Guruvar Vrat Katha: महीने के आखिरी गुरुवार व्रत में अवश्य सुनें ये कथा और पाएं भगवान विष्णु का आशीर्वाद

गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन सही विधि और श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु की पूजा करने, गुरुवार व्रत कथा (Guruvar Vrat Katha) सुनने उससे व्यक्ति के जीवन में सुख शांति बनी रहती है और साथ ही तमाम तरह की दुख और परेशानियां दूर होती हैं। तो आइए जानते हैं फरवरी महीने के आखिरी गुरुवार व्रत जो 25 फरवरी को किया जायेगा इसमें क्या कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए और साथ ही जानते हैं इस व्रत की विधि और गुरुवार व्रत कथा। 

यह भी पढ़ें: गुरुवार व्रत विशेष: जानें पूजन विधि और इस व्रत से मिलने वाला फल

गुरुवार पूजन  विधि (Guruvar Puja Vidhi) 

  • इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और भगवान विष्णु की पूजा और व्रत का संकल्प लें। 
  • मुमकिन हो तो इस दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करें। 
  • गुरुवार व्रत और पूजा में विशेष तौर पर पीले रंग का महत्व बताया गया है। ऐसे में इस दिन की पूजा में पीले रंग के फूल, चने की दाल, मुनक्का, पीली रंग की मिठाई और भगवान को पीले रंग के वस्त्र चढ़ाएं। 
  • गुरुवार व्रत (Guruvar Vrat) के दिन केले के पेड़ की पूजा का विधान भी बताया गया है। ऐसे में इस दिन केले के पेड़ पर जल चढ़ाएं। साथ ही जल में चने की दाल और मुनक्का भी अवश्य अर्पित करें। 
  • इसके बाद केले के पेड़ की आरती उतारें। 
  • इस दिन का व्रत रखने वाले लोगों को दिन में एक ही बार भोजन करना चाहिए और साथ ही इस दिन के भोजन में नमक भूल से भी नहीं होना चाहिए। 
  • गुरुवार की पूजा में गुरुवार व्रत कथा (Guruvar Vrat Katha) सुनने और दूसरों को सुनाने का विशेष महत्व बताया गया है। 

यह भी पढ़ें: गुरुवार व्रत दिलाएगा साईं बाबा की कृपा, जानें व्रत की महिमा और पूजन विधि 

तो आइये अब जानते हैं गुरुवार की व्रत कथा (Guruvar Vrat Katha)

गुरुवार व्रत कथा (Guruvar Vrat Katha): बहुत समय पहले की बात है एक प्रतापी और दानी राजा था। राजा प्रत्येक गुरुवार का व्रत (Guruvar Vrat) रखता था और जरूरतमंदों और भूखे लोगों को भोजन भी कराता था। हालांकि राजा की पत्नी को यह सारी बात अच्छी नहीं लगती थी। वह स्वभाव में भी आलसी थी। ऐसे में ना ही वह गुरुवार के दिन व्रत रखती थी और ना ही किसी को दान पुण्य देती थी। 

एक बार जब राजा शिकार करने वन गए इस समय घर पर रानी अपनी दासियों के साथ थी। तब रानी की परीक्षा लेने के लिए बृहस्पति देव (Guru Brihaspati) साधु का रूप धारण कर उनके घर पर भिक्षा मांगने आए। रानी ने जब यह देखा तो उसे बहुत क्रोध आया। ऐसे में रानी ने साधु से कहा, हे साधु महाराज मैं इस दान और पुण्य से बहुत ज्यादा तंग आ गई हूं। कृपया करके आप मुझे कोई ऐसा सरल उपाय बताएं जिससे मेरा यह सारा धन नष्ट हो जाए और उसके बाद में आराम से जी सकूं। 

रानी की बात सुनकर बृहस्पति देव को बड़ा अचरज हुआ। उन्होंने कहा कि कोई धन से भी दुखी होता है क्या। फिर भी रानी ने ज़िद्द ठानी तो साधु बने बृहस्पति देव ने उन्हें कहा कि, तुम गुरुवार के दिन घर को गोबर से लीपना, अपने केश को धोना और स्नान करना, साथ ही राजा से कहना कि वह हजामत अवश्य बनाएं, इस दिन भोजन में विशेष तौर पर मांस मदिरा शामिल करना, ऐसा करने से तुम्हारा धन जल्द ही नष्ट हो जाएगा। 

यह भी पढ़ें: जीवन में प्रबल सफलता प्राप्त करने के लिए गुरुवार के दिन अवश्य करें ये विशेष उपाय

साधु की कही बात मानकर रानी ने अगले बृहस्पतिवार से यह सब करना शुरू कर दिया। ऐसा करते हुए रानी को केवल तीन गुरुवार ही बीते थे कि, उसकी सारी धन संपत्ति नष्ट हो गई। अब भोजन और तमाम सुख-सुविधाओं के लिए परिवार तरसने लगा। अपने परिवार को इस तरह से बेचैन देखकर राजा ने कहा कि, रानी तुम यहीं रहो मैं दूसरे देश को जाता हूं क्योंकि यहां पर मुझे सब लोग जानते हैं इसलिए मैं यहां कोई छोटा कार्य नहीं कर सकता। 

ऐसा कहकर राजा बाहर निकल गया। दूसरे देश से आकर वह जंगल से लकड़ी काटता और उसे बेचकर जैसे तैसे करके अपना जीवन व्यतीत करने लगा। इधर सुख-सुविधा, भोजन और राजा के बिना रानी भी व्याकुल और परेशान रहने लगी। एक दिन रानी ने अपनी दासियों से कहा कि, पास ही नगर में मेरी बहन रहती है। कृपया करके तुम उसके पास जाओ और खाने का कुछ ले आओ ताकि थोड़ा बहुत गुजर बसर हो जाए। 

दासी जब रानी की बहन के पास गई तो उस समय रानी की बहन गुरुवार व्रत की कथा (Guruvar Vrat Katha) सुन रही थी। दासी ने अपनी रानी का सारा संदेश उनकी बहन को सुना दिया। हालांकि रानी की बहन ने कोई उत्तर नहीं दिया। व्रत कथा समाप्त होने के बाद रानी की बहन रानी के घर आई और अपनी बहन से कर बोला कि, मैं गुरुवार व्रत की कथा सुन रही थी इसलिए मैंने कुछ बोला नहीं। बताओ तुम क्यों गई थी? 

यह भी पढ़ें: गुरुवार के दिन बरतें ख़ास सावधानी, बचें इन कामों को करने से

तब रानी ने अपना सारा दुखड़ा अपनी बहन को सुना दिया। रानी की बहन ने कहा कि, बृहस्पति देव सबकी मनोकामना पूरी करते हैं। ऐसे में तुम भी गुरुवार का व्रत करो। कथा सुनो। इससे तुम्हारी सभी मनोकामना अवश्य पूरी हो जाएगी। अपनी बहन के कहे अनुसार रानी ने अगले गुरुवार से गुरुवार व्रत (Guruvar Vrat) करना और गुरुवार व्रत कथा (Guruvar Vrat Katha) सुनना शुरू कर दिया। 

देखते ही देखते इस व्रत के प्रभाव से रानी के जीवन में वापस से धन संपत्ति आ गई। अब रानी दान पुण्य भी करने लगी। जरूरतमंद और भूखे लोगों को भोजन कराने लगी। ऐसा करने से रानी का यश बढ़ने लगा। कहा जाता है कि, यह गुरुवार व्रत की कथा सुनने से हर व्यक्ति को रानी की तरह ही शुभ परिणाम अवश्य हासिल होते हैं। ऐसे में यदि आप गुरुवार का व्रत करें तो इस दिन गुरुवार व्रत कथा (Guruvar Vrat Katha)भी अवश्य सुनें और दूसरों को सुनाएं।

इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

Dharma

बजरंग बाण: पाठ करने के नियम, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ

बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में ...

51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके ...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) से पाएँ दुर्गा जी की कृपा

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती ...

12 ज्योतिर्लिंग: शिव को समर्पित हिन्दू आस्था के प्रमुख धार्मिक केन्द्र

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में ...

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

दुर्गा स्तुति, माँ दुर्गा की आराधना के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में दुर्गा जी की पूजा ...

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा.