गोपाष्टमी पूजा: इस दिन गौ माता की पूजा से बदलती है किस्मत

सनातन धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया गया है और इसे दिव्य पशु माना गया है। कहते हैं कि गाय के समस्त शरीर में 33 करोड़ देवी देवताओं का वास है। यही वजह है कि सनातन धर्म के अनुयायी गाय को पूजते हैं और उसका सम्मान करते हैं। इसी मान्यता पर आधारित है गोपाष्टमी पूजा। हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाने वाला यह पर्व ब्रज में काफी धूमधाम से मनाया जाता है। 

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इस दिन देश भर के कृष्ण मंदिरों में भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इस दिन ही भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा कर भगवान इंद्र के प्रकोप से गोप और गोपियों की रक्षा की थी। वहीं गोपाष्टमी पूजा को लेकर यह भी कहा जाता है कि इस दिन से ही भगवान कृष्ण ने पहली बार गायों को चराना शुरू किया था।

मान्यता है कि इस दिन गाय और उसके बछड़े की पूजा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। ऐसे में आज इस लेख में हम आपको बताने वाले हैं कि गोपाष्टमी पूजा करने की विधि क्या है। लेकिन उससे पहले गोपाष्टमी से जुड़ी कुछ खास जानकारी आपको दे देते हैं।

गोपाष्टमी तिथि व मुहूर्त

गोपाष्टमी पूजा तिथि : 11 नवंबर 2021

गोपाष्टमी पूजा दिन : गुरुवार

अष्टमी तिथि प्रारम्भ : 11 नवंबर 2021 को सुबह 06 बजकर 49 मिनट पर

अष्टमी तिथि समापन : 12 नवंबर 2021 को सुबह 05 बजकर 51 मिनट पर

गोपाष्टमी पूजा विधि

  • इस दिन सुबह जल्दी उठ कर गाय और उसके बछड़े को स्नान करवाना चाहिए। फिर उसके बाद उनका शृंगार किया जाता है। बहुत से लोग इस दौरान गाय और बछड़े को आभूषण से सजाते हैं।
  • गोपाष्टमी के दिन गाय के सींगों पर चुनरी बांधने की परंपरा है।
  • इसके बाद खुद भी स्नान करें और साफ कपड़े धारण कर लें।
  • गाय माता के चरणों की धूल से माथे पर तिलक करें और उनका चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें।
  • इसके बाद गौ माता की परिक्रमा कर लें।
  • इसके बाद गाय को बाहर चारा चराने के लिए ले जाया जाता है।
  • इस दिन दान का भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन ग्वालों को दान में पैसे व उपहार देने से घर में सुख-शांति व समृद्धि आती है।

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