मंगल का मिथुन राशि में गोचर, इन राशियों पर टूट सकता है दुखों का पहाड़!

मंगल गोचर 2025: एस्ट्रोसेज एआई की हमेशा से यही पहल रही है कि किसी भी महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना की नवीनतम अपडेट हम अपने रीडर्स को समय से पहले दे पाएं और इसी कड़ी में हम आपके लिए लेकर आए हैं मंगल के गोचर से संबंधित यह खास ब्लॉग। मंगल का अर्थ होता है ‘शुभ’ और इस ग्रह को पृथ्‍वी के भूमि पुत्र के रूप में भी जाना जाता है। ज्‍योतिष शास्‍त्र में मंगल को ऊर्जा, कार्य, उत्‍साह और कर्मशक्‍ति का कारक माना गया है।

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इसे ‘योद्धा ग्रह’ के रूप में भी जाना जाता है। हम अपने आप को कैसा दिखाते हैं, किस तरह से पहल करते हैं और अपनी इच्‍छाओं को कैसे पूरा करने का प्रयास करते हैं, यह सब मंगल पर ही निर्भर करता है। मंगल ग्रह का संबंध दृढ़ता, मानसिक रूप से मज़बूत होने, साहस और दृढ़ संकल्‍प से है। ये ग्रह कामुकता, प्रतिस्‍पर्धा और संघर्ष को भी नियंत्रित करता है। हम अपनी इच्‍छाओं को पूरा करने के लिए कैसे काम करते हैं और चुनौतियों का कैसे सामना करते हैं, इसमें मंगल ग्रह अहम भूमिका निभाता है। इसके अलावा यह ग्रह हमारी भावनात्‍मक और शारीरिक ऊर्जा के स्‍तर, साहस और मतभेदों एवं प्रतिस्‍पर्धा के प्रति हमारे दृष्टिकोण का निर्माण करता है।

मंगल का मिथुन राशि में गोचर : समय

मंगल लगभग 40 से 45 दिनों में एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करते हैं। कुछ मामलों में मंगल एक ही राशि में पांच महीने तक भी रह सकते हैं। इस बार मंगल 21 जनवरी, 2025 को सुबह 08 बजकर 04 मिनट पर बुध की राशि मिथुन में गोचर करने जा रहे हैं। इस ब्‍लॉग में आगे बताया गया है कि मंगल के मिथुन राशि में गोचर करने पर राशियों पर इसका क्‍या प्रभाव देखने को मिलेगा।

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मंगल का मिथुन राशि में गोचर : इन राशियों को होगा लाभ

मेष राशि

मंगल मेष राशि के पहले और आठवें भाव के स्‍वामी हैं और अब वह आपके तीसरे भाव में रहेंगे। इस दौरान आपको अप्रत्‍याशित रूप से आर्थिक लाभ होने की उम्‍मीद है लेकिन आपको अपनी सेहत का ख्‍याल रखने की सलाह दी जाती है।

आप अपने प्रयासों की वजह से करियर के क्षेत्र में प्रगति और सुधार कर सकते हैं। मंगल के मिथुन राशि में गोचर करने के दौरान व्‍यवसाय में आपकी अपने सहकर्मियों के साथ असहमति हो सकती है और इसकी वजह से आपकी आमदनी में कमी आने की आशंका है। रोज़मर्रा के खर्चों को पूरा करने के लिए आपको लोन लेने के बारे में सोचना पड़ सकता है और यह स्थिति आपके लिए तनावपूर्ण हो सकती है।

मेष राशिफल 2025

सिंह राशि

मंगल सिंह राशि के चौथे और नौवें भाव के स्‍वामी हैं और अब वह आपके ग्‍यारहवें भाव में गोचर करने जा रहे हैं। इस दौरान आपकी सुख-सुविधाओं में वृद्धि होगी, आपको वित्तीय लाभ होगा और आपकी इच्‍छाओं की भी पूर्ति होगी।

करियर के मामले में आपको नए अवसर मिल सकते हैं और आप अपने काम को लेकर संतुष्ट रहेंगे। इसकी वजह से आपका प्रमोशन हो सकता है। व्‍यापारियों को मुनाफे वाली डील के साथ-साथ नए प्रोजेक्‍ट मिलने की उम्‍मीद है। इस समय व्‍यापारी उच्‍च सफलता हासिल करेंगे। इस गोचर के दौरान आपको पैसों की बचत करने के अधिक अवसर प्राप्‍त होंगे और इससे आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार आ सकता है। आपके और आपके जीवनसाथी के बीच मधुर संबंध रहेंगे और आप दोनों एक-दूसरे के साथ खुश रहेंगे।

सिंह राशिफल 2025

मीन राशि

मीन राशि के तीसरे और दसवें भाव के स्‍वामी मंगल ग्रह हैं और अब वह आपके पांचवे भाव में गोचर करने जा रहे हैं। आपको अपने भाग्‍य का साथ मिलेगा, परिवार में कोई सकारात्‍मक घटना हो सकती है और आपका अध्‍यात्‍म में रुझान बढ़ सकता है।

करियर के क्षेत्र में आप बहुत ज्‍यादा संतुष्‍ट महसूस करेंगे, आपको प्रमोशन मिलने की संभावना है और आपको अपने प्रयासों का अच्‍छा फल प्राप्‍त होगा। व्‍यापारियों को बड़ा मुनाफा होने की उम्‍मीद है और आपके एवं आपके पार्टनर के बीच आपसी तालमेल काफी अच्‍छा रहने वाला है। व्‍यापारियों के लिए सफलता के योग बन रहे हैं।  आपको पैतृक संपत्ति से लाभ होगा और व्‍यापारिक कार्यों में सफलता मिलेगी। आपके और आपके पार्टनर के बीच गहरा प्‍यार रहेगा और आप दोनों का रिश्‍ता मज़बूत होगा एवं आपसी तालमेल भी अच्‍छा रहेगा।

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कन्‍या राशि

मंगल ग्रह कन्या राशि के तीसरे और आठवें भाव के स्‍वामी हैं और अब वह आपके दसवें भाव में गोचर करने जा रहे हैं। आपको अपने पेशेवर और आर्थिक जीवन में लाभ होने के संकेत हैं और आपको अपने भाग्‍य का साथ भी मिलेगा।

आप अपनी नौकरी में सफलता हासिल करेंगे और जो काम करेंगे, उसका आनंद लेंगे। व्‍यापारियों को खूब पैसा कमाने का मौका मिलेगा। आपकी वित्तीय स्थिति अच्‍छी रहने वाली है और आपको पैसे बचाने के अधिक अवसर मिलेंगे एवं आप खूब पैसा कमाएंगे। आप अपने पार्टनर के साथ रिश्‍ते में संतुष्ट महसूस करेंगे और आप दोनों का रिश्‍ता मज़बूत होगा। आपकी सेहत भी अच्‍छी रहने वाली है और आपके जोश की वजह से इसमें बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। इससे आप अच्‍छा महसूस करेंगे।

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मंगल का मिथुन राशि में गोचर: इन राशियों को होगा नुकसान

वृषभ राशि

वृषभ राशि के सातवें और बारहवें भाव के स्‍वामी मंगल अब आपके दूसरे भाव में रहेंगे। इस दौरान आपको अपनी सेहत और बच्‍चों के विकास को लेकर चिंता हो सकती है।

आपके पेशे में आपकी योग्‍यता का पूरी तरह से उपयोग नहीं हो पाएगा और इस वजह से आप नाखुश और तनाव में नज़र आ सकते हैं। व्‍यापार में लापरवाही की वजह से आमदनी के कम होने की आशंका है। इससे बिज़नेस को चलाने में परेशानी हो सकती है। भाग्‍य का साथ ने देने की वजह से आपको वित्तीय नुकसान होने के संकेत हैं और इसकी वजह से आपको आगे चलकर पैसों की तंगी हो सकती है। मंगल के मिथुन राशि में गोचर करने पर आपके और आपके पार्टनर के बीच बातचीत में कमी आ सकती है और इससे आप दोनों के बीच के आपसी तालमेल में गिरावट आ सकती है। इस वजह से आप नाखुश रह सकते हैं।

मिथुन राशि

मंगल आपके छठे और बारहवें भाव के स्‍वामी हैं और अब मंगल आपके पहले भाव में रहेंगे। इस दौरान आपके परिवार में समस्‍याएं उत्‍पन्‍न होने की आशंका है। इसके साथ ही आपका ऐसी जगह पर स्‍थानांतरण हो सकता है, जहां आप नहीं चाहते हैं।

आपको अपने करियर के किसी पड़ाव पर काम के सिलसिले में स्‍थानांतरित होना पड़ सकता है। इस बात से आप नाखुश नज़र आएंगे। व्‍यापारियों को अपने बिज़नेस पार्टनर के साथ कुछ समस्‍याओं का सामना करना पड़ सकता है एवं व्‍यापारी कम पैसा कमाएंगे। वित्तीय स्‍तर पर आपको अपनी लापरवाही और योजना बनाकर न चलने की वजह से बड़े खर्चे देखने पड़ सकते हैं। इसके अलावा अपनी आय को बढ़ाने के महत्‍वपूर्ण अवसर आपके हाथ से छूट सकते हैं। आप अपने जीवनसाथी से नाखुश हो सकते हैं और यह बात आपको परेशान कर सकती है।

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कर्क राशि

कर्क राशि के पांचवे और दसवें भाव के स्‍वामी मंगल ग्रह हैं और अब वह आपके बारहवें भाव में रहेंगे। इस समय आप बेचैन महसूस कर सकते हैं और आपके और आपके पार्टनर के बीच तनाव आने की आशंका है। आप दोनों के बीच बातचीत भी कम हो सकती है।

करियर के क्षेत्र में आपको काम की वजह से अधिक तनाव हो सकता है और आपमें से कुछ लोगों को प्रतिकूल स्‍थान पर जाना पड़ सकता है। अगर कॉर्पोरेट जगत में आप अपने विचारों पर काम करने में देरी करते हैं, तो इसकी वजह से आपकी चिंताएं बढ़ सकती हैं। मंगल के मिथुन राशि में गोचर करने पर आपकी आर्थिक स्थिति में बदलाव और खर्चों में वृद्धि देखने को मिल सकती है। इसकी वजह से आप चिंतित रह सकते हैं। आपके और आपके पार्टनर के बीच गलतफहमी हो सकती है और यह आपके लिए चिंता का विषय बन सकता है।

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मकर राशि

मंगल मकर राशि के चौथे और ग्‍यारहवें भाव के स्‍वामी हैं और मिथुन राशि में गोचर करने के दौरान वह आपके छठे भाव में रहेंगे। इस वजह से आपको अपने कार्यक्षेत्र, निजी जीवन और आर्थिक क्षेत्र में समस्‍याएं होने की आशंका है।

आपको काम की वजह से अधिक तनाव हो सकता है। इसके साथ ही नौकरी में आपके प्रयासों की सराहना भी कम हो सकती है। व्‍यापारियों को अपने भाग्‍य का साथ नहीं मिल पाएगा। इसके अलावा आपको औसत मुनाफे से ही खुद को संतुष्‍ट करना पड़ेगा एवं आपके अपने पार्टनर के साथ भी मतभेद हो सकते हैं। मांग बढ़ने से लागत बढ़ेगी और इसकी वजह से आपके ऊपर आर्थिक बोझ बढ़ सकता है। आपके और आपके जीवनसाथी के बीच आपसी समझ कम होने के कारण आप दोनों एक-दूसरे के साथ कम समय बिताएंगे।

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मंगल के मिथुन राशि में गोचर करने पर करें ये उपाय

  • आप नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • मंगलवार के दिन व्रत रखें।
  • बच्‍चों को बेसन के लड्डू या बूंदी खिलाएं।
  • आप बजरंग बाण का पाठ करें।
  • अपने घर और ऑफिस में मंगल यंत्र की स्‍थापना कर उसकी पूजा करें।

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

उत्तर. मंगल स्‍वराशि मेष या वृश्चिक के अलावा अपनी उच्‍च राशि मकर में सहज होते हैं।

प्रश्‍न 1. मंगल ग्रह किस राशि में सहज होते हैं?

प्रश्‍न 2. क्‍या मंगल मिथुन राशि में सहज होते हैं?

उत्तर. नहीं, मिथुन मंगल की शत्रु राशि है।

प्रश्‍न 3. क्‍या मंगल और बुध एक-दूसरे के शत्रु हैं?

उत्तर. बुध मंगल के प्रति तटस्‍थ है लेकिन मंगल बुध को अपना शत्रु मानता है।

स्वास्थ्य राशिफल 2025 से जानें, वर्ष 2025 में कैसा रहेगा आपकी सेहत का हाल?

प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में अनेक सपने देखता है और इन सपनों को वह तब ही हकीकत में बदल सकता है जब आपकी सेहत आपका साथ दे। सरल शब्दों में कहें तो, अगर आप स्वस्थ हैं और एक स्वस्थ जीवन जी रहे हैं, तब आप अपनी सभी इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं। साथ ही, सभी लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं। इसी क्रम में, जैसे-जैसे नए साल आने लगता है, वैसे-वैसे नए साल को लेकर हमारे मन में सवाल और उत्सुकता दोनों ही बढ़ने लगती है। नए साल में कैसा रहेगा स्वास्थ्य? रोग करेंगे परेशान या स्वस्थ जीवन का मिलेगा आशीर्वाद? कब रहना होगा सावधान? तो आपको इन सभी सवालों के जवाब मिलेंगे एस्ट्रोसेज एआई के इस विशेष लेख में। यह ब्लॉग स्वास्थ्य से जुड़ी हर तरह की दुविधा को दूर करेगा। तो आइए बिना देर किये आगे बढ़ते हैं और शुरू करते हैं यह ब्लॉग। 

यह भी पढ़ें: राशिफल 2025

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एस्ट्रोसेज एआई के अनुभवी एवं विद्वान ज्योतिषियों द्वारा स्वास्थ्य राशिफल 2025 को ग्रह-नक्षत्रों की चाल एवं स्थिति का गहन विश्लेषण करने के बाद तैयार किया गया है। इसके माध्यम से आप अपनी राशि के आधार पर जान सकते हैं कि वर्ष 2025 में आपके स्वास्थ्य का हाल कैसा रहेगा। साथ ही, आपको यह भी बताएंगे कि राशि चक्र की किन राशियों को नए साल में सेहत के प्रति बेहद सावधान रहना होगा। तो आइए बिना देर किये शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की और जानते हैं वर्ष 2025 में आपके स्वास्थ्य के बारे में। 

स्वास्थ्य राशिफल कैसे करेगा आपकी सहायता?

अक्सर ऐसा देखा जाता है लोग अपनी भागदौड़ भरी और व्यस्त ज़िन्दगी की वजह से अपने स्वास्थ्य को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। जीवन की व्यस्तता में इंसान अपनी हर-छोटी बड़ी बात का ध्यान रखता है, लेकिन अपना ध्यान रखना भूल जाता है जो व्यक्ति की सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। हालांकि, पिछले कुछ समय से लोगों में अपनी फिटनेस को लेकर जागरूकता देखने को मिल रही है जिसे हम सकारात्मक कहेंगे। 

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एस्ट्रोसेज का स्वास्थ्य राशिफल 2025 पढ़कर आप उन रोगों के प्रति सावधान रह सकते हैं जो नए साल अर्थात वर्ष 2025 में आपको अपना शिकार बना सकते हैं। साथ ही, यह राशिफल आपको उस समय के बारे में बताता है जब आपकी फिटनेस अच्छी रहेगी और उस समय से भी अवगत करवाता है जब आपको वाहन चलाते समय या सड़क पर चलते समय सावधान रहना होगा ताकि आप किसी भी तरह की दुर्घटना से बच सकें इसलिए आपको स्वास्थ्य राशिफल अवश्य पढ़ने की सलाह दी जाती है।    

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नवग्रह कैसे करते हैं स्वास्थ्य को प्रभावित? 

ज्योतिष में मनुष्य के शरीर और स्वास्थ्य से ग्रहों का गहरा संबंध माना गया है जो भिन्न-भिन्न तरीकों से स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। चलिए नज़र डालते हैं नवग्रहों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव पर। 

सूर्य ग्रह: ग्रहों के राजा सूर्य के कुंडली में बलवान होने पर स्वस्थ शरीर का आशीर्वाद मिलता है जबकि इनकी कमज़ोर स्थिति हृदय, नेत्र, चर्म, पित्त आदि से जुड़े रोगों का कारण बनती है। 

चंद्रमा: मन के कारक चंद्रमा के कमज़ोर होने पर जातक कफ, मूत्र, नासिका और मानसिक रोगों आदि का शिकार हो जाता है।

मंगल ग्रह: मंगल देव के अशुभ होने पर व्यक्ति के कान, शारीरिक शक्ति, साहस, धैर्य एवं पित्त आदि पर प्रभाव पड़ता है। इनकी शुभ स्थिति से जातक के शरीर की हड्डियां मज़बूत होती हैं।  

बुध ग्रह: बुध महाराज की दुर्बलता के कारण व्यक्ति की वाणी, जिह्वा, केश, मुंह और हाथ आदि से जुड़ी समस्याएं जन्म लेती हैं। 

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बृहस्पति ग्रह: गुरु देव की अशुभ स्थिति से व्यक्ति को मोटापे, उदर, रक्त, धमनी, और कफ आदि से संबंधित रोग परेशान कर सकते हैं। 

शुक्र ग्रह: कुंडली में शुक्र देव के अशुभ या दुर्बल होने पर जातक को नेत्र, स्वर, गर्भाशय और जननेंद्रिय आदि से जुड़ी समस्याएं बनी रहती हैं। 

शनि ग्रह: अगर कुंडली में शनि महाराज कमज़ोर होते हैं, तो व्यक्ति को हड्डियों के जोड़, पैर और घुटने की परेशानी रह सकती हैं। 

राहु: कुंडली में राहु की अशुभता जातक के रक्त, त्वचा, वात और  मस्तिष्क आदि को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। 

केतु: जिन लोगों की कुंडली में केतु अशुभ स्थिति में होता है, उन्हें चर्म, रक्त और वात से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।  

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स्वास्थ्य राशिफल 2025: सभी 12 राशियों के लिए स्वास्थ्य राशिफल 

मेष राशि

मेष राशि के जातकों की बात करें तो साल की शुरुआत से लेकर मार्च तक शनि ग्रह आपके लाभ भाव….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

वृषभ राशि 

राशि चक्र की दूसरी राशि की बात करें तो मार्च के बाद शनि का गोचर आपके लाभ भाव में….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

मिथुन राशि 

राशि चक्र की तीसरी राशि मिथुन की बात करें तो इस साल बृहस्पति का गोचर स्वास्थ्य….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

कर्क राशि 

राशि चक्र की चौथी राशि की बात करें तो साल की शुरुआत से लेकर मार्च के महीने तक इस अवधि….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

सिंह राशि 

अब बात करें राशि चक्र की पांचवी राशि की तो इस वर्ष आपको अपने स्वास्थ्य के प्रति….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

कन्या राशि 

बात करें राशि चक्र की छठी राशि कन्या राशि की तो स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से यह साल थोड़ा कमजोर….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

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तुला राशि 

बात करें तुला राशि की तो जनवरी से लेकर मई के मध्य तक बृहस्पति का गोचर अष्टम….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के जातकों की बात करें तो मार्च के महीने तक शनि का गोचर आपके स्वास्थ्य….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

धनु राशि 

धनु राशि के जातकों की बात करें तो साल की शुरुआत से मार्च तक का समय स्वास्थ्य के लिए अनुकूल….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

मकर राशि 

मकर राशि के जातकों के स्वास्थ्य की बात करें तो वर्ष 2025 में आपको अच्छे परिणाम प्राप्त….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

कुंभ राशि 

अब बात करें कुंभ राशि के जातकों के स्वास्थ्य की तो स्वास्थ्य राशिफल 2025 के अनुसार जनवरी….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

मीन राशि

अंत में बात करें मीन राशि के जातकों के स्वास्थ्य की 2025 स्वास्थ्य राशिफल के अनुसार यह साल सेहत….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

बुद्धि और वाणी का कारक कौन सा ग्रह है?

ज्योतिष में ग्रहों के राजकुमार को बुद्धि और संचार कौशल के कारक ग्रह माना जाता है।

तुला राशि वालों का स्वास्थ्य 2025 में कैसा रहेगा?  

स्वास्थ्य राशिफल 2025 के अनुसार, वर्ष 2025 में तुला राशि वाले अपने स्वास्थ्य के प्रति सावधानी बरतकर सेहत का आनंद ले सकेंगे। 

सूर्य मानव शरीर में किसके कारक हैं? 

ग्रहों के राजा सूर्य मानव शरीर में आयु, सिर, हृदय, रख, प्राण और पित्त को नियंत्रित करते हैं। 

 

बुध धनु राशि में अस्‍त : देश-दुनिया समेत राशियों पर क्‍या पड़ेगा प्रभाव!

वैदिक ज्‍योतिष में बुध ग्रह बुद्धि, तार्किक क्षमता, समझने की शक्‍ति, अपने विचारों को व्‍यक्‍त करने की क्षमता और संचार कौशल को दर्शाते हैं। बुध को एक तटस्‍थ या स्थिर ग्रह के रूप में देखा जाता है। बुध बुद्धि, वाणी, व्‍यापार और यात्रा के कारक हैं। इसके अलावा इस ग्रह को नवग्रहों में राजकुमार की उपाधि दी गई है और इसे किशोर माना जाता है। इस वजह से जिन लोगों पर बुध का प्रभाव होता है, वे अक्‍सर अपनी उम्र से अधिक युवा दिखाई देते हैं।

इसके अलावा ज्‍योतिषियों के अनुसार बुध या तो सूर्य के समान भाव में रहता है या डिग्री में इसके नज़दीक रहता है। चंद्र राशि के आधार पर, इस ब्‍लॉग में बताया गया है कि 18 जनवरी, 2025 को बुध के धनु राशि में अस्‍त होने का लोगों के व्‍यापार, करियर, शिक्षा, प्रेम जीवन और पारिवारिक जीवन आदि पर क्‍या प्रभाव पड़ेगा। साथ ही जानेंगे बुध के सकारात्‍मक प्रभाव को बढ़ाने वाले ज्‍योतिषीय उपायों के बारे में।

बुध के धनु राशि में अस्‍त होने के दौरान कुल सात राशियों के जातकों को सावधान रहने की ज़रूरत है। आगे इन राशियों के बारे में विस्‍तार से बताया गया है लेकिन उससे पहले यह जान लीजिए कि बुध 18 जनवरी को किस समय पर धनु राशि में अस्‍त हो रहे हैं।

बुध धनु राशि में अस्‍त: समय

बुध बहुत कम समय के लिए किसी एक राशि में गोचर करते हैं और वह लगभग 23 दिनों के अंदर ही राशि परिवर्तन कर लेते हैं। अब 18 जनवरी, 2025 को सुबह 06 बजकर 54 मिनट पर बुध ग्रह धनु राशि में अस्‍त होने जा रहे हैं। तो चलिए अब जानते हैं कि बुध के धनु राशि में अस्‍त होने का राशियों और देश-दुनिया पर क्‍या प्रभाव देखने को मिलेगा।

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बुध धनु राशि में अस्‍त: विशेषताएं

बुध ग्रह के धनु राशि में अस्‍त होने का मतलब है कि वह सूर्य से बहुत नज़दीक यानी 8 से 10 डिग्री के अंदर हैं। सूर्य ग्रह का बुध पर शक्‍तिशाली प्रभाव पड़ने की वजह से बुध की ऊर्जा कमज़ोर या क्षीण हो जाती है। ज्योतिष में ग्रह की अस्त अवस्था वह प्रक्रिया है जब कोई ग्रह अपनी सारी शक्तियों को खो बैठता हैं। साथ ही, ग्रह कमजोर और शक्तिहीन हो जाते हैं।

धनु राशि विस्‍तार और साहसिक ऊर्जा का प्रतीक है जबकि बुध ग्रह संचार कौशल और बौद्धिक क्षमता के कारक हैं। धनु राशि में बुध के अस्‍त होने पर इन गुणों का मेल होता है। जब सूर्य का प्रभाव बुध पर हावी हो जाता है, तब कभी-कभी इन गुणों में टकराव देखा जा सकता है या इन्‍हें नियंत्रित करना मुश्किल हो सकता है। इस स्थिति में व्‍यक्‍ति के पास ऊंचे विचार और ज्ञान पाने की ललक होती है लेकिन उसे स्‍पष्‍टता, फोकस और खुद को प्रभावी रूप से व्‍यक्‍त करने के मामले में संघर्ष करना पड़ सकता है। धैर्य विकसित कर के और अपने संचार कौशल में निखार लाकर इन चुनौतियों को पार किया जा सकता है।

बुध के धनु राशि में अस्‍त होने की निम्‍नलिखित विशेषताएं हैं:

बौद्धिक स्‍तर पर संघर्ष और स्‍पष्‍टता

  • बुध ग्रह बुद्धि, संचार और सीखने का कारक हैं जबकि धनु राशि का संबंध उच्‍च ज्ञान, दर्शनशास्‍त्र और व्‍यापक सोच से है। हालांकि, धनु राशि में बुध के अस्‍त होने पर दार्शनिक या जटिल विचारों को समझने या स्‍पष्‍ट रूप से व्‍यक्‍त करने में कमी हो सकती है। व्‍यक्‍ति को अपने ऊंचे विचारों को स्‍पष्‍ट रूप से व्‍यक्‍त करने में दिक्‍कत हो सकती है।
  • ज्‍यादा सोचना या सरल बना देना: इस स्थिति में व्‍यक्‍ति की विचारों को अधिक जटिल बनाने की प्रवृत्ति हो सकती है या फिर वह महत्‍वपूर्ण मामलों को बहुत ज्‍यादा सरल बना सकता है जिससे छोटी-छोटी बारीकियों के छूटने का डर रहता है।

आवेग में आकर बात करना

  • धनु अग्नि तत्‍व की राशि है और इसे सीधी बात करने और आवेगशीलता के लिए जाना जाता है। बुध के इस राशि में अस्‍त होने पर व्‍यक्‍ति बेबाक और सहज होकर बात करता है या लापरवाह तरीके से बात कर सकता है। ये परिणाम के बारे में सोचे बिना बात कर सकते हैं जिसकी वजह से कभी-कभी गलतफहमियां या मतभेद होने का डर रहता है।
  • आशावादी लेकिन अस्थिर: इनकी बातें आशावादी और उत्‍साहित हो सकती हैं लेकिन इनके विचारों में अनुरूपता की कमी देखी जा सकती है।

ध्‍यान लगाने में दिक्‍कत

  • धनु राशि के जातकों की रोमांच और खोज करने की इच्‍छा की वजह से अक्‍सर इनका स्‍वभाव अस्‍त-व्‍यस्‍त और विचलित होता है। बुध के अस्‍त होने पर इस ऊर्जा के कारण किसी काम पर फोकस बनाए रखने में दिक्‍कतें आ सकती हैं।
  • सीखने को लेकर अधीरता: इनकी किसी एक काम को पूरा किए बिना या उसमें महारत हासिल किए बिना दूसरे विचार या विषय पर चले जाने की प्रवृत्ति हो सकती है।

अधिकार या पारंपरिक ज्ञान को लेकर संघर्ष

  • धनु राशि आत्‍मनिर्भरता और प्रतिबंधों से मुक्‍ति पाने की इच्‍छा का प्रतीक है। इस राशि में बुध के अस्‍त होने पर व्‍यक्‍ति को संचार के पारंपरिक रूपों या ज्ञान के स्‍थापित नियमों का सम्‍मान करने में दिक्‍कत हो सकती है। ये पारंप‍रिक ज्ञान को पूरी तरह से समझे बिना उस पर सवाल उठा सकते हैं या उसे अस्‍वीकार कर सकते हैं।
  • संरचित शिक्षा से संबंधित चुनौतियां: इस स्थिति में जातक को औपचारिक शिक्षा या संरचित माहौल प्रतिबंधित करने वाला लग सकता है और उन्‍हें शिक्षा के पारंपरिक माहौल में संघर्ष करना पड़ सकता है।

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बुध धनु राशि में अस्‍त: विश्‍व पर प्रभाव

सरकारी और अंतर्राष्‍ट्रीय संबंध

  • भारत और अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर लाभ की औसत संभावनाएं नज़र आ रही हैं।
  • बुध के अस्‍त होने पर भारत समेत विश्‍व की अन्‍य महाशक्‍तियों को धन की हानि होने की आशंका है।
  • पड़ोसी देशों के संबंध और बातचीत में कमी आ सकती है और इसकी वजह से कई अवसर छूट सकते हैं।
  • विश्‍व स्‍तर पर बुध के अस्‍त होने का कनाडा और यूके जैसे देशों के व्‍यापार पर नकारात्‍मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • इस दौरान प्रमुख देशों के बीच कोई निर्णय लेना प्रतिकूल साबित हो सकता है और इसके परिणामस्‍वरूप प्रमुख देशों के संबंध खराब या टूट सकते हैं।

व्‍यापार, सूचना प्रौद्योगिकी और मीडिया

  • सॉफ्टवेयर, दूरसंचार और नेटवर्किंग जैसे क्षेत्रों में मंदी आ सकती है और इस वजह से इन क्षेत्रों में समस्‍याएं और नुकसान देखने को मिल सकता है।
  • बुध के अस्‍त होने पर नेटवर्किंग, परिवहन और सॉफ्टवेयर क्षेत्रों में भी समस्‍याओं के आने की आशंका है।
  • इस समय व्यापार में मंदी या घाटा होने के संकेत हैं।

गूढ़ विज्ञान और अध्‍यात्‍म

  • इस दौरान गूढ़ विज्ञान आदि क्षेत्र खूब फल-फूलेंगे।
  • चूंकि, बुध बृहस्‍पति की राशि धनु में अस्‍त होने जा रहे हैं इसलिए इस समय ज्‍योतिषी, आकाशिक रीडर, टैरो रीडर को आलोचनाओं का सामना करना पड़ सकता है।

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बुध धनु राशि में अस्‍त: स्‍टॉक मार्केट पर असर

  • शेयर मार्केट रिपोर्ट के अनुसार मीडिया और प्रसारण, दूरसंचार और अस्‍पताल प्रबंधन के क्षेत्र अच्‍छा प्रदर्शन करेंगे।
  • बुध के धनु राशि में अस्‍त होने पर ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन के उद्योगों के कारोबार में गिरावट देखने को मिल सकती है।
  • इस समय संस्‍थानों, आयात और निर्यात सभी क्षेत्र समृद्ध होंगे।
  • फार्मास्‍यूटिकल और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों के मज़बूत प्रदर्शन करने के संकेत हैं।
  • रिसर्च एंड डेवलपमेंट के क्षेत्र भी प्रगति देखने को मिलेगी।

बुध धनु राशि में अस्‍त: इन राशियों को होगा नुकसान

मेष राशि

मेष राशि के तीसरे और छठे भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं और अब धनु राशि में अस्‍त होने के दौरान वे आपके नौवें भाव में रहेंगे। इस दौरान मेष राशि के जातकों को अपने पिता और सलाहकार का मार्गदर्शन मिलेगा।

आप अपने एडवांस कोर्स को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे लेकिन बुध के अस्‍त होने के दौरान आपको इसमें सफलता मिल पाने की संभावना कम ही है। लंबी दूरी की यात्रा या तीर्थयात्राओं में बाधाएं आने की आशंका है। आप अपने अच्‍छे कर्मों को बढ़ाने का प्रयास करेंगे और इसके साथ ही आपका रुझान आध्‍यात्मिक मार्ग की ओर भी बढ़ेगा लेकिन हो सकता है कि आप इस समयावधि में आध्‍यात्मिक मार्ग पर चलने में सक्षम न हों। बुध की आपके तीसरे घर पर पड़ रही दृष्टि की वजह से आपकी अपने छोटे भाई-बहनों के साथ बहस हो सकती है।

मेष राशिफल 2025

मिथुन राशि

मिथुन राशि के पहले और चौथे भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं और अब वह आपके सातवें भाव में अस्‍त होने जा रहे हैं। बुध के चौथे भाव के स्‍वामी होने के कारण विवाहित जातकों को अपने जीवनसाथी के साथ रिश्‍ते में कुछ समस्‍याओं का सामना करना पड़ सकता है। आप और आपका पार्टनर घर में शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखने में असमर्थ हो सकते हैं।

यदि आप वाहन या प्रॉपर्टी खरीदना चाहते हैं, तो इसके लिए यह सही समय नहीं है। चूंकि, बुध ग्रह व्‍यापार के कारक हैं इसलिए बुध के धनु राशि में अस्‍त होने के दौरान आपको किसी नई बिज़नेस डील पर भी हस्‍ताक्षर करने से बचना चाहिए। यह आपकी नई कंपनी के लिए भी अच्‍छा रहेगा।

 मिथुन राशिफल 2025 

सिंह राशि

सिंह राशि के जातकों के लिए बुध दूसरे और ग्‍यारहवें भाव के स्‍वामी हैं और अब वह आपके पांचवे भाव में अस्‍त होने जा रहे हैं। आपको अपनी या अपनी संतान की शिक्षा और विकास को लेकर धन निवेश करने की ज़रूरत हो सकती है। पांचवां भाव सट्टेबाज़ी और स्‍टॉक मार्केट को भी दर्शाता है। बुध के अस्‍त होने के दौरान आपको बड़े निवेशों पर धन हानि होने की आशंका है इसलिए आप निवेश करते समय सावधानी बरतें।

चूंकि, बुध बुद्धि के कारक हैं इसलिए छात्रों को इस समयावधि में ध्‍यान लगाकर पढ़ाई करने में दिक्‍कत आ सकती है। धनु राशि में बुध के अस्‍त होने से खासतौर पर बुध से संबंधित पाठ्यक्रमों जैसे कि लेखन, गणित, मास कम्‍युनिकेशन और अन्‍य किसी भाषा की पढ़ाई कर रहे छात्रों की सीखने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। आपको कोर्स को पूरा या शुरू करने में अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है।

सिंह राशिफल 2025

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बुध धनु राशि में अस्‍त: इन राशियों को होगा लाभ

वृषभ राशि

वृषभ राशि के दूसरे और पांचवे भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं और अब वह आपके आठवें भाव में अस्‍त होने जा रहे हैं। वृषभ राशि के जातकों के लिए यह समय अनुकूल नहीं रहने वाला है। कुंडली के अष्‍टम भाव का संबंध अचानक होने वाली घटनाओं और बदलावों से होता है।

मुमकिन है कि अचानक से आपकी नौकरी छूट जाए या जिस प्रमोशन की आप उम्‍मीद कर रहे थे, वो आपको न मिल पाए। इसके अलावा आपको पैसे मिलने में देरी हो सकती है या आपको अचानक से वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

वृषभ राशिफल 2025

कर्क रा‍शि

कर्क राशि के छठे भाव में बुध अस्‍त होने जा रहे हैं एवं इस राशि के तीसरे और बारहवें भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं। बारहवें भाव के स्‍वामी के छठे भाव में होने पर आपको कानूनी मसलों और बिल आदि को लेकर समस्‍याएं, देरी या निराशा होने की आशंका है। इस प्रकार यह समय आपके लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

अगर आपने कर्ज़ लिया हुआ है, तो इस समय इसे न चुका पाने की वजह से आप परेशानी में पड़ सकते हैं। आपके खर्चों में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। इस वजह से आप उलझन में पड़ सकते हैं और आपको यह समझ नहीं आ पाएगा कि आपको क्‍या करना चाहिए।

कर्क राशिफल 2025

बुध के धनु राशि में गोचर करने पर करें ये उपाय

  • बुध ग्रह की पूजा करने का सबसे बेहतरीन तरीका है भगवान बुध के ‘ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:’ मंत्र का जाप करना।
  • बुध को शांत करने के लिए आप तोते, कबूतर और अन्‍य पक्षियों को दाना दे सकते हैं।
  • बुध के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए नियमित रूप से खुद भोजन करने से पहले गाय को चारा खिलाएं।
  • हरी सब्जियां जैसे कि पालक और अन्‍य पत्तेदार सब्जियां खासतौर पर गरीब बच्‍चों को खिलाएं या उन्‍हें दान में दें।
  • भीगी हुई हरी मूंग की दाल पक्षियों को खिलाने से भी कुंडली में बुध की स्थिति मज़बूत होती है।

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अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

प्रश्‍न 1. ग्रह के अस्‍त होने का क्‍या मतलब है?

उत्तर. जब कोई ग्रह सूर्य से कुछ अंश की दूरी पर आ जाता है, तब उसे अस्‍त माना जाता है।

प्रश्‍न 2. क्‍या बुध अक्‍सर अस्‍त होता रहता है?

उत्तर. हां, सूर्य के नज़दीक होने के कारण बुध अस्‍त होता रहता है।

प्रश्‍न 3. क्‍या धनु राशि में बुध सहज होता है?

उत्तर. हां, ज्‍यादातर समय बुध धनु राशि में सहज होता है।

शनि देव की राशि में आएंगे सूर्य, इन राशियों को होगा लाभ और इन्हें रहना होगा सावधान!

सूर्य का मकर राशि में गोचर: सूर्य देव को ज्योतिष में नवग्रहों के जनक का दर्जा प्राप्त है क्योंकि यह पूरी दुनिया में ऊर्जा का एकमात्र स्रोत है। सनातन धर्म में सूर्य देव ऐसे देवता हैं जो अपने भक्तों को साक्षात दर्शन देते हैं। आत्मा के कारक सूर्य ग्रह का राशि परिवर्तन हर महीने होता हैं इसलिए सूर्य गोचर को महत्वपूर्ण माना जाता है। अब नए साल अर्थात वर्ष 2025 में सूर्य का मकर राशि में गोचर होने जा रहा है। सूर्य देव का यह गोचर देश-दुनिया सहित सभी 12 राशियों को प्रभावित करेगा। एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम सूर्य गोचर का समय व इसके प्रभावों के बारे में विस्तार से बात करेंगे। साथ ही, सूर्य का मकर राशि में गोचर से मिलने वाले नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए सरल उपायों भी बताएंगे, इसलिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ना जारी रखें। 

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भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके 

ऐसे में, अगर आपके मन में सवाल उठ रहे हैं कि सूर्य का मकर राशि में गोचर किन राशियों के लिए शुभ और किन राशियों के लिए अशुभ रहेगा? करियर, प्रेम, विवाह और व्यापार आदि क्षेत्रों में आपको कैसे परिणाम मिलेंगे? इन सभी सवालों के जवाब मिलेंगे आपको हमारे इस विशेष ब्लॉग में। तो चलिए बिना देर किये शुरुआत करते हैं और सबसे पहले जानते हैं सूर्य गोचर का समय और तिथि। 

सूर्य का मकर राशि में गोचर: तिथि व समय

ज्योतिष में सूर्य और शनि दोनों को विशेष स्थान प्राप्त है जहाँ सूर्य देव ग्रहों के राजा हैं, तो वहीं शनि देव न्याय के देवता है। सबसे महत्वपूर्ण बात भगवान शनि के पिता सूर्य देव हैं और ऐसे में, अगले एक महीने पिता सूर्य अपने पुत्र की राशि मकर में रहेंगे। बता दें कि सूर्य ग्रह 14 जनवरी 2025 की सुबह 08 बजकर 41 मिनट पर मकर राशि में गोचर कर जाएंगे। इनके मकर में प्रवेश के साथ ही शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे। सूर्य के इस गोचर का सभी राशियों पर अलग-अलग असर देखने को मिलेगा। चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और नज़र डालते हैं सूर्य के महत्व पर। 

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ज्योतिष की दृष्टि से सूर्य 

वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह को आत्मा, पिता और सरकार का कारक माना गया है। यह आपके बाहरी स्वरूप का प्रतिनिधित्व करते हैं। सामान्य शब्दों में कहें तो, दुनिया के सामने आप खुद को कैसे प्रस्तुत करते हैं और आपका व्यवहार दूसरों से कैसे आपको अलग बनाता है। राशि चक्र में सूर्य को सिंह राशि पर स्वामित्व प्राप्त हैं और यह कभी अस्त, मार्गी या वक्री नहीं होते हैं। इन्हें एक राशि से दूसरी राशि में जाने में एक महीने का समय लगता है और इस प्रकार, सूर्य देव राशि चक्र का अपना एक चक्र एक साल में पूरा करते हैं। सूर्य ग्रह पुरुषों की कुंडली में पिता और महिलाओं की कुंडली में पति और बालक का प्रतिनिधित्व करते हैं।    

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कुंडली में सूर्य की स्थिति का प्रभाव 

जिन लोगों की कुंडली में सूर्य ग्रह की स्थिति मजबूत होती है, उनका भाग्य उदय होता है। ऐसे लोग जीवन में मान-सम्मान प्राप्त करते हैं। साथ ही, इन लोगों को राजनीति और बिजनेस के क्षेत्र में अपार सफलता मिलती है और यह ऊंचे पद हासिल करने में सक्षम होते हैं। इसके विपरीत, यदि कुंडली में सूर्य की दशा प्रतिकूल होती है, तो व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष निर्मित होता है। 

कमज़ोर सूर्य के लक्षण 

  • कमज़ोर सूर्य के कारण जातक कानूनी मामलों में फंस सकता है।
  • कुंडली में सूर्य के दुर्बल होने पर व्यक्ति को पिता और गुरु का साथ मिलने में समस्याएं आती हैं। 
  • अगर सूर्य देव लग्न भाव में बैठे होते हैं, तो व्यक्ति को स्वास्थ्य समस्याएं परेशान करती हैं। 
  • आपको जीवन में अहंकार की वजह से परेशानी का सामना करना पड़ता है।
  • सूर्य के कमज़ोर होने पर व्यक्ति को गठिया रोग और हड्डियों से जुड़ी समस्याएं रहती हैं। 

सूर्य गोचर के दौरान करें ये उपाय 

  •  रविवार के दिन स्नान करने के पश्चात लाल रंग के वस्त्र धारण करें और सूर्य देव को लाल फूल, लाल चंदन और अक्षत मिलाकर जल चढ़ाएं।
  • सूर्य ग्रह के लिए “ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:” मंत्र का जाप करें।
  • संभव हो, तो रविवार के दिन नमक का सेवन न करें। साथ ही, खाने में सिर्फ दलिया, दूध, चीनी, दही और गेहूं की रोटी का सेवन करें।
  • सूर्य ग्रह के लिए रविवार को व्रत रखें।
  • सूर्य देव को मजबूत करने के लिए लाल या पीले रंग के वस्त्र, तांबा, गेहूं, माणिक्य, मसूर दाल और लाल कमल का दान करें।।

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कुंडली के 12 भावों में सूर्य का प्रभाव 

प्रथम/लग्न भाव: लग्न भाव में सूर्य के होने से जातकों का स्वभाव स्पष्ट होता है और वह अपने छोटे भाई-बहनों के लिए भाग्यशाली होते हैं। 

दूसरा भाव: कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य की मौजूदगी आपको धनवान बनाती है, लेकिन इसके लिए आपको ईश्वर में विश्वास करने वाला होना चाहिए।

तीसरा भाव: सूर्य के तीसरे भाव में बैठे होने से व्यक्ति आकर्षक और साहसी होता है। ऐसे में, आप मुश्किल काम को आसानी से कर लेते हैं। 

चौथे भाव: जिन जातकों की कुंडली में सूर्य देव चौथे भाव में होते हैं, वह आर्थिक रूप से संपन्न होता है और बचत करना पसंद करता है। 

पांचवें भाव: पांचवें भाव में बैठे सूर्य आपको बुद्धिमान बनाने के साथ-साथ क्रोधी स्वभाव का बना सकते हैं। 

छठे भाव:कुंडली के छठे भाव में उपस्थित सूर्य देव की वजह से आपका स्वभाव कठोर होता है और आप अपने शत्रुओं को परास्त करने में सक्षम होते हैं। 

सातवें भाव: ऐसे जातक जिनकी कुंडली में सातवें भाव में सूर्य विराजमान होते हैं, वह बहुत स्वाभिमानी होते हैं जिसके चलते लोग उन्हें अक्सर घमंडी समझ लेते हैं।

आठवें भाव: सूर्य आठवें भाव में आपको अच्छे परिणाम देने के साथ-साथ आपकी समस्याएं भी बढ़ा सकते हैं। साथ ही, ऐसे जातक आर्थिक रूप से मजबूत होते हैं। 

नौवें भाव: नौवें भाव में बैठे सूर्य आपसे लंबी यात्राएं करवा सकते हैं। इनका स्वभाव परोपकारी होता है और यह परिवार से बेहद प्रेम करने वाले होते हैं। 

दसवें भाव: कुंडली के दसवें भाव में मौजूद सूर्य के प्रभाव से जातक बुद्धिमान, प्रसिद्ध और विद्वान बनता है। साथ ही, आप आत्मविश्वास से भरे अमीर इंसान होते हैं। 

ग्यारहवें भाव: ग्यारहवें भाव में उपस्थित सूर्य आपको धनवान और मज़बूत बनाने के साथ-साथ सुखी जीवन भी प्रदान करते हैं। 

बारहवें भाव: जिन लोगों के बारहवें भाव में सूर्य स्थित होते हैं, उन्हें सूर्य ग्रह कमज़ोर परिणाम दे सकते हैं। साथ ही, यह जातक रसायन या मनोविज्ञान के क्षेत्र में करियर बनाते हैं। 

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सूर्य का मकर राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय 

मेष राशि

मेष राशि के जातकों की कुंडली में सूर्य देव पांचवें भाव के स्वामी हैं जो अब आपके दसवें… (विस्तार से पढ़ें) 

वृषभ राशि

वृषभ राशि वालों के लिए सूर्य महाराज आपके चौथे भाव के स्वामी हैं और अब यह आपके…(विस्तार से पढ़ें)

मिथुन राशि

मिथुन राशि के जातकों के लिए सूर्य ग्रह आपके तीसरे भाव के स्वामी हैं जो अब … (विस्तार से पढ़ें)

कर्क राशि

कर्क राशि के जातकों के लिए सूर्य देव आपके दूसरे भाव के स्वामी हैं और अब यह आपके सातवें… (विस्तार से पढ़ें)

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सिंह राशि

सिंह राशि वालों की कुंडली में सूर्य ग्रह आपके लग्न भाव के स्वामी हैं जो कि अब आपके…(विस्तार से पढ़ें) 

कन्या राशि

कन्या राशि के जातकों की कुंडली में सूर्य महाराज आपके बारहवें भाव के स्वामी हैं और अब…(विस्तार से पढ़ें)

तुला राशि

तुला राशि वालों के लिए सूर्य महाराज आपके ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं और अब यह आपके चौथे… (विस्तार से पढ़ें) 

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि वालों के लिए सूर्य ग्रह आपके दसवें भाव के स्वामी हैं जो अब आपके… (विस्तार से पढ़ें) 

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धनु राशि 

धनु राशि के जातकों के लिए सूर्य ग्रह नौवें भाव के स्वामी हैं और अब यह गोचर करके आपके…(विस्तार से पढ़ें)

मकर राशि

मकर राशि वालों के लिए सूर्य देव आपके आठवें भाव के स्वामी हैं जो अब आपके लग्न…(विस्तार से पढ़ें)

कुंभ राशि

कुंभ राशि के जातकों के लिए सूर्य महाराज आपके सातवें भाव के अधिपति देव हैं और अब यह…(विस्तार से पढ़ें)

मीन राशि

मीन राशि वालों के लिए सूर्य देव आपके छठे भाव के स्वामी हैं और अब यह आपके ग्यारहवें भाव में… (विस्तार से पढ़ें)

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

खरमास कब ख़त्म होगा?

वर्ष 2025 में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही खरमास का अंत हो जाएगा। 

सूर्य किस राशि के स्वामी हैं?

राशि चक्र में सूर्य देव सिंह राशि के स्वामी माने गए हैं। 

मकर राशि किसकी है?

मकर राशि का आधिपत्य शनि ग्रह को प्राप्त हैं। 

कब है मकर संक्रांति 2025 में? जानें तिथि एवं दान-स्नान का मुहूर्त!

हिंदू धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक है मकर संक्रांति का त्योहार और नए साल की शुरुआत में इस पर्व को बेहद धूमधाम से मनाया जाता है। सामान्य रूप से लोहड़ी के अगले दिन मकर संक्रांति आती है और इनके साथ ही नए साल में त्योहारों का आगाज़ हो जाता है। मकर संक्रांति धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से विशेष मानी गई है जो सर्दी के अंत और गर्मी की शुरुआत का प्रतीक है।  इस पर्व को देशभर में अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। साथ ही, इस दिन गंगा स्नान और दान का अत्यधिक महत्व बताया गया है। हालांकि, हर साल मकर संक्रांति की तिथि को लेकर थोड़ी कन्फूयजन देखने को मिलती है। एस्ट्रोसेज एआई के इस ब्लॉग में आपको मकर संक्रांति से जुड़ी समस्त जानकारी प्राप्त होगी और इस दिन किये जाने वाले राशि अनुसार दान के बारे में भी आपको बताएंगे, तो आइए शुरुआत करते हैं इस लेख की।

यह भी पढ़ें: राशिफल 2025

भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके 

लोहड़ी के दूसरे दिन मकर संक्रांति को पूरे देश में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। साथ ही, यह पर्व भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है जैसे कि पोंगल, उत्तरायण, टिहरी, खिचड़ी आदि। मकर संक्रांति से प्रकृति में परिवर्तन आने लगते हैं और दिन बड़े होने लगते हैं जबकि रातें छोटी होने लगती हैं। प्रत्येक वर्ष जब भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि देव की मकर राशि में प्रवेश करते हैं, इसलिए इसे मकर संक्रांति कहा जाता है। हालांकि, हर साल कुल 12 संक्रांति तिथि आती है जिसमें से मकर संक्रांति को सबसे शुभ माना जाता है। चलिए बिना देर किये आगे बढ़ते हैं और सबसे पहले जानते हैं मकर संक्रांति की तिथि और मुहूर्त। 

मकर संक्रांति 2025: तिथि एवं पूजा मुहूर्त 

पंचांग के अनुसार, पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मकर संक्रांति के त्योहार के रूप में मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, यह पर्व जनवरी के महीने में पड़ता है। हिंदू धर्म के अन्य त्योहारों की तरह ही इसे चंद्रमा की स्थिति के आधार पर मनाया जाता है। बता दें कि सूर्य महाराज 14 जनवरी 2025 की सुबह 08 बजकर 41 मिनट पर मकर राशि में गोचर कर जाएंगे। इसी के साथ, खरमास का अंत हो जाएगा और शुभ कार्यों का पुनः आरंभ हो जाएगा। 

मकर संक्रांति 2025 की तिथि: 14 जनवरी, 2025, मंगलवार

मकर संक्रांति पुण्य काल मुहूर्त : सुबह 08 बजकर 40 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक 

अवधि: 3 घंटे 49 मिनट

महापुण्य काल मुहूर्त: सुबह 08 बजकर 40 मिनट से 09 बजकर 04 मिनट तक

अवधि: 0 घंटे 24 मिनट

संक्रांति का क्षण: सुबह 08 बजकर 40 मिनट  

मकर संक्रांति पर गंगा स्नान का मुहूर्त: सुबह 09 बजकर 03 मिनट से सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक 

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मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व 

मकर संक्रांति को सनातन धर्म का प्रमुख पर्व माना जाता है और इस दिन दान एवं पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ होता है। इस पर्व से जुड़ी पौराणिक मान्यता है कि सूर्य देव मकर संक्रांति के दिन अपने रथ से खर अर्थात गधे को निकालकर दोबारा सात घोड़ों पर सवार हो जाते हैं और एक बार फिर अपने सात अश्वों के रथ पर सवार होकर चारों दिशाओं का भ्रमण करते हैं। इस दौरान से सूर्य के प्रभाव एवं चमक में वृद्धि होती है। 

कहते हैं कि मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर सभी देव धरती पर आते हैं और आत्माओं को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से भगवान सूर्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही, मकर संक्रांति पर उड़द दाल की खिचड़ी खाने के साथ-साथ दान करने से जातक पर भगवान सूर्य और शनि देव की कृपा बनी रहती है। ऐसा करने से शनि दोष का निवारण हो जाता है और खिचड़ी का भोग लगाना भी शुभ रहता है।

ज्योतिषीय दृष्टि से मकर संक्रांति 

ज्योतिष में सूर्य देव को ग्रहों के राजा कहा जाता है और इन्हें सभी ग्रहों का अधिपति माना गया है। वर्ष में एक बार मकर संक्रांति के दिन सूर्य महाराज अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए उनके घर जाते हैं। सामान्य शब्दों में कहें तो, सूर्य का गोचर मकर राशि में होता है और मकर राशि के स्वामी शनि देव हैं। ऐसे में, मकर राशि में सूर्य के प्रभाव से सभी तरह की नकारात्मकता का नाश हो जाता है। 

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मकर संक्रांति से शुरू हो जाएंगे शुभ कार्य 

सूर्य के धनु राशि में प्रवेश के साथ ही खरमास लग जाता है और इस प्रकार, एक माह तक शुभ कार्य वर्जित होते हैं। ऐसे में, सूर्य के मकर राशि में गोचर के साथ ही खरमास समाप्त हो जाएगा। एक बार फिर से शुभ एवं मांगलिक कार्यों जैसे कि शादी-विवाह, सगाई, गृह प्रवेश और मुंडन आदि कार्य किये जा सकेंगे। 

मकर संक्रांति पर मनाये जाने वाले प्रसिद्ध त्योहार 

जनवरी में आने वाले पर्व मकर संक्रांति के दिन अनेक त्योहार मनाए जाते हैं। कौन से हैं ये पर्व और कैसे मनाये जाते हैं, आइए जानते हैं। 

उत्तरायण: उत्तरायण भगवान सूर्य से संबंधित है और इस दिन सूर्य देव की पूजा का विधान है। यह पर्व मुख्य रूप से गुजरात में मनाया जाता है जहाँ इस दिन तरह-तरह की पतंगें उड़ाई जाती हैं। 

पोंगल: दक्षिण भारत का प्रमुख पर्व है पोंगल जो कि मुख्यतः केरल, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में मनाया जाता है। यह त्योहार किसानों से जुड़ा है क्योंकि इस दिन धान की कटाई के बाद लोग पोंगल को मनाते हैं। हालांकि, पोंगल में सूर्य और इंद्र देव की पूजा की जाती है और अच्छी फसल और बारिश के लिए भगवान के प्रति आभार प्रकट किया जाता है। यह पर्व लगातार तीन दिनों तक चलता है। 

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लोहड़ी: लोहड़ी का पर्व पंजाब में मनाया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण पर्व है और इसका संबंध पंजाबियों एवं सिख धर्म के लोगों से है। हालांकि, बदलते समय के साथ इसकी रौनक देश भर में देखने को मिलती है। इस दिन फसलों की कटाई की जाती है और रात को अग्नि जलाकर आसपास लोक गीत गाए जाते हैं। 

माघ या बिहू: असम में माघ बिहू को हर साल माघ माह में आने वाली संक्रांति से एक दिन पूर्व मनाया जाता है। असम में इस दौरान तिल, चावल, नारियल और गन्ने की अच्छी फसल होती है इसलिए इस मौके पर कई तरह के पकवान और व्यंजन बनाए जाते हैं। भोगली बिहू के दिन टेकली नामक एक खेल खेले जाने की भी परंपरा है। 

घुघुती: उत्तराखंड में मकर संक्रांति के दिन घुघुती त्योहार को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह प्रवासी पक्षियों के स्वागत का प्रतीक माना गया है और इस दिन लोग आटे और गुड़ की मिठाइयां बनाते हैं, फिर यह कौवों को खिलाते हैं। 

आइए अब हम आपको बताने जा रहे हैं मकर संक्रांति पर किए जाने वाले उपायों से। 

मकर संक्रांति पर जरूर करें ये उपाय 

  • मकर संक्रांति पर प्रातःकाल घर के मुख्य द्वार की सफाई करके दरवाजे के दोनों तरफ हल्दी का जल छिड़कना चाहिए। इसके पश्चात, सूर्य देव को प्रणाम करें। 
  • मकर संक्रांति के दिन गंगा जल से स्नान करने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है। साथ ही , इस अवसर पर घर के मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं को नए वस्त्र पहनाने चाहिए। 
  • मकर संक्रांति पर नमक, रुई, तेल, गर्म वस्त्र, तिल, चावल, आलू, गुड़ और धन आदि का दान गरीबों, जरूरतमंदों या फिर किसी ब्राह्मण को करना चाहिए।  

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मकर संक्रांति पर राशि अनुसार करें दान, सुख-समृद्धि का मिलेगा आशीर्वाद 

मेष राशि: मेष राशि के जातकों को मकर संक्रांति पर गुड़ और मूंगफली का दान करना चाहिए।

वृषभ राशि: मकर संक्रांति पर वृषभ राशि वाले सफेद तिल के लड्डू दान करें।

मिथुन राशि: मिथुन राशि के लोगों के लिए इस दिन हरी सब्जियों का दान करना शुभ रहेगा।

कर्क राशि: कर्क राशि वाले मकर संक्रांति पर चावल और उड़द की दाल दान करें।

सिंह राशि: सिंह राशि के जातकों को इस तिथि पर गुड़, शहद और मूंगफली का दान करना चाहिए।

कन्या राशि: मकर संक्रांति पर आप गरीब एवं जरूरतमंदों को मौसमी फलों और सब्जियों का दान करें।

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तुला राशि: मकर संक्रांति पर तुला राशि के लिए दही, दूध, सफेद तिल और चूड़ा दान करना श्रेष्ठ रहेगा।

वृश्चिक राशि: यह जातक इस अवसर पर चिक्की, शहद और गुड़ का दान करें।

धनु राशि: धनु राशि वालों को मकर संक्रांति पर केला, हल्दी और धन का दान करना चाहिए।

मकर राशि: इन लोगों के लिए मकर संक्रांति पर चावल और उड़द की दाल का दान करना सर्वश्रेष्ठ रहेगा।

कुंभ राशि: कुंभ राशि वालों को इस अवसर पर तिल, काले कंबल और गुड़ का दान करना चाहिए।

मीन राशि: मीन राशि के लोग मकर संक्रांति पर वस्त्र और धन का गरीब एवं जरूरतमंदों को दान करें।

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. लोहड़ी 2025 में कब है?

साल 2025 में लोहड़ी का पर्व 13 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा। 

2. सूर्य का मकर राशि में गोचर कब होगा?

मकर राशि में सूर्य देव 14 जनवरी 2025 को प्रवेश कर जाएंगे। 

3. खरमास कब खत्म होगा?

वर्ष 2025 में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही खरमास का अंत हो जाएगा यानी कि 14 जनवरी 2025 से शुभ कार्य किये जा सकेंगे।

महाकुंभ 2025 के दौरान जरूर करें ये उपाय, गंगा स्नान के समान मिलेगा पुण्य; ग्रह दोष भी होंगे दूर!

आस्था का पर्व कहे जाने वाले महाकुंभ का आरंभ पौष पूर्णिमा के साथ हो गया है। इस महाकुंभ में लाखों भक्त आस्था की डुबकी लगाएंगे। हालांकि, ज्योतिष शास्त्र में ऋषि-मुनियों ने अनेक वैदिक उपायों के बारे में बताया है जिसमें हवन, यज्ञ, दान, मंदिर जाना, औषधि, आयुर्वेद ज्ञान आदि शामिल हैं जिन्हें अपनाकर महाकुंभ स्नान के दौरान आप ग्रह दोष से मुक्ति पा सकते हैं। एस्ट्रोसेज एआई के इस लेख में हम आपको महाकुंभ मेला 2025 की तिथि और इस दौरान किये जाने वाले उपाय के बारे में बताएंगे। साथ ही जानेंगे, गंगा स्नान में राहु की भूमिका के विषय में। 

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महाकुंभ 2025: तिथि एवं समय 

भारतीय संस्कृति, आस्था और अध्यात्म का प्रतीक महाकुंभ का मेला उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी, 2025 से शुरू होकर 26 फरवरी 2025 को समाप्त होगा। महाकुंभ का मेला प्रत्येक  12 वर्ष में आयोजित किया जाता है जो कि प्रयागराज में संगम के किनारे आयोजित होता है जहां पर गंगा, यमुना और सरस्वती नदी का मिलन होता है। यहां हम आपको महाकुंभ के अलावा यह भी बताएंगे कि ज्योतिष के अनुसार राहु की स्थिति गंगा स्नान के लिए किस तरह शुभ होती है, आइए जानते हैं।   

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राहु की स्थिति गंगा स्नान के लिए होती है शुभ 

गंगा स्नान और राहु के संबंध में ज्योतिषी कहते हैं कि जब सूर्य या राहु दशम भाव में होते हैं, तब वह गंगा स्नान आयोजित हो सकता है। अब आप सोच रहे होंगे कि सूर्य एक सात्विक ग्रह है, लेकिन राहु जैसा पापी ग्रह कैसे गंगा स्नान के लिए जिम्मेदार हो सकता है। बता दें कि राहु के दशम भाव में होने पर गंगा स्नान करने से कष्ट कम होते हैं। ऐसे ही, राहु के द्वादश भाव और नवम भाव में स्थिति भी स्नान के महत्व को दर्शाती है जिसके अंतर्गत चंद्रमा स्नान भी आता है।

कुंभ मेला में स्नान का महत्व 

कुंभ के मेले में स्नान का क्या महत्व है? यह आप भी जानते होंगे कि इस दौरान धर्मगुरु, साधु और संत दूर-दूर से महाकुंभ में भाग लेने के लिए पहुंचते हैं और गंगा के पवित्र जल में तीन बार डुबकी लगाते हैं। ज्योतिष के आधार पर चंद्रमा, केतु, राहु, शनि के साथ हो या छठे,आठवें,बारहवें भाव में होता है या शकट योग या केमद्रुम योग होता है अर्थात चंद्रमा या नवम भाव से जुड़े जितने भी दोष होते हैं, वह स्नान के माध्यम से दूर हो सकते हैं, विशेषकर गंगा स्नान से।  

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महाकुंभ में गंगा स्नान से दूर होंगे कष्ट

महाकुंभ में किया गया गंगा स्नान न सिर्फ मनुष्य के पाप नष्ट करने की क्षमता रखता है, बल्कि ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव से भी मुक्ति प्रदान करता है। महाकुंभ स्नान से जातक के जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं और असीम पुण्य की प्राप्ति होती है। हालांकि, ग्रहों के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए औषधि स्नान भी फलदायी माना जाता है। अगर आप गंगा स्नान नहीं कर सकते हैं, तो इन उपायों को अपनाकर स्नान करके ग्रह दोष दूर कर सकते हैं। चलिए नज़र डालते हैं इन उपायों पर।

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महाकुंभ 2025 के दौरान ऐसे करें स्नान, ग्रह दोष से मिलेगी मुक्ति  

  • कुंडली में शुक्र देव के कमज़ोर होने पर नहाने के जल में इत्र डालकर स्नान करें। ऐसा करने से शुक्र का अशुभ प्रभाव कम होगा। 
  • जिन लोगों की कुंडली में चंद्र देव दुर्बल हैं, वह स्नान के जल में दूध मिलाकर नहाएं। 
  • ऐसे जातक जिनकी कुंडली में मंगल कमज़ोर हैं, उनके लिए मुल्तानी मिट्टी से स्नान करना फलदायी सिद्ध होगा। 
  • यदि आपकी कुंडली में चंद्रमा या नवम भाव से संबंधित कोई भी दोष है, तो आप तीर्थ स्थान का जल लेकर स्नान करें। संभव हो, तो आप महाकुंभ मेला 2025 में गंगा स्नान भी कर सकते हैं जो आपके लिए सर्वश्रेष्ठ रहेगा। 

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1. साल 2025 में महाकुंभ कब से शुरू है?

इस वर्ष महाकुंभ 13 जनवरी 2025 से शुरू होकर 26 फरवरी 2025 तक चलेगा।

2. महाकुंभ का आयोजन कहां होगा?

वर्ष 2025 में महाकुंभ प्रयागराज में संगम के किनारे आयोजित होगा।

3. महाकुंभ कितने वर्ष में आयोजित होता है?

महाकुंभ का आयोजन हर 12 वर्ष में होता है।  

माघ के महीने में राशि अनुसार करें उपाय, मिट जाएंगे हर जन्‍म के पाप!

हिंदू धर्म में पवित्र नदी में स्‍नान करने और दान-पुण्‍य एवं तप आदि के लिए माघ महीने 2025 को बहुत शुभ और पवित्र माना जाता है। इस महीने में भगवान सूर्य, मां गंगा और भगवान विष्‍णु की उपासना की जाती है। ऐसी मान्‍यता है कि जो भी व्‍यक्‍ति इस पावन महीने में पवित्र नदी में स्‍नान करता है, उसके पिछले जन्‍म के सारे पाप धुल जाते हैं और उसे पुण्‍य की प्राप्‍ति होती है।

वहीं दूसरी ओर, इस माह में भगवान सूर्य और भगवान विष्‍णु की पूजा करने से मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं।

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कब शुरू हो रहा है माघ माह 2025

वर्ष 2025 में 14 जनवरी से माघ माह 2025 की शुरुआत हो रही है और यह 12 फरवरी, 2025 को समाप्‍त होगा। इस माह में कई बड़े व्रत एवं त्‍योहार पड़ रहे हैं जिनके बारे में आगे विस्‍तार से बताया जा रहा है।

माघ माह 2025 का महत्व 

शास्‍त्रों के अनुसार माघ के महीने में गौतम ऋषि ने इंद्रदेव को श्राप दिया था। इस श्राप से मुक्‍ति पाने के लिए माघ के महीने में ही इंद्रदेव ने गंगा नदी में स्नान किया था। यही वजह है कि इस दौरान पूर्णिमा और अमावस्या तिथि पर विशेष तौर पर गंगा में स्नान करने को अत्‍यंत पवित्र और लाभकारी माना जाता है।  

मान्‍यता है कि इस माह में दान करने से मृत्यु काल में लाभ मिलता है। मन की ग्रंथियां खुलती हैं और शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके अलावा इस माह में पवित्र नदियों में स्नान करने से दस हज़ार अश्वमेध यज्ञ करने के बराबर फल की प्राप्ति होती है।

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माघ माह में पड़ने वाले व्रत एवं त्‍योहार

दिनव्रत-त्‍योहार
14 जनवरी, 2025गंगा स्‍नान, मकर संक्रां‍ति
17 जनवरी, 2025संकष्‍टी चतुर्थी, सकट चौथ
21 जनवरी, 2025कालाष्‍टमी
25 जनवरी, 2025षटतिला एकादशी
26 जनवरी, 2025गणतंत्र दिवस
27 जनवरी, 2025प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि
29 जनवरी, 2025अमावस्‍या, मौनी अमावस्‍या
30 जनवरी, 2025माघ गुप्‍त नवरात्रि
01 फरवरी, 2025गणेश जयंती, वरद चतुर्थी
02 फरवरी, 2025बसंत पंचमी
04 फरवरी, 2025रथ सप्‍तमी
05 फरवरी, 2025बुधाष्‍टमी व्रत, दुर्गाष्‍टमी व्रत
06 फरवरी, 2025महानंदा नवमी
07 फरवरी, 2025रोहिणी व्रत
08 फरवरी, 2025जया एकादशी
10 फरवरी, 2025प्रदोष व्रत
12 फरवरी, 2025पूर्णिमा व्रत, कुंभ संक्रांति, रविदास जयंती, माघ पूर्णिमा, माघस्‍नान समाप्‍त

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माघ मास 2025 के नियम

माघ के महीने में पवित्र नदी या गंगा नदी में स्नान करने का बहुत महत्व है। यदि आप ऐसा नहीं कर सकते हैं, तो अपने नहाने के पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाकर उससे स्नान कर लें। इससे भी आपको फायदा होगा।

माघ के महीने में रोज़ श्रीमद्भगवद्गीता गीता का पाठ करें। ऐसा करने से भगवान विष्‍णु का आशीर्वाद मिलता है और घर में सुख-शांति आती है।

आप नहाने के पानी में तिल के बीज डाल सकते हैं या इनका सेवन भी कर सकते हैं।

माघ मास में रोज़ तुलसी के पौधे के आगे घी का दीपक जलाएं और उसकी पूजा करें। ऐसा करने से भगवान विष्‍णु प्रसन्‍न होते हैं और जीवन के सारे कष्‍ट दूर होते हैं।

माघ माह 2025 में क्‍या करें या क्‍या न करें

  • अगर आपको शनि दोष है, तो आप माघ महीने में इससे मुक्‍ति पाने के लिए काले तिल का दान कर सकते हैं।
  • वहीं राहु दोष से मुक्‍ति पाने के लिए माघ माह में कंबल या गर्म कपड़ों का दान करना चाहिए।
  • शास्‍त्रों के अनुसार इस महीने में ब्रह्मचर्य का पालन करने का बहुत महत्‍व है।
  • इसके अलावा माघ के पवित्र मास में आलस से बचना चाहिए, सुबह देर तक सोना नहीं चाहिए और रोज़ स्‍नान करना चाहिए।
  • इस मास में तुलसी की पूजा एवं गीता का पाठ करना चाहिए। इससे ईश्‍वर आपसे प्रसन्‍न होंगे।
  • माघ के महीने में कल्‍पवास की शुरुआत भगवान शालिग्राम और मां तुलसी के पूजन से होती है।
  • इस महीने में मूली का सेवन करना वर्जित माना गया है।
  • इसके अलावा इस दौरान तामसिक भोजन करने एवं मदिरा का पान करने से बचना चाहिए।

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माघ माह 2025 में राशि अनुसार उपाय

आगे बताया गया है कि आप अपनी राशि के अनुसार माघ के महीने में कौन से उपाय कर सकते हैं।

  • मेष राशि: आप माघ मास में रोज़ हनुमान जी की पूजा करें या हनुमान चालीसा का पाठ करें। ऐसा करने से आपके मार्ग की सभी बाधाएं दूर होंगी और आपके आत्‍मविश्‍वास में वृद्धि होगी।।
  • वृषभ राशि: आप माघ मास में सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करें और उन्‍हें बेल पत्र चढ़ाएं। इसके अलावा महामृत्‍युंजय मंत्र का जाप करने से भी लाभ होगा।
  • मिथुन राशि: आप नियमित रूप से गायत्री मंत्र का जाप करें और रविवार के दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं।
  • कर्क राशि: माघ मास में गरीब एवं ज़रूरतमंद लोगों को चावल या गेहूं का दान करें। इससे आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा।
  • सिंह राशि: आप रविवार के दिन सूर्य देव को सूरजमुखी के बीज या लाल रंग के पुष्‍प अर्पित करें।
  • कन्‍या राशि: किसी मंदिर में या गरीब व्‍यक्‍ति को सफेद रंग के वस्‍त्र या दूध दान करें। इससे आपके भाग्‍य में वृद्धि होगी।
  • तुला राशि: मानसिक शांति के लिए तुला राशि वाले शुक्रवार के दिन घी और चीनी का दान करें।
  • वृश्चिक राशि: आप बुधवार के दिन भगवान गणेश को मोदक चढ़ाएं और गणपति स्‍तोत्र का पाठ करें।
  • धनु राशि: बृहस्‍पतिवार के दिन धनु राशि वाले भगवान विष्‍णु को हल्‍दी और पीले रंग के पुष्‍प अर्पित करें।
  • मकर राशि: करियर और जीवन में प्रगति पाने के लिए आप तिल के बीजों और काले रंग के वस्‍त्रों का दान करें।
  • कुंभ राशि: भाग्‍य में वृद्धि के लिए कुंभ राशि वाले गरीब लोगों को जल का दान करें और जल अभिषेक करें।
  • मीन राशि: आर्थिक संकट दूर करने के लिए आप दूध, चीनी और चावल का दान करें।

माघ पूर्णिमा का महत्‍व

माघ के महीने में पड़ने वाली अमावस्‍या और पूर्णिमा का बहुत महत्‍व है। माघ माह 2025 में पूर्णिमा तिथि 11 फरवरी को शाम 06 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 12 फरवरी को शाम 07 बजकर 26 मिनट पर होगा।

माघी पूर्णिमा को लेकर पद्म पुराण में कहा गया है कि, अगर माघ पूर्णिमा वाले दिन व्यक्ति पवित्र नदी में स्नान करे, इसके बाद ध्यान, तप, दान कर, तो इससे श्री हरि प्रसन्‍न होते हैं। 

इसके अलावा इस दिन दान का विशेष महत्व होता है। ऐसे में आप चाहें तो इस दिन गोदान, तिल, गुड़ और कंबल का दान कर सकते हैं। इसके साथ ही आप वस्त्र, गुड, घी, कपास, लड्डू, फल, आदि का भी दान कर सकते हैं। इसके साथ ही माघी पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। ऐसे में अगर आपके लिए मुमकिन हो तो इस दिन गंगा स्नान अवश्य करें, गरीबों और ज़रूरतमंद लोगों की मदद करें।

माघ माह 2025 में किए जाने वाले ज्‍योतिषीय उपाय

  • गरीबों को भोजन खिलाने, मंदिरों एवं तीर्थस्‍थलों पर दान आदि करने के लिए माघ क महीना बहुत उत्तम माना जाता है। वैदिक ज्‍योतिष के अनुसार गरीब एवं ज़रूरतमंद लोगों की मदद करने से नकारात्‍मक कर्मों का नाश होता है और भाग्‍य में वृद्धि होती है। इस दौरान सफेद या हल्‍के रंग के वस्‍त्रों का दान करने, चावल, दाल या अनाज, अन्‍न या जल और बच्‍चों को किताबों का दान करना चाहिए।
  • चंद्रमा को मज़बूत करने के लिए माघ का महीना बहुत महत्‍वपूर्ण होता है। चंद्रमा मन, भावनाओं और मस्तिष्‍क का कारक हैं और जल के पास ध्‍यान करने, पौधों को जल चढ़ाने या चंद्रमा के नीचे बैठकर प्रार्थना करने से मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य बेहतर होता है और भावनात्‍मक ऊर्जा मिलती है।
  • शाम के समय खासतौर पर घर के प्रवेश द्वार या मंदिर में घी का दीपक जलाएं। कहते हैं कि इस उपाय को करने से ईश्‍वर की कृपा प्राप्‍त होती है और नकारात्‍मक ऊर्जा खत्‍म होती है। माघ के महीने में घी का दीया जलाने का बहुत महत्‍व है।
  • माघ के महीने में धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना अच्‍छा रहता है। आप इस दौरान श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ कर सकते हैं। इससे मानसिक शांति, आध्‍यात्मिक शक्‍ति मिलती है और नकारात्‍मक ऊर्जाओं से सुरक्षा मिलती है।

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

प्रश्‍न 1. माघ का महीना कब शुरू हो रहा है?

उत्तर. 14 जनवरी से माघ माह शुरू हो रहा है।

प्रश्‍न 2. माघ माह कब खत्‍म होगा?

उत्तर. यह 12 फरवरी को खत्‍म होगा।

प्रश्‍न 3. माघ माह में किसकी पूजा की जाती है?

उत्तर. इसमें भगवान विष्‍णु की उपासना होती है।

पौष पूर्णिमा 2025: इस दिन राशि अनुसार इन चीज़ों का करें दान, दोगुना होगा पुण्‍य

हिंदू धर्म में पूर्णिमा और अमावस्‍या तिथि का बहुत महत्‍व होता है। साल में कई पूर्णिमा तिथियां आती हैं लेकिन इनमें से पौष पूर्णिमा और माघ पूर्णिमा को अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण माना जाता है। हिंदू कैलेंडर में पौष पूर्णिमा को बहुत खास माना गया है। माघ के महीने में पौष पूर्णिमा एक महीने तक की जाने वाली तपस्‍या की शुरुआत का प्रतीक है। चंद्र कैलेंडर के अनुसार पौष पूर्णिमा के अगले दिन से ही माघ के महीने का आरंभ हो जाता है।

माघ के महीने में श्रद्धालु प्रात:काल ब्रह्म मुहूर्त में गंगा या यमुना नदी में स्‍नान करते हैं। इस स्‍नान का आरंभ पौष पूर्णिमा से होता है और इसका समापन माघ पूर्णिमा पर होता है। मान्‍यता है कि जो भी व्‍यक्‍ति इस बीच दान करता है, उसे दोगुना पुण्‍य प्राप्‍त होता है।

आगे जानिए कि पौष पूर्णिमा व्रत 2025 कब है, इसका महत्‍व क्‍या है और पौष पूर्णिमा के दिन कौन-से ज्‍योतिषीय उपाय कर सकते हैं।

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कब है पौष पूर्णिमा व्रत 2025

13 जनवरी की प्रात: काल 05 बजकर 05 मिनट पर पूर्णिमा तिथि आरंभ होगी और इसका समापन 14 जनवरी की सुबह 03 बजकर 59 मिनट पर होगा। इस प्रकार पौष पूर्णिमा 13 जनवरी को पड़ रही है।

पौष पूर्णिमा व्रत 2025 का महत्‍व

पौष पूर्णिमा माघ या जनवरी के महीने में पूर्णिमा तिथि पर मनाई जाती है। इस दिन मंत्र जाप करना बहुत शुभ माना जाता है एवं इस पावन अवसर पर भगवान विष्‍णु और मां लक्ष्‍मी की उपासना का विधान है। इस दिन श्रद्धालु पूर्णिमा का व्रत रखते हैं एवं सत्‍यनारायण व्रत कथा पढ़ते हैं। ऐसा माना जाता है कि पौष पूर्णिमा पर इस कथा को पढ़ने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इस शुभ दिन पर पवित्र नदी में डुबकी लगाने से पिछले जन्‍मों के सारे पाप धुल जाते हैं।

हिंदू पंचांग के अनुसार एक वर्ष में बारह पूर्णिमा आती हैं और इनमें से पौष पूर्णिमा का अत्‍यधिक महत्‍व होता है। इस दिन को भगवान विष्‍णु और मां लक्ष्‍मी का आशीर्वाद पाने के लिए सबसे अधिक शुभ माना जाता है। पौष पूर्णिमा को शाकंभरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। लोक मान्‍यता के अनुसार शाकंभरी देवी ने पृथ्‍वी को सूखे और अकाल की‍ स्थिति से बचाया था एवं शाकंभरी देवी मां दुर्गा का अवतार थीं। मां शाकंभरी को फलों, हरी पत्तियों और सब्जियों की देवी के रूप में जाना जाता है और वे अपने भक्‍तों की राक्षसों से सुरक्षा करती हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी शाकंभरी ने दुर्गमा नाम के राक्षस का वध किया था। पौष पूर्णिमा पर मां शाकंभरी का आशीर्वाद लेने के बाद दुर्गा चालीसा का पाठ किया जाता है। इस दिन भगवद् गीता और रामायण का पाठ करना भी शुभ माना गया है। कृष्‍ण मंदिरों में इस दिन पुष्‍यभिषेक यात्रा निकाली जाती है। 

वैदिक ज्‍योतिष के अनुसार चंद्रमा मन और भावनाओं का कारक हैं इसलिए अगर कोई व्‍यक्‍ति पौष पूर्णिमा या पूर्णिमा के दिन चंद्रमा या मां दुर्गा की उपासना करता है, तो उसे चंद्र देव की कृपा प्राप्‍त होती है और उनके नकारात्‍मक प्रभावों में कमी आती है।

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पौष पूर्णिमा व्रत 2025 की विधि

पौष पूर्णिमा के दिन प्रात:काल स्‍नान करने के बाद आप गेहूं और अनाज की पांच ढेर बनाएं और उसके ऊपर भगवान विष्‍णु, सूर्य, रुद्र, ब्रह्मा जी और मां लक्ष्‍मी को स्‍थापित करें। यदि‍ इनमें से किसी आराध्‍य की तस्‍वीर नहीं है, तो आप उनका ध्‍यान करते हुए उनके नाम से एक फूल उस ढेर पर रख दें। अब आप क्रम के अनुसार इनकी पूजा करें और घी का दीपक जलाकर देवी-देवताओं को तिल, गुड़ और फलों का प्रसाद चढ़ाएं।

इसके बाद आरती करें और अगले दिन इस अनाज को किसी गरीब या ब्राह्मण को दान कर दें। पौष पूर्णिमा के व्रत में शाम के समय खीर बनाकर मां लक्ष्‍मी को भोग लगाएं और आरती करें। ऐसा करने से आपके घर से दुख और गरीबी खत्‍म होगी एवं परिवार में खुशियां आएंगी।

कल्‍प वास होता है शुरू

हिंदू धर्म में पौष पूर्णिमा से ही माघ स्‍नान की शुरुआत हो जाती है। पौष पूर्णिमा के व्रत में सूर्यादय से पहले माघ स्‍नान करने का बहुत महत्‍व है और पौष पूर्णिमा के बाद पूरे माघ के महीने में इस नियम का पालन किया जाता है। माघ के महीने में सर्दी बहुत तेज होती है इसलिए जो भी व्‍यक्‍ति इस दौरान सूर्योदय से पहले गंगा में स्‍नान करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यदि कोई व्‍यक्‍ति गंगा के तट पर माघ के महीने में रहकर कल्‍पवास करते हुए स्‍नान नहीं कर सकता है, तो वह घर पर ही नहाने के पानी में गंगा जल मिलाकर स्‍नान कर सकता है। इससे भी पुण्‍य की प्राप्ति होती है।

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पौष पूर्णिमा के दिन क्‍या करें, क्‍या न करें

पौष पूर्णिमा के दिन निम्‍न उपाय करने से पुण्‍य एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है:

  • पूर्णिमा के दिन चावल का दान करना चाहिए। शास्‍त्रों के अनुसार चावल का संबंध चंद्रमा से होता है और पूर्णिमा के दिन चावल का दान करने से कुंंडली में चंद्रमा मज़बूत होता है।
  • इस दिन सफेद रंग की चीज़ों का दान करने से भी चंद्रमा को बल मिलता है।
  • पूर्णिमा के शुभ दिन पर सत्‍यनारायण भगवान की कथा सुनने का बहुत महत्‍व है।
  • इस पवित्र दिन पर भगवान शिव की पूजा करने से भी लाभ होता है।
  • यदि आप मां लक्ष्‍मी को प्रसन्‍न करना चाहते हैं, तो पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करें। मान्‍यता है कि पीपल के पेड़ में मां लक्ष्‍मी का वास होता है इसलिए उसकी पूजा करने से मां लक्ष्‍मी की कृपा प्राप्‍त होती है।
  • प‍ूर्णिमा या पौष पूर्णिमा व्रत 2025 के दिन प्‍याज, लहसुन, मांस-मदिरा या तामसिक चीज़ों का सेवन करने से बचना चाहिए।
  • इस‍ दिन किसी से भी बहस या झगड़ा न करें और न ही किसी को अपशब्‍द कहें।
  • पूर्णिमा के दिन जो भी गरीब या ज़रूरतंद आपके घर आता है, उसकी मदद करें।
  • पौष पूर्णिमा के दिन शरीर पर सरसों का तेल लगाकर स्‍नान करें और अपने नहाने के पानी में थोड़ा-सा परफ्यूम डालकर उस पानी से स्‍नान करें।
  • लड्डू गोपाल की मूर्ति पर घी चढ़ाएं।
  • श्री विष्‍णु, देवराज और बृहस्‍पति देव के मंत्रों का जाप करें।

पूर्णिमा के दिन सिंदूर लगाना चाहिए या नहीं

भारत में कई स्‍थानों पर ऐसी मान्‍यता है कि पूर्णिमा के दिन महिलाओं को मांग में सिंदूर नहीं लगाना नहीं क्‍योंकि ऐसा करना अशुभ होता है। वहीं कुछ हिस्‍सों में पूर्णिमा के दिन महिलाएं सिंदूर ज़रूर लगाती हैं। इस संबंध में सभी के अपने विचार हैं लेकिन शास्‍त्रों में इसका कोई उल्‍लेख नहीं मिलता है।

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पौष पूर्णिमा व्रत 2025 पर इन चीज़ों का करें दान

  • पूर्णिमा के दिन अरहर की दाल और चावल की खिचड़ी में घी डालकर किसी गरीब या ज़रूरतमंद व्‍यक्‍ति को खिलाना चाहिए।
  • पूर्णिमा पर लाल रंग का बहुत महत्‍व है, इसलिए अगर आप पौष पूर्णिमा का व्रत रख रहे हैं, तो इस दिन लाल रंग के वस्‍त्र पहनने की कोशिश करें। माघ के महीने में तांबे के बर्तन दान करने का बहुत महत्‍व है।
  • ज़रूरतमंद एवं गरीब लोगों को इस दिन या माघ माह में तिल, गुड़, कंबल और ऊन से बनी चीज़ों का दान करें।

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पौष पूर्णिमा व्रत 2025 पर राशि अनुसार उपाय

आगे बताया गया है कि पौष पूर्णिमा पर राशि अनुसार क्‍या उपाय कर सकते हैं:

  • मेष राशि: आप इस दिन तांबे के लोटे में जल भरकर भगवान सूर्य को अर्घ्‍य दें और लाल रंग के वस्‍त्रों एवं गुड़ का दान करें।
  • वृषभ राशि: आप मां लक्ष्‍मी की पूजा करें और उन्‍हें सफेद रंग के फूल और मिठाई अर्पित करें। इसके साथ ही आप पूर्णिमा के दिन चावल और दूध का दान करें।
  • मिथुन राशि: पौष पूर्णिमा व्रत 2025 पर पवित्र नदी में डुबकी लगाएं और भगवान विष्‍णु को तुलसी का पत्ते चढ़ाएं। आप हरे रंग के वस्‍त्रों और मूंग की दाल का दान करें।
  • कर्क राशि: पूर्णिमा की रात्रि को चंद्रमा को अर्घ्‍य दें और दूध एवं चावल से बनी खीर का भोग लगाएं। आप सफेद मिठाई और चावल दान में दें।
  • सिंह राशि: आप पौष पूर्णिमा पर पीपल के पेड़ के नीचे घी का दीया जलाएं। सिंह राशि वाले गेूहं और गुड़ का दान करें।
  • कन्‍या राशि: आप पौष पूर्णिमा पर हनुमान जी को सिंदूर और तिल का तेल चढ़ाएं। आप हरे मूंग और किताबों का दान कर सकते हैं।
  • तुला राशि: इस राशि वाले मां दुर्गा को लाल रंग की चुनरी चढ़ाएं और फल अर्पित करें। आप सुगंधित कपड़े और मिठाई दें।
  • वृश्चिक राशि: पौष पूर्णिमा पर आप शिवलिंग पर जल और बेलपत्र चढ़ाएं। आप तांबे से बनी चीज़ों और गुड़ का दान कर सकते हैं।
  • धनु राशि: जिन लोगों की धनु राशि है, वे पूर्णिमा के दिन भगवान विष्‍णु की पूजा करें और उन्‍हें पीले रंग के फूल चढ़ाएं। आप चना दाल और घी का दान कर सकते हैं।
  • मकर राशि: आप पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और दीपक जलाएं। आप इस दिन काले तिल और लोहे के बर्तनों का दान कर सकते हैं।
  • कुंभ राशि: पूर्णिमा के दिन आप शिवलिंग पर कच्‍चा दूध और सफेद रंग के फूल चढ़ाएं। आपको इस दिन काले तिल और चावलों का दान करना चाहिए।
  • मीन राशि: आप भगवान विष्‍णु की पूजा करें और उन्‍हें हल्‍दी एवं तुलसी अर्पित करें। आप पीले रंग के वस्‍त्रों और गुड़ का दान करें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्‍न 1. वर्ष 2025 में पौष पूर्णिमा का व्रत कब पड़ रहा है?

उत्तर. 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा व्रत है।

प्रश्‍न 2. पौष पूर्णिमा पर क्‍या किया जाता है?

उत्तर. इस दिन पवित्र नदियों में स्‍नान करने का बहुत महत्‍व है।

प्रश्‍न 3. पौष पूर्णिमा व्रत 2025 पर व्रत रखने से क्‍या होता है?

उत्तर. इस दिन व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इस सप्ताह सूर्य गोचर के साथ शुरू हो जाएंगे मांगलिक कार्य, जानें पूरे हफ़्ते का लेखा-जोखा!

एस्ट्रोसेज का साप्ताहिक राशिफल का यह ब्लॉग आपको जनवरी 2025 के दूसरे सप्ताह यानी कि 13 जनवरी से लेकर 19 जनवरी, 2025 के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेगा। इस ब्लॉग की सहायता से हम आपको बताएंगे कि जनवरी के इस सप्ताह में 12 राशियों के जातकों के जीवन के विभिन्न आयामों जैसे व्यापार, करियर, विवाह, प्रेम, स्वास्थ्य सहित रिलेशनशिप आदि का हाल कैसा रहने वाला है। इस हफ़्ते किन राशियों का भाग्य उदय होगा और किन राशियों को मुसीबतों से होना होगा दो-चार? इन सभी सवालों के सही एवं सटीक जवाब आपको हमारे इस ब्लॉग में मिलेंगे। साथ ही, इस दौरान किन उपायों को अपनाकर आप अशुभ ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को दूर कर सकते हैं? इस बारे में भी हम आपको अवगत करवाएंगे। बता दें कि यह ब्लॉग हमारे अनुभवी और विद्वान ज्योतिषियों द्वारा ग्रह एवं नक्षत्रों की गणना के आधार पर तैयार किया गया है। 

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इसके अलावा, साप्ताहिक राशिफल के इस लेख में हम अपने पाठकों को 13 जनवरी से 19 जनवरी के बीच पड़ने वाले व्रत, त्योहारों, ग्रहण और गोचर आदि की सही तिथियां भी प्रदान करेंगे। सिर्फ इतना ही नहीं, इस हफ़्ते में जन्म वाले मशहूर सितारों के जन्मदिन के बारे में भी हम चर्चा करेंगे। इस दौरान कब-कब है शुभ एवं मांगलिक कार्यों के मुहूर्त? इससे भी हम आपको रूबरू करवाएंगे। तो आइए अब बिना देर किये आगे बढ़ते हैं और राशि अनुसार जानते हैं कि जनवरी 2025 का यह दूसरा सप्ताह आपके लिए कैसा रहेगा। 

इस सप्ताह के ज्योतिषीय तथ्य और हिंदू कैलेंडर की गणना

आगे बढ़ने से पहले हम नज़र डाल लेते हैं इस सप्ताह के पंचांग पर, जनवरी 2025 का दूसरा सप्ताह आर्द्रा नक्षत्र के अंतर्गत शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि अर्थात 13 जनवरी 2025 को शुरू होगा और इस सप्ताह का अंत हस्त नक्षत्र के तहत कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि यानी कि 19 जनवरी 2025 को होगा। हालंकि, यह सप्ताह बेहद ख़ास रहने वाला है क्योंकि 14 जनवरी 2025 को खरमास का अंत हो जाएगा और शुभ एवं मांगलिक कार्यों का पुनः आरंभ हो जाएगा। अब हम आगे बढ़ते हैं और आपको रूबरू करवाते हैं जनवरी के इस हफ्ते में पड़ने वाले व्रत एवं त्योहारों की सही तिथियों से। 

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इस सप्ताह में पड़ने वाले व्रत और त्योहार 

साप्ताहिक राशिफल ब्लॉग के इस सेक्शन को ख़ास तौर पर उन लोगों को ध्यान में रखकर बनाया गया है जो अपनी व्यस्त ज़िन्दगी की भागदौड़ की वजह से प्रमुख व्रत एवं त्योहार की तिथियों को याद नहीं रख पाते हैं और भूल जाते हैं। ऐसे में, आपको दोबारा ऐसी किसी भी परिस्थिति का सामना न करना पड़ें इसलिए यहाँ हम आपको 13 जनवरी से लेकर 19 जनवरी 2025 के दौरान पड़ने वाले व्रत-पर्वों की तिथियां की सूची प्रदान कर रहे हैं। तो चलिए नज़र डालते हैं इस सप्ताह के प्रमुख व्रत-त्योहारों पर।

पौष पूर्णिमा व्रत (13 जनवरी 2025, सोमवार): पौष मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त पौष पूर्णिमा के दिन सच्चे मन और श्रद्धापूर्वक व्रत रखता है। साथ ही, चंद्र देव और देवी लक्ष्मी की पूजा करता है, उसे धन-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। 

लोहड़ी (13 जनवरी 2025, सोमवार): नए साल के पहले महीने जनवरी में आना वाला मुख्य पर्व होता है लोहड़ी। इस त्योहार को पूरे देश में बेहद जोश एवं उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह सिख और पंजाबी समुदाय के लोगों का प्रमुख पर्व है जिसकी विशेष रौनक पंजाब में देखने को मिलती है। 

पोंगल (14 जनवरी 2025, मंगलवार): पोंगल तमिलनाडु का सबसे प्रमुख पर्व है जो कि लगातार चार दिनों तक मनाया जाता है। तमिलनाडु में नववर्ष का आरंभ पोंगल से माना जाता है और इस  दिन देवराज इंद्र की पूजा की जाती है। 

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उत्तरायण (14 जनवरी 2025, मंगलवार): हिंदू धर्म में सूर्य देव एकमात्र ऐसे देवता हैं जो अपने भक्तों को साक्षात दर्शन देते हैं। हालांकि, जब सूर्य देव मकर राशि से मिथुन राशि में गोचर करते हैं, तो इस अवधि को उत्तरायण कहा जाता है और इन्हें देवी-देवताओं का माह माना गया है। 

मकर संक्रांति (14 जनवरी 2025, मंगलवार): सूर्य महाराज जब धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे मकर संक्रांति कहा जाता है। इस पर्व का धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन से मौसम में बदलाव आने शुरू हो जाते हैं। साथ ही, खरमास का अंत होता है और शुभ कार्यों का पुनः आरंभ होता है। 

संकष्टी चतुर्थी (17 जनवरी 2025 शुक्रवार): संकष्टी चतुर्थी का व्रत प्रथम पूज्य भगवान गणेश को समर्पित होता है और इस दिन गणेश जी की कृपा प्राप्ति के लिए भक्तजन व्रत करते हैं। कहते हैं कि संकष्टी चतुर्थी के व्रत से भगवान गणेश अपने भक्तों के कष्टों को दूर करते हैं।

हम आशा करते हैं कि यह व्रत-त्योहार आपके जीवन में खुशियाँ और आशा की नई किरण लेकर आयेंगे।

इस सप्ताह में पड़ने वाले ग्रहण और गोचर 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नौ ग्रहों में से हर ग्रह एक निश्चित समय के बाद अपनी राशि, चाल या स्थिति में परिवर्तन करता है। ऐसे में, जब भी कोई ग्रह अपनी दशा या राशि में बदलाव करता है, तो इसका असर सभी 12 राशियों समेत विश्व पर पड़ता है। इस सप्ताह की बात करें तो, जनवरी के दूसरे सप्ताह 13 से 19 जनवरी 2025 में केवल 1 ग्रह का गोचर होगा जबकि 1 ग्रह अपनी स्थिति में परिवर्तन करेगा।

सूर्य का मकर राशि में गोचर (14 जनवरी 2025): ग्रहों के राजा कहे जाने वाले सूर्य देव 14 जनवरी 2025  की सुबह 08 बजकर 41 मिनट पर अपने पुत्र शनि ग्रह की राशि मकर में प्रवेश कर जाएंगे।

बुध धनु राशि में अस्त (18  जनवरी 2025): बुध महाराज को बुद्धि, वाणी और संचार के कारक ग्रह कहा जाता है और अब यह 18 जनवरी 2025 की सुबह 06 बजकर 14 मिनट पर धनु राशि में अस्त होने जा रहे हैं।

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इस सप्ताह में जन्मे मशहूर सितारे

13 जनवरी 2025: पीयूष मिश्रा, माइकल पेना, कन्हैया कुमार 

14 जनवरी 2025: फेय ड्यूनवे, जूलियन बॉण्ड, हिलेरी रयान

15 जनवरी 2025: विक्रम प्रभु, मंजोत कालरा, मैरी पिएर्स

16 जनवरी 2025: जगदीशा सुचित, डेबी एलेन, खुशबू ग्रेवाल

17 जनवरी 2025: सजल अली, नकुल मेहता, कैल्विन हैरिस

18 जनवरी 2025: विनोद कांबली, जय मेहता, ब्रैडी एंडरसन

19 जनवरी 2025: मानसी साल्वी, लॉयड रॉबर्टसन, मिशेल स्टेनली

एस्ट्रोसेज इन सभी सितारों को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं देता है। यदि आप अपने पसंदीदा सितारे की जन्म कुंडली देखना चाहते हैं तो आप यहां पर क्लिक कर सकते हैं। 

साप्ताहिक राशिफल 13 जनवरी से 19 जनवरी, 2025

यह भविष्यफल चंद्र राशि पर आधारित है। अपनी चंद्र राशि जानने के लिए क्लिक करें:
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मेष साप्ताहिक राशिफल 

इस सप्ताह आपके पास भरपूर मात्रा में प्रचुर ऊर्जा होगी, लेकिन काम का….. (विस्तार से पढ़ें) 

मेष प्रेम राशिफल 

प्रेम का आह्लाद महसूस करने के लिए, इस सप्ताह आप किसी नए व्यक्ति से….(विस्तार से पढ़ें)

वृषभ साप्ताहिक राशिफल

इस सप्ताह आप शारीरिक और मानसिक रूप से, बेहतर महसूस करेंगे। बावजूद इसके आने वाले….(विस्तार से पढ़ें)

वृषभ प्रेम राशिफल

प्रेम राशिफल के अनुसार आप अपनी प्यारी और मीठी बातों में अपने प्रियतम को लुभाने….(विस्तार से पढ़ें)

मिथुन साप्ताहिक राशिफल

इस सप्ताह आपके लिए काम और आराम के बीच में, सही संतुलन स्थापित करना बेहद….(विस्तार से पढ़ें)

मिथुन प्रेम राशिफल

यदि आप अभी तक सिंगल थे तो, आपको इस सप्ताह प्रेम जीवन की नई शुरुआत करने….(विस्तार से पढ़ें)

कर्क साप्ताहिक राशिफल

इस सप्ताह आप अपने अच्छे स्वास्थ्य के कारण, उन लोगों को गलत साबित कर देंगे, जो सोचते…. (विस्तार से पढ़ें)

कर्क प्रेम राशिफल

इस हफ्ते आप अपने अतीत से जुड़े कई राज, अपने प्रियतम के साथ साझा करने का फैसला ले….(विस्तार से पढ़ें)

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सिंह साप्ताहिक राशिफल

इस सप्ताह आप अत्यधिक भावनात्मक दिखाई देंगे, जिसके कारण आपको अपनी भावनाओं….(विस्तार से पढ़ें)

सिंह प्रेम राशिफल

इस हफ्ते आपको अपने प्रेम जीवन में, सकारात्मक बदलाव देखने……(विस्तार से पढ़ें)

कन्या साप्ताहिक राशिफल

इस सप्ताह आप शारीरिक और मानसिक रूप से, बेहतर महसूस करेंगे। बावजूद इसके….(विस्तार से पढ़ें)

कन्या प्रेम राशिफल

यदि इस सप्ताह आप किसी मित्र को प्रपोज करने का सोच….(विस्तार से पढ़ें)

तुला साप्ताहिक राशिफल

इस सप्ताह आपके स्वास्थ्य राशिफल को देखें तो, आपका स्वास्थ्य बेहतरीन रहेगा। जिसके चलते…..(विस्तार से पढ़ें)

तुला प्रेम राशिफल

इस पूरे ही सप्ताह प्रेमी जातकों के बीच, प्रेम और समर्पण का भाव बना….. (विस्तार से पढ़ें)

वृश्चिक साप्ताहिक राशिफल

तनाव का सीधा असर तबियत को ख़राब कर सकता है, और ऐसा ही कुछ आप इस सप्ताह भी…..(विस्तार से पढ़ें)

वृश्चिक प्रेम राशिफल

इस सप्ताह आपका स्वभाव यूँ तो खुशमिजाज़ रहेगा, परंतु न चाहते हुए…..(विस्तार से पढ़ें)

धनु साप्ताहिक राशिफल

इस सप्ताह आपको एक बेहतर ज़िंदगी जीने के लिए, अपनी सेहत और व्यक्तित्व में सुधार लाने…..(विस्तार से पढ़ें)

धनु प्रेम राशिफल

अपनी भावनाओं को यदि आप केवल खुद तक ही सीमित रखेंगे तो इससे…..(विस्तार से पढ़ें)

विद्वान ज्योतिषियों से प्रश्न पूछें और पाएं हर समस्या का समाधान

मकर साप्ताहिक राशिफल

इस सप्ताह करियर को लेकर तनाव के चलते, आपको कुछ छोटी-मोटी बीमारी से दो-चार….(विस्तार से पढ़ें)

मकर प्रेम राशिफल

यह समय एक तरीके से आपको अपनी लव लाइफ में, भाग्य का साथ लेकर….(विस्तार से पढ़ें)

कुंभ साप्ताहिक राशिफल

इस सप्ताह आप अपनी व्यस्त दिनचर्या में से, कुछ सुकून भरे पल निकालते हुए, ख़ुद को पर्याप्त समय…. (विस्तार से पढ़ें)

कुंभ प्रेम राशिफल

प्यार में पड़े जातक इस दौरान, अपने साथी को खुश करने में….(विस्तार से पढ़ें)

मीन साप्ताहिक राशिफल 

इस सप्ताह आपकी सेहत में सुधार देखा जाएगा, जिसके कारण खेलों और…..(विस्तार से पढ़ें)

मीन प्रेम राशिफल

इस सप्ताह प्रेमी के साथ आपका मतभेद, आपके व्यक्तिगत संबंधों….(विस्तार से पढ़ें)

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

जनवरी 2025 में प्रदोष व्रत कब है?

वर्ष 2025 में प्रदोष व्रत 11 जनवरी 2025 को किया जाएगा। 

बुध ग्रह कब और कौन सी राशि में अस्त होंगे?  

तर्क और वाणी के कारक बुध 18 जनवरी 2025 को धनु राशि में अस्त हो जाएंगे। 

जनवरी 2025 में खरमास कब खत्म होगा?

वर्ष 2025 में खरमास का अंत 14 जनवरी 2025 को होगा।

ग्रहण 2025 से जानें, नए साल में कब-कब लगेगा सूर्य और चंद्र ग्रहण?

वैदिक ज्योतिष में ग्रहण को अशुभ घटना माना जाता है और इस दौरान सभी तरह के शुभ कार्यों को करना वर्जित होता है। हालांकि, ग्रहण दो प्रकार के होते हैं, सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण। जब-जब सूर्य या चंद्र ग्रहण लगता है, तब नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है। साथ ही, प्रकृति में कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं। जैसे कि अब हम नए वर्ष में प्रवेश करने जा रहे हैं और हर साल की तरह ही इस बार भी कई ग्रहण लगेंगे। एस्ट्रोसेज एआई का यह ब्लॉग विशेष रूप से आपको वर्ष 2025 में लगने वाले सूर्य और चंद्र ग्रहण के बारे में समस्त जानकारी प्रदान करेगा। साथ ही जानेंगे, ग्रहण काल के दौरान किन सावधानियों का पालन करना चाहिए? कौन से काम करने चाहिए और किन कामों को करने से बचें? तो आइए बिना देर किये शुरुआत करते हैं इस लेख की। 

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भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके 

हम सब इस बात को भली-भांति जानते हैं कि सूर्य और चंद्र ग्रहण समय-समय पर लगते रहते हैं जिसका अशुभ प्रभाव देश-दुनिया समेत विश्व पर भी नज़र आता है। ग्रहण काल के दौरान गर्भवती महिलाओं को विशेष रूप से सावधानी बरतनी होती है, इस बारे में हम विस्तार से बात करेंगे। लेकिन आइए सबसे पहले जानते हैं साल 2025 में लगने वाले ग्रहण के ज्योतिषीय महत्व के बारे में।

ज्योतिष की दृष्टि से ग्रहण

वैदिक ज्योतिष में सूर्य और चंद्रमा को प्रमुख ग्रह माना जाता है। सूर्य देव आत्मा के कारक हैं जबकि चंद्रमा मन के कारक कहे गए हैं।  यह दोनों ग्रह राहु-केतु के शत्रु माने जाते हैं इसलिए इन दोनों से बदला लेने के लिए समय-समय पर राहु-केतु ग्रहण लगाते हैं। ग्रहण काल सूर्य और चंद्रमा के लिए कष्टकारी अवधि होती है और इस समय बुरी शक्तियां हावी हो जाती हैं। इसी प्रकार, जिन बच्चों का जन्म ग्रहण काल में होता है, उन पर ग्रहण दोष लग जाता है। हालांकि, ग्रहण लगने से पहले और इसके समाप्त होने के बाद भी विश्व पर अशुभ प्रभाव नज़र आते हैं। यह मनुष्यों के साथ-साथ जीव-जंतुओं को भी प्रभावित करता है। 

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नए साल में कितने ग्रहण लगेंगे?

सनातन धर्म में राहु और केतु को ग्रहण के लिए जिम्मेदार माना जाता है जो कि समय-समय पर सूर्य और चंद्रमा पर ग्रहण लगाते हैं। अगर बात करें वर्ष 2025 की, तो ग्रहण 2025 के अनुसार, इस साल में कुल 4 ग्रहण लगेंगे जिसमें 2 सूर्य ग्रहण और 2 चंद्र ग्रहण होंगे। ग्रहण की तिथियों को जानने से पहले जान लेते हैं कि क्या होता है सूर्य ग्रहण और नए साल में कब-कब लगेगा सूर्य ग्रहण?

क्या होता है सूर्य ग्रहण?

सूर्य ग्रहण के बारे में आपने अवश्य सुना होगा, लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि    सूर्य ग्रहण क्या होता है। खगोलीय रूप से पृथ्वी और चंद्रमा के अपने परिक्रमा मार्ग पर आगे बढ़ते  हैं और जब परिक्रमा करते समय सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है, तब पृथ्वी पर पड़ने वाले सूर्य की किरणों को चंद्रमा कुछ देर के लिए रोक देता है। इस पूरी घटना को ही सूर्य ग्रहण कहते हैं। 

साल 2025 में कितने सूर्य ग्रहण लगेंगे?

सूर्य ग्रहण की बात करें तो, साल 2025 में कुल दो सूर्य ग्रहण लगने जा रहे हैं। पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च 2025, शनिवार के दिन लगेगा जो कि खंडग्रास सूर्य ग्रहण होगा। 

वहीं, इस वर्ष का दूसरा सूर्य ग्रहण 21 सितंबर 2025, रविवार के दिन पड़ेगा और यह खंडग्रास सूर्य ग्रहण होगा।

वर्ष 2025 में सूर्य ग्रहण किस समय लगेगा और क्या भारत में भी दिखाई देगा सूर्य ग्रहण, जानने के लिए पढ़ें: सूर्य ग्रहण 2025 

सूर्य ग्रहण के बाद अब आपको अवगत करवाते हैं चंद्र ग्रहण 2025 और इससे जुड़े तथ्यों से।  

क्या होता है चंद्र ग्रहण?

सूर्य ग्रहण की तरह ही चंद्र ग्रहण को भी अशुभ कहा गया है और यह उस समय लगता है जब अपने-अपने परिक्रमा मार्ग पर आगे बढ़ते हुए पृथ्वी और चंद्रमा ऐसी स्थिति में आ जाते हैं जहां चंद्रमा पर पड़ने वाले सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी थोड़ी देर के लिए रोक देती है, इसे ही चंद्र ग्रहण कहा जाता है। 

साल 2025 में कब-कब पड़ेगा चंद्र ग्रहण?

बात करें चंद्र ग्रहण 2025 की, तो नए साल अर्थात वर्ष 2025 में कुल 2 चंद्र ग्रहण पड़ेंगे। इस साल का पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च 2025, शुक्रवार के दिन लगेगा जो कि खग्रास चंद्र ग्रहण होगा। वहीं साल का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण भी खग्रास चंद्र ग्रहण होगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह चंद्र ग्रहण भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि यानी कि 7-8 सितंबर 2025, रविवार/सोमवार के दिन लगेगा। 

वर्ष 2025 में चंद्र ग्रहण किस समय लगेगा और क्या भारत में भी दिखाई देगा चंद्र ग्रहण, जानने के लिए पढ़ें: चंद्र ग्रहण 2025 

क्या होता है सूतक काल?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूतक काल एक ऐसी अवधि होती है जो ग्रहण से कुछ समय पूर्व शुरू होती है और ग्रहण के समाप्त होने के साथ ही खत्म हो जाती है। बता दें कि सूर्य ग्रहण का सूतक लगभग 12 घंटे पहले लग जाता है जबकि चंद्र ग्रहण के सूतक का आरंभ ग्रहण से 9 घंटे पूर्व होता है। इस समय सभी तरह के शुभ कार्य वर्जित होते हैं। 

सूतक काल के बारे में विस्तारपूर्वक जानने के लिए क्लिक करें: ग्रहण 2025 

ग्रहण के दौरान जरूर करें ये काम?

  • ग्रहण के समाप्त होने के बाद व्यक्ति को स्नान अवश्य करना चाहिए। 
  • ग्रहण के शुरू होने से पहले आपको दही, दूध, अचार, घी, मुरब्बा, चटनी जैसी खाद्य पदार्थों में तुलसी की पत्तियां रखनी चाहिए।
  • ग्रहण काल के दौरान आप किसी धार्मिक ग्रंथ का पाठ करें या फिर शुभ मंत्रों का जाप कर सकते हैं। 
  • गर्भवती स्त्रियों को अपने उदर पर गाय का गोबर पतले लेप के रूप में लगाना चाहिए। साथ ही, सिर को पल्लू से ढक कर उस पर थोड़ा गेरू लगाना चाहिए।
  • ग्रहण काल के समय पितरों का श्राद्ध करना फलदायी होता है।

ग्रहण के दौरान इन सावधानियों को अवश्य बरतें

  • सूतक काल के दौरान किसी भी तरह का शुभ एवं मांगलिक काम करने से बचें। 
  • सूर्य ग्रहण को नग्न आंखों से देखने से बचें, अन्यथा आपकी आंखों की रोशनी जा सकती है। 
  • घर और मंदिर में भगवान की मूर्तियों को भूल से भी स्पर्श न करें। 
  • ग्रहण काल के दौरान न तो भोजन पकाना चाहिए और न ही खाना चाहिए।
  • ग्रहण की अवधि में तेल मालिश नहीं करनी चाहिए और न ही बाल, दाढ़ी या नाखून आदि काटने चाहिए।
  • गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल और सूतक काल के दौरान कटाई-सिलाई, बुनाई आदि कार्य करने से बचना चाहिए। 

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं। 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

सूर्य ग्रहण कब लगता है?

ज्योतिष के अनुसार, जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है, तब सूर्य ग्रहण लगता है। 

साल 2025 में कितने ग्रहण लगेंगे?

नए साल यानी कि वर्ष 2025 में कुल चार ग्रहण लगेंगे। 

चंद्र ग्रहण का सूतक काल कितने घंटे पूर्व लगता है? 

हिंदू धर्म के अनुसार, चंद्र ग्रहण का सूतक काल ग्रहण से 9 घंटे पूर्व शुरू हो जाता है।