सनातन धर्म में भगवान राम और देवी सीता की पूजा करने का बहुत महत्व है। माता सीता और भगवान राम की उपासना के लिए सीता नवमी के दिन को अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन राम-सीता की पूजा करने से जीवन की समस्य समस्याएं एवं परेशानियां दूर होती हैं और भक्तों की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
इस ब्लॉग में आगे बताया गया है कि सीता नवमी का क्या महत्व है, सीता नवमी की तिथि एवं मुहूर्त और पूजन विधि क्या है एवं इस दिन किन ज्योतिषीय उपायों की सहायता से भक्तों के कष्ट दूर हो सकते हैं।
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कब मनाई जाती है सीता नवमी
हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार 16 मई, 2024 को गुरुवार के दिन सीता नवमी पड़ रही है। 16 मई, 2024 को सुबह 06 बजकर 24 मिनट पर नवमी तिथि आरंभ होगी और इसका समापन 17 मई, 2024 को सुबह 08 बजकर 50 मिनट पर होगा। इस दिन एक अत्यंत शुभ योग भी बन रहा है जिसके बारे में आगे बताया गया है।
बन रहा है शुभ योग
सीता नवमी पर ध्रुव योग का निर्माण हो रहा है। 16 मई, 2024 को सुबह 08 बजकर 22 मिनट पर ध्रुव योग आरंभ होगा और इसका समापन अगले दिन यानी 17 मई, 2024 को सुबह 09 बजकर 19 मिनट पर होगा।
27 योगों में से ध्रवु योग 12वें स्थान पर आता है। इस योग के कारण व्यक्ति को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफलता मिलती है। वह जो भी कार्य करता है, उसे पूरी निष्ठा और जोश के साथ पूरा करता है। इस योग में जन्म लेने वाले जातक शांत स्वभाव के होते हैं।
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सीता नवमी का महत्व
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस शुभ दिन पर पुष्य नक्षत्र में माता सीता धरती पर अवतरित हुई थीं। देश के कई हिस्सों में इस दिन को जानकी नवमी के नाम से भी जाना जाता है। कुछ जगहों पर फाल्गुन कृष्ण अष्टमी पर सीता नवमी मनाई जाती है। हालांकि, रामायण में माता सीता के जन्म को लेकर दोनों ही तिथियों को सही माना गया है। भारत ही नहीं बल्कि नेपाल में भी सीता नवमी को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
मान्यता है कि भगवान विष्णु ने श्री राम और माता लक्ष्मी ने देवी सीता के रूप में अवतार लिया था। जो भी व्यक्ति इस दिन सच्चे मन से माता सीता और भगवान राम की आराधना करता है, उसे विष्णु जी और देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
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सीता नवमी पर पूजन करने की विधि
इस दिन श्रीराम के साथ माता सीता की पूजन की जाती है। कुछ जगहों पर लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं। एक दिन पूर्व यानी अष्टमी से ही सीता नवमी पूजा की तैयारियां शुरू हो जाती हैं।
- अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और अपने पूरे घर की सफाई करें।
- अब घर के पूजन स्थल को भी साफ करें और वहां पर गंगाजल छिड़कें।
- अब पूजन स्थल या घर के किसी साफ स्थान में एक छोटा-सा मंडप सजाएं। इसमें श्रीराम और माता सीता की मूर्ति रखें।
- इसके बाद नवमी तिथि पर सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद मूर्ति के समक्ष कलश स्थापित करें और व्रत करने का संकल्प लें।
- इसके बाद भगवान राम और माता सीता की एकसाथ पूजा करें और उन्हें फल एवं प्रसाद चढ़ाएं।
- अगले दिन दशमी तिथि पर विधिपूर्वक मंडप का विसर्जन कर दें।
- सीता नवमी के दिन ‘श्री सीतायै नम:’ और ‘श्री सीता रामाय नम:’ मंत्र के जाप से शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं।
- इस दिन मंदिरों में कीर्तन भी किया जाता है।
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सीता नवमी की कथा
मिथिला में बहुत समय से बारिश नहीं हुई थी और इस वजह से यहां के राजा समेत पूरी प्रजा बहुत परेशान थी। राजा जनक ने ऋषियों से इस समस्या का हल पूछा तो उन्होंने कहा कि अगर राजा स्वयं खेत में हल चलाएं, तो इंद्र देवता प्रसन्न होकर उनके राज्य में वर्षा कर सकते हैं।
ऋषियों के कहने पर राजा जनक ने हल चलाना शुरू किया है और उस दौरान उनका हल एक कलश से टकरा गया। इस कलश के अंदर एक नवजात कन्या थी। स्वयं राजा जनक नि:संतान थे इसलिए उन्होंने उसे अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार कर लिया। राजा जनक ने अपनी इस पुत्री का नाम सीता रखा एवं जनक की पुत्री होने के कारण माता सीता को जानकी के नाम से भी जाना जाता है। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को ही राजा जनक को माता सीता मिली थीं, इसलिए इसी दिन को सीता नवमी के रूप में मनाया जाता है।
इन जगहों पर विशेष महत्व रखती है सीता नवमी
भारत के उत्तर प्रदेश के अयोध्या में सीता नवमी को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इसके अलावा आंध्र प्रदेश के भद्रचलम, बिहार के सीता समाहित स्थल और तमिलनाडु के रामेश्वरम में भी सीता नवमी का विशेष महत्व है।
इस दिन श्रद्धालु माता सीता, भगवान राम, लक्ष्मण जी और हनुमान जी की स्तुति में एक बड़े जुलूस में हिस्सा लेते हैं। इस दिन राम मंदिर में रामायण का पाठ भी किया जाता है। इसके अलावा सीता नवमी पर भजन, कीर्तन और आरती भी की जाती है।
सीता नवमी पर पूजन एवं व्रत करने का लाभ
यदि आप सीता नवमी पर पूरी श्रद्धा और भक्ति भाव से माता सीता और भगवान राम सहित लक्ष्मण जी और हनुमान जी की उपासना करते हैं, तो आपके जीवन में संपन्नता और खुशहाली का आगमन होगा। ऐसा करने से जातक को उत्तम स्वास्थ्य की भी प्राप्ति होती है। मान्यता है कि पति की लंबी आयु के लिए विवाहित स्त्रियां इस दिन व्रत रखती हैं।
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सीता नवमी व्रत के नियम
सीता नवमी के शुभ दिन पर विवाहित स्त्रियां सूर्योदय से पूर्व स्नान कर के निम्न मंत्र का जाप करती हैं-
गंगा च यमुना गोदावरी सरस्वती, नर्मदा, सिंधु कावेरी जलेस्मिन सन्निधिम् कुरु।।
इस व्रत का आरंभ सीता नवमी पर सूर्योदय के साथ ही हो जाता है और महिलाओं को इस व्रत में पूरे दिन सिर्फ जल ग्रहण करना होता है। अगले दिन जल पान कर के ही व्रत का पारण किया जाता है। अगर कोई महिला इस व्रत को न रख पाए, तो वह दूध और सूखे मेवे भी खा सकती है।
भगवान राम और माता सीता की चंदन, पुष्प, फलों और धूप से पूजा करें और प्रसाद अर्पित करें।
आप इस दिन राम पूजा जप और यज्ञ एवं पूजन भी करवा सकते हैं। राम पूजा में राम र क्षा स्तोत्र, राम मंत्र, राम होम और आरती शामिल है।
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सीता नवमी पर किए जाने वाले ज्योतिषीय उपाय
- यदि आपके जीवन में कोई बाधा है या आप समस्याओं से घिरे हुए हैं, तो आप सीता नवमी के दिन पूरे विधि-विधान से भगवान राम और माता सीता की पूजा करें। जानकी स्तोत्र और राम स्तुति का पाठ करें। इस दिन सुंदरकांड का पाठ करने का भी बहुत महत्व है। इस उपाय को करने से आपको न केवल राम-सीता का आशीर्वाद मिलता है बल्कि आपके जीवन की सभी समस्याएं भी दूर हो जाती हैं।
- अगर आप धन प्राप्ति की कामना रखते हैं, तो सीता नवमी के दिन देवी सीता को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें। श्री राम और देवी सीता को प्रसन्न करने के लिए आप अपने घर पर केसरिया रंग का झंडा भी लगा सकते हें। इससे सुख-समृद्धि बढ़ती है और उस घर में रहने वाले लोगों की हर मनोकामना पूर्ण होती है।
- अपनी किसी मनोकामना की पूर्ति के लिए आप सीता नवमी के दिन राम मंदिर जाकर हनुमान जी की मूर्ति से लिया गया सिंदूर देवी सीता के चरणों में अर्पित करें। आप सीता नवमी के दिन सुबह, दोपहर और शाम के समय इस उपाय को जरूर करें। इससे आपके मन की हर कामना पूरी होगी।
- पति की लंबी उम्र और सदा सुहागिन के आशीर्वाद के लिए आप सीता नवमी के दिन देवी सीता को सोलह श्रृंगार अर्पित करें। इसके साथ ही जानकी मंत्र का जाप करें। इस उपाय को करने से पति के जीवन में आ रहे सभी कष्ट और समस्याएं दूर हो जाती हैं। पति की लंबी उम्र की कामना के लिए भी आप इस उपाय को कर सकती हैं। यह भी माना जाता है कि सीता नवमी के दिन सीता चालीसा का पाठ करने से वैवाहिक जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर 1. इस बार 16 मई, 2024 को गुरुवार के दिन सीता नवमी पड़ रही है।
उत्तर 2. इस दिन घर के बाहर घी का दीपक जलाया जाता है और रामायण का पाठ किया जाता है।
उत्तर 3. हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी का पर्व मनाया जाता है।
उत्तर 4. इस शुभ दिन पर पुष्य नक्षत्र में माता सीता धरती पर अवतरित हुई थीं।