नवरात्रि नवमी विशेष: जीवन में खुल जाएंगे राजयोग के मार्ग – बस महानवमी पर कर लें यह छोटा सा उपाय!

शारदीय नवरात्रि विशेष अपने इस ब्लॉग में हम आ चुके हैं अपने अंतिम पड़ाव पर अर्थात नौवें दिन की तरफ। शारदीय नवरात्रि का नौवां दिन मां सिद्धिदात्री देवी को समर्पित होता है। इस दिन को दुर्गा महानवमी पूजा के रूप में भी जाना जाता है। अपने नौवें दिन विशेष इस ब्लॉग में आज हम जानेंगे नवरात्रि के नवमी तिथि के पूजन का महत्व, इस दिन का शुभ भोग और रंग, माता के स्वरूप की जानकारी, साथ ही जानेंगे कि अगर आप इस दिन कन्या पूजन करने जा रहे हैं तो आपको किन बातों का विशेष रूप से ख्याल रखना चाहिए।

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इस वर्ष की शारदीय नवरात्रि की शुरुआत चित्रा नक्षत्र में होने जा रही है। साथ ही यह शारदीय नवरात्रि पूरे 9 दिनों की होने वाली है। हालांकि इसमें नवमी और दशहरा एक साथ मनाया जाएगा अर्थात 23 अक्टूबर को नवमी भी है और दशहरा भी। जिनके घरों में नवमी पूजन होता है वह 23 अक्टूबर को ही नवमी पूजन करेंगे और इसके बाद दशहरा पूजन करेंगे। इसके अलावा शास्त्रों के अनुसार रविवार का दिन भगवान सूर्य को समर्पित होता है और इस वर्ष नवरात्रि रविवार के दिन से ही प्रारंभ हो रही है। ऐसे में मां शारदा की उपासना के लिए यह दिन बेहद ही खास माना जा रहा है।

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शारदीय नवरात्रि नौवाँ दिन 

सबसे पहले बात करें शारदीय नवरात्रि के नौवें दिन की तो शारदीय नवरात्रि का नौवाँ दिन मां सिद्धिदात्री को समर्पित होता है। मां के नाम का अर्थ देखें तो सिद्धि का मतलब होता है आध्यात्मिक शक्ति और धात्री मतलब होता है देने वाली। ऐसे में सिद्धि देने वाले देवी को सिद्धिदात्री देवी कहते हैं। मां सिद्धिदात्री अपने भक्तों के अंदर की बुराइयों और अंधकार को दूर करने के लिए जानी जाती हैं। साथ ही यह अपने भक्तों के जीवन में ज्ञान का प्रकाश भी लेकर आती हैं।

शारदीय नवरात्रि नौवाँ दिन – पूजा शुभ मुहूर्त 

23 अक्टूबर को इतने बजे तक रहेगी नवमी तिथि

ज्योतिष के अनुसार 23 अक्टूबर को दिन में 2 बजकर 58 मिनट तक नवमी तिथि रहेगी। इसके बाद से दशमी तिथि लग जाएगी। यानि दोपहर 2 बजकर 58 मिनट तक ही नवमी की पूजा का मुहूर्त रहेगा।

शारदीय नवरात्रि नौवाँ दिन – माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप 

मां के स्वरूप की बात करें तो देवी सिद्धिदात्री मां कमल पर विराजमान हैं और शेर की सवारी भी करती हैं। मां की चार भुजाएं हैं जिनमें दाहिने हाथ में उन्होंने गदा लिया हुआ है दूसरे दाहिने हाथ में चक्र है। दोनों बाएँ हाथों में क्रमशः शंख और कमल है। देवी का यह नौवाँ स्वरूप सभी तरह की सिद्धियों को देने वाला माना गया है।

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शारदीय नवरात्रि नौवाँ दिन महत्व 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि मां सिद्धीदात्रीय अष्ट सिद्धियों से युक्त हैं। ऐसे में अगर नवरात्रि के आखिरी दिन अर्थात दुर्गा नवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाए तो इससे समस्त सिद्धियां का ज्ञान प्राप्त होता है, बुद्धि और विवेक में वृद्धि होती है। यही वजह है कि गंधर्व, किन्नर, नाग, यश, देवी-देवता और मनुष्य सभी प्रकार की इंद्रियों को प्राप्त करने के लिए देवी सिद्धिदात्री की पूजा अवश्य करते हैं। नवरात्रि के नौवे दिन मां की पूजा के बाद हवन किया जाता है और बहुत से लोग इस दिन कन्या पूजन भी करते हैं और इसके बाद ही नवरात्रि व्रत का पारण होता है।

अगर आप नवरात्रि के नवमी तिथि का शुभ और पूर्ण फल प्राप्त करना चाहते हैं तो इस दिन की पूजा में माँ को नौ कमल के फूल लाल कपड़े में रखकर अर्पित कर दें। फिर पूजा में चौमुखी घी का दीपक जलाएं। मां सिद्धिदात्री के मंत्रों का जाप करें, कन्या पूजन करें, उन्हें भोजन कराएं और अंत में कन्याओं को उपहार देकर विदा करें। कहा जाता है ऐसा करने से 9 दिन की पूजा सफल होती है और व्रत का फल शीघ्र प्राप्त होता है। साथ ही इस छोटे से उपाय को करने से परिवार को सुख, शांति और सौभाग्य आता है।

मार्कंडेय पुराण पुराण के अनुसार कहा जाता है कि, अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, ईशित्व और वशित्व, यह कुल आठ सिद्धियां होती हैं जो मां सिद्धिदात्री की पूजा से ही प्राप्त की जा सकती है। मां सिद्धिदात्री को सुख समृद्धि का प्रतीक भी माना गया है। कहा जाता है देवी सिद्धि दात्री ने ही मधु और कैटभ नामक राक्षसों के अत्याचार को खत्म करके दुनिया का कल्याण किया था। इसके अलावा कहते हैं कि भगवान शिव ने भी मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही सिद्धियों को प्राप्त किया था और तभी से भगवान शिव अर्धनारीश्वर कहलाए थे। ऐसे में तमाम सिद्धियों की प्राप्ति के लिए मां सिद्धिदात्री की पूजा का विशेष महत्व होता है।

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शारदीय नवरात्रि नौवाँ दिन – प्रिय भोग  

शारदीय नवरात्रि के नौवें दिन माँ को काले चने, हलवे, खीर पूरी का भोग अवश्य लगाएँ। कहा जाता है इस साधारण भोग मात्र से ही देवी की प्रसन्नता हासिल की जा सकती है और व्यक्ति की पूजा फलित करके माँ उनकी सभी मनोकामना भी अवश्य ही पूरी करती हैं।  

शारदीय नवरात्रि नौवाँ दिन – शुभ रंग  

अब बात करें महानवमी के दिन के शुभ रंग की तो यदि इस दिन की पूजा में आप गुलाबी रंग के कपड़े पहनते हैं और माँ की पूजा में ज़्यादा से ज़्यादा इस रंग की चीज़ें शामिल करते हैं तो इससे देवी सिद्धिदात्री अवश्य ही प्रसन्न होती हैं। 

नवरात्रि महानवमी के ये उपाय सालभर भरी रखेंगे आपकी तिजोरी

  • महानवमी की पूजा के बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। कहा जाता है ऐसा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और माता रानी का आशीर्वाद आपके जीवन पर हमेशा बना रहता है। 
  • नवमी तिथि पर यदि दुर्गा रक्षा स्त्रोत का पाठ किया जाए तो इससे भी माता की प्रसन्नता और आशीर्वाद हासिल होता है और आर्थिक तंगी दूर होती है। 
  • नवरात्रि की नवमी तिथि के दिन पूजा करते समय पीले रंग का आसान बिछाएँ और उत्तर दिशा की तरफ मुंह करके बैठ जाएँ। इसके बाद मां दुर्गा के सामने नौ दीपक जलाएं, लाल रंग के चावल की डेरी बनाकर इस पर श्रीयंत्र स्थापित कर दें। अब लक्ष्मी मंत्र का जाप करें। पूजा के बाद श्री यंत्र को पूजा घर में रख दें। ऐसा करने से भी धन लाभ होता है।
  • नवमी तिथि पर यदि कोई भक्त मां को गुड़ का भोग लगाए तो इससे माँ शीघ्र और अवश्य प्रसन्न होती हैं। 
  • इसके अलावा आप नवमी के दिन मां को काले उबले चने और खीर का भी भोग, अवश्य लगाएँ।
  • नवरात्रि के पहले दिन अर्थात घट स्थापना के दिन कलश के नीचे चावल रखे जाते हैं। नवरात्रि समाप्त होने के बाद आप इन चावलों को जल में विसर्जित कर दें। मान्यता है कि ऐसा करने से 9 दिनों की पूजा का फल अवश्य प्राप्त होता है। 
  • नवमी तिथि के दिन मां को एक पान के पत्ते में पीली कौड़ी, सुपारी और ₹1 का सिक्का चढ़ाएँ। इस पूजा के बाद इसे साफ कपड़े में लपेटकर अपनी तिजोरी या फिर पैसे रखने वाली जगह पर रख दें। इस उपाय को करने से आर्थिक संपन्नता और सुख समृद्धि आपके जीवन में हमेशा बनी रहेगी। 
  • नवरात्रि महा नवमी के दिन जो भी भक्ति दुर्गा सप्तशती के उत्तम चरित्र का पाठ करते हैं उनके जीवन में धन, धान्य, यश और कीर्ति की प्राप्ति होती है। 
  • नवमी तिथि पर कन्या पूजन करने से माँ प्रसन्न होती हैं, जीवन से आर्थिक संकट दूर होता है, और आपके जीवन में धन की वर्षा होने लगती है। 
  • नवरात्रि की नवमी तिथि पर दुर्गा रक्षा कवच का पाठ करें। 
  • मां दुर्गा की पूजा के साथ पीले रंग की कौड़िया और शंख की भी पूजा करें। इससे आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं। 
  • महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा करें। रात में माँ के समक्ष जल से भरा एक कलश रख दें और उसमें 9 अशोक के पत्ते रख दें। दुर्गा सप्तशती के मंत्रों का जाप करें। रात्रि 12 बजे घर के मुख्य द्वार पर गाय के देसी घी का दीपक प्रज्वलित करें, मंत्र जप करने के बाद कलश को उठाकर आम या पान के पत्तों से जल पूरे घर में छिड़क दें और सुबह इस पानी को तुलसी में डाल दें। ऐसा करने से घर से नकारात्मकता खत्म होती है और जीवन की सभी बाधाएँ भी दूर होती हैं। 
  • नवमी तिथि के दिन मां दुर्गा को सुहाग की वस्तु अवश्य अर्पित करें। पूजा करने के बाद सुहाग का सामान किसी सुहागिन महिला को दे दें या मां के चरणों में अर्पित कर दें। 
  • मंदिर जाकर मां को आठ कमल के फूल चढ़ाए और मां की गोद में लाल चुनरी, मखाने, बताशे, और सिक्के रख दें। ऐसा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में धन-धान्य हमेशा बना रहता है। 
  • अगर आपके जीवन में बार-बार आर्थिक संकट बन रहा है या आपको बार-बार कर्ज लेने की दिक्कत होने लगती है तो ऐसे में नवमी तिथि के दिन मां को भोग लगाकर उस भोग को गरीब और जरूरतमंदों के बीच में बाँट दें। 
  • इसके अलावा हनुमान जी को पान का बीड़ा अर्पित करें। ऐसा करने से आर्थिक संकट अवश्य दूर होने लगेगा।

शारदीय नवरात्रि नौवाँ दिन- कन्या पूजन का महत्व और विधि 

कन्या पूजन का महत्व

जैसा कि हमने अपने पिछले ब्लॉग में जाना था कि बहुत से लोग अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन करते हैं तो बहुत से लोग नवमी तिथि के दिन भी कन्या पूजन करते हैं। बात करें कन्या पूजन के महत्व की तो सनातन धर्म में कन्या पूजन का विशेष महत्व बताया गया है। नवरात्रि में 9 दोनों का व्रत रखने के बाद कन्या पूजन करने से माँ की प्रसन्नता हासिल की जा सकती है। इसके अलावा इससे भक्तों के जीवन में सुख समृद्धि, धन संपदा, सुख शांति, ऐश्वर्य, बना रहता है। इसके साथ ही कहा जाता है कि बिना कन्या पूजन के नौ दिनों की पूजा पूरी नहीं होती है।

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नवमी तिथि पर कन्या पूजन : बेहद जरूरी है इन नियमों को जानना 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 9 दिनों की पूजा कन्या पूजन के माध्यम से ही संपन्न और फलित मानी जाती है। इस दौरान घरों में 2 से 10 वर्ष की आयु की कन्याओं को आमंत्रित किया जाता है। मान्यता है कि कन्या पूजन करने से घर में से दुख और दरिद्रता दूर होती है। कन्या पूजन में 2 से 10 वर्ष की कन्याओं को आमंत्रित करने के पीछे दरअसल विशेष वजह बताई गई है। कहा जाता है कि, 

2 वर्ष की कन्या कुमारी होती हैं। इनकी पूजा करने से दुख और दरिद्रता दूर होती है। 

3 साल की कन्या त्रिमूर्ति होती हैं। इनकी पूजा करने से घर में सुख और समृद्धि का आगमन होता है। 

4 वर्ष की कन्या कल्याणी होती हैं। इनकी पूजा करने से भगवती अपने भक्तों का कल्याण सदैव करती हैं। 

5 वर्ष की कन्या रोहिणी होती हैं। इनकी पूजा करने से असाध्य रोगों से भी मुक्ति मिलती है। 

6 वर्ष की कन्या मां काली का स्वरूप मानी गई हैं। इनकी पूजा करने से ज्ञान, विद्या और राजयोग का वरदान प्राप्त होता है। 

7 वर्ष की कन्या चंडिका देवी का स्वरूप मानी जाती हैं। इनकी पूजा करने से धन और ऐश्वर्या की प्राप्ति होती है। 

8 वर्ष की कन्या मां शांभवी का स्वरूप होती हैं। इनकी पूजा करने से न्यायिक विवादों से छुटकारा मिलता है। 

9 वर्ष की कन्या मां दुर्गा का स्वरूप होती हैं। इनकी पूजा करने से शत्रुओं का नाश होता है। 

10 वर्ष की कन्या मां सुभद्रा का स्वरूप होती हैं। इनकी पूजा करने से हर काम में व्यक्ति को सफलता मिलती है और हर मनोकामना पूरी होती है।

हालांकि शास्त्रों के अनुसार यह भी कहा जाता है कि, कन्या पूजन बिना भैरव की पूजा के अधूरी होती है। ऐसे में कन्या पूजन के दौरान एक बालक को भी अवश्य आमंत्रित करें।

कन्या पूजन की सही विधि 

  • अपने घर बुलाई गई कन्याओं के पैर धोकर घर में प्रवेश करवाएँ। 
  • कन्याओं को साफ जगह पर बैठाएँ। 
  • उनके माथे पर हल्का सा घी और रोली लगाएँ। 
  • उनके ऊपर अक्षत चढ़ाएँ और फिर फूल अर्पित करने के बाद उन्हें चुनरी पहना दें। 
  • इसके बाद स-सम्मान उन्हें पूरी चना, हलवा का भोजन करने के बाद दोबारा कन्याओं का हाथ और पैर धुलवाएँ और उन्हें अपने सामर्थ अनुसार कुछ तोहफे अवश्य दें। 
  • अंत में उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें और गलती से भी हुई किसी चूक की माफी मांग लें। 

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नवमी तिथि पर कर रहे हैं कन्या पूजन तो इन बातों का रखें विशेष ख्याल 

  • इस दिन मां सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा करें। 
  • कन्या पूजन में 2 से 10 वर्ष की आयु की कन्याओं को आमंत्रित करें, उन्हें अपनी सामर्थ अनुसार भोजन कराएं, उनके पैर धोकर उनका आशीर्वाद लें।  
  • इसके अलावा कन्या पूजन में एक बटुक भैरव के रूप में बालक को भी निमंत्रित अवश्य करें। साथ ही नवमी तिथि के दिन हवन का भी विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन मां दुर्गा के मंत्रों से हवन करें। 
  • मान्यता है कि नवमी तिथि पर हवन करने से 9 दिन के व्रत का फल अवश्य प्राप्त होता है।

महानवमी हवन 

जैसा कि हमने पहले भी बताया था कि, नवरात्रि की सप्तमी, अष्टमी, और महानवमी तिथि के दिन हवन का विशेष महत्व होता है। यह हवन पूजा के बाद की जाती है। नवमी हवन को चंडी होम के नाम से भी जानते हैं। मां दुर्गा के भक्त इस दिन की पूजा के बाद हवन का आयोजन करते हैं और अपने और अपने परिवार के अच्छे स्वास्थ्य, सुख, समृद्धि, शांति, और संपन्नता के लिए देवी दुर्गा की प्रार्थना करते हैं। 

इस बात का विशेष ध्यान रखें कि नवमी हवन हमेशा दोपहर में ही करें। हवन के दौरान मां दुर्गा सप्तशती के साथ माँ के मंत्रों का जाप अवश्य करें।

शारदीय नवरात्रि नौवाँ दिन: मां सिद्धिदात्री के मंत्र 

ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:

या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना यदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायनी॥

महानवमी के अनुष्ठान 

  • नवरात्रि की नवमी तिथि पर देवी दुर्गा को ज्ञान और बुद्धि की देवी सरस्वती के रूप में पूजा जाता है। 
  • दक्षिण भारत में मशीन, संगीत, वाद्य यंत्र, किताबें और ऑटोमोबाइल जैसे वास्तुओं की भी इस दिन पूजा की जाती है। इसके अलावा यह दिन नए बिजनेस को शुरू करने, नए करियर की शुरुआत के लिए भी बेहद शुभ माना गया है। 
  • दक्षिण भारत में विद्यार्थी इस दिन विद्यालय जाते हैं। 
  • उत्तरी और पूर्वी भारत में यह दिन बेटियों की पूजा के लिए समर्पित माना गया है। इस आयोजन को कन्या पूजन कहा जाता है और इसमें 9 छोटी बच्चियों को देवी दुर्गा के रूप में पूजा जाता है, उनके पैर धोए जाते हैं, उन्हें तिलक लगाया जाता है, उन्हें नए वस्त्र दिये जाते हैं, भोजन कराया जाता है और अंत में उपहार दिया जाता है। 
  • महानवमी पूर्वी भारत में दुर्गा पूजा का तीसरा दिन भी माना जाता है। कहते हैं देवी दुर्गा को महिषासुर मर्दिनी के रूप में सम्मानित किया जाता है। 
  • अंत में नवमी पूजा अनुष्ठान आयोजित किया जाता है। इसके अलावा कहते हैं कि इस दिन की जाने वाली पूजा नवरात्रि के बाहर अन्य सभी दिनों में की जाने वाली पूजा के बराबर होती है। 
  • नवरात्रि की नवमी तिथि के दिन आंध्र प्रदेश में बथुकम्मा नाम का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन फूलों की खरीद की जाती है, फूलों को सात परतों में एक शंख के आकार में सजाया जाता है और महिलाओं द्वारा दुर्गा देवी के अवतार में देवी गौरी को यह भेंट किया जाता है।

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