बुध का पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में गोचर: इन राशियों को मिलेगा भाग्य का साथ और इन्हें रहना होगा सावधान!

बुध का पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में गोचर: एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको बुध का पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में गोचर के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। साथ ही, यह भी बताएंगे कि इस गोचर का सभी 12 राशि के जातकों पर क्या प्रभाव पड़ेगा और इसके अशुभ प्रभाव से बचने के आसान उपाय के बारे में भी यहां चर्चा करेंगे। बता दें कि बुध 20 जनवरी, 2024 को पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में प्रवेश करने जा रहे हैं। आइए जानें कि इस गोचर का प्रभाव।

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ज्योतिष में बुध संचार क्षमता, बुद्धिमत्ता, तर्क, अनुकूलनशीलता और परिवर्तनशीलता के सिद्धांतों का प्रतिनिधित्व करता है। यह न केवल सूर्य का सबसे निकटतम ग्रह है, बल्कि यह सौरमंडल का सबसे छोटा ग्रह भी है। खगोलीय रुचि के अलावा, ज्योतिष में बुध की भूमिका कई वैदिक शोधकर्ताओं और ज्योतिषियों को आकर्षित करती है। वे लोग जिनकी कुंडली में बुध मजबूत स्थिति में होते हैं वे समझदार, तर्क-वितर्क में कुशल और एक बेहद अच्छी विश्लेषणात्मक क्षमता वाले होते हैं। ऐसे लोगों का भाग्य सदैव उनका साथ देता है। साथ ही, बुध के प्रभाव से सभी प्रकार की नकारात्मक भावनाएं दूर होती है और जातक उदासी, कमजोरी और पित्त जनित रोगों से भी मुक्ति पाता है। बुध एक शुभ ग्रह है और यह पारिवारिक मामलों पर भी शुभ परिणाम देते हैं। लेकिन यदि यह क्रूर व अशुभ ग्रह के साथ युति करते हैं तो नकारात्मक परिणाम दे सकते हैं। मिथुन और कन्या दोनों पर बुध का शासन है।

बुध का पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में गोचर: समय व तिथि

बुद्धि के कारक ग्रह बुध 20 जनवरी 2024 की शाम 03 बजकर 48 मिनट पर पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, पूर्वाषाढ़ानक्षत्र के स्वामी शुक्र ग्रह हैं और ये बुध के मित्र ग्रह हैं। इस विशेष ब्लॉग में हम इस नक्षत्र के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे और 12 राशियों में इसके प्रभाव के बारे में भी जानेंगे।

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क्या है नक्षत्र

नक्षत्र चंद्रमा के पथ से जुड़े होते हैं, जो सभी 12 राशियों पर लागू होते हैं। प्रत्येक नक्षत्र 13 अंश 20 मिनट का होता है। नक्षत्रों की गणना मेष राशि के 0 डिग्री अश्विनी नक्षत्र से शुरू होती है और रेवती नक्षत्र से आच्छादित मीन राशि के 30 डिग्री पर समाप्त होती है। शास्त्रों में नक्षत्रों की कुल संख्या 27 बताई गई है और इसका वैदिक ज्योतिष में बहुत अधिक महत्व है। विंशोत्तरी दशा जन्म नक्षत्र पर आधारित है, जो 120 साल लंबा ग्रह चक्र है। प्रत्येक नक्षत्र को चार चरणों में विभाजित किया गया है, जिन्हें पद कहा जाता है। नक्षत्र उनमें स्थित ग्रहों की विशेषताओं को भी परिभाषित करते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, जन्म नक्षत्र जानना बहुत जरूरी होता है। जन्मनक्षत्र वह नक्षत्र है जिसमें जन्म के समय चंद्रमा स्थित था। चंद्रमा एक दिन में एक नक्षत्र से होकर गुजरता है।

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र क्या है

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र 27 नक्षत्रों में से 20वां नक्षत्र है, जो वैदिक ज्योतिष में चंद्र नक्षत्र कहलाता है। इस नक्षत्र के सभी चारों पद धनु राशि के अंतर्गत आते हैं, इस नक्षत्र के अंतर्गत जन्में जातक साहसी होते हैं और इन्हें घूमना-फिरना पसंद होता है। इस नक्षत्र के स्वामी शुक्र होते हैं और इसके परिणामस्वरूप पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के जातक काफी रचनात्मक और लोकप्रिय होते हैं। शुक्र के प्रभाव से इन्हें अच्छा भाग्य, अच्छी सूरत प्राप्त होते है। लोग इनके प्रति जल्दी आकर्षित हो जाते हैं। पूर्वाषाढ़ा के जातकों में अपने काम को प्राथमिकता देने की क्षमता होती है और ये जीवन में विपरीत परिस्थितियों से भी बाहर निकलना जानते हैं। इन्हें सामाजिक पर्वतारोही के रूप में भी देखा जा सकता है।

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में बुध 

ग्रहों के राजकुमार कहे जाने वाले बुध यदि पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में स्थित हो तो ये मार्गदर्शक और काउंसलर की भूमिका निभाते हैं। बुध बृहस्पति द्वारा शासित तटस्थ राशि धनु में स्थित होते हैं, लेकिन फिर भी बुध पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में बहुत अच्छे परिणाम देते हैं क्योंकि यह शुक्र द्वारा शासित नक्षत्र में स्थित है, जो बुध का मित्र ग्रह है। इस नक्षत्र में बुध एक बुद्धिमान ग्रह माना जाता है, जो जातक को सफलता और ज्ञान की राह पर ले जाता है।  पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में बुध के प्रभाव से जातक आमतौर पर विश्वविद्यालयों में उच्च मान्यता प्राप्त प्रोफेसर होते हैं। हालांकि इन जातकों का कौशल केवल शिक्षण क्षेत्र तक सीमित नहीं होता है बल्कि ये कलाकार और संगीतकार भी हो सकते हैं। साथ ही, उद्यमियों के रूप में भी प्रसिद्धि प्राप्त करते हैं।

बुध का पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में गोचर: लाभ

जिन जातकों का चंद्र नक्षत्र पूर्वाषाढ़ा होता है या जिनकी जन्म कुंडली में पूर्वाषाढ़ा में बुध ग्रह स्थित होते हैं वे जातक शारीरिक रूप से लंबे, पतले, लंबी भुजाएं, सफेद दांत और चमकदार आंखें वाले होते हैं। ये न सिर्फ दिखने में सुंदर होते हैं बल्कि इनके बोलने की तरीके से भी लोग इनकी ओर जल्दी आकर्षित हो जाते हैं क्योंकि इनकी वाणी भी मधुर होती है। साथ ही, ये जातक बहुत ही दृढ़ होते हैं, जिससे इनका आकर्षण और अधिक बढ़ जाता है।

  • ये बुद्धिमान होते हैं। बहस में अच्छे होते हैं। तार्किक होते हैं और अपने अंदर मौजूद स्किल्स से दूसरों को हराने में सक्षम होते हैं। इनका व्यक्तित्व इतना मजबूत होता है कि लाखों की भीड़ में भी ये अलग से नज़र आते हैं।
  • ये साहसी होते हैं और नई-नई च़ीजों की खोज करना इन्हें पसंद होता है। ये विभिन्न विषयों, समाज और स्थानों की खोज करके अपनी बुद्धि का विस्तार करते हैं।
  • ये जीवन के नकाराकत्म समय में आसानी से प्रभावित नहीं होते हैं, बल्कि संयम रखते हैं और हिम्मत से विषम परिस्थितियों से लड़ने की कोशिश करते हैं। 
  • ये जीवन का एक लक्ष्य का निर्धारण करते हैं और उस लक्ष्य को पूरा करने की जी जान से कोशिश करते हैं। 
  • सेल्स, मार्केटिंग, पब्लिक रिलेशन जैसे क्षेत्र इनके लिए शानदार साबित होता है क्योंकि इनका व्यक्तित्व शानदार होता है और ये जल्द ही दूसरों को अपनी बातों से आकर्षित कर लेते हैं।
  • पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में बुध की स्थिति के परिणामस्वरूप जातक का झुकाव मेडिकल फील्ड में अधिक होता है और ऐसे जातकों की पहली पसंद डॉक्टर बनना होता है क्योंकि बृहस्पति द्वारा शासित राशि धनु, बुध को उपचार क्षमता प्रदान करती है। लेकिन वे अन्य क्षेत्रों के लिए भी उपयुक्त हैं क्योंकि वे ये जातक काफी पढ़ें लिखे होते हैं और पढ़ाई की तरफ इनकी रुचि अधिक होती है।
  • इस नक्षत्र की स्त्रियां बहुत अधिक पढ़ी लिखी होती हैं और अच्छी शिक्षा प्राप्त करती हैं। साथ ही, अध्यापन या बैंकिंग के क्षेत्र में अपना करियर बनाती हैं।

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पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के चरण

पूर्वाषाढ़ा पहला चरण: पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का पहला चरण या पद सिंह नवांश पर पड़ता है जिसका स्वामी सूर्य है। यह पद मुख्य रूप से उन जातकों के गौरव और आत्मसम्मान पर केंद्रित है जो किसी सामाजिक समारोह में आकर्षण का केंद्र बनने की इच्छा रखते हैं।

पूर्वाषाढ़ा दूसरा चरण: इस नक्षत्र की द्वितीय पद स्थिति कन्या नवांश में होती है जो बुध ग्रह द्वारा शासित होता है। इस स्थिति में ग्रह मुख्य रूप से कड़ी मेहनत, धन और भौतिक संपदा प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित करता है।

पूर्वाषाढ़ा तीसरा चरण: इस नक्षत्र की तृतीय पद स्थिति तुला नवांश में होती है और यह शुक्र ग्रह द्वारा शासित होता है। यह स्थिति मुख्य रूप से भौतिक संपदा और विलासितापूर्ण जीवन शैली पर केंद्रित है। जो लोग इस पाद के तहत पैदा होते हैं वे सभी भौतिक सुख-सुविधाओं के साथ एक शानदार जीवन शैली जीने के शौकीन होते हैं। साथ ही, इन्हें अपनी मेहनत का फल प्राप्त होता है।

पूर्वाषाढ़ा चौथा चरण: इस नक्षत्र का चौथा पद वृश्चिक नवांश में होता है, जो मंगल ग्रह द्वारा शासित होता है। इस पद में देखा जा सकता है कि जातक स्वभाव से काफी अहंकारी और संदिग्ध व्यक्तित्व वाले होते हैं और हर कोई उन्हें बहुत रहस्यमय और गुप्त मानता है। ये जातक गुप्त विज्ञान के प्रति अधिक रुचि रखते हैं और उन्हें उनका अभ्यास करना पसंद होता है।

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बुध का पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में गोचर: सभी 12 राशियों पर इसका प्रभाव

मेष राशि

बुध आपके तीसरे और छठे भाव के स्वामी हैं। बुध का पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में गोचर आपके नौवें भाव में होगा। बुध के नौवें भाव में गोचर करने के परिणामस्वरूप आपका झुकाव आध्यात्मिक गतिविधियों की तरफ अधिक हो सकता है। साथ ही, यह गोचर आपको आध्यात्मिक मार्ग चलने में मदद कर सकता है, जिसके चलते उच्च शिक्षा, दर्शन, यात्रा और आध्यात्मिकता में आपकी रुचि बढ़ेगी। इसके अलावा, आपके अंदर विभिन्न संस्कृतियों और भाषाओं के बारे में जानने की जिज्ञासा हो सकती है।

वृषभ राशि

वृषभ राशि के जातकों के लिए बुध दूसरे और पांचवें भाव के स्वामी हैं। बुध का पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में गोचर आपके आठवें भाव में होने जा रहा है। बुध का आठवें भाव में गोचर के परिणामस्वरूप जातक अपनी पीएचडी पूरी करने और एक महान शोधकर्ता बनने के लिए प्रेरित हो सकता है। आठवां भाव गोपनीयता, छिपी हुई चीजों और नए आविष्कारों को दर्शाता है इसलिए बृहस्पति की राशि और शुक्र के नक्षत्र में मौजूद बुध जातक को वैज्ञानिक या शोधकर्ता के रूप में एक सफल करियर बनाने के लिए प्रेरित कर सकता है।

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मिथुन राशि

मिथुन राशि के जातकों के लिए बुध पहले और चौथे भाव के स्वामी हैं। बुध का पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में गोचर सातवें भाव में होगा। सातवें भाव में बुध का गोचर उन लोगों के लिए फायदेमंद साबित होगा, जिनके लिए जातक अच्छा चाहते हैं। किसी महिला की कुंडली में यह गोचर शुभ परिणाम देगा। इस दौरान यदि आप विदेश यात्रा की योजना बना रहे हैं या विदेश में व्यापार करने की सोच रहे हैं तो आपके लिए यह लाभप्रद रहेगा और आपको इस दौरान अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे। 

कर्क राशि

कर्क राशि के जातकों के लिए बुध तीसरे और बारहवें भाव के स्वामी हैं। बुध का पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में गोचर आपके छठे भाव में होगा। इसके परिणामस्वरूप जातक दूसरों के झगड़ों को सुलझाने या खुद झगड़े करने के लिए आगे आ सकते हैं। आप एक वकील हो सकते हैं, जो संघर्षों को सुलझाते हैं और समझौते व असहमति बनाते हैं। इसके अलावा, इस दौरान आपका झुकाव गरीबों की मदद करने, प्रताड़ित महिलाओं और बच्चों की सेवा के प्रति हो सकता है। इस अवधि आप चीजों को विश्लेषणात्मक तरीके से हल करने की कोशिश करेंगे और तार्किक होकर सोच-विचार करेंगे।

सिंह राशि

सिंह राशि के जातकों के लिए बुध दूसरे और पांचवें भाव के स्वामी हैं। बुध का पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में गोचर आपके पांचवें भाव में होगा। पांचवें भाव में बुध आपको रचनात्मक और ज्ञानी बनाता है। साथ ही, दूसरों की मिमिक्री करने की कला का आशीर्वाद भी देता है और आप अभिनय करने में बहुत कुशल होते हैं। पांचवें भाव में बुध का गोचर के परिणामस्वरूप आपकी वाणी मधुर होगी और आप अपने बोलने के तरीके से दूसरों को अपनी ओर प्रभावित करने में सक्षम होंगे।

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कन्या राशि

कन्या राशि के जातकों के लिए बुध पहले और दसवें भाव के स्वामी हैं। बुध का पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में गोचर आपके चौथे भाव में होगा। इसके परिणामस्वरूप आप इस दौरान कल्पनाओं में खोए रहेंगे। भिन्न-भिन्न विचारों और योजनाओं का सपना देखेंगे। आपकी स्मरण शक्ति बेहतर होगी और आप बहुत सारी जानकारी अपने पास रखेंगे क्योंकि चौथे भाव में बुध अधिक ज्ञान प्रदान करते हैं। ऐसे में, आप अधिक ज्ञानी होंगे। साथ ही, आप गणना करने में अच्छे होंगे और इसके चलते आप गणितज्ञ, ज्योतिषी या किसी अन्य क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा, आपकी रुचि इतिहास, मनोविज्ञान या राजनीति से जुड़े विषयों की ओर भी अधिक हो सकती है। संभावना है कि इन विषयों में आप अच्छा करें और आपको अच्छे परिणाम प्राप्त हो।

तुला राशि

तुला राशि के जातकों के लिए बुध नौवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं। बुध का पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में गोचर आपके तीसरे भाव में होने जा रहा है। तीसरे भाव में बुध आपको तीव्र गति से सोचने वाला बनाता है। इसके अलावा, इस भाव में बुध के प्रभाव से आप अपनी मधुर वाणी से सभी कार्यों को कुशलता से करने में सक्षम होंगे। साथ ही, आपके अंदर एक ही समय में दस चीज़ों को संभालने की क्षमता होगी और आप चीज़ों को जल्दी से समझने में भी सफल होंगे। कुल मिलाकर यह गोचर आपके लिए शानदार रहेगा और आपकी सोचने समझने की क्षमता बढ़ेगी।

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए बुध आपके आठवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं। बुध का पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में गोचर आपके दूसरे भाव में होगा। दूसरा भाव वाणी और आत्म-अभिव्यक्ति को दर्शाता है। ऐसे में, इस गोचर के परिणामस्वरूप आप बुद्धिमान और एक अच्छे वक्ता हो सकते हैं। आपके आर्थिक जीवन की बात करें तो धन के मामले में अच्छे से योजना बनाकर चलेंगे और बहुत ही सोच-समझकर खर्च करेंगे। दूसरे भाव में बुध की मौजूदगी के कारण जातक अपना ज्ञान अपने वित्तीय में वृद्धि करने में लगाएगा और तेजी से विकास की ओर आगे बढ़ेगा।

धनु राशि

धनु राशि के जातकों के लिए बुध सातवें और दसवें भाव के स्वामी हैं। बुध का पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में गोचर आपके पहले भाव में होगा। इसके परिणामस्वरूप आप अपने जीवन में कुछ नया व रोमांच की तलाश में रहते हैं। आप बहुत दिलचस्प व्यक्ति हैं। आपके कई शौक हैं और आपका दिमाग भी बहुत समृद्ध है, जिसमें बहुत सारे अलग-अलग विचार और जानकारी हैं। आप बहुत बहुमुखी हैं और आप नई चीजें आज़माना पसंद करते हैं जो आपके कंफर्ट जोन से आपको बाहर निकालता है। आपका व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली है कि लोग आपकी तरह बनने की कोशिश कर सकते हैं।

मकर राशि 

मकर राशि के जातकों के लिए बुध छठे और नौवें भाव के स्वामी हैं। बुध का पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में गोचर आपके बारहवें भाव में होगा। इसके परिणामस्वरूप आपका झुकाव उच्च शिक्षा, दार्शनिक शिक्षा और गूढ़ विज्ञान की ओर अधिक होगा। इस दौरान आपकी मानसिक क्षमता मजबूत होगी और आप तार्किक होकर सोच-विचार करेंगे। आशंका है कि आप इस अवधि वास्तविक दुनिया से परे सोच रख सकते हैं और कई बार आपकी सोच लोगों को समझ भी न आए। इसके परिणामस्वरूप कई बार लोगों आपको आपकी सोच की वजह से गलत भी ठहरा सकते हैं इसलिए आपको सावधानी बरतनी है और सोच-समझकर अपने विचारों को दूसरे के सामने रखने की सलाह दी जाती है। ताकि लोग आपकी बातों को गलत न समझे।

कुंभ राशि

कुंभ राशि के जातकों के लिए बुध पांचवें और आठवें भाव के स्वामी हैं। बुध का पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में गोचर आपके ग्यारहवें भाव में होने जा रहा है। यह गोचर आपके  लिए शानदार साबित होगा। बुध कुंभ राशि के स्वामी शनि के मित्र ग्रह होने के कारण बुध निश्चित रूप से आपके लिए सौभाग्य लेकर आएंगे और आप नाम, प्रसिद्धि के साथ-साथ खूब धन में अर्जित करने में सक्षम होंगे। साथ ही, समाज में आपकी प्रतिष्ठा में वृद्धि भी होगी। बुध का ग्यारहवें भाव में गोचर के परिणामस्वरूप आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। यदि आप सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से संबंधित व्यापार कर रहे हैं तो आपको अपना बिज़नेस तेजी से बढ़ाने का मौका मिलेगा। यदि आप मीडिया से जुड़े हैं तो आपको इस अवधि अच्छी लोकप्रियता हासिल करने में सफल होंगे।

मीन राशि

मीन राशि के जातकों के लिए बुध चौथे और सातवें भाव के स्वामी हैं। बुध का पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में गोचर आपके दसवें भाव में होगा। इसके परिणामस्वरूप आपके अंदर कई समय तक एक साथ कई नौकरियों की जिम्मेदारियां लेने यानी काम करने की क्षमता होती है। संभव है कि आप अपने करियर को कई बार बदलने का विचार करें। इस अवधि आप ऐसी नौकरी की ओर आकर्षित हो सकते हैं, जो आपको तेजी से आगे बढ़ाने में मदद करें और आपको अच्छे परिणाम दें। यदि आप अपनी दिनचर्या में परिवर्तन करते हैं तो आप ज्यादा ऊर्जावान महसूस करेंगे और साथ ही, आप चुनौतियों से लड़ने में भी खुद को सक्षम बनाएंगे इसलिए आपके लिए बेहतर होगा कि अपने काम में परिवर्तन लाते रहें ताकि आप ऊर्जा से भरा हुआ महसूस करें। कुल मिलाकर पेशेवर जीवन के लिए यह अवधि आपके लिए शानदार साबित होगी।

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बुध का पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में गोचर: प्रभावशाली उपाय

बुध का पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में गोचर का प्रभाव यदि आपकी कुंडली में नकारात्मक रूप से पड़ रहा है तो इसे दूर करने के लिए नीचे दिए गए उपायों को अपना सकते हैं।

  • इस गोचर के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए यह सुनिश्चित करें कि आप जो भी नया कपड़ा खरीदें उसे पहनने से पहले अच्छे से धो लें, उसके बाद ही पहनें।
  • बुध ग्रह की विधि-विधान से पूजा करें और साथ ही बुध के मंत्रों का जाप करें।
  • अपने घरों और कार्यालयों में बुध यंत्र स्थापित करें प्रतिदिन विधि-विधान से पूजा करें।
  • बुध ग्रह को शांत करने के लिए तोते को भोजन भी खिलाना चाहिए।
  • खाने से पहले दिन में कम से कम एक बार गाय को खाना जरूर खिलाएं। ऐसा करने से आपको सभी प्रकार की समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। यह बुध के सबसे सरल उपायों में एक है।
  • हरी सब्जियां, जैसे पालक और अन्य पत्तेदार सब्जियां, विशेष रूप से गरीब व जरूरतमंद बच्चों को दान करें या बना कर उन्हें खिलाएं।
  • पक्षियों को भीगे हुए हरे चने खिलाने से भी कुंडली में कमजोर बुध ग्रह मजबूत होता है।
  • कभी भी अपनी बहन या भाभी के साथ दुर्व्यवहार न करें, खासकर यदि बुध आपकी राशि में मौजूद हो तो।
  • बुध के हानिकारक प्रभावों को कम करने के लिए अच्छी मौखिक स्वच्छता बनाए रखें। अच्छी मौखिक स्वच्छता बनाए रखना सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक है।

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