सनातन धर्म में पूर्णिमा व्रत को अत्यंत महत्व दिया गया है। भादो के महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा को भाद्रपद पूर्णिमा व्रत 2025 रखा जाता है। प्रत्येक माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर यह व्रत किया जाता है और भादो के महीने में आने वाली पूर्णिमा तिथि को भाद्रपद पूर्णिमा कहा जाता है।

भविष्य पुराण में बताई गई बत्तीसी पूर्णिमा व्रत के अनुसार माघ, मार्गशीर्ष और वैशाख माह की पूर्णिमा से शुरू कर के भाद्रपद और पौष माह की पूर्णिमा को इस व्रत का उद्यापन किया जाता है। भाद्रपद पूर्णिमा व्रत 2025 को करने से सभी प्रकार के सुख-वैभव और संतान एवं पुत्र की प्राप्ति होती है।
एस्ट्रोसेज एआई द्वारा इस विशेष ब्लॉग में आगे बताया गया है कि भाद्रपद पूर्णिमा व्रत कब है, इसका क्या महत्व है, पूजन विधि और ज्योतिषीय उपाय क्या हैं। तो चलिए अब बिना देर किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं भादो पूर्णिमा व्रत 2025 के बारे में।
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भाद्रपद पूर्णिमा व्रत 2025 कब है
07 सितंबर, 2025 रविवार के दिन भाद्रपद पूर्णिमा व्रत रखा जाएगा। 07 सितंबर को सुबह 01 बजकर 43 मिनट पर पूर्णिमा तिथि आरंभ होगी और 07 अगस्त को रात्रि 11 बजकर 40 मिनट तक रहेगी। इस दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं जैसे कि सुकर्मा योग और धृति योग।
क्या है सुकर्मा और धृति योग
वैदिक ज्योतिष के अनुसार सुकर्मा योग ग्रहों का एक शुभ एवं लाभकारी योग है जो कि सफलता, संपन्नता और सौभाग्य लेकर आता है। जब शुभ ग्रह चंद्रमा या लग्न से उपाच्य भावों यानी तीसरे, छठे, दसवें और ग्यारहवें भाव में होते हैं, तब इस योग का निर्माण होता है। सुकर्मा का अर्थ होता है अच्छे कर्म।
शास्त्रों में शुभ एवं मांगलिक कार्यों के लिए धृति योग को श्रेष्ठ माना गया है। मान्यता है कि इस योग में शुरू किए गए कार्यों के सफल होने की अधिक संभावना रहती है।
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भाद्रपद पूर्णिमा व्रत 2025 में किसकी होती है पूजा
इस दिन व्रत रखकर चंद्रोदय के समय चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। इससे कुंडली में चंद्रमा मजबूत होता है और यदि कोई चंद्र दोष हो, तो उससे भी छुटकारा मिल जाता है। इस दिन सत्यनारायण भगवान की पूजा करने का भी विधान है। इस व्रत को करने से घर में सुख और समृद्धि का आगमन होता है।
भाद्रपद पूर्णिमा व्रत 2025 की पूजन विधि
मान्यता है कि भाद्रपद पूर्णिमा पर पूरी विधि के साथ सत्यनारायण की कथा और पूजन करने से मनुष्य को अपने सभी दुखों से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन आप निम्न विधि से पूजा कर सकते हैं:
- भादो के महीने में आने वाली पूर्णिमा पर सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी, तालाब या कुंड में स्नान कर लें। यदि ऐसा करना संभव न हो, तो आप अपने घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान कर सकते हैं।
- अब आप व्रत का संकल्प लें और सत्यनारायण की पूजा एवं कथा करें।
- इस पूर्णिमा 2025 पर भगवान विष्णु और चंद्रदेव की पूजा के लिए पुष्प, धूप, दीप, फल, मिठाई, और जल रखें। तर्पण के लिए तिल, जल, दूध, और कुशा घास की जरूरत होती है।
- सबसे पहले भगवान विष्णु की पूजा करें। उनके चरणों में पुष्प, धूप, दीप, और नैवेद्य अर्पित करें। इसके पश्चात् विष्णु सहस्रनाम या विष्णु स्तोत्र का पाठ करें।
- भाद्रपद पूर्णिमा 2025 व्रत पर पितरों का तर्पण अवश्य करें। इसके लिए एक साफ बर्तन में जल, दूध, और तिल मिलाएं और कुशा घास के माध्यम से पितरों को जल अर्पित करें। इस दौरान पितरों का ध्यान करते हुए तर्पण मंत्र का उच्चारण करें। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
- शाम के समय चंद्रोदय के समय चंद्रमा को अर्घ्य दें। एक साफ थाली में पुष्प, धूप, दीप, और मिठाई रखें। चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए एक बर्तन में शुद्ध जल लें और उसमें चावल और फूल डालें। इस जल को चंद्रमा की ओर मुख करके अर्घ्य दें। अब चंद्र देव से अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।
- इस व्रत में पंचामृत और चूरमे का प्रसाद भी बनाया जाता है जिसे पूजन के पश्चात् सभी लोगों में बांटा जाता है। विधि विधान से पूजा करने के बाद ब्राह्मण को भोजन और गरीबों को दान दिया जाता है।
- पूर्णिमा व्रत 2025 में केवल फलाहार करें।
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भाद्रपद पूर्णिमा व्रत 2025 पर जरूर पढ़ें ये कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक गांव में एक ब्राह्मण अपनी पत्नी और पुत्र के साथ रहता था। उसका परिवार अत्यंत धार्मिक था और पुण्य कर्मों में विश्वास रखता था लेकिन वे बहुत गरीब थे। जब ब्राह्मण के पुत्र ने युवा अवस्था में कदम रखा, तब उसने अपने माता-पिता से पूछा कि उनके घर में इतनी गरीबी क्यों है।
पुत्र के प्रश्न पर ब्राह्मण ने कहा कि यह पितरों का श्राप है। उसने बताया कि उनके पूर्वजों ने अपने जीवन में कुछ ऐसे कर्म किए थे, जिससे उनके और उनके परिवार के लिए पितृ दोष उत्पन्न हुआ और उन्हें उनका आशीर्वाद प्राप्त नहीं हो पा रहा है। पुत्र ने पूछा कि इस दोष से मुक्ति का उपाय क्या है। तब ब्राह्मण ने कहा कि, भाद्रपद पूर्णिमा के दिन पितरों का तर्पण और पूजा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिल सकती है।
जो भी व्यक्ति पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ इस व्रत को करता है, उसका पितृ दोष समाप्त हो जाता है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। जब पितृ प्रसन्न होते हैं, तो वे अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
यह सब सुनने के बाद पुत्र ने अपने माता-पिता के कहने पर भाद्रपद पूर्णिमा व्रत रखा। उसने पूर्ण श्रद्धा और पूरे विधि-विधान से अपने पितरों का तर्पण किया और उनके निमित्त दान-पुण्य भी किया। उसके व्रत से पितृ प्रसन्न हुए और उन्होंने अपने वंशजों को आशीर्वाद दिया। इसके बाद, ब्राह्मण के घर में दरिद्रता समाप्त हो गई और वहां समृद्धि एवं संपन्नता का वास हो गया। तभी से भाद्रपद पूर्णिमा व्रत 2025 का महत्व बहुत अधिक बढ़ गया है। इस व्रत को रखने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
भाद्रपद पूर्णिमा 2025 से होगी श्राद्ध की शुरुआत
07 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा व्रत 2025 है और इसी दिन से श्राद्ध भी आरंभ हो रहे हैं। श्राद्ध 21 सितंबर, 2025 को सर्वपितृ अमावस्या पर समाप्त होंगे। श्राद्ध के दिनों में पितरों का तर्पण करने का अत्यधिक महत्व है। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे अपने वंशजों से प्रसन्न होते हैं।
मान्यता है कि श्राद्ध 2025 के दौरान जो भी व्यक्ति सच्चे मन से अपने पितरों का तर्पण या श्राद्ध करेगा, उसका जीवन एवं घर सुख-समृद्धि से भर जाएगा और उसे पितृ दोष से भी मुक्ति मिलेगी।
पूर्णिमा व्रत में क्या खाया जाता है
पूर्णिमा के किसी भी व्रत में जल, फल और दूध से बनी सात्विक चीज़ों का सेवन किया जाता है। कई श्रद्धालु केवल जल पर उपवास करते हैं जबकि कुछ निर्जल व्रत भी रखते हैं। इस व्रत में अनाज, मसाले, तंबाकू, चाय और कॉफी आदि का सेवन करना वर्जित होता है। इसके अलावा मांसाहार आदि का सेवन करने की भी मनाही होती है।
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भाद्रपद पूर्णिमा व्रत 2025 का पारण
पूर्णिमा 2025 व्रत का पारण शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद किया जाता है। इसके पारण हेतु ब्राह्मण को अन्न, वस्त्र, घी, तिल और चावल आदि का दान किया जाता है। इसके बाद दक्षिणा देकर ब्राह्मण को भोजन करवाने के बाद स्वयं फलाहार लिया जाता है।
भाद्रपद पूर्णिमा व्रत 2025 पर क्या दान करें
भाद्रपद पूर्णिमा पर आप अपनी राशि के अनुसार निम्न चीज़ों का दान कर सकते हैं। ऐसा करने से आपके घर में सुख-समृद्धि और संपन्नता का आगमन होगा।
- मेष राशि के जातक लाल रंग के फलों का दान कर सकते हैं। इससे उन्हें मंगल ग्रह से शुभ परिणाम मिल सकते हैं।
- जिनकी वृषभ राशि है, वे पूर्णिमा 2025 पर चीनी और चावल का दान करें। इससे इन जातकों को सुख की प्राप्ति होगी।
- मिथुन राशि के लोग साबुत मूंग या दाल का दान कर सकते हैं।
- कर्क राशि वाले चावल और दूध का दान करें। इससे उन्हें भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलेगा।
- सिंह राशि के जातक भाद्रपद पूर्णिमा व्रत 2025 पर पूजन करने के बाद मसूर की दाल और मूंगफली का दान करें।
- जिनकी कन्या राशि है, वे हरी सब्जियों को दान में दे सकते हैं। इससे उन्हें अपने व्यापार में प्रगति प्राप्त होगी।
- तुला राशि के लोग गरीब और जरूरतमंद लोगों को सफेद रंग के वस्त्र दान करें।
- यदि किसी वृश्चिक राशि वाले जातक की कुंडली में मंगल दोष है, तो उसे पूर्णिमा 2025 के दिन गेहूं और लाल रंग के वस्त्रों का दान करना चाहिए।
- धनु राशि के जातकों के लिए पीले रंग के फल और पीले चावलों का दान करना शुभ रहेगा।
- मकर राशि वाले अपने घर से नज़दीकी मंदिर में काले तिलों का दान करें। इससे उन्हें भगवान शिव की कृपा प्राप्त होगी।
- भाद्रपद पूर्णिमा व्रत 2025 पर कुंभ राशि वाले उड़द की दाल और काले रंग के वस्त्रों का दान कर सकते हैं।
- मीन राशि के लोग पीले रंग के वस्त्रों का दान कर सकते हैं।
भाद्रपद पूर्णिमा व्रत 2025 के लिए ज्योतिषीय उपाय
आप अपनी मनोकामना के अनुसार भाद्रपद पूर्णिमा 2025 पर निम्न उपाय कर सकते हैं:
- अगर किसी के घर में लड़ाई-झगड़ा होता रहता है और घर में सुख-शांति नहीं है, तो उस व्यक्ति को पूर्णिमा 2025 के दिन भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिए और उन्हें सफेद चंदन का तिलक लगाना चाहिए। इससे घर में सुख-शांति आती है और कलह दूर होती है।
- जिन लोगों के घर में पैसों की तंगी है, पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करें और उन्हें लाल रंग का पुष्प अर्पित करें। इसके साथ ही कनकधारा स्तोत्र का पाठ करना भी लाभकारी रहता है। इससे मां लक्ष्मी उस व्यक्ति को धन-धान्य का आशीर्वाद देती हैं।
- पुण्य की प्राप्ति के लिए भाद्रपद पूर्णिमा व्रत 2025 रखा जा सकता है। इस दिन केवल फलाहार करें और पूरा दिन भगवान का ध्यान करें। यह व्रत पापों का नाश करता है और पुण्य को बढ़ाता है।
- यदि कोई व्यक्ति मानसिक पीड़ा से परेशान है, तो उसे भाद्रपद पूर्णिमा 2025 के दिन ध्यान और साधना करनी चाहिए। सुबह-शाम ध्यान करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है और आत्मिक उन्नति होती है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर. 07 सितंबर, 2025 को है।
उत्तर. यह व्रत भादो की पूर्णिमा तिथि पर आता है।
उत्तर. इस दिन से श्राद्ध 2025 भी शुरू हो रहे हैं।