गुरु की राशि में आएंगे सूर्य, इन राशियों की बदल सकती है किस्मत; धन-संपदा का मिलेगा आशीर्वाद!

सूर्य का मीन राशि में गोचर: वैदिक ज्योतिष में सूर्य देव को प्रमुख एवं महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। हम सभी इस बात को भली-भांति जानते हैं कि धरती पर सूर्य के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। यह एकमात्र ऐसे हिंदू देवता है जो अपने भक्तों को प्रतिदिन साक्षात दर्शन देते हैं। साथ ही, नौ ग्रहों के जनक होने के नाते सूर्य की स्थिति में बदलाव देश-दुनिया को प्रभावित करता है। ऐसे में, जब सूर्य ग्रह की दशा, चाल और राशि में परिवर्तन होता है, तो उसे बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसी क्रम में, आज हम अपने इस विशेष लेख में जल्द ही होने वाले सूर्य के गोचर के बारे में बात करेंगे और इससे संबंधित समस्त जानकारी प्रदान करेंगे।

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आपको बता दें कि मार्च के महीने में सूर्य मीन राशि में गोचर करने जा रहे हैं। हालांकि, सूर्य महाराज का यह गोचर कई मायनों में ख़ास होगा क्योंकि इस दौरान कई शुभ योगों का निर्माण होगा और मीन राशि में गोचर के साथ ही सूर्य अपना राशि चक्र पूरा कर लेंगे। सिर्फ इतना ही नहीं, इनका यह राशि परिवर्तन सभी 12 राशियों को किस तरह से प्रभावित करेगा और सूर्य के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए आप किन उपायों को कर सकते हैं? यह सारी जानकारी आपको इस लेख में विस्तारपूर्वक दी जा रही है। तो चलिए बिना देर किए शुरुआत करते हैं हमारा यह ब्लॉग और सबसे पहले जान लेते हैं सूर्य गोचर का समय और तिथि। 

सूर्य का मीन राशि में गोचर: तिथि और समय 

सूर्य का गोचर मीन राशि में हो रहा है जिसके अधिपति देव गुरु ग्रह हैं। ज्योतिष में गुरु ग्रह को सूर्य देव का मित्र माना जाता है इसलिए ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि सूर्य का गोचर मित्र ग्रह की राशि में हो रहा है। बात करें सूर्य गोचर की, तो सूर्य महाराज अपने पुत्र शनि देव की राशि कुंभ से निकलकर 14 मार्च 2025 की शाम 06 बजकर 32 मिनट पर मीन राशि में गोचर कर जाएंगे। सूर्य की मीन राशि में उपस्थिति देश-दुनिया और विभिन्न राशियों के जातकों को प्रभावित करेंगी। वहीं, इनका यह गोचर कुछ राशियों के लिए शुभ और कुछ के लिए अशुभ रह सकता है। आइए अब हम आगे बढ़ते हैं और जानते है सूर्य के महत्व के बारे में। 

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ज्योतिषीय दृष्टि से सूर्य ग्रह 

सनातन धर्म में सूर्य देव को मंत्रिमंडल में राजा का दर्जा दिया गया है जबकि ज्योतिष शास्त्र में सूर्य का संबंध उच्च पद, मान-सम्मान और नेतृत्व क्षमता से माना जाता है। सभी 12 राशियों में सूर्य ग्रह के पास सिंह राशि का स्वामित्व है और इनकी उच्च राशि मेष है जबकि यह तुला राशि में नीच अवस्था में होते हैं।

कुंडली में सूर्य देव की स्थिति को लेकर विद्वान एवं अनुभवी ज्योतिषियों का मानना है कि जिन लोगों की जन्म कुंडली में सूर्य देव उच्च अवस्था में होते हैं या फिर मजबूत स्थिति में होते हैं, ऐसे जातकों को करियर के क्षेत्र में अपार सफलता प्राप्त होती हैं, समाज में ख़ूब मान-सम्मान हासिल करते हैं, जीवन में सभी तरह के लाभों की प्राप्ति होती हैं, प्रशासनिक लाभ भी मिलते हैं, इनका स्वास्थ्य उत्तम रहता है और सबसे महत्वपूर्ण अपने पिता के साथ इनके रिश्ते मधुर और मज़बूत रहते हैं।

वहीं दूसरी तरफ, ऐसे जातक जिनकी कुंडली में सूर्य महाराज कमजोर होते हैं या फिर दुर्बल अवस्था में मौजूद होते हैं, इन लोगों को जीवन में दिल और आंखों से जुड़ी समस्याएं परेशान करती हैं। साथ ही, पित्त और हड्डियों से संबंधित रोग भी बने रहते हैं और ऐसे में, आपको सूर्य ग्रह को शांत और मज़बूत करने के लिए कुछ सरल एवं अचूक उपाय करने की सलाह दी जाती है।

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कमज़ोर सूर्य कैसे करता है जीवन को प्रभावित?

ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में प्रत्येक ग्रह के मज़बूत और कमज़ोर अवस्था में होने का सीधा असर मनुष्य जीवन पर पड़ता है। लेकिन, अगर किसी की कुंडली में सूर्य ग्रह कमजोर स्थिति में होता है, तो जातक को अपने जीवन में ऐसी कई परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है जिनके आधार पर सूर्य के कमज़ोर होने की आप पहचान कर सकते हैं। सूर्य की दुर्बल अवस्था आपको जीवन में किस तरह के परिणाम देती है, उसके बारे में हम आपको नीचे बताने जा रहे हैं। 

  • कुंडली में सूर्य देव के कमज़ोर होने पर समाज में जातक के मान-सम्मान में कमी आती है और अकारण ही समाज में इनकी छवि खराब होने लगती है। 
  • चाहे यह जातक सरकारी नौकरी पाने के लिए कितनी भी मेहनत और प्रयत्न कर लें, इनके हाथ असफलता ही लगती है। 
  • ऐसे लोगों के रिश्ते अपने पिता के साथ बिगड़ने शुरू हो जाते हैं। 
  • मान्यता है कि कुंडली में सूर्य ग्रह की अशुभ या कमज़ोर अवस्था पितृ दोष को जन्म देती है। जिन लोगों की कुंडली में सूर्य पीड़ित होता है, उन्हें अपने जीवन में पितृ दोष जैसे अशुभ दोष का सामना करना पड़ता है। हालांकि, ज्योतिष में पितृ दोष को शांत करने के लिए अनेक प्रकार के उपाय बताए गए हैं जिससे आप इस दोष से मुक्ति पा सकते है। 

आइए अब हम आपको अवगत करवाते हैं कि पितृ दोष कैसे बनता है और इसे कैसे शांत किया जा सकता है।

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कुंडली में कब और कैसे बनता है पितृ दोष? 

पितृ दोष का नाम ही लोगों को भयभीत करने के लिए काफ़ी होता है। अगर इसके अर्थ की बात करें, तो पितृ अर्थात पूर्वज और दोष यानी कि नकारात्मक कर्म। सामान्य शब्दों में कहें तो, पितृ दोष वह होता है जो व्यक्ति द्वारा जाने-अनजाने में पूर्वजों के लिए किए गए कर्मों से बनता है जिससे आपके पूर्वज नाराज़ हो गए हों। इस प्रकार, पूर्वजों की नाराज़गी से जो दोष उत्पन्न होता है, उसे पितृ दोष कहा जाता है। चलिए अब नज़र डालते हैं कुंडली में कब बनता है पितृ दोष। 

  • जब कुंडली में सूर्य, चंद्रमा और राहु नौवें भाव में होते हैं, तो जातक को पितृ दोष लग जाता है। 
  • कुंडली के चौथे भाव में केतु ग्रह की मौजूदगी पितृ दोष का सूचक होती है। 
  • सूर्य, चंद्रमा, राहु या केतु, मंगल या शनि जैसे अशुभ ग्रह पीड़ित होते हैं, तो कुंडली में पितृ दोष बनता है। 
  • अगर किसी परिवार पर पितृ दोष का प्रभाव होता है, तो घर-परिवार में विवाद, मतभेद और गलतफहमियां बढ़ने लगती हैं और आर्थिक समस्याएं तंग करने लगती हैं। 
  • पितृ दोष की वजह से जातक पुराने रोग या स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से परेशान रहता है और करियर में भी बाधाएं उत्पन्न होने लगती हैं। 
  • व्यक्ति की मानसिक शांति भंग हो जाती है। 

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पितृ दोष को दूर करने के लिए करें ये उपाय 

  • प्रतिदिन स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  • पितृ पक्ष के दौरान नियमित रूप से अपने पूर्वजों को भोजन अर्पित करें। साथ ही, पितृ तर्पण भी करें। 
  • जातक अपने सामर्थ्य के अनुसार पीले या लाल रंग के वस्त्र, गेहूं, गुड़, तांबे के बर्तन, लाल चंदन और माणिक्य दान करें।  
  • पितृ दोष से मुक्ति के लिए जातक अपने पूर्वजों का आशीर्वाद लें और उनसे जाने-अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा मांगे। 
  • अगर आप चाहें तो, कुंडली में पितृ दोष के अशुभ प्रभावों से राहत या फिर सूर्य ग्रह को बलवान बनाने के लिए किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी से भी सलाह ले सकते हैं ।
  • प्रतिदिन आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें। 
  • रोज़ाना भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति के लिए 11 बार उनके मंत्र का जाप करें। 

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सूर्य का मीन राशि में गोचर राशि अनुसार प्रभाव और उपाय 

मेष राशि

मेष राशि के छठे भाव के स्‍वामी सूर्य ग्रह हैं और अब वह आपके बारहवें भाव में गोचर… (विस्तार से पढ़ें)

वृषभ राशि

वृषभ राशि के चौथे भाव के स्‍वामी सूर्य देव हैं और अब सूर्य का मीन राशि में गोचर होने…(विस्तार से पढ़ें)

मिथुन राशि

मिथुन राशि के तीसरे भाव के स्‍वामी सूर्य ग्रह हैं और सूर्य का मीन राशि में … (विस्तार से पढ़ें)

कर्क राशि

कर्क राशि के दूसरे भाव के स्‍वामी सूर्य देव हैं और अब सूर्य का मीन राशि में गोचर करने…(विस्तार से पढ़ें)

सिंह राशि

सिंह राशि के पहले भाव के स्‍वामी सूर्य देव हैं और अब सूर्य का मीन राशि में गोचर होने पर…(विस्तार से पढ़ें)

कन्या राशि

कन्‍या राशि के बारहवें भाव के स्‍वामी सूर्य देव हैं और अब वह आपके सातवें भाव में … (विस्तार से पढ़ें)

तुला राशि

तुला राशि के ग्यारहवें भाव के स्‍वामी सूर्य देव हैं और अब वह आपके नौवें भाव में गोचर करने… (विस्तार से पढ़ें) 

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के दसवें भाव के स्‍वामी सूर्य देव हैं और अब सूर्य का मीन राशि में गोचर होने… (विस्तार से पढ़ें) 

धनु राशि 

धनु राशि के नौवें भाव के स्‍वामी सूर्य देव हैं और अब सूर्य का मीन राशि में गोचर होने पर वह…(विस्तार से पढ़ें)

मकर राशि

मकर राशि के आठवें भाव के स्‍वामी सूर्य देव हैं और अब वह आपके तीसरे भाव में गोचर…(विस्तार से पढ़ें)

कुंभ राशि

कुंभ राशि के सातवें भाव के स्‍वामी सूर्य देव हैं और अब इस गोचर के दौरान वह आपके दूसरे…(विस्तार से पढ़ें)

मीन राशि

मीन राशि छठे भाव के स्‍वामी सूर्य देव हैं और अब सूर्य का मीन राशि में गोचर होने के दौरान… (विस्तार से पढ़ें)

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

2025 में सूर्य का मीन राशि में गोचर कब होगा? 

इस साल सूर्य देव का मीन राशि में गोचर 14 मार्च 2025 को होगा। 

ज्योतिष में सूर्य ग्रह कौन हैं?

ज्योतिष शास्त्र में सूर्य देव को नवग्रहों के राजा, आत्मा और पिता के कारक ग्रह माना गया है।

मीन राशि का स्वामी कौन है?

गुरु ग्रह को मीन राशि पर स्वामित्व प्राप्त है।

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