हिंदू धर्म में शनि जयंती के पर्व का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन शनि देव की विधिवत पूजा करते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि शनि जयंती वर्ष में दो बार मनाई जाती है एक वैशाख के महीने में और एक ज्येष्ठ के महीने में। अपने इस खास ब्लॉग में हम जानेंगे इस वर्ष शनि जयंती किस दिन मनाई जा रही है, इस दिन क्या कुछ काम भूल से भी नहीं करने चाहिए, राशि अनुसार क्या उपाय करके आप शनिदेव की प्रसन्नता हासिल कर सकते हैं, साथ ही जानें शनि जयंती से जुड़ी कुछ बेहद ही दिलचस्प और रोचक बातों की भी जानकारी।
शनि जयंती 2024 कब है?
जैसा कि हमने पहले भी बताया कि शनि जयंती वर्ष में दो बार मनाई जाती है। कुछ जगहों पर शनि जयंती वैशाख अमावस्या के दिन मनाई जाती है और कुछ जगहों पर शनि जयंती ज्येष्ठ महीने की अमावस्या को मनाई जाती है। इस साल वैशाख अमावस्या 8 मई को है और ज्येष्ठ अमावस्या 6 जून को है। ऐसे में इन दोनों ही दिनों पर अलग-अलग जगहों पर शनि जयंती मनाई जाएगी।
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शनि जयंती महत्व
शास्त्रों के अनुसार शनि जयंती के पर्व का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन सूर्य पुत्र शनिदेव की जयंती मनाई जाती है। ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को न्याय का देवता कहते हैं अर्थात यह व्यक्ति के उसके कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं। जिन लोगों के कर्म अच्छे होते हैं उन्हें शनिदेव से डरने की बिल्कुल आवश्यकता नहीं होती है बल्कि शनि उनकी मेहनत में चार-चाँद लगाकर उन्हें रंक से राजा बना देते हैं वहीं इसके विपरीत जिन लोगों के कर्म अच्छे नहीं होते हैं उन्हें शनि से हर मायने में डरना चाहिए और ऐसे लोगों पर शनि का प्रकोप निश्चित तौर पर देखने को मिलता है।
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अब आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं शनि के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए किस विधि से शनि जयंती पर शनि देव की पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा बहुत से लोग शनि जयंती के दिन शनि देव के लिए व्रत भी रखते हैं। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि दोष होता है या फिर शनि की स्थिति कमजोर होती है तो विशेष तौर पर ऐसे लोगों को शनि जयंती के दिन व्रत रखना, फिर भगवान शनि के मंदिर जाकर उन्हें सरसों का तेल काला तिल, नीले फूल, शमी के पत्ते चढ़ाने की सलाह दी जाती है। इससे उन्हें निश्चित रूप से शनि के प्रकोप से बचने में राहत मिलती है।
सनातन धर्म में शनि जयंती के पर्व को विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन शनि देव की पूजा करने से शनि की साढ़ेसाती, शनि की ढैया के दुष्प्रभाव से व्यक्ति को छुटकारा मिलता है। इसके साथ ही शनिदेव की पूजा करने से व्यक्ति को कारोबार और नौकरी में तरक्की और सफलता भी प्राप्त होती है।
शनि देव जयंती 2024: शुभ मुहूर्त
सबसे पहले बात कर लें शुभ शुभ मुहूर्त की तो इस साल वैशाख अमावस्या 7 मई 2024 को सुबह 11:40 से प्रारंभ हो जाएगी और इसका समापन 8 मई को सुबह 8:40 पर होगा। यही वजह है कि शनि जयंती 8 मई को मनाई जा रही है। शनि पूजा करने के लिए समय की बात करें तो यह शाम के 5 से 7 बजे तक रहने वाला है।
वहीं ज्येष्ठ माह की शनि जयंती अर्थात 6 जून की शनि जयंती की बात करें तो इसका मुहूर्त अलग होगा। जून महीने की अमावस्या 5 जून 2024 को 7:54 से प्रारंभ हो जाएगी और इसका समापन 6 जून को 6:07 पर होगा।
शनि जयंती कथा
सूर्य देव का विवाह राजा दक्ष की पुत्री संज्ञा के साथ हुआ था। सूर्य देव की तीन संताने हैं मनु, यमराज और यमुना। पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि एक बार संज्ञा ने अपने पिता दक्ष से सूर्य के तेज से होने वाली दिक्कत के बारे में जिक्र किया। तब राजा दक्ष ने अपनी पुत्री की बात पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि तुम अब सूर्य देव की अर्धांगिनी हो। पिता के ऐसा कहने पर संज्ञा ने अपने तपोबल से अपनी छाया को प्रकट किया और इनका नाम सवर्णा रखा।
आगे चलकर सूर्य देव की पत्नी संज्ञा की छाया के गर्भ से शनि देव का जन्म हुआ। शनि देव का वर्ण बेहद ही श्याम था। जब सूर्य देव को इस बात का पता चला कि सवर्णा उनकी अर्धांगिनी नहीं हैं तो सूर्य देव ने शनि देव को अपना पुत्र मानने से इनकार कर दिया। इससे शनि देव कुपित हो गए और उनकी दृष्टि सूर्य देव पर पड़ी जिसकी वजह से सूर्य देव काले पड़ गए और पूरे ही संसार में अंधकार छाने लगा। परेशान होकर सूर्य देवता भगवान शिव के पास गए। तब भगवान शिव ने उन्हें छाया से क्षमा मांगने को कहा तब सूर्य देव ने छाया से क्षमा मांगी और तब जाकर वे शनि के क्रोध से मुक्त हुए।
शनि जयंती सही पूजन विधि
पूजन विधि की बात करें तो,
- शनि जयंती के दिन सुबह स्नान करने के बाद शनि मंदिर जाएं और शनि देव को सरसों के तेल अर्पित करें।
- इस दिन शनि देव को काले रंग के वस्त्र अर्पित करें।
- इसके बाद उन्हें काला तिल, उड़द दाल और लोहा चढ़ाएँ।
- हो सके तो गरीब लोगों को जूता, छाता या फिर कपड़े का भी दान कर सकते हैं।
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शनि जयंती के दिन भूल से भी ना करें ये गलतियाँ
- शनिदेव की पूजा में कभी भी तांबे का बर्तन उपयोग न करें। तांबे का संबंध दरअसल सूर्य से जोड़कर देखा जाता है और सूर्य और शनि के बीच शत्रुता का संबंध है। यूं तो दोनों पिता पुत्र हैं लेकिन आपस में शत्रु हैं इसीलिए उनकी पूजा में कभी भी तांबे का बर्तन उपयोग न करें।
- शनि देव की कुदृष्टि से बचाना है तो कभी भी उनकी मूर्ति के ठीक सामने खड़े होकर और उनकी आंखों में आंखें डाल कर ना देखें। शनिदेव की पूजा करते समय अपना मुख हमेशा पश्चिम दिशा में रखें।
- शनि जयंती के दिन नमक, लोहा, तेल ना खरीदें। अगर आपको दान करना भी है तो एक दिन पहले इसे खरीद कर घर पर रख लें।
- शनि जयंती के दिन शनि से संबंधित कोई भी चीज खरीद कर घर ना लाएं अन्यथा इससे मुसीबतें जीवन में आने लगती हैं।
- शनि जयंती के दिन गलती से भी किसी पशु पक्षी को परेशान ना करें।
- शनि जयंती के दिन मांसाहारी भोजन न करें, नशा ना करें, अन्यथा इससे शनि देव नाराज हो जाते हैं।
- शनि जयंती के दिन भूल से भी गरीब, असहाय लोगों को परेशान ना करें। शनि देव को गरीबों का रक्षक कहा जाता है इसलिए विशेष तौर पर इन्हें परेशान करने से बचें।
शनि जयंती का धार्मिक महत्व
शनि जयंती का पर्व बेहद ही खास महत्व रखता है। शनिदेव भगवान शिव के परम भक्त कहे जाते हैं। उन्हें सेवा और व्यापार जैसे काम का स्वामी भी माना जाता है। कहते हैं कि जहां भी शनिदेव सीधी दृष्टि डालते हैं वहां उथल-पुथल मच जाती है। बताया जाता है कि एक बार जब रावण ने भगवान शनि को कैद कर लिया था तब हनुमान जी ने उन्हें छुड़ाया था। तब शनिदेव ने प्रसन्न होकर कहा था कि जो भी बजरंगबली की पूजा भक्ति भाव से करेगा उन पर कभी भी शनि दोष नहीं आएगा। साथ ही ऐसे जातकों पर शनि देव का आशीर्वाद हमेशा बना रहेगा।
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शनि जयंती पर राशि अनुसार करें ये ज्योतिषीय उपाय
मेष राशि: मेष राशि के जातक शनि जयंती के दिन सरसों के तेल या फिर काले तिल का दान करें।
वृषभ राशि: शनि जयंती के दिन वृषभ राशि के जातक गरीब और जरूरतमंद लोगों को काले कंबल का दान करें।
मिथुन राशि: शनि जयंती के दिन बड़े बुजुर्गों को प्रणाम करें, उन्हें कुछ उपहार अवश्य दें। इसके अलावा शनि मंदिर जाकर शनि देव से संबंधित चीजों का दान करें।
कर्क राशि: कर्क राशि के जातक शनि जयंती के दिन गरीबों को काला तिल, उड़द, सरसों के तेल, वस्त्र का दान करें।
सिंह राशि: सिंह राशि के जातक शनि जयंती के दिन हनुमान जी की पूजा करें उसके बाद शनि देव की पूजा करें और छाया दान करें।
कन्या राशि: कन्या राशि के जातक शनि जयंती के दिन शनि मंदिर जाकर पूजा पाठ करें और शनि मंत्र का जाप करें।
तुला राशि: तुला राशि के जातक शनि जयंती के दिन शनि देव की पूजा करें। इसके बाद काले या फिर नीले वस्त्र, तिल, कंबल आदि का जरूरतमंद लोगों को दान करें।
वृश्चिक राशि: शनि जयंती के दिन भगवान हनुमान की पूजा करें। पूजा के बाद काले कुत्ते की सेवा करें।
धनु राशि: धनु राशि के जातक शनि जयंती के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करें और सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
मकर और कुंभ राशि: मकर और कुंभ राशि के जातकों के स्वामी ग्रह स्वयं शनि है। ऐसे में शनि जयंती के दिन विधिवत पूर्वक पूजा करने के बाद शनि की प्रिय वस्तुओं का जरूरतमंद लोगों को दान करें।
मीन राशि: मीन राशि के जातक शनि जयंती के दिन पीले वस्त्र, हल्दी, केसर का दान करें और हो सके तो विष्णु चालीसा का जाप करें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर: 2024 में शनि जयंती वैशाख माह में 8 मई को है और ज्येष्ठ माह की शनि जयंती 6 जून को है।
उत्तर: प्रदोष व्रत के दिन नियम से शाम के समय शनि देव की पूजा करें और उनका आशीर्वाद पाने के लिए सरसों के तेल का दीपक जलाकर पीपल के पेड़ के नीचे रख दें।
उत्तर: शनि जयंती के दिन शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और फिर विधिपूर्वक शनिदेव की पूजा करें, उनके मंदिर जाकर सरसों के तेल अर्पित करें।
उत्तर: शनि देव का प्रिय रंग काला माना जाता है। ऐसे में आप चाहे तो शनि जयंती के दिन काले रंग के वस्त्र धारण कर सकते हैं इससे शनि देव अवश्य प्रसन्न होंगे।
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