हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का धार्मिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से विशेष महत्व माना गया है क्योंकि पूर्णिमा मन, शांति, शीतलता तथा आध्यात्मिकता आदि का प्रतिनिधित्व करती है। वैसे तो, एकादशी और अमावस्या तिथि की तरह ही पूर्णिमा भी हर महीने आती है, लेकिन यह माह में सिर्फ एक बार आती है। इस प्रकार, एक वर्ष में कुल 12 पूर्णिमा तिथि आती हैं और इन सभी में माघ माह की पूर्णिमा का अत्यधिक महत्व बताया गया है। इस दिन नदी में स्नान और दान आदि कार्य करने शुभ होते हैं।
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एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में आपको माघ पूर्णिमा 2024 के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्राप्त होगी। साथ ही, यहां हम आपको माघ पूर्णिमा की तिथि, शुभ पूजा मुहूर्त, महत्व एवं व्रत कथा के बारे में भी बताएंगे। इसके अलावा, इस दिन किन आसान उपायों को अपना कर आप जीवन की तमाम परेशानियों से मुक्ति पा सकते हैं, यह भी जानेंगे। आइए बिना देर किये शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की और जानते हैं माघ पूर्णिमा के बारे में।
माघ पूर्णिमा 2024: तिथि एवं मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ माह में आने वाली पूर्णिमा को माघ पूर्णिमा कहा जाता है। इस पूर्णिमा के साथ ही माघ का महीना समाप्त हो जाता है। हालांकि, अंग्रेजी कैलेंडर में यह पूर्णिमा जनवरी या फरवरी में आती है। वर्ष 2024 में माघ पूर्णिमा 24 फरवरी को शनिवार के दिन मनाई जाएगी और इस दिन पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 23 फरवरी 2024 की दोपहर 03 बजकर 36 मिनट पर होगी और इसका समापन 24 फरवरी की शाम 06 बजकर 03 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, माघ पूर्णिमा 24 फरवरी 2024, शनिवार को पड़ रही है।
माघ पूर्णिमा व्रत पूजा मुहूर्त:
पूर्णिमा तिथि का आरंभ: 23 फरवरी, 2024 की दोपहर 03 बजकर 36 मिनट से,
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 24 फरवरी 2024 की शाम 06 बजकर 03 मिनट पर
माघ पूर्णिमा का महत्व
सनातन धर्म में माघ पूर्णिमा को बहुत पवित्र माना जाता है क्योंकि इस दिन चंद्र देव अपनी पूर्ण कलाओं में होते हैं। साथ ही, यह माघ मास का अंतिम दिन होता है और इस पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक दृष्टि से, माघ पूर्णिमा पर स्नान, दान और जाप करना अत्यंत फलदायी होता है। मान्यता है कि माघ मास में सभी देवी-देवता गंगा स्नान के लिए धरती पर आते हैं। इस प्रकार, माघ पूर्णिमा देवताओं के स्नान का अंतिम दिन होता है। इस पूर्णिमा तिथि पर विष्णु भगवान और हनुमान जी की पूजा विधि-विधान से की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि माघ पूर्णिमा के दिन देवी-देवताओं की पूजा सच्चे मन से करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
ज्योतिष की मानें, तो जब चंद्रमा कर्क राशि में और सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं, उस समय माघ पूर्णिमा का योग बनता है और इसे पुण्य योग के नाम से जाना जाता है। ऐसे में, माघ पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नानादि करने से मनुष्य को सूर्य और चंद्रमा से जुड़े दोषों से मुक्ति मिल जाती है। माघी पूर्णिमा के संबंध में ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है इस तिथि पर स्वयं साक्षात भगवान विष्णु गंगा जल में निवास करते हैं। इसके अलावा, पद्मपुराण में वर्णन किया गया है कि हिंदू माह के सभी धर्मों की तुलना में विष्णु जी माघ माह में जप, तप और स्नान करने से अति प्रसन्न होते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि अगर माघ पूर्णिमा की तिथि पर पुष्य नक्षत्र होता है, तो इस पूर्णिमा का महत्व कई गुना बढ़ जाता है।
माघ पूर्णिमा पर दान एवं स्नान का महत्व
माघ पूर्णिमा पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु समेत सभी देव-देवता नदी के जल में उपस्थित होते हैं इसलिए इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं, इस पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने वाले भक्तों को सुख-सौभाग्य और संतान सुख का आशीर्वाद मिलता है। मान्यता है कि माघ पूर्णिमा के अवसर पर शुभ मुहूर्त में पूजा-अर्चना करने से जातक को बैकुंठ प्राप्त होता है। साथ ही, माघ पूर्णिमा पर दान करने से मनुष्य के पिछले जन्मों के पापों के साथ-साथ इस जन्म के पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
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माघ पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि
जैसे कि हम आपको बता चुके हैं कि माघ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु का पूजन बेहद फलदायी होता है और स्नान, दान, हवन, व्रत आदि धार्मिक कार्यों पुण्यकारी होते हैं। लेकिन, इन अनुष्ठानों से शुभ फल की प्राप्ति तब ही होती है जब यह कार्य सही तरीके से किये जाएं इसलिए हम आपको माघ पूर्णिमा पर श्रीहरि विष्णु की कृपा प्राप्ति के लिए पूजा विधि प्रदान कर रहे हैं जो इस प्रकार है:
- माघ पूर्णिमा पर भक्त को सर्वप्रथम प्रातः काल जल्दी उठकर सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी, जलाशय आदि में स्नान करना चाहिए। ऐसा करना संभव न हो, तो पवित्र नदी का जल नहाने के पानी में मिलाकर स्नान करें।
- स्नानादि से निवृत होने के बाद सूर्य मंत्र का जाप करते हुए सूर्य को अर्घ्य दें।
- इसके पश्चात, पूर्णिमा के व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु की आराधना करें। साथ ही, 108 बार गायत्री मंत्र या “ॐ नमो नारायण” मंत्र का जाप करें।
- माघ पूर्णिमा पर मध्याह्न काल के दौरान जरूरतमंद और ब्राह्मण को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा देकर विदा करें।
- इस तिथि पर काले तिल का विशेष रूप से दान करें और काले तिल से हवन आदि करना चाहिए।
- माघ पूर्णिमा व्रत में केवल जल और फलाहार का ही सेवन करना चाहिए।
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माघ पूर्णिमा पर न करें ये काम
- माघ पूर्णिमा के अवसर पर देर तक सोने से बचें। कहते हैं कि इस दिन देर तक सोते रहने से जीवन में दुर्भाग्य आता है इसलिए जल्दी उठें और स्नान करें।
- इस पूर्णिमा के दिन जाने-अनजाने में भी घर को गंदा न रखें क्योंकि ऐसा करने से घर में नकारात्मकता प्रवेश करती है और धन की देवी माता लक्ष्मी नाराज़ हो जाती हैं।
- माघ मास की पूर्णिमा तिथि के दिन तामसिक भोजन से दूरी बनाए रखें। साथ ही, इस तिथि पर लहसुन व प्याज का सेवन वर्जित होता है।
- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माघ पूर्णिमा के दिन चंद्रमा काफ़ी प्रभावशाली होता है इसलिए मनुष्य स्वभाव से उत्तेजित और भावुक रहता है। ऐसे में, माघ पूर्णिमा के दिन क्रोध या गुस्सा करने से बचें।
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माघ पूर्णिमा से जुड़ी पौराणिक कथा
धर्मग्रंथों में वर्णित पौराणिक कथा के अनुसार, कांतिका नगर में धनेश्वर नाम का एक ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ रहता था। वह भिक्षा मांगकर अपना निर्वाह करता था, लेकिन, ब्राह्मण और उसकी पत्नी की कोई संतान नहीं थी। एक दिन जब वह नगर में भिक्षा मांगने के लिए गए, तो लोगों ने संतान न होने की वजह से उन्हें भिक्षा देने से इंकार कर दिया। साथ ही, ब्राह्मण की पत्नी को बांझ कहकर ताने भी मारे। यह सब बातें सुनकर ब्राह्मणी को बहुत दुख हुआ और इस घटना के बाद किसी ने उन्हें निरंतर 16 दिनों तक मां काली की उपासना करने के लिए कहा।
ब्राह्मण दंपत्ति ने लगातार 16 दिनों तक विधि पूर्वक माता का पूजन किया। इनके पूजन से प्रसन्न होकर 16वें दिन माता काली प्रकट हुईं और ब्राह्मण की पत्नी को गर्भवती होने का आशीर्वाद दिया। साथ ही, माँ ने आगे कहा कि पूर्णिमा के दिन एक दीपक जलाना और हर पूर्णिमा पर धीरे-धीरे करके एक-एक दीपक बढ़ाते जाना। इस क्रम में आपको कम से कम 32 संख्या होने तक दीपक जलाने हैं और आप दोनों को पूर्णिमा का व्रत भी रखना होगा।
मां काली के कहे अनुसार, ब्राह्मण दंपति ने पूर्णिमा का व्रत रखना और दीपक जलाना शुरू कर दिया। ऐसा करने से ब्राह्मण की पत्नी गर्भवती हो गई और एक पुत्र को जन्म दिया। उन्होंने अपने पुत्र का नाम देवदास रखा, परंतु देवदास अल्पायु था। जब देवदास बड़ा हुआ, तो उन्होंने अपने बेटे को मामा के साथ काशी पढ़ने के लिए भेज दिया।
काशी में किसी दुर्घटनावश उनके बेटे का धोखे से विवाह हो गया। इस तरह काफ़ी समय बीत गया और एक दिन जब काल उसके प्राण लेने आया, उस दिन पूर्णिमा थी और ब्राह्मण दंपति ने अपने पुत्र के लिए पूर्णिमा का व्रत रखा था। इस वजह से काल चाहकर भी उस के प्राण न हर सका और उनके पुत्र को जीवनदान मिल गया। इस तरह, पूर्णिमा का व्रत करने से मनुष्य के सभी संकटों का अंत होता है और सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।
माघ पूर्णिमा की कथा के बाद अब हम आपको बताएंगे इस दिन नवग्रहों को प्रसन्न करने के लिए आपको क्या दान करना चाहिए।
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नवग्रहों की कृपा के लिए माघ पूर्णिमा पर करें इन चीज़ों का दान
सूर्य: सूर्य ग्रह को प्रसन्न करने के लिए माघ पूर्णिमा पर आप गुड़ और गेंहू का दान करें।
चंद्रमा: कुंडली में चंद्र देव को मज़बूत करने के लिए पूर्णिमा तिथि पर जल, मिसरी या फिर दूध आदि का दान करना चाहिए।
मंगल: मंगल देव के कुप्रभावों से बचने के लिए माघ पूर्णिमा पर मसूर की दाल का दान कर सकते हैं।
बुध: माघ पूर्णिमा के अवसर पर बुध देव को मज़बूत करने के लिए आपको हरी सब्जियों और आंवले का दान करना चाहिए।
बृहस्पति: जो लोग कुंडली में गुरु ग्रह को बलवान करना चाहते हैं, उनके लिए इस दिन केला, मक्का और चने की दाल का दान करना श्रेष्ठ रहेगा।
शुक्र: प्रेम के कारक शुक्र की कृपा पाने के लिए आपको माघ पूर्णिमा पर मक्खन, घी और सफेद तिल आदि का दान करना चाहिए।
शनि: कुंडली में यदि शनि देव कुपित हो, तो इस पूर्णिमा के दिन आप काले तिल और सरसों के तेल आदि का दान करें।
राहु-केतु: राहु-केतु के कमज़ोर होने पर आपको माघ पूर्णिमा के अवसर पर काले कंबल, सात तरह के अनाज और जूते-चप्पल आदि का दान करना चाहिए।
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माघ पूर्णिमा पर जरूर करें ये सरल एवं अचूक उपाय
- आपके जीवन में धन-समृद्धि बनी रहें, इसके लिए माघ पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी की मूर्ति पर 11 कोडियां चढ़ाएं और उनका हल्दी से तिलक करें।
- माघ पूर्णिमा पर सुबह स्नान करने के बाद, तुलसी के पौधे को जल दें और उसके सामने दीपक जलाएं। ऐसा करने से घर में देवी लक्ष्मी का आगमन होता है।
- इस पूर्णिमा तिथि पर सुबह स्नान के बाद पीपल के पेड़ पर कुछ मीठा चढ़ाएं और फिर जल अर्पित करें।
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