जानें कब है होलिका दहन, राशि अनुसार इस बार अग्नि में करें इन चीज़ों को अर्पित

माघ के बाद फागुन माह आता है। फागुन का जिक्र होते ही लोगों को होली का इंतज़ार होने लगता है। खुशियों के इस त्योहार में हर किसी को रंगों में सराबोर होने का अवसर मिलता है। होली पर्व की शुरुआत वास्तव में होलिका दहन से होती है। फागुन माह की पूर्णिमा की रात होलिका दहन किया जाता है और उसके अगले दिन होली का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, होलिका दहन के पर्व को बुराई पर हुई अच्छाई की जीत के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। पुराणों में होलिका दहन के सन्दर्भ में नारायण भक्त प्रह्लाद की कथा का वर्णन किया गया है। जिसमें लिखा गया है कि एक अत्याचारी राजा हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद की हत्या के लिए कई षड्यंत्र रचा था, जो भगवान नारायण की कृपा से असफल होते रहे। भारत के विभिन्न हिस्सों में होलिका दहन को छोटी होली और होलिका दीपक के नाम से भी जाना जाता है। 

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तो आइए एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में जानते हैं होलिका दहन क्यों किया जाता है? इसका महत्व क्या होता है? इस बार होलिका दहन का मुहूर्त व सही तिथि क्या है? और साथ ही जानेंगे होलिका दहन के दिन राशि अनुसार अग्नि में किन चीज़ों को अर्पित करना चाहिए।

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होलिका दहन 2024: तिथि व मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, साल 2024 में होलिका दहन के लिए 24 मार्च की रात 11 बजकर 15 मिनट से देर रात 12 बजकर 23 मिनट तक का शुभ मुहूर्त है। शास्त्रों के अनुसार सूर्यास्त के बाद ही होलिका की पूजा कर उसे जलाया जाता है। होलिका दहन के दिन भद्रा भी लग रही है। यह भद्रा 24 मार्च की शाम 06 बजकर 49 मिनट से शुरू होगी और यह समाप्त रात 08 बजकर 09 मिनट पर होगी। होलिका दहन के समय भद्रा का साया नहीं रहेगा। ऐसे में पूजा में कोई अवरोध नहीं आएगा।

होलिका दहन मुहूर्त : 24 मार्च की रात 11 बजकर 15 मिनट से 12 बजकर 23 मिनट तक

अवधि : 1 घंटे 7 मिनट

भद्रा पुंछ : 06 बजकर 49 मिनट से 08 बजकर 09 मिनट तक

भद्रा मुखा : 08 बजकर 09 मिनट से 10 बजकर 22 मिनट तक

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होलिका दहन मनाने के पीछे कारण

हिन्दू धर्म में होलिका दहन के पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, इसी दिन राक्षस राजा हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने प्रह्लाद को अग्नि में जलाने की कोशिश की थी लेकिन भगवान विष्णु ने भक्त प्रह्लाद की रक्षा करके उस अग्नि में होलिका को जलाकर राख कर दिया था। ऐसे में, इस दिन अग्नि देव की पूजा का विधान है और उस अग्नि में अनाज और जौ, मिष्ठान आदि डाला जाता है। होलिका दहन की राख को बेहद ही पवित्र और शुद्ध माना गया है। लोग होलिका दहन के बाद इसकी राख को अपने घर लाते हैं और उसे अपने मंदिर या कोई पवित्र स्थान पर रखते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और हर तरह की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की पूर्णिमा की रात में होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन के बाद अगले दिन लोग रंगों वाली होली खेलते हैं और एक-दूसरे को रंग लगाते हैं।

कैसे मनाई जाती है होलिका

जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि होलिका दहन हर साल फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर प्रदोष काल में किया जाता है। होलिका का दहन किसी खुले स्थान में किया जाता है। इसके लिए लकड़ियां इकट्ठा की जाती है और उसमें होलिका और भक्त प्रह्लाद को शुद्ध गोबर से बनाकर स्थापित किया जाता है जिसे गुलारी या बड़कुल्ला के नाम से जाना जाता है। इसके बाद होलिका के पास गोबर से बनी ढाल बनाई जाती है और उसमें चार मालाएं, जो मौली, फूल, गुलाल, और गोबर से बने खिलौनों से बनाकर रखे जाते हैं। इसके बाद होलिका दहन के शुभ मुहूर्त में पूजा शुरू की जाती है। इसके लिए गोबर से बनी ढाल पर एक माला पितरों के नाम समर्पित करनी चाहिए, दूसरी माला हनुमान जी को अर्पित करनी चाहिए, तीसरी शीतला माता और चौथी माला घर परिवार के लिए रखी जाती है। 

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होलिका दहन का महत्व

सनातन धर्म में होलिका दहन का विशेष महत्व है। ऐसे में, इस दिन लोग अपने घर और जीवन में सुख शांति और समृद्धि के लिए होलिका की पूजा करते हैं। मान्यता है कि होलिका दहन करने से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा आती है। होलिका दहन की तैयारियां कई दिनों पहले से ही शुरू हो जाती है। लोग लकड़ियां, गोबर के उपले आदि इकट्ठा करना शुरू कर देते हैं और उसके बाद होलिका वाले दिन इसे जलाकर बुराई पर अच्छाई के जीत का जश्न मनाते हैं। होलिका दहन की लपटें बहुत लाभकारी होती हैं। माना जाता है कि होलिका दहन की अग्नि में हर समस्या व मुश्किलें जलकर दूर हो जाती है। इसके अलावा, लोगों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और देवी-देवताओं की विशेष कृपा बनी रहती हैं।

होलिका दहन पूजन विधि व सामग्री

  • होलिका दहन वाले दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और इस दिन के व्रत का संकल्प लें।
  • इसके बाद होलिका दहन करने वाली जगह को अच्छे से साफ करें और वहां पर सूखी लकड़ी, गोबर के उपले आदि सामग्री इकट्ठा कर लें।
  • फिर घर के ही मंदिर में ही मिट्टी से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमा बना लें।
  • शाम को दोबारा पूजा करें और इसके लिए सबसे पहले थाली तैयार करें।
  • होलिका दहन की पूजा के लिए एक थाली में रोली, माला, अक्षत, गंध, पुष्प, धूप, गुड़, कच्चे सूत का धागा, खिल-बतासे नारियल एवं पंच फल आदि रखें।
  • फिर पूरी श्रद्धा से होलिका के चारों ओर 7, 11 या 21 बार परिक्रमा करते हुए कच्चे सूत के धागे को लपेट दें। 
  • इसके बाद होलिका जलाएं और सभी सामग्रियों को एक-एक करके अग्नि में डालें और फिर जल से अर्घ्य दें। इसके पश्चात होलिका दहन के बाद पंचफल और चीनी से बने खिलौने आदि को आहुति के रूप में समर्पित करें।
  • अंत में होलिका में गुलाल डालें।
  • इसके बाद जब होलिका की अग्नि शांत हो जाए तो इसकी राख अपने घर में या फिर मंदिर या कहीं साफ-सुथरी पवित्र जगह पर रखें।

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होलिका दहन के दिन की जाती है संकटमोचन की पूजा

होलिका दहन के दिन शाम को होलिका दहन होता है। इसी दौरान रात में भगवान हनुमान की पूजा करने का विधान है। मान्यता है कि इस दिन यदि भगवान हनुमान की भक्ति और श्रद्धा पूर्वक पूरे विधि-विधान से पूजा की जाए तो व्यक्ति को हर तरह के कष्ट और पापों से छुटकारा मिलता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नए संवत्सर के राजा और मंत्री दोनों ही मंगल हैं। मंगल के कारक भगवान हनुमान हैं। ऐसे में, यदि होलिका दहन के दिन हनुमान जी से संबंधित कुछ उपाय किए जाएं तो लोगों के बड़े से बड़े कष्ट दूर हो जाते हैं। होलिका दहन की रात हनुमान जी की पूजा और सुंदरकांड का पाठ करने से व्यक्ति सभी क्षेत्रों में तरक्की हासिल करता है।

हनुमान जी की पूजा विधि

  • होलिका दहन के रात को सबसे पहले स्नान करें, साफ कपड़े पहने और फिर हनुमान मंदिर जाकर या घर के मंदिर में हनुमान जी के सामने बैठकर उनकी पूजा करें।
  • पूजा शुरू करने से पहले भगवान हनुमान को लाल सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करें।
  • इस दिन हनुमान जी को सिंदूर का चोला भी चढाएं। इसके बाद पूरे विधि-विधान के साथ उनकी पूजा-आराधना करें।
  • भगवान हनुमान को लाल रंग के फूल अर्पित करें.
  • इसके बाद बजरंगबली को पीले रंग का प्रसाद अर्पित करें और देसी घी का दीपक जलाएं।
  • इसके बाद हनुमान चालीसा पढ़ें और आरती करें।
  • हनुमान जी को गुड़-चने चढ़ाएं और इसके बाद लोगों में प्रसाद के रूप में वितरित करें।
  • माना जाता है कि होली की रात हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का जाप करना चाहिए। इससे व्यक्ति सभी कष्टों से मुक्ति पा लेता है।

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होलिका दहन के दिन क्या करें और क्या न करें, यहां जानें

घर व परिवार की सुख-समृद्धि के लिए होलिका दहन के दिन कुछ कार्यों को गलती से भी नहीं करना चाहिए और कुछ कार्य अवश्य करने चाहिए। आइए जानते हैं इनके बारे में।

इन कार्यों को करने से बचें

  • होलिका दहन के दिन घर में सुख समृद्धि की कामना की जाती है इसलिए इस दिन भूलकर भी मांस और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • यदि आप धन वृद्धि की कामना करते हैं तो होलिका दहन के दिन कितनी भी बड़ी समस्या क्यों न आ जाए किसी को भी पैसे उधार देने और लेने से बचना चाहिए।
  • बुजुर्गों को हमेशा सम्मान देना चाहिए और उनका अपमान नहीं करना चाहिए लेकिन खासतौर पर होलिका दहन के दिन बुजुर्गों का अपमान करने से बचें।
  • यदि संभव हो तो होलिका दहन के दिन किसी दूसरे के घर में खाना खाने से बचना चाहिए।
  • मान्यता है कि होलिका दहन के दिन कई तरह की नकारात्मक शक्तियां घूमती हैं इसलिए महिलाओं को इस दिन अपने बाल खुले नहीं छोड़ने छोड़ने चाहिए और बांध कर रखना चाहिए।
  • यदि कोई महिला गर्भवती है तो उसे होलिका दहन के दिन होलिका की परिक्रमा नहीं करनी चाहिए।

इन कामों को जरूर करें

 होलिका दहन के बाद आपको अपने पूरे परिवार के साथ मिलकर चंद्र देव के दर्शन करने चाहिए। ऐसा करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है। 

इसके अलावा, होलिका दहन से पहले होलिका की सात या 11 बार परिक्रमा करके उसमें मिठाई, उपले, इलायची, लौंग, अनाज, आदि चीज़ें डालना चाहिए इससे परिवार के सुख में वृद्धि होती है।

होलिका दहन में राशि के अनुसार डालें आहुति

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, होलिका दहन में हमेशा राशि के अनुसार आहुति देनी चाहिए, जिससे जीवन में सुख-संपदा के अलावा शांति भी बनी रहे। आइए जानते हैं होलिका दहन में किसी राशि के व्यक्ति को कौन से चीज़ें अग्नि में आहुति देना शुभ माना गया है:

मेष राशि

मेष राशि के जातकों को होलिका दहन में गुड़ की आहुति देना बेहद चाहिए। ये आपके लिए भाग्यशाली साबित होगा।

वृषभ राशि

वृषभ राशि के जातकों को होलिका दहन में बताशे की आहुति देना। ऐसा करने से आपको लाभ होगा।

मिथुन राशि

मिथुन राशि के जातकों होलिका दहन में कपूर की आहुति देना चाहिए। ऐसा करने से आपको शुभ फल की प्राप्ति होगी।

कर्क राशि

कर्क राशि के जातकों को होलिका दहन में चीनी की आहुति देना चाहिए। ऐसा करने से आपके हर काम बनने लगेंगे।

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सिंह राशि

सिंह राशि के जातकों के लिए गुड़ की आहुति देना लाभकारी रहेगा। ऐसा करने से आपकी हर मनोकामना पूरी होगी।

कन्या राशि

कन्या राशि के जातकों को कपूर की आहुति देना चाहिए। ऐसा करने से आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होगा।

तुला राशि

तुला राशि के जातकों को अक्षत की आहुति देना लाभकारी साबित होगा। ऐसा करने से आपको व्यापार और कार्यक्षेत्र दोनों में तरक्की हासिल होगी।

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि के जातकों को सूखा नारियल की आहुति देना चाहिए। ऐसा करने से भगवान विष्णु की आप पर विशेष कृपा बनी रहेगी।

धनु राशि

धनु राशि के जातकों को होलिका दहन में पीली सरसों की आहुति देना चाहिए। यदि आप निःसंतान हैं और संतान प्राप्ति की कामना कर रहे हैं तो इसमें आपको सफलता मिलेगी। 

मकर राशि

मकर राशि के जातकों को लौंग होलिका की अग्नि में अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से आपको बिज़नेस के क्षेत्र में लाभ होगा और आपकी आर्थिक स्थिति में तेजी से सुधार देखने को मिलेगा।

कुंभ राशि

कुंभ राशि के जातकों को होलिक दहन में काले तिल अग्नि में प्रवाहित करना चाहिए। ऐसा करने से आपको ग्रह दोष से मुक्ति मिल सकती है।

मीन राशि

मीन राशि के जातकों को होलिका दहन में सरसों डालना चाहिए। आपके घर में सुख-समृद्धि का आगमन होगा और आप हर चुनौतियों को आसानी से पार करने में सक्षम होंगे।

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