मई माह में अद्भुत संयोग : चंद्र ग्रहण सहित 6 ग्रहों का गोचर, जानें देश-दुनिया पर इसका प्रभाव

अप्रैल का महीना अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है। ऐसे में आने वाले महीने को लेकर मन में उत्सुकता का बढ़ना स्वाभाविक है कि अगला महीना हमारे और आपके लिए क्या कुछ नया लेकर आने वाला है। ऐसे में हमारे विद्वान ज्योतिषी आचार्य डॉ० सुनील बरमोला अपनी ज्योतिषीय गणनाओं के माध्यम से मई महीने में घटने वाली विशेष घटनाओं के बारे में जानकारी दे रहे हैं।

मई 2021 की एक झलक

ज्योतिष शास्त्र ये मानता है कि आप और हम जो कुछ भी करते हैं वह सब ग्रहों के स्थिति और गोचर पर निर्भर करता है। ग्रहों का गोचर न सिर्फ मनुष्य बल्कि देश-दुनिया और सभी जीवों को प्रभावित करता है। यही वजह है कि ग्रहों के गोचर की घटना को ज्योतिष शास्त्र में बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसे में साल 2021 का मई महीना ज्योतिष शास्त्र के लिहाज से काफी रोचक रहने वाला है। ऐसा इसलिए क्योंकि मई में एक चन्द्र ग्रहण के अलावा 6 ग्रहों का गोचर होने वाला है। 

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इन 6 ग्रहों में से तीन बेहद महत्वपूर्ण ग्रह यानी कि सूर्य, बुध और शुक्र भी इस महीने अपना स्थान परिवर्तन करने वाले हैं। वहीं बुध और शुक्र मई के महीने में दो बार अपनी राशि परिवर्तन करेंगे। जबकि 23 मई को न्याय के देवता माने जाने वाले भगवान शनि वक्री चाल से मकर राशि में चलना प्रारम्भ करने वाले हैं। जब कि मई महीने में होने वाला चंद्र ग्रहण वृश्चिक राशि में पड़ने वाला है। जाहीर है कि इन तमाम गोचरों का आपके जीवन पर शुभ या अशुभ प्रभाव पड़ेगा। ऐसे में आइये जानते हैं कि मई का महीना आपके जीवन में क्या नए बदलाव लेकर आने वाला है।

वृष राशि में बनेगा त्रिग्रही योग

मई के महीने में कई ग्रहों की स्थिति बदल रही है लेकिन सभी राशियों के बीच इन गोचरों की वजह से सबसे रोचक बदलाव वृष राशि में देखने को मिल सकता है। कैसे? हम बताते हैं। दरअसल महीने की शुरुआत में बुध ग्रह वृष राशि में प्रवेश करेंगे और उसके बाद शुक्र ग्रह भी वृष राशि में प्रवेश करेंगे। वहीं मई मध्य यानी कि 14 मई को सूर्य देवता भी वृष राशि में गोचर करने वाले हैं जिसकी वजह से वृष राशि में त्रिग्रही योग बनेगा। ऐसे में मई का महीना वृष राशि के जातकों के जीवन को काफी प्रभावित करने वाला महीना साबित हो सकता है।

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बुध का वृष राशि में गोचर

मई महीने की शुरुआत होते ही यानी कि 01 मई को सुबह 05 बज कर 32 मिनट पर बुध ग्रह मेष राशि को छोड़ कर वृष राशि में प्रवेश करेंगे। बुध की यह स्थिति 26 मई की सुबह 07 बजकर 50 मिनट तक ऐसी ही बनी रहने वाली है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक बुध देवता को संचार, बुद्धि, वाणी, व्यापार और बैंकिंग आदि का कारक ग्रह माना गया है। वैसे तो बुध के इस गोचर का सभी 12 राशियों पर असर होगा लेकिन वृष राशि के जातक इससे खास तौर पर प्रभावित होंगे। कई मायनों में बुध का यह गोचर वृष राशि के जातकों के लिए शुभ फल देने वाला साबित होगा।

शुक्र का वृष राशि में गोचर

बुध ग्रह के गोचर के कुछ दिनों बाद ही यानी कि 04 मई को दोपहर के 01 बजकर 09 मिनट पर शुक्र ग्रह भी वृष राशि में गोचर कर जाएंगे। ज्योतिष शास्त्र में शुक्र को सभी भौतिक सुखों का कारक ग्रह माना गया है। दाम्पत्य और प्रेम जीवन पर भी शुक्र ग्रह का विशेष प्रभाव पड़ता है। चूंकि शुक्र देवता वृष राशि के स्वामी भी माने जाते हैं ऐसे में वृष राशि वाले जातकों के लिए यह गोचर शानदार साबित हो सकता है।

सूर्य का वृष राशि में गोचर

ज्योतिष शास्त्र में सूर्य देवता को सभी ग्रहों का राजा माना जाता है। सूर्य देवता जातक के जीवन में मान, सम्मान, उच्च पद, प्रतिष्ठा आदि का कारक ग्रह माना गया है। वृष राशि में सूर्य का गोचर 14 मई को रात्रि के 11 बज कर 15 मिनट पर होने वाला है। वहीं 15 जून 2021 की सुबह 05 बजकर 49 मिनट तक सूर्य वृष राशि में ही रहने वाले हैं। सूर्य का यह गोचर वृष राशि के जातकों के जीवन में दांपत्य और प्रेम जीवन को प्रभावित करने वाला साबित होगा।

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मई के महीने में और भी हैं गोचर

साल 2021 के मई महीने की 26 तारीख को बुध देवता एक बार फिर अपनी राशि परिवर्तन करेंगे। 26 मई को सुबह 07 बजकर 50 मिनट पर बुध ग्रह वृष राशि को छोड़ कर अपनी स्वामित्व वाले राशि मिथुन में गोचर कर जाएँगे। बुध देवता मिथुन राशि में 03 जून तक रहने वाले हैं। वहीं इसी दौरान 30 मई को बुध देवता मिथुन राशि में ही वक्री हो जाएंगे।

वहीं दूसरी तरफ शुक्र देवता भी मई के महीने में एक बार और अपना स्थान परिवर्तन करेंगे। इस क्रम में 29 मई को रात्रि के 11 बजकर 44 मिनट पर शुक्र देवता वृष राशि को छोड़ कर मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे और उनकी यह स्थिति मिथुन राशि में 22 जून 2021 को दोपहर 02 बजकर 07 मिनट तक जस की तास बनी रहेगी। 

मई महीने में साल 2021 का पहला चंद्र ग्रहण

26 मई को चन्द्र ग्रहण की वजह से काफी ज्यादा उथल-पुथल देखने को मिल सकती है। यह चंद्र ग्रहण हिन्दू पंचांग के अनुसार दोपहर 2 बजकर 17 मिनट पर आरंभ होगा और शाम 7 बजकर 19 मिनट तक रहेगा। ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन का कारक ग्रह माना जाता है और चूंकि चंद्र ग्रहण वृश्चिक राशि में लग रहा है इसलिए इस चंद्र ग्रहण से सबसे ज्यादा प्रभावित भी वृश्चिक राशि के जातक ही होंगे। हालांकि इस ग्रहण का विशेष प्रभाव वृष राशि और कर्क राशि के जातकों पर भी देखने को मिल सकता है।

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मई के महीने में कैसा रहेगा देश-विदेश का हाल

मई के महीने में छह गोचर और इसी महीने के अंतिम चरण में चन्द्र ग्रहण का लगना एक अशुभ संकेत है। आइये इसे कुंडली के माध्यम से समझते हैं। अगर भारतवर्ष की कुंडली के दृष्टिकोण से देखा जाये तो भारत की जन्मकुंडली वृष लग्न और कर्क राशि की बनती है। वर्तमान में भारतवर्ष की कुंडली में चंद्रमा की महादशा चल रही है जबकि मई 2021 तक शनि की अंतर्दशा भी रहेगी। नीचे भारतवर्ष की कुंडली आप देख सकते हैं।

मई के महीने में सभी ग्रहों का यह बदलाव निश्चित रूप से भारत को प्रभावित करेगा। ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह का वक्री होना अशुभ  माना गया है। भारतवर्ष की कुंडली में नौवें घर में शनि ग्रह का वक्री होना और साथ ही इसका ग्यारहवें घर पर पूर्ण दृष्टि रखना भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। इस दौरान दुनिया भर में अर्थव्यवस्था की स्थिति तो बिगड़ेगी ही साथ ही साथ महामारी की समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है। हालांकि इस दौरान सरकार द्वारा लोगों की भलाई के लिए कुछ महत्वपूर्ण फैसले भी लिए जा सकते हैं।

इन गोचरों का आपके जीवन में क्या रहेगा प्रभाव? जानने के लिए हमारे विद्वान ज्योतिषियों से करें बात!

मई महीने की शुरुआत में बुध व शुक्र ग्रह का गोचर और 14 मई को सूर्य का वृष राशि में गोचर की वजह से देश में किसी तरह की कोई उग्रवादी घटना को भी अंजाम दिया जा सकता है। हालांकि इस दौरान भारत के मित्र देश पूरी तरह से उसके साथ खड़े नजर आएंगे। शुक्र के स्वामित्व वाली राशि में सूर्य और शुक्र ग्रह की युति और महीने के अंत में वृश्चिक राशि में चन्द्र ग्रहण के लगने की वजह से देश के किसी नामचीन व प्रतिष्ठित व्यक्ति के मृत्यु होने की की आशंका है। वहीं इस दौरान सत्ता में बैठे लोगों पर इस दौरान किसी तरह का गंभीर आरोप भी लग सकता है जिसका प्रभाव विदेश तक में देखने को मिल सकता है।

न्याय के देवता शनि के मकर राशि में वक्री हो जाने और उसी दौरान चन्द्र ग्रहण के लाग्ने की वजह से देश और दुनिया में आपातकाल जैसी स्थिति पैदा कर सकता है। इस दौरान बाढ़ व भूकंप जैसी स्थिति भी देखने को मिल सकती है। 

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