कुंडली के विभिन्न भावों में शनि और उसका पेशेवर जीवन और व्यवसाय पर प्रभाव!

अपने रीडर्स को हर बार की ही तरह एक बार फिर एक महत्वपूर्ण ग्रह के बारे में अवगत कराने और उससे जुड़े उपाय बताने के लिए एस्ट्रोसेज इस ब्लॉग के माध्यम से आपके सामने पेश है। इस ब्लॉग में हम बात करेंगे शनि की, इसके साथ ही जानेंगे शनि हमारे पेशेवर जीवन को कैसे प्रभावित करता है और राशि अनुसार आपके जीवन पर शनि 2023 में कैसे असर डालने वाला है।

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वर्ष 2023 ज्योतिषीय दृष्टिकोण से इसलिए भी महत्वपूर्ण साल माना जा रहा है क्योंकि नौ ग्रहों में न्यायाधीश माने जाने वाले शनि ने इस वर्ष की शुरुआत में 29.5 साल की लंबी अवधि के बाद 17 जनवरी, 2023 को अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में गोचर किया था।

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सभी ग्रहों में शनि एक ऐसा ग्रह माना जाता है जिसका नाम सुनते ही लोग डर जाते हैं क्योंकि लोगों के मन में ऐसा धारणा है कि जब निष्पक्ष निर्णय देने की बात आती है तो शनि किसी किसी को भी नहीं बख्शते हैं। साथ ही कहा जाता है कि यदि शनि का प्रकोप बढ़ जाए तो बड़े से बड़ा धुरंधर भी घुटने टेक देता है। शनि देव व्यक्ति को उनके कर्मों के आधार पर ही फल देने के लिए जाने जाते हैं और यही वजह है कि इन्हें कर्म दाता के रूप में भी जाना जाता है। ऐसे में कहा जाता है कि, यदि आपके कर्म अच्छे हैं तो शनि देव का आशीर्वाद आपके जीवन पर सदैव बना रहेगा फिर चाहे बात व्यक्तिगत जीवन की करें या पेशेवर जीवन की। वहीं इसके विपरीत अगर आप गलत कार्यो में लिप्त हैं या किसी को दुखी करते हैं तो आपको शनि के प्रकोप से शायद ही कोई बचा पाए।

जैसा कि अब तक तो हम जान चुके हैं कि शनि को कर्म दाता ग्रह का दर्जा दिया गया है। ऐसे में स्वाभाविक है कि यह हमारे जीवन को किसी ना किसी तरीके से प्रभावित अवश्य करते हैं फिर चाहे शनि कुंडली के दशम भाव में हो या नहीं, दशम भाव पर शासन करते हो या ना हो इनका हमारे पेशेवर जीवन पर असर अवश्य पड़ता है।

अपने इस विशेष ब्लॉग के माध्यम से हम बात करेंगे कि किस तरह से शनि हमारे पेशेवर जीवन पर असर डालते हैं? कौन से ऐसे करियर हैं जिनमें शनि का समर्थन आसानी से प्राप्त होता है? साथ ही जानेंगे कि अगर आपकी कुंडली में भी शनि की युति हो रही है या शनि पर अन्य ग्रहों का प्रभाव पड़ा है तो ऐसे में आपके लिए उचित करियर कौन से होने वाले हैं। सबसे पहले जान लेते हैं यदि कुंडली में शनि शुभ स्थिति में हो तो जातकों के जीवन पर क्या कुछ परिणाम पड़ते हैं।

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ज्योतिष में शनि का प्रभाव 

ज्योतिष के अनुसार बात करें तो शनि ज्ञान, अनुशासन, और इमानदारी प्रदान करने के लिए जाने जाते हैं। मुख्य तौर पर यह एक ठंडा ग्रह माना गया है और साथ ही यह सूखा ग्रह भी है। इसके अलावा शनि अधिकार, कड़ी मेहनत, धैर्य, दृढ़ता, अनुशासन, प्रशासनिक कौशल, प्रबंधन कौशल, कानून, कर्तव्य परायणता, न्याय, विश्लेषणात्मक क्षमता, ध्यान, आध्यात्मिक विकास, ज्ञान, इमानदारी, अधिकार, तर्कसंगत, का प्रतिनिधित्व करने वाला ग्रह माना गया है। 

ऐसे में जिन जातकों की कुंडली में शनि मजबूत और शुभ स्थिति में होता है ऐसे लोगों के जीवन में ऊपर बताई गई स्थिति का आशीर्वाद बना रहता है। वहीं दूसरी तरफ यदि कुंडली में शनि कमजोर या अशुभ प्रभाव में है तो इससे व्यक्ति के जीवन में अनुशासन की कमी, धैर्य में कमी, कड़ी मेहनत में कोताही, ऐसी समस्याएं देखने को मिलती है। स्वास्थ्य के मोर्चे पर बात करें तो शनि आपको जोड़ों से दर्द से पीड़ित कर सकता है या फिर हड्डियों, नसों में कमजोरी, फ्रेक्चर, बेचैनी, नींद की कमी, और अवसाद होने की आशंका बढ़ जाती है।

पेशेवर जीवन में शनि की भूमिका 

वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनि आमतौर पर व्यवसाय या करियर पर शासन करने के लिए जाना जाता है। व्यवसाय या करियर पहले के जमाने में अमीर और समृद्ध लोगों के लिए नहीं होते थे। यही वजह है कि शनि को समाज के निचले तबके या फिर मजदूर वर्ग के लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाला ग्रह माना गया। इसके साथ ही शनि प्रमुख रूप से लोहे, अनाज, कृषि, रियल स्टेट, खानों, कोयला व्यापार, प्लंबर, चौकीदार, चमड़े के सामान के डीलर, वॉचमैन या चमड़े के कारखानों के मालिक से संबंधित व्यवसाय टेनरियों में काम करने वाले या चमड़े के कारखानों के मालिक से संबंधित व्यवसायों और करियर पर शासन करता है। 

शनि गोपनीयता से संबंधित चीजों या व्यवसाय या ऐसे व्यवसाय जिनके लिए भूमिगत गतिविधियां, पृथ्वी के नीचे काम करने की आवश्यकता होती है, जैसे खान अयस्क, पेट्रोल, तेल, कोयला, लोहा, इत्यादि से संबंधित भी माना गया है। उदाहरण के तौर पर अगर शनि चतुर्थ भाव में कुंडली में मौजूद है तो यह इसी तरह के व्यवसाय या पेशे को दर्शाता है जिसके माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन में धन कमा सकता है।

दूसरी तरफ अगर शनि तीसरे या आठवें भाव में स्थित हो या शुभ स्थिति में कुंडली में मौजूद हो तो जातक चमड़े के सामान और जूते बनाकर या बेचकर धन कमा सकता है।

कुंडली के विभिन्न भावों में शनि की स्थिति और उससे संबंधित व्यवसाय की जानकारी

प्रथम भाव में शनि: शनि अगर कुंडली के प्रथम भाव या लग्न भाव में स्थित हो तो इससे व्यक्ति सदाचारी और धर्मी बनता है। ऐसे व्यक्ति को सही गलत की अच्छी समझ होती है और वह तर्क और परिपक्वता से काम करते हैं। ऐसे जातक बचपन से ही काफी अनुशासित होते हैं और कानून का पालन करने वाले माने जाते हैं। यह लोग अपने जीवन में सख्त दिनचर्या और निर्धारित पैटर्न का पालन करते हैं। लग्न भाव में मौजूद शनि का यदि छठे भाव या दशम भाव से संबंध हो तो ऐसे जातक जाने-माने वकील, न्यायाधीश बनते हैं या लग्न में मौजूद शनि का दशम या आठवें भाव से संबंध हो तो व्यक्ति राजनेता भी बन सकते हैं। इसके अलावा, शनि की ऐसी स्थिति के साथ जातक के इन व्यवसायों को चुनने की संभावना बढ़ जाती है।

उपयुक्त राशियाँ: तुला राशि, कन्या राशि और धनु राशि।

दूसरे भाव में शनि: कुंडली में दूसरे भाव में मौजूद शनि करियर को धीमी वृद्धि देता है और यह जातकों की कमाई या फिर आर्थिक स्थिति में भी धीरे-धीरे बढ़ोतरी करता है। ऐसे जातकों को करियर के शुरुआती दिनों में ढेरों संघर्ष करने पड़ सकते हैं। दूसरे भाव में मौजूद शनि यदि आपके चौथे घर को पहलू दे रहा हो तो इस स्थिति में ऐसे जातक रियल एस्टेट या इंटीरियर डिजाइनिंग के क्षेत्र में करियर बना सकते हैं। कुंडली के दूसरे भाव में मौजूद शनि के साथ यदि आपकी कुंडली में शुक्र भी अच्छी तरह से मौजूद हो तो ऐसे जातक वास्तुकला या फटॉफोटोग्राफी में भी रुचि रख सकते हैं। 

उपयुक्त राशियाँ: यदि दूसरे या चौथे भाव में तुला, वृष या मिथुन राशि हो तो ये करियर अधिक उपयुक्त हो सकते हैं।

तीसरे भाव में शनि जिन व्यक्तियों की कुंडली के तीसरे भाव में शनि होता है ऐसे जातक विश्लेषणात्मक कौशल से समृद्ध और स्मार्ट होते हैं। ऐसी स्थिति में शनि जातकों को उनके करियर के शुरुआती दिनों में ढेरों मेहनत अवश्य करवा सकता है लेकिन अंततः ऐसे लोग अपना खुद का व्यवसाय करने में सफल होते हैं क्योंकि शुरुआती दिनों की मेहनत से आप जोखिम लेने की क्षमता निपुण हो चुके होते हैं और यह व्यवसाय के लिए बेहद जरूरी है। ऐसे लोगों का अनुसंधान से संबंधित क्षेत्र में भी अच्छा प्रदर्शन करते हैं क्योंकि ऐसे जातकों का गहराई से विश्लेषण करने की क्षमता होती है। कुंडली में तीसरे भाव में स्थित शनि की यदि बुध से युति हो रही हो या बुध की दृष्टि शनि पर पड़ रही हो तो ऐसे जातक चमड़े के सामान के व्यापारी भी हो सकते हैं।

उपयुक्त राशियाँ: कन्या राशि, मिथुन राशि, मकर राशि।

चतुर्थ भाव में शनि: चौथे भाव में मौजूद शनि मजबूत शैक्षिक आधार बनाने के लिए जाना जाता है। साथ ही ऐसा जिन जातकों की कुंडली में होता है वह उत्कृष्ट विश्लेषणात्मक कौशल के साथ पैदा होते हैं और ज्यादातर देखा गया है कि यह खुद का व्यवसाय करना पसंद करते हैं। अन्य ग्रहों के पहलुओं या युति के आधार पर ऐसे जातक कानून, रियल स्टेट, राजनीति या चिकित्सा क्षेत्र में जाने का विकल्प चुनते हैं। अक्सर देखा गया है कि चतुर्थ भाव में मौजूद शनि परिणाम देर से देते हैं यानी कि अक्सर जातक 36 साल की उम्र के बाद सफलता प्राप्त करते हैं लेकिन सफलता और सुख सुविधा जीवन में उसके बाद निरंतर बनी रहती है। 

उपयुक्त राशियाँ: यदि शनि वृश्चिक, तुला, कर्क राशि में हो तो परिणाम अधिक लाभकारी होंगे।

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पंचम भाव में शनि: पंचम भाव में शनि रचनात्मकता, बुद्धिमता, शेयर बाजार, मनोरंजन, सट्टेबाजी से लाभ आदि का प्रतिनिधित्व करता है। जिन जातकों की कुंडली में शनि पंचम भाव मौजूद होता है वह मनोरंजन, चिकित्सा, खेल, या किसी भी तरह के उपचार से संबंधित क्षेत्र में करियर बना सकते हैं। इसके अलावा अन्य ग्रहों के संयोजन के आधार पर ऐसे जातक न्यायपालिका जैसी सरकार या प्रशासनिक सेवा में भी जो सकते हैं। मुमकिन है कि ऐसी स्थिति आपके जीवन में थोड़ी देर से आए जिससे जीवन में हताशा भी बढ़ सकती है। हालांकि सलाह दी जाती है कि मुश्किल परिस्थिति में भी घुटने न टेकें और संकल्प के साथ आगे बढ़ते रहें। 

उपयुक्त राशियाँ: तुला, वृष, कुम्भ, मिथुन कुछ ऐसी राशियाँ हैं जो उपर्युक्त करियर के लिए शनि की इस स्थिति का समर्थन करेंगी।

छठे भाव में शनि: छठे भाव में मौजूद शनि आपको अन्य लोगों से अधिक प्रतिस्पर्धा में बढ़त तो दिलाएगा लेकिन शनि की ऐसी स्थिति आपको वर्कोहोलिक (काम के लिए जुनूनी) भी बना सकती है। ऐसे जातक आमतौर पर कॉरपोरेट नौकरी करते हैं। शनि कुंडली में छठे भाव में मौजूद हो तो ऐसे जातक अधिक धैर्य और संकल्प के साथ जीवन व्यतीत करते हैं। हालांकि इनके जीवन में अहंकार भी देखने को मिल सकता है। ऐसे जातकों के जीवन में फ शनि की किसी भी अन्य स्थिति की तरह और अपनी प्रकृति के अनुरूप सफलता और वित्तीय स्थिरता बहुत देरी और निराशा के साथ आ सकती है। 

वृश्चिक, मेष (विशेष मामलों में) और सिंह।

सप्तम भाव में शनि: सप्तम भाव में शनि दिग्बल होता है और उच्च का माना जाता है क्योंकि काल पुरुष कुंडली के अनुसार सप्तम राशि और सप्तम भाव तुला राशि का होता है और शनि तुला राशि में उच्च का माना गया है। यहां शनि कानूनी साझेदारी और विवाह के भाव में है। ऐसे में यह जातकों को नैतिक बनाएगा। कैरियर पक्ष की बात करें तो ऐसे जातक वकील या फिर परिवहन व्यवसाय में शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा यदि शनि स्वराशि में है तो ऐसे जातक तेल और गैस से संबंधित व्यवसाय में भी जुड़ सकते हैं। शनि का यह स्थान व्यवसायी या राजनीतिज्ञ के लिए भी एक अच्छा स्थान है। 

उपयुक्त राशियाँ: तुला राशि, कन्या राशि, मिथुन राशि, मकर राशि, कुम्भ राशि।

अष्टम भाव में शनि: शनि की सबसे कठिन स्थिति में से एक आठवें भाव में शनि की स्थिति को माना गया है। अपनी ऐसी स्थिति में शनि करियर में देरी और उतार-चढ़ाव की वजह बनता है। इसके अलावा यदि शनि कुंडली में नकारात्मक स्थिति में मौजूद हो तो ऐसे में जातक अवसाद में भी घिर सकते हैं और पेशेवर प्रगति में देरी देखने को मिलती है। इसके अलावा ऐसे लोग जीवन भर संघर्ष करते हैं। अक्सर देखा गया है कि ऐसे जातक 32 साल की उम्र तक भी अपने करियर में व्यवस्थित महसूस नहीं करते हैं। वहीं दूसरी तरफ कुंडली में शनि की स्थिति शुभ हो तो ऐसे जातक लकड़ी के फर्नीचर निर्माण लकड़ी के फर्नीचर व्यापार में अच्छा नाम कमाते हैं। ऐसे लोगों के लिए चमड़े और सामान आदि से जुड़ा व्यापार भी कर सकते हैं। शनि सीधे 8वें भाव से वित्त के दूसरे घर को देखता है, इसलिए, यह जीवन में बाद में वित्तीय स्थिरता प्रदान करता है और ऐसे जातकों को एक निश्चित उम्र के बाद ही वित्त या लाभ आना शुरू होता है। 32-36 उम्र से पहले ऐसे जातक वित्तीय स्थिरता और धन संचित करने में असफल रहते हैं। 

उपयुक्त राशियाँ: शनि की इस स्थिति के लिए पसंदीदा राशियाँ मकर, कुम्भ, कर्क, मीन होंगी।

नवम भाव में शनि: नवम भाव में शनि बेहद हुए शुभ स्थिति में माने जाते हैं और अपनी ऐसी स्थिति में यह जातक को अपने काम के प्रति बेहद ही केंद्रित और अनुशासित बनाते हैं। ऐसे जातक स्वभाव से धर्मी और धार्मिक होते हैं। जिन जातकों की कुंडली में शनि नवम भाव में शुभ स्थिति में मौजूद होता है ऐसे जातकों को शनि सही रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित और दूसरों के जीवन में रोशनी लाने वाला बनाते हैं। अक्सर ऐसे लोग वकील, न्यायाधीश, योगी, आध्यात्मिक गुरु, प्रेरक, वक्ता, ज्योतिषी, आदि बनते हैं। हालांकि इसके विपरीत यदि शनि नकारात्मक स्थिति में मौजूद है तो जातक धोखेबाज, चालबाज और दुष्ट स्वभाव के होते हैं और ऐसे जातक गलत कामों से धन कमाते हैं। 

उपयुक्त राशियाँ: धनु, मीन, कन्या, मकर राशियां ऐसी हैं जहां नौवें भाव में शनि ये फल दे सकता है।

दशम भाव में शनि: कुंडली के दशम भाव में मौजूद शनि जातकों को आयोजन और प्रबंधकीय क्षमता में निपुण बनाता है। इस भाव में शनि जातक को स्थिर करियर और आधिकारिक स्थिति का आशीर्वाद भी देता है। विशेष तौर पर अगर शनि मकर और कुंभ राशि में मौजूद हो तो। जिन जातकों की कुंडली के दशम भाव में शनि होता है ऐसे लोग असाधारण न्यायाधीश, वकील, कॉर्पोरेट सीईओ, और यहां तक कि खिलाड़ी भी हो सकते हैं। इसके साथ है शनि की ऐसी स्थिति जिन जातकों की कुंडली में हो ऐसे लोग मनोरंजन व्यवसाय में भी नाम कमाते हैं। बॉलीवुड अभिनेता लियोनार्दो डिकैप्रियो के दशम भाव में शनि की यही स्थिति है। ऐसे जातक करियर और काम के प्रति अपने दृष्टिकोण में बेहद बुद्धिमान साहसी और बहादुर होने के साथ-साथ तार्किक भी होते हैं। 

एकादश भाव में शनि: शनि का एकादश भाव में होना विशेष तौर पर उन लोगों के लिए शुभ होता है जो कृषि, कृषि भूमि, या खाद्यान्न के व्यवसाय में जुड़े हुए हैं। या फिर जो चावल की फैक्ट्री में काम करते हैं या जिनकी खुद की चावल की फैक्ट्री होती है उनके लिए शनि की स्थिति बेहद ही शुभ मानी गई है। शनि की यह स्थिति जातकों को अपना खुद का व्यवसाय करने में सक्षम बनाती है। ऐसे जातकों का व्यवसाय फलता फूलता है। ऐसे जातक धनी किसान भी हो सकते हैं। ऐसे लोगों के जीवन में आय और लाभ का प्रवाह नियमित और उच्च बना रहता है।

उपयुक्त राशियाँ: कर्क, तुला, वृश्चिक, धनु और मीन। 

द्वादश भाव में शनि: द्वादश भाव में शनि जातकों को अलग-थलग रहने वाला और मूडी बना सकता है। इसके अलावा मुमकिन है कि शनि की यह स्थिति आपको अपने घर से दूर किसी विदेशी भूमि पर जाने के लिए मजबूर कर दे या फिर आप किसी अन्य शहर या देश में बस भी सकते हैं। बारहवें भाव में शनि जिन जातकों की कुंडली में हो ऐसे जातक ज्यादातर दूतावासों के काम में लिप्त होते हैं या फिर अन्य देशों के साथ विदेशी प्रतिनिधियों या शोध और वैज्ञानिक भी हो सकते हैं। 

उपयुक्त राशियाँ: सिंह, धनु, मीन, कुंभ।

वर्ष 2023 में सभी 12 राशियों पर शनि का प्रभाव 

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि शनि 17 जनवरी, 2023 को अपनी राशि कुंभ में गोचर कर चुके हैं। कुंभ को शनि की मूल त्रिकोण राशि कहा जाता है और कुंभ राशि में स्थित होने पर शनि सहज हो जाते हैं इसलिए यह वर्ष लगभग सभी राशियों के लिए अनुकूल रहने वाला है। सिवाय उन राशियों के जिन पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है जैसे कि मकर राशि (जिसका साढ़ेसाती का तीसरा और अंतिम चरण चल रहा है) और कुंभ राशि (जिसका दूसरा चरण चल रहा है)। इसके अलावा कर्क राशि पर शनि की ढैया चल रही है। 

इन राशियों को विशेष तौर पर सावधान रहने की सलाह दी जाती है क्योंकि शनि इन राशियों के जीवन को थोड़ा कठिन बना सकता है। हालांकि घबराने की आवश्यकता नहीं है नीचे हम आपको कुछ बेहद ही सरल उपायों की जानकारी दे रहे हैं जिन्हें अपनाकर आप शनि के दुष्प्रभाव से निपट सकते हैं। तो आइए आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं शनि के कुछ ऐसे ही बेहद सरल उपाय।

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शनि के प्रकोप से बचाएंगे ये सरल उपाय

अगर आपके जीवन पर भी शनि के प्रकोप का साया है तो नीचे दिए गए उपायों को करने से आप भी शनि के कहर से बच सकते हैं:  

  • काली मंदिर जाएं या रोजाना शनि मंदिर जाएँ।
  • शनि चालीसा और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • जरूरतमंदों को कपड़े, पुस्तक, और काले चने की खिचड़ी का दान करें। 
  • जरूरतमंद लोगों को जूतों में या फिर बैसाखी का दान करें। 
  • भैंसों को दूध और चावल खिलाएँ। 
  • अपने घर या फिर काम करने वाली जगह पर शनि यंत्र की स्थापना करें और उसकी नियमित रूप से पूजा करें।

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