श्रावण अमावस्या पर बन रहा है बेहद शुभ योग, इस दिन करें ये उपाय पितृ नहीं करेंगे परेशान!

श्रावण अमावस्या पर बन रहा है बेहद शुभ योग, इस दिन करें ये उपाय, पितृ नहीं करेंगे परेशान!

श्रावण अमावस्या 2025: पूर्णिमा, एकादशी की तरह ही अमावस्या तिथि को भी हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है। इसी क्रम में, सावन माह की अमावस्या का अत्यंत महत्व है जिसे श्रावण अमावस्या और हरियाली अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। नारद पुराण में कहा गया है कि श्रावण अमावस्या पर दान, यज्ञ-हवन, देव पूजा, वृक्षारोपण और पितृ तर्पण करने से अपार पुण्य की प्राप्ति होती है। वहीं, सावन में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है इसलिए हरियाली अमावस्या पर इनकी पूजा से जातक की मनोकामना शीघ्र पूर्ण होती है। साथ ही, यह तिथि कुंवारी कन्याओं के लिए भी खास होती है क्योंकि शिवजी और माँ पार्वती के पूजन से उन्हें मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।

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श्रावण अमावस्या या हरियाली अमावस्या का व्रत करने से सुहागिन स्त्रियों को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है। कुंडली में मौजूद अशुभ दोषों से राहत के लिए भी यह तिथि फलदायी साबित होती है। अगर आपको भी श्रावण अमावस्या 2025 के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, तो आप चिंता न करें क्योंकि एस्ट्रोसेज एआई का यह ब्लॉग आपको श्रावण अमावस्या के बारे में समस्त जानकारी प्रदान करेगा। साथ ही, हरियाली अमावस्या की तिथि, महत्व, कथा और पितरों को प्रसन्न करने के लिए इस दिन किए जाने वाले उपाय के बारे में भी बताएगा। आइए बिना देर किए शुरुआत करते हैं श्रावण अमावस्या के इस ब्लॉग की। 

श्रावण अमावस्या 2025: तिथि एवं शुभ मुहूर्त 

हम यह बात भली-भांति जानते हैं कि सावन माह भगवान शिव को बेहद प्रिय है इसलिए इस महीने में आने वाली प्रत्येक तिथि का अपना अलग महत्व होता है, चाहे वह चतुर्दशी, पूर्णिमा या अमावस्या तिथि हो। बता दें कि सावन माह की अमावस्या को श्रावण अमावस्या, हरियाली अमावस्या, गटारी अमावस्‍या, चितलगी अमावस्‍या और चुक्कला अमावस्‍या भी कहा जाता है। हिंदू पंचांग में यह अमावस्या सावन माह में आती है जबकि अंग्रेजी कैलेंडर में जुलाई-अगस्त में पड़ती है और दान-स्नान, यज्ञ और पितृ तर्पण जैसे धार्मिक कार्यों के लिए श्रेष्ठ होती है। चलिए अब हम आपको अवगत करवाते हैं हरियाली अमावस्या की तिथि और शुभ मुहूर्त के बारे में। 

श्रावण अमावस्या की तिथि: 24 जुलाई 2025, गुरुवार    

श्रावण अमावस्या तिथि का आरंभ: 24 जुलाई 2025 की रात 02 बजकर 31 मिनट से,

श्रावण अमावस्या तिथि समाप्त: 25 जुलाई 2025 की रात 12 बजकर 43 मिनट तक। 

अब हम आगे बढ़ते हैं और बात करते हैं इस दिन बनने वाले शुभ योग के बारे में।

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श्रावण अमावस्या 2025 पर इस शुभ योग में करें पूजा

वैसे तो, हर रोज़ अनेक शुभ योग और राजयोग बनते हैं, लेकिन जब किसी विशेष तिथि पर कोई शुभ योग बनता है, तो उस तिथि का महत्व बढ़ जाता है। इस प्रकार, श्रावण अमावस्या 2025 पर  बेहद शुभ माने जाने वाले हर्शण योग का निर्माण हो रहा है जो 24 जुलाई 2025 की सुबह 09 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। यह योग ख़ुशी और आनंद के लिए जाना जाता है और इस दौरान किए गए कार्यों में सफलता और सकारात्मक फल देता है। हर्शण योग सभी तरह के शुभ कार्यों के लिए उत्तम होता है। इसके अलावा, श्रावण अमावस्या पर कर्क राशि में सूर्य और शुक्र युति कर रहे होंगे, लेकिन इसे दांपत्य जीवन के लिए शुभ नहीं कहा जा सकता है। 

श्रावण अमावस्या का धार्मिक महत्व 

धार्मिक दृष्टि से श्रावण अमावस्या को विशेष माना जाता है और सावन में पड़ने के कारण इस अमावस्या के महत्व में कई गुना वृद्धि हो जाती है। ऐसे में, यह तिथि भगवान शिव को प्रसन्न करने के साथ-साथ उनकी कृपा पाने के लिए श्रेष्ठ होती है। शास्त्रों के अनुसार, श्रावण अमावस्या पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा और स्नान-दान करना शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि महादेव की पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। इस दिन पवित्र जलाशयों और कुंडों में स्नान करने के बाद दान करना बहुत फलदायी सिद्ध होता है। यह दिन पेड़-पौधे लगाने के लिए बहुत उपयुक्त होता है। 

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श्रावण अमावस्या या हरियाली अमावस्या पर विशेष रूप से तुलसी और पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है। मान्यता है कि पीपल के वृक्ष में सभी देवी-देवताओं का वास होता है और श्रावण अमावस्या पर इनके पूजन से देवी-देवताओं की कृपा आप पर बनी रहती है। वहीं बात करें पितृ पूजन की तो, प्रत्येक अमावस्या की तरह श्रावण अमावस्या पितृ तर्पण और श्राद्ध कर्म के लिए श्रेष्ठ होती है। वर्ष भर आने वाली 12 अमावस्या में से कुछ विशेष माह में आने वाली अमावस्या का अपना अलग महत्व होता है, इन्हीं में से एक है श्रावण अमावस्या। इस तिथि पर श्राद्ध, पितृ कर्म और पितृ शांति पूजा करना कल्याणकारी माना गया है।

हरियाली अमावस्या का महत्व 

सावन अमावस्या को हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है और इस दिन नए पेड़-पौधे लगाने की परंपरा है। हरियाली अमावस्या को मानसून आगमन का प्रतीक माना जाता है क्योंकि इस दिन से बारिश की शुरुआत हो जाती है। इसके आधार पर कृषि कैसी रहेगी, इस बात की गणना की जाती है। हरियाली अमावस्या पर प्रकृति में चारों तरफ हरियाली छाई रहती है और इसे हरियाली तीज से ठीक तीन दिन पहले मनाया जाता है। 

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बता दें कि श्रावण हिंदू वर्ष का पांचवां महीना होता है और इस पूरे माह में भगवान शिव की आराधना भक्तिभाव से की जाती है। हिंदू धर्मग्रंथों में प्रकृति में भगवान का वास माना जाता है, फिर चाहे वह पेड़-पौधे और नदी-तालाब हो। इसी क्रम में, पीपल के पेड़ में त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु महेश) वास करते हैं इसलिए हरियाली अमावस्या पर पीपल और तुलसी की पूजा करने का विधान है क्योंकि तुलसी विष्णु जी को प्रिय है। 

आइए अब जानते हैं श्रावण अमावस्या की पूजा विधि के बारे में। 

श्रावण अमावस्या 2025 की पूजा विधि 

  • श्रावण अमावस्या के दिन सूर्योदय से पूर्व उठें और पवित्र नदी में स्नान करें। अगर ऐसा करना आपके लिए संभव न हो, तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। 
  • स्नान से निवृत्त होने के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करें और मंदिर में दीपक जलाने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें। यदि व्रत करना हो, तो व्रत का संकल्प करें।
  • अब शिव जी और माँ पार्वती की विधि पूर्वक उपासना करें और माता का श्रृंगार करें।  
  • अमावस्या तिथि पितरों से जुड़े कार्यों को करने के लिए उत्तम होती है इसलिए इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण और दान अवश्य करें। 
  • श्रावण अमावस्या पर भगवान का ध्यान करें और धार्मिक कार्यों में समय बिताएं। 
  • सावन माह में आने की वजह से श्रावण अमावस्या पर रुद्राभिषेक करने को शुभ माना गया है। ऐसा करने से आपको भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। 
  • अमावस्या की रात्रि में जागरण और शिव पुराण का पाठ करना चाहिए। 

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श्रावण अमावस्या 2025 पर इन कार्यों को करने से बचें 

  •  पितृ दोष के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए श्रावण अमावस्या पर नाख़ून और बाल नहीं काटने चाहिए। 
  • श्रावण अमावस्या के दिन बाल धोने से बचना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से कुंडली में नकारात्मक प्रभाव जन्म ले सकते हैं। 
  • इस दिन शुभ एवं मांगलिक कार्यों से बचना चाहिए और न ही वाहन जैसे कार, स्कूटी आदि खरीदना चाहिए। 
  • श्रावण अमावस्या पर झूठ बोलने और लालच करने से बचें। 
  •  इसके अलावा, इस दिन तुलसी, बेलपत्र और पीपल के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। 

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श्रावण अमावस्या पर ज़रूर करें ये उपाय 

  • श्रावण अमावस्या पर पीपल के पेड़ की सात बार परिक्रमा करते हुए सूत लपेटना चाहिए।  
  • जीवन से दुख दूर करने के लिए इस अमावस्या पर भगवान शिव को काले तिल अर्पित करें। 
  • आरोग्यता की प्राप्ति के लिए श्रावण अमावस्या पर आंवले के वृक्ष की पूजा करें। 
  • इस अमावस्या पर भगवान शिव को मालपुए का भोग लगाएं। ऐसा करने से दुखों का अंत होता है। 
  • श्रावण अमावस्या पर चंदन का लेप लगाने से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है।    

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. श्रावण अमावस्या साल 2025 में कब मनाई जाएगी?

साल 2025 में श्रावण अमावस्या 24 जुलाई, गुरुवार को पड़ेगी।

2. हरियाली अमावस्या पर क्या करें?

इस दिन पेड़-पौधे लगाएं और भगवान शिव की पूजा करें। 

3. एक वर्ष में कितनी अमावस्या आती हैं?

हिंदू पंचांग के अनुसार, एक साल में कुल 12 अमावस्या तिथि आती है।

कर्क राशि में बुध होंगे अस्त, इन 3 राशियों के बिगड़ सकते हैं बने-बनाए काम, हो जाएं सावधान!

कर्क राशि में बुध अस्त, इन 3 राशियों के बिगड़ सकते हैं बने-बनाए काम, हो जाएं सावधान!

बुध कर्क राशि में अस्त: धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से बुध ग्रह को महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह संसार और मनुष्य जीवन दोनों को प्रभावित करने की अपार क्षमता रखते हैं। ज्योतिष शास्त्र में बुध देव बुद्धि, वाणी और संचार कौशल के प्रमुख ग्रह माने गए हैं और सौरमंडल में ग्रहों के जनक सूर्य के सबसे नज़दीक स्थित हैं। बात करें इनके व्यक्तित्व की तो, बुध महाराज बेहद आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी हैं और यह अपनी मधुर वाणी से किसी को भी मोहित कर सकते हैं। हालांकि, बुध ग्रह धन और भाग्य से भी जुड़े हैं। अब बुध देव जल्द ही कर्क राशि में अस्त होने जा रहे हैं। एस्ट्रोसेज एआई के इस विशेष लेख में हम “बुध कर्क राशि में अस्त” के बारे में विस्तार से बात करेंगे। साथ ही, बुध की अस्त अवस्था कैसे संसार और राशियों को प्रभावित करेगी? किन उपायों की सहायता से आप बुध अस्त के दुष्प्रभावों से बच सकेंगे? इससे भी हम आपको अवगत करवाएंगे। तो चलिए बिना देर किए हम शुरुआत करते हैं इस लेख की।  

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बात करें बुध ग्रह की तो, ज्योतिष में बुध महाराज को युवा, असामान्य क्षमताओं से पूर्ण और बुद्धिमान ग्रह के रूप में वर्णित किया गया है। दूसरी तरफ, इनका स्वभाव बहुत शांत माना गया है और यह तीव्र गति से चलते हैं इसलिए इन्हें अपना राशि परिवर्तन करने और चाल या दशा में बदलाव करने में ज्यादा समय नहीं लगता है। बुध ग्रह का प्रभाव मनुष्य के बातचीत की क्षमता से लेकर प्राथमिक शिक्षा और करियर को भी प्रभावित करता है। राशि चक्र में इन्हें मिथुन और कन्या राशि का स्वामित्व प्राप्त हैं। ऐसे में, बुध ग्रह का अस्त होना देश-दुनिया और मनुष्य जीवन को प्रभावित करेगा। आइए अब हम आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं बुध अस्त की तिथि और समय। 

बुध कर्क राशि में अस्त: तिथि और समय 

बुध ग्रह को नवग्रहों में “ग्रहों के युवराज” का दर्जा प्राप्त है और इनके तेज़ गति से चलने की वजह से बुध महाराज का गोचर हर 23 से 27 दिन में होता है। साथ ही, यह जल्दी-जल्दी वक्री, मार्गी, उदय और अस्त होते हैं। इसी क्रम में, बुध ग्रह अब 24 जुलाई 2025 की शाम 07 बजकर 42 मिनट पर चंद्र देव की राशि में कर्क में अस्त हो जाएंगे। कर्क राशि में वैसे भी बुध की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं होती है क्योंकि यह इनके शत्रु चंद्रमा की राशि है। ऐसे में, अब बुध महाराज का कर्क राशि में अस्त होना निश्चित रूप से संसार और सभी राशियों के जातकों के जीवन में कुछ बड़े बदलाव लेकर आ सकता है। हालांकि, बुध अस्त के प्रभावों को जानने से पहले आपके लिए अस्त अवस्था के बारे में जानना आवश्यक है।

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ग्रह के अस्‍त होने का क्‍या मतलब है?

ज्योतिष के अनुसार, सूर्य देव के अलावा प्रत्येक ग्रह की चाल, दशा और स्थिति समय-समय पर बदलती है। इसी में से एक है ग्रह का अस्त होना। आपके मन में सवाल उठ रहे होंगे कि ग्रह का अस्त होना किसे कहते हैं? तो बता दें कि ज्योतिष की दृष्टि में जब कोई ग्रह अपने पथ पर परिक्रमा करते हुए सूर्य के इतने करीब चला जाता है कि वह सूर्य के तेज़ और तपन से प्रभावहीन हो जाता है। साथ ही, वह अपनी सारी शक्तियों को खोकर कमज़ोर हो जाता है और इसे ही, ग्रह की अस्त अवस्था कहा जाता है। 

हालांकि, हर ग्रह सूर्य से एक निश्चित डिग्री पर जाकर अस्त हो जाता है। बात करें इन ग्रहों के अस्त होने की डिग्री की, तो चंद्रमा 12 अंश पर, मंगल 07 अंश पर, बुध 13 अंश पर, गुरु देव 11 अंश पर, शनि महाराज 15 अंश पर और शुक्र ग्रह 9 अंश पर अस्त हो जाते हैं। सरल शब्दों में कहें तो, जब-जब कोई ग्रह सूर्य की परिधि में इस अंश तक पहुँच जाता है, तो वह कमज़ोर होकर अस्त हो जाता है। इसी प्रकार, अगर कोई ग्रह सूर्य के साथ उपस्थित है, लेकिन उसे 15 डिग्री की दूरी पर है तो उसे उदित कहा जाएगा। वहीं, सूर्य से 08 डिग्री की दूरी मध्यम उदित और 7 डिग्री से कम की दूरी होने पर बुध ग्रह को छोड़कर सभी ग्रह अस्त माने जाते हैं। हालांकि, सूर्य के करीब स्थित होने के कारण बुध ग्रह ज्यादातर अस्त अवस्था में रहते हैं।  

कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर

ज्योतिषीय दृष्टि से बुध ग्रह 

  • सौरमंडल में बुध को सबसे छोटा ग्रह माना जाता है जो कि एक शुभ ग्रह है। 
  • जैसे सूर्य को राजा, चंद्रमा को रानी, मंगल को सेनापति और गुरु को मंत्री का पद प्राप्त है। ऐसे में, बुध देव को “ग्रहों के राजकुमार” की उपाधि प्राप्त है। 
  • यह बुद्धि, संचार कौशल, वाणी, संवाद, अकाउंट, व्यापार, गणित और तर्क के कारक ग्रह हैं। 
  • बुध एक द्विस्वभाव ग्रह है यानी कि कुंडली में यह जिस ग्रह के साथ बैठे होते हैं, उसी के अनुसार आपको फल प्रदान करते हैं। 
  • अगर यह शुभ ग्रह के साथ मौजूद होंगे, तो आपको सकारात्मक परिणाम देंगे जबकि पापी ग्रहों के साथ स्थित होने पर बुध देव से मिलने वाले परिणाम नकारात्मक होंगे।
  • बुध ग्रह काल पुरुष कुंडली में कन्या और मिथुन राशि के अधिपति देव हैं।
  • हालांकि, कन्या राशि में बुध महाराज उच्च अवस्था में होते हैं और मीन राशि में नीच के होते हैं।
  • बात करें नक्षत्रों की, तो इन्हें 27 नक्षत्रों में ज्येष्ठा, रेवती और अश्लेषा नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त है। 
  • सूर्य और शुक्र के साथ बुध देव के मित्रवत संबंध है जबकि यह मंगल ग्रह एवं चंद्र देव के शत्रु माने जाते हैं। वहीं, इनके गुरु और शनि के साथ तटस्थ संबंध है। 
  • बुध ग्रह की महादशा 17 वर्षों तक चलती है। 

मज़बूत बुध का जीवन पर प्रभाव 

  • कुंडली में बुध ग्रह के अनुकूल या उच्च राशि में होने पर जातक अपने विचारों को आसानी से दूसरे के सामने रखने में सक्षम होता है और इनकी वाणी भी प्रभावशाली होती है। बुध देव के आशीर्वाद से व्यक्ति बुद्धिमान, विश्लेषणात्मक और सरल स्वभाव का बनता है।
  • बुध देव के लाभकारी होने से जातक ज्ञानी और तर्कशास्त्र में माहिर होता है। ऐसे जातक राजनीति में महारत हासिल करता है और इन्हें वाद-विवाद में हराना बेहद मुश्किल होता है।
  • जिन जातकों की कुंडली में बुध महाराज शुभ स्थिति में होते हैं, उनको अच्छे स्वास्थ्य, वाणी में मिठास और ज्ञान की प्राप्ति होती है। 
  • इनकी कृपा से व्यक्ति का संचार कौशल बेहतर होता है और उनकी बातों से अन्य लोग आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं।
  • अगर बुध कमज़ोर या दुर्बल अवस्था में होते हैं, तो ऐसा इंसान बहुत चालाक और तेज़ होता है। इनके प्रभाव से व्यक्ति झूठा, दिखावा करने वाला  और धोखेबाज़ बनता है। इन जातकों को दूसरों से किए वादे भूलने में समय नहीं लगता है। 

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बुध ग्रह का शुभ अंक और रंग 

ज्योतिष में हर ग्रह को समर्पित एक दिन और अंक होता है। साथ ही, प्रत्येक ग्रह का अपना प्रिय रंग होता है। अगर किसी ग्रह को मज़बूत करना हो या प्रसन्न करना हो या फिर ग्रह के नकारात्मक प्रभाव से मुक्ति प्राप्त करनी हो, तो उस ग्रह से जुड़े अंक, रंग और दिन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 

बात करें बुध ग्रह की, तो ज्योतिष में बुध का प्रिय रंग हरा माना गया है और इन्हें समर्पित दिन बुधवार है। ऐसे में, यदि आप बुध को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो आपको बुधवार के दिन हरे रंग के कपड़े ज्यादा से ज्यादा पहनने चाहिए। बुधवार के दिन बुध देव की पूजा-अर्चना और व्रत करना फलदायी माना जाता है। जब कुंडली में किसी इंसान पर बुध की महादशा चल रही हो, तो बुधवार के दिन बुध ग्रह के लिए व्रत और पूजन करने से सकारात्मक परिणामों की प्राप्ति होती है। दूसरी तरफ, अंकों में बुध महाराज का संबंध अंक 05 से है और यह उत्तर दिशा को नियंत्रित करते हैं।

बुध कर्क राशि में अस्त के दौरान आज़माएं लाल किताब के ये उपाय 

दुर्गा पूजन

बुध ग्रह को मज़बूत करने के लिए बुधवार के दिन देवी दुर्गा के मंदिर जाएं और उन्हें हरे रंग की चूड़ियां अर्पित करें। साथ ही, इस दिन “ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:” मंत्र का जाप करना फलदायी साबित होगा। 

इन महिलाओं का करें सम्मान

जो जातक बुध ग्रह से शुभ परिणाम पाना चाहते हैं, उन्हें बेटी, बहन, बुआ और साली आदि के साथ रिश्ते अच्छे बनाकर रखने चाहिए। साथ ही, उनके सम्मान करें और बुधवार के दिन उन्हें कुछ मीठा खिलाएं। 

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नाक छिदवाएं

ऐसे जातक जिनकी जन्म कुंडली में बुध ग्रह आठवें भाव में विराजमान होते हैं या फिर पीड़ित अवस्था में होते हैं, उन्हें बुधवार के दिन नाक छिदवानी चाहिए। साथ ही, अगले 43 दिन तक नाक में चांदी पहनकर रखनी चाहिए। 

मूंग का दान 

जो लोग बुध ग्रह को बलवान करना चाहते हैं, उनके लिए साबुत हरे मूंग का दान करना शुभ साबित होगा। 

तुलसी का सेवन करें 

बुध देव से सकारात्मक परिणाम पाने के लिए बुधवार को तुलसी की पत्ती का धोकर सेवन करें क्योंकि ऐसा करना अच्छा माना जाता है। 

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बुध कर्क राशि में अस्त: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय 

मेष राशि

मेष राशि की कुंडली में बुध ग्रह तीसरे और छठे भाव के स्वामी होते हैं और बुध ग्रह… (विस्तार से पढ़ें) 

वृषभ राशि

वृषभ राशि वालों बुध ग्रह आपकी कुंडली में दूसरे तथा पांचवें भाव के स्वामी होते… (विस्तार से पढ़ें) 

मिथुन राशि

मिथुन राशि वालों की कुंडली में बुध ग्रह उनके लग्न या राशि के स्वामी होने के साथ… (विस्तार से पढ़ें) 

कर्क राशि

कर्क राशि की कुंडली में बुध ग्रह तीसरे और द्वादश भाव के स्वामी होते हैं और बुध… (विस्तार से पढ़ें) 

सिंह राशि

सिंह राशि के लिए बुध ग्रह दूसरे तथा लाभ भाव के स्वामी होते हैं और बुध ग्रह …(विस्तार से पढ़ें)  

कन्या राशि

कन्या राशि की कुंडली में बुध ग्रह लग्न या राशि के स्वामी होने के साथ-साथ दशम …(विस्तार से पढ़ें) 

तुला राशि

तुला राशि की कुंडली में बुध ग्रह भाग्य तथा द्वादश भाव के स्वामी होते हैं और यह…(विस्तार से पढ़ें) 

वृश्चिक राशि 

बुध ग्रह आपकी कुंडली में अष्टम तथा लाभ भाव के स्वामी होते हैं और बुध ग्रह आपके…(विस्तार से पढ़ें) 

धनु राशि 

धनु राशि  की कुंडली में बुध ग्रह सातवें तथा दशम भाव के स्वामी होते हैं और यह…(विस्तार से पढ़ें) 

मकर राशि

मकर राशि के लिए बुध ग्रह छठे तथा भाग्य भाव के स्वामी होते हैं और बुध ग्रह…(विस्तार से पढ़ें)

कुंभ राशि

कुंभ राशि की कुंडली में बुध ग्रह पंचम तथा अष्टम भाव के स्वामी होते हैं और बुध ग्रह …(विस्तार से पढ़ें) 

मीन राशि

मीन राशि के लिए बुध ग्रह आपकी कुंडली में चौथे तथा सप्तम भाव के स्वामी होते हैं और…(विस्तार से पढ़ें) 

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. बुध कर्क राशि में अस्त कब होंगे?

चंद्र देव की राशि कर्क में बुध ग्रह 24 जुलाई 2025 को अस्त हो जाएंगे।

2. बुध ग्रह कौन हैं?

ज्योतिष में बुध को ग्रहों का युवराज माना जाता है जो बुद्धि, वाणी, व्यापार और तर्क आदि को नियंत्रित करते हैं। 

3. बुध के साथ चंद्रमा के संबंध कैसे हैं?

बुध ग्रह चंद्र देव के साथ शत्रुता का भाव रखते हैं।    

बुध का कर्क राशि में उदित होना इन लोगों पर पड़ सकता है भारी, रहना होगा सतर्क!

बुध का कर्क राशि में उदित होना इन लोगों पर पड़ सकता है भारी, रहना होगा सतर्क!

बुध ग्रह लगभग हर 30 दिन के अंदर एक राशि से दूसरर राशि में गोचर करते हैं। बुध के गोचर करने का प्रभाव मनुष्‍य समेत देश-दुनिया पर भी पड़ता है। इस बार बुध ग्रह 9 अगस्त 2025 को कर्क राशि में उदित हो रहे हैं। सूर्य का नजदीकी ग्रह होने के कारण बुध ग्रह का अस्त होना दोष नहीं माना गया है। आइए जानते हैं कि बुध का उदित होना किन राशि के जातकों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।

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इन राशि वालों को होगा नुकसान

वृषभ राशि

वृषभ राशि के दूसरे तथा पांचवें भाव के स्वामी बुध ग्रह हैं। यह आपके तीसरे भाव में रहते हुए अस्त से उदय होंगे। तीसरे भाव में बुध ग्रह के गोचर को बहुत अच्छा नहीं माना गया है। इस दौरान .

आपकी अपने भाई-बहनों के साथ विवाद हो सकता है। पड़ोसियों से अनबन हो सकती है। धन की भी हानि होने की आशंका है। आपके शत्रु आप पर भारी पड़ सकते हैं। हालांकि, आपको पारिवारिक मामलों में अनुकूल परिणाम देखने को मिल सकते हैं। पांचवे भाव के स्‍वामी के उदित    होने से छात्रों को सफलता मिलेगी। शादीशुदा लोग भी अपने रिश्‍ते को लेकर संतुष्‍ट महसूस करेंगे। अस्थमा रोगियों को दवा खरीदने में सहयोग करें।

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कर्क राशि

कर्क राशि के तीसरे और द्वादश भाव के स्वामी बुध ग्रह हैं। यह आपके प्रथम भाव में ही अस्त से उदय हो रहे हैं। बुध की स्थिति आपके लिए फायदेमंद साबित नहीं होगी। आपको इस दौरान नकारात्‍मक परिणाम मिलने के संकेत हैं। अगर आपको सेहत और धन को लेकर कोई समस्‍या आ रही थी या अस्‍पताल या कोर्ट-कचहरी के चक्‍कर लगाने पड़ रहे थे, तो आपकी परेशानी बढ़ सकती है। आपको हर किसी से सभ्‍य तरीके से बात करने की सलाह दी जाती है।किसी की भी निंदा न करें। धन से संबंधित मामलों में सावधानी बरतें। मांस मदिरा और अंडे इत्यादि का सेवन करने से बचें।

कर्क साप्ताहिक राशिफल

सिंह राशि

सिंह राशि के दूसरे तथा लाभ भाव के स्वामी बुध ग्रह हैं। अब बुध आपके द्वादश भाव में उदित होने जा रहे हैं। द्वादश भाव में बुध ग्रह के गोचर को अच्छे परिणाम देने वाला नहीं माना जाता। इस दौरान आपको मिले-जुले परिणाम मिल सकते हैं। कुछ मामलों में अनुकूल परिणाम मिलेंगे, तो वहीं कुछ चीज़ों में नुकसान देखना पड़ सकता है। इस दौरान आपके खर्चों में बहुत ज्‍यादा वृद्धि होने के संक‍ेत हैं। हालांकि, धन लाभ और कमाई होने से आपको इन खर्चों को संभालने में ज्‍यादा दिक्‍कत नहीं आएगी। इस समय अपनी सेहत को लेकर किसी भी तरह की कोई लापरवाही न बरतें। मानसिक चिंता को दूर करने का प्रयास करें। स्‍टूडेंट्स को अधिक फोकस के साथ पढ़ाई करने की जरूरत है। आप रोज़ माथे पर केसर का टीका लगाएं।

सिंह साप्ताहिक राशिफल

कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर

वृश्चिक राशि

बुध ग्रह आपकी कुंडली में आठवें तथा लाभ भाव के स्वामी हैं। अब बुध आपके भाग्य भाव में रहते हुए उदित हो रहे हैं। इस भाव में बुध की उपस्थिति को अनुकूल नहीं माना जाता है। आपके रुके हुए काम तो बन सकते हैं लेकिन नए कार्यों में अड़चनें आ सकती हैं। आपको ऐसा महसूस होगा जैसे आपका भाग्‍य आपका साथ नहीं दे पा रहा है। आपको अपनी प्रतिष्‍ठा को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है। गाय को हरी घास खिलाएं।

वृश्चिक साप्ताहिक राशिफल

मकर राशि

बुध ग्रह मकर राशि के छठे और भाग्य भाव के स्वामी हैं। अब वह आपके सप्तम भाव में रहते हुए अस्त से उदित हो रहे हैं। सप्तम भाव में बुध ग्रह के गोचर को अच्छा नहीं माना जाता है। इस दौरान आपको अधिक नकारात्‍मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं। बुध ग्रह के उदित होने से आपको मिले-जुले परिणाम मिल सकते हैं। अगर पति-पत्‍नी के बीच पहले से ही कोई अनबन या परेशानी चल रही थी, तो अब वह नया मोड़ ले सकती है। रिश्‍ते में खटास के बढ़ने की आशंका है। सेहत पर अधिक ध्‍यान देने की जरूरत है। उच्च अधिकारियों या शासन प्रशासन से जुड़े हुए कर्मचारियों से किसी भी तरीके का विवाद नहीं करना है। व्‍यावसायिक यात्राएं असफल हो सकती हैं। इस समय आप किसी भी तरह का कोई जोखिम न उठाएं।

मकर साप्ताहिक राशिफल

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मीन राशि

मीन राशि के लिए बुध ग्रह उनके तीसरे तथा सातवें भाव के स्वामी हैं। अब बुध का कर्क राशि में उदय आपके पंचम भाव में होगा। सामान्य तौर पर पंचम भाव में बुध ग्रह के गोचर को अच्छे परिणाम देने वाला नहीं माना जाता है। आप किसी बात को लेकर नाखुश रह सकते हैं। आपके तनाव में भी वृद्धि होने की आशंका है। संतान को लेकर कोई परेशानी आ सकती है। पैसों को लेकर भी आपकी चिंताएं बढ़ सकती हैं। हालांकि, यह समय वैवाहिक जीवन और पारिवारिक जीवन के लिए थोड़ा अनुकूल रहने वाला है। कुछ एक मामलों में बेहतरी आएगी। तो वहीं कुछ एक मामलों में कठिनाइयां भी देखने को मिल सकती हैं। देसी गाय को देसी घी की रोटी खिलाएं। 

मीन साप्ताहिक राशिफल

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

प्रश्‍न 1. बुध ग्रह के लिए क्या उपाय करना चाहिए?

उत्तर. बुध मंत्र का जाप करना चाहिए।

प्रश्न. बुध ग्रह की राशियां कौन सी हैं?

उत्तर. कन्या और मिथुन राशि।

प्रश्न 3. बुध का रत्न क्या है?

उत्तर. पन्ना रत्न।

शुक्र का मिथुन राशि में गोचर: जानें देश-दुनिया व राशियों पर शुभ-अशुभ प्रभाव

शुक्र का मिथुन राशि में गोचर: जानें देश-दुनिया व राशियों पर शुभ-अशुभ प्रभाव

एस्ट्रोसेज एआई के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको शुक्र का मिथुन राशि में गोचर के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। साथ ही, यह भी बताएंगे कि शुक्र के गोचर का प्रभाव सभी 12 राशियों पर किस प्रकार से पड़ेगा। बता दें कुछ राशियों को शुक्र के गोचर से बहुत अधिक लाभ होगा तो, वहीं कुछ राशि वालों को इस अवधि बहुत ही सावधानी से आगे बढ़ने की आवश्यकता होगी क्योंकि उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, इस ब्लॉग में शुक्र ग्रह को मजबूत करने के कुछ शानदार व आसान उपायों के बारे में भी बताएंगे और देश-दुनिया व शेयर मार्केट पर भी इसके प्रभाव के बारे में चर्चा करेंगे।

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बता दें कि शुक्र का मिथुन राशि में गोचर 26 जुलाई 2025 को होगा। तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं किस राशि के जातकों को इस दौरान शुभ परिणाम मिलेंगे और किन्हें अशुभ। लेकिन पहले जान लेते हैं ज्योतिष में शुक्र ग्रह का महत्व।

ज्योतिष में शुक्र ग्रह का महत्व

शुक्र जब वृषभ, तुला और मीन राशि में होता है, तो इसे बहुत ताकतवर माना जाता है। इन राशियों में शुक्र सुंदरता, नजाकत और स्टाइल की अच्छी समझ लेकर आता है। जिन लोगों की कुंडली में शुक्र मजबूत होता है, उनमें अक्सर लंबी पलकें, बड़ी-बड़ी आंखें, भरे होंठ, मुलायम त्वचा और घने बाल जैसी खूबसूरती दिखती है। यदि किसी की कुंडली में शुक्र अच्छी स्थिति में विराजमान है तो,उन्हें जीवन में ऐशोआराम, शोहरत और सफलता कई तरीकों से मिलती है। जब शुक्र मीन राशि में आता है, तो उसमें नरमी और आध्यात्मिकता के गुण भी आ जाते हैं। मीन राशि में शुक्र को उच्च माना जाता है यानी यहां वो सबसे ज्यादा प्रभावशाली होते हैं।

शुक्र का मिथुन राशि में गोचर: समय

शुक्र 26 जुलाई, 2025 की सुबह 08 बजकर 45 मिनट पर मिथुन राशि में गोचर करेंगे। शुक्र यहां आरामदायक स्थिति में विराजमान रहेंगे और अच्छा प्रदर्शन करेंगे तथा निश्चित रूप से अधिकांश राशियों के लिए सकारात्मक परिणाम लेकर आएंगे। आइए जानते हैं किन जातकों को इस अवधि लाभ होगा और किन जातकों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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शुक्र का मिथुन राशि में गोचर: इन राशियों को होगा लाभ

मेष राशि

मेष राशि के जातकों के लिए शुक्र आपके तीसरे भाव में गोचर करेंगे। शुक्र आपके दूसरे और सातवें भाव के स्वामी हैं। चूंकि शुक्र अपनी मित्र राशि में होगा, इसलिए यह आपके लिए लाभकारी परिणाम लेकर आएंगे। इस गोचर का प्रभाव आपके समग्र विकास के लिए लाभदायक होगा। आपको आर्थिक रूप से फायदा होगा। आपके पड़ोसी और भाई-बहन आपकी मदद के लिए आगे आएंगे और पुराने दोस्तों से फिर से मुलाकात होगी। 

इस दौरान आप नए कपड़े व लग्जरी शॉपिंग करेंगे। साथ ही, आपका झुकाव कला और संगीत की ओर अधिक होगा। इस दौरान आपको अपने प्रियजनों के साथ समय बिताने के अधिक अवसर मिलेंगे। आप अच्छा पैसा कमाएंगे और यदि आप किसी सरकारी योजना या काम से जुड़े हैं, तो उसमें भी फायदा मिलेगा। कुल मिलाकर यह समय आपके लिए सुखद और फायदेमंद होगा।

वृषभ राशि

वृषभ राशि के जातकों के लिए शुक्र आपके छठे भाव और लग्न भाव के स्वामी हैं। मिथुन राशि में गोचर के दौरान शुक्र आपके दूसरे भाव में होंगे यानी अपनी राशि में होंगे। आय और परिवार के दूसरे भाव में शुक्र का गोचर आमतौर पर अच्छा माना जाता है और चूंकि यह अपनी राशि में है इसलिए आपको अनुकूल परिणाम प्रदान करेंगे। शुक्र शनि के हानिकारक प्रभावों को भी कर करेगा।

इस दौरान आपको हर काम में सफलता मिलेगी और इस समय में आर्थिक लाभ होने के अच्छे योग हैं। विद्यार्थियों के लिए भी यह समय फायदेमंद रहेगा, खासतौर पर जो लोग साहित्य, कला और रचनात्मक विषयों में पढ़ाई कर रहे हैं। वहीं जिनका विवाह टल रहा था, उनके लिए भी बात आगे बढ़ सकती है। यह गोचर प्रेम संबंधों को भी मजबूत करेगा। आर्थिक रूप से आपको स्थिरता देगा और बिज़नेस में सफलता के संकेत देगा।

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कन्या राशि

कन्या राशि वाले जातकों के लिए शुक्र दूसरे और नौवें भाव के स्वामी हैं। शुक्र का गोचर आपके भाग्य और नियति के दसवें भाव में होगा। शुक्र का इस भाव में आना आमतौर पर काफी शुभ माना जाता है। इस समय आपका भाग्य खुद-ब-खुद आपका साथ देगा। जो काम आप मेहनत से करेंगे, उनमें आपको अच्छा फल मिलेगा। साथ ही, किस्मत भी आपका साथ देगी, जिससे सफलता पाना आसान हो जाएगा। सरकारी कामकाज या प्रशासनिक मामलों में भी चीजें सहजता से पूरी हो सकती हैं। धार्मिक यात्रा पर जाने का मौका भी मिल सकता है।

इसके अलावा, परिवार में कुछ अच्छा हो सकता है या परिवार के किसी सदस्य को कोई शुभ समाचार मिल सकता है। कुल मिलाकर, यह गोचर परिवार धन और भाग्य से जुड़े मामलों में फायदा देने वाला रहेगा।

तुला राशि

तुला राशि आपके लग्न और आठवें भाव के स्वामी हैं और शुक्र का गोचर आपके नवम भाव में होगा। आठवें भाव के स्वामी का नौवें भाव में गोचर अक्सर ग्रहों के गोचर के लिए प्रतिकूल माना जाता है, लेकिन चूंकि शुक्र आपका लग्न स्वामी भी है और मिथुन इसकी मित्र राशि है इसलिए इस गोचर के अच्छे परिणाम मिलने की संभावना है। आर्थिक रूप से यह समय आपके लिए फायदेमंद हो सकता है, लेकिन आपको हर परिस्थिति में धैर्य बनाए रखना जरूरी होगा।

सफलता पाने के लिए आपको पहले से ज्यादा संयम और मेहनत की जरूरत पड़ेगी। सेहत का विशेष ध्यान रखें, खासकर जब आप वाहन चला रहे हों या यात्रा कर रहे हों। अगर आप सावधानी और धैर्य से काम लेंगे, तो आप अपना मन सकारात्मक बनाए रख पाएंगे और आर्थिक सफलता भी हासिल कर सकते हैं। कुल मिलाकर यह गोचर खुशियां और सफलता की संभावना बढ़ाता है, लेकिन इसके लिए सावधानी और धैर्य सबसे जरूरी होंगे।

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शुक्र का मिथुन राशि में गोचर: इन राशियों पर पड़ेगा नकारात्मक प्रभाव

कर्क राशि

कर्क राशि के जातकों के लिए शुक्र चौथे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं और अब यह आपके बारहवें भाव में गोचर करेंगे। इस गोचर के दौरान आपकी खर्चों में काफी बढ़ोतरी हो सकती है, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह खर्चे आपको वित्तीय रूप से फायदे भी देंगे। आप घर को सजाने संवारने, नई चीजें खरीदने और रोजमर्रा की जिंदगी को ज्यादा आरामदायक बनाने में पैसा खर्च करेंगे।

आशंका है कि आप घर की मरम्मत या रिनोवेशन शुरू करें और उसमें कुछ नई सुविधाएं जोड़ें। अगर आपके ऊपर कोई कानूनी मामला चल रहा है, तो उसमें भी खर्चा आ सकता है। साथ ही, वैवाहिक जीवन और प्रेम संबंधों में गर्मजोशी और गहराई भी बढ़ेगी। कुल मिलाकर यह गोचर भले ही खर्च बढ़ा दें , लेकिन यह सुख-सुविधा, प्रेम और आर्थिक लाभ भी लेकर आएगा।

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए शुक्र सातवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं और शुक्र का मिथुन राशि में गोचर आपके आठवें भाव में होगा। शुक्र के इस गोचर के दौरान आपके निजी जीवन में उतार-चढ़ाव आ सकता है। एक ओर जहां आप अपने रिश्तों को मजबूत महसूस करेंगे, वहीं आप चुपचाप अपने प्रेम संबंधों को आगे बढ़ाने की कोशिश भी करते रहेंगे।

आर्थिक दृष्टिकोण से यह समय आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। अगर आपने शेयर बाजार में पैसा लगाया है, तो इस समय अच्छे लाभ की संभावना है, जिससे आपकी वित्तीय स्थिति बेहतर होगी। इस दौरान आपको ससुराल में किसी शादी या समारोह में शामिल होने का अवसर मिल सकता है, जिससे परिवार में खुशियों का माहौल बनेगा और सभी प्रसन्न रहेंगे। जो लोग नौकरी में हैं, उन्हें कर्मों का अच्छा फल मिलेगा और उनके काम की सराहना की जाएगी। वहीं व्यापारियों के लिए भी यह समय व्यवसाय में बढ़ोतरी लेकर आएगा। कुल मिलाकर यह गोचर प्रेम,पैसा और पारिवारिक सुख देने वाला साबित होगा।

शुक्र का मिथुन राशि में गोचर: उपाय

  • शुक्रवार को व्रत रखें और चावल, चीनी आदि सफेद चीजें दान करें।
  • शुक्रवार को देवी लक्ष्मी या देवी दुर्गा की पूजा करें और लाल फूल चढ़ाएं।
  • हर सुबह महालक्ष्मी अष्टकम का पाठ करें।
  • अधिक से अधिक सफेद और गुलाबी कपड़े पहनने की कोशिश करें और अच्छी स्वच्छता बनाए रखें।
  • शुक्र के मंत्र “ओम द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः” का जाप करें।

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शुक्र का मिथुन राशि में गोचर: विश्वव्यापी प्रभाव

रचनात्मक, कला और फैशन व्यवसाय

  • दुनियाभर में फैशन उद्योग और फैशन व्यवसायों में उछाल देखने को मिल सकता है।
  • शुक्र का मिथुन राशि में गोचर के दौरान कॉस्मेटोलॉजिस्ट और प्लास्टिक सर्जन जैसे व्यवसायों का भी समर्थन कर सकता है।
  • यह गोचर सौंदर्य उपचार और उनसे संबंधित मशीनरी और उपकरणों से संबंधित प्रौद्योगिकियों में कुछ उन्नति देखने को मिल सकती है।

मीडिया और संचार

  • मीडिया और संचार से जुड़े व्यवसायों में लगे लोग अपने करियर में बेहतर प्रदर्शन करेंगे।
  • इस अवधि के दौरान मीडिया लोगों का ध्यान आकर्षित करेगा क्योंकि मीडिया की मदद से दुनिया भर में नए और महत्वपूर्ण एजेंडे सामने आएंगे।
  • परामर्श और अन्य संचार सेवाओं में लगे लोग बेहतर प्रदर्शन करेंगे।

शुक्र का मिथुन राशि में गोचर: आने वाली फिल्मों पर प्रभाव

शुक्र कला और मनोरंजन पर शासन करने वाला ग्रह है और इसका गोचर स्पष्ट रूप से बॉलीवुड और हॉलीवुड फिल्म उद्योग के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। शुक्र और सूर्य दो ग्रह हैं, जो जन्म कुंडली में रचनात्मकता पर शासन करते हैं। शुक्र अब 26 जुलाई 2025 को मिथुन राशि में गोचर करेंगे, तो आइए देखें कि यह गोचर फ़िल्मों और उनके बॉक्स ऑफ़िस कलेक्शन को कैसे प्रभावित करेगा। बता दें कि मिथुन राशि के स्वामी बुध हैं, जो संचार, मीडिया और बुद्धिमान का प्रतीक है। शुक्र को मिथुन राशि में रहना बहुत अनुकूल और आरामदायक स्थिति मानी जाती है।

26 जुलाई 2025 के बाद रिलीज़ होने वाली फ़िल्में हैं: (हिंदी/अंग्रेजी)

फिल्म का नामस्टार कास्टरिलीज डेट
धड़क 2सिद्धांत चतुर्वेदी, तृप्ति डिमरी01 अगस्त 2025
वॉर 2ऋतिक रोशन14  अगस्त 2025
वांटेड 2सलमान खान15  अगस्त 2025

हमने जुलाई महीने के ग्रह गोचर के आधार पर एक ज्योतिषीय विश्लेषण किया है। इस विश्लेषण के अनुसार, ग्रहों की स्थिति अधिकांश फिल्मों के लिए अनुकूल दिखाई दे रही है। इससे यह संकेत मिलता है कि ज्यादातर फिल्में बड़े पर्दे पर अच्छा प्रदर्शन करेगी। वॉर 2 और वांटेड 2 जैसी बड़ी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर अच्छा कलेक्शन कर सकती हैं और इन्हें दर्शकों का प्रेम और सराहना मिल सकता है। वहीं दूसरी ओर धड़क 2 को लेकर स्थिति कुछ कमजोर लग रही है। यह फिल्म अपेक्षा के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर पाएगी और हो सकता है कि दर्शकों से उतना अच्छा रिस्पॉन्स ना मिल पाए। कुल मिलाकर, ग्रहों की चाल जून महीने में बॉलीवुड के लिए ज्यादातर सकारात्मक संकेत दे रही है, पर कुछ फिल्मों के लिए सावधानी और बेहतर रणनीति की आवश्यकता भी है।

शुक्र का मिथुन राशि में गोचर- शेयर बाजार रिपोर्ट

  • वस्‍त्र उद्योग और हथकरघा मिलों को इस शुक्र के मिथुन राशि में गोचर से लाभ होगा।
  • इस गोचर के दौरान इत्र और परिधान उद्योग के साथ-साथ फैशन एक्सेसरीज उद्योग में भी तेजी देखने को मिल सकती है।
  • व्यावसायिक परामर्श और लेखन या मीडिया विज्ञापन से संबंधित फर्म और प्रिंट, दूरसंचार और प्रसारण उद्योग के सभी बड़े नाम सकारात्मक परिणाम देख सकते हैं।
  • वास्तुकला, इंटीरियर डिजाइन और वित्त से जुड़ी फर्मों को इस गोचर से लाभ होगा।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1. शुक्र किस राशि में उच्च का होता है?

मीन राशि।

2. कौन से ग्रह शुक्र के मित्र हैं?

शनि और बुध।

3. क्या शुक्र आंतरिक ग्रह मंडल का हिस्सा है या बाहरी ग्रह मंडल का?

शुक्र आंतरिक ग्रह मंडल का हिस्सा है।

क्या है प्यासा या त्रिशूट ग्रह? जानिए आपकी कुंडली पर इसका गहरा असर!

क्या है प्यासा या त्रिशूट ग्रह? जानिए आपकी कुंडली पर इसका गहरा असर!

एस्ट्रोसेज एआई की कोशिश रहती है कि हर ब्लॉग के जरिए आपको ज्योतिष से जुड़ी दिलचस्प और महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सके। ताकि हमारे पाठक ज्योतिष की रहस्यमय दुनिया की नई घटनाओं से अपडेट रहे। आज हम एक ऐसे ही दुर्लभ और कम चर्चित विषय की बात कर रहे हैं। विषय है प्यासा या त्रिशूट ग्रह। बहुत से लोग इस विषय के बारे में अनजान होंगे। तो आइए आगे बढ़ते हैं और चर्चा करते हैं इस नए विषय के बारे में।

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वैदिक ज्योतिष, जिसे ज्योतिष शास्त्र भी कहा जाता है, दुनिया की सबसे पुरानी और गहरी ज्योतिष विधाओं में से एक है। इसका आधार भारत के पवित्र वेदों में है। यह प्राचीन ज्ञान इंसान के जीवन, भाग्य और आध्यात्मिक रास्ते को समझने में गहराई से मदद करता है। पश्चिमी ज्योतिष जहाँ सिर्फ सूर्य राशि पर आधारित होती है, वहीं वैदिक ज्योतिष नक्षत्रों की वास्तविक स्थिति यानी आसमान में तारों की असली जगह पर ध्यान देती है। वैदिक ज्योतिष में कर्म और धर्म का खास महत्व होता है। यह व्यक्ति को उसकी आत्मिक दिशा से जोड़ने और सोच-समझकर फैसले लेने में मदद करता है। दशा प्रणाली, गोचर और ग्रह योग के जरिए यह समय का सटीक अनुमान और दिशा देता है।

ज्योतिष शास्त्र की नींव ग्रहों, उनके संयोग, स्थिति, दृष्टि और उनकी अवस्थाओं पर आधारित होती है। इन ग्रहों की स्थितियां और मेलजोल से हजारों तरह की बातें निकलती हैं, जो व्यक्ति के जीवन और रोजमर्रा की घटनाओं को प्रभावित करती हैं। ऐसी ही एक अवधारणा प्यासा या त्रिशूट ग्रह है, जिसके बारे में आज हम बात करेंगे।

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प्यासा या त्रिशूट ग्रह क्या होता है?

वैदिक ज्योतिष में प्यासा ग्रह उस ग्रह को कहा जाता है, जो किसी व्यक्ति के जीवन में गहरी इच्छाएं, अपूर्ण लालसाएं लेकर आता है। प्यासा शब्द का अर्थ होता है- ऐसा कुछ जिसकी चाह बहुत है लेकिन वह पूरी नहीं हो पा रही है। यह विचार सिर्फ उन्हीं ग्रहों पर लागू होता है, जो जल तत्व की राशियों में स्थित हों यानी कर्क, वृश्चिक और मीन राशि।

ऐसे ग्रह व्यक्ति के जीवन में ऐसा भाव पैदा करते हैं कि जैसे कुछ कमी रह गई हो, चाहे वह भावनात्मक संतुष्टि हो, प्यार हो, पहचान हो, धन-संपत्ति हो या फिर आध्यात्मिक शांति। प्यासा ग्रह की वजह से व्यक्ति के भीतर बेचैनी, तलाश और भटकाव आ सकता है। ये ग्रह अक्सर कर्मों का बोझ या पिछले जन्म की अधूरी इच्छाओं का संकेत होते हैं और यह व्यक्ति को लंबे संघर्षों के बाद आत्मिक जागरूकता या त्याग की ओर ले जाते हैं।

कर्क, वृश्चिक व मीन राशि को ही क्यों त्रिशूट ग्रह माना जाता है?

अब सवाल उठता है कि सिर्फ वही ग्रह जो जल राशि में हों, उन्हें ही प्यासा या त्रिशूट ग्रह क्यों कहा जाता है? इसका कारण यह है कि कुंडली में जो चौथा, आठवां और बारहवां भाव होता है, उन्हें मोक्ष त्रिकोण कहा जाता है, यानी ऐसे भाव जो आत्मिक विकास, मुक्ति या आध्यात्मिक उन्नति से जुड़े होते है। यदि हम इन भावों को देखें तो चौथा भाव- मानसिक शांति, घर, सुख और आराम का भाव होता है। आठवां भाव गुप्त इच्छाओं, गहरे रहस्यों और परिवर्तन का भाव होता है। बारहवां भाव- शैय्या सुख, त्याग, अलगाव और विदेश संबंधी बातों का भाव होता है। 

ये सभी भाव कहीं न कहीं इच्छाओं और आंतरिक प्यास से जुड़े होते हैं, चाहे वह भावनात्मक हो, शारीरिक हो या आध्यात्मिक। अब चूंकि जल तत्व की राशि यानी कर्क, वृश्चिक व मीन भावनाओं और संवेदनाओं से जुड़ी होती हैं और जल ऊर्जा को बहुत जल्दी सोख लेता है, इसलिए यदि कोई ग्रह इन राशियों में होता है, तो वह इंसान के भीतर एक गहरी तृष्णा यानी प्यास या अपूर्ण लालसा जगा देता है। यही वजह है कि सिर्फ जल राशि में स्थित ग्रहों को ही प्यासा या त्रिशूट ग्रह माना जाता है।

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कुंडली में त्रिशूट ग्रह बनने की स्थिति क्या होती है?

त्रिशूट ग्रहों को आमतौर पर ऐसे ग्रह माना जाता है, जो व्यक्ति को कठिन अनुभवों के माध्यम से परिवर्तन और आत्मिक उन्नति की ओर ले जाते हैं। ये ग्रह जीवन में ऐसी गहन परिस्थितियां लाते हैं, जो बाहर से सजा जैसी लग सकती हैं, लेकिन अंदर से आत्मा को जागरूक और मजबूत बनाने के लिए होती हैं। ये ग्रह अक्सर पिछले जन्मों के कर्मों जुड़े होते हैं। यानी ऐसे कर्म जिन्हें इस जीवन में भुगतना ही होता है। इन ग्रहों का प्रभाव कठिन जरूर होता है, लेकिन अगर व्यक्ति हिम्मत और समझदारी से  इन स्थितियों का सामना करे, तो भीतर से बेहद ताक़तवर और अनुभवी बन सकता है।

कुंडली में प्यासा या त्रिशूट ग्रह बनने की स्थितियां

  • कोई भी ग्रह अगर जल राशि (कर्क, वृश्चिक और मीन) में स्थित हो और उस पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि हो, साथ ही उस पर कोई शुभ ग्रह असर न डाल रहा हो, तो ऐसे ग्रह प्यासा या त्रिशूट बन जाते हैं।
  • अगर कोई ग्रह नीच का हो जैसे मंगल कर्क में और उस पर किसी पाप ग्रह की दृष्टि हो या वह राहु-केतु की धुरी में फंसा हो, तब भी वह त्रिशूट ग्रह माना जाता है। 
  • यदि कोई ग्रह जल राशि में किसी पाप ग्रह के साथ स्थित हो और उस पर कोई शुभ ग्रह दृष्टि नहीं डाल रहा हो, तो यह स्थिति भी त्रिशूट ग्रह की बनती है।

आइए हम यह भी देखें कि ज्योतिष की शास्त्रीय पुस्तक बृहत पाराशर होरा शास्त्र इस अवधारणा के बारे में क्या कहता है और कुंडली में इसका क्या प्रभाव हो सकता है। बता दें कि ज्योतिष की प्रसिद्ध ग्रंथ बृहत् पाराशर होरा शास्त्र में इस तरह के ग्रहों के बारे में कुछ खास बातें कही गई हैं, जो इस प्रकार है।

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  • यदि कोई ग्रह त्रिशूट अवस्था में सातवें भाव में हो, तो ऐसे व्यक्ति की पत्नी या पति की जल्दी मृत्यु हो सकती है। 
  • ऐसे ग्रह रोग, कर्ज, महिलाओं आदि के कारण व्यक्ति को परेशानियां देता है।
  • ऐसे व्यक्ति के आसपास ऐसे रिश्तेदार या दोस्त होते हैं, जो समय आने पर धोखा दे सकते हैं।
  • ऐसे व्यक्ति जीवन में खुशियों से वंचित रह सकते हैं, उसे शारीरिक कमजोरी, कष्ट और मान-सम्मान में कमी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

अब इस कॉन्सेप्ट को और अच्छी तरह समझने के लिए हम कुछ कुंडलियों का विश्लेषण करेंगे और देखेंगे कि किस तरह से यह सिद्धांत असल जीवन में असर करता है।

यह कुंडली एक आम व्यक्ति की है और अगर इसे ऊपर-ऊपर देखा जाए तो यह काफी मजबूत लगती है। इसमें लग्नेश गुरु है (कर्क राशि में) मंगल दसवें भाव में दिग्बल है और शनि व राहु छठे भाव में स्थित हैं, जो प्रतियोगिता और संघर्ष की भावना के लिए अच्छे माने जाते हैं। इसके अलावा, शुक्र भी आठवें भाव में अपनी मूल त्रिकोण राशि तुला में स्थित है। अब यदि हम इसे गहराई से देखें, तो पाएंगे कि गुरु कर्क राशि (जल तत्व राशि) में स्थित है, और उस पर मंगल की आठवीं दृष्टि है।

यह गुरु पंचम भाव में स्थित है और यही से एक और सिद्धांत कारक भाव नाशाय भी बनता है, जिसका मतलब है कि जब कोई ग्रह अपने ही कारक भाव में होता है, तो वह उस भाव के सुखों को प्रभावित करता है। इस स्थिति में गुरु त्रिशूट ग्रह बन गया है।

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पांचवां भाव संतान से जुड़ा होता है और इस व्यक्ति की संतान एक विशेष बच्चा है या अलग तरह से सक्षम बच्चा है इसलिए संतान से जुड़ी इच्छाएं पूरी तरह पूरी नहीं हो पाईं और व्यक्ति के भीतर हमेशा एक अधूरी चाह बनी रही।

दूसरा उदाहरण बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन की कुंडली का लेते हैं।

इस उदाहरण में भी ग्रह है गुरु। गुरु द्वितीय और एकादश भाव के स्वामी हैं और छठे भाव में स्थित है, जो रोग, ऋण और शत्रुता का भाव माना जाता है। हमें पता है कि अमिताभ बच्चन ने अपने जीवन में कई स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ा है और एक समय पर वे दिवालिया भी हो गए थे  जब उनका प्रोडक्शन हाउस विफल हो गया। कई विद्वानों ने यह भी कहा है कि भवत्-भावम के अनुसार, गुरु एकादश भाव का स्वामी होकर छठे भाव में हैं इसलिए उन्हें ये सब सहना पड़ा, लेकिन यदि हम गौर से देखें तो गुरु कर्क राशि में छठे भाव में स्थित है और उस पर शनि की दृष्टि है। इसी कारण उन्हें छठे भाव के सभी प्रभाव झेलने पड़े, जैसे- रोग ऋण, और विरोधियों से परेशानी। हाँ, उन्होंने अपने जीवन में अपार सफलता भी पाई है, लेकिन गुरु ने जितना हो सका, स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाया। (आज उनकी लिवर सिर्फ 25% काम करता है और अन्य कई स्वास्थ्य समस्याएं भी हैं।)

इस प्रकार, इस ब्लॉग के जरिए हम यह समझ सकते हैं कि त्रिशूट ग्रह का सिद्धांत केवल किताबों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह असल जीवन में भी गहरा प्रभाव डालता है,जो ग्रह त्रिशूट होते हैं,वे व्यक्ति के जीवन में किसी न किसी रूप में कष्ट और अधूरी इच्छाएं जरूर लेकर आते हैं, चाहे वो आम आदमी हो या कोई महानायक।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. कौन सी राशियों में ग्रह प्यासा बनता है?

जल राशियों में

2. त्रिशूट ग्रह क्या दर्शाता है?

यह जिस भाव में स्थित होता है, उससे संबंधित अधूरी इच्छाओं को दर्शाता है।

3. क्या त्रिशूट ग्रह हमेशा नकारात्मक परिणाम देते हैं?

हां

इन दो बेहद शुभ योगों में मनाई जाएगी सावन शिवरात्रि, जानें इस दिन शिवजी को प्रसन्न करने के उपाय!

इन दो बेहद शुभ योगों में मनाई जाएगी सावन शिवरात्रि, जानें इस दिन शिवजी को प्रसन्न करने के उपाय!

सावन शिवरात्रि 2025: सावन का महीना हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है क्योंकि इस माह का हर दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। यही वजह है कि सावन माह में शिव पूजा कल्याणकारी मानी गई है। साथ ही, श्रावण माह में आने वाले सावन सोमवार व्रत, सावन प्रदोष व्रत के साथ-साथ सावन शिवरात्रि को भी महत्वपूर्ण माना जाता है। वैसे तो, हर माह में शिवरात्रि आती है, लेकिन वर्ष भर में आने वाली सभी शिवरात्रि तिथियों में सावन शिवरात्रि और महाशिवरात्रि सबसे ख़ास होती है। इसी क्रम में, सावन शिवरात्रि के दिन महादेव का पूजन और व्रत करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

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श्रावण शिवरात्रि के पावन अवसर पर आप भोलेबाबा की कृपा प्राप्त कर सकें, इसलिए एस्ट्रोसेज एआई “सावन शिवरात्रि 2025” का यह ब्लॉग लेकर आया है। हमारे इस लेख में आपको श्रावण शिवरात्रि से जुड़ी सारी जानकारी प्राप्त होगी जैसे कि तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व, नियम और साथ ही, इस दिन बनने वाले शुभ योगों के बारे में भी जान सकेंगे। तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और सबसे पहले जान लेते हैं सावन शिवरात्रि की तिथि और समय के बारे में। 

सावन शिवरात्रि 2025: तिथि और समय 

जैसे कि हम जानते हैं कि सावन का महीना 11 जुलाई से लेकर 09 अगस्त तक रहेगा। बता दें कि इस बार का सावन बेहद ख़ास है क्योंकि इस साल चार सोमवार व्रत का संयोग बना रहा है। बात करें श्रावण शिवरात्रि की, तो हर साल सावन शिवरात्रि का पर्व श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2025 में सावन शिवरात्रि का पर्व 23 जुलाई, बुधवार को मनाया जाएगा। आइए अब नज़र डाल लेते हैं श्रावण शिवरात्रि के पूजा मुहूर्त पर। 

सावन शिवरात्रि 2025 की तिथि: 23 जुलाई 2025, बुधवार

रात्रि प्रथम प्रहर मुहूर्त: शाम 06 बजकर 45 मिनट से रात 09 बजकर 37 मिनट तक। 

रात्रि द्वितीय प्रहर मुहूर्त: रात 09 बजकर 37 मिनट से रात 12 बजकर 29 मिनट तक 

रात्रि तृतीय प्रहर मुहूर्त: रात 12 बजकर 29 मिनट सें रात 03 बजकर 21 मिनट (24 जुलाई को)

रात्रि चतुर्थ प्रहर मुहूर्त: रात 03 बजकर 21 मिनट से सुबह 06 बजकर 13 मिनट तक (24 जुलाई को)

चतुर्दशी तिथि का आरंभ: 23 जुलाई 2025 की सुबह 04 बजकर 42 मिनट पर,

चतुर्दशी तिथि समाप्त: 24 जुलाई 2025 की रात 02 बजकर 31 मिनट तक। 

चलिए अब हम बात करेंगे उन शुभ योगों के बारे में जो सावन शिवरात्रि 2025 को बहुत ख़ास बना रहे हैं। 

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सावन शिवरात्रि 2025 पर बनने वाले शुभ योग 

ज्योतिष में एक दिन में अनेक तरह के शुभ-अशुभ योग बनते हैं। लेकिन जब किसी पर्व या त्योहार पर कोई शुभ योग बनता है, तब उस पर्व के महत्व में कई गुना वृद्धि हो जाती है। इसी क्रम में, सावन शिवरात्रि पर बेहद दुर्लभ संयोगों का निर्माण होने जा रहा है। इस दिन शुभ माने जाने वाले हर्षण योग, ध्रुव योग और भद्रवास योग बन रहा है। आइए जानते हैं इन योगों के बारे में विस्तार से। 

हर्षण योग

ज्योतिष शास्त्र में हर्षण योग को बहुत शुभ माना गया है। जिस दिन यह योग बनता है, वह दिन सकारात्मक ऊर्जा से पूर्ण रहता है। अब हर्षण योग सावन शिवरात्रि  पर बनने जा रहा है और इस दिन यह योग 23 जुलाई 2025 की दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से लेकर अगले दिन यानी कि 24 जुलाई की सुबह 09 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। 

भद्रावास योग 

वैदिक ज्योतिष में भद्रावास योग को भी बेहद शुभ माना गया है और यह एक ऐसी अवधि होती है जब भद्रा पाताल लोक में होती हैं और शास्त्रों में भद्रा के पाताल लोक में रहने को धरतीवासियों के लिए कल्याणकारी माना जाता है। इससे उनके सुख-शांति में वृद्धि होती है।

श्रावण शिवरात्रि पर बनने वाले इन शुभ योगों की वजह से इस दिन का महत्व कई गुना बढ़ जाता है इसलिए इस दिन भक्तों द्वारा किए गए पूजन और व्रत से उन्हें अपार पुण्य की प्राप्ति होगी। साथ ही, भगवान शिव की कृपा भी आप पर बनी रहेगी। अब हम आपको अवगत करवाते हैं श्रावण शिवरात्रि के महत्व से। 

कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर

सावन शिवरात्रि का धार्मिक महत्व 

सावन माह में आने वाली शिवरात्रि को श्रावण शिवरात्रि या सावन शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। यह शिव जी का प्रिय माह होने के कारण सावन के पूरे महीने में भगवान शिव की पूजा और व्रत करना बहुत फलदायी माना गया है। ऐसे में, श्रावण मास की शिवरात्रि का महत्व धार्मिक रूप से अत्यधिक होता है। इसके अलावा, ऐसी मान्यता है कि हिंदू धर्म के पांचवें महीने सावन में सृष्टि का कार्यभार महादेव संभालते हैं। 

साथ ही, इस शिवरात्रि से जुड़ी एक अन्य पौराणिक मान्यता है कि भगवान शिव ने संसार की रक्षा करने के लिए समुद्र मंथन से निकले विष को अपने कंठ में ग्रहण किया था और उस समय सभी देवी-देवता विष के प्रभाव को कम करने के लिए शिव जी का जल से अभिषेक करने लगे, तब से ही सावन के महीने में भोलेबाबा पर जल चढ़ाने की परंपरा का शुभ आरंभ हुआ। कहते हैं कि इसी परंपरा का पालन करते हुए आज भी सावन के महीने में भक्त कांवड़ यात्रा पर जाते हैं और तीर्थ स्थलों से गंगाजल लेकर आते हैं, तथा शिवरात्रि के दिन उस जल से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। ऐसे में, सावन शिवरात्रि के दिन शिव पूजा और अभिषेक करना कल्याणकारी होता है।

आइए जानते हैं सावन शिवरात्रि पर शिव पूजन की सही विधि। 

श्रावण शिवरात्रि 2025 की पूजा विधि

  • सावन शिवरात्रि पर सर्वप्रथम जातक प्रातःकाल उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। 
  • इसके बाद, पूजा स्थान की साफ-सफाई करके एक चौकी स्थापित करें और उस पर लाल कपड़ा बिछाएं।
  • अब शिव जी और माँ पार्वती की मूर्ति चौकी पर स्थापित करें। 
  • फिर शिवजी का गंगाजल, कच्चा दूध, दही और जल से अभिषेक करें। इसके पश्चात, भगवान शिव को चंदन अर्पित करें।  
  • साथ ही, माँ पार्वती को श्रृंगार की सामग्री चढ़ाएं और उनके सामने दीपक जलाएं। 
  • इसके बाद, शिव चालीसा का पाठ करें और पूजा के अंत में आरती करें। 

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सावन शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर चढ़ाएं ये चीज़ें

  • सावन शिवरात्रि पर शिवलिंग का जल से अभिषेक अवश्य करें। 
  • भगवान शिव को दूध, दही, गंगाजल और गन्ने का रस भी शिवलिंग पर अर्पित करें।
  •  इस दिन शिव पूजा में शिव जी को बेलपत्र, भांग, धतूरा, आंक और भस्म आदि भी चढ़ाएं। 

चलिए अब आपको रूबरू करवाते हैं कि श्रावण शिवरात्रि पर क्या करें और क्या न करें। 

सावन शिवरात्रि पर क्या करें और क्या न करें 

  • शिव जी की पूजा में तुलसी और केतकी के फूल का उपयोग नहीं करना चाहिए। 
  • संभव हो, तो सावन शिवरात्रि के दिन अपने मन को शांत रखें और क्रोध करने से बचे।
  • शिवलिंग पर भूलकर भी सिन्दूर और हल्दी न चढ़ाएं। 
  • तामसिक भोजन जैसे प्याज, लहसुन, मांस-मदिरा के सेवन से बचें। 
  • इस दिन जाने-अनजाने में भी किसी का अपमान  न करें। 
  • श्रावण शिवरात्रि के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें। 

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सावन शिवरात्रि 2025 पर करियर-व्यापार में वृद्धि के लिए राशि अनुसार करें ये उपाय

मेष राशि

मेष राशि के जातक सावन शिवरात्रि के दिन शिवलिंग का दही से अभिषेक करें। ऐसा करने से आपको अपार लाभ की प्राप्ति होगी और भोलेनाथ की कृपा भी प्राप्त होगी। हालांकि, शिवलिंग का अभिषेक करते समय “ॐ नागेश्वराय नमः” का जाप करें और उन्हें लाल रंग के फूल अर्पित करें। 

वृषभ राशि

वृषभ राशि वालों को अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए सावन शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर कच्चे दूध के साथ-साथ यह तीन चीज़ें चंदन, दही और सफ़ेद फूल भी चढ़ाएं। साथ ही, इस दिन रुद्राष्टक का पाठ भी अवश्य करें। सच्चे मन से पूजा करने पर आपकी कुंडली में चन्द्रमा मज़बूत होगा।

मिथुन राशि

मिथुन राशि के जातकों के लिए शिवलिंग पर गन्ने का रास चढ़ाना शुभ रहेगा। साथ ही, गन्ने के रस से अभिषेक करते समय “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का भी जाप करते रहें। इस उपाय को करने से आपके मन से चंचलता समाप्त होगी और एकाग्रता में वृद्धि होगी।

कर्क राशि

कर्क राशि के जातक महादेव का आशीर्वाद पाने के लिए शिवलिंग का अभिषेक घी से करें और इस दौरान “ॐ सोमनाथाय नमः” मंत्र का जाप करें। यह उपाय आपके लिए लाभ का मार्ग प्रशस्त करेगा। संभव हो, तो शिवलिंग के अभिषेक के लिए घर में बने हुए घी का इस्तेमाल करें जो बहुत शुभ माना जाएगा।

सिंह राशि 

सिंह राशि वालों के लिए भगवान शिव को गुड़ से बनी मिठाइयों का भोग लगाना फलदायी साबित होगा। साथ ही, जल में गुड़ मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें और घी का दीपक जलाकर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।      

कन्या राशि 

कन्या राशि के जातक शिवरात्रि पर गन्ने का रस और बेलपत्र शिवलिंग पर अर्पित करें। साथ ही, शिवलिंग का अभिषेक करते समय “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें। ऐसा करने से आपको शुभ फलों की प्राप्ति होगी। 

तुला राशि

तुला राशि वालों के लिए सावन शिवरात्रि के अवसर पर शिवलिंग पर इत्र अर्पित करना शुभ रहेगा  क्योंकि ऐसा करने से आपको भगवान शिव की कृपा प्राप्त होगी। अगर आप चाहे तो इत्र की जगह गुलाब जल से भी शिवलिंग का अभिषेक कर सकते हैं। साथ ही, शिवलिंग पर चंदन के साथ बेलपत्र अर्पित करें। इस उपाय को करने से आपके रिश्ते में सदैव मिठास बनी रहेगी। 

वृश्चिक राशि 

इस सावन वृश्चिक राशि वाले जीवन से नकारात्मकता को दूर करने के लिए शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करें। अगर आप रुद्राष्टक का पाठ करेंगे, तो आपको मिलने वाले शुभ परिणामों में वृद्धि हो सकती है। आप चाहे तो जल में काले तिल मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें।

धनु राशि 

धनु राशि के जातकों के लिए शिवरात्रि के मौके पर गाय का दूध शिवलिंग पर चढ़ाना फलदायी रहेगा। संभव हो, तो आप दूध में केसर मिलाकर चढ़ाएं और बेलपत्र भी अर्पित करें। ऐसा करने से आपका मन शांत होता है। 

मकर राशि 

मकर राशि के जातकों को सावन शिवरात्रि के अवसर पर शिवलिंग का अभिषेक करते हुए “ॐ नमः शिवाय” का जाप करना चाहिए। इस दिन आप आटे या गेहूं का भी दान अपनी क्षमता के अनुसार कर सकते हैं। ऐसा करने से शिवजी आपसे प्रसन्न रहते हैं। 

कुंभ राशि 

कुंभ राशि के जातकों के लिए दूध से शिवलिंग का अभिषेक करना कल्याणकारी रहेगा और आप साथ में शहद भी अर्पित करें। इसके बाद, शिव जी के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

मीन राशि

मीन राशि वाले महादेव की कृपा प्राप्त करने के लिए शिवलिंग पर दूध में हल्दी मिलाकर अभिषेक करें। इस.उपाय को करने से आपको शांति की प्राप्ति होगी। 

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. साल 2025 में सावन कब से शुरू है?

इस वर्ष सावन की शुरुआत 11 जुलाई 2025 से होगी।

2. सावन शिवरात्रि 2025 में कब है?

जुलाई में सावन शिवरात्रि का पर्व 23 जुलाई 2025, बुधवार को मनाया जाएगा। 

3. सावन में शिव जी को प्रसन्न कैसे करें?

श्रावण माह में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग का जलाभिषेक करें। साथ ही, सावन सोमवार का व्रत करें। 

इन राशियों पर क्रोधित रहेंगे शुक्र, प्‍यार-पैसा और तरक्‍की, सब कुछ लेंगे छीन!

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शुक्र ग्रह 26 जुलाई 2025 को सुबह 08 बजकर 45 मिनट पर वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में जा रहे हैं। यहां पर बृहस्‍पति की शुक्र के साथ युति भी हो रही है। वैसे तो शुक्र और गुरु के बीच अच्‍छे संबंध नहीं हैं लेकिन दो शुभ ग्रहों की युति से अच्‍छे परिणाम मिलते हैं। शुक्र ग्रह के मिथुन राशि में गोचर करने के दौरान कुछ राशियों के लोगों को प्रतिकूल प्रभाव मिलने के संकेत हैं।

तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि शुक्र के मिथुन राशि में गोचर करने के दौरान किन राशियों के लोगों को अशुभ परिणाम मिलने की संभावना है।

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इन राशि वालों को होगा नुकसान

मिथुन राशि

मिथुन राशि के पांचवें और द्वादश भाव के स्वामी शुक्र ग्रह हैं। शुक्र आपके पहले भाव में गोचर कर रहे हैं। इस दौरान आपको कुछ मामलों में दुष्‍प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। मनोरंजन और घूमने-फिरने में अधिक खर्चा हो सकता है। आप काली गाय की सेवा करें। 

मिथुन साप्ताहिक राशिफल

कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर

कन्या राशि

कन्या राशि के दूसरे भाव और भाग्य भाव के स्वामी शुक्र ग्रह हैं। गोचर करते हुए शुक्र आपके दशम भाव में पहुंचे हैं। इस भाव में शुक्र के गोचर को अच्छे परिणाम देने वाला नहीं माना जाता है। अगर आप समझदारी से काम करते हैं, तो आपको कुछ क्षेत्रों में अनुकूल परिणाम मिल सकते हैं। आपको कड़ी मेहनत करने पर ही अच्‍छे परिणाम मिल पाएंगे।। अपने वरिष्ठों का सम्मान करने की स्थिति में आप तरक्‍की के मार्ग पर आगे बढ़ सकते हैं। आपको अनुभवी लोगों के निर्देशन में काम करने की सलाह दी जाती है। आप मांस-मदिरा का सेवन न करें।

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धनु राशि

शुक्र ग्रह धनु राशि के छठे भाव और लाभ भाव के स्वामी हैं। इस गोचर के दौरान शुक्र आपके सप्तम भाव में रहेंगे। सप्तम भाव में शुक्र के गोचर को अच्छे परिणाम देने वाला नहीं माना गया है। वहीं धनु राशि के लिए शुक्र अच्छे ग्रह भी नहीं माने जाते लेकिन धनु राशि के स्वामी बृहस्पति के साथ युति करने के कारण अधिक नकारात्‍मक परिणामों में कमी आ सकती है। आपको जननेंद्रियों से संबंधित रोग होने का डर है। शरीर की साफ-सफाई पर ध्‍यान दें। इस समय यात्रा करना उचित नहीं होगा। स्त्रियों से विवाद करने से भी बचें। अपने जीवनसाथी की भावनाओं को समझने की कोशिश करें। आप लाल गाय की सेवा करें।

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मकर राशि

मकर राशि के पांचवे और दसवें भाव के स्‍वामी शुक्र ग्रह हैं। अब इस गोचर के दौरान शुक्र आपके छठे भाव में प्रवेश करने जा रहे हैं। इस भाव में शुक्र की उपस्थिति को अच्‍छी नहीं मानी जाती है। करियर के लिए यह समय मुश्किल रहने वाला है। नौकरीपेशा लोगों को अपने ऑफिस में सहकर्मियों या बॉस से संभलकर बात करने की सलाह दी जाती है। व्‍यापारियों को भी नुकसान होने की आशंका है। लव लाइफ में भी कुछ परेशानियां देखने को मिल सकती हैं। दोस्‍तों के साथ भी अनबन हो सकती है।

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अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

प्रश्‍न 1. शुक्र के कमजोर होने के क्‍या लक्षण हैं?

उत्तर. इसमें चेहरे की चमक कम हो जाती है।

प्रश्‍न 2. शुक्र ग्रह का मजबूत कैसे करें?

उत्तर. शुक्र के मंत्रों का जाप करें।

प्रश्‍न 3. शुक्र ग्रह कौन सी बीमारी देता है?

उत्तर. मधुमेह और किडनी से जुड़ी समस्‍याएं।

सरस्‍वती योग: प्रतिभा के दम पर मिलती है अपार शोहरत!

सरस्‍वती योग: प्रतिभा के दम पर मिलती है अपार शोहरत!

एस्‍ट्रोसेज एआई की हमेशा से यही पहल रही है कि किसी भी महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना की नवीनतम अपडेट हम अपने रीडर्स को समय से पहले दे पाएं। इस ब्‍लॉग में ज्‍योतिष की एक दुर्लभ अवधारणा के बारे में बताया गया है जो कि सरस्‍वती योग है। हिंदू धर्म में मां सरस्‍वती को ज्ञान, बुद्धि, सीखने, संगीत, कला और वाणी का प्रतीक माना गया है। हिंदू देवी-देवताओं में से मां सरस्‍वती सबसे अधिक पूजनीय देवी हैं और छात्र, शिक्षक, विद्वान एवं कलाकार आदि उनका पूजन करते हैं।

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मां सरस्‍वती सच्‍चे ज्ञान की रोशनी को दर्शाती हैं जो कि अज्ञानता को दूर करता है और आध्‍यात्मिक जागरूकता लेकर आता है। वे हमें याद दिलाती हैं कि बुद्धि और शुद्धता द्वारा निर्देशित ज्ञान मोक्ष की ओर लेकर जाता है। देवी सरस्‍वती इस सृष्टि की रचना करने वाले ब्रह्मा जी की पत्‍नी और शक्‍ति हैं। वे ब्रह्मा जी को ज्ञान और सृजन करने में मदद करती हैं।

  • मां सरस्‍वती वाणी का प्रतिनिधित्‍व करती हैं। ऋग्‍वेद में उन्‍हें नदी और बहते हुए ज्ञान के रूप में दर्शाया गया है।
  • संगीतकार, लेखक और कलाकार कोई भी रचनात्‍मक कार्य शुरू करने से पहले उनका आशीर्वाद लेते हैं।

कुंडली में कैसे बनता है सरस्‍वती योग

वैदिक ज्‍योतिष में सरस्‍वती योग को एक शक्‍तिशाली और शुभ योग माना गया है और इसका नाम बुद्धि, ज्ञान, कला और सीखने की देवी मां सरस्‍वती पर रखा गया है। इस योग के प्रभाव से व्‍यक्‍ति बुद्धिमान बनता है, अपनी बातों से दूसरों को प्रभावित करने में सक्षम होता है, रचनात्‍मक होता है और विद्वान होता है। इनके अंदर अक्‍सर आध्‍यात्मिक या दार्शनिक ज्ञान भी समाहित होता है। तीन शुभ ग्रहों बुध, बृहस्‍पति और शुक्र की निम्‍न स्थिति से सरस्‍वती योग बनता है:

  • पहले या लग्‍न, दूसरे भाव, चौथे भाव, सातवें भाव, नौवें भाव, दसवें भाव या ग्‍यारहवें भाव में उपस्थित होने पर।
  • बृहस्‍पति को स्‍वराशि, उच्‍च या मित्र की राशि में होना चाहिए।

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सरस्‍वती योग का प्रभाव

कुंडली में सरस्‍वती योग के मजबूत या मौजूद होने पर व्‍यक्‍ति को निम्‍न लाभ मिल सकते हैं:

  • वह बुद्धिमान होता है और उसके अंदर शैक्षिक प्रतिभा होती है।
  • बोलने, लिखने और संचार में निपुण होता है।
  • संगीत, कला, साहित्‍य या शिक्षा में प्रतिभा रखना।
  • शिक्षक, वकालत, लेखन, पब्लिक स्‍पीकिंग, आध्‍यात्मिकता या फिलॉस्‍फी के क्षेत्र में सफलता प्राप्‍त करता है।
  • अपने ज्ञान और नैतिक मूल्‍यों के कारण समाज में सम्‍मान मिलता है।
  • सीखने, पढ़ने और आध्‍यात्मिक विकास में रुचि होती है।

यह योग प्रभावी और मजबूत कैसे बनता है:

  • बुध, शुक्र और बृहस्‍पति भी को शुभ स्‍थान में, शुभ होने चाहिए और ये पीड़ित नहीं होने चाहिए।
  • बृहस्‍पति धनु, मीन राशि (स्‍वरा‍शि में) या कर्क राशि (उच्‍च) में होने चाहिए।
  • बुध और शुक्र अस्‍त या पीड़ित नहीं होने चाहिए।
  • लग्‍न बौद्धिक या रचनात्‍मक कार्यों (जैसे कि मिथुन, कन्‍या, तुला आदि) को सहयोग करना चाहिए।

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इन लोगों की कुंडली में यह योग खासतौर पर शक्‍तिशाली होता है:

  • लेखक, प्रोफेसर, कवि, फिलॉस्‍फर
  • संगीतकार, शास्‍त्रीय कलाकार, पब्लिक स्‍पीकर
  • शोधकर्ता और वैज्ञानिक
  • शास्‍त्रीय, धार्मिक या आध्‍यात्मिक अध्‍ययन करने वाले।

लोकप्रिय सितार वादक पंडित रवि शंकर की कुंडली से इस योग को समझने की कोशिश करते हैं।

पंडित रवि शंकर मीन लग्‍न के हैं और उनकी चंद्र राशि वृश्चिक है। लग्‍न उच्‍च शुक्र का है और सूर्य लग्‍न भाव में विराजमान हैं। तीसरे भाव का स्‍वामी उच्‍च का होकर लग्‍न में बैठा है जो कि हाथों से संबंधित कौशल में निपुण बनाता है। हाथों से संबंधित रचनात्‍मकता जैसे कि कोई संगीत वाद्ययंत्र बजाना। लग्‍न और बृहस्‍पति रचनात्‍मकता के भाव यानी पांचवे घर में उच्‍च का है। बृहस्‍पति ने उन्‍हें संगीत के क्षेत्र में असाधारण ज्ञान प्राप्‍त करने में मदद की और उच्‍च के शुक्र ने लग्‍न में होकर उन्‍हें सितार बजाने में निपुण बनाया जिससे सितार के मास्‍टर का दर्जा और सम्‍मान प्राप्‍त हुआ।

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वाणी के कारक बुध बारहवें भाव में बैठे हैं लेकिन चंद्रमा से केंद्र में हैं। पांचवे भाव का स्‍वामी चंद्रमा कमजोर स्थिति में नौवें भाव में है जिससे उन्‍हें बड़े पैमाने पर पहचान और शोहरत दिलाने में मदद मिली है। इस प्रकार पंडित रवि शंकर की कुंडली में बन रहे सरस्‍वती योग ने उन्‍हें सगीत के क्षेत्र में अपार प्रतिभा, शोहरत और सम्‍मान दिलाया है और वह पूरी दुनिया में नाम कमाने में सक्षम हुए।

अब बात करते हैं रबींद्रनाथ टैगोर की कुंडली है। वह एक महान और लोकप्रिय कवि थे और वह पहले ऐसे गैर-यूरोपीय लेखक थे जिन्‍हें नोबेल पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया गया था। तो चलिए देखते हैं उनकी कुंडली।

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श्री रबींद्रनाथ टैगोर की कुंडली में भी लग्‍नेश बृहस्‍पति है और उच्‍च में होकर रचनात्‍मकता के भाव यानी पांचवे घर में बैठा है। शुक्र और बुध सूर्य के साथ दूसरे घर में उपस्थित हैं और सूर्य छठे भाव का स्‍वामी होकर उच्‍च का है। ये सभी ग्रह मिलकर बृहस्‍पति और चंद्रमा के बीच परिवर्तन योग के साथ सरस्‍वती योग बना रहे हैं।

सूर्य, बुध और शुक्र वाणी एवं कप्‍लना दूसरे भाव में बैठे हैं जिससे रबींद्रनाथ साहित्य की दुनिया में शीर्ष स्‍थान तक पहुंच पाए और उन्‍हें कविता और साहित्‍य के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए नोबेल पुरस्‍कार मिला।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्‍न 1. कौन-से ग्रह सरस्‍वती योग बनाते हैं?

उत्तर. बुध, शुक्र और बृहस्‍पति।

प्रश्‍न 2. किन सिलेब्रिटी की कुंडली में सरस्‍वती योग है?

उत्तर. रबींद्रनाथ टैगोर और पंडित रवि शंकर।

प्रश्‍न 3. दो सबसे शुभ ग्रहों के नाम बताएं?

उत्तर. शुक्र और बृहस्‍पति।

बुध कर्क राशि में अस्त: जानिए राशियों से लेकर देश-दुनिया पर कैसा पड़ेगा प्रभाव?

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एस्ट्रोसेज एआई के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको बुध कर्क राशि में अस्त के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। साथ ही, यह भी बताएंगे कि बुध अस्त का प्रभाव सभी 12 राशियों पर किस प्रकार से पड़ेगा। बता दें कुछ राशियों को सूर्य के गोचर से बहुत अधिक लाभ होगा तो, वहीं कुछ राशि वालों को इस अवधि बहुत ही सावधानी से आगे बढ़ने की आवश्यकता होगी क्योंकि उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, इस ब्लॉग में बुध ग्रह को मजबूत करने के कुछ शानदार व आसान उपायों के बारे में भी बताएंगे और देश-दुनिया व शेयर मार्केट पर भी इसके प्रभाव के बारे में चर्चा करेंगे।

बता दें कि बुध कर्क राशि में अस्त 24 जुलाई 2025 को होगा। तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं किस राशि के जातकों को इस दौरान शुभ परिणाम मिलेंगे और किन्हें अशुभ।

दुनियाभर के विद्वान ज्योतिषियों से करें कॉल/चैट पर बात और जानें अपने संतान के भविष्य से जुड़ी हर जानकारी

कुंडली में बुध का अस्त होना कई तरह के प्रभाव डाल सकता है। पुराने ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार, यह खर्चों को नियंत्रित करने और बचत बढ़ाने में मदद करता है। लेकिन साथ ही, इससे आत्मविश्वास और साहस की कमी भी हो सकती है, खासकर जब पारिवारिक जिम्मेदारियां निभानी हों या यात्रा की योजनाएं बनानी हों। इसके अलावा, यह संकेत देता है कि बात करने और अपने करियर को आगे बढ़ाने के मामलों में सतर्क रहना बहुत जरूरी है क्योंकि ऐसे समय में बुध का अन्य क्षेत्रों पर प्रभाव कमजोर हो सकता है। यह ब्लॉग इस बात को समझने के लिए बनाया गया है कि बुझ अस्त होने का असर राशियों, देश-दुनिया की घटनाओं और शेयर बाजार पर किस तरह से पड़ सकता है।

बुध कर्क राशि में अस्त: समय व तिथि

ज्योतिष में ज्योतिष में बुद्धि, वाणी, तर्क, संवाद, गणित, व्यापार, और त्वचा के कारक ग्रह बुध 24 जुलाई 2025 की शाम 07 बजकर 42 मिनट पर चंद्रमा द्वारा शासित राशि कर्क में अस्त होंगे। आइए सबसे पहले जानते हैं देश-दुनिया पर इसके प्रभावों के बारे में।

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बुध कर्क राशि में अस्त: विश्वव्यापी प्रभाव

सरकार और उसकी नीतियां

  • बुध के कर्क राशि में अस्त होने के समय सरकार द्वारा शुरू की गई कई योजनाएं और सुधार उम्मीद के अनुसार परिणाम नहीं दे पाएंगे। जैसे-जैसे इन योजनाओं की कमियां उजागर होंगी, सरकार को कुछ अहम और बड़े बदलाव करने की आवश्यकता पड़ेगी।
  • भारत सहित कई अन्य देशों में कुछ बड़े नेता और उच्च पदों पर आसीन लोग गैर-जिम्मेदाराना बयान देते हुए देखे जा सकते हैं, जिससे वे कानून के शिकंजे में आ सकते हैं।
  • भारत के पूर्वी सीमा से लगे कुछ देशों में सरकारें मीडिया पर नियंत्रण करने और सच्चाई को छुपाने की कोशिश कर सकती हैं, लेकिन ऐसा करना उनके लिए मुश्किल होगा क्योंकि आशंका है कि वास्तविकता दुनिया के सामने आ जाएगी।

जनसंपर्क, मीडिया और पत्रकारिता 

  • बुध के इस गोचर का प्रभाव मीडिया से जुड़े लोगों जैसे ग्राउंड रिपोर्टर, पत्रकारों आदि पर नकारात्मक हो सकता है। इन्हें कार्यों में रुकावटें और चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
  • सोशल मीडिया से जुड़े प्रभावशाली लोगों के लिए यह समय थोड़ा कठिन हो सकता है। कई बार उन्हें ऐसे मुद्दों पर जनता की आलोचना झेलनी पड़ सकती है, जो संवेदनशील या विवादास्पद हों। 
  • इस समय शेयर बाजार और सट्टा बाजार में अस्थिरता बनी रह सकती है। निवेशकों को उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है।
  • जनसंपर्क से जुड़े लोग नए विचारों की कमी से जूझ सकते हैं, साथ ही, उन्हें नए क्लाइंट्स के साथ काम करने में कठिनाई हो सकती है। निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को इस अवधि में औसत या सामान्य लाभ ही मिल सकता है, यानी कोई बड़ी सफलता या तरक्की की संभावना कम रहेगी।

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बुध कर्क राशि में अस्त : शेयर बाजार रिपोर्ट

जब भी बुध वक्री होता है या अस्त होता है, तो इसका शेयर बाजार पर विभिन्न कंपनियों के शेयरों के मूल्यों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। इसी संदर्भ में एस्ट्रोसे एआई ने इस अवधि के लिए स्टॉक मार्केट से जुड़े पूर्वानुमानों की एक रिपोर्ट तैयार की है। आइए जानें कि बुध के इस बार कर्क राशि में अस्त होने से शेयर बाजार पर क्या असर पड़ सकता है।

  • बुध कर्क राशि में अस्त होने से  फार्मास्यूटिकल (दवा), सरकारी क्षेत्र, और आईटी (सूचना तकनीक) सेक्टर को इस दौरान कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इन  क्षेत्रों में निवेश करने वाले निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह दी जाती है क्योंकि गिरावट या अस्थिरता संभव है।
  • बैंकिंग क्षेत्र पहले से ही एक लंबे समय से दबाव में है और इस महीने के अंत तक इसमें सुधार की उम्मीद भी कम दिखाई दे रही है। इसलिए इस सेक्टर में निवेश करने से पहले सोच-विचार जरूर करें।
  • हालांकि कुल मिलाकर कई सेक्टर दबाव में रहेंगे, लेकिन खाद्य तेल, तंबाकू और रबर  इंडस्ट्री के लिए यह समय कुछ हद तक सकारात्मक और आशाजनक हो सकता है। इन क्षेत्रों में लाभ की संभावनाएं हैं।

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बुध कर्क राशि में अस्त: इन राशियों पर पड़ेगा नकारात्मक प्रभाव

मेष राशि

मेष राशि के जातकों के लिए बुध तीसरे और बारहवें भाव के स्वामी हैं और अब चौथे भाव में अस्त हो जाएंगे। इसका प्रभाव यह होगा कि आप प्रयासों के बावजूद अपने कार्यों में अड़चनें महसूस कर सकते हैं। अवसर तो होंगे लेकिन आशंका परिणाम अपेक्षित नहीं मिल पाएंगे। इस समय आपको आत्म मूल्यांकन करने की आवश्यकता होगी। नौकरी के क्षेत्रों में, काम से संबंधित अनचाही यात्राएं करनी पड़ सकती है और कुछ अप्रत्याशित स्थितियां सामने आ सकती हैं, जो मन को परेशान कर सकती है।

बिजनेस में, यदि आपने विस्तार की पहले से योजना नहीं बनाई है तो नुकसान उठाना पड़ सकता है। धन के मामले में किसी को अनजाने में उधार देना आपके लिए घाटे का सौदा बन सकता है।

मिथुन राशि

मिथुन राशि के जातकों के लिए बुध पहले और चौथे भाव के स्वामी हैं और अब यह दूसरे भाव में अस्त होंगे। इस समय आप अपने  करियर या प्रतिष्ठा को लेकर असमंजस में पड़ सकते हैं। आपकी दिनचर्या भी बाधित हो सकती है। करियर में, अचानक नौकरी बदलने की स्थिति बन सकती है, जो आपके लिए अनचाही हो सकती है। आशंका है कि इससे कार्य में संतुष्टि भी न मिले।

व्यवसाय में इस समय कोई नया ऑर्डर या डील लेना आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है इसलिए सतर्क रहें। आर्थिक जीवन में, आय में वृद्धि की आपकी उम्मीदें पूरी नहीं होंगी और धन संचय भी मुश्किल होगा।

कर्क राशि

कर्क राशि के जातकों के लिए बुध तीसरे और बारहवें भाव के स्वामी हैं और यह आपके पहले भाव में अस्त होंगे। इसका असर यह हो सकता है कि आपको ऐसा स्थान परिवर्तन करना पड़े जो आपको पसंद न आए। संतुष्टि की कमी महसूस हो सकती है। करियर में, आशंका है कि मनचाही नौकरी न मिले और जो काम मिल भी जाए तो संभव है कि उसमें आप संतोष महसूस न कर पाएं। 

व्यवसाय में, प्रतिस्पर्धा काफी बढ़ सकती है, जिससे मुनाफे में गिरावट आएगी। धन की दृष्टि से यह समय कुछ निराशाजनक हो सकता है। हो सकता है कि आपके लिए धन की स्थिति को संभाल पाना मुश्किल हो।

कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर

सिंह राशि

सिंह राशि के जातकों के लिए बुध दूसरे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं और अब यह बारहवें भाव में अस्त हो जाएंगे। इस समय आपके निजी जीवन में कुछ व्यवधान आ सकते हैं। अचानक होने वाले नुकसान से मन उदास हो सकता है। करियर में, नौकरी के सिलसिले से स्थानांतरण हो सकता है, जिससे चिंता हो सकती है। व्यवसाय में, अभी कोई बड़ा निर्णय न लें क्योंकि इससे बड़ा नुकसान हो सकता है। धन के मामले में, आशंका है कि आप कमाई के बावजूद धन न बचा पाएं। कुल मिलाकर यह अवधि अनुकूल प्रतीत नहीं हो रही है।

कन्या राशि

कन्या राशि के जातकों के लिए बुध पहले और दसवें भाव के स्वामी हैं और अब यह ग्यारहवें भाव में अस्त होंगे। इस समय यात्रा के दौरान दिक्कतें आ सकती है। आपके सोशल सर्कल के लोग आपके लिए सहयोगी न बनकर परेशानी का कारण बन सकते हैं। करियर में, वरिष्ठ अधिकारियों से मतभेद हो सकता है, जिससे आपकी कार्यक्षमता सिद्ध करने में कठिनाई हो सकती है। 

बिज़नेस में निर्णय लेने से भ्रम हो सकता है, जिससे वित्तीय नुकसान हो सकता है। धन के मामले में, इस समय पैसे की जरूरत ज्यादा महसूस होगी और आमदनी की उम्मीदें पूरी नहीं होंगी।

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए बुध नौवें और एकादश भाव के स्वामी हैं और अब यह नौवें भाव में अस्त होंगे। इसका असर यह हो सकता है कि अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए आपको कई रुकावटों का सामना करना पड़ सकता है। इस समय आपकी बुद्धिमता उतनी कारगर साबित नहीं होगी।

करियर में, आपके अधिकारी आपकी क्षमताओं को नजरअंदाज कर सकते हैं, जो आपको मानसिक रूप से परेशान कर सकता है। व्यवसाय में, सामान्य कामों से औसत लाभ मिलेगा, लेकिन शेयर मार्केट से आपको लाभ हो सकता है। धन के मामले में, योजना के अभाव और गलत प्रबंधन के कारण खर्च अधिक होंगे।

बुध कर्क राशि में अस्त : आसान उपाय

  • अक्सर हरा रंग पहनने से बुध का नकारात्मक प्रभाव कम हो सकता है।
  • गरीबों या पक्षियों खासतौर पर तोतों को सब्जियां, कपड़े या हरी दाल देना लाभकारी माना जाता है।
  • बुध के सर्वोच्च देवता भगवान विष्णु हैं। आप धूप, चंदन और पीले फूल चढ़ाकर बुध को प्रसन्न कर सकते हैं।
  • बुध मंत्र  मंत्र ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुद्धाय नमः का जाप सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने और किसी भी नकारात्मक ऊर्जा को कम करने के लिए किया जा सकता है।
  • एक अन्य उपाय भगवान गणेश की पूजा करना और उन्हें बुधवार को दूर्वा चढ़ाना शुभ साबित हो सकता है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. कोई ग्रह कब अस्त हो जाता है?

जब वह अपनी कक्षा में सूर्य के बहुत करीब आ जाता है।

2. कौन सा ग्रह बुध का कट्टर प्रतिद्वंद्वी है?

मंगल

3. कौन सा ग्रह बुध का पिता है?

चंद्रमा

कामिका एकादशी पर इस विधि से करें श्री हरि की पूजा, दूर हो जाएंगे जन्‍मों के पाप!

कामिका एकादशी पर इस विधि से करें श्री हरि की पूजा, दूर हो जाएंगे जन्‍मों के पाप!

कामिका एकादशी 2025: सनातन धर्म में एकादशी का अत्‍यधिक महत्‍व है। वैदिक ज्‍योतिष के अनुसार हर महीने में दो एकादशी तिथि पड़ती हैं और इस तरह साल में कुल 24 एकादशियां आती हैं। प्रत्‍येक एकादशी का एक अलग महत्‍व और नाम है और आज इस ब्‍लॉग में हम आपको कामिका एकादशी 2025 के बारे में बताने जा रहे हैं।

हिंदू धर्म में एकादशी का पर्व बहुत महत्‍व रखता है। इस दिन भगवान विष्‍णु का पूजन किया जाता है। सावन मास के कृष्‍ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी के नाम से जाना जाता है। श्रावण के महीने में भगवान विष्‍णु की पूजा करना अत्‍यंत फलदायी माना जाता है। धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार इस दिन गरीबों और जरूरतमंद लोगों को दान करने एवं उनकी सहायता करने से मोक्ष की प्राप्‍ति होती है।

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चातुर्मास में आने वाली श्रावण कृष्‍ण एकादशी का अपना एक अलग महत्‍व है। मान्‍यता है कि इस एकादशी पर व्रत एवं पूजन करने से अश्‍वमेध यज्ञ जैसा पुण्‍य और परिणाम प्राप्‍त होता है। इस दिन भगवान विष्‍णु को तुलसी के प‍त्ते अर्पित करना बहुत शुभ होता है।

एस्ट्रोसेज एआई के इस विशेष ब्लॉग में कामिका एकादशी 2025 से जुड़ी समस्‍त जानकारी दी गई है जैसे कि इस साल कामिका एकादशी कब है और इस दिन का क्‍या महत्व है? साथ ही जानेंगे कि इस एकादशी पर भगवान विष्‍णु का पूजन करने की विधि क्‍या है। तो चलिए अब बिना देर किए आगे बढ़ते हैं और विस्‍तार से जानते हैं कामिका एकादशी 2025 के बारे में।

कामिका एकादशी 2025 कब है

20 जुलाई, 2025 को दोपहर 12 बजकर 15 मिनट पर एकादशी तिथि आरंभ हो जाएगी और इसका समापन 21 जुलाई को सुबह 09 बजकर 41 मिनट पर होगा। इस प्रकार कामिका एकादशी का व्रत 21 जुलाई, 2025 को सोमवार के दिन किया जाएगा।

पारण तिथि एवं समय

22 जुलाई, 2025 को सुबह 05 बजकर 36 मिनट से लेकर 08 बजकर 20 मिनट तक। इसकी समयावधि 2 घंटे 44 मिनट की है।

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कामिका एकादशी 2025 पर दान करने का महत्‍व

सनातन धर्म में दान को विशेष स्‍थान दिया गया है। दान केवल मानव विकास के लिए ही नहीं है बल्कि आध्‍यात्मिक विकास करने के लिए भी दान को विशेष रूप से महत्‍वपूर्ण माना जाता है। दान करने का अर्थ है किसी को निस्‍वार्थ भाव से धन, अन्‍न, जल या सेवा प्रदान करना। ऐसा माना जाता है कि दान करने से मनुष्‍य के सारे पाप धुल जाते हैं।

सनातन धर्म में दान केवल निजी विकास तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह समाज के कल्‍याण के लिए भी होता है। दान के ज़रिए मनुष्‍य के अंदर करुणा, प्रेम और दया की भावना जागृत होती है जिससे अपने आप ही मोक्ष के द्वार खुलने लगते हैं।

कामिका एकादशी 2025 पर किन चीज़ों का दान करें

  • इस दिन श्रद्धालु अन्‍न और भोजन का दान कर सकते हैं। श्रावण कृष्‍ण एकादशी पर गरीब एवं जरूरतमंद लोगों को अन्‍न का दान करना बहुत शुभ माना गया है। आप अनाज में चावल, गेहूं और मक्‍के का दान कर सकते हैं।
  • भगवान विष्‍णु को प्रसन्‍न करने के लिए पीले वस्‍त्रों का दान करना भी मंगलकारी माना जाता है।
  • वहीं सुख-समृद्धि की प्राप्‍ति के लिए आप कामिका एकादशी 2025 पर छाते का दान भी कर सकते हैं।
  • विष्‍णु जी को केसर का दूध अर्पित करें एवं राहगीरों को मीठा जल पिलाएं।

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कामिका एकादशी 2025 की व्रत विधि

कामिका एकादशी पर भक्‍त प्रात: काल जल्‍दी उठकर स्‍नान करने के बाद भगवान विष्‍णु की पूजा करते हैं। विष्‍णु जी को पंचामृत अर्पित करते हैं और पुष्‍पों, तुलसी की प‍त्तियों, फल, दूध एवं तिल के बीजों से उनका पूजन किया जाता है। कामिका एकादशी पर ब्राहृमण को भोजन करवाना और धन, कपड़ों आदि का दान करने का विशेष महत्‍व है।

एकादशी की रात्रि को जागरण किया जाता है और पूरा दिन भजन-कीर्तन किया जाता है। एकादशी से अगले दिन द्वादशी तिथि पर व्रत का पारण किया जाता है।

कामिका एकादशी पर व्रत रखने एवं भगवान विष्‍णु का पूजन करने से सुख-समृद्धि और स्‍वास्‍थ्‍य का आशीर्वाद मिलता है। इस एकादशी पर हिंदू तीर्थस्‍थल की यात्रा पर भी जाते हैं और गंगा, गोदावरी, यमुना एवं कृष्‍णा और कावेरी जैसी पवित्र नदियों में स्‍नान करते हैं। कामिका एकादशी पर तर्पण करने से पितृ दोष से भी मुक्‍ति मिल जाती है।

कामिका एकादशी 2025 की कथा

प्राचीन समय में एक गांव में एक जमींदार रहा करता था। एक बार उस जमींदार की एक ब्राह्मण से लड़ाई हो गई और क्रोध में आकर जमींदार ने उस ब्राह्मण की हत्‍या कर दी। इसके बाद जमींदार को अपने कृत्‍य पर ग्‍लानि हुई और वह ब्राह्मण के दाह संस्‍कार में शामिल होकर अपने इस पाप के लिए क्षमा मांगना चाहता था लेकिन उसे इसकी अनुम‍ति नहीं मिल पाई। ऐसे में उस जमींदार पर ब्राह्मण हत्‍या का पाप लगा।

पश्‍चाताप की अग्नि में जलते हुए ब्राह्मण ने एक संत से पूछा कि उसे इस पाप से किस तरह से मुक्‍ति मिल सकती है? इस पर संत ने उससे कहा कि उसे कामिका एकादशी का व्रत एवं पूजन करना चाहिए। जमींदार ने संत के बताए अनुसार ही व्रत और पूजन किया। जब रात के समय जमींदार भगवान की मूर्ति के निकट ही सो रहा था, उस समय उसके सपने में भगवान विष्‍णु आए और उन्‍होंने उसे ब्राह्मण की हत्‍या के पाप से मुक्‍त कर उसे क्षमा कर दिया।

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कामिका एकादशी 2025 पर राशि अनुसार भोग लगाएं

इस दिन आप भगवान विष्‍णु को प्रसन्‍न करने के लिए अपनी राशि के अनुसार उन्‍हें भोग लगा सकते हैं:

  • जिन लोगों की मेष राशि है, वे विष्‍णु जी को माखन, चूरमा और मिश्री का भोग लगा सकते हैं।
  • वृषभ राशि वाले चावल की खीर का भोग लगा सकते हैं। आप इससे पहले विधिपूर्वक विष्‍णु जी की उपासना जरूर करें।
  • मिथुन राशि के लोग कामिका एकादशी 2025 पर हरे रंग के फल चढ़ा सकते हैं। इससे भगवान विष्‍णु अवश्‍य प्रसन्‍न होंगे।
  • कर्क राशि वाले दूध, खीर और दही का भोग लगाएं।
  • जिनकी सिंह राशि है, वे विष्‍णु जी को मोतीचूर के लड्डू चढ़ा सकते हैं।
  • कन्‍या राशि के लोग दूध में केसर मिलाकर विष्‍णु जी का अभिषेक कर सकते हैं। आप गाय के दूध से बनी मिठाई भी चढ़ा सकते हैं।
  • तुला राशि के लोगों को माखन, दही और मिश्री का भोग लगाना चाहिए।
  • यदि आपकी वृश्चिक राशि है, तो आप गुड़ ये बनी खीर का भोग लगाएं। आप दूध में शहद डालकर विष्‍णु जी का अभिषेक कर सकते हैं।
  • धनु राशि के लोग केले और बेसन के लड्डू अर्पित कर सकते हैं।
  • मकर राशि के जातक कामिका एकादशी 2025 पर चूरमा चढ़ाएं।
  • कुंभ राशि वाले श्रीफल का भोग लगाएंगे तो अच्‍छा होगा।
  • मीन राशि के लोगों को भगवान विष्‍णु को केले और बेसन के लड्डू का भोग लगाना चाहिए।

कामिका एकादशी 2025 पर व्रत रखने के लाभ

यदि कोई व्‍यक्‍ति सच्‍चे मन से कामिका एकादशी का व्रत रखता है, तो उसे निम्‍न लाभ मिल सकते हैं:

  • इस व्रत को रखने से पिछले जन्‍म के पाप कर्मों से मुक्‍ति मिलती है और आध्‍यात्मिक विकास होता है।
  • अन्‍य एकादशियों की तरह ही कामिका एकादशी का भी व्रत रखने से मनुष्‍य और जीवन एवं मृत्‍यु के चक्र से मुक्‍ति मिल जाती है और वह मोक्ष को प्राप्‍त करता है।
  • एकादशी पर विष्‍णु जी का पूजन एवं व्रत रखने से उनका आशीर्वाद और कृपा प्राप्‍त होती है।
  • इस व्रत के प्रभाव से जीवन में आ रही अड़चनें दूर होती हैं और सुख एवं समृद्धि का आगमन होता है।
  • माना जाता है कि एकादशी पर व्रत रखने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और आत्मिक शांति मिलती है।

कामिका एकादशी 2025 पर न करें इन चीज़ों का सेवन

  • हिंदू धर्म एवं ज्‍योतिष शास्‍त्र में एकादशी के दिन को अत्‍यंत पवित्र माना गया है इसलिए इस दिन कुछ खास चीज़ों एवं खाद्य पदार्थों का सेवन करना वर्जित है।
  • इस दिन चावल, जौ और मक्‍का नहीं खाना चाहिए क्‍योंकि ये अनाज में आते हैं।
  • एकादशी के व्रत में प्‍याज और लहसुन का प्रयोग भी वर्जित रखा गया है।
  • बैंगन को तामसिक माना जाता है इसलिए कुछ लोग एकादशी के दिन इसका सेवन करने से भी परहेज़ करते हैं।
  • इसी तरह मशरूम को भी तामसिक भोजन में रखा जाता है और उसे भी एकादशी के दिन खाने से मना किया जाता है।
  • कुछ लोग एकादशी पर हींग खाने से भी परहेज़ करते हैं क्‍योंकि उन्‍हें लगता है कि इससे उपवास के दिन मानसिक शुद्धता में खलल पड़ती है।
  • इस शुभ एवं पवित्र दिन पर मांस, मदिरा और योगर्ट एवं चीज़ खाने से भी बचना चाहिए।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्‍न 1. कामिका एकादशी पर किसकी पूजा होती है?

उत्तर. इस दिन भगवान विष्‍णु के साथ भोलेनाथ की भी पूजा होती है।

प्रश्‍न 2. कामिका एकादशी 2025 व्रत कब है?

उत्तर. यह व्रत 16 जुलाई, 2025 को है।

प्रश्‍न 3. कौन-सी एकादशी सबसे बड़ी है?

उत्तर. निर्जला एकादशी को सबसे कठिन और पवित्र माना जाता है।