साल में दो बार मनाई जाती है शनि जयंती- नोट कर लें वैशाख माह की शनि जयंती की सही तिथि और मुहूर्त!

हिंदू धर्म में शनि जयंती के पर्व का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन शनि देव की विधिवत पूजा करते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि शनि जयंती वर्ष में दो बार मनाई जाती है एक वैशाख के महीने में और एक ज्येष्ठ के महीने में। अपने इस खास ब्लॉग में हम जानेंगे इस वर्ष शनि जयंती किस दिन मनाई जा रही है, इस दिन क्या कुछ काम भूल से भी नहीं करने चाहिए, राशि अनुसार क्या उपाय करके आप शनिदेव की प्रसन्नता हासिल कर सकते हैं, साथ ही जानें शनि जयंती से जुड़ी कुछ बेहद ही दिलचस्प और रोचक बातों की भी जानकारी। 

शनि जयंती 2024 कब है?  

जैसा कि हमने पहले भी बताया कि शनि जयंती वर्ष में दो बार मनाई जाती है। कुछ जगहों पर शनि जयंती वैशाख अमावस्या के दिन मनाई जाती है और कुछ जगहों पर शनि जयंती ज्येष्ठ महीने की अमावस्या को मनाई जाती है। इस साल वैशाख अमावस्या 8 मई को है और ज्येष्ठ अमावस्या 6 जून को है। ऐसे में इन दोनों ही दिनों पर अलग-अलग जगहों पर शनि जयंती मनाई जाएगी।

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शनि जयंती महत्व 

शास्त्रों के अनुसार शनि जयंती के पर्व का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन सूर्य पुत्र शनिदेव की जयंती मनाई जाती है। ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को न्याय का देवता कहते हैं अर्थात यह व्यक्ति के उसके कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं। जिन लोगों के कर्म अच्छे होते हैं उन्हें शनिदेव से डरने की बिल्कुल आवश्यकता नहीं होती है बल्कि शनि उनकी मेहनत में चार-चाँद लगाकर उन्हें रंक से राजा बना देते हैं वहीं इसके विपरीत जिन लोगों के कर्म अच्छे नहीं होते हैं उन्हें शनि से हर मायने में डरना चाहिए और ऐसे लोगों पर शनि का प्रकोप निश्चित तौर पर देखने को मिलता है। 

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अब आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं शनि के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए किस विधि से शनि जयंती पर शनि देव की पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा बहुत से लोग शनि जयंती के दिन शनि देव के लिए व्रत भी रखते हैं। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि दोष होता है या फिर शनि की स्थिति कमजोर होती है तो विशेष तौर पर ऐसे लोगों को शनि जयंती के दिन व्रत रखना, फिर भगवान शनि के मंदिर जाकर उन्हें सरसों का तेल काला तिल, नीले फूल, शमी के पत्ते चढ़ाने की सलाह दी जाती है। इससे उन्हें निश्चित रूप से शनि के प्रकोप से बचने में राहत मिलती है।

सनातन धर्म में शनि जयंती के पर्व को विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन शनि देव की पूजा करने से शनि की साढ़ेसाती, शनि की ढैया के दुष्प्रभाव से व्यक्ति को छुटकारा मिलता है। इसके साथ ही शनिदेव की पूजा करने से व्यक्ति को कारोबार और नौकरी में तरक्की और सफलता भी प्राप्त होती है।

शनि देव जयंती 2024: शुभ मुहूर्त 

सबसे पहले बात कर लें शुभ शुभ मुहूर्त की तो इस साल वैशाख अमावस्या 7 मई 2024 को सुबह 11:40 से प्रारंभ हो जाएगी और इसका समापन 8 मई को सुबह 8:40 पर होगा। यही वजह है कि शनि जयंती 8 मई को मनाई जा रही है। शनि पूजा करने के लिए समय की बात करें तो यह शाम के 5 से 7 बजे तक रहने वाला है। 

वहीं ज्येष्ठ माह की शनि जयंती अर्थात 6 जून की शनि जयंती की बात करें तो इसका मुहूर्त अलग होगा। जून महीने की अमावस्या 5 जून 2024 को 7:54 से प्रारंभ हो जाएगी और इसका समापन 6 जून को 6:07 पर होगा।

शनि जयंती कथा 

सूर्य देव का विवाह राजा दक्ष की पुत्री संज्ञा के साथ हुआ था। सूर्य देव की तीन संताने हैं मनु, यमराज और यमुना। पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि एक बार संज्ञा ने अपने पिता दक्ष से सूर्य के तेज से होने वाली दिक्कत के बारे में जिक्र किया। तब राजा दक्ष ने अपनी पुत्री की बात पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि तुम अब सूर्य देव की अर्धांगिनी हो। पिता के ऐसा कहने पर संज्ञा ने अपने तपोबल से अपनी छाया को प्रकट किया और इनका नाम सवर्णा रखा। 

आगे चलकर सूर्य देव की पत्नी संज्ञा की छाया के गर्भ से शनि देव का जन्म हुआ। शनि देव का वर्ण बेहद ही श्याम था। जब सूर्य देव को इस बात का पता चला कि सवर्णा उनकी अर्धांगिनी नहीं हैं तो सूर्य देव ने शनि देव को अपना पुत्र मानने से इनकार कर दिया। इससे शनि देव कुपित हो गए और उनकी दृष्टि सूर्य देव पर पड़ी जिसकी वजह से सूर्य देव काले पड़ गए और पूरे ही संसार में अंधकार छाने लगा। परेशान होकर सूर्य देवता भगवान शिव के पास गए। तब भगवान शिव ने उन्हें छाया से क्षमा मांगने को कहा तब सूर्य देव ने छाया से क्षमा मांगी और तब जाकर वे शनि के क्रोध से मुक्त हुए।

शनि जयंती सही पूजन विधि 

पूजन विधि की बात करें तो, 

  • शनि जयंती के दिन सुबह स्नान करने के बाद शनि मंदिर जाएं और शनि देव को सरसों के तेल अर्पित करें। 
  • इस दिन शनि देव को काले रंग के वस्त्र अर्पित करें। 
  • इसके बाद उन्हें काला तिल, उड़द दाल और लोहा चढ़ाएँ।
  • हो सके तो गरीब लोगों को जूता, छाता या फिर कपड़े का भी दान कर सकते हैं। 

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शनि जयंती के दिन भूल से भी ना करें ये गलतियाँ 

  • शनिदेव की पूजा में कभी भी तांबे का बर्तन उपयोग न करें। तांबे का संबंध दरअसल सूर्य से जोड़कर देखा जाता है और सूर्य और शनि के बीच शत्रुता का संबंध है। यूं तो दोनों पिता पुत्र हैं लेकिन आपस में शत्रु हैं इसीलिए उनकी पूजा में कभी भी तांबे का बर्तन उपयोग न करें। 
  • शनि देव की कुदृष्टि से बचाना है तो कभी भी उनकी मूर्ति के ठीक सामने खड़े होकर और उनकी आंखों में आंखें डाल कर ना देखें। शनिदेव की पूजा करते समय अपना मुख हमेशा पश्चिम दिशा में रखें। 
  • शनि जयंती के दिन नमक, लोहा, तेल ना खरीदें। अगर आपको दान करना भी है तो एक दिन पहले इसे खरीद कर घर पर रख लें। 
  • शनि जयंती के दिन शनि से संबंधित कोई भी चीज खरीद कर घर ना लाएं अन्यथा इससे मुसीबतें जीवन में आने लगती हैं। 
  • शनि जयंती के दिन गलती से भी किसी पशु पक्षी को परेशान ना करें। 
  • शनि जयंती के दिन मांसाहारी भोजन न करें, नशा ना करें, अन्यथा इससे शनि देव नाराज हो जाते हैं। 
  • शनि जयंती के दिन भूल से भी गरीब, असहाय लोगों को परेशान ना करें। शनि देव को गरीबों का रक्षक कहा जाता है इसलिए विशेष तौर पर इन्हें परेशान करने से बचें। 

शनि जयंती का धार्मिक महत्व 

शनि जयंती का पर्व बेहद ही खास महत्व रखता है। शनिदेव भगवान शिव के परम भक्त कहे जाते हैं। उन्हें सेवा और व्यापार जैसे काम का स्वामी भी माना जाता है। कहते हैं कि जहां भी शनिदेव सीधी दृष्टि डालते हैं वहां उथल-पुथल मच जाती है। बताया जाता है कि एक बार जब रावण ने भगवान शनि को कैद कर लिया था तब हनुमान जी ने उन्हें छुड़ाया था। तब शनिदेव ने प्रसन्न होकर कहा था कि जो भी बजरंगबली की पूजा भक्ति भाव से करेगा उन पर कभी भी शनि दोष नहीं आएगा। साथ ही ऐसे जातकों पर शनि देव का आशीर्वाद हमेशा बना रहेगा।

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शनि जयंती पर राशि अनुसार करें ये ज्योतिषीय उपाय 

मेष राशि: मेष राशि के जातक शनि जयंती के दिन सरसों के तेल या फिर काले तिल का दान करें।

वृषभ राशि: शनि जयंती के दिन वृषभ राशि के जातक गरीब और जरूरतमंद लोगों को काले कंबल का दान करें। 

मिथुन राशि: शनि जयंती के दिन बड़े बुजुर्गों को प्रणाम करें, उन्हें कुछ उपहार अवश्य दें। इसके अलावा शनि मंदिर जाकर शनि देव से संबंधित चीजों का दान करें। 

कर्क राशि: कर्क राशि के जातक शनि जयंती के दिन गरीबों को काला तिल, उड़द, सरसों के तेल, वस्त्र का दान करें। 

सिंह राशि: सिंह राशि के जातक शनि जयंती के दिन हनुमान जी की पूजा करें उसके बाद शनि देव की पूजा करें और छाया दान करें।

कन्या राशि: कन्या राशि के जातक शनि जयंती के दिन शनि मंदिर जाकर पूजा पाठ करें और शनि मंत्र का जाप करें। 

तुला राशि: तुला राशि के जातक शनि जयंती के दिन शनि देव की पूजा करें। इसके बाद काले या फिर नीले वस्त्र, तिल, कंबल आदि का जरूरतमंद लोगों को दान करें। 

वृश्चिक राशि: शनि जयंती के दिन भगवान हनुमान की पूजा करें। पूजा के बाद काले कुत्ते की सेवा करें। 

धनु राशि: धनु राशि के जातक शनि जयंती के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करें और सरसों के तेल का दीपक जलाएं। 

मकर और कुंभ राशि: मकर और कुंभ राशि के जातकों के स्वामी ग्रह स्वयं शनि है। ऐसे में शनि जयंती के दिन विधिवत पूर्वक पूजा करने के बाद शनि की प्रिय वस्तुओं का जरूरतमंद लोगों को दान करें।

मीन राशि: मीन राशि के जातक शनि जयंती के दिन पीले वस्त्र, हल्दी, केसर का दान करें और हो सके तो विष्णु चालीसा का जाप करें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न: शनि जयंती 2024 में कब है?

उत्तर: 2024 में शनि जयंती वैशाख माह में 8 मई को है और ज्येष्ठ माह की शनि जयंती 6 जून को है।

प्रश्न: 2024 में शनि देव को कैसे प्रसन्न करें?

उत्तर: प्रदोष व्रत के दिन नियम से शाम के समय शनि देव की पूजा करें और उनका आशीर्वाद पाने के लिए सरसों के तेल का दीपक जलाकर पीपल के पेड़ के नीचे रख दें।

प्रश्न: शनि जयंती के दिन क्या करें?

उत्तर: शनि जयंती के दिन शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और फिर विधिपूर्वक शनिदेव की पूजा करें, उनके मंदिर जाकर सरसों के तेल अर्पित करें।

प्रश्न: शनि जयंती पर कौन से रंग के कपड़े पहनें? 

उत्तर: शनि देव का प्रिय रंग काला माना जाता है। ऐसे में आप चाहे तो शनि जयंती के दिन काले रंग के वस्त्र धारण कर सकते हैं इससे शनि देव अवश्य प्रसन्न होंगे।

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इन ग्रहों की वजह से शादी में आती है रुकावट, जल्द कर लें उपाय, कहीं हो न जाए देर!

हर माता-पिता की इच्छा होती है कि उनके बच्चों की शादी सही जगह और सही समय पर हो जाए। इस बात की चिंता उन्हें हर बार सताती रहती है। यह चिंता तब बढ़ जाती है जब लड़का लड़की शादी के योग्य हो जाते हैं और शादी में कई प्रकार की बाधाएं आने लगती है। शादी में देरी होने की कई वजहें हो सकती हैं। कई बार आपकी शादी विवाह की बात बनते-बनते बिगड़ जाती है, तो कई बार बात आगे ही नहीं बढ़ पाती है। इन वजहों के उसके सही कारणों का पता लगाना हर किसी के लिए मुश्किल हो जाता है। ज्योतिष के अनुसार, शादी में देरी होने के अन्य समस्या के अलावा, कुछ ग्रह दोष भी कारण हो सकते हैं। 

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कुंडली में कई ऐसे ग्रह मौजूद होते हैं जो शादी विवाह के मामलों में बाधा पैदा करने लगते हैं। जो ग्रह शादी में देरी का कारण बनते हैं उनकी पहचान कुंडली देखकर की जा सकती है। लेकिन यदि आप इन ग्रहों के बारे में ठीक से जानकारी ले लेते हैं और कुछ आसान ज्योतिष उपायों को अपनाते हैं तो आप विवाह में आने वाली समस्या से निपट सकते हैं। तो चलिए इसी क्रम में आगे बढ़ते हैं और जानते हैं उन ग्रहों के बारे में जो विवाह में समस्याएं पैदा करते हैं और साथ ही, इन समस्याओं से लड़ने के उपायों स के बारे में भी जानेंगे।

शादी में रुकावट के पीछे ये है बड़ा कारण

कुंडली के ये भाव पैदा कर सकते हैं रुकावट

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब कुंडली में सातवें भाव की दशा या फिर अन्तर्दशा, सातवें भाव में स्थित ग्रहों की दशा या अंतर्दशा या सातवें भाव को देखने वाले ग्रहों की दशा या अंतर्दशा हो या छठे भाव से संबंधित कोई दशा या अंतर्दशा चल रही हो तभी शादी विवाह में देरी होती है। ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में छठा तथा दसवां भाव विवाह में रुकावटें पैदा कर सकता है। शनि सातवें भाव में हो तब भी शादी विवाह में देरी हो सकती है।

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इन ग्रहों की युति से भी विवाह में होता है विलंब 

वहीं, यदि मंगल, राहु और केतु यदि सातवें भाव में हो तो भी शादी विवाह में देरी हो सकती है। शनि, मंगल, शनि राहु, मंगल राहु, या शनि सूर्य, सूर्य मंगल, सूर्य राहु की युति सातवें भाव या आठवें भाव में हो तो भी विवाह में अड़चन आ सकती है। 

मांगलिक होना भी है कारण

विवाह में देरी होने का एक बड़ा महत्वपूर्ण कारण कुंडली में मांगलिक होना भी है। जो लोग मांगलिक होते हैं उन लोगों के विवाह के योग काफी उम्र में बनते हैं। सातवें और बारहवें भाव में गुरु या शुभ ग्रह योग कारक न हो और चंद्रमा कमज़ोर हो तो विवाह में बाधाएं आ सकती है।

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कुंडली के इस भाग में होता है विवाह का योग

सातवें भाव विवाह का कारक होता है इस पर शुभ ग्रहों तथा देवगुरु बृहस्पति व शुक्र की दृष्टि हो तो शादी के योग जल्दी बनते हैं। गुरु सातवें भाव में हो तो शादी 25 की उम्र तक हो जाती है। लेकिन यदि गुरु पर सूर्य या मंगल का प्रभाव हो तो शादी में एक साल या डेढ़ साल देरी हो सकती है और यदि कुंडली में राहु या शनि का प्रभाव हो तो 2 से 3 साल तक देरी का सामना करना पड़ सकता है।

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शादी में आ रही रुकावटें को दूर करने के आसान उपाय

यदि आप विवाह में देरी या किसी प्रकार की रुकावटों का सामना कर रहे हैं तो आपको नीचे दिए गए उपायों को जरूर करना चाहिए।

पारद शिवलिंग की करें पूजा

यदि आपके विवाह में लंबे समय से देरी हो रही है और बात होते-होती बिगड़ जाती है तो आपको पारद शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा, आपको भगवान गणेश की पूजा नियमित रूप से करनी चाहिए। इसके साथ ही जल्द विवाह के लिए भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की गुरुवार के दिन विधि-विधान से पूजा करके खीर का भोग लगाना चाहिए।

माता पार्वती को चढ़ाएं सुहाग का सामान

विवाह में बाधाएं उत्पन्न करने वाले ग्रह गुरु, शनि और मंगल के लिए अवश्य उपाय करना चाहिए।  ऐसे जातकों को सावन के हर सोमवार का व्रत रखना चाहिए और भगवान शिवजी के साथ ही माता पार्वती की भी पूजा करनी चाहिए। साथ ही, माता पार्वती को सुहाग का सामान चढ़ाना चाहिए इससे विवाह से जुड़ी बाधाएं दूर हो सकती हैं।

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मांगलिक दोष के लिए उपाय

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में मांगलिक दोष लगने पर विवाह में बाधा आती है। ज्योतिष के अनुसार, मांगलिक जातक को मांगलिक जातक से ही शादी करनी चाहिए। अन्यथा जीवन में कई प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इसके लिए उपायों को अपनाना बहुत जरूरी है। मंगल के प्रभाव को खत्म करने के लिए मंगलवार के दिन व्रत करें। वहीं, हनुमान मंदिर जाकर बजरंगबली को लड्डू का भोग लगाएं। साथ ही, भगवान हनुमान को नारंगी सिंदूर अर्पित करें। ऐसा करने से मंगल दोष का प्रभाव कम हो सकता है।

गुरुवार का व्रत रखें

ज्योतिष में, देवगुरु बृहस्पति को विवाह का कारक माना जाता है और यदि कुंडली में गुरु कमज़ोर स्थिति में मौजूद हों तो जातक को विवाह से संबंधित समस्याओं के सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में, गुरु की स्थिति में सुधार लाने के लिए गुरुवार के दिन पीले कपड़े पहनकर भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। साथ ही, आपको पीले चीज़ों का जैसे- चने की दाल, केला, हल्दी और केसर का सेवन करना आपके लिए भी लाभप्रद होता है। अगर संभव हो तो आप 11 या 21 गुरुवार का व्रत भी कर सकते हैं। ऐसा करना आपके लिए फलदायी साबित होगी।

गुप्त दान करें

यदि आपकी शादी में बाधा आ रही है, तो अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार विवाह में गुप्त दान करें। इस उपाय को करने से विवाह में आ रही बाधाएं दूर होंगी। ज्योतिष के अनुसार, विवाह में गुप्त दान करने से राहु की स्थिति मजबूत होती है।

शिवलिंग पर काले तिल चढ़ाएं

माना जाता है कि शनि की अशुभ स्थिति से भी विवाह में रुकावट आती है। शनि के कारण आने वाली बाधा को दूर करने के लिए हर शनिवार के दिन आप शिवलिंग पर काले तिल अर्पित करें। ऐसा करना बेहद लाभकारी माना जाता है। इसके अलावा, शनिवार को काले कपड़े में साबुत उड़द, लोहा, काला तिल और साबुन बांधकर दान करने से भी लाभ मिलता है।

बेडरूम में राधा कृष्ण की फोटो लगाएं

ज्योतिषियों की मानें तो यदि आपकी शादी की बात बनते-बनते बिगड़ जा रही है तो अपने बेडरूम में राधा कृष्ण जी की तस्वीर लगाएं। इस बात का ध्यान दें कि राधा कृष्ण जी की तस्वीर पूर्व या उत्तर दिशा में ही लगाएं तभी इसका फल प्राप्त होगा।

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. कौन सा ग्रह अचानक विवाह देता है?

उत्तर 1. बुध शीघ्र ही शादी करवाता है। सातवें घर में बुध हो तो शादी जल्दी होने के योग होते हैं।

प्रश्न 2. देर से विवाह के लिए कौन सा ग्रह जिम्मेदार है?

उत्तर 2. विवाह में विलंब के लिए मंगल, बृहस्पति, शनि ग्रह जिम्मेदार होते हैं।

प्रश्न 3. विवाह के योग कब बनते हैं?

उत्तर 3. शादी के योग 20 वें वर्ष से बनने लगते हैं। हालांकि, बुध पर किसी अशुभ ग्रह की दृष्टि न हो।

प्रश्न 4. कौन सा घर विवाह का संकेत देता है?

उत्तर 4.  कुंडली में सातवां भाव विवाह और साझेदारी का प्रतिनिधित्व करता है।0

कुंडली में कब और कैसे बनता है पातक कालसर्प दोष? इन उपायों से दूर होता है ये अशुभ योग

ज्योतिष शास्त्र में अनेक ऐसे योगों और दोषों का वर्णन मिलता है जिन्हें मनुष्य जीवन के लिए अशुभ माना जाता है और इन्हीं में से एक है पातक काल सर्प दोष। इस दोष की गिनती सबसे अशुभ दोषों में होती है क्योंकि इसे बहुत ही कष्टकारी कहा जाता है। आपको बता दें कि कालसर्प दोष कई प्रकार के होते हैं और उनमें से एक होता है पातक काल सर्प दोष। एस्ट्रोसेज का यह ब्लॉग आपको कुंडली में निर्मित होने वाले पातक काल सर्प दोष के बारे में समस्त जानकारी प्रदान करेगा। साथ ही जानेंगे, कुंडली में कब बनता है यह योग और इस दोष से उत्पन्न होने वाले अशुभ प्रभावों से मुक्ति पाने के लिए किन उपायों को करना चाहिए? तो आइए शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की। 

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ऐसी मान्यता है कि अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में काल सर्प दोष मौजूद होता है, तो उस इंसान को अपने जीवन काल में अनेक समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। यह दोष मनुष्य को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रभावित करता है। ज्योतिष के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में आ जाते हैं, उस समय काल सर्प दोष निर्मित होता है। 

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कैसे बनता है कुंडली में पातक कालसर्प दोष?

कुंडली में बनने वाला पातक कालसर्प योग भी काल सर्प दोष का एक प्रकार माना जाता है। यह उस समय बनता है जब दसवें भाव में राहु तथा चौथे भाव में केतु विराजमान होते हैं और इन दोनों ग्रहों के बीच में सभी ग्रह आ जाते हैं। बता दें कि कालसर्प योग कुल 12 तरह के होते हैं और इसमें यह दसवें स्थान पर आता है। कुंडली में बनने वाले इस अशुभ दोष के नाम से ही व्यक्ति घबरा जाता है और ऐसे में, मनुष्य को जीवन भर तमाम दुख और कष्ट भोगने पड़ते हैं। 

कुंडली में राजयोग कबसे? राजयोग रिपोर्ट से जानें जवाब

पातक कालसर्प दोष का जीवन पर प्रभाव 

  • जिन जातकों की कुंडली में पातक कालसर्प दोष होता है, उन्हें अपने पिता की संपत्ति पाने के लिए अपने भाइयों के साथ संघर्ष से जूझना पड़ता है। 
  • चाहे नौकरी हो या व्यवसाय, इन लोगों को हर क्षेत्र में समस्याओं का सामना करना पड़ता है।  पातक कालसर्प दोष से मनुष्य की आर्थिक स्थिति कमज़ोर रहती है इसलिए उन्हें दूसरों से धन उधार लेने और छोटे से छोटे काम को संपन्न करने के लिए दूसरों की सहायता या अहसान लेने की आवश्यकता होती है। ऐसे में, यह हमेशा जीवन भर कर्ज तले दबे रहते हैं।
  • कुंडली में पातक काल सर्प दोष होने पर व्यक्ति को नींद में बार-बार अपने शरीर पर सांप रेंगते हुए नज़र आते हैं या फिर स्वयं को सांप का डसना दिखाई देता है।
  • जिन लोगों पर पातक काल सर्प दोष का प्रभाव होता है, उन्हें अपने सपनों में अधिकतर मृत लोग दिखाई देते हैं। 
  • इस दोष से पीड़ित जातक अपने जीवन में आर्थिक और शारीरिक समस्याओं से परेशान रहते हैं। 

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इन उपायों को करने से दूर होगा पातक कालसर्प दोष

  • कुंडली में कालसर्प दोष होने पर नियमित रूप से शिव पूजा करना फलदायी रहता है। ऐसा करने से जीवन में आने वाली समस्याएं दूर होती हैं।
  • सोमवार, प्रदोष, शिवरात्रि, सावन माह या फिर किसी भी शिव वास के दिन रुद्राभिषेक करने से नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं। 
  • शनिवार या मंगलवार या फिर संभव हो, तो दोनों ही दिन सुंदरकांड का पाठ करें।
  • प्रतिदिन स्नानादि के पश्चात महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। ऐसा करने से पातक काल सर्प दोष का प्रभाव कम होता है।
  • ऐसे जातक को नियमित रूप से अपने कुलदेवता की उपासना करनी चाहिए। 
  • प्रतिदिन महामृत्युंजय मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करना फलदायी रहता है। 
  • पातक कालसर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति को घर में मोरपंख रखना फलदायी साबित होता है। 
  • जिन लोगों की कुंडली में पातक कालसर्प दोष होता है, उस व्यक्ति के लिए त्र्यंबकेश्वर और महाकालेश्वर मंदिर में पूजा करना श्रेष्ठ रहता है। इन दोनों स्थानों को पातक कालसर्प दोष निवारण के लिए सर्वोत्तम होता है।  

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. कालसर्प दोष के लक्षण क्या है?

उत्तर 1. कालसर्प दोष होने पर व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान रहता है।

प्रश्न 2. कालसर्प दोष कितने समय तक रहता है?

उत्तर 2. यह दोष लगभग 47 वर्षों तक व्यक्ति को प्रभावित करता है। 

प्रश्न 3. कालसर्प दोष की पूजा कब करनी चाहिए?

उत्तर 3. नागपंचमी का दिन कालसर्प दोष निवारण पूजा के लिए श्रेष्ठ रहता है।

  

बृहस्‍पति के उदय होते ही, इन राशियों को मिलेगा प्‍यार, पति-पत्‍नी बनेंगे मिसाल

03 जून को बृहस्‍पति 03 बजकर 21 मिनट पर वृषभ राशि में उदित होने जा रहे हैं। बृहस्‍पति के उदित होने पर सभी राशियों के जीवन के सभी पहलू प्रभावित होंगे और इसका गहरा असर लोगों के प्रेम जीवन पर भी देखने को मिलेगा।

इस ब्‍लॉग में हम आपको बता रहे हैं कि गुरु के उदित होने से किन राशियों के जातकों को अपने प्रेम जीवन में सकारात्‍मक परिणाम मिलने की संभावना है। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि गुरु के उदित होने से किन राशियों के जीवन में प्‍यार का आगमन होगा।

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मेष राशि 

मेष राशि के नवम और बारहवें घर के स्वामी बृहस्‍पति हैं और अब वह आपके दूसरे घर में उदित होने जा रहे हैं। प्रेम जीवन की बात करें, तो आपको अपने पार्टनर के साथ आनंदमय समय बिताने का मौका मिलेगा। आप अपने रिश्‍ते में अपने जीवनसाथी के साथ खुश रहेंगे।

मेष साप्ताहिक राशिफल

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा 

कर्क राशि 

कर्क राशि के छठे और नवम भाव के स्वामी बृहस्‍पति हैं और अब वह आपके ग्यारहवें घर में उदित होने जा रहे हैं। आपका अपने पार्टनर के साथ अच्‍छा तालमेल रहने वाला है। आप अपने रिश्‍ते को पूरी ईमानदारी के साथ निभाएंगे।

कर्क साप्ताहिक राशिफल

कन्या राशि 

कन्या राशि के चौथे और सातवें भाव के स्वामी बृहस्‍पति हैं और अब वह आपके नवम भाव में उदित होने जा रहे हैं। इस दौरान कन्‍या राशि के लोगों के प्रयास सफल होंगे। आपको मुश्किल वक्‍त में या ज़रूरत के समय अपने पार्टनर का सहयोग प्राप्‍त होगा। इससे आप काफी खुश रहने वाले हैं।

कन्या साप्ताहिक राशिफल

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वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के दूसरे और पांचवें घर के स्वामी बृहस्‍पति हैं और आपके सप्तम भाव में अब गुरु उदित होने जा रहे हैं। इस दौरान आपके नए दोस्‍त बनेंगे। प्‍यार के मामले में आप अपने जीवनसाथी के साथ अच्‍छे मूल्‍य स्‍थापित करेंगे और आप दोनों के बीच सद्भाव रहेगा।

वृश्चिक साप्ताहिक राशिफल

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प्रेम जीवन पर बृहस्‍पति का प्रभाव

  • प्रेम संबंधों पर गुरु का प्रभाव खुशहाल और अच्‍छे संबंध को दर्शाता है। अगर आपकी कुंडली में गुरु शुभ स्‍थान में बैठा हो, तो जातक का वैवाहिक जीवन खुशहाल रहता है।
  • शुभ ग्रहों के साथ होने पर और शुभ भाव में होने पर बुध वैवाहिक जीवन में अनुकूल परिस्थितियां उत्‍पन्‍न करता है।
  • स्‍त्री की कुंडली में गुरु शुभ स्‍थान में होने पर शादीशुदा जिंदगी में सकारात्‍मकता और संतुलन लेकर आता है।
  • अशुभ ग्रहों के साथ युति होने पर और कमज़ोर, वक्री या अशुभ भाव में होने पर गुरु वैवाहिक संबंध में अलगाव और तलाक की स्थिति उत्‍पन्‍न कर सकता है।

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बृहस्‍पति का प्रेम जीवन पर क्‍या असर पड़ेगा: कैसे जानें

बृहस्‍पति आपके रिश्‍ते के लिए अनुकूल है या नहीं, यह जानने के लिए नीचे दिए गए कुछ प्रमुख कारकों पर विचार किया जाता है:

सप्‍तम भाव में बृहस्‍पति: ज्‍योतिष में सातवें भाव का संबंध साझेदारी और विवाह से है। अगर इस भाव में गुरु हो, तो यह रिश्‍ते में सकारात्‍मक ऊर्जा का संकेत देता है। गुरु की यह स्थिति शांति, उन्‍नति और सफल रिश्‍ते की ओर संकेत करती है।

बृहस्‍पति पर अन्‍य ग्रहों की दृष्टि: बृहस्‍पति पर शुभ ग्रहों की दृष्टि से प्रेम जीवन पर सकारात्‍मक प्रभाव पड़ता है।

गोचर: कुंडली में बृहस्‍पति के गोचर पर ध्‍यान देना भी आवश्‍यक है। किसी राशि में गुरु के गोचर करने से विस्‍तार और अवसर मिलने की संभावना बढ़ जाती है जो कि प्रेम और रिश्‍ते के लिए अच्‍छा साबित होता है।

सातवें भाव में बृहस्‍पति का प्रभाव

कुंडली का सातवां भाव विवाह का कारक होता है। इस भाव में गुरु के शुभ स्थिति में होने पर जातक का अपने जीवनसाथी के साथ मज़बूत रिश्‍ता बनता है और वह अपने पार्टनर के प्रति ईमानदार रहते हैं। इनकी अध्‍यात्‍म की ओर रुचि रहती है और ये अपने कार्यों के प्रति बहुत ज्‍यादा ईमानदार होते हैं।

वहीं, अगर गुरु सातवें भाव में अशुभ फल दे रहा है, तो इससे वैवाहिक जीवन में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और व्‍यक्‍ति की अपने पार्टनर के साथ अनबन रहती है। इनका प्रेम संबंध ज्‍यादा लंबे समय तक नहीं चल पाता है।

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प्रियंका चोपड़ा की कुंडली में गुरु सातवें भाव में है

प्रियंका चोपड़ा की कुंडली में गुरु सप्‍तम भाव में विराजमान हैं। सप्‍तम भाव विवाह का है। इससे उन्‍हें खूब लोकप्रियता हासिल हुई है। उन्‍हें खूब पैसा, नाम और शोहरत मिली है। इसके अलावा वह अपने रिश्‍ते को लेकर काफी उदार हैं और अपने पार्टनर के प्रति समर्पित और ईमानदार हैं।

अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

प्रश्‍न. बृहस्‍पति ग्रह कब उदय हो रहा है?

उत्तर. 03 जून, 2024 को बृहस्‍पति वृषभ राशि में उदित होंगे।

प्रश्‍न. बृहस्‍पति किस भाव में भाग्‍यशाली हैं?

उत्तर.पहले, दूसरे, पांचवे और सातवें।

प्रश्‍न. बृहस्‍पति कहां उच्‍च का है?

उत्तर. कर्क इसकी उच्‍च राशि है।

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मंगल के मेष में आते ही इन राशियों की लव लाइफ में आएगा तूफान, पति-पत्‍नी में होगी जमकर लड़ाई

01 जून, 2024 को मंगल अपनी स्‍वराशि मेष में दोपहर 03 बजकर 27 मिनट पर गोचर करेंगे। इसके बाद मंगल 12 जुलाई को वृषभ राशि में आएंगे। मंगल के इस गोचर से रूचक योग भी बन रहा है। मंगल मेष राशि के ही स्‍वामी ग्रह हैं और इसके अलावा इन्‍हें वृश्चिक राशि का भी स्‍वामित्‍व प्राप्‍त है।

मंगल अपनी ही राशि में आने पर अधिक शक्‍तिशाली हो जाते हैं। इससे रूचक योग का निर्माण भी होने वाला है क्योंकि यह अपनी प्राकृतिक राशि से केंद्र स्थान में हैं और यह मंगल का सबसे शक्तिशाली योग है।

मंगल के इस गोचर से सभी राशियों के जीवन पर अनुकूल-प्रतिकूल प्रभाव पड़ेंगे और इसकी वजह से कुछ राशियों के प्रेम जीवन में उतार-चढ़ाव आने की आशंका है। इस ब्‍लॉग में हम आपको विस्‍तार से बता रहे हैं कि मंगल के मेष राशि में प्रवेश करने पर किन राशियों की लव लाइफ में परेशानियां आने की आशंका है।

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मंगल के गोचर से इन राशियों की लव लाइफ होगी खराब

वृषभ राशि 

वृषभ राशि के लिए मंगल सातवें और बारहवें घर के स्वामी हैं और मंगल का मेष राशि में गोचर आपके बारहवें घर में होने जा रहा है। इस दौरान आपके और आपके पार्टनर के बीच बेवजह बहस हो सकती है। आप दोनों के बीच आपसी समझ और तालमेल की कमी भी देखने को मिल सकती है। इस वजह से पति-पत्‍नी के रिश्‍ते में कलह का माहौल रह सकता है।

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कन्या राशि 

कन्या राशि के लिए मंगल तीसरे और अष्टम भाव के स्वामी हैं और मंगल का मेष राशि में गोचर आपके अष्टम भाव में होने जा रहा है। आपको इस समय धैर्य बनाए रखने की सलाह दी जाती है। रिश्‍ते के मामले में आपके और आपके पार्टनर के बीच बेवजह परेशानियां उत्‍पन्‍न हो सकती हैं। इससे आपके रिश्‍ते में खटास आने की आशंका है। आप अपने पार्टनर के साथ तालमेल बिठाने की कोशिश करें।

कन्या साप्ताहिक राशिफल

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तुला राशि 

तुला राशि के लिए मंगल दूसरे और सप्तम भाव के स्वामी हैं और इस गोचर के दौरान मंगल आपके सप्तम भाव में आएंगे। आपको पारिवारिक जीवन में असफलताओं का सामना करना पड़ सकता है।। पति-पत्‍नी के रिश्‍ते के लिए भी अच्‍छा समय नहीं है। विवाह संबंधी फैसले लेने में आपको ज्यादा सावधानी बरतनी की आवश्यकता पड़ेगी। पति-पत्‍नी के बीच प्‍यार कम हो सकता है। इस गोचर का आपके प्रेम संबंध एवं शादीशुदा जिंदगी पर नकारात्‍मक प्रभाव पड़ेगा।

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मकर राशि 

मकर राशि के लिए मंगल चौथे और एकादश भाव के स्वामी हैं और इस गोचर के दौरान वे आपके चौथे भाव में आएंगे। इस गोचर काल में आपके परिवार में समस्‍याएं उत्‍पन्‍न हो सकती हैं। इसका नकारात्‍मक असर आपके रिश्‍ते पर भी देखने को मिलेगा। आपके और आपके पार्टनर के बीच बहस हो सकती है।

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मंगल ग्रह का प्रभाव

यदि कुंडली में मंगल मज़बूत स्‍थान में हो, तो व्‍यक्‍ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है। जातक के अंदर नेतृत्‍व करने के गुण बढ़ते हैं और उसे मंगल से संबंधित क्षेत्रों में सफलता प्राप्‍त होती है। मंगल व्‍यक्‍ति को साहसी, मेहनती और जुनून से भरा बनाता है।

वहीं, अगर मंगल अशुभ स्‍थान में बैठा हो या कमज़ोर हो, तो व्‍यक्‍ति को पाचन तंत्र से संबंधित समस्‍याएं होने का खतरा रहता है। इन्‍हें गर्म और मसालेदार खाने से परेशानी हो सकती है। व्‍यक्‍ति भावनात्‍मक रूप से कमज़ोर महसूस करता है। कमज़ोर मंगल से विवाह में देरी आती है। इन लोगों का मेटाबॉलिज्‍म भी कमज़ोर रहता है। ये लोग ईर्ष्‍यालु बनते हैं और इनके अंदर अहंकार बढ़ता है। ये बहुत जल्‍दी थक जाते हैं।

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अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

प्रश्‍न. मंगल खराब होने के क्‍या लक्षण हैं?

उत्तर. संपत्ति को लेकर विवाद रहता है।

प्रश्‍न. मंगल अशुभ कब होता है?

उत्तर. कुंडली के पहले, चौथे, सातवें और आठवें भाव में मंगल दोष बनता है।

प्रश्‍न. मंगल किसका कारक होता है?

उत्तर. मंगल साहस और पराक्रम का कारक होता है।

प्रश्‍न. मंगल को खुश कैसे करें?

उत्तर. मंगल यंत्र की पूजा करें।

प्रश्‍न. मंगल को कौन से भगवान नियंत्रित करते हैं?

उत्तर. मंगल के स्‍वामी हनुमान जी हैं।

प्रश्‍न. मंगल ग्रह शांत करने के लिए क्‍या करना चाहिए?

उत्तर. इसके लिए आप मूंगा पहन सकते हैं।

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बृहस्पति की उदित अवस्था इन राशियों के लिए रहेगी बेहद लकी, सालभर करेंगे मौज ही मौज!

बृहस्पति को शुभ एवं लाभकारी ग्रह का दर्जा प्राप्त है जो कि देवताओं के गुरु भी माने गए हैं। बीते एक महीने में इनकी स्थिति, चाल एवं दशा में कई परिवर्तन देखने को मिले हैं। इसी क्रम में, यह 01 मई 2024 को वृषभ राशि में गोचर कर गए थे और इसी के दो दिन बाद वृषभ में ही अस्त हो गए थे। इन सभी घटनाओं ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 12 राशियों के जातकों के जीवन को प्रभावित किया है। ऐसे में, अब लगभग एक महीने बाद गुरु ग्रह पुनः वृषभ राशि में उदित होने जा रहे हैं। एस्ट्रोसेज का यह ब्लॉग आपको गुरु के उदित होने के बारे में विस्तारपूर्वज जानकारी प्रदान करेगा। साथ ही, किन राशियों के लिए शुभ रहेगा गुरु का उदय होना, यह भी हम आपको इस लेख में बताएंगे। 

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बृहस्पति के उदित होने की तिथि एवं समय 

ज्ञान के कारक ग्रह बृहस्पति महाराज 3 जून 2024 की सुबह 03 बजकर 21 मिनट पर वृषभ राशि में उदित हो जाएंगे। बता दें कि यह पिछले महीने यानी कि 03 मई को अस्त हो गए थे। ज्योतिषियों के अनुसार, गुरु ग्रह के वृषभ राशि में उदित होने से कुछ राशियों के लिए यह फलदायी साबित होंगे और उन राशियों पर अपनी कृपा बनाए रखेंगे। ऐसे में, इन राशियों के अच्छे दिनों की शुरुआत हो जाएगी। 

बृहस्पति का वृषभ राशि में उदय विस्तारपूर्वक पढ़ने के लिए क्लिक करें 

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बृहस्पति ग्रह का ज्योतिष में महत्व 

वैदिक ज्योतिष में देवताओं के गुरु कहे जाने बृहस्पति देव को अहम स्थान प्राप्त है। मान्यता है कि जिस व्यक्ति पर गुरु मेहरबान हो जाते हैं, उसका भाग्योदय होना निश्चित होता है। इन्हें ज्ञान, संतान, शिक्षा, शिक्षक, धार्मिक कार्य, बड़े भाई, धन, दान, पुण्य, तीर्थ स्थल और प्रगति आदि के कारक ग्रह माना जाता है। 27 नक्षत्रों में से गुरु ग्रह को पुनर्वसु, विशाखा और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र पर आधिपत्य प्राप्त है। साथ ही, यह धनु और मीन राशि के भी स्वामी हैं। आइए अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि उन भाग्यशाली राशियों के बारे में जिन पर गुरु देव मेहरबान रहेंगे। 

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गुरु के आशीर्वाद से इन राशियों का होगा भाग्योदय

मेष राशि

राशि चक्र की पहली राशि मेष है और इस राशि के लिए गुरु ग्रह की उदित अवस्था शुभ रहेगी। यह अवधि नौकरी और व्यापार की दृष्टि से फलदायी साबित होगी। इन जातकों के मान-सम्मान में भी वृद्धि होगी। यह जातक जिस काम को हाथ में लेंगे उसमें उन्हें सफलता की प्राप्ति होगी। वैवाहिक जीवन की बात करें, तो गुरु के उदित होने से आपका दांपत्य जीवन सुख-शांति से पूर्ण रहेगा। इस दौरान जीवनसाथी हर कदम पर आपका साथ देंगे और साथ ही, पार्टनर की आर्थिक स्थिति में भी सुधार देखने को मिलेगा। जिन जातकों का बिज़नेस पार्टनरशिप में है, उन्हें व्यापार में अच्छा ख़ासा लाभ मिलेगा। 

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वृषभ राशि

वृषभ राशि का नाम उन राशियों में शामिल हैं जिनके लिए बृहस्पति का उदित होना फलदायी रहेगा। इस अवधि में आप परिवार के सदस्यों के साथ यादगार समय बिताते हुए नज़र आएंगे। इन जातकों को कार्यों में शुभ परिणामों की प्राप्ति होगी। जो जातक काफ़ी समय से नौकरी की तलाश कर रहे हैं, उन्हें इस अवधि में कोई शुभ समाचार सुनने को मिल सकता है। वहीं, इस राशि के जो जातक नौकरीपेशा है, उनको प्रमोशन या इंसेंटिव के रूप में आर्थिक लाभ की प्राप्ति होगी। साथ ही, आप घर-परिवार में होने वाले मांगलिक कार्यों में भाग ले सकते हैं। प्रेम जीवन में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल सकते हैं। अगर आप आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हैं, तो अब आपको उनसे छुटकारा मिलेगा। 

मिथुन राशि

मिथुन राशि के जातकों के लिए गुरु की उदित अवस्था शुभ परिणाम लेकर आएगी। इस राशि के  छात्रों की शिक्षा के लिए यह अवधि वरदान साबित होगी। ऐसे में, आप पढ़ाई में अपार सफलता हासिल करेंगे। अगर आप धन से संबंधित किसी तरह का लेन-देन करना चाहते हैं, तो आप गुरु उदित होने के बाद ऐसा कर सकते हैं। इस दौरान आपको वाहन सुख मिलने के योग बनेंगे। माता-पिता जीवन के हर पथ पर आपका समर्थन और सहयोग करेंगे। नौकरी करने वाले जातक कार्यक्षेत्र में जो भी काम करेंगे, उसमें आपको सकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे। मिथुन राशि के लोगों को धन लाभ होगा जिससे आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।

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सिंह राशि

सूर्य देव की राशि सिंह को भी गुरु की उदित अवस्था से लाभ प्राप्त होगा। इन जातकों के लिए आर्थिक दृष्टि से यह अवधि शुभ रहेगी और ऐसे में, आपको धन की प्राप्ति होगी। जिन जातकों का अपना व्यापार है, उन्हें अच्छा खासा मुनाफा होने की संभावना है। आपको अपने भाई-बहनों से सहायता मिलने के संकेत हैं और साथ ही, इन लोगों के साहस और पराक्रम में वृद्धि देखने को मिलेगी। इस दौरान आपके मान-सम्मान और पद-प्रतिष्ठा दोनों में बढ़ोतरी होगी। सिंह राशि वालों की वाणी स्पष्ट और प्रभावी बनेगी। वहीं, नौकरी करने वाले जातकों को सफलता की प्राप्ति हो सकती है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1.  बृहस्पति का उदय कब हो रहा है?

उत्तर 1. गुरु ग्रह 03 जून 2024 को वृषभ राशि में उदित हो रहे हैं।

प्रश्न 2. बृहस्पति का उदय क्या है?

उत्तर 2. सूर्य से बृहस्पति के दूरी बनाने पर वह उदित हो जाते हैं और अपनी शक्तियां पुनः प्राप्त कर लेते हैं। इसे गुरु ग्रह का उदित होना कहते हैं। 

प्रश्न 3. गुरु किस राशि के स्वामी हैं?

उत्तर 3. बृहस्पति देव धनु और मीन राशि के स्वामी हैं। 

बड़मावस पर क्‍यों होती है बरगद के पेड़ की पूजा, सावित्री से जुड़ी है इस दिन की कथा

ज्‍येष्‍ठ माह में पड़ने वाली अमावस्‍या को हिंदू धर्म में विशेष म‍हत्‍व दिया गया है। इस दिन सुहागिन स्त्रियां बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं और वट सावित्री का व्रत रखती हैं। देश के कई प्रमुख हिस्‍सों में बड़मावस का नाम कम लोकप्रिय है और लोग इसे वट सावित्री के रूप में ही मनाते हैं। इसी दिन शनि जयंती भी मनाई जाती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्‍नान करने और दान करने का भी बहुत महत्‍व है। आगे जानिए कि इस साल बड़मावस कब पड़ रही है।

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कब पड़ रही है बड़मावस

अमावस्‍या तिथि की शुरुआत 05 जून को शाम 07 बजकर 57 मिनट पर होगी और इसका समापन 06 जून को शाम 06 बजकर 09 मिनट पर होगा। इस प्रकार 06 जून, 2024 को बड़मावस मनाई जाएगी।

सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु के लिए इस दिन वट सावित्री का व्रत भी रखती हैं। पुराणों के अनुसार इसी दिन देवी सावित्री ने अपने पत्‍नीधर्म के दम पर यमराज से अपने पति सत्‍यवान के प्राण वापस लिए थे। इसके अलावा इस दिन को लेकर एक मान्‍यता यह भी है कि ज्‍येष्‍ठ मास की अमावस्‍या पर शनि देव का जन्‍म भी हुआ था। अत: बड़मावस के दिन वट और पीपल के पेड़ की पूजा करने से शनि देव भी प्रसन्‍न होते हैं।

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सनातन धर्म में बड़मावस को बहुत महत्‍वपूर्ण माना गया है। कहा जाता है कि अगर कोई व्‍यक्‍ति इस दिन पितरों की शांति के लिए पूजा करता है, तो उसकी पूजा जरूर सफल होती है। अमावस्‍या तिथि पर पवित्र नदियों और तालाबों में स्‍नान करने से मनुष्‍य को अपने सभी पाप कर्मों से मुक्‍ति मिल जाती है और इस दिन दान करने से पुण्‍य बढ़ जाते हैं।

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बड़मावस पर क्‍यों होती है बरगद के पेड़ की पूजा

पौराणिक कथाओं के अनुसार बड़मावस के दिन सावित्री के पति सत्‍यवान को बरगद के पेड़ के नीचे ही दोबारा जीवनदान मिला था इसलिए इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। इस दिन विवाहित स्त्रियां वट सावित्री का व्रत रखती हैं और सावित्री एवं उनके पति सत्‍यवान की पूजा के साथ-साथ बरगद के वृक्ष की भी पूजा करती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से सुहागिन स्त्रियों के पति की आयु लंबी होती है।

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बड़मावस की पूजा कैसे करें

जानिए कि बड़मावस के दिन पूजन करने की क्‍या विधि है:

  • अगर आपके आसपास कोई बरगद का पेड़ नहीं है, तो आप एक छोटे गमले में बरगद के पेड़ की जड़ लगाकर उसकी पूजा करें।
  • बायना के लिए आप एक कटोरी में चने भिगो दें और इसमें कुछ पैसे भी डाल दें।
  • अब एक छोटे से कलश में पानी भर कर रखें।
  • इसके बाद रोली, मौली, अक्षत, गुड़, फल, भीगे हुए चने और कुछ पैसे रख लें।
  • एक कच्‍चा सफेद सूती धागा रखें, धूप, दीपक और माचिस रख लें।
  • अब आप बरगद के पेड़ पर जल, मौली, रोली, गुड़, भीगे हुए चने और फल चढ़ाएं।
  • इसके बाद धूप दें और दीपक जलाएं और पैसे अर्पित करें।
  • फिर अपने माथे पर तिलक लगाएं। अब बरगद के पेड़ की एक पत्ती लें और उसे मोड़कर उस पर मौली का धागा बांध दें। आपने गले में कोई चेन पहनी है, तो इसे उस पर बांध लें।
  • वृक्ष की सात या ग्‍यारह बार परिक्रमा करते हुए उस पर मौली या सूती धागा बांधें।
  • अब आप बड़मावस की कथा सुनें या पढ़ें और इस दौरान भीगे चने अपने हाथ में रखें। कथा समाप्‍त होने पर चने को कलश के जल में डाल दें।

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बड़मावस के लिए उपाय

अमावस्‍या तिथि पर कुछ ज्‍योतिषीय उपायों की सहायता से आप अपने जीवन के कष्‍टों को दूर कर सकते हैं, ये उपाय निम्‍न हैं:

  • इस दिन आप अपने बड़े-बुजुर्गो का अपमान न करें।
  • अमावस्‍या पर दान करने का भी बहुत महत्‍व है। गरीबों और जरूरमंद लोगों को चावल, गुड़ और दूध का दान करें।
  • अमावस्‍या के दिन शाकाहारी भोजन ही करना चाहिए।
  • इस दिन पशु-पक्षियों को दाना खिलाएं। इस उपाय को करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

FAQ

प्रश्‍न. बड़मावस किस महीने में आती है?

उत्तर. ज्‍येष्‍ठ माह में आने वाले कृष्‍ण पक्ष की अमावस्‍या तिथि पर बड़मावस पड़ती है।

प्रश्‍न. 2024 में बड़मावस कब है?

उत्तर. साल 2024 में बड़मावस 06 जून को पड़ रही है

प्रश्‍न. बड़मावस में बरगद के पेड़ की पूजा क्‍यों की जाती है?

उत्तर. इस वृक्ष के नीचे ही सावित्री के पति को जीवनदान मिला था।

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अस्त बुध करेंगे मिथुन में प्रवेश, किन राशियों को देंगे राहत और किन पर टूटेगा मुसीबतों का पहाड़!

बुध का मिथुन राशि में गोचर: ज्योतिष में बुध ग्रह को बुद्धि, तर्क और वाणी के कारक ग्रह माना जाता है। साथ ही, इन्हें ग्रहों के राजकुमार का दर्जा भी प्राप्त है इसलिए बुध को नवग्रहों में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। ऐसे में, इनकी स्थिति में होने वाला छोटे से छोटा परिवर्तन भी संसार को प्रभावित करता है और अब यह 14 जून 2024 को मिथुन राशि में गोचर करने जा रहे हैं। एस्ट्रोसेज का यह विशेष ब्लॉग आपको बुध का मिथुन राशि में गोचर के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेगा। इसके अलावा,  बुध का यह राशि परिवर्तन कुछ राशियों के लिए अच्छा तो कुछ के लिए नकारात्मक परिणाम लेकर आएगा। तो आइए बिना देर किये शुरुआत करते हैं इस लेख की और जानते हैं बुध का मिथुन राशि में गोचर के बारे में।

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वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है और इन्हें वाणी, बुद्धि और संचार कौशल के कारक ग्रह माना जाता है। यह खुद को दूसरे के सामने व्यक्त करने, मनुष्य की सोचने-समझने की क्षमता और दूसरों के साथ बातचीत करने के तरीके को नियंत्रित करते हैं। इसके विपरीत, बुध ट्रेवल, तकनीक, कॉमर्स और सीखने की क्षमता आदि से भी संबंधित है। हालांकि, जन्म कुंडली में बुध की स्थिति से आपके बात करने, सोचने-समझने के तरीके, ताकत और जीवन में आने वाली चुनौतियों से कैसे निपटते हैं आदि के बारे में भी पता किया जा सकता है। 

बुध ग्रह अपनी अस्त अवस्था में रहते हुए मिथुन राशि में गोचर करेंगे और इसी राशि में वह 27 जून 2024 को उदित होंगे। आपको बता दें कि अस्त वह अवस्था होती है जब कोई ग्रह सूर्य के बहुत नज़दीक चला जाता है और सूर्य की गर्मी को ग्रह प्रभावित करने लगती है। सरल शब्दों में कहें तो, कोई ग्रह अस्त होने पर अपनी शक्तियां खो देता है, लेकिन बुध अपनी ही राशि में अस्त अवस्था में होंगे इसलिए इनकी स्थिति मज़बूत रहेगी।

बुध का मिथुन राशि में गोचर: समय

वैदिक ज्योतिष में मिथुन राशि पर बुध ग्रह का शासन हैं जो कि अब अपनी ही राशि में गोचर करने जा रहे हैं। बुध महाराज 14 जून 2024 की रात 10 बजकर 55 मिनट पर मिथुन राशि में प्रवेश कर जाएंगे और इसके बाद, यह 29 जून 2024 को कर्क राशि में गोचर करेंगे। 

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा

बुध मिथुन राशि में: विशेषताएं 

बुध महाराज की मिथुन राशि में मौजूदगी को सबसे शक्तिशाली माना जाता है क्योंकि मिथुन राशि के स्वामी बुध ग्रह हैं। इनकी यह स्थिति जातक की बौद्धिक क्षमता और संचार कौशल को मज़बूत और बहुमुखी प्रतिभा के धनी बनाती है। यहाँ हम आपको मिथुन राशि में बुध के होने की कुछ विशेषताओं से अवगत करवाने जा रहे हैं। 

तेज़ तर्रार: जिन जातकों की कुंडली में बुध मिथुन राशि में होते हैं, वह बहुत ही तेज़ तर्रार और मानसिक रूप से मज़बूत होते हैं। इन लोगों की बुद्धि काफ़ी तेज़ होती है और यह हर बात को जल्दी से समझ जाते हैं। ऐसे जातकों के विचारों में तेजी से बदलाव देखने को मिलता हैं और इनकी रुचियों की सूची काफ़ी लंबी होती है।

बेहतरीन संचार कौशल: मिथुन राशि में बुध के तहत जन्मे जातकों में पाया जाने वाला सबसे ख़ास गुण संचार कौशल होता है। यह अपनी बातों को लेकर स्पष्ट और संवाद में माहिर होते हैं। साथ ही, आकर्षक व्यक्तित्व के मालिक होते हैं। ऐसे जातक लिखने के साथ-साथ बातचीत करने में काफ़ी मज़बूत होते हैं और दर्शकों के आधार पर अपनी शैली में आसानी से बदलाव कर लेते हैं।

उत्सुकता: जो जातक मिथुन राशि में बुध के अंतर्गत जन्म लेते हैं, वह बेहद उत्सुक स्वभाव के होते हैं और यह नई-नई चीज़ों को सीखने के लिए उत्साहित रहते हैं। इन्हें कई तरह के विषयों के बारे में जानना और ज्ञान प्राप्त करना अच्छा लगता है। 

बहुमुखी प्रतिभा: कुंडली में मिथुन राशि में बुध के साथ जन्म लेने वाले जातकों के व्यक्तित्व को जो बात सबसे अलग बनाती है कि वह मल्टी टैलेंटेड होते हैं। इनमें कई कामों को या अपने मनपसंद कामों को एक साथ करने की अपार क्षमता होती है। हालांकि, इनकी यह ऊर्जा कभी-कभी इनके भटकाव का भी कारण बनती है।  

कुंडली में राजयोग कबसे? राजयोग रिपोर्ट से जानें जवाब

स्वीकार करने की क्षमता: इन लोगों की सोच-विचार करने की क्षमता काफ़ी अच्छी होती है इसलिए यह चीज़ों या बातों को जल्द ही स्वीकार लेते हैं। इन्हें अपना नज़रिया बदलने में समय नहीं लगता है और साथ ही, यह बदलती परिस्थितियों के अनुसार बिना किसी परेशानी के ढल जाते हैं। ऐसे में, यह हर समस्या का समाधान आसानी से ढूंढ़ लेते हैं। 

बेचैन रहना: मिथुन राशि में बुध के मौजूद होने पर जातकों का मन बैचेन रह सकता है। ऐसे लोग नए अनुभवों की तलाश में रहते हैं और इन्हें अपनी दिनचर्या से बोर होने में ज्यादा समय नहीं लगता है क्योंकि यह जातक अपने जीवन में रोमांच की खोज में रहते हैं। 

मिलनसार: जिन लोगों का जन्म बुध के मिथुन राशि में मौजूदगी के समय होता है, उनका व्यक्तित्व आकर्षक होता है और बुद्धि तीव्र होती है। इन गुणों की वजह से यह मिलनसार स्वभाव के होते हैं और दूसरों के साथ मिलना-जुलना एवं बातचीत करना इन्हें पसंद होता है। यह जल्दी से नए दोस्त बना लेते हैं।   

बुद्धि से जुड़े कार्य: इन लोगों की रुचि ऐसे कामों में होती हैं जिनमें बुद्धि का इस्तेमाल किया जा सके। ऐसे जातकों को डिबेट और डिस्कशन में भाग लेना बहुत पसंद होता है। साथ ही, यह नई-नई चीज़ें सीखकर अपने ज्ञान का विस्तार करने के शौक़ीन होते हैं और यह जीवनभर कुछ न कुछ सीखना जारी रखते हैं। 

कुल मिलाकर, हम यह कह सकते हैं कि मिथुन राशि में बुध की उपस्थिति संचार कौशल, मानसिक स्थिति और सीखने की क्षमता आदि में वृद्धि करती है। बुध की इस स्थिति की वजह से यह जातक करियर के उन क्षेत्रों के लिए उपयुक्त होते हैं जहां तुरंत सोचना, शानदार संचार कौशल और एक साथ कई काम करने की आवश्यकता होती है। 

चलिए जानते हैं कि बुध का मिथुन राशि में गोचर राशि चक्र की किन राशियों को अच्छे-बुरे परिणाम देगा।

बुध का मिथुन राशि में गोचर: इन राशियों को मिलेंगे शुभ परिणाम 

मेष राशि

बुध का मिथुन राशि में गोचर मेष राशि के जातकों के तीसरे भाव में होगा। बता दें कि मेष राशि वालों के तीसरे और छठे भाव के स्वामी ग्रह बुध देव हैं। ऐसे में, इन लोगों की बात करने की क्षमता में सुधार आएगा और इसके परिणामस्वरूप, आप जीवन के जरूरी कामों को सफलतापूर्वक कर सकेंगे। 

आपके पेशेवर जीवन की बात करें, तो आपका रिश्ता सहकर्मियों के साथ सौहार्द से पूर्ण रहेगा और वह आपके साथ एक दोस्त के तरह बर्ताव करेंगे। अगर आप मीडिया या मार्केटिंग के व्यापार से संबंध रखते हैं, तो आपको लाभ की प्राप्ति होगी। इन जातकों का स्वभाव दोस्ताना रहेगा जिसके बल पर आप आसानी से नए-नए दोस्त बनाने में सफल रहेंगे। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि बुध का यह गोचर आपको बेहतरीन संचार कौशल का आशीर्वाद देगा। वहीं, इस राशि के छात्रों के लिए बुध गोचर आपकी एकाग्र क्षमता को मजबूत करने का काम करेगा और ऐसे में, शिक्षा के क्षेत्र में आप उत्तम परिणाम प्राप्त कर सकेंगे। यह गोचर मेष राशि वालों के पिता के लिए शुभ रहेगा और साथ ही, आपके रिश्ते जीवनसाथी तथा भाई-बहनों के साथ मज़बूत होंगे। 

वृषभ राशि

वृषभ राशि के जातकों के लिए बुध ग्रह आपके दूसरे और पांचवें भाव के स्वामी हैं और अब इनका गोचर आपकी कुंडली के दूसरे भाव में होने जा रहा है। इस भाव में बुध ग्रह का गोचर आपके जीवन में सकारात्मकता लेकर आएगा और आपको कार्यों में अनुकूल परिणाम देने का काम करेगा। इस अवधि में आपके और परिवार के सदस्यों के बीच शानदार तालमेल दिखाई देगा। 

बुध महाराज की इस स्थिति की वजह से आप जीवन में उत्पन्न सभी समस्याओं का हल ढूंढ़ने में सफल रहेंगे। आपकी वाणी मधुर बनी रहेगी जिसके चलते आप सभी को अपना बना लेंगे और आपकी बातों को नज़रअंदाज़ करना सबसे लिए असंभव होगा। हालांकि, परिवार में चल रहे विवाद या समस्याएं अब दूर होंगी। साथ ही, इन जातकों को मनपसंद भोजन करने के मौके मिलेंगे। दूसरी तरफ, वैवाहिक जीवन में भी परिस्थितियों में सुधार देखने को मिलेगा। व्यापार करने वाले जातकों को लाभ कमाने के अवसर मिलेंगे जबकि नौकरीपेशा लोगों के कार्यक्षेत्र का माहौल सामान्य रहेगा।

मिथुन राशि

मिथुन राशि वालों के लिए बुध ग्रह का गोचर आपके पहले/लग्न भाव में होगा। ऐसे में, बुध आपके पहले और चौथे भाव में स्वामी के रूप में आपका आत्मविश्वास बढ़ाने का काम करेंगे और समाज में आपके मान-सम्मान में वृद्धि होगी। साथ ही, आपके सामाजिक जीवन के दायरे का भी विस्तार होगा और आप अपनी एक अलग जगह बनाने में सक्षम होंगे। 

बुध के मिथुन राशि में गोचर के दौरान आपका स्वभाव थोड़ा लापरवाह और मजाकिया हो सकता है। इसके परिणामस्वरूप, यह जातक अपने आसपास के लोगों को भी ख़ुशी देने का काम करेंगे जिसके चलते वह आपसे प्रसन्न दिखाई देंगे। इस राशि के लोग चाहे मीडिया, लिटरेचर या कला से जुड़े किसी भी क्षेत्र में काम करें, इस अवधि में आप प्रत्येक क्षेत्र में अपनी चमक बिखेरेंगे। व्यापार करने वाले जातकों के लिए इस समय को शानदार कहा जाएगा और आप बिज़नेस में वृद्धि प्राप्त करेंगे। इसके विपरीत, नौकरीपेशा लोगों को काम में कड़ी मेहनत करनी होगी। लेकिन, आपको अपने बच्चों की संगती पर नज़र बनाए रखनी होगी।

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सिंह राशि

वाणी के कारक ग्रह और सिंह राशि वालों की कुंडली में दूसरे और ग्यारहवें भाव के स्वामी ग्रह बुध का गोचर आपके ग्यारहवें भाव में होने जा रहा है। बुध के इस गोचर के होने से आप अपने भाई-बहनों के साथ अच्छा समय बिताएंगे, विशेष रूप से अगर आपके भाई-बहन आप से बड़े हैं, तो वह हर कदम पर आपका साथ देंगे। वह जीवन के लक्ष्यों को पाने में आपकी सहायता करेंगे और यदि धन की जरूरत होगी, तो वह आपको आर्थिक मदद भी प्रदान करेंगे। वह बड़े भाई-बहन के रूप में आपके प्रति अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हुए नज़र आ सकते हैं और ऐसे में, आपके रिश्ते उनके साथ मज़बूत होंगे। 

बुध का यह गोचर कार्यक्षेत्र में वरिष्ठों के साथ आपके रिश्ते को मधुर बनाएगा और ऐसे में, आपको इसका लाभ प्राप्त होगा। साथ ही, नौकरी में आपको कोई अच्छा पद मिलने के योग बनेंगे। इन जातकों के सामाजिक जीवन का दायरा भी बढ़ेगा। साथ ही, इस अवधि में आप सोशल मीडिया पर काफ़ी एक्टिव रहेंगे। पढ़ाई करने वाले छात्रों की एकाग्र क्षमता मज़बूत होगी और शिक्षा के क्षेत्र में आपके प्रदर्शन में भी सुधार आएगा। ऐसे में, आप जीवन में नए अनुभव हासिल करना चाहेंगे। 

कन्या राशि

कन्या राशि वालों की कुंडली में बुध देव आपके पहले/लग्न भाव और दसवें भाव के स्वामी हैं और अब यह आपके दसवें भाव में गोचर करने जा रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप, इस राशि के जातकों की कार्यक्षेत्र में एक अलग छवि बनेगी। यह लोग दूसरों के साथ हंसी-मजाक करके माहौल को खुशनुमा बनाए रखने की कोशिश करेंगे जिसके चलते आपके आसपास के लोग आपसे प्रसन्न रहेंगे। साथ ही, वह आपसे जुड़े रहना पसंद करेंगे। इस अवधि में आपके सहकर्मी आपका साथ देंगे और आपकी मदद करेंगे। लेकिन, आपको किसी का भी मज़ाक उड़ाने से बचना होगा, अन्यथा वह आपसे नाराज़ हो सकते हैं जो कि आपके लिए चिंता का सबब बन सकता है।

बुध महाराज की मिथुन राशि में मौजूदगी आपके पारिवारिक जीवन में सौहार्द बनाए रखेगी और ऐसे में, घर का वातावरण खुशहाल और सुख-शांति से पूर्ण रहेगा। इन लोगों को पार्टनर का हर कदम पर साथ मिलेगा और आप दोनों मिलकर घर-परिवार से जुड़ा कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। माता-पिता के साथ आपका रिश्ता मज़बूत होगा और वह जीवन की हर समस्या से बाहर निकलने के लिए आपको राह दिखाएंगे। हालांकि, आपको कभी-कभी परिवार में मतभेदों का सामना करना पड़ सकता है। व्यापार करने वाले जातकों के लिए भी बुध गोचर की अवधि शुभ रहेगी। इस राशि के जो जातक अपना व्यापार कर रहे हैं, उन्हें अच्छा लाभ प्राप्त होने के मार्ग प्रशस्त होंगे।

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तुला राशि

तुला राशि वालों के लिए बुध देव आपके नौवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं और अब यह गोचर करके आपके नौवें भाव में जा रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप, बुध का मिथुन राशि में गोचर आपको मिले-जुले परिणाम प्रदान कर सकता है। इसके विपरीत, इस अवधि में आप तर्कसंगत बात करेंगे और हर बात में तर्क ढूंढ़ते हुए नज़र आएंगे। दूसरी तरफ, आपको दूर स्थान की यात्रा करने के अवसर प्राप्त होंगे। यह समय आपके सामाजिक जीवन में बढ़ोतरी के लिए उत्कृष्ट रहेगा और ऐसे में, आप किसी बड़ी कंपनी से जुड़कर कोई अच्छी उपलब्धि हासिल करने में सक्षम होंगे। इसके परिणामस्वरूप, भविष्य में आपकी प्रसिद्धि बढ़ने के आसार है और साथ ही, आपका सेंस ऑफ़ ह्यूमर एवं बात करने की क्षमता आपकी लोकप्रियता में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी। 

धनु राशि

बुद्धि, वाणी और संचार के कारक ग्रह बुध महाराज धनु राशि वालों की कुंडली में सातवें और दसवें भाव के स्वामी हैं। अब यह आपके सातवें भाव में प्रवेश करने जा रहे हैं। बता दें कि व्यापार के कारक ग्रह के रूप में बुध का आपके सातवें भाव में गोचर होने से आपका व्यापार दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक्की करेगा। इन जातकों की मुलाकात नए लोगों से होगी और यह आपके बिज़नेस को बढ़ाने का काम करेंगे।

अगर आपका खुद का व्यापार है, तो इस अवधि में आप खूब प्रगति हासिल करेंगे। वहीं, जिन जातकों का बिज़नेस पार्टनरशिप में है, तो आपके व्यापार से कोई नया पार्टनर जुड़ सकता है और आपके रिश्ते उनके साथ अच्छे होने की संभावना है या फिर अगर आप पार्टनरशिप में नहीं हैं, तो  अब आप पार्टनरशिप में आ सकते हैं। लेकिन, आपको सावधानी के साथ आगे बढ़ना होगा क्योंकि कुछ ऐसी परिस्थितियां भी आपके सामने आ सकती हैं जो आपके रिश्ते को ख़राब करने का काम कर सकती है। इसका नकारात्मक प्रभाव व्यापार पर भी पड़ सकता है। नौकरीपेशा जातकों के लिए बुध का यह गोचर लाभ लेकर आएगा।

मीन राशि 

मीन राशि वालों की कुंडली में बुध का मिथुन राशि में गोचर आपके चौथे भाव में होगा। बता दें कि मीन राशि के जातकों के लिए बुध आपके चौथे और सातवें भाव के स्वामी हैं। ऐसे में, यह गोचर आपके पारिवारिक जीवन के लिए फलदायी रहेगा जिसके चलते आपके घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहेगी। साथ ही, परिवार के सदस्यों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए आप कोई नया काम शुरू कर सकते हैं। हालांकि, आपको घरेलू जीवन में होने वाले खर्चों पर नज़र बनाए रखने की सलाह दी जाती है। इस अवधि में आपके घर का रिनोवेशन होने की संभावना है और इस गोचर का लाभ आपको व्यक्तिगत जीवन में भी मिलेगा।

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बुध का मिथुन राशि में गोचर: इन राशियों को रहना होगा सावधान

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए बुध देव आपके आठवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं जो कि अब आपके आठवें भाव में गोचर करने जा रहे हैं। बुध गोचर की अवधि में आपको स्वास्थ्य के साथ-साथ आर्थिक जीवन में भी सावधान रहना होगा। धन से जुड़े मामलों में आपको निवेश करने से बचना होगा, विशेष रूप से जिसमें अनिश्चितता ज्यादा हो। आपको स्टॉक मार्केट में पैसा निवेश करने से बचने की सलाह दी जाती है, अन्यथा आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है। हालांकि, इस अवधि में आपको ससुराल पक्ष के लोगों के साथ मधुर संबंध होने से फायदा होगा  जो कि आपका हर कदम पर साथ देंगे और जरूरत पड़ने पर आपका मार्गदर्शन भी करेंगे। ऐसे में, आपका रिश्ता पार्टनर के साथ बेहतर और मज़बूत होगा। बुध गोचर के दौरान जीवनसाथी आप पर प्रेम की बरसात करते हुए दिखाई देंगे जिससे आपका मूड रोमांटिक बना रहेगा। 

इन जातकों के मन में आध्यात्मिकता के प्रति रुचि बढ़ेगी और इसके फलस्वरूप, ज्योतिष के संबंध  में आप नई-नई चीज़ें और तथ्यों के बारे में जानना पसंद करेंगे। अगर आपका खुद का व्यापार है, तो इस अवधि में यह जातक कुछ महत्वपूर्ण सौदे गुपचुप तरीके से कर सकते हैं जिसकी जानकारी आपके करीबी लोगों को ही होगी। 

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बुध का मिथुन राशि में गोचर: प्रभावी उपाय

  • भगवान गणेश की पूजा करें और उन्हें दूर्वा घास एवं देशी घी से बने लड्डू अर्पित करें। 
  • बुध ग्रह के लिए यज्ञ-हवन करें।
  • परिवार की महिलाओं को वस्त्र और हरे रंग की चूड़ियां भेंट करें। 
  • किन्नरों का आशीर्वाद लें। 
  • प्रतिदिन गाय को हरा चारा खिलाएं। 
  • पक्षियों को विशेषकर कबूतरों और तोतों को भीगे हुए हरे चने खिलाएं। 

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. बुध ग्रह का महत्व क्या है?

उत्तर 1. बुध बुद्धि, वाणी और व्यापार के कारक ग्रह हैं। 

प्रश्न 2. बुध किस नक्षत्र पर शासन करते हैं?

उत्तर 2. बुध ग्रह 27 नक्षत्रों में से ज्येष्ठा, अश्लेषा और रेवती नक्षत्र के स्वामी हैं। 

प्रश्न 3. बुध ग्रह को मज़बूत करने के लिए कौन सा रत्न धारण करना चाहिए?

उत्तर 3. पन्ना को पहनने से बुध ग्रह मज़बूत होते हैं।  

2025 में डूब सकता है इन राशियों का करियर, लाख कोशिशों के बाद भी नहीं मिलेगी तरक्‍की

नए साल के ख्‍याल से ही लोगों के मन में नए सपने और आकांक्षाएं बुननी शुरू हो जाती हैं। आपने भी साल 2025 से अपने करियर को लेकर कुछ नई उम्‍मीदें लगा रखी होंगी। आप 2025 राशिफल के ज़रिए जान सकते हैं कि वर्ष 2025 में आपका करियर कैसा रहेगा।

इस ब्‍लॉग में हम आापको उन राशियों के बारे में बता रहे हैं जिन्‍हें साल 2025 में करियर के क्षेत्र में असफलताओं और नाकामयाबी का सामना करना पड़ सकता है। यदि आपने भी अपने करियर को लेकर नए साल से काफी उम्‍मीदें लगा रखी हैं, तो इस ब्‍लॉग को पढ़ने के बाद आपको अंदाज़ा हो जाएगा कि आपके सपने आने वाले साल में पूरे होने वाले हैं या नहीं।

तो चलिए अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि वर्ष 2025 में किन राशियों के लोगों को अपने कार्यक्षेत्र में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

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इन राशियों को करियर में रहना है सतर्क

मीन राशि

मीन राशि के लोगों के लिए साल 2025 में सफलता प्राप्‍त करना आसान नहीं होगा। फरवरी महीने तक शनि आपके बारहवें भाव में रहेंगे। मार्च के बाद वह आपके पहले भाव में गोचर कर जाएंगे। इस दौरान आपको अपने धैर्य की परीक्षा देनी पड़ सकती है।

करियर के क्षेत्र में आपको अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है। आप नौकरी को लेकर असंतुष्‍ट रहने की वजह से नई नौकरी की तलाश करनी शुरू कर सकते हैं। बृहस्पति आपके चौथे भाव में मौजूद होंगे। ये आपको शुभ प्रभाव प्रदान करेंगे। शनि आपके बारहवें और पहले भाव में उपस्थित होंगे। इस दौरान आपको फूंक-फूंक कर कदम रखना होगा।

13 जुलाई 2025 से 28 नवंबर 2025 तक शनि देव वक्री अवस्था में रहेंगे। इस समयावधि में आपको कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। 

मीन साप्ताहिक राशिफल

वृश्चिक राशि

मार्च तक शनि आपके चौथे भाव में विराजमान होंगे। इसके बाद शनि ग्रह गोचर करके आपके पांचवें भाव में प्रवेश कर जाएंगे। इसकी वजह से आप थोड़े सुस्‍त नज़र आएंगे। आप हद से ज्‍यादा सोच-विचार करने में डूबे रहेंगे। आपको अपनी कड़ी मेहनत के लिए उच्‍च अधिकारियों से प्रशंसा मिलने में देरी होगी। आप अपने करियर को लेकर बहुत परेशान रहेंगे।

व्‍यापारियों को औसत परिणाम मिलने के संकेत हैं। उच्‍च मुनाफा कमाने के लिए आपको अपनी रणनीति में बदलाव करने की ज़रूरत है।

वृश्चिक साप्ताहिक राशिफल

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कन्‍या राशि

शनि देव मार्च तक कन्‍या राशि के सातवें भाव में रहेंगे। इससे आपको अपने कार्यक्षेत्र में ज्‍यादा अनुकूल परिणाम नहीं मिल पाएंगे। आपके कार्यों में अड़चनें आने का भी खतरा है। अप्रैल तक का समय व्‍यापारियों और नौकरीपेशा जातकों के लिए अच्‍छा रहेगा लेकिन इसके बाद आपको मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

मई में गुरु ग्रह का गोचर आपके लिए अनुकूल नहीं रहने वाला है। नौकरी में बदलाव या फिर स्थानांतरण होने की संभावना है। मार्च 2025 के बाद से लेकर साल के अंत तक शनि की स्थिति अच्छी नहीं रहने वाली है।

13 जुलाई 2025 से लेकर 28 नवंबर 2025 तक शनि वक्री अवस्था में रहेंगे। इस दौरान कन्या राशि वालों की पकड़ करियर से ढीली हो सकती है। आपको इस समय नौकरी बदलने के बारे में सोचने से बचना चाहिए वरना आप किसी बड़ी मुश्किल में फंस सकते हैं।

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सिंह राशि

मार्च 2025 के बाद शनि ग्रह आपके आठवें भाव में बैठे होंगे। इस दौरान नौकरीपेशा जातकों को अपने कार्यक्षेत्र में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। नया बिज़नेस शुरू करने की सोच रहे हैं, तो यह वर्ष आपके लिए अनुकूल नहीं रहने वाला है। नई पार्टनरशिप में काम करने से भी बचें।

शनि के आठवें भाव में होने की वजह से वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आपके रिश्तों में खटास आ सकती है। आपके सातवें भाव में राहु और पहले भाव में केतु के होने से आपको अपनी नौकरी में दबाव देखना पड़ सकता है।

हो सकता है कि आपके वरिष्ठ अधिकारी आपके काम की सराहना न करें। नया व्यापार शुरू करने को लेकर आपको सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।

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कर्क राशि

शनि देव आपके आठवें भाव में रहेंगे। शनि की इस स्थिति की वजह से आपको तनाव और काम में दबाव महसूस हो सकता है। आप इस साल खूब मेहनत करेंगे लेकिन आपको अपने काम के लिए प्रशंसा नहीं मिल पाएगी। व्‍यापारियों को कम मुनाफे से ही खुद को संतुष्‍ट करना होगा।

तरक्‍की के मामले में आप पीछे रह सकते हैं। बेहतर होगा कि आप अपने करियर को लेकर नौकरी बदलने के बारे में अभी न सोचें। व्‍यापारियों को अपने बिज़नेस के क्षेत्र में प्रतिद्वंदियों से कड़ी टक्‍कर देखने को मिल सकती है।

कर्क साप्ताहिक राशिफल

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मिथुन राशि

शनि के दसवें भाव में होने की वजह से आपको नौकरी के नए अवसर तो मिलेंगे लेकिन इसके साथ ही चुनौतियों का सामना भी करना पड़ेगा। आपका स्‍थानांतरण भी हो सकता है। इस समय आप अपने काम में बहुत ज्‍यादा व्‍यस्‍त रहने वाले हैं।

आप अपने कार्यक्षेत्र में जो कड़ी मेहनत कर रहे हैं, हो सकता है कि उसके लिए आपको सराहना न मिले। अगस्‍त के बाद आपको थोड़ी राहत की सांस मिलेगी।

मिथुन साप्ताहिक राशिफल

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अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

प्रश्‍न. राशियों का राजा कौन है?

उत्तर. ज्‍योतिष में नवग्रहों का उल्‍लेख किया गया है जिसमें ग्रहों के राजा सूर्य हैं।

प्रश्‍न. मीन राशि के छात्रों के लिए 2025 कैसा रहेगा?

उत्तर. साल की शुरुआत से ही अच्‍छे परिणाम मिलने शुरू हो जाएंगे।

प्रश्‍न. क्‍या 2025 वृषभ राशि के लिए अच्‍छा रहेगा?

उत्तर. सेहत के मामले में यह साल अनुकूल साबित होगा।

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कब मिलेगी आपको चिलचिलाती गर्मी से राहत? जानें मानसून कुंडली से!

मई-जून के महीने में गर्मी अपने चरम पर होती है जिससे लोगों का हाल-बेहाल रहता है। इस गर्मी से राहत पाने के लिए सब एसी, कूलर के आगे बैठे रहना पसंद करते हैं, लेकिन फिर भी गर्मी हमारे पसीने छुड़ा देती है। ऐसे में, सिर्फ बारिश ही होती है जो हमें गर्मी से राहत दिला सकती है। अगर आप भी कर रहे हैं मानसून का इंतज़ार, तो हमारा यह ब्लॉग आपके लिए ही तैयार किया गया है। एस्ट्रोसेज के इस ख़ास ब्लॉग में मानसून कुंडली के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि आपके शहर में इस साल बरसाता कब होगी और कब आपको भीषण गर्मी से राहत मिलेगी। तो चलिए बिना देर किये शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की। 

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ज्योतिष के अनुसार, कब बनेंगे बारिश के योग?

दिनी ज्योतिष का ग्रंथ भविष्यफल भास्कर कहता है कि जब गोचर करते समय बृहस्पति सूर्य से पीछे भ्रमण करते हैं, तब वह पृथ्वी पर जल की कमी नहीं होने देते हैं यानी कि वर्षा ऋतु में अच्छी मात्रा में बरसात होती है। मई के आख़िरी चरण में गोचर करते हुए बृहस्पति सूर्य से वृषभ राशि में अंशात्मक दृष्टि से पीछे होंगे। ऐसे में, ग्रहों की स्थिति साल 2024 में मानसून के समय से पहले आने की तरफ इशारा कर रही है और साथ ही, जून में अच्छी बारिश के भी योग बनेंगे। 

हालांकि, मई के अंत और जून माह के शुरुआती समय में वृषभ राशि में सूर्य ग्रह गुरु, शुक्र एवं बुध के साथ युति करेंगे, उस समय दक्षिण भारत और पश्चिम बंगाल में भारी बारिश होने के आसार है। इसके अलावा, 6 जून को अमावस्या के दिन देश के उत्तर और पूर्व हिस्से में भूकंप आने की आशंका है और इसके परिणामस्वरूप, कुछ जगहों पर जन-धन की हानि भी देखने को मिल सकती है। 

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा

अमावस्या तिथि यानी कि 06 मई के दिन वृषभ राशि में पांच ग्रहों की युति हो रही है और ऐसे में, जून माह में दक्षिण, पश्चिम और मध्य भारत में औसत से ज्यादा बारिश होने की संभावना बन रही है। अमावस्या के आसपास उत्तर भारत में भी आंधी-तूफ़ान के साथ-साथ बारिश आने के योग बनेंगे। वहीं, गोवा में मानसून 05 जून को दस्तक देगा जबकि मुंबई में 10 जून और 15 मई से  पहले ही मानसून रायपुर एवं नागपुर में आ सकता है।

सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र में गोचर का महत्व

ज्योतिष में वर्णन किए गए 27 नक्षत्रों में से शुरुआती 10 नक्षत्र अर्थात आर्द्रा से लेकर स्वाति नक्षत्र स्त्री संज्ञक हैं और इनमें से किसी भी नक्षत्र में सूर्य के रहने पर भारत के मानसून पर इसका प्रभाव देखने को मिलता है।  बता दें कि हर साल सूर्य 21 जून के आसपास आर्द्रा नक्षत्र में गोचर करते हैं और इस नक्षत्र में सूर्य के प्रवेश से निर्मित होने वाली कुंडली में ग्रहों की स्थिति के आधार पर पूरे मानसून सीजन के दौरान होने वाली वर्षा की गणना की जाती है। सामान्य शब्दों में कहें, तो देश में कहां-कितनी बारिश होगी, इसका अंदाज़ा लगाया जाता है।   

कुंडली में राजयोग कबसे? राजयोग रिपोर्ट से जानें जवाब

कब होगा सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र में गोचर?

इस साल की बात करें, तो सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र में गोचर 22 जून 2024 की देर रात 12 बजकर 06 मिनट पर होगा, उस समय मीन लग्न उदय हो रहा होगा। भविष्यफल भास्कर के मुताबिक, अगर सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र में गोचर रात के समय होता है और लग्न या चंद्र जल राशि में होता है, तो यह  अच्छी वर्षा का सूचक होता है।

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सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश: प्रभाव

जैसे कि हम आपको ऊपर बता चुके हैं कि वर्ष 2024 में सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र में गोचर आधी रात को हो रहा है और लग्न जल राशि मीन का है। साथ ही, सूर्य का यह गोचर पूर्णिमा तिथि और दिन शुक्रवार को होने जा रहा है और ऐसे में, इसे वर्षा के लिए बेहद शुभ माना जाएगा। 

सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र में गोचर की कुंडली की बात करें, तो गुरु महाराज की राशि धनु में चंद्रमा दसवें भाव में होकर सूर्य, शुक्र और बुध से समसप्तक योग में होंगे। सूर्य देव के 22 जून को आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश के साथ ही चंद्रमा पर जल तत्व के ग्रहों शुक्र और बुध की दृष्टि होगी और ऐसे में, उत्तर भारत को मानसून से पहले की बारिश गर्मी में राहत देने का काम करेगी। 

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वर्ष 2024 में जून से लेकर सितंबर के दौरान मंगल गोचर में सूर्य से पीछे होंगे और उस समय कोई पापी ग्रह सूर्य से आगे नहीं होगा। इसके परिणामस्वरूप, देशभर में वर्षा का प्रतिशत 95 % से 100% तक रह सकता है। 

चावल, गन्ने, पशुचारे और कपास की खेती करने वाले किसानों को विशेष रूप से लाभ प्राप्त होगा। लेकिन, जून माह में पहाड़ी क्षेत्रों विशेषतः उत्तराखंड और बिहार से लेकर झारखंड में आंधी, तूफान और बादल फटने जैसी घटनाएं सामने आ सकती हैं।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. 2024 में मानसून कब आएगा? 

उत्तर 1. इस साल मानसून 01 जून से भारत में दस्तक दे सकता है।

प्रश्न 2. ज्येष्ठ माह में गर्मी क्यों होती है?

उत्तर 2. ज्योतिष के अनुसार, ज्येष्ठ के माह में सूर्य काफ़ी शक्तिशाली होते हैं इसलिए इस माह भीषण गर्मी पड़ती है।

प्रश्न 3. भारत में मानसून कितने महीने रहता है?

उत्तर 3. भारत में सामान्य तौर पर मानसून जून से लेकर सितंबर तक रहता है।