दो बेहद शुभ योग में रखा जाएगा अपरा एकादशी का व्रत, इन उपायों से बनने लगेंगे हर काम!

सनातन धर्म में एकादशी की तिथि का बहुत अधिक महत्व होता है। बता दें कि साल में कुल 24 एकादशी पड़ती है। इस आधार से हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष में एक-एक एकादशी होती है और हर एक एकादशी का विशेष महत्व है। सभी एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से हर काम में सफलता मिलती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी का व्रत करने से सभी इच्छाएं पूरी होती है। इसी क्रम में कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी ज्येष्ठ माह में पड़ती है और शास्त्रों में ज्येष्ठ माह बहुत पवित्र माना जाता है। अपरा एकादशी का अर्थ होता है अपार पुण्य। यानी इस एकादशी को करने वाले साधक को अपार पुण्य की प्राप्ति होती है। पुराणों के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु की वामन अवतार की पूजा की जाती है। अपरा एकादशी को इस नाम के अलावा, जलक्रीड़ा एकादशी, अचला एकादशी और भद्रकाली एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। 

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ख़ास बात यह है कि इस साल अपरा एकादशी पर बहुत अधिक शुभ योग का निर्माण हो रहा है और इस योग की वजह से इस एकादशी का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाएगा। तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं इस साल अपरा एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा, इस दिन बनने वाले शुभ योग व इस दिन करने वाले आसान उपायों के बारे में हम यहां चर्चा करेंगे।

अपरा एकादशी 2024: तिथि व समय

जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि यह एकादशी आम तौर पर कृष्ण पक्ष के दौरान हिंदू कैलेंडर के ज्येष्ठ महीने में आती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, यह मई और जून के महीनों में पड़ती है। अपरा एकादशी की तारीखों का उल्लेख नीचे किया गया है।

अपरा एकादशी व्रत: जून 2 2024, रविवार

एकादशी तिथि प्रारम्भ: जून 02, 2024 की सुबह 05 बजकर 06 मिनट पर होगी

एकादशी तिथि समाप्त: जून 03, 2024 की मध्यरात्रि 02 बजकर 43 मिनट तक

अपरा एकादशी पारण मुहूर्त : 03 जून की सुबह 08 बजकर 08 मिनट से 03 जून 08 बजकर 09 मिनट तक 

अवधि : 0 घंटे 1 मिनट

हरि वासर समाप्त होने का समय : 03 जून 08 बजकर 08 मिनट 

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शुभ योग का निर्माण

इस बार अपरा एकादशी पर बेहद शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। दरअसल इस साल अपरा एकादशी पर प्रीति योग व आयुष्मान योग बन रहा है। ज्‍योतिष शास्‍त्र में प्र‍ीति योग को बहुत फलदायी व शुभ योगों में एक माना गया है। कोई भी मंगल कार्य व किसी शुभ कार्य की शुरुआत के लिए प्रीति योग को बहुत शुभ माना जाता है। प्रीति योग में कोई भी नया काम, प्रोजेक्‍ट या गृह प्रवेश करना अच्छा माना जाता है। यह योग सुखी व समृद्ध वैवाहिक जीवन के लिए शुभ होता है। 

आयुष्मान योग की बात करें तो यह योग भी बहुत अधिक शुभ माना जाता है। इस योग में किए गए कार्य लंबे समय तक शुभ फल देते रहते हैं। जीवन भर इनका शुभ प्रभाव रहने के कारण इसे आयुष्मान योग कहा जाता है। 

अपरा एकादशी का महत्व

विष्णु पुराण के अनुसार, अपरा एकादशी को सभी एकादशी व्रत में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से ब्रह्महत्या, प्रेत योनि, झूठ, निंदा इत्यादि जैसे पापों से छुटकारा पाया जा सकता है। साथ ही, इस एकादशी का व्रत रखने से किसी से गलत भाषा का प्रयोग करना, झूठा वेद पढ़ना और सिखाना या लिखना, झूठा शास्त्र का निर्माण करना, ज्योतिष भ्रम आदि जैसे भयंकर पापों से भी मुक्ति मिल सकती है। शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि अपरा एकादशी व्रत रखने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही, कई प्रकार की बीमारियों, दोष और आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है। इस विशेष दिन पर  भगवान श्री हरि कि उपासना करने से बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है।

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अपरा एकादशी की पूजा विधि

  • अपरा एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त यानी सूर्योदय से पहले उठकर घर की साफ-सफाई करें। इसके बाद शुद्ध जल से स्नान करने के बाद साफ पीले रंग के वस्‍त्र धारण करें और व्रत का संकल्‍प करें।
  • अब घर के मंदिर में भगवान विष्‍णु के वामन अवतार और बलराम की प्रतिमा लगाएं। फिर उसके सामने दीपक जलाएं। 
  • इसके बाद भगवान विष्‍णु की प्रतिमा को अक्षत, फूल, आम फल, नारियल और मेवे चढ़ाएं। 
  • ध्यान रहे कि विष्‍णु की पूजा करते वक्‍त तुलसी के पत्ते अवश्‍य रखें। 
  • इसके बाद धूप दिखाकर श्री हरि विष्‍णु की आरती उतारें और कथा पढ़े। इस दिन एकादशी की कथा जरूर पढ़ें क्योंकि माना जाता है कि इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है।
  • इसके बाद सूर्यदेव को जल अर्पित करें।
  • शाम के समय तुलसी के पौधे के पास देसी घी का एक दीपक जलाएं।
  • ध्यान रहे एकादशी के दिन रात के समय सोना नहीं चाहिए। इस दिन पूरी रात भगवान का भजन-कीर्तन करना चाहिए। 
  • अगले दिन पारण के समय किसी ब्राह्मण व जरूरतमंदों को यथाशक्ति भोजन कराएं और दक्षिणा देकर विदा करें। 
  • इसके बाद बिना प्याज लहसुन का भोजन बनाकर ग्रहण करें और व्रत पारण करें।

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अपरा एकादशी के दिन ये कार्य न करें

  • एकादशी का व्रत रखते हुए कई बार हम और आप ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जिन्हें करने से हमेशा बचना चाहिए। आइए जानते हैं उन गलतियों के बारे में।
  • सनातन धर्म के अनुसार, एकादशी के दिन चावल का सेवन करने से बचना चाहिए। माना जाता है कि एकादशी के दिन चावल खाने से अगले जन्म में व्यक्ति रेंगने वाला जीवन बनता है।
  • एकादशी के दिन भूलकर भी गुस्सा नहीं करना चाहिए क्योंकि माना जाता है कि क्रोध करने से भगवान विष्णु भी नाराज हो जाते हैं और घर की सुख-समृद्धि कम हो जाती है। इस दिन किसी को गलत शब्द कहने से भी बचना चाहिए।
  • एकादशी के दिन साधक को ब्रह्मचर्य नियम का पालन करना चाहिए। शारीरिक संबंध या गलत सोच आदि मन में नहीं लाना चाहिए। 
  • इस दिन मांस मदिरा-पान का सेवन भी नहीं करना चाहिए।
  • एकादशी के दिन काले व सफेद रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए। एकादशी के व्रत में इस रंग के कपड़े पहनना अशुभ माना जाता है। इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहने क्योंकि पीला रंग भगवान विष्णु को अति प्रिय है और यह रंग शुभता लाता है।

अपरा एकादशी पर जरूर पढ़ें ये कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक राज्य में महिध्वज नाम का एक राजा राज करता था, जो स्वभाव में बहुत ही दयालु था। लेकिन, उसका छोटा भाई वज्रध्वज उससे विपरीत स्वभाव का था। उसने अपने मन में अपने भाई के खिलाफ द्वेष भर रखा था। उसे अपने भाई का व्यवहार पसंद नहीं आता था। वह हमेशा अपने भाई को मारने को पूरा राजपाट अपने हाथों लेने फिराक में रहता था एक दिन मौका पाकर उसने अपने भाई को मार दिया और एक पीपल के पेड़ के नीचे उसे दफना दिया। अकाल मृत्यु के कारण राजा की आत्मा भटकने लगी, वह उस पेड़ के पास से गुजरने वाले हर राहगीर को परेशान करने लगी। संयोगवश एक दिन एक ऋषि उसी रास्ते से गुजर रहे थे। जब उनका सामना उस भटकती आत्मा से हुआ। तब  ऋषि ने उस आत्मा से अब तक मोक्ष प्राप्ति न होने का कारण पूछा। राजा की आत्मा ने अपने साथ हुए विश्वासघात की सारी कहानी ऋषि को बता दी। इसके बाद उस ऋषि ने अपनी शक्ति से, आत्मा को मुक्त कर दिया। राजा की मुक्ति के लिए, ऋषि ने अपरा एकादशी का व्रत पूरे विधि विधान से किया और उस फल से राजा की आत्मा प्रेत योनि से मुक्त हो गई। एकादशी के दिन व्रत करने से मिलने वाले पुण्य फल को उन्हें राजा की आत्मा को अर्पित किया। इस एकादशी व्रत के प्रभाव से राजा की आत्मा को प्रेत योनि से छुटकारा मिला और वह पूरी तरह मुक्त हो गई। इसके बाद अपरा एकादशी के व्रत का महत्व और अधिक बढ़ गया। 

हिंदू मान्यताओं और पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि इस एकादशी का महत्व भगवान कृष्ण ने राजा युधिष्ठिर को सबसे पहले बताया था। शास्त्रों के अनुसार, जो साधक इस एकादशी व्रत और अनुष्ठान को विधि-विधान से करता है, वह अतीत और वर्तमान के पापों से पूरी तरह छुटकारा पा लेता है और जीवन में सकारात्मकता के मार्ग पर चलता है। यह भी माना जाता है कि व्यक्ति इस एकादशी के व्रत को अत्यंत भक्ति के साथ करके पुनर्जन्म और मृत्यु के चक्र से बाहर निकल सकता है और मोक्ष की प्राप्ति कर लेता है। 

अपरा एकादशी पर किए जाने वाले आसान उपाय

अपरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा विधि-विधान से करने से साधक को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसके साथ ही इस दिन कुछ उपायों को करके व्यक्ति के सभी काम बनने लगते हैं।

कर्ज से छुटकारा पाने के लिए

अपरा एकादशी के दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना चाहिए। माना जाता है कि पीपल के पेड़ में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। इसके साथ ही, देसी घी का दीपक जलाना चाहिए। इससे सभी भगवान का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। सुख-समृद्धि मिलने के साथ ही व्यक्ति कर्ज व लोन से छुटकारा पाता है।

सकारात्मक ऊर्जा के लिए

अपरा एकादशी के दिन घर के मेन दरवाजे के बाहर घी का दीपक जलाना चाहिए। ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है और  भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की भी विशेष कृपा हमेशा बनी रहती है। साथ ही, सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।

धन-धान्य के लिए

अपरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा के दौरान इस मंत्र का-  (ॐ नमो भगवते वासुदेवाय) कम से कम 108 बार जाप करें। ऐसा करने से आर्थिक जीवन में आ रही समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। साथ ही, आपको कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होगी।

सुखी पारिवारिक जीवन के लिए

अपरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु का शंख से जलाभिषेक करें। इससे वह श्री हरि जल्द प्रसन्न होकर सौभाग्य का आशीर्वाद देते हैं। साथ ही, आपका पारिवारिक जीवन में सुखमय होता है।

संतान के स्वास्थ्य के लिए

अपरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु को खीर का भोग लगाएं और इसमें तुलसी की एक पत्ता डालना न भूलें क्योंकि भगवान श्री हरि को तुलसी अत्यंत प्रिय हैं और बिना तुलसी के पूजा व उनका भोग अधूरा माना जाता है। ऐसा करने से आपकी और आपकी संतान का स्वास्थ्य अनुकूल बना रहेगा।

दुखों से छुटकारा पाने के लिए

एकादशी के दिन किसी जरूरतमंद व गरीब व्यक्ति को वस्त्र, अनाज, मिठाई आदि का दान करें। ऐसा करने से जीवन में आ रहे उतार-चढ़ाव व सभी दुखों से छुटकारा मिल सकता है।

शिक्षा में अच्छा प्रदर्शन के लिए

अपरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु को पीले फूल, गुड़ और चने की दाल अर्पित करें। ऐसा करने से छात्र शिक्षा में अच्छा प्रदर्शन करते हैं और उन्हें सफलता प्राप्त होती है।

भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए

अपरा एकादशी के दिन घर की उत्तर दिशा में आंवले का पेड़ जरूर लगाएं। बता दें कि पद्म पुराण में बताया गया है कि भगवान शिव ने अपने पुत्र कार्तिकेय को कहा है कि आंवला वृक्ष साक्षात विष्णु का ही स्वरूप है इसलिए हर एकादशी के दिन एक आंवले का पेड़ जरूर लगाएं। ऐसा करने से जगत के पालनहार भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और सदैव अपनी कृपा बनाए रखते हैं।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. एक साल में कितनी एकादशी होती है?

उत्तर. एक साल में 24 एकादशी पड़ती है।

प्रश्न 2. अपरा एकादशी का व्रत कब तोड़ना है?

उत्तर. अपरा एकादशी के व्रत द्वादशी के दिन पारण मुहूर्त में तोड़ना चाहिए।

प्रश्न 3. अपरा एकादशी पर क्या खाना चाहिए?

उत्तर. अपरा एकादशी के दिन दूध, जल या फल का सेवन कर सकते हैं।

प्रश्न 4. अपरा एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा?

उत्तर. अपरा एकादशी 02 जून 2024 रविवार के दिन रखा जाएगा।

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