गुरुवार व्रत दिलाएगा साईं बाबा की कृपा, जानें व्रत की महिमा और पूजन विधि

गुरुवार का दिन साईं बाबा को समर्पित होता है। साईं बाबा और उनकी महिमा में विश्वास रखने वाले लोग गुरुवार के दिन साईं बाबा का व्रत रखते हैं। साईं बाबा कोई भगवान नहीं है लेकिन, उनकी महिमा अपरंपार मानी जाती है। साईं बाबा ने कभी भी जात-पात के आधार पर किसी में कोई भेदभाव नहीं किया और यही वजह है कि, आज की दुनिया में साईं बाबा के लाखों-करोड़ों अनुयाई मौजूद हैं।

कहा जाता है कि, जो कोई भी साईं बाबा को सच्चे मन से याद करता है वह अपने भक्तों के पास अवश्य आते हैं लेकिन, गुरुवार के दिन व्रत रखने वाले जातकों पर साईं बाबा अपनी विशेष के वक्त कृपा बनाए रखते हैं। ऐसे में यदि आप भी गुरुवार के दिन साईं बाबा का व्रत रखना चाहते हैं तो, आइए जानते हैं इस व्रत का महत्व क्या होता है और इसे कैसे किया जाता है।

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साईं व्रत पूजन सामग्री   

व्रत के नियम जानने से पहले आइये जानते हैं कि, साईं व्रत को करने के लिए आपको किन-किन सामग्रियों की आवश्यकता पड़ने वाली है।

धूप, अगरबत्ती, चंदन, पीले पुष्प, पीले कपड़े, साईं बाबा की प्रतिमा, पंचामृत, घी का दीपक, प्रसाद, फल 

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साईं व्रत विधि 

व्रत को किसी भी गुरुवार से शुरू कर सकते हैं। 

  • गुरुवार के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान ध्यान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें। 
  • साईं बाबा की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं। 
  • अब साईं बाबा की आराधना करें तथा व्रत का संकल्प लें। 
  • पूजा के दौरान बाबा के आसन पर कोरा पीला कपड़ा बिछाएं। 
  • अब साईं की प्रतिमा को उनके आसन में स्थापित करें। 
  • प्रतिमा के समक्ष घी का दीपक, धूप एवं अगरबत्ती जलाएं। 
  • साईं बाबा को चंदन या कुमकुम का तिलक लगाएं। 
  • उसके बाद बाबा को पीले पुष्प अर्पित करें। 
  • साईं व्रत कथा का पाठ करें। 
  • साईं चालीसा पढ़ें।
  • अंत में साईं बाबा की आरती का गायन करें। 
  • साईं की पूजा कर उन्हें भोग लगाएं और उसके बाद प्रसाद बांटें।

गुरुवार के दिन साईं बाबा के व्रत को रखने की विधि काफी सरल होती है। यह व्रत फलाहार लेकर किया जा सकता है ।इसके अलावा यदि आप चाहें तो इस व्रत में एक समय भोजन भी कर सकते हैं। मुमकिन हो तो इस दिन साईं मंदिर जाकर साईं बाबा के आशीर्वाद अवश्य लें। अगर ऐसा संभव नहीं है तो घर पर ही श्रद्धापूर्वक साईं बाबा की पूजा करें और उनसे अपनी मनोकामना पूर्ति की मन्नत मांगे। 

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साईं व्रत का महत्व 

शिरडी के साईं बाबा की कृपा जिस व्यक्ति के ऊपर होती है उसका बेड़ा पार हो जाता है। साईं बाबा की इस कृपा को पाने का मार्ग है साईं व्रत। जी हाँ, साईं व्रत के माध्यम से लोगों के बिगड़े काम बनते हैं, निसंतान दंपतियों को संतान की प्राप्ति होती है, और निर्धनों को धन मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग सच्चे मन से साईं व्रत लगातार 9 या 11 गुरुवार के दिन रखते हैं और उसके बाद अगले गुरुवार को व्रत का उद्यापन विधि पूर्वक करते हैं, तो उनकी वह कामना पूर्ण हो जाती है जिस कामना के लिए वे साईं बाबा का व्रत रखते हैं। 

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साईं व्रत का उद्यापन 

किसी भी व्रत का फल उपासक को तभी प्राप्त होता है जब व्यक्ति उस व्रत का उद्यापन विधि पूर्वक करता है। इसी प्रकार साईं व्रत का फल प्राप्त करने के लिए उद्यापन करना भी आवश्यक है। उद्यापन के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना भी आवश्यक है। जैसे उद्यापन किसी योग्य पंडित के द्वारा ही कराना चाहिए। इसके लिए क्या-क्या सामग्रियां चाहिए उसका भी विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। उद्यापन के पश्चात् ग़रीबों को भोजन कराना चाहिए और उन्हें दान-दक्षिणा के रूप में कुछ देना भी चाहिए।  

साईं व्रत उद्यापन विधि 

  • साईं बाबा के व्रत का उद्यापन आखिरी गुरुवार को करें।

  • उद्यापन के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  • गंध, पुष्प, धूप, नैवेद्य, फल, फूल, आदि साईं बाबा को अर्पित करें।

  • इसके बाद आप साईं बाबा की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं।

  • पूजा की समाप्ति पर यथाशक्ति दक्षिणा अथवा साईं बाबा से संबंधित वस्तुएं दान करें।

  • तत्पश्चात गरीबों को भोजन कराएं उन्हें जरूरतमंद चीजें दान करें।

  • साईं व्रत संबंधित साहित्य का वितरण करें। 

साईं बाबा व्रत कथा 

गुजरात के एक शहर में कोकिला नाम की महिला और उनके पति महेश भाई रहते थे। हालांकि महेश भाई का स्वभाव झगड़ालू था और कोकिला बहन बेहद ही धार्मिक स्वभाव की थी। महेश भाई के स्वभाव के चलते उनका धंधा-रोजगार धीरे-धीरे बंद होने के कगार पर आ गया था और साथ ही उनके पास कमाई का दूसरा कोई जरिया भी नहीं बचा था। रोजगार ठप हुआ तो महेश भाई घर पर ही रहने लगे, जिससे उनका स्वभाव और भी ज्यादा चिड़चिड़ा हो गया। एक दिन दोपहर के समय एक बुजुर्ग इंसान महेश भाई के दरवाजे पर आया और भिक्षा में दाल चावल मांगा। क्योंकि कोकिला बहन का स्वभाव काफी धार्मिक था और वह दयालु प्रवृत्ति की भी थी इसलिए उन्होंने बुजुर्ग इंसान को दाल चावल दिए साथ ही उन्हें प्रणाम भी किया। 

प्रसन्न होकर बुजुर्ग व्यक्ति ने कोकिला बहन से कहा कि, ‘साईं आपको खुश रखे।’ ऐसा सुनकर कोकिला ने जवाब दिया कि, सुख मेरी किस्मत में ही नहीं है बाबा और फिर उन्होंने अपने बारे में सारी जानकारी बुजुर्ग व्यक्ति को दे दी। तब बुजुर्ग इंसान ने कोकिला बहन को साईं बाबा व्रत के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि, साईं बाबा का यह व्रत करने से इंसान की सभी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं और बाबा का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। 

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बुजुर्ग व्यक्ति की बात मानकर कोकिला बहन ने 9 गुरुवार तक साईं बाबा का व्रत किया। धीरे-धीरे साईं बाबा की कृपा से उनके घर में सुख समृद्धि में वृद्धि होने लगी। दोनों पति-पत्नी सुख शांति से रहने लगे और कोकिला बहन के पति का धंधा भी दोबारा से शुरू हो गया। इसी कड़ी में आगे बढ़ते हुए एक दिन कोकिला बहन के घर उनके जेठ जेठानी आये। बात बात में जेठानी ने कोकिला बहन को बताया कि, उनके बच्चे पढ़ाई लिखाई में अपना ध्यान नहीं देते हैं जिसकी वजह से वह परीक्षा में फेल हो जाते हैं। तब कोकिला बहन ने भी अपनी जेठानी को 9 गुरुवार तक साईं बाबा का व्रत रखने की सलाह दी और व्रत की महिमा भी बताई।

कोकिला बहन की बात सुनकर उनकी जेठानी ने भी साईं बाबा का व्रत किया जिसके प्रभाव से उनके बच्चे अच्छी तरह से पढ़ाई लिखाई कर पाए। कहा जाता है कि, ऐसे ही साईं बाबा पर विश्वास रखने वालों के जीवन में अद्भुत चमत्कार देखने को मिलते हैं। हालांकि यह बेहद जरूरी है कि, इस व्रत को शुरू करने से पहले व्यक्ति को साईं बाबा पर विश्वास अवश्य हो।

साईं बाबा की महिमा अपरंपार है। उन्होंने जीवन भर जात-पात, ऊंच-नीच के भेदभाव से ऊपर उठकर लोगों को प्रेम का मार्ग दिखाया था। साथ ही साईं बाबा ने एकेश्वरवाद का समर्थन किया था। उन्होंने लोगों को बताया था कि ‘सबका मालिक एक है’। साईं बाबा की पूजा के लिए गुरुवार का दिन सर्वोत्तम माना जाता है। इसलिए गुरुवार के दिन साईं बाबा के भक्त उनका विधिपूर्वक व्रत रखते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो लोग साईं व्रत का पालन करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस व्रत को स्त्री-पुरुष, बच्चे-बूढ़े कोई भी कर सकता है। 

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