जानिए ज्योतिष शास्त्र के अनुसार क्यों आ जाती है चलते हुए व्यापार में बाधा

ग्रहों की चाल और दशा हमारे जीवन पर काफी असर डालती हैं ग्रहों की स्थिति का असर हमारे व्यापार, नौकरी, इत्यादि जीवन पर भी पड़ता है ऐसे में अगर आपके बिज़नस में भी कोई बाधा आ रही है तो एस्ट्रोसेज बृहत् कुंडली की मदद से आप इस समस्या का उपाय जान सकते हैं। इस रिपोर्ट से आपको अपने जीवन पर ग्रहों के प्रभाव को समझने में मदद मिलती है और साथ ही सटीक चार्ट, योग विश्लेषण और उपायों के माध्यम से विस्तृत जानकारी भी मिलती है।

इसके अलावा अगर अपने व्यापार से जुड़ा आपके मन में कोई सवाल है, जिसका आप जवाब जानना चाहते हैं तो अभी हमारे विशेषज्ञ ज्योतिषियों से प्रश्न पूछेंआइये अब हम इस बारे में विस्तार से जानते हैं कि ज्योतिष, व्यवसाय विस्तार की रणनीतियों और उसे आगे बढ़ने और सफल होने को कैसे प्रभावित करता है। साथ ही जानते हैं व्यापार में वृद्धि पाने के कुछ सटीक उपाय।

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अखंड ज्योतिषशास्त्र के अनुसार देखा जाये तो व्यक्ति सदैव अपने जीवन में नौकरी व व्यावसाय से चिंतित रहता है और सदैव इन्हीं दो मार्गों  पर चलता आ रहा है, और अपनी योग्यताओं और क्षमताओं के अनुसार अपनी आजीविका के साधन को चुनता रहता है। कभी वह अपने खुद के व्यवसाय के पीछे दौड़ता है तो कभी वह नौकरी करने के लिए घर से दूर चला जाता है।  परन्तु फिर भी मन में सोचता रहता है की काश मेरा अपना काम यानि व्यवसाय होता तो आराम से अपनी आजीविका को घर बैठे चला लेता। 

हालाँकि कई बार हमें इस बात का जवाब नहीं मिल पता है कि आखिर हम किस करियर, नौकरी, या व्यवसाय में हाथ डालें तो हमें सफ़लता मिलेगी? आपके इस सवाल का जवाब आपको कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट से बड़ी ही आसानी के साथ मिल सकता है

धीरे-धीरे समाज में आगे बढ़ते हुए एक दिन वह बिना किसी के राय के सोचे समझे वह उत्साह पूर्वक अपना व्यवसाय प्रारम्भ कर लेता है, और अपने जीवन काल में आजीविका चलाने के लिए आगे बढ़ने लगता है, परन्तु इसके बावजूद भी कई बार उसे अपने अनुकूल या लाभदायक व्यवसाय में परिवर्तन करना पड़ता है। इसके कई कारण हैं परन्तु बात करते हैं ज्योतिष शास्त्र द्वारा व्यवसाय के बार-बार परिवर्तन के और उनसे जुड़ रही बाधाओं की। 

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भारतीय ज्योतिषशास्त्र को एक प्रत्यक्ष शास्त्र माना गया है, जो व्यक्ति के जन्म से पूर्व व मृत्यु के बाद तक का जीवन काल को बताने में दृढ़ संकल्पित है। 

यदि कोई भी व्यक्ति ज्योतिषशास्त्र के द्वारा निर्मित अपनी जन्मकुंडली के अनुसार अपने व्यापार का चयन करता है तो वह जातक अपने जीवन के भौतिक सुखों से पूर्ण रहता है, और बिना व्यवधान के अपने व्यवसाय को धीरे-धीरे अपनी मंजिल की ओर आगे बढ़ता रहता है। जन्मकुंडली में व्यवसाय को दर्शाने वाला भाव पंचम व सप्तम भाव है। नवम भाव भाग्य का प्रतिनिधित्व करता है, और ग्यारहवां भाव हर प्रकार के लाभ का चाहे वह धन से हो या अपने व्यवसाय या पैतृक संपत्ति या अनेकों कार्य से जुड़े लाभ से। 

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परन्तु जातक किन ग्रहों से संबंधित कार्य करेगा यह तय करना जन्मकुंडली के इन चार भावों से जुड़े राशि, ग्रह व व्यवसाय से जुड़े कारक ग्रह के द्वारा ही सम्भव है। यदि कोई भी अमीर या गरीब व्यक्ति बिना ज्योतिषीय परामर्श के द्वारा अपना मनचाहा व्यवसाय प्रारंभ करता है, पर उस जातक की जन्मकुण्डली में व्यवसाय योग न होने के कारण उनके लिये फलदायी न हो तो वह कुछ समय के लिये फल तो दे सकता है पर ग्रहों की अशुभ चाल के अनुसार धीरे-धीरे व्यवसाय में बाधायें आने लगती हैं। 

तो किसी का व्यवसाय खुलने से पूर्व ही बन्द होने के आसार दिखने लग जाते हैं और आखिरकार व्यवसाय बन्द ही हो जाता है, और जातक अपने सुखमय जीवन को अंधकार की ओर डूबता हुआ देखता है। यह सारा खेल जन्मकुंडली में बैठे ग्रहों के प्रभाव से होता है। 

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ज्योतिषीय विश्लेष्ण

आइये अब जानते हैं कि यह प्रभाव किसके साथ घटित हुआ?

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कलकत्ता में जन्मे कैलाश जी का जन्म 6 जून 1989 को प्रातः 6:22 पर हुआ था। इन्होंने बचपन से ही, आठवीं पास कर अपने पिता के साथ व्यापार करना शुरू कर दिया था और धीरे धीरे आगे बढ़कर जिन्होंने अपने जन्मकुंडली के अनुसार अपने नाम से कपड़ों का व्यापार शुरू किया जो कि विदेशों तक और इनका प्रभाव दिखाई दिया और इसी के  चलते इन्होंने अचानक बिना सोचे समझे बड़े स्तर पर लोहे का व्यापार शुरू कर दिया, और सारा धन नये व्यापार पर लगा दिया। 

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परन्तु जन्म कुंडली के अनुसार कैलाश जी को यह लोहा फल दायी साबित नहीं था। फिर भी इन्होंने इस लोहे के व्यापार को करना ज़रूरी समझा। जैसे ही इन्होंने इस व्यापार को बड़े स्तर तक ले जाने के लिए अच्छा धन लगाया, वैसे ही कुछ महीनों बाद पारिवारिक विवाद व व्यापार से सम्बंधित परेशानियां, साथ ही कर्ज बढ़ना भी शुरू हो गया था, और इन पर बहुत बड़ा झटका लगा। 

ज्योतिषीय कारणों से देखा जाए तो इनकी कुंडली में लोहे का व्यापार नहीं लिखा था, जिस कारण से इनको लोहे के व्यापार में बहुत बड़ा नुक़सान उठाना पड़ा। आज पुनः कैलाश जी कपड़ों से जुड़ा विदेशी व्यापार कर रहे हैं जो उनके लिए पूर्ण रूप से फली भूत हो रहा है और पुनः एक अच्छी मंजिल पर पहुँचने के प्रयास कर रहे हैं। इसलिए में सभी को कहना चाहूंगा कि, बिना जन्मकुंडली परामर्श के नये व्यापार को शुरू न करें नहीं तो आप भी इसका शिकार बन सकते हैं। 

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व्यापार वृद्धि के उपाय

आइये अब हम आपको जल्द से जल्द अपने व्यापार में मनचाही वृद्धि के कुछ अनूठे और बेहद सरल उपायों के बारे में बताते हैं

  1. व्यापार या कारोबार में वृद्धि के लिए सबसे आसान उपाय है, लक्ष्मी नारायण के मंदिर में हर शुक्रवार गुड़ और चने बाँटना। शुक्रवार के दिन मंदिर में लक्ष्मी मां की प्रतिमा के सामने खुशबूदार अगरबत्ती और दीपक जलाएं और अपने व्यापार के फलने-फूलने की प्रार्थना करें। ये आसान उपाय आपको हर तरह से समृद्धि दिलाएगा।
  2. व्यापार वृद्धि से जुड़े दूसरे सरल उपाय के अनुसार, एक नारियल को चमकीले लाल नए कपड़े में लपेटें और फिर इसे घर या फिर व्यापार स्थल के पूजा स्थान अथवा तिजोरी में रख दें। इस नारियल में रोजाना धूप या अगरबत्ती अवश्य दिखाएं। ऐसा करने से आपको व्यापार में लाभ अवश्य मिलेगा।
  3. अपने व्यापार वाली जगह के पूजा घर में स्फटिक श्री यंत्र और एकाक्षी नारियल स्थापित करें। प्रतिदिन सुबह अपना काम शुरू करने से पहले गुलाब की सुगंधित अगरबत्ती से पूजा करने से व्यापार में निश्चित सफलता प्राप्त होती है।
  4. इसके अलावा, अगर आपके व्यापार स्थल पर किसी भी प्रकार की कोई समस्या हो, तो वहां श्वेतार्क गणपति तथा एकाक्षी श्री फल की स्थापना करें। इसके बाद नियमित रूप से यहाँ धूप, दीप आदि से पूजा करें और मुमकिन हो तो सप्ताह में एक बार मिठाई का भोग लगायें। पूजा के बाद यह भोग ज्यादा से ज्यादा और ज़रुरतमंदों में बाँट दें।
  5. व्यापार को बढ़ाने के लिए एक और बेहद सरल उपाय आप यह कर सकते हैं कि, शनिवार के दिन पीपल के पेड़ से एक पत्ता तोड़ लाएं। उस पत्ते को  धूप-बत्ती दिखाकर अपनी दुकान की उस गद्दी जिस पर आप बैठते हैं, उसके नीचे रख लें। ऐसा आपको बिना किसी को बताये लगातार सात शनिवार तक करना है। जब सात पत्ते इकट्ठे हो जाएं तो उन्हें एक साथ किसी तालाब या कुएं में प्रवाहित कर दें। इस उपाय से आपका व्यवसाय अच्छे से चलने लगेगा।

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