18 महीने बाद मंगल-चंद्रमा की युति से बनेगा ये बेहद शुभ योग, इन राशियों पर छप्पर फाड़कर बरसेगा पैसा!
जब कभी किसी ग्रह की दशा या राशि में परिवर्तन होता है, तब उसका असर संसार समेत सभी राशियों पर नज़र आता है। कई बार ग्रहों के यह गोचर मनुष्य जीवन को सकारात्मक या नकारात्मक दोनों तरह से प्रभावित करते हैं और इसके परिणामस्वरूप, कई तरह की युति जन्म लेती है जिससे शुभ-अशुभ योगों का भी निर्माण होता है। एस्ट्रोसेज का यह ब्लॉग आपको मंगल और चंद्र की युति के बारे में समस्त जानकारी प्रदान करेगा। साथ ही, इन दोनों ग्रहों के संयोजन से लगभग 18 महीने के बाद एक बेहद शुभ योग बनने जा रहा है जिसका लाभ कुछ राशियों को विशेष तौर पर मिलेगा। तो आइए बिना देर किये शुरुआत करते हैं और जानते हैं उन लकी राशियों के बारे में।
ज्योतिष में मंगल और चंद्र को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है जो कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करने का सामर्थ्य रखते हैं। बता दें कि मंगल महाराज पिछले 01 जून 2024 से मेष राशि में विराजमान हैं और अब चंद्र देव भी मेष राशि में गोचर कर गए हैं। ऐसे में, मेष राशि में मंगल और चंद्र की युति बन रही है जिससे बेहद शुभ महालक्ष्मी योग निर्मित हो रहा है। यह योग सभी 12 राशियों को प्रभावित करेगा, लेकिन 3 राशियों के लिए यह योग विशेष रूप से धन लाभ और तरक्की लेकर आएगा। चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और नज़र डालते हैं उन भाग्यशाली राशियों के बारे में।
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महालक्ष्मी राजयोग से इन 3 राशियों को मिलेगा धन-धान्य, तरक्की एवं वैभव का आशीर्वाद
मेष राशि
मेष राशि वालों के लिए मंगल-चंद्रमा की युति से बनने वाला महालक्ष्मी राजयोग बहुत शुभ रहने वाला है। बता दें कि इस योग का निर्माण आपकी कुंडली के लग्न भाव में हो रहा है। ऐसे में, यह अवधि आपको नौकरी और व्यापार के क्षेत्र में अच्छी खासी सफलता दिलाने का काम करेगी। अगर आप पहले से शादीशुदा हैं, तो आपका वैवाहिक जीवन सुख-शांति से पूर्ण रहेगा।
इस दौरान आप कहीं घूमने के लिए जा सकते हैं और आपके मान-सम्मान में भी बढ़ोतरी होगी। मेष राशि के नौकरीपेशा जातक अगर किसी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं, तो उसमें आपको सफलता मिलेगी। इस समय आप खूब धन कमाने के साथ-साथ पैसों की बचत करने में भी सक्षम होंगे और इसके परिणामस्वरूप, आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। लेकिन, आपको लगातार प्रयास करने की सलाह दी जाती है।
कर्क राशि के जातकों के लिए मंगल और चंद्र की युति से बनने वाला महालक्ष्मी राजयोग फलदायी रहेगा क्योंकि यह आपके लिए अनुकूल परिणाम लेकर आएगा। कर्क राशि वालों के लिए इस राजयोग का निर्माण आपके दसवें भाव में हो रहा है। इस दौरान आपका रोज़ी-रोज़गार काफी अच्छा रहने के संकेत है और ऐसे में, आप कोई नई डील भी कर सकते हैं। अगर आप वाहन या प्रापर्टी खरीदने के बारे में सोच रहे हैं, तो अब आप इस दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।
जो जातक नौकरी करते हैं, उनके लिए प्रमोशन और इंक्रीमेंट के योग बनेंगे। वहीं, इस अवधि में आपकी बुद्धि और स्किल्स में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। साथ ही, आपको विभिन्न स्रोतों से धन कमाने के अवसर प्राप्त होंगे और आपने जिन भी योजनाओं के बारे में सोचा है, उसमें आपको कामयाबी मिलेगी।
तुला राशि वालों के लिए महालक्ष्मी राजयोग अत्यंत शुभ परिणाम लेकर आएगा। आपकी कुंडली के सातवें भाव में यह राजयोग बन रहा है और इसके परिणामस्वरूप, आपको अच्छी मात्रा में धन लाभ की प्राप्ति होगी। इस राशि के विवाहित जातकों का वैवाहिक जीवन खुशियों से भरा रहेगा। साथ ही, आपको मान-सम्मान और प्रतिष्ठा में भी वृद्धि होगी। आपके सुख-समृद्धि में इज़ाफ़ा देखने को मिलेगा और व्यापार भी तेज़ी से आगे बढ़ेगा। इन लोगों का स्वास्थ्य बेहतर बना रहेगा। पारिवारिक जीवन सुख-शांति से पूर्ण रहेगा और आपके सभी रुके हुए कार्य पूरे हो जाएंगे। पार्टनरशिप में काम करने वालों को अच्छा लाभ प्राप्त होगा।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1. चंद्रमा और मंगल की युति किस राशि के लिए शुभ रहेगी?
उत्तर 1. इन दोनों ग्रहों की युति मेष, कर्क और तुला राशि वालों के लिए सकारात्मक परिणाम लेकर आएगी।
प्रश्न 2. चंद्र-मंगल योग क्या होता है?
उत्तर 2. चंद्र और मंगल योग से जातकों की आर्थिक स्थिति मज़बूत होती है और समाज में मान-सम्मान बढ़ता है।
प्रश्न 3. मंगल किस राशि में मौजूद हैं?
उत्तर 3. वर्तमान समय में मंगल मेष राशि में स्थित है।
आषाढ़ अमावस्या के दिन करें स्नान-दान, पितरों के आशीर्वाद से बढ़ेगा धन-वैभव, होगी उन्नति
सनातन धर्म में अमावस्या तिथि को बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन स्नान दान और पूजा पाठ करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन विधि-विधान से स्नान व पूजा पाठ करने से देवताओं और पितरों का आशीर्वाद मिलता है और शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसी क्रम में हर साल आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन आषाढ़ अमावस्या मनाई जाती है। इस अमावस्या को अषाढ़ी अमावस्या या हलहारिणी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।
हिंदू धर्म में आषाढ़ मास की अमावस्या की तिथि का बहुत अधिक महत्व है। इस दिन किसी पवित्र नदी, सरोवर में स्नान और पितरों के नाम का दान पुण्य करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि ऐसा करने से आपके पितृ प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति को पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। वहीं पितरों के आशीर्वाद से जातक के जीवन में मान-सम्मान में वृद्धि होती है। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते है कि इस साल आषाढ़ अमावस्या कब है और इस दिन किए जाने वाले आसान उपायों के बारे में।
आषाढ़ अमावस्या 2024: तिथि व समय
अमावस्या आरम्भ: 05जुलाई, 2024 की सुबह 05 बजे से
अमावस्या समाप्त: 06जुलाई, 2024 की सुबह 04 बजकर 29 मिनट तक
उदया तिथि के आधार पर आषाढ़ अमावस्या 05 जुलाई 2024 को है। उस दिन ही स्नान दान और पूजा पाठ किया जाएगा।
आषाढ़ अमावस्या पर दो शुभ योग
चातुर्मास की पहली अमावस्या या यूं कहिए आषाढ़ माह की अमावस्या का दिन अपने आप में विशेष महत्व रखता है। हालांकि इस वर्ष आषाढ़ अमावस्या पर दो शुभ योग इस दिन की शुभता और बढ़ाने वाले हैं। बात करें इन शुभ योगों की तो, इस दिन ध्रुव योग और शिववास योग का निर्माण हो रहा है।
दरअसल इस दिन बनने वाला ध्रुव योग 06 जुलाई को देर रात 03 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगा। मान्यताओं के अनुसार इस योग में यदि स्नान और दान किया जाए तो इससे व्यक्ति को शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। इसके अलावा इस दिन शिववास योग का भी निर्माण हो रहा है। मान्यता है कि शिववास योग में भगवान शिव का अभिषेक करने से शुभ फलों की प्राप्ति होगी।
क्या ये जानते हैं आप? आषाढ़ अमावस्या के दिन शुभ मुहूर्त में यदि पूजा-पाठ, दान-पुण्य, पितरों का तर्पण आदि किया जाए तो इससे कुंडली में मौजूद कालसर्प दोष से छुटकारा भी प्राप्त किया जा सकता है।
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आषाढ़ अमावस्या का महत्व
आषाढ़ अमावस्या के दिन पितरों की शांति के लिए किये जाने वाला तर्पण बहुत पुण्यकारी माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान करने व किसी पवित्र नदी में स्नान करने का बहुत अधिक महत्व है। इस दिन धार्मिक दान करना बहुत फलदायी माना जाता है। विद्या दान, अन्न दान और वस्त्र दान जैसे विभिन्न प्रकार के दान आषाढ़ अमावस्या करना बहुत अधिक शुभ माना जाता है। कई जगहों पर आषाढ़ अमावस्या के दिन धार्मिक मेले और पंडालों का आयोजन किया जाता है। यही नहीं भंडारा, भजन-कीर्तन और कई धार्मिक कार्यक्रमों का भी आयोजन लोग बड़ी धूमधाम से करते हैं।
इसके अलावा, हर प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा और बुरी नज़र व बुरी शक्तियों से बचने के लिए अमावस्या व्रत करना उपयोगी होता है। अपने पितरों की आत्मा को प्रसन्न करने के लिए अमावस्या व्रत का महत्व बहुत अधिक माना गया है। इस घर के आंगन में अपने पूर्वजों के लिए खाने पीने का सामान अवश्य निकालें। इसके अलावा, माना जाता है कि जो कोई भी व्यक्ति अमावस्या का व्रत करता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यही नहीं यदि विधि विधान के साथ अमावस्या का व्रत किया जाए तो व्यक्ति की कुंडली में मौजूद काल सर्प दोष से भी बचा जा सकता है।
आषाढ़ अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले भगवान विष्णु को प्रणाम करें।
इसके बाद सभी कार्यों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान करें। यदि संभव हो तो किसी पवित्र नदी में जाकर स्नान करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें।
अब सबसे पहले सूर्य देव का जलाभिषेक करें। इसके बाद, भगवान विष्णु की श्रद्धा और भक्ति भाव से पूजा करें। पूजा के दौरान आषाढ़ अमावस्या की कथा जरूर पढ़ें।
पूजा समापन के बाद बहते हुए पानी में काले तिल प्रवाहित करें और सुख, शांति, समृद्धि और सौभाग्य की कामना करें।
इस पूजा पाठ करने के साथ-साथ दान-पुण्य करने का भी विशेष महत्व है। साथ ही, गरीबों और ब्राह्मणों को खाना जरूर खिलाएं।
अमावस्या तिथि के दिन सुबह जल्दी उठकर गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करें।
साथ ही, सूर्य और तुलसी को जल अर्पित करें।
इस दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाएं।
गाय को चावल अर्पित करें।
विवाहित महिलाएं को इस दिन पीपल के पेड़ की परिक्रमा करना चाहिए। इस दौरान परिक्रमा करते समय बिंदी, मेहंदी, चूड़ियां, आदि भी रख सकती हैं। साथ ही, 108 बार विष्णु मंत्र का जाप करें।
इसके बाद पितरों के नाम पर बाह्ममणों को घर पर भोजन कराएं और उन्हें दान दक्षिणा दें।
गरीबों और जरूरतमंदों को वस्त्र, भोजन, और मिठाई का दान करें।
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आषाढ़ अमावस्या की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, स्वर्ग धाम के अलकापुरी नामक नगरी में एक कुबेर नाम का राजा रहता था। बहुत बड़ा शिव भक्त था और प्रतिदिन पूरे विधि-विधान से शिव जी की भक्ति किया करता था। राजा के यहां हेम नाम का एक माली हर रोज शिव पूजन के लिए फूल लाया करता था। हेम माली की पत्नी बेहद सुंदर थी, जिसका नाम विशालाक्षी था।
एक दिन माली मानसरोवर से फूल लेने गया और फूल लाते समय पत्नी के साथ हास्य विनोद करने लगा। राजा पूजा में चढ़ने के लिए फूल का इंतजार करने लगा। जब काफी देर हो गई और राजा का सब्र टूट गया तो राजा ने अपने सेवकों को माली का पता लगाने के लिए भेजा। सैनिकों ने माली को देख लिया और उसके बारे में राजा को कहा कि महाराज के माली बहुत पापी अतिकामी है।
वह अपनी स्त्री के साथ हास्य विनोद कर रहा है। यह सुनकर राजा को काफी क्रोधित हो गए। राजा ने सैनिकों को आज्ञा दी की माली को लेकर आए। माली राजा के पास पहुंचते ही कांपने लगा। राजा कुबेर ने गुस्से में आकर माली को श्राप दे दिया और कहा कि ‘तू स्त्री का वियोग सहेगा और मृत्यु लोग में जाकर कोहड़ी हो जाएगा।’ राजा कुबेर के श्राप देने से हेम माली का स्वर्ग से पृथ्वी लोग में चला गया। व पृथ्वी पर आते ही उसके शरीर पर कोहड हो गया। हेम माली की स्त्री उसी समय अंतर्ध्यान हो गई। पृथ्वी पर आकर माली ने बहुत कष्ट झेलने पड़े। वह बिना भोजन और जल के जंगल में भटकता रहा। हेम माली को रात में नींद भी नहीं आती थी, लेकिन शिवजी की पूजा करने के प्रभाव से उसे अपने पिछले जन्म में किए गए कर्मों का ज्ञान हो गया।
एक दिन घूमते घूमते माली मार्कंडेय ऋषि के आश्रम में पहुंच जाता है और वहां जाकर ऋषि के पैरों पर गिर गया। इसे देखकर ऋषि ने पूछा कि उसने ऐसा कौन सा पाप किया है। जिसके प्रभाव से उसकी यह हालत हो गई है। हेम माली ने ऋषि को सारा हाल बताया ऋषि ने कहा कि उसे एक व्रत करना होगा, जिससे उसका उद्धार होगा। ऋषि ने कहा आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत पूरे विधि विधान से करेगा, तो उसके सारे पाप नष्ट हो जाएंगे। यह सुनकर माली बहुत खुश हुआ। उसने ऋषि को प्रणाम किया। इसके बाद हेम माली ने विधिपूर्वक व्रत किया। जिसके बाद माली अपने सभी बुरे कर्मों से छुटकारा पा गया।
पितृ दोष की वजह से घर में कलह और आर्थिक तंगी आती है। ऐसे में, आषाढ़ अमावस्या के दिन पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए ब्राह्मण को भोजन कराकर दान करना चाहिए। साथ ही, गाय, कुत्ते और चींटियों को भोजन खिलाना चाहिए। इससे आपके पितर प्रसन्न होंगे और आपको आशीर्वाद प्रदान करेंगे।
शनि दोष से मुक्ति के लिए
यदि आपकी कुंडली में शनि की महादशा चल रही है या आप शनि के साढ़ेसाती या ढैय्या के अशुभ प्रभाव से पीड़ित हैं तो आपको शाम को पीपल के पेड़ में सरसों के तेल का दीपक जलाकर पांच बार हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। इससे शनि दोष से मुक्ति मिल जाएगी।
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कालसर्प दोष के लिए
जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष है उन्हें संतानहीनता का सामना करना पड़ता है। ऐसे में, उनकी नौकरी व व्यवसाय में कई प्रकार की समस्याएं आती है। साथ ही, साधक कर्ज या किसी प्रकार से लोन में डूब सकता है। ऐसे में, इससे मुक्ति पाने के लिए चांदी के नाग नागिन की करें। ऐसा करना आपके लिए फलदायी साबित होगा।
पापों से मुक्ति पाने के लिए
आषाढ़ अमावस्या के दिन आटे में चीनी मिलाकर काली चीटियों को खिलाना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और भाग्य का भी साथ मिलता है।
आर्थिक समस्याओं से निपटने के लिए
मान्यता है कि आषाढ़ अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष के पास शाम के समय सरसों तेल का दीपक जलाने से और सात बार परिक्रमा करने से आर्थिक जीवन में आ रही समस्याएं दूर होती है।
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1. इस साल आषाढ़ अमावस्या कब है?
उत्तर 1. इस साल आषाढ़ अमावस्या 05 जुलाई 2024 को है।
प्रश्न 2. आषाढ़ अमावस्या का क्या महत्व है?
उत्तर 2. इस दिन गंगा स्नान करने व किसी पवित्र नदी में स्नान करने का बहुत अधिक महत्व है।
प्रश्न 3. आषाढ़ अमावस्या पर क्या करें?
उत्तर 3. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन पवित्र नदी में जाकर स्नान करने और किसी जरूरतमंद को दान-दक्षिणा देने का महत्व होता है।
प्रश्न 4. अमावस्या में हमें क्या नहीं करना चाहिए?
उत्तर 4. अमावस्या पर क्रोध, हिंसा, अनैतिक कार्य, मांस-मदिरा का सेवन एवं स्त्री से शारीरिक संबंध निषेध है।
शनि साढ़े साती से हैं परेशान, तो जानें कैसे करते हैं न्याय के देवता आपके कर्मों का हिसाब
शनि साढ़े साती एक ऐसा शब्द है जिसे सुनते ही लोग भयभीत हो जाते हैं। हम में से अधिकांश लोगों ने साढ़े साती के बारे में अपने जीवनकाल में कभी न कभी जरूर सुना होगा। यह शनि की एक ऐसी दशा है जो किसी व्यक्ति को राजा से रंक बनाने की क्षमता रखती है। इसके प्रभाव को कम करने के लिए लोग तरह-तरह के उपाय करते हैं। एस्ट्रोसेज का यह विशेष ब्लॉग आपको शनि साढ़े साती से जुड़ी समस्त जानकारी प्रदान करेगा। साथ ही, आपको रूबरू करवाएंगे कि साढ़े साती के सात सालों में शनि महाराज कैसे करते हैं आपके कर्मों का हिसाब-किताब। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की।
वैदिक ज्योतिष और सनातन धर्म में शनि देव को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। इनका नाम भी लोगों के मन में भय पैदा करने के लिए काफ़ी है। हिंदू धर्म में भगवान शनि की देवता के स्वरूप में पूजा की जाती है, तो वहीं ज्योतिष में इन्हें सबसे शक्तिशाली ग्रहों में से एक माना जाता है जो कठिन परिश्रम, दीर्घायु, कर्म, अनुशासन, सीमा, महत्वाकांक्षा, देरी और धैर्य आदि का प्रतिनिधित्व करते हैं। सभी नौ ग्रहों में शनि ग्रह को ‘न्यायाधीश’ का दर्जा प्राप्त हैं और यह अन्याय बर्दाश्त नहीं करते हैं।
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शनि साढ़े साती और इसके चरण
प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन में कभी न कभी शनि के साढ़ेसाती के प्रभावों का सामना करना पड़ता है। बता दें कि हर इंसान को साढ़ेसाती अलग-अलग तरीके से प्रभावित करती है जो कि व्यक्ति के कर्मों और कुंडली में मौजूद ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति पर आधारित होते हैं। साढ़े सात वर्षों तक चलने वाली शनि साढ़ेसाती के तीन चरण होते हैं और ढ़ाई-ढ़ाई साल का हर चरण होता है। इन चरणों के अनुसार शनि महाराज व्यक्ति को प्रभावित करते हैं।
हालांकि, शनि साढ़ेसाती मुख्यतः उस राशि पर होती है जिसमें शनि उस साल उपस्थित होते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, जिस राशि में शनि मौजूद होते हैं, उस राशि से पहले और बाद वाली राशि भी शनि साढ़ेसाती के प्रभाव में आ जाती है। सामान्य शब्दों में कहें, तो शनि ग्रह जिस राशि में बैठे होते हैं, उसके आगे, पीछे और शनि की मौजूदा राशि पर शनि की साढ़ेसाती चलती है। यदि आप पर भी शनि की साढ़ेसाती चल रही हैं, तो आपके लिए यह जानना आवश्यक है कि शनि साढ़ेसाती अत्यंत विशेष होती है और इस अवधि में शनि महाराज आपको एक न्यायधीश के रूप में आपके कर्मों का फल प्रदान करते है और इसके बाद, आपको जीवन के महत्वपूर्ण सबक देते हैं।
इन तीन चरणों में करते हैं शनि देव आपके कर्मों का हिसाब
शनि साढ़ेसाती का पहला चरण: यह चरण शनि साढ़ेसाती का पहला और शुरुआती दौर होता है जो आपके जीवन में या तो धन लाभ लेकर आता है या फिर आर्थिक समस्याएं। इस दौरान आपको स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं तंग कर सकती हैं। ऐसे में, सबसे पहला प्रभाव आपके मस्तिष्क पर देखने को मिलता है और इसके बाद के 10 महीने तक आपके दिमाग पर असर बना रहता है, लेकिन यह नकारात्मक नहीं होता है,बल्कि आप रिसर्च में अच्छा प्रदर्शन करने में सक्षम होते हैं।
शनि साढ़ेसाती का दूसरा चरण: पहले ढ़ाई साल के बीतने के बाद शनि साढ़ेसाती का दूसरा चरण शुरू होता है और यह साढ़ेसाती का सबसे महत्वपूर्ण फेज होता है। ऐसे में, शनि का दूसरा चरण व्यक्ति के निजी जीवन के साथ-साथ पेशेवर जीवन को भी प्रभावित करता है। यह अवधि व्यक्तिगत विकास और जिंदगी को पुनः एक नज़रिये से देखने को दर्शाती है।
शनि साढ़ेसाती का तीसरा चरण: दूसरे चरण के बाद शुरू होता है शनि साढ़ेसाती का तीसरा और अंतिम चरण। इस चरण के दौरान जातक ने पिछले दोनों चरणों में जो भी अच्छे या बुरे कर्म किये होते हैं, उसका फल प्राप्त होता है। सामान्य शब्दों में कहें, तो इस अवधि में आपने जो बोया है आप वही काटेंगे। इस दौरान आपकी आर्थिक स्थिति अच्छी रहती है और घर-परिवार में चल रहे विवादों का समाधान होने के साथ-साथ आपक फाइनेंस सही होगा और पारिवारिक विवाद सुलझने के साथ-साथ आपकी रुचि अध्यात्म के प्रति बढ़ती है।
शनि साढ़ेसाती के अशुभ प्रभाव इन उपायों से होंगे कम
प्रतिदिन विशेष रूप से शनिवार के दिन शनि देव के बीज मंत्र “ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः” का जाप करें। ऐसा करने से शनि साढ़े साती के नकारात्मक प्रभाव कम होते है।
साढ़े साती के प्रभावों से बचाव के लिए शनिवार के दिन शनि देव के मंदिर में जाएं और भगवान शनि को सरसों का तेल और काले तिल चढ़ाएं।
शनिवार के दिन शनि चालीसा का पाठ करें और इस दिन शनि स्त्रोत का 21 बार पाठ करें। इस उपाय से शनि साढ़े साती के अशुभ प्रभावों से राहत मिलती है।
शनि साढ़े साती के दौरान भूलकर भी श्रमिक, गरीब, जीव-जंतु या असहाय को परेशान न करें, अन्यथा साढ़े साती के प्रभाव प्रबल हो जाते हैं।
शनिवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करने के साथ-साथ शिव जी की पूजा करने से साढ़े साती के प्रभावों से राहत मिलती है।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1. 2024 में कौन-कौन सी राशि पर शनि की साढ़े साती है?
उत्तर 1. वर्तमान समय में कुंभ, मकर और मीन राशि पर साढ़े साती चल रही है।
प्रश्न 2. शनि की साढ़ेसाती के दौरान क्या उपाय करें?
उत्तर 2. साढ़ेसाती लगने पर जातक को शनिवार के दिन शनिदेव के मंदिर में जाकर सरसों का तेल और काले तिल अर्पित करने चाहिए।
प्रश्न 3. कितने साल चलती है शनि की साढ़ेसाती?
उत्तर 3. शनि की साढ़ेसाती साढ़े सात वर्षों तक रहती है।
साल 2025 से इन राशियों का होगा बुरा समय शुरू, झेलना होगा शनि का प्रकोप!
शनि देव को ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है जो बेहद मंद गति से चलते हैं इसलिए इनकी चाल, दशा एवं स्थिति में परिवर्तन का मनुष्य जीवन पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। शनि देव प्रत्येक ढाई साल में एक राशि से दूसरे राशि में गोचर करते हैं। नवग्रहों में न्याय के देवता और कर्मफल दाता शनि को कहा गया है। ऐसे में, आने वाला साल यानी कि वर्ष 2025 में शनि का गोचर कुछ राशियों के लिए मुश्किल दौर लेकर आएगा। एस्ट्रोसेज के इस ब्लॉग में साल 2025 में हो रहे शनि गोचर से कौन सी राशियां सबसे अधिक प्रभावित होंगी, इसकी जानकारी प्राप्त होगी। तो बिना देर किये शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की और जानते हैं उन राशियों के बारे में।
शनि देव का गोचर एक लंबे समय के बाद होता है इसलिए इसे बहुत बड़ी और प्रभावशाली घटना माना जाता है। वर्तमान समय में शनि महाराज अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में मौजूद हैं। ज्योतिषियों के अनुसार, जब शनि ग्रह 2025 में ढाई साल तक कुंभ में रहने के बाद दूसरी राशि में गोचर कर जाएंगे, तब वह कुछ राशियों को अपनी टेढ़ी नज़र से देखेंगे। आइए जानते हैं किन राशियों को 2025 में सहना पड़ेगा भगवान शनि का प्रकोप।
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
साल 2025 में इन राशियों को झेलना होगी शनि की नाराज़गी
शनि का मीन राशि में गोचर: न्याय के देवता शनि ग्रह अगले वर्ष यानी 29 मार्च 2025 को अपनी राशि कुंभ से निकलकर मीन राशि में गोचर कर जाएंगे। इस राशि में शनि 29 मार्च 2025 से लेकर 03 जून 2027 तक मौजूद रहेंगे। ऐसे में, शनि का यह गोचर मीन राशि वालों को कार्यस्थल पर कुछ नई जिम्मेदारियों को दिलाने का काम करेगा और साथ ही, यह आपके लिए धन लाभ के योग भी बनाएगा। इस अवधि में आपकी नेतृत्व क्षमता पहले की तुलना में मज़बूत होगी।
इन राशियों पर शुरू होगी ढैय्या: 29 मार्च 2025 को शनि के मीन राशि में प्रवेश करने के साथ ही कर्क और वृश्चिक राशि वालों को शनि ढैय्या से छुटकारा मिल जाएगा। इसके उपरांत, सिंह और धनु राशि के जातकों पर शनि ढैय्या आरंभ होगी। बता दें कि शनि की ढैय्या ढाई साल तक चलती है।
इन राशियों पर शुरू होगी शनि की साढ़ेसाती: शनि देव के मीन राशि में गोचर करने से मेष राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी। साल 2025 में शनि का गोचर होने से मेष राशि पर शनि साढ़ेसाती का पहला चरण शुरू होगा जबकि मीन राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती का दूसरा चरण आरंभ होगा। वहीं, कुंभ राशि के जातकों पर शनि साढ़ेसाती के तीसरे चरण की शुरुआत होगी।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1. साल 2025 में शनि का गोचर कब और किस राशि में होगा?
उत्तर 1. शनि का गोचर साल 2025 में 29 मार्च को मीन राशि में होगा।
प्रश्न 2. किस राशि पर शनि की साढ़ेसाती शुरू होगी?
उत्तर 2. साल 2025 में मेष राशि पर शनि की साढ़ेसाती की शुरुआत होगी।
प्रश्न 3. क्या 2025 में मीन राशि पर साढ़ेसाती खत्म होगी?
उत्तर 3. नहीं, 2025 में मीन राशि के जातकों पर साढ़ेसाती का दूसरा चरण शुरू होगा।
चंद्र देव की राशि में 1 साल बाद बनेगा शुक्रादित्य राजयोग, इन 3 राशियों के होंगे अच्छे दिन शुरू!
हम आपको अपने पिछले लेखों में बता चुके हैं कि जुलाई का महीना ज्योतिषीय दृष्टि से बहुत खास ख़ास रहने वाला है क्योंकि इस दौरान कई बड़े ग्रह अपना राशि परिवर्तन करेंगे। इसी क्रम में, सूर्य और शुक्र का गोचर होने जा रहा है जिससे इन दोनों ग्रहों की युति से एक बेहद शुभ योग निर्मित होगा। एस्ट्रोसेज का यह विशेष ब्लॉग आपको सूर्य और शुक्र से बनने वाले शुभ शुक्रादित्य योग के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेगा। इसके अलावा, यह राजयोग राशि चक्र की 3 राशियों के लिए बहुत उत्तम परिणाम लेकर आएगा। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और शुरुआत करते हैं इस लेख की।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, सूर्य और शुक्र को प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में अहम स्थान प्राप्त है और यह हमारे जीवन को प्रभावित करने का सामर्थ्य रखते हैं। बता दें कि जुलाई में ग्रहों के राजा सूर्य और प्रेम के कारक ग्रह शुक्र अपना राशि परिवर्तन करने जा रहे हैं।
ऐसे में, शुक्र देव 07 जुलाई 2024 को कर्क राशि में गोचर कर जाएंगे और इसके कुछ दिन बाद यानी 16 जुलाई 2024 को आत्मा के कारक ग्रह सूर्य कर्क राशि में प्रवेश कर जाएंगे। ऐसे में, सूर्य कर्क राशि में मौजूद शुक्र के साथ युति करेंगे जिसके प्रभाव से शुक्रादित्य राजयोग का निर्माण होगा। अब हम आपको अवगत करवाते हैं कि यह युति कौन सी 3 राशियों के लिए भाग्यशाली रहेगी।
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
शुक्रादित्य योग से इन 3 राशियों को हर क्षेत्र में मिलेगी कामयाबी
कर्क राशि
कर्क राशि के जातकों के लिए सूर्य और शुक्र के संयोजन से बनने वाला शुक्रादित्य राजयोग अत्यंत फलदायी साबित होगा क्योंकि इस राजयोग का निर्माण आपकी राशि के लग्न भाव में होगा। ऐसे में, इन जातकों के आत्मविश्वास में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी और साथ ही, आपका व्यक्तित्व आकर्षक बनेगा। इस दौरान आपके संबंध समाज के बड़े और प्रभावशाली लोगों से बनेंगे जिसका लाभ आपको भविष्य में मिलने के आसार है। सूर्य और शुक्र की युति के प्रभाव से आपकी बुद्धि तेज़ बनेगी और आपकी योग्यताओं एवं क्षमताओं में भी वृद्धि होगी। इन लोगों को धन कमाने के अनेक अवसर प्राप्त होंगे और आप धन की बचत करने में भी सक्षम होंगे। जो जातक अविवाहित हैं, उनके लिए रिश्ता आ सकता है।
कन्या राशि के वालों के लिए सूर्य-शुक्र की युति से निर्मित शुक्रादित्य राजयोग बहुत शुभ कहा जाएगा। यह योग आपकी राशि के लिए अनुकूल रहेगा। आय और लाभ की दृष्टि से, यह आपको सकारात्मक परिणाम प्रदान करेगा और ऐसा इसलिए होगा क्योंकि सूर्य एवं शुक्र की युति आपके आय भाव में बनने जा रही है। ऐसे में, इस अवधि में आपकी आय़ में बेतहाशा वृद्धि देखने को मिलेगी जिसके चलते आप अच्छा खासा पैसा कमाने के साथ-साथ धन की बचत भी कर सकेंगे। इसके परिणामस्वरूप, आपकी आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर होगी और अगर आप कहीं धन का निवेश करना चाहते हैं, तो आप अब इस दिशा में आगे कदम बढ़ा सकते हैं। शेयर बाजार, सट्टेबाजी और लॉटरी में रुचि रखने वालों को उच्च लाभ मिल सकता है।
तुला राशि का नाम भी उन राशि में शुमार हैं जिनके लिए सूर्य और शुक्र की युति से बनने वाला शुक्रादित्य राजयोग शुभ परिणाम लेकर आएगा। बता दें कि आपकी कुंडली में यह योग कर्म भाव में निर्मित होने जा रहा है इसलिए यह अवधि आपको कार्य-व्यापार के संबंध में अपार सफलता देने का काम करेगी। वहीं, जो जातक नौकरी की तलाश में हैं, उन्हें नई नौकरी मिलने के योग बनेंगे। अगर आपका खुद का व्यापार हैं, तो आप अच्छा खासा धन लाभ कमाएंगे और साथ ही, आप एक व्यापारी के रूप में सफलता हासिल करने में सक्षम होंगे। जो लोग नौकरी करते हैं, उनके लिए पदोन्नति मिलने के योग बनेंगे। तुला राशि के जातकों के अपने पिता के साथ रिश्ते मजबूत होंगे और वह हर कदम पर आपका साथ देंगे।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1. सूर्य और शुक्र की युति से कौन सा योग बनता है?
उत्तर 1. ज्योतिष के अनुसार, सूर्य-शुक्र के एक साथ आने पर शुक्रादित्य योग बनता है।
प्रश्न 2. शुक्र और सूर्य का क्या महत्व है?
उत्तर 2. सूर्य कुंडली में स्वयं, आत्मा, अहंकार, आत्म-सम्मान आदि का प्रतिनिधित्व करता है जबकि शुक्र प्रेम, ऐश्वर्य एवं रिश्तों का प्रतीक माना गया है।
प्रश्न 3. कुंडली में धन का भाव कौन सा होता है?
उत्तर 3. कुंडली में दूसरे भाव को धन का भाव माना जाता है।
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शुक्र का कर्क राशि में गोचर: एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको शुक्र का कर्क राशि में गोचर के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। साथ ही, यह भी बताएंगे कि इस गोचर का प्रभाव सभी 12 राशियों पर किस प्रभाव से पड़ेगा। बता दें कुछ राशियों को शुक्र के गोचर से बहुत अधिक लाभ होगा तो, वहीं कुछ राशि वालों को इस अवधि बहुत ही सावधानी से आगे बढ़ने की आवश्यकता होगी क्योंकि उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा इस ब्लॉग में शुक्र ग्रह को मजबूत करने के कुछ शानदार व आसान उपायों के बारे में भी बताएंगे। बता दें कि शुक्र 07 जुलाई 2024 को चंद्रमा के स्वामित्व वाली राशि कर्क में गोचर करने जा रहे हैं। तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं किस राशि के जातकों को इस दौरान शुभ परिणाम मिलेंगे और किन्हें अशुभ।
आकर्षण, ऐश्वर्य, सौभाग्य, धन, प्रेम और वैभव के कारक ग्रह शुक्र 07 जुलाई, 2024 की सुबह 4 बजकर 15 मिनट पर कर्क राशि में प्रवेश कर जाएंगे। बता दें कि शुक्र अस्त अवस्था में कर्क राशि में प्रवेश करेंगे और 11 जुलाई को पुन: इसी राशि में उदित हो जाएंगे तथा 19 जुलाई, 2024 को सूर्य के स्वामित्व वाली राशि सिंह राशि में गोचर करेंगे। शुक्र और चंद्रमा आपस में शत्रुता का भाव रखते हैं इसलिए कर्क राशि में शुक्र का गोचर बहुत अधिक अनुकूल प्रतीत नहीं हो रहा है।
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शुक्र का कर्क राशि में गोचर: इन राशियों पर पड़ेगा सकारात्मक प्रभाव
मेष राशि
मेष राशि के जातकों के लिए शुक्र दूसरे और सातवें भाव के स्वामी हैं और शुक्र का कर्क राशि में गोचर आपके चौथे भाव में गोचर करेंगे। इसके परिणामस्वरूप, आपके घर व परिवार में सुख-शांति का माहौल रहेगा। आप अपने परिवार की सुख सुविधाओं को बढ़ाने के बारे में विचार करेंगे। घर परिवार के लोगों के साथ अच्छा सामंजस्य रहेगा और आप उनके साथ अच्छा समय व्यतीत करेंगे। इसके अलावा, आप अभिनय, नाटक, नृत्य, आदि सीखने के लिए आगे बढ़ सकते हैं और ऐसे विषयों में उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। इस अवधि पारिवारिक सदस्यों का आपके साथ समर्थन रहेगा और इससे आप हर काम में उन्नति करेंगे। इस गोचर काल के दौरान आपको कुछ अच्छी उपलब्धि या धन लाभ की प्राप्ति हो सकती है। इसके अलावा, कार्यक्षेत्र में आपको पदोन्नति भी प्राप्त हो सकती है।
मिथुन राशि
मिथुन राशि के लिए शुक्र आपके पांचवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं और शुक्र का कर्क राशि में गोचर आपके दूसरे भाव में होगा। शुक्र का कर्क राशि में गोचर आपको उत्तम व्यंजन चखाएगा। आप बढ़िया से बढ़िया भोजन और पकवान खाना पसंद करेंगे और उसका आनंद लेंगे। पारिवारिक जीवन में खुशियां रहेंगी। घर में कोई फंक्शन हो सकता है या किसी का विवाह समारोह हो सकता है जिसमें अतिथियों के आगमन से घर में चहल-पहल रहेगी। आपको अच्छी आर्थिक लाभ की खबरें सुनने को मिलेंगी और आपको धन लाभ होगा। पैतृक व्यवसाय में लाभ होने के योग बनेंगे। यदि आप कोई व्यापार साझेदारी में करते हैं तो आपके व्यवसायिक साझेदार से संबंध अच्छे रहेंगे और दोनों मिलकर अपने व्यापार को आगे बढ़ा पाएंगे और उसमें उन्नति प्राप्त करेंगे। सामाजिक स्तर पर परिवार का स्तर ऊंचा होगा।
शुक्र का कर्क राशि में गोचर कर्क राशि के जातकों के लिए पहले भाव में होगा। शुक्र कर्क राशि के जातकों के लिए शुक्र चौथे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं। इसके परिणामस्वरूप, आप अपनी देखभाल पर अधिक ध्यान देंगे और खुद के व्यक्तित्व को निखारने पर विचार करेंगे। शुक्र का कर्क राशि में गोचर कार्यक्षेत्र में भी अच्छे परिणाम देगा और कार्यक्षेत्र में आपकी बात को कोई टाल नहीं पाएगा। इससे नौकरी में आपकी स्थिति अच्छी रहेगी और वरिष्ठ अधिकारियों से आपके संबंध मधुर बनेंगे। यदि आप सौंदर्य उत्पाद और महिला प्रसाधनों, इत्र एवं महिलाओं से संबंधित कोई व्यापार करते हैं तो इस दौरान उस व्यापार में अच्छी उन्नति और प्रगति देखने को मिलेगी। आपको अच्छे धन लाभ के योग बनेंगे।
कन्या राशि
कन्या राशि के जातकों के लिए शुक्र दूसरे भाव और भाग्य के नौवें भाव के स्वामी हैं। शुक्र का कर्क राशि में गोचर आपके ग्यारहवें भाव में होगा। शुक्र का गोचर आपके लिए कई सारे नए अवसर लेकर आएगा। यह अवधि आपको आर्थिक जीवन में भी स्थिरता प्राप्त होगी और आपको अच्छा ख़ासा धन लाभ होगा। आप अपने व्यापार को विस्तार देने की योजनाएं बना सकते हैं और बहुत हद तक उसमें कामयाब भी हो सकते हैं। नौकरी करने वाले लोगों को अपने वरिष्ठ अधिकारियों का पूरा सानिध्य और समर्थन मिलेगा और इससे आपकी उन्नति होगी। बड़े भाई बहनों का पूरा सहयोग मिलेगा और आप अपने भाई-बहनों और दोस्तों के साथ अच्छा समय बिताएंगे। इस तरह आपका सामाजिक दायरा बढ़ेगा। इस दौरान आप अपने दोस्त की सलाह मानकर काम करेंगे तो आपको लाभ होगा। अपने धन का कुछ हिस्सा बचत के रूप में रखने से आपको भविष्य में आर्थिक चुनौतियों से लड़ने का मौका मिलेगा।
शुक्र का कर्क राशि में गोचर तुला राशि के दसवें भाव में होने जा रहा है। शुक्र आपकी राशि का स्वामी भी हैं, ऐसे में शुक्र का दसवें भाव में गोचर कार्य क्षेत्र के लिए सकारात्मक परिणाम लेकर आएगा। लेकिन आप कार्य क्षेत्र की राजनीति से बचकर रहेंगे तो बेहतर होगा और खुद किसी राजनीति का हिस्सा ना बनें, नहीं तो आपके संबंध आपके कार्यक्षेत्र में साथ कार्य करने वाले लोगों से बिगड़ सकते हैं और उससे आपको नौकरी में समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
इस अवधि आप अपने सहकर्मियों से जलन की भावना रख सकते हैं और आपको अफने कार्यस्थल पर थोड़ी परेशानी हो सकती है। वरिष्ठ अधिकारियों से भी आपकी कहासुनी हो सकती है इसलिए उनसे अच्छे संबंध बनाए रखने की कोशिश करें। आपकी पदोन्नति की बात अवश्य चल सकती है और यदि आप अच्छा काम करेंगे तो निश्चित ही आपको प्रमोशन जरूर मिल सकता है। यदि आप व्यापार करते हैं तो आपको थोड़ी सावधानी के साथ आगे बढ़ना होगा।
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शुक्र का कर्क राशि में गोचर: इस एक राशि पर पड़ेगा नकारात्मक प्रभाव
धनु राशि
धनु राशि के जातकों के लिए शुक्र का कर्क राशि में गोचर आपके आठवें भाव में होगा। इसके परिणामस्वरूप, चोरी-छिपे खर्च करने की आदत से बचें और अपनी सुख-सुविधाओं पर छिपकर खर्च करना आपको बाद में परेशानी दे सकता है। इस अवधि आपको अपने उन दोस्तों से बचकर रहें जो आपके दुश्मनों का काम करते हैं। पारिवारिक जीवन में थोड़ा तनाव रहेगा और ससुराल पक्ष की ओर आपका झुकाव अधिक हो सकता है। नौकरी करने वाले लोगों को चुप रह कर अपना काम करते रहना चाहिए और यदि आप कोई व्यवसाय करते हैं तो इस दौरान व्यवसायिक साझेदार से संबंध ना बिगड़ें, इसका आपको ध्यान रखना होगा, नहीं तो व्यवसाय में समस्या बढ़ सकती है। आर्थिक जीवन की बात करें तो इश अवधि धन का निवेश करना खतरनाक हो सकता है, इसलिए इससे बचने का प्रयास करें। इस अवधि के दौरान किसी को भी उधार पैसा देने से बचें।
शुक्र का मिथुन राशि में गोचर: आसान ज्योतिष उपाय
शुक्रवार को व्रत रखें और चावल, चीनी आदि सफेद चीजें दान करें।
शुक्रवार को देवी लक्ष्मी या देवी दुर्गा की पूजा करें और लाल फूल चढ़ाएं।
हर सुबह महालक्ष्मी अष्टकम का पाठ करें।
अपने कार्यालय या घर में महालक्ष्मी यंत्र की स्थापना करें और उसकी पूजा करें।
अधिक से अधिक सफेद और गुलाबी कपड़े पहनने की कोशिश करें और अच्छी स्वच्छता बनाए रखें।
शुक्र के मंत्र “ऊं द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः” का जाप करें।
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1. शुक्र का कर्क में गोचर कब होने जा रहा है?
उत्तर 1. शुक्र का कर्क राशि में गोचर 07 जुलाई, 2024 की सुबह 4 बजकर 15 मिनट पर कर्क राशि में प्रवेश कर जाएंगे।
प्रश्न 2. शुक्र कर्क राशि में कैसा व्यवहार करता है?
उत्तर 2. शुक्र और चंद्रमा शत्रु हैं और कर्क राशि चंद्रमा द्वारा शासित राशि है, इसलिए शुक्र कर्क राशि में औसत परिणाम देता है।
प्रश्न 3. शुक्र किस राशि में उच्च का होता है?
उत्तर 3. शुक्र मीन राशि में उच्च का होता है।
प्रश्न 4. चंद्रमा द्वारा शासित किसी एक नक्षत्र का नाम बताइए?
उत्तर 4. श्रवण।
इन दो राशियों पर कभी नहीं डालता है राहु तिरछी नज़र, तरक्की एवं समृद्धि का देते हैं आशीर्वाद!
राहु ग्रह को नवग्रह में विशेष स्थान प्राप्त है जो कि छाया ग्रह माने जाते हैं। ज्योतिष के अनुसार, राहु महाराज एक राशि में लगभग 18 महीने के लिए रहते हैं और इसके बाद दूसरी राशि में गोचर कर जाते हैं। ऐसे में, राहु को एक राशि में दूसरी राशि में जाने में काफ़ी समय लग जाता है। हालांकि, इन्हें अक्सर एक अशुभ ग्रह माना जाता है जो जातकों के जीवन को कष्ट एवं दुख से भर देते हैं। लेकिन, ऐसी कुछ राशियां हैं जिनसे राहु देव हमेशा प्रसन्न रहते हैं। एस्ट्रोसेज का यह विशेष ब्लॉग आपको उन भाग्यशाली राशियों के बारे में जानकारी प्रदान करेगा जिन पर राहु अपनी तिरछी नज़र नहीं डालता है। तो बिना देर किये हम आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कौन सी हैं वह शुभ राशियां।
वैदिक ज्योतिष में राहु देव को एक मायावी ग्रह का दर्जा प्राप्त है। वैसे हम आपको यह बता चुके हैं कि राहु छाया ग्रह है, लेकिन छाया ग्रह होने का अर्थ यह नहीं होता है कि राहु हमेशा जातकों को अशुभ फल ही देंगे। कुछ विशेष स्थितियों में राहु देव शुभ एवं सकारात्मक परिणाम भी प्रदान करते हैं। राहु शुभ या मज़बूत स्थिति में होते हैं, तो व्यक्ति को ऐसे शुभ परिणाम देते हैं जिसकी कल्पना करना भी आपके लिए मुश्किल होता है। चलिए आपको अवगत करवाते हैं कि कौन सी है वह परिस्थितियां और किन राशि पर राहु देव मेहरबान रहते हैं।
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कैसा होता है राहु का स्वभाव?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, छाया ग्रह राहु को अनेक घटनाओं का कारक माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि किसी का घमंड तोड़ने में राहु महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मनुष्य के जीवन में होने वाली किसी भी तरह की अच्छी या बुरी घटना के पीछे राहु का हाथ होता है। अगर किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में राहु शुभ या उच्च स्थिति में होते है, तो राहु आपको शुभ परिणाम देने का काम करते हैं। इसके विपरीत. यदि राहु अशुभ या कमज़ोर स्थिति में होते हैं, तो आपके प्रियजनों को स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
राहु को ये दो राशियां हैं बेहद प्रिय, नहीं देखते हैं अपनी तिरछी नज़रों से
ज्योतिष की मानें, तो राहु महाराज राशि चक्र की अधिकांश सभी राशियों पर अपनी तिरछी नजर डालते हैं, परंतु ऐसा नहीं है। सभी 12 राशियों में से केवल ऐसी दो राशियां हैं जिन्हें राहु अच्छे परिणाम देता हैं। आइए जानते उन राशियों के बारे में-
सिंह राशि
सिंह राशि का नाम राहु को सबसे प्रिय राशियों में आता है। ऐसा कहा जाता है कि राहु देव जब सिंह राशि में विराजमान होते हैं, तो इन जातकों के लिए बहुत ही अच्छे परिणाम लेकर आते हैं। इस राशि के लोगों को राहु अचानक से धन लाभ भी प्रदान करते हैं। साथ ही, इन्हें अपने जीवन में बड़े बदलाव भी देखने को मिलते हैं। राहु देव की कृपा से यह लोग सुख-सुविधाओं से पूर्ण जीवन जीते हैं।
वृश्चिक राशि भी राहु को प्रिय राशियों में शामिल हैं और इन पर यह सदैव मेहरबान रहते हैं। ऐसी मान्यता है कि राहु देव की कृपा के शुभ प्रभाव की वजह से ही इन लोगों को अपने करियर में अच्छी उपलब्धियों की प्राप्ति होती हैं। इस राशि के लोग नौकरी के साथ-साथ व्यापार के क्षेत्र में बुलंदियां हासिल करते हैं। राहु महाराज आपको अच्छा धन लाभ भी प्रदान करते हैं।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1. राहु खराब होने पर क्या होता है?
उत्तर 1. राहु अशुभ या कमज़ोर होने पर व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान रहता है और अधिकतर भ्रमित नज़र आता है।
प्रश्न 2. राहु को खुश करने के लिए करना चाहिए?
उत्तर 2. राहु की कृपा के लिए पीपल के पास दीपक जलाएं।
प्रश्न 3. एक राशि में राहु कितने समय तक रहता है?
उत्तर 3. यह एक राशि में 18 महीनों तक रहते हैं।
अगले 10 साल तक इन राशियों पर रहेगी शनि की टेढ़ी नज़र, किसी का साढ़ेसाती से होगा बुरा हाल
शनि उन ग्रहों में से एक हैं जो सबसे धीमी चाल चलते हैं। शनि एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने में ढ़ाई साल का समय लेते हैं। शनि के गोचर करने पर किसी राशि में शनि की साढ़ेसाती की शुरुआत होती है, तो वहीं किसी राशि में इसका अंत होता है।
ऐसा माना जाता है कि शनि की साढ़ेसाती के दौरान जातक को कई प्रकार के कष्टों और समस्याओं का सामना करना पड़ता है। शनि देव को न्याय का देवता कहा गया है जो व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर फल देते हैं।
सभी राशियों में गोचर करने में शनि को लगभग 30 साल का समय लगता है। साल 2023 से शनि देव कुुंभ राशि में बैठे हैं और अब वे अगले साल राशि परिवर्तन करेंगे। शनि के गोचर करने पर किसी राशि पर इनकी टेढ़ी नज़र पड़ेगी, तो वहीं किसी की साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी। आगे जानिए कि साल 2025 में शनि के गोचर करने पर किन राशियों पर शनि की कैसी नज़र रहने वाली है।
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2025 में किस पर शुरू होगी शनि की साढ़ेसाती
साल 2025 में 29 मार्च को शनि देव कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करेंगे। इससे मेष राशि में शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण शुरू होगा। इस प्रकार मीन राशि पर साढ़ेसाती का दूसरा और कुंभ राशि पर आखिरी चरण रहेगा।
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2038 तक इन पर रहेगी शनि की साढ़ेसाती
इस समय शनि देव कुंभ राशि में हैं और अगले साल मार्च माह में वे मीन राशि में चले जाएंगे। 03 जून, 2027 तक कुंभ राशि के लोगों पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव देखने को मिलेगा। जैसे ही शनि देव मीन राशि में प्रवेश करेंगे, वैसे ही मेष राशि के लिए शनि की साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी और यह 2032 तक रहने वाली है।
साल 2027 में वृषभ राशि में शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण शुरू होगा। वहीं 08 अगस्त, 2029 से मिथुन राशि पर साढ़ेसाती शुरू होगी। यह अगस्त 2036 तक चलेगी। मई, 2032 से कर्क राशि में शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव शुरू होगा जो कि 2038 में 22 अक्टूबर तक रहने वाला है। इस तरह 2025 से लेकर 2038 तक शनि की दृष्टि कुंभ, मीन, मिथुन, मेष और कर्क राशि पर रहेगी।
मार्च 2025 में शनि देव के मीन राशि में आने से मकर राशि के लोगों को शनि की साढ़ेसाती से छुटकारा मिल जाएगा। कर्क और वृश्चिक राशि के लोगों को शनि की ढैय्या से मुक्ति मिलेगी।
शनि की साढ़ेसाती साढ़े सात साल की होती है और इसमें तीन चरण होते हैं। इन तीन चरणों के दौरान व्यक्ति को अलग-अलग प्रभाव एवं परिणाम प्राप्त होते हैं।
शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण: यह शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण होता है। इस समय शनि चंद्र राशि से बारहवें घर में गोचर करता है। इस दौरान आर्थिक नुकसान, शत्रुओं की वजह से परेशानियां, बेवजह यात्रा करने, विवाद और पैसों की तंगी का सामना करना पड़ता है। लोगों के अपने सहकर्मियों के साथ अच्छे संबंध नहीं रह पाते हैं। कार्यक्षेत्र में माहौल ज्यादा अनुकूल नहीं रहता है। इन्हें अपने परिवार में भी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इससे इनके जीवन में दबाव और चिंता बनी रहती है।
शनि की साढ़ेसाती का दूसरा चरण: साढ़ेसाती का यह चरण सबसे ज्यादा मुश्किल होता है। इस समय व्यक्ति को स्वास्थ्य समस्याओं, रिश्तों में तकरार, मानसिक आघात और दुखों का सामना करना पड़ता है। इस समयावधि में सफलता प्राप्त करना इनके लिए बहुत मुश्किल हो जाता है। इन्हें अपनी मेहनत का फल नहीं मिल पाता है। वहीं इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमज़ोर रहती है।
शनि की साढ़ेसाती का तीसरा चरण: इस चरण में शनि चंद्र राशि से दूसरे भाव में गोचर करते हैं। इस दौरान व्यक्ति को धन के मामले में और पारिवारिक स्तर पर मुश्किलें देखनी पड़ती हैं। पहले दो चरणों की तुलना में यह समय थोड़ा राहत भरा होता है लेकिन पैसों का दबाव अब भी बना रहता है। खर्चों में वृद्धि होती है। अचानक धन हानि होने से मन परेशान रहता है। आपके यहां चोरी होने की भी आशंका रहती है। ये विचारों से निराशावादी बन जाते हैं।
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इस दिन लगेगा साल का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण, जानें तिथि व समय
सूर्य ग्रहण 2024: ज्योतिष शास्त्र में सूर्य और चंद्र ग्रहण को अत्यंत अशुभ माना गया है जो कि मनुष्य जीवन के साथ-साथ देश-दुनिया को भी प्रभावित करते हैं।हम सब इस बात को भली-भांति जानते हैं किसूर्य और चंद्र ग्रहण समय-समय पर लगते रहते हैं और इसी क्रम में, बीते अप्रैल में साल का पहला सूर्य ग्रहण लगा था और अब जल्द ही वर्ष का दूसरा सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। एस्ट्रोसेज का यह विशेष ब्लॉग आपको वर्ष 2024 के दूसरे एवं अंतिम सूर्य ग्रहण के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेगा जैसे कि तिथि, समय आदि। इसके अलावा, सूर्य ग्रहण के अशुभ प्रभावों से कैसे बचा जा सकता है? इसकी जानकारी भी हम आपको देने जा रहे हैं।
जैसे कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि इस साल का पहला सूर्यग्रहण 8 अप्रैल 2024 को लगा था। यह सूर्य ग्रहण बेहद खास था जो कि 57 सालों के बाद पड़ा था, लेकिन इसे भारत में नहीं देखा जा सका था। अब इस साल का दूसरा ग्रहण बेहद विशेष होने वाला है और यह वर्ष का अंतिम सूर्य ग्रहण भी होगा। साल का दूसरा सूर्य ग्रहण वलयाकार होगा और यह देखने पर रिंग के आकार का दिखाई देगा। अब हम आगे बढ़ते हैं और आपको अवगत करवाते हैं कि वर्ष 2024 का यह दूसरा सूर्य ग्रहण कब पड़ेगा और क्या यह भारत में दिखाई देगा? चलिए जानते हैं।
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साल के दूसरा सूर्य ग्रहण का तिथि एवं समय
हिंदू पंचांग के अनुसार, साल का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि यानी कि 02 अक्टूबर 2024 को बुधवार के दिन पड़ेगा। भारतीय समय के मुताबिक, इस सूर्य ग्रहण का आरंभ रात 09 बजकर 13 मिनट पर होगा जबकि इसका अंत देर रात 03 बजकर 17 मिनट पर हो जाएगा। हम आपको बता चुके हैं कि यह वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा जिसकी कुल अवधि 6 घंटे 4 मिनट होगी। आइए जानते है वलयाकार सूर्य ग्रहण के बारे में।
वैज्ञानिक दृष्टि से, वलयाकार सूर्य ग्रहण को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। बता दें कि जब वलयाकार सूर्य ग्रहण लगता है, उस समय आसमान में सूर्य एक आग के छल्ले के समान दिखाई देता है जिसे रिंग ऑफ फायर भी कहा जाता है। इस ग्रहण के दौरान सूर्य एक चमकदार अंगूठी की तरह प्रतीत होता है।
हालांकि, वलयाकार सूर्य ग्रहण एक अद्भुत और दुर्लभ घटना होती है जो उस समय घटित होती है जब सूर्य के सामने चंद्रमा आ जाता है, लेकिन सूरज को पूरी तरह से ढक नहीं पाता है। इस ग्रहण के तहत चंद्रमा सूर्य केअधिकांश हिस्से को ढक लेता है, लेकिन सूर्य का बाहरी हिस्सा ढक नहीं पाता है और इसे धरती से देखने पर सूर्य एक चमकदार रिंग के समान नज़र आता है।
वर्ष 2024 में लगने वाले पहले सूर्य ग्रहण की तरह ही साल का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण भी भारत में नहीं दिखाई देगा। लेकिन, भारत को छोड़कर इस सूर्य ग्रहण को,अर्जेंटीना, आर्कटिक, दक्षिणी अमेरिका, प्रशांत महासागर, पेरू और फिजी आदि देशों में देखा जा सकेगा।
नोट: वलयाकार सूर्यग्रहण को कभी भी नग्न आंखों से नहीं देखना चाहिए। ऐसे में, आप इस सूर्य ग्रहण को देखने के लिए विशेष चश्मों का उपयोग कर सकते हैं।
अक्टूबर में लगने वाला यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा। धर्म ग्रंथों में सूतक काल को अशुभ माना जाता है और इस अवधि में उनके कार्यों को करना वर्जित होता है। सूर्य ग्रहण का सूतक काल 12 घंटे पहले जबकि चंद्र ग्रहण का सूतक काल 09 घंटे पहले शुरू हो जाता है।
ग्रहण के दौरान क्या करें और क्या न करें?
ग्रहण के दौरान तेल मालिश करने से बचना चाहिए। साथ ही, अपने बाल, दाढ़ी या नाखून भी नहीं काटने चाहिए।
संभव हो, तो ग्रहण लगने पर किसी भी तरह की यात्रा करने से परहेज़ करें।
ग्रहण के शुरू होने से पहले आपको दूध, दही, घी, अचार, चटनी, मुरब्बा जैसे खाद्य पदार्थों में कुशा या तुलसी के पत्ते रखने चाहिए।
आप बीमार होने की स्थिति में दवाई का सेवन कर सकते हैं।
अगर आप गर्भवती हैं, तो ग्रहण की अवधि या सूतक काल में किसी तरह की कटाई-सिलाई, बुनाई आदि कार्य न करें। साथ ही, इस दौरान सोने से भी बचें।
ग्रहण की अवधि में आप धार्मिक ग्रंथो का पाठ या मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
ग्रहण समाप्त होने के बाद पीने का पानी ताज़ा भरना चाहिए।
हम आशा करते हैं कि आपको ये आर्टिकल पसंद आया होगा। एस्ट्रोसेज के साथ जुड़े रहने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1. साल का दूसरा सूर्य ग्रहण कब है?
उत्तर 1. इस वर्ष का दूसरा एवं अंतिम सूर्य ग्रहण 02 अक्टूबर 2024, बुधवार को लगेगा।
प्रश्न 2. क्या यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई देगा?
उत्तर 2. नहीं, यह सूर्य ग्रहण भारत में दृश्यमान नहीं होगा।
प्रश्न 3. सूर्य ग्रहण कितने प्रकार के होता है?
उत्तर.3 सूर्य ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं जो इस प्रकार हैं: आंशिक, वलयाकार और पूर्ण।
शुक्र का कर्क राशि में गोचर: जानें शेयर बाजार समेत देश-दुनिया पर इसका प्रभाव
शुक्र का कर्क राशि में गोचर: एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको शुक्र का कर्क राशि में गोचरके बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। साथ ही, यह भी बताएंगे कि यह देश-दुनिया को कैसे प्रभावित करेगा, इस दौरान शेयर बाजार में क्या-क्या बदलाव देखने को मिलेंगे और साथ ही, इस दौरान हॉलीवुड व बॉलीवुड में आने वाली फिल्में कैसा प्रदर्शन करेगी इस बारे में भी जानकारी हासिल करेंगे। बता दें कि शुक्र 07 जुलाई 2024 को चंद्रमा के स्वामित्व वाली राशि कर्क में गोचर करने जा रहे हैं। तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं इस दौरान देश-दुनिया में इसका अनुकूल व प्रतिकूल प्रभाव।
आकर्षण, ऐश्वर्य, सौभाग्य, धन, प्रेम और वैभव के कारक ग्रह शुक्र 07 जुलाई, 2024 की सुबह 4 बजकर 15 मिनट पर कर्क राशि में प्रवेश कर जाएंगे। बता दें कि शुक्र अस्त अवस्था में कर्क राशि में प्रवेश करेंगे और 11 जुलाई को पुन: इसी राशि में उदित हो जाएंगे तथा 19 जुलाई, 2024 को सूर्य के स्वामित्व वाली राशि सिंह राशि में गोचर करेंगे। शुक्र और चंद्रमा आपस में शत्रुता का भाव रखते हैं इसलिए कर्क राशि में शुक्र का गोचर बहुत अधिक अनुकूल प्रतीत नहीं हो रहा है।
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कर्क राशि में शुक्र: विशेषताएं
कर्क राशि में शुक्र के होने जातक अपने पार्टनर, परिवार या प्रियजनों के साथ गहरे संबंध रखते हैं। आप अपने साथी के प्रति अत्यधिक सुरक्षात्मक और ईमानदार हो सकते हैं। आप ऐसे व्यक्ति की ओर अधिक आकर्षित होते हैं जो परिवार और रिश्तों को अच्छे से समझने में सक्षम हों। कर्क राशि में शुक्र यह दर्शाता है कि आपकी रचनात्मकता और संवेदनशीलता आपको करियर में उत्कृष्ट बनाती है। इस अवधि में जो जातक नर्सिंग, शिक्षक, काउंसलिंग जैसे क्षेत्रों से जुड़े हैं, उन्हें सफलता प्राप्त होगी।
कर्क राशि में शुक्र इस बात को दर्शाता है कि आप बहुत अधिक भावनात्मक और संवेदनशील हैं। आप अपने रिश्तों को सावधानी और समझदारी से संभाल सकते हैं और यदि आप किसी रचनात्मक कार्य करते हैं तो आपको सफलता मिलने की संभावना है। कर्क राशि में शुक्र का गोचर हमारे जीवन को महत्वपूर्ण तरीकों से प्रभावित कर सकती है। इस अवधि के दौरान, आप अधिक भावनात्मक हो सकते हैं। हालांकि, यह अवधि खुद की देखभाल करने, रिश्तों में प्यार बढ़ाने और रचनात्मक कार्य करने के लिए बेहद अवधि साबित हो सकती है।
शुक्र का कर्क राशि में गोचर: आने वाली बॉलीवुड व हॉलीवुड फिल्मों में इसका प्रभाव
शुक्र कला और मनोरंजन पर शासन करने वाला ग्रह है और इस गोचर का प्रभाव जिस प्रकार देश-दुनिया पर पड़ेगा उसी प्रकार बॉलीवुड और हॉलीवुड फिल्मों में भी देखने को मिलेगा। शुक्र और चंद्रमा दो ग्रह हैं जो जन्म कुंडली में रचनात्मकता का प्रतिनिधित्व करते हैं। शुक्र अब 07 जुलाई को कर्क राशि में गोचर करने जा रहे हैं तो ऐसे में देखते हैं कि इस गोचर का फिल्मों और उनके बॉक्स ऑफिस कलेक्शन पर क्या प्रभाव पड़ेगा। कर्क राशि पर चंद्रमा का शासन है और शुक्र और चंद्रमा दोनों ही फ़िल्म या मनोरंजन उद्योग में करियर बनाने में सहायक होते हैं।
07 जुलाई 2024 के बाद रिलीज़ होने वाली बॉलीवुड और हॉलीवुड फिल्में
फिल्म का नाम
स्टार कास्ट
रिलीज़ की तारीख़
सरफिरा
अक्षय कुमार, राधिका मदान
12 जुलाई, 2024
फ्लाई मी टू द मून
स्कारलेट जोहानसन, चैनिंग टैटम
12 जुलाई, 2024
बैड न्यूज़
विक्की कौशल, तृप्ति डिमरी
19 जुलाई, 2024
शुक्र का कर्क राशि में गोचर 07 जुलाई 2024 के बाद होने वाली बॉलीवुड और हॉलीवुड फिल्मों के लिए अनुकूल साबित हो रही है। इस बात की प्रबल संभावना है कि वे सभी फिल्में बड़े पर्दे पर बहुत अच्छा प्रदर्शन कर सकती हैं। हालांकि, सरफिरा और फ्लाई मी टू द मून जैसी बड़ी फिल्मों का प्रदर्शन औसत रह सकता है, लेकिन विक्की कौशल और तृप्ति डिमरी की फिल्म बैड न्यूज़ बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन कर सकती है और हिट फिल्म बन सकती है।
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शुक्र का कर्क राशि में गोचर: शेयर बाजार की भविष्यवाणी
शुक्र उन प्रमुख ग्रहों में से एक है जो शेयर बाजार को काफी हद तक प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। शुक्र कर्क राशि में गोचर कर रहे हैं, जिस पर चंद्रमा ग्रह का शासन हैं। आइए देखते हैं कि शुक्र का कर्क राशि में गोचर के दौरान शेयर बाजार में किस तरह के बदलाव देखने को मिलेंगे। शेयर बाजार भविष्यवाणी 2024 के अनुसार,
कर्क राशि में शुक्र के गोचर से डेयरी और रासायनिक उद्योगों को लाभ प्राप्त हो सकता है।
इस गोचर के दौरान वस्त्र उद्योग के साथ-साथ फैशन एक्सेसरीज उद्योग में भी तेजी देखने को मिल सकती है।
व्यावसायिक परामर्श और लेखन या मीडिया विज्ञापन-संबंधी फर्में, और प्रिंट मीडिया, दूरसंचार व प्रसारण उद्योग के सभी बड़े नाम सकारात्मक परिणामों का अनुभव कर सकते हैं।
वास्तुकला और वित्त से जुड़ी फर्मों को इस गोचर से लाभ होगा।