दुर्गा सप्तशती के 13 अध्याय करेंगे आपके हर कार्य सिद्ध, जानें इनके बारे में

नवरात्रि की शुरुआत 9 अप्रैल 2024 से हो चुकी है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है। इन दिनों लोग व्रत करते हैं और मां का आशीर्वाद लेते हैं। नवरात्रि के दौरान मंत्रों का जाप और दुर्गा सप्तशती का पाठ आपको शुभ फल दे सकता है। एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम ज्योतिषी नितिका शर्मा से जानेंगे कि दुर्गा सप्तशती के 13 अध्याय में से कौन सा अध्याय किस कार्य की सिद्धि के लिए होता है तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं विस्तार से।

नवरात्रि के दिनों में विशेषता दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से कई तरह के मनोकामनाएं पूरी की जाती है। माता रानी से मनोकामनाओं की सिद्धि के लिए प्रार्थना की जाती है। इसके लिए दुर्गा सप्तशती के 13 अध्याय में से कौन सा अध्याय किस कार्य की सिद्धि के लिए होता है। आइए हम संक्षिप्त में जानते हैं । 

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दुर्गा सप्तशती के 13 अध्याय

  • प्रथम अध्याय: हर प्रकार की चिंता मिटाने के लिए मानसिक विकारों की वजह से आ रही अड़चनों को दूर करने के लिए,, मन को सही दिशा की ओर ले जाने के लिए और खोई हुई चेतना को एकत्रित करने के लिए प्रथम अध्याय का पाठ किया जाता है । 
  • द्वितीय अध्याय: मुकदमे झगड़ा आदि में विजय प्राप्ति के लिए इस अध्याय को किया जाता है,, गलत भावना से किया गया उपाय कभी सफल नहीं होता है यदि आपने झूठा केस लगाया है तो यह कभी सफलता नहीं दिलाएगा । 
  • तीसरा अध्याय: शत्रु से छुटकारा पाने के लिए यदि कोई शत्रु बिना वजह आपको नुकसान पहुंचा रहा है तो इस अध्याय का पाठ करें । 
  • चतुर्थ अध्याय: भक्ति शक्ति तथा दर्शन के लिए किया जाता है साधना से जुड़े होते वह समाज हित में साधना को चेतना देने के लिए इस पाठ को किया जाता है । 
  • पंचम अध्याय: भक्ति शक्ति तथा दर्शन के लिए हर तरह से परेशान हो चुके लोग जो यह सोचते हैं कि हमारा कोई भी कार्य नहीं बन रहा है वहां इस पाठ का अध्ययन नियमित करें।

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  • छठा अध्याय: दर्शन बाधा हटाने के लिए,, राहु का अधिक खराब होना,, केतु का पीड़ित होना,, जादू – टोना – भूत इस तरह के डर पैदा करता है तो आप इस अध्याय का पाठ करें। 
  • सप्तम अध्याय: हर मनोकामना पूर्ण करने के लिए ,सच्चे दिल से जो कामना आप करते हैं जिसमें किसी का अहित न हो तो यह अध्याय आपके लिए कारगर होता है । 
  • अष्टम अध्याय: मिलान व वशीकरण के लिए, वशीकरण गलत तरीके नहीं अपितु भलाई के लिए हो और कोई बिछड़ गया हो तो यह असरदार होता है । 
  • नवम अध्याय: गुमशुदा की तलाश हर प्रकार की कामना एवं पुत्र आदि के लिए बहुत से लोग जो घर छोड़कर चले जाते हैं खोए हुए को वापस बुलाने के लिए इस अध्याय को करना चाहिए। 
  • दशम अध्याय: यह भी गुमशुदा की तलाश एवं पुत्र कामना के लिए किया जाता है ,, एवं पुत्र को गलत रास्ते से सही रास्ते पर लाने के लिए बहुत ही फलदायी है। 
  • एकादश अध्याय: व्यापार व सुख संपत्ति की प्राप्ति के लिए,, कारोबार में हानि हो रही है,, पैसा नहीं रुकता या बेकार के कामों में नष्ट हो जाता है यह अध्याय करें। 
  • द्वादश अध्याय: मान सम्मान तथा लाभ प्राप्ति के लिए,, मान सम्मान को बढ़ाने के लिए यह अध्याय करें । 
  • त्रयोदश अध्याय: भक्ति प्राप्ति के लिए साधना के बाद पूर्ण भक्त के लिए यह पाठ करें। 

दुर्गा सप्तशती के यह अध्याय होने के बाद सिद्ध कुंजिका का अध्ययन जरूर करें नहीं तो पाठ अधूरा माना जाता है । सिद्ध कुंजिका के अध्ययन से ही पूरी दुर्गा सप्तशती का फल हमें प्राप्त होता है।

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मीन राशि साढ़े साती की प्रथम चरण की चपेट में, इन उपाय से मिलेगा दुखों से छुटकारा

ज्योतिष में, शनिदेव को कर्मफल दाता और न्याय देवता कहा जाता है। भगवान सूर्य के छाया पुत्र शनिदेव व्यक्ति को उसके कर्मों के हिसाब से शुभ या फिर अशुभ फल प्रदान करते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, शनिदेव ने भगवान शिव की कठोर तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया था और भगवान शिव प्रसन्न होकर शनिदेव को कर्म फलदाता का वरदान प्रदान किया। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनिदेव की कृपा से रंक राजा बन जाता है और उसे अपार सुख सुविधा प्राप्त होती है। वहीं, बुरे कर्म करने वाले लोगों को शनिदेव दंडित करते हैं। ज्योतिषियों की माने तो साढ़े साती के दौरान व्यक्ति को जीवन में कई प्रकार की समस्याओं से दो-चार होना पड़ सकता है। वर्तमान में मीन राशि, कुंभ राशि और मकर राशि के जातक साढ़ा साती के प्रकोप से पीड़ित है। मीन राशि में शनि की साढ़े साती का पहला चरण चल रहा है। 

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विषम परिस्थिति से गुजरना पड़ता है। वर्तमान समय में मीन, कुंभ और मकर राशि के जातक साढ़े साती से पीड़ित हैं। देव गुरु बृहस्पति की स्वामित्व वाली राशि मीन राशि में साढ़े साती का प्रथम चरण चल रहा है। मीन राशि में साढ़े साती 29 अप्रैल 2022 से आरंभ हुई है। हिंदू पंचांग के अनुसार, मीन राशि वाले जातकों पर लगभग 22 वर्ष बाद शनि की साढ़े साती आरंभ हुई है। ऐसे में, यदि आप भी मीन राशि के जातक हैं और शनि के साढ़े साती से बचने के उपाय तलाश रहे हैं तो एस्ट्रोसेज आपके लिए लेकर आया है ये ख़ास ब्लॉग। जिसमें शनि के साढ़े साती से बचने के कुछ ज्योतिषीय उपाय बताए जा रहे हैं, जिसे अपनाकर आप इससे छुटकारा पा सकते हैं।

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कब तक मिलेगी मीन राशि के जातकों को साढ़ेसाती से मुक्ति

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि एक राशि में ढाई साल तक विराजमान रहते हैं और ढाई साल के बाद अपनी राशि में परिवर्तन करते हैं। साढ़े साती में एक चरण ढाई साल का माना जाता है। वर्तमान समय में मीन राशि पर साढ़े साती का पहला चरण चल रहा है, जो 29 मार्च 2025 तक रहेगा। इसके बाद साढ़े साती का दूसरे चरण की शुरुआत होगी। हिंदू पंचांग के अनुसार, 7 अप्रैल 2030 को मीन राशि वालों को साढ़ेसाती से पूरी तरह से मुक्ति मिल पाएगी, लेकिन इस बीच कुछ ख़ास उपाय हैं, जो उन्हें जरूर अपनाना चाहिए।

साढ़ेसाती के पहले चरण का प्रभाव

ज्योतिष शास्त्र में शनि के साढ़ेसाती के पहले चरण को उदय चरण कहा गया है। शनि साढ़े साती के पहले चरण में मानसिक तनाव, अज्ञात रोग, अज्ञात भय और आर्थिक जीवन में समस्या देते हैं। इन सभी समस्याओं से बचने के लिए शनि की उपासना करनी चाहिए। शनि के प्रकोप से बचने के लिए कुछ ख़ास उपाय बताए जा रहे हैं।

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मीन राशि के जातकों के लिए साढ़ेसाती के लिए उपाय

मीन राशि के जातकों के लिए शनि की साढ़ेसाती से बचने के लिए कुछ खास उपाय बताए जा रहे हैं, जो इस प्रकार है:

गरीब व जरूरतमंदों की करें मदद

ज्योतिषियों की मानें तो गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता व मदद करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। अतः मीन राशि जातकों को गरीबों को जरूरत का सामान वितरित करना चाहिए।

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भगवान शिव का जलाभिषेक करें

यदि आप साढ़े साती से निजात पाना चाहते हैं, तो प्रतिदिन स्नान-ध्यान के करने के बाद गंगाजल में काले तिल मिलाकर भगवान शिव का जल अभिषेक करें। साथ ही इस समय शिव पंचाक्षरी मंत्र का लगातार जाप करें।

शनि यंत्र की स्थापना करें

शनिवार के दिन कर्मफल दाता शनि देव की पूजा की जाती है। इस दिन स्नान-ध्यान करके विधि-विधान से शनिदेव की पूजा करें। साथ ही, पूजा के समय शनि यंत्र को घर पर स्थापित करें और इसके बाद रोजाना शनि यंत्र की पूजा करें। इस उपाय को करने से शनि दोष से मुक्ति मिल सकती है।

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पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाएं

मीन राशि के जातक साढ़ेसाती से निजात पाने हेतु गुरुवार और रविवार को छोड़कर सभी दिन पीपल के वृक्ष में जल का अर्घ्य दें और तीन बार पीपल वृक्ष की परिक्रमा करें। इस उपाय को करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।

शमी की जड़ से करें उपाय

यदि आप शनि देव की कृपा पाना चाहते हैं, तो शमी की जड़ को काले कपड़े में बांधकर दाहिने हाथ में बांध लें। इस उपाय को करने से भी मीन राशि के जातकों को शनि की साढ़े साती से मुक्ति मिलती है। इस उपाय को शनिवार के दिन ही करना अनिर्वाय होगा।

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हनुमान चालीसा का पाठ करें

शनिवार का दिन भगवान शनिदेव का माना जाता है। ऐसे में, शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा करने से शनि की साढ़ेसाती से मुक्ति पाया जा सकता है। इसके अलावा, शनिवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करना भी साढ़े साती के अशुभ प्रभावों को दूर करने का एकमात्र शानदार उपाय है। हनुमान चालीसा का पाठ शनि के अशुभ प्रभावों से मुक्ति दिलाता है।

इन चीज़ों का करें दान

साढ़ेसाती से छुटकारा पाने के लिए शनिवार के दिन दान-पुण्य के कार्य करना चाहिए। इसके साथ ही, गरीबों और जरूरतमंदों को दान पुण्य करना चाहिए। इससे शनि के अशुभ प्रभाव से बचा जा सकता है। इसके अलावा, शनिवार के दिन लोहा, तिल, सरसों का तेल और छाया पात्र का दान करना चाहिए क्योंकि शनिदेव को यह अत्यधिक प्रिय हैं। माना जाता है कि इन चीजों का दान करने से शनि के अशुभ प्रभाव से बचा जा सकता है।

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नीलम रत्न धारण करें

यदि आप शनि के प्रकोप से पीड़ित हैं तो किसी ज्योतिषी की सलाह नीलम रत्न धारण करें। इससे भी शनि के साढ़ेसाती के प्रकोप से बचा जा सकता है।

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मंगल बदलेंगे राशि, इन 7 लोगों का चमक जाएगा करियर, प्रमोशन भी मिलेगा

युद्ध के देवता मंगल 23 अप्रैल 2024 की सुबह 08 बजकर 19 मिनट पर मीन राशि में गोचर कर जाएंगे। मंगल ग्रह को साहस और आक्रामकता का कारक माना गया है। मंगल के शुभ स्‍थान में होने पर ही जातक को अपने करियर में सफलता का स्‍वाद चखने को मिलता है और इस बार मंगल के मीन राशि में प्रवेश करने पर कुछ राशियों के लोगों को अपने करियर में ही अच्‍छे परिणाम मिलने वाले हैं।

मंगल के मीन राशि में प्रवेश करने पर लाभान्‍वित होने वाली राशियों के बारे में जानने से पहले आप ज्‍योतिषशास्‍त्र में मंगल के महत्‍व के बारे में जान लें।

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ज्‍योतिष में मंगल का महत्‍व

ज्‍योतिषशास्‍त्र में मंगल को पुरुष स्‍वभाव वाला ग्रह बताया गया है और इन्‍हें युद्ध का देवता भी कहा जाता है। मंगल के अपनी मूल त्रिकोण राशि में उपस्थित होने पर जातक को अच्‍छे परिणाम मिलते हैं। मंगल के शुभ प्रभाव देने पर जातक को ऊंचा पद मिलता है और उसका मान-सम्‍मान भी बढ़ता है।

मीन राशि के लिए मंगल उनके बारहवें भाव के अधिपति देव हैं और ऐसे में, यह करियर, धन लाभ आदि क्षेत्रों में औसत परिणाम देने का काम करते हैं। बृहस्‍पत‍ि की राशि मीन में मंगल देव की उपस्थिति कुछ राशि के लोगों के क‍रियर में सकारात्‍मक बदलाव लेकर आ सकती है।

तो चलिए अब बिना देर किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि मीन राशि में मंगल के गोचर करने पर किन राशियों के लोगों का करियर चमकने वाला है।

इन राशियों का चमकेगा करियर

वृषभ राशि

मंगल के मीन राशि में आने पर वृषभ राशि के लोगों को अपने करियर के क्षेत्र में अच्‍छे परिणाम मिलने की संभावना है। आपने अपने काम में जो कड़ी मेहनत की है, उसके लिए अब आपको कोई पुरस्‍कार मिल सकता है। आपके उच्‍च अधिकारी भी आपका सहयोग करेंगे और आपको अपने सहकर्मियों का भी सान्निध्‍य प्राप्‍त होगा। इस समय आप अपने करियर में अपार सफलता प्राप्‍त करेंगे और इससे आपका मन काफी प्रसन्‍न रहने वाला है।

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मिथुन राशि

मिथुन राशि के लोग अपने कार्यक्षेत्र में पेशेवर होकर काम करेंगे और इसकी मदद से इन्‍हें अपार सफलता मिलने की संभावना है। आपके लिए पदोन्‍नति के योग भी बन रहे हैं। आप अपनी कड़ी मेहनत और काबिलियत के दम पर कोई बड़ी उपलब्धि हासिल कर सकते हैं। आपको काम के सिलसिले में कई यात्राएं भी करनी पड़ सकती हैं और अच्‍छी बात यह है कि ये यात्राएं आपके लिए लाभकारी सिद्ध होंगी। इस समय आपको अपने करियर में पूरी मेहनत से काम करना है। आपको अपने परिश्रम का फल जरूर मिलेगा।

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कर्क राशि

कर्क राशि के लोग मंगल के मीन राशि में आने पर कोई बड़ी उपलब्धि हासिल कर सकते हैं। आप करियर के मामले में सिद्धांतों और नियमों पर चलना पसंद करते हैं और इस समय आप इसी दिशा में आगे भी बढ़ेंगे। आपको इस दौरान पदोन्‍नति भी मिल सकती है। इसके साथ ही आपको  अन्‍य लाभ मिलने की भी संभावना है। इस राशि के लोगों को अपने करियर को लेकर निश्चिंत हो जाना चाहिए। इस समय आपके सामने कोई बड़ी अड़चन या परेशानी नहीं आएगी।

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मीन राशि

यह समय मीन राशि के जातकों के करियर के लिए बहुत ज्‍यादा अनुकूल रहने वाला है। आपको इस दौरान पदोन्‍नति भी मिल सकती है और आपके वेतन में भी वृद्धि होने की संभावना है। जो लोग पदोन्‍न‍ति का इंतज़ार कर रहे हैं, इस समय उनकी यह कामना जरूर पूरी होगी और इसके लिए उन्‍हें ज्‍यादा मेहनत या प्रयास करने की भी जरूरत नहीं है।

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कुंभ राशि

मंगल का मीन राशि में गोचर कुंभ राशि के लोगों के करियर में उछाल लेकर आएगा। आप अपनी कड़ी मेहनत और काम के प्रति समर्पित रहने की वजह से सफलता के शीर्ष पर पहुंच पाएंगे और आपको पदोन्‍नति मिलने की भी संभावना है। आपको इस दौरान विदेश से भी नए अवसर मिलने के संकेत हैं। ये अवसर आपके लिए लाभकारी सिद्ध होंगे।

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धनु राशि

धनु राशि के जातकों को मंगल के गोचर के दौरान अपने करियर को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है। यह समय आपके लिए उत्‍तम साबित होगा और आपको अपने कार्यों में सकारात्‍मक परिणाम मिलेंगे। इसके साथ ही आपको कार्यक्षेत्र में अपनी किस्‍मत का साथ भी मिलेगा और आपके लिए प्रमोशन के योग भी बन रहे हैं। आपकी सैलरी भी बढ़ सकती है और इस तरह के सकारात्‍मक परिणामों को पाकर आपका मन प्रसन्‍न रहेगा। आपको काम के सिलसिले में विदेश जाने तक का मौका मिल सकता है। आपके उच्‍च अधिकारी भी आपके काम से प्रसन्‍न होंगे और आप एक उत्‍तम कर्मचारी का उदाहरण पेश करेंगे।

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कन्‍या राशि

कन्‍या राशि के लोगों के लिए मंगल का गोचर औसत परिणाम लेकर आएगा। आपको अपने काम की वजह से यात्राएं करनी पड़ सकती हैं। यदि आप अपने करियर में शुभ परिणाम पाना चाहते हैं, तो अपने वरिष्‍ठ अधिकारियों के साथ अपने संबंधों को सुधारने का प्रयास करें। कार्यक्षेत्र में उच्‍च सफलता प्राप्‍त करने के लिए आपको पेशेवर तरीके से योजना बनाने की जरूरत है। इससे आपको अपने करियर में मनचाही सफलता मिल सकती है।

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सूर्य का मेष में गोचर 6 राशियों के लिए रहेगा शुभ, 2 को उठानी पड़ेंगी स्वास्थ्य परेशानियाँ!

सूर्य का मेष राशि में गोचर: एस्ट्रोसेज की हमेशा से यही कोशिश रहती है कि हम अपने हर एक नए ब्लॉग के साथ आपको ज्योतिष की दुनिया में होने वाली हर नई, बड़ी छोटी हलचल की जानकारी प्रदान करते रहें ताकि हमारे रीडर्स को ज्योतिष की इस रहस्यमई दुनिया की नवीनतम घटनाओं से अपडेट रखा जा सके। 13 अप्रैल 2024 को सूर्य का मेष राशि में गोचर होने वाला है। चलिए जान लेते हैं कि सूर्य की मेष राशि में गोचर का राशियों पर कैसा प्रभाव पड़ेगा।

सूर्य के मेष राशि में गोचर के बारे में अधिक जानने के लिए सर्वश्रेष्ठ ज्योतिषियों से अभी करें बात

मेष राशि में सूर्य को उच्च का माना जाता है। मेष राशि का स्वामी सूर्य का मित्र ग्रह मंगल है। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य मेष राशि में अच्छे अंश पर स्थित होता है तो ऐसे जातक धनवान, स्वभाव में व्यावहारिक, चतुर, संभवत डॉक्टर या स्वास्थ्य कार्यकर्ता या फिर हथियार व्यापारी बनते हैं और इन क्षेत्रों में शानदार प्रदर्शन करते हैं। साथ ही ऐसे जातकों को दीर्घायु का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसे लोग साहसी होते हैं, प्रतिस्पर्धी होते हैं, आत्मविश्वासी होते हैं लेकिन इन लोगों का स्वास्थ्य खराब हो सकता है। ऐसे जातकों की हड्डियों की संरचना काफी शानदार रहती है।

मेष राशि में सूर्य विशेषताएं

सूर्य स्वभाव से एक उग्र ग्रह माना जाता है। जब वह मेष राशि में स्थित होता है तो इसे उच्च का मानते हैं जिस पर मंगल का शासन होता है जो दोबारा एक अन्य उग्र ग्रह है। क्योंकि सूर्य मंगल ग्रह के साथ मित्रता का भाव रखते हैं इसलिए मेष राशि में सूर्य की स्थिति वैदिक ज्योतिष के सिद्धांतों के अनुसार जातकों के लिए सकारात्मक परिणाम लेकर आने वाली मानी जाती है। सूर्य की इस स्थिति वाले व्यक्ति नेता बनते हैं, उनमें उदाहरण के द्वारा नेतृत्व करने और जनमत को प्रभावित करने की अदम्य क्षमता होती है। इसके अलावा इन लोगों में जिम्मेदारी और सत्य निष्ठा की भी प्रबल भावना देखने को मिलती है। ऐसे जातक बहुत बहादुर और प्रेरित व्यक्ति होते हैं जो कोई भी काम करने से कभी पीछे नहीं हटते हैं।

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ऐसे व्यक्तियों के पास विभिन्न विषयों के बारे में बुद्धिमत्ता और महान ज्ञान होता है। इसके अलावा उनकी आंतरिक शक्ति उनके बाहरी कद काठी से मेल खाती है जो शक्ति और करिश्मा को प्रदर्शित करती है। ऐसे जातक योद्धाओं की तरह होते हैं जो सरकार, पुलिस और सेवा में नेतृत्व की भूमिका में शानदार प्रदर्शन करते हैं। इन्हें कला के क्षेत्र में भी पहचान प्राप्त हो सकती है। उनका जीवन आमतौर पर समृद्ध होता है और उनके गहरे पैतृक रिश्ते होते हैं। इन सभी फायदेओं के बावजूद मेष राशि में सूर्य वाले व्यक्तित्व थोड़े आक्रामक भी हो सकते हैं। इन लोगों की आम तौर पर अत्यधिक प्रत्यक्ष और ईमानदार होने के लिए सराहना नहीं की जाती है। विभिन्न नियंत्रण करने वाले अहंकारी और आक्रामक स्वभाव के होते हैं क्योंकि यहां सूर्य पूरी शक्ति में होता है। मेष राशि में सूर्य के साथ ग्रह का अशुभ प्रभाव होने पर व्यक्ति को रक्त संबंधित परेशानियां होने की आशंका बढ़ जाती है।

सूर्य का मेष राशि में गोचर: क्या रहेगा समय?

सूर्य का मेष राशि में गोचर 13 अप्रैल को 20:51 पर होने वाला है। ज्योतिषीय दृष्टि से बात करें तो सूर्य का मेष राशि में गोचर ऊर्जा, पहल और उत्साह को दर्शाता है। मेष राशि मंगल ग्रह द्वारा शासित एक उग्र राशि मानी जाती है इसीलिए अक्सर जीवन शक्ति और प्रेरणा की भावना नजर आती है।

सूर्य का मेष राशि में गोचर इन राशियों पर डालेगा सकारात्मक प्रभाव 

मेष राशि 

मेष राशि के जातकों के लिए सूर्य प्रेम, रिश्ते और संतान के पांचवे घर का स्वामी है और अब यह स्वयं, चरित्र और व्यक्तित्व के प्रथम घर में गोचर करने जा रहा है। करियर के मोर्चे पर मेष राशि में सूर्य में जातकों के लिए करियर प्रयासों में ऊर्जा और उत्साह लेकर आएगा। यह समय बढ़ी हुई महत्वाकांक्षा, दृढ़ता और आत्मविश्वास का समय साबित होगा जो आपको पेशेवर जीवन में साहसिक कदम उठाने के लिए सशक्त बनाएगा। 

मेष राशि के जातक अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने और उन्नति के अवसर का लाभ उठाने में खुद को ज्यादा तत्पर पाएंगे। मेष राशि के जातकों को महत्वपूर्ण करियर उन्नति का अनुभव मिल सकता है। मुमकिन है कि इस दौरान आपको पदोन्नति, मान सम्मान यहां तक कि अगर आप कोई नया व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं तो उसमें आपको सफलता भी मिल सकती है। उनके प्राकृतिक नेतृत्व गुण और संवादात्मक दृष्टिकोण आपके वरिष्ठों और संभावित व्यावसायिक भागीदारों का ध्यान अपनी और आकर्षण करने में कामयाब रहेंगे। मेष राशि के जातकों को अपने कौशल का प्रदर्शन करने और कार्यस्थल में कुछ अधिकारियों से चुनौतियों का सामना करने के लिए यह समय अनुकूल रहने वाला है।

मिथुन राशि 

मिथुन राशि के जातकों के लिए सूर्य भाई बहनों, पड़ोसियों और छोटी यात्राओं के तीसरे घर का स्वामी है और अब यह भौतिक लाभ और इच्छा के 11वें घर में गोचर करने जा रहा है। करियर के मोर्चे पर सूर्य का यह गोचर मिथुन राशि के जातकों के लाभ और इच्छा के ग्यारहवें घर को प्रभावित करेगा। ऐसे में संभावित वेतन में वृद्धि और प्रमोशन के प्रबल योग आपके जीवन में बनेंगे। आपको अपने वरिष्ठों के साथ मजबूत रिश्ते बनाने में सफलता मिलेगी और आप अपनी भूमिका में शानदार प्रदर्शन करके अपने प्रबंधन कौशल को बढ़ाने में भी सफल रहेंगे। आप कई कार्यो को कुशलतापूर्वक संतुलित करेंगे और इस समय आपका आत्मविश्वास उच्च रहने वाला है। आपके पेशेवर क्षेत्र में आपकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी।

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कर्क राशि 

कर्क राशि के जातकों के लिए सूर्य दूसरे भाव का शासक स्वामी है और अब आपके दसवें घर में गोचर करने जा रहा है। यह सूर्य के लिए एक उत्तम स्थान माना गया है। यह समय कार्यक्षेत्र में ज्यादा उपलब्धियां और मान सम्मान की अवधि को दर्शाता है। ऐसे अवसर स्वयं आपके सामने आएंगे जिसमें आपको ज्यादा कौशल और सफलता प्राप्त होगी। आपको पदोन्नति या कोई नया काम भी सौंपा जा सकता है। अधिकारियों और सहकर्मियों के साथ सकारात्मक बातचीत से आपके काम का वातावरण अनुकूल बनेगा जिससे करियर में उन्नति और लक्ष्य प्राप्ति में सहायता मिलेगी। ऐसे जातकों को अपने निवेश पर महत्वपूर्ण वित्तीय रिटर्न भी प्राप्त होने की उच्च संभावना बन रही है। इसके अलावा जो जातक व्यवसाय के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं उन्हें विकास और विस्तार के नए मौके प्राप्त होंगे और उनकी वित्तीय स्थिरता और समृद्धि बढ़ेगी। इस अवधि में आप धन बढ़ाने और अपनी आर्थिक स्थिति को स्थिर और मजबूत करने में सफल रहेंगे।

सिंह राशि 

सिंह राशि के जातकों के लिए सूर्य प्रथम भाव का स्वामी है जो पहचान, व्यक्तित्व और चरित्र का भाव माना जाता है। यह वर्तमान में आपके नवम भाव में उच्च अवस्था में गोचर करने जा रहा है। नवम भाव आध्यात्मिकता, धर्म और उच्च शिक्षा से संबंधित घर माना गया है। करियर के संबंध में मेष राशि में सूर्य का यह गोचर आपके लिए सफलता और ढेरों ऐसे अवसर लेकर आएगा जिसमें आपको पदोन्नति, वेतन वृद्धि और नई और अच्छी नौकरी के मौके आपके जीवन में आएंगे। कार्य क्षेत्र में अधिक पुरस्कारों के साथ पदोन्नति मिलने या कोई बड़ा काम मिलने की उच्च संभावना बन रही है। सिंह राशि के जातकों के लिए कई व्यावसायिक कार्यों में वृद्धि की क्षमता भी है। ऐसे में अगर आप इस संदर्भ में व्यवसाय करते हैं तो आपको सफलता मिल सकती है।

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए सूर्य दशम भाव का स्वामी है जिसे नाम, सेलिब्रिटी और मान्यता से संबंधित भाव कहा जाता है का स्वामी है और अब यह आपके रोग के छठे घर में गोचर करने जा रहा है। मेष राशि में सूर्य का यह गोचर नौकरी में उन्नति के संकेत दे रहा है। आपको वेतन वृद्धि, पदोन्नति या आपकी कड़ी मेहनत के लिए आपको मान सम्मान मिल सकता है। इस राशि के जातक स्वयं को अपने क्षेत्र में शीर्ष पर पाएंगे। आपका आत्मविश्वास और क्षमता बढ़ेगी जिससे टीम और परियोजनाओं पर सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा। इसके अलावा करियर में प्रगति की भी संभावनाएं नजर आ रही है। विशेष कर उन जातकों के लिए जो सरकारी क्षेत्र में नई नौकरी का इंतजार कर रहे हैं। इस राशि के व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए भी यह समय अनुकूल साबित होगा। इस दौरान आप अपने प्रतिस्पर्धियों से बहुत आगे निकल पाने में कामयाब होंगे।

धनु राशि 

धनु राशि के जातकों के लिए सूर्य नवम भाव का शासक स्वामी है जिसे आध्यात्मिकता, लंबी यात्रा और उच्च शिक्षा का भाव कहा जाता है। यह अब आपके पंचम भाव में गोचर करने जा रहा है जिसे प्रेम, रोमांस और संतान से संबंधित मानते हैं। करियर के संबंध में धनु राशि के जातकों को सूर्य के मेष राशि में इस गोचर से लाभ मिलेगा क्योंकि यह पंचम भाव में होने जा रहा है जिसका अर्थ है कि आपको कोई नई नौकरी या नौकरी में उन्नति या नए अवसर मिलने की संभावना बढ़ेगी। धनु राशि के जातकों के जोश और व्यवसायिकता में भी वृद्धि देखने को मिलेगी जिसके दम पर आप अपने उपक्रमों में सफलता प्राप्त करेंगे, अपने करियर की आकांक्षाओं में आगे बढ़ेंगे और आपकी रणनीतियां सफल होगी। इसके अलावा इस राशि के जो जातक व्यवसाय में शामिल हैं उन्हें विशेष रूप से संयुक्त उद्यम में सफलता और लाभ मिलने की संभावना बढ़ेगी। अब आपके करियर से जुड़े सभी लक्ष्य और सपने पूरे होने वाले हैं।

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सूर्य का मेष राशि में गोचर इन राशियों पर पड़ेगा नकारात्मक प्रभाव 

कन्या राशि 

कन्या राशि में जन्म लेने वाले जातकों के लिए सूर्य बारहवें घर का शासक स्वामी है जो हानि और व्यय से जुड़ा भाव कहलाता है। इस गोचर के दौरान शुक्र आपके अष्टम भाव में मौजूद रहेगा जिसे दीर्घायु और अप्रत्याशित लाभ या हानि का भाव कहा जाता है। मेष राशि में सूर्य के गोचर का प्रभाव स्पष्ट तौर पर करियर को पर देखने को मिलेगा। विशेष रूप से अष्टम भाव में इसका स्थान करियर के संबंध में कठिनाइयां और बाधाएँ आपके जीवन में आने के संकेत दे रहा है। 

काम के बढ़ते दबाव और आपकी अपेक्षा के परिणाम स्वरुप आपको संतुष्टि नहीं मिलेगी जिसके चलते आप अपने काम में गलतियां करते नजर आ सकते हैं। कुछ लोग नई नौकरी के विकल्पों की तलाश के बारे में भी सोच सकते हैं क्योंकि वर्तमान कार्यस्थल में आपको अपने व्यावसायिक विकास की संभावना बहुत ही काम नजर आ रही है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार के अवसर आपके जीवन में आ सकते हैं लेकिन इस राशि के जातकों को इस समय अवधि में आपकी अपेक्षा के अनुरूप सफलता नहीं प्राप्त होगी।

तुला राशि 

सूर्य वर्तमान में तुला राशि के जातकों के लिए विवाह और साझेदारी के सप्तम भाव में गोचर करने जा रहा है जहां यह सांसारिक लाभ और इच्छा के ग्यारहवें घर का स्वामी है। सप्तम भाव में सूर्य का यह गोचर तुला राशि के लोगों को अपने नौकरी में बाधाओं के संकेत आने की आशंका जाता रहा है। विशेष तौर पर आपके सहकर्मियों के साथ आपके रिश्ते खराब हो सकते हैं। आपके पास काम में अशांति और बढ़ा हुआ दबाव परेशानी की वजह बनेगा। इसके परिणाम स्वरुप अप्रत्याशित यात्रा और उत्पादकता आपके परिणाम के स्वरूप नहीं होगी। कॉरपोरेट जगत में भी तुला राशि के जातकों को बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है जिसके लिए निर्णय लेते समय आपको बहुत ही ज्यादा सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है अन्यथा धन हानि की आशंका है।

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सूर्य का मेष राशि में गोचर- प्रभावशाली उपाय

  • आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें। 
  • गरीबों को लाल रंग के कपड़ों का दान करें। 
  • रविवार के दिन मंदिर में अनार का दान करें। 
  • तांबे के लोटे में एक चुटकी सिंदूर डालकर सूर्य देवता को जल अर्पित करें। 
  • सूर्य यंत्र की पूजा करें। 
  • प्रतिदिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।

सूर्य का मेष राशि में गोचर विश्वव्यापी प्रभाव

सरकार 

  • सूर्य के इस गोचर के दौरान सरकार और कुछ महत्वपूर्ण राजनीतिक नेताओं को महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए देखा जा सकता है जिसका सकारात्मक प्रभाव देश पर पड़ेगा। 
  • भारत और दुनियाभर की सरकारें अपने-अपने देश के बारे में अपनी स्थिति के बारे में आश्वस्त नजर आएंगी। इस गोचर के दौरान वे और भी ज्यादा मजबूत बनेंगी। 
  • मेष राशि में सूर्य का यह गोचर राजनेताओं, शिक्षकों, विद्वानों, आध्यात्मिक उपदेशकों, सलाहकारों, जनसंपर्कों, लेखकों, कलाकारों, मूर्तिकारों, सरकारी अधिकारियों, प्रशंसकों के लिए शानदार समय साबित होगा। 
  • इस दौरान सरकार देश की आंतरिक व्यवस्था को पूरी तरह से संभालने में सक्षम नजर आएगी। 
  • उच्च पद पर या सरकार के अंदर मौजूद लोग अपने कर्तव्यों को असाधारण रूप से अच्छी तरह से निभाएंगे और अपने काम के लिए लोगों से सराहना प्राप्त करेंगे।

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व्यापार और वित्त 

  • बैंक जैसे वित्तीय संस्थाओं, देश की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली और न्यायिक प्रणाली में अचानक से सुधार देखने को मिलेगा और इन सभी क्षेत्रों को और भी ज्यादा मजबूत करने के लिए नई नीतियां लागू की जा सकती हैं। 
  • दुनिया भर के अधिकांश व्यवसाय और व्यापार मालिकों को बाजार में नए उत्साह का अनुभव होगा और चीज़ें सही दिशा में आगे बढ़ती नजर आएंगे।

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मेष राशि में सूर्य का गोचर शेयर बाजार का कैसा रहेगा हाल 

  • रासायनिक उद्योग, सार्वजनिक क्षेत्र, फार्मास्यूटिकल क्षेत्र, बिजली क्षेत्र और सीमेंट उद्योग अच्छा प्रदर्शन करते नजर आएंगे। 
  • सूर्य और मंगल की अच्छी स्थिति में होने से इलेक्ट्रिकल उत्पादन उद्योग, इलेक्ट्रिकल, बिजली, चाय और काफी उद्योग, सीमेंट उद्योग, हीरा उद्योग, रसायन, भारी इंजीनियरिंग भी अच्छा प्रदर्शन करेंगे।  
  • इस अवधि के दौरान ऐड टेक फॉर्म और शैक्षिक संस्थान अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं और सोने चांदी की कीमतें नई ऊंचाइयां छूती नजर आएंगी।

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चैत्र नवरात्रि दूसरा दिन: माँ की पूजा का ज्योतिषीय महत्व- ये उपाय दिलाएँगे पूर्ण सिद्धि!

चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन मां के ब्रह्मचारिणी स्वरूप को समर्पित होता है। मां ब्रह्मचारिणी को देवी का अविवाहित स्वरूप माना गया है। आज अपने इस खास ब्लॉग में हम मां ब्रह्मचारिणी और नवरात्रि के दूसरे दिन से संबंधित कुछ विशेष बातों की जानकारी प्राप्त करेंगे।

सिर्फ इतना ही नहीं इस ब्लॉग के माध्यम से हम जानेंगे चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन आप माँ की प्रसन्नता हासिल करने के लिए उन्हें किस चीज का भोग लगा सकते हैं, साथ ही जानेंगे मां के प्रिय रंग की जानकारी और जानेंगे इस दिन किए जाने वाले विशेष उपायों के बारे में भी। तो चलिए बिना देरी किए शुरू करते हैं यह खास ब्लॉग और सबसे पहले जानते हैं मां का स्वरूप कैसा है। 

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मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप

जैसा कि हमने पहले भी बताया कि मां ब्रह्मचारिणी को देवी पार्वती का अविवाहित स्वरूप माना जाता है। इन्होंने श्वेत रंग की वस्त्र धारण किए हैं, मां के दाहिने हाथ में जप माला है और बाएं हाथ में कमंडल है। मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप बेहद ही तेजमय और ज्योतिर्मय होता है।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का ज्योतिषीय संदर्भ

ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार बात करें तो मां ब्रह्मचारिणी की तो माँ को मंगल ग्रह से संबंधित माना जाता है। ऐसे में जिन जातकों की कुंडली में मंगल ग्रह कमजोर स्थिति में हो या पीड़ित अवस्था में हो उन्हें विशेष रूप से मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने की सलाह दी जाती है।

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मां ब्रह्मचारिणी की पूजा महत्व 

बात करें महत्व की तो मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा करने से व्यक्ति के अंदर से आलस्य, अहंकार, लोभ, लालच, झूठ, स्वार्थ और ईर्ष्या जैसी गलत आदतें दूर होती हैं। इसके अलावा मां का स्मरण करने मात्र से व्यक्ति के अंदर एकाग्रता और स्थिरता बढ़ने लगती है। साथ ही व्यक्ति के बुद्धि, विवेक और धैर्य में वृद्धि होती है।

मां ब्रह्मचारिणी को अवश्य लगाएँ ये भोग 

नवरात्रि के नौ दिनों में माता के नौ स्वरूपों के भोग का विशेष महत्व माना गया है। माता के अलग-अलग स्वरूप को अलग-अलग भोग वस्तुएं पसंद होती है। ऐसे में बात करें मां ब्रह्मचारिणी की तो इस दिन की पूजा के दौरान अर्थात नवरात्रि के दूसरे दिन की पूजा के दौरान मां को कमल और गुड़हल का फूल अवश्य अर्पित करें।

इसके अलावा माता को चीनी और मिश्री भी बहुत पसंद है। ऐसे में ऐसा कोई भोग मां को अर्पित करें जिसमें चीनी और मिश्री हो। मुमकिन हो तो इस दिन पंचामृत का भोग अवश्य लगाएँ। इसके अलावा दूध या फिर दूध से बनी खाने की वस्तुएं भी माँ को बेहद प्रिय होती है। आप इसका भी भोग मां को अर्पित कर सकते हैं। 

कहा जाता है की मां को पसंदीदा वस्तुओं का भोग लगाने से व्यक्ति को लंबी आयु का सौभाग्य प्राप्त होता है। 

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देवी ब्रह्मचारिणी का पूजा मंत्र

“दधाना करपद्माभ्यं, अक्षमालाकमाली। देवी प्रसूदतु माई, ब्रह्मचार्यानुत्तमा ..”
“दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमंडलु। देवी प्रसीदतु माई, ब्रह्मचारिण्यानुत्तमा।।”

या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

नवरात्रि के दूसरे दिन अवश्य करें यह अचूक उपाय

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार माना जाता है की मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा करने से व्यक्ति को कुंडली में मौजूद मंगल दोष से छुटकारा मिलता है। साथ ही मंगल दोष से होने वाली तमाम तरह की परेशानियां भी उसके जीवन से दूर होने लगती हैं। कुंडली में मंगल ग्रह मजबूत होता है तो व्यक्ति को भूमि, भवन, बल आदि का आशीर्वाद मिलता है। ऐसे में आप चाहे तो नवरात्रि के दूसरे दिन कुछ अचूक उपाय करके इस दिन का सर्वश्रेष्ठ लाभ अपने जीवन में प्राप्त कर सकते हैं।

  • नवरात्रि के दूसरे दिन आप मंदिर जाकर देवी पार्वती और भगवान शिव के ऊपर जल और फूल अर्पित करें। इसके बाद पंचोपचार विधि से इन दोनों का पूजन करें। पूजा करने के बाद मौली से शिव और पार्वती देवी का गठबंधन करें और शीघ्र विवाह होने की प्रार्थना करें। 
  • अगर आपके वैवाहिक जीवन में किसी तरह की कोई परेशानी आ रही है तो इस दिन गौरी माता का पूजन अवश्य करें। इससे आपको लाभ अवश्य मिलेगा।
  • रामायण के अनुसार कहा जाता है की मां सीता ने भी विवाह से पहले गौरी माता की पूजा की थी और तभी उन्हें भगवान श्री राम उन्हें पति के रूप में प्राप्त हुए थे। 
  • इसके अलावा अगर आप मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त करना चाहते हैं तो नवरात्रि के दूसरे दिन स्नान करने के बाद दुर्गा सप्तशती के मंत्रों का जाप अवश्य करें। इससे भी आपको मनचाहा वर प्राप्त होने की संभावना बढ़ जाती है।  

क्या यह जानते हैं आप? नवरात्रि के दौरान बहुत से घरों में अखंड ज्योत जलाई जाती है लेकिन अखंड ज्योत स्थापित करने की एक सही दिशा निर्धारित की गई है। दरअसल अखंड ज्योति हमेशा दक्षिण पूर्व दिशा की तरफ ही रखनी चाहिए। ऐसा करने से अगर किसी जातक के वैवाहिक जीवन में किसी तरह की कोई समस्या आ रही है तो वह निश्चित रूप से दूर हो जाएगी।

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मां ब्रह्मचारिणी के नाम का अर्थ होता है ब्रह्मा अर्थात तपस्या और चारणी का मतलब होता है आचरण अर्थात एक ऐसी देवी जिन्हें तपस्या की देवी माना गया है। यही वजह है की मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति तप, त्याग, वैराग, सदाचार और संयम प्राप्त करता है।

इन लोगों को विशेष रूप से करनी चाहिए मां ब्रह्मचारिणी की पूजा 

यूं तो मां दुर्गा के किसी भी स्वरूप और हर स्वरूप की पूजा हर कोई व्यक्ति कर सकता है लेकिन विशेष तौर पर जिन लोगों को बार-बार काम करने के बाद भी सफलता नहीं मिल रही हो, जिन्हें लालसाओं से मुक्ति पानी हो, उन्हें निश्चित रूप से मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से आपको लालसाओं से मुक्ति मिलेगी और आपको आपकी कड़ी मेहनत का फल भी प्राप्त होगा। साथ ही जीवन में सफलता मिलेगी। इसके अलावा ऐसे व्यक्तियों को अपने जीवन में आध्यात्मिक ऊर्जा में भी वृद्धि देखने को मिलेगी।

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मां ब्रह्मचारिणी से संबंधित पौराणिक कथा 

पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनके स्वरूप को शैलपुत्री कहा गया था लेकिन मां ने तप के समय जिन नियमों का पालन किया, जिस तरह से कठिन जीवन जिया, जिस प्रकार शुद्ध और पवित्र आचरण अपनाया और तपस्या को अच्छी तरह से किया ऐसे में उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा।

कहा जाता है मूसलाधार वर्षा हो, तेज धूप हो, आंधी तूफान जैसे कठिन हालातो में भी माँ ब्रह्मचारिणी ने अपनी तपस्या नहीं छोड़ी थी। वो निश्चय के साथ तपस्या करती रही और तभी से इन्हें देवी ब्रह्मचारिणी का नाम दिया गया। कई वर्षों तक फल, शाक, और बेलपत्र खाने की वजह से उनका शरीर काफी कमजोर हो गया था। कहा जाता है आखिरकार माँ ब्रह्मचारिणी की तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए थे और उनकी मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद दिया था और तभी भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था। 

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लंबे समय के बाद उदय हो रहे हैं बुध, इनकी जेब हो जाएगी हल्‍की, खर्चे तक चलाना हो जाएगा मुश्किल

जिस प्रकार ग्रहों के गोचर का देश-दुनिया समेत सभी राशियों पर प्रभाव पड़ता है, ठीक उसी प्रकार ग्रहों के अस्‍त और उदित होने पर भी 12 राशियों का जीवन प्रभावित होता है। जब कोई ग्रह अस्‍त या उदित होता है, तो इससे कुछ राशियों के जीवन में खुशियां आती हैं एवं उन्‍हें सकारात्‍मक परिणाम मिलते हैं, तो वहीं कुछ लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस ब्‍लॉग में आज हम आपको बुध के उदित होने की जानकारी दे रहे हैं।

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बुद्धि और वाणी के कारक ग्रह बुध का मीन राशि में उदय 19 अप्रैल 2024 की सुबह 10 बजकर 23 मिनट पर होने जा रहा है। बुध के उदित होने पर कुछ राशियों के लोगों को पैसों की तंगी होने की आशंका है। इस समय इन राशियों के जातकों को धन के मामले में थोड़ा सावधान रहने की जरूरत है।

तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि बुध के मीन राशि में उदय होने पर किन राशियों को पैसों की तंगी होने की संभावना है लेकिन उससे पहले ज्‍योतिषशास्‍त्र में बुध ग्रह के महत्‍व के बारे में जान लेते हैं।

ज्‍योतिष में बुध का महत्‍व

ज्‍योतिषशास्‍त्र में बुध को बुद्धि का देवता बताया गया है और उन्‍हें तर्क, शिक्षा एवं संचार कौशल का कारक भी माना गया है। यदि कुंडली में बुध ग्रह कमज़ोर स्थिति में हो, तो व्‍यक्‍ति को एकाग्रता से काम करने में दिक्‍कत आती है और उसका मन असुरक्षा की भावनाओं से घिर जाता है। इनकी याद्दाश्‍त के भी कमज़ोर होने का डर रहता है।

वहीं जब बुध अस्‍त अवस्‍था से बाहर निकलकर उदित होते हैं, तो उनके शुभ प्रभाव मिलने शुरू हो जाते हैं। इस समय जातक को अपने भाग्‍य का साथ मिलता है और उसके जीवन में खुशियां आती हैं। ये शेयर मार्केट और व्‍यापार में अच्‍छा प्रदर्शन करते हैं।

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इन 5 राशियों को होगी तंगी

मेष राशि

बुध के उदित होने पर मेष राशि के लोगों को अपनी आर्थिक स्थिति को लेकर थोड़ा संभलकर रहने की जरूरत है। आपको इस समय किसी से कर्जा लेना पड़ सकता है। आपके लिए अपने बढ़ते हुए खर्चों को पूरा कर पाना मुश्किल हो जाएगा। आपको कभी-कभी धन लाभ भी हो सकता है लेकिन धन हानि की स्थिति आपके लिए ज्‍यादातर बनी ही रहेगी। इस दौरान आप पैसों से संबंधित कोई बड़ा फैसला न लें वरना आपका पैसा डूब सकता है और आपके पास अफसोस करने के अलावा और कोई रास्‍ता नहीं रह जाएगा। यह समय मेष राशि के जातकों के लिए ज्‍यादा अनुकूल नहीं रहने वाला है।

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तुला राशि

तुला राशि वाले लोगों को इस समय आर्थिक समस्‍याओं का सामना करना पड़ सकता है। आपके ऊपर परिवार की जिम्‍मेदारियां और खर्चे भी बहुत ज्‍यादा बढ़ने वाले हैं। इन बढ़े हुए खर्चों को पूरा कर पाना आपके लिए मुश्किल हो जाएगा और इस वजह से आप चिंता में आ सकते हैं। आपको अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए पैसा उधार तक लेना पड़ सकता है। आपको लोन लेने की जरूरत भी पड़ सकती है। इन सभी चीज़ों की वजह से आपके लिए पैसों की बचत कर पाना असंभव हो जाएगा। आप अपने फिजूलखर्चों पर नियंत्रण रखें और बजट बनाकर चलें। इससे आपकी स्थिति थोड़ी बेहतर हो सकती है।

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वृश्चिक राशि

बुध के मीन राशि में उदित होने से वृश्चिक राशि के जातकों को धन के मामले में तंगी होने की आशंका है। बुध की यह चाल आपकी आर्थिक स्थित पर भारी पड़ सकती है। आपको अचानक से धन हानि होने के संकेत हैं और इसके कारण आपका मन चिंताओं से घिर सकता है। आप इस समय अपने कंधों पर कुछ ऐसी जिम्‍मेदारियां ले सकते हैं जो आपकी हैं ही नहीं और इनके चक्‍कर में आपके ऊपर आर्थिक बोझ बहुत ज्‍यादा बढ़ जाएगा। बेहतर होगा कि आप अपनी स्थिति को संभालने पर ध्‍यान दें और दूसरों के मसलों में दखल न दें।

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धनु राशि

यदि आपकी धनु राशि है, तो आपको धन के मामले में संभलकर रहने की जरूरत है। आपको अपने आर्थिक जीवन में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं। इस दौरान आपके खर्चों में बहुत ज्‍यादा वृद्धि होने वाली है और आपके लिए अपने खर्चों और परिवार की जरूरतों को संभाल पाना थोड़ा मुश्किल हो जाएगा। इससे आपके लिए पैसों की बचत करना कठिन हो जाएगा। आप अपने फिजूलखर्चों को बंद करें और थोड़े पैसे बचाने का प्रयास करें। यह समय आपके लिए थोड़ा कठिन रहने वाला है।

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कुंभ राशि

बुध के मीन र‍ाशि में उदित होने पर जिन राशियों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ेगा, उनमें कुंभ राशि का नाम भी शामिल है। आपको इस समय लाभ तो होगा लेकिन उसके साथ ही नुकसान भी उठाना पड़ेगा। अपने मुश्किल समय को आसानी से पार करने के लिए आपको पैसों की बचत करने की सलाह दी जाती है। इसकी मदद से आप पैसों की तंगी की स्थिति से बच सकते हैं। इस तरह आप अपनी आर्थिक स्थिति को खराब होने से बचा सकते हैं।

कुंभ साप्ताहिक राशिफल

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2038 तक इन राशियों पर रहने वाली है शनि की साढ़े साती, नहीं हो पाएगा दुखों का अंत

वैदिक ज्‍योतिष में शनि देव को एक क्रूर ग्रह माना गया है। शनि देव न्‍याय के देवता हैं जो मनुष्‍य को उसके कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। ज्‍योतिषशास्‍त्र में शनि का गोचर बहुत महत्‍व रखता है। शनि एक ऐसे ग्रह हैं जो लंबे अंतराल के बाद राशि परिवर्तन करते हैं।

शनि की साढ़े साती और ढैय्या को बहुत कष्‍टकारी माना जाता है। ज्‍योतिष के अनुसार इस दौरान व्‍यक्‍ति को कई तरह के कष्‍टों और दुखों को सहना पड़ता है। उसके सामने कई तरह की चुनौतियां आती हैं और उसके बनते हुए काम भी बिगड़ने लगते हैं।

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जिस राशि पर शनि की साढ़े साती रहती है, उससे अगली और बारहवें स्‍थान वाली राशि पर भी साढ़े साती का प्रभाव पड़ता है। इन तीन राशियों का सफर तय करने में शनि देव को साढ़े सात साल का समय लग जाता है जिसे साढ़े साती कहते हैं। कुछ राशियां ऐसी हैं जिन पर साल 2038 तक शनि की साढ़े साती रहने वाली है।

इस ब्‍लॉग में आगे बताया गया है कि इस बार किन राशियों को शनि की साढ़े साती का कष्‍ट सहना पड़ेगा और यह साढ़े साती साल 2038 तक चलने वाली है लेकिन उससे पहले जान लेते हैं कि ज्‍योतिष में शनि ग्रह का क्‍या महत्‍व है।

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ज्‍योतिष में शनि ग्रह का महत्‍व

वैदिक ज्‍योतिष में शनि को एक महत्‍वपूर्ण ग्रह बताया गया है। शनि को आयु, पीड़ा, रोग, विज्ञान, तकनीक, लोहा, कर्मचारी, सेवक और तेल आदि का कारक माना गया है।। शनि मकर एवं कुंभ राशि के स्‍वामी ग्रह हैं और वह तुला राशि में उच्‍च और मेष राशि में नीच के होते हैं।

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शनि एक राशि में ढ़ाई वर्ष तक रहते हैं जिसे शनि की ढैय्या के नाम से जाना जाता है। नौ ग्रहों में शनि सबसे धीमी चाल चलते हैं। शनि की दशा साढ़े सात साल तक रहती है जिसे शनि की साढ़े साती कहते हैं।

लोगों को शनि के नाम से ही डर लगता है जबकि सच तो यह है कि शनि मनुष्‍य को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। शनि पीड़ित होने पर ही जातक को अशुभ प्रभाव देते हैं। किसी की कुंडली में शनि उच्‍च का हो, तो वह व्‍यक्‍ति रंक से राजा भी बन सकता है।

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साढ़े साती क्‍या है?

शनि ग्रह की साढ़े सात साल तक चलने वाली एक तरह की ग्रह दशा को साढ़े साती कहते हैं। सौरमंडल में सभी ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करते हैं, इनमें से शनि ही एकमात्र ऐसे ग्रह हैं जो सबसे धीमी चाल चलते हैं।

शनि देव सूर्य और छाया के पुत्र हैं एवं वह यमुना और यमराज के भाई हैं। शनि का रंग नीला होता है। चंद्र राशि के आधार पर शनि की साढ़े साती की गणना की जाती है। मनुष्‍य जो भी कर्म करता है, उसे उसके अनुसार फल देने का कार्य शनि देव का ही है। इसलिए शनि देव से भयभीत होने के बजाय मनुष्‍य को अच्‍छे कर्म करने चाहिए ताकि शनि देव की कृपा हमेशा उस पर बनी रहे।

साढ़े साती के प्रभाव की बात करें, तो इस दौरान कार्यों की पूर्ति में अड़चन आती है और जातक को लाख कोशिशें करने के बाद भी सफलता नहीं मिल पाती है। कुछ ज्‍योतिषीय उपायों की मदद से शनि की साढ़े साती के दुष्‍प्रभाव को कम किया जा सकता है।

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2038 तक किस पर रहने वाली है शनि की साढ़े साती

अभी शनि कुंभ राशि में बैठे हैं और अगले साल सानी 2025 में वे मीन राशि में गोचर करेंगे। साल 2025 में मेष राशि के अंदर शनि की साढ़े साती के पहले चरण की शुरुआत होगी। इस समय मीन राशि पर दूसरा और कुंभ राशि पर आखिरी चरण रहेगा। कुंभ राशि के ऊपर शनि की साढ़े साती 03 जून, 2027 तक रहने वाली है।

जैसे ही 2025 में शनि का गोचर होगा, वैसे ही मेष राशि में शनि की साढ़े साती शुरू हो जाएगी और यह साल 2032 तक रहने वाली है। साल 2027 में वृषभ राशि में शनि की साढ़े साती का पहला चरण आरंभ होगा। मिथुन राशि वालों पर 08 अगस्‍त, 2029 से शनि की साढ़े साती की शुरुआत होगी। यह अगस्‍त 2036 में जाकर समाप्‍त होगी। कर्क राशि पर मई, 2032 से शनि की साढ़े साती का प्रभाव शुरू होगा जो कि 22 अक्‍टूबर, 2038 तक रहने वाला है। इस प्रकार 2025 से लेकर 2038 तक कुंभ, मीन, मेष, वृषभ और कर्क राशि के लोगों पर शनि की दृष्टि रहने वाली है।

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इन राशियों से हटेगी शनि की नज़र

वर्ष 2025 में शनि जब मीन राशि में प्रवेश करेंगे, तब मकर राशि में शनि की साढ़े साती खत्‍म हो जाएगी। इसके साथ ही कर्क और वृश्चिक राशि पर चल रही शनि की ढैय्या भी समा‍प्‍त होगी।

शनि की साढ़े साती के लिए कुछ ज्‍योतिषीय उपाय

अगर आपकी शनि की साढ़े साती चल रही है, तो आप कुछ सरल उपायों की मदद से शनि के अशुभ प्रभावों को कम कर सकते हैं :

  • शनिवार के दिन शनि देव की पूजा करें।
  • रोज़ हनुमान चालीसा का पाठ करने से भी लाभ होता है।
  • इसके अलावा आप अपने दाएं हाथ की मध्‍यमा उंगली में लोहे का छल्‍ला धारण करें। यह छल्‍ला घोड़े की नाल से बना होना चाहिए।
  • शनिवार के दिन तांबा और तिल का तेल शनि देव पर चढ़ाएं।
  • काली चीटियों को शहद और चीनी खिलाने से भी शनि देव शांत होते हैं।

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सूर्य ग्रहण पर बन रहा है चर्तुग्रही योग, तीन राशियों को मिलेगा खूब पैसा और तरक्‍की

08 अप्रैल, 2024 को रात्रि 09 बजकर 12 मिनट पर सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है और यह ग्रहण अगले दिन 09 अप्रैल, 2024 को सुबह 02 बजकर 22 मिनट पर समाप्‍त होगा। इस दौरान सूर्य मेष राशि में उपस्थित होंगे इसलिए ग्रहण मेष राशि में ही लगेगा।

यह पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा और इस दौरान सूर्य, बुध एवं राहु और शुक्र, चारों ग्रह एकसाथ मीन राशि में रहेंगे। इस तरह का संयोग बहुत कम देखने को मिलता है। मीन राशि में चार ग्रहों की उपस्थिति से चर्तुग्रही योग बन रहा है। लगभग 500 सालों के बाद यह योग बन रहा है। इस योग के बनने से कुछ राशियों के जातकों को विशेष लाभ मिलने की संभावना है। आज इस ब्‍लॉग के जरिए हम आपको बता रहे हैं कि सूर्य ग्रहण 2024 के दौरान चर्तुग्रही योग बनने पर किन राशियों को अपने भाग्‍य का साथ मिलने वाला है लेकिन उससे पहले जान लीजिए कि चतुग्रर्ही योग क्‍या होता है।

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चतुग्रर्ही योग क्‍या है

ज्‍योतिषशास्‍त्र में इस योग को अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण और शुभ बताया गया है। इस योग से प्रगति और आर्थिक लाभ की प्राप्ति होती है। जब चार ग्रह एक ही भाव में आते हैं, तब इस योग का निर्माण होता है। इस योग में शामिल ग्रह वि‍विध ब्रह्मांडीय ऊर्जाओं का प्रतिनिधित्‍व करते हैं। इस योग का क्‍या प्रभाव पड़ेगा, यह इसमें शामिल ग्रहों की प्रकृति और उनकी स्थिति पर निर्भर करता है। 

इस योग को तब अनुकूल माना जाता है जब इसमें शामिल ग्रह शुभ होते हैं, सकारात्‍मक गुणों को बढ़ावा देते हैं। वहीं अगर, एक ही भाव में अशुभ ग्रहों की युति हो रही हो, तो व्‍यक्‍ति को चुनौतियों और बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।

इस बार सूर्य ग्रहण के दौरान जो योग बन रहा है उसमें सूर्य, बुध, राहु और शुक्र शामिल हैं। इनमें से केवल राहु को ही अशुभ प्रभाव देने के लिए जाना जाता है। बुध, सूर्य और शुक्र तीनों ही शुभ प्रभाव देने वाले ग्रह हैं।

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ज्‍योतिष में ग्रहों का महत्‍व

वैदिक ज्‍योतिष में बुध को बुद्धि का कारक माना गया है। बुध व्‍यक्‍ति के बात करने के तरीके एवं संचार कौशल का प्रतिनिधित्‍व करते हैं। आप अपने विचारों को दूसरों तक कैसे पहुंचाते या व्‍यक्‍त करते हैं, यह कुंडली में बुध की स्थिति पर ही निर्भर करता है।

सूर्य देव को सफलता का कारक माना गया है। सूर्य हमेशा सकारात्‍मक चीज़ों की ओर प्रेरित करते हैं। ये मनुष्‍य के जीवन में आशा की किरण लेकर आते हैं और सदा ऊर्जावान बने रहने की प्रेरणा देते हैं। राहु की बात करें, तो ज्‍योतिष में इस ग्रह को पापी ग्रह बताया गया है। राहु ग्रह कठोर वाणी, जुआ, चोरी, बुरे कर्म, त्‍वचा रोग और धार्मिक यात्राओं के कारक हैं।

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शुक्र को शुभ ग्रह माना गया है। इस ग्रह के प्रभाव से व्‍यक्‍ति को भौतिक, शारीरिक एवं वैवाहिक सुखों की प्राप्ति होती है। शुक्र के प्रभाव से भौतिक सुख और वैवाहिक सुख के साथ-साथ भोग विलास का सुख भी मिलता है। तो चलिए अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि इन चार ग्रहों के मीन राशि में चर्तुग्रही योग बनने से किन राशि के लोगों को अच्‍छे फल मिलने वाले हैं।

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मेष राशि

मेष राशि के लोगों के लिए सूर्य ग्रहण के दौरान बनने जा रहा चर्तुग्रही योग शुभ साबित होगा। इस समय आपको अचानक से धन लाभ होने की संभावना है। यदि छात्र किसी प्रतियोगी परीक्षा में हिस्‍सा लेने की सोच रहे हैं, तो उन्‍हें उसमें सफलता जरूर मिलेगी। व्‍यापारियों के लिए भी शुभ योग बन रहे हैं। आपको इस दौरान उच्‍च मुनाफा कमाने का मौका मिलेगा।

आपको एक नहीं बल्कि कई स्रोतों से धन लाभ होने के संकेत हैं। इसके साथ ही बेराज़गार लोगों को नौकरी के अच्‍छे अवसर प्राप्‍त होंगे। जो नौकरीपेशा जातक पदोन्‍नति या वेतन में वृद्धि का इंतज़ार कर रहे हैं, उनकी इच्‍छा भी अब पूरी होगी। इस समय समाज में आपका मान-सम्‍मान बढ़ेगा और आपकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार आना शुरू होगा। आपको अपने पिता का भी सहयोग मिलेगा। कुल मिलाकर यह योग आपके लिए बहुत मंगलकारी साबित होगा।

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सिंह राशि

सूर्य ग्रहण के दौरान बन रहा चतुग्रर्ही योग सिंह राशि के लोगों के लिए अनुकूल रहने वाला है। आपकी आमदनी में बढ़ोत्तरी होगी। अगर आपके मन में कोई इच्‍छा है, तो इस समय आपकी वह मनोकामना भी पूरी होगी। आपके और आपके जीवनसाथी के बीच भी सब कुछ अच्‍छा रहेगा। आपके और आपके पार्टनर के बीच अच्‍छी आपसी समझ बढ़ेगी। आपको अपने परिवार के सदस्‍यों का भी साथ एवं सहयोग मिलेगा। आपके परिवार में सुख-शांति रहने वाली है।

कार्यक्षेत्र में आपका मान-सम्‍मान बढ़ेगा और आपके सहकर्मी समेत आपके उच्‍च अधिकारी भी आपका सम्‍मान करेंगे। वे आपके काम की प्रशंसा करेंगे। आपके सहकर्मी आपसे काम में आपकी सलाह मांग सकते हैं। आपका अटका हुआ पैसा भी वापिस मिल सकता है। आप प्रॉपर्टी और वाहन खरीदने के बारे में सोच सकते हैं। आपको पैतृक संपत्ति मिलने के भी योग हैं।

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धनु राशि

धनु राशि के लोगों को सूर्य ग्रहण के दौरान बन रहे चर्तुग्रही योग से विशेष लाभ मिलने की संभावना है। आपकी आर्थिक स्थिति के बेहतर होने के आसार हैं। आपकी आमदनी में वृद्धि होगी और आपकी आय के स्रोत भी बढ़ेंगे। इस समय आपकी हर मनोकामना की पूर्ति होगी। कार्यक्षेत्र में आपका मान-सम्‍मान बढ़ेगा। आपके लिए पदोन्‍नति के योग भी बन रहे हैं।

धनु राशि के लोगों के व्‍यक्‍तित्‍व में भी निखार आने के संकेत हैं। व्‍यापारियों को भी अपने क्षेत्र में बड़ा मुनाफा कमाने का मौका मिलेगा। आपने अपने व्‍यापार को लेकर जो योजनाएं बनाई हैं, अब वे पूर्ण होंगी। आपके साहस और पराक्रम में वृद्धि होगी। आपके नए दोस्‍त बन सकते हैं और आपके सोशल नेटवर्क में भी वृद्धि होगी। ये लोग भविष्‍य में आपके लिए लाभकारी सिद्ध होंगे।

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बुध का मीन राशि में गोचर 12 में से इन राशि के जातकों के लिए साबित होगा शानदार!

सभी ग्रह कभी भी एक राशि में नहीं रहते क्योंकि वे हमेशा अपनी चाल व राशि बदलते रहते हैं। सूर्य से लेकर केतु तक सभी ग्रहों का राशि परिवर्तन समय अलग-अलग होता है। इसी क्रम में बुध ग्रह 23 से 28 दिनों के बीच में अपनी राशि में परिवर्तन करते हैं। अब बुध मीन राशि में गोचर करने जा रहे हैं। बुध ग्रह का जल तत्व राशि मीन में गोचर करना एक विशेष ज्योतिषीय घटना है। बुध ग्रह के गोचर की इस घटना का असर सभी 12 राशियों पर देखने को मिलेगा। तो आइए एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में विस्तारपूर्वक जानते हैं कि बुध के गोचर का सभी राशि के जातकों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है और इसके अशुभ प्रभावों से बचने के क्या उपाय हैं।

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बुध का मीन राशि में गोचर: तिथि और समय

ज्योतिष शास्त्र में बुध राजकुमार कहा गया है। बुध ग्रह बुद्धि, विचारशीलता और शिक्षा का प्रतीक है। यह बुद्धि, सोचने की क्षमता, बेहतर तर्क क्षमता और अच्छे संचार कौशल के कारक होते हैं। अब बुध 09 अप्रैल 2024 की रात 10 बजकर 02 बजकर 06 मिनट पर मीन राशि में प्रवेश करने जा रहा है। बता दें कि बुध कन्या राशि में उच्चा के तो मीन राशि में नीच के होते हैं। इस बार बुध अपनी नीच राशि में गोचर करेंगे, जिससे नकारात्मक व सकारात्मक दोनों प्रकार के परिणाम प्राप्त होंगे।

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मीन राशि में बुध: विशेषता

बुध एक पृथ्वी तत्व वाला ग्रह है वही मीन एक दोहरी व जल तत्व की राशि है, जिसका स्वामी बृहस्पति है। मीन राशि में बुध ग्रह वाले जातक स्वभाव में कल्पनाशील और भावुक होते हैं इसलिए जल्दी आहत हो जाते हैं। दयालु और विनम्र होने के साथ-साथ अति विश्वसनीय स्वभाव के कारण प्रेम संबंधों और बिज़नेस पार्टनरशिप जैसे जीवन के प्रमुख क्षेत्रों में बहुत जल्दी धोखा खा लेते हैं। ये लोग पेंटिंग, संगीत आदि रचनात्मक कार्यों में रुचि रखते हैं। ये लोग अपनी भावनाओं को ललित कलाओं और कविताओं के माध्यम से प्रकट करते हैं। 

बुध मीन की नीच राशि होने के कारण मीन राशि में बुध कुछ नकारात्मक प्रभाव भी डालेंगे। इसके परिणामस्वरूप जातक अधिक धन अर्जित करने में असफल हो सकते हैं। कम आत्मविश्वास के कारण ये चिड़चिड़े और बेचैनी का अनुभव कर सकते हैं। इसके अलावा, ये जातक बाहों या गले से संबंधित कुछ परेशानी का अनुभव करने के साथ ही, इनके वैवाहिक जीवन में भी अशांति रहने की आशंका है। शत्रुओं और विरोधियों से परेशान होने के कारण ये लोग छोटी-छोटी यात्रा करना पसंद करते हैं। सकारात्मक पक्ष की बात करें तो ये लोग जिज्ञासु और बुद्धिमान हो सकते हैं। ये निराश और लाचार लोगों की मदद करते हैं। इनका मस्तिष्क बहुमुखी प्रतिभाओं को ग्रहण करने वाला होता है। हालांकि कई बार ये खुद को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने में असमर्थ रहते हैं, जो दूसरों के लिए समस्या का कारण बनता है।

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ज्योतिष में बुध ग्रह का महत्व

सौरमंडल में सबसे छोटा ग्रह बुध है। बुध ग्रह को ग्रहों का राजकुमार के साथ-साथ ईश्वर का दूत भी कहा जाता है और यह मिथुन और कन्या राशियों के स्वामी होते हैं। बुध ग्रह को बुद्धि का देवता गया है, जो कि दोहरे स्वभाव वाला ग्रह है। यह 15 अंशों पर उच्च और नीच का होता है। यह उत्तर दिशा के स्वामी हैं। सूर्य व शुक्र इनके मित्र ग्रह हैं लेकिन मंगल और चंद्रमा से ये शत्रुता का भाव रखता हैं। बृहस्पति और शनि इनके सम ग्रह है। बुध महादशा 17 वर्ष की होती है। यह हरित वर्ण के हैं। यदि किसी जातक के कुंडली में बुध की स्थिति शुभ हो तो वह वाणी से जुड़े हर क्षेत्र में तरक्की करता है और इसके अलावा व्यापार में तेजी आगे बढ़ता है। साथ ही, ऐसे जातक आर्थिक जीवन में स्थिरता प्राप्त करते हैं। इसके विपरीत यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध की स्थिति कमज़ोर हो तो ऐसे व्यक्ति को वाणी व धन से जुड़े मामलों में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। बुध ग्रह व्यक्ति को किसी भी परिस्थिति में ढलने की कला देता है। इसके अलावा, बुध भी तीन नक्षत्रों (नक्षत्रों) के स्वामी हैं। यह अश्लेषा नक्षत्र, ज्येष्ठा नक्षत्र और रेवती नक्षत्र का स्वामी है।

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कुंडली में बुध ग्रह के कमज़ोर होने के संकेत

  • बुध यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में कमज़ोर स्थिति में हैं तो ये जातक के संचार, रचनात्मकता को प्रभावित करता है।
  • कमज़ोर बुध के परिणामस्वरूप जातक का झुकाव आध्यात्मिकता की ओर कम होने लगता है।
  • अशुभ बुध के कारण जातक को बोलने में दिक्कत होती है। वह अपनी बात स्पष्ट रूप से कह नहीं पाता है, जिसके चलते संचार कौशल प्रभावित हो जाता है।
  • ऐसे जातकों को सट्टा बाजार से बड़ा नुकसान होता है, जिसके चलते आर्थिक संकट से भी जूझना पड़ सकता है।
  • ये लोग शारीरिक और मानसिक रूप परेशान रहते हैं।
  • अशांत बुध के चलते जातक को समाज में मान-सम्मान की कमी महसूस होती है। साथ ही, कार्यक्षेत्र में उसके पद प्रतिष्ठा और यश में गिरावट आने लगती है। 
  • इसके अलावा जातक की भाषण देने और बोलने की क्षमता प्रभावित होती है। ऐसे में, जो जातक राजनीति से जुड़े होते हैं, उन्हें इस दौरान जनता के विरोध का सामना करना पड़ सकता है।
  • कमजोर बुध बुद्धि को भ्रमित करता है।

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कुंडली में बुध की मजबूत स्थिति

  • कुंडली में बुध ग्रह मजबूत हो तो लोग मृदुभाषी और मजाकिया स्वभाव के होते हैं।
  • मजबूत बुध के प्रभाव से व्यक्ति व्यापार के क्षेत्र में खूब धन लाभ कमाता है।
  • शेयर मार्केट व कई प्रकार के निवेश से भी इन्हें खूब लाभ होता है।
  • इन जातकों की वाणी बहुत अधिक मधुर होती है, जिसके चलते ये दूसरों को अपनी ओर आकर्षित करने में सक्षम होते हैं।
  • बुध की शुभ स्थिति के कारण इन जातकों की तर्क करने की क्षमता मजबूत होती है।
  • बुध के शुभ प्रभाव से व्यक्ति अच्छा वक्ता, प्रवक्ता, अधिकारी, बीमा एजेंट और बहुभाषी बनता है।
  • ये जातक दिखने में बेहद खूबसूरत होते हैं और अपने व्यक्तित्व से हर किसी को अपनी तरफ मुग्ध कर लेते हैं।

कुंडली में अशुभ बुध की स्थिति को मजबूत करने के उपाय

कुंडली में बुध की स्थिति को मजबूत करने के लिए कुछ ख़ास उपाय बताए जा रहे हैं, जिसे अपनाकर आप तमाम तरह की समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में।

इस मंत्र का जाप करें

कुंडली में बुध की स्थिति को मजबूत करने के लिए बुधवार के दिन लाल वस्त्र धारण करें और “ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः” मंत्र की कम से कम 108 बार जाप करें। इससे बुध मजबूत होता है और व्यक्ति को ज्ञान और धन की प्राप्ति होती है। 

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तुलसी का पौधा लगाएं

यदि आपकी कुंडली में बुध ग्रह की स्थिति कमज़ोर है, तो बुधवार के दिन तुलसी का पौधा लगाएं और रविवार को छोड़कर बाकि दिनों में उसमें जल डालें और नियमित रूप से पूजा करें। इस उपाय को करने से बुध ग्रह मजबूत होता है, साथ ही भगवान विष्णु का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।

गाय की सेवा करें

प्रतिदिन गाय की सेवा करें। साथ ही हरा चारा खिलाएं। इस उपाय को करने से कुंडली में बुध भी मजबूत होता है। इस उपाय को करने से कुंडली में बुध की स्थिति मजबूत होती है और साथ ही, भगवान कृष्ण की विशेष कृपा बनी रहती है।

दुर्गा चालीसा का पाठ करें

अगर आपकी कुंडली में बुध ग्रह कमजोर हैं, तो बुधवार के दिन जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा अर्चना करें। साथ ही, दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का बुधवार को पाठ करें। इस उपाय को करने से भी कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होता है। इसके अलावा, यदि संभव हो तो आप बुधवार के दिन पास में किसी मंदिर में जाकर मां दुर्गा को श्रृंगार की वस्तुएं भेंट भी कर सकते हैं।

संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करें

बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित है। ऐसे में, कुंडली में बुध की मजबूत स्थिति प्राप्त करने के लिए बुधवार के दिन देवों के देव महादेव के प्रिय पुत्र भगवान गणेश की पूजा करें। साथ ही उन्हें दूर्वा और मोदक भेंट करें। भगवान गणेश को मोदक अति प्रिय है। अतः मोदक भेंट करने से भगवान गणेश शीघ्र प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा, संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करें।

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बुध का मीन राशि में गोचर: सभी राशियों पर प्रभाव

मेष राशि

आपको आत्म-विकास की कमी महसूस हो सकती है, जिसके चलते आप जीवन में पीछे रह सकते हैं। इसके अलावा(विस्तार से पढ़ें)

वृषभ राशि

आप इस अवधि अच्छी मात्रा में धन अर्जित करें लेकिन उसके बावजूद भी आपको संतुष्टि प्राप्त न हो। भले ही आप कमा रहे हों लेकिन(विस्तार से पढ़ें) 

मिथुन राशि

आपको अपने स्वास्थ्य, नौकरी और अपने परिवार पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता हो सकती है क्योंकि इन(विस्तार से पढ़ें)

कर्क राशि

आपको भाग्य का साथ न मिले जिसके चलते कई अच्छे मौके आपके हाथों से निकल सकते हैं। इस अवधि आपको किसी(विस्तार से पढ़ें) 

सिंह राशि

आप अच्छी मात्रा में धन अर्जित करने में असफल हो सकते हैं और आशंका है कि आपकी इच्छाओं(विस्तार से पढ़ें)

कन्या राशि

आपको अपने मित्रों और करीबी सदस्यों के साथ संबंधों में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है(विस्तार से पढ़ें)

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तुला राशि

आपको भाग्य की कमी महसूस हो सकती है, जिसके चलते आपको जीवन में संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है(विस्तार से पढ़ें)

वृश्चिक राशि

आप अपने बच्चों के विकास के बारे में अधिक सोच-विचार करेंगे और उनके भविष्य को लेकर आप परेशान हो सकते हैं(विस्तार से पढ़ें)

धनु राशि

आपको बिज़नेस पार्टनर, जीवनसाथी और अपने दोस्तों के साथ संबंधों में उतार-चढ़ाव देखना पड़ सकता है(विस्तार से पढ़ें)

मकर राशि

आपको अपने भाई-बहनों के साथ समस्या का सामना करना पड़ सकता है। आशंका है कि(विस्तार से पढ़ें) 

कुंभ राशि

करियर के मामले में भी आपको उतार-चढ़ाव झेलना पड़ सकता है और इस वजह से आपको सफलता मिलने में देरी का सामना करना पड़ सकता है। आपके वरिष्ठ(विस्तार से पढ़ें)

मीन राशि

करियर के मोर्चे पर आपको कार्यक्षेत्र में नौकरी का दबाव झेलना पड़ सकता है और इस वजह से आपके काम में गलतियां निकल सकती है(विस्तार से पढ़ें)

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चैत्र नवरात्रि: इस वर्ष घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं माँ दुर्गा- जानें इसका महत्व और मुहूर्त की जानकारी!

अप्रैल के महीने में चैत्र नवरात्रि का पावन त्यौहार मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार साल में कुल चार नवरात्रियां मनाई जाती है जिनमें से दो गुप्त नवरात्रि होते हैं और एक शारदीय और एक चैत्र नवरात्रि होती है। चैत्र और शारदीय नवरात्र को गुप्त नवरात्रि की तुलना में ज्यादा महत्व दिया जाता है क्योंकि यह गृहस्थ लोग करते हैं और अक्सर देखा गया है कि गुप्त नवरात्रि करने वाले लोग इसे तंत्र साधना के लिए करते हैं। इस खास ब्लॉग में आज हम बात करेंगे जल्द शुरू होने वाले चैत्र नवरात्रि की।

यहां हम जानेंगे कि इस साल चैत्र नवरात्र कब से प्रारंभ हो रही है, इसका घट स्थापना मुहूर्त क्या रहने वाला है, इस साल मां का आगमन वाहन क्या रहने वाला है और इससे क्या संकेत मिल रहे हैं। साथ ही जानेंगे चैत्र नवरात्रि के दौरान किए जाने वाले उपायों की जानकारी और ये चैत्र नवरात्रि किन राशियों के लिए विशेष रूप से शुभ रहेगी इसकी जानकारी भी आपके यहां दी जाएगी। तो चलिए शुरू करते हैं सबसे पहले जान लेते हैं चैत्र नवरात्रि का यह पर्व कब से मनाया जाएगा।

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चैत्र नवरात्रि 2024 कब से?

हिंदू पंचांग के अनुसार बात करें तो चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि अर्थात 9 अप्रैल 2024 से चैत्र नवरात्र प्रारंभ हो रही है और इसका समापन 18 अप्रैल को हो जाएगा। ऐसे में 9 अप्रैल को ही घट स्थापना मुहूर्त किया जाएगा। बात करें इसके मुहूर्त की तो,

घटस्थापना मुहूर्त (नई दिल्ली) के लिए

घटस्थापना मुहूर्त : 06:01:45 से 10:15:48 तक

अवधि :4 घंटे 14 मिनट

नोट: आप अपने शहर के अनुसार अगर घट स्थापना मुहूर्त की जानकारी जानना चाहते हैं तो आप इस लिंक पर क्लिक कर सकते हैं

बेहद ही शुभ योग में प्रारंभ हो रही है चैत्र नवरात्रि

इस वर्ष चैत्र नवरात्रि इसलिए भी खास खाने जा रही है क्योंकि यह बेहद ही शुभ योग में प्रारंभ हो रही है। दरअसल हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्रि के दिन रेवती नक्षत्र रहने वाला है। रेवती नक्षत्र इस दिन सुबह 7:32 तक रहेगा और इसके बाद अश्विनी नक्षत्र प्रारंभ हो जाएगा। इसके अलावा योग की बात करें तो इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। यह दोनों योग सुबह 7:32 से लेकर अगले दिन 5:06 तक रहने वाले हैं। ऐसे में इस दौरान आप किसी भी तरह का शुभ और मांगलिक कार्य कर सकते हैं। यह विशेष रूप से फलदाई रहने वाला है।

घटस्थापना विधि

  • सबसे पहले बात कर ले घट स्थापना विधि की तो इसके लिए आप एक मिट्टी के चौड़े मुंह वाला बर्तन ले लें और उसमें सप्तनाज रख लें। 
  • इसके ऊपर कलश में जल भर कर रख लें और उसके ऊपरी भाग में कलावा बांध लें। 
  • इसके बाद आम या फिर अशोक के पल्लव को कलश के ऊपर रख दें। 
  • अब नारियल को एक साफ लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर और पल्लवों के बीच में रख दें। 
  • नारियल में कलावा भी लपेट दें। 
  • घट स्थापना पूरी होने के बाद देवी का आवाहन करें और इसके बाद पूजा प्रारंभ करें।

चैत्र नवरात्रि का महत्व

बात करें महत्व की तो चैत्र नवरात्रि के दौरान मां भगवती के 9 स्वरूपों की पूजा का विधान निर्धारित किया गया है। माना जाता है कि इस दौरान जो कोई भी भक्त मां की विधिवत पूजा करते हैं, व्रत रखते हैं, ऐसे लोगों को हर एक कष्ट और दुखों से छुटकारा मिलता है। साथ ही जीवन में सुख और समृद्धि बढ़ती है। इसके अलावा ऐसे जातकों के घर परिवार में हमेशा खुशहाली बनी रहती है।

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चैत्र नवरात्रि 2024: क्या रहेगा मां का वाहन?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि जब भी नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा धरती पर आती हैं तो वह एक विशेष वाहन से आती हैं। इस वाहन का कोई ना कोई संकेत होता है और महत्व भी होता है। बात करें चैत्र नवरात्रि में मां के वाहन की तो इस साल मां घोड़े पर सवार हो कर आने वाली हैं। चूंकि चैत्र नवरात्रि मंगलवार से शुरू हो रही है इसीलिए माँ का आगमन वाहन घोड़ा रहने वाला है। 

बात करें इसके संकेत कि तो, जब भी माँ घोड़े पर सवार होकर आती हैं तो इससे सत्ता में परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं। साथ ही इस दौरान साधकों के जीवन में से सभी तरह के कष्ट और परेशानियों से छुट्टी मिलने की भी उच्च संभावना बन रही है।

क्या यह जानते हैं आप? चैत्र नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के इन स्वरूपों की पूजा की जाती है शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री

नवरात्रि पहला दिन: माँ शैलपुत्री

नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना होती है और साथ ही नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित होता है। इस दिन माता के भक्त मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा करते हैं। बात करें मां के स्वरूप की तो मां के माथे पर अर्धचंद्र है, दाहिने हाथ में उन्होंने त्रिशूल लिया हुआ है, बाएं हाथ में कमल है और वह नंदी बैल के सवारी करती हैं।

शैल पुत्री शब्द का संस्कृत में अर्थ होता है पर्वत की बेटी पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है की माँ शैलपुत्री पिछले जन्म में भगवान शिव की पत्नी और राजा दक्ष की पुत्री थी हिमालय के राजा का नाम हिमावत था और इसीलिए शैलपुत्री देवी का एक नाम हेमवती भी है और क्योंकि मां की सवारी वृष है ऐसे में उनका एक नाम वृषारुढ़ा भी होता है

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मां शैलपुत्री की पूजा का ज्योतिषीय लाभ 

ज्योतिषीय लाभ की बात करें तो माना जाता है की मां शैलपुत्री चंद्रमा को दर्शाती हैं। ऐसे में अगर माँ के इस स्वरूप की विधिवत रूप से पूजा की जाए तो इससे कुंडली के में मौजूद चंद्रमा को मजबूत किया जा सकता है और चंद्रमा से संबंधित शुभ परिणाम प्राप्त की जा सकते हैं।

चैत्र नवरात्रि का महत्व

हिन्दू नववर्ष की शुरुआत: इसी दिन से हिंदू नव वर्ष की शुरुआत होती है। चैत्र नवरात्रि जीवन में शुद्ध नवीनीकरण और हिंदू पंचांग के अनुसार साल का पहला दिन माना जाता है। 

नारी शक्ति का महोत्सव: नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा होती है जो शक्ति या ब्रह्मांड की पूजा का प्रतीक मानी जाती है और हम सभी के जीवन को संभालती है। 

अच्छाई की विजय आसुरी शक्तियों पर: अर्थात नवरात्रि के इन नौ दिनों में मां के नौ स्वरूपों के माध्यम से बुरी शक्तियों को समाप्त करने की अनगिनत शक्ति का प्रतीक माना गया है। 

नवरात्रि अनुष्ठान और रीति रिवाज

नवरात्रि के दौरान पहले दिन घट स्थापना की जाती है जिसकी विधि हमने आपके ऊपर बताई है। इसके अलावा इन 9 दिनों में बहुत से लोग उपवास भी करते हैं। नवरात्रि के दौरान डांडिया रास और गरबा नृत्य किए जाते हैं। इसके अलावा नवरात्रि का एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान होता है कंजक पूजन और नवरात्रि का समापन होता है रामलीला और राम पूजा के साथ।

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नवरात्रि के 9 दिन:  ग्रहों और रंग से संबंध 

नवरात्रि दिन- माँ का स्वरूप ग्रहों से संबंध दिन से संबन्धित रंग 
मां शैलपुत्रीचंद्रमापीला/नारंगी
मां ब्रह्मचारिणीमंगल हरा
मां चंद्रघंटाशुक्र धूपीया
मां कुष्मांडासूर्य लाल
देवी स्कंदमाताबुध रॉयल ब्लू
माता कात्यायनीगुरु सफेद
माता कालरात्रिशनि गुलाबी
महागौरीराहु स्काई ब्लू
सिद्धिदात्रीकेतु केसरी/पीच

नवरात्रि व्रत की सही विधि

जैसा कि हमने पहले भी बताया कि नवरात्रि के दौरान बहुत से लोग 9 दोनों का उपवास करते हैं। ऐसे में उपवास से संबंधित कुछ विशेष नियम बताए गए हैं जिनका पालन करना अनिवार्य होता है। जैसे कि इस दौरान कुछ चीज खाने और किए जाने की अनुमति होती है और वहीं कुछ चीजों को खाने की अनुमति नहीं होती है। क्या कुछ है ये चीज़ें आइये जान लेते हैं।

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इन चीजों को खाया जा सकता है

  • फल 
  • सब्जियां 
  • आलू 
  • शकरकंद 
  • लौकी 
  • कद्दू 
  • टमाटर 
  • बाजरा सिंघाड़ा आटा या रागी का आटा 
  • दूध या दूध से बने हुए व्यंजन 
  • पनीर
  • दही 
  • घी 
  • अखरोट और नारियल 
  • साबूदाना 
  • सेंधा नमक

इन चीजों का व्रत में किया जाता है परहेज

  • गेहूं 
  • चावल 
  • मैदा 
  • सूजी 
  • प्याज 
  • लहसुन 
  • बींस 
  • अंडे 
  • सामान्य नमक

चैत्र नवरात्रि के दौरान क्या करें- क्या ना करें

चैत्र नवरात्रि के दौरान अगर आप उपवास रख रहे हैं तो सुबह शाम दोनों समय की पूजा करें। दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। 9 दिन बिस्तर की जगह जमीन पर सोएँ और व्रत कर रहे हैं तो सात्विक भोजन ही खाएं। इस दौरान जितना हो सके दान पुण्य करें और धार्मिक कार्यों में शामिल हों और अपने मन में अच्छे विचार ही लाएँ।

बात करें चैत्र नवरात्रि के दौरान क्या काम नहीं करना चाहिए इसकी तो इस दौरान तामसिक भोजन भूल से भी ना खाएं। नवरात्रों के दौरान दाढ़ी, मूछ, बनवाने से बचें। साथ ही इस दौरान नाखून भी ना काटें। घर में अखंड ज्योति जलाएं तो घर को कभी भी खाली ना छोड़े। अपने मन में किसी तरह का गलत विचार न आने दें। किसी के साथ बुरा ना करें। महिलाओं के साथ गलत व्यवहार ना करें। बच्चों को परेशान ना करें। इसके अलावा अगर आप व्रत रख रहे हैं तो गंदे वस्त्र न पहनें और अपने जीवन में ब्रह्मचर्य का पालन करें।

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नवरात्रि में चाहिए मां की प्रसन्नता तो 9 दिन अवश्य करें ये 9 काम

  • माता को लाल रंग के फूल और चुनरी अवश्य अर्पित करें। इससे घर में सुख समृद्धि बनी रहती है। 
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। इससे व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। 
  • नवरात्रि के नौ दिनों तक गाय को ताज़ी रोटी और गुड़ खिलाएं इससे जीवन के सभी कष्ट समाप्त होते हैं। 
  • नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा को कमल के फूल अर्पित करें। इससे भी आपकी सभी मनोकामनाएं निश्चित रूप से पूरी होती है। 
  • नवरात्रि के पहले दिन घर के बाहर स्वास्तिक बनाएं। इससे घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर जाती है। 
  • नवरात्रि में मां दुर्गा को कौड़ी अर्पित करें। ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि और वैभव का आशीर्वाद बना रहता है। 
  • नवरात्रि में अखंड ज्योत अवश्य जलाएं। इससे माँ सभी मनोकामनाएं अवश्य पूरी करती हैं। 
  • नवरात्रि में हवन अवश्य करें। अगर आप रोज हवन नहीं भी कर पा रहे हैं तो अष्टमी, नवमी और दशमी तिथि को शुभ मुहूर्त में हवन अवश्य करें। ऐसा करने से घर से नकारात्मकता दूर होती है, वास्तु दोष दूर होते हैं, नजर दोष दूर होते हैं और घर में सुख शांति बनी रहती है। 
  • इसके अलावा अष्टमी या फिर नवमी के दिन कन्या पूजन अवश्य करें। ऐसा करने से आपके जीवन में महाशक्ति मां दुर्गा का आशीर्वाद हमेशा बना रहेगा।

चैत्र नवरात्रि के महा उपाय

  • अगर आपके जीवन में राहु केतु से संबंधित कोई दोष है तो नवरात्रि के नौ दिनों तक शिवलिंग पर लौंग अर्पित करें। 
  • अगर आपको कार्य में सफलता प्राप्त करनी है तो आरती के दीपक में कपूर के साथ दो लॉन्ग अवश्य डालें। 
  • अगर आपके शत्रु आपके जीवन पर हावी हो रहे हैं और आप उनसे सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो नवरात्रि के दौरान भगवान हनुमान को लड्डुओं का भोग अर्पित करें। 
  • आपके जीवन में आर्थिक परेशानियां बढ़ गई है और आप उनसे छुटकारा पाना चाहते हैं तो एक लाल कपड़े में पांच पीली कौड़ी और पांच लॉन्ग ले लें। इसे अपने धन रखने वाली जगह पर रख दें। इससे दरिद्रता दूर होती है और आर्थिक संपन्नता बनी रहती है। 
  • अपने काम में सफलता प्राप्त करने के लिए भगवान हनुमान जी की आरती तेल के दीपक से करें और इसमें दो लौंग डाल दें। 
  • घर में सुख समृद्धि प्राप्त करने के लिए पूजा के समय माँ को फूल वाले दो लौंग अर्पित करें।

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