चैत्र नवरात्रि में बन रहे हैं शुभ योग, मां दुर्गा 3 राशियों को देने वाली हैं खूब पैसा
हिंदू धर्म में नवरात्रि के नौ दिनों को अत्यंत शुभ और मंगलकारी माना जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के 9 विभिन्न रूपों की पूजा होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। यहां से नया विक्रम संवत् 2081 आरंभ होगा। चैत्र माह को मधुमास के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू पंचांग के हर एक महीने का नाम नक्षत्रों के ऊपर रखा गया है। चित्रा नक्षत्र की पूर्णिमा पर चैत्र माह का नाम रखा गया है।
इस बार 09 अप्रैल, 2024 से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है और इसका समापन 17 अप्रैल को होगा। इस बार चैत्र नवरात्रि में देवी दुर्गा घोड़े पर सवार होकर पृथ्वी पर आ रही हैं। मान्यता है कि नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा स्वर्ग लोक से पृथ्वी पर वास करती हैं। इस दौरान जो भी व्यक्ति सच्चे मन से उनकी आराधना करता है, उसके जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और उसकी मनोकामना की पूर्ति होती है।
हर साल मार्च और अप्रैल के महीने में चैत्र नवरात्रि आती है। उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में चैत्र नवरात्रि को राम नवरात्रि भी कहा जाता है क्योंकि इस नवरात्रि के नवमी तिथि पर भगवान राम का जन्म हुआ था। चैत्र नवरात्रि पर महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा और आंध्र प्रदेश में उगादी नाम का त्योहार मनाया जाता है।
इस बार चैत्र नवरात्रि पर एक से ज्यादा शुभ संयोग बन रहे हैं और इससे इस नवरात्रि का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है।
चैत्र नवरात्रि का महत्व
चैत्र नवरात्रि को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है। चैत्र नवरात्रि में ही महिषासुर नामक एक असुर ने सभी देवताओं को परास्त कर दिया था। उस समय सभी देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पास सहायता के लिए गए। तब त्रिदेवता की सामूहिक ऊर्जा से मां दुर्गा का जन्म हुआ।
चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन राम नवमी पर भगवान राम का जन्म हुआ था और शरद नवरात्रि के दसवें दिन पर विजयादशमी के दिन उन्होंने रावण का वध किया था। चैत्र नवरात्रि का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है और पूरे देश में बड़ी धूमधाम से इस पर्व को मनाया जाता है। इस बार इस नवरात्रि में कुछ शुभ योग भी बन रहे हैं जिससे कुछ राशियों के जातकों को लाभ प्राप्त होगा। इस ब्लॉग में आगे बताया गया है कि चैत्र नवरात्रि पर किस शुभ एवं दुर्लभ योग का निर्माण हो रहा है।
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चैत्र नवरात्रि में बन रहा है शुभ योग
चैत्र नवरात्रि में इस बार अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, शश योग और अश्विनी नक्षत्र का संयोग बन रहा है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार पूरे 30 सालों के बाद चैत्र नवरात्रि में ये योग बनने जा रहे हैं।
इस संयोग से कुछ राशियों के लोगों को विशेष लाभ मिलने की संभावना है। इनके जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाएंगे और इन्हें अपने कार्यों में भाग्य का साथ मिलेगा।
तो चलिए अब बिना देर किए जानते हैं कि चैत्र नवरात्रि पर बन रहे शुभ संयोग से किन राशियों के लोगों के भाग्योदय होने के आसार हैं।
चैत्र नवरात्रि जिन लोगों के लिए सबसे ज्यादा मंगलकारी और शुभ रहने वाली है, उसमें मेष राशि का नाम भी आता है। इस बार मेष राशि के जातकों पर मां दुर्गा की विशेष कृपा रहेगी। इस समय आपके जीवन में सुख-सुविधाओं में बढ़ोत्तरी देखने को मिलेगी। इसके अलावा आप आर्थिक रूप से संपन्न होंगे और आपको धन की कोई कमी नहीं रहने वाली है। इससे आप अपनी और अपने परिवार की जरूरतों को आसानी से पूरा कर पाएंगे।
यदि अब तक आप आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे, तो अब आपकी समस्याओं का समाधान होगा। नौकरीपेशा जातकों के लिए भी तरक्की के योग बन रहे हैं। आपको अपने करियर में उच्च सफलता प्राप्त होने के संकेत हैं। आपको अचानक धन लाभ होने के भी आसार हैं। इसके अलावा इस दौरान आपका वैवाहिक जीवन भी उत्तम रहेगा। पति-पत्नी के बीच प्रेम और आपसी तालमेल बढ़ेगा।
चैत्र नवरात्रि 2024, मेष राशि के बाद जिन लोगों के लिए मंगलकारी साबित होगी, वे हैं वृषभ राशि के लोग। इस दौरान वृषभ राशि के लोगों को चारों तरफ से शुभ समाचार मिलने वाले हैं। मां दुर्गा का आप पर आशीर्वाद रहेगा जिससे आपको अपने कार्यों में सफलता जरूर मिलेगी। आप जो भी काम करेंगे, उसमें सफल होंंगे और इससे आपका आत्मविश्वास काफी बढ़ जाएगा। नौकरीपेशा जातकों के लिए भी अनुकूल समय है। यदि आप लंबे समय से पदोन्नति या वेतन में वृद्धि की आस लगाए बैठे हैं, तो अब आपकी यह कामना पूरी हो सकती है। वहीं व्यापारियों को भी अपने क्षेत्र में उच्च मुनाफा कमाने का मौका मिलेगा।
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कर्क राशि
कर्क राशि के लोगों को भी चैत्र नवरात्रि 2024 में अपने भाग्य का पूरा साथ मिलने वाला है। आप लंबे समय से जिस चीज़ का इंतज़ार कर रहे थे, अब वह पूरा होगा। अटके हुए काम भी पूरे होने लगेंगे। धन से संबंधित परेशानियां भी अब दूर हो जाएंगी और आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा। इस समय आपकी आमदनी के स्रोतों में भी इज़ाफा होने की उम्मीद है। इससे आपका मन प्रसन्न एवं संतुष्ट रहेगा। बेरोज़गार लोगों को नौकरी के नए एवं बेहतरीन अवसर मिल सकते हैं। आपके लिए धन लाभ के योग भी बन रहे हैं। इसके साथ ही समाज में आपका मान-सम्मान भी बढ़ेगा।
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इस तिथि पर पैदा हुए लोगों को, शनि बना सकते हैं रंक से राजा, खूब कमाते हैं पैसा
हर व्यक्ति अपने भविष्य की संभावनाओं के बारे में जानने को उत्सुक रहता है। उसके मन में यही विचार आते रहते हैं कि आने वाला समय उसके लिए कैसा रहेगा और वो जो कुछ भी चाहता है, वो सब उसे मिल पाएगा या नहीं। अपने भविष्य के बारे में जानने में हमारी सहायता करता है ज्योतिषशास्त्र। मनुष्य के जन्म के समय, तिथि एवं स्थान के आधार पर तैयार की गई कुंडली में ग्रहों एवं नक्षत्रों की स्थिति से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि किसी जातक को अपने जीवन में क्या कुछ मिल सकता है।
इसी प्रकार अंकशास्त्र भी काम करता है। इसमें व्यक्ति की जन्म तिथि के आधार पर उसका मूलांक निकालने के बाद उसके व्यवहार, उपलब्धियों, विशेषताओं और भविष्य की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। अंकज्योतिष में 01 से लेकर 09 तक मूलांक होते हैं जो कि आपकी जन्म तिथि के आधार पर तय किए जाते हैं। यदि आपका जन्म किसी भी महीने की 22 तारीख को हुआ है, तो आपका मूलांक 2+2 यानी 04 होगा।
अंकशास्त्र के अनुसार प्रत्येक मूलांक पर किसी एक ग्रह का आधिपत्य होता है और आज इस ब्लॉग के ज़रिए हम आपको मूलांक 8 के बारे में बताने जा रहे हैं। इस मूलांक के स्वामी शनि देव हैं जो व्यक्ति को रंक से राजा तो वहीं राजा को रंक बनाने की शक्ति रखते हैं।
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किसका होता है 08 मूलांक
जिन लोगों का जन्म 8, 17 या 26 तारीख को होता है, उनका मूलांक 08 है। इस मूलांक पर शनि देव का आधिपत्य है। शनि के प्रभाव के कारण इस मूलांक वाले लोग अपने भाग्य से ज्यादा कर्म पर भरोसा करते हैं। इनके बारे में कहा जा सकता है कि ये अपने जीवन में भाग्य के भरोसे बैठने वाले नहीं होते हैं बल्कि अपने कर्म से अपने भाग्य को बदलने का दम रखते हैं। अंकज्योतिष के अनुसार इन लोगों पर शनि देव की विशेष कृपा बरसती है।
आगे जानिए मूलांक 08 वाले जातकों से जुड़ी कुछ अन्य विशेष बातों के बारे में।
08 मूलांक को कर्म का अंक बताया गया है और यह अंक अपने आकार की तरह ही संतुलन को दर्शाता है। इन लोगों के स्वभाव की बात करें, तो ये बहुत मेहनती, जिद्दी, मन से संतुलित, दार्शनिक स्वभाव वाले और निर्णय लेने में कुशल होते हैं।
हालांकि, इन लोगों की एकाग्रता क्षमता बहुत कमज़ोर होती है और ये एक ही काम पर अपना पूरा ध्यान लगा पाने में असमर्थ होते हैं। इनमें प्रशासनिक गुण कूट-कूट कर भरे होते हैं। ये व्यापार करने में कुशल होते हैं। इन्हें अपने जीवन में कुछ रोमांचक करना और चुनौतियों का सामना करना अच्छा लगता है।
08 अंक शनि देव का है इसलिए इस मूलांक के लोगों पर शनि देव की विशेष कृपा रहती है। इन लोगों को अपने जीवन में कभी धन की कमी नहीं पड़ती है। ये आर्थिक रूप से संपन्न जीवन व्यतीत करते हैं। इनके बारे में ऐसा कहा जा सकता है कि इन जातकों को 30 वर्ष की उम्र में ज्यादा तरक्की मिलती है। इसके बाद इनकी किस्मत के दरवाज़े खुल जाते हैं और ये जिस भी काम को करते हैं, उसमें इन्हें सफलता जरूर मिलती है।
हालांकि, इन लोगों को अपने जीवन में भौतिक सुखों की प्राप्ति कम ही हो पाती है। इनके उच्च विचार होते हैं लेकिन इन्हें सादगी से जीना अच्छा लगता है। इनकी निर्णय लेने की क्षमता भी अच्छी होती है लेकिन किसी भी मुद्दे को गहराई से जाने बिना ये कोई फैसला नहीं लेते हैं। इन्हें अपनी बातों को अपने तक ही रखना पसंद होता है। ये नहीं चाहते कि कोई और इनके निजी मसलों में दखल दे।
शनि देव को कर्म का कारक एवं देवता कहा गया है इसलिए उनके अंतर्गत आने वाले इस मूलांक के जातक कर्म करने पर विश्वास रखते हैं। ये मेहनत करने से डरते नहीं हैं और कर्मठ होते हैं। अपना काम निकलवाने के लिए इन्हें न तो किसी की चापलूसी करना आता है और न ही इन्हें ये पसंद होता है कि कोई और इनकी चापलूसी करे। मेहनती और कर्मठ होने के कारण इन पर शनि देव की कृपा हमेशा बनी रहती है।
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इन क्षेत्रों में मिलती है सफलता
मूलांक 08 वाले जातकों को तेल, लोहा, पेट्रोल और खनिज पदार्थ से जुड़े क्षेत्रों में व्यापार करने पर अच्छा मुनाफा कमाने का मौका मिलता है। ये स्टॉक मार्केट में भी अच्छा पैसा कमा सकते हैं। ये पैसों को ज्यादा महत्व देते हैं और इनके दिमाग पर हर समय पैसे कमाने की धुन ही सवार रहती है। ये अपना स्टार्ट-अप भी शुरू कर सकते हैं और इनमें एक सफल उद्यमी बनने के गुण भी होते हैं। ये फाइनेंस, मेडिसिन और कानून के क्षेत्र में अपना करियर बनाने के इच्छुक होते हैं। बेहतरीन निर्णय लेने की क्षमता होने की वजह से ये अच्छे सर्जन भी बन सकते हैं।
प्यार में होते हैं ईमानदार
मूलांक 8 वाले लोग अपने पार्टनर से बहुत प्यार करते हैं और इनके प्रति ईमानदार रहते हैं। इनके बारे में कहा जा सकता है कि ये अपने जीवनसाथी के लिए एक सच्चे और भरोसेमंद पार्टनर हैं। इसके अलावा ये अपने परिवार को भी बहुत ज्यादा अहमियत देते हैं। हालांकि, कभी-कभी ये अपने काम में इतने ज्यादा मशगूल हो जाते हैं कि अपने साथी को ही समय नहीं दे पाते हैं और उन्हें लगता है कि ये उन्हें नज़रअंदाज़ कर रहे हैं।
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सूर्यग्रहण 2024: साल का पहला पूर्ण सूर्यग्रहण इन राशियों के लिए बेहद खास- मान-सम्मान में कराएगा वृद्धि!
सूर्य ग्रहण 2024: हमारा यह खास ब्लॉग 8 अप्रैल को होने वाले सूर्य ग्रहण का सभी राशियों पर नकारात्मक और सकारात्मक प्रभाव पड़ने की जानकारी के साथ-साथ इस दौरान बरती जाने वाली आवश्यक सावधानियां के बारे में अपने रीडर्स को समय से पूर्व तैयार करने के उद्देश्य से लिखा गया है। एस्ट्रोसेज हमेशा अपने रीडर्स के लिए ज्योतिष की इस रहस्यमई दुनिया की नवीनतम और महत्वपूर्ण अपडेट को आपके सामने लेकर आने का प्रयास करता है ताकि आप बेहतरीन गुणवत्ता वाली जानकारी समय से पूर्व ही जान सकें और ज्योतिष से लेकर टैरो, अंक ज्योतिष आदि तक भविष्यवाणी के सभी संभावित उपकरणों के बारे में जानकारी हासिल कर सकें।
पंचांग के अनुसार बात करें तो साल का यह सूर्य ग्रहण जो 8 अप्रैल को लगने वाला है यह भारतीय महाद्वीप में नजर नहीं आएगा। जिसका अर्थ है कि पृथ्वी की छाया चंद्र सतह को एक निश्चित सीमा तक ही ढकने वाली है पूरी तरह से नहीं ढकेगी।
साल 2024 के पहले सूर्य ग्रहण की संपूर्ण जानकारी प्राप्त करने से पहले चलिये सबसे पहले जान लेते हैं कि ग्रहण आखिर वास्तव में किसे कहा जाता है और इसके प्रति लोगों की जिज्ञासा का क्या कारण है। सरल शब्दों में समझाएं तो सूर्य ग्रहण एक ऐसी खगोलीय घटना को कहा जाता है जो सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी की गति के चलते नियमित समय के अंतराल पर घटित होती रहती है।
यह बात तो हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है, चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है। पृथ्वी को सूर्य से प्रकाश मिलता है और इस तरह चंद्रमा उससे प्रकाशित होता है। चंद्रमा और पृथ्वी की गति के चलते ऐसी स्थितियां उत्पन्न होती हैं जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है और कभी-कभी पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है। ऐसी स्थिति में जहां भी सूर्य का प्रकाश उस पर नहीं पड़ता है वह कुछ समय के लिए अंधेरा क्षेत्र बन जाता है और सूर्य के प्रकाश से वंछित रह जाता है। इसी खगोलीय स्थिति को ग्रहण कहते हैं।
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आइए ग्रहण के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करते हैं और साथ ही जानते हैं कि वर्ष 2024 में लगने वाले इस ग्रहण की विशेषता क्या रहने वाली है, इसकी तिथि और समय क्या रहने वाला है और साथ ही जानेंगे राशियों पर इसका क्या प्रभाव पड़ने वाला है। अगर आप साल 2024 में पड़ने वाले ग्रहण के बारे में अधिक जानना चाहते हैं यह जानना चाहते हैं कि सूर्य और चंद्र ग्रहण कब-कब लगने वाले हैं यह कहां-कहां नजर आएंगा, ये भारत में दृश्यमान होंगे या नहीं और इनसे जुड़ी अन्य जानकारियां तो आप इस लिंक पर क्लिक कर सकते हैं। इसके अलावा इस ब्लॉग में हम आपको ग्रहण 2024 के ज्योतिषीय धार्मिक महत्व की जानकारी भी प्रदान करने वाले हैं।
सूर्य ग्रहण क्या है?
जैसे कि हमने पहले भी बताया कि ग्रहण एक खगोलीय घटना होती है। सरल शब्दों में कहें तो सूर्य ग्रहण एक ऐसी खगोलीय घटना है जिसमें पृथ्वी सूर्य के चारों ओर अपने कक्षीय पथ पर चलते हुए एक ऐसी जगह पर आ जाती है जहां चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरता है। इस स्थिति में तीनों एक रेखा में आ जाते हैं क्योंकि सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर पहुंचने से पहले चंद्रमा तक पहुंचता है और चंद्रमा की छाया पृथ्वी को ढक लेती है इसीलिए कुछ समय के लिए सूर्य की किरणें पृथ्वी की सतह तक नहीं पहुंच पाती है जिसके परिणाम स्वरुप पृथ्वी कुछ समय के लिए सूर्य के प्रकाश के संपर्क में नहीं आ पाती है। इन परिस्थितियों में सूर्य पृथ्वी से प्रभावित होता प्रतीत होता है।
ग्रहण लगने की स्थिति में पूरी तरह से काली छाया और आंशिक रूप से काली छाया दोनों कुछ समय के लिए पृथ्वी से नजर आती हैं। ऐसी घटना का वर्णन करने के लिए सूर्य ग्रहण शब्द का प्रयोग किया जाता है अर्थात इस स्थिति को सूर्य ग्रहण कहते हैं। सूर्य ग्रहण तब होता है तब चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढक लेता है। आंशिक सूर्य ग्रहण उस स्थिति को कहते हैं जब सूर्य का केवल एक भाग ही प्रभावित होता है। चंद्रमा की छाया कभी-कभी सूर्य के केंद्र में दिखाई देती है जब दोनों एक दूसरे से बहुत दूर नजर आते हैं। जब इसके चारों ओर सूर्य का प्रकाश नजर आता है तो उसकी छाया कंगन या रिंग का रूप धारण कर लेती है और इसे वाल्याकार सूर्य ग्रहण या कंकणाकृति सूर्य ग्रहण है।
सूर्यग्रहण के शुरू होने का समय (भारतीय समय अनुसार)
सूर्यग्रहण के समाप्त होने का समय
यहाँ आएगा नज़र
चैत्र मास कृष्ण पक्षअमावस्या तिथि
सोमवार08 अप्रैल 2024
रात्रि 21:12 से
रात्रि 26:22 तक (09 अप्रैल 2024 प्रातः 02:22 तक)
पश्चिमी यूरोप, प्रशांत, अटलांटिक, आर्कटिक, मैक्सिको, उत्तरी अमेरिका (अलास्का को छोड़कर), कनाडा, मध्य अमेरिका, दक्षिण अमेरिका के उत्तरी भाग, उत्तर पश्चिमी इंग्लैंड, आयरलैंड (भारत में दृश्यमान नहीं है)
महत्वपूर्ण जानकारी: ग्रहण 2024 के संबंध में सटीक ग्रहण समय भारतीय मानक समय का उपयोग करके उपरोक्त तालिका में दर्शाया गया है। इसे 2024 का पहला सूर्य ग्रहण कहा जाएगा। यह खग्रास या पूर्ण सूर्य ग्रहण के रूप में घटित होगा। इसके अस्तित्व में ना आने से भारत में इसका कोई भी धार्मिक प्रभाव नहीं पड़ेगा और सूतक काल भी भारत में मान्य नहीं होगा। इस प्रकार हर कोई व्यक्ति अपनी अलग-अलग गतिविधियां इस अवधि में बिना किसी कठिनाई, रूकावट या चिंता के पूरी कर सकता है।
सूर्य ग्रहण 2024 के प्रकार और ग्रहों की स्थिति
साल 2024 का पहला सूर्य ग्रहण अप्रैल के महीने में सोमवार के दिन लगने वाला है और यह खग्रास सूर्य ग्रहण यानी पूर्ण सूर्य ग्रहण कहलाएगा। औसतन हर 18 महीने में पूर्ण ग्रहण घटित होता है जिसमें बहुत हल्का सा कोरोना नजर आता है जब चंद्रमा का अंधेरा छाया सूर्य की चमकती रोशनी को पूरी तरह से रोक लेता है। अकाल ग्रहण के दौरान समग्रता की अधिकतम सीमा पृथ्वी की सतह के एक छोटे से क्षेत्र तक सीमित हो जाती है। पूर्णता का मार्ग इस घुमावदार मार्ग को दिया गया नाम है।
सोमवार 8 अप्रैल 2024 को रात 21:12 बजे वर्ष 2024 का पहला सूर्य ग्रहण लगेगा। यह सूर्य ग्रहण खग्रास सूर्य ग्रहण भी कहा जाएगा। यह एक पूर्ण सूर्य ग्रहण होने वाला है। यह ग्रहण मीन राशि और रेवती नक्षत्र में लगेगा। मीन राशि सूर्य के मित्र बृहस्पति की राशि मानी जाती है। इस दिन सूर्य चंद्रमा, शुक्र और राहु के साथ रहेंगे। चंद्रमा से दूसरे भाव में बुध और बृहस्पति और 12वें भाव में शनि और मंगल स्थित होंगे। जो लोग मीन राशि और रेवती नक्षत्र में पैदा हुए हैं साथ ही उनसे जुड़े देशों के लिए वर्ष 2024 का यह पहला सूर्य ग्रहण बेहद प्रभावशाली रहने वाला है।
सूर्य ग्रहण 2024: ध्यान देने योग्य महत्वपूर्ण बातें
सूर्य ग्रहण के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए कुछ बातें विशेष रूप से ध्यान रखने की सलाह देती हैं। यहां हम आपको कुछ ऐसे सरल उपायों के बारे में जानकारी प्रदान कर रहे हैं जिनका पालन करके आप खुद को और अपने परिवार को सूर्य ग्रहण के दौरान होने वाली किसी भी नकारात्मकता से बचा सकते हैं। इसके अलावा अगर आप यह उपाय अपनाते हैं तो सूर्य ग्रहण की इस अवधि के दौरान आप नकारात्मकता की जगह अपने जीवन में शुभ परिणाम भी प्राप्त कर सकते हैं।
जिन लोगों की राशि मीन है या जिनका जन्म रेवती नक्षत्र के तहत हुआ है उन्हें सूर्य ग्रहण से बचकर रहना चाहिए और जितना हो सके आपको इस सूर्य ग्रहण को देखने से भी बचने की सलाह दी जाती है।
सूर्य ग्रहण के दौरान विशेष रूप से सूतक काल के दौरान भगवान शिव, भगवान सूर्य देव या किसी अन्य देवता की पूजा करें, उनके भजन करें, उनके मंत्रों का जाप करें। हालांकि यहां पर भी आपको देवताओं की मूर्तियों को छूने से बचने की सलाह दी जा रही है।
अगर आप गर्भवती हैं या आपके घर में कोई गर्भवती महिला है या कोई बीमार व्यक्ति है तो उसे सूर्य ग्रहण देखने से बचना चाहिए।
सूर्य ग्रहण के दौरान आप सूर्य देव के एक विशेष मंत्र का जाप कर सकते हैं जिससे आपको अनुकूल परिणाम प्राप्त होंगे। मंत्र कुछ इस तरह है “ॐ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्नो: सूर्य: प्रकोदयात्।”
सूर्य ग्रहण के दौरान दूसरों की आलोचना करने और गुस्सा करने से बचें।
अगर आप साधक हैं या किसी मंत्र को सिद्ध करना चाहते हैं तो सूर्य ग्रहण के दौरान उस मंत्र का लगातार जाप करें। इससे आपको शीघ्र ही सफलता प्राप्त होगी।
ग्रहण काल के दौरान किसी भी मंत्र का जाप करने से हजारों गुना फल की प्रति व्यक्ति को हो सकती है।
मेष राशि के जातकों के लिए सूर्य पंचम भाव का स्वामी है और सूर्य ग्रहण के दौरान यह राहु के साथ आपके बारहवें घर में स्थित रहेगा। बारहवाँ घर त्रिक भाव और हानि का घर माना जाता है इसीलिए सूर्य और राहु की युति के चलते इस दौरान आपके जीवन में वित्तीय स्थिरता की कमी देखने को मिल सकती है। आपके जीवन में इस अवधि में अचानक और अप्रत्याशित खर्च बढ़ने वाले हैं या आर्थिक माहौल में अप्रत्याशित बदलाव आपको उठाने पड़ सकते हैं।
स्वाभाविक है कि इससे आपके जीवन में तनाव और चिंता का स्तर बढ़ सकता है। मेष राशि के जातकों को अज्ञात भय से भी पीड़ित होना पड़ सकता है और मानसिक और भावनात्मक तनाव में वृद्धि देखने को मिलने वाली है। इससे परिवार, दोस्तों, सहकर्मियों के साथ आपके रिश्ते थोड़े तनावपूर्ण होने की संभावना है। मुमकिन है कि ऐसा आपके जीवन में लगातार अभिभूत महसूस करने और अपनी भावनाओं और परिस्थितियों से निपट पाने में असमर्थ होने के की वजह से ऐसा हो।
वृषभ राशि
सूर्य वृषभ राशि के चतुर्थ भाव का स्वामी है और अब सूर्य ग्रहण के दौरान यह राहु के साथ आपके ग्यारहवें भाव में मौजूद रहेगा। चौथे घर का स्वामी ग्यारहवें घर में एक अच्छे स्थान में है और 11वें घर में राहु व्यक्ति के जीवन में भाग्य लेकर आता है। जब सूर्य और राहु ग्यारहवें घर में एक साथ मौजूद होते हैं तो इससे वृषभ राशि के जातकों को अपार धन, सफलता और वित्तीय लाभ के संकेत मिल रहे हैं ।
यह युति अचानक अवसर और समृद्धि आपके जीवन में लेकर आएगी। 11वें घर में सूर्य और राहु के चलते करियर में वृद्धि होने की भी प्रबल संभावना बन रही है। इस राशि के जातकों को करियर के मामले में उच्चतम क्षमता तक पहुंच पाने में मदद मिलेगी। आपको पदोन्नति, वेतन वृद्धि भी मिलने की संभावना है। 11वें घर में सूर्य और राहु की युति आपके नेटवर्क में वृद्धि की वजह बनेगी। यह व्यक्ति के लिए फायदेमंद साबित होगी खासकर करियर के संबंध में और वित्तीय जीवन के संदर्भ में।
मिथुन राशि
मिथुन राशि के जातकों के लिए सूर्य तीसरे भाव का स्वामी है और इस ग्रहण के दौरान राहु के साथ आपके दसवें घर में स्थित रहेगा। दसवें घर में राहु का होना शुभ माना जाता है लेकिन इस स्थिति में यह युति मिथुन राशि के जातकों के लिए नकारात्मक परिणाम लेकर आ सकती है। सूर्य का वास्तविक प्रभाव राहु की मायावी प्रकृति के साथ आपके जीवन में संघर्ष की वजह बन सकता है जिससे लोगों को पहुंच से बाहर के लक्ष्य की तलाश करने या सार्वजनिक छवि बनाए रखने में कठिनाइयां उठानी पड़ सकती है। प्रगति के लिए आपको ज्यादा प्रयास, अविश्वसनीय प्रथाओं या स्वीकृति के लिए परिस्थितियों को नियंत्रित करने की प्रवृत्ति आपके अंदर बढ़ सकती है।
कुशल हितों में कल्पना और विकास को सक्रिय करने की क्षमता होने के बावजूद पेशेवर उद्देश्यों से निपटने के लिए उचित तरीके से इस आविष्कारशीलता को संतुलित करने की आवश्यकता आपको पड़ने वाली है। लोगों के अंदर अहंकार और जल्दबाज़ी बढ़ने की आशंका भी नज़र आ रही है क्योंकि राहु आपके मानसिक दृष्टिकोण में सुधार लेकर आएगा जिससे संभवतः कार्यक्षेत्र में आपको रुकावट आदि झेलनी पड़ सकती है।
कर्क राशि
कर्क राशि के जातकों के लिए सूर्य कमाई के दूसरे घर का स्वामी है और अब यह राहु के साथ आपके नवम भाव में स्थित हो जाएगा। इस दौरान कर्क राशि के जातकों के अंदर ढोंग और आंतरिक आत्मा की भावना बढ़ने वाली है जो गहरी समझ की वास्तविकता की खोज में बाधा बन सकती है। नवम घर पर सूर्य राहु की इस युति के प्रभाव से आपके अंदर कठोर या बहुत बौद्धिक मानदंडों की विकृत धारणा भी उत्पन्न हो सकती है जिसे व्यक्ति के लिए समझ हासिल करना बेहद आवश्यक हो जाता है।
इन प्रभावों को कम करने के लिए विनय को बढ़ावा देने के लिए वास्तविक गुरुओं से मार्गदर्शन लेना और अलौकिक गतिविधियों में खुद को लिप्त करना सहायक साबित होगा। ऐसा करने से आप नवम भाव में बनने वाली राहु सूर्य की युति के नकारात्मक प्रभाव भी अपने जीवन से कम कर सकते हैं। पारिवारिक व्यवसाय से जुड़े लोगों को इस अवधि के दौरान ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही आपके जीवन में वित्तीय कठिनाइयों भी खड़ी हो सकती हैं।
सिंह राशि के जातकों के लिए सूर्य प्रथम भाव का स्वामी है और राहु के साथ आपके अष्टम भाव में स्थित होने जा रहा है। आठवां घर जीवन के परिवर्तन और गुप्त रहस्यों से संबंधित माना जाता है। साथ ही यह गंभीर और अभूतपूर्व झगड़ों को भी दर्शाता है। राहु का प्रभाव आमतौर पर इच्छाओं और प्रतिबद्धताओं को बढ़ाने वाला साबित होगा जबकि सूर्य आपके जीवन में स्पष्टता और जागरूकता लेकर आएगा।
राहु सूर्य की यह युति आत्मा निरीक्षण और ज्यादा गहन जानकारी के लिए एक अथक खोज के लिए आपको महत्वपूर्ण प्रेरणा प्रदान करेगी। इसके माध्यम से आपके जीवन में कल्पना, अविष्कार करने का हुनर और रुचि आदि बढ़ने वाली है। इसके बावजूद आपके जीवन में कुछ कठिनाइयां भी खड़ी हो सकती हैं। साथ ही मुमकिन है कि दौरान आपका रहस्य की तरफ झुकाव बढ़े या आप रिश्तों में ज्यादा नियंत्रण के लिए संघर्ष करते नजर आ सकते हैं।
कन्या राशि
कन्या राशि के जातकों के लिए सूर्य बारहवें घर का स्वामी है। अपने इस ग्रहण के दौरान सूर्य राहु के साथ आपके सप्तम भाव में स्थित हो जाएगा। यह युति नकारात्मक प्रभाव आपके जीवन में लेकर आने वाली है जिसके परिणामस्वरूप इस राशि के जातकों को अपने वैवाहिक जीवन में कई तरह के चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। विवाहित जातकों के बीच झगड़े बढ़ने वाले हैं जिससे आपके रिश्ते में दरार भी आ सकती है।
घर का माहौल तनावपूर्ण रहने के चलते भी इस राशि के जातकों को स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां भी होने की आशंका है। ज्यादातर मामलों में इस युति के नकारात्मक प्रभाव के चलते जातकों को अपने रिश्ते में तलाक का सामना भी करना पड़ सकता है। विवाहित जातकों को इन चुनौतियों से पार पाने और एक खुशहाल और स्वस्थ रिश्ता बनाए रखने के लिए इस अवधि में कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता पड़ने वाली है।
तुला राशि
तुला राशि के जातकों के लिए सूर्य 11वें घर का स्वामी है और अब सूर्य का यह गोचर आपके छठे भाव में मीन राशि में होने जा रहा है। यह इस बात के संकेत दे रहा है की तुला राशि के जातकों ने अपने जीवन में कई दुश्मन बना लिए हैं जिससे आपको जीवन में काफी तनाव उठाना पड़ सकता है। आप स्वभाव से स्वार्थी हो सकते हैं, आपके अंदर अहंकार और क्रोध की भावना भी बढ़ने वाली है। इसके अलावा जातकों में आंतरिक आत्मविश्वास की कमी और आंतरिक भय बढ़ने वाला है। इस अवधि में आपके बॉस के साथ आपके रिश्ते खराब हो सकते हैं साथ ही सरकार की तरफ से भी कर संबंधी आपको कुछ परेशानियां मिलने की संभावना है।
इस राशि के जातकों में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ेगी। इस नकारात्मक ऊर्जा के चलते जातक मानसिक तनाव और मनोवैज्ञानिक विकार से ग्रस्त हो सकता है। तुला राशि के जातकों को संतान संबंधित समस्याओं का भी इस अवधि में सामना करना पड़ सकता है। कुछ जातकों को गर्भपात और बच्चे के जन्म में देरी का दुख भी उठाने की आशंका है। मुमकिन है कि आपका बच्चा स्वस्थ ना हो। इसके अलावा इस राशि के जातकों की पत्नी का स्वास्थ्य भी ज्यादा अनुकूल रहने नहीं रहने के संकेत मिल रहे हैं। आपको अपनी पत्नी के इलाज़ में मोटी रकम खर्च करनी पड़ सकती है।
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वृश्चिक राशि
सूर्य और राहु की युति वाले व्यक्ति के जीवन में पितृ दोष होता है। जिसका अर्थ है कि जातकों को पिछले जन्म में किए गए पापों के लिए दंडित किया जा सकता है। ऐसे जातक आसानी से धोखाधड़ी करने वाले और अन्य लोगों को धोखा देने की प्रवृत्ति रखते हैं। ऐसे जातकों का अपने पिता के साथ रिश्ता अनुकूल नहीं होता है। व्यक्ति के पिता का आगे का जीवन भी कठिन होने की आशंका रहती है और ऐसे जातकों के पिता कुछ चिकित्सकीय परेशानियां होती है। सिर्फ इतना ही नहीं खुद जातक को भी तमाम तरह की परेशानियां होती है।
ऐसे जातकों को लीवर और पेट से जुड़ी परेशानियां दिक्कत में डाल सकती हैं। जातकों को गैस्ट्रिक समस्या और हृदय से संबंधित समस्याएं उठानी पड़ सकती हैं। जीवन में कठिनाइयों के चलते व्यक्ति का मानसिक तनाव का स्तर बढ़ने की आशंका है। ऐसे जातक सट्टेबाजी से कमाई करने का विकल्प चुन सकते हैं। ऐसे जातकों को सरकार के साथ कर संबंधित मुद्दों के चलते परेशानियां उठाने की आशंका है। व्यक्ति का स्वभाव आक्रामक और गुस्सैल होने की भी आशंका रहती है। व्यक्ति दूसरों की राय आसानी से समझ भी नहीं पाता है।
धनु राशि
ऐसे जातकों के घरेलू सुख में कमी देखने को मिलने की आशंका है। परिवार और सदस्यों के साथ आपके अक्सर झगड़ा होने वाले हैं। जातकों की माता को स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। धनु राशि के जातकों के अपने माता-पिता के साथ रिश्ते अनुकूल नहीं बनते हैं। पिता को परिवार में रहने में कठिनाइयां उठानी पड़ सकती हैं। मुमकिन है कि जातकों और उनके माता-पिता का अलगाव हो चुका हो।
व्यक्ति स्वभाव से स्वार्थी और दुष्ट हो सकते हैं। ऐसे जातक धोखाधड़ी और दूसरों के साथ छल कपट करने में माहिर होते हैं। जातक अहंकारी होते हैं और स्वभाव में क्रोधी होते हैं। ऐसे व्यक्तियों का आत्मविश्वास बहुत ही कम होता है और वह हमेशा खुद को दूसरे लोगों के सामने अभिव्यक्त करने में सफल नहीं होते हैं। व्यक्ति को जीवन में बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ऐसे जातकों का अपने बॉस और अधिकारियों के साथ रिश्ता काफी खराब होता है।
मकर राशि
मकर राशि के जातकों के तीसरे घर में सूर्य और राहु की यह युति होने वाली है जो बिल्कुल भी अनुकूल संकेत नहीं दे रही है। यह संयोजन मकर राशि के जातकों को अपने जीवन में तमाम सफलताओं को प्राप्त करने से रोकने की वजह बनेगा। सूर्य ग्रहण के दौरान आप चीजों को पूरा करने में अपने प्रयासों में गिरावट भी महसूस कर सकते हैं। व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास की कमी और आंतरिक भय बढ़ने वाला है। आपको वरिष्ठों से भी परेशानी उठानी पड़ सकती है और आपके साथ उनके रिश्ते अनुकूल नहीं रहेंगे। इसके अलावा भाई बहनों के साथ भी रिश्ते कुछ खास अनुकूल नहीं रहने वाले हैं। आपको इस दौरान समझ की कमी अपने भाई बहनों के साथ उठानी पड़ सकती है।
धनु राशि के जातकों के भाई बहनों का स्वास्थ्य भी इस दौरान कमजोर रहने वाला है। पिता के साथ भी रिश्ते पर नकारात्मक असर पड़ने की आशंका है। मुमकिन है कि व्यक्ति अपने पिता से अलग हो चुके हैं। जातकों के माता-पिता का स्वास्थ्य परेशानी की वजह बनेगा। ऐसे जातक कठोर निर्णय लेने में असक्षम रहने वाले हैं। जातकों को धोखाधड़ी और छल कपट करने की लत लगने की आशंका है। ऐसे जातक जोड़-तोड़ करने वाले हो सकते हैं और आप अपने लाभ के लिए लोगों को गलत चीजों पर विश्वास करने के लिए भी प्रेरित कर सकते हैं। इस दौरान आपका स्वभाव काफी स्वार्थी नजर आने वाला है।
कुंभ राशि
कुंभ राशि के जातकों के लिए सूर्य और राहु का यह संयोजन आपके दूसरे भाव में होने जा रहा है। दूसरा भाव धन, प्रवचन और परिवार से संबंधित माना जाता है। राहु आम तौर पर इच्छाओं और प्रतिबद्धताओं को बढ़ाने वाला साबित होगा जबकि सूर्य आत्म अभिव्यक्ति और अधिकार को संबोधित करता है। यह युति आपके जीवन में वित्तीय कठिनाइयों की वजह बनेगी क्योंकि राहु धोखे देने के लिए आपको प्रेरित कर सकता है और सूर्य आंतरिक आत्म संघर्ष आपके जीवन में ला सकता है।
इस राशि के जातकों को परिसंपत्तियों की चतुराई से देखरेख करने में कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि आप जल्दबाजी में कोई वित्तीय फैसले लेकर अपने आपको इन परेशानियों में फँसाने की क्षमता इस अवधि में रखने वाले हैं। गलत बयान बाजी या दोहरे व्यवहार की प्रवृत्ति के चलते भी आपके जीवन में प्रतिकूल परिणाम पड़ने की संभावना है। जातकों को व्यक्तिगत गुणों को समायोजित करने के लिए परेशानियां उठानी पड़ेगी और व्यवहार के अहंकारी तरीकों के चलते परिवार के अंदर तनाव बढ़ने की भी आशंका है।
मीन राशि
मीन राशि के जातक इस अवधि में स्वार्थी और गुस्सैल हो सकते हैं। व्यक्ति दूसरों पर अपना गुस्सा दिखाने वाले साबित होंगे और आपको अपनी गलतियों के लिए दंडित भी किया जाएगा। ऐसे जातक भरोसेमंद नहीं होंगे। जातक दिल से कुटिल नजर आ सकते हैं और लोगों के साथ धोखाधड़ी की प्रवृत्ति रख सकते हैं। जातकों में काम के प्रति धैर्य की कमी देखने को मिलेगी। व्यक्ति को अपने जीवन में कई तरह की बाधाओं और संघर्षों का सामना करना पड़ेगा।
जातकों और उनके पिता एक दूसरे के प्रति अनुकूल व्यवहार नहीं रखेंगे मुमकिन है कि आप अपने पिता से अलग हो चुके हों या ऐसा भी हो सकता है कि पिता में अब लंबी जिंदगी जीने की शक्ति बची ही ना हो। आपके अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता में गिरावट देखने को मिलेगी जिसके चलते आपका स्वास्थ्य कमजोर रहने वाला है। ऐसे जातक बार-बार बीमार पड़ेंगे और बुखार या फिर पेट की समस्याओं से पीड़ित नजर आएंगे। व्यक्ति को दृष्टि संबंधित परेशानियां भी होने की आशंका है। आपको हड्डियों और मुंह से जुड़ी परेशानी भी इस दौरान हो सकती है।
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साप्ताहिक राशिफल (08 अप्रैल से 14 अप्रैल, 2024): कैसा रहेगा ये सप्ताह आपके लिए?
साप्ताहिक राशिफल 08 अप्रैल से 14 अप्रैल 2024: एस्ट्रोसेज का यह ब्लॉग आपके लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है जिसमें आपको साप्ताहिक राशिफल 08 अप्रैल से 14 अप्रैल, 2024 की जानकारी प्राप्त होगी। इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे कि अप्रैल का यह सप्ताह राशि चक्र की 12 राशियों के लिए कैसे परिणाम लेकर आएगा। साथ ही, इस राशिफल की मदद से कैसे आप इस सप्ताह को बेहतर बना सकते हैं, तो आइए बिना देर किये शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की।
साप्ताहिक राशिफल 08 अप्रैल से 14 अप्रैल, 2024: राशि अनुसार राशिफल और उपाय
मेष राशि
सप्ताह के शुरुआती हिस्से अर्थात 8 और 9 अप्रैल के बीच की अवधि में परिणाम कुछ कमज़ोर रह सकते हैं। हालांकि दूर की यात्राओं के लिए समय अनुकूल रहेगा, लेकिन फिर भी इस दौरान हर तरह के रिस्क से बचें।
सप्ताह का मध्य भाग अर्थात 10 अप्रैल से लेकर 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट के बीच का समय अच्छे परिणाम देने का संकेत कर रहा है। हालांकि, चंद्रमा पर शनि की दृष्टि कुछ कामों में समस्याएं दे सकती हैं, लेकिन बृहस्पति की कृपा से हर क्षेत्र में देर से ही सफलता मिलने के योग बन रहे हैं।
इसके अलावा 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट से लेकर 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 के मध्य परिणाम काफ़ी हद तक अनुकूल रह सकते हैं। विशेषकर घर-परिवार से जुड़े मामलों में अच्छी अनुकूलता देखने को मिल सकती है।
वहीं सप्ताहांत अर्थात 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से लेकर 14 अप्रैल तक की अवधि भी आपको अच्छे परिणाम देने का संकेत कर रही है। कहीं से कोई अच्छी खबर भी मिल सकती है।
उपाय: पीपल के पेड़ पर नियमित रूप से जल चढ़ाएं।
वृषभ राशि
सप्ताह के शुरुआती हिस्से अर्थात 8 और 9 अप्रैल के बीच की अवधि में आपको काफ़ी अनुकूल परिणाम मिल सकते हैं। आपका साहस और आपका आत्मविश्वास अधिकांश मामलों में अच्छी उपलब्धियां दिलवाएगा।
सप्ताह का मध्य भाग अर्थात 10 अप्रैल से लेकर 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट के बीच का समय कुछ हद तक कमज़ोर रह सकता है। हालांकि, बृहस्पति की कृपा से कोई बड़ा नुकसान नहीं होगा, लेकिन फिर भी यदि सावधानी के साथ काम करेंगे तो ज्यादा अच्छा रहेगा।
इसके अलावा 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट से लेकर 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 के मध्य आपको काफ़ी अच्छे परिणाम मिलने की संभावनाएं हैं। न केवल आपके स्वयं का पराक्रम बल्कि सहयोगियों का सहयोग भी आपको विभिन्न मामलों में सफलता दिला सकता है।
वहीं, सप्ताहांत अर्थात 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से लेकर 14 अप्रैल तक की अवधि आपको मिले-जुले परिणाम दे सकती है जिसमें सकारात्मकता का लेवल अधिक रह सकता है। रुचिकर भोजन और परिजनों के साथ आनंद लेने का मौका मिल सकता है।
सप्ताह के शुरुआती हिस्से अर्थात 8 और 9 अप्रैल के बीच की अवधि में सामान्य तौर पर आपको अनुकूल परिणाम मिल सकते हैं। इस दौरान कामों में सफलता मिलने की अच्छी उम्मीदें हैं, लेकिन एक साथ कई कामों को करने का रिस्क नहीं लेंगे तो ज्यादा अच्छा रहेगा।
सप्ताह का मध्य भाग अर्थात 10 अप्रैल से लेकर 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट के बीच का समय भी अच्छे परिणाम देता हुआ प्रतीत हो रहा है। विशेषकर आर्थिक मामले में इस अवधि में आपको काफ़ी अच्छे परिणाम मिल सकते हैं।
इसके अलावा 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट से लेकर 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 के मध्य का समय कुछ हद तक खर्चों से भरा रह सकता है। इस दौरान भागदौड़ की अधिकता भी रह सकती है। बेहतर होगा कि इस समय किसी भी प्रकार का जोखिम न उठाएं।
वहीं, सप्ताहांत अर्थात 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से लेकर 14 अप्रैल तक की अवधि अनुकूलता के ग्राफ को बढ़ाने का काम कर सकती है। आप आर्थिक और पारिवारिक मामले में काफ़ी अच्छा कर सकते हैं।
उपाय: माता-पिता और गुरुजनों का सम्मान करें।
कर्क राशि
सप्ताह के शुरुआती हिस्से अर्थात 8 और 9 अप्रैल के बीच की अवधि में परिणाम मिले-जुले रह सकते हैं। लेकिन, मन में बढ़ रहे अध्यात्म के भाव सकारात्मक दिशा में आगे ले जाने का काम कर सकते हैं।
सप्ताह का मध्य भाग अर्थात 10 अप्रैल से लेकर 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट के बीच का समय सामान्य तौर पर अधिकांश मामलों में अच्छे परिणाम देता हुआ प्रतीत हो रहा है। शिक्षा, कार्यक्षेत्र और सामाजिक जीवन में विशेष अनुकूलता देखने को मिल सकती है।
इसके अलावा 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट से लेकर 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 के मध्य उच्च का चंद्रमा आपको विभिन्न मामलों में लाभान्वित कर सकता है। मन प्रसन्न रहेगा और उपलब्धियां भी मिल सकती हैं।
वहीं सप्ताहांत अर्थात 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से लेकर 14 अप्रैल तक की अवधि कुछ हद तक कमज़ोर रह सकती है। इस दौरान न केवल अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखना होगा, बल्कि बेकार के खर्चों से भी बचना जरूरी रहेगा।
उपाय: नियमित रूप से मंदिर जाना शुभ रहेगा।
सिंह राशि
सप्ताह के शुरुआती हिस्से अर्थात 8 और 9 अप्रैल के बीच की अवधि में परिणाम कमज़ोर रह सकते हैं। अत: इस दौरान किसी भी प्रकार का जोखिम उठाना ठीक नहीं रहेगा। कर्म करते रहिए, हो सकता है कुछ अप्रत्याशित लाभ भी मिल जाएं।
सप्ताह का मध्य भाग अर्थात 10 अप्रैल से लेकर 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट के बीच का समय तुलनात्मक रूप से बेहतर परिणाम दे सकता है। दूर की यात्राएं विशेषकर धार्मिक यात्राएं भी इस अवधि में संभव हैं। नई योजनाओं पर विचार भी करेंगे।
इसके अलावा 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट से लेकर 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 के मध्य आपको अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। विशेषकर यदि आपका काम विदेश या दूर के स्थान से जुड़ा हुआ है अथवा आप किसी तरह का क्रिएटिव काम करते हैं तो आप काफ़ी शानदार कर सकेंगे।
वहीं, सप्ताहांत अर्थात 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से लेकर 14 अप्रैल तक की अवधि आपको विभिन्न प्रकार से लाभ दिलाने में मददगार बन सकती है। विशेषकर आर्थिक उपलब्धियों के लिए यह अवधि काफ़ी अच्छी कही जाएगी।
सप्ताह के शुरुआती हिस्से अर्थात 8 और 9 अप्रैल के बीच की अवधि में परिणाम सामान्य तौर पर आपके फेवर में रह सकते हैं। लाभ भाव का स्वामी सप्तम भाव में रहकर आपके व्यापार-व्यवसाय या दैनिक कामों में मददगार बन सकता है।
सप्ताह का मध्य भाग अर्थात 10 अप्रैल से लेकर 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट के बीच का समय कुछ हद तक कमज़ोर परिणाम दे सकता है। अतः इस समय किसी भी तरह के जोखिम भरे हुए कामों से बचना समझदारी का काम होगा।
इसके अलावा, 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट से लेकर 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 के मध्य परिणाम धीरे-धीरे आपकी फेवर में आने शुरू होंगे। पुरानी समस्याएं दूर होंगी और आप नई योजनाओं पर नए उत्साह के साथ लग सकते हैं।
वहीं, सप्ताहांत अर्थात 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से लेकर 14 अप्रैल तक की अवधि आपको काफ़ी अच्छे परिणाम दे सकती है। लाभ भाव के स्वामी का कर्म भाव में होना ऐसे कामों को संपन्न करवाने में मददगार बनेगा जिन कामों से आपको अच्छा खासा लाभ हो सकता है।
उपाय: कन्याओं का पूजन करके उनका आशीर्वाद लें।
तुला राशि
सप्ताह के शुरुआती हिस्से अर्थात 8 और 9 अप्रैल के बीच की अवधि में सामान्य तौर पर आप अनुकूल परिणाम प्राप्त कर सकेंगे। नौकरीपेशा लोग अपने टारगेट को आसानी से एचीव करके सहकर्मियों के बीच में चर्चा का विषय बन सकते हैं।
सप्ताह का मध्य भाग अर्थात 10 अप्रैल से लेकर 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट के बीच का समय कार्य-व्यापार की दृष्टिकोण से अच्छा प्रतीत हो रहा है। साथ ही, निजी संबंधों विशेषकर दांपत्य जीवन के लिए भी अनुकूल रह सकता है।
इसके अलावा, 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट से लेकर 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 के मध्य परिणाम मिले-जुले रह सकते हैं। लेकिन, परिणाम को लेकर अधिक आशान्वित होना उचित नहीं रहेगा। भले ही चंद्रमा उच्च का रहेगा लेकिन आठवें भाव में इसे अनुकूल नहीं कहा गया है। अतः हर मामले में सावधानी बरतनी होगी।
वहीं, सप्ताहांत अर्थात 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से लेकर 14 अप्रैल तक की अवधि आपकी समस्याओं और कठिनाइयों को दूर करने में मददगार बन सकती है। ईश्वर के प्रति आस्था में भी बढ़ोतरी होगी।
उपाय: श्रद्धापूर्वक बुजुर्गों की सेवा करना और उनका आशीर्वाद लेना शुभ रहेगा।
वृश्चिक राशि
सप्ताह के शुरुआती हिस्से अर्थात 8 और 9 अप्रैल के बीच की अवधि में परिणाम मिले-जुले रह सकते हैं। उस पर भी सकारात्मक का ग्राफ अधिक रह सकता है। आप अपनी लव लाइफ तथा स्टूडेंट लाइफ में बेहतर करते हुए देखे जाएंगे।
सप्ताह का मध्य भाग अर्थात 10 अप्रैल से लेकर 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट के बीच का समय सामान्य तौर पर अनुकूल परिणाम देता हुआ प्रतीत हो रहा है। विशेषकर प्रतिस्पर्धात्मक कार्यों में आप काफ़ी अच्छा कर सकते हैं। नौकरी आदि से जुड़े मामलों में भी अनुकूलता मिल सकती है।
इसके अलावा 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट से लेकर 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 के मध्य आप अपने कार्य-व्यापार में काफ़ी अच्छा कर सकेंगे। निजी संबंधों और वैवाहिक जीवन में भी अनुकूलता देखने को मिलेगी।
वहीं सप्ताहांत अर्थात 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से लेकर 14 अप्रैल तक की अवधि कमज़ोर परिणाम दे सकती है। अत: इस समय किसी भी काम में जल्दबाजी उचित नहीं रहेगी। बेहतर होगा कि कोई भी फैसला लेने से बचें। धर्म-कर्म के लिए समय निकालने की सलाह दी जाती है।
उपाय: किसी पूर्वज के निमित्त यथा सामर्थ्य गरीबों को भोजन करवाएं।
धनु राशि
सप्ताह के शुरुआती हिस्से अर्थात 8 और 9 अप्रैल के बीच की अवधि में परिणाम कमज़ोर रह सकते हैं। आठवें भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में होकर कुछ चिंता देने का काम कर सकता है। इस दौरान घर-गृहस्थी से जुड़े बड़े निर्णयों को कुछ समय के लिए टाल दें।
सप्ताह का मध्य भाग अर्थात 10 अप्रैल से लेकर 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट के बीच का समय तुलनात्मक रूप से बेहतर परिणाम दे सकता है। विद्यार्थीगण इस अवधि में मेहनत करके अपनी इच्छा के अनुरूप परिणाम प्राप्त कर सकेंगे। वहीं प्रेम संबंधों में भी तुलनात्मक रूप से बेहतर अनुकूलता देखने को मिल सकती है।
इसके अलावा 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट से लेकर 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 के मध्य परिणाम काफ़ी अच्छे रह सकते हैं। इस दौरान आप कठिन कामों को भी आसानी से करने में सक्षम होंगे।
सप्ताहांत अर्थात 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से लेकर 14 अप्रैल तक की अवधि काफ़ी हद तक अनुकूल परिणाम दे सकती है। विशेषकर व्यापार-व्यवसाय से जुड़े मामलों में आप अच्छा कर सकते हैं। साझेदारी के कामों में भी अनुकूल परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
उपाय: मंदिर जाकर भगवान के चरणों में दंडवत प्रणाम करें।
मकर राशि
सप्ताह के शुरुआती हिस्से अर्थात 8 और 9 अप्रैल के बीच की अवधि में परिणाम में अनुकूल रह सकते हैं। यदि आपका काम यात्राओं से जुड़ा हुआ है तो आप काफ़ी अच्छे परिणाम प्राप्त कर सकेंगे। कहीं से कोई अच्छी खबर भी सुनने को मिल सकती है।
सप्ताह का मध्य भाग अर्थात 10 अप्रैल से लेकर 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट के बीच का समय थोड़ा कमज़ोर रहेगा। इस दौरान घर-गृहस्थी को लेकर कुछ चिंताएं रह सकती हैं। हालांकि ध्यान, योग और मेडिटेशन इत्यादि करने की स्थिति में आप प्रसन्न रह सकेंगे।
इसके अलावा 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट से लेकर 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 के मध्य परिणाम काफ़ी हद तक अनुकूल रह सकते हैं। विशेषकर प्रेम प्रसंग से जुड़े मामलों में अच्छी खासी अनुकूलता देखने को मिल सकती है। प्रेम विवाह के इच्छुक लोगों को इस अवधि में कुछ बड़े निर्णय लेने का अवसर मिल सकता है।
वहीं सप्ताहांत अर्थात 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से लेकर 14 अप्रैल तक की अवधि सामान्य तौर पर अनुकूल परिणाम देना चाह रही है। खासकर नौकरी आदि से जुड़े मामलों में आप काफ़ी अच्छे परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।
उपाय: अपनी कमाई से माता को वस्त्र खरीदकर भेंट करें।
कुंभ राशि
सप्ताह के शुरुआती हिस्से अर्थात 8 और 9 अप्रैल के बीच की अवधि में परिणाम मिले-जुले रह सकते हैं। हालांकि, यदि आप कहीं से लोन इत्यादि लेने के प्रयास में हैं तो इस दौरान आपको सफलता मिल सकती है। घर-परिवार से जुड़े मामलों में भी सकारात्मकता देखने को मिल सकती है।
सप्ताह का मध्य भाग अर्थात 10 अप्रैल से लेकर 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट के बीच का समय आपको फेवर के परिणाम दे सकता है। इस समय आपका आत्मविश्वास आपको विभिन्न मामलों में सफलता दिलाने का काम कर सकता है। आपके सहयोगी निष्ठापूर्वक आपके सहयोग में तत्पर रह सकते हैं।
इसके अलावा 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट से लेकर 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 के मध्य परिणाम थोड़े से कमज़ोर रह सकते हैं। हालांकि उच्च का चंद्रमा कोई बड़ा नुकसान नहीं करेगा फिर भी मन में किसी बात को लेकर थोड़ी चिंता रह सकती है।
वहीं, सप्ताहांत अर्थात 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से लेकर 14 अप्रैल तक की अवधि तुलनात्मक रूप से बेहतर परिणाम दे सकती है। विशेषकर विद्यार्थीगण इस समय काफ़ी अच्छा कर सकते हैं। कला और साहित्य के क्षेत्र से जुड़े हुए लोग भी अच्छे परिणाम प्राप्त कर सकेंगे।
उपाय: दादाजी या किसी बुजुर्ग के साथ मंदिर जाकर वहां पर उनका आशीर्वाद लें।
मीन राशि
सप्ताह के शुरुआती हिस्से अर्थात 8 और 9 अप्रैल के बीच की अवधि में परिणाम सामान्य तौर पर आपके फेवर में रह सकते हैं। निजी संबंधों में भी अच्छी अनुकूलता देखने को मिल सकती है।
सप्ताह का मध्य भाग अर्थात 10 अप्रैल से लेकर 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट के बीच का समय मिले-जुले परिणाम दे सकता है। इस अवधि में वाणी पर संयम रखकर कुछ महत्वपूर्ण कामों को संपन्न भी करवाया जा सकेगा। यद्यपि मनपसंद भोजन करने के मौके मिलेंगे। लेकिन अपनी शारीरिक प्रकृति को ध्यान में रखते हुए खानपान रखें।
इसके अलावा, 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट से लेकर 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 के मध्य परिणाम काफ़ी अच्छे रह सकते हैं। इस दौरान की गई यात्राएं काफ़ी फायदेमंद रह सकती हैं। यह समय प्रियजनों से मिलन करवाने में भी सहायक बन सकता है।
वहीं सप्ताहांत अर्थात 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से लेकर 14 अप्रैल तक की अवधि कुछ हद तक कमज़ोर रह सकती है। मन में दुविधा के भाव रह सकते हैं और किसी बात को लेकर चिंताएं भी रह सकती हैं। अतः इस दौरान महत्वपूर्ण निर्णयों को टालना ही समझदारी का काम होगा।
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ग्रहों के राजकुमार बनाएंगे केंद्र त्रिकोण राजयोग, इन 3 राशियों पर होगी छप्पर फाड़ पैसों की बरसात!
केंद्र त्रिकोण राजयोग 2024: वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह को नवग्रहों के राजकुमार का दर्जा प्राप्त है। यह सभी ग्रहों में सबसे तेज़ गति से चलते हैं इसलिए यह जल्दी-जल्दी गोचर करते हैं। हालांकि, बुध एक निश्चित अंतराल के बाद एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। जब-जब बुद्धि और तर्क के कारक ग्रह बुध अपनी राशि बदलते हैं, तो इसका प्रभाव राशि चक्र की हर राशि के साथ-साथ संसार पर भी पड़ता है। अब यह जल्द ही एक बेहद शुभ योग केंद्र त्रिकोण राजयोग का निर्माण करने जा रहे हैं। एस्ट्रोसेज के इस ब्लॉग में आपको इस राजयोग से जुड़ी समस्त जानकारी प्राप्त होगी। साथ ही जानेंगे, किन राशियों के लिए यह योग वरदान साबित होग। आइए अब बिना देर किये शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की।
मेष राशि में बुध करेंगे केंद्र त्रिकोण राजयोग का निर्माण
बता दें कि ज्योतिष के अनुसार, वर्तमान समय में बुध महाराज मेष राशि में स्थित हैं और वह इस
राशि में 09 अप्रैल 2024 की रात 10 बजकर 26 मिनट तक रहेंगे। ऐसे में, बुध के मेष राशि में होने से केंद्र त्रिकोण राजयोग का निर्माण होने जा रहा है। मंगल की राशि मेष में बुध लग्न भाव में उपस्थित होंगे और वह मकर राशि के चौथे भाव यानी कि केंद्र भाव में रहेंगे। इसके परिणामस्वरूप, केंद्र त्रिकोण राजयोग बन रहा है जिसका अंत 09 अप्रैल को हो जाएगा। चलिए अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं किन राशियों को मिलेंगे केंद्र त्रिकोण राजयोग से शुभ परिणाम।
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
इन 3 राशियों के लिए वरदान साबित होगा केंद्र त्रिकोण राजयोग
वृषभ राशि
वृषभ राशि वालों के बारहवें भाव में केंद्र त्रिकोण राजयोग बनने जा रहा है। इसके फलस्वरूप, इन जातकों को अपार लाभ मिलेगा और यह प्रत्येक क्षेत्र में अपार सफलता प्राप्त करेंगे। लंबे समय से रुके हुए काम अब बन लगेंगे। साथ ही, धन-धान्य में भी वृद्धि होगी। जो लोग विदेश में व्यापार करते हैं या फिर कोई नया निवेश करने के बारे में सोच रहे हैं, उनके लिए यह समय फलदायी रहेगा। समाज में आपका मान-सम्मान बढ़ेगा और आपको परिवार के साथ समय बिताने के मौके मिलेंगे। कोर्ट-कचहरी से जुड़े मामले आपके पक्ष में रहेंगे।
कन्या राशि
कन्या राशि के जातकों के नौवें भाव में केंद्र त्रिकोण राजयोग का निर्माण हो रहा है। यह राजयोग इन जातकों के लिए खुशियां ही खुशियां लेकर आएगा। इन्हें करियर और बिजनेस के क्षेत्र में अपार सफलता की प्राप्ति होगी और आपको अच्छा ख़ासा धन लाभ होगा। जिन जातकों पर कर्ज हैं, उन्हें इसे छुटकारा मिलेगा। आय के नए स्तोत्र प्राप्त होंगे। आपका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। आपका संचार कौशल भी शानदार रहेगा जिसके बल पर आप जीवन में सफलता हासिल करेंगे।
केंद्र त्रिकोण राजयोग तुला राशि वालों के लिए भी शुभ रहेगा। आप व्यापार में कोई बड़ी डील कर सकते हैं और ऐसे में, आप अच्छा लाभ प्राप्त करेंगे। इन जातकों को हर कदम पर भाग्य का साथ मिलेगा। आपकी धन-संपत्ति में वृद्धि होगी और आपके सभी रुके हुए काम बनेंगे। जो लोग विवाह योग्य हैं, उनके लिए शादी का प्रस्ताव आ सकता है। इस दौरान भविष्य से जुड़ा आप कोई बड़ा फैसला लेते हुए दिखाई दे सकते हैं। आपका प्रेम जीवन भी अच्छा रहेगा और आप एक-दूसरे को समझने में सक्षम होंगे।
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चैत्र अमावस्या 2024: भूतों से है इस अमावस्या का संबंध, जानें नकारात्मक शक्तियों से बचने के उपाय!
एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको चैत्र अमावस्या 2024 के बारे में बताएंगे और साथ ही इस बारे में भी चर्चा करेंगे कि इस दिन किस प्रकार के उपाय करने चाहिए ताकि आप इन उपायों को अपनाकर नकारात्मकता से बच सके। तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि विस्तार से चैत्र अमावस्या के बारे में।
हर महीने के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या कहलाती है। प्रत्येक वर्ष में 12 अमावस्या पड़ती हैं, जो 12 महीने में पड़ती है और इन सभी अमावस्या का अपना विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र अमावस्या हिंदू वर्ष का अंतिम दिन होता है। चैत्र अमावस्या को सनातन धर्म में बहुत ही शुभ दिन माना जाता है। यह अमावस्या मार्च आखिरी या अप्रैल की शुरुआत में आती है। चैत्र माह में पड़ने वाली अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन लोग धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियां करने से जातक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस दिन स्नान, दान जैसे चीज़े करने का बहुत अधिक महत्व है। तो आइए किसी कड़ी में आगे बढ़ते हैं और बिना देरी किए जानते हैं चैत्र अमावस्या की तिथि, शुभ मुहूर्त व इस दिन किए जाने वाले उपाय और भी बहुत कुछ।
चैत्र अमावस्या 2024: तिथि व समय
पितरों की पूजा के लिए फलदायी मानी जाने वाली चैत्र अमावस्या इस साल 08 अप्रैल 2024, दिन सोमवार को पड़ेगी।
अमावस्या आरम्भ : अप्रैल 8, 2024 की मध्यरात्रि 03 बजकर 23 मिनट से
अमावस्या समाप्त : अप्रैल 8, 2024 की रात 11 बजकर 52 मिनट तक।
उदया तिथि में होने की वजह से यह 08 अप्रैल को ही मनाई जाएगी।
ऐसा माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति चैत्र अमावस्या के दिन पितरों की शांति के लिए उपाय करता है तो उसे समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है और समस्याओं के समाधान के मार्ग भी खुलते हैं। इस दिन लोग कौवे, गाय, कुत्ते और यहां तक कि गरीब व जरूरतमंद लोगों को भी भोजन कराते हैं व दान देते हैं। गरुड़ पुराण में इस बात का जिक्र किया गया है, अमावस्या वाले दिन पूर्वज अपने वंशजों के यहां जाते हैं इसलिए इस दिन दान पुण्य का महत्व अधिक होता है। चैत्र अमावस्या का व्रत सनातन धर्म में सबसे लोकप्रिय और अधिक महत्वपूर्ण होता है। भक्त अमावस्या व्रत या उपवास सुबह शुरू करते हैं और प्रतिपदा को चंद्रमा के दर्शन होने तक समाप्त करते हैं। ऐसा माना जाता है कि व्रत करने से पितृ दोष से छुटकारा पाया जा सकता है।
चैत्र अमावस्या क्यों कहलाती है भूतड़ी अमावस्या
अलग-अलग माह और विशेष दिनों में पड़ने के कारण अमावस्या को भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है। चैत्र अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इसे भूतड़ी अमावस्या क्यों कहा जाता है यह प्रश्न हर किसी के मन में जरूर होगा। दरअसल भूत का अर्थ है नकारात्मक शक्तियां। माना जाता है कि कुछ अतृप्त आत्माएं अपनी अधूरी इच्छाएं पूरी करने के लिए जीवित लोगों पर अपना अधिकार जमाने का प्रयास करती हैं। इस दौरान आत्माएं या नकारात्मक शक्तियां व ऊर्जाएं उग्र हो जाती है। आत्माओं की इसी उग्रता को शांत करने के लिए चैत्र अमावस्या यानी भूतड़ी अमावस्या पर नदी स्नान करने का महत्व बताया गया है इसलिए इस अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या भी कहा जाता है।
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चैत्र अमावस्या की पूजा विधि
चैत्र अमावस्या के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर घर के सभी कार्यों जैसे- साफ-सफाई आदि को निपटा लें। उसके बाद स्नान करें।
यदि संभव हो तो इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करें या घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें और व्रत का संकल्प लें।
इसके बाद गंगाजल डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
यदि संभव हो तो इस दिन व्रत व उपवास रखें। ऐसा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
इस दिन पितर संबंधित कार्य करने चाहिए। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पितरों के निमित्त तर्पण और दान करें।
इस दिन अपने इष्ट देव व भगवान का ज्यादा से ज्यादा ध्यान करें।
चैत्र अमावस्या पर ये कार्य जरूर करें
चैत्र अमावस्या के दिन दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन दान-पुण्य करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और इस दिन पितरों की शांति के लिए व्रत भी करना शुभ माना जाता है।
यदि इस दिन किसी गरीब या जरूरतमंद को भोजन अवश्य कराएं। ऐसा करने से आप के लिए फलदायी साबित होगा।
इस दिन प्रातः जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें कौर सूर्य को अर्घ्य दें। साथ ही पितरों का तर्पण करें।
गरीबों व जरूरतमंदों को उनकी जरूरतों का सामान दान करें।
इस दिन तिल के तेल का पितरों के नाम का दीपक मुख्य द्वार पर जरूर जलाएं और उनकी शांति के लिए प्रार्थना करें।
चैत्र अमावस्या पर पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और सात या 11 बार परिक्रमा करें।
चैत्र अमावस्या के दिन दान करने से पाप का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं भूतड़ी अमावस्या के दिन किन चीजों का दान करना शुभ माना जाता है।
इस दिन जरूरतमंदों व गरीबों को सरसों के तेल का दान करना चाहिए। ऐसा करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है और साथ ही, जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।
चैत्र अमावस्या पर आप जल का दान कर सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जल के दान से अशुभ ग्रहों का प्रभाव कम होता है।
इस अमावस्या के दिन स्नान करने के बाद ब्राह्मण को पितरों के निमित्त अनाज का दान करना चाहिए।
यदि आप इस दिन गाय के दूध का दान करते हैं तो इससे आपके पितरों की तृप्ति होती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्त होती है। साथ ही, वे आपको आशीर्वाद देते हैं।
इस दिन शक्कर या गुड़ का दान करना चाहिए।
इस पावन दिन सभी चीजों के दान के साथ पितरों का जल से तर्पण देने के बाद कर्मकांडी ब्राह्मण को दान में दक्षिणा अपनी श्रद्धा अनुसार देना चाहिए।
इसके अलावा, इस अमावस्या के दिन जरूरतमंद लोगों को भोजन, वस्त्र, और अन्य चीज़ों का दान करना चाहिए। ऐसा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
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नकारात्मक शक्तियों को कम करने के लिए इस दिन करें ये ख़ास उपाय
चैत्र यानी भूतड़ी अमावस्या पर कुछ नकारात्मक शक्तियां एकदम से जागृत हो जाती है। ऐसे में, इन शक्तियों को कम करने के लिए कुछ उपायों को अपना लेना चाहिए। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में।
गंगाजल से स्नान करें
चैत्र या भूतड़ी अमावस्या पर बुरी शक्तियों को दूर रखने के लिए स्नान करना चाहिए। इसके बाद भगवान शिव को समर्पित महामृत्युंजय मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से बुरी आत्माएं व नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
भगवान हनुमान व भगवान शिव की पूजा करें
साल 2024 में भूतड़ी अमावस्या सोमवार के दिन है। ऐसे में, इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ हनुमान जी की भी आराधना करनी चाहिए। साथ ही, शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाकर शिव स्तोत्र का पाठ करें। इसके अलावा, हनुमान चालीसा का पाठ भी करें। ऐसा करने से भूत-बाधा से जुड़ा संकट खत्म हो जाता है।
शास्त्रों के अनुसार, मां दुर्गा के आशीर्वाद से सभी प्रकार की प्रेत-बाधाएं दूर हो जाती हैं इसलिए चैत्र अमावस्या के दिन संध्या काल में दीपक जलाकर कम से कम 108 बार प्रभावशाली मंत्र ‘ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’ का जाप जरूर करें।
कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए
यदि आप चैत्र अमावस्या के दिन किसी नए काम को शुरू कर रहे हैं या कुछ शुभ काम करने के लिए घर से निकल रहे हैं तो एक नींबू में चार लौंग लगा लें और 21 बार ‘ॐ हनुमते नमः’ बीज मंत्र जाप करें। फिर इसे एक साफ और शुद्ध लाल रंग के वस्त्र में बांध लें। ऐसा करने से काम में आने वाली तमाम बाधाएं दूर हो जाती हैं और कार्य में सफलता प्राप्त होती है।
गाय को रोटी खिलाएं
चैत्र अमावस्या के दिन आप गाय को घी और गुड़ लगी हुई रोटी खिलाएं। मान्यता है कि ऐसा करने से आपके पितरों को शांति मिल सकती है। यदि आप मृत पूर्वजों का नाम लेकर गाय को रोटी खिलाते हैं तो आपके लिए ज्यादा लाभकारी साबित होगा।
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साप्ताहिक राशिफल (01 से 07 अप्रैल, 2024): अप्रैल का पहला सप्ताह- इन 5 राशियों के जीवन के लिए रहेगा सुखद!
अप्रैल का महीना शुरू होने वाला है। ऐसे में हर बार की तरह आने वाले 7 दिनों से संबन्धित साप्ताहिक राशिफल का यह विशेष ब्लॉग लेकर हम आपके सामने हाजिर हैं। इस ब्लॉग के माध्यम से हम आपको आगामी सप्ताह के हिंदू पंचांग और ज्योतिषीय गणना के साथ-साथ आने वाले व्रत और त्योहारों की जानकारी, ग्रहण, गोचर की जानकारी, आदि प्रदान करते हैं।
सिर्फ इतना ही नहीं इस सप्ताह में कौन-कौन से विवाह मुहूर्त पड़ने वाले हैं, कौन-कौन से बैंक अवकाश पड़ने वाले हैं, किन मशहूर सितारों का जन्मदिन आने वाला है इस बात की जानकारी भी आपको दी जाती है। इसके साथ ही हम आपको मेष से लेकर मीन राशि की सबसे सटीक भविष्यवाणी भी प्रदान करते हैं। तो चलिए बिना देरी किए शुरू करते हैं हमारा यह खास ब्लॉग और सबसे पहले जान लेते हैं इस सप्ताह से जुड़ी कुछ खास बातें।
सबसे पहले बात कर लें इस सप्ताह के हिंदू पंचांग और ज्योतिषीय गणना की तो अप्रैल का पहला सप्ताह शुरू होगा कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि से मूल नक्षत्र के तहत और इस सप्ताह का समापन होगा कृष्ण पक्ष की ही त्रयोदशी तिथि में पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के साथ।
आपकी जानकारी के लिए बता दें अप्रैल के महीने में चैत्र माह चल रहा होता है। हालांकि यह अप्रैल के मध्य में खत्म हो जाता है। अप्रैल के ही महीने में चैत्र नवरात्रि का खास पर्व मनाया जाता है। इसके बाद शुरू होता है वैशाख का महीना जिसे हिंदू पंचांग में दूसरा महीना कहा जाता है और चैत्र का महीना पहला महीना होता है। वैशाख का महीना मध्य अप्रैल से शुरू होकर तकरीबन मध्य मई तक चलता है।
इस सप्ताह पड़ने वाले व्रत और त्योहारों की जानकारी
अपने व्यस्त जीवन में आप भी कोई त्यौहार या महत्वपूर्ण तिथि भूल न जाएँ इसलिए हम आपके सामने आने वाले सात दिनों में पड़ने वाले महत्वपूर्ण व्रत त्योहार की जानकारी भी आपको यहां प्रदान करने जा रहे हैं। तो चलिए जान लेते हैं अप्रैल के पहले सप्ताह के दौरान कौन-कौन से व्रत और त्योहार पड़ने वाले हैं।
1 अप्रैल शीतला सप्तमी, कालाष्टमी, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी
2 अप्रैल शीतला अष्टमी, बसोड़ा
5 अप्रैल पापमोचीनी एकादशी
6 अप्रैल शनि त्रयोदशी, प्रदोष व्रत
7 अप्रैल मासिक शिवरात्रि
8 अप्रैल सोमवती अमावस्या, सूर्य ग्रहण पूर्ण*, चैत्र अमावस्या, दर्श अमावस्या
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इस सप्ताह पड़ने वाले ग्रहण और गोचर
ग्रहण और गोचर का सीधा प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है। ऐसे में चलिए जान लेते हैं कि इस सप्ताह कौन-कौन से ग्रहों का गोचर होने वाला है और यह किस तरह से आपको प्रभावित करेंगे। इस सप्ताह में यूं तो कोई भी गोचर नहीं होने वाला है लेकिन बुध ग्रह का दो अहम परिवर्तन अवश्य होंगे। बुध का पहला परिवर्तन 2 अप्रैल को होगा जब बुध मेष राशि में वक्री हो जाएंगे। इसके बाद 4 अप्रैल को बुध मेष राशि में ही अस्त होने जा रहे हैं। ऐसे में अप्रैल के पहले सप्ताह में कोई गोचर नहीं होगा।
हालांकि इस सप्ताह में साल का पहला पूर्ण सूर्य ग्रहण अवश्य लगने वाला है।
साल का पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल को लगेगा। बात करें इससे संबंधित अन्य महत्वपूर्ण जानकारी की तो,
तिथि दिन तथा दिनांक 8 अप्रैल 2024 अमावस्या तिथि सोमवार चैत्र मास कृष्ण पक्ष
सूर्य ग्रहण प्रारंभ समय: रात्रि 21:12 बजे से
(भारतीय स्टैंडर्ड टाइम के अनुसार)
सूर्य ग्रहण समाप्त समय: रात्रि 26:22 तक (9 अप्रैल 2024 की सुबह 02:22 बजे तक)
दृश्यता का क्षेत्र पश्चिमी यूरोप पेसिफिक, अटलांटिक, आर्कटिक मेक्सिको, उत्तरी अमेरिका (अलास्का को छोड़कर), कनाडा, मध्य अमेरिका, दक्षिण अमेरिका के उत्तरी भागों में, इंग्लैंड के उत्तर पश्चिम क्षेत्र में, आयरलैंड (भारत में दृश्यमान नहीं)
1-7 अप्रैल 2024: विवाह मुहूर्त 2024
बात करें के अप्रैल के इस पहले सप्ताह में पड़ने वाले विवाह मुहूर्त की तो,
अप्रैल के इस सप्ताह में कोई भी विवाह मुहूर्त नहीं है।
1 अप्रैल 2024 को उड़ीसा दिवस का अवकाश उड़ीसा में मनाया जाएगा
इसके बाद 5 अप्रैल शुक्रवार को बाबू जगजीवन राम जयंती है और जमा-तुल- विदा है जिसके अवकाश आंध्र प्रदेश और तेलंगाना और जम्मू और कश्मीर में मनाए जाएंगे।
इस सप्ताह जन्मे कुछ मशहूर सितारों के जन्मदिन की जानकारी
अब अंत में हम बात कर लेते हैं इस सप्ताह जन्मे कुछ मशहूर सितारों के जन्म के बारे में। तो अगर आपका भी जन्म अप्रैल के महीने में हुआ है या यूं कहिए कि अप्रैल के इस पहले सप्ताह में हुआ है तो चलिए सबसे पहले जान लेते हैं इस सप्ताह जन्म लेने वाले लोगों के व्यक्तित्व से जुड़ी कुछ बेहद दिलचस्प बातों की जानकारी:
अप्रैल में जिन लोगों का जन्मदिन होता है वह विशेष तौर पर शुभ माने जाते हैं। यह वसंत का पहला महीना होता है। इसके अलावा इस दौरान ना ही बहुत ज्यादा ठंड होती है और ना ही बहुत ज्यादा गर्मी होती है। ऐसे में इस दौरान वातावरण में एक अनोखी ऊर्जा देखने को मिलती है और यही ऊर्जा अप्रैल के महीने में जन्म लेने वाले लोगों के अंदर भी होती है।
हालांकि ऐसा हम केवल कहने के लिए नहीं कह रहे हैं। ऐसे कई अध्ययन हुए हैं जो बताते हैं कि अप्रैल के महीने में जन्म लेना कितना खास होता है। शोध से पता चलता है कि अप्रैल में जन्मे लोग स्वस्थ जीवन जीते हैं, अपने करियर में उत्कृष्टता प्राप्त करते हैं, और ज्यादा आशावादी होते हैं। इसके अलावा अप्रैल में जन्म लेने वाले लोग हंसमुख स्वभाव के होते हैं। इसके अलावा इस महीने में जन्म लेने वाले लोगों की या तो वृषभ राशि होती है या फिर मेष राशि होती है।
अप्रैल से संबंधित दो फूलों को विशेष रूप से माने गए हैं डेजी और स्वीट पी। यह दोनों ही फूल अप्रैल महीने के लिए उपयुक्त माने जाते हैं। यह दोनों ही फूल सुखद भावनाओं को दर्शाते हैं और यह खुशी का भी प्रतीक हैं। जहां एक तरफ स्वीट पी आनंद और खुशी का प्रतीक माना जाता है वहीं डेज़ी बचपन की मासूमियत, वफादारी और पवित्रता का प्रतिनिधित्व करता है।
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देवी-देवताओं की कितनी परिक्रमा लगाना होता है फलदायी, यहां जाने सही तरीका
सनातन धर्म में अलग-अलग देवी-देवताओं की पूजा अर्चना की जाती है। लोग भगवान को प्रसन्न करने के लिए कई व्रत करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उन्हें कई चीज़ें जैसे- अगरबत्ती, फूल, ध्वज, नारियल आदि प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं। साथ ही, ईश्वर की परिक्रमा करते हैं, परिक्रमा जिसे फेरी लगाना भी कहते हैं। हिंदू धर्म में पूजा पाठ के साथ-साथ परिक्रमा करना भी पूजा का ही एक हिस्सा माना जाता है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि भगवान की प्रतिमा या मंदिर की परिक्रमा लगाने से व्यक्ति के विचारों में कई सकारात्मक परिवर्तन देखे जाते हैं और ऐसा करने से भगवान की विशेष कृपा भी प्राप्त होती है।
इसके आलाव, मन को सुख-शांति मिलती है लेकिन परिक्रमा का फल तभी मिलता है जब इसके नियमों का पालन किया जाए। कई लोग परिक्रमा तो करते हैं लेकिन उन्हें यह पता नहीं होता है कि किस देवी या देवताओं की कितनी परिक्रमा करनी चाहिए। यदि आपको भी इसके बारे में जानकारी नहीं है तो एस्ट्रोसेज का यह विशेष ब्लॉग आपके लिए आपको इस बारे में जानकारी प्रदान करेगा कि किस देवी-देवताओं की कितनी बार परिक्रमा करना लाभकारी माना जाता है।
अर्थ- इस मंत्र का अर्थ है कि कभी जीवन में गलती से किए गए और पूर्व जन्मों के सभी पाप और गलत कर्म परिक्रमा के साथ-साथ खत्म हो जाए। हे ईश्वर मुझे सद्बुद्धि प्रदान करें।
मंदिर या देवी-देवताओं की परिक्रमा हमेशा घड़ी की दिशा में ही करनी चाहिए। सीधे हाथ की ओर से परिक्रमा शुरू करनी चाहिए। इस दौरान मंत्रों का जाप जरूर करना चाहिए। मंदिर बहुत पवित्र स्थान होता है यहां लगातार मंत्र जाप, पूजा और घंटियों की ध्वनि से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है। ये ऊर्जा उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर प्रवाहित होती है। ऐसे में, दाहिने ओर से परिक्रमा करने पर साधक को सकारात्मक ऊर्जा का लाभ मिलता है। इससे मानसिक तनाव दूर होते हैं, आध्यात्मिक गतिविधियों की तरफ झुकाव बढ़ता है। माना जाता है कि जब कोई भी व्यक्ति परिक्रमा करता है तो उसका दाहिना भाग गर्भगृह के अंदर देवता की ओर होता है और परिक्रमा वेद द्वारा अनुशंसित शुभ होती है।
मंदिरों में परिक्रमा करना एक बहुत ही सामान्य अनुष्ठान है। इस विधि को परिक्रमा, प्रदक्षिणा या प्रदक्षिणम भी कहा जाता है। भक्त मंदिर के देवी-देवता के निवास स्थान के सबसे भीतरी कक्ष के चारों ओर फेरी लगाते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से देवी-देवताओं की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
ऐसा माना जाता है कि मंदिर में पूजा करने के बाद परिक्रमा करने से भक्त तनाव रहित होता है और नकारात्मक भावनाओं से दूर रहता है। यही नहीं उसे बहुत हल्का महसूस होता है। कहते हैं कि जिस बोझ और अपनी प्रार्थना के साथ व्यक्ति मंदिर में प्रवेश करते है और परिक्रमा मंदिर में भगवान से जुड़ने का एक आध्यात्मिक तरीका बताया गया है। इससे व्यक्ति ईश्वर का मन से ध्यान कर उन्हें धन्यवाद देता है। इसके साथ ही, जो व्यक्ति परिक्रमा करता है उससे भगवान बेहद प्रसन्न रहते हैं और उसकी सभी समस्याओं का निवारण करते हैं।
जानें परिक्रमा दक्षिणावर्त दिशा में क्यों करनी चाहिए
हिंदू धर्म में दाहिना भाग को बहुत शुभ माना जाता है। इसलिए पूजा पाठ करने के लिए हमारे बड़े बुजुर्ग दाहिने हाथ को आगे करवाते हैं और मंदिर का प्रसाद भी दाहिने हाथ से लेना शुभ माना जाता है। सनातन धर्म में बाएं हाथ में प्रसाद स्वीकार नहीं करते या उससे पवित्र वस्तुओं को नहीं छूते हैं। परिक्रमा करते समय, भक्त भगवान के प्रति अपनी आस्था और उनके प्रति सम्मान दिखाने के लिए मंदिर की दीवारों को अपनी उंगलियों से छूते हैं और फिर उसे वापस अपने माथे पर लगाकर प्रणाम करते हैं। यदि कोई ऐसा अपनी दाहिनी ओर से करेगा, तो यह करना उनके लिए आसान होगा।
क्या वर्ष 2024 में आपके जीवन में होगी प्रेम की दस्तक? प्रेम राशिफल 2024 बताएगा जवाब
ये हैं प्रमुख परिक्रमाएं
देव स्थान की परिक्रमा
जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम, तिरुवन्नमलई और तिरुवनंतपुरम देव मंदिरों की परिक्रमा इसमें प्रमुख मानी जाती है।
देवी-देवताओं की परिक्रमा
देव मूर्तियों में भगवान शिव, माता दुर्गा, भगवान गणेश, भगवान विष्णु, भगवान हनुमान जी, भगवान कार्तिकेय आदि देवी-देवताओं की प्रतिमा के चारों ओर परिक्रमा की जाती है।
पवित्र नदी की परिक्रमा
हिंदू धर्म में नदियों का विशेष महत्व माना गया है। लोग गंगा, सरयू, नर्मदा, गोदावरी, कावेरी आदि पवित्र नदियों की परिक्रमा भी करते हैं।
त्योहारों और विशेष कामना या किसी विशेष देवी देवता की कृपा पाने के लिए वृक्षों की परिक्रमा भी की जाती है। पीपल और बरगद के वृक्ष की परिक्रमा विशेषतौर पर की जाती है।
तीर्थ स्थानों परिक्रमा
अयोध्या, उज्जैन, प्रयाग राज, चौरासी कोस आदि स्थानों की परिक्रमा को तीर्थ स्थानों की परिक्रमा कहा जाता है। चारधाम यात्रा भी इसी परिक्रमा में आती है।
भरत खंड परिक्रमा
यह परिक्रमा ज्यादातर साधु संतों को द्वारा की जाती है। इसमें पूरे भारतवर्ष की परिक्रमा की जाती है।
पर्वत परिक्रमा
गोवर्धन, गिरनार, कामदगिरी आदि पर्वतों को पूजनीय माना गया है लोग इन पर्वतों की परिक्रमा भी करते हैं। जो लोग वृंदावन धाम जाते हैं वे गोवर्धन परिक्रमा जरूर करते हैं।
विवाह के सात फेरों की परिक्रमा
इसमें विवाह के समय वर और वधू अग्नि के चारों तरफ 7 बार परिक्रमा करते हैं।
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बुध होने वाले हैं उदय, इन 5 लोगों के बिज़नेस में होगा बड़ा नुकसान, दिवाला तक निकल सकता है
वैदिक ज्योतिष के अनुसार एक समयावधि के बाद हर ग्रह राशि परिवर्तन करता है जिसे गोचर कहा जाता है। गोचर करने के अलावा ग्रह उदित और अस्त भी होते हैं और जिस प्रकार ग्रहों के गोचर का प्रभाव देश-दुनिया समेत सभी 12 राशियों पर पड़ता है, ठीक उसी प्रकार ग्रहों के उदित और अस्त होने का भी असर होता है।
ग्रहों के राशि परिवर्तन से सभी राशियों के लोगों के जीवन पर अलग-अलग प्रभाव देखने को मिलते हैं। किसी के जीवन में खुशियां आती हैं, तो किसी को कष्ट उठाना पड़ता है। अब अप्रैल में बुध ग्रह उदित होने जा रहे हैं और इसके कारण कुछ राशियों के व्यापार में तेजी से गिरावट आने की आशंका है। इस ब्लॉग में बुध के उदित होने पर नकारात्मक रूप से प्रभावित होने वाली राशियों के बारे में विस्तार से बताया गया है।
बुध का मीन राशि में उदय 19 अप्रैल 2024 की सुबह 10 बजकर 23 मिनट पर होने जा रहा है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार बुध के उदित होने पर कुछ राशियों के लोगों को अपने बिज़नेस को लेकर बहुत सावधानी बरतनी होगी। इस समय उन्हें कोई बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
वैदिक ज्योतिष में बुध को बुद्धि का कारक माना गया है। इसके अलावा वे तर्क, शिक्षा और संचार कौशल का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। कुंडली में बुध के कमजोर होने पर व्यक्ति का मन असुरक्षा की भावनाओं से घिर सकता है और उसकी एकाग्रता में कमी आने का भी डर रहता है। वहीं जब बुध अपनी अस्त अवस्था से बाहर आते हुए उदित होते हैं, तो जातक को अपने भाग्य का साथ मिलता है।
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
तो चलिए अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि बुध के मीन राशि में उदित होने पर किन राशियों के लोगों को अपने व्यापार में हानि का सामना करना पड़ सकता है।
इन राशियों का खराब होगा बिज़नेस
मेष राशि
बुध के उदित होने पर जिन राशियों के बिज़नेस में गिरावट आएगी, उसमें सबसे पहले नाम मेष राशि का है। इस समय व्यापारियों को बहुत ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है। आप न तो अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर पाएंगे और न ही मुनाफा कमाने में सफल हो पाएंगे। इस समय नए बिज़नेस की शुरुआत करना या पार्टनरशिप में कोई बिज़नेस शुरू करना भी सही नहीं रहेगा। यदि आप इस दिशा में आगे बढ़ते हैं, तो आपको नुकसान हो सकता है। आपको अपने व्यावसायिक क्षेत्र में योजना बनाकर चलने की सलाह दी जाती है, तभी आप अपने लिए कुछ मुनाफा कमा सकते हैं और अपने बिज़नेस को नुकसान की स्थिति से बाहर ला सकते हैं। इसके अलावा इस दौरान व्यापारी किसी पर भी भरोसा न करें। आपके साथ धोखाधड़ी होने की आशंका है।
व्यापारियों के लिए यह समय सावधान रहने का होगा। आपको हर छोटी चीज़ पर ध्यान देने की जरूरत है, तभी आप किसी बड़ी परेशानी से बच सकते हैं। आपको अपने व्यापारिक क्षेत्र में अड़चनों का सामना भी करना पड़ सकता है। अगर आप नई पार्टनरशिप में काम शुरू करने की सोच रहे हैं, तो अभी फिलहाल कुछ समय के लिए इस निर्णय को टाल देना ही बेहतर रहेगा। इस समय पार्टनरशिप में बिज़नेस शुरू करने से आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है। आपके प्रतिद्वंदी आपके ऊपर भारी पड़ सकते हैं और उनका सामना करने के लिए आपको जीतोड़ मेहनत करनी पड़ेगी।
तुला राशि के लोगों को बुध के उदित होने पर सतर्क रहना होगा। आपके लिए यह समय ज्यादा अनुकूल नहीं रहने वाला है। आपको व्यापार में हानि उठानी पड़ सकती है और इस बात से आपका मन परेशान रहेगा। आपको समझ ही नहीं आ पाएगा कि आपको क्या करना है या आप क्या करना चाहते हैं। आप जो भी प्रयास करेंगे, उसमें आपको असफलता ही मिलेगी। आपको इस समय अपनी व्यापारिक रणनीतियों में बदलाव करने और नई नीतियों को अपनाने की जरूरत है। इससे आप अपने बिज़नेस में सुधार कर पाएंगे।
बुध के उदित होने पर वृश्चिक राशि के व्यापारियों को अधिक लाभ कमाने में दिक्कत आ सकती है। आपके सामने कुछ ऐसी परिस्थितियां खड़ी हो सकती हैं जिनकी वजह से आपके लिए मुनाफा कमा पाना मुश्किल हो जाएगा। आपकी हिम्मत तक जवाब दे सकती है। अगर आप पार्टनरशिप में बिज़नेस करते हैं, तो इस समय आपके और आपके पार्टनर के बीच समस्याएं होने की आशंका है। उनके साथ बात करते समय आप सावधानी बरतें और कुछ भी ऐसा न बोलें जिससे आप दोनों का रिश्ता खराब हो। वे किसी बात को लेकर आपका विरोध कर सकते हैं और इस वजह से उनके लिए आपके मन में भी खटास आ सकती है।
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कुंभ राशि
यदि आपकी कुंभ राशि है, तो आपको इस समय एक-एक कदम सोच समझकर उठाना चाहिए। इस समयावधि में आपके प्रतिद्वंदी आप पर भारी पड़ सकते हैं। उनसे आपको कड़ी टक्कर मिलने की आशंका है और इसकी वजह से आपके लिए किसी बड़े नुकसान के भी योग बन रहे हैं। अगर आप इस दौरान सतर्क रहते हैं और अपनी रणनीति को बेहतर बनाकर चलते हैं, तो शायद आपकी स्थिति में कोई सुधार आ जाए। आपके लिए अपनी नीतियों में बदलाव करना बहुत जरूरी है। इससे आपको अपने व्यापारिक क्षेत्र में थोड़ा-बुहत मुनाफा होने की उम्मीद है।
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हिन्दू नववर्ष शुरू: चैत्र शुक्ल प्रतिपदा (विक्रमी संवत् 2081) विशेष भविष्यवाणी
हिंदू नव वर्ष 2024 इस बार 8 अप्रैल 2024 दिन सोमवार की रात 11:51 बजे से प्रारंभ हो जाएगा लेकिन सूर्योदय कालीन तिथि लेने के कारण सनातन धर्म का नववर्ष 2024 (विक्रम संवत 2081) इस वर्ष 9 अप्रैल 2024 दिन मंगलवार को मनाया जाएगा। सनातन धर्म में पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को हिंदुओं का नववर्ष मनाया जाता है। यही कारण है कि यह दिन सभी सनातन धर्मी लोगों के लिए विशेष और महत्वपूर्ण स्थान रखता है और प्रत्येक वर्ष की भांति इस बार भी भव्य और दिव्य तरीके से उत्साहित होकर सभी सनातन धर्मियों के बीच यह पर्व मनाया जाएगा। इसी दिन से माॅं भगवती के पवित्र नवरात्रि पर्व का शुभारंभ भी होता है।
चैत्र माह शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को नूतन संवत्सर का आरंभ होता है। यह सभी के लिए अत्यंत शुभ समय होता है। इसी कारण इस दिन सभी को अपने-अपने निवास स्थान पर अपने कुल और संप्रदाय के अनुसार ध्वज लगाना चाहिए। गृह को सुशोभित करना चाहिए, मंगल गान करने चाहिए, रोशनी करनी चाहिए, तोरण लगाने चाहिए, मंगल स्नान करने के बाद इस दिन देवी देवताओं, ब्राह्मणों, गुरुओं और धर्म ध्वज की पूजा अर्चना करनी चाहिए और इस ध्वज के नीचे पंक्तिबद्ध बैठकर सभी को पूजा अर्चन करना चाहिए। इस दिन नए वस्त्र आभूषण धारण करने चाहिए। इस दिन आपको अपने व्यक्तिगत ज्योतिषी से नए संवत्सर का भविष्यफल भी जानना चाहिए।
जब कभी भी नव वर्ष शुरू होता है तो हम यह जानना चाहते हैं कि उस वर्ष में देश और दुनिया तथा आम जनमानस के लिए किस प्रकार के परिणाम ईश्वर की कृपा से और ग्रहों की विभिन्न स्थितियों और गोचर के परिणाम स्वरूप प्राप्त होंगे। इसके लिए हम चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी कि वर्ष लग्न कुंडली का अवलोकन करते हैं तथा जब भी हमें नववर्ष का फल कथन करना हो हम चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानी कि वर्ष लग्न कुंडली का अवलोकन करते हैं और उसी के आधार पर पूरे वर्ष में होने वाली शुभाशुभ घटनाओं के बारे में विचार किया जाता है और यह जाना जाता है कि यह वर्ष किस प्रकार की स्थितियों को जन्म देने वाला है।
(चैत्र शुक्ल प्रतिपदा – 2024)
हिंदू नव वर्ष 2024 (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा) जिसे हम नूतन वर्षारंभ भी कहते हैं, उसकी कुंडली धनु लग्न की बनी है। लग्न के स्वामी ग्रह बृहस्पति महाराज पंचम भाव में सप्तमेश और दशमेश वक्री और अस्त बुध के साथ विराजमान हैं। तीसरे भाव में कुंभ राशि में द्वितीयेश और तृतीयेश शनिदेव, पंचमेश और द्वादशेश मंगल के साथ विराजमान हैं। चतुर्थ भाव में अष्टमेश चंद्रमा अस्त अवस्था में हैं और उनकी युति षष्ठेश और एकादशेश शुक्र, भाग्येश सूर्य तथा राहु के साथ हो रही है। केतु महाराज कुंडली के दशम भाव में विराजमान हैं।
लग्नेश और चतुर्थेश बृहस्पति का त्रिकोण भाव में बैठना एक राजयोग कारक स्थिति का निर्माण कर रहा है। इसके अतिरिक्त उनका योग दशमेश और सप्तमेश बुध के साथ होना भी राजयोग सरीखा है। त्रिकोण स्थान यानी भाग्य स्थान के स्वामी सूर्य महाराज भी केंद्र भाव में बैठकर राजयोग निर्मित कर रहे हैं लेकिन इसके साथ ही षष्ठेश और अष्टमेश का योग भी इस कुंडली में बना हुआ है।
अभी हमने यह जानना कि वर्ष लग्न कुंडली की क्या स्थिति है और ग्रहों की कौन-कौन सी राशियों में उपस्थिति है, जो हमारे जीवन को विभिन्न रूपों में प्रभावित कर सकती है। चलिए अब आगे बढ़ते हैं और यह जानने की कोशिश करते हैं कि वर्ष लग्न कुंडली के अनुसार, यह नूतन संवत्सर 2081 यानी हिंदू नव वर्ष 2024 हमारे देश और देशवासियों के लिए तथा आसपास के देशों और लोगों पर किस प्रकार का ग्रह जनित प्रभाव डाल सकता है:
विशेष विचारणीय बात यह भी है कि 8 अप्रैल 2024 को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के शुभ समय पर सूर्य ग्रहण की छाया भी रहेगी। हालांकि यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा लेकिन विश्व के अन्य क्षेत्रों में दिखाई देने से इसका प्रभाव भी अवश्य ही इस वर्ष अनुभव होगा।
ग्रहों की स्थिति के अनुसार पूर्व और उत्तर दिशा के देशों और प्रदेशों के निवासियों को अपेक्षाकृत सुख की प्राप्ति होगी। मध्य देशों में वर्षा अत्यधिक होने से रोगों का प्रकोप बढ़ सकता है, जबकि पश्चिम दिशा के प्रदेशों में घी और धान्य में मंदी की स्थिति बन सकती है और पशुधन की हानि हो सकती है।
कृषि उत्पादन उत्तम होगा।
सामान्य जनों के हित में नए नियम कायदे कानून बनाए जाने की प्रबल संभावना बनेगी।
आम जनमानस को नई योजनाओं की सूचना मिलेगी और उनके हित के लिए कुछ नई योजनाएं शुरू हो सकती हैं।
इस वर्ष विशेष रूप से स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार का बोलबाला रहने की उम्मीद है।
इस वर्ष न्यायपालिका बहुत महत्वपूर्ण परिस्थितियों में बहुत महत्वपूर्ण परिणाम प्रदान करेगी और उसकी महत्ता समय-समय पर सिद्ध होती रहेगी।
सामाजिक, धार्मिक और कला संबंधों में उपयोगी कार्य होंगे और देश-विदेश में कलाकारों का नाम होगा।
व्यापार, उद्योग धंधों में भी उन्नति के योग बनेंगे।
रेलवे का इंफ्रास्ट्रक्चर भी बढ़ेगा और नई-नई रेल लाइनों का शुभारंभ हो सकता है। इस वर्ष बुलेट ट्रेन से संबंधित कोई विशेष काम भी शुरू हो सकता है। कुछ नए क्षेत्रों में भी रेल परिवहन को बढ़ावा मिलेगा।
उपरोक्त कुंडली में सूर्य ग्रह जो कि भाग्येश बने हैं, राहु से पीड़ित होने के कारण सत्ता और प्रजा के बीच विश्वास में कुछ कमी हो सकती है। अनेक प्रकार के ऐसे प्रश्न उठाए जाएंगे, जो कपोल कल्पित होंगे, जिनसे सरकार की परेशानियां बढ़ सकती हैं।
छोटे चुनावों में सत्ता पक्ष निर्बल हो सकता है।
खनिज और धातु उद्योगों में विशेष प्रगति होने के योग बनेंगे।
चंद्रमा भी सूर्य और शुक्र के साथ राहु के प्रभाव में है तथा पीड़ित अवस्था में हैं। इस कारण से हाई राइज़ बिल्डिंगों में दुर्घटनाओं की बढ़ोतरी हो सकती है और खदानों में भी किसी प्रकार की दुर्घटना के योग बन सकते हैं।
गुरु वृषभ राशि में गोचर करेंगे जिसकी वजह से बैंकिंग सेक्टर पर विशेष प्रभाव देखने को मिलेगा। कुछ बैंकों का विलय होगा और कुछ बैंक स्कैम्स का खुलासा भी हो सकता है।
संपत्ति से संबंधित उल्टे सीधे परिणाम प्राप्त होंगे।
ऑटोमोबाइल के शेयरों का प्रदर्शन कमजोर रह सकता है।
विशिष्ट ग्रंथों का प्रकाशन चुनौतीपूर्ण होगा।
विभिन्न क्षेत्रों कीविभिन्न म्युनिसिपल कारपोरेशन के लोगों में असंतोष बढ़ेगा जिससे दैनिक कार्यों में समस्या होगी।
हड़तालें बढ़ेंगी और आंदोलन की संभावना बढ़ेगी।
ट्रांसपोर्ट से संबंधित कर्मियों का असंतोष बढ़ सकता है।
टैक्स कलेक्शन, रिवेन्यू जेनरेशन और विदेशी व्यापार की स्थिति विचारणीय होगी। इस पर ध्यान देना आवश्यक होगा।
कोई ऐसा टैक्स भी लगाया जा सकता है, जिसके बारे में ज्यादा हल्ला मचे।
भारत के पड़ोसी देशों विशेषकर चीन और नेपाल से संबंध बिगड़ सकते हैं।
इस वर्ष आतंकवाद और असामाजिक तत्वों पर नियंत्रण करने में भारत के प्रयास सफल होंगे।
ऑटोमोबाइल क्षेत्र में प्रगति होगी और औद्योगिक क्षेत्र में उत्पादन बढ़ने से देश की जीडीपी में सुधार हो सकता है, लेकिन इसके साथ ही व्यय भी बढ़ेंगे और इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने पर ज्यादा जोर रहेगा और इसी पर अधिकांश खर्च होगा।
धार्मिक कार्यक्रम भी संपन्न होंगे।
खाद्यान्न भंडारों और आर्थिक विषयों की स्थिति चिंताजनक रहेगी।
मित्र देशों की स्थिति असामान्य हो जाएगी।
कोर्ट कचहरी में मुकदमों की संख्या बढ़ेगी।
कई बड़ी कंपनियों और औद्योगिक घरानों तथा बैंकों का परस्पर विलय हो सकता है।
कुछ नए घोटालों का खुलासा होगा।
समुद्री क्षेत्र में दुर्घटनाएं बढ़ सकती हैं।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा (नूतन संवत्सर २०८१) – हिन्दू नववर्ष 2024 – का अर्थ एवं महत्व
जब हम नूतन संवत्सर के बारे में बात करते हैं तो हेमाद्री के ब्रह्म पुराण के अनुसार, जगत पिता ब्रह्मदेव जी ने चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम दिन यानी की प्रतिपदा तिथि को सूर्योदय के समय इस संपूर्ण चराचर जगत की रचना की थी। यही वजह है कि प्रतिवर्ष हम चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा अर्थात प्रथमा तिथि को नूतन संवत्सर का आरंभ मानते हैं। यानी कि हिंदू नव वर्ष का प्रारंभ इसी दिन से माना जाता है और नया संवत्सर शुरू होता है। यदि आंग्ल वर्ष 2024 की बात की जाए तो 8 अप्रैल 2024 सोमवार की रात्रि को 11:51 बजे रेवती नक्षत्र और वैधृति योग तथा किंस्तुघ्न करण में धनु राशि में नव संवत्सर का प्रवेश होगा। यह विक्रम संवत 2081 कहलाएगा जिसका नाम कालयुक्त होगा।
चूंकि संवत्सर का प्रवेश रात्रि के समय में होगा तो अगले दिन सूर्योदय के समय प्रतिपदा तिथि होने के कारण चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के नवरात्रि का प्रारंभ 9 अप्रैल मंगलवार को माना जाएगा। 8 अप्रैल 2024 की रात्रि की धनु लग्न की कुंडली हमने ऊपर दी हुई है। मगर शास्त्रानुसार सूर्योदय कालीन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि मंगलवार को ही मानी जाएगी और इसी कारण मंगलवार से शुरू होने के कारण इस संवत्सर के राजा मंगल होंगे। यह 52वां संवत्सर होगा जिसका नाम कालयुक्त होगा।
उपरोक्त श्लोक के अनुसार कालयुक्त नमक संवत्सर के दौरान विभिन्न प्रकार के रोगों की वृद्धि होगी यानी कि जनता अनेक प्रकार के रोगों से पीड़ित हो सकती है और रोगों में वृद्धि हो सकती है। प्रजा को कष्ट होगा और समस्याएं बढ़ेंगी। इसके अतिरिक्त विभिन्न राष्ट्रों के शासकों के मध्य आपसी टकराव, क्षुब्धता और बिखराव के कई कारण बनेंगे जिससे युद्ध जैसी स्थितियां का सामना करना पड़ सकता है। कहीं पर घनघोर वृष्टि यानी बारिश होने से खड़ी फसलों को भयंकर हानि हो सकती है और बाढ़ आदि का प्रकोप भी हो सकता है।
वत्सरे कालयुक्ताख्ये – सुखिनः सर्वजन्तवः। संतपथापिच-सस्यनि-प्रचूरणित तथा गदाः।।
कालयुक्त संवत्सर होने के कारण इस वर्ष में प्रजा में रोग और शोक की वृद्धि हो सकती है। ऐसा भविष्यफल भास्कर का कथन है लेकिन वर्षपर्यन्त होगी और धान्य के उत्पादन में अच्छी वृद्धि देखने को होगी जिसके कारण साधारण जनता को आनंद और सुख की प्राप्ति हो सकती है। विभिन्न राज्यों के मध्य परस्पर युद्ध की विभीषिका उत्पन्न हो सकती है और प्रजा का विनाश भी हो सकता है। कहीं-कहीं धन-धान्य की वृद्धि होगी और वृक्षों पर पुष्प फल भी लगेंगे।
इस संवत्सर की और अधिक बात की जाए तो तो वर्षा कम हो सकती है और व्यापार में भी कमी होने के योग बनेंगे। राजकीय लोगों में विवादों की स्थिति जन्म लेगी। चैत्र तथा वैशाख के महीना में अरिष्ट होने के योग बनेंगे। उत्तर दिशा के क्षेत्र में सत्ता परिवर्तन भी हो सकता है। आषाढ़ मास में कम वर्षा होगी लेकिन श्रावण में अधिक वर्षा हो सकती है। भाद्रपद में खंडवृष्टि होने के योग बनेंगे। वाहनों और इलेक्ट्रिक सामान के दामों में बढ़ोतरी हो सकती है।
चैत्रसितप्रतिपदि यो वारोऽर्कोदये सः वर्षेशः।
-ज्योतिर्निबन्ध
ज्योतिर्निबन्ध में वर्णित उपरोक्त श्लोक की बात करें तो उसके अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को सूर्योदय कालीन समय पर जो वार (दिन) होता है, उसी के अनुसार उसे संवत्सर का राजा घोषित होता है। इस बार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तो सोमवार 8 अप्रैल को ही आ जाएगी लेकिन सूर्योदय कालीन प्रतिपदा अगले दिन मंगलवार को व्याप्त होने के कारण इस बार हिंदू नव वर्ष विक्रम संवत् 2081 का राजा मंगल ग्रह होगा।
विक्रम संवत् 2081 के राजा मंगल होंगे। उपरोक्त श्लोक के अनुसार संवत्सर के राजा यदि मंगल महाराज हैं तो इस वर्ष आंधी तूफान का जोर रहने की संभावना रहेगी। वायुयान दुर्घटनाओं की बढ़ोतरी, अग्निकांड, भूकंप तथा प्राकृतिक आपदाओं में विशेष वृद्धि होने के योग बन सकते हैं। समाज में सामाजिक तत्वों, आतंकियों, सांप्रदायिक घटनाओं, ठगी, तस्करी, लूटपाट और विभिन्न प्रकार के पेचीदा रोगों की वृद्धि होने की वजह से आम जनमानस को परेशानी और पीड़ा का सामना करना पड़ सकता है। वायु की तीव्रता रहेगी और बादल होने पर भी वर्ष की कमी का अनुभव होगा। प्राकृतिक आपदाओं जैसे कि आंधी, ओलावृष्टि, चक्रवात, तूफान, आदि से कृषि उत्पादों की कमी हो सकती है। पशुधन की हानि के योग बन सकते हैं। सामाजिक माहौल बिगड़ सकता है। शासक वर्ग कर्तव्य पालन के प्रति उदासीन रवैया दिखाएंगे, जिससे आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला बढ़ेगा। प्रजा जनों के बीच पित्त, रक्त और विषाणु जनित रोगों की अधिकता हो सकती है। बालकों, बालिकाओं के प्रति क्रूरता और अपहरण जैसी घटनाएं बढ़ सकती हैं। इसके अतिरिक्त सर्प जैसे जीव लोगों के बीच विशेष रूप से ध्यान आकर्षित करेंगे। राजस्व की चोरी की घटनाएं बढ़ सकती हैं। झगड़ा और झंझटों की प्रवृत्ति बढ़ सकती है तथा कोर्ट कचहरी में मुकदमें बढ़ सकते हैं। अनाजों के दामों में महंगाई बढ़ेगी।
उपरोक्त श्लोक की बात करें तो नव संवत्सर का राजा मंगल होने की वजह से बेईमानी, चोरी, ठगी, भ्रष्टाचार, दुराग्रह और हिंसा की घटनाओं में बढ़ोतरी हो सकती है तथा प्राकृतिक उत्पातों में अधिकता रह सकती है। भूकंप, अग्निकांड, विस्फोट, जनधन की हानि के कारण बन सकते हैं। बड़े-बड़े राजनेताओं में आपसी विरोध और टकराव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। प्रजा जनों को अनेक प्रकार के रोगों, व्याधियों, अपहरण, वायरल बुखार और अन्य पीड़ाएं हो सकती हैं। देश में आगजनी की घटनाएं बढ़ती हैं। सांप्रदायिक हिंसा, उग्रवाद तथा तनावपूर्ण स्थितियों से जानमाल की हानि हो सकती है। कहीं पर बहुत ज्यादा बारिश और कहीं पर एकदम सूखे की स्थिति बन सकती है और कहीं बाढ़ की उपस्थिति लोगों को परेशान कर सकती है। लोगों की धर्म कर्म में रुचि कम हो सकती है।
वर्ष का मंत्री शनि ग्रह
रविसुते यदि मन्त्रिणि पार्थिवा विनय संहिता बहुदुःखदाः। न जलदाय जलदाय जनतापदा जनपदेषु सुखं न धनं क्वचित्।।
नूतन संवत्सर 2081 के मंत्री पद पर शनि महाराज विराजमान हैं। वर्ष का मंत्री शनि होने के कारण राजनेताओं और प्रशासन के लोगों का व्यवहार आम जनमानस के प्रति अत्यंत कठोर हो सकता है। वे नीति के विरुद्ध आचरण कर सकते हैं, जिससे जनता को कष्ट और असंतोष का भाव महसूस हो सकता है। देश के कुछ विशेष भागों में वर्षा की कमी होने से खाद्यान्न की कमी हो सकती है और प्राकृतिक प्रकोप होने की वजह से जनता में भय व्याप्त हो सकता है। सामान्य जनमानस के पास धन संपदा और पर्याप्त सुख संसाधनों की कमी हो सकती है, जिससे उनके अंदर असंतोष की भावनाएं बढ़ सकती हैं। इसके अतिरिक्त लोहा, स्टील, जस्ता, तांबा, तेल, सिक्का, आदि पदार्थ, खाद्यान्न तथा पेट्रोलियम पदार्थों के भाव तेज हो सकते हैं।
तेल, धान्य महंगे होंगे। गौ, आदि दुधारू पशुओं की हानि हो सकती है। सत्ता पर बैठे लोगों के बीच परस्पर विवाद बढ़ सकता है। विभिन्न देशों में परस्पर युद्ध की आशंका बढ़ेगी।
नव वर्ष 2081 के सस्येश मंगल ग्रह हैं। सस्येश को चौमासे की फसलों का स्वामी ग्रह माना जाता है। इसके परिणामस्वरूप हाथी, घोड़े, गधे, आदि चौपाये जानवरों तथा गाय, बैल, भैंस, ऊंट, आदि दूध देने वाले पशुओं में भी विभिन्न प्रकार के रोगों की उत्पत्ति हो सकती है। देश के कुछ स्थानों पर वर्षा की कमी के कारण खड़ी फसलों जैसे कि धान, चना, सोयाबीन, अनाज, सब्जियों, आदि की फसलों को हानि पहुंच सकती है और उनके भावों में विशेष तेजी रहेगी। कुछ स्थानों पर सूखा पड़ने से समस्या बढ़ सकती है। इसके अतिरिक्त यांत्रिक वाहनों में बहुत बड़े परिवर्तन देखने को मिलेंगे। नई-नई तकनीकें आएंगी। ईंधन के वाहनों का बाजार बढ़ सकता है। पुराने वाहनों की नष्ट करने की स्क्रैप पॉलिसी में नए बदलाव आएंगे।
इस वर्ष के धान्येश सूर्य महाराज हैं। इसके कारण शीतकाल में होने वाली फसलों में कमी हो सकती है, जैसे कि मूंग, मोठ, बाजरा, धान, दलहन, आदि की पैदावार में कमी हो सकती है। प्राकृतिक प्रकोपों का सामना करने के कारण कृषि उत्पादन को हानि पहुंच सकती है और फसलों का भी नुकसान हो सकता है। इसी वजह से दलहन, तिलहन और धान आदि के अनाजों के मूल्य में भी वृद्धि के योग बनेंगे। परस्पर राजनेताओं में बैर, विरोध, टकराव और विवाद उत्पन्न होंगे। आपसी अहम भावना का टकराव होगा। देश में राजनीतिक वातावरण अत्यंत कटु हो जाएगा और एक युद्ध जैसी स्थिति को जन्म देगा। सभी प्रकार के अनाज तेज भाव में हो जाएंगे जिससे लोगों को परेशानी होगी और विचित्र प्रकार के ज्वर आम जनमानस को कष्ट दे सकते हैं।
वर्ष का मेघेश शुक्र ग्रह
भृगुसुतो जलदस्यपतिः यदा जलमुचो जलदादि-विशोभजनाः। धन-निधानयुता द्विजपालकाः नृपतयो जनता सुखदायकाः।।
नववर्ष 2081 का मेघपति अर्थात् मेघेश शुक्र ग्रह होने के कारण वर्षा अच्छी होने की संभावना बढ़ जाएगी। ऐसे शासक वर्ग जो उच्च प्रतिष्ठित हैं, राजनेता हैं और ब्राह्मणों और विद्वानों का हित करने का प्रयास करेंगे और उनका सम्मान करने के लिए कुछ ना कुछ नया काम शुरू कर सकते हैं। राजनेताओं और प्रशंसकों को धन-धान्य की वृद्धि प्राप्त होगी। उनकी समृद्धि बढ़ेगी। अनेक प्रकार के जननेता और प्रशासक भी प्रजाजनों की भलाई और कल्याण हेतु प्रयास करेंगे और नई-नई कल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत होगी जिससे आम जनमानस को लाभ होगा और उनमें संतुष्टि का भाव बढ़ेगा और उन्हें सुख मिलेगा।
इस वर्ष का रसाधिपति अर्थात् रसेश गुरु बृहस्पति महाराज हैं। बृहस्पति का विशेष प्रभाव होने के कारण विशिष्ट साधनों से संपन्न लोगों में भौतिक सुखों की विशेष वृद्धि के योग बनेंगे। फल, फूल, आदि वृक्षों की पैदावार अच्छी होगी। जनमानस विद्वानों, पंडितों, ब्राह्मणों की सेवा और सत्कार करने को तैयार रहेंगे लेकिन किसी सीमावर्ती प्रांत या जनपद में शासकों और प्रशंसकों तथा पुलिस सैन्य अधिकारियों को बल प्रयोग करना पड़ सकता है क्योंकि ऐसे स्थान पर सांप्रदायिक हिंसा की संभावना बढ़ सकती है। बुद्धिजीवी वर्ग के लोगों का वर्चस्व बढ़ेगा वर्तमान संवत्सर में लोग उच्च कोटि के वाहनों को संग्रहित करेंगे।
धातुओं के स्वामी अर्थात् नीरसेश का पद मंगल ग्रह को मिलने के कारण मूंगा, पुखराज, हीरा, माणिक्य, आदि विशेष रत्नों तथा लाल वस्त्रों, गर्म वस्त्रों, लाल चंदन, सोना, पीतल, तांबा, लाख, खल, बिनौला, आदि और लाल वर्ण के पदार्थ और धातुएं दिन प्रतिदिन महंगाई को प्राप्त होंगी यानी कि इनके दामों में बढ़ोतरी के योग दिन प्रतिदिन बनते चले जाएंगे। दवाइयां बनाने वाले मूलभूत पदार्थों के उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। ईंधन महंगा होगा।
वर्ष का फलेश शुक्र ग्रह
यदि फलस्यपतौ भृगुजे धरा-मृदुकुमार-मही-रूहराशयः। बहुफला-नरनाथ-सुभोगदा-द्विजवराः श्रुतिपाठः-परायणाः।।
फलपति अर्थात् फलेश के पद पर शुक्र ग्रह के होने के कारण वर्षा की अच्छी संभावना बनती है। पृथ्वी पर कोमल घास, फल, फूलों और छोटे पौधों के समूह की पैदावार में बढ़ोतरी हो सकती है जिससे इनकी बढ़ोतरी होगी। राजनेताओं और प्रशासन के लोगों के बीच धन संपदा और ऐश्वर्य की बढ़ोतरी हो सकती है, उनकी साख और समृद्धि की वृद्धि भी हो सकती है। ब्राह्मण वर्ण, कर्मकांड पंडितों, यज्ञ, अनुष्ठान, आदि करने वाले लोग लाभान्वित हो सकते हैं और ऐसे कार्यों में बढ़ोतरी होती है। फूड क्वालिटी में सुधार करने के लिए कुछ नए कायदे कानून बनाए जा सकते हैं। मोटे अनाज का उत्पादन अधिक होगा और इसे खाने पर लोगों का जोर रहेगा। वेद पाठ में विश्वास बढ़ेगा। लोग पूजा पाठ धार्मिक कार्य संपन्न कराएंगे।
धनपति अर्थात् धनेश या धन के स्वामी चंद्रमा बनने के कारण इस वर्ष रस से भरे पदार्थों जैसे दूध, घी, शरबत, तेल और सेब, जूस, मौसमी, आदि रसीले फलों में खरीद और बेचने के कारण यानी कि क्रय विक्रय के द्वारा धन का अच्छा लाभ प्राप्त किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त वस्त्र, अनाज, तेल, सुगंधित तेल, दूध, घी, गुड़, चावल, इत्र, खुशबू, मिठाई, आदि और किराने की वस्तुओं के व्यापार से भी अच्छे लाभ की प्राप्ति की संभावना बढ़ सकती है। मौका परस्त नेताजन विशेष प्रकार के सुख साधनों से संपन्न होते चले जाएंगे और प्रजा कानून का पालन करेगी और अपने कर या टैक्स का उचित भुगतान भी करेगी। चावल, टेक्सटाइल और सर्विस सेक्टर का एक्सपोर्ट बढ़ सकता है। देश की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और एक्सपोर्ट इंपोर्ट बढ़ेगा।
वर्ष का दुर्गेश शुक्र ग्रह
नगर-देश विशेष पतिर्यदा भृगुसुतो बहुसौख्यकरो मतः। विनयवाणिज-गोहसमः सुखोनगवने निकटेऽपि च दूरतः।।
दुर्गपति अर्थात् सेनापति अर्थात् दुर्गेश का पद शुक्र ग्रह को प्राप्त हुआ है। इसकी वजह से देश के विशिष्ट नागरिकों और विशिष्ट वर्ग के लोगों को ही सुख संसाधनों की प्राप्ति होगी और उनकी समृद्धि विशेष रूप से होगी। सर्वत्र शांति बने रहने के योग बनेंगे। शासन दृढ़ होगा। वाणी और विनय के प्रभाव से व्यवहार में बढ़ोतरी होने के कारण सुख और शांति की प्राप्ति होगी। दूर रहने वाले लोगों और पर्वतीय स्थान के लोगों को भी विभिन्न सुख सुविधा उपलब्ध होने से उनकी समस्याओं में कमी आएगी और उनके सुख संसाधन सुलभ होंगे। कितनी भी कठिन से कठिन परिस्थिति हो, उसका अच्छा हल देखने को मिलेगा। केंद्र द्वारा राज्यों में कल्याणकारी योजनाओं पर कार्य बढ़ेगा।
इस प्रकार हम निम्नलिखित आगामी घटनाओं के संकेत देख सकते हैं:
इस हिंदू नव वर्ष 2081 में सूर्य, गुरु, चंद्र और शनि को एक-एक पद मिला है जबकि शुक्र और मंगल को तीन-तीन पदों की प्राप्ति हुई है और बुध ग्रह को कोई पद प्राप्त नहीं हुआ है।
इस वर्ष सौम्य ग्रहों को भी पांच पद मिले हैं और क्रूर ग्रहों को भी पांच पद मिले हैं।
इस वजह से काली, पीली, लाल रंग की वस्तुओं, खाद्यान्न और उनसे संबंधित पदार्थों के दामों में विशेष तेजी देखने को मिलेगी।
बराबर पदों पर सौम्य और क्रूर ग्रहों के विराजमान होने के कारण मिले-जुले फलों की प्राप्ति होगी।
मुख्य रूप से राजा के मंगल और मंत्री के शनि होने से वैमनस्य बढ़ सकता है और जनता त्रस्त हो सकती है।
शुक्र और मंगल को सर्वाधिक पद मिलने के कारण स्त्रियों और वर्दीधारी तथा क्षत्रिय लोगों का प्रभुत्व बढ़ सकता है। जनता में विप्र और क्षत्रियों को प्रबल प्रोत्साहन मिलेगा तथा वैश्यों को भी अच्छे काम का अच्छा लाभ मिलेगा।
इस वर्ष के राजा मंगल हैं और मंत्री शनि। ये दोनों ही विपरीत प्रकृति के ग्रह माने जाते हैं और मुख्य पदाधिकारी परस्पर विरोधी ग्रह होने के कारण राजनीतिक और सामाजिक रूप से परस्पर वैर और विरोध का सामना तथा विरोधी घटनाओं में बढ़ोतरी हो सकती है। जातीय हिंसा और सांप्रदायिक घटनाओं की बढ़ोतरी होने से माहौल विषाक्त रहेगा। विश्व के विभिन्न राष्ट्रों के मध्य युद्ध और जनहानि के समाचार भी मिल सकते हैं। भारत के संबंध पड़ोसियों से भी बिगड़ने की स्थिति बन सकती है।
भारतवर्ष के अंदर आंतरिक संघर्ष होने की संभावना बन सकती है जिस पर ध्यान देना होगा। पूंजीपतियों और धनाड्य लोगों के हाथ में शक्ति बढ़ेगी। देश में कीड़े, मकोड़े और संक्रामक तथा पेचीदा रोगों में बढ़ोतरी हो सकती है। भारतीय लोग विदेश जाने को लालायित दिखाई दे सकते हैं। शीतल पेय पदार्थों को लेकर कोई विशेष नियम बनाए जा सकते हैं और इन पर वाद विवाद होते रहेंगे। देश में कुछ स्थानों पर बहुत अच्छी वर्षा और कुछ स्थानों पर बिल्कुल सुख की स्थिति बन सकती है। चीन से संबंध और ज्यादा कटु होने के योग बनेंगे। आपस में वैमनस्य भी और बढ़ सकता है। बांग्लादेश से भी कोई नया विवाद उत्पन्न हो सकता है। भारत के पड़ोसी नेपाल से भी संबंध बिगड़ सकते हैं।
इस वर्ष न्यायपालिका की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी और उनके कई आदेश इतिहास बन सकते हैं।
सरकार द्वारा आम जनमानस के लिए कुछ नई कल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत की जा सकती है।
देश में आंतरिक कलह और आतंकवाद जैसी घटनाओं की संभावना बढ़ेगी। इन पर विशेष ध्यान देना होगा।
सीमावर्ती राज्यों और क्षेत्र की सीमाओं की निगरानी बढ़ानी होगी। कुछ विशेष पड़ोसी मुल्कों जैसे भारत के पड़ोसी देशों चीन, बांग्लादेश और नेपाल से भारत के संबंध बिगड़ सकते हैं। पाकिस्तान अन्य देशों का साथ लेकर भारत के विरुद्ध खड़ा होने का प्रयास जारी रखेगा।
धातु और अनाजों के दामों में बढ़ोतरी होगी। किसी स्थान पर अतिवृष्टि और किसी स्थान पर अनावृष्टि होगी जिससे कुछ स्थानों पर सूखा पड़ सकता है और कुछ जगह बाढ़ की स्थिति जन्म लेगी। इस दौरान कुछ नई कर व्यवस्थाएं लागू की जा सकती हैं और कोई नया टैक्स भी शुरू हो सकता है। समाज में लोगों के मध्य आपसी तनाव बढ़ने के योग बनेंगे जिसे न्यायालय में वाद विवादों की संख्या बढ़ेगी।
सत्ता में बैठे राजनीतिक दलों को आपसी संघर्ष और अंतर्कलह का सामना करना पड़ सकता है।
इस वर्ष कालयुक्त संवत्सर होने से पानी की कमी हो सकती है जिससे जल स्तर और नीचे जा सकता है।
आश्विन नाम के वर्ष का फल यही होता है कि अनेक प्रकार की फसलें उपजाई जाएंगी जिनका फायदा मिलेगा।
संवत् की सवारी बैल होने के कारण घास, पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होगा।
रोहिणी का निवास तट पर होने के कारण वर्षा थोड़ी-थोड़ी होती जाएगी जिससे पानी की समस्या बढ़ सकती है।
चैत्र के महीने में प्रजा में सुख की बढ़ोतरी होगी और मध्यम खेती होगी तथा वर्ष भी मध्यम होगी।
वैशाख के महीने में ब्राह्मणों के मध्य विरोध हो सकता है। उड़द, तेल, जौ का उत्पादन कम होगा। जौ और गेहूं जैसे पौधों में रोग हो सकता है। गन्ना, दूध, रस और घी के दामों में कमी आएगी।
ज्येष्ठ मास में आरोग्यता बढ़ेगी। कहीं पर कुछ उपद्रव हो सकते हैं। धान महंगे हो जाएंगे।
आषाढ़ मास में छोटे बालकों को पीड़ा हो सकती है। कपास और सूत के दामों में कमी हो सकती है। वर्षा की कमी हो सकती है। कहीं भी प्राकृतिक आपदा उत्पन्न हो सकती है। देश में उपद्रवों की संख्या बढ़ सकती है।
श्रावण मास में धान्य की उत्पत्ति अधिक होगी। चौपायों में रोग हो सकते हैं। कपास, वस्त्र और जूट में महंगाई होगी। वर्षा अधिक होगी।
भाद्रपद मास में शुभ फल प्राप्त होंगे। अच्छी वर्षा होगी। धान्य के दामों में कमी आएगी।
आश्विन मास में उड़द और मूंग का उत्पादन कम होगा। व्यापारी जातकों को समस्या हो सकती है। अत्यधिक वर्षा हो सकती है। गौ को पीड़ा हो सकती है। भूमि अनेक प्रकार के धान्य से परिपूर्ण होगी। क्षत्रियों में परस्पर विरोध हो सकता है।
कार्तिक मास में वर्षा की कमी हो सकती है। चोरों का भय बढ़ेगा। आपसी विरोध होगा जिससे क्षति के योग बनेंगे। अग्नि, रोग और जल का भय हो सकता है। पक्षियों को पीड़ा मिलेगी।
मार्गशीर्ष मास में वर्षा और खेती मध्यम होगी। धातुओं के भाव तेज हो सकते हैं। गौ माता को पीड़ा हो सकती है। घी आदि महंगे होंगे।
पौष मास में घी, आदि महंगे होंगे। विभिन्न प्रकार के तेल और घी के दामों में बढ़ोतरी होगी। भूमि पर सुभिक्ष बढ़ेगा।
नूतन संवत्सर के आरंभ होने के इस दिन विशेष रूप से कड़वे नीम की ताजी कोमल पत्तियां लेकर आनी चाहिए और उनमे थोड़ा सा जीरा, अजवाइन, काली मिर्च, नमक, हींग, इमली और थोड़ी सी शक्कर मिलाकर उसका चूर्ण बनाना चाहिए। इसको ग्रहण करने से इस समय में होने वाले रोगों का नाश होता है। विद्वानों, ब्राह्मणों और ज्योतिषियों को अपने पंचांग की पूजा करनी चाहिए। इस दिन ईश्वर दर्शन हेतु मंदिरों में जाना, गुरु पूजन और ज्योतिषी का आदर सत्कार और दक्षिणा देनी चाहिए। इसके अतिरिक्त याचकों को भी दान, आदि देना चाहिए। घर आने वाले जातकों को भूखे पेट नहीं जाने देना चाहिए और मिष्ठान्न आदि भोजन कराना चाहिए। इस दिन नाच, गाना और उत्सव होना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस दिन आनंद उत्सव मनाने से संपूर्ण वर्ष आनंद मनाने का अवसर प्राप्त होता रहता है।
हम आशा करते हैं कि हिन्दू नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 2024 आपके लिए शुभ रहे और आपके जीवन में मंगल ही मंगल हो। हम आपके मंगल भविष्य की भी शुभ कामना करते हैं।