शनि जयंती विशेष : शनि जयंती से जुड़ी 10 महत्वपूर्ण बातें जिन्हें आपको जानना चाहिए

सनातन धर्म में शनि जयंती का विशेष महत्व है। शनि देव न सिर्फ सनातन धर्म में धार्मिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व रखते हैं बल्कि वैदिक ज्योतिष के दृष्टिकोण से भी शनि देवता का अत्यधिक महत्व है। ऐसे में आज हम आपको इस लेख में शनि जयंती से जुड़े दस बेहद महत्वपूर्ण बातें आपको बताने वाले हैं।

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01 – सनातन धर्म में शनि देवता का महत्व

सनातन धर्म में शनि देवता को विशेष स्थान प्राप्त है। शनि देव भगवान सूर्य और छाया के पुत्र माने जाते हैं। मान्यता है कि शनि देवता के श्याम वर्ण के होने की वजह से भगवान सूर्य ने उन्हें अपना पुत्र मानने से इंकार कर दिया था। यही वजह है कि भगवान शनि अपने पिता से बैर रखते हैं। शनि देव की दृष्टि को सनातन धर्म में अशुभ माना गया है। मान्यता है कि भगवान गणेश को भी अपना सिर इसलिए ही गंवाना पड़ा था क्योंकि भगवान शनि ने माता पार्वती के आग्रह पर भगवान गणेश को आशीर्वाद देने के लिए उन पर दृष्टि डाली थी।

भगवान शनि को सनातन धर्म में देवता के तौर पर पूजा जाता है। उन्हें सनातन धर्म में न्याय का देवता माना गया है। मान्यता है कि शनि देवता जातकों को उसके अच्छे या बुरे कर्म के अनुसार ही फल देते हैं। भारत में कई जगहों पर भगवान शनि के प्रमुख मंदिर हैं जहां भगवान शनि की पूजा के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है।

आइये अब आपको बताते हैं कि शनि का वैदिक ज्योतिष में क्या महत्व है। 

02 – वैदिक ज्योतिष में शनि का महत्व

वैदिक ज्योतिष में शनि को एक प्रमुख लेकिन पापी ग्रह की संज्ञा दी जाती है। सभी ग्रहों में शनि देवता की चाल सबसे धीमी है। शनि की गोचर अवधि ढाई वर्ष की होती है। वैदिक ज्योतिष में शनि के इस गोचर को ‘शनि की ढैय्या’ कहा जाता है। वहीं शनि की दशा की अवधि साढ़े सात वर्ष की होती है जिसे ज्योतिषीय भाषा में ‘शनि की साढ़े साती’ कहा जाता है।

सभी बारह राशियों के बीच शनि देवता मकर राशि और कुंभ राशि के स्वामी माने जाते हैं। वहीं 27 नक्षत्रों के बीच शनि देवता का पुष्य, अनुराधा और उत्तराभाद्रपद नक्षत्र पर आधिपत्य है। शनि देवता तुला राशि में उच्च माने जाते हैं जबकि मेष उनकी नीच राशि मानी जाती है।

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आइये अब जानते हैं कि शनि यदि शुभ फल देने की स्थिति में हो तो उसका जातकों के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है।

03 – शनि यदि शुभ फल दें

शनि के बारे में आम राय यह है कि शनि जातकों को हमेशा अशुभ फल ही देते हैं जबकि ऐसा नहीं है। शनि देवता अगर किसी जातक को शुभ फल देते हैं तो उस जातक के जीवन में सकारात्मक बदलाव भी होते हैं। शनि यदि किसी जातक की कुंडली में शुभ स्थान पर विराजमान हो तो ऐसा जातक न्याय को सम्मान देता है। ऐसे जातकों के जीवन में आलस्य के लिए कोई जगह नहीं होती और ऐसे जातक अपने कर्म को लेकर एकाग्रचित्त रहते हैं। 

साथ ही शनि की कृपा होने से जातकों को कार्यक्षेत्र में भी शुभ फल मिलते हैं। खास कर ऑटोमोबाइल और धातु के व्यापार करने वाले किसी जातक पर शनि देवता की कृपा हो तो उस जातक को व्यापार में तरक्की मिलती है। मशीन, लोहा, चमड़ा, केमिकल उत्पाद इत्यादि के व्यापार में भी बढ़ोतरी के लिए शनि देव की कृपा होना आवश्यक है। शनि की कृपा दृष्टि से जातक दीर्घायु होता है।

आइये अब आपको ये भी बता देते हैं कि शनि यदि किसी जातक को अशुभ फल दें तो उस जातक के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है।

04 – शनि यदि अशुभ फल दें

शनि यदि किसी जातक से नाराज हो जाएं तो ऐसे जातक के बने हुए कार्य भी बिगड़ने लगते हैं। मानसिक तनाव बढ़ता है। दुर्घटना के योग बनते हैं और ज्यादा बुरी स्थिति में जातक को कारावास तक जाना पड़ सकता है। इसके अलावा शनि की बुरी दृष्टि से जातकों को कैंसर, पैरालिसिस, अस्थमा इत्यादि जैसी गंभीर बीमारियां भी घेर लेती हैं।

इन बातों से आपको समझ आ गया होगा कि शनि देवता का मनुष्य जीवन पर कितना प्रभाव रहता है। यही वजह हैं कि शनि जयंती का महत्व और भी बढ़ जाता है। आइये अब जानते हैं कि साल 2021 में शनि जयंती कब है।

05 – साल 2021 में शनि जयंती कब है?

प्रत्येक साल शनि जयंती हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह की अमावस्या को मनाया जाता है। साल 2021 में यह तारीख 10 जून को गुरुवार के दिन पड़ने वाली है। अमावस्या की तिथि 09 जून 2021 को बुधवार की दोपहर 01 बजकर 57 मिनट से शुरू हो जाएगी और इसका समापन 10 जून 2021 को गुरुवार की शाम 04 बजकर 22 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में शनि जयंती का पर्व 10 जून 2021 को मनाया जाएगा।

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06 – शनि जयंती क्यों मनाई जाती है?

मान्यता है कि शनि जयंती के दिन ही भगवान शनि का जन्म हुआ था। इस दिन भगवान शनि की विशेष तौर से पूजा होती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शनि की पूजा करने से शनि देवता जातकों के सारे कष्ट हर लेते हैं। जातक दीर्घायु होते हैं और उनके कार्यों में किसी भी तरह की बाधा नहीं आती। रुके हुए कार्य भी शुरू हो जाते हैं।

07 – शनि जयंती पूजा विधि

शनि जयंती के दिन जातक सुबह उठ कर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें। घर के मंदिर में दीपक प्रज्वलित करें। भगवान शनि को तेल अर्पित करें। इसके बाद उन्हें पुष्प अर्पित करें और भोग लगाएं। भगवान शनि की आरती करें। आरती करने के बाद शनि चालीसा का पाठ करें। शनि मंत्रों का जाप करें। यदि मुमकिन हो तो दशरथ कृत शनि स्त्रोत का भी पाठ करें। इसके पाठ से भी शनि देव अति प्रसन्न होते हैं। 

नोट : महामारी के इस समय कहीं बाहर किसी मंदिर में जाना स्वास्थ्य के लिहाज से सुरक्षित नहीं होगा, इस वजह से घर के ही मंदिर में पूजन करें तो बेहतर है। 

आइये अब हम जानते हैं कि शनि देवता को प्रसन्न करने के लिए शनि जयंती के दिन कौन से विशेष मंत्रों का पाठ करना शुभ माना जाता है।

08 – शनि जयंती विशेष मंत्र

शनि जयंती के दिन शनि देवता को प्रसन्न करने के लिए आप नीचे दिये गए तीनों मंत्रों में से किसी का भी पाठ कर के शनि देवता की कृपा के पात्र बन सकते हैं।

शनि का वैदिक मंत्र

ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।

शं योरभि स्त्रवन्तु न:।।

शनि का तांत्रिक मंत्र

ॐ शं शनैश्चराय नमः।।

शनि का बीज मंत्र

ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।

आइये अब आपको उन कार्यों की जानकारी दे देते हैं जिन्हें शनि जयंती के दिन करना निषेध माना गया है।

09 – शनि जयंती के दिन ये कार्य न करें

  • शनि जयंती के दिन किसी भी गरीब या असहाय व्यक्ति का अपमान नहीं करना चाहिए अन्यथा शनि देवता रुष्ट हो जाते हैं। कोशिश करें कि इस दिन किसी जरूरतमंद को भोजन करा दें। शुभ फल प्राप्त होगा।
  • शनि जयंती के दिन मांस और मदिरा का सेवन करने से भी बचना चाहिए। ऐसा करने वाले जातकों के ऊपर शनि देवता बहुत रुष्ट होते हैं।
  • शनि जयंती के दिन बाल या नाखून कटवाना भी निषेध माना गया है।
  • लोहे या काँच के बर्तन को भी शनि जयंती के दिन नहीं खरीदना चाहिए। इसके अलावा सरसों के तीअल, उड़द दाल और लकड़ी की ख़रीदारी शनि जयंती के दिन निषेध मानी गयी है।
  • शनि जयंती के दिन पीपल, तुलसी और बेल के पत्तों को न तोड़ें। इससे शनि देवता नाराज होते हैं।
  • शनि जयंती के दिन छल-कपट और झूठ इत्यादि जैसे बुरे कर्म नहीं करने चाहिए वरना शनि देव अशुभ फल देते हैं।

10 – शनि जयंती के दिन होने वाले अन्य पर्व व ग्रहों की स्थिति

शनि जयंती के दिन वट सावित्री का पर्व भी मनाया जाएगा। इसके अलावा इस बार शनि जयंती विशेष इसलिए भी है क्योंकि इस दिन साल 2021 का पहला सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। हालांकि यह सूर्य ग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा, इस वजह से इसका सूतक काल भी भारत में मान्य नहीं होगा। सूर्य इस समय वृषभ राशि में गोचर कर रहे हैं। इसके अलावा शनि देवता साल 2021 में किसी भी राशि में गोचर नहीं करने वाले हैं हालांकि वे नक्षत्र परिवर्तन जरूर करेंगे। फिलहाल शनि देवता अपनी स्वराशि मकर में गोचर कर रहे हैं। 

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