सावन पुत्रदा एकादशी व्रत से मिलती है योग्य संतान, जानें इस दिन किए जाने वाले उपाय

सनातन धर्म में पूरे साल में 24 एकादशी तिथि आती है और इन सभी एकादशी का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी के दिन व्रत रखने से व्यक्ति की सभी मनोकामना पूरी हो जाती है और भगवान विष्णु का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। अब ऐसे में इन सभी एकादशी में एक पुत्रदा एकादशी भी है। बता दें कि श्रावण मास का अंतिम एकादशी व्रत पुत्रदा एकादशी व्रत के रूप में रखा जाता है। यह व्रत पौष और श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है। 

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस पवित्र दिन पर भगवान विष्णु की उपासना करने से साधक को सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही, जीवन में आ रही कई प्रकार की समस्याओं से उसे मुक्ति मिलती है। तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं श्रावण पुत्रदा एकादशी की तिथि, महत्व, पूजा विधि व इस दिन किए जाने वाले आसान उपायों के बारे में।

श्रावण पुत्रदा एकादशी 2024 : तिथि व समय

श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत दिनांक 16 अगस्त 2024 को रखा जाएगा और ये व्रत रक्षाबंधन से चार दिन पहले रखा जाता है। जिन दंपत्तियों को पुत्र नहीं होता है। उसके लिए पुत्रदा एकादशी का व्रत बहुत अधिक फलदायी साबित होगा।

सावन माह की पुत्रदा एकादशी का शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ दिनांक 15 अगस्त की सुबह 10 बजकर 28 मिनट पर होगा और इसी दिन रात 09 बजकर 41 मिनट पर एकादशी तिथि का समापन हो जाएगा।

श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत पारण मुहूर्त 

श्रावण पुत्रदा एकादशी पारण मुहूर्त : 17 अगस्त 2024 05 बजकर 51 से 08 बजकर 28 मिनट तक।

अवधि : 2 घंटे 37 मिनट

श्रावण पुत्रदा एकादशी 2024 पर महत्वपूर्ण समय

सूर्योदय का समय: 16 अगस्त, 2024 की सुबह 6 बजकर 07 मिनट

सूर्यास्त का समय : 16 अगस्त, 2024 की शाम 6 बजकर 54 मिनट 

हरि वासरा समाप्ति : 16 अगस्त, 2024 की दोपहर 3 बजकर 16 मिनट

द्वादशी समाप्ति : 17 अगस्त, 2024 की सुबह 08 बजकर 06 मिनट

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श्रावण पुत्रदा एकादशी का महत्व

सावन के महीने में पड़ने वाली पुत्रदा एकादशी का बहुत अधिक महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पुत्र की इच्छा रखने वालों को साधक को पूरे विधि विधान से भगवान शिव की पूजा करना चाहिए और पुत्रदा एकादशी का व्रत रखना चाहिए। पुत्रदा एकादशी व्रत रखने से पुत्र सुख की प्राप्ति होती है और जीवन में भी सुख-समृद्धि का वास होता है। इस व्रत को रखने से ग्रह दोषों से भी मुक्ति मिल सकती है और पूर्वजों का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके अलावा, यह भी मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में भगवान शिव के साथ-साथ भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को जीवन में आ रही कई प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत में इस बात का जरूर ध्यान रखें कि एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान न करें। हरि वासर समाप्त होने के बाद ही व्रत का पारण करना शुभ होता है।

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श्रावण पुत्रदा एकादशी पूजा विधि

  • पुत्रदा एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके बाद मन ही मन भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
  • फिर सूर्यदेव को जल चढ़ाएं।
  • इसके बाद एक लड़की की साफ चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर को उसमें विराजमान करें।
  • फिर प्रतिमा पर गंगाजल का छिड़काव करें और उन्हें स्नान करवाएं।
  • अब भगवान विष्णु को पीला चंदन, अक्षत, फूल आदि अर्पित करें।
  • इसके बाद पीले फल और मिठाई अर्पित करके भोग लगाएं। ध्यान रहें कि भोग लगाते समय तुलसी जरूर शामिल करें।
  • अब भगवान विष्णु के समक्ष घी का दीपक और धूप जलाकर एकादशी व्रत कथा का पाठ करें। माना जाता है कि इस दिन कथा न सुनने से व्रत अधूरा माना जाता है।
  • इसके बाद अंत में आरती करते हुए भगवान विष्णु से भूल चूक के लिए माफी मांगे। 
  • इस दिन व्रत करने वाले अन्न का सेवन न करें।
  • शाम के समय पूजा करने के बाद फलाहार करें और अगले दिन मुहूर्त के समय व्रत पारण करें।

श्रावण पुत्रदा एकादशी की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, द्वापर युग के आरंभ में महिरुपति नाम की एक नगरी थी, जिसमें महीजित नाम का राजा रहता था। राजा के पास खूब धन दौलत थी पर कोई भी संतान नहीं थी। पुत्रहीन होने के कारण राजा को यह धन दौलत सुख सुविधा सब बेकार लगता था। पुत्र सुख की प्राप्ति के लिए राजा ने कई सारे उपाय किए लेकिन सभी विफल रहे और राजा को पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई। एक दिन राजा ने राज्य के सभी ऋषि-मुनियों, सन्यासियों और विद्वानों को बुलाकर संतान प्राप्ति के उपाय पूछे। राजा की बात सुनकर सभी  ऋषि-मुनियों ने एक साथ कहा कि ‘हे राजन तुमने पिछले जन्म में सावन के महीने की एकादशी के दिन अपने तालाब से एक प्यासे गाय को पानी नहीं पीने दिया था। जिसके कारण गाय ने तुम्हे संतान न होने का श्राप दिया था और उसी श्राप की वजह से तुम निसंतान हो।

इसके बाद सभी ऋषि-मुनियों ने कहा कि यदि तुम और तुम्हारी पत्नी पुत्रदा एकादशी का व्रत रखें तो तुम्हें इस श्राप से छुटकारा मिल सकता है और संतान की प्राप्ति हो सकती है। यह सुनकर राजा ने तुरंत पत्नी के साथ मिलकर पुत्रदा एकादशी के व्रत का संकल्प लिया। इसके बाद राजा ने सावन माह में आने वाली पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा और पूरे विधि-विधान से पत्नी के साथ मिलकर पूजा की। जिसके बाद उसे श्राप से मुक्ति मिल गई। कुछ समय बाद राजा की पत्नी गर्भवती हुई और उसे एक तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति हुई। राजा काफी प्रसन्न हुए और उसके बाद वह हर साल पड़ने वाली पुत्रदा एकादशी का व्रत करने लगे। कहते हैं जो भी साधक पूरे मन व श्रद्धा के साथ इस व्रत को रखता है, उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होती है।

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श्रावण पुत्रदा एकादशी के दिन करें ये सरल उपाय

श्रावण मास का अंतिम एकादशी व्रत पुत्रदा एकादशी व्रत के रूप में रखा जाता है। इस दिन कुछ उपाय करने से व्यक्ति को कई समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। आइए एक नज़र डालते हैं इन उपायों की ओर…

संतान प्राप्ति के लिए

यदि आप संतान प्राप्ति की कामना कर रहे हैं तो इस दिन ताजा पीले रंग के फूलों की माला बनाकर भगवान विष्णु को अर्पित करें। साथ ही भगवान को पीला चंदन का तिलक लगाएं और विधि-विधान से पूजा करें। ऐसा करने से आपकी संतान प्राप्ति की इच्छा शीघ्र ही पूरी होगी। 

रिश्तों में सामंजस्य बनाए रखने के लिए

अगर आप अपने पारिवारिक जीवन में सफलता और रिश्तों के बीच सामंजस्य बनाए रखना चाहते हैं तो इस दिन पांच मुखी रुद्राक्ष की विधिपूर्वक पूजा करके उसे गले में धारण करें। ऐसा करने से जीवन में सफलता और रिश्तों के बीच सामंजस्य बना रहेगा। ध्यान रहें रुद्राक्ष धारण करने के बाद तामसिक भोजन का सेवन गलती से भी न करें।

संतान के करियर के लिए

यदि आपको अपने संतान के करियर की चिंता सताई जा रही है और आप उसकी बेहतरी सुनिश्चित करना चाहते हैं तो इस दिन अपने बच्चे के मस्तक पर केसर का तिलक लगाएं। साथ ही, जरूरतमंद को उनके हाथों से पीले वस्त्र दान कराएं। ऐसा करने से संतान का करियर शानदार तरीके से आगे बढ़ेगा। 

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आर्थिक पक्ष मजबूत करने के लिए

यदि आप अपनी संतान के आर्थिक जीवन को स्थिर बनाए रखना चाहते हैं तो इस दिन छह सफेद कौड़ियां लेकर, उनकी विधि-विधान से पूजा करके। उन्हें एक लाल कपड़े में बांधकर अपनी संतान को संभालकर रखने के लिए दे दें। ऐसा करने से आपकी संतान का आर्थिक जीवन मजबूत बना रहेगा और कभी भी धन की कमी नहीं होगी। 

संतान की तरक्की के लिए

यदि आप अपनी संतान को जीवन में आगे बढ़ता हुआ देखना चाहते हैं और उसके जीवन में आ रही समस्याओं और चुनौतियों को दूर करना चाहते हैं तो इस दिन भगवान विष्णु को माखन, मिश्री का भोग जरूर लगाएं। साथ ही, उनके सामने चंदन की खुशबू वाली धूपबत्ती जलाएं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। ऐसा करने से आपकी संतान तेजी से तरक्की की राह पर चलेगी। 

संतान के स्वास्थ्य के लिए

यदि आपका बच्चा बार-बार बीमार हो जाता है या उसे कोई बड़ी बीमारी परेशान कर रही है तो अपने बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य के लिए इस दिन श्री हरि का नाम लेकर और एक साबुत हल्दी की गांठ लेकर, पानी की सहायता से पीस लें। अब उस पिसी हुई हल्दी से रोज बच्चे के माथे पर टीका लगाएं और यह तब तक लगाते रहे जब तक आपकी संतान को उस समस्या से छुटकारा न मिल जाए। इसका असर आपको जल्द ही नज़र आएगा। 

अपने जीवन में तरक्की के लिए

यदि आप अपने जीवन में खूब उन्नति प्राप्त करना चाहते हैं और कोई चीज़ बार-बार आपके लिए रुकावट खड़ी कर रही है तो इस दिन एक जटा वाला नारियल लेकर उस पर लाल मौली या कलावा बांधकर श्री हरि का ध्यान करते हुए उसे बहते जल में प्रवाहित कर दें। ऐसा करने से आप अपने जीवन में तेज़ी से तरक्की हासिल करेंगे और खूब आगे बढ़ेंगे।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. साल 2024 में श्रावण मास की पुत्रदा एकादशी कब है?

उत्तर 1.  श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत दिनांक 16 अगस्त 2024 को रखा जाएगा।

प्रश्न 2. श्रावण मास का क्या महत्व है?

उत्तर 2.  पुत्रदा एकादशी व्रत रखने से पुत्र सुख की प्राप्ति होती है और जीवन में भी सुख-समृद्धि का वास होता है। 

प्रश्न 3. पुत्रदा एकादशी व्रत का पारण कब है?

उत्तर 3. श्रावण पुत्रदा एकादशी पारण मुहूर्त 17 अगस्त 2024 05 बजकर 51 से 08 बजकर 28 मिनट तक।

प्रश्न 4. पुत्रदा एकादशी व्रत में क्या खाना चाहिए?

उत्तर 4. पुत्रदा एकादशी व्रत के दौरान आलू, कुट्टू की पकौड़ी, शकरकंदी, साबुदाना और सेंधा नमक का सेवन कर सकते हैं। चीनी, बादाम और दूध का भी फलाहार सकते हैं। एकादशी के दिन मूली, बैंगन, मसूर दाल, लहसुन, प्याज भूल कर भी नहीं करना चाहिए।

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