चैत्र पूर्णिमा पर करें ये उपाय, माता लक्ष्मी की कृपा से आर्थिक समस्याएं होंगी दूर; धन-धान्य का मिलेगा आशीर्वाद!

चैत्र पूर्णिमा 2024: सनातन धर्म में पूर्णिमा को एक विशेष स्थान प्राप्त है क्योंकि इस तिथि पर अनेक तरह के धार्मिक अनुष्ठान व व्रत आदि किये जाते हैं। एक वर्ष में कुल 12 पूर्णिमा तिथि आती है और प्रत्येक माह की पूर्णिमा का अपना विशिष्ट महत्व होता है। एस्ट्रोसेज का यह ब्लॉग आपको चैत्र पूर्णिमा की तिथि, महत्व एवं पूजा मुहूर्त आदि के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान करेगा। इसके अलावा, हम आपको इस पूर्णिमा से जुड़े रोचक तथ्य, मान्यताएं और इस दिन क्या करें और क्या न करें आदि से भी रूबरू करवाएंगे। साथ ही, जो लोग धन से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहे हैं और इनसे मुक्ति पाना चाहते हैं, उनके लिए चैत्र पूर्णिमा का दिन बेहद खास होता है क्योंकि यह तिथि माता लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है। इस दिन किये गए कुछ उपायों से आप धन की देवी को प्रसन्न कर सकते हैं। यदि आप भी जानना चाहते हैं उन उपायों के बारे में, तो इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ना जारी रखें। 

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भारत में चैत्र पूर्णिमा को हिंदुओं द्वारा एक त्योहार के रूप में मनाया जाता है। यह पूर्णिमा तमिल लोगों के लिए विशेष मायने रखती है। चैत्र मास हिन्दू नव वर्ष का पहला महीना होता है इसलिए इस महीने आने वाली पूर्णिमा भी पहली पूर्णिमा होने की वजह से चैत्र पूर्णिमा के महत्व में वृद्धि हो जाती हैं। यह पूर्णिमा अत्यंत विशेष होती है क्योंकि इस दिन हनुमान जयंती का त्योहार भी मनाया जाता है। साल भर की अन्य पूर्णिमाओं के समान ही चैत्र पूर्णिमा के दिन व्रत करने का महत्व है।

चैत्र पूर्णिमा 2024: तिथि एवं मुहूर्त  

पंचांग के अनुसार, चैत्र हिंदू वर्ष का पहला महीना होता है और इस महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को चैत्र पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस पूर्णिमा को मधु पूर्णिमा और चैती पूनम भी कहा जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, चैत्र का महीना सामान्य रूप से मार्च या अप्रैल में आता है और इसी महीने के अंतिम दिन चैत्र पूर्णिमा आती है। इस पूर्णिमा पर भक्त व्रत रखकर चंद्र देव की पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही, भगवान विष्णु की पूजा का भी विधान है और इस दिन भक्त सत्यनारायण की कथा सुनते हैं। साल 2024 में चैत्र पूर्णिमा 23 अप्रैल को पड़ रही है। 

चैत्र पूर्णिमा तिथि एवं पूजा मुहूर्त:

चैत्र पूर्णिमा की तिथि: 23 अप्रैल 2024, मंगलवार 

पूर्णिमा तिथि का आरंभ: 23 अप्रैल 2024 की रात 03 बजकर 27 मिनट से,  

पूर्णिमा तिथि समाप्त: 24 अप्रैल 2024 की सुबह 05 बजकर 20 मिनट पर 

 

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चैत्र पूर्णिमा का महत्व

हिंदू धर्म में चैत्र पूर्णिमा को बहुत शुभ एवं पवित्र माना जाता है। नए वर्ष की पहली पूर्णिमा होने की वजह से चैत्र पूर्णिमा का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। इस तिथि पर भगवान विष्णु, हनुमान जी समेत अनेक देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की जाती है। चैत्र पूर्णिमा पर भक्त जगत के पालनहार श्री हरि विष्णु की कृपा दृष्टि पाने के लिए सच्चे हृदय से उनकी उपासना करते हैं। 

इसके अलावा, चैत्र पूर्णिमा को मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के परम भक्त हनुमान जी के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, हनुमान जी का जन्म चैत्र मास की पूर्णिमा को हुआ था इसलिए इस दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है। कहा जाता है कि संकटमोचन हनुमान जी का जन्म मंगलवार के दिन हुआ था इसलिए अगर चैत्र पूर्णिमा मंगलवार के दिन पड़ती है, तो इसका महत्व बढ़ जाता है। मान्यता है कि इस पूर्णिमा के दिन वायुपुत्र हनुमान जी की आराधना करने से व्यक्ति के जीवन के समस्त कष्टों का अंत होता है तथा दुख एवं दरिद्रता भी दूर हो जाती है। कहते हैं कि चैत्र पूर्णिमा के दिन व्रत एवं पूजा करने से व्यक्ति के सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। 

श्री हरि, चंद्र देव समेत लक्ष्मी माँ का मिलता है आशीर्वाद 

धर्मसिंधु ग्रंथ और ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि चैत्र माह की पूर्णिमा पवित्र नदी के जल में स्नान, दान और व्रत आदि करने के लिए कल्याणकारी होती है। इस दिन भगवान विष्णु के पूजन से आपके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। चैत्र पूर्णिमा पर धन-धान्य की देवी लक्ष्मी जी की पूजा करने से अपार धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है। साथ ही, आपका जीवन धन-धान्य और ऐश्वर्य से पूर्ण रहता है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। आपको कभी भी धन का अभाव नहीं होता है। 

यह तिथि चंद्र पूजन के लिए उत्तम होती है क्योंकि इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं के साथ आकाश में अपनी चांदनी बिखेरता है। पूर्णिमा के दिन व्रत करने और चंद्रमा की आराधना करने से कुंडली में उपस्थित चंद्र दोष का निवारण होता है। साथ ही, चंद्रमा को जल का अर्घ्य देने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

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चैत्र पूर्णिमा पर चित्रगुप्त के पूजन से नष्ट होते हैं पाप 

चैत्र पूर्णिमा का दिन दक्षिण भारत में भी महत्वपूर्ण माना गया है जो भगवान चित्रगुप्त को समर्पित होता है। आपको बता दें कि चित्रगुप्त मृत्यु के देवता यमराज के सहायक हैं और पूरी दुनिया में जन्म और मृत्यु का लेखा-जोखा अपने पास रखते हैं। साथ ही, यह संसार में प्रत्येक व्यक्ति द्वारा किये जाने वाले अच्छे और बुरे कार्यों का हिसाब रखते हैं जिसके अनुसार उन्हें पुरस्कृत या दंडित किया जाता है। इस पूर्णिमा के दिन चित्रगुप्त जी की पूजा विधि-विधान से की जाती है। 

चैत्र पूर्णिमा का दिन चित्रगुप्त की कृपा पाने के लिए श्रेष्ठ होता है। इस तिथि पर भक्तजन चित्रगुप्त की पूजा करते हैं और जाने-अनजाने में अपने द्वारा किए गए सभी पापों के लिए क्षमा प्रार्थना करते हैं। मनुष्य के अच्छे-बुरे कर्मों के आधार पर मृत्यु के बाद व्यक्ति की आत्मा स्वर्ग या नरक में जाएगी, यह निर्धारित किया जाता है। चैत्र पूर्णिमा पर चित्रगुप्त की उपासना करने से मनुष्य को उनके बुरे कर्मों से मुक्ति मिलती है। इस दिन सर्व योनि कर्म पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। यह पूजा भक्तों को देवताओं का आशीर्वाद पाने और पिछले जन्म के पाप को नष्ट करने के लिए सर्वश्रेष्ठ होती हैं।

चैत्र पूर्णिमा का ज्योतिषीय महत्व

धार्मिक दृष्टि के अलावा ज्योतिषीय दृष्टि से भी चैत्र पूर्णिमा का एक विशिष्ट स्थान है। चैत्र हिंदू वर्ष का पहला महीना होता है और इसी महीने में सूर्य अपने नए राशि चक्र की शुरुआत करते हैं।  ऐसे में, चैत्र में सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में स्थित होते हैं जबकि चंद्रमा तुला राशि के नक्षत्र में एक तारे चैत्र के साथ संरेखित होते हैं इसलिए इस तिथि को चैत्र पूर्णिमा कहा जाता है। इस तिथि को सृजन और अभिव्यक्ति के लिए एक शक्तिशाली अवधि माना गया है। सामान्य शब्दों में कहें, तो इस दौरान मन में पैदा होने वाले विभिन्न तरह के विचारों को संतुलित करना शुरू कर देता है।

मेष राशि में उपस्थित उच्च के सूर्य व्यक्ति की आत्मा को सक्रिय करते हैं तथा मनुष्य को अच्छे “कर्म” करने की शक्ति देते हैं क्योंकि यह कर्म हमारे वर्तमान के साथ-साथ भविष्य को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

चैत्र पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि

चैत्र पूर्णिमा के अवसर पर अनेक धर्म-कर्म के कार्य संपन्न किये जाते हैं जिनमें से स्नान, दान, हवन, व्रत और जप आदि प्रमुख हैं। इस पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की पूजा करना और गरीब व जरूरतमंदों को दान करना फलदायी होता है। लेकिन, चैत्र पूर्णिमा व्रत की पूजा विधिपूर्वक करना  भी आवश्यक होता है इसलिए यहाँ हम आपको चैत्र पूर्णिमा 2024 व्रत की सही एवं सरल पूजा विधि प्रदान कर रहे हैं।

  • चैत्र पूर्णिमा के दिन सर्वप्रथम प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान करें। संभव हो, तो सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी, जलाशय, कुआं या बावड़ी में स्नान करें। 
  • स्नान के पश्चात सूर्य मंत्र का जाप करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  • अब पूर्णिमा व्रत का संकल्प करें और फिर भगवान सत्यनारायण की पूजा करें। 
  • रात के समय विधि-विधान से चंद्र देव की पूजा करने के उपरांत उन्हें जल अर्पित करें। 
  • पूजा होने के बाद व्रती कच्चे अन्न से भरा हुआ घड़ा किसी गरीब को दान में दें। 

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चैत्र पूर्णिमा पर किये जाने वाले धार्मिक अनुष्ठान

  • चैत्र पूर्णिमा पर पवित्र जल में स्नान के बाद भगवान विष्णु और हनुमान जी की पूजा-अर्चना तथा उनका स्मरण करें।
  • भक्तजन श्री हरि की आराधना करते हुए ‘सत्यनारायण’ का व्रत करते हैं। इन जातकों को ‘सत्यनारायण कथा’ का पाठ करना चाहिए और शुद्ध व सात्विक भोजन बनाकर भगवान को प्रसाद के रूप में भोग लगाना चाहिए। चैत्र पूर्णिमा पर सत्यनारायण की पूजा में फल, सुपारी, केले के पत्ते, मोली, अगरबत्ती, और चंदन का लेप आदि विष्णु जी को अर्पित करें। 
  • इसके अलावा, इस पूर्णिमा तिथि पर मंदिरों में अनेक प्रकार के धार्मिक आयोजन किए जाते हैं। चैत्र पूर्णिमा की संध्या के समय चंद्र देव को ‘अर्घ्य’ दिया जाता है।
  • चैत्र पूर्णिमा के अवसर पर व्यक्ति अपने सामर्थ्य के अनुसार दान आदि करता है और इनमें से एक प्रमुख परंपरा है ‘अन्ना दान’ जिसके तहत गरीबों को भोजन, वस्त्र, धन आदि आवश्यक वस्तुएं दी जाती हैं।

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चैत्र पूर्णिमा की पौराणिक कथा 

चैत्र पूर्णिमा से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, एक नगर में सेठ-सेठानी रहते थे। सेठानी प्रतिदिन श्री हरि की पूजा करते थी, लेकिन सेठानी का पूजा-पाठ करना पति को पसंद नहीं था। इस वजह से सेठ ने अपनी पत्नी को घर से निकाल दिया और वह जंगल की तरफ जाने लगी, तब उसने देखा कि जंगल में चार आदमी मिट्टी की खुदाई कर रहे हैं। इसे देखने के बाद सेठानी बोली कि आप मुझे किसी काम पर रख लें। 

उन्होंने सेठानी को नौकरी पर रख लिया, परंतु सेठानी की कोमलता की वजह से उसके हाथ में छाले हो गए। इस पर चारों आदमी ने सेठानी को अपने घर का काम करने को कहा। सेठानी मान गई और वह चारों उसे अपने घर ले गए। वह चारों आदमी चार मुट्ठी चावल लेकर आते और मिल-बांटकर खा लेते जिसे देखकर सेठानी को बुरा महसूस होता था, तब सेठानी ने उन चारों आदमी को 8 मुट्ठी चावल लेकर आने को कहा। 

वह चारों आदमी 8 मुट्ठी चावल लाएं और उन चावलों से सेठानी ने भोजन बनाया। विष्णु जी को भोग लगाने के बाद सभी को भोजन परोसा। चारों आदमियों को भोजन अत्यंत स्वादिष्ट लगा और उन्होंने सेठानी से इसका रहस्य पूछा, तब सेठानी ने उन्हें बताया कि यह भोजन भगवान विष्णु का झूठा है इसलिए आपको स्वादिष्ट लग रहा है। सेठानी के घर छोड़कर जाने के बाद से सेठ भूखा रहने लगा और लोग उसे ताने मारने लगे थे। यह बातें सुनकर सेठ सेठानी को ढूंढ़ने के लिए निकल गया और रास्ते में वही चार आदमी मिट्टी खोदते हुए मिले, उनसे सेठ ने कहा कि आप मुझे काम पर रख लो। 

उन्होंने सेठ को भी काम पर रख लिया और सेठानी की तरह ही मिट्टी खोदने पर सेठ के हाथों में भी छाले हो गए। इसे देखने के बाद सेठ को भी घर का काम करने को कहा और सेठ भी उनके घर की तरफ चल दिया। वहां जाते ही सेठ सेठानी को पहचान गया, परंतु घूंघट की वजह से सेठानी सेठ को पहचान न सकी। रोज़ाना सेठानी खाना बनाकर भगवान विष्णु को भोग लगाकर सभी को खाना परोस देती थी। जब सेठानी सेठ को खाना परोसने लगी, तब विष्णु जी ने सेठानी का हाथ पकड़ा और कहा कि तुम ये क्या कर रही हो। सेठानी ने कहा, मैं बस भोजन परोस रही हूं। 

तब चारों भाई सेठानी से बोले, हम भी विष्णु जी के दर्शन करना चाहते हैं, तब सेठानी के प्रार्थना करने पर भगवान विष्णु ने उन सभी को दर्शन दिए। इसके बाद, सेठ ने सेठानी से क्षमा मांगी और उससे घर चलने के लिए कहा, तब चारों भाइयों ने अपनी बहन को बहुत सारा धन देकर विदा किया। इसके पश्चात सेठ भी विष्णु जी का भक्त बन गया और उनकी पूरी आस्था से भक्ति करने लगा। मान्यता है कि चैत्र पूर्णिमा का व्रत करने से सत्यनारायण भगवान के साथ-साथ बजरंगबली, राम जी और माता सीता का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। 

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देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए चैत्र पूर्णिमा पर करें ये उपाय

  1. चैत्र पूर्णिमा के दिन धन एवं ऐश्वर्य की देवी लक्ष्मी को लाल रंग के वस्त्र और सुहाग की सामग्री चढ़ाएं। ऐसा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और उनके आशीर्वाद से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं और सुख-सौभाग्य में निरंतर वृद्धि होती है। 
  2. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पीपल के पेड़ में माता लक्ष्मी का वास माना गया है इसलिए इस दिन सुबह-सवेरे स्नान के पश्चात पीपल की जड़ में जल और कच्चा दूध अर्पित करें। इसके बाद, देवी लक्ष्मी को बताशा और 5 तरह की मिठाई चढ़ाएं। इससे माता लक्ष्मी आपके धन संपत्ति में वृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। 
  3. पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी के महामंत्र “ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नमः” का कमलगट्टे की माला से जाप करें। इस उपाय को करने से देवी लक्ष्मी अपने भक्तों को अष्टलक्ष्मी का वर प्रदान करती हैं। 
  4. चैत्र पूर्णिमा की तिथि पर आप अपने घर के प्रवेश द्वार पर स्वास्तिक का निर्माण करें और इसे बनाने में हल्दी और जल का इस्तेमाल करें। इसके बाद, घर के मुख्य दरवाजे पर आम या अशोक के पत्तों से बनी बंदनवार या तोरण लगाएं। ऐसा करने से घर में माता लक्ष्मी का आगमन होता है। साथ ही, उनके साथ परिवार में सुख-समृद्धि भी आती है। 

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