महाअष्टमी 2025 पर ज़रूर करें इन नियमों का पालन, वर्षभर बनी रहेगी माँ महागौरी की कृपा!

महाअष्टमी 2025 पर ज़रूर करें इन नियमों का पालन, वर्षभर बनी रहेगी माँ महागौरी की कृपा!

चैत्र नवरात्रि 2025: चैत्र और शरद दोनों ही नवरात्रि में सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व होता है। इन नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। यह समय आदि शक्ति की परम कृपा प्राप्त करने के लिए सर्वश्रेष्ठ होता हैं। हालांकि, नवरात्रि के अंतिम दो दिनों अर्थात् अष्टमी और नवमी को महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन घर-घर में पूजा, हवन, कन्या पूजन जैसे धार्मिक अनुष्ठान संपन्न किए जाते हैं। हालांकि, यहाँ हम बात करेंगे चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि के बारे में। एस्ट्रोसेज एआई का यह ब्लॉग आपको चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन अर्थात् “अष्टमी तिथि” से जुड़ी समस्त जानकारी प्रदान करेगा। साथ ही, इस दिन देवी के किस स्वरूप की पूजा की जाती है? क्या है इस दिन का महत्व, पूजा मुहूर्त, नियम और कथा आदि से भी आपको रूबरू करवाएंगे। तो आइए शुरुआत करते हैं इस लेख की और जानते हैं अष्टमी तिथि के बारे में सब कुछ। 

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चैत्र नवरात्रि 2025 आठवां दिन: तिथि और मुहूर्त

साल 2025 की चैत्र नवरात्रि की शुरुआत बेहद ख़ास थी क्योंकि इससे एक दिन पहले वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण लगा था। हालांकि, आज के दिन यानी कि अष्टमी तिथि पर माता महागौरी की उपासना की जाती है और व्रत भी किया जाता है। मान्यता है कि अष्टमी पर देवी का पूजन मनुष्यों के साथ-साथ देव, दानव, गंधर्व, नाग, यक्ष, किन्नर भी करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र शुक्ल की अष्टमी तिथि को महाअष्टमी के रूप में मनाया जाता है और इस साल माता महागौरी का पूजन और व्रत 05 अप्रैल 2025 को किया जाएगा। चलिए अब हम नज़र डालते हैं चैत्र नवरात्रि 2025 की अष्टमी तिथि के बारे में।

चैत्र नवरात्रि 2025 का आठवां दिन: 05 अप्रैल 2025, शनिवार

अष्टमी तिथि का आरंभ: 04 अप्रैल की रात 08 बजकर 15 मिनट पर

अष्टमी तिथि समाप्त: 05 अप्रैल की शाम 07 बजकर 29 मिनट तक

नोट: हिंदू धर्म में उदया तिथि को महत्व दिया जाता है इसलिए उदया तिथि के अनुसार, अष्टमी तिथि 05 अप्रैल 2025 को मनाई जाएगी।  

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अष्टमी तिथि पर बनेंगे ये बेहद शुभ योग 

चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि अत्यंत विशेष रहेगी क्योंकि इस दिन दो बेहद शुभ योग बनने जा रहे हैं। बता दें कि अष्टमी तिथि की शुरुआत शोभन योग में होगी और दूसरी तरफ, इस दिन दो योग पहले से बने हुए हैं। अष्टमी तिथि अर्थात् 05 अप्रैल 2025 पर बुधादित्य योग और पंचग्रही योग बना हुआ है इसलिए इन शुभ योगों में माता की पूजा-अर्चना करने से आर्थिक तंगी की समस्या भी दूर होगी। आपको देवी दुर्गा का आशीर्वाद भी मिलेगा। साथ ही, इस दिन के दौरान ग्रहों की शांति पूजा करवाना श्रेष्ठ रहेगा। 

कैसा है माँ महागौरी का स्वरूप? 

अगर हम बात करें आदिशक्ति की आठवीं शक्ति माता महागौरी के स्वरूप की, तो देवी का स्वरूप एकदम श्वेत हैं। ऐसा कहा जाता है कि देवी को वर्षों कठोर तपस्या करने के बाद गौर वर्ण की प्राप्ति हुई थी। इस प्रकार, माता का आठवां स्वरूप महागौरी श्वेत वर्ण, उज्जवल एवं कोमल है और देवी ने सफेद रंग के वस्त्र धारण किए हुए हैं। माता को गीत-संगीत अत्यंत प्रिय है और इनकी सवारी वृषभ यानी बैल है। माँ की चार भुजाएं हैं और दाहिने हाथ अभय मुद्रा में हैं और त्रिशूल लिया हुआ है जबकि बाएं हाथ में डमरू पकड़ा हुआ है और एक हाथ अभय मुद्रा में है। इनके हाथ में डमरू होने की वजह से ही इनको शिवा के नाम से भी जाना जाता है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता महागौरी के अवतरित होने के समय देवी की आयु 8 वर्ष थी और इस वजह से ही चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर इनकी पूजा करने की परंपरा है। चैत्र मास शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर माँ महागौरी की पूजा-अर्चना और उपासना करने से भक्त को धन-समृद्धि, सुख-शांति और वैभव का आशीर्वाद मिलता है। 

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माता महागौरी का ज्योतिषीय महत्व

सनातन धर्म में माँ महागौरी को देवी दुर्गा का आठवां स्वरूप माना गया है। हालांकि, देवी को ज्योतिष शास्त्र में भी विशेष स्थान प्राप्त है क्योंकि माता शक्ति के नौ स्वरूप में से प्रत्येक स्वरूप का संबंध किसी न किसी ग्रह से माना गया है। इसी क्रम में, माँ महागौरी का संबंध छाया ग्रह राहु से है और यह राहु को नियंत्रित करती हैं। जिन जातकों की कुंडली में राहु ग्रह अशुभ है या जो राहु ग्रह के अशुभ प्रभावों का सामना कर रहे हैं, उनके लिए अष्टमी तिथि पर देवी के आठवें स्वरूप की पूजा करना फलदायी साबित होता है। साथ ही, आपको राहु ग्रह से शुभ परिणामों की प्राप्ति होती है। 

चैत्र नवरात्रि आठवां दिन: महाअष्टमी व्रत का महत्व

देवी दुर्गा के भक्त माँ की कृपा एवं आशीर्वाद पाने के लिए नवरात्रि के नौ दिन लगातार उनकी पूजा-अर्चना एवं व्रत करते हैं। लेकिन, अगर आप नवरात्रि के 9 दिन व्रत नहीं रख पाए हैं, तो आप अष्टमी तिथि का व्रत रख सकते हैं। ऐसी मान्यता है कि चैत्र मास की दुर्गाष्टमी पर उपवास करने वाले जातक को नवरात्रि के नौ दिन की पूजा के समान फल प्राप्त होता है। बता दें कि अष्टमी तिथि पर देवी दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की उपासना की जाती है जिन्हें साक्षात अन्नपूर्णा का रूप माना गया है इसलिए महाअष्टमी पर कन्याओं को भोजन कराने से देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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चैत्र नवरात्रि 2025 अष्टमी तिथि की पूजा विधि

आदिशक्ति के आठवें स्वरूप माता महागौरी को प्रसन्न करने के लिए अष्टमी तिथि पर इस विधि से करें देवी का पूजन।  

  • प्रातःकाल उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थान को गंगा जल छिड़कर शुद्ध कर लें। 
  • पूजा को शुरू करते समय सबसे पहले कलश स्थापना करें और फिर प्रथम पूज्य श्रीगणेश का ध्यान करें। 
  • इसके पश्चात सच्चे मन से माँ के मंत्रों का जाप करें और उन्हें लाल चुनरी अर्पित करें। 
  • अगर आप अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन करने जा रहे हैं, तो लाल चुनरी कन्याओं को जरूर चढ़ाएं। 
  • इसके बाद, देवी को चावल, सिंदूर, फल और फूल आदि पूजन सामग्री अर्पित करें। 
  • अष्टमी पूजा में आप दुर्गा यंत्र को भी रख सकते हैं। 
  • अब आप हाथ में सफेद फूल लेकर सच्चे मन से माता महागौरी का ध्यान करें। 
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और पूजा के अंत में आरती करें। 
  • सबसे आख़िर में माँ से अनजाने में हुई गलती के लिए माफ़ी मांगें और अपनी मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना करें।

महाअष्टमी तिथि पर भूलकर भी न करें ये काम

  • चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर देवी दुर्गा को नारियल का भोग लगाया जाता है, लेकिन इस दिन नारियल खाना वर्जित होता है। ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर नारियल का सेवन करने से बुद्धि का नाश होता है। 
  • इसके अलाव, इस दिन कद्दू और लौकी को खाने से भी बचना चाहिए क्योंकि कुछ स्थानों पर कद्दू, ककड़ी और लौकी आदि की बलि दी जाती है। 

अष्टमी पर माता महागौरी को लगाएं इन चीज़ों का भोग 

अष्टमी तिथि पर माता महागौरी को पूजा में उनकी प्रिय वस्तु का भोग अवश्य लगाना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से आपको शुभ फलों की प्राप्ति होती है। अष्टमी तिथि के दिन माँ महागौरी को नारियल या नारियल से बनी हुई चीजों का भोग लगाना चाहिए। यदि आप माँ को नारियल का भोग 

लगाते हैं, तो इस नारियल को किसी ब्राह्मण को दान कर दें। इस नारियल को प्रसाद के रूप में सभी लोगों को बांटें। अष्टमी तिथि पर कन्या पूजा करने वाले लोग देवी को पूरी, सब्जी, हलवे और काले चने का भी प्रसाद के रूप में भोग लगा सकते हैं।

महारात्रि पूजन के लिए मंत्र

माता महागौरी की पूजा आठवें नवरात्रि के दिन निम्न मंत्रों से करें। 

॥ॐ देवी महागौर्यै नमः॥

प्रार्थना मंत्र

श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।

महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥

स्तुति

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

स्त्रोत

सर्वसङ्कट हन्त्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।

ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदायनीम्।

डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

त्रैलोक्यमङ्गल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।

वददम् चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्

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अष्टमी पर कन्या पूजन के दौरान इन बातों का रखें ध्यान 

चैत्र नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि दोनों ही दिन कन्या पूजन किया जाता है। शायद ही  आप जानते होंगे कि अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन करना विशेष माना गया है। अगर आप भी चैत्र नवरात्रि की अष्टमी पर कन्या पूजन कर रहे हैं, तो इन बातों को ध्यान में रखकर आप कन्या पूजन से मिलने वाले परिणामों को बढ़ा सकते हैं, आइए नज़र डालते हैं इन बातों पर। 

  • कन्या पूजन में सदैव 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की कन्याओं को शामिल करना चाहिए। 
  • बता दें कि 2 वर्ष की कन्या को कुमारी, 3 वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति, 4 वर्ष की कन्या को कल्याणी, 5 वर्ष की कन्या को रोहिणी, 6 वर्ष की कन्या को कालिका, 7 वर्ष की कन्या को चंडिका, 8 वर्ष की कन्या को शांभवी, 9 वर्ष की कन्या को दुर्गा और 10 वर्ष की कन्या को सुभद्रा का रूप माना जाता है। 
  • कन्या पूजन में शामिल होने वाली हर कन्या के हाथ-पैर आपको स्वयं धोने चाहिए और सम्मान पूर्वक आसन बिछाकर कन्याओं को उस पर बिठाएं।
  • इसके पश्चात उन्हें श्रद्धापूर्वक हलवा-पूरी और काले चने का भोजन कराएं। 
  • भोजन करने के पश्चात कन्याओं के पैर छूकर उनको दक्षिणा देकर विदा करें। 

महाअष्टमी पर दुखों के अंत के लिए करें ये सरल उपाय 

  1. प्रेमी या प्रेमिका के साथ अपने रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए अष्टमी तिथि पर दो जमुनिया रत्न लेकर गंगाजल में डुबोकर रखे। इसके बाद, अगले 11 दिनों तक इस गंगा जल का छिड़काव आप निरंतर अपने घर में करें। साथ ही, इस “विधेहि देवी कल्याणं विधेहि परमां श्रियम।” मंत्र का जाप करें।
  2. जिन जातकों को अपने मनपसंद वर या वधु से विवाह करने में समस्या आ रही है, वह अष्टमी पर देवी दुर्गा को इलायची का प्रसाद के रूप में भोग लगाएं। इसके अलावा, देवी के लिए “सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।” मंत्र का 21 बार जाप करें।
  3. जो लोग अपने व्यापार को बढ़ाना चाहते हैं, वह अष्टमी तिथि पर स्नान करन के बाद देवी दुर्गा की पूजा विधि-विधान से करे और कपूर से आरती करें। इसक बाद, माता को हलवे और चने का भोग लगाएं। 
  4. अगर आप सुखी एवं प्रेम पूर्ण वैवाहिक जीवन पाना चाहते है, तो आप अष्टमी तिथि पर देवी के लिए इस मंत्र का 21 बार जाप करें: “विधेहि देवी कल्याणं विधेहि परमां श्रियम। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।”

माता महागौरी से जुड़ी पौराणिक कथा 

धर्मग्रंथों में माता महागौरी से जुड़ी एक कथा का वर्णन मिलता है जो हम आपको बताने जा रहे हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने भीषण गर्मी, कड़ी सर्दी और भयंकर बरसात में वर्षों तक कठोर तपस्या की थी जिसकी वजह से उनका रंग काला पड़ गया था। इसके पश्चात, शिव जी ने माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर गंगा के पवित्र जल से स्नान कराया और इस स्नान से देवी का वर्ण गोरा हो गया, उस समय से ही देवी को माता महागौरी के नाम से जाने जाना लगा।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. 2025 में अष्टमी कब है?

चैत्र नवरात्रि 2025 में अष्टमी तिथि 5 अप्रैल 2025 को मनाई जाएगी। 

2. देवी दुर्गा का आठवां स्वरूप कौन सा है?

माता रानी का आठवां स्वरूप माँ महागौरी का है।

3. आठवें नवरात्रि पर किसकी पूजा की जाती है? 

चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर माता महागौरी की पूजा का विधान है।

  

बुध मीन राशि में मार्गी, इन पांच राशियों की जिंदगी में आ सकता है तूफान!

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मंगल गोचर 2025: एस्ट्रोसेज एआई की हमेशा से यही पहल रही है कि किसी भी महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना की नवीनतम अपडेट हम अपने रीडर्स को समय से पहले दे पाएं और इसी कड़ी में हम आपके लिए लेकर आए हैं बुध मीन राशि में मार्गी से संबंधित यह खास ब्लॉग। 07 अप्रैल, 2025 को बुध ग्रह मीन राशि मार्गी होंगे। इस ब्‍लॉग में आगे बताया गया है कि बुध के मीन राशि में मार्गी होने का देश-दुनिया पर क्‍या प्रभाव पड़ेगा। साथ ही जानेंगे बुध के मार्गी होने से किन राशियों को लाभ एवं नुकसान होने की संभावना है।

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बता दें कि मीन राशि में बुध को नीच का माना जाता है। तो क्‍या इसका हर एक चीज़ और प्रत्‍येक जातक पर नकारात्‍मक प्रभाव पड़ेगा? आगे जानिए।

वैदिक ज्‍योतिष के अनुसार बुध सूर्य के सबसे नज़दीक वाला ग्रह है और सौरमंडल का सबसे छोटा ग्रह भी है। आमतौर पर बुध एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करने में लगभग 23 और 28 दिन का समय लेते हैं। सूर्य के निकट होने के कारण बुध ग्रह बहुत कम समय के अंतराल में वक्री, अस्‍त या मार्गी हो जाता है। बुध ग्रह अक्‍सर सूर्य से एक घर आगे, पीछे या उसी भाव में स्थित होता है। अब बुध मीन राशि में मार्गी होने जा रहे हैं।

बुध मीन राशि में मार्गी: समय

बुध को सभी ग्रहों का राजकुमार माना जाता है और अब 07 अप्रैल, 2025 को शाम को 04 बजकर 04 मिनट पर बुध मीन राशि में उदित होंगे। बुध कभी भी मीन राशि में सहज नहीं होता है और इससे अप्रत्‍याशित एवं अस्थिर घटनाएं होने का खतरा रहता है। यह कई बार अप्रिय भी हो सकता है। तो चलिए अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि बुध का मीन राशि में उदय होने पर विश्‍व और राशियों पर क्‍या प्रभाव पड़ेगा।

बुध मीन राशि में मार्गी: विशेषताएं

बुध का मीन राशि में होना बुद्धिमत्ता और सहज ज्ञान का मेल होता है। यह तर्क को रहस्‍य के साथ जोड़ता है। जिन लोगों की कुंडली में मीन राशि में बुध विराजमान होता है, वे जातक सपनों की दुनिया में खोए रहते हैं, उनके सोचने और बात करने का तरीका कल्‍पनाशील होता है। मीन राशि में बुध के होने पर व्‍यक्‍ति लोगों और परिस्थिति को गहराई और सहजता से समझता है। ये अक्‍सर छोटे-छोटे संकेतों और अनकही भावनाओं को समझ लेते हैं और तर्क से ज्‍यादा अपनी भावनाओं एवं बुद्धि पर भरोसा करते हैं।

बुध के मीन राशि में होने पर व्‍यक्‍ति रचनात्‍मक हो सकता है और लेखन, संगीत एवं विजुअल आर्ट्स में उत्‍कृष्‍टता प्राप्‍त कर सकता है। ये जातक दूसरों से हटके सोचते हैं और काल्‍पनिक विचारों को सच कर सकते हैं। इनका मन अक्‍सर कल्‍पनाओं में ही भटकता रहता है और ये अनदेखे एवं अज्ञात विषयों पर गहराई से सोच सकते हैं। इनकी कल्‍पनाशक्‍ति की कोई सीमा नहीं होती है। इन जातकों का जीवन के प्रति आशावादी दृष्टिकोण रहता है और ये खासतौर पर ज़रूरतमंद लोगों की मदद करना चाहते हैं। ये दूसरों के दुख और मुश्किलों के प्रति सहानुभूति रखते हैं।

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बुध मीन राशि में मार्गी: विश्‍व पर प्रभाव

व्‍यवसाय और राजनीति

  • बुध के मीन राशि में मार्गी होने का बातचीत और विचारों को सही तरह से व्‍यक्‍त करने पर नकारात्‍मक प्रभाव डाल सकता है जिससे राजनेताओं और प्रशासन को अत्‍यधिक नकारात्‍मक प्रभाव झेलने पड़ सकते हैं।
  • राजनीति के क्षेत्र में ऊंचे पदों पर बैठे कई लोग बिना सोचे-समझे बयान देते हुए नज़र आएंगे। इससे उनकी प्रतिष्‍ठा और पद दोनों खतरे में पड़ सकते हैं।
  • भारत सरकार के प्रवक्‍ता और अन्‍य महत्‍वपूर्ण राजनेता विपरीत परिस्थितियों को संभालने की कोशिश करेंगे लेकिन बुध के मीन राशि में मार्गी होने के कारण देश के भू-राजनीति संबंधों पर नकारात्‍मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • बुध व्‍यापार का कारक है और अब वह अपनी नीच राशि में मार्गी होने जा रहा है और इस पर शनि एवं राहु जैसे अशुभ ग्रहों का प्रभाव भी पड़ रहा है। इससे दुनियाभर के ज्‍यादातर व्‍यवसायों के मुनाफे में गिरावट देखने को मिल सकती है।

मार्केटिंग, मीडिया, पत्रकारिता और अध्‍यात्‍म

  • भारत और दुनिया के कई प्रमुख हिस्‍सों में मार्केटिंग, पत्रकारिता, पीआर आदि जैसे क्षेत्रों के व्‍यवसाय में गिरावट आ सकती है।
  • जो क्षेत्र संचार और बौद्धिक रूप से अपने विचारों को व्‍यक्‍त करने पर निर्भर हैं जैसे कि काउंसलिंग, उन पर नकारात्‍मक असर पड़ेगा।
  • मध्‍यस्‍थ या आध्‍यात्मिक रूप से उपचार करने, प्रवचन और ज्‍योतिष से जुड़े लोगों को उनके काम के लिए सम्‍मान एवं लाभ मिल सकता है।
  • अन्‍य क्षेत्रों की तुलना में इन क्षेत्रों में रोज़गार के अधिक अवसर उपलब्‍ध होंगे।

रचनात्‍मक लेखन और अन्‍य रचनात्‍मक क्षेत्र

  • दुनियाभर के रचनात्‍मक और कलात्‍मक क्षेत्रों में सुधार देखने को मिल सकता है। लोग कला और संगीत के विभिन्‍न रूपों के प्रति जागरूक हो सकते हैं।
  • यात्री, ब्‍लॉगर और ट्रैवल शो होस्‍ट आदि जैसे क्षेत्रों में वृद्धि देखी जा सकती है।
  • लेखकों और साहित्‍य या भाषा विज्ञज्ञान से जुड़े लोगों को पहचान और सफलता मिल सकती है।
  • दुनियाभर के नृत्‍य और अभिनय करने वालों, मूर्तिकला और गायकों को बुध मीन राशि में मार्गी होने से लाभ होगा।
  • गूढ़ विज्ञान जैसे कि ज्‍योतिषियों को इस समय विशेष लाभ मिलेगा।

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बुध मीन राशि में मार्गी: स्‍टॉक मार्केट पर असर

07 अप्रैल, 2025 को बुध मीन राशि में मार्गी हो जाएंगे। मीन जल तत्‍व की राशि है और इसके स्‍वामी बृहस्‍पति ग्रह हैं। बुध स्‍टॉक मार्केट को प्रभावित करने वाले प्रमुख ग्रहों में से एक हैं। तो चलिए अब जानते हैं कि बुध के मीन राशि में मार्गी होने का स्‍टॉक मार्केट पर क्‍या प्रभाव पड़ेगा।

  • स्‍टॉक मार्केट रिपोर्ट के अनुसार बाज़ार में उम्‍मीद के हिसाब से मंदी देखने को मिल सकती है लेकिन इसमें सुधार आएगा।
  • कंप्‍यूटर सॉफ्टवेयर, सूचना प्रौद्योगिकी, बैंकिंग क्षेत्र, फाइनेंस सेक्‍टर, रबड़ उद्योगों में भी गिरावट आ सकती है और मंदी स्थिति को और ज्‍यादा खराब कर सकती है।
  • ग्रहों की चाल और गोचर को देखते हुए शिपिंग कंपनियां, मोटर कार कंपनियां आदि अच्‍छा प्रदर्शन कर सकती हैं और इनमें उछाल देखने को मिल सकता है।
  • अप्रैल के पहले सप्‍ताह के बाद हाउसिंग इंडस्‍ट्री, केमिकल और फर्टिलाइज़र उद्योग एवं चाय उद्योग में मंदी के बाद सुधार आने की उम्‍मीद है।

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बुध मीन राशि में मार्गी: इन राशियों पर पड़ेगा नकारात्‍मक प्रभाव

वृषभ राशि

बुध एक शुभ ग्रह लेकिन नीच अवस्‍था में होने के कारण बुध का मीन राशि में उदय होना वृषभ राशि के जातकों के लिए ज्‍यादा शुभ नहीं रहने वाला है। दूसरे और पांचवे भाव का स्‍वामी होने के बावजूद बुध का ग्‍यारहवें भाव में नीच का होना यह दर्शाता है कि आपको समझदारी से वित्तीय निर्णय लेने चाहिए और सोच-समझकर जोखिम उठाना चाहिए। आप जल्‍दबाज़ी में कोई निर्णय ले सकते हैं।

इसके अलावा आपको बुध के मीन राशि में मार्गी होने के दौरान अपने दोस्‍तों या सामाजिक दायरे में से किसी व्‍यक्‍ति से गलत सलाह मिल सकती है। इसलिए आपको अचानक निर्णय लेते समय अधिक सतर्कता बरतनी चाहिए, खासकर वे फैसले जो आपकी आर्थिक स्थिति, प्रतिष्‍ठा, ईमानदारी या परिवार और करीबी रिश्‍तेदारों के साथ संबंधों को प्रभा‍वित कर सकते हैं। आपको इस समय अत्‍यधिक सावधानी बरतने की आवश्‍यकता है क्‍योंकि अनजाने में आप अपने ही परिवार के सदस्‍यों का मज़ाक उड़ाते हुए नज़र आ सकते हैं।

वृषभ राशिफल 2025

कर्क राशि

बुध आपके बारहवें और तीसरे भाव के स्‍वामी हैं और अब वह आपके नवम भाव में मार्गी होने जा रहे हैं। इस स्थिति से बुध के नकारात्‍मक प्रभावों में वृद्धि हो सकती है। बुध के कर्क राशि के नौवें भाव में मार्गी होने के दौरान आपके आत्‍मविश्‍वास में कमी आने की आशंका है।

आपको इस समय अति आत्‍मविश्‍वासी बनने और निराशा से बचकर रहना है। आपको अपने दोस्‍तों, परिवार और भाई-बहनों के साथ स्‍नेहपूर्ण संबंध बनाए रखने पर ध्‍यान देना चाहिए। आप खासतौर पर फोन पर बात करते समय अपने शब्‍दों पर ध्‍यान दें क्‍योंकि असावधानी से बोले गए शब्‍दों के कारण गलफफहमी पैदा हो सकती है। इस समय कर्क राशि वाले जातकों के लिए अध्‍यात्‍म से जुड़े रहना फलदायी होगा।

कर्क राशिफल 2025

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धनु राशि

धनु राशि के सातवें और दसवें भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं जो आपके काम, पेशे और विवाह पर गहरा प्रभाव डालता है। इस समय बुध नीच अवस्‍था में हैं और आपके चौथे भाव में गोचर कर रहे हैं। वैसे तो बुध चौथे भाव में होने पर शुभ परिणाम देते हैं लेकिन अब कमज़ोर स्थिति में होने और राहु एवं शनि जैसे अशुभ ग्रहों के सज्ञथ युति होने के कारण यह पूरी तरह से सकारात्‍मक फल नहीं दे पाएगा। फिर भी बुध आपको अच्‍छे परिणाम देने का प्रयास करेगा।

आपको करियर में चुनौतियां देखनी पड़ सकती हैं लेकिन थोड़ी-सी मेहनत से आप सफलता प्राप्‍त करने में सक्षम होंगे। यही सिद्धांत दैनिक कार्यों पर भी लागू होता है जहां सावधानी से चलने पर सकारात्‍मक परिणाम प्राप्‍त होंगे। बुध मीन राशि में मार्गी होने पर विवाहित जातकों को अपनी शादीशुदा जिंदगी का विशेष ध्‍यान रखना चाहिए।

 धनु राशिफल 2025

मकर राशि

मकर राशि के छठे और नौवें भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं और अब वह आपके तीसरे भाव में मार्गी होने जा रहे हैं। तीसरे घर में बुध कमज़ोर होता है और आमतौर पर इस स्थिति को अनुकूल नहीं माना जाता है। कमज़ोर स्थिति में होने के कारण बुध की नकारात्‍मकता थोड़ी बढ़ सकती है।

इस समय आपको कानूनी मामलों, कोर्ट या लोन आदि से संबंधित विषयों में सावधानी बरतनी चाहिए। आपको अपने पिता की समस्‍याओं को गंभीरता से लेना चाहिए। बुध मीन राशि में मार्गी होने पर आपको धार्मिक या आध्‍यात्मिक कार्यों पर ध्‍यान देना चाहिए और भौतिक चीज़ों की चिंता करने से बचना चाहिए।

 मकर राशिफल 2025

मीन राशि

मीन राशि के चौथे और सातवें भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं और मार्गी होने के दौरान वह आपके पहले भाव में रहेंगे जो कि बुध के लिए कमज़ोर स्थिति है। बुध के पहले भाव में होने को अक्‍सर नकारात्‍मक माना जाता है और नीच स्‍थान में मार्गी होने से इसके नकारात्‍मक प्रभावों में वृद्धि हो सकती है। इस समय आपको घरेलू और परिवार से संबंधित मुद्दों को लेकर अत्‍यधिक सावधान रहने की ज़रूरत है। ज़मीन, प्रॉपर्टी और ऑटोमोबाइल से संबंधित मामलों में भी सतर्कता बरतनी चाहिए।

बुध मीन राशि में मार्गी होने पर व्‍यापारियों को सावधान रहने की ज़रूरत है क्‍योंकि उनकी छोटी सी गलती भी नुकसान करवा सकती है। इसके अलावा आप खासतौर पर दूसरों की आलोचना करते समय कठोर शब्‍दों का प्रयोग न करें। धन से संबंधित मामलों पर ध्‍यान दें और अपने परिवार के साथ स्‍नेहपूर्ण संबंध बनाए रखें।

मीन राशिफल 2025

बुध मीन राशि में मार्गी: उपाय

  • आप भगवान गणेश की पूजा करें और उन्‍हें दूर्वा घास एवं देसी घी के लड्डू चढ़ाएं।
  • बुध ग्रह के लिए हवन करें।
  • अपने परिवार की महिलाओं को कपड़े और हरे रंग की चूड़ियां भेंट करें।
  • किन्‍नरों का आशीर्वाद लें।
  • रोज़ गाय को चारा खिलाएं।
  • आप प्रत्‍येक बुधवार को गणेश चालीसा का पाठ करें।

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

प्रश्‍न 1. मीन राशि में कितने डिग्री पर बुध नीच का हो जाता है?

उत्तर. 15 डिग्री पर।

प्रश्‍न 2. बृहस्‍पति और बुध के बीच क्‍या संबंध है?

उत्तर. ये दोनों ग्रह एक-दूसरे के प्रति तटस्‍थ रहते हैं।

प्रश्‍न 3. मीन राशि के अलावा बृहस्‍पति और किस राशि के स्‍वामी हैं?

उत्तर. धनु राशि।

दुष्टों का संहार करने वाला है माँ कालरात्रि का स्वरूप, भय से मुक्ति के लिए लगाएं इस चीज़ का भोग !

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चैत्र नवरात्रि 2025: शक्ति साधना के पर्व नवरात्रि के 9 दिनों में देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। इसी क्रम में, चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन मां कालरात्रि को समर्पित होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन माता कालरात्रि की पूजा विधि-विधान से करने पर नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। जो भक्त माता के इस स्वरूप की पूजा सच्चे मन से करता है, उसके समस्त दुखों का अंत होता है। देवी कालरात्रि अपने भक्तों से प्रसन्न होकर उन्हें शुभ फल प्रदान करती हैं इसलिए इनको शुभंकरी के नाम से भी जाना जाता है। एस्ट्रोसेज एआई का यह विशेष ब्लॉग आपको चैत्र नवरात्रि की सप्तमी तिथि के बारे में समस्त जानकारी प्रदान करेगा। साथ ही, माँ कालरात्रि की पूजा विधि, प्रिय भोग और प्रिय रंग आदि के बारे में विस्तार से बात करेंगे। तो चलिए बिना देर किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं सप्तमी तिथि के बारे में। 

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हम आपको ऊपर बता चुके हैं कि चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा का विधान है। शक्ति के सातवें स्वरूप देवी कालरात्रि को “कालों की काल” माना गया है। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त देवी शक्ति का सानिध्य पाना चाहता है, उन्हें देवी की पूजा में उनकी प्रिय वस्तु का भोग लगाना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से माता प्रसन्न होकर आपके जीवन से हर संकट दूर कर देंगी। आइए चलिए अब नज़र डालते हैं चैत्र नवरात्रि की सप्तमी तिथि और पूजा मुहूर्त पर। 

चैत्र नवरात्रि 2025 सातवां दिन: तिथि और मुहूर्त 

हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन माना जाता है। यह तिथि देवी दुर्गा की सातवीं शक्ति माता कालरात्रि को समर्पित है।  इस दिन भक्त मां की कृपा एवं आशीर्वाद पाने के लिए व्रत रखकर देवी कालरात्रि की विधि पूर्वक आराधना करते हैं। साल 2025 में सप्तमी तिथि पर माता कालरात्रि की पूजा 04 अप्रैल 2025 को की जाएगी। अब हम जान लेते हैं सप्तमी तिथि पर देवी शक्ति की पूजा का मुहूर्त। 

चैत्र नवरात्रि 2025 का सातवां दिन: 04 अप्रैल 2025, शुक्रवार

सप्तमी तिथि का आरंभ: 03 अप्रैल की रात 09 बजकर 44 मिनट पर

सप्तमी तिथि की समाप्ति: 04 अप्रैल की रात 08 बजकर 15 मिनट तक 

नोट: उदया तिथि के अनुसार, चैत्र नवरात्रि सप्तमी तिथि 04 अप्रैल 2025 को होगी और इस दिन सप्तमी तिथि का व्रत किया जाएगा। 

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इस शुभ योग में रखा जाएगा सप्तमी तिथि का व्रत

वर्ष 2025 के चैत्र नवरात्रि की सप्तमी तिथि बेहद विशेष रहने वाली है क्योंकि नवरात्रि के सातवें दिन 04 अप्रैल 2025 को एक बेहद शुभ योग बनने जा रहा है। बता दें कि वैदिक ज्योतिष में शोभन योग को बहुत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस योग में किया गया प्रत्येक कार्य फलदायी सिद्ध होता है। इसके अलावा, अगर आप शोभन योग में कोई जरूरी यात्रा करते हैं, तो वह यात्रा बेहद सुखद और आरामदायक रहती है। साथ ही, आपको शुभ परिणामों की प्राप्ति होती है।  शोभन योग 04 अप्रैल की रात 09 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। 

शनि देव को शांत करने के लिए करें कालरात्रि पूजन

देवी दुर्गा के सातवें स्वरूप माता कालरात्रि का धार्मिक के साथ-साथ ज्योतिषीय दृष्टि से भी विशेष महत्व है। बात करें नवग्रहों की, तो नौ ग्रहों में सबसे क्रूर और पापी ग्रह माने जाने वाले शनि देव को देवी कालरात्रि नियंत्रित करती हैं। देवी के इस स्वरूप को माता पार्वती के समतुल्य माना गया है। ऐसे में, जो जातक अपने जीवन में शनि दोष या शनि ग्रह के नकारात्मक प्रभाव से जूझ रहा है, उन्हें नवरात्रि की सप्तमी तिथि पर माँ कालरात्रि की विधि-विधान से पूजा-अर्चना अवश्य करनी चाहिए। इसके अलावा, मां कालरात्रि की उपासना करने से भानु चक्र जागृत होता है और यह जातक के भीतर से हर तरह के भय का नाश कर देता है। ऐसे में, आपको जीवन की हर समस्या को समाधान करने का सामर्थ्य मिलता है। 

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कैसा है माँ कालरात्रि का स्वरूप?

माता कालरात्रि के स्वरूप के बारे में जानने से पहले हम बात करेंगे देवी के नाम के अर्थ की, तो बता दें कि देवी के नाम का शाब्दिक अर्थ अंधेरे को समाप्त करना है। इनके संबंध में कहा जाता जाता है कि जब किसी जातक के जीवन में निराशा अंधेरे के समान फैल जाए, तब देवी कालरात्रि की उपासना फलदायी सिद्ध होती है। 

बात करें देवी के स्वरूप की तो, सातवीं शक्ति माता कालरात्रि का वर्ण अंधकार के समान काला है और इनके बाल सदैव बिखरे और खुले रहते हैं। इनकी चार भुजाएँ हैं और यह अपने दाहिने हाथ में अभय और वर मुद्रा में हैं जबकि बाएं हाथों में तलवार और खड्ग ली हुई हैं। देवी ने अपने गले में एक चमकदार माला धारण की हुई है और इनके तीन नेत्र हैं। माता कालरात्रि के त्रिनेत्रों से तेज़ निकलता हैं। माँ की सवारी गधा है और इनका स्वरूप दिखने में बेहद भयानक है। लेकिन, माता अपने भक्तों को अपने रूप से एकदम विपरीत फल प्रदान करती हैं। 

क्यों की जाती है माँ कालरात्रि की पूजा?

धर्म ग्रंथों के अनुसार, नवरात्रि की सप्तमी तिथि पर देवी कालरात्रि की उपासना करने से भक्त को विशेष सिद्धियों की प्राप्ति होती हैं। माता के इस स्वरूप की पूजा विशेष रूप से तंत्र-मंत्र के साधकों द्वारा की जाती है। कहते हैं कि इनकी पूजा करने से व्यक्ति के भय का नाश हो जाता है। साथ ही, यह अपने उपासक की अकाल मृत्यु से रक्षा करती हैं। जब किसी व्यक्ति के जीवन में शत्रु हावी होने लगते है, तब नवरात्रि की सप्तमी तिथि पर माँ कालरात्रि की पूजा चमत्कार का काम करती है। देवी की कृपा से आपके शत्रु पराजित होते हैं। 

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चैत्र नवरात्रि 2025 सातवां दिन: माँ कालरात्रि पूजन विधि

चैत्र नवरात्रि की सप्तमी तिथि पर मां कालरात्रि का पूजन सही विधि से करना चाहिए जो कि इस प्रकार हैं: 

  • सप्तमी तिथि पर प्रातःकाल उठकर स्नानादि करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। 
  • इसके बाद पूजा स्थल को गंगाजल या गोमूत्र छिड़कर पवित्र करें। 
  • ऐसा करने के पश्चात कलश स्थापना करके भगवान गणेश के पूजन के बाद पूजा शुरू करें। 
  • अब देवी कालरात्रि और सभी देवी-देवताओं की सप्तशती मंत्र से पूजा करें। 
  • माता को सौभाग्य सूत्र, वस्त्र, हल्दी, सिंदूर, चंदन, रोली, आभूषण, फूल, दूर्वा, बिल्वपत्र, दीप, नैवेद्य, माला, धूप, दक्षिणा, भोग, फल, पान आदि चढ़ाएं। 
  • माँ कालरात्रि के मंत्रों का स्पष्ट और उच्च स्वर में उच्चारण करते हुए जाप करें। 
  • इसके पश्चात दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
  • पूजा के अंत में देवी की आरती करें और जाने-अनजाने में भी हुई भूल के लिए क्षमा प्रार्थना करें। साथ ही, देवी से अपनी  मनोकामना कहें। 

माँ कालरात्रि को लगाएं इसका भोग 

चैत्र नवरात्रि की सप्तमी तिथि पर देवी दुर्गा के सातवें स्वरूप माता कालरात्रि की पूजा करते समय उनका प्रिय भोग लगाना चाहिए जिससे आपको उनकी कृपा जल्द ही शीघ्र प्राप्त हो सके। देवी कालरात्रि को गुड़ अतिप्रिय है इसलिए सप्तमी तिथि पर देवी को गुड़ या गुड़ से बनी मिठाई का प्रसाद के रूप में भोग लगाना चाहिए। आप अपनी इच्छा के अनुसार मालपुए का भोग भी लगा सकते हैं। 

कालरात्रि पूजन के लिए मंत्र

देवी कालरात्रि की पूजा करते समय सप्तमी तिथि पर निम्न मंत्रों से करें।

॥ॐ देवी कालरात्र्यै नमः॥

मां कालरात्रि का स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

देवी स्त्रोत 

हीं कालरात्रि श्रीं कराली च क्लीं कल्याणी कलावती।
कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता॥
कामबीजजपान्दा कमबीजस्वरूपिणी।
कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी॥
क्लीं ह्रीं श्रीं मन्त्र्वर्णेन कालकण्टकघातिनी।
कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा॥

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सप्तमी तिथि पर करें ये उपाय, माँ कालरात्रि करेंगी हर संकट दूर

  1. जो जातक लंबे समय से बीमार चल रहे हैं या किसी स्वास्थ्य संबंधी समस्या से परेशान हैं, तो इससे छुटकरा पाने के लिए  चैत्र नवरात्रि की सप्तमी तिथि से शुरू करके अगले 42 दिनों तक ‘जय त्वं देवि‘ मंत्र का 108 बार जाप करें। मंत्र जाप करने के बाद आसमान की तरफ देखकर 11 बार कहें- ‘अच्युत, अनन्त, गोविन्द’ 
  2. यदि आपको बुरे सपने आते हैं या फिर आप सपनों से डर जाते हैं, तो सप्तमी तिथि पर एक गोमती चक्र लेकर ‘जय त्वं‘ मंत्र का 21 बार जाप करें। इसके बाद, गोमती चक्र को अपने  पलंग के पाये में चांदी के तार से बांध दें। इस उपाय को करने से बुरे सपने आने बंद हो जाएंगे।
  3.  जो लोग एक सुखी दांपत्य जीवन की चाह रखते हैं, वह चैत्र नवरात्रि की सप्तमी तिथि पर बेल के तीन पत्ते लेकर उस पर अपने पति या पत्नी का नाम गोरोचन का घोल बनाकर मोर पंख से लिखें और चांदी की एक डिब्बी में रखकर माता कालरात्रि के चरणों में रख दें।
  4. यदि आप जीवन में सभी कार्य अपने मन के अनुसार करना चाहते है, तो नवरात्रि पूजन के  बाद मां कालरात्रि का ध्यान करें और उनके 108 मंत्रों का जाप करें जो कि इस प्रकार है: “ॐ कालरात्र्यै नम:”

माँ कालरात्रि से जुड़ी पौराणिक कथा 

धर्मग्रंथों में वर्णित कथा के अनुसार, एक बार शुंभ और निशुंभ नामक दो राक्षसों ने देवलोक में आतंक मचाया हुआ था। उन्होंने युद्ध में इंद्रदेव को पराजित करके स्वर्गलोक पर कब्ज़ा कर लिया था। सभी देवता सहायता के लिए माँ पार्वती के पास गए, लेकिन उस समय देवी स्नान कर रहीं थीं इसलिए उन्होंने देवताओं की मदद के लिए चंडी को भेजा। देवी चंडी से युद्ध करने के लिए दानवों ने चण्ड-मुण्ड नाम के को दो राक्षसों को भेजा। 

उस समय देवी ने माँ कालरात्रि को प्रकट किया और उन्होंने चण्ड-मुण्ड का वध कर दिया। इसके बाद, माँ से लड़ने रक्तबीज नामक राक्षस आया और युद्ध के समय उसके शरीर से गिर रही रक्त की बूंदों से नए राक्षस पैदा हो रहे थे, तब देवी ने उसके रक्त की बूँदें  धरती पर गिरने से रोकने के लिए रक्त पीने का विचार किया जिससे न उसका खून ज़मीन पर गिरे और न ही कोई नया राक्षस  पैदा हो। 

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. 2025 में चैत्र नवरात्रि की सप्तमी तिथि कब है?

चैत्र नवरात्रि में सप्तमी तिथि 04 अप्रैल 2025 को होगी।

2. सप्तमी तिथि पर किस स्वरूप की पूजा की जाती है?

माँ कालरात्रि की पूजा सप्तमी तिथि पर की जाती है। 

3. माँ कालरात्रि कौन सी शक्ति है?

देवी दुर्गा की सातवीं शक्ति माँ कालरात्रि हैं। 

दुखों, कष्टों एवं विवाह में आ रही बाधाओं के अंत के लिए षष्ठी तिथि पर जरूर करें कात्यायनी पूजन!

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चैत्र नवरात्रि 2025: देवी दुर्गा की शक्ति साधना का सबसे बड़ा पर्व चैत्र नवरात्रि का आगमन हो चुका है और आज नवरात्रि के छठे दिन माता शक्ति के कात्यायनी स्वरूप की पूजा की जाती है। वैसे तो, नवरात्रि के नौ दिनों में से प्रत्येक दिन का अपना अलग महत्व है और इन नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा अलग-अलग समस्याओं के निवारण के लिए की जाती हैं। माता भक्त को मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद देती हैं। हम इस विशेष ब्लॉग में आपको चैत्र नवरात्रि के छठे दिन यानी कि षष्ठी तिथि के बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे। इस दिन देवी के किस स्वरूप की पूजा की जाती है? माता को प्रसाद के रूप में किस चीज़ का भोग लगाना चाहिए? किस मंत्र का जाप करना चाहिए और क्या है छठे नवरात्रि की पौराणिक कथा आदि के बारे में हम विस्तार से बात करेंगे। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और शुरुआत करते हैं चैत्र नवरात्रि के छठे दिन के बारे में।

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चैत्र नवरात्रि का छठा दिन देवी कात्यायनी को समर्पित होता है। इस दिन देवी दुर्गा के छठे स्वरूप की पूजा पूरे विधि-विधान से की जाती है। ऐसा माना जाता है कि कात्यायनी पूजन से जातक को सुख-समृद्धि, आयु और वैभव का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही, छठे दिन माँ कात्यायनी का व्रत और पूजन अविवाहितों के लिए विशेष रूप से फलदायी होता है क्योंकि माता की कृपा से भक्त को मनचाहा वर प्राप्त होता है। 

यदि आप भी माता कात्यायनी से मनचाहा वर या कोई आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो आपको छठे दिन देवी की पूजा विधि-विधान, प्रिय भोग, प्रिय रंग, कथा, पुष्प, मंत्र और आरती के माध्यम से करनी चाहिए। इनका सानिध्य आपको जीवन में शक्ति और निडरता प्रदान करता है। 

चैत्र नवरात्रि 2025 छठा दिन: तिथि एवं शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र नवरात्रि का आरंभ चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है। चैत्र मा​ह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि नवरात्रि का छठा दिन होता है और इस दिन देवी दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। इनकी आराधना से भक्तों को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस साल चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों में से एक नवरात्रि कम होने के कारण छठा दिन यानी षष्ठी तिथि 03 अप्रैल 2025, गुरुवार को पड़ेगी। इस दिन ही भक्तों द्वारा छठे नवरात्रि का व्रत किया जाएगा। आइए अब नज़र डालते हैं छठे नवरात्रि के पूजा मुहूर्त पर। 

चैत्र नवरात्रि 2025 का छठा दिन: 03 अप्रैल 2025, गुरुवार

षष्ठी तिथि का आरंभ: 02 अप्रैल की रात 11 बजकर 52 मिनट पर

षष्ठी तिथि की समाप्ति: 03 अप्रैल की रात 09 बजकर 44 मिनट तक

नोट: उदया तिथि के अनुसार, चैत्र नवरात्रि की षष्ठी तिथि का व्रत 03 अप्रैल 2025 को किया जाएगा।    

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छठे नवरात्रि पर बनेगा ये शुभ योग

चैत्र नवरात्रि के छठे दिन अर्थात षष्ठी तिथि पर एक बेहद शुभ योग बनने जा रहा है। इस तिथि पर सौभाग्य योग निर्मित हो रहा है जो इस तिथि की रात के 12 बजे तक रहेगा। ज्योतिष में सौभाग्य योग में की गई पूजा और कार्यों से सफलता, सुख, ऐश्वर्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। बता दें कि सौभाग्य योग के स्वामी भगवान ब्रह्मा हैं और यह योग व्यक्ति के जीवन में समृद्धि और भाग्य को दर्शाता है।

देवी कात्यायनी का ज्योतिषीय महत्व 

सनातन धर्म में माता कात्यायनी को विशेष स्थान प्राप्त है। लेकिन, शायद बहुत कम लोग जानते होंगे कि माता कात्यायनी को ज्योतिष में भी महत्वपूर्ण माना गया है। ज्योतिष की बात करें तो, देवताओं के गुरु बृहस्पति देव से देवी कात्यायनी संबंधित हैं। माता ही गुरु ग्रह को नियंत्रित करती हैं इसलिए इनकी पूजा से गुरु ग्रह के अशुभ प्रभावों को दूर किया जा सकता है। सामान्य शब्दों में कहें तो, माता कात्यायनी की पूजा उन लोगों के लिए शुभ रहती है जो कुंडली में कमज़ोर बृहस्पति से परेशान हैं। चलिए अब जानते हैं माता दुर्गा के छठे स्वरूप कात्यायनी के बारे में विस्तार से।

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कैसा है माँ कात्यायनी का स्वरूप?

हम आपको बता चुके हैं कि देवी दुर्गा की छठी शक्ति मां कात्यायनी हैं और चैत्र नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा का विधान है। माता शक्ति ने देवी कात्यायनी का अवतार महिषासुर राक्षस का वध करने के लिए लिया था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवी के इस स्वरूप को काफी हिंसक माना जाता है और इस वजह से देवी कात्यायनी “युद्ध की देवी” के नाम से भी जानी जाती हैं। 

माता कात्यायनी को अमोघ फलदायिनी माना गया है और इनका स्वरूप अत्यंत दिव्य और भव्य है। बात करें इनके वर्ण की, तो देवी का वर्ण स्वर्ण की तरह चमकीला और उज्जवल है। मां दुर्गा के छठे स्वरूप कात्यायनी देवी की सवारी शेर हैं और इनकी चार भुजाएं हैं। यह अपने बाएं हाथों में कमल और तलवार धारण किए हुए है जबकि दाहिने हाथ वरद और अभय मुद्रा में हैं। देवी कात्यायनी ने लाल रंग के वस्त्र धारण किए हुए हैं जिसमें उनका स्वरूप अत्यंत सुंदर और मनोहर लगता है। कहते हैं कि ब्रज की गोपियों ने भगवान श्रीकृष्ण की प्राप्ति के लिए कालिंदी नदी के किनारे देवी कात्यायनी की पूजा की थी इसलिए इनको ब्रज की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है।

क्यों की जाती है माता कात्यायनी की पूजा?

चैत्र नवरात्रि की षष्ठी तिथि पर मां दुर्गा के छठे स्वरूप कात्यायनी की पूजा की जाती है। इनका यह स्वरूप अत्यंत शक्तिशाली और दिव्य माना जाता है। ऐसा कहते हैं कि नवरात्रि के पावन दिनों में मां कात्यायनी की पूजा और व्रत करने से भक्त को अर्थ, धर्म, मोक्ष और काम इन सभी की प्राप्ति होती है। साथ ही, देवी के आपसे प्रसन्न होने पर जातक संसार में सभी तरह के सुखों का आनंद लेते हुए मोक्ष को प्राप्त हो जाता है। इनकी कृपा से आपके जीवन से सभी कष्टों और दुखों का अंत होता है।

भागवत पुराण में वर्णन किया गया है कि माँ कात्यायनी की पूजा-अर्चना करने से जातक का शरीर कांतिमान हो जाता है। वहीं, गृहस्थ लोगों को माता की आराधना से सुखमय जीवन की प्राप्ति होती है। साथ ही, इनके आशीर्वाद से रोग, शोक, भय और संताप आदि का नाश हो जाता है।

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चैत्र नवरात्रि 2025 छठा दिन: माँ कात्यायनी पूजन विधि

हिंदू धर्म में पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों से शुभ फलों की प्राप्ति तब ही होती है, जब पूजा विधि-विधान से की जाती है इसलिए यहाँ हम आपको चैत्र नवरात्रि के छठे दिन कात्यायनी पूजा की सही विधि प्रदान कर रहे हैं।   

  • षष्ठी तिथि पर प्रातःकाल स्नानादि से निवृत होने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। 
  • इसके बाद सच्चे मन से देवी का स्मरण करने के पश्चात मां कात्यायनी की पूजा शुरू करें। 
  • देवी कात्यायनी का जल से अभिषेक करें और फिर लगातार मंत्रोच्चार करते हुए देवी को लाल रंग के फूल, अक्षत्, लाल चुनरी, सिंदूर, धूप, फल, शहद और दीप आदि अर्पित करें। 
  • इसके पश्चात माता कात्यायनी के बीज मंत्र का जाप करें और फिर कथा का पाठ करें। 
  • सबसे अंत में आरती करें और अपनी मनोकामना माता के सामने प्रकट करते हुए उसे पूरा करने की प्रार्थना करें। 

माता कात्यायनी को अति प्रिय हैं ये भोग

मां कात्यायनी को सफलता और शक्ति का प्रतीक माना जाता है और इनकी कृपा आपको जीवन में अपार सफलता दिलाने का सामर्थ्य रखती है। इस प्रकार, चैत्र नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा करते समय देवी को शहद का भोग लगाना चाहिए क्योंकि उन्हें शहद अति प्रिय है। मान्यता है कि माता को शहद का भोग लगाने से उपासक के व्यक्तित्व में निखार आता है। हालांकि, अगर आप चाहें तो, देवी को प्रसाद के रूप में लौकी और मीठा पान भी अर्पित कर सकते हैं।

देवी कात्यायनी की पूजा के लिए मंत्र

माता कात्यायनी की पूजा छठे नवरात्रि के दिन निम्न मंत्रों से करें। 

ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥

प्रार्थना मंत्र

चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।

कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥

देवी की स्तुति

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

विवाह में देरी होने पर अवश्य करें कात्यायनी पूजा 

चैत्र नवरात्रि के छठे दिन कात्यायनी पूजा को करना उन लोगों के लिए विशेष रूप से फलदायी साबित होता है जिन जातकों के विवाह में बार-बार समस्या आ रही है, विवाह में देरी हो रही है या विवाह से जुड़े मामलों में अड़चनें या रुकावटें पैदा हो रही हैं। ऐसे जातकों को कात्यायनी पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है और विवाह के मार्ग में आ रही सभी तरह की समस्याएं दूर होती हैं। साथ ही, कन्याओं को कात्यायनी पूजन करने से मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। 

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चैत्र नवरात्रि के छठे दिन पर करें ये उपाय, माँ कात्यायनी का मिलेगा आशीर्वाद 

  1. जिन कन्याओं के विवाह में समस्या आ रही है, उन्हें छठे नवरात्रि के दिन मां कात्यायनी के मंत्र ‘ऊँ क्लीं कात्यायनी महामाया महायोगिन्य घीश्वरी, नन्द गोप सुतं देवि पतिं मे कुरुते नमः।।’ का 11 बार जाप करना चाहिए। ऐसा करने से कन्या के विवाह में आ रही बाधाएं दूर हो जाती हैं। 
  2. यदि आपके ऊपर कर्ज़ बहुत हैं और लाख प्रयास करने के बाद भी आप कर्ज़ से बाहर नहीं आ पा रहे हैं, तो आप आटे में शक्कर मिलाकर चींटीयों को डालें या फिर पंजीरी को किसी पेड़ के नीचे डालें जहां पर चींटियों का बिल बने हुए हों। नवरात्रि के दौरान इस उपाय को करने से जातक को कर्ज़ से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही, भविष्य में आपको कर्ज़ लेने की नौबत नहीं आती है। 
  3. नवरात्रि के छठे दिन स्नान करने के बाद आप साबुत फिटकरी का एक टुकड़ा (कम से कम 50 ग्राम) लें और इसकी काले कपड़े में सिलाई करके घर या व्यापार के मुख्य द्वार पर लटका दें। इस उपाय को करने से धन प्राप्ति के नए रास्ते खुलते हैं और घर में बरकत बनी रहती है। यदि आप फटकरी को टांग न सकें, तो फिटकरी को काले कपड़े में बांधकर घर में ही रखें। 

देवी कात्यायनी से जुड़ी पौराणिक कथा

धार्मिक ग्रंथों में वर्णित कथा के अनुसार, एक बार महर्षि कात्यायन ने कठोर तपस्या की थी और उनकी इस तपस्या का उद्देश्य संतान प्राप्ति था। उस समय माता शक्ति ने महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर उनको दर्शन दिए और माता के सामने उन्होंने अपनी संतान प्राप्ति की इच्छा प्रकट की। इसके पश्चात माता ने ऋषि को वचन दिया और कहा, शीघ्र ही वह पुत्री के रूप में उनके घर में जन्म लेंगी। माता के वचन देने के कुछ समय पश्चात बाद तीनों लोको में महिषासुर नामक राक्षस ने आंतक मचाया हुआ था। वह लोगों पर अत्याचार करने लगा और यह अत्याचार हर दिन के साथ बढ़ते जा रहे थे।

महिषासुर के आतंक की वजह से मानव से लेकर देवी-देवता तक परेशान थे और भयभीत होकर जीवन जी रहे थे। यह सब देखकर ब्रह्मा जी, विष्णु जी और शिव जी ने अपने तेज से एक देवी को प्रकट किया और इन्होने ही महर्षि कात्यायन के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया। महर्षि कात्यायन के घर में देवी का जन्म होने के कारण ही इनका नाम कात्यायनी पड़ा। ऋषि कात्यायन ने अपने घर में पुत्री का जन्म होने के बाद देवी कात्यायनी की सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि पर विधि-विधान से पूजा की थी। इन तीन दिनों के बाद दशमी तिथि पर देवी कात्यायनी ने महिषासुर का वध करके तीनों लोकों को उसके अत्याचार से मुक्त दिला दी थी।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. चैत्र नवरात्रि के छठे दिन देवी के किस स्वरूप की पूजा की जाती है?

चैत्र नवरात्रि की षष्ठी तिथि पर माँ कात्यायनी की पूजा का विधान है।

2. कात्यायनी पूजा किसे करनी चाहिए?

जिन लोगों के विवाह में देरी हो रही है, उनके लिए कात्यायनी पूजा करना शुभ रहता है। 

3. साल 2025 में चैत्र नवरात्रि कितने दिन के होंगे?

इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 8 दिन के होंगे। 

मंगल का कर्क राशि में गोचर: किन राशियों के लिए बन सकता है मुसीबत; जानें बचने के उपाय!

मंगल का कर्क राशि में गोचर: किन राशियों के लिए बन सकता है मुसीबत; जानें बचने के उपाय!

मंगल का कर्क राशि में गोचर: हम सभी इस बात को भली-भांति जानते हैं कि वैदिक ज्योतिष में नवग्रहों में मंगल देव को सबसे उग्र ग्रह माना जाता है। यह हर इंसान के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं क्योंकि मंगल ग्रह का संबंध मनोकामनाओं, पराक्रम और जुनून आदि से है। वैसे मंगल को अनेक नामों से जाना जाता है और उनके कुछ नामों में ‘कुजा’,‘लोहिता’ और ‘भौम पुत्र’ शामिल हैं। लोहिता का अर्थ लाल रंग से है। बता दें कि अब जल्द ही मंगल ग्रह अपनी राशि परिवर्तन करने जा रहे हैं और वह कर्क राशि में प्रवेश करेंगे। एस्ट्रोसेज एआई के इस विशेष ब्लॉग में आपको “मंगल का कर्क राशि में गोचर से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी जैसे कि तिथि, समय, प्रभाव आदि। 

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ऐसे में, आपके मन में सवाल उठ रहे होंगे कि मंगल का यह गोचर आपकी राशि के लिए कैसा रहेगा? किन राशियों को मिलेंगे शुभ परिणाम और किसे अशुभ? क्या मिलेगी आपको मनचाही नौकरी या फिर करना होगा इंतज़ार? प्रेम, विवाह और वैवाहिक जीवन का हाल? इन सभी सवालों के जवाब आपको हमारे इस लेख में मिलेंगे। साथ ही, मंगल का कर्क राशि में गोचर सभी राशियों के साथ-साथ देश-दुनिया को भी प्रभावित करेगा। यहां हम आपको इस गोचर के प्रभाव और कुंडली में मंगल देव को मज़बूत करने के उपाय भी प्रदान करेंगे। तो चलिए शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की और जानते हैं मंगल गोचर की तिथि और समय। 

मंगल का कर्क राशि में गोचर: तिथि और समय 

साहस एवं पराक्रम के ग्रह कहे जाने वाले मंगल महाराज उग्र प्रवृत्ति के माने जाते हैं जो लगभग  हर महीने एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। अब मंगल महाराज 03 अप्रैल 2025 की रात 01 बजकर 32 मिनट पर कर्क राशि में गोचर करने जा रहे हैं। बता दें कि कर्क राशि में मंगल नीच के होते हैं और इस राशि के अधिपति देव चंद्रमा हैं। इसकी परिणामस्वरूप, मंगल की स्थिति कर्क राशि में कमज़ोर होती है इसलिए इस गोचर को ज्यादा अच्छा नहीं कहा जा सकता है। ऐसे में, मंगल का गोचर कुछ राशियों के लिए अच्छा रह सकता है जबकि कुछ राशियों के लिए नकारात्मक रह सकता है। आइए अब हम नज़र डालते हैं मंगल ग्रह के धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व पर।

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मंगल ग्रह का धार्मिक महत्व 

  • बात करें मंगल ग्रह के धार्मिक महत्व की, तो हिंदू धर्म में मंगल का अर्थ ‘पवित्र और शुभ’ से है इसलिए मंगल देव को समर्पित मंगलवार के दिन नए काम को शुरू करना शुभ माना जाता है।  
  • बता दें कि मंगलवार का नाम ‘मंगल’ ग्रह के नाम पर ही पड़ा है और इसका अर्थ कुशल होता है। इसके अलावा, मंगल देव का संबंध संकटमोचन हनुमान से भी माना गया है। 
  • हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं में मंगल को पृथ्वी का पुत्र कहा गया है इसलिए यह भौम पुत्र के नाम से भी जाने जाते हैं। 
  • शिव पुराण के अनुसार, मंगल देव का जन्म भगवान शिव की पसीने की बूंद से हुआ था और इसके बाद देवता बन कर आकाश में स्थापित हो गए थे। 
  • पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, एक बार भगवान शिव का युद्ध अंधकासुर नामक दैत्य से चल रहा था और इस दौरान महादेव के मस्तक से पीसना भूमि पर गिरा। इस पसीने की बूँद से भूमि के गर्भ से एक अंगार क्षीण लिंग उत्पन्न हुआ जिससे एक बालक प्रकट हुआ। इस बालक ने अंधकासुर का वध किया और शिव जी की कृपा से यह बालक अंतरिक्ष में ग्रह के रूप में स्थापित हुआ और इसे ही मंगल ग्रह के नाम से जाना गया। 

मंगल ग्रह का ज्योतिषीय महत्व 

  • हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि ज्योतिष शास्त्र में मंगल को उग्र स्वभाव का ग्रह माना गया है। साथ ही, यह युद्ध के देवता और सेनापति के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। 
  • मंगल एक पुरुष प्रधान ग्रह है और इन्हें अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है। 
  • मनुष्य जीवन में मंगल देव भाई, भूमि और ऊर्जा से जुड़े हुए हैं। साथ ही, यह व्यक्ति के भीतर ऊर्जा में वृद्धि करते हैं और इनके प्रभाव से इंसान अपने कार्य को पूरी ऊर्जा, शक्ति और क्षमता के साथ करता है। 
  • यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल की स्थिति मज़बूत या शुभ होती है, तो वह निडरता और साहस से पूर्ण रहता है। ऐसे में, आप अपने शत्रुओं को पराजित करने में सक्षम होते हैं। इसके अलावा, मंगल ग्रह से ही कुंडली में मंगल दोष जन्म लेता है। 

कुंडली में मंगल दोष होने पर जातक का वैवाहिक जीवन भी प्रभावित होता है और उसे नीचे दी गई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

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वैवाहिक जीवन पर मंगल दोष का प्रभाव

कुंडली में मंगल दोष होने पर जातक का वैवाहिक जीवन नकारात्मक रूप से प्रभावित होता है।  वहीं, अविवाहित जातकों को विवाह में देरी और अनेक तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ता हैं। अगर आप पहले से शादीशुदा हैं, तो जातक को पार्टनर के साथ आपसी तालमेल बिठाने में परेशानी का अनुभव होता है। 

ज्योतिष शास्त्र में वर्णित है कि कुंडली का सातवां भाव विवाह और वैवाहिक जीवन का होता है। इस प्रकार, मंगल की सातवें भाव में उपस्थिति अशुभ होती है। इस संबंध में ज्योतिषियों का मत है कि मंगल, शनि, राहु या केतु, सूर्य जैसे अशुभ ग्रह या पीड़ित चंद्रमा सातवें भाव में बैठे होते हैं या इस भाव को देख रहे होते हैं, तो यह जातक के विवाह में देरी का कारण बनते हैं। अगर शनि और चंद्रमा किसी भाव में एक साथ बैठे होते हैं, तब भी विवाह में देरी होती है। 

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मांगलिक दोष के लक्षण 

कुंडली में मंगल दोष होने पर आप नीचे दिए गए संकेतों से इसकी पहचान कर सकते हैं जो कि इस प्रकार हैं: 

  • मुकदमे में फंस जाना
  • आत्मविश्वास और साहस की कमी
  • संपत्ति को लेकर विवाद पैदा होना
  • रक्त से जुड़ी समस्याएं एवं रोगों की चपेट में आना 
  • वैवाहिक जीवन में मतभेद एवं समस्याएं आना
  • भाई के साथ विवादों का बने रहना
  • व्यक्ति पर हिंसक स्वभाव हावी होना
  • कर्जे की स्थिति में आ जाना

मांगलिक दोष को दूर करने के उपाय 

मंगल दोष को शांत करने के लिए आप इन उपायों को अपना सकते हैं। 

  • मंगलवार के दिन उपवास करें और हनुमान मंदिर जाकर बूंदी के प्रसाद का वितरण करें।
  • मंगलवार को हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें।
  • मंगलवार के दिन स्नानादि से निवृत होने के बाद लाल वस्त्र धारण करके हनुमान जी की पूजा-अर्चना करें। 
  • मंगलवार के दिन लाल रंग के कपड़े पहनकर हनुमान जी की पूजा के बाद उन्हें सिंदूर अर्पित करें।
  • मंगल दोष के दुष्प्रभावों से राहत के लिए मंगल ग्रह शांति पूजा करें।
  • जातक के लिए गुड़, लाल मिर्च, शहद, लाल रंग के कपड़े, मसूर की दाल, लाल रंग की मिठाई आदि का दान करना श्रेष्ठ रहता है। .

आइए अब बात करते हैं कुंडली में मज़बूत मंगल के संकेतों की। 

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मनुष्य जीवन पर मंगल का शुभ प्रभाव

जिन जातकों की कुंडली में मंगल की स्थिति मज़बूत होती है, वह अपने जीवन में साहसी और बहादुर होते हैं। यह लोग किसी भी तरह का जोख़िम उठाने से डरते नहीं हैं। शुभ मंगल वाले जातक बेहद दृढ़ निश्चयी होते हैं और जो एक बार ठान लेते हैं, वह करके रहते हैं। यह जातक जल्दी उत्साहित नहीं होते हैं और जीवन में जब तक अपने लक्ष्य हासिल नहीं कर लेते हैं, तब तक रुकते नहीं हैं और आगे बढ़ते रहते हैं। 

ऐसे लोग जिनकी कुंडली में मंगल की स्थिति शुभ होती है, वह काफ़ी ऊर्जावान और भावुक होते हैं। हर काम को बढ़-चढ़कर करना पसंद होता है। इन लोगों में आत्मविश्वास कूट-कूट कर भरा होता है इसलिए यह अपने मन की बात निडरता से कह देते हैं। साथ ही, यह जातक अपने हक़ के लिए अपनी आवाज़ बुलंद करने से भी पीछे नहीं रहते हैं। इन जातकों को खुद को और दूसरों को चुनौती देने में रुचि रखते हैं। 

मंगल का कर्क राशि में गोचर के दौरान करें ये 3 अचूक उपाय

लाल रंग: मंगल ग्रह का संबंध लाल रंग से है इसलिए मंगल देव को शांत करने के लिए अपने दैनिक जीवन में लाल रंग का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें। ऐसे में, आप लाल रंग के कपड़े धारण करें या फिर घर में लाल रंग की वस्तुएं रखें। 

तांबा: मंगल ग्रह की धातु तांबा मानी जाती है। ऐसे में, इस धातु को धारण करने से आपके आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और समस्याओं का सामना आप डटकर करते हैं। आप अपनी इच्छा अनुसार तांबे का कड़ा या फिर ब्रेसलेट पहन सकते हैं। साथ ही, मंगलवार के दिन तांबे की वस्तुओं का दान भी कर सकते हैं। 

जौ: मंगल देव का अनाज जौ को माना गया है। इसका सेवन करने से शरीर को ताकत मिलती है। ज्योतिष की मानें तो, अमावस्या या पूर्णिमा के दिन जौ का आटा हवन में अर्पित करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। 

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मंगल का कर्क राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय 

मेष राशि

मेष राशि वालों के लिए मंगल आपकी कुंडली में लग्न या राशि के स्वामी होने के… (विस्तार से पढ़ें) 

वृषभ राशि

वृषभ राशि वालों के लिए मंगल ग्रह आपकी कुंडली में सातवें भाव और द्वादश भाव… (विस्तार से पढ़ें)

मिथुन राशि

मिथुन राशि वालों के लिए मंगल ग्रह आपकी कुंडली में छठे तथा ग्यारहवें भाव के… (विस्तार से पढ़ें)

कर्क राशि

कर्क राशि वालों के लिए मंगल देव आपकी कुंडली में पांचवें तथा दसवें भाव के… (विस्तार से पढ़ें)

सिंह राशि

सिंह राशि वालों के लिए मंगल ग्रह आपकी कुंडली में चौथे तथा भाग्य भाव के स्वामी… (विस्तार से पढ़ें) 

कन्या राशि

कन्या राशि वालों के लिए मंगल आपकी कुंडली में तीसरे तथा आठवें भाव… (विस्तार से पढ़ें)

तुला राशि

तुला राशि वालों के लिए मंगल आपकी कुंडली में दूसरे तथा सातवें भाव… (विस्तार से पढ़ें) 

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि वालों के लिए मंगल आपकी कुंडली में लग्न भाव और छठे भाव की… (विस्तार से पढ़ें) 

धनु राशि 

धनु राशि वालों के लिए मंगल आपकी कुंडली में पांचवें तथा द्वादश भाव के … (विस्तार से पढ़ें)

मकर राशि

मकर राशि वालों के लिए मंगल आपकी कुंडली में चौथे तथा लाभ भाव… (विस्तार से पढ़ें)

कुंभ राशि

कुंभ राशि वालों के लिए मंगल आपकी कुंडली में तीसरे तथा दसवें भाव के… (विस्तार से पढ़ें)

मीन राशि

मीन राशि वालों के लिए मंगल आपकी कुंडली में दूसरे तथा भाग्य भाव के स्वामी… (विस्तार से पढ़ें)

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. क्या मंगल ग्रह की स्थिति कर्क राशि में मज़बूत होती है?

नहीं, कर्क राशि मंगल ग्रह की नीच राशि है इसलिए इस राशि में मंगल देव कमज़ोर अवस्था में होते हैं।

2. मंगल ग्रह की उच्च राशि कौन सी है?

मंगल महाराज मकर राशि में उच्च होते हैं।

3. मंगल का कर्क राशि में गोचर कब होगा? 

कर्क राशि में मंगल देव 03 अप्रैल 2025 को गोचर कर जाएंगे।  

चैत्र नवरात्रि के पांचवे दिन, इन उपायों से मिलेगी मां स्‍कंदमाता की कृपा!

चैत्र नवरात्रि के पांचवे दिन, इन उपायों से मिलेगी मां स्‍कंदमाता की कृपा!

चैत्र नवरात्रि का पांचवां दिन: हिंदू पंचांग में चैत्र नवरात्रि नौ दिनों का एक महत्‍वपूर्ण त्‍योहार है जो कि मां दुर्गा और उनके नौ स्‍वरूपों को समर्पित है। चैत्र नवरात्रि 2025 के पांचवे दिन को पंचमी तिथि के नाम से जाना जाता है और इस दिन स्‍कंदमाता की पूजा का विधान है। मां दुर्गा के इस स्‍वरूप को स्‍नेह और शक्‍ति का प्रतीक माना जाता है।

एस्‍ट्रोसेज एआई के इस विशेष ब्‍लॉग में स्‍कंदमाता से जुड़ी पौराणिक कथाओं, उनके पूजन के महत्‍व, पंचम नवरात्रि की पूजन विधि आदि के बारे में बताया गया है। तो चलिए अब बिना देर किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं नवरात्रि के पांचवे दिन के बारे में।

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चैत्र नवरात्रि 2025 का पांचवां दिन: समय और तिथि

हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल चैत्र नवरात्रि की पंचम तिथि 02 अप्रैल, 2025 को अर्धरात्रि 02 बजकर 35 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 02 अप्रैल की ही रात को 11 बजकर 52 मिनट पर होगा।

मां स्‍कंदमाता का महत्‍व

मां नवदुर्गा के पांचवे स्‍वरूप को स्‍कंदमाता के नाम से जाना जाता है। उन्‍हें युद्ध के देवता कार्तिकेय की मां के रूप में यह नाम मिला है। भगवान कार्तिकेय को स्‍कंद के नाम से भी जाना जाता है इसलिए उनकी मां को स्‍कंदमाता भी कहते हैं। स्‍कंदमाता का अर्थ होता है स्‍कंद की मां। देवी दुर्गा के पांचवे स्‍वरूप में स्‍कंदमाता कमल के फूल पर विराजमान रहती हैं जिससे उन्‍हें पद्मासन की उपाधि मिली है। मां स्‍कंदमाता की चार भुजाएं हैं जिनमें से दो हाथों में कमल का फूल है, एक हाथ अभय मुद्रा में है और उनके एक हाथ में भगवान स्‍कंद शिशु के रूप में विराजमान हैं। मां दुर्गा के पांचवे स्‍वरूप की सवारी सिंह है जो कि साहस और शक्‍ति का कारक है।

स्‍कंदमाता की उत्‍पत्ति देवताओं और असुरों के बीच हुए युद्ध से जुड़ी हुई है। असुर तारकासुर को यह वरदान मिला था कि भगवान शिव का पुत्र ही उसका वध कर सकता है। उस समय भगवान शिव गहन तपस्‍या में लीन थे और संसार से संबंधित मामलों से विरक्‍त थे। संसार में संतुलन बनाए रखने के लिए देवताओं ने माता पार्वती से सहायता मांगी। देवी पार्वती ने अपनी कठोर तपस्‍या से भगवान शिव को प्रसन्‍न कर उनसे विवाह किया। भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन से उत्‍पन्‍न पुत्र स्‍कंद यानी भगवान कार्तिकेय ने देवताओं की सेना का नेतृत्‍व करते हुए तारकासुर का वध कर दिया।

युद्ध के देवता की मां होने की वजह से स्‍कंदमाता को मातृत्‍व की रक्षा और पोषण करने वाली शक्‍ति का प्रतीक माना जाता है।

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मां स्‍कंदमाता का स्‍वरूप

स्‍कंदमाता को शांत और तेजस्‍वी देवी के रूप में दर्शाया गया है जो मातृत्‍व की कोमलता और दिव्‍य शक्‍ति दोनों का प्रतीक हैं। स्‍कंदमाता की चार भुजाएं हैं जो विभिन्‍न दैवीय गुणों को दर्शाते हैं। उनके दो हाथों में खिले हुए कमल के फूल हैं जो कि पवित्रता, आध्‍यात्मिक जागृति और दिव्‍य सौंदर्य का प्रतीक हैं। उनकी एक भुजा अभय मुद्रा में रहती है जिसे संरक्षण और आश्‍वासन का प्रतीक माना जाता है। यह दर्शाता है कि माता अपने भक्‍तों की हर संकट से रक्षा करती हैं। मां ने अपनी चौथी भुजा अपनी गोद में बैठे अपने पुत्र स्‍कंद को पकड़ रखा है।

स्‍कंदमाता का रंग स्‍वर्णिम और तेजस्‍वी है जो उनकी दिव्‍यता को दर्शाता है। देवी सुंदर आभूषणों और दिव्‍य मुकुट से सुस्‍सजित हैं जो सभी देवियों में उनकी श्रेष्‍ठता को दर्शाता है। उनके वस्‍त्र स्‍वर्ण या पीले रंग के हैं जिससे उनकी दिव्‍यता और भव्‍यता दोनों ही बढ़ जाती हैं। स्‍कंदमाता तेजस्‍वी सिंह पर सवार रहती हैं जो कि निडरता और शक्‍ति का प्रतीक है। कुछ तस्‍वीरों में उन्‍हें खिले हुए कमल के फूल पर भी विराजमान होते हुए देखा गया है। इस वजह से कभी-कभी उन्‍हें ‘पद्मासन’ के नाम से भी जाना जाता है। उनका संपूर्ण रूप ममतामयी मां के वात्‍सल्‍य और एक योत्रा की मां की अद्भुत शक्‍ति के अद्धितीय संगम की तरह प्रतीत होता है।

कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर

मां स्‍कंदमाता का प्रिय भोग

नवरात्रि के नौ दिनों में प्रत्‍येक दिन पर विशेष भोग लगाया जाता है और चैत्र नवरात्रि 2025 की पंचम तिथि पर स्‍कंदमाता को केले का भोग लगाया जाता है। उनके पूजन में केले रखने को अत्‍यंत शुभ माना जाता है। देवी को प्रसन्‍न करने के लिए भक्‍त केले के साथ गुड़ का भोग भी लगा सकते हैं। 

मां स्‍कंदमाता की पूजा का महत्‍व

नवरात्रि के पांचवे दिन स्‍कंदमाता के पूजन का अत्‍यधिक आध्‍यात्मिक महत्‍व है। उन्‍हें मातृ प्रेम, साहस और करुणा का प्रतीक माना जाता है। भक्‍तों का मानना है कि स्‍कंदमाता की पूजा करने से ज्ञान, शक्‍ति और संपत्ति का आशीर्वाद मिलता है। स्‍कंदमाता का संबंध विशुद्ध चक्र से भी है जो संचार और विचारों को व्‍यक्‍त करने का कारक है। इस चक्र पर ध्‍यान करने से भक्‍तों के विचार शुद्ध होते हैं और उन्‍हें आध्‍यात्मिक उन्‍नति प्राप्‍त होती है।

ऐसा माना जाता है स्‍कंदमाता की पूजा करने से हृदय और आत्‍मा दोनों शुद्ध होते हैं जिससे श्रद्धालु सांसारिक मोह-माया से ऊपर उठकर मोक्ष की प्राप्ति कर सकते हैं। उनकी कृपा से शांति और संतुष्टि मिलती है एवं इच्‍छाओं की पूर्ति होती है।

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चैत्र नवरात्रि 2025 की पंचमी तिथि पर ध्‍यान रखने योग्‍य बातें

  • कई श्रद्धालु पचंमी तिथि पर व्रत रखते हैं और मन एवं शरीर को शुद्ध करने के लिए केवल फल एवं दूध का सेवन करते हैं।
  • इस दिन सफेद रंग के वस्‍त्र पहनना शुभ रहता है। यह पवित्रता और भक्‍ति का प्रतीक है।
  • भक्‍त अपने संचार कौशल को बेहतर करने और अपने मन एवं शरीर को शुद्ध करने के लिए इस दिन विशुद्ध चक्र पर ध्‍यान कर सकते हैं।
  • इस दिन दान-पुण्‍य करने का भी बहुत महत्‍व है जैसे कि ज़रूरतमंद या गरीब लोगों को खाना खिलाएं या वस्‍त्र दान करें। यह करुणा और स्‍कंदमाता की कृपा प्राप्‍त करने का श्रेष्‍ठ मार्ग है।

स्‍कंदमाता के लिए मंत्र जाप

ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः।।

प्रार्थना मंत्र:

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया

शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी

स्‍तुति:

या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

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चैत्र नवरात्रि 2025 की पंचमी तिथि के लिए पूजन विधि

  • नवरात्रि की पंचमी तिथि पर सुबह जल्‍दी उठकर स्‍नान आदि से निवृत्त हो जाएं और धुले हुए वस्‍त्र पहनकर व्रत रखने का संकल्‍प लें।
  • इसके बाद पूरे घर को गंगा जल या गौमूत्र से शुद्ध करें।
  • अब पूजन स्‍थल में चौकी स्‍थापित करें और उस पर स्‍कंदमाता की तस्‍वीर या मूर्ति रखें।
  • फिर तांबे, चांदी या मिट्टी के बर्तन में पानी भरें और उसमें कुछ सिक्‍के डाल दें।
  • देवी मां को उनके पसंदीदा भोजन, फल, फूल और अन्‍य चीज़ें अर्पित करें। चूंकि, स्‍कंदमाता का प्रिय रंग सफेद है इसलिए पंचमी तिथि पर पूजन के दौरान दूध से बनी खीर और केले चढ़ाने चाहिए।
  • इसके अलावा पूजन के समय सफेद या पीले रंग के वस्‍त्र पहनें।
  • आखिर में दुर्गा सप्‍तशती का पाठ करके पूजन का समापन करें।

स्‍कंदमाता का ज्‍योतिषीय महत्‍व

स्‍कंदमाता बुध ग्रह पर शासन करती हैं इसलिए उनका पूजन करने से कुंडली में मौजूद बुध ग्रह से संबंधित अशुभ प्रभाव नष्‍ट हो सकते हैं।

चैत्र नवरात्रि 2025 की पंचमी तिथि के लिए राशि अनुसार उपाय

मेष राशि: मां स्‍कंदमाता की पूजा करने के बाद गरीबों और बच्‍चों को दूध दान में दें।

वृषभ राशि: मां स्‍कंदमाता को लड्डू और मालपुआ चढ़ाएं और फिर इसे बच्‍चों में बांट दें और खुद भी प्रसाद के रूप में ग्रहण करें। आप गुलाबी रंग के वस्‍त्र पहनें।

मिथुन राशि: सच्‍चे मन और श्रद्धा से दुर्गा सप्‍तशती का पाठ एवं मंत्रों का जाप करें।

कर्क राशि: स्‍कंदमाता को गुलाबी या लाल रंग के फूल अर्पित करें और भोग में घर पर बनी खीर चढ़ाएं।

सिंह राशि: भोग के रूप में केले चढ़ाएं और 108 बार ‘ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः’ का जाप करें।

कन्‍या राशि: नियमित रूप से नवरात्रि पूजन करने के साथ आप स्‍कंदमाता के साथ-साथ मां लक्ष्‍मी की उपासना करें एवं उनके मंत्रों का जाप करें।

तुला राशि: घर में समृद्धि लाने के लिए मां स्‍कंदमाता के लिए सरसों के तेल का दीपक जलाएं और कपूर एवं लौंग से छोटा-सा हवन करें।

वृश्चिक राशि: बुध ग्रह को मज़बूत करने के लिए वृश्चिक राशि वाले गरीब लोगों को हरे रंग की चूड़ियां और मूंग दाल दान में दें।

धनु राशि: आप स्‍कंदमाता को दूध और घी से बनी मिठाई अर्पित करें। अपने सिर से सात बार नारियल उतारने के बाद इसे बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। इस उपाय को करने से आपको लगी बुरी नज़र दूर हो जाएगी।

मकर राशि: किसी वृद्ध और बेघर स्‍त्री को कपड़े दान करें और एवं अन्‍य चीज़ें भी दान में दें। गरीब लोगों को खीर और सफेद रंग की अन्‍य मिठाईयां खिलाएं।

कुंभ राशि: स्‍कूल जाने वाले गरीब बच्‍चों को यूनिफॉर्म और अन्‍न का दान करें। इससे आपके व्‍यापार में वृद्धि होगी।

मीन राशि: ज़रूरतमंद छात्रों को किताबें और अन्‍य ज़रूरी चीज़ें दान करें। इस दिन दान करने का बहुत महत्‍व है।

स्‍कंदमाता को प्रसन्‍न करने के उपाय

नवरात्रि की पंचमी तिथि पर पूजन के दौरान कमल का फूल चढ़ाने से स्‍कंदमाता प्रसन्‍न होती है और जीवन में सपन्‍नता एवं शुद्धता का आगमन होता है।

स्‍कंदमाता बुध ग्रह पर शासन करती हैं इसलिए पंचमी तिथि पर हरे रंग की चीज़ें जैसे कि हरी मूंग दाल, हरे रंग के वस्‍त्र या हरे रंग के फल ज़रूरतमंद लोगों को देने से लाभ मिलता है।

छात्रों को किताबें, स्‍टेशनरी या पढ़ाई से संबंधित अन्‍य चीज़ें दान करने से भी स्‍कंदमाता का आशीर्वाद मिलता है।

खीर बनाकर देवी को अर्पित करने के बाद उसे प्रसाद के रूप में वितरित करना अत्‍यंत फलदायी माना गया है। ऐसा माना जाता है कि इससे सुख-शांति आती है और वित्तीय संकट दूर होता है।

यदि आप गर्भधारण करना चाहती हैं, तो नवरात्रि की पंचम तिथि पर एक नारियल लें और उसे लाल रंग के कपड़े में लपेट लें। इसे स्‍कंदमाता के चरणों से स्‍पर्श करें और इस मंत्र का जाप करें: “नंद गोप गृहे जाता यशोदा गर्भ सम्भवा। ततस्तौ नाशयिष्यामि विन्ध्याचलनिवासिनी।।” पूजन के बाद नारियल को बिस्‍तर पर रख दें। मान्‍यता है कि ऐसा करने से स्‍कंदमाता का आर्शीवाद मिलता है और संतान की प्राप्‍ति होती है।

सच्‍चे मन से पंचमी तिथि पर व्रत रखने से मन और आत्‍मा दोनों शुद्ध हो जाते हैं जिससे भक्‍तों को ईश्‍वर की कृपा प्राप्‍त होती है। इस दिन फल और दूध से बनी चीज़ें खाई जाती हैं।

स्‍कंदमाता और बुध ग्रह को प्रसन्‍न करने के लिए पंचमी तिथि पर गाय को हरा चारा खिलाने और पक्षियों को दाना देने का बहुत महत्‍व है।

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अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

प्रश्‍न 1. पंचमी तिथि पर मां दुर्गा के किस रूप की पूजा की जाती है?

उत्तर. चैत्र नवरात्रि 2025 की पंचमी तिथि पर स्‍कंदमाता की पूजा होती है।

प्रश्‍न 2. स्‍कंदमाता किस ग्रह पर शासन करती हैं?

उत्तर. स्‍कंदमाता का संबंध बुध ग्रह से है।

प्रश्‍न 3. चैत्र नवरात्रि 2025 में पंचमी तिथि कब पड़ रही है?

उत्तर. इस बार पंचमी तिथि 02 अप्रैल, 2025 को अर्धरात्रि 02 बजकर 35 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 02 अप्रैल की ही रात को 11 बजकर 52 मिनट पर होगा।

मंगल का कर्क राशि में गोचर: देश-दुनिया और स्‍टॉक मार्केट में आएंगे उतार-चढ़ाव!

मंगल का कर्क राशि में गोचर: देश-दुनिया और स्‍टॉक मार्केट में आएंगे उतार-चढ़ाव!

मंगल गोचर 2025: एस्ट्रोसेज एआई की हमेशा से यही पहल रही है कि किसी भी महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना की नवीनतम अपडेट हम अपने रीडर्स को समय से पहले दे पाएं और इसी कड़ी में हम आपके लिए लेकर आए हैं मंगल का कर्क राशि में गोचर से संबंधित यह खास ब्लॉग।

03 अप्रैल, 2025 को मंगल ग्रह कर्क राशि में प्रवेश करेंगे। इस ब्‍लॉग में आगे बताया गया है कि मंगल के कर्क राशि में गोचर करने पर देश-दुनिया और स्‍टॉक मार्केट में क्‍या बदलाव आएंगे। साथ ही जानेंगे कि मंगल के इस गोचर का राशियों पर क्‍या असर पड़ेगा। बता दें कि कर्क राशि में मंगल को दुर्बल माना जाता है, तो क्‍या इसका सभी चीज़ों और हर एक व्‍यक्‍ति पर नकारात्‍मक असर पड़ेगा? आगे जानिए।

हमारी शारीरिक ऊर्जा और हम दुनिया में किस तरह उस ऊर्जा को व्‍यक्‍त करते हैं, यह मंगल ग्रह नियंत्रित करता है। कार्य करना हो, खेल हो या फिर किसी चीज़ के लिए जुनून हो, यह सब मंगल पर ही निर्भर करता है। जब कुंडली में मंगल मज़बूत स्‍थान में होता है, तब व्‍यक्‍ति ऊर्जा से भरपूर और प्रेरित हो सकता है। मंगल का संबंध क्रोध, कुंठा और आक्रामकता से होता है। जब किसी जातक की कुंडली में मंगल कमज़ोर या अशुभ स्‍थान में होता है, तब उस व्‍यक्‍ति को अधीरता, आवेगशीलता या संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है। यह ग्रह विवादों को बढ़ावा दे सकता है लेकिन यह अपने लिए खड़े होने का साहस भी प्रदान करता है।

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मंगल का कर्क राशि में गोचर: समय

वैदिक ज्‍योतिष के अनुसार मंगल ग्रह ऊर्जा, भूमि, प्रॉपर्टी, शक्‍ति और कार्यक्षमता का प्रतीक है। अब मंगल ग्रह 03 अप्रैल, 2025 को 01 बजकर 32 मिनट पर कर्क राशि में गोचर करने जा रहा है। मंगल कभी भी कर्क राशि में सहज नहीं होता है और इससे अप्रत्‍याशित एवं अस्थिर घटनाएं होने का खतरा रहता है। यह कई बार अप्रिय भी हो सकता है। तो चलिए अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि मंगल का कर्क राशि में गोचर करने का विश्‍व और राशियों पर क्‍या प्रभाव पड़ेगा।

मंगल का कर्क राशि में गोचर: विशेषताएं

मंगल का कर्क राशि में गोचर मंगल ग्रह के गुणों एवं ऊर्जा को कर्क राशि के भावनात्‍मक स्‍वभाव से जोड़ता है। इससे ऊर्जा को एक अनूठे तरीके से व्‍यक्‍त करने की स्थिति उत्‍पन्‍न होती है। इसमें व्‍यक्‍ति भावनाओं से प्रेरित होकर कार्य करता है और उसके अंदर दूसरों की रक्षा करने या उनकी देखभाल करने की इच्‍छा पैदा होती है। कर्क राशि में मंगल वायु या अग्नि तत्‍व की राशियों की तरह उतना आक्रामक या सीधा प्रभाव नहीं देता है बल्कि यह भावनाओं, अंतर्ज्ञान और भावनात्‍मक सुरक्षा की ज़रूरत से प्रभावित होता है। जिन लोगों की कुंडली में कर्क राशि में मंगल होता है, वे जातक अक्‍सर अपनी भावनाओं के आधार पर काम करते हैं। इनके कार्य टकराव की स्थिति उत्‍पन्‍न करने के बजाय रहस्‍यमयी, गुप्‍त या सहज हो सकते हैं।

कर्क राशि में मंगल के होने पर जातक अपने प्रियजनों की रक्षा करने और उनके लिए एक सुरक्षित माहौल बनाने की इच्‍छा रखते हैं। वे अपने परिवार, घर और अपने करीबी लोगों की देखभाल या रक्षा करने के लिए सक्रिय रहते हैं। भले ही वे टकराव करने से बचें लेकिन दूसरों की रक्षा करने की प्रवृत्ति उन्‍हें कभी-कभी दूसरों की सुरक्षा को लेकर उग्र बना सकती है। जिन लोगों की कुंडली में कर्क राशि में मंगल होता है, वे गुस्‍सा या कुंठा होने पर, इसे खुलकर या आक्रामक तरीके से व्‍यक्‍त नहीं करते हैं। ये इन भावनाओं को अपने अंदर दबा सकते हैं। ये जातक अक्‍सर अपने गुस्‍से को अपने अंदर रखते हैं जिससे समस्‍या का सामना करने के बजाय उनका स्‍वभाव चिड़चिड़ा हो सकता है या फिर वे चुपचाप चिंतन करते रहते हैं।

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मंगल का कर्क राशि में गोचर: विश्‍व पर प्रभाव

फूड एवं हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र

  • मंगल और चंद्रमा दोनों ही खाद्य उद्योग को सहयोग करते हैं इसलिए इस गोचर के दौरान दुनियाभर के रेस्‍तरां, कैफे और होटल व्‍यवसाय में तेजी आ सकती है और वे अच्‍छा प्रदर्शन करेंगे।
  • मंगल का कर्क राशि में गोचर भावनात्‍मक प्रवृत्ति और दूसरों की देखभाल करने की आवश्‍यकता को बढ़ा सकता है जिससे हॉस्पिटैलिटी के क्षेत्र में काम करने वाले जातकों को इस प्रवृत्ति के कारण अच्‍छे अवसर और पदोन्‍नति मिलने के आसार हैं।
  • मंगल का कर्क राशि में होना पर्यटन को बढ़ावा देता है इसलिए इस गोचर काल में पर्यटन उद्योग भी फल-फूल सकता है।
  • ट्रैवल और शिपिंग उद्योग में भी इस दौरान तेजी देखने को मिल सकती है।

सरकार और उसकी नीतियां

  • मंगल का कर्क राशि में गोचर होने पर दुनियाभर के जाने-माने नेताओं की नेतृत्‍व करने की क्षमता पर सवाल उठाए जा सकते हैं।
  • इस समय सरकार को अपनी नीतियों को प्रभावी रूप से लागू करने या सही निर्णय लेने में दिक्‍कत हो सकती है।
  • मंगल का कर्क राशि में गोचर करने के कारण सरकार के लिए कई जटिलताएं पैदा हो सकती हैं लेकिन मंगल के सिंह राशि में प्रवेश करने के बाद सब कुछ ठीक हो जाएगा।

आग और रसायन से जुड़ी दुर्घटनाएं

  • मंगल कर्क राशि में असहज और अस्थिर होता है इसलिए इस गोचर काल में अग्नि से संबंधित दुर्घटनाएं या रासायनिक विस्‍फोट या ऐसी अन्‍य दुर्घटनाएं अधिक हो सकती हैं।
  • इस समय रासायनिक व्‍यवसाय या रसायनों से संबंधिक उत्‍पादों के व्‍यवसाय में उछाल आ सकता है।
  • इसके अलावा फैशन उद्योग, वस्‍त्र उद्योग और कॉस्मेटिक उद्योग के मुनाफे में भी वृद्धि हो सकती है।
  • दुनियाभर और भारत के बड़े व्‍यापारी एवं राजनेता नई ऊंचाईयां छू सकते हैं।
  • भारत समेत विदेशों में भी कलाकार, मूर्तिकार और लेखक नई उपलब्धियां हासिल करेंगे।

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मंगल का कर्क राशि में गोचर: स्‍टॉक मार्केट पर असर

मंगज 03 अप्रैल, 2025 को कर्क राशि में प्रवेश करेंगे। मंगल को शेयर मार्केट में उतार-चढ़ाव लाने के लिए जाना जाता है इसलिए स्‍टॉक मार्केट के लिए मंगल का गोचर बहुत महत्‍वपूर्ण होता है। तो चलिए जानते हैं कि अप्रैल के महीने में स्‍टॉक मार्केट में किस तरह के उतार-चढ़ाव देखने को मिलेंगे।

  • मंगल से संबंधित क्षेत्रों में विकास देखने को मिलेगा।
  • अप्रैल के पहले सप्‍ताह के बाद सॉफ्टवेयर और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में और भी अधिक मंदी आने की आशंका है।
  • मंदी का बाज़ार पर नकारात्‍मक प्रभाव पड़ने की वजह से अप्रैल 2025 के मध्‍य के बाद स्‍टॉक मार्केट में अस्थिरता आ सकती है।
  • स्‍टॉक मार्केट रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल के आखिरी सप्‍ताह में फार्मास्‍यूटिकल और सार्वजनिक क्षेत्रों में भी मंदी देखने को मिल सकती है।

मंगल का कर्क राशि में गोचर: मौसम रिपोर्ट

  • भारत और दुनिया के कई हिस्‍सों में प्राकृतिक आपदाएं आने का खतरा है जिसमें जंगल में आगे लगने और भूकंप जैसी दुर्घटनाएं अधिक देखने को मिलेंगी।
  • कुछ क्षेत्रों में सूखा और अचानक मूसालाधार बारिश की वजह से जनजीवन प्रभावित हो सकता है और मनुष्‍यों एवं जानवरों के लिए खतरा पैदा कर सकता है।
  • पश्चिमी क्षेत्रों और भारत के पूर्वी हिस्‍सों एवं भारतीय उपमहाद्ववीपों में बवंडर और जल से संबंधित अन्‍य प्राकृतिक आपदाएं आ सकती हैं। इससे लोगों की जीवनशैली प्रभावित हो सकती है।
  • विश्‍व के उत्तरी एवं दक्षिणी देशों में अप्रत्‍याशित और भारी बारिश देखने को मिल सकती है।

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मंगल का कर्क राशि में गोचर: इन राशियों पर पड़ेगा सकारात्‍मक प्रभाव

कन्‍या राशि

कन्या राशि के जातकों के तीसरे और आठवें भाव के स्‍वामी मंगल ग्रह हैं और अब मंगल लाभ के भाव यानी ग्‍यारहवें घर में गोचर करने जा रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि मंगल के ग्‍यारहवें भाव में होने पर सकारात्‍मक परिणाम प्राप्‍त होते हैं और मंगल नीच अवस्‍था में होने पर भी शुभ परिणाम देता है।

आमतौर पर मंगल का कर्क राशि में गोचर होने पर सकारात्‍मक प्रभाव मिलते हैं लेकिन फिर भी हो सकता है कि आपको वो सब परिणाम न मिल पाएं, जिनकी आप उम्‍मीद करते हैं। मुमकिन है कि आपको उपलब्धि थोड़ी देर से मिले लेकिन सफलता ज़रूर मिलेगी। अगर आपकी कुंडली में अनुकूल दशा चल रही है, तो यह गोचर अत्‍यंत भाग्‍यशाली परिणाम दे सकता है। आपकी आमदनी में वृद्धि होने के संकेत हैं और अगर आपकी खुद की कंपनी है, तो आप अच्‍छा पैसा कमा सकते हैं।

इस गोचर के दौरान आपका स्‍वास्‍थ्‍य अच्‍छा रहेगा और आपके दोस्‍त आपकी मदद के लिए तैयार रहेंगे। आप अपने प्रतिद्वंदियों को पीछे छोड़कर आगे निकलने में सक्षम होंगे। यदि आप सेना, सुरक्षा से संबंधित सेवाओं या लाल रंग के रसायनों का काम करते हैं, तो इस गोचर का आपके ऊपर बहुत अच्‍छा प्रभाव पड़ सकता है।

कन्या राशिफल 2025

मंगल का कर्क राशि में गोचर: इन राशियों पर पड़ेगा नकारात्‍मक प्रभाव

मेष राशि

मेष राशि के आठवें और लग्‍न भाव के स्‍वामी मंगल ग्रह हैं। इस गोचर के दौरान मंगल आपके चौथे भाव में प्रवेश करेंगे जो कि मंगल की कमज़ोर स्थिति है। आपको इस गोचर काल में अपने घर और परिवार से संबंधित मामलों में सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है क्‍योंकि चौथे भाव में मंगल का कर्क राशि में गोचर होना अच्‍छा नहीं होता है। इस गोचर का प्रभाव आपके रिश्‍तों और व्‍यापार पर भी देखने को मिलेगा। इससे आप अप्रिय दोस्‍ती या हानिकारक प्रभावों की ओर जा सकते हैं।

आपको घर, कार और प्रॉपर्टी से संबंधित समस्‍याओं का सामना करना पड़ सकता है। घर में अचानक परेशानियां उत्‍पन्‍न हो सकती हैं। इसके साथ ही आपको बेचैनी और मानसिक तनाव होने की भी आशंका है। इस समयावधि में आपको स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं होने का खतरा है इसलिए सावधान रहें। यदि आपकी मां को पहले से कोई स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या है, तो उन्‍हें अधिक देखभाल और ध्‍यान देने की ज़रूरत है। इन संभावित चुनौतियों को ध्‍यान में रखकर और सही कदम उठाकर, आप इस समय को आसानी से पार कर सकते हैं।

मेष राशिफल 2025

वृषभ राशि

मंगल वृषभ राशि के सातवें और बारहवें भाव के स्‍वामी हैं जो कि अब तीसरे भाव में प्रवेश कर रहे हैं। यह मंगल के लिए कमज़ोर स्थिति है। सामान्‍य तौर पर सातवें भाव के स्‍वामी का दुर्बल होना शुभ संकेत नहीं माना जाता है। इसके कारण आपके पार्टनर को कुछ स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं हो सकती हैं। वहीं अगर उनका स्‍वास्‍थ्‍य ठीक रहता है, तो आप उनके साथ कहीं घूमने जा सकते हैं और उनके साथ अच्‍छा समय बिता सकते हैं।

यदि आप साझेदारी में व्‍यवसाय करते हैं, तो आपके लिए अपने पार्टनर के साथ तालमेल बनाए रखना मुश्किल हो सकता है। आप दोनों के बीच बहस या मतभेद हो सकते हैं जिसे सुलझाने के लिए धैर्य और विनम्रता से बात करने की ज़रूरत होगी। पेशेवर जीवन में अपने बिज़नेस पार्टनर के  साथ अपने संबंध को शांतिपूर्ण बनाए रखने के लिए आप अपने पार्टनर की बात शांत रहकर सुनें और उनके नज़रिए को समझने की कोशिश करें।

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कर्क राशि

कर्क राशि के पांचवे और दसवें भाव के स्‍वामी मंगल ग्रह हैं। कर्क राशि के जातकों की कुंडली में मंगल को सबसे लाभकारी ग्रहों में से एक माना जाता है क्‍योंकि यह दो शुभ भावों का स्‍वामी है। लेकिन कर्क राशि में दुर्बल होने की वजह से यह पूरी तरह से सकारात्‍मक परिणाम देने में असमर्थ हो सकता है। इसके अलावा मंगल के कर्क राशि में पहले भाव में गोचर करने को भी लाभकारी नहीं माना जाता है। वैदिक ज्‍योतिष के अनुसार मंगल के पहले भाव में होने पर रक्‍त से संबंधित समस्‍याएं होने का खतरा रहता है। अगर आपको पहले से ही रक्‍त से संबंधित कोई समस्‍या है, तो इस गोचर काल के दौरन आपको अधिक सावधानी बरतने की ज़रूरत है।

इसके अलावा मंगल का कर्क राशि में गोचर होने के कारण आपको करियर के क्षेत्र में चुनौतियां देखनी पड़ सकती हैं। आपको बुखार या दुर्घटनाएं होने का अधिक खतरा है। इस वजह से आपको सावधानी से गाड़ी चलाने और लापरवाही न करने की सलाह दी जाती है। यदि आप केमिकल, आग या खतरनाक पदार्थों से संबंधित कोई काम करते हैं, तो आपको इस समय ज्‍यादा सावधान रहने की आवश्‍यकता है। विवाहित जातकों को अपने रिश्‍ते में तालमेल बनाए रखने और अनावश्‍यक विवादों से बचना चाहिए। इस समय आपको विपरीत लिंग के लोगों से विवाद करने से बचना चाहिए। अगर आप इन सभी बातों का ध्‍यान रखते हैं, तो मंगल का कर्क राशि में गोचर आपको अधिक सकारात्‍मक प्रभाव दे सकता है।

कर्क राशिफल 2025

सिंह राशि

सिंह राशि के चौथे और नौवें भाव के स्‍वामी मंगल ग्रह हैं। आपकी कुंडली के लिए मंगल को अत्‍यंत भाग्‍यशाली और योग कारक ग्रह माना जाता है क्‍योंकि यह आपके केंद्र और त्रिकोण भाव का स्‍वामी है। हालांकि, इस गोचर के दौरान मंगल आपके बारहवें भाव में दुर्बल रहेंगे जो कि अच्‍छी बात नहीं है।

वैदिक ज्‍योतिष में मंगल के बारहवें भाव में होने को अनावश्‍यक खर्चों और आर्थिक नुकसान के लिए जाना जाता है। अप्रत्‍याशित खर्चे, यात्रा से संबंधित व्‍यय या रोज़गार में आकस्मिक बदलाव देखने को मिल सकता है। प्रॉपर्टी से संबंधित मामलों को लेकर सावधान रहें क्‍योंकि असहमति या धन की हानि हो सकती है।

सिंह राशिफल 2025

मकर राशि

मंगल मकर राशि के चौथे और ग्‍यारहवें भाव का स्‍वामी है और अब मंगल का कर्क राशि में गोचर होने के दौरान वह आपके सातवें भाव में नीच अवस्‍था में रहेंगे। आपकी कुंडली में दो महत्‍वपूर्ण भावों का स्‍वामी होने के बावजूद इस समय मंगल कमज़ोर स्थि‍ति में हैं, जो कि शुभ संकेत नहीं है। आपको अपने वैवाहिक जीवन में किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए सावधानी बरतने की ज़रूरत है। 

मामूली बहस भी बड़े झगड़ों का रूप ले सकती है इसलिए इन्‍हें जल्‍द ही सुलझा लेना बेहतर रहेगा। मंगल के इस गोचर के दौरान आपको बेवजह यात्रा करने से बचना चाहिए। अगर आपको पहले से ही दांत या हड्डी से संबं‍धित कोई समस्‍या है, तो ध्‍यान रखें। व्‍यवसाय से संबंधित मुद्दों से निपटते समय सावधानी बरतें। इसके अलावा वाहन और संपत्ति से जुड़े मामलों में सतर्क रहें।

 मकर राशिफल 2025

मंगल का कर्क राशि में गोचर: उपाय

मंगल के कर्क राशि में गोचर करने के दौरान आप सकारात्‍मक परिणाम पाने के लिए निम्‍न उपाय कर सकते हैं:

  • आप हनुमान जी की उपासना करें।
  • शारीरिक रूप से सक्रिय रहें।
  • गुस्‍सा करने से बचें।
  • प्रकृति के साथ समय बिताएं।
  • रक्‍तदान करें।
  • लाल मसूर की दाल, लाल रंग के वस्‍त्रों और तांबे के बर्तन आदि का दान करें।
  • हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • किसी अनुभवी ज्‍योतिषी से परामर्श करने के बाद दाएं हाथ की अनामिका उंगली में लाल मूंगा रत्‍न धारण करें।

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

प्रश्‍न 1. कितने डिग्री पर मंगल नीच का हो जाता है?

उत्तर. 28 डिग्री पर।

प्रश्‍न 2. कर्क राशि में मंगल का क्‍या महत्‍व है?

उत्तर. जिनकी कुंडली में मंगल कर्क राशि में होता है, वे जातक हमेशा दूसरों की देखभाल करने की प्रवृत्ति और देखभाल पाने की इच्‍छा रखते हैं।

प्रश्‍न 3. मंगल को और किन नामों से जाना जाता है?

उत्तर. कुजा या भूमि पुत्र।

चैत्र नवरात्रि 2025 का चौथा दिन: इस पूजन विधि से करें मां कूष्‍मांडा को प्रसन्‍न!

चैत्र नवरात्रि 2025 का चौथा दिन: इस पूजन विधि से करें मां कूष्‍मांडा को प्रसन्‍न!

चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन: चैत्र नवरात्रि 2025 की शुरुआत हो चुकी है और इस दौरान भक्‍त नौ दिनों तक मां दुर्गा के विभिन्‍न नौ रूपों की पूजा करते हैं। नवरात्रि का प्रत्‍येक दिन मां दुर्गा के एक अलग स्‍वरूप को समर्पित होता है जिसमें हर देवी के लिए विशिष्‍टअनुष्‍ठान, रंग और पूजन विधि आदि होती है। नवरात्रि के चौथे दिन को चतुर्थी के नाम से जाना जाता है और यह दिन मां कूष्‍मांडा को स‍मर्पित है जिन्‍हें ब्रह्मांड के निर्माता के रूप में पूजा जाता है।

एस्‍ट्रोसेज एआई के इस विशेष ब्‍लॉग में हम आपको नवरात्रि के चौथे दिन के महत्‍व, तिथि, समय, पूजन विधि और मां दुर्गा के चौथे रूप देवी कूष्‍मांडा से जुड़ी कथा के बारे में बता रहे हैं। तो चलिए अब बिना देर किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं नवरात्रि के चौथे दिन के बारे में।

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चैत्र नवरात्रि 2025 का चौथा दिन: समय और तिथि

चैत्र नवरात्रि 2025 की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 01 अप्रैल, 2025 को सुबह 05 बजकर 45 मिनट पर होगी और इसका समापन 02 अप्रैल, 2025 को रात्रि 02 बजकर 35 मिनट पर होगा।

मां कूष्‍मांडा का महत्‍व

कूष्‍मांडा नाम संस्‍कृत के तीन शब्‍दों से मिलकर बना है जिसमें कू (थोड़ा), ऊष्‍मा (ऊर्जा की गर्माहट) और अंडा (डिंब) शामिल है। इन तीनों शब्‍दों को जोड़कर कूष्‍मांडा नाम बनता है जिसका अर्थ है ब्रह्मांडीय का निर्माण करने वाली। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि मां कूष्‍मांडा की दिव्‍य मुस्‍कान से ब्रह्मांड की रचना हुई थी जिससे पूरी सृष्टि में प्रकाश और ऊर्जा का संचार हुआ।

मां कूष्‍मांडा की आठ भुजाएं जिनमें वह अस्‍त्र, रुद्राक्ष की माला और अमृत कलश रखती हैं जो कि उनकी श‍क्ति और करुणा का प्रतीक हैं। देवी कूष्‍मांडा सिंह पर सवार रहती हैं जो कि साहस और शक्‍ति को दर्शाता है।

माना जाता है कि मां कूष्‍मांडा की पूजा करने से उत्तम स्‍वास्‍थ्‍य, संपत्ति और शक्‍ति की प्राप्‍त‍ि होती है। उनका हरियाली और वनस्‍पति से भी संबंध है जो कि शांति और विकास का प्रतीक है। ऐसा कहा जाता है कि जब पूरा ब्रह्मांड अंधकार में डूब गया था, तब मां कूष्‍मांडा ने अपनी मुस्‍कान से पूरे संसार को प्रकाशमय किया था। इस वजह से प्रकाश फैलाने वाले सूर्य से मां कूष्‍मांडा का संबंध माना जाता है और देवी कूष्‍मांडा की पूजा में नारंगी रंग को अधिक महत्‍व दिया जाता है।

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मां कूष्‍मांडा का ज्‍योतिषीय महत्‍व

चैत्र नवरात्रि 2025 के चौथे दिन के स्‍वामी सूर्य देव हैं जो कि ऊर्जा, शक्‍ति और उत्‍साह का प्रतीक है। माना जाता है कि इस दिन देवी कूष्‍मांडा की पूजा करने से भक्‍तों को शक्‍ति, प्रतिभा और सफलता की प्राप्‍ति होती है।

मां कूष्‍मांडा के लिए शुभ रंग, भोग और मंत्र

चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्‍मांडा को प्रसन्‍न करने के लिए पूजन के समय भक्‍तों को नारंगी रंग के वस्‍त्र पहनने चाहिए। इसके अलावा आप मां कूष्‍मांडा को नारंगी और गुलाब के फूल अर्पित करें।

नवरात्रि के चौथे दिन देवी कूष्‍मांडा को भोग में मालपुआ, शहद, नारियल और फल भी चढ़ा सकते हैं।

मंत्र:

प्रार्थना मंत्र:

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे।।

स्‍तुति:

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर

चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्‍मांडा की पूजा का धार्मिक महत्‍व

नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्‍मांडा का पूजन करने से निम्‍न लाभ मिलते हैं:

  • नकारात्‍मक ऊर्जा का नाश: मां कूष्‍मांडा की कृपा प्राप्‍त करने से जीवन से अंधकार, भय और नकारात्‍मकता दूर होती है।
  • सेहत और जीवन शक्‍ति में सुधार: मां कूष्‍मांडा सूर्य की ऊर्जा की अधिष्‍ठात्री देवी हैं इसलिए उनकी पूजा करने से शारीरिक और मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य को मज़बूती मिलती है।
  • समृद्धि और शांति: देवी अपने भक्‍तों को भौतिक सुख-समृद्धि, सफलता और आर्थिक स्थिरता प्रदान करती हैं।
  • बुद्धि और रचनात्‍मकता में वृद्धि: मां कूष्‍मांडा का ज्ञान, बुद्धि और रचनात्‍मकता से भी संबंध है। छात्र और पेशेवर लोग शिक्षा एवं करियर में उन्‍नति के लिए उनकी उपासना करते हैं।

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चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन: पूजन विधि

इस पवित्र दिन पर सबसे पहले कलश और उसमें विराजमान सभी देवी-देवताओं की पूजा की जाती है।

इसके बाद मां कूष्‍मांडा की उपासना करें।

अनुष्‍ठान शुरू करने से पहले अपने हाथ में ताज़े पुष्‍प लें, उनके सामने अपना सिर झुकाएं और पूरे भक्‍ति-भाव से उनके मंत्रों का जाप करें।

भोग चढ़ाते समय श्रद्धा और भक्‍ति के रूप में देवी को फल, फूल और सूखे मेवे अर्पित करें।

इसके बाद दुर्गा सप्‍तशती का पाठ करें। यदि किसी कारण से आप पूरे ग्रंथ का पाठ नहीं कर सकते हैं, तो आप कम से कम कवच, अर्गला और कीलक का पाठ कर सकते हैं।

इसके पश्‍चात् मां कूष्‍मांडा से अपनी मनोकामना मांगें और प्रार्थना करते हुए आरती करें।

पूजन के समय मौजूद सभी भक्‍तों में प्रसाद बांटें और पूजा के दौरान अनजाने में हुई किसी भी गलती के लिए देवी मां से क्षमा मांगें।

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चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन: राशि अनुसार उपाय

मेष राशि: नवरात्रि की पूजा करने के बाद मां कूष्‍मांडा का ध्‍यान और देवी के मंत्रों का जाप करें। उन्‍हें लाल रंग के पुष्‍प और सिंदूर अर्पित करें।

वृषभ राशि: इस दिन वृषभ राशि के जातक नहाने के बाद लाल रंग के कपड़े पहनें और देवी मां का पूजन करते समय लाल रंग के आसन पर बैठें। इस उपाय को करने से आपको अपने शत्रुओं से निजात मिल सकती है।

मिथुन राशि: अपने मन के भय को दूर करने और अपनी आभा को शुद्ध करने के लिए आप अपने बिस्‍तर के पास सेंधा नमक रखें। मां कूष्‍मांडा को चावल से बनी खीर चढ़ाएं और फिर इसे छोटी कन्‍याओं में बांट दें।

कर्क राशि: अपने घर के पूजन स्‍थल में नवरात्रि के चौथे दिन पूजन करने के बाद मां कूष्‍मांडा के मंत्रों का जाप करें। देवी को चंदन का तिलक लगाने के बाद अपने माथे पर भी चंदन का तिलक लगाएं।

सिंह राशि: नवरात्रि के चौथे दिन दीपक में लौंग और कपूर डालकर जलाएं। इससे आपके जीवन से सारी नकारात्‍मकता दूर हो जाएगी। आप अपने माथे पर रोली से तिलक लगाएं।

कन्‍या राशि: नवरात्रि के चौथे दिन पूजन करने के बाद 108 बार मां कूष्‍मांडा के मंत्र का जाप करें। आपको बुरी नज़र से रक्षा प्राप्‍त होगी।

तुला राशि: मां कूष्‍मांडा के आगे गुग्‍गल की धूप जलाएं और दुर्गा सप्‍तशती का पाठ करें। इस उपाय को करने से आपके शत्रु परास्‍त होंगे।

वृश्चिक राशि: नवरात्रि के चौथे दिन वृश्चिक राशि वाले ‘ॐ देवी कूष्माण्डायै नम:’ मंत्र का 108 बार जाप करें और अपने एवं अपने परिवार के सदस्‍यों की कलाई पर मौली बांधें।

धनु राशि: नवरात्रि की पूजा करने के बाद कुछ देर के लिए ध्‍यान करें, कल्‍पना करें कि आपका जीवन आनंद, समृद्धि और उत्तम स्‍वास्‍थ्‍य से भर गया है।

मकर राशि: चौथे नवरात्रि की पूजा करने के बाद 108 बार मां कूष्‍मांडा के मंत्र का जाप करें और उन्‍हें घी में लिपटा हुआ लौंग का जोड़ा चढ़ाएं। इस उपाय को करने से नौकरी और व्‍यवसाय में लाभ होता है।

कुंभ राशि: नवरात्रि के चौथे दिन कुंभ राशि वाले मां कूष्‍मांडा के सामने मिट्टी के दीये में दो कपूर जलाएं। इस दिन गरीब और ज़रूरतमंद लोगों खासतौर पर छोटी कन्‍याओं को खीर और अन्‍न का दान करें।

मीन राशि: मां कूष्‍मांडा के आगे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और देवी मां से क्षमा एवं समृद्धि का आशीर्वाद मांगें।

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अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

प्रश्‍न 1. चैत्र नवरात्रि 2025 का चौथा दिन कब है?

उत्तर. चैत्र नवरात्रि 2025 की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 01 अप्रैल, 2025 को सुबह 05 बजकर 45 मिनट पर होगी और इसका समापन 02 अप्रैल, 2025 को रात्रि 02 बजकर 35 मिनट पर होगा।

प्रश्‍न 2. नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के किस रूप की पूजा की जाती है?

उत्तर. इस दिन देवी कूष्‍मांडा की पूजा होती है।

प्रश्‍न 3. देवी कूष्‍मांडा से किस ग्रह का संबंध है?

उत्तर. देवी कूष्‍मांडा से सूर्य ग्रह का संबंध है।

रामनवमी और हनुमान जयंती से सजा अप्रैल का महीना, इन राशियों के सुख-सौभाग्य में करेगा वृद्धि

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अप्रैल 2025: एस्ट्रोसेज एआई हर बार की तरह अपने पाठकों के लिए इस बार भी अप्रैल 2025 का यह विशेष ब्लॉग लेकर हाज़िर हैं। इस लेख में आपको अप्रैल माह से जुड़ी सभी जानकारी विस्तारपूर्वक प्राप्त होगी। हालांकि, अब हम मार्च को अलविदा कहते हुए अप्रैल में प्रवेश के लिए पूरी तरह से तैयार हैं जो कि ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, साल का चौथा महीना होता है। अप्रैल महीने की शुरुआत दर्शाती है कि साल के पहले तीन महीने बीत चुके हैं और अब वर्ष की दूसरी तिमाही दस्तक देने जा रही है। अप्रैल 2025 में धीरे-धीरे गर्मी अपना प्रचंड रूप धारण करने लगती है, लेकिन इस माह में कई बड़े पर्वों और व्रतों को भी मनाया जाता है जिससे इस माह का महत्व बढ़ जाता है इसलिए आप यह जानने के लिए उत्सुक होंगे कि आने वाला महीना हमारे लिए कौन सी सौगात लेकर आएगा। 

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सिर्फ़ इतना ही नहीं, अप्रैल 2025 में कब और कौन से व्रत एवं त्योहार मनाए जाएंगे? कौन सा ग्रह कब अपनी राशि या दशा में बदलाव करेगा? क्या अप्रैल में कोई ग्रहण लगेगा? शेयर बाज़ार में निवेश करना कैसा रहेगा? इन सभी सवालों के जवाब आपको इस लेख में प्राप्त होंगे। साथ ही, आपको यह भी बताएंगे कि वर्ष 2025 का चौथा महीना अप्रैल सभी 12 राशियों के करियर, व्यापार एवं प्रेम जीवन के लिए कैसा रहेगा। तो आइए बिना देर किए शुरुआत करते हैं इस लेख की और सबसे पहले बात करते हैं अप्रैल माह के पंचांग की। 

अप्रैल 2025 का ज्योतिषीय तथ्य और हिंदू पंचांग की गणना 

आगे बढ़ने से पहले हम जान लेते हैं अप्रैल 2025 का पंचांग, इस महीने का आगाज़ भरणी नक्षत्र के तहत शुक्‍ल पक्ष की तृतीया तिथि अर्थात 01 अप्रैल 2025 को होगा जबकि इस महीने की समाप्ति मृगशिरा नक्षत्र के अंतर्गत शुक्‍ल पक्ष की चतुर्थी तिथि यानी कि 30 अप्रैल 2025 को हो जाएगी। इस माह के पंचांग से आपको रूबरू करवाने के बाद हम अप्रैल महीने के तीज-त्योहारों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। 

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अप्रैल 2025 में पड़ने वाले व्रत एवं त्योहार की तिथियां  

 जैसे कि यह बात हम आपको बताते आये हैं कि हर माह अपने आप में ख़ास होता है और उस माह में मनाये जाने वाले व्रत-त्योहार इसे और ख़ास बना देते हैं। इसी प्रकार, अप्रैल में राम नवमी, हनुमान जयंती जैसे कई बड़े पर्व मनाए जाएंगे। इस माह में आने वाले हर व्रत-त्योहार को आप यादगार बना सकें इसलिए हम आपको अप्रैल 2025 में पड़ने वाले व्रत और पर्वों की पूरी सूची नीचे दे रहे हैं। तो आइए अब आगे बढ़ते हैं और नज़र डालते हैं इस माह के व्रत-त्योहारों पर। 

तिथिदिनपर्व व व्रत
06 अप्रैल 2025रविवाररामनवमी
07 अप्रैल 2025सोमवारचैत्र नवरात्रि पारणा
08 अप्रैल 2025मंगलवारकामदा एकादशी
10 अप्रैल 2025गुरुवारप्रदोष व्रत (शुक्ल)
12 अप्रैल 2025शनिवारहनुमान जयंती
12 अप्रैल 2025शनिवारचैत्र पूर्णिमा व्रत
14 अप्रैल 2025सोमवारमेष संक्रांति
16 अप्रैल 2025बुधवारसंकष्टी चतुर्थी
24 अप्रैल 2025गुरुवारवरुथिनी एकादशी
25 अप्रैल 2025शुक्रवारप्रदोष व्रत (कृष्ण)
26 अप्रैल 2025शनिवारमासिक शिवरात्रि
27 अप्रैल 2025रविवारवैशाख अमावस्या
30 अप्रैल 2025बुधवारअक्षय तृतीया

अप्रैल 2025 के बैंक अवकाशों की सम्पूर्ण सूची

अप्रैल 2025 में कब और किस दिन रहेंगे बैंक बंद? इसकी जानकारी भी हम आपको प्रदान कर रहे हैं जो कि इस प्रकार हैं:

तिथिदिनअवकाशराज्य 
01 अप्रैल 2025मंगलवारसरहुलीझारखंड
01 अप्रैल 2025मंगलवारउड़ीसा दिवसउड़ीसा 
01 अप्रैल 2025मंगलवारईद-उल-फ़ितरतेलंगाना
05 अप्रैल 2025शनिवारबाबू जगजीवन राम जयंतीआंध्र प्रदेश, तेलंगाना
06 अप्रैल 2025रविवाररामनवमीइन राज्यों के अलावा अरुणाचल प्रदेश,  असम, गोवा,  झारखंड, कर्नाटक, केरल, लक्षद्वीप,,  मणिपुर,  मेघालय,  मिजोरम, नागालैंड, पांडिचेरी, तमिलनाडु, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल पूरे देश में राष्ट्रीय दिवस
10 अप्रैल 2025गुरुवारमहावीर जयंतीचंडीगढ़, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब , राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, लक्षद्वीप,
13 अप्रैल 2025रविवारबैसाखीहरियाणा, जम्मू-कश्मीर, पंजाब 
13 अप्रैल 2025रविवारमहा विशुबा संक्रांतिउड़ीसा
14 अप्रैल 2025सोमवारबोहाग बिहू अवकाशत्रिपुरा
14 अप्रैल 2025सोमवारडॉ अंबेडकर जयंतीअंडमान और निकोबार, अरुणाचल प्रदेश, असम, चंडीगढ़, दमन और दीव, दादरा और नगर हवेली, दिल्ली, लक्षद्वीप,, मणिपुर, मिजोरम, मेघालय, नागालैंड और त्रिपुरा आदि राज्यों के अलावा राष्ट्रीय अवकाश
14 अप्रैल 2025सोमवारतमिल नव वर्षतमिलनाडु
14 अप्रैल 2025सोमवारविषुकेरल
14 अप्रैल 2025सोमवारबोहाग बिहूअसम
14 अप्रैल 2025सोमवारबंगाली नव वर्षत्रिपुरा, पश्चिम बंगाल
14 अप्रैल 2025सोमवारचीराओबामणिपुर
15 अप्रैल 2025मंगलवारबोहाग बिहूअरुणाचल प्रदेश
15 अप्रैल 2025मंगलवारहिमाचल प्रदेश स्थापना दिवसहिमाचल प्रदेश
16 अप्रैल 2025रविवारबोहाग बिहूअसम
18 अप्रैल 2025शुक्रवारगुड फ्राइडेहरियाणा और झारखंड के अलावा राष्ट्रीय अवकाश 
19 अप्रैल 2025शनिवारईस्टर सैटरडेनागालैंड
20 अप्रैल 2025रविवारईस्टर संडेकेरल, नागालैंड
21 अप्रैल 2025सोमवारगरिया पूजात्रिपुरा
29 अप्रैल 2025मंगलवारमहर्षि परशुराम जयंतीगुजरात, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, पंजाब और राजस्थान
30 अप्रैल 2025बुधवारबसवा जयंतीकर्नाटक

अप्रैल 2025 में अन्नप्राशन संस्कार के शुभ मुहूर्त

जो माता-पिता अपनी संतान का अन्नप्राशन संस्कार संपन्न करने की सोच रहे हैं, लेकिन कोई शुभ मुहूर्त नहीं मिल रहा है, तो यहां हम आपको अप्रैल 2025 के लिए अन्नप्राशन संस्कार के शुभ मुहूर्त प्रदान कर रहे हैं। 

तिथिमुहूर्त 
2 अप्रैल 202513:02-19:56
10 अप्रैल 202514:51-17:0919:25-25:30
14 अप्रैल 202510:01-12:1514:36-21:29
25 अप्रैल 202516:10-22:39
30 अप्रैल 202507:02-08:5811:12-15:50

अप्रैल 2025 में मुंडन संस्कार के लिए शुभ मुहूर्त

तिथिदिनमुहूर्त 
14 अप्रैल 2025सोमवार08:27:45-24:13:56
17 अप्रैल 2025गुरुवार15:26:27-29:54:14
23 अप्रैल 2025बुधवार05:48:11-29:48:11
24 अप्रैल 2025गुरुवार, 05:47:1-10:50:29

अप्रैल में कर्णवेध संस्कार के लिए शुभ मुहूर्त

अप्रैल में आप कब और किस समय कर सकते हैं अपनी संतान का कर्णवेध संस्कार, आइए जानते हैं। 

तिथिमुहूर्त
03 अप्रैल, 202507:32-10:4412:58-18:28
05 अप्रैल, 202508:40-12:5115:11-19:45
13 अप्रैल, 202507:02-12:19,14:40-19:13
21 अप्रैल, 202514:08-18:42
26 अप्रैल, 202507:18-09:13

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अप्रैल माह के ग्रहण और गोचर

ज्योतिष की नज़रों में अप्रैल 2025 को ख़ास कहा जाएगा क्योंकि इस माह में हर माह की तरह कई ग्रह अपनी चाल, दशा और राशि में परिवर्तन करेंगे। तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि अप्रैल 2025 में कब और कौन सा ग्रह गोचर और स्थिति में बदलाव करेगा।

मंगल का कर्क राशि में गोचर (03 अप्रैल 2025): साहस, शौर्य एवं पराक्रम के कारक ग्रह मंगल हैं जो अब 03 अप्रैल 2025 की देर रात 01 बजकर 32 मिनट पर अपनी नीच राशि कर्क में गोचर करने जा रहे हैं। 

बुध मीन राशि में मार्गी (07 अप्रैल 2025): बुध ग्रह को बुद्धि, वाणी, तर्क और व्यापार के कारक कहा जाता है और अब यह 07 अप्रैल 2025 की शाम 04 बजकर 04 मिनट पर मीन राशि में मार्गी हो जाएंगे। 

शुक्र मीन राशि में मार्गी (13 अप्रैल 2025): प्रेम और ऐश्वर्य के ग्रह शुक्र 13 अप्रैल 2025 की सुबह 05 बजकर 45 मिनट पर मार्गी होने जा रहे हैं जो कि इनकी उच्च राशि है। 

सूर्य का मेष राशि में गोचर (14 अप्रैल 2025): नवग्रहों के राजा के नाम से प्रसिद्ध सूर्य देव अपनी राशि में बदलाव करते हुए मंगल ग्रह की मेष राशि में 14 अप्रैल 2025 की देर रात 03 बजे गोचर करने जा रहे हैं। 

अप्रैल 2025 में पड़ने वाले व्रत-त्योहार का धार्मिक महत्व

सनातन धर्म में प्रत्येक व्रत और पर्व का अपना महत्व है जो उसे दूसरों पर्वों से अलग बनाते हैं। आपको अप्रैल माह के व्रत-त्योहार की तिथियों से अवगत करवाने के बाद अब हम आपको इन त्योहारों का धार्मिक महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं।

रामनवमी (6 अप्रैल 2025, रविवार): हिंदू धर्म का प्रमुख पर्व है रामनवमी और इसे भारत सहित दुनियाभर में पूरी भक्तिभाव के साथ मनाया जाता है। रामनवमी का दिन भगवान विष्णु के सातवें अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। यह तिथि राम जी के भक्तों के लिए बहुत ख़ास होती है। 

चैत्र नवरात्रि पारणा (7 अप्रैल, 2025 सोमवार): चैत्र नवरात्रि देवी शक्ति को समर्पित शक्तिशाली 9 दिन होते हैं। इन नौ दिनों तक की जाने वाली माता दुर्गा की पूजा और व्रत का पारणा चैत्र शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को किया जाता है। पारणा के साथ चैत्र नवरात्रि का समापन हो जाता है। 

कामदा एकादशी (08 अप्रैल 2025 मंगलवार): कामदा एकादशी व्रत प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है। कामदा एकादशी पर भगवान वासुदेव और श्रीहरि विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। कहते हैं कि कामदा एकादशी व्रत को करने से जातक की सभी  मनोकामनाओं पूर्ण होती हैं।

प्रदोष व्रत (शुक्ल) (10 अप्रैल 2025, गुरुवार): सनातन धर्म में प्रदोष व्रत को विशेष स्थान प्राप्त है। हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत करने किया जाता है। इस व्रत में महादेव और देवी पार्वती की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, प्रदोष व्रत को सच्चे हृदय से करने पर शिव जी अपने सभी भक्तों के मनोरथ पूर्ण करते हैं। 

हनुमान जयंती (12 अप्रैल, 2025, शनिवार): संकटमोचन हनुमान को भगवान राम का परम भक्त कहा जाता है और इन्हीं के जन्मोत्सव के रूप में हनुमान जयंती को मनाया जाता है। इस पर्व को पूरे भारत में बहुत धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ भक्तजन मनाते हैं। पंचांग के अनुसार, चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि के दिन साहस और शक्ति के प्रतीक माने जाने वाले हनुमान जी का जन्म हुआ था।

चैत्र पूर्णिमा (12 अप्रैल 2025, शनिवार):  बता दें कि चैत्र माह में आने वाली पूर्णिमा को चैत्र पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस पूर्णिमा को कुछ लोग चैती पूनम भी कहते हैं। हिंदू धर्म में चैत्र पूर्णिमा व्रत को पुण्यकारी माना गया है और इस दिन भगवान सत्यनारायण की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। चैत्र पूर्णिमा व्रत करने से भक्त को जीवन में सभी तरह की सुख-समृद्धि के साथ-साथ मनोवांछित फल की प्राप्ति होती हैं।

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मेष संक्रांति (14 अप्रैल 2025, सोमवार): सूर्य देव के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने को संक्रांति कहा जाता है। सनातन धर्म में हर महीने आने वाली संक्रांति तिथि को पुण्यदायी और लाभकारी माना जाता है क्योंकि सूर्य का गोचर हर माह होता है। जब सूर्य देव मेष राशि में प्रवेश करते हैं, तो उसे मेष संक्रांति के नाम से जाना जाता है। हालांकि, यह तिथि  दान-पुण्य और शुभ कार्य के लिए श्रेष्ठ होती है।

संकष्टी चतुर्थी (16 अप्रैल 2025, बुधवार): संकष्टी चतुर्थी का अर्थ होता है संकट हरने वाली चतुर्थी। यह व्रत प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश को समर्पित होता है और इस दिन बप्पा की पूजा भक्त सच्चे मन से विधिपूर्वक करते हैं। कहते हैं कि संकष्टी चतुर्थी व्रत करने से भक्त के जीवन से सभी दुख और कष्ट दूर होते हैं। 

वरुथिनी एकादशी (24 अप्रैल 2025, गुरुवार): सामान्य रूप से, वरुथिनी एकादशी का व्रत अप्रैल और मई के महीने में किया जाता जो कि जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु को समर्पित होता है। ऐसी मान्यता है कि वरुथिनी एकादशी व्रत से भक्त के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

मासिक शिवरात्रि (26 अप्रैल 2025, शनिवार):  मासिक शिवरात्रि व्रत भगवान शिव के भक्तों के लिए विशेष होता है जो कि हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। शिव जी की कृपा और आशीर्वाद पाने के लिए भक्तजन शिवरात्रि का व्रत करते हैं।

वैशाख अमावस्या (27 अप्रैल 2025, रविवार): हिंदू वर्ष के दूसरे माह वैशाख में आने वाली अमावस्या को वैशाख अमावस्या के नाम से जाना जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, वैशाख माह में त्रेता युग की शुरुआत हुई थी और इस दिन को दक्षिण भारत में शनि जयंती के रूप में मनाया जाता है।

अक्षय तृतीया (30 अप्रैल 2025, बुधवार): अक्षय तृतीया को बहुत शुभ और महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है जो कि हर माह वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। यह तिथि अखा तीज के नाम से भी जानी जाती हैं। अक्षय तृतीया को सोना खरीदने के साथ-साथ दान-पुण्य, स्नान, यज्ञ, आदि कार्यों के लिए भी शुभ माना जाता है। 

ज्योतिषीय एवं धार्मिक दृष्टि से अप्रैल 2025 

अप्रैल का महीना न सिर्फ धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है, बल्कि देश के लिए भी अप्रैल बेहद ख़ास होता है क्योंकि इस महीने से ही नया फाइनेंशियल ईयर शुरू होता है। सामान्य शब्दों में कहें तो, देश के एक नए आर्थिक वर्ष का आरंभ होता है। धार्मिक रूप से अप्रैल में जहां राम नवमी, हनुमान जयंती, महाष्टमी जैसे पर्वों को मनाया जाएगा। दूसरी तरफ, ज्योतिष के अनुसार, अप्रैल 2025 में कई बड़े ग्रहों के गोचर होने जा रहे हैं। वहीं, धार्मिक रूप से अप्रैल का माह विशेष होता है क्योंकि अधिकतर इस महीने में ही चैत्र माह का आगमन होता है। 

बात करें अप्रैल 2025 के पंचांग की, तो हिन्दू धर्म के अनुसार अप्रैल माह की शुरुआत चैत्र माह से होगी जबकि इसका समापन वैशाख माह के अंतर्गत होगा। हालांकि, चैत्र माह का आगाज़ 15 मार्च 2025 हो गया है जो 12 अप्रैल 2025 को समाप्त हो जाएगा। इसके बाद, हिन्दू वर्ष का दूसरा महीना वैशाख 13 अप्रैल 2025 को शुरू होकर 12 मई 2025 तक रहेगा। विक्रम संवत के अनुसार, हिन्दू नववर्ष चैत्र से शुरू होता है और इसको ही संवत्सर कहा जाता है।

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शायद ही आप जानते होंगे कि चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नया विक्रम संवत शुरू हो जाता है। वर्ष 2025 में नया विक्रम संवत 2082 लगेगा। चैत्र माह पूजा-पाठ और धार्मिक कार्यों के लिए श्रेष्ठ होता है इसलिए इस मास के दौरान देवी-देवताओं का आशीर्वाद पाने के लिए अनेक व्रत किए जाते हैं। कहते हैं कि चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा तिथि से ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। इस दिन ही विष्णु जी पहला मत्स्य अवतार लेकर धरती को प्रलय से बचाने के लिए प्रकट हुए थे। कहते हैं कि चैत्र महीने से ही सतयुग का आरंभ हुआ था। इस माह में ही राजा राम का राज्यभिषेक हुआ था इसलिए चैत्र माह का महत्व बढ़ जाता है।  

इसी क्रम में, चैत्र माह के बाद वैशाख माह लग जाएगा जो कि हिंदू नव वर्ष का दूसरा महीना होता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, वैशाख हर साल सामान्य तौर पर अप्रैल या मई में आता है। वैशाख महीने का संबंध विशाखा नक्षत्र से माना गया है और यह नक्षत्र व्यक्ति को जीवन में धन-संपदा पाने और पुण्य कर्मों में वृद्धि के अवसर प्रदान करता है। वैशाख मास में श्रीहरि विष्णु और भगवान परशुराम की पूजा-अर्चना करना कल्याणकारी माना गया है। इस महीने में ही एक बार भक्तों को अपने आराध्य बांके बिहारी जी के चरणों के दर्शन होते हैं। 

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अप्रैल मासिक भविष्यवाणी 2025: 12 राशियों का राशिफल 

मेष राशि 

अप्रैल मासिक राशिफल 2025 के अनुसार, यह महीना मेष राशि के जातकों के लिए मध्यम रूप से……(विस्तार से पढ़ें)

वृषभ राशि 

अप्रैल मासिक राशिफल 2025 के अनुसार, यह महीना वृषभ राशि के जातकों के लिए अनुकूल……(विस्तार से पढ़ें)

मिथुन राशि 

अप्रैल मासिक राशिफल 2025 के अनुसार, यह महीना मिथुन राशि के लोगों के लिए उतार-चढ़ाव से…(विस्तार से पढ़ें)

कर्क राशि 

अप्रैल मासिक राशिफल 2025 कहता है कि यह महीना कर्क राशि के जातकों के लिए कुछ हद तक…(विस्तार से पढ़ें)

सिंह राशि 

अप्रैल मासिक राशिफल 2025 के अनुसार, यह महीना सिंह राशि वालों के लिए उतार-चढ़ाव से भरा…(विस्तार से पढ़ें)

कन्या राशि 

कन्या राशि में जन्मे जातकों के लिए यह महीना मध्यम रूप से फलदायी रहने की संभावना है। आपकी…(विस्तार से पढ़ें)

कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर

तुला राशि 

अप्रैल मासिक राशिफल 2025 के अनुसार, तुला राशि में जन्मे जातकों के लिए यह महीना…(विस्तार से पढ़ें) 

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए यह महीना कुछ हद तक अनुकूल रहने की संभावना है। लेकिन,…(विस्तार से पढ़ें)

धनु राशि 

अप्रैल मासिक राशिफल 2025 के अनुसार, यह महीना धनु राशि के जातकों के लिए औसत रूप…(विस्तार से पढ़ें)

मकर राशि 

अप्रैल मासिक राशिफल 2025 के अनुसार, यह महीना मकर राशि में जन्म लेने वाले जातकों के लिए…(विस्तार से पढ़ें)

कुंभ राशि 

कुंभ राशि में जन्मे जातकों के लिए यह महीना आर्थिक मामलों के लिए बहुत ज्यादा अनुकूल रहने की…(विस्तार से पढ़ें)

मीन राशि 

अप्रैल मासिक राशिफल 2025 के अनुसार, यह महीना मीन राशि के जातकों के लिए उतार-चढ़ाव से…(विस्तार से पढ़ें)

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. 2025 में रामनवमी कब है?

वर्ष 2025 में रामनवमी का पर्व 06 अप्रैल 2025 का है।

2. अप्रैल 2025 में बुध मार्गी कब हो रहे हैं?

इस महीने बुध मीन राशि में मार्गी 07 अप्रैल 2025 को हो रहे हैं। 

3. अप्रैल में संकष्टी व्रत कब है?

वर्ष 2025 के अप्रैल माह में संकष्टी चतुर्थी का व्रत 16 अप्रैल 2025 को किया जाएगा।

बुध का मीन राशि में उदय होने से, सोने की तरह चमक उठेगा इन राशियों का भाग्य!

बुध का मीन राशि में उदय होने से, सोने की तरह चमक उठेगा इन राशियों का भाग्य!

बुध का  मीन राशि में उदय: बुध देव को ग्रहों के राजकुमार का दर्जा प्राप्त है जो मनुष्य जीवन को प्रभावित करने की अपार क्षमता रखते हैं इसलिए इन्हें नवग्रहों में महत्वपूर्ण स्थान हासिल है। वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह को वाणी, बुद्धि, तर्क-वितर्क, व्यापार और गणित का कारक ग्रह माना जाता है। बुद्धि एवं व्यापार के कारक ग्रह होने के नाते जब भी बुध एक निश्चित अवधि के बाद अपनी राशि में परिवर्तन या फिर चाल में बदलाव करते हैं, तो इसका असर सभी राशियों के जातकों पर नज़र आता है। मार्च का महीना बुध ग्रह के लिए विशेष है क्योंकि इस अवधि में इन्होंने बार-बार अपनी चाल और स्थिति में बदलाव किया है। अब यह एक बार दोबारा मीन राशि में उदित होने जा रहे हैं जिसका असर न सिर्फ़ राशियों को बल्कि देश-दुनिया को भी प्रभावित करेगा। 

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यह हम सब भली-भांति जानते हैं कि ज्योतिष शास्त्र में सूर्य और बुध दोनों को ही विशेष स्थान प्राप्त है। सूर्य देव को जहां “नवग्रहों के जनक” का पद हासिल है, तो वहीं बुध को “ग्रहों के राजकुमार” कहा जाता है। आपको बता दें कि बुध के अस्त होने में सूर्य ग्रह महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। इसी क्रम में, एस्ट्रोसेज एआई के इस ब्लॉग के माध्यम से आप जान सकेंगे कि बुध का मीन राशि में उदय आपको कैसे परिणाम देगा? किन राशियों की चमकेगी किस्मत और किन्हें उठानी पड़ेगा परेशानी? क्या करियर और व्यापार से दूर होंगी समस्याएं? इन सभी सवालों का जवाब पाने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें। सिर्फ इतना ही नहीं, अनुभवी ज्योतिषियों द्वारा बुध ग्रह को प्रसन्न करने के उपाय भी हम आपको प्रदान करेंगे। तो चलिए आगे बढ़ते हैं। 

बुध का मीन राशि में उदय: कब और क्या रहेगा समय?

ज्योतिष शास्त्र में हर ग्रह अपने निर्धारित समय पर राशि परिवर्तन करता है जो ग्रह की चाल पर निर्भर करता है। हालांकि, बुध देव को तेज़ गति से चलने वाला ग्रह माना जाता है इसलिए यह तक़रीबन 23 दिन तक एक राशि में रहते हैं और समय-समय अपनी चाल एवं स्थिति में बदलाव करते रहते हैं। इसी क्रम में, अब बुध महाराज 31 मार्च 2025 की शाम 05 बजकर 57 मिनट पर मीन राशि में अपनी अस्त अवस्था से बाहर आकर उदित हो जाएंगे। बता दें कि बुध देव 17 मार्च 2025 को मीन राशि में अस्त हो गए थे। हालांकि, मीन राशि में एक साथ बुध, सूर्य, शुक्र, शनि और राहु के मौजूद होने से पंचग्रही योग बनेगा जो कि बुध के उदित होने से थोड़े बेहतर परिणाम देने में सफल हो सकता है। लेकिन, बुध की उदित अवस्था का असर संसार के साथ-साथ सभी राशियों पर भी दिखाई देगा। इस बारे में हम विस्तार से बात करेंगे, परंतु सबसे पहले जानते हैं बुध ग्रह के महत्व के बारे में। 

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ज्योतिष की दृष्टि से बुध ग्रह

वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह को महत्वपूर्ण माना जाता है जिन्हें एक शुभ ग्रह का दर्जा प्राप्त है। नौ ग्रहों में चार ग्रहों को विशेष पद प्राप्त हैं जैसे सूर्य को राजा, चद्रंमा को रानी, मंगल को सेनापति और बुध देव को “ग्रह के युवराज” कहा जाता है। सौरमंडल में बुध ग्रह सूर्य के सबसे निकट स्थित है। ज्योतिष में बुध महाराज को बुद्धि, तर्कशास्त्र, वाणी, गणित, संवाद, अकाउंट और व्यापार के कारक ग्रह कहा गया है। इन्हें द्विस्वभाव का ग्रह माना जाता है अर्थात कुंडली में बुध जिस ग्रह के साथ मौजूद होते हैं, उन्हीं के अनुरूप आपको फल देने लगता है। 

सामान्य शब्दों में कहें तो, शुभ ग्रहों के साथ बुध के बैठे होने पर आपको शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। वहीं, यह अशुभ ग्रहों के साथ होने पर आपको अशुभ फल प्रदान करता है। उदाहरण के रूप में, यदि बुध देव गुरु, शुक्र और बली चंद्रमा के साथ स्थित होंगे, तो आपको शुभ फल ही देंगे जबकि क्रूर एवं पापी ग्रहों शनि, राहु, केतु, मंगल और सूर्य के साथ होंगे, तो आपको मिलने वाले परिणाम अशुभ हो सकते हैं।

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जीवन पर बुध ग्रह का प्रभाव 

जैसे कि हम आपको ऊपर बता चुके हैं कि बुध देव को शुभ ग्रह माना जाता है। ऐसे जातक जिन की कुंडली के बुध ग्रह लग्न भाव/पहले भाव में विराजमान होते हैं, वह बेहद सुंदर होते हैं और अपनी आयु से कम दिखाई देते हैं। 

इसी प्रकार, कुंडली के लग्न भाव में बुध ग्रह के मौजूद होने पर जातक की बुद्धि तेज़, तर्क से बातचीत करने वाला और कुशल वक्ता होता है। लग्न भाव में बुध महाराज की उपस्थिति से जातक दीर्घायु और कई भाषाओं का ज्ञाता होता है। साथ ही, ऐसा व्यक्ति व्पापार में सफलता हासिल करता है। 

आइए अब नज़र डालते हैं कुंडली में बुध ग्रह के कमज़ोर और मज़बूत होने पर वह आपको किस तरह के परिणाम देते है।  

मजबूत बुध का प्रभाव

  • वाणी, तर्क, संचार, त्वचा और व्यापार के कारक ग्रह के तौर पर कुंडली में बुध ग्रह की मज़बूत स्थिति आपको बुद्धिमान और तीव्र शक्ति वाला बनाती है। 
  • ऐसे व्यक्ति का संचार कौशल शानदार होता है और वह बातचीत करने में माहिर होता है। 
  • बलवान बुध होने पर जातक व्यापार में अपार सफलता हासिल करता है।  
  • इन्हें संवाद और गणित के क्षेत्र में महारत प्राप्त होती है। 

कमजोर बुध का प्रभाव

  • अगर किसी जातक की कुंडली में बुध दुर्बल या कमजोर होता है या क्रूर एवं पापी ग्रहों से पीड़ित होता है या फिर कुंडली के अशुभ भाव में बैठा होता है, तो व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 
  • बुध ग्रह के दुर्बल होने पर जातक की वाणी नकारात्मक रूप से प्रभावित होती है और कई बार वह हकलाने लग जाता है। 
  • दुर्बल बुध होने पर व्यक्ति में बुद्धि की कमी होती है और वह चीजों को देरी से समझता है। 
  • बुध के कमजोर अवस्था में होने पर व्यापार करने वाले जातक को नुकसान उठाना पड़ सकता है।  

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बुध देव से जुड़ी 7 रोचक बातें 

  1. बुध ग्रह एकमात्र ऐसे ग्रह हैं जो सूर्य के सबसे निकट स्थित हैं इसलिए अधिकतर यह अस्त अवस्था में रहते हैं। साथ ही, बुध देव सूर्य से एक भाव आगे या एक भाव पीछे रहते हैं।\
  2. ज्योतिष में बुध ग्रह को नपुसंक ग्रह माना जाता है। 
  3. बुध महाराज स्वग्रही, मूल त्रिकोण और मित्र ग्रह की राशि में उपस्थित होने पर अच्छे परिणाम देते हैं जबकि नीच राशि और शत्रु राशि में जातक को कष्ट उठाने पड़ते हैं। 
  4. करियर के क्षेत्र में बुध ग्रह लेखन, साहित्य, पत्रकारिता, सलाहकार, अकाउंटेंट और वकील आदि को दर्शाते हैं।
  5. कुंडली में किसी राशि या भाव में सूर्य-बुध की युति होने पर बुधादित्य राजयोग का निर्माण होता है।
  6. बुध ग्रह द्वारा निर्मित योग केंद्र त्रिकोण में बेहद फलदायी माना जाता है।
  7. जब शुक्र देव और बुध ग्रह एक साथ युति करते हैं, तब लक्ष्मी नारायण योग का निर्माण होता है।

बुध ग्रह को मज़बूत करने के लिए करें ये सरल उपाय 

  • कुंडली में बुध को बलवान करने के लिए बुधवार के दिन व्रत करें और भगवान गणेश की पूजा करें। साथ ही, गणेश जी को मूंग के लड्डू का प्रसाद के रूप भोग लगाएं। 
  • बुध को मज़बूत बनाने के लिए बुधवार के दिन हरी वस्तुओं का दान करें और गाय को हरा चारा खिलाएं। इसके अलावा, किसी जरूरतमंद ब्राह्मण को हरी सब्जियां, हरे फल, कांसे का बर्तन और हरे वस्त्र आदि दान कर सकते हैं। 
  • बुध देव की कृपा पाने के लिए पूजा के समय बुध स्तोत्र का पाठ करना फलदायी होता है। 
  • बुधवार को पूजा करते समय बुध देव के मंत्र “ॐ बुं बुधाय नमः” या “ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः” का जाप करें। 

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बुध का मीन राशि में उदय: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय 

मेष राशि

आपकी वर्तमान स्थि‍ति को देखें, तो बुध मेष राशि के जातकों के लिए शुभ ग्रह नहीं है। तीसरे और…(विस्तार से पढ़ें) 

वृषभ राशि

वृषभ राशि के जातकों के लिए बुध एक शुभ ग्रह है लेकिन वर्तमान में नीच स्थि‍ति में होने…(विस्तार से पढ़ें)

मिथुन राशि

मिथुन राशि के जातकों को बुध का मीन राशि में उदय होने पर अपनी सेहत में सुधार देखने…(विस्तार से पढ़ें)

कर्क राशि

कर्क राशि के तीसरे और बारहवें भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं। हालांकि, आपके बारहवें भाव…(विस्तार से पढ़ें)

सिंह राशि

सिंह राशि के जातकों के लिए बुध उनके दूसरे और ग्‍यारहवें भाव का स्‍वामी है। बुध का मीन…(विस्तार से पढ़ें) 

कन्या राशि

कन्‍या राशि की बात करें, तो बुध इस राशि के लग्‍न और दसवें भाव के स्‍वामी हैं। बुध का मीन…(विस्तार से पढ़ें)

तुला राशि

तुला राशि के नौवें और बारहवें भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं। नौवें भाव के स्‍वामी के…(विस्तार से पढ़ें) 

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के लिए बुध बहुत अनुकूल ग्रह नहीं है क्‍योंकि यह आपके आठवें और ग्‍यारहवें…(विस्तार से पढ़ें) 

धनु राशि 

धनु राशि के सातवें और दसवें भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं। सातवें और दसवें भाव के स्‍वामी…(विस्तार से पढ़ें)

मकर राशि

मकर राशि के लिए बुध बहुत शुभ और अत्‍यंत अनुकूल ग्रह हैं क्‍योंकि वह इस राशि के नौवें…(विस्तार से पढ़ें)

कुंभ राशि

कुंभ राशि के पांचवे और आठवें भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं जिससे आपकी वैज्ञानिक रूप…(विस्तार से पढ़ें)

मीन राशि

मीन राशि के चौथे और सातवें भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं और अब बुध आपके पहले…(विस्तार से पढ़ें)

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. बुध मीन राशि में कब उदित होंगे?

मीन राशि में बुध का उदय 31 मार्च 2025 को होगा। 

2. बुध और सूर्य की युति से कौन सा योग बनता है?

ज्योतिष के अनुसार, बुध और सूर्य की युति से बुधादित्य योग बनता है। 

3. अस्त होना किसे कहते हैं?

जब कोई ग्रह सूर्य के बेहद करीब चला जाता है, तब वह ग्रह अपनी शक्तियां खो देता है और इसे ही ग्रह का अस्त होना कहते हैं।