हिंदू धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या तिथि का बहुत महत्व होता है। साल में कई पूर्णिमा तिथियां आती हैं लेकिन इनमें से पौष पूर्णिमा और माघ पूर्णिमा को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। हिंदू कैलेंडर में पौष पूर्णिमा को बहुत खास माना गया है। माघ के महीने में पौष पूर्णिमा एक महीने तक की जाने वाली तपस्या की शुरुआत का प्रतीक है। चंद्र कैलेंडर के अनुसार पौष पूर्णिमा के अगले दिन से ही माघ के महीने का आरंभ हो जाता है।
माघ के महीने में श्रद्धालु प्रात:काल ब्रह्म मुहूर्त में गंगा या यमुना नदी में स्नान करते हैं। इस स्नान का आरंभ पौष पूर्णिमा से होता है और इसका समापन माघ पूर्णिमा पर होता है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस बीच दान करता है, उसे दोगुना पुण्य प्राप्त होता है।
आगे जानिए कि पौष पूर्णिमा व्रत 2025 कब है, इसका महत्व क्या है और पौष पूर्णिमा के दिन कौन-से ज्योतिषीय उपाय कर सकते हैं।
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कब है पौष पूर्णिमा व्रत 2025
13 जनवरी की प्रात: काल 05 बजकर 05 मिनट पर पूर्णिमा तिथि आरंभ होगी और इसका समापन 14 जनवरी की सुबह 03 बजकर 59 मिनट पर होगा। इस प्रकार पौष पूर्णिमा 13 जनवरी को पड़ रही है।
पौष पूर्णिमा व्रत 2025 का महत्व
पौष पूर्णिमा माघ या जनवरी के महीने में पूर्णिमा तिथि पर मनाई जाती है। इस दिन मंत्र जाप करना बहुत शुभ माना जाता है एवं इस पावन अवसर पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की उपासना का विधान है। इस दिन श्रद्धालु पूर्णिमा का व्रत रखते हैं एवं सत्यनारायण व्रत कथा पढ़ते हैं। ऐसा माना जाता है कि पौष पूर्णिमा पर इस कथा को पढ़ने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इस शुभ दिन पर पवित्र नदी में डुबकी लगाने से पिछले जन्मों के सारे पाप धुल जाते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार एक वर्ष में बारह पूर्णिमा आती हैं और इनमें से पौष पूर्णिमा का अत्यधिक महत्व होता है। इस दिन को भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए सबसे अधिक शुभ माना जाता है। पौष पूर्णिमा को शाकंभरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। लोक मान्यता के अनुसार शाकंभरी देवी ने पृथ्वी को सूखे और अकाल की स्थिति से बचाया था एवं शाकंभरी देवी मां दुर्गा का अवतार थीं। मां शाकंभरी को फलों, हरी पत्तियों और सब्जियों की देवी के रूप में जाना जाता है और वे अपने भक्तों की राक्षसों से सुरक्षा करती हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी शाकंभरी ने दुर्गमा नाम के राक्षस का वध किया था। पौष पूर्णिमा पर मां शाकंभरी का आशीर्वाद लेने के बाद दुर्गा चालीसा का पाठ किया जाता है। इस दिन भगवद् गीता और रामायण का पाठ करना भी शुभ माना गया है। कृष्ण मंदिरों में इस दिन पुष्यभिषेक यात्रा निकाली जाती है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा मन और भावनाओं का कारक हैं इसलिए अगर कोई व्यक्ति पौष पूर्णिमा या पूर्णिमा के दिन चंद्रमा या मां दुर्गा की उपासना करता है, तो उसे चंद्र देव की कृपा प्राप्त होती है और उनके नकारात्मक प्रभावों में कमी आती है।
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पौष पूर्णिमा व्रत 2025 की विधि
पौष पूर्णिमा के दिन प्रात:काल स्नान करने के बाद आप गेहूं और अनाज की पांच ढेर बनाएं और उसके ऊपर भगवान विष्णु, सूर्य, रुद्र, ब्रह्मा जी और मां लक्ष्मी को स्थापित करें। यदि इनमें से किसी आराध्य की तस्वीर नहीं है, तो आप उनका ध्यान करते हुए उनके नाम से एक फूल उस ढेर पर रख दें। अब आप क्रम के अनुसार इनकी पूजा करें और घी का दीपक जलाकर देवी-देवताओं को तिल, गुड़ और फलों का प्रसाद चढ़ाएं।
इसके बाद आरती करें और अगले दिन इस अनाज को किसी गरीब या ब्राह्मण को दान कर दें। पौष पूर्णिमा के व्रत में शाम के समय खीर बनाकर मां लक्ष्मी को भोग लगाएं और आरती करें। ऐसा करने से आपके घर से दुख और गरीबी खत्म होगी एवं परिवार में खुशियां आएंगी।
कल्प वास होता है शुरू
हिंदू धर्म में पौष पूर्णिमा से ही माघ स्नान की शुरुआत हो जाती है। पौष पूर्णिमा के व्रत में सूर्यादय से पहले माघ स्नान करने का बहुत महत्व है और पौष पूर्णिमा के बाद पूरे माघ के महीने में इस नियम का पालन किया जाता है। माघ के महीने में सर्दी बहुत तेज होती है इसलिए जो भी व्यक्ति इस दौरान सूर्योदय से पहले गंगा में स्नान करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यदि कोई व्यक्ति गंगा के तट पर माघ के महीने में रहकर कल्पवास करते हुए स्नान नहीं कर सकता है, तो वह घर पर ही नहाने के पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान कर सकता है। इससे भी पुण्य की प्राप्ति होती है।
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पौष पूर्णिमा के दिन क्या करें, क्या न करें
पौष पूर्णिमा के दिन निम्न उपाय करने से पुण्य एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है:
- पूर्णिमा के दिन चावल का दान करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार चावल का संबंध चंद्रमा से होता है और पूर्णिमा के दिन चावल का दान करने से कुंंडली में चंद्रमा मज़बूत होता है।
- इस दिन सफेद रंग की चीज़ों का दान करने से भी चंद्रमा को बल मिलता है।
- पूर्णिमा के शुभ दिन पर सत्यनारायण भगवान की कथा सुनने का बहुत महत्व है।
- इस पवित्र दिन पर भगवान शिव की पूजा करने से भी लाभ होता है।
- यदि आप मां लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करें। मान्यता है कि पीपल के पेड़ में मां लक्ष्मी का वास होता है इसलिए उसकी पूजा करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
- पूर्णिमा या पौष पूर्णिमा व्रत 2025 के दिन प्याज, लहसुन, मांस-मदिरा या तामसिक चीज़ों का सेवन करने से बचना चाहिए।
- इस दिन किसी से भी बहस या झगड़ा न करें और न ही किसी को अपशब्द कहें।
- पूर्णिमा के दिन जो भी गरीब या ज़रूरतंद आपके घर आता है, उसकी मदद करें।
- पौष पूर्णिमा के दिन शरीर पर सरसों का तेल लगाकर स्नान करें और अपने नहाने के पानी में थोड़ा-सा परफ्यूम डालकर उस पानी से स्नान करें।
- लड्डू गोपाल की मूर्ति पर घी चढ़ाएं।
- श्री विष्णु, देवराज और बृहस्पति देव के मंत्रों का जाप करें।
पूर्णिमा के दिन सिंदूर लगाना चाहिए या नहीं
भारत में कई स्थानों पर ऐसी मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन महिलाओं को मांग में सिंदूर नहीं लगाना नहीं क्योंकि ऐसा करना अशुभ होता है। वहीं कुछ हिस्सों में पूर्णिमा के दिन महिलाएं सिंदूर ज़रूर लगाती हैं। इस संबंध में सभी के अपने विचार हैं लेकिन शास्त्रों में इसका कोई उल्लेख नहीं मिलता है।
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पौष पूर्णिमा व्रत 2025 पर इन चीज़ों का करें दान
- पूर्णिमा के दिन अरहर की दाल और चावल की खिचड़ी में घी डालकर किसी गरीब या ज़रूरतमंद व्यक्ति को खिलाना चाहिए।
- पूर्णिमा पर लाल रंग का बहुत महत्व है, इसलिए अगर आप पौष पूर्णिमा का व्रत रख रहे हैं, तो इस दिन लाल रंग के वस्त्र पहनने की कोशिश करें। माघ के महीने में तांबे के बर्तन दान करने का बहुत महत्व है।
- ज़रूरतमंद एवं गरीब लोगों को इस दिन या माघ माह में तिल, गुड़, कंबल और ऊन से बनी चीज़ों का दान करें।
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पौष पूर्णिमा व्रत 2025 पर राशि अनुसार उपाय
आगे बताया गया है कि पौष पूर्णिमा पर राशि अनुसार क्या उपाय कर सकते हैं:
- मेष राशि: आप इस दिन तांबे के लोटे में जल भरकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें और लाल रंग के वस्त्रों एवं गुड़ का दान करें।
- वृषभ राशि: आप मां लक्ष्मी की पूजा करें और उन्हें सफेद रंग के फूल और मिठाई अर्पित करें। इसके साथ ही आप पूर्णिमा के दिन चावल और दूध का दान करें।
- मिथुन राशि: पौष पूर्णिमा व्रत 2025 पर पवित्र नदी में डुबकी लगाएं और भगवान विष्णु को तुलसी का पत्ते चढ़ाएं। आप हरे रंग के वस्त्रों और मूंग की दाल का दान करें।
- कर्क राशि: पूर्णिमा की रात्रि को चंद्रमा को अर्घ्य दें और दूध एवं चावल से बनी खीर का भोग लगाएं। आप सफेद मिठाई और चावल दान में दें।
- सिंह राशि: आप पौष पूर्णिमा पर पीपल के पेड़ के नीचे घी का दीया जलाएं। सिंह राशि वाले गेूहं और गुड़ का दान करें।
- कन्या राशि: आप पौष पूर्णिमा पर हनुमान जी को सिंदूर और तिल का तेल चढ़ाएं। आप हरे मूंग और किताबों का दान कर सकते हैं।
- तुला राशि: इस राशि वाले मां दुर्गा को लाल रंग की चुनरी चढ़ाएं और फल अर्पित करें। आप सुगंधित कपड़े और मिठाई दें।
- वृश्चिक राशि: पौष पूर्णिमा पर आप शिवलिंग पर जल और बेलपत्र चढ़ाएं। आप तांबे से बनी चीज़ों और गुड़ का दान कर सकते हैं।
- धनु राशि: जिन लोगों की धनु राशि है, वे पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें पीले रंग के फूल चढ़ाएं। आप चना दाल और घी का दान कर सकते हैं।
- मकर राशि: आप पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और दीपक जलाएं। आप इस दिन काले तिल और लोहे के बर्तनों का दान कर सकते हैं।
- कुंभ राशि: पूर्णिमा के दिन आप शिवलिंग पर कच्चा दूध और सफेद रंग के फूल चढ़ाएं। आपको इस दिन काले तिल और चावलों का दान करना चाहिए।
- मीन राशि: आप भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें हल्दी एवं तुलसी अर्पित करें। आप पीले रंग के वस्त्रों और गुड़ का दान करें।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर. 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा व्रत है।
उत्तर. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का बहुत महत्व है।
उत्तर. इस दिन व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।