था और दुनिया पर मंडरा रहे बड़े खतरे की भविष्यवाणी की थी। उस समय सेना और आम नागरियों को मिलाकर कुल 75 मिलियन लोग मारे गए थे।
15 अगस्त, 1947 को भारत की स्वतंत्रता एक और बड़ी घटना थी। यह भी सत्ता में बड़ा बदलाव था और इस बार भी खूब रक्तपात हुआ था। आश्चर्य की बात है कि जब ब्रिटिश उपनिवेश से भारत की स्वतंत्रता की घोषणा के बाद देश के नेताओं ने सत्ता संभाली। आज़ादी के लिए लंबी और थका देने वाली जंग में कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जान की बाज़ी लगाई और भारत को स्वतंत्र करवाया।
कोरोना वायरस : एक वैश्विक महामारी और आर्थिक मंदी
साल 2020 में बृहस्पति के फिर से तेज गति से चलने की वजह से दुनिया को कोरोना वायरस जैसी महामारी का प्रकोप झेलना पड़ा। इस महामारी ने हर तरीके से परेशानियां खड़ी की, लोग बेघर हो गए, नौकरियां चली गईं, दुनियाभर में कई लोगों की जान गई और वैश्विक अर्थव्यवस्था में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली।
हालांकि, कोविड-19 को राहु-केतु की चाल और प्रभाव से भी जोड़कर देखा जाता है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि कोरोना वायरस को बहुत ही कम समय में तेजी से फैलाने में बृहस्पति की भी अहम भूमिका रही है। बृृहस्पति का स्वभाव विस्तार करने का है और यह बहुत तेजी से चीज़ों को बढ़ाता है। इस बार बृहस्पति की तेज गति ने इस ऊर्जा को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया।
वर्तमान की स्थिति और ऐसे क्षेत्र जिन पर ध्यान देना चाहिए
बृहस्पति की अतिचारी अवधि खासतौर पर 2025 से लेकर 2032 तक निजी जीवन, करियर और दुनियाभर में बड़े बदलाव लेकर आएगी। वर्तमान में चल रहे युद्ध, संघर्ष और संकट, यह दर्शाते हैं कि इन कुछ वर्षों में वैश्विक स्थिति में कितनी तेजी से बदलाव आया है और इन बदलावों के प्रभाव अब और अधिक स्पष्ट नज़र आएंगे। यदि वैश्विक और राष्ट्रीय दृष्टिकोण से देखें, तो तीन प्रमुख क्षेत्रों पर विशेष रूप से ध्यान देना होगा:
सरकार
अर्थव्यवस्था
धर्म
यह घटना और बृहस्पति की तेज गति दुनियाभर में कई युद्धों को तेज करने का काम कर सकती है। जैसा कि हम पहले से ही देख रहे हैं कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध अभी तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा है और फरवरी 2022 से ही युद्ध चल रह है। वहीं दूसरी ओर, इज़राइल अपनी ही परेशानियों से जूझ रहा है। वहीं 29 मार्च, 2025 को शनि के मीन राशि में प्रवेश करने के बाद 30 मार्च, 2025 को छह ग्रहों की मीन राशि में युति हो चुकी है। यह स्थिति अतिचारी बृहस्पति के साथ मिलकर दुनिया को एक बड़ी आर्थिक मंदी की ओर धकेल सकती है जो कि 1929 की तरह ही भयानक हो सकती है।
इस चरण के गुज़र जाने के बाद दुनिया की कई बड़ी अरअर्थव्यवस्थाएं पूरी तरह से बिखर सकती हैं और इन देशों को इससे उबरने में वर्षों का समय लग सकता है और भारत भी इनमें से एक होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब शनि और राहु की युति होती है, तब यह लोगों और अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के लिए वित्तीय संकट का समय होता है। ऐसा भी कहा जाता है कि जब शनि बृहस्पति की किसी भी राशि में गोचर करता है, तब वैश्विक स्तर पर ‘दुर्भिक्षा’ या मंदी की स्थिति बन सकती है क्योंकि बृहस्पति धन का कारक हैं और शनि दरिद्रता का कारक हैं। इसलिए जब शनि बृहस्पति की राशि में होता है, तो धन के मामले में हमेशा असंतुलन की स्थिति पैदा होती है।
2025 की शुरुआत से ही विभिन्न धर्मों और संस्कृति के लोग अपनी परंपराओं एवं संस्कारों को बनाए रखने को लेकर अधिक कट्टर और दृढ़ हो सकते हैं। चाहे वह भारत हो, अमेरिका हो या फिर कोई अन्य देश हो, लोग अपने धर्म को थोपने में अधिक कठोरता दिखा सकते हैं या फिर नौकरियों और सेवाओं आदि में विदेशियों की तुलना में अपने समुदाय के लोगों को प्राथमिकता देने की प्रवृत्ति दिख सकती है।
मेष राशि के नौवें और बारहवें भाव का स्वामी ग्रह बृहस्पति है। कुंडली का नौवां भाव धर्म का और बारहवां भाव अलगाव या विदेश यात्रा का कारक होता है। साल 2025 में 01 मई से ही बृहस्पति मेष राशि के तीसरे भाव में विराजमान है। बृहस्पति की नौवें भाव पर दृष्टि पड़ने की वजह से इस समय आपकी आध्यात्मिक कार्यों में अधिक रुचि हो सकती है।
कुछ लोगों के लिए विदेश यात्रा या विदेश में बसने के योग बन सकते हैं जिससे उन्हें निश्चित रूप से लाभ होगा। बृहस्पति लेखकों, मीडियाकर्मियों, कलाकारों आदि को उत्तम परिणाम प्रदान करेगा। हालांकि, बृहस्पति की नौवें भाव पर दृष्टि पड़ने की वजह से आप धार्मिक या आध्यात्मिक कार्यों में धोखाधड़ी का शिकार हो सकते हैं।
वृषभ राशि के आठवें और ग्यारहवें भाव का स्वामी बृहस्पति ग्रह है। कुंडली का आठवां भाव आकस्मिक घटनाओं और ग्यारहवां भाव बड़े भाई-बहनों का कारक होता है। बृहस्पति आय और पारिवारिक संपत्ति का कारक है। गुरु का दूसरे भाव में होना अत्यंत शुभ माना जाता है। आमतौर पर यह सौभाग्य, आर्थिक समृद्धि और मज़बूत नैतिक मूल्यों का संकेत देता है। आठवें भाव का स्वामी होने की वजह से बृहस्पति आपके लिए वित्तीय समस्याएं पैदा कर सकते हैं। वहीं अतिचारी बृहस्पति आपकी सेहत पर भी नकारात्मक प्रभाव डालेंगे लेकिन आपको कुछ लाभ भी दे सकते हैं। यह समय आपके लिए औसत रहेगा।
मिथुन राशि के पहले घर में बृहस्पति का गोचर होने जा रहा है और इस राशि के सातवें और दसवें भाव का स्वामी बृहस्पति है। इस गोचर से उत्पन्न किसी भी प्रकार के अप्रिय विचार से बचने के आपको सचेत प्रयास करना चाहिए। आपको इस समय दीर्घकालिक लाभ मिलने को संभावना कम है।
करियर की बात करें, तो आपको काम के सिलसिले में यात्रा करनी पड़ सकती है या नौकरी में बदलाव के भी योग हैं लेकिन ये विकल्प उतने अच्छे नहीं होंगे जितनी आप उम्मीद कर रहे हैं। यदि इस समयावधि में व्यापारियों को अपनी उम्मीद के अनुसार लाभ न मिला तो, उन्हें चिंता हो सकती है। आप आर्थिक रूप से स्थिर हो सकते हैं लेकिन फिर भी आपको लगेगा कि आपको आमदनी आपके खर्चों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। आपके और आपके पार्टनर के बीच अहंकार के कारण मतभेद हो सकते हैं जिससे आपके रिश्ते का संतुलन बिगड़ सकता है।
कर्क राशि के छठे और नौवें भाव का स्वामी बृहस्पति है और अब वह आपके बारहवें भाव में हैं। इस घटना के कारण आपको अपने बढ़ते हुए दायित्वों को संभालना मुश्किल हो सकता है। इस समय आपको लोन लेने के लिए दबाव महसूस कर सकते हैं।
करियर की बात करें, तो आपको अपनी नौकरी में दबाव महसूस हो सकता है जो कि इस समयावधि में आऊ ज्यादा बदतर हो सकता है। व्यापारी नई चीजें करने के लिए प्रेरित हो सकते हैं जिससे उन्हें पैसा कमाने में मदद मिलेगी। हालांकि, कंपनी के सफल होने के लिए सावधानीपूर्वक योजना बनाने की ज़रूरत है। वित्त की बात करें तो इस समय आपको धन को सावधानीपूर्व संभालने की ज़रूरत है क्योंकि लापरवाही की वजह से परेशानियां हो सकती हैं।
सिंह राशि के पांचवें और आठवें भाव का स्वामी बृहस्पति है और अब वह आपके ग्यारहवें भाव में गोचर करने जा रहा है। आपकी इच्छाएं पूरी होंगी और आपको अचानक लाभकारी अनुभव हो सकते हैं।
नौकरीपेशा जातक लगातार प्रगति करेंगे और दीर्घकालिक सफलता के लिए आधार तैयार करेंगे। इस समय आपके प्रयासों को पहचान मिलेगी। अगर आप खासतौर पर ट्रेडिंग या स्टॉक के बिजनेस करते हैं, तो इस दौरान आपकी अच्छी आमदनी होगी और आपको रोमांचक अवसर प्राप्त होंगे। वित्त की बात करें, तो आपको बड़ा लाभ हो शक्तभाई और आपको अपनी बचत के अवसर बढ़ाने के अवसर मिलेंगे।
कन्या राशिके चौथे और सातवें भाव का स्वामी बृहस्पति है जो कि अब आपके दसवें भाव में प्रवेश करने जा रहा है। इस समय आप कम सहज महसूस कर सकते हैं। लेकिन आप अपने रिश्तों और करियर पर अधिक ध्यान देते हुए नज़र आएंगे।
करियर की बात करें, तो आपकी नौकरी में लाभकारी बदलाव होने की संभावना है। व्यापारियों को उच्च आय के लिए पर्याप्त अवसर प्राप्त होंगे जिससे आप उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल कर सकते हैं। वित्त की बात करें, तो इस समयावधि में आपकी आमदनी में बढ़ोतरी होने के संकेत हैं और इसका श्रेय आपके भाग्य को जाता है।
तुला राशि के तीसरे और छठे भाव का स्वामी बृहस्पति इस राशि के नौवें भाव में अतिचारी है। इस समय आप अपनी काबिलियत से ज्यादा कुछ हासिल कर सकते हैं और आपको यात्रा करने के अधिक अवसर मिलेंगे। अब आपको अपनी कड़ी मेहनत का फल मिलना शुरू हो सकता है।
करियर की बात करें, तो आपको विदेश से नए अवसर मिलने की संभावना है जो आपके लिए अनुकूल साबित होंगे। यदि आप व्यापार करते हैं, तो आप इस समय नई व्यावसायिक योजनाएं बना सकते हैं जिनमें अधिक धन कमाने की क्षमता होगी। वित्तीय जीवन की बात करें, तो इस समय आप आर्थिक रूप से मज़बूत रहेंगे। आपको यात्रा के ज़रिए अधिक धन कमाने के अवसर मिलेंगे। निजी जीवन में आपका जीवनसाथी आपकी ईमानदारी की सराहना कर सकता है।
अतिचारी बृहस्पति वृश्चिक राशि के आठवें भाव में हैं जिससे आपके लिए कुछ कठिनाईयां उत्पन्न हो सकती हैं। इस राशि के दूसरे और पांचवे भाव के स्वामी बृहस्पति हैं। अगर आप नौकरी के नए अवसरों को अनदेखा करते हैं, तो आपको अपने करियर में परेशानियां हो सकती हैं। इस समयावधि में आपको अपने वरिष्ठ अधिकारियों से बात करते समय सावधान रहने की ज़रूरत है क्योंकि इस दौरान कार्यक्षेत्र में समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
यदि आप व्यवसाय करते हैं, तो आपके अवसरों और आमदनी में गिरावट आने की आशंका है। इन अड़चनों से उबरने के लिए व्यवस्थित और रणनीतिक योजना बनाना आवश्यक है। धन की बात करें, तो आप सामान्य रूप से धन कमाएंगे। अगर आप पैसा कमा भी लेते हैं, तो भी इसके डूबने का खतरा रहेगा। आपके लिए बचत करना मुश्किल हो सकता है।
धनु राशि के सातवें भाव में बृहस्पति है जो कि इस राशि के पहले और चौथे भाव का स्वामी भी है। इस समय आपकी अध्यात्म रुचि अधिक बढ़ सकती है। आप अपने आध्यात्मिक विकास की खोज में अधिक धन खर्च कर सकते हैं।
आपको काम के सिलसिले में अधिक यात्रा करनी पड़ सकती है और इनमें से कुछ यात्राएं मुश्किल साबित होंगी। व्यापारियों के लिए इस समयावधि में अधिक लाभ अर्जित करना प्राथमिकता रहने वाली है। अगर आप रणनीतिक योजना के साथ आगे बढ़ते हैं, तो आपके प्रयास अच्छे वित्तीय परिणाम देंगे और आप धन संचय भी कर सकते हैं।
मकर राशि के छठे भाव में बृहस्पति रहेंगे और इस राशि के तीसरे और बारहवें भाव के स्वामी बृहस्पति हैं। इस समय आपको अप्रत्याशित आय होने के संकेत हैं। बृहस्पति के अतिचारी होने के दौरान लोन लेना भी आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।
आप अपने काम में अधिक रुचि लेंगे और सेवा भावना से प्रेरित होकर काम कर सकते हैं जिससे आपको संतुष्टि महसूस होगी। हालांकि, अगर आप बिज़नेस करते हैं, तो आपको इस समय अपने व्यवसाय के दायरे को सीमित करने की आवश्यकता हो सकती है क्योंकि इस दौरान आपके लिए मुनाफा कमाना कठिन हो सकता है। आपके खर्चों में वृद्धि होने और वित्तीय नुकसान के योग बन रहे हैं जिससे नई जिम्मेदारियों के चलते लोन लेने की ज़रूरत बढ़ सकती है।
बृहस्पति इस राशि के दूसरे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं जो कि अब आपके पांचवे भाव में उपस्थित हैं। इससे आपको अनुकूल और लाभकारी परिणाम प्राप्त होंगे। इस समय आप आत्मविश्वास से भरपूर और आशावादी महसूस करेंगे।
करियर के मामले में आप अपनी स्थिति से संतुष्ट रहने वाले हैं। इसके अलावा आपको अपने प्रयासों के लिए सराहना और मान्यता मिल सकती है। यदि आप व्यापार करते हैं, तो इस समय आपको सफलता मिलेगी और खासतौर पर ट्रेडिंग और शेयर मार्केट में काम करने वाले लोगों की आय में वृद्धि देखने को मिलेगी। आपकी आमदनी में तेजी से बढ़ोतरी होने के आसार हैं। जैसे-जैसे आप अधिक पैसा बचाने की मानसिकता रखेंगे, वैसे-वैसे आपको अधिक धन कमाने और बचाने के वित्तीय अवसर प्राप्त होंगे।
मीन राशि के पहले और दसवें भाव के स्वामी बृहस्पति हैं जो कि अब आपके चौथे भाव में हैं। इससे आपको अधिक सुख-सुविधा मिल सकती है। इस समय आप अपने करियर को लेकर अधिक ध्यान केंद्रित रहेंगे। आपको यात्रा करने के अधिक अवसर मिलेंगे और आप शायद स्थानांतरण भी कर सकते हैं।
आपका आत्मविश्वास और तेजी से निर्णय लेने की क्षमता आपको अपने कार्यक्षेत्र में बड़ी सफलता और प्रगति दिला सकती है। यदि आप व्यापार करते हैं, तो आप विभिन्न व्यावसायिक कार्यों में सफल होंगे, अधिक पैसा कमाएंगे और आपको महत्वपूर्ण लाभ मिल सकता है। धन की बात करें, तो इस समय आपकी आय और खर्चों दोनों में वृद्धि देखने को मिलेगी। आपका पारिवारिक कार्यक्रमों और स्वास्थ्य पर खर्चा हो सकता है।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1. ज्योतिष में अतिचारी का क्या मतलब होता है?
उत्तर. अतिचारी का अर्थ होता है जब कोई ग्रह अपनी सामान्य गति से अधिक तेजी से चलता है और इसका लोगों की जिंदगी पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
प्रश्न 2. क्या बृहस्पति एक शुभ ग्रह है?
उत्तर. हां, बृहस्पति सबसे शुभ ग्रहों में से एक है।
प्रश्न 3. बृहस्पति कब तक अतिचारी रहेंगे?
उत्तर. 2032 तक गुरु अतिचारी रहने वाले हैं।
मेष राशि में सूर्य के प्रवेश से बन जाएंगे इन राशियों के बिगड़े काम; धन लाभ के भी बनेंगे योग!
सूर्य का मेष राशि में गोचर: वैदिक ज्योतिष मेंसूर्य देव “नवग्रहों के जनक” के नाम से जाने जाते हैं क्योंकि यह अन्य ग्रहों की तरह कभी भी अस्त, उदित, वक्री और मार्गी नहीं होते हैं। लेकिन, हर माह अपनी राशि में परिवर्तन करते हैं इसलिए सूर्य के गोचर को बहुत ख़ास माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार, सूर्य ग्रह का गोचर राशि चक्र के साथ-साथ देश-दुनिया को भी प्रभावित करने का सामर्थ्य रखता है। अब यह जल्द ही मेष राशि में गोचर करने जा रहे हैं और इसका सकारात्मक और नकारात्मक असर संसार और मनुष्य जीवन दोनों पर दिखाई दे सकता है। सूर्य का मेष राशि में प्रवेश आपके जीवन के भिन्न-भिन्न आयामों जैसे करियर, व्यापार, प्रेम और वैवाहिक जीवन आदि को प्रभावित करेगा।
ऐसे में, आपके मन में सवाल उठ रहे होंगे कि सूर्य का मेष राशि में गोचर किन राशियों के लिए शुभ रहेगा और किन राशियों की परेशानियों को बढ़ाएगा? क्या आपको करियर में मिलेगी सफलता? आर्थिक स्थिति में होगा सुधार या बनी रहेंगी धन से जुड़ी समस्याएं? इन सभी सवालों के जवाब आपको एस्ट्रोसेज एआई के इस विशेष ब्लॉग में मिलेंगे। सूर्य का मेष राशि में गोचर का यह लेख हमारे विद्वान और अनुभवी ज्योतिषियों द्वारा सूर्य की स्थिति और दशा की गणना करने के बाद तैयार किया गया है। आइए जानते हैं कि सूर्य का मेष राशि में गोचर का समय और डेट।
सूर्य का मेष राशि में गोचर: तिथि और समय
सूर्य का मेष राशि में गोचर बेहद ख़ास माना जाता है क्योंकि इस दिन सूर्य अपना एक राशि चक्र पूरा कर लेते हैं। साथ ही, पहली राशि होने के कारण मेष राशि में प्रवेश के साथ सूर्य के नए राशि चक्र की शुरुआत हो जाती है। इसी क्रम में, सूर्य महाराज अब 14 अप्रैल 2025 की रात 03 बजे मेष राशि में गोचर कर जाएंगे। बता दें कि मेष राशि के स्वामी मंगल ग्रह हैं जो कि उग्र स्वभाव के हैं और सूर्य को भी उग्र स्वभाव का ग्रह माना जाता है। ऐसे में, मेष राशि में सूर्य गोचर के दौरान संसार में कुछ बड़े परिवर्तन नज़र आ सकते हैं। आइए अब जानते है धार्मिक दृष्टि से सूर्य गोचर का महत्व।
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
सूर्य का मेष राशि में गोचर: धार्मिक दृष्टि से
सूर्य गोचर का ज्योतिष के अलावा धार्मिक दृष्टि से भी विशेष महत्व होता है। बता दें कि जब सूर्य महाराज अपना राशि परिवर्तन करते हैं या फिर एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तो इस घटना को हिन्दू धर्म में संक्रांति के नाम से जाना जाता है। सूर्य का गोचर हर माह होने के कारण हर महीने संक्रांति आती है और इस तिथि को बहुत शुभ माना गया है। सूर्य जिस राशि में प्रवेश करते हैं, उस संक्रांति का नाम उसी राशि के नाम पर पड़ता है जिनमें वह गोचर करते हैं।
अब सूर्य मेष राशि में प्रवेश कर रहे हैं, तो इस तिथि को मेष संक्रांति के रूप में मनाया जाएगा। यह सौर वर्ष का पहला दिन होता है और इस अवसर पर सूर्य देव की पूजा-अर्चना की जाता है। इनकी उपासना से जातक को आरोग्यता का वरदान प्राप्त होता है। साथ ही, आपको सभी तरह की शारीरिक एवं मानसिक समस्याओं से राहत मिलती है।
शायद ही आप इस बात को जानते होंगे कि जब सूर्य धनु और मीन राशि में प्रवेश करता है, तब खरमास लग जाता है। इसके साथ ही अगले एक महीने के लिए सभी तरह के धार्मिक कार्यों जैसे शादी-विवाह, मुंडन और गृह प्रवेश आदि पर रोक लग जाती है। इसी क्रम में, सूर्य देव पिछले 14 मार्च 2025 से मीन राशि में विराजमान थे इसलिए खरमास लगा हुआ था, लेकिन अब सूर्य के मेष राशि में प्रवेश के साथ ही खरमास का अंत हो जाएगा। ऐसे में, एक बार फिर से शुभ एवं मांगलिक कार्य किये जा सकेंगे। चलिए अब जानते हैं सूर्य ग्रह का ज्योतिष में महत्व।
सूर्य ग्रह का ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिष की दुनिया में सूर्य ग्रह को महत्वपूर्ण दर्जा प्राप्त है जो हर माह अपनी राशि में बदलाव करते हैं।
मनुष्य जीवन में सूर्य महाराज मान-सम्मान, नेतृत्व क्षमता और उच्च पद का प्रतिनिधित्व करते हैं।
राशि चक्र में सिंह राशि के स्वामी सूर्य ग्रह हैं और इनकी उच्च राशि मेष है जबकि यह तुला राशि में नीच अवस्था में होते हैं।
हिन्दू धर्म में सूर्य ग्रह जिस दिन किसी राशि में प्रवेश करते हैं, वह तिथि और अवधि सभी तरह के धार्मिक कार्यों के लिए शुभ मानी जाती है।
सूर्य गोचर की अवधि में लोग आत्मशांति के लिए अनेक प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। साथ ही, सूर्य देव की आराधना करते हैं।
हालांकि, अगर कुंडली में सूर्य ग्रह शुभ भाव में मौजूद होते हैं, तो जातक को अच्छी नौकरी समाज में मान-सम्मान और प्रसिद्धि का आशीर्वाद देते हैं। लेकिन, कभी-कभी ऐसा होता है कि यह अपने उग्र स्वभाव की वजह से थोड़े बेहतर परिणाम देने में पीछे रह जाते हैं।
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
सूर्य का धार्मिक महत्व
जैसे कि हम आपको बता चुके हैं कि सूर्य ग्रह को सौरमंडल का राजा कहा जाता है। इसी क्रम में, ज्योतिष के कुछ ग्रंथों और पुराणों में सूर्य को सूर्य देव माना गया है इसलिए इनकी पूजा विधि-विधान से की जाती है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, सूर्य देव के पिता महर्षि कश्यप और माता अदिति हैं इसलिए इन्हें आदित्य के नाम से भी जाना जाता है।
सूर्य महाराज से शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ की प्राप्ति के लिए सूर्य को नियमित रूप से जल का अर्घ्य देना चाहिए और सूर्य नमस्कार करना चाहिए।
हिन्दू पंचांग में सूर्य को रविवार का दिन समर्पित है और इसे सप्ताह का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।
इन पांच कामों से प्रसन्न होते हैं सूर्य
आप सूर्य ग्रह को मज़बूत करने के लिए सूर्य यंत्र की स्थापना एवं पूजन कर सकते हैं।
सूर्य देव का आशीर्वाद पाने के लिए “ॐ भास्कराय नमः” मंत्र का जाप करें।
सूर्य से शुभ परिणाम पाने के लिए किसी ज्योतिषी की सलाह पर आप माणिक्य रत्न भी धारण कर सकते हैं।
आप दैनिक जीवन में पीला या केसरिया रंग ज्यादा से ज्यादा धारण करें।
बेल मूल की जड़ के इस्तेमाल से आप सूर्य ग्रह की कृपा पा सकते हैं।
चलिए अब हम आपको रूबरू करवाते हैं सूर्य को मज़बूत करने के उपायों से।
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. ज्योतिष में सूर्य का गोचर कब होता है?
हर महीने सूर्य एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं और इस तरह पूरे साल हर राशि में बारी-बारी से गोचर करते हैं, इसको ही सूर्य का गोचर कहा जाता है।
2. सूर्य का मेष राशि में गोचर कब होगा?
साल 2025 में सूर्य का मेष राशि में गोचर 14 अप्रैल 2025 को होगा।
3. मेष राशि किसकी है?
मेष राशि पर मंगल देव का स्वामित्व है।
इस सप्ताह सूर्य का होगा मेष में गोचर, बदल जाएगी इन 3 राशि वालों की तक़दीर!
एस्ट्रोसेज एआई के इस ख़ास ब्लॉग में आपको अप्रैल 2025 के तीसरे सप्ताह से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी विस्तारपूर्वक प्राप्त होगी। हम सभी के मन में यह उत्सुकता रहती है कि आने वाला कल हमारे लिए कैसा रहेगा? साप्ताहिक राशिफल के इस विशेष ब्लॉग के माध्यम से हम जानेंगे कि अप्रैल का यह सप्ताह राशि चक्र की सभी 12 राशियों के लिए कैसे परिणाम लेकर आएगा? यह हफ़्ता आपके व्यापार के लिए कैसा रहेगा? क्या स्वास्थ्य में आएंगे उतार -चढ़ाव या आपकी सेहत बनी रहेगी शानदार? प्रेम और वैवाहिक जीवन में उत्पन्न होंगी समस्याएं या मिठास से भरा रहेगा जीवन? आपकी ज़िंदगी में कोई नया शख्स दस्तक देने वाला है या नहीं? इन सभी सवालों के जवाब आपको हमारे इस विशेष ब्लॉग में मिलेंगे। यहाँ आप जान सकेंगे शिक्षा से लेकर अपनी लव लाइफ तक का हाल।
साप्ताहिक राशिफल का यह विशेष लेख हमारे विद्वान और अनुभवी ज्योतिषियों द्वारा तैयार किया गया है जो कि पूर्ण रूप से वैदिक ज्योतिष पर आधारित है। हम आपको ग्रह-नक्षत्रों की चाल, दशा और स्थिति की गणना करने के बाद आपको सभी 12 राशियों के लिए भविष्यवाणी प्रदान करेंगे। सिर्फ इतना ही नहीं, अप्रैल के इस सप्ताह में कब और कौन से व्रत-त्योहार को मनाया जाएगा, कब और किस समय कौन सा ग्रह अपनी राशि परिवर्तन करेगा, कब-कब होंगे बैंक अवकाश और विवाह के लिए कब है विवाह का मुहूर्त आदि के बारे में हम विस्तार से चर्चा करेंगे। तो चलिए बिना देरी किए शुरू करते हैं और जानते हैं इस सप्ताह का का भविष्यफल।
इस सप्ताह के ज्योतिषीय तथ्य और हिंदू पंचांग की गणना
हिंदू पंचांग के अनुसार, अप्रैल माह का यह दूसरा सप्ताह होगा जिसकी शुरुआत स्वाति नक्षत्र के तहत कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा यानी कि 14 अप्रैल 2025, सोमवार के दिन होगी। वहीं, इसका अंत उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के अंतर्गत कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि अर्थात 20 अप्रैल 2025 को होगा। यह सप्ताह बेहद ख़ास रहेगा क्योंकि इसका अंत सिद्ध योग के तहत होगा। इस सप्ताह में अनेक पर्वों एवं त्योहार को मनाया जाएगा और कई ग्रहण-गोचर भी होंगे, जिनके बारे में हम आपको आगे बताएंगे।
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इस सप्ताह में पड़ने वाले व्रत और त्योहारों की संपूर्ण जानकारी
व्रत एवं त्योहार के बिना हमारा जीवन अधूरा माना जाता है क्योंकि यह ज़िन्दगी में खुशियां, सौभाग्य और एक-दूसरे से मिलने के अवसर लेकर आता है, इसलिए हर व्रत या त्योहार को पूरे मन से मानना चाहिए। लेकिन आज की व्यस्त ज़िन्दगी के कारण हम पर्वों की तिथियों को भूल जाते हैं, आपके साथ ऐसी कोई घटना न हो इसलिए हम आपको नीचे सभी पर्वों एवं व्रतों की तिथियां प्रदान कर रहे हैं, चलिए देखते हैं कब-कौन सा पर्व मनाया जाएगा।
मेष संक्रांति (14 अप्रैल 2025 सोमवार): मेष संक्रांति भगवान सूर्य को समर्पित होती है और यह साल भर में पड़ने वाली 12 संक्रांति तिथियों में से एक होती है। बता दें कि संक्रांति तिथि उस दिन मनाई जाती है जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करता है। अब सूर्य जल्द ही मेष राशि में गोचर करने जा रहे हैं इसलिए इसे मेष संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। यह तिथि दान-स्नान के लिए शुभ होती है।
संकष्टी चतुर्थी (16 अप्रैल 2025, बुधवार): हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी को हर कष्ट और संकट को हरने वाला कहा जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी के दिन श्री गणेश का पूजन और व्रत करने से भक्त के जीवन से सभी कष्टों और संकटों का नाश होता है। साथ ही, जातक को इस व्रत से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। यह व्रत सूर्योदय से शुरू होकर चंद्रोदय के साथ समाप्त होता है।
हम आशा करते हैं कि यह व्रत-त्योहार आपके जीवन को खुशियाँ और उमंग से भर देंगे।
हम आपको अपने पिछले लेखों में बताते आये हैं कि ग्रहण और गोचर का मनुष्य के जीवन पर सीधा और गहरा प्रभाव पड़ता है इसलिए ज्योतिष में भी ग्रहण और गोचर को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। इस सेक्शन में हम अप्रैल 2025 के तीसरे सप्ताह (14 अप्रैल से 20 अप्रैल, 2025) में पड़ने वाले ग्रहण और गोचर के बारे में विस्तार से चर्चा कराएंगे। हालांकि, आपको बता दें कि इस हफ़्ते में केवल एक ही ग्रह का गोचर होने जा रहा है।
सूर्य का मेष राशि में गोचर (14 अप्रैल 2025): ग्रहों के जनक के नाम से विख्यात सूर्य महाराज 14 अप्रैल 2025 की रात 03 बजे गुरु ग्रह की राशि मीन से निकलकर मंगल देव की राशि मेष में प्रवेश कर जाएंगे।
बता दें कि अप्रैल के इस सप्ताह में कोई ग्रहण नहीं लगेगा।
इस सप्ताह में पड़ने वाले बैंक अवकाश
अप्रैल 2025 के दूसरे सप्ताह के व्रत और त्योहार के बारे में जानने के बाद अब हम बात करेंगे इस हफ़्ते के बैंक अवकाशों की। जिन लोगों को आने वाले सप्ताह में बैंक से जुड़े काम निपटाने हैं, उन्हें नीचे दी गई तारीखों का ध्यान रखना होगा।
तिथि
दिन
पर्व
राज्य
14 अप्रैल 2025
सोमवार
बंगाली नववर्ष
त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल
14 अप्रैल 2025
सोमवार
बिहु त्योहार
अरुणाचल प्रदेश और असम
14 अप्रैल 2025
सोमवार
चेइरोबा महोत्सव
मणिपुर
14 अप्रैल 2025
सोमवार
अंबेडकर जयंती
सभी राज्य सिवाय अंडमान निकोबार , अरुणाचल प्रदेश , असम,चंडीगढ़, दादर और नागर हवेली, दमन और दिऊ, दिल्ली, लक्षद्वीप,मणिपुर, मेघालय , मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा
14 अप्रैल 2025
सोमवार
तमिल नव वर्ष
तमिलनाडु
14 अप्रैल 2025
सोमवार
विशु
केरल
15 अप्रैल 2025
मंगलवार
हिमाचल दिवस
हिमाचल प्रदेश
16 अप्रैल 2025
बुधवार
बोहाग बिहू उत्सव
असम
18 अप्रैल 2025
शुक्रवार
गुड फ्राइडे
सभी राज्य सिवाय हरियाणा और जम्मू कश्मीर
19 अप्रैल 2025
शनिवार
ईस्टर शनिवार
राष्ट्रीय अवकाश
20 अप्रैल 2025
रविवार
ईस्टर रविवार
केरल और नागालैंड
अब जान लेते हैं इस सप्ताह के शुभ मुहूर्तों के बारे में।
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14 अप्रैल से 20 अप्रैल के बीच विवाह मुहूर्त
जो लोग अप्रैल के इस सप्ताह में शादी-विवाह करने के बारे में सोच रहे हैं, तो यहाँ हम आपको विवाह की तिथियां प्रदान कर रहे हैं।
तारीख़ एवं दिन
मुहूर्त
नक्षत्र
तिथि
14 अप्रैल 2025, सोमवार
स्वाति
द्वितीया
सुबह 06 बजकर 10 मिनट से रात 12 बजकर 13 मिनट तक
16 अप्रैल 2025, बुधवार
अनुराधा
चतुर्थी
रात 12 बजकर 18 मिनट से सुबह 05 बजकर 54 मिनट तक
18 अप्रैल 2025, शुक्रवार
मूल
षष्ठी
रात 01 बजकर 03 मिनट से सुबह 06 बजकर 06 मिनट तक
19 अप्रैल 2025, शनिवार
मूल
षष्ठी
सुबह 06 बजकर 06 मिनट से अगली सुबह 10 बजकर 20 मिनट तक
20 अप्रैल 2025, रविवार
उत्तराषाढ़ा
सप्तमी, अष्टमी
सुबह 11 बजकर 48 मिनट से अगली सुबह 06 बजकर 04 मिनट तक
इस सप्ताह के मुंडन मुहूर्त
जो माता-पिता अपनी संतान के मुंडन संस्कार के लिए अप्रैल के इस सप्ताह में मुहूर्त की तलाश कर रहे हैं,तो यहां हम आपको शुभ मुहूर्त की जानकारी दे रहे हैं।
एस्ट्रोसेज इन सभी सितारों को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं देता है। यदि आप अपने पसंदीदा सितारे की जन्म कुंडली देखना चाहते हैं तो आप यहां पर क्लिक कर सकते हैं।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह ब्लॉग ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. सूर्य का मेष राशि में गोचर कब होगा?
ज्योतिष के अनुसार, सूर्य देव 14 अप्रैल 2025 को मेष राशि में गोचर करेंगे।
2. मेष संक्रांति कब है 2025 में?
इस साल मेष संक्रांति 14 अप्रैल 2025 को होगी।
3. हनुमान जयंती 2025 में कब है?
वर्ष 2025 में हनुमान जयंती 12 अप्रैल 2025 की है।
बेहद शुभ योग में मनाया जाएगा बैसाखी का त्योहार, जानें तिथि, मुहूर्त और महत्व!
बैसाखी 2025: बैसाखी बसंत की फसलों का पर्व है जो मुख्यतः पंजाब और भारत के उत्तरी भाग में धूमधाम से मनाया जाता है। सिख कैलेंडर के अनुसार, बैसाखी को नए साल की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है जिसे हिंदू वर्ष के दूसरे माह वैशाख के प्रथम दिन मनाया जाता है। वहीं, ग्रेगोरियन कैलेंडर में बैसाखी का पर्व सामान्य रूप से हर साल 13 या 14 अप्रैल के दिन पड़ता है और इस वर्ष यह 14 अप्रैल, सोमवार को पड़ेगा। बैसाखी पर मेष संक्रांति को भी मनाया जाता है क्योंकि इस दिन सूर्य महाराज मीन राशि से निकलकर मेष राशि में गोचर करते हैं। मान्यता है कि इस अवसर पर अपनी राशि के अनुसार उपाय करने से आपके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। तो आइए बिना देर किए शुरुआत करते हैं एस्ट्रोसेज एआई के इस ख़ास लेख “बैसाखी 2025” की और जानते हैं इस पर्व से जुड़ीं सारी महत्वपूर्ण बातें।
जैसे कि हम आपको बता चुके हैं कि सिख समुदाय के लोग बैसाखी को नए साल के तौर पर मनाते हैं। इस दिन गुरुद्वारों को सजाया जाता है और भजन-कीर्तन जैसे धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से भी बैसाखी का त्योहार महत्वपूर्ण माना गया है। बैसाखी को दिल्ली समेत पंजाब, हरियाणा में बेहद उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। जहाँ पंजाब, हरियाणा के लिए बैसाखी फसलों का पर्व है, तो वहीं इसे बिहार में सतुआन के नाम से जाना जाता है और इस दिन सत्तू खाने की परंपरा है।
बैसाखी 2025: तिथि और पूजा मुहूर्त
सिखों के नए वर्ष के प्रतीक बैसाखी का पर्व हर साल हिंदू कैलेंडर विक्रम संवत के प्रथम माह में आता है। हालांकि, पूरे देश में यह उत्साह से मनाया जाता है, लेकिन इसकी अलग ही रौनक पंजाब में दिखाई देती है। बता दें कि सन् 1699 में बैसाखी पर ही सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिन्द सिंह ने पवित्र खालसा पंथ की स्थापना की थी। इस वर्ष बैसाखी 14 अप्रैल 2025, सोमवार के दिन मनाई जाएगी। आइए अब हम आगे बढ़ते हैं और नज़र डालते हैं इस दिन के शुभ मुहूर्त पर।
बैसाखी 2025 की तिथि: 14 अप्रैल 2025, सोमवार
बैसाखी संक्रांति का क्षण: सुबह 03 बजकर 30 मिनट
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
इस शुभ योग में मनाया जाएगा बैसाखी का त्योहार
सिख धर्म के लिए बैसाखी को बेहद महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है क्योकि यह उन तीन त्योहारों में से एक है जिसको सिखों के तीसरे गुरु, ‘गुरु अमर दास’ जी ने मनाया था। हालांकि, मेष संक्रांति और बैसाखी एक दिन मनाए जाने के कारण इस दिन साधारण उपाय भी करना फलदायी साबित होता है, लेकिन जब बैसाखी पर कोई शुभ योग बनता है तो इसका महत्व बढ़ जाता है। इसी क्रम में, बैसाखी 2025 पर बुध और शुक्र की मीन राशि में युति होने से लक्ष्मी नारायण योग बनने जा रहा है इसलिए इस दिन आप धन की देवी लक्ष्मी जी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कुछ सरल उपाय कर सकते हैं।
बैसाखी का अर्थ और महत्व
बैसाखी 2025 के इस खूबसूरत पर्व को फसलों का त्योहार कहा जाता है जिसे सिखों के साथ-साथ अन्य धर्मों के लोग भी बिना भेदभाव के मनाते हैं। इस पर्व को नए साल के रूप में मनाने के पीछे वजह यह है कि 1699 में गुरु गोविंद सिंह ने बैसाखी के दिन खालसा की स्थापना की थी और इसके साथ ही, उन्होंने सभी जातियों के बीच व्याप्त भेदभाव को समाप्त करते हुए हर इंसान को समान घोषित कर दिया था। धार्मिक मान्यता के अनुसार, बैसाखी पर सूर्य देव राशि चक्र की पहली राशि मेष में प्रवेश करते हैं।
इस दिन भगवान सूर्य और लक्ष्मीनारायण की पूजा करना शुभ सिद्ध होता है। ऐसा करने से आपको जीवन में सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। बैसाखी का संबंध फसलों से माना गया है क्योंकि रबी की फसल वैशाख माह आते-आते पक जाती हैं और उनकी कटाई शुरू हो जाती है। इस प्रकार, बैसाखी पर फसलों की कटाई करके घर लेकर आने की खुशी में सब भगवान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और अनाज की पूजा करते हैं। इसके बाद, शाम के समय खुशियां मनाते हैं और भांगड़ा करते हैं
कैसे मनाई जाती है बैसाखी?
बैसाखी का इंतज़ार बेसब्री से सिख समुदाय के लोगों को रहता है और इस दिन गुरु ग्रंथ साहिब जी के पवित्र स्थान को दूध से शुद्ध किया जाता है।
इसके पश्चात, पवित्र किताब को ताज के साथ उसके स्थान पर रख दिया जाता है और इस दौरान हाथों की साफ-सफ़ाई का ख़ासतौर पर ध्यान रखा जाता है।
पवित्र किताब को ताज के साथ रखने के बाद इसका पाठ किया जाता है और सभी अनुयायी गुरु के प्रवचन को ध्यानपूर्वक सुनते हैं।
बैसाखी के अवसर पर भक्तों के लिए अमृत भी तैयार करने का रिवाज है और बाद में इसको सभी को प्रसाद के रूप में दिया जाता है।
परंपराओं के अनुसार, एक पंक्ति में लगकर अनुयायी अमृत को 5 बार ग्रहण करते हैं या फिर इसे अरदास के बाद गुरु को प्रसाद का भोग लगाकर सभी अनुयायियों में बांट दिया जाता है।
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बैसाखी पर ज़रूर करें इन चीज़ों का दान
बैसाखी 2025 पर दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है इसलिए इस दिन खरबूजा, तरबूज, घड़ा, पंखा, शरबत, पानी आदि चीजों का दान करना शुभ रहता है।
आप अपनी इच्छा के अनुसार चीनी, गुड़, कच्चे आम और आम पन्ना आदि का भी दान कर सकते हैं।
बैसाखी के दिन सत्तू का दान भी पुण्यकारी होता है, वहीं इस पर्व पर जौ दान को स्वर्ण दान के समान माना जाता है। ऐसा कहते हैं कि इन चीज़ों का दान करने से जातक को रोगों से मुक्ति मिलती है।
मेष संक्रांति होने की वजह से इस दिन पूजा, जप, तप, दान और स्नान-ध्यान करने का विधान है। आप मेष संक्रांति पर मसूर की दाल, गेंहू, गुड़, चावल और लाल रंग से जुड़ीं चीज़ों का दान कर सकते हैं।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह ब्लॉग ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. साल 2025 में बैसाखी कब है?
इस वर्ष बैसाखी का पर्व 14 अप्रैल 2025 को मनाया जाएगा।
2. मेष संक्रांति कब है 2025 में?
मेष संक्रांति 14 अप्रैल 2025 के दिन ही मनाई जाएगी।
3. बैसाखी पर किसकी पूजा करनी चाहिए?
बैसाखी 2025 के दिन सूर्य देव और लक्ष्मीनारायण की पूजा करना शुभ होता है।
धन-वैभव के दाता शुक्र करेंगे अपनी चाल में बदलाव, इन राशियों के बनेंगे नौकरी में तरक्की के योग!
शुक्र मीन राशि में मार्गी: वैदिक ज्योतिष मेंशुक्र ग्रह को एक महत्वपूर्ण दर्जा प्राप्त है जिन्हें प्रेम, ऐश्वर्य, भोग-विलास एवं विवाह आदि के कारक माना गया है। सरल शब्दों में कहें तो,शुक्र महाराज के आशीर्वाद से किसी व्यक्ति का प्रेम जीवन सदैव प्रेमपूर्ण, सुखी और ख़ुशहाल बना रहता है। अब शुक्र देव अप्रैल के महीने में अपनी स्थिति में परिवर्तन करने जा रहे है और ऐसे में, यह राशियों के साथ-साथ देश-दुनिया में कुछ बड़े बदलाव लेकर आ सकते है। आपको बता दें कि शुक्र ग्रह के प्रभाव से ऐसे जातक जिनकी कुंडली में शुक्र मज़बूत स्थिति में होते हैं, उनकी लव लाइफ शानदार रहती है। वहीं, जिन लोगों की कुंडली में शुक्र कमज़ोर होते है, उन्हें अपने जीवन में अनेक तरह की समस्याओं का सामना करन पड़ता है। अब इस क्रम में, शुक्र की मार्गी चाल आपकी राशि को शुभ या अशुभ किस तरह से प्रभावित करेगी? क्या जीवनसाथी के साथ रिश्ते में आएगा उतार-चढ़ाव? आदि के जवाब हम आपको यहाँ प्रदान करेंगे।
एस्ट्रोसेज एआई का यह ख़ासआपको “शुक्र मीन राशि में मार्गी” से जुड़ी समस्त जानकारी प्रदान करेगा जैसे कि समय, तिथि आदि। हम अपने पिछले लेखों में आपको बताते आये हैं कि ग्रहों के गोचर और इनकी चाल, दशा या स्थिति में होने वाले बदलाव संसार समेत विश्व को प्रभावित करते हैं। ऐसे में, शुक्र मार्गी होने से मानव जीवन के महत्वपूर्ण पहलू जैसे व्यापार, करियर, वैवाहिक और प्रेम जीवन आदि अछूते नहीं रहेंगे इसलिए इस लेख के माध्यम से हम आपको राशि चक्र की सभी 12 राशियों पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में पहले से अवगत करवा रहे हैं जिससे आप बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकें। इसके अलावा, हमारे अनुभवी एवं विशेषज्ञ ज्योतिषियों द्वारा शुक्र से शुभ परिणाम पाने के लिए अचूक उपाय प्रदान किए जा रहे हैं। तो आइए आगे बढ़ते हैं और सबसे पहले जानते हैं शुक्र मीन राशि में मार्गी कब और किस समय होगा।
शुक्र मीन राशि में मार्गी: तिथि एवं समय
प्रेम, धन-संपदा और भोग-विलासिता के कारक के नाम से विख्यात शुक्र देव का गोचर लगभग हर महीने होता है और इसी क्रम में, शुक्र ग्रह की चाल एवं स्थिति में भी समय-समय पर बदलाव होता रहता है। हालांकि, अब शुक्र महाराज 13 अप्रैल 2025 की सुबह 05 बजकर 45 मिनट पर मीन राशि में अपनी वक्री अवस्था से बाहर आते हुए मार्गी हो जाएंगे। बता दें कि गुरु देव के स्वामित्व वाली राशि मीन शुक्र महाराज की उच्च राशि है। मीन राशि में शुक्र ग्रह 28 जनवरी 2025 से उपस्थित है जो 02 मार्च को इसी राशि में वक्री हो गए थे। अब लगभग एक महीने बाद यह पुनः मार्गी होंगे। ऐसे में, शुक्र देव की युति से बनने वाले योग दोबारा मज़बूती से परिणाम देने लगेंगे। इनका प्रभाव विभिन्न राशियों पर अलग-अलग तरह से नज़र आ सकता है।
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
किसे कहते हैं ग्रह का मार्गी होना?
ग्रह की मार्गी अवस्था को समझने के लिए सबसे पहले हमें वक्री चाल के बारे में जानना होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब कोई ग्रह अपने परिक्रमा पथ पर चलते हुए उल्टा या पीछे की तरफ चलता हुआ प्रतीत होता है, तो इस अवस्था को ग्रह का वक्री होना कहा जाता है। इसके विपरीत, कुछ समय तक वक्री रहने के बाद जब ग्रह पुनः आगे की दिशा में या सीधा चलना शुरू कर देता है, तो इसको ग्रह का मार्गी होना कहा जाता है। अक्सर ऐसा होता है कि ग्रह वक्री अवस्था में पूरी क्षमता से परिणाम नहीं दे पाते हैं, लेकिन मार्गी होने पर जातक को शुभ फल देने में सक्षम होते हैं। आइए अब नज़र डालते हैं शुक्र ग्रह के ज्योतिषीय महत्व पर।
ज्योतिष की दृष्टि से शुक्र ग्रह
शुक्र देव को स्त्री ग्रह माना जाता है और यह व्यक्ति को जीवन में हर तरह की सुख-सुविधा, ऐश्वर्य और शांतिपूर्ण प्रेम जीवन प्रदान करते हैं।
ज्योतिष में शुक्र को शुभ और लाभदायक ग्रह कहा जाता है जबकि सनातन धर्म में यह शुक्राचार्य के नाम से प्रसिद्ध हैं जो असुरों के गुरु माने गए है।
राशि चक्र में इनको वृषभ और तुला राशि पर स्वामित्व प्राप्त हैं। वहीं, 27 नक्षत्रों में शुक्र ग्रह भरणी, पूर्वाफाल्गुनी और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्रों के अधिपति देव हैं।
शुक्र महाराज के संबंध कर्म के कारक ग्रह शनि और बुद्धि के ग्रह बुध के साथ मित्रवत हैं। इसके विपरीत, सूर्य और चंद्रमा के प्रति शुक्र शत्रुता का भाव रखते हैं।
ज्योतिषियों द्वारा प्रेम भाव का विश्लेषण करने के लिए सबसे पहले कुंडली में शुक्र ग्रह की स्थिति को देखा जाता है। इसकी वजह यह है कि जातक की कुंडली में शुक्र के शुभ और बलवान होने से आपका जीवन प्रेम, रोमांस और खुशियों से पूर्ण रहता है।
वहीं, ऐसे जातक जिनकी कुंडली में शुक्र ग्रह दुर्बल या कमज़ोर होते हैं, उन्हें प्रेम एवं वैवाहिक जीवन में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
कुंडली में मज़बूत शुक्र होने से जातक सिंगिंग, एक्टिंग, पेंटिंग, संगीत आदि में लोकप्रियता हासिल करता है।
आइए अब जानते हैं शुक्र शुभ होने पर आपके जीवन में किस तरह के बदलाव लेकर आते हैं।
वर्तमान समय में हमारे जीवन पर किस ग्रह का आशीर्वाद है, यह पहचानना मुश्किल हो गया है। ऐसे में, अगर आप जानना चाहते हैं कि क्या शुक्र देव आप पर मेहरबान हैं या नहीं? तो आप इन संकेतों से पता कर सकते हैं।
जिन लोगों पर शुक्र ग्रह का शुभ प्रभाव होता है, उनके जीवन में कभी भी भौतिक सुख-सुविधाओं का अभाव नहीं होता है।
कुंडली में शुक्र देव अनुकूल स्थिति में होने पर जातक महंगी और लक्ज़री वस्तुओं का शौक़ीन होता है।
शुक्र बलवान होने पर जातक को नौकरी के क्षेत्र में पदोन्नति प्राप्त होती हैं। साथ ही, वह व्यापार में भी ख़ूब लाभ कमाता है।
ऐसे लोग जिनके ऊपर शुक्र देव मेहरबान होते हैं, उनका व्यक्तित्व बेहद आकर्षक होता है और वह काफ़ी सुंदर होते हैं।
अगर आपकी कुंडली में शुक्र शुभ हैं, तो आप अपने पहनावे को लेकर बहुत सतर्क रहते हैं।
शुक्र देव की अनुकूल स्थिति आपके प्रेम और वैवाहिक जीवन मधुरता से भर देती है और जीवनसाथी के साथ आपसी तालमेल शानदार होता है।
मज़बूत शुक्र के प्रभाव से जातक एंटरटेनमेंट और मीडिया जगत में प्रसिद्धि प्राप्त करता है। साथ ही, यह एविएशन इंडस्ट्री से भी जुड़े हो सकते हैं।
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
कमज़ोर शुक्र इस तरह करते हैं परेशान
जहाँ एक तरफ शुक्र की शुभ स्थिति जीवन को धन-संपदा से भर देती है, तो वहीं इनका अशुभ प्रभाव आपके जीवन को बाधाएं और परेशानियां देने का काम करता है।
ज्योतिष का मानना है कि शुक्र ग्रह के कमज़ोर होने पर घर में दरिद्रता आने लगती है।
कुंडली में अगर शुक्र अशुभ होता है, तो जातक को संतान प्राप्ति की राह में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
प्रतिकूल शुक्र का प्रभाव आपको जीवन में आर्थिक समस्याएं देने का काम करता हैं। ऐसे में, आप धन की कमी की वजह से परेशान रह सकते हैं।
कमज़ोर या पापी शुक्र आपके स्वास्थ्य को प्रभावित करते है और ऐसे मे, आपको शुगर, किडनी, आंत, मूत्र आदि रोगों की शिकायत हो सकती है।
अगर किसी जातक की कुंडली में शुक्र दुर्बल होता है, तो उसे अपने हर काम में असफलता हाथ लगती है। साथ ही, कड़ी मेहनत करने के बाद भी तरक्की पाने में बाधाओं से दो-चार होना पड़ता है।
शुक्र की स्थिति कुंडली में नकारात्मक होने के कारण आपके शादीशुदा जीवन में परेशानियां या मतभेद बने रहते हैं और धीरे-धीरे समस्याएं बढ़ने लगती हैं।
शुक्र की अशुभ स्थिति का असर सिर्फ़ वैवाहिक जीवन पर नहीं पड़ता है, बल्कि प्रेम जीवन में भी साथी के साथ रिश्ते में खटास आने लगती है।
चलिए अब बात करते हैं ऐसे जातकों के बारे में जिनका जन्म मीन राशि में शुक्र के अंतर्गत हुआ है।
ऐसे जातक जिन लोगों का जन्म मीन राशि में शुक्र के तहत हुआ है, उनके अंदर कुछ विशेषताएं देखने को मिलती हैं जो कि इस प्रकार हैं:
ऐसे जातक प्रेम जीवन में पार्टनर के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ना पसंद करते हैं और यह लोग रिश्ते में बेहद रोमांटिक और भावुक होते हैं।
मीन राशि में शुक्र के अंतर्गत पैदा होने वाले जातक अत्यंत भावुक और दयालु होते हैं। साथ ही, यह दूसरों के दर्द को गहराई से समझते हैं और यह अपने साथी की भावनाओं का ख्याल रखते हैं।
इन लोगों की रुचि कला, संगीत, नृत्य या कविता आदि में होती है और इसी क्षेत्र में यह जातक महारत हासिल करते हैं।
शुक्र के मीन राशि में पैदा होने वाले जातक साथी की कमियों को नज़रअंदाज़ कर सकते हैं। ऐसे लोगों के व्यवहार में सबसे बड़ी कमी होती है कि यह मुश्किलें आते ही उससे दूर भागने के रास्ते ढूंढ़ने लगते हैं।
शुक्र मीन राशि में मार्गी के दौरान करें ये उपाय
प्रतिदिन सुबह गाय को रोटी खिलाएं।
कुंडली में शुक्र देव को बलवान करने के लिए शुक्रवार के दिन सफेद वस्तुओं जैसे कि दूध, दही, चीनी, आटा, घी आदि का दान करें।
शुक्र ग्रह से सकारात्मक परिणाम पाने के लिए शुक्रवार के दिन व्रत करें।
प्रतिदिन शुक्र देव के बीज मंत्र “ॐ शुं शुक्राय नम:” का 108 बार जाप करना शुभ रहेगा।
शुक्र ग्रह को हीरा रत्न अत्यंत प्रिय है इसलिए कुंडली में शुक्र देव को बलवान करने के लिए आप हीरा रत्न धारण कर सकते हैं। लेकिन, ऐसा करने से पहले किसी अनुभवी एवं विद्वान ज्योतिषी से परामर्श अवश्य करें।
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. शुक्र मीन राशि में मार्गी कब होंगे?
साल 2025 में शुक्र मीन राशि में मार्गी 13 अप्रैल 2025 को होने जा रहे हैं।
2. मीन राशि का स्वामी कौन है?
गुरु ग्रह को मीन राशि का स्वामी माना जाता है।
3. ग्रह का मार्गी होना किसे कहते हैं?
जब कोई ग्रह अपनी वक्री अवस्था से बाहर आकर सीधा चलने लगता है, तो इसे ग्रह का मार्गी होना कहा जाता है।
टैरो साप्ताहिक राशिफल : 13 अप्रैल से 19 अप्रैल, 2025
टैरो साप्ताहिक राशिफल 13 अप्रैल से 19 अप्रैल, 2025: दुनियाभर के कई लोकप्रिय टैरो रीडर्स और ज्योतिषयों का मानना है कि टैरो व्यक्ति की जिंदगी में भविष्यवाणी करने का ही काम नहीं करता बल्कि यह मनुष्य का मार्गदर्शन भी करता है। कहते हैं कि टैरो कार्ड अपनी देखभाल करने और खुद के बारे में जानने का एक ज़रिया है।
टैरो इस बात पर ध्यान देता है कि आप कहां थे, अभी आप कहां हैं या किस स्थिति में हैं और आने वाले कल में आपके साथ क्या हो सकता है। यह आपको ऊर्जा से भरपूर माहौल में प्रवेश करने का मौका देता है और अपने भविष्य के लिए सही विकल्प चुनने में मदद करता है। जिस तरह एक भरोसेमंद काउंसलर आपको अपने अंदर झांकना सिखाता है, उसी तरह टैरो आपको अपनी आत्मा से बात करने का मौका देता है।
आपको लग रहा है कि जैसे जिंदगी के मार्ग पर आप भटक गए हैं और आपको दिशा या सहायता की ज़रूरत है। पहले आप टैरो का मज़ाक उड़ाते थे लेकिन अब आप इसकी सटीकता से प्रभावित हो गए हैं या फिर आप एक ज्योतिषी हैं जिसे मार्गदर्शन या दिशा की ज़रूरत है या फिर आप अपना समय बिताने के लिए कोई नया शौक ढूंढ रहे हैं। इन कारणों से या अन्य किसी वजह से टैरो में लोगों की दिलचस्पी काफी बढ़ गई है। टैरो डेक में 78 कार्ड्स की मदद से भविष्य के बारे में जाना जा सकता है। इन कार्ड्स की मदद से आपको अपने जीवन में मार्गदर्शन मिल सकता है।
टैरो की उत्पति 15वीं शताब्दी में इटली में हुई थी। शुरुआत में टैरो को सिर्फ मनोरंजन के रूप में देखा जाता था और इससे आध्यात्मिक मार्गदर्शन लेने का महत्व कम था। हालांकि, टैरो कार्ड का वास्तविक उपयोग 16वीं सदी में यूरोप के कुछ लोगों द्वारा किया गया जब उन्होंने जाना और समझा कि कैसे 78 कार्ड्स की मदद से भविष्य के बारे में जाना जा सकता है, उसी समय से इसका महत्व कई गुना बढ़ गया।
टैरो एक ऐसा ज़रिया है जिसकी मदद से मानसिक और आध्यात्मिक प्रगति को प्राप्त किया जा सकता है। आप कुछ स्तर पर अध्यात्म से, थोड़ा अपनी अंतरात्मा से और थोड़ा अपने अंर्तज्ञान और आत्म-सुधार लाने से एवं बाहरी दुनिया से जुड़ें।
तो आइए अब इस साप्ताहिक राशिफल की शुरुआत करते हैं और जानते हैं कि 06 अप्रैल से 12 अप्रैल, 2025 तक का समय सभी 12 राशियों के लिए कैसे परिणाम लेकर आएगा?
टैरो साप्ताहिक राशिफल 13 अप्रैल से 19 अप्रैल, 2025: राशि अनुसार राशिफल
मेष राशि
प्रेम जीवन: द मैजिशियन
आर्थिक जीवन: सिक्स ऑफ वैंड्स
करियर: सेवन ऑफ पेंटाकल्स
स्वास्थ्य: फाइव ऑफ वैंड्स
मेष राशि के जातकों को लव लाइफ में द मैजिशियन कार्ड मिला है जो दर्शाता है कि आप अपने रोमांटिक सपनों को फोकस और सही इरादों से साकार कर सकते हैं। यह कार्ड एक नए रिश्ते की शुरुआत, मौजूदा संबंध को मज़बूत करने या अपने रोमांटिक सपनों को सच करने के लिए कुछ कदम उठाने के संकेत दे रहा है।
सिक्स ऑफ वैंड्स कार्ड सफलता, विजय और उपलब्धि हासिल करने के संकेत दे रहा है। इस कार्ड का कहना है कि अब आप आर्थिक रूप से स्थिर हो सकते हैं और अब आपको अपनी कड़ी मेहनत का फल मिल रहा है। आपके वेतन में वृद्धि हो सकती है या आपको प्रमोशन मिलने की भी उम्मीद है या फिर आपको कोई ऐसा अवसर मिल सकता है जिससे आप आर्थिक रूप से समृद्ध हो सकें।
टैरो रीडिंग में सेवन ऑफ पेंटाकल्स कार्ड का अपराइट आने का मतलब है कि करियर में आपको अपने प्रयासों का फल मिल रहा है और आप अपने लक्ष्यों के नज़दीक पहुंच रहे हैं।
सेहत के मामले में फाइव ऑफ वैंड्स कार्ड उपचार को दर्शाता है। उम्मीद है कि आप किसी बीमारी या स्वास्थ्य समस्या के जूझने के बाद मुश्किलों और संघर्ष से उबरने में सफल होंगे। यह टैरो कार्ड आपको अपनी सेहत को लेकर सतर्क रहने की भी चेतावनी दे रहा है। आप ज़रूरत से ज्यादा तनाव ले रहे हैं जो आपकी सेहत और फिटनेस को खराब कर सकता है।
शुभ धातु: कॉपर और गोल्ड
वृषभ राशि
प्रेम जीवन: द हीरोफैंट
आर्थिक जीवन: फाइव ऑफ स्वॉर्ड्स
करियर: सेवन ऑफ स्वॉर्ड्स
स्वास्थ्य: थ्री ऑफ वैंड्स
साप्ताहिक राशिफल 2025 के अनुसार प्रेम जीवन में वृषभ राशि के लोगों को द हीरोफैंट कार्ड अपराइट मिला है जो कि दर्शाता है कि आप अपने पार्टनर के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध रहने के लिए तैयार हैं और आप अपने प्रेम संबंध को शादी के बंधन में बदल सकते हैं। आपके और आपके जीवनसाथी के बीच अच्छी आपसी समझ देखने को मिलेगी और आप दोनों ज्यादातर मुद्दों पर एक-दूसरे से सहमत होंगे। आपका वैवाहिक जीवन पारंपरिक हो सकता है जहां पर आपके कर्तव्य तय हैं और आप खुशी-खुशी उन्हें निभा रहे हैं।
इस सप्ताह वृषभ राशि के जातकों को धन, प्रॉपर्टी या पैतृक संपत्ति को लेकर पारिवारिक विवाद का सामना करना पड़ सकता है। यह सप्ताह आपके लिए मुश्किल साबित हो सकता है क्योंकि इस समय आपके अपने परिवार और करीब लोगों के साथ कानूनी झगड़े होने की आशंका है। इसके अलावा आपके पैसों की चोरी होने के भी संकेत हैं या फिर आप अपने धन को लेकर चिंतित हो सकते हैं।
टैरो करियर रीडिंग में सेवन ऑफ स्वॉर्ड्स कार्ड कहता है कि आपको अपने पेशेवर स्किल्स को और अधिक निखारने की आवश्यकता है। इस कार्ड का यह भी कहना है कि आपको अपने ग्राहकों और सहकर्मियों के साथ ईमानदार रहने और खुलकर बात करने की ज़रूरत है।
सेहत में थ्री ऑफ वैंड्स कार्ड उत्तम स्वास्थ्य और किसी बीमारी या रोग से ठीक होने के संकेत दे रहा है। दोस्तों और परिवार के साथ रहने से आपको जल्दी ठीक होने में मदद मिलेगी।
शुभ धातु: प्लेटिनम और सिल्वर
बृहत् कुंडलीमें छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरालेखा-जोखा
मिथुन राशि
प्रेम जीवन: जस्टिस
आर्थिक जीवन: फोर ऑफ वैंड्स
करियर: फाइव ऑफ वैंड्स
स्वास्थ्य: टू ऑफ स्वॉर्ड्स
मिथुन राशि के लोगों को अपने प्रेम जीवन में जस्टिस कार्ड मिला है जिसके अनुसार इस सप्ताह आपको अपनी लव लाइफ में अलग-अलग तरह के अनुभव होंगे और इससे आपको काफी कुछ सीखने को भी मिलेगा। इससे आपके और आपके पार्टनर के बीच आपसी समझ बढ़ेगी। आपको अपने रिश्ते में संतुलन लाने का प्रयास करना चाहिए।
वित्तीय जीवन में फोर ऑफ वैंड्स कार्ड आर्थिक रूप से मज़बूत होने के लालच को दर्शा रहा है। आप आर्थिक स्थिरता पाने को अपना एकमात्र लक्ष्य बना सकते हैं। आप आर्थिक लाभ पाने के लिए लोगों को खुश करने की प्रवृत्ति भी रख सकते हैं। पैसे खर्च करने के मामले में आप कंजूस हो सकते हैं। आप पैसे बचाने के तरीकों की तलाश कर सकते हैं।
फाइव ऑफ वैंड्स कार्ड ऑफिस में मतभेद और प्रतिस्पर्धा के संकेत दे रहा है। आपके कार्यस्थल में प्रतिस्पर्धात्मक माहौल बनने की आशंका है। यहां दूसरों के साथ व्यक्तित्व और अहम को लेकर चल रहे संघर्ष की वजह से आपकी प्रगति में रुकावट आ सकती है। अपनी कंपनी में किसी के भी अहंकार को ठेस पहुंचाने से बचें और देखें कि सफलता पाने के लिए आप सब एकसाथ मिलकर कैसे काम कर सकते हैं।
हेल्थ रीडिंग में टू ऑफ स्वॉर्ड्स कार्ड कहता है कि आपको मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं या फिर आपको चिकित्सकीय सहायता लेने की ज़रूरत पड़ सकती है। इस सप्ताह आप अपनी मानसिक स्वास्थ्य समस्या का समाधान ढूंढ सकते हैं।
शुभ धातु: गोल्ड
कर्क राशि
प्रेम जीवन: नाइन ऑफ स्वॉर्ड्स
आर्थिक जीवन: स्ट्रेंथ
करियर: द टॉवर (रिवर्स्ड)
स्वास्थ्य: टेम्पेरेंस (रिवर्स्ड)
कर्क राशि के लोगों को नाइन ऑफ स्वॉर्ड्स कार्ड मिला है। इस कार्ड के अनुसार इस सप्ताह आपको अपने रिश्ते में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इसके साथ ही आपके मन में अपने पार्टनर के प्रति नकारात्मक भावनाएं उत्पन्न हो सकती हैं। कोई रहस्य रखने, बेवफाई करने या धोखा देने की वजह से दुख और अपराध बोध महसूस हो सकता है। बेहतर होगा कि आप इन समस्याओं पर अपने पार्टनर से खुलकर बात करें और इसका हल ढूंढने और अपने रिश्ते में भरोसे को दोबारा लाने का प्रयास करें। आप अपने पार्टनर से बातचीत करने की कोशिश करें।
आर्थिक जीवन में स्ट्रेंथ कार्ड आपको अपने खर्चों पर थोड़ा नियंत्रण रखने की सलाह दे रहा है। कोई भी आर्थिक निर्णय लेने से पहले सोच-विचार कर लें। इस कार्ड का कहना है कि आपको भावनात्मक स्तर पर संतुलन और आत्मविश्वास को बनाए रखना चाहिए। इसके साथ ही यह कार्ड करियर में प्रगति और लाभ के संकेत भी दे रहा है।
द टॉवर रिवर्स्ड कार्ड इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि आप अपने करियर या मौजूदा स्थिति में बदलाव करने से इनकार कर रहे हैं। यह कार्ड बदलाव को स्वेच्छा से स्वीकार न करने को दर्शाता है। आप बदलाव को अपनाने के बजाय पुरानी विचारधाराओं से चिपके रह सकते हैं जबकि आपको पता होगा कि अब वे आपके लिए लाभकारी नहीं रही हैं।
स्वास्थ्य में गिरावट आने के कारण आपका ध्यान भटक सकता है। आपको इस समय अपनी दिनचर्या से बाहर निकलने और अपने स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए कोई तरीका खोजने की आवश्यकता है। कार्यक्षेत्र से संबंधित समस्याएं आपके स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है और आपकी सफलता के मार्ग में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं।
सिंह राशि के जातकों को प्रेम जीवन में फोर ऑफ स्वॉर्ड्स कार्ड मिला है। आप कुछ समय अकेले रहना चाहते हैं ताकि आप समझ सकें कि आप अपने रिश्ते से क्या चाहते हैं और आपका रिश्ता किस दिशा में जा रहा है। सिंगल जातकों को किसी नए रिश्ते की शुरुआत करने से पहले अपने आप में कुछ सुधार लाने और खुद को बेहतर बनाने पर ध्यान देना चाहिए।
आर्थिक जीवन में थ्री ऑफ वैंड्स कार्ड आपके लिए अच्छे संकेत दे रहा है। जल्द ही आपकी आय के नए स्रोत खुलने वाले हैं। आप कोई नया व्यवसाय शुरू कर सकते हैं या अच्छी सैलरी के लिए नौकरी बदलने के बारे में भी सोच सकते हैं।
करियर में थ्री ऑफ कप्स कार्ड कहता है कि अब आप अपने पेशेवर जीवन में किसी मुश्किल स्थिति से बाहर निकल पाने में सक्षम होंगे और राहत महसूस करेंगे। करियर के मामले में अब आप अपनी सारी चिंताओं और परेशानियों को पीछे छोड़कर सहज और स्थिर महसूस करने वाले हैं। आप अपने पेशेवर जीवन में संतुलन और सुरक्षा की ओर आगे बढ़ेंगे।
सेहत में फाइव ऑफ वैंड्स कार्ड कहता है कि इस सप्ताह आप बहुत ज्यादा तनाव में रहने वाले हैं और इसकी वजह से आपके स्वास्थ्य में भी गिरावट आ सकती है। आपको इस समय अपने स्वास्थ्य को लेकर सतर्क रहने की सलाह दी जाती है।
शुभ धातु: गोल्ड
कन्या राशि
प्रेम जीवन: किंग ऑफ कप्स
आर्थिक जीवन: सिक्स ऑफ पेंटाकल्स
करियर: ऐस ऑफ पेंटाकल्स
स्वास्थ्य: थ्री ऑफ स्वॉर्ड्स
प्रेम जीवन में कन्या राशि के लोगों के लिए किंग ऑफ कप्स कार्ड कहता है कि इस सप्ताह आपके पार्टनर आपका बहुत ज्यादा ख्याल रखने वाले हैं। वे आपके प्रति संवेदनशील रहेंगे और आपको उनका भावनात्मक पहलू देखने को मिलेगा। इससे आप दोनों के बीच नज़दीकियां बढ़ सकती हैं। सिंगल जातक नए रिश्ते की शुरुआत कर सकते हैं।
सिक्स ऑफ पेंटाकल्स कार्ड बताता है कि इस समय आपका सारा ध्यान अपनी आर्थिक स्थिति को मज़बूत, स्थिर और सुरक्षित करने पर रहेगा। आप अपने आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक प्रभावशाली योजना बना सकते हैं। आप अपनी योजना पर अच्छे से काम करेंगे और अपने लक्ष्य तक पहुंचने में सफल होंगे।
करियर में ऐस ऑफ पेंटाकल्स कार्ड कहता है कि इस समय आपको नई उपलब्धियां मिलने वाली हैं। आपके पेशेवर जीवन में कुछ नया होने वाला है। आपको नई नौकरी मिल सकती है या मौजूदा नौकरी में ही कोई नया काम या जिम्मेदारी मिलने की संभावना है। वहीं व्यापारियों को कोई नया बिज़नेस पार्टनर या सपंर्क बनाने का मौका मिल सकता है। यह नया बदलाव आपको सफलता की ओर लेकर जाएगा।
सेहत में आपको थ्री ऑफ स्वॉर्ड्स कार्ड मिला है जो कि अच्छे संकेत नहीं दे रहा है। स्वास्थ्य को लेकर मामूली सी परेशानी होने पर भी आप डॉक्टर को जरूर दिखाएं। आपमें से कुछ लोगों को हृदय संबंधी समस्याएं होने का डर है।
शुभ धातु: गोल्ड
तुला राशि
प्रेम जीवन: फोर ऑफ पेंटाकल्स
आर्थिक जीवन: सिक्स ऑफ पेंटाकल्स
करियर: नाइन ऑफ पेंटाकल्स
स्वास्थ्य: किंग ऑफ कप्स
प्रेम जीवन में तुला राशिके लोगों को फोर ऑफ पेंटाकल्स कार्ड मिला है जिसके अनुसार इस समय आप अपने प्रेम संबंध को लोगों की नज़रों से छिपाकर प्राइवेट रखना चाहते हैं। आप अपनी सभी जिम्मेदारियों और काम से दूर अपने पार्टनर के साथ कुछ समय बिताने की इच्छा रखते हैं।
सिक्स ऑफ पेंटाकल्स कार्ड के अनुसार इस सप्ताह आपको जिस सहायता की ज़रूरत है, वह आपको ज़रूर मिलेगी। इस कार्ड का कहना है कि आपको अपने धन को संभालने या नौकरी आदि के लिए लोन लेने के लिए आवश्यक सहायता प्राप्त होगी।
नाइन ऑफ पेंटाकल्स कार्ड सकारात्मकता की ओर संकेत दे रहा है। आप जो काम कर रहे हैं, उसमें आनंदित महसूस करेंगे। इस समय आपके कार्यक्षेत्र में जो कुछ भी चल रहा है, वह आपके लिए किसी सपने के सच होने जैसा है और आप निश्चित ही इस सकारात्मक समय का आनंद ले रहे हैं। आपने बिना किसी की मदद के बहुत कड़ी मेहनत की है इसलिए आज जो आपको सफलता मिली है, आप उसके पूरे हकदार हैं।
किंग ऑफ कप्स कार्ड आपके लिए अच्छी सेहत की ओर इशारा कर रहा है। इस सप्ताह आपको कोई बड़ी बीमारी या चोट परेशान नहीं करेगी। आप स्वस्थ जीवन जिएंगे और सेहत को लेकर कोई उतार-चढ़ाव नहीं आएगा। आपका शारीरिक स्वास्थ्य इस समय दुरुस्त रहने वाला है।
शुभ धातु: प्लेटिनम और पंचधातु
वृश्चिक राशि
प्रेम जीवन: किंग ऑफ स्वॉर्ड्स
आर्थिक जीवन: ऐस ऑफ पेंटाकल्स
करियर: किंग ऑफ वैंड्स
स्वास्थ्य: जस्टिस
वृश्चिक राशि के लोगों को किंग ऑफ स्वॉर्ड्स कार्ड मिला है जो कहता है कि इस सप्ताह आप अकेले ही काफी खुश रहेंगे। आप एक मज़बूत और स्वतंत्र व्यक्तित्व वाले इंसान हैं और आपको किसी जीवनसाथी की ज़रूरत नहीं है।
आर्थिक जीवन को लेकर ऐस ऑफ पेंटाकल्स कार्ड कहता है कि इस समय धन के मामले में आपकी स्थिति मज़बूत रहने वाली है। आपको अपने नए बिज़नेस में सफलता मिलेगी और आप उच्च मुनाफा कमाने में सक्षम होंगे। वहीं नौकरीपेशा जातकों के लिए वेतन में वृद्धि होने की भी प्रबल संभावना है।
किंग ऑफ वैंड्स कार्ड बताता है कि इस समय आपका अपने करियर पर पूरा नियंत्रण रहने वाला है। आपको अपनी कंपनी में कोई ऊंचा पद मिल सकता है। वहीं, अगर आप व्यापारी हैं, तो आपका अपनी कंपनी पर पूरा कंट्रोल रहने वाला है।
सेहत में आपको जस्टिस कार्ड मिला है जिसके अनुसार यह सप्ताह आपके लिए अच्छा रहेगा और आप जीवन का भरपूर आनंद लेंगे। हालांकि, अगर आपको अस्वस्थ महसूस हो रहा है, तो समझ लें कि अब जल्द ही आपकी सेहत में सुधार आने वाला है।
शुभ धातु: कॉपर
धनु राशि
प्रेम जीवन:थ्री ऑफ वैंड्स
आर्थिक जीवन: टू ऑफ कप्स
करियर: सेवन ऑफ पेंटाकल्स
स्वास्थ्य: द टॉवर
प्रेम जीवन में धनु राशि के लोगों को थ्री ऑफ वैंड्स कार्ड मिला है जिसके अनुसार यह सप्ताह आपके रिश्ते के लिए परीक्षा का समय हो सकता है। आपके और आपके पार्टनर दोनों को ही कुछ ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है जिसमें आपके धैर्य और एक-दूसरे के लिए प्रतिबद्धता की परीक्षा देनी पड़े। आप दोनों एक-दूसरे के साथ अच्छा तालमेल बनाने की कोशिश करें ताकि आप इन मुश्किलों को आसानी से पार कर पाएं।
आर्थिक जीवन में टू ऑफ कप्स कार्ड कहता है कि आपको इस सप्ताह अपने बिज़नेस पार्टनर या परिवार और दोस्तों का काफी सहयोग मिलने वाला है। वे आपको वित्तीय सहायता भी प्रदान कर सकते हैं। यदि आप साझेदारी में व्यापार करते हैं, तो यह सप्ताह आपके लिए शानदार रहने वाला है।
करियर में धनु राशि के लोगों को सेवन ऑफ पेंटाकल्स कार्ड मिला है जो आपके लिए खुशखबरी लेकर आया है। जो नौकरीपेशा जातक लंबे समय से पदोन्नति का इंतज़ार कर रहे थे, अब उनकी यह मनोकामना पूरी होगी। लंबे इंतज़ार और कड़ी मेहनत के बाद अब आपको अपने प्रयासों का परिणाम मिलने की उच्च संभावना है।
स्वास्थ्य के मामले में आपको द टॉवर कार्ड मिला है जो अच्छे संकेत नहीं दे रहा है। यह कार्ड आपके लिए शारीरिक बीमारी और चोट लगने की ओर इशारा कर रहा है। आपको इस समय सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है ताकि आप कई स्वास्थ्य समस्याओं से बच सकें अन्यथा आपको सेहत को लेकर परेशानियां उठानी पड़ सकती हैं।
शुभ धातु: गोल्ड और पीतल
मकर राशि
प्रेम जीवन: टेन ऑफ कप्स
आर्थिक जीवन: नाइन ऑफ कप्स
करियर: द एम्प्रेस
स्वास्थ्य: द टेम्पेरेंस
मकर राशि के लोगों को प्रेम जीवन में टेन ऑफ कप्स कार्ड मिला है जिसके अनुसार यह समय आपके प्रेम संबंध के लिए अनुकूल रहने वाला है। आप अपने परिवार और जीवनसाथी के साथ बिताए समय का आनंद लेंगे। आपको अपने पार्टनर के साथ कुछ अच्छा समय बिताने का भी मौका मिलेगा। आप खुद इस खूबसूरत समय का आनंद लेना चाहेंगे।
आर्थिक जीवन में मकर राशि के लोगों को नाइन ऑफ कप्स कार्ड मिला है। आपकी आर्थिक स्थिति वैसी ही रहेगी, जैसा आप चाहते हैं। आपको अपने निवेश से बहुत अच्छा लाभ मिलेगा और आप इस समय आर्थिक रूप से स्थिर एवं सुरक्षित महसूस करेंगे।
मकर राशि के जातकों को इस सप्ताह अपने करियर में प्रगति मिलने की उम्मीद है। अगर आप प्रमोशन का इंतज़ार कर रहे हैं, तो अब आपको यह मिल सकती है। यह कार्ड ताकत और आधिपत्य का प्रतीक है। आपमें इतनी हिम्मत और साहस है कि आप पुराने रिवाज़ों को तोड़कर नए रिवाज़ बना सकते हैं।
इस समय आपको अपनी जीवनशैली का आंकलन करना चाहिए और सेहत में संतुलन लाने के लिए कुछ बदलाव करने चाहिए। हो सकता है कि आप तनाव से निपटने के लिए गलत तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
शुभ धातु: पंचधातु
कुंभ राशि
प्रेम जीवन: ऐस ऑफ कप्स
आर्थिक जीवन: जजमेंट
करियर: सेवन ऑफ वैंड्स
स्वास्थ्य: द डेविल (रिवर्स्ड)
कुंभ राशि के जातकों को लव लाइफ में ऐस ऑफ कप्स कार्ड मिला है। इस सप्ताह आपके लिए एक नए रिश्ते की शुरुआत हो सकती है। अगर आप किसी को प्रपोज़ करने के बारे में सोच रहे हैं, तो आपको जवाब हां में मिल सकता है। सिंगल जातकों की जिंदगी में उनका पसंदीदा इंसान प्रवेश कर सकता है।
टैरो साप्ताहिक राशिफल 2025 के अनुसार जजमेंट कार्ड कहता है कि वित्तीय जीवन में आपको अपनी योग्यता के अनुसार परिणाम मिलेंगे। नौकरीपेशा जातकों के वेतन में वृद्धि होने के आसार हैं। आपको जल्द ही इंक्रीमेंट लेटर मिल सकता है। आपकी कड़ी मेहनत के लिए आपको सराहा जाएगा और आपकी आय का स्रोत नैतिक रहने वाला है।
सेवन ऑफ वैंड्स कार्ड का कहना है कि आप बहुत मेहनती इंसान हैं। आपके उच्च अधिकारी और बॉस आपकी कड़ी मेहनत को पहचानेंगे और आप अपनी कंपनी में एक भरोसेमंद कर्मचारी बन सकते हैं। आपकी कड़ी मेहनत आपको सफलता तक पहुंचाने में मदद करेगी।
हेल्थ रीडिंग में द डेविल रिवर्स्ड कार्ड बताता है कि कुछ स्वास्थ्य समस्याओं से गुज़रने के बाद अब आप अपनी सेहत पर ध्यान दे रहे हैं। संभव है कि आप पहले खराब सेहत से जूझ चुके हैं लेकिन अब आपकी स्थिति में सुधार आ रहा है और आप अपनी सेहत को लेकर अधिक सचेत हो रहे हैं।
मीन राशि के लोगों को व्हील ऑफ फॉर्च्यून कार्ड मिला है जिसके अनुसार इस समय आपके रिश्ते में सकारात्मक बदलाव आने के संकेत हैं। आपके और आपके पार्टनर के बीच नज़दीकियां बढ़ेंगी और आप दोनों का रिश्ता मज़बूत होगा। आप अपने रिश्ते को एक कदम आगे लेकर जा सकते हैं।
आर्थिक जीवन में फोर ऑफ स्वॉर्ड्स कार्ड मिला है जो बताता है कि आपको अपने दिमाग से व्यर्थ के विचारों को निकाल देना चाहिए। बेहतर होगा कि आप कुछ और चीज़ों के बारे में सोचें। व्याकुल कर देने वाले विचारों और नकारात्मक सोच को खुद पर हावी न होने दें।
नाइट ऑफ स्वॉर्ड्स कार्ड कहता है कि आप अपने करियर में जो कुछ भी पाना चाहते हैं, उसे लेकर बहुत आशवस्त हैं। नौकरी के मामले में आप किसी भी चीज़ से डरते नहीं हैं। आप जो भी काम करेंगे, उसमें उतकृष्ट आएंगे और आप अपने प्रोजेक्ट को पूरी दक्षता के साथ पूरा करेंगे। कई लोग आपके इस अंदाज़ से घबरा सकते हैं लेकिन आपके लिए यह सामान्य बात है।
सेहत के मामले में आपको द वर्ल्ड कार्ड मिला है जो कि आपके लिए सकारात्मक संकेत दे रहा है। यह सप्ताह आपके लिए शानदार रहने वाला है और आपकी सेहत भी अच्छी रहेगी। आप इस समय स्वस्थ और खुश रहेंगे।
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1. क्या टैरो भविष्यवाणी करने का सही तरीका है?
उत्तर. टैरो भविष्यवाणी करने के बजाय मार्गदर्शन करने का एक तरीका है।
प्रश्न 2. टैरो डेक में सबसे दुखद कार्ड कौन सा है?
उत्तर. ऐट ऑफ कप्स।
प्रश्न 3. टैरो डेक में सबसे ऊर्जावान कार्ड कौन सा है?
उत्तर. द फूल और द सन।
चैत्र पूर्णिमा व्रत 2025: इस विधि से करेंगे पूजा, तो ज़रूर प्रसन्न होंगे श्री हरि!
चैत्र पूर्णिमा व्रत 2025: हिंदू धर्म में कई व्रत एवं त्योहार मनाए जाते हैं जिनका व्यक्ति के जीवन में विशेष महत्व है। ऐसे ही व्रतों में से एक है चैत्र मास की पूर्णिमा पर पड़ने वाला चैत्र पूर्णिमा व्रत 2025। हिंदू धर्म में चैत्र पूर्णिमा का अत्यधिक महत्व है। माना जाता है कि चैत्र पूर्णिमा का खासतौर पर कर्मों का लेखा-जोखा रखने वाले चित्रगुप्त से संबंध है।
हिंदू शास्त्रों के अनुसार चित्रगुप्त मनुष्य के कर्मों का हिसाब रखते हैं और अच्छे और बुरे कर्मों को अलग कर के उन्हें मृत्यु के देवता यमराज के सामने पेश करते हैं। ब्रह्मा जी ने सूर्य देव के माध्यम से चित्रगुप्त की रचना की थी और चित्रगुप्त को यमराज का छोटा भाई माना जाता है। चित्रगुप्त का आशीर्वाद पाने के लिए पूर्णिमा का दिन अत्यंत शुभ होता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे पिछले पाप कर्म नष्ट हो जाते हैं और ऐसे गुणों की प्राप्ति होती है जो इस जीवन और परलोक दोनों में आत्मा की यात्रा को सफल बनाते हैं।
एस्ट्रोसेज एआई के इस विशेष ब्लॉग में हम जानेंगे चैत्र पूर्णिमा व्रत 2025 के महत्व, तिथि, पूजन विधि और इससे जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में। तो चलिए अब बिना देर किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि चैत्र पूर्णिमा पर व्रत रखने से क्या लाभ मिलते हैं।
चैत्र पूर्णिमा व्रत 2025: समय और तिथि
इस साल चैत्र पूर्णिमा का व्रत शनिवार को 12 अप्रैल, 2025 को रखा जाएगा।
चंद्रोदय का समय: शाम 06 बजकर 18 मिनट
पूर्णिमा तिथि की शुरुआत: 12 अप्रैल, 2025 को सुबह 03 बजकर 24 मिनट पर।
पूर्णिमा तिथि का समापन: 13 अप्रैल, 2025 को सुबह 05 बजकर 54 मिनट पर।
चैत्र पूर्णिमा व्रत 2025 का महत्व
चैत्र पूर्णिमा हिंदू चंद्रमास की चैत्र की पूर्णिमा तिथि पर आती है। इसका आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व बहुत ज्यादा है। साल 2025 में पूरे भारत में सभी श्रद्धालु एवं भक्तगण पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ इस पावन अवसर को मनाएंगे। हिंदू धर्म में चैत्र महीने को अत्यंत पवित्र माना जाता है और चैत्र पूर्णिमा से ही चैत्र मास का समापन होता है। इस दिन विशेष अनुष्ठान, व्रत एवं दान-पुण्य आदि किए जाते हैं। मान्यता है कि चैत्र पूर्णिमा का व्रत रखने से संपन्नता, आध्यात्मिक विकास और पिछले जन्म के कर्मों से मुक्ति मिल जाती है।
चैत्र पूर्णिमा का एक प्रमुख पहलू यह है कि इसका भगवान विष्णु और हनुमान जी से संबंध है। चैत्र पूर्णिमा के दिन श्रद्धालु विष्णु जी और हनुमान जी की विशेष पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस शुभ अवसर पर सत्यनारायण व्रत भी रखा जाता है जिसमें सत्यनारायण की कथा सुनी और पढ़ी जाती है। मान्यता है कि इससे सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और जीवन की सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं। इसके अलावा चैत्र पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों जैसे कि गंगा, यमुना या गोदावरी में स्नान करने को अत्यंत शुभ माना जाता है। इससे आत्मा की शुद्धि होती है और पाप कर्मों से मुक्ति मिल जाती है।
बृहत् कुंडलीमें छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरालेखा-जोखा
चैत्र पूर्णिमा वैशाख मास की शुरुआत का भी प्रतीक है। हिंदू पंचांग में वैशाख मास सबसे पवित्र महीनों में से एक माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से उत्तम स्वास्थ्य, शांति और संपन्नता की प्राप्ति होती है। इस शुभ दिन पर गरीबों और ज़रूरतमंद लोगों को अन्न, वस्त्र और अन्य ज़रूरी सामान का दान करने का बहुत लाभकारी होता है। मान्यता है कि चैत्र पूर्णिमा के दिन आध्यात्मिक ऊर्जा अपने चरम पर होती है इसलिए इस दिन ध्यान, मंत्र उच्चारण और प्रार्थना करना विशेष रूप से फलदायी होता है।
चैत्र पूर्णिमा पर हनुमान जयंती
भारत के कई हिस्सों में खासतौर पर उत्तरी इलाकों में चैत्र पूर्णिमा के दिन हनुमान जी का जन्मोत्सव यानी हनुमान जयंती भी मनाई जाती है। इस दिन हनुमान जी के मंदिरों में दर्शन करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। इस शुभ अवसर पर हनुमान जी के लिए विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है।
चैत्र पूर्णिमा का ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिषीय दृष्टि से चैत्र पूर्णिमा का दिन उन्नति करने एवं बाधाओं को दूर करने के लिए किए जाने वाले अनुष्ठानों के लिए एक शक्तिशाली समय होता है। प्रार्थनाओं और ध्यान साधना की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए पूर्णिमा की ऊर्जा को सहायक माना जाता है। इससे यह दिन आध्यात्मिक कार्यों के लिए आदर्श बन जाता है।
पूरे भारत में चैत्र पूर्णिमा श्रेत्रीय परंपराओं के अनुसार मनाई जाती है:
महाराष्ट्र: इसे चैत्र पौर्णिमा के नाम से जाना जाता है और इस राज्य में भक्त एवं श्रद्धालु चैत्र पूर्णिमा के अवसर पर मंदिरों में दर्शन करते जाते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।
तमिलनाडु: यहां पर चैत्र पूर्णिमा को चित्रा पूर्णिमा के नाम से मनाया जाता है और भक्त इस दिन चित्रगुप्त की पूजा करते हैं। इस दिन होने वाले अनुष्ठानों में शुद्धिकरण एवं पूर्वजों का तर्पण करना शामिल है।
उत्तर प्रदेश और बिहार: भारत के इन राज्यों में चैत्र पूर्णिमा के दिन बड़े जोश और उत्साह के साथ हनुमान जयंती मनाई जाती है। इस दिन जुलूस निकलते हैं, विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और प्रसाद का वितरण किया जाता है।
चैत्र पूर्णिमा के पावन अवसर पर श्रद्धालु भगवान श्री हरि विष्णु की पूरी श्रद्धा और आस्था से पूजा करते हैं। चूंकि, इस दिन हनुमान जयंती भी है इसलिए इस दिन हनुमान जी और भगवान विष्णु की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। आगे चैत्र पूर्णिमा 2025 की पूजन विधि बताई गई है:
चैत्र पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद पीले या केसरी रंग के वस्त्र पहनें क्योंकि इन रंगों को शुभ माना जाता है।
अब सच्चे मन से भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए पूरा दिन व्रत रखने का संकल्प लें।
इसके बाद आप पूजन स्थल में भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र की स्थापना करें और पंचामृत से उनका अभिषेक करें। इसके बाद स्वच्छ जल से स्नान करवाएं।
भगवान विष्णु को प्रसाद के रूप में केले और खीर के साथ पीले रंग के पुष्प अर्पित करें। इसके अलावा भगवान विष्णु के पूजन में तुलसी की पत्तियों के उपयोग को बहुत शुभ माना गया है।
आप चैत्र पूर्णिमा व्रत 2025 पर कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें। इससे ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है। इसके साथ ही शाम के समय आरती करें और भजन गाएं।
रात्रि को चंद्र देव की विधिपूर्वक पूजा करें और उन्हें अर्घ्य दें।
प्राचीन समय में एक धनवान व्यापारी अपनी पत्नी के साथ एक नगर में रहता था। उसकी पत्नी भगवान विष्णु की परम भक्त थी और प्रतिदिन पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ उनकी पूजा-अर्चना किया करती थी। हालांकि, उसकी इस भक्ति से उसका पति चिढ़ता था और एक दिन उसने क्रोध में आकर अपनी पत्नी को घर से बाहर निकाल दिया।
घर से निकाले जाने के बाद व्यापारी की पत्नी के पास रहने का कोई ठिकाना नहीं था इसलिए वो जंगल में भटकने लगी। चलते-चलते उसने देखा कि चार पुरुष जमीन खोदने का काम कर रहे हैं। उस महिला ने वहां पर जाकर कहा कि ‘मुझे भी काम करने दो’। उसकी विनती सुनकर उन चार पुरुषों ने उसे काम पर रख लिया। हालांकि, कठोर परिश्रम के कारण उसके हाथों पर छाले पड़ गए। उसकी इस पीड़ा को देखकर उन चार पुरुषों ने खुदाई का काम बंद कर के घर के काम करने का सुझाव दिया। इस पर वह महिला सहमत हो गई और उसने घर जाकर उन चारों के लिए खाना पकाया।
प्रत्येक दिन वो चार पुरुष चार मुट्ठी चावल लेकर आते हैं जिसे वो आपस में बराबर बांट लेते थे। व्यापारी की पत्नी उन चारों पुरुषों के इतनी कम मात्रा में खाने से परेशान थी इसलिए उसने कहा कि अब से वे आठ मुट्ठी चावल लेकर आया करें। उसकी सलाह पर वे चारों अधिक चावल लेकर आने लगे। वह महिला खाना परोसने से पहले चावल का पहला हिस्सा भगवान विष्णु को चढ़ाती। सभी हैरान थे कि भोजन इतना स्वादिष्ट बना है। चारों पुरुष खाने के स्वाद से आश्चर्यचकित थे और उन्होंने उस महिला इसे इसका रहस्य पूछा। इस पर उसने जवाब दिया कि ‘पहले भोजन भगवान विष्णु को चढ़ाया जाता है और इसी वजह से उसका स्वाद एकदम दिव्य है।
वहीं अपनी पत्नी को घर से निकालने के बाद व्यापार भूख और पश्चाताप से पीड़ित होने लगा। अब उससे यह दुख सहन नहीं हो रहा था इसलिए वो अपनी पत्नी की तलाश में निकल पड़ा और उसी जंगल में जाकर पहुंचा। वहां पर उसने चार पुरुषों को खुदाई करते हुए देखा। व्यापारी ने उनसे काम देने के लिए विनती की जिसे उन्होंने स्वीकार लिया।
हालांकि, खुदाई करते समय व्यापारी के हाथों में दर्दभरे छाले हो गए, जैसे उसकी पत्नी के हुए थे। फिर उन चार पुरुषों से उससे घर के कामों में हाथ बंटाने के लिए कहा। उनकी बात मानकर व्यापारी उनके घर के लिए निकल पड़ा, जहां उसने अपनी पत्नी को देखा लेकिन घूंघट में होने की वजह से उसकी पत्नी उसे पहचान नहीं पाई।
हमेशा की तरह भोजन परोसने से पहले व्यापारी की पत्नी ने भगवान विष्णु को भोग लगाया लेकिन जब वो अपने पति को खाना परोसने लगी, तब भगवान विष्णु ने उसका हाथ पकड़ लिया और पूछा ‘तुम क्या कर रही हो’? तब उसने उत्तर दिया ‘भगवन! मैं सभी को खाना परोस रही हूं।’
इस दिव्य लीला को देखते हुए चारों पुरुषों ने भगवान विष्णु के दर्शन करने की विनती की। उनके अनुरोध पर भगवान विष्णु प्रकट हुए और उन चारों को अपना आशीर्वाद दिया। इस चमत्कार को देखते हुए व्यापारी को अपनी गलती का आभास हुआ और वो अपनी पत्नी से माफी मांगने लगा। उसने अपनी पत्नी से अपने साथ घर लौटने का भी अनुरोध किया।
वे चारों पुरुष जो वास्तव में उस महिला के भाई थे, उन्होंने अपनी बहन को खूब संपत्ति भेंट की और पूरे सम्मान के साथ विदा किया। उस दिन से वह व्यापारी भी भगवान विष्णु का भक्त बन गया और खुद को विष्णु जी की पूजा-अर्चना में समर्पित कर दिया। ऐसा माना जाता है कि चैत्र पूर्णिमा के दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु, हनुमान जी, भगवान राम और माता सीता की कृपा प्राप्त होती है। इससे जीवन में सुख-संपत्ति, शांति और आध्यात्मिक उन्नति आती है।
चैत्र पूर्णिमा व्रत रखने के लाभ
चैत्र पूर्णिमा के दिन व्रत एवं पूजा-अर्चना करने से आत्मा और मन दोनों शुद्ध हो जाते हैं जिससे आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति एवं आंतरिक विकास होता है।
इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान आदि करने से भक्तों को अपने पिछले पाप कर्मों से मुक्ति मिल जाती है और ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।
इस दिन सच्चे मन से प्रार्थना और अनुष्ठान करने से देवताओं का आर्शीवाद और सफलता मिलती है एवं मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
भक्तों को अपनी भक्ति के माध्यम से शांति, स्थिरता और सुकून की अनुभूति होती है।