सालों बाद बन रहा है शश व बुधादित्य राजयोग, एक साल इन राशियों पर होगी धन की वर्षा!

शनि का नाम सुनते ही अधिकतर लोगों में एक डर पैदा हो जाता है क्योंकि जब भी शनि अपनी स्थिति या अपनी चाल में बदलाव करते हैं तो लोगों को लगता है कि इस पर उनके जीवन पर जरूर बुरा प्रभाव पड़ेगा लेकिन, ऐसा जरूर नहीं होता है कि शनि हमेशा ही नकारात्मक प्रभाव से डाले। दरअसल शनि को कर्मफल दाता कहा जाता है और शनि किसी भी व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार ही फल प्रदान करते हैं। कई बार शनि के गोचर या चाल परिवर्तन से शुभ योग का निर्माण होता है, जिसका प्रभाव भी बहुत अधिक शुभ होता है। इसी क्रम में शनि कुंभ राशि में मौजूद हैं। अपनी ही राशि में मौजूद होने के कारण शनि शश राजयोग का निर्माण कर रहे हैं। शनि 2025 तक कुंभ राशि में विराजमान रहेंगे। इस एक साल में कई राशि के जातकों को शुभ परिणामों की प्राप्ति होगी।

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वहींं सूर्य और बुध ग्रह भी वृषभ राशि में मौजूद हैं। बता दें कि वृषभ राशि में इनका गोचर मई माह में हो चुका है और इन ग्रहों के एक ही राशि में मौजूद होने से बुधादित्य योग का निर्माण हुआ है। बुधादित्य राजयोग व शश राजयोग का निर्माण एक साथ हो रहा है और इसके निर्माण से चार राशि के जातकों को शानदार परिणाम प्राप्त होंगे। तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कौन सी है वह भाग्यशाली राशियां।

शश व बुधादित्य राजयोग से इन राशियों पर होगी धन की वर्षा

तुला राशि

तुला राशि वाले जातकों भी शनि द्वारा निर्मित शश राजयोग व सूर्य, बुध से बनने वाले बुधादित्य राजयोग से लाभ प्राप्त होगा। तुला राशि वाले जातकों को इस अवधि विदेश जाने का अवसर मिलेगा। विशेषकर, जो स्टूडेंट विदेश में जाकर पढ़ाई करने की इच्छा रखते हैं, उन्हें काफी लाभ मिलेगा। वहीं, संतान सुख प्राप्त करने के अभिलाषी लोगों को संतान सुख भी प्राप्त होगा। यही नहीं यदि आप घर बनाने या नई गाड़ी खरीदने का विचार बना रहे हैं तो आपकी यह इच्छा इस अवधि पूरी होगी। इसके अलावा, आप उच्च स्तर की संतुष्टि प्राप्त कर सकते हैं और अच्छा रिटर्न अर्जित कर सकते हैं। करियर के मोर्चे पर, आप वरिष्ठों का विश्वास जीतने और सराहना प्राप्त करने में सक्षम होंगे। कार्यक्षेत्र में आपको मान-सम्मान की प्राप्ति होगी। तुला राशि वाले जो लोगों अपने कुद के बिज़नेस से जुड़े हैं, उन्हें लाभ होगा

रिश्ते के मोर्चे पर आपको अपने जीवनसाथी का पूरा सहयोग मिल सकता है और आप एक-दूसरे का साथ बेहतरीन समय व्यतीत करेंगे। स्वास्थ्य के मोर्चे पर, आप अच्छा स्वास्थ्य बनाए रख सकते हैं और यह मजबूत प्रतिरक्षा स्तर के कारण संभव होगा।

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वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि वाले लोगों को इन शुभ योगों से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी। आपके करियर की बात करें तो आपको नई ऊंचाइयां देखने को मिलेगी। यही नहीं प्रमोशन व वेतन वृद्धि होने की भी संभावना है। वहीं, यदि आपका खुद का बिज़नेस हैं, तो आपको बिजनेस में लाभ होगा। साथ ही, बिजनेस में आपको कई प्रभावशाली लोगों का साथ मिलेगा। करियर में ही नहीं वृश्चिक राशि वालों को प्रेम जीवन में भी काफी लाभ मिलेगा। पार्टनर के साथ आप अच्छे पलों का आनंद लेंगे और इससे आपका रिश्ता पहले से अधिक मजबूत होगा। 

आर्थिक जीवन की बात करें तो आप बचत करने और अधिक धन प्राप्त करने में सफल हो सकते हैं। आशंका है कि आपको भाग्य का पूरा साथ मिले। यदि आप शेयर बाज़ार से जुड़े हैं तो आप अच्छा मुनाफ़ा प्राप्त करें, जिससे आपको संतुष्टि प्राप्त होगी। रिश्ते के मोर्चे पर आपको अपने जीवनसाथी का पूरा सहयोग मिल सकता है। सेहत के मोर्चे पर, आप अच्छा स्वास्थ्य बनाए रख सकते हैं और यह मजबूत प्रतिरक्षा स्तर के कारण संभव हो सकता है।

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मकर राशि

मकर राशि वाले जातकों के लिए यह शुभ योग कई सारे अच्छे अवसर प्रदान करेंगे। मकर राशि के जो जातक उच्च शिक्षा के लिए प्रयास कर रहे थे, उनके प्रयास इस अवधि सफल होंगे। वहीं, कार्यक्षेत्र की बात करें, तो आपको प्रमोशन मिल सकता है और आप टीम लीडर की पोजीशन में पदोन्नति हासिल करेंगे। वहीं, बिजनेस से जुड़े हुए लोगों को पैसा कमाने का बहुत ही अच्छा मौका मिलेगा। अच्छे रिटर्न मिलने के साथ आपको बिजनेस में कोई नई डील भी मिल सकती है। आपके आर्थिक पहलू की बात करें तो आप धन संचय करने और साथ ही, बचत करने में सक्षम होंगे। आशंका है कि आप अपने बच्चों पर खर्च करें।

रिश्ते के मोर्चे पर, आप अपने जीवनसाथी का विश्वास जीतने और रिश्ते में बेहतर सामंजस्य बनाए रखने की स्थिति में होंगे। आप खुलकर अपनी बातों को अपने पार्टनर के सामने रखने में सक्षम होंगे। जीवनसाथी के साथ गलतफहमियां दूर हो जाएंगी। स्वास्थ्य के मोर्चे पर, आशंका है कि आपको इस अवधि कोई बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना न करना पड़े। हालांकि छोटी-मोटी समस्याएं जैसे- आंखों से संबंधित जलन आदि देखने को मिल सकता है लेकिन घबराने की बात नहीं है।

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कुंभ राशि

कुंभ राशि के जातकों की बात करें तो शश व बुधादित्य राजयोग से आपको बहुत अधिक लाभ होगा। इस दौरान आपको भाग्य का भरपूर साथ मिलेगा, जिसके चलते आपको करियर में शानदार परिणाम प्राप्त होंगे। नौकरी में पदोन्नति और वेतन वृद्धि होने की भी प्रबल संभावना है। वहीं, सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे लोगों को इस अवधि में कोई शुभ समाचार मिल सकता है, जिससे आपको सुख और संतुष्टि प्राप्त होगा। यदि आप अगर पार्टनरशिप में बिजनेस करते हैं, तो आपको धन लाभ के कई शानदार अवसर प्राप्त होंगे। वहीं, आपको भिन्न-भिन्न स्रोतों से आय की प्राप्ति होगी। 

जिन जातकों का खुद का व्यापार है वे इस अवधि अच्छा मुनाफा कमाने में सफल रहेंगे और अपने बिज़नेस में तेज़ी से तरक्की प्राप्त करेंगे। आपके द्वारा किए गए निवेश से आपको अच्छा रिटर्न प्राप्त होगा और यदि आपने हाल-फिलहाल में कोई निवेश किया है तो उससे भी आपको आगे चलकर अच्छा लाभ मिलने की संभावना है क्योंकि आपको भाग्य का साथ मिलेगा। इसके अलावा, परिवार में नैतिक मूल्यों को स्थापित करने में सफल होंगे, जिससे घर का माहौल बेहद खुशनुमा और सकारात्मक होगा।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. शश राजयोग कैसे बनता है?

उत्तर 1. शनि कुंडली में लग्न या चंद्रमा से पहला, चौथा, सातवां या दसवें भाव में तुला, मकर या कुंभ राशि में स्थित हो तो यह शश योग बनाता है।

प्रश्न 2. बुधादित्य राजयोग क्या होता है?

उत्तर 2. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में जब सूर्य और बुध एक साथ आते हैं, तो बुधादित्य योग का निर्माण होता है।

प्रश्न 3. बुध ग्रह मजबूत होने से क्या होता है?

उत्तर 3. कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होने पर जातक को जीवन में ऊंचा मुकाम हासिल होता है।

प्रश्न 4. बुधादित्य योग के क्या फायदे हैं?

उत्तर 4. बुधादित्य योग जिस किसी की कुंडली में बनता है उसके बनने से व्यक्ति को धन, सुख-सुविधा, वैभव, और मान-सम्मान मिलता है।

139 दिनों तक शनि अपनी राशि में रहेंगे वक्री, इन जातकों की संपत्ति में होगी तेज़ी से बढ़ोतरी!

वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह का बहुत अधिक महत्व होता है। लोगों के अंदर शनि का नाम लेते ही भय पैदा हो जाता है क्योंकि ज्यादातर लोगों को लगता है कि शनि केवल बुरे परिणाम ही देते हैं लेकिन, ऐसा नहीं है शनि को कर्मफल दाता कहा जाता है और वे लोगों को उनके कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। शनि सबसे मंद गति से चलने वाला ग्रह है और यह एक राशि में करीब ढाई सालों तक विराजमान रहते हैं। इस तरह एक राशि में दोबारा गोचर करने के लिए इन्हें 30 वर्षों का समय लगता है। एक ही राशि में रहकर शनि समय-समय पर वक्री और मार्गी होते रहते हैं, जिसका प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर सकारात्मक व नकारात्मक रूप से पड़ता है। 

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शनिदेव अभी कुंभ राशि में हैं और 29 जून की रात 11 बजकर 40 मिनट पर वक्री होने जा रहे हैं। वक्री शनि का प्रभाव सभी 12 राशियों के जातकों के ऊपर अवश्य पड़ेगा। ऐसे में कुछ राशि वालों को अच्छे परिणामों की प्राप्ति होगी। इन जातकों के मान-सम्मान और धन-संपत्ति में काफी इजाफा होगा। आइए जानते हैं किन-किन राशियों की पलटेगी किस्मत।

वक्री शनि से इन जातकों को होगी लाभ की प्राप्ति

मेष राशि

वक्री शनि आपको करियर के क्षेत्र में अपार लाभ प्रदान करेंगे। इसके परिणामस्वरूप, आप प्रसन्न और संतुष्ट दिखाई दे सकते हैं। आपको इस अवधि में विदेश से नौकरी के नए अवसर मिल सकते हैं और इस तरह के मौके आपके लिए फलदायी साबित होंगे। साथ ही, काम में की गई कड़ी मेहनत के लिए आपको सराहना मिलने की संभावना है। इस अवधि करियर के संबंध में यात्राओं पर जाना पड़ सकता है और यह यात्रा आपको संतुष्टि प्रदान करेगी। इस अवधि में यह जातक नौकरी में अपनी बुद्धि और स्किल्स का उपयोग करके दूसरों को प्रभावित कर पाएंगे। जिन जातकों का अपना व्यापर है, वह इस समय बिज़नेस पार्टनर की मदद से अच्छा ख़ासा मुनाफ़ा कमाएंगे। इस दौरान आप प्रतिद्वंदियों को कड़ी टक्कर देने में भी सक्षम होंगे।

इस अवधि पार्टनर के साथ आपके रिश्ते बेहतर होंगे। आपकी जीवनसाथी के साथ प्यार भरी नोकझोंक हो सकती है। इस दौरान इन जातकों का अपने पार्टनर के साथ रिश्ता मधुर रहेगा और आपको ऐसा लग सकता है जैसे कि आप दोनों एक-दूसरे के लिए ही बने हैं। इसके परिणामस्वरूप, आप जीवनसाथी के साथ प्रेम और सौहार्द से पूर्ण रिश्ता कायम कर सकेंगे। शनि वक्री के दौरान आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और आपको किसी बड़ी स्वास्थ्य समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। लेकिन, हल्की सर्दी-खांसी, पैरों में दर्द आदि की शिकायत हो सकती है।

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मिथुन राशि

शनि वक्री मिथुन राशि के जातकों के लिए शानदार साबित होगी। इसके परिणामस्वरूप आपके आय में वृद्धि के नए स्रोत बनेंगे। ऐसे में, आपका सारा ध्यान बेहतर भविष्य के निर्माण पर केंद्रित होगा। करियर, परिवार और अच्छा पैसा कमाने में भाग्य आपका साथ देगा। इस अवधि में इन लोगों को काफ़ी यात्राएं करनी पड़ सकती हैं जिसमें विदेश यात्रा भी शामिल होगी। करियर की बात करें, तो आप नौकरी में शीर्ष पर पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत करते हुए नज़र आ सकते हैं और आपकी मेहनत इस अवधि रंग लाती दिखेगी। यदि आप पदोन्नति या वेतन वृद्धि की उम्मीद लगाए बैठे हैं तो आपको तरक्की जरूर हासिल होगी। इस अवधि आपको नौकरी के भी नए अवसर प्राप्त होंगे।

वक्री शनि के दौरान आपको पदोन्नति या फिर कोई विशेष इंसेंटिव मिलने के योग बन रहे हैं और यह आपके बेहतरीन कौशल की वजह से आपको मिल सकता है। यदि आपका खुद का व्यापार हैं, तो अच्छा लाभ प्राप्त करने के लिए आप अपने सभी कामों को बहुत सोच-समझकर व ध्यान लगाकर करेंगे। साथ ही, आप अपने प्रतिद्वंदियों के लिए एक मज़बूत प्रतिद्वंदी बनकर उनके सामने उभरेंगे। आर्थिक रूप से, आपको धन लाभ होगा और आप काफ़ी बचत कर पाएंगे। साथ ही, ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने के इच्छुक रह सकते हैं।

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तुला राशि

तुला राशि के जातकों की बात करें तो, वक्री शनि आपके प्रेम जीवन के लिए शानदार साबित होगा। इस अवधि में आप पार्टनर के साथ अपने रिश्ते में प्रेम और तालमेल बनाए रखने में सक्षम होंगे। ऐसे में, आपका रिश्ता खुशियों से भरा रहेगा। यह जातक जीवनसाथी के साथ सुखद लम्हें बिताएंगे जिसके चलते आपका रिश्ता मधुर बना रहेगा। स्वास्थ्य की दृष्टि से, इन जातकों का रवैया सकारात्मक रहेगा और इसके परिणामस्वरूप, आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और आपको किसी बड़ी स्वास्थ्य समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। 

 कार्यक्षेत्र में एक सफल टीम लीडर के रूप में अपनी जगह बनाने में सफल रहेंगे। आने वाला समय आपके लिए प्रमोशन और नौकरी के बेहतरीन अवसर लेकर आ सकता है। आपके लिए पदोन्नति और वेतन वृद्धि के योग बनेंगे, जिससे आपको संतुष्टि प्राप्त होगी। वहीं, जिन जातकों का अपना व्यापार है उनका प्रदर्शन इस समय शानदार रहेगा और जो शेयर बाज़ार से जुड़े हैं, उन्हें अपने भाग्य का साथ मिलेगा। जबकि व्यापार करने वालों को ज्यादा उच्च लाभ की प्राप्ति नहीं होगी।

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कुंभ राशि

कुंभ राशि के जातकों को वक्री शनि के दौरान भाग्य का पूरा साथ मिलेगा और इसके चलते जीवन के हर पहलू में सकारात्मक परिणाम प्राप्त करेंगे। इस राशि के जातक जो भी काम कर रहे हैं या फिर जिस काम को आगे बढ़ाने की उम्मीद लगाए हुए हैं, उसमें आपको इस सफलता अवश्य प्राप्त होगी। आप मन लगाकर काम करेंगे। काम के सिलसिले में आपको लंबी यात्रा पर जाना पड़ सकता है, जो आपके लिए आरामदायक होगी। कार्यक्षेत्र में आपकी छवि एक टीम लीडर के रूप में उभरकर सामने आएगी। जिन लोगों का खुद का व्यापार है, उनके लिए यह समय शेयर मार्केट के माध्यम से पैसा कमाने के लिए अच्छा रहेगा। इस अवधि में आप अपने निवेश से अच्छा रिटर्न प्राप्त करने में सक्षम होंगे । इसके अलावा, आपको अपने क्षेत्र में लोकप्रियता भी हासिल होगी।

आर्थिक जीवन के लिहाज़ से, कुंभ राशि के जातक इस समय अच्छा धन अर्जित करते हुए नज़र आएंगे। आपको पैतृक संपत्ति से भी धन की प्राप्ति हो सकती है। यदि आपके धन कहीं फंसा हुआ है तो वह भी मिलने की पूरी उम्मीद जताई जा रही है। प्रेम जीवन की बात करें तो, आप रिश्ते में पार्टनर के साथ संतुष्ट दिखाई देंगे। इसके परिणामस्वरूप, आप दोनों का रिश्ता प्रेम और सद्भाव से भरा रहेगा। जीवनसाथी के साथ तालमेल बिठाते हुए रिश्ते में खुशियां बनाए रख सकेंगे। इसके अलावा, आप ऊर्जा और उत्साह से भरे रहेंगे जिसके चलते आप बेहतर स्वास्थ्य बनाए रखने में सक्षम होंगे।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. शनि वक्री कब होंगे?

उत्तर 1. शनि 29 जून की रात 11 बजकर 40 मिनट पर अपनी ही राशि कुंभ में वक्री होने जा रहे हैं।

प्रश्न 2. शनि वक्री होने पर क्या करें?

उत्तर 2. शनि ग्रह के दुष्प्रभाव से बचने के लिए सर्वप्रथम हनुमान जी की पूजा करें और फिर भगवान भैरव की उपासना करें।

प्रश्न 3.वक्री ग्रह क्या फल देता है?

उत्तर 3. वक्री ग्रह अपनी उच्च राशिगत होने के समतुल्य फल प्रदान करता है। कोई ग्रह जो वक्री ग्रह से संयुक्त हो, उसके प्रभाव में मध्यम स्तर की वृद्धि होती है।

प्रश्न 4. शनि अभी किस राशि में है?

उत्तर 4. शनि इस समय अपनी स्वराशि कुम्भ में स्थित हैं।

शुक्र गोचर मेष सहित इन 6 जातकों के लिए रहेगा शानदार; इन 2 राशि वालों को रहना होगा सतर्क!

शुक्र का मिथुन राशि में गोचर: एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको शुक्र का मिथुन राशि में गोचर के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। साथ ही, यह भी बताएंगे कि इस गोचर का प्रभाव सभी 12 राशियों पर किस प्रभाव से पड़ेगा। बता दें कुछ राशियों को शुक्र के गोचर से बहुत अधिक लाभ होगा तो, वहीं कुछ राशि वालों को इस अवधि बहुत ही सावधानी से आगे बढ़ने की आवश्यकता होगी क्योंकि उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा इस ब्लॉग में शुक्र ग्रह को मजबूत करने के कुछ शानदार व आसान उपायों के बारे में भी बताएंगे। बता दें कि शुक्र 12 जून 2024 को बुध के स्वामित्व वाली राशि मिथुन में गोचर करने जा रहे हैं। तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं किस राशि के जातकों को इस दौरान शुभ परिणाम मिलेंगे और किन्हें अशुभ।

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शुक्र का मिथुन राशि में गोचर: तिथि व समय

वैवाहिक सुख, भौतिक सुख, प्रतिभा, सौंदर्य और समृद्धि के कारक ग्रह शुक्र 12 जून, 2024 की शाम 06 बजकर 15 मिनट पर मिथुन राशि में गोचर करने के लिए तैयार हैं। ये 07 जुलाई तक मिथुन राशि में विराजमान रहेंगे और उसके बाद कर्क राशि में प्रवेश कर जाएंगे। मिथुन शुक्र की मित्र राशि हैं और ये इस राशि में बेहतर तालमेल बिठाने में सक्षम होंगे। आगे यह देखना दिलचस्प होगा कि शुक्र यहां विश्वव्यापी घटनाओं को कैसे प्रभावित करेगा।

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मिथुन राशि में शुक्र: विशेषताएं

मिथुन राशि वालों के दो व्यक्तित्व होते हैं, जो इन्हें बेहद हाजिर जवाब और फुर्तीला बनाती है। ये जातक मिलनसार और संवेदनशील होते हैं। साथ ही, मौज-मस्ती के लिए हमेशा तैयार रहते हैं लेकिन कई बार अचानक गंभीर, विचारशील और बेचैन हो सकते हैं। ये जातक दुनिया के बारे में जानने की जिज्ञासा रखते हैं और इनको अक्सर ऐसा लग  सकता है कि ये जो कुछ भी करना चाहते हैं उसके लिए समय की कमी है।

मिथुन ऐसे लोगों का प्रतिनिधित्व करता है जो बहुत तेज, स्मार्ट, अनुकूलनीय और अति-जिज्ञासु होते हैं। मिथुन राशि में शुक्र की मौजूदगी आपको कला और शिल्प, संगीत, नृत्य और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों में आगे लाता है। इसके परिणामस्वरूप जातक का झुकाव रचनात्मक चीज़ों में हो सकता है। इसके प्रभाव से आपका स्वभाव चंचल, मज़ेदार और हंसी मज़ाक करने वाला हो सकता है। ये जातक प्रेम जीवन में कई बार असफल भी हो सकते हैं।

शुक्र का मिथुन राशि में गोचर: इन राशियों पर पड़ेगा सकारात्मक प्रभाव

मेष राशि

मेष राशि के जातकों के लिए शुक्र दूसरे और सातवें भाव के स्वामी हैं। शुक्र का मिथुन राशि में गोचर आपके तीसरे भाव में होगा। तीसरे भाव में शुक्र के गोचर करने के कारण आप अपने दोस्तों के साथ ज्यादा समय बिताना पसंद करेंगे। उनके साथ पार्टी करना, मौज मस्ती करना, आपको खूब पसंद आएगा। भाई-बहनों के साथ भी निकटता बढ़ेगी और उनसे प्रेम बढ़ेगा।

यह समय आपके प्रेम संबंधों को बढ़ाने वाला होगा। आपकी नज़दीकियां अपने पार्टनर से बढ़ेंगी और आपके बीच रोमांस के योग बनेंगे। शुक्र देव के गोचर के प्रभाव से आप अपने अंदर छिपे किसी स्किल्स को सबके सामने लाने में सफल रहेंगे और उससे धन अर्जित भी करने में कामयाब हो सकते हैं। जिससे आपका आर्थिक स्थिति बहुत अधिक मजबूत होगी।

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वृषभ राशि

वृषभ राशि के जातकों के लिए शुक्र पहले और छठे भाव के स्वामी हैं। शुक्र का मिथुन राशि में गोचर आपके दूसरे भाव में होगा। शुक्र का यह गोचर आपके जीवन में अनुकूल परिणाम के साथ-साथ शांति और समृद्धि लेकर लाएगा। इस अवधि आपको अत्यधिक धन लाभ होगा। साथ ही, आप अपने धन की बचत कर पाने में सक्षम होंगे जिससे आपका बैंक बैलेंस बढ़ेगा।

इस अवधि किसी शादी समारोह में सम्मिलित होकर खुशी का अनुभव करेंगे और अनेक लोगों से मिलना-जुलना होगा जिससे सामाजिक दायरा बढ़ेगा। आप लोगों के बीच आकर हल्का और खुश महसूस करेंगे। आपके घर में भी कोई फंक्शन या अच्छा शुभ काम हो सकता है। शुक्र के गोचर के फलस्वरूप वृषभ राशि के जातकों को करियर में अच्छा मुकाम मिलेगा। लोग आपके काम की प्रशंसा करेंगे और आपके प्रयासों के लिए आपको प्रोत्साहन भी दिया जाएगा। आपका पारिवारिक जीवन शांति और सद्भाव से भरा रहेगा। आप लोगों से मीठा बोलकर अपना काम निकलवाने में सफल रहेंगे। जिन जातकों का खुद का व्यापार हैं, उन्हें अपने बिज़ेनस में वृद्धि देखने को मिलेगी और साथ ही, अच्छा मुनाफा प्राप्त होगा।

मिथुन राशि

मिथुन राशि वालों के लिए, शुक्र आपके पांचवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं। शुक्र का मिथुन राशि में गोचर आपके पहले भाव यानी आपकी ही राशि में होने जा रहा है। शुक्र के इस गोचर के प्रभाव से आपके व्यक्तित्व में निखार आएगा। आप लोगों के आकर्षण का केन्द्र बनेंगे। आपके जो काम पहले किसी भी वजह से रुके हुए थे, वे अब धीरे-धीरे शुरू होने लगेंगे और आपको उससे सुखद महसूस होगा। आपको गाड़ी या मकान का लाभ मिल सकता है इसलिए यदि आप कोई संपत्ति खरीदना चाहते हैं तो इस दौरान प्रयास करने से आपको उससे सुख-समृद्धि प्राप्त होगी। इस अवधि संतान की ओर से अच्छा सहयोग प्राप्त होगा और उनसे आपको प्रेम भी प्राप्त होगा। विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होने के योग बन सकते हैं। विदेशी संपर्कों से आपके व्यापार में भी उन्नति होगी और आपका बिज़नेस तेज़ी से आगे बढ़ेगा।

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सिंह राशि

शुक्र आपके तीसरे और दसवें भाव के स्वामी हैं। शुक्र का मिथुन राशि में शुक्र में गोचर आपके ग्यारहवें भाव में होगा। इस गोचर के प्रभाव से आपकी आमदनी में अच्छी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी और आपकी महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति होगी। कार्यक्षेत्र में आप के वरिष्ठ अधिकारी आपसे प्रसन्न नजर आएंगे और आपके हर काम में आपकी मदद करेंगे। इस अवधि उनका समर्थन आपको प्राप्त होगी, जिसके चलते आप अपने काम को और अधिक बेहतर तरीके से पूरा करने में सक्षम होंगे। वृषभ राशि के जातकों के प्रेम जीवन की बात करें तो आप और आपके प्रियतम के बीच मिलने-जुलने, एक दूसरे के साथ अच्छा समय व्यतीत करने और रोमांस के भरपूर अवसर मिलेंगे। सिंह राशि के जातकों का रिश्ता इस अवधि पहले से अधिक मजबूत होगा और आप एक-दूसरे के बेहद करीब आएंगे।

कन्या राशि

कन्या राशि के जातकों के लिए शुक्र दूसरे और नौवें भाव के स्वामी है। शुक्र का मिथुन राशि में गोचर आपके दसवें भाव में होगा। इस दौरान आपको हर कार्य में उन्नति प्राप्त होगी और भाग्य का भरपूर साथ मिलेगी। आपके सभी रुके हुए काम एक बार फिर से शुरू हो जाएंगे। आपकी यदि कुछ व्यावसायिक परियोजनाएं थीं तो वे भी अब आगे बढ़ने लगेंगी जिससे आपको प्रबल धन लाभ होने के योग बनेंगे। अगर आप नौकरी करते हैं तो आपको किसी अच्छी जगह स्थानांतरित किया जा सकता है जहां आपका पद और वेतन पहले के मुकाबले अधिक हो सकता है। यह समय आपके करियर के लिए अनुकूल रहेगा और आपको भाग्य की कृपा से बहुत कुछ प्राप्त होगा। व्यापार करने वाले लोगों के लिए भी यह अवधि बहुत महत्वपूर्ण साबित होगी और आपके व्यवसाय को नए लोगों के साथ मिलकर आगे चलाने का अवसर मिलेगा। पारिवारिक जीवन में सुख और शांति रहेगी। कुल मिलाकर शुक्र का गोचर आपको ढेर सारी खुशियां प्रदान करेगा।

धनु राशि

शुक्र आपके छठे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं। शुक्र का मिथुन राशि में गोचर आपके सातवें भाव में होगा। इस दौरान आपका अपने जीवनसाथी से प्रेम बढ़ेगा। आपके बीच रोमांस के योग बनेंगे। आप एक-दूसरे को भरपूर समय देंगे और एक-दूसरे के सच्चे जीवनसाथी बनकर अपनी सभी जिम्मेदारियां बहुत अच्छे से पूरा करेंगे। व्यवसाय करने वाले जातकों के लिए यह अवधि अनुकूलता लेकर आएगी और आपके व्यवसाय में अच्छी वृद्धि देखने को मिलेगी। जीवनसाथी को धन लाभ मिल सकता है जिससे आपकी आर्थिक स्थिति भी बढ़िया होगी।

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शुक्र का मिथुन राशि में गोचर: इन राशियों पर पड़ेगा नकारात्मक प्रभाव

कर्क राशि

कर्क राशि के जातकों के लिए, शुक्र चौथे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं और शुक्र का मिथुन राशि में गोचर आपके बारहवें भाव में होगा। शुक्र के इस गोचर के परिणामस्वरूप अपने अप्रत्याशित खर्चों में बढ़ोतरी देखकर आप परेशान हो उठेंगे लेकिन आपको तनिक भी घबराने या परेशान होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि इसी बारहवें भाव में स्थित शुक्र महाराज आपको प्रबल धन लाभ भी देंगे। आप अपनी सुख-सुविधाओं में बढ़ोतरी करने के लिए कुछ नई चीजें खरीद कर ला सकते हैं। अपने अतिरिक्त परिवार की साज-सज्जा पर भी धन खर्च कर सकते हैं। घर में रिनोवेशन का कार्य करा सकते हैं और पारिवारिक जरूरत के सामानों के साथ-साथ सुख-सुविधाओं की वस्तुओं में बढ़ोतरी कर सकते हैं। यदि कोई मामला न्यायालय में विचाराधीन है तो उस पर खर्च करना पड़ सकता है। आपके वैवाहिक जीवन में प्रेम बढ़ने के योग बनेंगे।

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए शुक्र सातवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं। शुक्र का मिथुन राशि में गोचर आपके आठवें भाव में होगा। शुक्र का यह गोचर आपके निजी संबंधों में उतार-चढ़ाव लेकर आएगा। इस अवधि जहां एक ओर आप गुपचुप तरीके से अपने प्रेम संबंधों को आगे बढ़ाने पर ध्यान देंगे और अपने अंतरंग संबंधों में बढ़ोतरी महसूस करेंगे। गुप्त सुख पाने की चाह में आप जी भर कर पैसा खर्च करेंगे जो बाद में आपके लिए परेशानी खड़ी कर सकता है। हालांकि आर्थिक दृष्टि से यह गोचर आपके लिए लाभकारी रहेगा क्योंकि आपको धन लाभ होने के प्रबल योग बन रहे हैं। अगर आपने शेयर बाजार में पहले से निवेश किया हुआ है तो उसका अच्छा प्रतिफल इस दौरान आपको प्राप्त हो सकता है जिससे आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

इस दौरान ससुराल में किसी के विवाह या फंक्शन में शामिल होने का मौका मिल सकता है जिससे घर-परिवार में प्रेम और उत्साह का वातावरण रहेगा और सभी खुश नजर आएंगे। जीवनसाथी से कहासुनी हो सकती है। वाद-विवाद को ज्यादा बढ़ने न दें, इसी में आपका हित होगा। व्यापार में उन्नति होगी और नौकरी करने वाले लोगों को अपने काम के लिए अच्छी पहचान मिलेगी।

शुक्र का मिथुन राशि में गोचर: उपाय

  • शुक्रवार का व्रत करें और सफेद चीजें जैसे चावल, चीनी आदि का दान करें।
  • शुक्रवार के दिन देवी लक्ष्मी या देवी दुर्गा की पूजा करें और लाल फूल चढ़ाएं।
  • प्रतिदिन सुबह महालक्ष्मी अष्टकम का पाठ करें।
  • अक्सर अधिक सफेद और गुलाबी कपड़े पहनने की कोशिश करें और अच्छी स्वच्छता रखें।
  • शुक्र के मंत्र “ओम द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः” का जाप करें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. शुक्र का मिथुन में गोचर कब होने जा रहा है?

उत्तर 1.  शुक्र का मिथुन राशि में गोचर 12 जून, 2024 की शाम 06 बजकर 15 मिनट पर होगा।

प्रश्न 2. शुक्र मिथुन राशि में कैसा व्यवहार करता है?

उत्तर 2. मिथुन राशि शुक्र की मित्र राशि है और इस राशि में शुक्र आमतौर पर अच्छे परिणाम प्रदान करता है।

प्रश्न 3. शुक्र किस राशि में उच्च का होता है?

उत्तर 3. शुक्र मीन राशि में उच्च का होता है।

प्रश्न 4. यदि बुध मिथुन राशि में हो तो इसका क्या मतलब है?

उत्तर 4. यह बुध की अपनी राशि है और इस राशि में बुध मजबूत स्थिति में विराजमान रहते हैं।

500 साल बाद छह शुभ ग्रह मिलकर बनाएंगे 5 राजयोग, सोने से लद जाएंगे ये चार जातक!

प्रत्येक ग्रह एक निश्चित पथ पर एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करते हैं। इस दौरान ग्रहों की युति होती है यानी एक ही राशि में एक से ज्यादा ग्रह मौजूद होते हैं। ग्रहों की युति से कई शुभ योगों का निर्माण होता है, जिसका प्रभाव सभी राशि के जातकों पर सकारात्मक व नकारात्मक रूप से पड़ता है। इसी क्रम में जून के महीने में एक साथ छह ग्रहों के गोचर से पांच शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। माना जा रहा है कि 500 सालों बाद पांच राजयोग का निर्माण एक साथ हो रहा है, जिसका प्रभाव सभी 12 राशि के जातकों के ऊपर पड़ेगा लेकिन, इस दौरान कुछ राशि वालों को बहुत अधिक शुभ परिणाम प्राप्त होंगे। 

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बता दें कि सूर्य, बुध, गुरु, शनि, शुक्र, मंगल के गोचर से पांच राजयोग बन रहा है। शुक्र अपनी स्वराशि में विराजमान होकर मालव्य राजयोग का निर्माण करेंगे, बुध और सूर्य वृषभ राशि में बुधादित्य राजयोग, शुक्र और बुध लक्ष्मी नारायण राजयोग, शनि अपनी मूल त्रिकोण कुंभ राशि में रहकर शश राजयोग और गुरु-शुक्र मिलकर गजलक्ष्मी राजयोग बना रहे हैं। ये सभी राजयोग बहुत अधिक शुभ माने जा रहे हैं। तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि किन जातकों के लिए ये राजयोग फलदायी साबित होंगे।

छह ग्रहों के गोचर से बन रहे पांच राजयोग से इन जातकों को मिलेंगे शुभ परिणाम

मेष राशि

मेष राशि के जातकों के लिए यह पांचों राजयोग बहुत अधिक शुभ साबित होंगे। इस दौरान आपको अपने प्रयासों में सफलता प्राप्त होगी और आप खुद को साबित करने में भी कामयाब रहेंगे। करियर के मोर्चे पर आपको अपनी नौकरी में अच्छी प्रगति प्राप्त होगी। इस अवधि में आपको नई नौकरी के अवसर भी मिल सकते हैं। जिन लोगों का खुद का व्यापार है उन्हें इस दौरान उच्च लाभ प्राप्त करने का अवसर प्राप्त होगा। हो सकता है कि आपको विदेशों से पार्टनरशिप करने का अवसर प्राप्त हो, जिससे आपके बिज़नेस में तेजी से प्रगति होगी। आर्थिक पक्ष पर बात करें तो, आप ज़्यादा धन संचित करने और धन कमाने में कामयाब रहेंगे। पैतृक संपत्ति से भी आपको लाभ होगा। यदि आपका धन कहीं फंसा हैं तो वह इस अवधि आपको मिलेगा। प्रेम जीवन की बात करें तो रिश्ते में मधुर संबंध स्थापित करने में सफल होंगे।

आपके प्रेम जीवन की बात करें तो आपको प्यार में सफलता मिलेगी और आप अपने प्यार को एक मजबूत रिश्ते में बदल सकते। इस अवधि आप अपने पार्टनर के साथ कहीं बाहर घूमने भी जा सकते हैं। बात यदि स्वास्थ्य की करें तो आप खुद को फिट रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में कदम उठाएंगे। आपकी इम्यूनिटी काफी अच्छी रहेगी। जिसकी वजह से आप स्वस्थ जीवन जिएंगे।

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वृषभ राशि

वृषभ राशि के जातकों की बाद करें तो छह ग्रहों के गोचर से बनने वाले पांच शुभ योग से आपको बहुत अधिक शुभ फल की प्राप्ति होगी। इस दौरान आपको भाग्य का पूरा-पूरा साथ मिलेगा। करियर में आप तेज़ी से प्रगति करेंगे। इस दौरान आपको वेतन वृद्धि, प्रमोशन आदि के रूप में लाभ प्राप्त होंगे और आपका इंतजार करना सफल होगा। आप अपने जीवन का दायरा बढ़ाते हुए दिखाई दे सकते हैं। अगर आप किसी लंबी दूरी की यात्रा पर जा रहे हैं, तो उसके सफल होने की संभावना है।

आर्थिक रूप से यह अवधि आपके लिए वरदान साबित होगा क्योंकि इस दौरान आपकी संपत्ति में वृद्धि देखने को मिल सकती है। साथ ही, आप ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने में सक्षम होंगे। इसके परिणामस्वरूप, ये जातक धन की बचत कर पाएंगे जिससे इनके आत्मविश्वास में भी बढ़ोतरी होगी। प्रेम जीवन की बात करें तो, इस अवधि में वृषभ राशि वालों के रिश्ते अपने पार्टनर के साथ अच्छे रहेंगे। ऐसे में, आप दोनों के बीच आपसी तालमेल शानदार रहेगा और यह आपके रिश्ते को मज़बूत बनाने का काम करेगा। आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और आपको किसी बड़ी स्वास्थ्य समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।

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सिंह राशि

सिंह राशि के जातकों के लिए पांच राजयोग बहुत अधिक शुभ साबित होगा। करियर के लिहाज़ से, आपको भाग्य का पूरा साथ मिलेगा क्योंकि इस समय आप कार्यों में सफलता के साथ-साथ उच्च पद प्राप्त करने में सक्षम होंगे। इसके अलावा, आप करियर में तेजी आगे बढ़ेंगे और शीर्ष पर पहुंचेंगे। आपको पदोन्नति आदि के रूप में अधिक लाभ प्राप्त होगा। यही नहीं आपको विदेश से भी नए अवसर मिलने की संभावना है जो आपके लिए फलदायी रहेंगे। आप अपनी योग्यताओं को साबित करते हुए बिज़नेस में प्रतिद्वंदियों को टक्कर देने में समर्थ होंगे और अच्छा लाभ कमाने में सक्षम होंगे। आपका मन सकारात्मक विचारों से भरा रहेगा।

सिंह राशि के जो जातक ख़ुद का व्यापार करते हैं उन्हें अपने बिज़नेस को आगे बढ़ाने की राह में कई अच्छे अवसर प्राप्त होंगे। इस अवधि के दौरान जातकों को न बहुत अधिक लाभ होगा। ऐसे में, आपके लिए व्यापार को चलाना आपको आसान हो सकता है। आर्थिक स्थिति के लिए यह अवधि फलदायी साबित हो रही है। आप पारिवारिक जिम्मेदारियों को आसानी से निभाने में सक्षम होंगे।

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कुंभ राशि

इस समयावधि में कुंभ राशि के जातकों को भाग्य का पूरा साथ मिलेगा और आपकी किस्मत अच्छी रहेगी। आपको कार्यक्षेत्र में पदोन्नति के साथ-साथ आपके वेतन में वृद्धि भी होगी। इस दौरान आपको अपनी मेहनत के लिए पुरस्कृत किया जाएगा। कार्यक्षेत्र में आप नई-नई चीज़ों को सीखेंगे। इसके अलावा, आपके पास विदेश से भी कई मौके आएंगे, जो आपके भविष्य के लिए शानदार साबित होगी। व्यापार करने वाले जातकों को अच्छा मुनाफा प्राप्त होगा। व्यापार में आपको कुछ ऐसे पल देखने को मिल सकते हैं जो आपके बिज़नेस के लिए फलदायी साबित होंगे। साथ ही, इस दौरान आप अच्छा लाभ कमाने में भी सक्षम होंगे। कुंभ राशि के व्यापारी लोगों में अपनी काबिलियत साबित करने के साथ-साथ प्रतिद्वंदियों से टक्कर लेने की अपार क्षमता मौजूद हो सकती है।

आर्थिक स्थिति के लिहाज़ से, आप पर्याप्त धन कमाने और उसे बचाने की स्थिति में नज़र आ सकते हैं। यह अवधि विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलदायी साबित होगा जो विदेश में बसे हैं उन्हें हर कदम पर भाग्य का साथ मिलेगा। आप अपने पार्टनर के साथ रिश्ते में मिठास बनाए रखने में सक्षम होंगे। ऐसे में, ये लोग अपने रिश्ते में उच्च मूल्य स्थापित कर सकते हैं। आपका स्वास्थ्य सामान्य रहेगा।

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. शुक्र ग्रह को क्या पसंद है?

उत्तर 1. शुक्र ग्रह भोग-विलास, सांसारिक सुख, प्रेम, मनोरंजक, व्यवसाय, पत्नी का कारक ग्रह है।

प्रश्न 2. सूर्य ग्रह का स्वामी कौन है?

उत्तर 2. ज्योतिष में सूर्य को आत्मा का कारक ग्रह भी कहा जाता है। सूर्य सिंह राशि के स्वामी हैं।

प्रश्न 3. बुध ग्रह कमजोर हो तो क्या होता है?

उत्तर 3. यदि किसी की कुंडली में बुध ग्रह कमजोर है तो इसका प्रभाव भी उसके जीवन पर बेहद अशुभ पड़ता है। बुध दोष के कारण कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

प्रश्न 4. शनि अभी किस राशि में है?

उत्तर 4. शनि इस समय अपनी स्वराशि कुम्भ में स्थित हैं।

गरीब के घर पैदा होकर भी अमीर बना देता है ये राजयोग, कहीं आपकी कुंडली में तो नहीं?

सनातन धर्म में जब किसी बच्चे का जन्म होता है तो समय, नक्षत्र, ग्रह और तिथि के अनुसार उस बच्चे की कुंडली तैयार की जाती है। ऐसे में, कुछ लोगों की कुंडली में ऐसे राजयोग होते हैं, जो जातक को गरीब होते हुए भी अमीर बना देते हैं। ज्योतिष में ऐसे कई राजयोग के बारे में चर्चा की गई है, जो व्यक्ति को धन, दौलत और शौहरत दिलाते हैं। राजयोग का प्रभाव इतना अधिक होता है कि व्यक्ति चाहे गरीब घर में भी पैदा हो लेकिन वह अमीर बनता है। ऐसे व्यक्ति की आर्थिक स्थिति हमेशा मजबूत रहती है और वह समाज में अपनी अलग पहचान बनाता है। एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम एक ऐसे ही राजयोग के बारे में चर्चा करने जा रहे हैं, जिसके शुभ प्रभाव से रंक भी राजा बन जाता है। 

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यह योग है शश राजयोग, जिसका निर्माण शनि के द्वारा होता है। शनि नवग्रह में सबसे धीमी गति से चलने वाले ग्रह माने जाते हैं। एक राशि में वह कम से कम ढाई सालों तक रहते हैं, लेकिन अपनी स्थिति में बदलाव करते रहते हैं। इन बदलाव से व्यक्ति की कुंडली में शश राजयोग का निर्माण होता है। तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं शश राजयोग के बारे में। साथ ही, यह भी जानेंगे कि यह राजयोग कैसे बनता है और इसके बनने से जातक को क्या-क्या फायदे हो सकते हैं।

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जानिए कैसे बनता है शश राजयोग

ज्योतिष के अनुसार, शश महापुरुष राजयोग की चर्चा पंच महापुरुष राजयोग में होती है। शनि के लग्न भाव में होने या चंद्र से केंद्र भाव पर होने पर इस योग का निर्माण होत है। बता दें कि शनि देव अगर किसी जातक की कुंडली के लग्न या चंद्रमा से पहले, चौथे, सातवें या दसवें स्थान पर तुला, मकर या कुंभ राशि में विराजमान हों, तो ऐसे में कुंडली में शश योग का निर्माण होता है। बता दें कि जिस भी जातक की कुंडली में यह योग बनता है वह बहुत अधिक भाग्यशाली होता है।

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गरीब को भी अमीर बना देता है ये राजयोग

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि दु:ख, बीमारी, शोक, दारिद्रय, मृत्यु आदि के कारक ग्रह शनि तुला राशि में विराजमान हो, तो शश राजयोग बेहद शुभ फल प्रदान करता है। बता दें कि शनि देव की उच्च राशि तुला है इसलिए जिस व्यक्ति की कुंडली में ये राजयोग बनता है वह गरीब से गरीब परिवार में जन्म लेकर भी अमीर बनता है और खूब नाम कमाता है। इतना ही नहीं, इन लोगों की आर्थिक स्थिति भी काफी मजबूत होती है। ये लोग खूब पैसे वाले होते हैं और इन्हें कभी भी आर्थिक समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता। ये लोग बहुत धनवान भी होते हैं। इतना ही नहीं, ये लोग जरूरतमंदों की भी मदद करने के लिए आगे आते हैं।

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शश राजयोग के फायदे

जिस भी जातक की कुंडली में शनि कुंभ राशि में या केंद्र में या मूल त्रिकोण में मौजूद है और शुभ अवस्था में है तो शश राजयोग का उसे बहुत अधिक शुभ फल प्राप्त हो सकता है। इसी के साथ गोचर के अनुसार भी जातक को शश राजयोग का बहुत अधिक लाभ मिलता है। बता दें कि वर्तमान में शनि कुंभ राशि में विराजमान होकर शश राजयोग का निर्माण कर रहा है। आइए जानते है कि जब यह राज योग किसी जातक की कुंडली में बनता है तो उसे किस प्रकार के फायदे हो सकते हैं।

  • ज्योतिष के अनुसार, शश राजयोग के शुभ प्रभाव से जातक में बड़े से बड़े रोग से उबरने की मजबूत क्षमता होती है।
  • इस योग के परिणामस्वरूप जातक की आयु लंबी होती है और वह लंबे आयु तक स्वस्थ जीवन जीता है।
  • जिन जातकों का अपना व्यापार होता है, उन्हें इस योग से बहुत अधिक लाभ होता है। व्यापार में दिन प्रतिदिन मुनाफा होता है और तेजी से बिज़नेस आगे बढ़ता है। साथ ही, जातक अपने बिज़नेस करने में बहुत अधिक प्रैक्टिकल होते हैं।
  • ऐसे जातक, जरूरत पूर्ति या आवश्यकता अनुसार की बातचीत करता है और हर किसी को अपनी राय नहीं देता है।
  • ये लोग बहुत अधिक ज्ञानी होते हैं और लोग इनसे राय लेना पसंद करते हैं।
  • इनका मन रहस्यों को जानने और उसे अपनी तरह से लोगों तक पहुंचाने में होता है।
  • राजनीति के क्षेत्र में तो ये अपार सफलता प्राप्त करते हैं और कूटनीति करने में सबसे आगे होते हैं।
  • कार्यक्षेत्र में ये शीर्ष पद पर आसीन होते हैं और हर किसी से खूब मान-सम्मान प्राप्त करते हैं।
  • यदि जातक की कुंडली में शश राजयोग का निर्माण हो रहा है तो उस पर कभी भी शनि के कुप्रभाव, साढ़ेसाती और ढैय्या के बुरे प्रभाव नहीं पड़ते हैं।
  • यदि ये जातक सरकारी नौकरी, आईएएस, पीसीएस की तैयारी करते हैं तो इन्हें सफलता मिलने की अधिक संभावना होती है।

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शश योग में जन्म लेने वाले जातक का व्यक्तित्व

शश योग को शशका योग भी कहते हैं। इस योग में जन्म लेने वाले बच्चे बहुत अधिक भाग्यशाली होते हैं। इनके व्यक्तित्व की बात करें तो इनका चेहरा छोटा होता है, आंखें फुर्तीली होती हैं और मध्यम ऊंचाई वाले छोटे दांत हो सकते हैं। इन लोगों को घूमने-फिरने का बहुत अधिक शौक होता है। ऐसे जातक कई ज्यादातर यात्रा करने की योजना बनाते हैं। उन्हें वादियां और पहाड़ों पर जाना बहुत अधिक पसंद होता है। शश योग के जातकों को बहुत जल्दी गुस्सा आ सकता है और ये अपने क्रोध पर जल्दी लगाम नहीं लगा पाते हैं। ये जिद्दी और साहसी स्वभाव के भी होते हैं। इसके अलावा, ये पार्टियों की मेजबानी करना और लोगों को घर पर आमंत्रित करना बहुत अधिक पसंद करते हैं। ये लोग बहुत अधिक मेहनती होते हैं और अपने प्रयासों से सफलता अवश्य प्राप्त करते हैं।

यह दूसरों की सेवा करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। वे धातु की वस्तुओं को बनाने में कुशल होते हैं। ऐसे जातक विपरीत लिंग की तरफ सबसे ज्यादा आकर्षित होते हैं। कई बार ये लोग अपना पैसा दूसरों पर बहुत अधिक बर्बाद कर सकते हैं। ये लोग अपने माता-पिता से बहुत अधिक प्यार करते हैं और उनकी सेवा करते हैं। ये लोग हेल्थ में भी काफी फिट होते हैं और कोई बड़ी बीमारी इन्हें परेशान नहीं कर सकती है। फिट रहने के साथ-साथ ये आकर्षक भी होते हैं और हर कोई जल्द इनकी तरफ आकर्षित हो सकता है। हालांकि वे काफी बुद्धिमान होते हैं इसलिए दूसरों में अक्सर दोष ढूंढते रहते हैं, जिसकी वजह से लोग इन से जल्द नाराज भी हो सकते हैं।

शनि के अशुभ प्रभाव से भी बचाता है शश योग

शश योग शनि के अशुभ प्रभाव को सुधारने में सहायक होता है और जातक को शुभ परिणाम देता है। यह योग जातक को शनि के नकारात्मक प्रभाव से बचाने में अत्यधिक फलदायी है। ‘शनि साढे़साती’ और ‘शनि ढैय्या’ के बुरे प्रभाव को भी समाप्त करने की क्षमता रखता है। 

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. शश राजयोग कैसे बनता है?

उत्तर 1. शश राजयोग तब बनता है, जब शनि लग्न भाव से या चंद्र भाव से केंद्र भाव में स्थित हो, यानी शनि कुंडली में लग्न या चंद्रमा से पहला, चौथा, सातवें या दसवें भाव में तुला, मकर या कुंभ राशि में स्थित हो, तो यह शश योग बनाता है।

प्रश्न 2. शश योग का फल कब मिलता है?

उत्तर 2. शश योग तब बनता है जब कुंडली के लग्न या चंद्रमा से पहले, चौथे, सातवें और दसवें घर में शनि अपने स्वयं की राशि (मकर, कुंभ) में या उच्च राशि तुला में मौजूद होता है।

प्रश्न 3. शश राजयोग का दूसरा नाम क्या है?

उत्तर 3. शश राजयोग का दूसरा नाम शशका योग है।

प्रश्न 4. शनि देव के गुरु कौन है?

उत्तर 4. शनि देव के गुरु भगवान शिव हैं।

शनिदेव की आराधना के लिए शुभ माना जाता है ज्येष्ठ अमावस्या का दिन, ये उपाय करने से मिलेगा लाभ!

एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको ज्येष्ठ अमावस्या 2024 के बारे में बताएंगे और साथ ही इस बारे में भी चर्चा करेंगे कि इस दिन राशि के अनुसार किस प्रकार के उपाय करने चाहिए ताकि आप इन उपायों को अपनाकर भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त कर सके। तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि विस्तार से ज्येष्ठ अमावस्या के पर्व के बारे में।

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ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या को ज्येष्ठ अमावस्या कहते हैं। धार्मिक शास्त्रों में ज्येष्ठ अमावस्या तिथि का बड़ा महत्व बताया गया है। इस दिन पवित्र ​नदियों में स्नान करने के बाद दान देने की परंपरा है। माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इस दिन स्नान और दान से ​पितर प्रसन्न होते हैं और उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके अलावा, इस अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए पिंडदान, तर्पण और भोजन करवाना भी बेहद शुभ माना गया है। इस अमावस्या पर भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। बता दें कि ज्येष्ठ अमावस्या पर न्याय के देवता शनि देव का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन शनि जयंती मनाई जाती है। शनि के कारण ज्येष्ठ अमावस्या को शनि अमावस्या भी कहते हैं। इस दिन शनि देव की पूजा करने का विशेष महत्व है। आइए सबसे पहले जानते हैं ज्येष्ठ अमावस्या की तिथि व मुहूर्त के बारे में।

ज्येष्ठ अमावस्या 2024: तिथि व समय

ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष में में पड़ने वाली अमावस्या को ज्येष्ठ अमावस्या कहा जाता है। साल 2024 में यह तिथि को 06 जून 2024 गुरुवार के दिन पड़ रही है।
अमावस्या आरम्भ: जून 5 2024 की शाम 07 बजकर 57 मिनट से शुरू होगी 

अमावस्या समाप्त: जून 6 2024 को की शाम 06 बजकर 09 मिनट पर समाप्त होगी।

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ज्येष्ठ अमावस्या का महत्व

शास्त्रों के अनुसार, ज्येष्ठ मास में स्नान-दान का विशेष महत्व है। इस विशेष दिन पर पितरों को तर्पण प्रदान करने से उनकी आत्मा तृप्त हो जाती है। साथ ही इस दिन जल का दान करने से व्यक्ति को पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इस अमावस्या का धार्मिक दृष्टि से खास महत्व है क्योंकि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से सात जन्मों के पाप और पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है। ज्योतिष के मुताबिक अमावस्या तिथि के स्वामी पितर है इसलिए इस तिथि पर व्रत पूजन करके पितरों को तर्पण व पिंडदान करना शुभ माना जाता है। वहीं इस दिन शनि देव का जन्म हुआ था और ऐसे में, इस दिन शनिदेव की उपासना करने से शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या व महादशा से मुक्ति मिल सकती है। उत्तर भारत में ज्येष्ठ अमावस्या को बहुत पवित्र, पुण्य फल देने वाली तिथि माना गया है।

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ज्येष्ठ अमावस्या की पूजा विधि

  • ज्येष्ठ अमावस्या के पवित्र दिन सूर्योदय से पहले उठकर घर के सभी कामों से मुक्त हो जाए। इसके बाद पवित्र नदी में स्नान करें। यदि ऐसा संभव न हो तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें और फिर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  • इस दिन पितरों की शांति के लिए पिंडदान व तर्पण कर ब्राह्मण भोजन करवा सकते हैं।
  • यदि संभव हो तो ज्येष्ठ अमावस्या पर तीर्थ स्नान व दान जरूर करें। ऐसा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और पितृ दोष भी दूर होता है।
  • इसके बाद पीपल के पेड़ पर जल, अक्षत, सिंदूर आदि चीजें अर्पित करें और कम से कम 11 या 07 बार परिक्रमा अवश्य करें।
  • ज्येष्ठ अमावस्या पर शनि जयंती भी मनाई जाती है इसलिए इस दिन शनि मंदिर जाकर शनिदेव की पूजा भी करें। इसके अलावा, शनिदेव को सरसों का तेल, काले तिल, काला कपड़ा और नीले फूल अर्पित करें। इसके बाद शनि मंत्र का जाप करें व शनि चालीसा का पाठ करें।

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ज्येष्ठ अमावस्या पर करें इन चीजों का दान

ज्येष्ठ अमावस्या के दिन पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए और कुंडली में ग्रहों की स्थिति में सुधार करने के लिए व्यक्ति को इन सात प्रकार की चीजों का दान अवश्य करना चाहिए, जो इस प्रकार है-

  • चावल
  • गेहूं
  • जौ
  • कंगनी
  • चना
  • मूंग दाल
  • तिल

ये सभी चीजें अन्न की श्रेणी में आती हैं और अमावस्या पर इस सात प्रकार के अनाज का दान करने से सात ग्रहों के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है। वहीं शनि और सूर्य ग्रह को मजबूत करने के लिए गेहूं, काले चने व काले तिल का दान करना शुभ होता है। वहीं सफेद तिल के दान से शुक्र ग्रह मजबूत होते हैं। मूंग दाल के दान से बुध ग्रह की स्थिति प्रबल होती है। वहीं चंद्र ग्रह की कृपा प्राप्त करने के लिए चावल का दान करना शुभ होता है। इसके अलावा, जौ और मसूर की दाल का दान करने से देव गुरु बृहस्पति व मंगल देव की स्थिति को मजबूत किया जा सकता है।

ज्येष्ठ अमावस्या के दिन क्या करें और क्या ना करें

  • ज्येष्ठ अमावस्या की तिथि पर सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी में स्नान करें।
  • घर में झाड़ू पोछा लगाने के बाद गंगाजल या गोमूत्र से पूरे घर पर छिड़काव करें।
  • पितरों के नाम लेकर और घर की दक्षिण दिशा में देसी घी का दीपक जलाएं।
  • ज्येष्ठ अमावस्या का व्रत करें और पीपल के पेड़ के आगे दीपक जलाते हुए, 11 या 07 बार परिक्रमा करें।
  • लहसुन-प्याज व शराब मदिरा जैसे तामसिक चीज़ों से दूर रहें और इस पूरे दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  • गरीब व जरूरतमंद व्यक्ति का गलती से भी अपमान न करें और हो सके तो उनकी मदद करें।

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ज्येष्ठ अमावस्या पर पढ़ें शनि की जन्म की कथा

अलग-अलग धार्मिक ग्रंथों में शनिदेव की जन्म कथा का वर्णन अलग-अलग तरीके से किया गया है। कुछ ग्रंथों में शनिदेव का जन्म ज्येष्ठ माह की अमावस्या के दिन तो कुछ ग्रंथों में शनिदेव का जन्म भाद्रपद शनि अमावस्या के दिन बताया गया है।

एक पौराणिक कथा के अनुसार, शनि देव का जन्म ऋषि कश्यप के यज्ञ से हुआ था, लेकिन स्कंद पुराण में शनि देव के पिता का नाम सूर्य और माता का नाम छाया बताया गया है। आइए जानते हैं इस कथा के बारे में। कथा के मुताबिक, राजा दक्ष की कन्या संज्ञा का विवाह सूर्य देव के साथ संपन्न हुआ था। विवाह के बाद संज्ञा सूर्य देव  के तेज से काफी परेशान रहती थीं और वह उस तेद से निकलने का रास्ता ढूंढ रही थीं। धीरे-धीरे समय बीत रहा था। इस बीच संज्ञा ने वैवस्वत मनु, यमराज और यमुना नाम की तीन संतानों को जन्म दिया। इसके बाद संज्ञा ने निर्णय लिया है वे कठोर तपस्या करेंगी और सूर्यदेव के तेज को सहने में सक्षम बनेंगी, लेकिन उन्हें बच्चों के पालन पोषण की चिंता हो रही थी। ऐसे में, बच्चों के पालन में कोई दिक्कत न आए और सूर्यदेव को उनके फैसले के बारे में पता न चले इसके लिए संज्ञा ने अपने तप से अपनी ही तरह की एक महिला को पैदा किया और उसका नाम संवर्णा रखा। यह उनकी ही छाया थी। संज्ञा संवर्णा को बच्चों और सूर्यदेव की जिम्मेदारी देकर तप के लिए चली गईं और इस बारे में किसी को पता नहीं चला।

संवर्णा सूर्यदेव के तेज से परेशानी नहीं होती थी। इस बीच संवर्णा ने भी सूर्यदेव की तीन संतानों मनु, शनि देव और भद्रा को जन्म दिया। कहा जाता है जब शनिदेव संवर्णा के गर्भ में थे तो संवर्णा भगवान शिव का कठोर तप कर रहीं थीं। भूख-प्यास, धूप-गर्मी सहने के कारण इसका सारा प्रभाव उनकी संतान यानी शनिदेव पर पड़ा। इसके कारण शनिदेव का जन्म हुआ तो उनका रंग काला था। यह रंग देखकर सूर्यदेव को शक हुआ कि यह पुत्र उनका नहीं हैं। उन्होंने छाया पर संदेह करते हुए उन्हें अपमानित किया।

माता के तप की शक्ति शनिदेव में भी आ गई थी। मां का अपमान देखकर उन्होंने क्रोधित होकर पिता सूर्यदेव को देखा तो सूर्यदेव काले पड़ गए और उनको कुष्ठ रोग हो गया। अपनी यह दशा देखकर घबराए हुए सूर्यदेव भगवान शिव की शरण में पहुंचे, तब भगवान शिव ने सूर्यदेव को उनकी गलती का अहसास कराया। सूर्यदेव को अपने किए का पश्चाताप हुआ, उन्होंने क्षमा मांगी और फिर उन्हें अपना असली रूप मिला लेकिन इसके बाद पिता पुत्र के संबंध खराब हो गए।

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ज्येष्ठ अमावस्या पर करें ये आसान उपाय

यदि आप भी न्याय के देवता शनि देव की कृपा पाना चाहते हैं, तो ज्येष्ठ अमावस्या के दिन के ख़ास उपाय जरूर करें। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में

शनि के दुष्प्रभाव से बचने के लिए

शनि देव की कृपा पाने के लिए ज्येष्ठ अमावस्या के दिन स्नान-ध्यान करने के बाद काले रंग के कपड़े धारण करें। इसके बाद शनि मंदिर जाकर शनिदेव को नीले रंग का पुष्प, सरसों का तेल, काले तिल आदि चीजें अर्पित करें। ऐसा करने से शनि के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है।

शनि देव की कृपा प्राप्ति के लिए

ज्येष्ठ अमावस्या के दिन इन चीज़ों का दान अवश्य करें- काले कपड़े, सरसों का तेल, लोहे, उड़द दाल आदि। साथ ही, गरीबों व जरूरतमंदों को अपनी सामर्थ्य से खाना खिलाएं। ऐसा करने से न्याय के देवता शनिदेव प्रसन्न और अपनी विशेष कृपा प्रदान करते हैं। 

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साढ़े साती से बचने के लिए

ज्येष्ठ अमावस्या के दिन किसी भी असहाय व निर्धन व्यक्ति को न सताए और अगर हो सके तो उसकी मदद करें। ऐसा करने से शनि के साढ़े साती के प्रभाव से बचा जा सकता है और आपको जीवन में खूब सफलता भी प्राप्त होगी।

आर्थिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए

ज्येष्ठ अमावस्या पर शनि जयंती भी पड़ रही है। ऐसे में, इस दिन पीपल वृक्ष पर जल चढ़ाएं। इसके बाद, तिल के तेल का दीपक जलाएं और शनि स्तुति करें। ऐसा करने से शनि के अशुभ प्रभाव से बचा जा सकता है और यदि आप आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हैं तो आपको इससे राहत मिलेगी।

पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए 

ज्येष्ठ अमावस्या तिथि पर केसर डालकर खीर बनाए और माता लक्ष्मी व भगवान विष्णु को इसका भोग लगाएं और इसके बाद प्रसाद के रूप में सबको बांटे। साथ ही, इस दिन पितरों के नाम का ब्राह्मणों को भोजन कराएं। ऐसा करने से माता लक्ष्मी की विशेष कृपा बनी रहेगी और यदि आप पितृ दोष से पीड़ित हैं तो उससे भी छुटकारा मिल जाता है। साथ ही, धन-धान्य की कभी भी कमी नहीं होती है।

 कालसर्प दोष दूर करने के लिए

ज्योतिष के अनुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन बहते हुए पानी में नारियल बहाना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से कालसर्प दोष दूर होता है और व्यक्ति के हर काम आसानी से बनने लगते हैं।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. ज्येष्ठ मास की अमावस्या कब है?

उत्तर 1. साल 2024 में ज्येष्ठ माह की अमावस्या 06 जून 2024 गुरुवार के दिन पड़ रही है।

प्रश्न 2. अमावस्या के दिन घर में क्या करना चाहिए?

उत्तर 2. माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए सुबह पीपल के पेड़ में जल अर्पित करें।

प्रश्न 3. अमावस्या के दिन पितरों को कैसे खुश करें?

उत्तर 3. अमावस्या के दिन प्रात: काल स्नान के बाद पितरों का स्मरण करें और उनका तर्पण करने से पितृ प्रसन्न होते हैं।

प्रश्न 4. पितरों के लिए कौन सा दीपक लगाना चाहिए?

उत्तर 4. अमावस्या पर पितरों के लिए घी का दीपक जलाना चाहिए।

साल में दो बार मनाई जाती है शनि जयंती- नोट कर लें वैशाख माह की शनि जयंती की सही तिथि और मुहूर्त!

हिंदू धर्म में शनि जयंती के पर्व का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन शनि देव की विधिवत पूजा करते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि शनि जयंती वर्ष में दो बार मनाई जाती है एक वैशाख के महीने में और एक ज्येष्ठ के महीने में। अपने इस खास ब्लॉग में हम जानेंगे इस वर्ष शनि जयंती किस दिन मनाई जा रही है, इस दिन क्या कुछ काम भूल से भी नहीं करने चाहिए, राशि अनुसार क्या उपाय करके आप शनिदेव की प्रसन्नता हासिल कर सकते हैं, साथ ही जानें शनि जयंती से जुड़ी कुछ बेहद ही दिलचस्प और रोचक बातों की भी जानकारी। 

शनि जयंती 2024 कब है?  

जैसा कि हमने पहले भी बताया कि शनि जयंती वर्ष में दो बार मनाई जाती है। कुछ जगहों पर शनि जयंती वैशाख अमावस्या के दिन मनाई जाती है और कुछ जगहों पर शनि जयंती ज्येष्ठ महीने की अमावस्या को मनाई जाती है। इस साल वैशाख अमावस्या 8 मई को है और ज्येष्ठ अमावस्या 6 जून को है। ऐसे में इन दोनों ही दिनों पर अलग-अलग जगहों पर शनि जयंती मनाई जाएगी।

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शनि जयंती महत्व 

शास्त्रों के अनुसार शनि जयंती के पर्व का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन सूर्य पुत्र शनिदेव की जयंती मनाई जाती है। ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को न्याय का देवता कहते हैं अर्थात यह व्यक्ति के उसके कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं। जिन लोगों के कर्म अच्छे होते हैं उन्हें शनिदेव से डरने की बिल्कुल आवश्यकता नहीं होती है बल्कि शनि उनकी मेहनत में चार-चाँद लगाकर उन्हें रंक से राजा बना देते हैं वहीं इसके विपरीत जिन लोगों के कर्म अच्छे नहीं होते हैं उन्हें शनि से हर मायने में डरना चाहिए और ऐसे लोगों पर शनि का प्रकोप निश्चित तौर पर देखने को मिलता है। 

आपकी कुंडली में कैसी है शनि की स्थिति? शनि रिपोर्ट से जानें जवाब

अब आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं शनि के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए किस विधि से शनि जयंती पर शनि देव की पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा बहुत से लोग शनि जयंती के दिन शनि देव के लिए व्रत भी रखते हैं। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि दोष होता है या फिर शनि की स्थिति कमजोर होती है तो विशेष तौर पर ऐसे लोगों को शनि जयंती के दिन व्रत रखना, फिर भगवान शनि के मंदिर जाकर उन्हें सरसों का तेल काला तिल, नीले फूल, शमी के पत्ते चढ़ाने की सलाह दी जाती है। इससे उन्हें निश्चित रूप से शनि के प्रकोप से बचने में राहत मिलती है।

सनातन धर्म में शनि जयंती के पर्व को विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन शनि देव की पूजा करने से शनि की साढ़ेसाती, शनि की ढैया के दुष्प्रभाव से व्यक्ति को छुटकारा मिलता है। इसके साथ ही शनिदेव की पूजा करने से व्यक्ति को कारोबार और नौकरी में तरक्की और सफलता भी प्राप्त होती है।

शनि देव जयंती 2024: शुभ मुहूर्त 

सबसे पहले बात कर लें शुभ शुभ मुहूर्त की तो इस साल वैशाख अमावस्या 7 मई 2024 को सुबह 11:40 से प्रारंभ हो जाएगी और इसका समापन 8 मई को सुबह 8:40 पर होगा। यही वजह है कि शनि जयंती 8 मई को मनाई जा रही है। शनि पूजा करने के लिए समय की बात करें तो यह शाम के 5 से 7 बजे तक रहने वाला है। 

वहीं ज्येष्ठ माह की शनि जयंती अर्थात 6 जून की शनि जयंती की बात करें तो इसका मुहूर्त अलग होगा। जून महीने की अमावस्या 5 जून 2024 को 7:54 से प्रारंभ हो जाएगी और इसका समापन 6 जून को 6:07 पर होगा।

शनि जयंती कथा 

सूर्य देव का विवाह राजा दक्ष की पुत्री संज्ञा के साथ हुआ था। सूर्य देव की तीन संताने हैं मनु, यमराज और यमुना। पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि एक बार संज्ञा ने अपने पिता दक्ष से सूर्य के तेज से होने वाली दिक्कत के बारे में जिक्र किया। तब राजा दक्ष ने अपनी पुत्री की बात पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि तुम अब सूर्य देव की अर्धांगिनी हो। पिता के ऐसा कहने पर संज्ञा ने अपने तपोबल से अपनी छाया को प्रकट किया और इनका नाम सवर्णा रखा। 

आगे चलकर सूर्य देव की पत्नी संज्ञा की छाया के गर्भ से शनि देव का जन्म हुआ। शनि देव का वर्ण बेहद ही श्याम था। जब सूर्य देव को इस बात का पता चला कि सवर्णा उनकी अर्धांगिनी नहीं हैं तो सूर्य देव ने शनि देव को अपना पुत्र मानने से इनकार कर दिया। इससे शनि देव कुपित हो गए और उनकी दृष्टि सूर्य देव पर पड़ी जिसकी वजह से सूर्य देव काले पड़ गए और पूरे ही संसार में अंधकार छाने लगा। परेशान होकर सूर्य देवता भगवान शिव के पास गए। तब भगवान शिव ने उन्हें छाया से क्षमा मांगने को कहा तब सूर्य देव ने छाया से क्षमा मांगी और तब जाकर वे शनि के क्रोध से मुक्त हुए।

शनि जयंती सही पूजन विधि 

पूजन विधि की बात करें तो, 

  • शनि जयंती के दिन सुबह स्नान करने के बाद शनि मंदिर जाएं और शनि देव को सरसों के तेल अर्पित करें। 
  • इस दिन शनि देव को काले रंग के वस्त्र अर्पित करें। 
  • इसके बाद उन्हें काला तिल, उड़द दाल और लोहा चढ़ाएँ।
  • हो सके तो गरीब लोगों को जूता, छाता या फिर कपड़े का भी दान कर सकते हैं। 

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शनि जयंती के दिन भूल से भी ना करें ये गलतियाँ 

  • शनिदेव की पूजा में कभी भी तांबे का बर्तन उपयोग न करें। तांबे का संबंध दरअसल सूर्य से जोड़कर देखा जाता है और सूर्य और शनि के बीच शत्रुता का संबंध है। यूं तो दोनों पिता पुत्र हैं लेकिन आपस में शत्रु हैं इसीलिए उनकी पूजा में कभी भी तांबे का बर्तन उपयोग न करें। 
  • शनि देव की कुदृष्टि से बचाना है तो कभी भी उनकी मूर्ति के ठीक सामने खड़े होकर और उनकी आंखों में आंखें डाल कर ना देखें। शनिदेव की पूजा करते समय अपना मुख हमेशा पश्चिम दिशा में रखें। 
  • शनि जयंती के दिन नमक, लोहा, तेल ना खरीदें। अगर आपको दान करना भी है तो एक दिन पहले इसे खरीद कर घर पर रख लें। 
  • शनि जयंती के दिन शनि से संबंधित कोई भी चीज खरीद कर घर ना लाएं अन्यथा इससे मुसीबतें जीवन में आने लगती हैं। 
  • शनि जयंती के दिन गलती से भी किसी पशु पक्षी को परेशान ना करें। 
  • शनि जयंती के दिन मांसाहारी भोजन न करें, नशा ना करें, अन्यथा इससे शनि देव नाराज हो जाते हैं। 
  • शनि जयंती के दिन भूल से भी गरीब, असहाय लोगों को परेशान ना करें। शनि देव को गरीबों का रक्षक कहा जाता है इसलिए विशेष तौर पर इन्हें परेशान करने से बचें। 

शनि जयंती का धार्मिक महत्व 

शनि जयंती का पर्व बेहद ही खास महत्व रखता है। शनिदेव भगवान शिव के परम भक्त कहे जाते हैं। उन्हें सेवा और व्यापार जैसे काम का स्वामी भी माना जाता है। कहते हैं कि जहां भी शनिदेव सीधी दृष्टि डालते हैं वहां उथल-पुथल मच जाती है। बताया जाता है कि एक बार जब रावण ने भगवान शनि को कैद कर लिया था तब हनुमान जी ने उन्हें छुड़ाया था। तब शनिदेव ने प्रसन्न होकर कहा था कि जो भी बजरंगबली की पूजा भक्ति भाव से करेगा उन पर कभी भी शनि दोष नहीं आएगा। साथ ही ऐसे जातकों पर शनि देव का आशीर्वाद हमेशा बना रहेगा।

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शनि जयंती पर राशि अनुसार करें ये ज्योतिषीय उपाय 

मेष राशि: मेष राशि के जातक शनि जयंती के दिन सरसों के तेल या फिर काले तिल का दान करें।

वृषभ राशि: शनि जयंती के दिन वृषभ राशि के जातक गरीब और जरूरतमंद लोगों को काले कंबल का दान करें। 

मिथुन राशि: शनि जयंती के दिन बड़े बुजुर्गों को प्रणाम करें, उन्हें कुछ उपहार अवश्य दें। इसके अलावा शनि मंदिर जाकर शनि देव से संबंधित चीजों का दान करें। 

कर्क राशि: कर्क राशि के जातक शनि जयंती के दिन गरीबों को काला तिल, उड़द, सरसों के तेल, वस्त्र का दान करें। 

सिंह राशि: सिंह राशि के जातक शनि जयंती के दिन हनुमान जी की पूजा करें उसके बाद शनि देव की पूजा करें और छाया दान करें।

कन्या राशि: कन्या राशि के जातक शनि जयंती के दिन शनि मंदिर जाकर पूजा पाठ करें और शनि मंत्र का जाप करें। 

तुला राशि: तुला राशि के जातक शनि जयंती के दिन शनि देव की पूजा करें। इसके बाद काले या फिर नीले वस्त्र, तिल, कंबल आदि का जरूरतमंद लोगों को दान करें। 

वृश्चिक राशि: शनि जयंती के दिन भगवान हनुमान की पूजा करें। पूजा के बाद काले कुत्ते की सेवा करें। 

धनु राशि: धनु राशि के जातक शनि जयंती के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करें और सरसों के तेल का दीपक जलाएं। 

मकर और कुंभ राशि: मकर और कुंभ राशि के जातकों के स्वामी ग्रह स्वयं शनि है। ऐसे में शनि जयंती के दिन विधिवत पूर्वक पूजा करने के बाद शनि की प्रिय वस्तुओं का जरूरतमंद लोगों को दान करें।

मीन राशि: मीन राशि के जातक शनि जयंती के दिन पीले वस्त्र, हल्दी, केसर का दान करें और हो सके तो विष्णु चालीसा का जाप करें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न: शनि जयंती 2024 में कब है?

उत्तर: 2024 में शनि जयंती वैशाख माह में 8 मई को है और ज्येष्ठ माह की शनि जयंती 6 जून को है।

प्रश्न: 2024 में शनि देव को कैसे प्रसन्न करें?

उत्तर: प्रदोष व्रत के दिन नियम से शाम के समय शनि देव की पूजा करें और उनका आशीर्वाद पाने के लिए सरसों के तेल का दीपक जलाकर पीपल के पेड़ के नीचे रख दें।

प्रश्न: शनि जयंती के दिन क्या करें?

उत्तर: शनि जयंती के दिन शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और फिर विधिपूर्वक शनिदेव की पूजा करें, उनके मंदिर जाकर सरसों के तेल अर्पित करें।

प्रश्न: शनि जयंती पर कौन से रंग के कपड़े पहनें? 

उत्तर: शनि देव का प्रिय रंग काला माना जाता है। ऐसे में आप चाहे तो शनि जयंती के दिन काले रंग के वस्त्र धारण कर सकते हैं इससे शनि देव अवश्य प्रसन्न होंगे।

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इन ग्रहों की वजह से शादी में आती है रुकावट, जल्द कर लें उपाय, कहीं हो न जाए देर!

हर माता-पिता की इच्छा होती है कि उनके बच्चों की शादी सही जगह और सही समय पर हो जाए। इस बात की चिंता उन्हें हर बार सताती रहती है। यह चिंता तब बढ़ जाती है जब लड़का लड़की शादी के योग्य हो जाते हैं और शादी में कई प्रकार की बाधाएं आने लगती है। शादी में देरी होने की कई वजहें हो सकती हैं। कई बार आपकी शादी विवाह की बात बनते-बनते बिगड़ जाती है, तो कई बार बात आगे ही नहीं बढ़ पाती है। इन वजहों के उसके सही कारणों का पता लगाना हर किसी के लिए मुश्किल हो जाता है। ज्योतिष के अनुसार, शादी में देरी होने के अन्य समस्या के अलावा, कुछ ग्रह दोष भी कारण हो सकते हैं। 

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कुंडली में कई ऐसे ग्रह मौजूद होते हैं जो शादी विवाह के मामलों में बाधा पैदा करने लगते हैं। जो ग्रह शादी में देरी का कारण बनते हैं उनकी पहचान कुंडली देखकर की जा सकती है। लेकिन यदि आप इन ग्रहों के बारे में ठीक से जानकारी ले लेते हैं और कुछ आसान ज्योतिष उपायों को अपनाते हैं तो आप विवाह में आने वाली समस्या से निपट सकते हैं। तो चलिए इसी क्रम में आगे बढ़ते हैं और जानते हैं उन ग्रहों के बारे में जो विवाह में समस्याएं पैदा करते हैं और साथ ही, इन समस्याओं से लड़ने के उपायों स के बारे में भी जानेंगे।

शादी में रुकावट के पीछे ये है बड़ा कारण

कुंडली के ये भाव पैदा कर सकते हैं रुकावट

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब कुंडली में सातवें भाव की दशा या फिर अन्तर्दशा, सातवें भाव में स्थित ग्रहों की दशा या अंतर्दशा या सातवें भाव को देखने वाले ग्रहों की दशा या अंतर्दशा हो या छठे भाव से संबंधित कोई दशा या अंतर्दशा चल रही हो तभी शादी विवाह में देरी होती है। ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में छठा तथा दसवां भाव विवाह में रुकावटें पैदा कर सकता है। शनि सातवें भाव में हो तब भी शादी विवाह में देरी हो सकती है।

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इन ग्रहों की युति से भी विवाह में होता है विलंब 

वहीं, यदि मंगल, राहु और केतु यदि सातवें भाव में हो तो भी शादी विवाह में देरी हो सकती है। शनि, मंगल, शनि राहु, मंगल राहु, या शनि सूर्य, सूर्य मंगल, सूर्य राहु की युति सातवें भाव या आठवें भाव में हो तो भी विवाह में अड़चन आ सकती है। 

मांगलिक होना भी है कारण

विवाह में देरी होने का एक बड़ा महत्वपूर्ण कारण कुंडली में मांगलिक होना भी है। जो लोग मांगलिक होते हैं उन लोगों के विवाह के योग काफी उम्र में बनते हैं। सातवें और बारहवें भाव में गुरु या शुभ ग्रह योग कारक न हो और चंद्रमा कमज़ोर हो तो विवाह में बाधाएं आ सकती है।

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कुंडली के इस भाग में होता है विवाह का योग

सातवें भाव विवाह का कारक होता है इस पर शुभ ग्रहों तथा देवगुरु बृहस्पति व शुक्र की दृष्टि हो तो शादी के योग जल्दी बनते हैं। गुरु सातवें भाव में हो तो शादी 25 की उम्र तक हो जाती है। लेकिन यदि गुरु पर सूर्य या मंगल का प्रभाव हो तो शादी में एक साल या डेढ़ साल देरी हो सकती है और यदि कुंडली में राहु या शनि का प्रभाव हो तो 2 से 3 साल तक देरी का सामना करना पड़ सकता है।

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शादी में आ रही रुकावटें को दूर करने के आसान उपाय

यदि आप विवाह में देरी या किसी प्रकार की रुकावटों का सामना कर रहे हैं तो आपको नीचे दिए गए उपायों को जरूर करना चाहिए।

पारद शिवलिंग की करें पूजा

यदि आपके विवाह में लंबे समय से देरी हो रही है और बात होते-होती बिगड़ जाती है तो आपको पारद शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा, आपको भगवान गणेश की पूजा नियमित रूप से करनी चाहिए। इसके साथ ही जल्द विवाह के लिए भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की गुरुवार के दिन विधि-विधान से पूजा करके खीर का भोग लगाना चाहिए।

माता पार्वती को चढ़ाएं सुहाग का सामान

विवाह में बाधाएं उत्पन्न करने वाले ग्रह गुरु, शनि और मंगल के लिए अवश्य उपाय करना चाहिए।  ऐसे जातकों को सावन के हर सोमवार का व्रत रखना चाहिए और भगवान शिवजी के साथ ही माता पार्वती की भी पूजा करनी चाहिए। साथ ही, माता पार्वती को सुहाग का सामान चढ़ाना चाहिए इससे विवाह से जुड़ी बाधाएं दूर हो सकती हैं।

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मांगलिक दोष के लिए उपाय

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में मांगलिक दोष लगने पर विवाह में बाधा आती है। ज्योतिष के अनुसार, मांगलिक जातक को मांगलिक जातक से ही शादी करनी चाहिए। अन्यथा जीवन में कई प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इसके लिए उपायों को अपनाना बहुत जरूरी है। मंगल के प्रभाव को खत्म करने के लिए मंगलवार के दिन व्रत करें। वहीं, हनुमान मंदिर जाकर बजरंगबली को लड्डू का भोग लगाएं। साथ ही, भगवान हनुमान को नारंगी सिंदूर अर्पित करें। ऐसा करने से मंगल दोष का प्रभाव कम हो सकता है।

गुरुवार का व्रत रखें

ज्योतिष में, देवगुरु बृहस्पति को विवाह का कारक माना जाता है और यदि कुंडली में गुरु कमज़ोर स्थिति में मौजूद हों तो जातक को विवाह से संबंधित समस्याओं के सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में, गुरु की स्थिति में सुधार लाने के लिए गुरुवार के दिन पीले कपड़े पहनकर भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। साथ ही, आपको पीले चीज़ों का जैसे- चने की दाल, केला, हल्दी और केसर का सेवन करना आपके लिए भी लाभप्रद होता है। अगर संभव हो तो आप 11 या 21 गुरुवार का व्रत भी कर सकते हैं। ऐसा करना आपके लिए फलदायी साबित होगी।

गुप्त दान करें

यदि आपकी शादी में बाधा आ रही है, तो अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार विवाह में गुप्त दान करें। इस उपाय को करने से विवाह में आ रही बाधाएं दूर होंगी। ज्योतिष के अनुसार, विवाह में गुप्त दान करने से राहु की स्थिति मजबूत होती है।

शिवलिंग पर काले तिल चढ़ाएं

माना जाता है कि शनि की अशुभ स्थिति से भी विवाह में रुकावट आती है। शनि के कारण आने वाली बाधा को दूर करने के लिए हर शनिवार के दिन आप शिवलिंग पर काले तिल अर्पित करें। ऐसा करना बेहद लाभकारी माना जाता है। इसके अलावा, शनिवार को काले कपड़े में साबुत उड़द, लोहा, काला तिल और साबुन बांधकर दान करने से भी लाभ मिलता है।

बेडरूम में राधा कृष्ण की फोटो लगाएं

ज्योतिषियों की मानें तो यदि आपकी शादी की बात बनते-बनते बिगड़ जा रही है तो अपने बेडरूम में राधा कृष्ण जी की तस्वीर लगाएं। इस बात का ध्यान दें कि राधा कृष्ण जी की तस्वीर पूर्व या उत्तर दिशा में ही लगाएं तभी इसका फल प्राप्त होगा।

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. कौन सा ग्रह अचानक विवाह देता है?

उत्तर 1. बुध शीघ्र ही शादी करवाता है। सातवें घर में बुध हो तो शादी जल्दी होने के योग होते हैं।

प्रश्न 2. देर से विवाह के लिए कौन सा ग्रह जिम्मेदार है?

उत्तर 2. विवाह में विलंब के लिए मंगल, बृहस्पति, शनि ग्रह जिम्मेदार होते हैं।

प्रश्न 3. विवाह के योग कब बनते हैं?

उत्तर 3. शादी के योग 20 वें वर्ष से बनने लगते हैं। हालांकि, बुध पर किसी अशुभ ग्रह की दृष्टि न हो।

प्रश्न 4. कौन सा घर विवाह का संकेत देता है?

उत्तर 4.  कुंडली में सातवां भाव विवाह और साझेदारी का प्रतिनिधित्व करता है।0

कुंडली में कब और कैसे बनता है पातक कालसर्प दोष? इन उपायों से दूर होता है ये अशुभ योग

ज्योतिष शास्त्र में अनेक ऐसे योगों और दोषों का वर्णन मिलता है जिन्हें मनुष्य जीवन के लिए अशुभ माना जाता है और इन्हीं में से एक है पातक काल सर्प दोष। इस दोष की गिनती सबसे अशुभ दोषों में होती है क्योंकि इसे बहुत ही कष्टकारी कहा जाता है। आपको बता दें कि कालसर्प दोष कई प्रकार के होते हैं और उनमें से एक होता है पातक काल सर्प दोष। एस्ट्रोसेज का यह ब्लॉग आपको कुंडली में निर्मित होने वाले पातक काल सर्प दोष के बारे में समस्त जानकारी प्रदान करेगा। साथ ही जानेंगे, कुंडली में कब बनता है यह योग और इस दोष से उत्पन्न होने वाले अशुभ प्रभावों से मुक्ति पाने के लिए किन उपायों को करना चाहिए? तो आइए शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की। 

भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके

ऐसी मान्यता है कि अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में काल सर्प दोष मौजूद होता है, तो उस इंसान को अपने जीवन काल में अनेक समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। यह दोष मनुष्य को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रभावित करता है। ज्योतिष के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में आ जाते हैं, उस समय काल सर्प दोष निर्मित होता है। 

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कैसे बनता है कुंडली में पातक कालसर्प दोष?

कुंडली में बनने वाला पातक कालसर्प योग भी काल सर्प दोष का एक प्रकार माना जाता है। यह उस समय बनता है जब दसवें भाव में राहु तथा चौथे भाव में केतु विराजमान होते हैं और इन दोनों ग्रहों के बीच में सभी ग्रह आ जाते हैं। बता दें कि कालसर्प योग कुल 12 तरह के होते हैं और इसमें यह दसवें स्थान पर आता है। कुंडली में बनने वाले इस अशुभ दोष के नाम से ही व्यक्ति घबरा जाता है और ऐसे में, मनुष्य को जीवन भर तमाम दुख और कष्ट भोगने पड़ते हैं। 

कुंडली में राजयोग कबसे? राजयोग रिपोर्ट से जानें जवाब

पातक कालसर्प दोष का जीवन पर प्रभाव 

  • जिन जातकों की कुंडली में पातक कालसर्प दोष होता है, उन्हें अपने पिता की संपत्ति पाने के लिए अपने भाइयों के साथ संघर्ष से जूझना पड़ता है। 
  • चाहे नौकरी हो या व्यवसाय, इन लोगों को हर क्षेत्र में समस्याओं का सामना करना पड़ता है।  पातक कालसर्प दोष से मनुष्य की आर्थिक स्थिति कमज़ोर रहती है इसलिए उन्हें दूसरों से धन उधार लेने और छोटे से छोटे काम को संपन्न करने के लिए दूसरों की सहायता या अहसान लेने की आवश्यकता होती है। ऐसे में, यह हमेशा जीवन भर कर्ज तले दबे रहते हैं।
  • कुंडली में पातक काल सर्प दोष होने पर व्यक्ति को नींद में बार-बार अपने शरीर पर सांप रेंगते हुए नज़र आते हैं या फिर स्वयं को सांप का डसना दिखाई देता है।
  • जिन लोगों पर पातक काल सर्प दोष का प्रभाव होता है, उन्हें अपने सपनों में अधिकतर मृत लोग दिखाई देते हैं। 
  • इस दोष से पीड़ित जातक अपने जीवन में आर्थिक और शारीरिक समस्याओं से परेशान रहते हैं। 

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इन उपायों को करने से दूर होगा पातक कालसर्प दोष

  • कुंडली में कालसर्प दोष होने पर नियमित रूप से शिव पूजा करना फलदायी रहता है। ऐसा करने से जीवन में आने वाली समस्याएं दूर होती हैं।
  • सोमवार, प्रदोष, शिवरात्रि, सावन माह या फिर किसी भी शिव वास के दिन रुद्राभिषेक करने से नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं। 
  • शनिवार या मंगलवार या फिर संभव हो, तो दोनों ही दिन सुंदरकांड का पाठ करें।
  • प्रतिदिन स्नानादि के पश्चात महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। ऐसा करने से पातक काल सर्प दोष का प्रभाव कम होता है।
  • ऐसे जातक को नियमित रूप से अपने कुलदेवता की उपासना करनी चाहिए। 
  • प्रतिदिन महामृत्युंजय मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करना फलदायी रहता है। 
  • पातक कालसर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति को घर में मोरपंख रखना फलदायी साबित होता है। 
  • जिन लोगों की कुंडली में पातक कालसर्प दोष होता है, उस व्यक्ति के लिए त्र्यंबकेश्वर और महाकालेश्वर मंदिर में पूजा करना श्रेष्ठ रहता है। इन दोनों स्थानों को पातक कालसर्प दोष निवारण के लिए सर्वोत्तम होता है।  

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. कालसर्प दोष के लक्षण क्या है?

उत्तर 1. कालसर्प दोष होने पर व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान रहता है।

प्रश्न 2. कालसर्प दोष कितने समय तक रहता है?

उत्तर 2. यह दोष लगभग 47 वर्षों तक व्यक्ति को प्रभावित करता है। 

प्रश्न 3. कालसर्प दोष की पूजा कब करनी चाहिए?

उत्तर 3. नागपंचमी का दिन कालसर्प दोष निवारण पूजा के लिए श्रेष्ठ रहता है।

  

बृहस्‍पति के उदय होते ही, इन राशियों को मिलेगा प्‍यार, पति-पत्‍नी बनेंगे मिसाल

03 जून को बृहस्‍पति 03 बजकर 21 मिनट पर वृषभ राशि में उदित होने जा रहे हैं। बृहस्‍पति के उदित होने पर सभी राशियों के जीवन के सभी पहलू प्रभावित होंगे और इसका गहरा असर लोगों के प्रेम जीवन पर भी देखने को मिलेगा।

इस ब्‍लॉग में हम आपको बता रहे हैं कि गुरु के उदित होने से किन राशियों के जातकों को अपने प्रेम जीवन में सकारात्‍मक परिणाम मिलने की संभावना है। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि गुरु के उदित होने से किन राशियों के जीवन में प्‍यार का आगमन होगा।

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मेष राशि 

मेष राशि के नवम और बारहवें घर के स्वामी बृहस्‍पति हैं और अब वह आपके दूसरे घर में उदित होने जा रहे हैं। प्रेम जीवन की बात करें, तो आपको अपने पार्टनर के साथ आनंदमय समय बिताने का मौका मिलेगा। आप अपने रिश्‍ते में अपने जीवनसाथी के साथ खुश रहेंगे।

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कर्क राशि 

कर्क राशि के छठे और नवम भाव के स्वामी बृहस्‍पति हैं और अब वह आपके ग्यारहवें घर में उदित होने जा रहे हैं। आपका अपने पार्टनर के साथ अच्‍छा तालमेल रहने वाला है। आप अपने रिश्‍ते को पूरी ईमानदारी के साथ निभाएंगे।

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कन्या राशि 

कन्या राशि के चौथे और सातवें भाव के स्वामी बृहस्‍पति हैं और अब वह आपके नवम भाव में उदित होने जा रहे हैं। इस दौरान कन्‍या राशि के लोगों के प्रयास सफल होंगे। आपको मुश्किल वक्‍त में या ज़रूरत के समय अपने पार्टनर का सहयोग प्राप्‍त होगा। इससे आप काफी खुश रहने वाले हैं।

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वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के दूसरे और पांचवें घर के स्वामी बृहस्‍पति हैं और आपके सप्तम भाव में अब गुरु उदित होने जा रहे हैं। इस दौरान आपके नए दोस्‍त बनेंगे। प्‍यार के मामले में आप अपने जीवनसाथी के साथ अच्‍छे मूल्‍य स्‍थापित करेंगे और आप दोनों के बीच सद्भाव रहेगा।

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प्रेम जीवन पर बृहस्‍पति का प्रभाव

  • प्रेम संबंधों पर गुरु का प्रभाव खुशहाल और अच्‍छे संबंध को दर्शाता है। अगर आपकी कुंडली में गुरु शुभ स्‍थान में बैठा हो, तो जातक का वैवाहिक जीवन खुशहाल रहता है।
  • शुभ ग्रहों के साथ होने पर और शुभ भाव में होने पर बुध वैवाहिक जीवन में अनुकूल परिस्थितियां उत्‍पन्‍न करता है।
  • स्‍त्री की कुंडली में गुरु शुभ स्‍थान में होने पर शादीशुदा जिंदगी में सकारात्‍मकता और संतुलन लेकर आता है।
  • अशुभ ग्रहों के साथ युति होने पर और कमज़ोर, वक्री या अशुभ भाव में होने पर गुरु वैवाहिक संबंध में अलगाव और तलाक की स्थिति उत्‍पन्‍न कर सकता है।

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बृहस्‍पति का प्रेम जीवन पर क्‍या असर पड़ेगा: कैसे जानें

बृहस्‍पति आपके रिश्‍ते के लिए अनुकूल है या नहीं, यह जानने के लिए नीचे दिए गए कुछ प्रमुख कारकों पर विचार किया जाता है:

सप्‍तम भाव में बृहस्‍पति: ज्‍योतिष में सातवें भाव का संबंध साझेदारी और विवाह से है। अगर इस भाव में गुरु हो, तो यह रिश्‍ते में सकारात्‍मक ऊर्जा का संकेत देता है। गुरु की यह स्थिति शांति, उन्‍नति और सफल रिश्‍ते की ओर संकेत करती है।

बृहस्‍पति पर अन्‍य ग्रहों की दृष्टि: बृहस्‍पति पर शुभ ग्रहों की दृष्टि से प्रेम जीवन पर सकारात्‍मक प्रभाव पड़ता है।

गोचर: कुंडली में बृहस्‍पति के गोचर पर ध्‍यान देना भी आवश्‍यक है। किसी राशि में गुरु के गोचर करने से विस्‍तार और अवसर मिलने की संभावना बढ़ जाती है जो कि प्रेम और रिश्‍ते के लिए अच्‍छा साबित होता है।

सातवें भाव में बृहस्‍पति का प्रभाव

कुंडली का सातवां भाव विवाह का कारक होता है। इस भाव में गुरु के शुभ स्थिति में होने पर जातक का अपने जीवनसाथी के साथ मज़बूत रिश्‍ता बनता है और वह अपने पार्टनर के प्रति ईमानदार रहते हैं। इनकी अध्‍यात्‍म की ओर रुचि रहती है और ये अपने कार्यों के प्रति बहुत ज्‍यादा ईमानदार होते हैं।

वहीं, अगर गुरु सातवें भाव में अशुभ फल दे रहा है, तो इससे वैवाहिक जीवन में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और व्‍यक्‍ति की अपने पार्टनर के साथ अनबन रहती है। इनका प्रेम संबंध ज्‍यादा लंबे समय तक नहीं चल पाता है।

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प्रियंका चोपड़ा की कुंडली में गुरु सातवें भाव में है

प्रियंका चोपड़ा की कुंडली में गुरु सप्‍तम भाव में विराजमान हैं। सप्‍तम भाव विवाह का है। इससे उन्‍हें खूब लोकप्रियता हासिल हुई है। उन्‍हें खूब पैसा, नाम और शोहरत मिली है। इसके अलावा वह अपने रिश्‍ते को लेकर काफी उदार हैं और अपने पार्टनर के प्रति समर्पित और ईमानदार हैं।

अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

प्रश्‍न. बृहस्‍पति ग्रह कब उदय हो रहा है?

उत्तर. 03 जून, 2024 को बृहस्‍पति वृषभ राशि में उदित होंगे।

प्रश्‍न. बृहस्‍पति किस भाव में भाग्‍यशाली हैं?

उत्तर.पहले, दूसरे, पांचवे और सातवें।

प्रश्‍न. बृहस्‍पति कहां उच्‍च का है?

उत्तर. कर्क इसकी उच्‍च राशि है।

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