पौष अमावस्या 2024 के दिन करें इन नियमों का पालन, सूर्यदेव बरसाएंगे कृपा!

सनातन धर्म में अमावस्या की तिथि विशेष महत्व रखती है। प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की पंद्रहवीं तिथि को अमावस्या तिथि आती है। इसी क्रम में मार्गशीर्ष अंत के साथ ही पौष का महीना आरंभ हो जाता है और इस माह के कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन पौष अमावस्या पड़ती है। इस माह को ‘छोटा श्राद्ध पक्ष’ भी कहा जाता है। हिंदू शास्त्रों में पौष माह को सूर्य देव और पितरों की पूजा के लिए विशेष माना गया है और इस महीने को अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण माना गया है। यह मास भगवान विष्णु और सूर्य देव को समर्पित है और इस दौरान पितरों की उपासना करने से भी लाभ प्राप्त होता है। यदि आप अपने पितरों को प्रसन्न करना चाहते हैं या उनका तर्पण करना चाहते हैं, तो इसके लिए पौष का महीना बहुत ज्यादा शुभ रहेगा।

तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं पौष अमावस्या 2024 की तिथि, पूजा मुहूर्त, महत्व, प्रचलित पौराणिक कथा और आसान ज्योतिषीय उपाय के बारे में।

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पौष अमावस्या 2024: तिथि और शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह के कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन पौष अमावस्या आती है और इस बार यह स्थिति 30 दिसंबर 2024 को पड़ रही है।

अमावस्या आरम्भ: दिसंबर 30, 2024 की सुबह 03 बजकर 58 मिनट 

अमावस्या समाप्त: दिसंबर 31, 2024 की सुबह 03 बजकर 24 मिनट तक।

पौष अमावस्या धार्मिक महत्व

पौष अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। यह अमावस्या तिथि पौष मास के कृष्ण पक्ष में आती है और इसे पितरों की शांति, सूर्य देव की पूजा, और दान-पुण्य के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन किए गए धार्मिक कार्य और पूजा-पाठ से विशेष फल की प्राप्ति होती है। पौष अमावस्या पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म करने का विशेष दिन है। इस दिन अपने पितरों को तर्पण और पिंडदान करने से उनकी आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।

इस दिन पितरों के लिए गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करके तर्पण करने का विधान है, जिससे उनके कष्ट दूर होते हैं और वे संतुष्ट होते हैं। पौष अमावस्या पर तिल, गुड़, वस्त्र, अन्न, और तांबे का दान करने का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए दान से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और उसे पुण्य की प्राप्ति होती है।

विशेषकर गरीब और जरूरतमंद लोगों को भोजन, वस्त्र, और धन का दान करना शुभ माना जाता है। इससे घर में सुख-समृद्धि आती है और भगवान की कृपा प्राप्त होती है। पौष अमावस्या के दिन पवित्र नदियों, तालाबों, या कुंडों में स्नान करना और सूर्य उपासना करना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। यह पापों से मुक्ति और आत्मिक शुद्धि का प्रतीक है।

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पौष अमावस्या की पूजा विधि

  • पौष अमावस्या सूर्य देव की आराधना के लिए भी विशेष मानी जाती है। इस दिन सुबह-सुबह स्नान करके तांबे के लोटे में जल भरकर सूर्य देव को अर्घ्य देने से व्यक्ति के जीवन में ऊर्जा, समृद्धि, और स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  • इस समय सूर्य देव का ध्यान करते हुए सूर्य मंत्रों का जाप करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।
  • पौष अमावस्या पर तिल, गुड़, वस्त्र, अन्न, और तांबे का दान करने का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए दान से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और उसे पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • विशेषकर गरीब और जरूरतमंद लोगों को भोजन, वस्त्र, और धन का दान करना शुभ माना जाता है। इससे घर में सुख-समृद्धि आती है और भगवान की कृपा प्राप्त होती है।
  • पौष अमावस्या के दिन पवित्र नदियों, तालाबों, या कुंडों में स्नान करना और सूर्य उपासना करना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। यह पापों से मुक्ति और आत्मिक शुद्धि का प्रतीक है।
  • स्नान के बाद ध्यान और साधना करके सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त करने से मानसिक और शारीरिक शांति मिलती है।
  • इस अमावस्या पर सूर्य से संबंधित ग्रह दोषों का निवारण करने के लिए विशेष पूजा और उपाय किए जाते हैं। सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने से व्यक्ति को शनि और अन्य ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है।
  • पौष अमावस्या पर किए गए धार्मिक कार्यों और व्रत से व्यक्ति के भविष्य में सुख, समृद्धि, और शांति प्राप्त होती है। इस दिन व्रत रखने और उपवास करने से व्यक्ति की इच्छाओं की पूर्ति होती है और उसे आंतरिक बल प्राप्त होता है।

पौष अमावस्या की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक धर्मात्मा और सत्यनिष्ठ राजा राज्य करते थे। वे बहुत ही दयालु और न्याय प्रिय थे और वे अपने राज्य के लोगों की भलाई और सुख-शांति के लिए हमेशा प्रयासरत रहते थे। उनके राज्य में लोग बहुत सुखी और समृद्ध थे, लेकिन राजा के जीवन में एक चिंता थी कि उनके पितरों की आत्मा को शांति नहीं मिली थी।

राजा ने कई साधुओं, ऋषियों और पंडितों से सलाह ली, लेकिन उन्हें यह समझ में नहीं आ रहा था कि उनके पितरों को क्यों शांति नहीं मिल रही है। एक दिन, उनके राज्य में एक साधु आया। राजा ने साधु से अपनी समस्या के समाधान के लिए प्रार्थना की। साधु ने राजा को बताया कि आपके पितरों की आत्मा को शांति नहीं मिल पा रही है क्योंकि वे तर्पण और पिंडदान से वंचित रह गए हैं। उन्होंने कहा कि पौष अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करके पितरों का तर्पण और पिंडदान करने से ही उनकी आत्मा को मोक्ष प्राप्त होगा।

राजा ने साधु की सलाह मानकर पौष अमावस्या के दिन गंगा नदी के तट पर जाकर स्नान किया और अपने पितरों का तर्पण एवं पिंडदान किया। उन्होंने सूर्य देव को अर्घ्य दिया और उनसे प्रार्थना की कि उनके पितरों की आत्मा को शांति मिले। राजा ने उस दिन गरीबों को अन्न, वस्त्र, और धन का दान भी किया। उनकी भक्ति और तपस्या से प्रसन्न होकर सूर्य देव और पितरों ने उन्हें आशीर्वाद दिया। पितरों ने कहा कि अब हमारी आत्मा को शांति मिल गई है और हम तुम्हारे पुण्य कार्यों से संतुष्ट हैं।

सूर्य देव ने भी राजा को आशीर्वाद दिया और कहा कि जो भी व्यक्ति पौष अमावस्या के दिन पवित्र स्नान करेगा, पितरों का तर्पण और सूर्य देव की आराधना करेगा, उसे समृद्धि, सुख और शांति प्राप्त होगी। तब से पौष अमावस्या पर पवित्र स्नान, तर्पण, और सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व माना जाने लगा। इस दिन किए गए दान, पिंडदान, और तर्पण से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और व्यक्ति को पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

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पौष अमावस्या में भूलकर न करें ये काम

पौष अमावस्या के दिन कई धार्मिक और आध्यात्मिक कार्य करने का महत्व है, लेकिन साथ ही कुछ ऐसे कार्य भी हैं जिन्हें इस दिन करने से बचना चाहिए। आइए जानते हैं उन कार्यों के बारे में:

  • इस दिन शांति और पवित्रता बनाए रखना चाहिए। परिवार या दूसरों के साथ झगड़ा, विवाद, या किसी से कटु वचन न बोलें। इससे अमावस्या का पुण्य कम हो सकता है और जीवन में नकारात्मकता बढ़ सकती है।
  • पौष अमावस्या पर पवित्र स्नान करना शुभ माना जाता है। इस दिन गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। यदि पवित्र स्नान संभव न हो, तो घर पर ही स्नान करके शुद्धता बनाए रखें।
  • अमावस्या पर दान-पुण्य का बड़ा महत्व होता है। इसलिए इस दिन तिल, गुड़, अन्न, वस्त्र आदि का दान अवश्य करें। 
  • पौष अमावस्या के दिन शराब पीना, मांसाहार करना या किसी प्रकार के अनैतिक कार्य करना अशुभ होता है।
  • इस दिन सूर्य देव की विशेष पूजा और अर्घ्य का महत्व है। ऐसे में, सूर्यदेव को तांबे के लोटे में जल, चावल, और लाल फूल डालकर अर्घ्य दें। यह कार्य सुबह सूर्योदय के समय करना चाहिए।
  • अमावस्या के दिन मन में नकारात्मक विचार, द्वेष, और ईर्ष्या जैसे भाव न रखें। सकारात्मक और शांतिपूर्ण मन के साथ दिन बिताएं और ध्यान व साधना करें। 
  • पौष अमावस्या के दिन रात में यात्रा करने से बचें। इस समय वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है।
  • अमावस्या पर कोई भी नया या महत्वपूर्ण कार्य, जैसे घर खरीदना, निर्माण कार्य शुरू करना, या विवाह के बारे में चर्चा करना, शुभ नहीं माना जाता। 

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पौष अमावस्या में राशि अनुसार करें ये उपाय 

पौष अमावस्या एक महत्वपूर्ण तिथि है जो हिंदू पंचांग के अनुसार पौष महीने की अमावस्या तिथि को आती है। इस दिन विशेष पूजा, दान और धार्मिक कार्यों का महत्व होता है। राशि अनुसार उपाय इस दिन आपके जीवन को सुखमय बना सकते हैं। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में:

मेष राशि

इस दिन हनुमानजी की पूजा करें और उन्हें चोला चढ़ाएं। इसके अलावा, गुड़ और चने का दान करें।

वृषभ राशि

इस दिन माता लक्ष्मी की आराधना करें और उन्हें कमल का फूल अर्पित करें। साथ ही, गरीबों में भोजन और वस्त्र का दान करें।

मिथुन राशि

इस दिन गणेश जी की पूजा करें और दूर्वा चढ़ाएं। साथ ही, किसी मंदिर में किताबों या पेन का दान करें।

कर्क राशि

इस दिन भगवान शिव की पूजा करें और बेलपत्र अर्पित करें। साथ ही, दूध और चावल का दान करें।

सिंह राशि

सूर्य देव को अर्घ्य दें और उनके लिए लाल फूल चढ़ाएं। साथ ही, तांबे के बर्तन का दान करें।

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कन्या राशि

इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करें और तुलसी दल अर्पित करें। इसके साथ ही, हरी मूंग और हरे वस्त्रों का दान करें।

तुला राशि

माता दुर्गा की पूजा करें और लाल रंग के फूल अर्पित करें और सुहागिन स्त्रियों को सिंदूर और बिंदी का दान करें।

वृश्चिक राशि

इस दिन हनुमान चालीसा का पाठ करें और बजरंगबली को बूंदी का प्रसाद चढ़ाएं। साथ ही, लाल मसूर और गुड़ का दान करें।

धनु राशि

इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करें और पीले फूल चढ़ाएं और पीले वस्त्र और पीला भोजन का दान करें।

मकर राशि

मकर राशि के जातकों को इस दिन शनिदेव की पूजा करना चाहिए और काले तिल अर्पित करना चाहिए। साथ ही, काले कंबल या जूते का दान भी जरूर करें।

कुंभ राशि

इस राशि के जातकों को शिवलिंग पर जल और दूध अर्पित करना चाहिए और काले तिल व उड़द का दान भी अवश्य करें।

मीन राशि

मीन राशि के जातक भगवान विष्णु की पूजा करें और पीले चावल अर्पित करें। साथ ही, पीले फलों और पीली मिठाई का दान करें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1- पौष अमावस्या कब है?

 हर माह के कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन पौष अमावस्या आती है और इस बार यह स्थिति 30 दिसंबर 2024 को पड़ रही है।

2- पौष अमावस्या का महत्व क्या है?

पौष अमावस्या पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म करने का विशेष दिन है।

3- क्या पौष अमावस्या शुभ है?

इस तिथि को पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए शुभ माना गया है।

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