हिंदू धर्म में वरुथिनी एकादशी को बहुत शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत एवं पूजन करने से सभी दुख दूर होते हैं और सुख एवं सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस एकादशी को लेकर यह भी कहा जाता है कि जितना पुण्य सूर्य ग्रहण के दौरान स्वर्ण के दान से मिलता है, उतना फल वरुथिनी एकादशी पर व्रत रखने से मिल जाता है।
एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में आगे बताया गया है कि वरुिथिनी एकादशी कब है और इस एकादशी पर किन सरल ज्योतिषीय उपायों की सहायता से आपकी मनोकामना की पूर्ति हो सकती है।
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कब है वरुथिनी एकादशी 2024
वैशाख माह में कृष्ण पक्ष के ग्यारहवें दिन को वरुथिनी एकादशी मनाई जाती है। इस शुभ दिन को बरुिथिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस बार 04 मई, 2024 को शनिवार के दिन वरुथिनी एकादशी मनाई जाएगी। इस एकादशी पर पारण मुहूर्त 05 मई, 2024 को प्रात: 05 बजकर 36 मिनट से 08 बजकर 17 मिनट तक रहेगा। 03 मई, 2024 को रात्रि 11 बजकर 26 मिनट से एकादशी तिथि आरंभ होगी और इसका समापन 08 बजकर 41 मिनट पर होगा। इस दिन एक शुभ योग का निर्माण भी हो रहा है।
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वरुथिनी एकादशी पर बन रहा है शुभ योग
इस दिन इंद्र योग भी बन रहा है जिसे ज्योतिष में अत्यंत शुभ माना गया है। इसकी शुरुआत 03 मई को दोपहर 02 बजकर 18 मिनट पर होगी और 04 मई को सुबह 11 बजकर 02 मिनट पर इसका समापन होगा।
कुल 27 योगों में इंद्र योग 26वें स्थान पर आता है। इस योग में जन्म लेने वाले जातक दयालु और ज्ञान प्राप्त करने के इच्छुक होते हैं। यह योग सौभाग्य का भी कारक है।
वरुथिनी एकादशी पर किसकी होती है पूजा
वरुथिनी एकादशी पर भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा होती है और इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की उपासना करने का भी विधान है। संस्कृत शब्द वरुथिन का अर्थ होता है रक्षक और सुरक्षा देना। भगवान विष्णु अपने भक्तों की सभी दुखों और कष्टों से रक्षा करते हैं।
विष्णु जी को प्रसन्न करने के लिए इस दिन व्रत रखने का भी विधान है। पापों से मुक्ति पाने के लिए इस दिन को अत्यंत शुभ माना गया है। माना जाता है कि जो भी व्यक्ति इस दिन भगवान विष्णु का ध्यान करता है, उसे अपने बुरे कर्मों से मुक्ति मिल जाती है।
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वरुथिनी एकादशी का महत्व
अनेक हिंदू ग्रंथों में वरुथिनी एकादशी का वर्णन किया गया है इसलिए इस एकादशी को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। भविष्य पुराण में उल्लिखित है कि भगवान कृष्ण ने राजा युधिष्ठिर को अपनी बातचीत के दौरान इसके बारे में बताया था।
ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन उपवास करता है और सख्ती से व्रत के नियमों का पालन करता है, उसे अपने पुराने ही नहीं बल्कि भविष्य के पाप कर्मों से भी मुक्ति मिल जाती है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। ईश्वर का आशीर्वाद पाने के लिए इस दिन दान-पुण्य का भी बहुत महत्व है। इससे न सिर्फ भगवान बल्कि पितरों का भी आशीर्वाद मिलता है।
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वरुथिनी एकादशी की पूजन विधि
आप इस एकादशी पर निम्न विधि से पूजन एवं व्रत कर सकते हैं:
- एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद विष्णु पूजा की तैयारियां शुरू करें। अपने घर के पूजन स्थल को गंगाजल छिड़क कर साफ करें।
- इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति को स्नान करवाएं और उन्हें साफ धुले हुए वस्त्र पहनाएं। इसके बाद मूर्ति को पूजन स्थल में स्थापित करें।
- आप भगवान विष्णु की मूर्ति के आगे धूप, चंदन, अगरबत्ती और पुष्प अर्पित करें।
- अब आप एकादशी का व्रत करने का संकल्प लें। कुछ लोग इस दिन निर्जल व्रत भी रखते हैं।
- विष्णु जी की पूजा में पुष्प, फल और तुलसी अवश्य रखें। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु को तुलसी अति प्रिय है और एकादशी के हर व्रत में तुलसी का उपयोग जरूर किया जाना चाहिए।
- इस व्रत में भोग के रूप में विष्णु जी को खीर चढ़ाई जाती है।
- विष्णु जी की पूजा करते समय उनके मंत्रों का जाप करें। अपने सभी दुखों एवं कष्टों से छुटकारा पाने के लिए ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:’ मंत्र का जाप कर सकते हैं।
- रात्रि के समय विष्णु जी और मां लक्ष्मी का पूजन करें।
- अगले दिन स्नान करने के बाद विष्णु जी की उपासना करें और यदि संभव हो, तो ब्राह्मण को भोजन करवाएं और इसके बाद अपने व्रत का पारण करें।
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वरुथिनी एकादशी पर व्रत रखने के लाभ
वरुथिनी एकादशी पर व्रत रखने के निम्न लाभ प्राप्त होते हैं:
- जो भी व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है, उसके सभी शत्रुओं का नाश होता है।
- यदि किसी जातक का स्वास्थ्य खराब चल रहा है, तो उसे वरुथिनी एकादशी का व्रत रखना चाहिए।
- मान्यता है कि इस व्रत को रखने से मृत्यु के पश्चात् मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- भगवान विष्णु अपने भक्तों की नकारात्मक ऊर्जा एवं बुरी शक्तियों से रक्षा करते हैं।
- इस व्रत को रखने से व्यक्ति मानसिक रूप से शांत और सकारात्मक महसूस करता है।
- इसके अलावा अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए भी आप इस व्रत को रख सकते हैं।
- कुंवारी कन्याओं को इस दिन व्रत करने से उत्तम वर की प्राप्ति होती है।
- कहा जाता है कि इस दिन व्रत करने से हज़ारों वर्षों की तपस्या जितना फल मिल जाता है।
वरुथिनी एकादशी पर क्या करें और क्या न करें
- इस एकादशी पर ब्राह्मण एवं जरूरतमंद लोगों को वस्त्रों और भोजन का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। यह व्रत का एक महत्वपूर्ण नियम है।
- इस दिन व्रत रखने पर साबुत अनाज या दाल और फलियां जैसे कि छोले, चावल और काले चने नहीं खाने चाहिए।
- एकादशी पर मांसाहारी भोजन, शराब और यौन क्रिया से भी दूर रहना चाहिए। किसी की बुराई न करें और किसी के लिए भी नकारात्मक विचार अपने मन में न लाएं।
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वरुथिनी एकादशी पर किए जाने वाले ज्योतिषीय उपाय
इस दिन कुछ उपाय करने से आपकी मनोकामना पूर्ण हो सकती है। जानिए वरुथिनी एकादशी पर किए जाने वाले ज्योतिषीय उपायों के बारे में।
- व्यापार में लाभ एवं मुनाफा कमाने के लिए एकादशी के दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करें। इसके साथ ही 11 या 21 बार ‘ॐ नमो भगवते नारायण’ – का जाप करें।
- अगर आप नौकरी में पदोन्नति पाना चाहते हैं, तो एकादशी के दिन पीले रंग के वस्त्र में नारियल को लपेट कर, उसे भगवान विष्णु को चढ़ाएं। इससे आपकी प्रमोशन और वेतन में वृद्धि की मनोकामना पूर्ण होगी। इसके अलावा आप विष्णु जी को पीले रंग के फूल भी अर्पित करें। अगले दिन नारियल और फूलों को अपने साथ रखें।
- जिन लोगों के जीवन में कोई दुख या कष्ट है, तो उसे दूर करने के लिए आप वरुथिनी एकादशी पर तुलसी पर जल चढ़ाएं। इसके बाद तुलसी की जड़ से मिट्टी निकालें और उसे अपने साथ उपस्थित सभी लोगों के माथे पर लगाएं और अपने स्वयं के माथे पर भी लगाएं।
- सभी समस्याओं और परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए एकादशी के दिन भगवान विष्णु को पीले रंग के फल, पीले रंग के पुष्प और खीर अर्पित करें। इसके बाद परिवार के सभी सदस्यों में प्रसाद दें।
- कर्ज और पैसों की तंगी से छुटकारा पाने और आर्थिक लाभ के लिए वरुथिनी एकादशी पर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की उपासना करें।
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