इन राशियों की किस्मत चमकाने वाले हैं बुध, कदम-कदम पर मिलेगी सफलता!
ज्योतिषशास्त्र में बुध ग्रह को बुद्धि का कारक माना गया है। यदि बुध मजबूत हो, तो व्यक्ति अपने व्यवसाय में अपार सफलता प्राप्ता करता है। वह अपनी बुद्धि और बातों से दूसरों को प्रभावित करने में माहिर होता है। बुध ग्रह समय-समय पर राशि परिवर्तन करने के साथ-साथ वक्री और मार्गी भी होते हैं और उनकी चाल में बदलाव आने पर सभी राशियों के लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव देखने को मिलता है।
अब 18 जुलाई 2025 की सुबह 09 बजकर 45 मिनट पर बुध कर्क राशि में वक्री हो रहे हैं। बुध ग्रह कर्क राशि में 11 अगस्त 2025 तक वक्री रहेंगे। बुध कर्क राशि में लगभग 25 दिनों तक वक्री रहने वाले हैं। बुध के वक्री होने से सभी राशियों के जातकों के जीवन में उतार-चढ़ाव आने के संकेत हैं इसलिए इस ब्लॉग के ज़रिए हम आपको उन राशियों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके लिए वक्री बुध शुभ परिणाम लेकर आएगा। तो चलिए अब बिना देर किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि बुध के वक्री होने पर किन लोगों को फायदा मिलने वाला है।
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वक्री बुध इन्हें देंगे लाभ
कन्या राशि
आपके लग्न और कर्म स्थान के स्वामी बुध ग्रह हैं। कन्या राशि पर बुध ग्रह का ही आधिपत्य होता है। कन्या राशि के लाभ भाव में बुध का वक्री होना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। कम ही सही लेकिन इस समयावधि में आपको लाभ जरूर होगा। आप अपनी सेहत और घर के बुजुर्गों के साथ अपने रिश्तों को संभाल कर रखें। कानूनी मसले में जल्दबाज़ी न करें।
तुला राशि के भाग्य भाव और बारहवें भाव के स्वामी बुध ग्रह हैं। अब बुध आपके दसवें भाव में वक्री हो रहे हैं। वैसे तो बुध का वक्री होना आपके लिए अच्छा है लेकिन इस समय आपको प्रमोशन मिलने में थोड़ी समस्याएं देखनी पड़ सकती हैं। आपके लिए पदोन्नति के योग बन रहे हैं। थोड़ी देरी के बाद आपका यह सपना जरूर पूरा होगा। आप अपने प्रतिद्वंदियों पर हावी रहेंगे। व्यापारियों के लिए मुनाफा कमाने का समय है। समाज में आपका मान-सम्मान बढ़ेगा।
यदि आप मेहनत करेंगे, तो बुध के कर्क राशि में वक्री होने से अनुकूल परिणाम प्राप्त कर पाएंगे। आपको कोई बड़ी उपलब्धि मिल सकती है लेकिन उसके लिए आपको पूरी लगन के साथ काम करना होगा। स्वास्थ्य को लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है। खानपान पर नियंत्रण रखें। भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक करें।
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
बुध ग्रह के शुभ प्रभाव को बढ़ाने वाले उपाय
बुध ग्रह से अधिक शुभ प्रभाव पाने या उन्हें प्रसन्न करने के लिए आप निम्न उपाय कर सकते हैं:
बुधवार के दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
कुंडली में बुध ग्रह का मजबूत करने के लिए बुधवार के दिन हरी मूंग दाल का दान करने से भी लाभ होता है।
कर्ज से मुक्ति पाने या आर्थिक रूप से मजबूत होने के लिए गणेश स्तोत्र का पाठ करें।
बुध ग्रह को प्रसन्न करने के लिए बुधवार के दिन भगवान गणेश को शमी का पत्ता और दूर्वा अर्पित करें।
इसी दिन गाय को हरा साग या पालक जरूर खिलाएं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1. बुध किन राशियों के स्वामी हैं?
उत्तर. बुध कन्या और मिथुन राशि के स्वामी हैं।
प्रश्न 2. बुध को किसका कारक माना जाता है?
उत्तर. बुध को बुद्धि एवं ज्ञान का कारक कहा गया है।
प्रश्न 3. कर्क राशि पर किस ग्रह का आधिपत्य है?
उत्तर. कर्क राशि पर चंद्रमा का आधिपत्य है।
शनि मीन राशि में वक्री: कौन-सी राशि होगी प्रभावित, क्या होगा विश्व पर असर?
एस्ट्रोसेज एआई के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको शनि मीन राशि में वक्री के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। साथ ही, यह भी बताएंगे कि वक्री शनि का प्रभाव सभी 12 राशियों पर किस प्रकार से पड़ेगा। बता दें कुछ राशियों को वक्री शनि से बहुत अधिक लाभ होगा तो, वहीं कुछ राशि वालों को इस अवधि बहुत ही सावधानी से आगे बढ़ने की आवश्यकता होगी क्योंकि उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, इस ब्लॉग में शनि ग्रह को मजबूत करने के कुछ शानदार व आसान उपायों के बारे में भी बताएंगे और देश-दुनिया व शेयर मार्केट पर भी इसके प्रभाव के बारे में चर्चा करेंगे।
बता दें कि शनि मीन राशि में वक्री 13 जुलाई 2025 को होगा। तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं किस राशि के जातकों को इस दौरान शुभ परिणाम मिलेंगे और किन्हें अशुभ। लेकिन पहले जान लेते हैं ज्योतिष में शनि ग्रह का महत्व।
ज्योतिष में शनि ग्रह का महत्व
ज्योतिष में शनि को एक ऐसा ग्रह माना जाता है, जो थोड़ा सख्त स्वभाव का होता है। यह ग्रह मेहनत, अनुशासन, देरी और जिम्मेदारी से जुड़ा होता है। शनि हमें जीवन के कठिन रास्तों से गुजरता है ताकि हम मजबूत बनें और जिंदगी को गंभीरता से समझें। शुरुआत में इसका असर थोड़ा भारी लग सकता है, लेकिन अगर हम इसके दिए सबक को समझ लें, तो ये हमें बड़ी और टिकाऊ सफलता दिला सकता है। शनि हमें सिखाता है कि मेहनत और धैर्य से ही जिंदगी में आगे बढ़ा जा सकता है। यह हमें मजबूत बनने और मुश्किलों से लड़ने की ताकत देता है।
शनि मीन राशि में वक्री: समय व तिथि
शनि ग्रह, जिसे ज्योतिष में कठोर गुरु और अनुशासन प्रिय ग्रह माना जाता है, अब मीन राशि में वक्री होने जा रहा है। शनि 13 जुलाई 2025 की सुबह 7 बजकर 25 मिनट पर वक्री होगा। जब शनि वक्री होता है, तब इसका असर और भी गहरा और धीमा होता है। आइए जानते हैं कि शनि के इस वक्री होने से किन-किन क्षेत्रों पर कैसा असर होगा।
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शनि मीन राशि में वक्री: इन राशियों पर पड़ेगा नकारात्मक प्रभाव
मेष राशि
मेष राशि वालों के लिए साढ़ेसाती का दौर शुरू हो चुका है और अब शनि, जो आपके दसवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं, आपके बारहवें भाव में वक्री होंगे। इसके परिणामस्वरूप इस समय विदेश यात्रा या लंबे समय तक विदेश में रहने के सपनों में देरी हो सकती है या आशंका है कि वो सपने पूरे न हों। साथ ही, खर्चों में भी बढ़ोतरी के संकेत हैं। इसलिए इस समय अपने पैसों को बहुत सोच समझकर खर्च करें क्योंकि आपके खर्चों में बढ़ोतरी होने की संभावना है।
नौकरी में तबादले के भी योग बन सकते हैं। स्वास्थ्य की बात करें तो यह समय थोड़ा चुनौतीपूर्ण रह सकता है। पैर में मोच, आंखों में पानी आना या जलन, आंखों की रोशनी में कमी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इस दौरान आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी थोड़ी कमजोर हो सकती है, जिससे बीमारियां जल्दी पकड़ सकती है। इसलिए सतर्क रहना जरूरी है।
मिथुन राशि
शनि मिथुन राशि के जातकों के लिए आठवें और नौवें भाव के स्वामी हैं और यह दसवें भाव में वक्री होंगे। इस दौरान आपके करियर में बदलाव के संकेत हैं। आप अपनी नौकरी या काम की दिशा बदल सकते हैं। हालांकि मेहनत और कोशिशों के बावजूद सफलता तुरंत नहीं मिलेगी। काम का बोझ भी बढ़ सकता है और जिम्मेदारियों का दबाव ज्यादा महसूस होने की संभावना है।
शनि की दृष्टि आपके बारहवें, चौथे और सातवें भाव पर भी पड़ रही है। इसका अर्थ है कि पारिवारिक जिम्मेदारियां भी बढ़ सकती हैं, जिससे मानसिक तनाव हो सकता है। खासतौर पर माता-पिता जैसे बुजुर्गों की सेहत पर ध्यान देना जरूरी रहेगा, क्योंकि उनके बीमार पड़ने के संकेत हैं। वैवाहिक जीवन में भी थोड़ा संभलकर चलना चाहिए और किसी भी विवाद से बचना बेहतर होगा। अगर आप व्यापार करते हैं, तो नियमों और नीतियों का पालन जरूर करें, वरना परेशानी हो सकती है।
सिंह राशि के जातकों के लिए शनि, जो छठे और सातवें भाव के स्वामी हैं अब आठवें भाव में वक्री होंगे। यह समय थोड़ा चुनौतिपूर्ण हो सकता है, खासकर सेहत के मामले में। पुरानी या कोई लंबी बीमारी परेशान कर सकती है इसलिए छोटी-छोटी सेहत की समस्याओं को नजरअंदाज न करें और समय पर इलाज लें। कामकाज में भी उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है। ऑफिस में गुस्से पर काबू रखना जरूरी होगा, नहीं तो रिश्तों में खटास आ सकती है।
इस समय आपकी आर्थिक जीवन बहुत मजबूत प्रतीत नहीं हो रही है, खर्चों पर नियंत्रण रखना पड़ेगा। आपके ससुराल वालों के साथ कई मुठभेड़ें होंगी, जिसमें महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत शामिल है, जिन्हें संबोधित करना असहज हो सकता है, लेकिन उन्हें उजागर किया जाना चाहिए क्योंकि वे आपकी भलाई के लिए महत्वपूर्ण हैं। शनि की दृष्टि आपके दसवें, दूसरे और पांचवें भाव पर पड़ रही है, जिससे प्रोफेशनल जीवन में उथल-पुथल हो सकती है।लेकिन यदि आप शांत रहकर मेहनत करते हैं, तो धीरे-धीरे सफलता जरूर मिलेगी।
कन्या राशि
कन्या राशि के जातकों के लिए शनि आपके सातवें भाव में वक्री होंगे और यह आपके पांचवें और छठे भाव के स्वामी हैं। शनि का सातवें भाव में रहना आमतौर पर थोड़ा मुश्किल भरा होता है और वक्री होने से इसका असर और भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसका प्रभाव आपके वैवाहिक जीवन से ज्यादा आपके करियर और नौकरी पर पड़ेगा। इस दौरान काम के मामले में थोड़ी परेशानियां आ सकती है।
नौकरी या व्यवसाय में रुकावटें महसूस हो सकती है इसलिए धैर्य और समझदारी से काम लें। व्यक्तिगत जीवन में छोटे-छोटे झगड़े हो सकते हैं इसलिए अपने जीवनसाथी की नकारात्मक या कड़वी बातों को नजरअंदाज करना बेहतर रहेगा।
स्वास्थ्य के मामले में सतर्कता जरूरी है। खानपान और दिनचर्या का खास ध्यान रखें, नहीं तो मुंह या जनन तंत्र से जुड़ी दिक्कतें हो सकती है। लापरवाही से बचें ताकि सेहत अच्छी बनी रहे।
शनि मीन राशि में वक्री: इन राशियों पर पड़ेगा सकारात्मक प्रभाव
कुंभ राशि
कुंभ राशि के जातकों को 2025 में शनि के वक्री होने से बहुत लाभ होगा। लंबे समय से रुके हुए काम या प्रोजेक्ट फिर से शुरू होने की संभावना है, जिससे आप अच्छा खासा मुनाफा काम सकते हैं। अगर आपने निवेश किए हैं तो यह समय उन्हें फायदेमंद बनाने का है। न्यायिक मामलों में सफलता मिलेगी और आप मानसिक व शारीरिक रूप से मजबूत महसूस करेंगे।
शेयर मार्केट में भी कई लाभकारी मौके मिलेगे। आपके सभी प्रयास सफल होंगे और अंतरराष्ट्रीय डील्स से भी लाभ होने के संकेत हैं। आप अपने कामों को पूरी उत्साह के साथ पूरा कर पाएंगे और आपकी सेहत भी लंबे समय तक अच्छी बनी रहेगी।
मीन राशि के जातकों के लिए 2025 में शनि का वक्री होना काफी लाभकारी रहेगा। जब शनि इस राशि के लग्न भाव में वक्री होगा तो, यह समय सफलता और कई स्रोतों से आर्थिक लाभ देने वाला होता है। पारिवारिक जीवन में भी सौहार्द बना रहेगा और आप अपनों के साथ समय का आनंद ले सकेंगे। इस दौरान आपका रुझान आध्यात्मिकता की ओर बढ़ेगा और आप धार्मिक गतिविधियों में हिस्सा ले सकते हैं। किसी तीर्थ स्थल की यात्रा के भी योग बन सकते हैं।
आर्थिक स्थिति में भी उल्लेखनीय सुधार होगा और निवेशकों को लाभदायक निर्णय लेने के अवसर प्राप्त होंगे। हालांकि, यात्रा पर खर्च अधिक हो सकता है, इसलिए धन खर्च को लेकर सतर्क रहना जरूरी होगा। साथ ही, इस समय अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें।
मीन राशि में शनि वक्री: उपाय
नियमित रूप से भगवान हनुमान की पूजा करें और प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें।
पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और उसमें सरसों के तेल और काले तिल डालकर दीपक जलाएं।
हर शनिवार को 108 बार ओम नीलांजना समाभासम रविपुत्रम यमाग्रजम मंत्र का जाप करें।
अक्सर काले रंग के कपड़े पहनें और गरीब लोगों को काले कंबल दान करें।
सरसों का तेल, काली उड़द की दाल और चावल लाल मिर्च के साथ गरीबों और शनि मंदिरों में दान करें।
शनि मीन राशि में वक्री: विश्वव्यापी प्रभाव
सरकार और उसकी नीतियां
भारत और अन्य देशों के बीच अंतरराष्ट्रीय संबंधों में तनाव की स्थिति बन सकती है।
कुछ विदेशी देश व्यापारिक मुद्दों या अन्य मामलों को लेकर भारत पर दबाव डाल सकते हैं लेकिन भारत अपनी रणनीति और सूझबूझ से स्थिति को अच्छे से संभालने में सक्षम रहेगा।
सरकार मानवीय आपात स्थितियों पर अधिक ध्यान दे सकती है, जिससे सामाजिक असंतोष में कमी आएगी और शांति स्थापना के प्रयासों को बल मिलेगा।
मीन राशि जल तत्व से जुड़ी है, इसलिए सरकार पर्यावरण और जल संकट से जुड़े मुद्दों पर भी गंभीरता से काम कर सकती है।
मौसम की अनिश्चितता के चलते कृषि फसलों को नुकसान पहुंचने की संभावना है, जिससे खाद्य संकट या महंगाई की स्थिति बन सकती है।
भारत और दुनिया भर में महत्वपूर्ण सत्ता परिवर्तन, नेतृत्व में परिवर्तन और सरकार चलाने के तरीके के बारे में लोगों के विचारों में बदलाव हुए हैं।
आध्यात्मिक और मानवीय गतिविधियां
ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, जब शनि मीन राशि में वक्री होता है, तो यह वैश्विक स्तर पर समाज में गहरी आध्यात्मिकता और आत्मचिंतन की लहर पैदा करता है। लोग अपने रिश्तों, जीवन के उद्देश्य और भावनात्मक स्वास्थ्य पर गंभीरता से विचार करने लगते हैं।
इस दौरान मानवीय संवेदनाएं जाग्रत होती है, जिससे लोग एक-दूसरे के प्रति अधिक सहानुभूति और समझदारी दिखाते हैं। इंसानों के साथ-साथ जानवरों के प्रति भी करुणा और जिम्मेदारी की भावना बढ़ती है।
इसके अलावा, लोग प्राकृतिक चिकित्सा, योग, ध्यान और भावनात्मक उपचार जैसे रास्तों की ओर आकर्षित हो सकते हैं। जीवन में संतुलन बनाए रखने और मानसिक मजबूती हासिल करने की कोशिशें बढ़ सकती हैं। यह समय आध्यात्मिक विकास और भीतर से सशक्त होने के लिए बहुत उपयुक्त माना जा रहा है।
जब शनि मीन राशि में वक्री होंगे, तो इसका प्रभाव पृथ्वी पर प्राकृतिक आपदाओं के रूप में दिखाई दे सकता है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से यह गोचर सुनामी या समुद्र के नीचे ज्वालामुखी विस्फोट जैसी घटनाओं को सक्रिय कर सकता है।
दुनिया भर में भूकंप बढ़ सकते हैं।
यह वर्ष मंगल का है और शनि वायु तत्व का प्रतिनिधित्व करता है इसलिए वायु से जुड़ी आपदाएं जैसे कि विमान दुर्घटनाएं, तेज तूफान या तूफानी हवाएं भी बढ़ सकती हैं।
शनि मीन राशि में वक्री: शेयर बाजार रिपोर्ट
13 जुलाई 2025 को शनि का मीन राशि में वक्री होना शेयर बाजार में थोड़ा बदलाव लाएगा। आइए देखें कि इसका शेयर बाजार पर क्या असर होगा।
शनि के मीन राशि में वक्री होने से रासायनिक उर्वरक उद्योग, चाय उद्योग, कॉफी उद्योग, इस्पात उद्योग, हिंडाल्को, ऊनी मिलों सहित अन्य उद्योग में थोड़ी सुस्ती देखने को मिल सकती है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज, परफ्यूम और कॉस्मेटिक इंडस्ट्रीज, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी, सूचनी प्रौद्योगिकी और अन्य क्षेत्रों में महीने के अंत तक मंदी आ सकती है, लेकिन निरंतरता की संभावना है।
वेब डिजाइनिंग कंपनियों और प्रकाशन फर्मों की प्रगति में गिरावट देखी जा सकती है।
जुलाई के पहले सप्ताह में कुछ नई विदेशी कंपनियां भारतीय बाजार में प्रवेश कर सकती है, जिससे संभावित रूप से पेट्रोल, डीजल और कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि देखी जा सकती है।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह ब्लॉग ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
1. शनि को किस डिग्री पर सबसे अधिक उच्च अवस्था में माना जाता है?
20 डिग्री
2. कंटक शनि क्या है?
जब शनि जन्म कुंडली के चंद्रमा से चौथे भाव में गोचर करता है, तो उसे कंटक शनि कहा जाता है।
3. शनि किस राशि में नीच अवस्था में है?
मेष
ज्योतिष की दृष्टि से जुलाई का महीना होगा बेहद ख़ास, बक मून से लेकर उल्का पिंडों की होगी बौछार!
संसार में होने वाली घटनाओं में से कुछ को ज्योतिष की दृष्टि से विशेष माना जाता है जिनमें से एक है बक मून। हालांकि, बहुत कम लोग ही होंगे जो बक मून के बारे में जानते होंगे या फिर कुछ ने इसका नाम पहली बार सुना होगा। एस्ट्रोसेज एआई के इस लेख में हम “बक मून 2025” के बारे में विस्तार से बात करेंगे। सिर्फ़ इतना ही नहीं, क्या होता है बक मून? क्या है इसका महत्व और ज्योतिषीय दृष्टि से क्यों महत्वपूर्ण है जुलाई का महीना? इन सभी सवालों के जवाब आपको हमारे इस ब्लॉग में मिलेंगे। सबसे पहले हम जान लेते हैं बक मून 2025 का समय और तिथि।
आइए अब हम आपको अवगत करवाते हैं बक मून के बारे में।
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किसे कहते हैं बक मून?
अमेरिका में जुलाई महीने में आने वाली पूर्णिमा को बक मून कहा जाता है। मान्यता है कि बक पूर्णिमा वह समय होता है जब हिरणों के नए सींग उगना शुरू होते हैं इसलिए इसे बक मून के नाम से जाना जाता है। यह दृढ़ता और स्वयं को मज़बूत बनाने की एक शक्तिशाली अवधि होती है। सामान्य रूप से यह चंद्र चक्र का चरण होता है जो उस समय घटित होता है जब सूर्य और चंद्रमा एक-दूसरे के विपरीत होते हैं। ज्योतिषियों के मत के अनुसार, पूर्णिमा को पूर्णता, परिवर्तन और इच्छाओं की पूर्ति की अवधि माना जाता है। यह तिथि भावनाओं, आध्यात्मिक ऊर्जा और अंतर्ज्ञान को बढ़ाने में भी सहायता करती है।
बक मून का महत्व
बता दें कि बक मून नाम की उत्पत्ति का श्रेय स्थानीय जनजातियों को जाता है जो मौसम और फसल बोने जैसे महत्वपूर्ण समय को दर्शाती है। इसके लिए चंद्रमा के चक्र का उपयोग किया जाता है। सांस्कृतिक रूप से बक मून को भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है जैसे थंडर मून और हे मून आदि। इसे थंडर मून इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस समय वर्षा की वजह से बादलों की गरज होती है। वहीं, हे मून नाम के पीछे का कारण यह है कि इस समय किसान सर्दियों के मौसम के लिए भंडारण और घास की कटाई करते हैं।
इसके अलावा, जुलाई माह की पूर्णिमा को फेदर मोल्टिंग मून और सैल्मन मून भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस पूर्णिमा की अवधि में पक्षियों के पंख झड़ने लगते हैं और वहीं, सैल्मन मछलियां प्रजनन के लिए नदियों में आती हैं इसलिए बक पूर्णिमा, फेदर मोल्टिंग मून और सैल्मन मून के नाम से भी प्रसिद्ध है।
किस राशि में लगेगा बक मून?
वर्ष 2025 में बक मून मकर राशि में लगने जा रहा है जो एक पृथ्वी तत्व की राशि है। यह दृढ़ता का प्रतीक मानी जाती है। अगर आपको ऐसा लग रहा है कि आपके कार्यों में देरी हो रही है, तो बक पूर्णिमा धैर्य, सफलता और लगातार किए जा रहे प्रयासों की याद दिलाती है। मकर राशि के जातकों को योजना बनाकर चलना पसंद होता है और वह सच्चा प्रेम पाने की इच्छा रखते हैं, तो बक पूर्णिमा आपके सपनों को सच में बदलने की तरफ इशारा करती है।
बक मून 2025 के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी आपको प्रदान करने के बाद अब हम आगे बढ़ते हैं और नज़र डाल लेते हैं जुलाई में होने वाली कुछ रोचक ज्योतिषीय घटनाओं पर।
जुलाई 2025 में होने वाली कुछ विशेष घटनाएं
डेल्टा एक्वेरिड उल्का बौछार
हर साल जुलाई के मध्य से लेकर अगस्त के मध्य तक उल्का बौछार होती है। इस वर्ष डेल्टा एक्वेरिड उल्का पिंडों की वर्षा 29 और 30 जुलाई को होगी। इस दौरान 27% चंद्रमा पूर्ण होगा और ऐसे में, आसमान में होने वाली उल्का पिंडों की बौछार को आप आसानी से देख सकते हैं।
बड़े ग्रहों के साथ युति करेंगे चंद्र देव
हम सभी इस बात को भली भांति जानते हैं कि चंद्र देव बहुत तेज़ गति से चलते हैं इसलिए इनका गोचर हर ढाई दिन में होता है। ऐसे में, अब चंद्र देव जुलाई 2025 के दौरान कुछ बड़े ग्रहों के साथ युति का निर्माण करेंगे। चलिए आपको रूबरू करवाते हैं उन ग्रहों से जिनके साथ चंद्र देव युति करेंगे।
चंद्र-शनि की युति
जहां चंद्र देव मन के कारक ग्रह हैं, वहीं शनि को न्याय के देवता माना गया है। अब यह दोनों ग्रह 15 जुलाई 2025 को एक साथ मीन राशि में युति का निर्माण करेंगे।
प्रेम के कारक ग्रह शुक्र के साथ चंद्र ग्रह 20 जुलाई 2025 को वृषभ राशि में युति करेंगे। बता दें कि इस राशि में चंद्र देव ढाई दिन तक रहेंगे।
गुरु-चंद्र की युति
गुरु ग्रह को देवताओं के गुरु कहा जाता है जबकि चंद्र ग्रह मन को नियंत्रित करते हैं। ऐसे में, जब चंद्र देव 22 जुलाई 2025 को मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे, तो वहां पहले से गुरु ग्रह स्थिति होंगे। इस प्रकार, चंद्र और बृहस्पति मिथुन राशि में युति करते हुए नज़र आएंगे।
मंगल-चंद्र की युति
उग्र ग्रह माने जाने वाले मंगल 28 जुलाई 2025 को कन्या राशि में प्रवेश करेंगे और इसी दिन, इसी राशि में चंद्रमा का भी गोचर होगा। इसके परिणामस्वरूप, यह दोनों ग्रह युति का निर्माण करेंगे और इनका यह संयोजन संसार को प्रभावित कर सकता है।
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
बक मून 2025 में कब है?
वर्ष 2025 में बक मून 10 जुलाई, गुरुवार को मनाई जाएगी।
बक मून किसे कहते हैं?
अमेरिका में जुलाई के महीने में आने वाली पूर्णिमा को बक मून कहा जाता है।
जुलाई में चंद्रमा और शनि की युति कब होगी?
चंद्र और शनि मीन राशि में 15 जुलाई 2025 को एक साथ विराजमान होकर युति का निर्माण करेंगे।
कर्क राशि में बुध के वक्री होने से इन राशि वालों के शुरू हो जाएंगे बुरे दिन!
ज्योतिष शास्त्र में बुध ग्रह को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। बुध की कृपा से व्यक्ति बुद्धिमान बनता है और व्यापार के क्षेत्र में अपार सफलता प्राप्त करता है। जिन लोगों की कुंडली में बुध मजबूत होता है, वे अपन बुद्धि और ज्ञान से अपने बिज़नेस को सक्सेस की ऊंचाईयों तक लेकर जाते हैं। बुध ग्रह कुछ समय के अंतराल में एक राशि से दूसरी राशि में परिवर्तन करते हैं और कभी-कभी इस दौरान वह वक्री और मार्गी चाल भी चलते हैं। इस बार बुध 18 जुलाई को सुबह 09 बजकर 45 मिनट पर कर्क राशि में वक्री होने जा रहे हैं।
ज्योतिषीय दृष्टि से बुध का वक्री होना काफी मायने रखता है। इससे किसी के जीवन में अच्छे बदलाव आएंगे, तो वहीं कुछ लोगों को समस्याएं देखनी पड़ सकती हैं। इस ब्लॉग में हम उन राशियों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान कर रहे हैं जिनके लिए बुध का कर्क राशि में वक्री होना परेशानियां लेकर आ सकता है। तो चलिए अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि बुध के वक्री होने के दौरान किन राशियों के लोगों को नकारात्मक प्रभाव मिलने के संकेत हैं।
बृहत् कुंडलीमें छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरालेखा-जोखा
बुध के वक्री होने से इन्हें मिलेगा नकारात्मक प्रभाव
मेष राशि
बुध ग्रह मेष राशि के तीसरे तथा छठे भाव के स्वामी बुध ग्रह हैं जो अब आपके चौथे भाव में वक्री हो रहे हैं। इस दौरान आपको कुछ कमजोर परिणाम मिल सकते हैं। माता से संबंधित सुख में कमी आ सकती है। आपको प्रॉपर्टी से जुड़े मामलों में सावधानी बरतने की जरूरत है। आपके कार्यों में अड़चनें आ सकती हैं। आपके घर-परिवार में भी परेशानियां आ सकती हैं। आपके दोस्त आपके ऊपर किसी बात को लेकर संदेह कर सकते हैं।कबूतरों को दाना डालें।
बुध के कर्क राशि में वक्री होने के दौरान आपको उलझनें देखनी पड़ सकती हैं। आपको दूसरों से बात करने में दिक्कत आ सकती है। वहीं आपके कार्य भी धीमी गति से पूरे होंगे। अपने भाई-बहनों या पड़ोसियों से सोच-समझकर बात करें। आपकी बातों को गलत समझा जा सकता है। पैसों को लेकर किसी भी तरह का कोई रिस्क न लें। आपको वित्तीय स्तर पर कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। शादीशुदा जिंदगी में पति-पत्नी के बीच अनबन हो सकती है। दोस्त आपके प्रति बेरुखा व्यवहार कर सकते हैं। आपको इस समय सावधानी बरतनी चाहिए।
मिथुन राशि वालों के लिए बुध ग्रह आपके लग्न या राशि के स्वामी होने के साथ-साथ आपके चौथे भाव के भी स्वामी हैं जो अब आपके दूसरे भाव में वक्री हो रहे हैं। आपको निर्णय लेने में दिक्कत हो सकती है। आप दूसरों से कठोरता से बात कर सकते हैं। आपको परिवार के सदस्यों के साथ संभलकर बात करनी चाहिए। धन के मामले में भी स्थिति अनुकूल नहीं है। यदि किसी व्यक्ति को हार्ट से संबंधित कोई प्रॉब्लम है, तो उन्हें इस दौरान सतर्क रहना चाहिए। घर-परिवार के मामलों में सोच-समझकर बात करें। हर किसी के साथ संयिमत व्यवहार करें। आप गणेश चालीसा का पाठ करें।
कर्क राशि के तीसरे तथा बारहवें भाव के स्वामी बुध ग्रह हैं। अब यह आपके पहले भाव में वक्री हो रहे हैं। बुध के कर्क राशि में वक्री होना आपके लिए शुभ साबित नहीं होगा। आपको अपने जीवन में अधिक नकारात्मकता देखने को मिल सकती है। खर्चों में बढ़ोतरी होने का डर है। परिवार के बीच गलतफहमियां होने से आपको नुकसान होने की आशंका है। आपको कोई अप्रिय समाचार मिल सकता है। आप किसी भी सूचना पर प्रतिक्रिया देने से पहले उसकी सच्चाई की पुष्टि जरूर कर लें।
सिंह राशि के दूसरे और लाभ भाव के स्वामी बुध ग्रह हैं जो कि अब आपके बारहवें भाव में वक्री होने जा रहे हैं। बुध का वक्री होना आपकी राशि के लिए ज्यादा अनुकूल साबित नहीं होगा। इस दौरान आपके जीवन में नकारात्मकता बढ़ सकती है। आपको इस समय पैसों को लेकर कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहिए। लाभ मिलने में देरी हो सकती है। विदेश से संबंधित मामलों में आपको सावधानी बरतनी चाहिए। वैवाहिक जीवन में अपने पार्टनर के साथ थोड़ा संभलकर बात करें। इस समय आप अपने प्रियजनों से कटु व्यवहार कर सकते हैं। आपके अपशब्दों से दूसरों के दिल को ठेस पहुंच सकती है। इस वजह से परिवार के सदस्यों के बीच विवाद होने की आशंका है।
वृश्चिक राशि के आठवें तथा लाभ भाव के स्वामी बुध ग्रह हैं। अब यह आपके भाग्य भाव में वक्री हो रहे हैं। इस दौरान आपको अच्छे परिणाम मिल पाने की संभावना कम है। आपको अपने भाग्य का साथ नहीं मिल पाएगा। आपको अपने हर कार्य में भाग्य का साथ नहीं मिल पाएगा। ऐसे में अच्छे परिणाम पाने के लिए आपको अधिक मेहनत करनी पड़ेगी। आपको लाभ प्राप्त करने में देरी हो सकती है। इस समय आपको धैर्य से काम लेना चाहिए। धन के मामले में किसी भी तरह का कोई रिस्क न लें। आपके मान-सम्मान में कमी आ सकती है।
बुध ग्रह धनु राशि के सातवें तथा दसवें भाव के स्वामी हैं। बुध ग्रह आपके आठवें भाव में वक्री हो रहे हैं। इस स्थिति के आपको कुछ नकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं। धन कमाने के कार्यों में अड़चनें आ सकती हैं। आमदनी में रुकावटें आने की आशंका है। व्यापारियों को भी कठिनाईयां देखनी पड़ सकती हैं। आपको विवाद से दूर रहने की सलाह दी जाती है। समाज में आपकी प्रतिष्ठा में भी कमी आ सकती है।
मकर राशिके छठे तथा भाग्य भाव के स्वामी बुध ग्रह हैं जो अब आपके सातवें भाव में वक्री हो रहे हैं। सातवें भाव में बुध के गोचर को अच्छे परिणाम देने वाला नहीं माना जाता है। लेकिन, छठे भाव के स्वामी का सातवें भाव में वक्री होना व्यापार व्यवसाय और नौकरी दोनों के लिए थोड़ा कमजोर कहा जाएगा। करियर में आप अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में पीछे रह सकते हैं। इसकी वजह से आपके आत्मविश्वास में कमी आ सकती है। व्यापार में समझदारी से काम लें। इस समय कोई नया प्रयोग न करें। स्वास्थ्य को लेकर भी कोई लापरवाही न करें। बेकार की यात्राओं और खर्चों से बचकर रहें।
मीन राशि के चौथे तथा सातवें भाव के स्वामी बुध ग्रह हैं जो अब आपके पंचम भाव में वक्री हो रहे हैं। पंचम भाव में बुध ग्रह के गोचर को अच्छा नहीं माना जाता है। घर-गृहस्थी और संतान पक्ष से संबंधित मामलों में चिंता हो सकती है। अपने बच्चों से जुड़े मामलों में सावधानी और समझदारी बरतें। यदि किसी से प्रेम करते हैं और विवाह करने की इच्छा रखते हैं, तो इस अवधि में बात को आगे बढ़ाना ठीक नहीं रहेगा। आपकी बातों का कोई गलत मतलब निकाल सकता है। धन से संबंधित कार्यों में सावधानी बरतें। इस दौरान कोई योजना न बनाएं वरना उसकी वजह से नुकसान हो सकता है। जो जैसा चल रहा है, उसे वैसा ही चलने दें।
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1. बुध ग्रह खराब होने के क्या लक्षण हैं?
उत्तर. याद्दाश्त कमजोर हो सकती है।
प्रश्न 2. बुध को खुश करने के लिए क्या करें?
उत्तर. हरे रंग के वस्त्र पहनें।
प्रश्न 3. बुध ग्रह कौन सी बीमारी देता है?
उत्तर. इंफेक्शन से होने वाली बीमारियां।
बृहस्पति उदय 2025: जानें दुनियाभर में क्या होंगे बड़े परिवर्तन?
एस्ट्रोसेज एआई का प्रयास रहता है कि हर नए ब्लॉग के जरिए आपको ज्योतिष की दुनिया से जुड़ी सबसे ताजा और महत्वपूर्ण घटनाओं की जानकारी समय-समय पर दी जाए। इसी कड़ी में हम आपको बता रहे हैं कि बृहस्पति का मिथुन राशि में उदय का विश्व स्तर पर और शेयर बाज़ार पर क्या असर पड़ सकता है। ये सभी गणनाएं लग्न आधारित हैं।
बृहस्पति का मिथुन राशि में गोचर 15 मई को हुआ था और अब यह 09 जुलाई की रात 10 बजकर 50 मिनट पर बृहस्पति का मिथुन राशि में उदय होगा। बृहस्पति और बुध एक दूसरे के प्रति तटस्थ हैं। आइए अब देखते हैं कि इसका दुनिया भर की घटनाओं और शेयर बाजार पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
मिथुन राशि में बृहस्पति का उदय: विशेषताएं
बृहस्पति मिथुन राशि में यह संकेत देता है कि जीवन में सफलता और प्रगति पाने के लिए पहल करना, समर्पण दिखाना और प्रभावी ढंग से संवाद करना बेहद ज़रूरी है। यह समय आपको यह सीखने का मौका देता है कि कैसे खुले मन से सोचते हुए आप अपने कम्फर्ट ज़ोन से बाहर निकलकर आगे बढ़ सकते हैं। मिथुन राशि में स्थित गुरु ज्ञान और सूचना को जुटाने, उसे साझा करने और दूसरों की मदद करने की प्रेरणा देता है। चूंकि मिथुन राशि ज्ञान, संवाद और तर्क का प्रतीक है, ऐसे में बृहस्पति यहां आपको प्रभावशाली ढंग से बोलने और सकारात्मक चर्चा करने की क्षमता प्रदान करता है। इस दौरान गुरु और बुध की संयुक्त ऊर्जा आपको धन प्रबंधन में कुशल बनाती है, जिससे करियर में भी सफलता के अच्छे योग बनते हैं।
बृहस्पति का मिथुन राशि में उदय: विश्वव्यापी प्रभाव
आध्यात्मिक और धार्मिक गतिविधियां
बृहस्पति मिथुन राशि में उदय के चलते लोगों का रुझान आध्यात्मिकता और मानसिक शांति की ओर स्वाभाविक रूप से बढ़ेगा।
इस अवधि में अधिक से अधिक लोग आध्यात्मिक ग्रंथ पढ़ने, साधना करने और ओकल्ट (गूढ़ विद्या) जैसी कक्षाओं में भाग लेने के लिए प्रेरित हो सकते हैं।
पूजा-पाठ में उपयोग होने वाले घी, तेल और सुगंधित तेलों की कीमतों में थोड़ी राहत मिल सकती है।
फूलों से बने जैविक उत्पादों और धार्मिक-सुगंधित वस्तुओं जैसे अगरबत्ती, धूप, इत्र आदि की मांग में वृद्धि देखने को मिल सकती है।
कई लोग अपने जीवन में आत्मज्ञान प्राप्त करने के मार्ग पर चलने का प्रयास कर सकते हैं।
देश की वर्तमान आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मंत्री और उच्च पदस्थ सरकारी अधिकारी नए कानूनों और नीतियों का मसौदा तैयार करते नजर आएंगे।
जनहित और राष्ट्रहित में लिए गए कई अहम फैसले यह दर्शाएंगे कि न्यायपालिका प्रभावी रूप से कार्य कर रही है।
दुनिया के कई युद्धग्रस्त देशों में शांति की शुरुआत हो सकती है और लंबे समय से चले आ रहे कई संघर्षों का न्यायपूर्ण अंत संभव है।
बृहस्पति के उदय के कारण परिपक्व सोच और जिम्मेदार व्यवहार को बढ़ावा मिलेगा, जिससे मंत्री और सरकारी प्रतिनिधि अब सोच-समझकर और गंभीरता से बयान देंगे।
शिक्षा और अन्य संबंधित क्षेत्र
यह गोचर शिक्षा क्षेत्र से जुड़े प्रोफेसर, शिक्षक, काउंसलर और प्रशिक्षकों के लिए फायदेमंद रहेगा, लेकिन साथ ही इन्हें कार्यस्थल पर कुछ अस्थिर या अप्रत्याशित परिस्थितियों का भी सामना करना पड़ सकता है।
इस दौरान लेखक और दार्शनिक अपने शोध, थीसिस, कहानियां और अन्य प्रकाशित कार्यों को फिर से व्यवस्थित करते हुए नजर आएंगे।
वैज्ञानिक, सरकारी सलाहकार और शोधकर्ता इस समय नई दृष्टि से सोचने और रचनात्मक तरीकों से समस्याओं का समाधान निकालने में सक्षम होंगे। चिकित्सा क्षेत्र में भी इस समय के दौरान कुछ महत्वपूर्ण सुधार और प्रगति देखी जा सकती है।
बृहस्पति का मिथुन राशि में उदय: शेयर बाजार रिपोर्ट
एस्ट्रोसेज एआई द्वारा शेयर बाजार की भविष्यवाणी में कहा गया है कि इस माह की शुरुआत मंगलवार से हो रही है, जो ज्योतिषीय दृष्टिकोण से एक चुनौतीपूर्ण दिन माना जा सकता है। जुलाई की शुरुआत में बृहस्पति स्थिति इस प्रकार होगी- शुक्र वृषभ में, मिथुन राशि में बृहस्पति और सूर्य, शनि मीन में तथा बुध, मंगल और केतु कर्क राशि में। ऐसे में यह समय निवेश के लिए अनुकूल है। यदि आप शेयर बाजार में निवेश की योजना बना रहे हैं, तो यह उत्तम अवसर होगा। आइए जानते हैं शेयर बाजार पर प्रभाव:
इस अवधि अडानी, टाटा, विप्रो, मारुति, कोलगेट, एचडीएफसी, इमामी, कोटक महिंद्रा बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, रत्नाकर बैंक, यस बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा में निवेश करने का यह एक बेहतर समय है।
बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में निवेश विशेष रूप से लाभकारी सिद्ध हो सकता है।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
1. बृहस्पति किस डिग्री पर सबसे अच्छा काम करता है?
10- 20 डिग्री
2. बृहस्पति के नक्षत्रों के नाम बताइए?
पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वा भाद्रपद
3. बृहस्पति के लिए मित्र ग्रहों के नाम बताइए?
सूर्य और मंगल बृहस्पति के मित्र हैं
बुध के अस्त होने से इन राशि वालों की जिंदगी में आ सकता है तूफान!
यदि कोई व्यक्ति बिज़नेस की फील्ड में सफल होना चाहता है, तो इसके लिए उसे बुध ग्रह की कृपा प्राप्त करनी होती है। बुध ही वह ग्रह है, जो व्यक्ति को एक सफल उद्यमी बनाने की क्षमता रखता है। ज्योतिषशास्त्र में बुध को बुद्धि का कारक माना गया है। बुध ग्रह कुछ समय के अंतराल में एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करते हैं और इस दौरान वह वक्री, मार्गी, अस्त और उदित भी होते हैं।
अब बुध ग्रह 24 जुलाई 2025 को शाम 07 बजकर 42 मिनट पर कर्क राशि में अस्त होने जा रहे हैं। बुध ग्रह 18 जुलाई 2025 से लेकर 11 अगस्त 2025 तक चंद्रमा की राशि कर्क राशि में वक्री अवस्था में रहेंगे। अर्थात बुध ग्रह अपने वास्तविक स्वरूप में न रहकर वक्री होने के कारण कुछ कमजोर स्थिति में रहेंगे। बुध ग्रह 24 जुलाई 2025 से 9 अगस्त 2025 तक अस्त भी रहेंगे।
कर्क राशि में बुध के अस्त होने से सभी राशियों के लोगों का जीवन प्रभावित होगा लेकिन किसी के लिए बुध का अस्त होना फायदेमंद साबित होगा, तो वहीं कुछ लोगों को इस दौरान मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इस ब्लॉग में हम आपको उन राशियों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें बुध के अस्त होने से नुकसान होने का डर है।
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इन राशियों को होगा नुकसान
मेष राशि
मेष राशि के तीसरे और छठे भाव के स्वामी बुध ग्रह होते हैं। अब बुध ग्रह आपके चौथे भाव में अस्त हो रहे हैं। इस समय आपको मिलने वाले सकारात्मक परिणामों में कमी देखने को मिल सकती है। प्रॉपर्टी से जुड़े मामलों में भी परेशानियां बढ़ सकती हैं। मां की ओर से भी समस्या होने का डर बना हुआ है। परिवार में किसी वरिष्ठ के साथ अनबन होने की आशंका है।
मिथुन राशि के लग्न या राशि के स्वामी होने के साथ-साथ चौथे भाव के भी स्वामी बुध ग्रह होते हैं। इस बार बुध ग्रह आपकी कुंडली में दूसरे भाव में गोचर करते हुए अस्त हो रहे हैं। इस समय आपको नए आभूषण या वस्त्र नहीं खरीदने चाहिए। बच्चों का पढ़ाई से मन भटक सकता है। किसी से भी बात करते समय गलत शब्दों का प्रयोग करने से बचें। अपनी वाणी में मिठास लेकर आएं। स्वादिष्ट व्यंजनों को देखकर ललचाएं नहीं और अपनी प्रकृति के विरुद्ध जाकर कुछ न खाएं। आपको कई मामलों में सावधानियां बरतने की जरूरत है। आप रोज़ गणेश चालीसा का पाठ करें।
कन्या राशि के लग्न या राशि के स्वामी होने के साथ-साथ बुध ग्रह दशम भाव के भी स्वामी हैं और बुध ग्रह आपके लाभ भाव में गोचर करते हुए अस्त हो रहे हैं। इसकी वजह से आपको मिलने वाले अच्छे परिणामों में कमी देखने को मिल सकती है। इस दौरान आपकी उपलब्धियों में कमी आ सकती है। व्यापारियों को अधिक समझदारी से काम लेना होगा। सेहत को लेकर भी लापरवाही न बरतें। संतान और दोस्तों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने के लिए आपको अधिक प्रयास करने पड़ सकते हैं।
तुला राशि के भाग्य तथा द्वादश भाव के स्वामी बुध ग्रह हैं और यह आपकी कुंडली में दशम भाव में गोचर करते हुए अस्त हो रहे हैं। इस समय अच्छाईयों में कमी देखने को मिल सकती है। अगर अब तक आपके प्रमोशन के योग बन रहे थे, तो अब इस काम में रुकावट आ सकती है। आपके कामों में कुछ अड़चने भी देखने को मिल सकती हैं। आपके मान-सम्मान में भी कमी आ सकती है।
कुंभ राशि के पंचम तथा अष्टम भाव के स्वामी बुध ग्रह हैं और अब बुध ग्रह आपके छठे भाव में गोचर करते हुए अस्त हो रहे हैं। जो सकारात्मक परिणाम आपको अपने जीवन में मिल रहे थे, उनमें कमी आ सकती है। इस दौरान आपको अपने स्वास्थ्य का सबसे ज्यादा ख्याल रखना होगा। आप अपने शत्रुओं और विरोधियों को कम न समझें। आपको अपने मान-सम्मान की रक्षा करने की सलाह दी जाती है।
मीन राशि के चौथे तथा सप्तम भाव के स्वामी बुध ग्रह हैं और अब बुध ग्रह आपके पंचम भाव में गोचर करते हुए अस्त हो रहे हैं। आपको मिलने वाले सकारात्मक परिणामों में कमी आ सकती है। अभी आप किसी भी योजना पर काम न करें। धन को लेकर लापरवाही करना भी ठीक नहीं है। बुध के अस्त होने का प्रभाव आपके लिए कुछ ऐसा हो सकता है कि आपको फायदा तो नहीं होगा लेकिन आपके नुकसान में कमी आ सकती है।
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1. बुध का किन राशियों पर स्वामित्व है?
उत्तर. बुध कन्या और मिथुन राशि के स्वामी हैं।
प्रश्न 2. बुध की नीच की राशि कौन सी है?
उत्तर. बुध की नीच की राशि मीन है।
प्रश्न 3. बुध की उच्च की राशि कौन सी है?
उत्तर. कन्या राशि में।
चंद्र-केतु योग: शेफाली जरीवाला की मृत्यु से जुड़ा ग्रह योग कितना खतरनाक? जानें प्रभाव व उपाय
ज्योतिषिय दृष्टिकोण से आठवें भाव में चंद्र-केतु का संयोग एक रहस्यमय मानसिक रूप से अशांत करने वाला और कभी-कभी विनाशकारी योग माना जाता है। यह योग अगर जन्म कुंडली में बन जाए या गोचर में सक्रिय हो जाए तो व्यक्ति के मानसिक संतुलन, भावनात्मक स्थिरता और जीवन पर गहरा प्रभाव डालता है। चंद्रमा जहां मन, भावनाओं और मानसिक स्थिति का प्रतिनिधित्व करता है, वहीं केतु एक रहस्यमय, भ्रमपूर्ण और कटाव का प्रतीक है। आठवां भाव वैसे भी रहस्य, दुर्घटनाएं, अचानक परिवर्तन, मृत्यु, गुप्त रोग और मानसिक गहराइयों से जुड़ा होता है और जब यहां चंद्र, बुध और केतु जैसे ग्रह सक्रिय हो जाएं तो यह स्थिति और अधिक कष्टकारी रूप ले सकती है।
ज्योतिष के अनुसार, जब ये दोनों ग्रह एक साथ किसी राशि या भाव में संयोग बनाते हैं, तो यह स्थिति व्यक्ति के जीवन में अचानक घटनाएं, मन की उलझन, अवसाद और कई बार मनोवैज्ञानिक असंतुलन तक को जन्म दे सकती है। हाल ही में अभिनेत्री शेफाली जरीवाला की असमय मृत्यु के बाद लोगों की जिज्ञासा इस ओर बढ़ी है कि क्या चंद्र-केतु का यह संयोग उनकी कुंडली या गोचर में सक्रिय था? क्या यह वही ग्रह योग है, जो जीवन को ऐसे मोड़ पर ले आता है, जहां सब कुछ अनियंत्रित हो जाता है?
एस्ट्रोसेज एआई के इस विशेष ब्लॉग में हम चंद्र-केतु संयोग का ज्योतिषीय महत्व, यह मानसिक और भावनात्मक स्तर पर कैसे कार्य करता है, यदि किसी जातक की कुंडली में भी ऐसा योग है, तो इससे कैसे बचा जा सकता है, कौन से उपाय प्रभावी हो सकते हैं आदि के बारे में चर्चा करेंगे। तो चलिए शुरू करते है इस विशेष ब्लॉग को।
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चंद्र-केतु संयोग का ज्योतिषीय महत्व
किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा और केतु का संयोग बनता है, विशेषकर अगर यह योग जब आठवें भाव में हो, तो इसका ज्योतिषीय महत्व बहुत गहरा हो जाता है। चंद्रमा हमारे मन, भावनाओं और माता का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि केतु एक छाया ग्रह है, जो वैराग्य, रहस्य, भ्रम और पिछले जन्मों के कर्मों से जुड़ा होता है। जब ये दोनों ग्रह साथ आते हैं, तो व्यक्ति का मानसिक संतुलन प्रभावित हो सकता है। ऐसे जातक अनजाने डर, चिंता, अवसाद या अकेलेपन का अनुभव कर सकते हैं। कई बार यह योग व्यक्ति को माता से दूर करता है या माता के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
हालांकि, यह संयोग चुनौतियों से भरा होता है, लेकिन व्यक्ति को ध्यान, साधना और गुप्त विद्याओं की ओर भी प्रेरित करता है। लेकिन ध्यान, मंत्र जाप, शिव पूजन और चंद्रमा-केतु से संबंधित उपायों द्वारा इस योग के नकारात्मक प्रभावों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
जब जन्म कुंडली के आठवें भाव में चंद्रमा और केतु का संयोग होता है, तो यह एक अत्यंत संवेदनशील और चुनौतीपूर्ण योग बनता है, जिसे ज्योतिष में अकाल मृत्यु योग का संकेतक माना जाता है। आठवां भाव स्वयं ही जीवन की अनिश्चितता, अचानक घटनाओं, दुर्घटनाएं, गुप्त रोग, ऑपरेशन और मृत्यु का भाव होता है। जब इस भाव में चंद्रमा जो मन, भावना, मस्तिष्क और जीवन ऊर्जा का प्रतीक है और केतु जो वियोग, रहस्य, कटाव और अदृश्य शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है और जब एक साथ बैठते हैं, तो यह मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक स्तर पर भारी असंतुलन उत्पन्न करता है।
केतु जब चंद्रमा के साथ आता है, विशेषकर आठवें भाव में, तो व्यक्ति का भावनात्मक संतुलन डगमगाने लगता है। उसे बार-बार भय, चिंता, भ्रम और अकेलेपन का अनुभव होता है। यह स्थिति डिप्रेशन, आत्मघात की प्रवृत्ति, या मानसिक रोगों का कारण बन सकती है। चूंकि चंद्रमा शरीर की तरलता, मन और माता का भी प्रतिनिधि है, ऐसे में इस संयोग से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो सकती है।
इस संयोग के कारण अचानक दुर्घटना, ऑपरेशन, गुप्त रोग का खतरा अधिक होता है और यदि इस समय राहु-केतु या चंद्रमा की दशा चल रही हो, या इस योग पर शनि, राहु या मंगल की दृष्टि पड़ रही हो, तो यह स्थिति जानलेवा भी हो सकती है। यहीं से यह योग अकाल मृत्यु की संभावना तक पहुंच जाता है।
चंद्रमा और केतु दोनों को शांत करने के लिए भगवान शिव की पूजा सबसे प्रभावी मानी जाती है। ऐसे में प्रतिदिन सुबह ॐ नमः शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करें। इसके अलावा, सोमवार के दिन व्रत रखें और शिवलिंग पर जल, दूध और बेलपत्र अर्पित करें।
केतु मंत्र का जाप करें
केतु की अशुभता से बचने के लिए यह मंत्र लाभकारी है- “ॐ कें केतवे नमः। इसका प्रतिदिन 108 बार जाप करें, विशेष रूप से मंगलवार या शनिवार को।
दूध का दान करें
चंद्रमा को शांत करने के लिए सोमवार के दिन किसी जरूरतमंद या ब्राह्मण को दूध, चावल और सफेद कपड़ा दान करें।
ध्यान और प्राणायाम करें
चंद्र-केतु के योग से मानसिक बेचैनी और अवसाद होने की संभावना होती है। इसलिए रोजाना 15-20 मिनट ध्यान, प्राणायाम और योग करना अत्यंत लाभकारी होता है।
रुद्राक्ष धारण करें
दो मुखी रुद्राक्ष (चंद्रमा के लिए), केतु के लिए नौ मुखी रुद्राक्ष भी धारण किया जा सकता है, परंतु पहले योग्य ज्योतिषाचार्य से परामर्श ज़रूर लें।
चंद्रमा को जल अर्पित करें
चंद्र-केतु के प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिदिन सोने से पहले रात को लोटे में जल भरकर चंद्रमा को अर्घ्य देने से मन शांत होता है।
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या चंद्र और केतु मित्र हैं?
नहीं, ज्योतिष में चंद्र और केतु को मित्र ग्रह नहीं माना जाता है।
चंद्र केतु ग्रहण योग के लिए क्या उपाय हैं?
चंद्र केतु ग्रहण योग के उपाय में, चंद्र और केतु के बीज मंत्रों का जाप, हवन, और दान शामिल हैं।
चंद्र केतु ग्रहण दोष क्या है?
यह दोष व्यक्ति के जीवन में कई तरह की समस्याएं ला सकता है, जैसे स्वास्थ्य समस्याएं, मानसिक अशांति, आर्थिक परेशानियां और पारिवारिक तनाव।
जुलाई में है हरियाली तीज का त्योहार, देख लें विवाह मुहूर्त और बैंक अवकाश की पूरी लिस्ट!
जुलाई 2025: मौसम, आध्यात्मिक एवं ज्योतिषीय दृष्टि से जुलाई का महीना बहुत खास और सुहावना होता है। यह ग्रेगोरियन कैलेंडर का सातवां महीना है और इसमें कुल 31 दिन होते हैं। इस महीने का नाम जूलियस सीज़र के नाम पर रखा गया था। इस महीने में उनका जन्म हुआ था। इससे पहले जुलाई के महीने को लैटिन भाषा में क्विटिलिस के नाम से जाना जाता था।
मौसम और जलवायु की दृष्टि से जुलाई का महीना बहुत सुंदर होता है क्योंकि इस महीने में श्रावण मास आता है। यहां से तपती गर्मी खत्म होने लगती है और बारिश का सुहावना मौसम शुरू हो जाता है। ज्योतिष की दृष्टि से भी जुलाई का महीना बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इस दौरान श्रावण मास के अलावा हरियाली तीज समेत कई बड़े व्रत-त्योहार आते हैं। इन त्योहारों में देवशयनी एकादशी, श्रावण अमावस्या, संकष्टी चतुर्थी, गुरु पूर्णिमा, कामिका एकादशी और नाग पंचमी शामिल हैं।
महीने के पहले दिन से मन में अपने भविष्य को लेकर कई तरह के सवाल आने लगते हैं जैसे कि करियर के लिए ये महीना कैसा रहेगा, शादी होगी या नहीं आदि। जुलाई मास के शुरू होने पर भी आपके मन में अपने भविष्य को लेकर प्रश्न उठ रहे होंगे इसलिए आपके मन को शांत करने और आपके इन सवालों का जवाब देने के लिए हम लेकर आए हैं यह जुलाई 2025 से संबंधित खास ब्लॉग।
एस्ट्रोसेज एआई के इस खास ब्लॉग में जुलाई के व्रत एवं त्योहारों के साथ-साथ बैंक अवकाश और विवाह मुहूर्त आदि के बारे में भी बताया गया है। तो चलिए अब बिना देर किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि जुलाई 2025 में आपके लिए क्या खास है।
जुलाई 2025 का ज्योतिषीय तथ्य और हिंदू पंचांग की गणना
जुलाई 2025 की शुरुआत पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्रके अंतर्गत शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को होगी। वहीं, जुलाई 2025 का समापन चित्रा नक्षत्र में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर होगा।
जुलाई 2025 के व्रत एवं त्योहारों की तिथियां
हिंदू धर्म में हर एक महीने में कई व्रत एवं त्योहार आते हैं जिनका अपना धार्मिक महत्व होता है। ये त्योहार महीने के आकर्षण और महत्व को बढ़ाने का काम करते हैं। आगे जुलाई 2025 में आने वाले प्रमुख व्रत एवं त्योहारों की सूची दी गई है।
तिथि
दिन
पर्व व व्रत
06 जुलाई 2025
रविवार
देवशयनी एकादशी
06 जुलाई 2025
रविवार
आषाढ़ी एकादशी
08 जुलाई 2025
मंगलवार
प्रदोष व्रत (शुक्ल)
10 जुलाई 2025
गुरुवार
गुरु पूर्णिमा
10 जुलाई 2025
गुरुवार
आषाढ़ पूर्णिमा व्रत
14 जुलाई 2025
सोमवार
संकष्टी चतुर्थी
16 जुलाई 2025
बुधवार
कर्क संक्रांति
21 जुलाई 2025
सोमवार
कामिका एकादशी
22 जुलाई 2025
मंगलवार
प्रदोष व्रत (कृष्ण)
23 जुलाई 2025
बुधवार
मासिक शिवरात्रि
24 जुलाई 2025
गुरुवार
श्रावण अमावस्या
27 जुलाई 2025
रविवार
हरियाली तीज
29 जुलाई 2025
मंगलवार
नाग पंचमी
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
मंगलवार से होगी जुलाई की शुरुआत
जुलाई 2025 की शुरुआत मंगलवार के दिन से हो रही है। वैदिक ज्योतिष में मंगलवार के दिन को अत्यंत शुभ माना जाता है एवं इस दिन के स्वामी हनुमान जी हैं। यदि आप जुलाई 2025 के पहले दिन यानी मंगलवार को कुछ विशेष उपाय करते हैं, तो आपको हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है और आपकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति हो सकती है।
मंगलवार के दिन बूंदी का प्रसाद चढ़ाने का बहुत महत्व है। आप मंदिर में प्रसाद चढ़ाने के बाद बच्चों में इसे जरूर बांटें। हर मंगलवार को इस उपाय को करने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। इस अचूक उपाय को करने से बजरंग बली प्रसन्न होते हैं।
जुलाई के पहले दिन यानी मंगलवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। इस दिन आप लाल या केसरिया रंग के कपड़े पहन सकते हैं। आप हनुमान मंदिर जाएं और हनुमान जी को लाल जनेऊ चढ़ाएं। इस उपाय को करने से कार्यों में आ रही अड़चनें दूर हो जाती हैं।
मंगलवार के दिन मारुति स्तोत्र का पाठ करना भी शुभ रहता है। आप लगातार 40 मंगलवार तक मारुति स्तोत्र का पाठ करें। इससे आपकी सारी मुश्किलें दूर होंगी और आपको मानसिक शांति मिलेगी।
जुलाई में श्रावण मास
11 जुलाई से सावन के महीने की शुरुआत हो जाएगी। हिंदू धर्म में श्रावण मास के दौरान भगवान शिव की विशेष रूप से पूजा-अर्चना की जाती है। श्रावण मास में ही रक्षाबंधन का त्योहार भी आता है लेकिन इस बार श्रावण मास में राखी अगस्त के महीने में पड़ रही है।
मान्यता है कि सावन का महीना भगवान शिव को बहुत प्रिय होता है और सावन के सोमवार को जो भी व्यक्ति सच्चे मन से व्रत एवं पूजन करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। इससे वैवाहिक जीवन में भी सुख-शांति बनी रहती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
जुलाई में सावन के महीने के लिए ज्योतिषीय उपाय
आप अपने जीवन को समृद्ध और खुशहाल बनाने के लिए जुलाई में पड़ रहे श्रावण मास में निम्न ज्योतिषीय उपाय कर सकते हैं:
अपनी मनोकामना की पूर्ति हेतु आप रोज़ 11 या 21 बेलपत्र लें और उसके ऊपर चंदन से ‘ॐ नम: शिवाय’ लिख दें। अब इन्हें शिवलिंग पर चढ़ा दें। इससे आपकी मुराद जल्दी ही पूरी हो जाएगी।
आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं, तो सावन के सोमवार को शिवलिंग का अनार के जूस से अभिषेक करें। आप भगवान शिव और देवी पार्वती को केसर से बनी खीर का भी भोग लगा सकते हैं। ऐसा करने से आपको कभी भी धन की कमी महसूस नहीं होगी।
वैवाहिक जीवन को खुशहाल बनाने के लिए सावन के महीने में पति-पत्नी साथ मिलकर पंचामृत से भगवान शिव का अभिषेक करें। इस उपाय को करने से शादीशुदा जिंदगी की सभी समस्याओं का निवारण होता है और पति-पत्नी का रिश्ता मजबूत बनता है।
जिन लोगों को नौकरी या व्यवसाय में कोई परेशानी आ रही है, तो वे सावन के सोमवार को देवी पार्वती को चांदी की पायल चढ़ाएं। इससे नौकरी और व्यापार की बाधाएं दूर होती हैं।
बृहस्पति का मिथुन राशि में उदय: 09 जुलाई 2025 की रात 10 बजकर 50 मिनट पर बृहस्पति मिथुन राशि में उदित हो रहे हैं।
शनि मीन राशि में वक्री: 13 जुलाई 2025 की सुबह 07 बजकर 24 मिनट पर शनि मीन राशि में वक्री होने जा रहे हैं।
सूर्य का कर्क राशि में गोचर: 16 जुलाई 2025 की शाम 05 बजकर 17 मिनट पर सूर्य कर्क राशि में गोचर करने जा रहे हैं।
बुध कर्क राशि में वक्री: 18 जुलाई 2025 की सुबह 09 बजकर 45 मिनट पर बुध कर्क राशि में वक्री हो रहे हैं।
बुध कर्क राशि में अस्त: 24 जुलाई 2025 को रात 07 बजकर 42 मिनट पर बुध कर्क राशि में अस्त हो रहा है।
शुक्र का मिथुन राशि में गोचर: 26 जुलाई 2025 को सुबह 08 बजकर 45 मिनट पर शुक्र मिथुन राशि में जा रहे हैं।
मंगल का कन्या राशि में गोचर: 28 जुलाई 2025 को शाम 07 बजकर 02 मिनट पर मंगल कन्या राशि में प्रवेश कर रहे हैं।
जुलाई 2025 में आने वाले बैंक अवकाशों की सूची
तिथि
अवकाश
राज्य
03 जुलाई
खर्ची पूजा
त्रिपुरा
06 जुलाई
एमएचआईपी दिवस
मिजोरम
06 जुलाई
मुहर्रम
चंडीगढ़, दमन और दीव, दादरा और नगर हवेली, सिक्किम, गोवा, हरियाणा, केरल, मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, पांडिचेरी, पंजाब, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों को छोड़कर राष्ट्रीय अवकाश
तुला राशि के जातकों के लिए जुलाई 2025 का महीना सामान्य तौर पर काफी हद तक अनुकूल हने वाला है। इस महीने सूर्य का गोचर……(विस्तार से पढ़ें)
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के जातकों के लिए जुलाई 2025 का महीना सामान्य तौर पर मिले-जुले या फिर थोड़े से कमजोर परिणाम लेकर आएगा। सूर्य ग्रह का गोचर इस महीने……(विस्तार से पढ़ें)
धनु राशि
धनु राशि के जातकों के लिए जुलाई 2025 का महीना सामान्य तौर पर आपके लिए औसत से बेहतर स्तर के परिणाम दे सकता है। सूर्य का गोचर……(विस्तार से पढ़ें)
मकर राशि
जुलाई 2025 का महीना सामान्य तौर पर आपके लिए औसत या औसत से बेहतर परिणाम दे सकता है। सूर्य का गोचर इस महीने……(विस्तार से पढ़ें)
कुंभ राशि
कुंभ राशि के जातकों के लिए जुलाई का महीना सामान्य तौर पर काफी हद तक अनुकूल परिणाम दे सकता है। ये परिणाम औसत से बेहतर लेवल के ……(विस्तार से पढ़ें)
मीन राशि
मीन राशि वालों के लिए जुलाई 2025 का महीना सामान्य तौर पर औसत परिणाम लेकर आ सकता है अथवा कुछ लोगों को परिणाम औसत से……(विस्तार से पढ़ें)
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1. जुलाई महीने का नाम किस पर पड़ा है?
उत्तर. जूलियस सीज़र के नाम पर जुलाई महीने का नाम रखा गया था।
प्रश्न 2. जुलाई में सावन कब से शुरू हैं?
उत्तर. 11 जुलाई से सावन शुरू हो रहे हैं।
प्रश्न 3. जुलाई में नाग पंचमी कब है?
उत्तर. 29 जुलाई, 2025 को नाग पंचमी है।
इन राशियों पर मेहरबान रहेंगे बृहस्पति, करियर-शादी हर क्षेत्र में मिलेगा सुख!
09 जुलाई 2025 की रात 10 बजकर 50 मिनट पर बृहस्पति ग्रह मिथुन राशि में उदित हो रहे हैं। गुरु के उदित होने से सभी राशियों के जीवन में बड़े उतार-चढ़ाव देखने को मिलेंगे। किसी को गुरु के उदित होने से फायदा होगा, तो वहीं कुछ राशियों के जातकों को नुकसान होने का डर है। इस ब्लॉग में हम आपको उन राशियों के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं जिन्हें बृहस्पति के मिथुन राशि में उदित होने पर सकारात्मक परिणाम मिलने की संभावना है।
वृषभ राशि वालों के लिए बृहस्पति ग्रह आठवें तथा लाभ भाव के स्वामी हैं। अब गुरु आपके दूसरे भाव में उदय हो रहे हैं। अगर आपको आय के स्रोत को लेकर कोई परेशानी आ रही थी या बाधाओं का सामना करना पड़ रहा था, तो अब आपकी मुश्किलें दूर हो सकती हैं। आपकी आमदनी में तेजी से वृद्धि होने के आसार हैं। परिवार की समस्याएं भी खत्म हो सकती हैं। आप अपनी बातों से दूसरों को प्रभावित करने में सफल होंगे। आर्थिक स्थिति में भी सुधार आने की संभावना है। इसके साथ ही आप पैसों की बचत भी कर पाएंगे। निवेश करने के बारे में सोच सकते हैं। आप बुजुर्गों को वस्त्रों का दान करें।
बृहत् कुंडलीमें छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरालेखा-जोखा
मिथुन राशि
मिथुन राशि के सप्तम भाव के स्वामी होने के साथ-साथ गुरु कर्म स्थान के भी स्वामी हैं। अब वह आपके पहले भाव में उदित हो रहे हैं। आपको धन कमाने में जो समस्याएं आ रही थीं, अब वह समाप्त हो सकती हैं। यदि घर में आपकी शादी की बात चल रही है, तो अब बात तेजी से आगे बढ़ सकती है। वैवाहिक जीवन के लिए भी अनुकूल समय है। पति-पत्नी के बीच आई दूरियां खत्म होंगी। आपको अपनी पर्सनल लाइफ ही नहीं बल्कि करियर में भी सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे। आप गाय को रोटी पर देसी घी लगाकर खिलाएं।
इस राशि के पांचवें तथा आठवें भाव के स्वामी बृहस्पति हैं जो अब आपके लाभ भाव में उदित हो रहे हैं। इस दौरान आपको बहुत अच्छे परिणाम मिलने की संभावना है। छात्र खूब मन लगाकर पढ़ाई करेंगे। जिन लोगों का प्रेम प्रसंग चल रहा है, उनका रिश्ता मजबतू होगा और प्यार बढ़ेगा। अगर आप दोनों के बीच मतभेद चल रहे हैं, तो अब वह दूर हो सकती है। ससुराल वालों के साथ चल रहे मतभेद भी अब खत्म हो सकते हैं। आपकी वित्तीय स्थिति बेहतर होती नज़र आएगी। समाज में आपका मान-सम्मान बढ़ेगा। आप पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं।
तुला राशि के तीसरे तथा छठे भाव के स्वामी गुरु ग्रह हैं। अब बृहस्पति आपके भाग्य भाव में उदित हो रहे हैं। गुरु का उदित होना आपके लिए सकारात्मक साबित होगा। आपको तीर्थस्थल की यात्रा पर जाने का मौका मिल सकता है। लंबे समय से किसी मंदिर या धार्मिक स्थान पर जाने की सोच रहे थे, तो अब वह इच्छा पूरी होगी। संतान की ओर से शुभ समाचार मिल सकता है। जो लोग संतान प्राप्ति के लिए प्रयास कर रहे हैं, उनका भी अब यह सपना पूरा हो सकता है। आप अपने शत्रुओं पर भारी पड़ेंगे। आपके आत्मविश्वास में वृद्धि देखने को मिलेगी। आप रोज़ मंदिर जाएं।
धनु राशि के लोगों को बृहस्पति का मिथुन राशि में उदय होने से सकारात्मक परिणाम ही मिलने चाहिए। यदि आपका स्वास्थ्य लंबे समय से खराब चल रहा है, तो अब उसमें सुधार आ सकता है। आपको नए सिरे से कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या भी नहीं आएगी। परिवार की सभी समस्याएं दूर हो सकती हैं। मां को लेकर जो भी परेशानी थी, अब तक खत्म हो जाएगी। प्रॉपर्टी के मामले में अनुकूल परिणाम मिलने के संकेत हैं। विवाह के लिए प्रस्ताव आ सकता है। आपके लिए धार्मिक यात्रा के भी योग बन रहे हैं। आप भोलेनाथ की पूजा करें।
कुंभ राशि वालों के लिए बृहस्पति महाराज आपके दूसरे तथा लाभ भाव के स्वामी हैं जो अब आपके पंचम भाव में उदित हो रहे हैं। छात्रों के लिए यह समय बहुत अनुकूल रहने वाला है। आपके मुनाफे में वृद्धि होगी। संतान को लेकर चिंतित हैं, तो अब आपकी चिंता दूर हो सकती है। आपको प्रमोशन मिलने के योग भी बन रहे हैं। आप अपने करियर में कोई बड़ा जोखिम उठाने के बारे में सोच सकते हैं। आर्थिक स्तर पर मजबूत होंगे। पारिवारिक संबंधों में भी अनुकूलता देखने को मिल सकती है। यदि आपने किसी को पैसे उधार दिए थे, तो अब वापस मिल सकते हैं। आप साधु-संतों की सेवा करें।
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1. बृहस्पति का मिथुन राशि में उदय कब हो रहा है?
उत्तर. बृहस्पति 09 जुलाई को उदित होंगे।
प्रश्न 2. मिथुन राशि के स्वामी ग्रह कौन हैं?
उत्तर. इस पर बुध ग्रह का स्वामित्व है।
प्रश्न 3. बृहस्पति किस राशि में उच्च का होता है?
उत्तर. यह कर्क राशि में उच्च का होता है।
देवशयनी एकादशी पर अगले चार महीने के लिए सो जाएंगे भगवान विष्णु, जानें इस सप्ताह के व्रत-त्योहार!
जून का महीना अब अपने अंतिम चरण पर पहुंच गया है और एक कदम आगे बढ़ाते हुए हम सातवें महीने जुलाई में प्रवेश कर जाएंगे। इसी क्रम में, एस्ट्रोसेज एआई “साप्ताहिक राशिफल ब्लॉग” आपके लिए लेकर आया है जिसके माध्यम से हम आपको जून 2025 के इस अंतिम सप्ताह से जुड़ी विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे। ऐसे में, आपके मन में इस हफ़्ते को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे होंगे जैसे कि क्या सिंगल लोगों के जीवन में दस्तक देगा प्रेम? वैवाहिक जीवन रहेगा प्रेम से भरा या रहेगा तनाव? करियर और व्यापार में आएंगे उतार-चढ़ाव या होगा अपार लाभ? क्या सुख-शांति से पूर्ण रहेगा पारिवारिक जीवन? इन सभी सवालों के जवाब आपको हमारे इस लेख में प्राप्त होंगे जिसे ख़ासतौर पर आपके लिए बनाया गया है।
वैदिक ज्योतिष पर आधारित “साप्ताहिक राशिफल ब्लॉग” को हमारे विशेषज्ञों ज्योतिषियों द्वारा ग्रहों-नक्षत्रों की चाल, दशा और स्थिति की गणना करने के बाद तैयार किया गया है। यह लेख आपको न सिर्फ़ अगले 7 दिनों की जानकारी देगा, बल्कि इस दौरान पड़ने वाले व्रत-त्योहारों, ग्रह-गोचर के साथ-साथ बैंक अवकाशों के बारे में भी बताएगा। इसके अलावा, जून 2025 के इस अंतिम सप्ताह में जन्म लेने वाले मशहूर हस्तियों के जन्मदिन से भी हम आपको रूबरू करवाएंगे। तो चलिए बिना देरी किए शुरुआत करते हैं हमारा यह ब्लॉग और सबसे पहले नज़र डालते हैं इस सप्ताह के हिंदू पंचांग पर।
इस सप्ताह का ज्योतिषीय तथ्य और हिंदू कैलेंडर की गणना
बात करें इस सप्ताह के हिंदू पंचांग की तो, जून 2025 के इस अंतिम सप्ताह का आरंभ मघा नक्षत्र के अंतर्गत शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि यानी कि 30 जून 2025 को होगा जबकि इस हफ़्ते का समापन अनुराधा नक्षत्र के तहत शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि अर्थात 06 जुलाई 2025 को होगा। हालांकि, इस सप्ताह कई बड़े व्रत-त्योहार मनाए जाएंगे और अनेक बैंक अवकाश भी पड़ेंगे जिनके बारे में हम आगे विस्तार से बात करेंगे। लेकिन, अभी आपको अवगत करवाते हैं इस सप्ताह पर्वों की तिथियों से।
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
इस सप्ताह में पड़ने वाले व्रत और त्योहार
प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में व्रत-त्योहार खुशियां और उमंग लेकर आते हैं। लेकिन फिर भी, अक्सर ऐसा कई बार होता है कि हम अपने भागदौड़ भरे जीवन में उलझने की वजह से इन महत्वपूर्ण दिनों को भूल जाते हैं। आपके इस तरह की किसी भी स्थिति का सामना न करना पड़ें और हर पर्व को धूमधाम से मना सकें इसलिए हम आपको आने वाले सप्ताह के सभी व्रत-त्योहारों की तिथियों की पूरी लिस्ट नीचे प्रदान कर रहे हैं।
देवशयनी एकादशी (06 जुलाई 2025, रविवार): वर्ष भर में आने वाली सभी 24 एकादशी तिथियों में से सबसे महत्वपूर्ण होती है देवशयनी एकादशी। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि देवशयनी एकादशी पर जगत के पालनहार भगवान् श्रीहरि विष्णु चार महीने के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं और इन चार महीनों की अवधि को चातुर्मास कहते हैं। इस दौरान शुभ और मांगलिक कार्यों को करना वर्जित होता है। आषाढ़ माह में आने की वजह से इस एकादशी को देवशयनी एकादशी भी कहते हैं।
हम आशा करते हैं कि यह व्रत-त्योहार आपके जीवन में खुशियाँ और आशा की नई किरण लेकर आयेंगे।
इस सप्ताह में पड़ने वाले ग्रहण और गोचर
ज्योतिष की दुनिया में गोचर और ग्रहण को महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इनका सीधा असर मनुष्य जीवन के साथ-साथ देश-दुनिया पर पड़ता है। ऐसे में, ग्रहण-गोचर की जानकारी होना आपके लिए आवश्यक हो जाता है इसलिए हमारे ब्लॉग के इस सेक्शन में ग्रहण-गोचर की जानकारी आपको दी जा रही है।
बता दें कि जून 2025 के इस अंतिम सप्ताह (30 जून से 06 जुलाई, 2025) के दौरान न कोई ग्रहण लगेगा और न ही कोई ग्रह अपनी राशि, चाल या दशा में बदलाव करेगा।
एक व्यक्ति को कभी न कभी बैंक से संबंधित कोई न कोई काम जरूर पड़ता है इसलिए आपको बैंक हॉलिडे या बैंक अवकाश के बारे में जानकारी होनी चाहिए ताकि आपका कोई काम बैंक बंद होने की वजह से न अटक सके।
तिथि
दिन
अवकाश
राज्य
30 जून 2025
सोमवार
रेमना नी
मिजोरम
6 जुलाई 2025
रविवार
एमएचआईपी दिवस
मिजोरम
6 जुलाई 2025
रविवार
मुहर्रम
सभी राज्य सिवाय अरुणाचल प्रदेश , आसाम, चंडीगढ़,दादर और नागर हवेली, दमन और दिऊ, गोवा, हरियाणा, केरल,मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, पांडिचेरी, पंजाब ,सिक्किम, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल
आइए अब हम आगे बढ़ते हैं और आपको बताते हैं इस हफ़्ते के शुभ मुहूर्त।
30 जून से 06 जुलाई, 2025 के शुभ मुहूर्त
साप्ताहिक राशिफल के इस ब्लॉग में आपको ग्रहण-गोचर और पर्वों की तिथियां प्रदान करने के बाद अब हम इस सप्ताह (30 जून से 06 जुलाई, 2025) के दौरान उपलब्ध शुभ मुहूर्तों के बारे में आपको बताएंगे।
इस सप्ताह के अन्नप्राशन मुहूर्त
जो माता-पिता अपने शिशु का अन्नप्राशन मुहूर्त संपन्न करने के लिए शुभ मुहूर्त देख रहे हैं, तो नीचे हम आपको शुभ मुहूर्त की तिथियां दे रहे हैं।
तिथि
मुहूर्त
02 जुलाई 2025
07:05 से 13:59
04 जुलाई 2025
18:29 से 22:15
इस सप्ताह के नामकरण मुहूर्त
जून 2025 के इस अंतिम सप्ताह (30 जून से 06 जुलाई, 2025) में अगर आप नामकरण संस्कार करना चाहते हैं, तो इस हफ्ते नामकरण संस्कार के लिए अनेक मुहूर्त हैं जो कि इस प्रकार हैं:
30 जून 2025: रणदीप सुरजेवाला, सैम करन, ऑस्कर डुआर्टे
01 जुलाई 2025: प्रवीण दुबे, जया अहसान, यतिन कार्येकर
02 जुलाई 2025: गौतमी, अमिताभ चौधरी, एश्ले टिस्डेल
03 जुलाई 2025: परमिश वर्मा, भारती सिंह, टॉम क्रूज
04 जुलाई 2025: तरसेम जस्सर, लक्ष्मीकांत पारसेकर, युकी भामरी
05 जुलाई 2025: गीता कपूर, पीवी सिंधु, जिलियन अर्मेनांटे
06 जुलाई 2025: केविन हार्ट, जीवीएल नरसिम्हा राव, दलाई लामा
एस्ट्रोसेज इन सभी सितारों को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं देता है। यदि आप अपने पसंदीदा सितारे की जन्म कुंडली देखना चाहते हैं तो आप यहां पर क्लिक कर सकते हैं।
साप्ताहिक राशिफल 30 जून से 06 जुलाई, 2025
यह भविष्यफल चंद्र राशि पर आधारित है। अपनी चंद्र राशि जानने के लिए क्लिक करें: चंद्र राशि कैलकुलेटर
मेष साप्ताहिक राशिफल
आपकी चंद्र राशि से शनि के बारहवें भाव में विराजमान होने की वजह से इस सप्ताह…..(विस्तार से पढ़ें)
मेष प्रेम राशिफल
इस सप्ताह योग बन रहे हैं कि आपकी लव लाइफ बिल्कुल अनुकूल रहेगी और आप….(विस्तार से पढ़ें)
वृषभ साप्ताहिक राशिफल
आपकी चंद्र राशि से केतु के चौथे भाव में विराजमान होने की वजह….(विस्तार से पढ़ें)