शनि उन ग्रहों में से एक हैं जो सबसे धीमी चाल चलते हैं। शनि एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने में ढ़ाई साल का समय लेते हैं। शनि के गोचर करने पर किसी राशि में शनि की साढ़ेसाती की शुरुआत होती है, तो वहीं किसी राशि में इसका अंत होता है।
ऐसा माना जाता है कि शनि की साढ़ेसाती के दौरान जातक को कई प्रकार के कष्टों और समस्याओं का सामना करना पड़ता है। शनि देव को न्याय का देवता कहा गया है जो व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर फल देते हैं।
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सभी राशियों में गोचर करने में शनि को लगभग 30 साल का समय लगता है। साल 2023 से शनि देव कुुंभ राशि में बैठे हैं और अब वे अगले साल राशि परिवर्तन करेंगे। शनि के गोचर करने पर किसी राशि पर इनकी टेढ़ी नज़र पड़ेगी, तो वहीं किसी की साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी। आगे जानिए कि साल 2025 में शनि के गोचर करने पर किन राशियों पर शनि की कैसी नज़र रहने वाली है।
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2025 में किस पर शुरू होगी शनि की साढ़ेसाती
साल 2025 में 29 मार्च को शनि देव कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करेंगे। इससे मेष राशि में शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण शुरू होगा। इस प्रकार मीन राशि पर साढ़ेसाती का दूसरा और कुंभ राशि पर आखिरी चरण रहेगा।
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2038 तक इन पर रहेगी शनि की साढ़ेसाती
इस समय शनि देव कुंभ राशि में हैं और अगले साल मार्च माह में वे मीन राशि में चले जाएंगे। 03 जून, 2027 तक कुंभ राशि के लोगों पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव देखने को मिलेगा। जैसे ही शनि देव मीन राशि में प्रवेश करेंगे, वैसे ही मेष राशि के लिए शनि की साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी और यह 2032 तक रहने वाली है।
साल 2027 में वृषभ राशि में शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण शुरू होगा। वहीं 08 अगस्त, 2029 से मिथुन राशि पर साढ़ेसाती शुरू होगी। यह अगस्त 2036 तक चलेगी। मई, 2032 से कर्क राशि में शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव शुरू होगा जो कि 2038 में 22 अक्टूबर तक रहने वाला है। इस तरह 2025 से लेकर 2038 तक शनि की दृष्टि कुंभ, मीन, मिथुन, मेष और कर्क राशि पर रहेगी।
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किस राशि से हटेगी शनि की साढ़ेसाती
मार्च 2025 में शनि देव के मीन राशि में आने से मकर राशि के लोगों को शनि की साढ़ेसाती से छुटकारा मिल जाएगा। कर्क और वृश्चिक राशि के लोगों को शनि की ढैय्या से मुक्ति मिलेगी।
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शनि की साढ़ेसाती के तीन चरण
शनि की साढ़ेसाती साढ़े सात साल की होती है और इसमें तीन चरण होते हैं। इन तीन चरणों के दौरान व्यक्ति को अलग-अलग प्रभाव एवं परिणाम प्राप्त होते हैं।
शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण: यह शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण होता है। इस समय शनि चंद्र राशि से बारहवें घर में गोचर करता है। इस दौरान आर्थिक नुकसान, शत्रुओं की वजह से परेशानियां, बेवजह यात्रा करने, विवाद और पैसों की तंगी का सामना करना पड़ता है। लोगों के अपने सहकर्मियों के साथ अच्छे संबंध नहीं रह पाते हैं। कार्यक्षेत्र में माहौल ज्यादा अनुकूल नहीं रहता है। इन्हें अपने परिवार में भी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इससे इनके जीवन में दबाव और चिंता बनी रहती है।
शनि की साढ़ेसाती का दूसरा चरण: साढ़ेसाती का यह चरण सबसे ज्यादा मुश्किल होता है। इस समय व्यक्ति को स्वास्थ्य समस्याओं, रिश्तों में तकरार, मानसिक आघात और दुखों का सामना करना पड़ता है। इस समयावधि में सफलता प्राप्त करना इनके लिए बहुत मुश्किल हो जाता है। इन्हें अपनी मेहनत का फल नहीं मिल पाता है। वहीं इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमज़ोर रहती है।
शनि की साढ़ेसाती का तीसरा चरण: इस चरण में शनि चंद्र राशि से दूसरे भाव में गोचर करते हैं। इस दौरान व्यक्ति को धन के मामले में और पारिवारिक स्तर पर मुश्किलें देखनी पड़ती हैं। पहले दो चरणों की तुलना में यह समय थोड़ा राहत भरा होता है लेकिन पैसों का दबाव अब भी बना रहता है। खर्चों में वृद्धि होती है। अचानक धन हानि होने से मन परेशान रहता है। आपके यहां चोरी होने की भी आशंका रहती है। ये विचारों से निराशावादी बन जाते हैं।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर. इस समय कोई जोखिम भरा काम करने से बचना चाहिए।
उत्तर. शिवलिंग का काले तिल और बेलपत्र युक्त गंगाजल से अभिषेक करें।
उत्तर. शनिवार के दिन सरसों का तेल चढ़ाएं।
उत्तर. संघर्षों का सामना करना पड़ता है।
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