शुक्र मीन राशि में अस्त: वैदिक ज्योतिष में शुक्र देव को प्रेम, भौतिक सुख, सुंदरता, कला और प्रसिद्धि के कारक ग्रह माना गया है। राशि चक्र में शुक्र को वृषभ और तुला राशि पर आधिपत्य प्राप्त है। ज्योतिष के जानकारों को मानना है कि अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शुक्र ग्रह की स्थिति काफ़ी मजबूत होती है, तो ऐसे जातकों को जीवन में भौतिक एवं वैवाहिक सुख, ऐश्वर्य और प्रसिद्धि की प्राप्ति होती है। वहीं, इनकी अशुभ स्थिति जीवन में समस्याओं का कारण बनती है। आज हम अपने इस खास ब्लॉग के माध्यम से जानेंगे कि शुक्र मीन राशि में अस्त होकर देश-दुनिया में किस तरह के बदलाव लेकर आएंगे? साथ ही जानेंगे, इनकी अस्त अवस्था जीवन के विभिन्न आयामों जैसे कि प्रेम से लेकर पेशेवर जीवन तक को किस तरह प्रभावित करेगी।

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बता दें कि शुक्र देव को शुभ और लाभकारी ग्रह का दर्जा प्राप्त है। यह प्रत्येक राशि में लगभग 23 से 28 दिनों तक रहते हैं और इसके बाद, एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश कर जाते हैं। इन्हें सभी 27 नक्षत्रों में से 3 प्रमुख नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त है जो मनुष्य जीवन को अत्यधिक प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। शुक्र ग्रह मीन राशि शुक्र में उच्च और कन्या राशि में नीच अवस्था में होते हैं। ऐसे में, देखना होगा कि उच्च राशि मीन में शुक्र अस्त होकर संसार में क्या बदलाव लेकर आएंगे। आइए अब आगे बढ़ते हैं और नज़र डालते हैं शुक्र अस्त के समय पर।
शुक्र मीन राशि में अस्त: तिथि और समय
प्रेम एवं विलासिता के कारक ग्रह शुक्र देव 18 मार्च 2025 की सुबह 07 बजकर 34 मिनट पर अपनी उच्च राशि मीन में अस्त हो जाएंगे। मीन राशि के जातकों पर शुक्र की अस्त अवस्था का निश्चित रूप से असर पड़ेगा। हालांकि, शुक्र की मीन राशि में उपस्थिति को ख़ास माना जाता है और ऊपर से इस राशि में एक साथ कई ग्रहों की मौजूदगी अनेक युति और योगों का निर्माण करेगी। मार्च 2025 में मीन राशि में सूर्य, बुध और शुक्र एक साथ युति करेंगे और इसके फलस्वरूप, लक्ष्मी नारायण योग और त्रिग्रही योग का निर्माण करेंगे। लेकिन, शुक्र अस्त और बुध के वक्री एवं अस्त होने से इन राजयोगों से मिलने वाले परिणाम कमज़ोर रह सकते हैं। चलिए अब जान लेते हैं शुक्र की स्थिति में होने वाले परिवर्तन के बारे में।
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क्या होता है ग्रह का अस्त और उदय होना?
बात करें शुक्र के उदय और अस्त होने की, तो ऐसा माना जाता है कि जब कोई ग्रह सूर्य के बहुत निकट चला जाता है या फिर एक निश्चित दूरी पर आ जाता है, तो वह सूर्य देव की तीव्र ऊर्जा की वजह से अपनी शक्तियां खो देता है और इसे ही ग्रह का अस्त होना कहा जाता है। इसी प्रकार, जब अस्त ग्रह पुनः सूर्य से एक निश्चित दूरी पर आ जाता है, तो इसको ग्रह का उदित होना कहते हैं। ज्योतिष में सभी नौ ग्रहों में शुक्र ग्रह को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है और इन्हें सौरमंडल में सबसे चमकीले ग्रह के रूप में जाना जाता है। अगर कोई ग्रह सूर्य ग्रह के 10 डिग्री पर पहुंच जाता है, तो वह अस्त होकर शक्तियां खो देता है।
शुक्र अस्त के दौरान न करें ये काम
- ज्योतिष के जानकारों का मत है कि जब शुक्र ग्रह अस्त अवस्था में होते हैं, उस दौरान आपको आंखों की सर्जरी करवाने से बचना चाहिए।
- साथ ही, शुक्र देव का संबंध हीरा रत्न से भी है इसलिए शुक्र अस्त की अवधि में किसी भी इंसान को हीरा खरीदने और धारण करने से बचना चाहिए क्योंकि इस दौरान ये दोनों काम करना वर्जित होता है।
- शुक्र अस्त को “तारा डूबना” भी कहा जाता है इसलिए इस समय शुभ कार्य नहीं करने चाहिए और न ही नई गाड़ी या वाहन खरीदनी चाहिए।
- प्रेम के कारक शुक्र ग्रह के अस्त के दौरान मुंडन, विवाह और गृह प्रवेश जैसे कार्य करना निषेध होता है। हालांकि, शुक्र के उदित होने पर आप इन सभी मांगलिक कार्यों को कर सकते हैं।
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धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से शुक्र ग्रह
हिंदू धर्मग्रंथों में शुक्र ग्रह को असुरों के गुरु माना गया है इसलिए इन्हें शुक्राचार्य के नाम से भी जाना जाता है। वहीं, अंग्रेजी भाषा में शुक्र को वीनस कहा जाता है जो कि “प्लेनेट ऑफ ब्यूटी” के नाम से प्रसिद्ध है यानी कि सुंदरता का ग्रह। भागवत पुराण में शुक्र ग्रह के बारे में वर्णन किया गया है कि महर्षि भृगु के पुत्र हैं शुक्र देव जिन्हें भार्गव के नाम से भी पुकारा जाता है। शायद ही आप जानते होंगे कि धन की देवी मां लक्ष्मी से भी शुक्र ग्रह का संबंध है इसलिए जातकों द्वारा धन, ऐश्वर्य और वैभव की प्राप्ति के लिए शुक्रवार का व्रत किया जाता है।
वैज्ञानिक दृष्टि से शुक्र ग्रह का महत्व देखें, तो शुक्र को एक स्थलीय ग्रह माना जाता है। पृथ्वी के सबसे निकटतम ग्रहों में शुक्र का नाम आता है और यह आकार में भी पृथ्वी के समान नज़र आता है, इसलिए अक्सर शुक्र ग्रह को पृथ्वी की बड़ी बहन भी कहा जाता है। बात करें शुक्र ग्रह के वायुमंडल की, तो इस ग्रह पर अन्य ग्रहों की तुलना में कार्बन डाइऑक्साइड गैस सबसे ज्यादा मौजूद है। साथ ही, शुक्र की चमक को आसमान में सर्वाधिक सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद कुछ देर के लिए देखा जा सकता है। इस वजह से ही शुक्र को “भोर का तारा” या फिर “साँझ का तारा” भी कहा जाता है।
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कुंडली में शुक्र का नकारात्मक प्रभाव
जैसे कि हम आपको ऊपर बता चुके हैं कि व्यक्ति को शुक्र प्रेम एवं सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद देते हैं। लेकिन, अगर कोई व्यक्ति तमाम कोशिशों और प्रयासों के बाद भी अपने दांपत्य जीवन को सुखमय नहीं बना पा रहा है, तो यह इस बात का संकेत हो सकता है कि संभवतः आपकी कुंडली में शुक्र ग्रह की स्थिति कमज़ोर हो। कुंडली में शुक्र दुर्बल या पीड़ित होने पर जातक का रिश्ता विवाह के बाद भी दूसरी महिलाओं के साथ होता है।
शुक्र देव के निर्बल होने पर जातक को संतान सुख प्राप्त करने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है और प्रेम जीवन में भी असफलता की प्राप्ति होती है। साथ ही, जातकों को कई बार रिश्ते में धोखा या विश्वासघात जैसे परिस्थितियों से जूझना पड़ता है। सिर्फ इतना ही नहीं, जातक को अगर बार-बार या बहुत ज्यादा त्वचा से जुड़ी समस्याएं परेशान कर रही हैं, तो यह भी शुक्र के पीड़ित होने का लक्षण होता है।
यदि आपको आंत, आंख, शुगर या किडनी से संबंधित रोगों से जूझना पड़ रहा है, तो इसे भी शुक्र के कमजोर होने का लक्षण माना जाता है। वहीं, ऐसे जातक जिनका शुक्र दुर्बल अवस्था में या अशुभ होता है, उनके जीवन में धन और सुख-सुविधाओं की कमी देखने को मिलती है। इन लोगों का आत्मविश्वास भी कम रहता है। हालांकि, शुक्र ग्रह को मज़बूत करने और इनके अशुभ प्रभावों से बचने के लिए ज्योतिष में कई तरह के सरल एवं अचूक उपाय बताए गए हैं जिनके बारे में हम आगे विस्तार से बात करेंगे।
शुक्र मीन राशि में अस्त: सरल एवं प्रभावी उपाय
- कुंडली में शुक्र देव को बलवान करने के लिए सफेद गाय को चारा खिलाना शुभ रहता है।
- शुक्र के प्रिय रंग सफेद को शुक्रवार के दिन धारण करें और इस दिन सफेद रंग की वस्तुओं जैसे चीनी, दही आदि का दान करें।
- शुक्र को प्रसन्न करने के लिए शुक्रवार के दिन अपने शरीर पर चंदन का लेप लगाएं।
- शुक्र से सकारात्मक परिणामों की प्राप्ति के लिए 6 मुखी और 13 मुखी रुद्राक्ष को भी धारण कर सकते हैं।
- जातक को नियमित रूप से शुक्र से संबंधित मंत्रों का जाप करना चाहिए।
- कुंडली में शुक्र ग्रह के दुर्बल या पीड़ित होने पर चांदी पहनना भी फलदायी साबित होता है। हालांकि, ऐसा आप किसी अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श करने के बाद ही करें।
- इसके अलावा आप चाहें तो चांदी भी धारण कर सकते हैं। हालांकि कोई भी रत्न या रुद्राक्ष धारण करने से पहले किसी विद्वान ज्योतिषी से सलाह अवश्य लें।
- घर या ऑफिस में शुक्र यंत्र की स्थापना करके नियमित रूप से उसकी पूजा करें।
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शुक्र मीन राशि में अस्त: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय
मेष राशि
मेष राशि के दूसरे और सातवें भाव के स्वामी शुक्र ग्रह हैं और अब वह आपके बारहवें भाव में अस्त… (विस्तार से पढ़ें)
वृषभ राशि
शुक्र वृषभ राशि के पहले और छठे भाव के स्वामी हैं और अब शुक्र मीन राशि में अस्त होने…(विस्तार से पढ़ें)
मिथुन राशि
मिथुन राशि के पांचवे और बारहवें भाव के स्वामी शुक्र हैं और अब अस्त होने के दौरान…(विस्तार से पढ़ें)
कर्क राशि
कर्क राशि के चौथे और ग्यारहवें भाव के स्वामी शुक्र ग्रह हैं और अब वह आपके नौवें भाव में…(विस्तार से पढ़ें)
सिंह राशि
सिंह राशि के तीसरे और दसवें भाव के स्वामी शुक्र ग्रह हैं और अब वह आपके आठवें भाव…(विस्तार से पढ़ें)
कन्या राशि
कन्या राशि के दूसरे और नौवें भाव के स्वामी शुक्र देव हैं और अब वह आपके सातवें भाव में…(विस्तार से पढ़ें)
तुला राशि
तुला राशि के पहले और आठवें भाव के स्वामी शुक्र देव हैं जो कि अब आपके छठे भाव में…(विस्तार से पढ़ें)
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के सातवें और बारहवें भाव के स्वामी शुक्र ग्रह हैं जो कि अब आपके पांचवे भाव में…(विस्तार से पढ़ें)
धनु राशि
धनु राशि के छठे और ग्यारहवें भाव के स्वामी शुक्र ग्रह हैं जो कि अब आपके चौथे भाव में अस्त… (विस्तार से पढ़ें)
मकर राशि
मकर राशि के पांचवे और दसवें भाव के स्वामी शुक्र ग्रह हैं और अब वह आपके तीसरे भाव…(विस्तार से पढ़ें)
कुंभ राशि
कुंभ राशि के चौथे और नौवें भाव के स्वामी शुक्र ग्रह हैं और अब शुक्र मीन राशि में अस्त होने के… (विस्तार से पढ़ें)
मीन राशि
मीन राशि के तीसरे और आठवें भाव के स्वामी शुक्र ग्रह हैं और अब वह इस राशि के पहले भाव… (विस्तार से पढ़ें)
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
शुक्र ग्रह 18 मार्च 2025 को मीन राशि में अस्त हो जाएंगे।
राशि चक्र की बारहवीं राशि मीन के स्वामी बृहस्पति देव हैं।
ज्योतिष के अनुसार, मीन राशि में शुक्र देव उच्च अवस्था में होते हैं।