किसी इंसान को जब सफलता या लोकप्रियता मिलती है, तो इसके पीछे उसकी मेहनत के साथ-साथ किस्मत और ग्रहों का भी हाथ होता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार हमारी कुंडली के ग्रह ही ये निर्धारित करते हैं कि हम अपने जीवन में कितने सफल होंगे।
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हमारे देश में ऐसे कई महान लोग हैं जिन्हें खूब नाम और शोहरत मिली है और इसके पीछे उनकी कुंडली के ग्रहों का भी हाथ रहा है। आज इस ब्लॉग के ज़रिए हम महात्मा गांधी और बिल क्लिंटन जैसी महान शख्सियतों की कुंडलियों का विश्लेषण कर के जानेंगे कि उन्हें अपने जीवन में इतना मान-सम्मान, प्रतिष्ठा और सफलता के साथ लोकप्रियता क्यों हासिल हुई।
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महात्मा गांधी की कुंडली
गांधी जी की कुंडली में लग्न भाव का स्वामी शुक्र और दसवें भाव का स्वामी चंद्रमा अपने स्वक्षेत्र में हैं। चूंकि, चंद्रमा राहु से और शुक्र मंगल से पीड़ित है। क्रमश: पांचवे और सातवें भाव के स्वामित्व के कारण ऐसा कहा जा सकता है कि ये दोनों ही ग्रह बहुत मज़बूत हैं।
दशमेश के दसवें भाव में होने की वजह से जातक को अपने पेशे में बहुत ज्यादा सफलता के साथ मान-सम्मान और प्रतिष्ठा हासिल होती है। कारक चंद्रमा स्व भाव में हैं। वहीं गुरु चंद्रमा से केंद्र में है और गजकेसरी योग बना रहे हैं।
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कर्क राशि में अरुध लग्न है और इसका स्वामी अपने ही घर में है और केंद्र से अरुध लग्न में शुभ ग्रह विराजमान हैं। तुला लग्न वालों के लिए शनि शुभ है क्योंकि वह चौथे और पांचवे भाव के स्वामी हैं।
मंगल, बुध और शुक्र लग्न में हैं। गुरु और चंद्रमा परस्पर केंद्र में हैं। प्रसिद्धि देने वाला ग्रह गुरु लग्न से केंद्र में है।
बिल क्लिंटन की कुंडली
दसवें भाव के स्वामी मंगल की दृष्टि दशम भाव पर पड़ रही है। मंगल के शुक्र के साथ तीसरे भाव में होने की वजह से जातक की लोकप्रियता ज्यादा लंबे समय तक नहीं टिक पाएगी। दसवें भाव के स्वामी के तीसरे घर में होने की वजह से जातक लेखन के क्षेत्र में खूब नाम कमाता है या बड़ा वक्ता बनता है।
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अरुध लग्न में शुभ ग्रह गुरु विराजमान हैं। अरुध लग्न से केंद्र में शुभ ग्रह हैं। चंद्रमा से पचंम भाव के स्वामी सूर्य अपने ही भाव में बैठे हैं और दसवें भाव के स्वामी शनि केंद्र में विराजमान हैं।
लोकप्रियता के भाव यानी दसवें घर में मेष राशि है। यहां पर चंद्रमा की स्थिति के कारण जातक को शोहरत मिली है। गुरु चंद्रमा से एक कोण में हैं और उनकी चंद्रमा पर दृष्टि पड़ रही है इसलिए उन्हें इतनी प्रसिद्धि प्राप्त हुई है।
शनि लग्न भाव में हैं और उनकी दृष्टि दशम भाव पर पड़ रही है। अरुध लग्न से वह दसवें भाव में बैठे हैं।
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एल्बर्ट आइंस्टीन की कुंडली
इनकी कुंडली में लग्न भाव का स्वामी दसवें भाव में है और नीच का होकर नीच भंग हो रहा है।
दसवें भाव का स्वामी गुरु नौवें भाव में है और नौवे भाव का स्वामी शनि दसवें भाव में है। दशमेश के नौवें भाव में होने की वजह से जातक को दिग्गज बनने का मौका मिला और उसकी वजह से कई लोगों की जिंदगी में प्रकाश और उम्मीद आई।
चंद्रमा नीच का होकर छठे भाव में है। नौवें भाव का स्वामी शनि, लग्न और चौथे भाव का स्वामी बुध एवं पांचवे भाव का स्वामी शुक्र की दसवें भाव में युति हो रही है जिससे शक्तिशाली राजयोग का निर्माण हो रहा है। पंचम भाव के स्वामी शुक्र और नौवें भाव के स्वामी शनि के बीच संबंध होना महत्वपूर्ण है।
लोकप्रियता को दर्शाने वाला भाव मीन राशि में है। गुरु लग्न से कोण में स्थित है और चंद्रमा से केंद्र में है। अरुध लग्न का स्वाम इससे केंद्र में है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर. बुध के कन्या या मिथुन में पांचवे घर में और मंगल एवं चंद्रमा के 11वें घर में होने र धन योग बनता है।
उत्तर. कुंडली का नवम भाव भाग्य स्थान होता है।
उत्तर. सूर्य को सभी ग्रहों का राजा कहा जाता है।
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