शुक्र का वृषभ राशि में गोचर: मई के महीने में वृषभ राशि में कई ग्रहों की हलचल होने वाली है। दरअसल जहां पहले वृषभ राशि में सूर्य का गोचर हुआ वहीं 19 मई को शुक्र भी वृषभ राशि में प्रवेश कर जाएंगे। अपने इस खास ब्लॉग में आज हम जानेंगे शुक्र के इस गोचर का राशि अनुसार प्रभाव, इसके नकारात्मक प्रभाव से बचने के उपाय और भी बहुत कुछ।
साथ ही जानेंगे की कुंडली में शुक्र ग्रह का मजबूत होना क्यों आवश्यक होता है? शुक्र ग्रह पीड़ित अवस्था में हो तो व्यक्ति को किस तरह की परेशानियां उठानी पड़ सकती है, आदि। इसके अलावा यहाँ हम जानेंगे शुक्र ग्रह को मजबूत करने के बेहद ही कारगर और सटीक उपायों की भी जानकारी।
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शुक्र का वृषभ राशि में गोचर: क्या रहेगा समय?
आगे बढ़ने से पहले सबसे पहले बात कर लेते हैं शुक्र के गोचर के समय की तो, स्वभाव से स्त्री ग्रह शुक्र 19 मई 2024 को 8:29 पर वृषभ राशि में गोचर कर जाएगा। जैसा कि हमने पहले भी बताया कि वृषभ राशि में शुक्र से पहले सूर्य का गोचर हो चुका है ऐसे में इस दौरान अर्थात 19 मई से वृषभ राशि में सूर्य और शुक्र की युति भी होने वाली है।
वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह
वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह को एक शुभ ग्रह का दर्जा दिया गया है। इसके प्रभाव से जातक को भौतिक, शारीरिक, वैवाहिक सुख की प्राप्ति होती है। यही वजह है कि ज्योतिष में शुक्र ग्रह को भौतिक सुख, वैवाहिक सुख, भोग विलास, शोहरत, कला, प्रतिभा, सौंदर्य, रोमांस, कामवासना, फैशन डिजाइनिंग आदि का कारक माना जाता है। जहां वृषभ और तुला राशि का स्वामित्व शुक्र ग्रह को दिया गया है वहीं मीन इसकी उच्च राशि है और कन्या इसकी नीच राशि कहलाती है।
गोचर की बात करें तो शुक्र ग्रह का गोचर तकरीबन 23 दिनों की अवधि के लिए रहता है। अर्थात 23 दिनों तक एक राशि में रहने के बाद शुक्र राशि परिवर्तन कर लेते हैं।
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कुंडली में बली और पीड़ित शुक्र
बली और पीड़ित शुक्र के प्रभाव की बात करें तो जब भी किसी व्यक्ति की कुंडली में शुक्र ग्रह बली अर्थात मजबूत अवस्था में होता है तो ऐसे जातकों का वैवाहिक जीवन सुखमय होता है, पति-पत्नी के बीच निरंतर प्रेम बढ़ता है, ऐसे व्यक्तियों को अपने जीवन में सभी सुख सुविधा, ऐश-ओ-आराम की चीज प्राप्त होती है, रोमांस में वृद्धि होती है। ऐसे व्यक्ति अपने जीवन में हर तरह के भौतिक सुख का आनंद लेते हैं और साहित्य और कला में भी रुचि दिखाते हैं। वहीं इसके विपरीत अगर कुंडली में शुक्र ग्रह पीड़ित अवस्था में हो तो ऐसे जातक वैवाहिक जीवन के संदर्भ में परेशान रहते हैं, पति-पत्नी के बीच बेवजह के मुद्दों को लेकर के परेशानियां बनती रहती हैं, जीवन में दरिद्रता आती है, भौतिक सुख में कमी होती है, शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और सामाजिक कष्ट ऐसे व्यक्ति को उठाने पड़ते हैं आदि।
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धार्मिक और खगोलीय दृष्टि से शुक्र ग्रह का महत्व
शुक्र ग्रह को असुरों का गुरु कहा जाता है यही वजह है कि इनका एक नाम शुक्राचार्य भी है। अंग्रेजी में इसे वीनस कहते हैं और इसे प्लेनेट ऑफ ब्यूटी कहा जाता है अर्थात सुंदरता से संबंधित ग्रह। भागवत पुराण में शुक्र ग्रह के लिए बताया गया है कि शुक्र महर्षि भृगु के पुत्र हैं और इन्हें भार्गव नाम से भी जाना जाता है। शुक्र ग्रह का संबंध धन की देवी मां लक्ष्मी से भी जोड़कर देखा जाता है यही वजह है कि धन वैभव और ऐश्वर्या की कामना के लिए लोग शुक्रवार के दिन व्रत रखते हैं।
बात करें खगोलीय दृष्टि से शुक्र ग्रह के महत्व की तो इसे एक स्थलीय ग्रह का दर्जा दिया गया है। शुक्र आकार और दूरी में पृथ्वी के सबसे निकटतम है और इसी वजह से कई बार इस पृथ्वी की बहन भी कहते हैं। इस ग्रह के वायुमंडल में सबसे ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड गैस मौजूद है। सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद कुछ समय के लिए शुक्र ग्रह सबसे तेज चमकता है और यही वजह है कि इसे भोर का तारा या फिर साँझ का तारा भी कहते हैं।
बात करें कमजोर और मजबूत शुक्र की तो जिस भी व्यक्ति की कुंडली में शुक्र ग्रह मजबूत स्थिति में मौजूद होता है ऐसे व्यक्ति आकर्षक व्यक्तित्व वाले होते हैं, धनवान होते हैं, जीवन में हर तरह की सुख विलासिता की चीज प्राप्त करते हैं। इसके अलावा ऐसे लोग अपना प्रभावशाली व्यक्तित्व बनाते हैं, समाज में अलग रसूख बनाते हैं और ऐसे जीवन लोगों को जीवनसाथी भी खूबसूरत मिलता है। शुक्र ग्रह कर्म भाव में शुभ या उच्च का विराजमान हो तो ऐसे व्यक्ति कला, मनोरंजन, फिल्म मीडिया और फैशन डिजाइनिंग के क्षेत्र में नाम कमाते हैं।
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वहीं इसके विपरीत अगर आप लाख जतन के बावजूद अपना दांपत्य जीवन सुख प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं तो यह संकेत है कि आपकी कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर है। ऐसे व्यक्तियों के विवाह के बाद भी दूसरी महिलाओं के साथ रिश्ते होते हैं। शुक्र ग्रह कमजोर हो तो व्यक्ति को संतान सुख नहीं मिल पाता है। कमजोर शुक्र की वजह से प्रेम जीवन सफल नहीं होता है और कई बार जातकों को विश्वासघात या रिश्ते में चीटिंग धोखाधड़ी का भी सामना करना पड़ता है। इसके अलावा अगर किसी व्यक्ति को बार-बार या बहुत ज्यादा स्किन से जुड़ी समस्या होती है तो यह भी कमजोर शुक्र के लक्षण हैं।
आंख, आंत, स्किन, किडनी या शुगर से जुड़ी बीमारी हो तो यह भी शुक्र के कमजोर होने के लक्षण होते हैं। इसके अलावा जिन व्यक्तियों का शुक्र कमजोर होता है उनके पास धन, सुख सुविधाओं का अभाव रहता है और ऐसे लोगों का आत्मविश्वास भी कमजोर होता है। ऐसी स्थिति में ज्योतिष के जानकार शुक्र ग्रह को मजबूत करने के कुछ सरल उपाय बताते हैं। क्या कुछ हैं ये उपाय आगे जान लेते हैं।
शुक्र ग्रह को मजबूत करेंगे ये उपाय
- शुक्रवार का व्रत प्रारंभ कर दें।
- भोजन में दूध, दही, चावल, शक्कर ज्यादा से ज्यादा शामिल करें।
- शुक्रवार के दिन पूजा करें और फिर किसी गरीब ब्राह्मण को सफेद रंग के वस्त्र, सुगंधित वस्तुएं, दान में दें।
- श्रृंगार सामग्री, कपूर, मिश्री, दही का भी दान कर सकते हैं। इससे भी शुक्र ग्रह मजबूत बनेगा।
- इसके अलावा आप चाहे तो किसी विद्वान ज्योतिषी को अपनी कुंडली दिखाकर आप हीरा या फिर ओपल रत्न धारण कर सकते हैं। इससे भी शुक्र मजबूत बनता है।
- मां लक्ष्मी और जगदंबे की पूजा करें।
- श्री सूक्त का पाठ करें।
- आज ही शुक्र यंत्र को अपने घर में ले आयें और फिर उसकी नियमित रूप से पूजा करें।
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शुक्र का वृषभ राशि में गोचर: क्या पड़ेगा राशियों पर प्रभाव?
अब आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं शुक्र के इस गोचर का सभी 12 राशियों के जातकों के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ने की आशंका है। साथ ही जान लेते हैं राशि अनुसार किए जाने वाले उपायों की जानकारी।
मेष राशि
मेष राशि के जातकों के लिए शुक्र दूसरे और सातवें घर का स्वामी है और इस गोचर के दौरान आपके दूसरे घर में आ…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
वृषभ राशि
वृषभ राशि के जातकों के लिए शुक्र पहले और छठे भाव का स्वामी है और इस गोचर के दौरान आपके …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
मिथुन राशि
मिथुन राशि के जातकों के लिए शुक्र पंचम और द्वादश भाव का स्वामी है और इस गोचर के दौरान आपके द्वादश भाव…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
कर्क राशि
कर्क राशि के जातकों के लिए शुक्र चौथे और 11वें भाव का स्वामी है और इस गोचर के दौरान आपके 11वें घर में..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
सिंह राशि
सिंह राशि के जातकों के लिए शुक्र तीसरे और दसवें घर का स्वामी है और इस गोचर के दौरान आपके दसवें घर में ही…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
कन्या राशि
कन्या राशि के जातकों के लिए शुक्र दूसरे और नवम भाव का स्वामी है और शुक्र का वृषभ राशि में गोचर आपके …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
तुला राशि
तुला राशि के जातकों के लिए शुक्र पहले और अष्टम भाव का स्वामी है और अष्टम भाव में ही स्थित रहने …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के जातकों के लिए शुक्र सप्तम और 12वीं घर का स्वामी है और आपके सप्तम भाव में ही स्थिति…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
धनु राशि
धनु राशि के जातकों के लिए शुक्र छठे और 11 में भाव का स्वामी है और आपके छठे घर में ही इस दौरान…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
मकर राशि
मकर राशि के जातकों के लिए शुक्र पंचम और दशम भाव का स्वामी है और इस दौरान आपके पंचम भाव में…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
कुम्भ राशि
कुंभ राशि के जातकों के लिए शुक्र चतुर्थ और नवम भाव का स्वामी है और इस दौरान आपके चतुर्थ भाव में…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
मीन राशि
मीन राशि के जातकों के लिए शुक्र तीसरे और आठवें घर का स्वामी है और चंद्र राशि के संबंध में तीसरे घर में…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर 1. जब शुक्र ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में परिवर्तन करते हैं, तो उस प्रक्रिया को शुक्र का गोचर कहा जाता है।
उत्तर 2. शुक्र पीलिया,बांझपन, वीर्य संबंधित और त्वचा संबंधित रोग दे सकता है।
उत्तर 3. जब शुक्र ग्रह मजबूत होता है तो ये जातक को सकारात्मक परिणाम प्रदान करता है।
उत्तर 4. चांदी का छल्ला पहनने से शुक्र ग्रह मजबूत होता है।