ज्योतिष में सूर्य ग्रह का विशेष महत्व है और इन्हें ग्रहों के मंत्रिमंडल में राजा का स्थान प्राप्त है। कालपुरुष की कुंडली में सूर्य को पांचवें स्थान प्राप्त है और यह सिंह राशि के स्वामी हैं। सभी 7 ग्रहों में से सूर्य और चन्द्रमा की ही एक राशि होती है बाकी सभी ग्रहों को दो राशि का स्वामित्व प्राप्त है। सूर्य अपनी ही सिंह राशि में मूल त्रिकोण होता है वही मेष राशि में यह उच्च के और तुला में यह नीच के माने जाते हैं।
बता दें कि सूर्य जल्द ही अगस्त माह में सिंह राशि में गोचर करने जा रहे हैं। इस ख़ास ब्लॉग के माध्यम से जानेंगे अगस्त के दूसरे सप्ताह में सिंह राशि में सूर्य के गोचर की ये ज्योतिषीय घटना सभी 12 राशियों को किस तरह से प्रभावित करेगी, ज्योतिष में सूर्य के गोचर का क्या महत्व होता है, साथ ही जानेंगे सूर्य के गोचर के नकारात्मक प्रभावों से बचने के कुछ बेहद सरल और ज्योतिषीय उपायों की जानकारी। लेकिन, इससे पहले जान लेते हैं सूर्य का सिंह राशि में गोचर करने की समयावधि।
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सूर्य का सिंह राशि में गोचर: समय व तिथि
मान-सम्मान, उच्च पद और नेतृत्व क्षमता का कारक ग्रह सूर्य अपनी स्वयं की राशि सिंह में गोचर करने जा रहे हैं। सूर्य 16 अगस्त 2024 की शाम 07 बजकर 32 मिनट पर सिंह राशि में गोचर करेंगे। सूर्य के राशि परिवर्तन अथवा नक्षत्र परिवर्तन से सभी राशियों के जीवन में कई बदलाव आते हैं। ज्योतिष विद्वानों के अनुसार, जिस व्यक्ति की कुंडली में सूर्य मजबूत अवस्था में होते हैं, उन्हें सभी प्रकार की सफलताएं प्राप्त होती है, वहीं सूर्य ग्रह के कमजोर होने से जीवन में कई नकारात्मक घटनाएं भी घटित होती है। जिस व्यक्ति की कुंडली में सूर्य कमजोर होते हैं, उन्हें इससे जुड़े लक्षण भी दिखाई देते हैं।
सूर्य ग्रह का ज्योतिष में महत्व
वैदिक ज्योतिष में ग्रहों के राजा सूर्य जन्म कुंडली में पिता का प्रतिनिधित्व करता है। जबकि किसी सुहागन महिला की कुंडली में यह उसके पति के जीवन का वर्णन करता है। इसके अलावा, सेवा क्षेत्र में सूर्य उच्च व प्रशासनिक पद तथा समाज में मान-सम्मान को दर्शाता है। मजबूत सूर्य से जातक के नेतृत्व करने की क्षमता बेहतर होती है।
जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में सूर्य लग्न यानी पहले भाव में होते हैं, तो उसका चेहरा बड़ा और गोल होता है। उन जातकों की आंखों का रंग शहद के रंग जैसा होता है। व्यक्ति के शरीर में सूर्य उसके हृदय को दर्शाता है। सूर्य पुरुषों की दाईं आंख और स्त्रियों की बाईं आंख को दर्शाता है। यदि जन्म कुंडली में सूर्य किसी ग्रह से पीड़ित हो तो यह हृदय और आंख से संबंधित रोगों को जन्म दे सकती है। यदि सूर्य शनि ग्रह से पीड़ित हो तो जातक निम्न रक्त दाब जैसी बीमारियों से ग्रस्त रहता है।
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सूर्य ग्रह का धार्मिक महत्व
सूर्य को सौर मंडली का राजा कहा जाता है। ज्योतिष के कुछ ग्रंथों और पुराणों में सूर्य को सूर्य देव से जोड़कर भी देखा जाता है और सूर्य की विधि-विधान से पूजा की जाती है। मान्यता के अनुसार, सूर्य महर्षि कश्यप के पुत्र हैं और इनकी माता अदिति हैं। जिसके कारण सूर्य का एक नाम आदित्य भी है। जातक चिकित्सीय और आध्यात्मिक लाभ पाने के लिए सूर्य को नित्य दिन जल अर्पित व सूर्य नमस्कार करते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार रविवार का दिन सूर्य को समर्पित है जो कि सप्ताह का एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।
यंत्र: सूर्य यंत्र
मंत्र: ॐ भास्कराय नमः
रत्न: माणिक्य
रंग: पीला/ केसरिया
जड़: बेल मूल
कुंडली के अलग-अलग भावों में सूर्य का प्रभाव
कुंडली के पहले भाव में सूर्य का प्रभाव
यदि किसी जातक की कुंडली में पहले भाव में सूर्य विराजमान हैं, तो ऐसी स्थिति में माता के साथ संबंध मजबूत होंगे और भाग्य का आपको साथ मिलेगा। हालांकि, बचपन में आपको कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से गुजरना पड़ सकता है। इसके साथ पहले भाव में सूर्य का प्रभाव आपको स्वभाव में क्रोध करने वाला बना सकता है में इसलिए क्रोध पर नियंत्रण रखना आपके लिए बहुत जरूर है।
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कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य का प्रभाव
यदि कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य विराजमान हो तो जातक मल्टी टैलेंटेड हो सकता है। कलात्मक व रचनात्मक क्षेत्र में आपको बहुत अधिक सफलता प्राप्त हो सकती है। हालांकि, पारिवारिक जीवन में कुछ उतर-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही, इस भाव में बैठा सूर्य जीवनसाथी के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डाल सकता है।
कुंडली के तीसरे भाव में सूर्य का प्रभाव
तीसरा भाव पराक्रम का होता है और इस भाव में सूर्य के होने से व्यक्ति साहसी और आत्मविश्वासी बनता है। ऐसे लोग अच्छे शिक्षक हो सकते हैं और अपनी बातों को स्पष्टता से दूसरों के सामने रख सकते हैं। इस भाव में सूर्य जीवन में चुनौतियां भी ला सकता है इसलिए आपको इसके लिए तैयार रहना होगा।
कुंडली के चौथे भाव में सूर्य का प्रभाव
सूर्य देव यदि आपके चौथे भाव में बैठे हों तो यह आपको अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करता है। साथ ही, ऐसे लोगों में पैसे की बचत करने का भी अच्छा गुण देखा जाता है। हालांकि, ऐसे लोगों को बुरी संगति और बुरी लत से बचकर रहना चाहिए क्योंकि ये दोनों उन्हें बर्बादी तक लग सकता है। कुछ नया करके या कोई रिसर्च करके ऐसे लोग तेज़ी से आगे बढ़ते हैं।
कुंडली के पांचवें भाव में सूर्य का प्रभाव
सूर्य का पांचवें भाव में होना आपको बौद्धिक कौशल प्रदान करता है। ऐसे लोग अच्छे विद्यार्थी होते हैं और शिक्षा के क्षेत्र में खूब उपलब्धियां हासिल करते हैं। ऐसे लोगों की सलाह व राय किसी को भी फायदा पहुंचा सकती है। लेकिन इस भाव में सूर्य का होना आपको स्वभाव में गुस्से वाला बना सकती है और कभी-कभी आपको अपने गुस्से पर काबू पाना मुश्किल लग सकता है।
कुंडली के छठे भाव में सूर्य का प्रभाव
सूर्य यदि छठे भाव में मौजूद हों, तो ऐसे लोग अपने शत्रुओं और विरोधियों पर हावी रहते हैं और इनके स्वभाव में कठोरता भी देखने को मिलती है। ऐसे लोगों को स्वास्थ्य से जुड़ी कोई बड़ी समस्या नहीं होती है और ये बेहतर स्वास्थ्य का आनंद लेते हैं। हालांकि, ऐसे लोगों को अपनी आंखों का ख्याल भी रखना चाहिए। साथ ही, ननिहाल पक्ष के लोगों के लिए सूर्य का इस भाव में बैठना अच्छा नहीं माना जाता।
कुंडली के सातवें भाव में सूर्य का प्रभाव
इस भाव में सूर्य का बैठना बहुत अधिक अनुकूल नहीं माना गया है। सातवें भाव में सूर्य के होने से व्यक्ति अधिक अहंकारी स्वभाव का बन सकता है और सामाजिक स्तर पर ऐसे लोगों को परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं। आर्थिक स्थिति और पारिवारिक जीवन के लिए भी सूर्य की यह स्थिति शुभ नहीं मानी गयी है।
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कुंडली के आठवें भाव में सूर्य का प्रभाव
आठवें भाव में बैठा सूर्य व्यक्ति को मिले-जुले परिणाम देता है। ऐसे लोग कई बार जल्दबाजी में अपना ही नुकसान कर बैठते हैं और कई बार जल्दबाजी में ही अपने लिए गलत निर्णय ले बैठते हैं। इन जातकों को हृदय से संबंधित परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, आर्थिक रूप से आप मजबूत रहते हैं और धन की बचत करने में भी सक्षम होते हैं। ये जातक कुछ ऐसा कर सकते हैं, जिससे देश-दुनिया में खूब मान-सम्मान प्राप्त करते हैं।
कुंडली के नौवें भाव में सूर्य का प्रभाव
इस भाव में बैठे सूर्य के परिणामस्वरूप जातक की नेतृत्व करने की क्षमता बेहतर होती है। ऐसे लोग आध्यात्मिक क्षेत्र में भी आगे बढ़ सकते हैं। साथ ही, इन्हें विदेश में घूमने का भी अच्छा मौका मिलता है और विदेशों से लाभ भी प्राप्त करते हैं। हालांकि यह स्थिति संतान पक्ष के लिए बहुत अनुकूल नहीं मानी गई है।
कुंडली के दसवें भाव में सूर्य का प्रभाव
दसवें भाव में सूर्य की स्थिति जातक को बुद्धिमान और तेज दिमाग बनाती है। ऐसे लोग सही समय पर सही फैसला लेने वाले माने जाते हैं। सरकारी क्षेत्रों से ऐसे लोगों को लाभ की प्राप्ति होती है। सूर्य की यह स्थिति माता के लिए बहुत अधिक अनुकूल नहीं मानी गई है। ऐसे जातक गलत कार्यों में लिप्त रहते हैं और नकारात्मक विचारों से घिरे रहते हैं।
कुंडली के ग्यारहवें भाव में सूर्य का प्रभाव
एकादश भाव यानी ग्यारहवें भाव को लाभ का भाव कहा जाता है और इस भाव में सूर्य के होने से जातक को खूब धन लाभ होता है। ऐसे लोग कम बोलने वाले और ज्यादा सुनने वाले होते हैं। आध्यात्मिक गतिविधियों की तरफ इनका झुकाव बहुत अधिक होता है और ये धर्म कर्म के कामों में बहुत अधिक भाग लेते हैं। हालांकि, यह स्थिति संतान पक्ष को कुछ परेशानियां दे सकती है।
कुंडली के बारहवें भाव में सूर्य का प्रभाव
सूर्य का बारहवें भाव में मौजूदगी आपको परोपकारी बनाता है। ये जातक शुरुआती जीवन में बहुत अधिक परेशान रहते हैं और कई चुनौतियों का भी इन्हें सामना करना पड़ सकता है। लेकिन, धीरे-धीरे आपकी स्थिति में सुधार देखने को मिल सकता है। विदेशी कारोबार करने वालों या घूमने-फिरने के शौकीन लोगों के लिए सूर्य का इस भाव में होना बहुत अधिक अनुकूल साबित होता है।
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सूर्य ग्रह को मजबूत करने के उपाय
- कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत करने के लिए कम से कम 11 रविवार तक व्रत रखें और सूर्य को अर्घ्य दें।
- कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत करने के लिए सूर्य के 12 नामों का नियमित रूप से जाप करें।
- सूर्य ग्रह को बलवान बनाने के लिए हर रविवार लाल वस्त्र या तो धारण करें या दान करें।
- इसके अलावा ‘ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:’ मंत्र का जाप करें।
- कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत करने के लिए सूर्य को जल देने से पहले उसमें लाल चंदन मिलाएं।
- कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत करने के लिए मात्र 11 रविवार तक नमक और उससे बने भोजन का सेवन न करें।
- सूर्य को मजबूत बनाने के लिए रविवार के दिन दलिया, दूध चीनी, घी और गेहूं आदि का सेवन अवश्य करें।
- कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत करने के लिए प्रत्येक रविवार गुड़ का दान करें और गरीब व जरूरतमंदों की सेवा करें।
- कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत करने के लिए अगर आपकी क्षमता हो तो आप माणिक्य रत्न धारण कर सकते हैं।
- कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत करने के लिए सबसे सरल व श्रेष्ठ उपाय है कि हर रविवार को सूर्य चालीसा का पाठ करें।
सूर्य का सिंह राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय
मेष राशि
आपको जीवन में प्रगति देखने को मिलेगी और आप आराम से अपना जीवन यापन करेंगे। इस अवधि…(विस्तार से पढ़ें)
वृषभ राशि
करियर के मोर्चे पर, आपको कार्यक्षेत्र में लाभ प्राप्त होगा और नौकरी में अच्छी प्रगति देखने को मिलेगी…(विस्तार से पढ़ें)
मिथुन राशि
करियर के मोर्चे पर, आपको विदेश में नौकरी के नए अवसर मिल सकते हैं और ऐसे अवसर…(विस्तार से पढ़ें)
कर्क राशि
आपके अंदर आत्मविश्वास में कमी देखने को मिल सकती है और साथ ही…(विस्तार से पढ़ें)
सिंह राशि
आप विदेश में काम करके सफलता प्राप्त कर सकते हैं या आपको विदेश जाने का…(विस्तार से पढ़ें)
कन्या राशि
आपको नौकरी में दबाव का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, कुछ लोगों के …(विस्तार से पढ़ें)
तुला राशि
आपको कार्यक्षेत्र में भाग्य का साथ प्राप्त होगा और आप अपने मजबूत प्रयासों से सफलता …(विस्तार से पढ़ें)
वृश्चिक राशि
आपको कार्यक्षेत्र में अधिक लाभ की प्राप्ति होगी और आपके काम की सराहना होगी…(विस्तार से पढ़ें)
धनु राशि
आप काम के माध्यम से लाभ प्राप्त करने के लिए भाग्यशाली हो सकते हैं और किसी…(विस्तार से पढ़ें)
मकर राशि
आप बेहतर संभावनाओं के लिए अपनी वर्तमान नौकरी बदल सकते हैं और…(विस्तार से पढ़ें)
कुंभ राशि
आप अपने काम के माध्यम से लाभ प्राप्त करने और विदेश में काम करने का शानदार अवसर आपको प्राप्त होगा…(विस्तार से पढ़ें)
मीन राशि
पैतृक संपत्ति के माध्यम से लाभ हो सकता है या आपको आसानी से ऋण प्राप्त हो सकता… (विस्तार से पढ़ें)
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर. सूर्य का सिंह राशि में गोचर 16 अगस्त 2024 की शाम 07 बजकर 32 मिनट पर होगा।
उत्तर. सूर्य हर महीने एक राशि से दूसरी राशि में अपना स्थान बदलता है और ठीक उसी तरह सूर्य पूरे साल सभी राशियों में गोचर करता है। ज्योतिष में सूर्य के गोचर का विशेष महत्व है।
उत्तर. ज्योतिष में सूर्य को ग्रहों का राजा कहा गया है और सूर्य आत्मा, सरकारी नौकरी, प्रशासन, सोना, पिता के कारक ग्रह हैं। सूर्य ‘सिंह’ राशि के स्वामी हैं और ‘मेष’ उनकी उच्च राशि है।
उत्तर. सूर्य ग्रह का गोचर 29 से 30 दिन का होता है।