मई में चर्तुग्रही योग से चौतरफा मिलेगा लाभ, चार राशियों की चमक जाएगी किस्‍मत

ग्रहों के गोचर की दृष्टि से मई का महीना बहुत महत्‍वपूर्ण रहने वाला है। इस महीने में कई ग्रह गोचर करने वाले हैं और इन ग्रहों के गोचर से कई शुभ संयोग और राजयोग भी बन रहे हैं। ज्‍योतिषशास्‍त्र के अनुसार मई में वृषभ राशि में चतुर्ग्रही योग बन रहा है।

01 मई को बृहस्‍पति वृषभ राशि में गोचर कर चुके हैं और इसके बाद सूर्य ग्रह 14 मई को वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे। 19 मई को शुक्र वृषभ राशि में आएंगे और 31 मई को बुध ग्रह भी वृषभ राशि में ही प्रवेश कर जाएंगे।

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इस तरह मई के महीने में वृषभ राशि में चर्तुग्रही योग बन रहा है। इसके साथ गुरु और शुक्र की युति से गजलक्ष्‍मी योग बन रहा है, सूर्य और बुध की युति से बुधादित्‍य योग और सूर्य एवं शुक्र की युति से शुक्रादित्‍य योग बनने वाला है। यही वजह है कि ग्रहों के गोचर की दृष्टि से मई का महीना बहुत विशेष रहने वाला है।

वैदिक ज्‍योतिष के अनुसार वृषभ राशि में चर्तुग्रही योग बनने से चार राशियों के जातकों की किस्‍मत खुलने वाली है। इन जातकों को अपने कार्यों में भाग्‍य का पूरा साथ मिलेगा और इनका जीवन धन-धान्‍य से संपन्‍न रहेगा। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि मई में बन रहे चर्तुग्रही योग से किन चार राशियों को लाभ होने की संभावना है।

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चर्तुग्रही योग से इन राशियों को होगा फायदा

वृषभ राशि

वृषभ राशि में ही यह शुभ योग बन रहा है इसलिए इस राशि के लोगों को इस योग से विशेष फल प्राप्‍त होगा। इस योग में शामिल चारों ग्रह ही शुभ हैं जिससे आपको अनुकूल परिणाम प्राप्‍त होंगे। आपकी आर्थिक स्थिति मज़बूत होगी और व्‍यापारियों को भी खूब पैसा कमाने का मौका मिलेगा। आपके पारिवारिक जीवन में भी खुशियां आएंगी।

आप अपने लिए कोई प्रॉपर्टी आदि खरीद सकते हैं या फिर प्रॉपर्टी में निवेश भी कर सकते हैं। नौकरीपेशा जातकों के लिए भी अनुकूल समय है। आप अपने करियर में प्रगति पाने के लिए जो भी प्रयास करेंगे, उसमें आपको सफलता जरूर मिलेगी।

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कन्‍या राशि

कन्‍या राशि पर बृहस्‍पति की पांचवी दृष्टि रहने वाली है। इस शुभ योग के प्रभाव से छात्रों को अपने प्रयासों में सफलता मिलेगी। करियर के मामले में भी बहुत अच्‍छा समय है। अगर आप प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो अब आपको इसमें सफलता जरूर मिलेगी। यदि आप विदेश जाने का सपना देख रहे हैं, तो अब आपकी यह मनोकामना भी पूर्ण हो सकती है। संतान प्राप्ति की इच्‍छा रखते हैं, तो आपकी यह कामना भी अब पूरी होने वाली है।

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वृश्चिक राशि

यदि आपकी वृश्चिक राशि है, तो आपको इस योग से लाभ प्राप्‍त करने के लिए तैयार रहना चाहिए। पारिवारिक जीवन में खुशियां आएंगी और सुख-शांति बनी रहेगी। आपको अपने जीवन में हर कार्य और क्षेत्र में अपने परिवार का सहयोग प्राप्‍त होगा और आपके लिए आर्थिक लाभ के योग भी बन रहे हैं।

वृश्चिक राशि के लोगों को पैतृक संपत्ति भी मिल सकती है। विवाहित जातकों को अपने ससुराल की ओर से धन लाभ होने के संकेत हैं। इस दौरान आपको धार्मिक या तीर्थस्‍थल की यात्रा पर जाने का मौका भी मिल सकता है।

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मकर राशि

चर्तुग्रही योग मकर राशि के लोगों के लिए मंगलकारी सिद्ध हाोगा। गुरु की नौवीं दृष्टि आपकी राशि पर रहेगी जिससे आपको इस दौरान अत्‍यंत ही शुभ फल मिलने वाले हैं। वैदिक ज्‍योतिष में गुरु की नवम दृष्टि को बहुत शुभ माना गया है। वहीं मकर राशि से द्वितीय भाव में शनि देव विराजमान हैं जिससे आपको मिलने वाले सकारात्‍मक परिणाम और दोगुने हो जाते हैं।

नौकरीपेशा जातकों के लिए वेतन में वृद्धि के योग बन रहे हैं। इसके साथ ही आपको प्रमोशन मिलने के भी संकेत हैं। आपको नई नौकरी का अवसर भी मिल सकता है। मकर राशि के लोगों को इस समय धार्मिक स्‍थल की यात्रा करने का मौका भी मिल सकता है। अविवाहित जातकों के लिए शादी का प्रस्‍ताव आ सकता है।

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FAQ

प्रश्‍न. चर्तुग्रही योग क्‍या होता है?

उत्तर. एक ही राशि में चार ग्रहों के एकसाथ आने पर यह योग बनता है।

प्रश्‍न. त्रिग्रही योग क्‍या होता है?

उत्तर. जब एक ही राशि में तीन ग्रहों की युति होती है।

प्रश्‍न. कौन सा योग चार ग्रहों से बनता है?

उत्तर. चतुग्रही योग चार ग्रहों के एकसाथ आने पर बनता है

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बुध के गोचर से कुछ राशियों की खाली हो जाएगी तिजोरी, बढ़ने वाला है आर्थिक बोझ

बुध ग्रह 10 मई 2024 की शाम 06 बजकर 39 मिनट पर मेष राशि में गोचर करने वाले हैं। बुध के इस गोचर से कुछ राशियों के जातकों को अपने आर्थिक जीवन में नुकसान उठाना पड़ सकता है। बुध के गोचर करने पर कुछ राशियों के जातकों को धन लाभ होगा, तो वहीं कुछ राशियों के लोगों पैसों की तंगी हो सकती है।

वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में बुध के मज़बूत स्थिति में होने पर जातकों को जीवन में सभी तरह की सुख-सुविधाएं मिलती हैं। इसके साथ ही बुध तेज़ बुद्धि और अच्छा स्वास्थ्य भी प्रदान करते हैं। बुध व्यक्ति को उच्च ज्ञान प्राप्त करने में सक्षम बनाते हैं। इस ग्रह के प्रभाव से जातक को हर क्षेत्र में सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। अपने इस ज्ञान की मदद से ये जातक व्यापार के क्षेत्र में अच्छे फैसले ले पाते हैं।

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किन राशियों के स्‍वामी हैं बुध ग्रह

बुध व्‍यक्‍ति को बुद्धि के साथ-साथ संपन्‍नता भी प्रदान करते हैं। इस ग्रह के प्रभाव से व्‍यक्‍ति के मन में सकारात्‍मक विचार आते हैं। इन्‍हें भगवान विष्‍णु का अवतार माना जाता है और बुधवार के दिन बुध ग्रह की पूजा होती है।

इस ग्रह के शुभ प्रभाव से व्‍यक्‍ति को लाभ और प्रसन्‍नता मिलती है और उसके जीवन की सभी अड़चनें दूर होती हैं। इसके साथ ही बुध ग्रह संतान का कारक भी हैं। इस ग्रह का मिथुन और कन्‍या राशि पर आधिपत्‍य है और यह एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने में एक महीने का समय लेते हैं।

तो चलिए अब बिना देर किए जानते हैं कि बुध ग्रह के मेष राशि में गोचर करने के दौरान किन राशियों को आर्थिक नुकसान होने की आशंका है।

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इन राशियों को होगी धन की हानि

मेष राशि

बुध आपके तीसरे और छठे भाव के स्‍वामी हैं और अब वह आपके लग्‍न भाव में गोचर करने जा रहे हैं। इस समय आपको अपने कार्यक्षेत्र में ज्‍यादा लाभ नहीं मिल पाएगा। इस दौरान आपके खर्चों में भी बहुत ज्‍यादा वृद्धि देखने को मिलेगी। आपको अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए लोन या कर्ज़ तक लेना पड़ सकता है। इसके साथ ही आपको पैसों की तंगी होने की भी आशंका है। धन के मामले में यह समय आपके लिए मुश्किल रहने वाला है।

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वृषभ राशि

बुध आपके दूसरे और पांचवें भाव के स्‍वामी हैं और अब वह आपके बारहवें भाव में गोचर करने जा रहे हैं। इस गोचर के दौरान आपके लिए सफलता प्राप्‍त कर पाना थोड़ा मुश्किल रहेगा। आपको प्रगति प्राप्‍त करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। इसके साथ ही आपको अपने करियर में भी ज्‍यादा अच्‍छे परिणाम नहीं मिल पाएंगे। आपको अपने कार्यक्षेत्र में भी असफलता देखने को मिलेगी और इसका असर आपकी वित्तीय स्थिति पर भी पड़ेगा। वृषभ राशि के लोगों को बुध के गोचर के दौरान आर्थिक नुकसान होने के संकेत हैं। पैसों के मामले में आप सतर्क और सावधान रहें वरना आपको कोई बड़ा नुकसान हो सकता है।

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कन्या राशि

कन्या राशि के पहले और दसवें भाव के स्वामी बुध ग्रह हैं और अब वह आपके आठवें भाव में गोचर करने जा रहे हैं। यह गोचर कन्‍या राशि के लोगों के लिए ज्‍यादा अनुकूल नहीं रहने वाला है। आपके ऊपर जिम्‍मेदारियां काफी बढ़ सकती हैं और आपको अपनी एवं अपने परिवार की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए लोन या कर्ज़ लेना पड़ सकता है। आप बढ़ती हुई जिम्‍मेदारियों को लेकर परेशान और चिंति‍त हो सकते हैं।

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वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि के आठवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी ग्रह बुध हैं और अब वह आपके छठे भाव में गोचर करने जा रहे हैं। नौकरीपेशा जातकों के ऊपर काम का दबाव बढ़ सकता है। वहीं व्‍यापारियों को भी अपने क्षेत्र में मुनाफा कमाने में समस्‍याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसका असर इनकी आर्थिक स्थिति पर भी देखने को मिलेगा। आपको अपने जीवनयापन के लिए पर्याप्‍त धन कमाने में असफलता मिल सकती है। अपनी ज़रूरतों और जिम्‍मेदारियों को पूरा करने के लिए आपको लोन या कर्ज़ तक लेना पड़ सकता है। इसकी वजह से आपके ऊपर आर्थिक बोझ बहुत ज्‍यादा बढ़ जाएगा।

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कुंभ राशि

जिन राशियों के लोगों को बुध के इस गोचर के दौरान आर्थिक नुकसान होने की आशंका है, उसमें कुंभ राशि का नाम भी आता है। बुध आपके पांचवें और आठवें भाव के स्वामी हैं जो कि अब आपके तीसरे भाव में गोचर करने जा रहे हैं। इस समय आपकी तरक्‍की के मार्ग में बाधाएं उत्‍पन्‍न हो सकती हैं। वहीं करियर में भी आपको नकारात्‍मक परिणाम मिलेंगे। व्‍यापारियों के लिए भी नुकसान की स्थिति बनी हुई है। इस दौरान आपके खर्चों में भी अधिक वृद्धि देखने को मिलेगी। आपको अपनी संतान के स्‍वास्‍थ्‍य पर धन खर्च करना पड़ सकता है।

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मीन राशि

मीन राशि के लोगों को भी बुध के मेष राशि में प्रवेश करने के दौरान संभलकर चलने की जरूरत है। बुध आपके चौथे और सातवें भाव के स्वामी हैं और अब वे आपके दूसरे भाव में गोचर करने जा रहे हैं। आपको अपने बिज़नेस में गिरावट देखने को मिल सकती है। वहीं नौकरीपेशा जातकों की स्थिति भी इस समय ज्‍यादा अच्‍छी नहीं रहने वाली है। आपके ऊपर खर्चे बहुत ज्‍यादा बढ़ने वाले हैं। इस समय आपका पैसा बेकार की चीज़ों पर बर्बाद हो सकता है। व्‍यापारियों को अपनी लापरवाही के कारण धन की हानि उठानी पड़ सकती है।

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इस दिन से शुरू हो रही है चार धाम की यात्रा- नहीं किया ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन तो नहीं होगी एंट्री!

देवताओं की भूमि देवभूमि उत्तराखंड में चार धाम यात्रा इस वर्ष 10 मई से शुरू होने जा रही है। देवताओं के मंदिरों के कपाट खुलने से फिर बंद होने तक और दोबारा खुलना की अवधि भक्तों के लिए बेहद ही खास और महत्वपूर्ण होती है। भक्त लंबे समय तक इस बात की राह देखते हैं कि चार धाम की यात्रा कब से शुरू होगी। अपने इस विशेष कवरेज ब्लॉग में हम आपको उत्तराखंड चार धाम यात्रा 2024 (Char Dhaam Yatra 2024) की संपूर्ण जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं। इसके अलावा यहां हम इस बारे में भी आपको अवगत कराएंगे कि अगर आप ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना चाहते हैं तो आप कैसे कर सकते हैं। 

सबसे पहले बात करें चार धाम यात्रा की तो, चार धाम यात्रा की शुरुआत असल में कब से हुई इसका कोई वास्तविक इतिहास नहीं है लेकिन ऐसा माना जाता है कि चार धाम यात्रा की परंपरा शंकराचार्य जी ने (जिन्हें महान सुधारक और दार्शनिक का दर्जा दिया गया है उन्होंने) की है। चार धाम की यात्रा तकरीबन 1200 वर्षों पुरानी है। पहले इसे छोटा चार धाम के नाम से जाना जाता था। 

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हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार कहते हैं कि चार धाम स्थल बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है और विभिन्न देवी देवताओं और पौराणिक घटनाओं से संबंधित है। यमुनोत्री यमुना नदी का स्रोत है जिसे देवी यमुना से जोड़कर देखा जाता है, वहीं गंगोत्री गंगा नदी का स्रोत है जिसे देवी गंगा से जोड़कर देखा जाता है, भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ में भगवान शिव द्वारा पांडवों को मोक्ष प्रदान करने की कथा बेहद ही प्रचलित है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु को समर्पित बद्रीनाथ वह स्थान है जहां उन्होंने ध्यान किया था। ऐसे में इन सभी मंदिरों का इतिहास कई दशकों पुराना है।

वर्ष 2024 में चार धाम की यात्रा कब से? 

बात करें कब खुलेंगे चार धाम के कपाट तो, केदारनाथ चार धाम तीर्थ स्थल में से पहला नाम है केदारनाथ धाम का जिसके कपट 10 मई 2024 को खुलने वाले हैं, दूसरा है गंगोत्री धाम का जिसके भी कपट 10 मई 2024 को खुलेंगे, तीसरा है यमुनोत्री धाम जिसके कपट भी 10 मई को खुलेंगे, आखिरी है बद्रीनाथ धाम इसके कपट 12 मई को खुलने वाले हैं। 

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चार धाम यात्रा करने का सबसे उपयुक्त समय 

बात करें सबसे सही समय की जब आप चार धाम की यात्रा पर जा सकते हैं तो आमतौर पर तीर्थ स्थलों का मौसम अप्रैल के अंत से नवंबर तक अनुकूल माना जाता है। ऐसे में चार धाम की यात्रा के लिए दो मुख्य अवधि मानी जाती है। पहली है ग्रीष्म ऋतु जो अप्रैल के अंत से जून के मध्य तक चलती है। ऐसे में आप इस दौरान चार धाम की यात्रा पर जा सकते हैं। यहां पर इस समय सुखद मौसम रहता है, हल्का तापमान रहता है और आसमान साफ रहता है जो यात्रा के लिए अनुकूल समय बनता है। इस दौरान अगर आप मंदिर जाते हैं तो मंदिर जाने वाली सड़क खुली रहती हैं जिससे तीर्थयात्री आसानी से मंदिर तक पहुंच जाते हैं। 

दूसरा समय होता है मानसून के बाद का समय अर्थात अगस्त से नवंबर का समय। इस दौरान भी वातावरण साफ हो जाता है और आसमान में सफाई रहती है। इस अवधि के दौरान मौसम आम तौर पर सुखद रहता है, हल्का तापमान रहता है और आसमान साफ रहता है। ऐसे में कठोर मौसम की स्थिति का सामना किया बिना आप आसानी से चार धाम की अपनी यात्रा पूरी कर सकते हैं।

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ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कैसे करें? 

अब सवाल उठता है कि अगर आप चार धाम यात्रा 2024 में इच्छुक हैं और आप इसके लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना चाहते हैं तो कैसे करें तो गाइडलाइंस के अनुसार हम आपको बता दें कि, चार धाम यात्रा दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को सबसे पहले अपना ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होता है। बिना रजिस्ट्रेशन के किसी भी श्रद्धालु को यात्रा नहीं करने मिलती है। ऐसे में यात्रा पर जाने से पहले इस बात को सुनिश्चित कर लें कि आपने अपना ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवा लिया है। अब बात करें चार धाम यात्रा 2024 के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की तो,

  • सबसे पहले आप चार धाम की आधिकारिक वेबसाइट registrationandtouristcare.uk.gov.in  पर लॉगिन कर लें। 
  • इसके बाद वेबसाइट के होम पेज पर नजर आ रहे रजिस्टर या लॉगिन बटन पर क्लिक करें। 
  • यहां पर सभी जानकारी जैसे आपका नाम, आपका मोबाइल नंबर, आपकी ईमेल आईडी सब भरें और इसके बाद साइन अप करें। 
  • इसके बाद आपको यात्रा से जुड़ी पूरी जानकारी यहां पर देनी होगी। 
  • जब एक बार आपका रजिस्ट्रेशन सफलतापूर्वक हो जाएगा तो आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर चार धाम यात्रा रजिस्ट्रेशन नंबर आ जाएगा। 
  • चार धाम यात्रा रजिस्ट्रेशन नंबर से ही आप अपना रजिस्ट्रेशन कार्ड डाउनलोड कर लें। 
  • यात्रा के दौरान इस कार्ड को हमेशा अपने साथ रखें और जरूरत पड़ने पर इसे दिखा दें।

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चारों धामों से जुड़े कुछ रोचक तथ्य 

  • यमुनोत्री: यमुनोत्री पवित्र चार धाम का पहला पड़ाव माना जाता है। यह पवित्र नदी यमुना का स्रोत है। यह उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में गढ़वाल हिमालय में स्थित है। यहां पर आम तौर पर लोग शुद्धता, तपस्या और परमात्मा से आशीर्वाद पाने के लिए आते हैं।
  • गंगोत्री: गंगोत्री चार धाम यात्रा का दूसरा पड़ाव होता है। यह उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में राजश्री गढ़वाल हिमालय में भी स्थित है। यमुनोत्री के बाद तीर्थयात्री गंगोत्री दर्शन करने के लिए जाते हैं। इन्हें पवित्र नदी गंगा का स्रोत माना गया है।
  • केदारनाथ: केदारनाथ चार धाम की यात्रा का तीसरा पड़ाव है। यह उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में गढ़वाल हिमालय में स्थित है। यह हिंदुओं के सबसे पवित्र और सबसे प्रतिष्ठित तीर्थ स्थलों में से भी एक होता है। यहां भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर है। केदारनाथ की यात्रा गौरीकुंड से शुरू होती है। केदारनाथ मंदिर तक पहुंचाने के लिए यात्रियों को तकरीबन 16 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है जिसे आमतौर पर लोग ट्रैकिंग के माध्यम से पूरा करते हैं। 
  • बद्रीनाथ: चार धाम का आखिरी और अंतिम पड़ाव होता है बद्रीनाथ। चार धाम की यात्रा यहां आने से ही पूरी होती है। यह उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। यहां पर भगवान विष्णु का मंदिर समर्पित है। इसे चार धाम यात्रा में सबसे पवित्र और सबसे प्रतिष्ठ तीर्थ स्थलों में से एक माना गया है। बद्रीनाथ का रास्ता घुमावदार सड़कों, हिमालय की सुंदरता ऊंची चोटियों, हरी-भरी घाटियों से भरा हुआ है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1. चार धाम की यात्रा कहाँ से शुरू होती है?

उत्तर: चार धाम की यात्रा यमुनोत्री से शुरू होकर गंगोत्री, केदारनाथ और फिर बद्रीनाथ पर पूरी होती है।

2. असली चार धाम किसे कहते हैं?

उत्तर: असली चार धाम चारों दिशाओं में स्थित हैं। उत्तर में बद्रीनाथ, दक्षिण रामेश्वर, पूर्व में पुरी और पश्चिम में द्वारिका पुरी।

3. 2024 में गंगोत्री यमुनोत्री के कपाट कब खुलेंगे?

उत्तर: 2024 में 10 मई को गंगोत्री यमुनोत्री के कपाट खुलेंगे।

4. 2024 में केदारनाथ मंदिर के कपाट कब खुलेंगे?

उत्तर: केदारनाथ मंदिर के कपाट अक्षय तृतीया के दिन अर्थात 10 मई 2024 को खोले जाएंगे।

 

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बुध का गोचर इन राशियों के लिए अति शुभ लेकिन 2 राशियों के लिए खतरे की घंटी!

बुध गोचर 2024: एस्ट्रोसेज अपने रीडर्स को ज्योतिष की रहस्यमई दुनिया की नवीनतम घटनाओं से अपडेट रखने के लिए हर वक्त नए-नए ब्लॉग आपके सामने लेकर आता रहता है। इसी कड़ी में हम आज आपके सामने पेश हैं बुध के मेष राशि में गोचर से संबंधित इस ब्लॉग को लेकर के। इस ब्लॉग में हम जानेंगे जल्द होने वाले बुध के मेष राशि में गोचर के बारे में जो 10 मई को होने वाला है। साथ ही जानेंगे इसका सभी राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा। 

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सबसे पहले बात करें बुध ग्रह की तो इसे नौ ग्रहों के राजकुमार के रूप में जाना जाता है। बुध ग्रह वाणी का कारक है। यह संख्यिक क्षमताएं जातक को प्रदान करता है। बुध ग्रह जीवन में तर्कसंगत और त्वरित समाधान भी प्रदान करता है। बुध शासित व्यक्तियों में हास्य की बहुत अच्छी समझ होती है, वह अपने वास्तविक उम्र से काफी छोटे दिखते हैं, उनकी आंखों में एक चमक होती है, यह अपने आपको शारीरिक रूप के बजाय मानसिक रूप से ज्यादा सुंदर बनाने पर काम करते हैं। यह किसी भी कार्य को पूरा करने में सक्षम होते हैं। इनमें किसी भी कार्य को आसानी से पूरा करने की क्षमता होती है। ऐसे व्यक्ति अपने काम के प्रति समर्पित होते हैं और कोई भी काम तुरंत करने में कामयाब रहते हैं। 

मेष राशि में बुध के गोचर के बारे में ज्यादा जानने के लिए सर्वश्रेष्ठ ज्योतिषियों से अभी करें बात

बुध का मेष राशि में गोचर: क्या रहेगा समय?

सबसे पहले बात कर लें समय की तो बुध 10 मई 2024 को 18:39 पर मेष राशि में गोचर कर जाएगा। मेष राशि का स्वामी मंगल है और बुध मंगल का शत्रु माना जाता है। यह बुध के लिए कोई मित्र राशि नहीं है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि बुध यहां पर सभी राशियों पर किस तरह के प्रभाव डालता है। 

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मेष राशि में बुध- विशेषताएं 

मेष राशि के जातक किसी का इंतजार नहीं करते हैं इसीलिए यह गोचर एक ऐसा समय साबित होगा जब व्यक्ति का मन थोड़ा अधिक बेचैन और अधीर रह सकता है। जातक स्थिर नहीं रहेंगे या अपने दिमाग में चीजों को बार-बार दोहराते नजर आएंगे। मेष राशि में बुध संचार के रास्ते खोलने और हमें वही कहने के लिए प्रोत्साहन देने के लिए भी बहुत अच्छा समय साबित होगा जो हम सोचते हैं, महसूस करते हैं क्योंकि मेष राशि ‘मैं’ अर्थात अपना चिन्ह है इसलिए हम में अपने मन की बात कहने का आत्मविश्वास आएगा। हालांकि जब सहयोग समझौता और संवेदनशीलता की आवश्यकता होगी तो व्यक्ति जो सोच रहे हैं उसे ठीक-ठाक से कहने में उन्हें समस्या उठानी पड़ सकती है। बुध और मेष राशि के मिलन से व्यक्ति के विचार और वाणी ज्यादा साहसी और नवीन बनेंगे। अंतर्दृष्टि की झलक व्यक्तियों के लिए उन समस्याओं के नए समाधान के बारे में सोचने की राह आसान बनाएगी जो बहुत समय से लटके हुए हैं। अपने बारे में दूसरे अनुमान न लगएँ। इस गोचर के दौरान आपके पहले विचार सबसे ज्यादा सटीक साबित होंगे। जितनी जल्दी हो सके इस प्रेरणा को देखें क्योंकि मेष राशि के प्रभाव का मतलब है की प्रतिभा आपके जीवन से उतनी ही जल्दी चली भी जाएगी जितनी जल्दी वह आएगी।

बुध का मेष राशि में गोचर- इन राशियों के लिए साबित होगा अनुकूल 

मेष राशि 

मेष राशि के जातकों के लिए बुध तीसरे और छठे घर का स्वामी है और आपके पहले घर में गोचर कर जाएगा। मेष राशि में होने वाला यह गोचर आपको अपनी बुद्धि का अच्छे से उपयोग करने में सक्षम बनाएगा। आपको अपने सभी प्रयासों में सफलता मिलेगी। हालांकि इसके लिए आपको बहुत अधिक प्रयास करने की आवश्यकता पड़ेगी। आपकी शारीरिक शक्ति आपको बहुत कुछ हासिल करने में सफल बनाएगी और आप जितनी मेहनत करेंगे उतने ही ज्यादा सफल होंगे। आपके निर्णय लेने की क्षमता में शानदार रूप से सुधार होगा और इस अवधि के दौरान आप जो भी निर्णय लेंगे वह आपके भविष्य की सफलता का मार्ग प्रशस्त करेंगे। 

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मिथुन राशि 

मेष राशि में बुध का यह गोचर मिथुन राशि के राजस्व भाव में विशेष पुरस्कार प्रदान करने वाला साबित होगा। आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत बनेगी। आप ज्यादा राजस्व उत्पन्न करने में कामयाब होंगे। अगर आप कोई नया व्यवसाय शुरू करते हैं तो उसमें आपको अनुमानित सफलता और मुनाफा मिलेगा जिससे आपकी वित्तीय स्थिति में और भी अधिक सुधार देखने को मिलेगा। आप अपने दिमाग और साधन कुशलता का प्रभावी उपयोग करेंगे और उसके परिणाम स्वरुप आपको आर्थिक रूप से लाभ मिलेगा। प्रमुख अधिकारियों के साथ आपके रिश्ते सकारात्मक बनेंगे जिससे भी आपको लाभ मिलेगा। आपकी वाक्पटु संचार शैली के परिणाम स्वरूप आपकी अपेक्षा से अधिक सफलता आपको इस अवधि में प्राप्त होगी। 

कर्क राशि 

कर्क राशि के जातकों के लिए बुध बारहवें और तीसरे भाव का स्वामी है और इस गोचर के दौरान आपके 10 में भाव में प्रवेश कर जाएगा। मेष राशि में बुध का गोचर आपके कार्यस्थल के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण साबित होगा। इस अवधि में आपकी बुद्धि का स्तर बढ़ेगा, आपकी निर्णय लेने की क्षमता में सुधार देखने को मिलेगा, आपकी योग्यता के स्तर में भी सुधार आएगा और आप अपने काम में काफी तेजी से आगे बढ़ेंगे। जीवन में थोड़ा बहुत उतार चढ़ाव लगा रहेगा लेकिन आप अपने प्रयासों और बुद्धिमता से हर क्षेत्र में सफल होंगे और कार्य स्थल पर आपको उचित पहचान मिलेगी। आपके वरिष्ठ, आपके बॉस आपके प्रदर्शन से प्रसन्न होंगे और आपको पदोन्नति भी मिल सकती है। इसके अलावा आपके सहकर्मी आपके प्रति अच्छे और सहायक रहने वाले हैं जिससे आपका उनके साथ मजबूत रिश्ता बनेगा। वह आपके काम में आपकी सहायता करेंगे जिससे उन पर आपका विश्वास बढ़ेगा और परिणाम स्वरुप आपके प्रदर्शन में महत्वपूर्ण सुधार देखने को मिलेगा।

सिंह राशि 

सिंह राशि के तहत पैदा हुए जातकों के लिए बुध दूसरे और ग्यारहवें घर का स्वामी है। बुध का मेष राशि में गोचर आपके नवम भाव में होने जा रहा है। बुध का मेष राशि में गोचर धन संबंधी मामलों में मजबूती लेकर आएगा जिससे आप आर्थिक रूप से समृद्ध बनेंगे। आप व्यापक यात्राओं पर जाएंगे जो आपके लिए खुशियां लेकर आएंगी। आपकी योजनाएं गति पकड़ेगी और आपका काम अच्छी तरह से पूरा होगा, आपको सफलता मिलेगी, नौकरी में स्थिरता के अवसर प्राप्त होंगे और जो काम पहले करने से आप डरते थे वह आप आसानी से पूरा होने लगेंगे जिससे भी आपको अच्छी सफलता के योग बनेंगे। आपके आत्मविश्वास में वृद्धि आएगी। जो लोग पैतृक व्यवसाय के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं वह अपना काम आगे बढ़ाने में कामयाब होंगे और नौकरी पेशा लोगों को भी इस गोचर से लाभ मिलेगा। 

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बुध का मेष राशि में गोचर- इन राशियों पर पड़ेगा नकारात्मक प्रभाव 

कन्या राशि 

बुध कन्या राशि का स्वामी हैं। साथ ही साथ ही आपके दशम भाव पर भी शासन करता है। इस गोचर के दौरान यह आपके आठवें भाव में प्रवेश करने वाला है। बुध के इस गोचर के दौरान आपको सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है क्योंकि इस दौरान आपका वित्तीय और शारीरिक कल्याण फायदेमंद नहीं रहेगा। इस दौरान आपको कई प्रकार के परिणाम प्राप्त होने वाले हैं।कार्यक्षेत्र में भी उतार-चढ़ाव बना रहेगा। 

आप अपने कार्य स्थल पर काम का दबाव महसूस करेंगे और ठीक से काम करने के लिए आपको बहुत अधिक प्रयास करने की आवश्यकता पड़ेगी। आपका मन भी काम से इस दौरान भटक सकता है। परिणाम स्वरुप आपको अपना पूरा ध्यान अपने काम पर केंद्रित करने की सलाह दी जा रही है। इस दौरान आपके स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ेगा इसीलिए बीमारी से बचने के लिए सावधानी बरतें और अपने जीवन शैली और खानपान पर विशेष ध्यान दें। 

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल है जबकि बुध आपकी राशि के आठवें और ग्यारहवें भाव का स्वामी है। बुध मेष राशि में आपकी राशि से छठे भाव में गोचर करेगा। बुध का यह गोचर आपके लिए बहुत अधिक लाभदायक नहीं रहेगा क्योंकि इस अवधि के दौरान आपको दो प्रकार के चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है पेशेवर और शारीरिक परेशानियां। 

इस अवधि में आपके खर्चों में वृद्धि होगी जिससे आपकी आर्थिक स्थिति खराब हो सकती है। आप अपनी ही टिप्पणी के चलते लोगों से असहमत रहेंगे। कुछ लोग आपके विरोधी भी बन सकते हैं। आपके खर्च आसमान छुएंगे जिन्हें नियंत्रित कर पाना आपके लिए आसान नहीं रहने वाला है। हालांकि खर्चों पर आपको नियंत्रण करने की सलाह दी जा रही है। अन्यथा यह आपकी परेशानी की वजह बनेंगे। 

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बुध का मेष राशि में गोचर- प्रभावशाली उपाय 

  • बुध यंत्र की पूजा करें और इसे अपने घर पर स्थापित करें। 
  • छोटी कन्याओं का आशीर्वाद लें और उन्हें उपहार दें। 
  • अपने मुंह और दांत की स्वच्छता बनाए रखें। 
  • बुध के लिए हवन करें। 
  • गाय को हरा चारा खिलाएं।
  • बुध के बीज मंत्र ‘ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः’ का जाप करें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. बुध मेष राशि गोचर कब करेंगे?

उत्तर 1. 10 मई 2024 को बुध मेष राशि में गोचर करेंगे।

प्रश्न 2. मेष राशि का बुध होने का क्या मतलब है?

उत्तर 2. बुध शासित व्यक्तियों में हास्य की बहुत अच्छी समझ होती है।

प्रश्न 3. ज्योतिष में बुध को मजबूत कैसे करें?

उत्तर 3.  बुध यंत्र की पूजा करें और इसे अपने घर पर स्थापित करें। 

प्रश्न 4.  मेष राशि का सही समय कब आएगा?

उत्तर 4. 10 मई से मेष राशि का अनुकूल समय शुरू होगा।

सूर्य बदल रहे हैं अपना नक्षत्र, इन तीन राशियों के शुरू होंगे अच्‍छे दिन, नौकरी में मिलेगा मान-सम्‍मान

ग्रहों में सूर्य की बात करें, तो वह एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने में लगभग 30 दिनों का समय लेते हैं। इस हिसाब से सूर्य एक साल के अंदर सभी 12 राशियों का भ्रमण कर लेते हैं। जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में आते हैं, तो उनके प्रभाव से अन्‍य सभी राशियों के जीवन में उतार-चढ़ाव आते हैं। सूर्य के गोचर से किसी को अच्‍छे परिणाम मिलते हैं, तो वहीं कुछ लोगों के जीवन में संकट के बादल भी छा जाते हैं।

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राशि की तरह ही सूर्य कुछ समय के अंतराल में नक्षत्र परिवर्तन भी करते हैं और इस बार मई के माह में सूर्य का नक्षत्र परिवर्तन होने जा रहा है। इसका असर सभी 12 राशियों के जीवन पर देखने को मिलेगा लेकिन कुछ राशियों को इससे असीम लाभ मिलने की संभावना है।

इस ब्‍लॉग में आगे विस्‍तार से बताया गया है कि सूर्य किस तिथि पर किस नक्षत्र में प्रवेश करने वाले हैं और इससे किन तीन राशियों की किस्‍मत चमकने वाली है। 

सूर्य कब कर रहे हैं नक्षत्र परिवर्तन

11 मई को सुबह 07 बजकर 13 मिनट पर सूर्य कृतिका नक्षत्र में आएंगे और यहां पर वे 25 मई की सुबह 03 बजकर 27 मिनट तक रहेंगे। आपको बता दें कि कृतिका सूर्य का ही नक्षत्र है इसलिए इस परिवर्तन को अत्‍यंत शुभ बताया जा रहा है। इसके बाद सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। सूर्य के अपने ही नक्षत्र में आने से कुछ राशियों को बंपर लाभ मिलने की संभावना है। इन राशियों के बारे में जानने से पहले आप कृतिका नक्षत्र के बारे में विस्‍तार से जान लें।

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कृतिका नक्षत्र के बारे में

वैदिक ज्‍योतिष के अनुसार कृतिका नक्षत्र के स्‍वामी ग्रह सूर्य देव हैं। कुल 27 नक्षत्रों में यह तीसरे स्‍थान पर आता है। इस नक्षत्र के देवता अग्नि देव हैं और यह स्‍त्री तत्‍व वाला नक्षत्र है। इस नक्षत्र में जन्‍म लेने वाले जातक अच्‍छे सलाहकार बनते हैं और आशावादी प्रवृत्ति के होते हैं। ये सरल जीवन जीते हैं और इनका उदार व्‍यवहार होता है। ये लोगों में बड़ी आसानी से कमियां ढूंढ लेते हैं और उन्‍हें ठीक करने का हुनर भी रखते हैं। ये अपनी बात पर टिके रहते हैं।

तो चलिए अब बिना देर किए जानते हैं कि सूर्य के कृतिका नक्षत्र में प्रवेश करने पर किन राशियों के लोगों को लाभ मिलने वाला है।

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इन राशियों को मिलेगा सुख

कर्क राशि

सूर्य का कृतिका नक्षत्र में जाना कर्क राशि के लोगों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा। अगर लंबे समय से आपका कोई काम अटका हुआ है, तो अब वह पूरा हो सकता है। यह समय नौकरीपेशा जातकों के लिए भी अनुकूल रहेगा। आपके लिए पदोन्‍नति और इंक्रिमेंट के योग बन रहे हैं। आपको अपने परिवार के साथ भी अच्‍छा समय बिताने का मौका मिलेगा। कार्यक्षेत्र में आपके उच्‍च आधिकारी आपके काम की प्रशंसा करते हुए नज़र आएंगे। आप अपने लक्ष्‍य को पाने के लिए आगे बढ़ेंगे।

व्‍यापारियों के लिए भी यह समय अनुकूल रहने वाला है। यदि कोई बिज़नेस डील अटकी हुई है, तो अब बात बन सकती है। आपके जीवन में कुछ सकारात्‍मक बदलाव आने के संकेत हैं। इसके साथ ही आपकी आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्‍छी रहने वाली है। आपको इस दौरान अपनी कड़ी मेहनत का फल मिल सकता है। समाज में आपका मान-सम्‍मान और प्रतिष्‍ठा बढ़ेगी।

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कन्‍या राशि

कन्‍या राशि के लोगों के लिए सूर्य का कृतिका नक्षत्र में आना अनुकूल साबित होगा। नौकरीपेशा जातकों के यहीं से अच्‍छे दिन शुरू हो जाएंगे। आप अपने कार्यक्षेत्र में जो मेहनत कर रहे हैं, अब आपको उसका फल मिलने वाला है। आपको ऑफिस में कोई बड़ी जिम्‍मेदारी या प्रोजेक्‍ट मिल सकता है। इसके अलावा आपके वरिष्‍ठ अधिकारी आपके काम से खुश नज़र आएंगे। इस दौरान आपको अपने कार्यों में भाग्‍य का पूरा साथ मिलेगा। आपके संघर्ष पर भी अब विराम लग सकता है।

नौकरीपेशा लोगों को अपनी बुद्धि, समझदारी और संचार कौशल के दम पर प्रमोशन मिल सकता है। अध्‍यात्‍म में रुचि रखने से आपका मन शांत महसूस करेगा। आपको अपने परिवार या दोस्‍तों के साथ किसी तीर्थस्‍थान की यात्रा करने का मौका मिल सकता है। जो छात्र विदेश में पढ़ाई करने की सोच रहे हैं, इस समय उनका सपना भी पूरा हो सकता है।

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धनु राशि

अगर आपकी धनु राशि है, तो सूर्य के नक्षत्र परिवर्तन करने पर आपको भी लाभ मिलने के संकेत हैं। आपकी धर्म और अध्‍यात्‍म में रुचि बढ़ सकती है। आप अपनी फिटनेस और सेहत पर ध्‍यान देंगे। इसके साथ ही इस समय आपके अंदर आत्‍मविश्‍वास भी बहुत बढ़ जाएगा और आप अपने शत्रुओं पर हावी रहेंगे। इस दौरान आपको अपनी सेहत की चिंता करने की भी ज़रूरत नहीं है। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों को अनुकूल परिणाम प्राप्‍त होंगे। नौकरीपेशा जातकों को इंक्रिमेंट या प्रमोशन के साथ बोनस भी मिल सकता है। यदि आप नई नौकरी देख रहे हैं, तो आपको इस काम में भी सफलता मिलेगी।

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FAQ

प्रश्‍न. कृतिका नक्षत्र में पैदा होने वाले बच्‍चे कैसे होते हैं?

उत्तर. ये लोग बहुत बुद्धिमान, तेजस्‍वी और ईमानदार होते हैं।

प्रश्‍न.क्‍या कृतिका नक्षत्र शुभ है?

उत्तर. इस नक्षत्र के अशुभ प्रभाव देने पर व्‍यक्‍ति में काम की भावना बढ़ जाती है।

प्रश्‍न. कृतिका नक्षत्र के देवता कौन हैं?

उत्तर. इस नक्षत्र के देवता अग्नि देव और स्‍वामी सूर्य देव हैं।

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राहु और गुरु की युति में अपना ही विनाश कर लेता है इंसान, जानें क्‍या-क्‍या पीड़ा पड़ती है सहनी

मनुष्य के जीवन की लगभग सभी घटनाओं पर ग्रह-नक्षत्रों का प्रभाव रहता है। ग्रहों की दशा और दिशा के कारण जातक के जीवन में बहुत कुछ घटित होता है। यह घटनाएं शुभ भी हो सकती हैं और अशुभ भी हो सकती हैं। ग्रह जब गोचर करते हैं, तो इनके प्रभाव के कारण मनुष्‍य के जीवन में महत्‍वपूर्ण बदलाव आते हैं। किसी को अपने जीवन में सुख प्राप्‍त होता है, तो वहीं कुछ लोगों को कष्‍टों और संघर्षों का सामना करना पड़ता है।

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गोचर करने के दौरान ग्रहों की अन्‍य ग्रहों के साथ युति भी होती है जिससे शुभ व अशुभ संयोग एवं राजयोग का निर्माण होता है। ग्रहों की युति होने पर सभी राशियों पर इसका अलग-अलग प्रभाव पड़ता है।

आज इस ब्लॉग के ज़रिए हम आपको राहु और बृहस्‍पति की युति के बारे में बताने जा रहे हैं। यहां आप जान सकते हैं कि जब किसी एक भाव या राशि में गुरु और राहु की युति होती है, तो किस तरह के परिणाम प्राप्‍त होते हैं लेकिन उससे पहले आप ज्‍योतिष में राहु और बृहस्‍पति के महत्‍व के बारे में जान लें।

ज्‍योतिष में बृहस्‍पति ग्रह का महत्‍व

वैदिक ज्‍योतिष के अनुसार मनुष्‍य के जीवन पर ग्रहों का विशेष प्रभाव पड़ता है। बृहस्पति एक महत्‍वपूर्ण और सभी ग्रहों में सबसे विशाल ग्रह है। इसे देवताओं के गुरु की उपाधि दी गई है। ये ग्रह जातक को भाग्‍य प्रदान करता है और उसे दयालु बनाता है।

यह सूर्य की परिक्रमा करने में 12 साल से कुछ कम का समय लगाते हैं। यह प्रतिष्‍ठा और मान-सम्‍मान का ग्रह है। इस ग्रह को धर्म और अध्‍यात्‍म का कारक भी कहा जाता है। शास्‍त्रों में बृहस्‍पति को उग्र, महान और परोपकारी बताया गया है। इस ग्रह के प्रभाव से व्‍यक्‍ति आशावादी और सकारात्‍मक बनता है। इसका स्‍वभाव उदार और दयालु है। इसे भाग्‍य, धन, प्रतिष्‍ठा, प्रसिद्धि, आध्‍यात्मिकता, भक्‍ति और विश्‍वास का कारक माना गया है।

यह ग्रह कफ प्रकृति का है और धनु एवं मीन राशि पर इसका आधिपत्‍य है। यह ग्रह व्‍यक्‍ति को उच्‍च तर्क क्षमता और निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करता है।

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वैदिक ज्‍योतिष में राहु का महत्‍व

राहु एक छाया ग्रह है जो हमेशा वक्री चाल चलता है। राहु भ्रम की स्थिति पैदा करता है और इसके प्रभाव के कारण व्‍यक्‍ति कk सांसारिक सुखों से लगाव हट जाता है। राहु व्‍यक्‍ति को प्रसिद्धि भी प्रदान करता है और यह ग्रह आईटी सेक्‍टर को दर्शाता है। राहु की वजह से व्‍यक्‍ति कभी भी अपने जीवन से संतुष्‍ट नहीं हो पाता है। उसे हमेशा और पाने की लालसा रहती है।

राहु एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने में 18 महीने का समय लेते हैं। राहु की महादशा भी 18 साल की होती है। राहु का किसी भी राशि या कुंडली के किसी भी भाव पर आधिपत्‍य नहीं है। आर्द्रा, स्‍वाति और शतभिषा नक्षत्रों पर राहु का शासन होता है। माना जाता है कि राहु वृषभ या मिथुन राशि में उच्‍च के होते हैं और धनु या वृश्चिक राशि में नीच के होते हैं। जन्‍मकुंडली में लाभ भाव में होने पर राहु अच्‍छे फल प्रदान करता है।

तो चलिए अब जानते हैं कि राहु और बृहस्‍पति की युति होने पर किस तरह के प्रभाव मिलते हैं।

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राहु और बृहस्‍पति की युति

ज्‍योतिषशास्‍त्र में बृहस्‍पति ग्रह को बुद्धि का कारक माना गया है। यह ग्रह सफलता, शिक्षा, बुद्धि और नौकरी एवं व्‍यापार के क्षेत्र से संबंधित है। राहु को पापी ग्रह भी बताया गया है। यदि राहु कुंडली में शुभ स्‍थान में बैठा है तो यह जातक को रंक से राजा बना सकता है लेकिन अगर अशुभ फल प्रदान कर रहा हो, तो व्‍यक्‍ति के जीवन को दरिद्रता और दुखों से भर सकता है।

कुंडली में राहु और बृहस्‍स्‍पति की युति से शुभ और अशुभ दोनों तरह के परिणाम मिल सकते हैं। अगर गुरु और राहु जन्‍मकुुंडली में एक ही स्‍थान में बैठे हैं लेकिन यहां पर बृहस्‍पति उच्‍च स्‍थान में है और राहु नीच स्‍थान में है, तो इस युति से व्‍यक्‍ति को अपने जीवन में सकारात्‍मक परिणाम प्राप्‍त होते हैं। इन लोगों को अपने जीवन में अपार सफलता मिलती है। इसका शुभ प्रभाव करियर, पारिवारिक जीवन, घर और व्‍यापार आदि पर पड़ता है।

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वहीं अगर गुरु नीच स्‍थान में है और राहु उच्‍च स्‍थान में बैठा है, तो इस स्थिति में जातक को अशुभ परिणाम झेलने पड़ते हैं। इन लोगों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। ये पैसों के लिए तो मोहताज हो ही जाते हैं साथ ही इनकी बुद्धि भी काम करना बंद कर देती है। गुरु और राहु की इस युति के कारण जातक गलत रास्‍ते पर चलने लगता है और बुरी संगत में रहना शुरू कर देता है। ये जातक अपने ही हाथों से अपना विनाश कर लेते हैं।

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FAQ

प्रश्‍न. गुरु और राहु के एकसाथ होने से क्‍या होता है?

उत्तर. इन दो ग्रहों के एकसाथ होने पर गुरु चांडाल योग बनता है।

प्रश्‍न. राहु का गुरु कौन है?

उत्तर. राहु दैत्‍यों में से एक है इसलिए उनके गुरु शुक्राचार्य हैं।

प्रश्‍न. कौन-सा देवता राहु को नियंत्रित करता है?

उत्तर. राहु को शांत करने के लिए भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।

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सूर्य और बुध बनाएंगे बुधादित्‍य योग, इन राशियों की पलटेगी किस्‍मत, खूब बरसेगा पैसा

सभी ग्रह एक निश्चित समयावधि के बाद एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं जिसे ज्‍योतिषीय भाषा में गोचर के नाम से जाना जाता है। ग्रह गोचर करने के अलावा राशियों में अस्‍त और उदित होने के साथ-साथ वक्री और मार्गी चाल भी चलते हैं। इनका प्रभाव भी गोचर की तरह ही होता है।

जब ग्रह गोचर करते हैं तो कई बार किसी अन्‍य ग्रह के साथ युति करने पर शुभ एवं अशुभ योग का निर्माण होता है जिससे देश-दुनिया समेत सभी 12 राशियां प्रभावित होती हैं। किसी के लिए ये संयोग शुभ फल लेकर आते हैं, तो वहीं कुछ लोगों को इस दौरान मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

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इस बार मई के महीने में एक बहुत ही शुभ योग बनने जा रहा है जिससे कुछ विशेष राशियों को अत्‍यंत लाभ मिलने की संभावना है। आगे जानिए कि मई माह में किन ग्रहों के गोचर एवं युति से किस शुभ योग का निर्माण हो रहा है और इससे लाभान्‍वित होने वाली राशियां कौन-सी हैं।

ग्रहों के गोचर की तिथि एवं समय

पहले तो ऊर्जा और आत्मा के कारक ग्रह सूर्य 14 मई 2024 की शाम 05 बजकर 41 मिनट पर वृषभ राशि में गोचर करेंगे। इसके बाद बुद्धि के कारक बुध वृषभ राशि में 31 मई 2024 को प्रवेश करेंगे। इस दौरान बुध वृषभ राशि में 12:02 पर गोचर करेंगे।

इस तरह वृषभ राशि में सूर्य और बुध की युति होने से बुधादित्‍य योग का निर्माण हो रहा है। ज्‍योतिषशास्‍त्र में बुध‍ादित्‍य योग को अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण और शुभ माना गया है। आगे जानिए कि बुधादित्‍य योग क्‍या होता है और इस योग के बनने पर किस तरह के परिणाम प्राप्‍त होते हैं।

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बुधादित्‍य योग क्‍या होता है

जहां सूर्य ऊर्जा, सहनशक्‍ति, सरकारी नौकरी और साहस का स्रोत हैं, वहीं बुध वाणी, बुद्धि, शिक्षा और ज्ञान का कारक हैं। सूर्य हमें स्‍वाभिमान से जीना सिखाते हैं, तो वहीं बुध हमें स्‍वामिभान और सम्‍मान प्राप्‍त करने के लिए ज्ञान और चेतना प्रदान करते हैं।

सूर्य को आदित्‍य के नाम से भी जाता है इसलिए सूर्य और बुध की युति पर बनने वाले राजयोग को बुधादित्‍य नाम दिया गया है। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि किस राशि में यह योग बन रहा है लेकिन किस भाव में इस योग का निर्माण हो रहा है, ये बहुत महत्‍व रखता है। बुधादित्‍य योग के प्रभाव से आपको सफलता, मान-सम्‍मान, प्रतिष्‍ठा और आर्थिक संपन्‍नता मिल सकती है।

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तो चलिए अब जानते हैं कि सूर्य और बुध की युति से बन रहे बुधादित्‍य योग से किन राशियों को सौभाग्‍य और धन की प्राप्ति होने वाली है।

बुधादित्‍य योग से इन्‍हें होगा लाभ

वृषभ राशि

वृषभ राशि में ही सूर्य और बुध के इस शुभ योग का निर्माण हो रहा है। यह योग आपकी राशि के लिए खुशियां लेकर आने वाला है। यह योग आपकी राशि के लग्‍न भाव में बनने वाला है इसलिए इस समय समाज में आपके मान-सम्‍मान और प्रतिष्‍ठा में इज़ाफा होगा। इस दौरान आपका व्‍यक्‍तित्‍व भी पहले से बेहतर होगा।

अगर आपको अपने कार्यक्षेत्र में कुछ अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है, तो अब वे सारी समस्‍याएं भी दूर हो जाएंगी। यह समय वैवाहिक जीवन के लिए भी अनुकूल रहने वाला है। आपके और आपके जीवनसाथी के बीच आपसी तालमेल बहुत अच्‍छा रहेगा और आप दोनों के बीच प्‍यार बढ़ेगा। साझेदारी में व्‍यापार करने वाले लोगों को खूब मुनाफा एवं धन कमाने का मौका मिलेगा।

वृषभ साप्ताहिक राशिफल

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कर्क राशि

कर्क राशि के लोगों को भी बुधादित्‍य योग से लाभ मिलने के संकेत हैं। यह योग आपकी कुंडली के नौवें भाव में बन रहा है। इस समय आपको अपने भाग्‍य का पूरा साथ मिलेगा। आपके कार्य पूरे होंगे और आप किसी धार्मिक या मांगलिक कार्य में भी शामिल हो सकते हैं। आपकी आमदनी के स्रोत बढ़ने की भी संभावना है। इससे आपकी आर्थिक स्थिति में मज़बूती आएगी।

सेहत के लिए भी अनुकूल समय है। आपको विदेश जाने का मौका भी मिल सकता है। इसके अलावा आप अपने देश में भी घूमने-फिरने जा सकते हैं। यदि आप प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो इस समय आपको अपने कार्य में सफलता जरूर मिलेगी।

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सिंह राशि

सिंह राशि के लोगों को भी सूर्य और बुध की युति से बनने जा रहे बुधादित्‍य योग से फायदा होगा। यह योग आपकी राशि से व्‍यापार और करियर के भाव में बनने वाला है। इस वजह से यह योग व्‍यापारियों के लिए बहुत ही ज्‍यादा शुभ रहने वाला है। अगर आप अपना बिज़नेस करते हैं, तो इस समय आप खूब तरक्‍की करेंगे और आपको अत्‍यधिक मुनाफा कमाने के कई अवसर प्राप्‍त होंगे।

वहीं नौकरीपेशा जातकों के लिए भी वेतन में वृद्धि और प्रमोशन के योग बन रहे हैं। अगर आप सरकारी नौकरी पाने की कोशिश कर रहे हैं, तो इस बार आपका यह सपना पूरा हो सकता है। व्‍यापारियों के लिए धन लाभ के संकेत हैं।

सिंह साप्ताहिक राशिफल

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्‍न. बुधादित्‍य योग कब बनता है

उत्तर. सूर्य और बुध की एक ही भाव में युति होने पर यह योग बनता है।

प्रश्‍न. बुधादित्‍य योग का क्‍या प्रभाव है

उत्तर. यह एक शुभ योग है जो व्‍यक्‍ति को धन, प्रतिष्‍ठा और वैभव देता है।

प्रश्‍न. बुधादित्‍य योग किस हस्‍ती का है

उत्तर. अमिताभ बच्‍चन, डॉ्. मनमोहन सिंह और पीवी नरसिम्‍हा राव की कुंडली में यह योग है।

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अक्षय तृतीया पर नहीं खरीद पा रहे हैं सोना तो अवश्य खरीदें यह 5 रुपये की चीज़- माँ लक्ष्मी होंगी प्रसन्न!!

सनातन धर्म में अक्षय तृतीया के त्यौहार का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन भक्त धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं और अपनी यथाशक्ति के अनुसार खरीदारी करते हैं। कुछ लोग सोने चांदी के खरीदारी करते हैं तो कुछ वाहन की, कोई घर खरीदता है तो कुछ लोग अपनी सुविधा के अनुसार कपड़े आदि खरीदते हैं।

कहा जाता है कि इस दिन खरीददारी बेहद ही शुभ होती है। मुख्य तौर पर इस दिन स्वर्ण अर्थात सोने से बनी हुई चीजों को खरीदना शुभ माना जाता है। ऐसे में बेहद आवश्यक हो जाता है कि आप कोई भी खरीदारी शुभ मुहूर्त में करें। शुभ मुहूर्त में खरीदारी करने से उसका शुभ फल व्यक्ति के जीवन पर लंबे समय तक पड़ता है। अपने इस विशेष ब्लॉग में आज हम इसी बारे में जानकारी हासिल करेंगे और बात करेंगे वर्ष 2024 में अक्षय तृतीया कब पड़ रही है और इस दिन खरीदारी का शुभ मुहूर्त कब से कब तक रहने वाला है। 

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वर्ष 2024 में अक्षय तृतीया कब? 

सबसे पहले बात करें अक्षय तृतीया की तो हर साल वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीय का पर्व मनाया जाता है। ऐसे में साल 2024 में 10 मई को अक्षय तृतीया है। यह शुभ दिन किसी भी तरह के मांगलिक और शुभ कार्य को करने के लिए भी बेहद ही शुभ होता है। ऐसे में बहुत से लोग ज्योतिषियों से परामर्श लेकर इस दिन शादी, सगाई, विदाई, वाहन और घर आदि की खरीद भी करते हैं। हालांकि आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्तों में से एक माना जाता है। ऐसे में इस दिन पूरा ही दिन बेहद ही शुभ होता है और आप कोई भी शुभ मांगलिक कार्य बिना किसी ज्योतिषीय परामर्श के भी पूरा कर सकते हैं। 

क्या ये जानते हैं आप? अक्षय तृतीया को स्वयं सिद्ध मुहूर्त भी कहा जाता है

अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त 

अब बात कर लें अक्षय तृतीया के दिन के शुभ मुहूर्त की तो इस दिन शुभ मुहूर्त प्रात काल 4:17 से शुरू हो जाएगा और यह 11 मई अर्थात अगले दिन देर रात 2:50 तक चलेगा। ऐसे में अक्षय तृतीया 10 मई को पूरे ही दिन मनाई जाएगी। 

अगर आप पूजा के शुभ मुहूर्त जानना चाहते हैं तो प्रातः काल 5:33 से लेकर दोपहर 12:18 तक अक्षय तृतीया पर पूजा का शुभ मुहूर्त है। इस दिन इस शुभ मुहूर्त में आप मां लक्ष्मी की पूजा करें और अपने जीवन में सुख, समृद्धि और धन की कामना कर सकते हैं।

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा

बात करें सोना खरीदने के शुभ मुहूर्त की तो सबसे पहले आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, अक्षय तृतीया के दिन सुकर्मा योग बन रहा है। सुकर्मा योग दोपहर 12:08 से लग जाएगा और यह दिन भर चलेगा। इस दिन रवि योग भी है। रवि योग प्रात काल 5:33 से सुबह 10:37 तक रहेगा। इस दौरान आप सोने की खरीद कर सकते हैं। दोपहर में 12:18 से 1:59 तक का समय भी बेहद शुभ है। इस दौरान भी सोना खरीदा जा सकता है। इसके बाद अगर आप शाम में सोना खरीदना चाहते हैं तो शाम में 9:40 से रात 10:59 तक का समय अति शुभ है। इस दौरान सोने की खरीद की जा सकती है।

अक्षय तृतीया का महत्व 

अक्षय तृतीया के इस पावन दिन के बारे में कहा जाता है कि, इस दिन भगवान विष्णु के परशुराम अवतार का जन्म हुआ था। इसके अलावा इसी दिन युधिष्ठिर को कृष्ण जी ने अक्षय पात्र दिया था। इस पात्र में भोजन कभी भी समाप्त नहीं होता था। इसी अक्षय पात्र से युधिष्ठिर जरूरतमंद लोगों को भोजन करवाते थे। यही वजह है कि अक्षय तृतीया के दिन दान पुण्य करने का और खरीदारी करने का विशेष महत्व माना जाता है। इसके अलावा अक्षय तृतीया के दिन से ही त्रेता युग की शुरुआत हुई और इसी शुभ दिन पर गंगा का अवतरण भी धरती पर हुआ था। यही वजह है कि इन सभी विशेषताओं के चलते अक्षय तृतीया का दिन साल के सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है। 

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अक्षय तृतीया पर पांच शुभ संयोग 

इस साल के अक्षय तृतीया वैसे भी खास रहने वाली है क्योंकि इस दिन 5 शुभ योग बन रहे हैं। अक्षय तृतीया के दिन शुक्रवार है और इस दिन सुकर्मा योग भी है। सुकर्मा योग 12:07 से अगले दिन 10:00 बजे तक रहेगा। इसके अलावा इस दिन रोहिणी नक्षत्र है। रोहिणी नक्षत्र 10:48 तक रहने वाला है। दरअसल इस नक्षत्र के स्वामी भौतिक सुखों के दाता शुक्र हैं इसीलिए इस नक्षत्र में किया गया कोई भी काम आपके लिए शुभ फलदायक रहेगा। इसके बाद पूरे दिन मृगशिरा नक्षत्र भी रहेगा जिसे ज्योतिष में बेहद शुभ माना जाता है। अक्षय तृतीया के दिन तैतिल और गर करण भी रहने वाले हैं जिन्हें भी बेहद ही शुभ माना जाता है। 

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अक्षय तृतीया पर ना खरीद पाएँ सोना तो क्या करें? 

बहुत से लोगों के अंदर इस बात को जानने की जिज्ञासा होती है कि अगर अक्षय तृतीया के दिन हम सोना नहीं खरीद सकते तो क्या करें। क्या हमें फिर इस दिन का फल नहीं मिलेगा? तो दरअसल ऐसा कुछ नहीं है। अगर आप अक्षय तृतीया के दिन सोना नहीं खरीद सकते हैं तो ऐसी कुछ और चीज़ें भी बताई गई हैं जिन्हें आप अपने घर ला सकते हैं और इससे भी आपको मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होगा। जैसे कि, सेंधा नमक सेंधा नमक का संबंध शुक्र और चंद्र देव से माना जाता है। ऐसे में अगर आप सेंधा नमक खरीद लेते हैं तो आपके धन संपत्ति में इजाफा होगा। हालांकि इस दिन सेंधा नमक का सेवन करने से । घड़ा मिट्टी के पात्र जैसे घड़ा, दीपक आदि आप इस दिन खरीद कर घर ला सकते हैं। इन्हें भी शुभ माना जाता है। इससे घर के सदस्यों की अच्छी उन्नति होती है। जौ या पीली सरसों सोने के अलावा आप चाहे तो अक्षय तृतीया के दिन जौ या फिर पीली सरसों खरीद सकते हैं। इसे सोना या चांदी खरीदने के बराबर माना जाता है। बर्तन या कौड़ी खरीदना अक्षय तृतीया के दिन आप चाहें तो बर्तन या फिर कौड़ी खरीद कर घर ला सकते हैं। बर्तन अगर खरीद रहे हैं तो तांबे या पीतल के बर्तन खरीदें। ऐसा करने से घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है। वहीं कौड़ी की बात करें तो यह माँ लक्ष्मी को बेहद प्रिय होती है। आप कौड़ी खरीद कर घर लाकर मां लक्ष्मी के चरणों में समर्पित कर दें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न 

1. 2024 में अक्षय तृतीया कब है?

उत्तर: 10 मई 2024 को अक्षय तृतीया है। 

2. अक्षय तृतीया के दिन क्या किया जाता है?

उत्तर: इस दिन पूजा-पाठ, दान-पुण्य, शुभ और मांगलिक काम, व्यापार की शुरुआत, घर-वाहन की खरीद आदि को शुभ माना जाता है। 

3. अक्षय तृतीया के दिन किस देवी-देवता की पूजा की जाती है?

उत्तर: इस दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार, परशुराम का जन्मदिन माना जाता है। साथ ही इस दिन माँ लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है। 

4. अक्षय तृतीया पर नमक क्यों खरीदते हैं?

उत्तर: इस दिन नमक खरीदने से पितरों को प्रसन्नता मिलती है। 

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अक्षय तृतीया पर 100 साल बाद बनने जा रहा गजकेसरी राजयोग, सोने की तरह चमकेगा इन 3 राशियों का भाग्य!

अक्षय तृतीया 2024 हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है जो कि हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस बार अक्षय तृतीया 10 मई 2024, शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी। अक्षय तृतीया को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है और इस दिन अबूझ मुहूर्त होता है। सामान्य शब्दों में कहें, तो अक्षय तृतीया के दिन आप बिना शुभ मुहूर्त देखे कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य कर सकते हैं। बता दें कि इस बार की अक्षय तृतीया बेहद ख़ास होने वाली है क्योंकि इस दिन 100 साल बाद गजकेसरी राजयोग का निर्माण होने जा रहा है। ऐसे में, यह राजयोग राशिचक्र की 3 राशियों के लिए शुभ रहेगा। आइए आगे बढ़ते हैं और आपको बताते हैं इस राजयोग के बारे में।  

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अक्षय तृतीया को सोना-चांदी और घर के लिए कोई नया सामान खरीदने के लिए बेहद शुभ माना जाता है। ज्योतिष की दृष्टि से भी इस तिथि का विशेष महत्व है क्योंकि अक्षय तृतीया पर सूर्य और चंद्रमा अपनी उच्च राशि में होते हैं। 

100 साल बाद अक्षय तृतीया पर बनेगा गजकेसरी राजयोग  

वर्ष 2024 में अक्षय तृतीया पर 100 साल बाद गजकेसरी राजयोग बनने जा रहा है। चंद्रमा और बृहस्पति महाराज की युति की वजह से अक्षय तृतीया के दिन गजकेसरी राजयोग का निर्माण हो रहा है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, गजकेसरी योग की गिनती सबसे महत्वपूर्ण और शुभ योगों में होती है। इस योग का निर्माण चंद्रमा और गुरु की युति से होता है। 

ज्योतिष शास्त्र में गजकेसरी योग को सर्वश्रेष्ठ और शुभ फल प्रदान करने वाला कहा गया है। साथ ही, बृहस्पति देव और चंद्रमा एक-दूसरे के अच्छे दोस्त माने गए हैं। ऐसे में, अक्षय तृतीया के दिन गजकेसरी योग बनने से राशि चक्र की 3 राशियों का भाग्य सोने की तरह चमक सकता है। चलिए नज़र डालते हैं उन भाग्यशाली राशियों पर।

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अक्षय तृतीया पर गजकेसरी राजयोग से, इन 3 राशियों का होगा भाग्योदय

मेष राशि 

मेष राशि के जातकों के लिए अक्षय तृतीया पर बन रहा गजकेसरी राजयोग शुभ साबित होगा। इस राजयोग का असर आपके आर्थिक जीवन के साथ-साथ आपकी वाणी पर भी नज़र आएगा। इन लोगों को अचानक से धन प्राप्त होने के योग बनेंगे और कार्यों में एक के बाद सफलता प्राप्त होने से आप प्रसन्न रहेंगे। यह अवधि आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार लेकर आएगी। आपकी वाणी प्रभावशाली होने से लोग आपसे जल्द ही लोग आकर्षित हो जाएंगे। इसके अलावा, वेतन में वृद्धि होने से आप पर्याप्त मात्रा में बचत भी कर सकेंगे।

 

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कर्क राशि 

कर्क राशि वालों के लिए अक्षय तृतीया पर बनने वाला गजकेसरी राजयोग लाभदायक रहेगा। इस दिन से आपके अच्छे दिनों की शुरुआत हो जाएगी। यह राजयोग आपके नौवें भाव में बनेगा जो कि आपके रुके हुए कामों को पूरा करने का काम करेगा। घर-परिवार में कोई मांगलिक कार्य होने की संभावना है। लेकिन, इस समय आप करियर के संबंध में कुछ बड़े फैसले लेते हुए नज़र आ सकते हैं। साथ ही, आपके विदेश जाने के भी योग बनेंगे। वहीं, छात्रों के लिए इस अवधि को शानदार कहा जाएगा और प्रतियोगी परीक्षाओं में हिस्सा लेने वाले छात्रों का प्रदर्शन अच्छा रहेगा। आर्थिक जीवन से भी समस्याएं दूर होंगी और आप आप सुधार की तरफ आगे बढ़ेंगे। 

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सिंह राशि 

सिंह राशि वालों का नाम भी उन भाग्यशाली राशियों में शामिल हैं जिनके लिए अक्षय तृतीया पर बन रहा गजकेसरी राजयोग उत्तम साबित होगा। अक्षय तृतीया से इन जातकों के अच्छे दिनों की शुरुआत होगी, विशेष रूप से व्यापार करने वाले जातकों के। जिन लोगों का संबंध बिज़नेस से है, उन्हें अच्छे मुनाफे वाले कई सौदे मिलने का अनुमान है। वहीं, करियर के क्षेत्र में सिंह राशि के जातकों को बेहतरीन अवसरों की प्राप्ति होगी। घर-परिवार में भी सुख-शांति बनी रहेगी जिससे आपका मन प्रसन्न रहेगा। जो जातक नौकरी में बदलाव करना चाहते हैं या नौकरी के नए अवसरों की तलाश में हैं, वह अब ऐसा कर सकेंगे। इन लोगों को अच्छा धन लाभ होने से आपकी आर्थिक स्थिति मज़बूत होगी। यदि आप व्यापार को बढ़ाने का सोच रहे हैं, तो अब आप ऐसा कर सकते हैं। 

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. कुंडली में गुरु और चंद्रमा के साथ होने पर कौन सा योग बनता है?

उत्तर 1. जब गुरु और चंद्रमा एक साथ होते हैं, तब गजकेसरी राजयोग बनता है।

प्रश्न 2. अक्षय तृतीया पर क्या खरीदना शुभ होता है?

उत्तर 2. अक्षय तृतीया के दिन सोना-चांदी खरीदना शुभ माना जाता है।

प्रश्न 3. क्या 2024 में विवाह के लिए अक्षय तृतीया अच्छी है?

उत्तर 3. अक्षय तृतीया पर अबूझ मुहूर्त होता है इसलिए यह दिन विवाह के लिए शुभ होता है।

दो शुभ योगों में रखा जाएगा वैशाख अमावस्या का व्रत; कर लें ये उपाय नहीं सताएगा अकाल मृत्यु का डर!

एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको वैशाख अमावस्या 2024 के बारे में बताएंगे और साथ ही इस बारे में भी चर्चा करेंगे कि इस दिन कौन-कौन से योग बन रहे हैं और इन योगों के दौरान कौन से उपाय करने चाहिए ताकि आप मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त कर सके। तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि विस्तार से वैशाख अमावस्या के पर्व के बारे में।

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हर महीने चंद्रमा की घटती बढ़ती कलाओं के चलते पूर्णिमा और अमावस्या तिथि आती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, साल में 12 अमावस्या तिथि पड़ती है और इन सभी अमावस्या तिथि का बहुत अधिक महत्व है लेकिन इन सभी में वैशाख माह की अमावस्या बहुत अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। बता दें कि कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को जब चंद्रमा रात में पूरी तरह दिखाई नहीं देता है तो उसे अमावस्या कहते हैं। पुराणों के अनुसार, हर अमावस्या का दिन पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए विशेष महत्व होता है क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि यह दिन तर्पण, स्नान, दान आदि के लिए बहुत पुण्य और फलदायी होता है। इस अमावस्या को पितरों को मोक्ष दिलाने वाली अमावस्या भी बताया गया है। ख़ास बात यह है कि इस साल वैशाख अमावस्या पर ज्योतिष की दृष्टि में बेहद ही शुभ माने जाने वाले योगों का निर्माण हो रहा है इसलिए इस तिथि का महत्व और भी बढ़ गया है। तो आइए जानते हैं कि इस साल वैशाख अमावस्या कब पड़ रही है और इस दिन कौन से शुभ योगों का निर्माण हो रहा है व इस योग के दौरान कौन-कौन से उपाय अपनाने चाहिए।

वैशाख अमावस्या 2024: तिथि व समय

हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख के कृष्ण पक्ष का आखिरी दिन अमावस्या तिथि होती है। इस साल यह तिथि 08 मई 2024 दिन बुधवार को पड़ रही है।

अमावस्या आरम्भ : मंगलवार 07 मई, 2024 की सुबह 11 बजकर 43 मिनट से 

अमावस्या समाप्त : बुधवार मई 08, 2024 की सुबह 08 बजकर 53 मिनट तक।

उदया तिथि के अनुसार, 08 मई को वैशाख अमावस्या पड़ेगी। 

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वैशाख अमावस्या पर शुभ योग

ख़ास बात यह है कि इस बार वैशाख अमावस्या पर दो बेहद शुभ योग आयुष्मान योग और सौभाग्य योग का निर्माण हो रहा है। सौभाग्य योग में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस योग में भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने पर आय, सुख, और धन में वृद्धि होती है। इस योग में सभी प्रकार के शुभ कार्य किए जा सकते हैं और इस कार्य के परिणाम में फलदायी होते हैं। बात करें आयुष्मान योग की तो ज्योतिष में आयुष्मान योग को बेहद शुभ माना जाता है। इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है और हर कार्य सफलतापूर्वक होने लगते हैं।

वैशाख अमावस्या का महत्व

कोई भी अमावस्या तिथि सनातन धर्म में विशेष महत्वपूर्ण और फलदायी मानी जाती है। वैशाख अमावस्या की बात करें तो ज्योतिष और धर्म दोनों नजरिए से यह बहुत अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस अमावस्या पितरों को समर्पित है। ज्योतिष के अनुसार, पितृ दोष से मुक्ति के लिए इस अमावस्या पर विधि-विधान से पूजा पाठ की जानी चाहिए। अमावस्या के दिन स्नान, तर्पण,और दान करना विशेष फलदायी होता है। वैशाख अमावस्या पर सत्तू का दान भी बहुत ही शुभ माना जाता है और यही कारण है कि से सतुवाई अमावस्या भी कहा जाता है।

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वैशाख अमावस्या : पूजा विधि 

  • हिंदू मान्यता के अनुसार, वैशाख मास की अमावस्या के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर घर के सभी कार्यों से निवृत्त होकर स्नान कर लेना चाहिए। 
  • इसके बाद सूर्यदेव को जल अर्पित करें तो विधि-विधान से पूजा करें। 
  • पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए वैशाख अमावस्या के दिन अपने पितरों की विशेष रूप से पूजा जरूर करनी चाहिए। 
  • वैशाख अमावस्या का पुण्य फल पाने के लिए इस दिन पवित्र नदियां, जलाशय, कुंड आदि पवित्र स्थलों में जाकर स्नान-दान करना चाहिए और अपने आराध्य देवी-देवता का मंत्र जप जरूर करना चाहिए।
  • वैशाख अमावस्या पर पितरों के नाम का तर्पण और श्राद्ध भी करना चाहिए। साथ ही इस दिन उपवास भी रखें और इसके बाद ब्राह्मणों को पेट भरकर भोजन कराएं।
  • वैशाख अमावस्या पर पीपल के पेड़ और हनुमान जी की भी की पूजा करनी चाहिए।
  • वैशाख अमावस्या पर हनुमान चालीसा, विष्णु सहस्त्रनाम आदि का विधि-विधान से पाठ करना चाहिए।

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वैशाख अमावस्या की पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में धर्मवर्ण नाम के एक ब्राह्मण रहते थे। वे बहुत ही आध्यात्मिक गतिविधियों में लीन रहते थे और धर्म-कर्म के कामों में लगे रहते थे। साथ ही, ऋषि-मुनियों का आदर करते थे। एक बार उन्होंने किसी महात्मा के मुख से भगवान विष्णु की महिमा के बारे में सुना। फिर उन्हें इस बात की जानकारी हुई कि भगवान विष्णु के नाम स्मरण से ज्यादा पुण्य किसी भी कार्य में नहीं है। धर्मवर्ण ने इस बात को आत्मसात कर लिया और सांसारिक मोह-माया को छोड़कर संन्यास ले लिया और रात दिन भगवान विष्णु के नाम का जाप करते। एक दिन भ्रमण करते-करते धर्मवर्ण पितृ लोक पहुंचे। वहां उन्होंने देखा कि पितर बहुत कष्ट में हैं। पितरों ने उन्हें बताया कि उनकी ऐसी स्थिति उनके संन्यास लेने के चलते हुई है क्योंकि उस ब्राह्मण के अलावा उनका पिंडदान करने वाला कोई और नहीं है। पितरों ने उस ब्राह्मण से कहा कि वह वापस जाकर जाकर गृहस्थ जीवन की शुरुआत करें। संतान उत्पन्न करें और वैशाख अमावस्या के दिन विधि-विधान से पिंडदान करें। तभी वे इन सभी कष्टों से मुक्ति पा पाएंगे। अपने पितरों की बात सुनकर धर्म वर्ण ने उन्हें वचन दिया कि वह उनकी बात मानेंगे और अपना वचन पूरा करेंगे। साथ ही, पूरी विधि-विधान से उनका पिंडदान करेंगे। इसके बाद धर्मवर्ण ने संन्यासी जीवन छोड़ दिया। उन्होंने एक बार फिर से सांसारिक जीवन को अपनाया और वैशाख अमावस्या पर विधि विधान से अपने पितरों के लिए पिंडदान कर किया और मुक्ति दिलाई, जिसके बाद से वैशाख अमावस्या पर पिंडदान का महत्व बढ़ गया।

वैशाख अमावस्या पर क्या करें

  • वैशाख अमावस्या के दिन फलाहारी व्रत रखना चाहिए। इससे संयम, शांति और आत्मविश्वास की प्राप्ति होती है।
  • इस अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। यदि ऐसा संभव नहीं है तो नहाने के पानी में गंगाजल व तिल डालकर स्नान करें। ऐसा करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है और शनि के दोषों से मुक्ति मिलती है।
  • इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण करना चाहिए। इससे उन्हें पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
  • पितृ दोष निवारण के लिए वैशाख अमावस्या के दिन पितरों के नाम से गरीबों व जरूरतमंदों को भोजन करवाना चाहिए।
  • इस दिन स्नान करके सूर्य को जल में तिल डालकर जल अर्पित करना चाहिए।
  • वैशाख अमावस्या पर पीपल के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाना चाहिए।

वैशाख अमावस्या में क्या न करें

  • वैशाख अमावस्या की दोपहर सोना नहीं चाहिए और पूरे दिन भगवान के नाम का जा करना चाहिए।
  • इस दिन मांसाहार और तामसिक भोजन से दूर रहना चाहिए। इसके अलावा, किसी भी तरह का नशा नहीं करना चाहिए।
  • भोग और विलासिता की चीज़ों से बचने का प्रयास करना चाहिए।
  • उड़द या इससे बनी कोई भी चीज खाने से बचें।
  • मांगलिक कार्य, शुभ कामों के लिए खरीदारी करने से बचें। 
  • इसके अलावा, इस दिन नए काम की शुरुआत नहीं करनी चाहिए।

वैशाख अमावस्या पर करें ये ख़ास उपाय

वैशाख अमावस्या के दिन विशेष उपाय किए जाते हैं। अगर आप अपने जीवन में किसी चीज को लेकर परेशान हैं, तो वैशाख अमावस्या के दिन ये खास उपाय जरूर अपनाएं। यह उपाय इस प्रकार हैं:

आर्थिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए

यदि आप आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हैं और धन टिक नहीं रहा है तो वैशाख अमावस्या पर सत्तू व जल का दान करें। धार्मिक मान्यता है कि वैशाख माह में सत्तू का दान करने से व्यक्ति को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। साथ ही, पितृ दोष से भी छुटकारा मिलता है और जीवन सुखमय होता है।

बुरी शक्तियों से बचने के लिए

अगर आप बुरी शक्तियों व नकारात्मक ऊर्जा की वजह से परेशान हैं और आपका काम बनते बनते बिगड़ जाता है व आप इससे मुक्ति पाना चाहते हैं, तो वैशाख अमावस्या के दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। सनातन धर्म में बताया गया है कि महामृत्युंजय मंत्र के जाप से व्यक्ति के जीवन में व्याप्त सभी दुख दूर हो जाते हैं।

बीमारियों से मुक्ति पाने के लिए

वैशाख अमावस्या के दिन जरूरतमंद और असहाय लोगों की मदद करें। साथ ही, उन्हें भोजन कराएं क्योंकि भोजन कराने से बड़ा पुण्य कुछ नहीं होता है। अतः अमावस्या के दिन अन्न दान अवश्य करें। इससे पितर प्रसन्न होते हैं और विशेष आशीर्वाद देते हैं। साथ ही, बड़ी से बड़ी बीमारियों से भी निजात मिल जाता है।

पापों से मुक्ति के लिए

अमावस्या के दिन भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा उपासना करने का विधान है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को अमोघ फल की प्राप्ति होती है। इसके लिए अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करें या  गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसके बाद भगवान विष्णु प्रतिमा सामने रखकर विधि-विधान से पूजा करें। साथ ही पवित्र सनातन ग्रंथ गीता के दूसरे अध्याय का पाठ करें। ऐसा करने से आप सभी पापों से मुक्ति हो जाएंगे।

कालसर्प दोष से बचने के लिए

अमावस्या के दिन कालसर्प दोष से बचने के लिए भी पूजा की जाती है। इसके लिए वैशाख अमावस्या के दिन चांदी से निर्मित नाग-नागिन की पूजा करें। इसके बाद नाग-नागिन को नदी में प्रवाहित करें। इस उपाय को करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. वैशाख माह की अमावस्या कब है?

उत्तर 1. 08 मई को वैशाख माह की अमावस्या है।

प्रश्न 2. अमावस्या का क्या महत्व है?

उत्तर 2. ज्योतिष के अनुसार, पितृ दोष से मुक्ति के लिए अमावस्या तिथि का विशेष महत्व माना जाता है।

प्रश्न 3. वैशाख अमावस्या पर क्या करें?

उत्तर 3.  अमावस्या के दिन स्नान, तर्पण,और दान करना विशेष फलदायी होता है

प्रश्न 4.  अमावस्या किसके लिए अच्छी है?

उत्तर 4. अमावस्या पितरों के तर्पण के लिए अच्छी मानी जाती है।