सूर्य के गोचर से चमक उठेगी इन जातकों की किस्मत, जानें कैसे मिलेंगे आपको परिणाम

ज्योतिष में सूर्य ग्रह का विशेष महत्व है और इन्हें ग्रहों के मंत्रिमंडल में राजा का स्थान प्राप्त है। कालपुरुष की कुंडली में सूर्य को पांचवें स्थान प्राप्त है और यह सिंह राशि के स्वामी हैं। सभी 7 ग्रहों में से सूर्य और चन्द्रमा की ही एक राशि होती है बाकी सभी ग्रहों को दो राशि का स्वामित्व प्राप्त है। सूर्य अपनी ही सिंह राशि में मूल त्रिकोण होता है वही मेष राशि में यह उच्च के और तुला में यह नीच के माने जाते हैं। 

बता दें कि सूर्य जल्द ही अगस्त माह में सिंह राशि में गोचर करने जा रहे हैं। इस ख़ास ब्लॉग के माध्यम से जानेंगे अगस्त के दूसरे सप्ताह में सिंह राशि में सूर्य के गोचर की ये ज्योतिषीय घटना सभी 12 राशियों को किस तरह से प्रभावित करेगी, ज्योतिष में सूर्य के गोचर का क्या महत्व होता है, साथ ही जानेंगे सूर्य के गोचर के नकारात्मक प्रभावों से बचने के कुछ बेहद सरल और ज्योतिषीय उपायों की जानकारी। लेकिन, इससे पहले जान लेते हैं सूर्य का सिंह राशि में गोचर करने की समयावधि।

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सूर्य का सिंह राशि में गोचर: समय व तिथि

मान-सम्मान, उच्च पद और नेतृत्व क्षमता का कारक ग्रह सूर्य अपनी स्वयं की राशि सिंह में गोचर करने जा रहे हैं। सूर्य 16 अगस्त 2024 की शाम 07 बजकर 32 मिनट पर सिंह राशि में गोचर करेंगे। सूर्य के राशि परिवर्तन अथवा नक्षत्र परिवर्तन से सभी राशियों के जीवन में कई बदलाव आते हैं। ज्योतिष विद्वानों के अनुसार, जिस व्यक्ति की कुंडली में सूर्य मजबूत अवस्था में होते हैं, उन्हें सभी प्रकार की सफलताएं प्राप्त होती है, वहीं सूर्य ग्रह के कमजोर होने से जीवन में कई नकारात्मक घटनाएं भी घटित होती है। जिस व्यक्ति की कुंडली में सूर्य कमजोर होते हैं, उन्हें इससे जुड़े लक्षण भी दिखाई देते हैं। 

सूर्य ग्रह का ज्योतिष में महत्व

वैदिक ज्योतिष में ग्रहों के राजा सूर्य जन्म कुंडली में पिता का प्रतिनिधित्व करता है। जबकि किसी सुहागन महिला की कुंडली में यह उसके पति के जीवन का वर्णन करता है। इसके अलावा, सेवा क्षेत्र में सूर्य उच्च व प्रशासनिक पद तथा समाज में मान-सम्मान को दर्शाता है। मजबूत सूर्य से जातक के नेतृत्व करने की क्षमता बेहतर होती है। 

जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में सूर्य लग्न यानी पहले भाव में होते हैं, तो उसका चेहरा बड़ा और गोल होता है। उन जातकों की आंखों का रंग शहद के रंग जैसा होता है। व्यक्ति के शरीर में सूर्य उसके हृदय को दर्शाता है। सूर्य पुरुषों की दाईं आंख और स्त्रियों की बाईं आंख को दर्शाता है। यदि जन्म कुंडली में सूर्य किसी ग्रह से पीड़ित हो तो यह हृदय और आंख से संबंधित रोगों को जन्म दे सकती है। यदि सूर्य शनि ग्रह से पीड़ित हो तो जातक निम्न रक्त दाब जैसी बीमारियों से ग्रस्त रहता है। 

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सूर्य ग्रह का धार्मिक महत्व

सूर्य को सौर मंडली का राजा कहा जाता है। ज्योतिष के कुछ ग्रंथों और पुराणों में सूर्य को सूर्य देव से जोड़कर भी देखा जाता है और सूर्य की विधि-विधान से पूजा की जाती है। मान्यता के अनुसार, सूर्य महर्षि कश्यप के पुत्र हैं और इनकी माता अदिति हैं। जिसके कारण सूर्य का एक नाम आदित्य भी है। जातक  चिकित्सीय और आध्यात्मिक लाभ पाने के लिए सूर्य को नित्य दिन जल अर्पित व सूर्य नमस्कार करते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार रविवार का दिन सूर्य को समर्पित है जो कि सप्ताह का एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।

यंत्र: सूर्य यंत्र

मंत्र: ॐ भास्कराय नमः

रत्न:  माणिक्य

रंग: पीला/ केसरिया

जड़: बेल मूल

कुंडली के अलग-अलग भावों में सूर्य का प्रभाव

कुंडली के पहले भाव में सूर्य का प्रभाव 

यदि किसी जातक की कुंडली में पहले भाव में सूर्य विराजमान हैं, तो ऐसी स्थिति में माता के साथ संबंध मजबूत होंगे और भाग्य का आपको साथ मिलेगा। हालांकि, बचपन में आपको कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से गुजरना पड़ सकता है। इसके साथ पहले भाव में सूर्य का प्रभाव आपको स्वभाव में क्रोध करने वाला बना सकता है में इसलिए क्रोध पर नियंत्रण रखना आपके लिए बहुत जरूर है। 

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कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य का प्रभाव

यदि कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य विराजमान हो तो जातक मल्टी टैलेंटेड हो सकता है। कलात्मक व रचनात्मक क्षेत्र में आपको बहुत अधिक सफलता प्राप्त हो सकती है। हालांकि, पारिवारिक जीवन में कुछ उतर-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही, इस भाव में बैठा सूर्य जीवनसाथी के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डाल सकता है।

कुंडली के तीसरे भाव में सूर्य का प्रभाव

तीसरा भाव पराक्रम का होता है और इस भाव में सूर्य के होने से व्यक्ति साहसी और आत्मविश्वासी बनता है। ऐसे लोग अच्छे शिक्षक हो सकते हैं और अपनी बातों को स्पष्टता से दूसरों के सामने रख सकते हैं। इस भाव में सूर्य जीवन में चुनौतियां भी ला सकता है इसलिए आपको इसके लिए तैयार रहना होगा। 

कुंडली के चौथे भाव में सूर्य का प्रभाव

सूर्य देव यदि आपके चौथे भाव में बैठे हों तो यह आपको अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करता है। साथ ही, ऐसे लोगों में पैसे की बचत करने का भी अच्छा गुण देखा जाता है। हालांकि, ऐसे लोगों को बुरी संगति और बुरी लत से बचकर रहना चाहिए क्योंकि ये दोनों उन्हें बर्बादी तक लग सकता है। कुछ नया करके या कोई रिसर्च करके ऐसे लोग तेज़ी से आगे बढ़ते हैं। 

कुंडली के पांचवें भाव में सूर्य का प्रभाव

सूर्य का पांचवें भाव में होना आपको बौद्धिक कौशल प्रदान करता है। ऐसे लोग अच्छे विद्यार्थी होते हैं और शिक्षा के क्षेत्र में खूब उपलब्धियां हासिल करते हैं। ऐसे लोगों की सलाह व राय किसी को भी फायदा पहुंचा सकती है। लेकिन इस भाव में सूर्य का होना आपको स्वभाव में गुस्से वाला बना सकती है और कभी-कभी आपको अपने गुस्से पर काबू पाना मुश्किल लग सकता है।

कुंडली के छठे भाव में सूर्य का प्रभाव

सूर्य यदि छठे भाव में मौजूद हों, तो ऐसे लोग अपने शत्रुओं और विरोधियों पर हावी रहते हैं और इनके स्वभाव में कठोरता भी देखने को मिलती है। ऐसे लोगों को स्वास्थ्य से जुड़ी कोई बड़ी समस्या नहीं होती है और ये बेहतर स्वास्थ्य का आनंद लेते हैं। हालांकि, ऐसे लोगों को अपनी आंखों का ख्याल भी रखना चाहिए। साथ ही, ननिहाल पक्ष के लोगों के लिए सूर्य का इस भाव में बैठना अच्छा नहीं माना जाता। 

कुंडली के सातवें भाव में सूर्य का प्रभाव

इस भाव में सूर्य का बैठना बहुत अधिक अनुकूल नहीं माना गया है। सातवें भाव में सूर्य के होने से व्यक्ति अधिक अहंकारी स्वभाव का बन सकता है और सामाजिक स्तर पर ऐसे लोगों को परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं। आर्थिक स्थिति और पारिवारिक जीवन के लिए भी सूर्य की यह स्थिति शुभ नहीं मानी गयी है।

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कुंडली के आठवें भाव में सूर्य का प्रभाव

आठवें भाव में बैठा सूर्य व्यक्ति को मिले-जुले परिणाम देता है। ऐसे लोग कई बार जल्दबाजी में अपना ही नुकसान कर बैठते हैं और कई बार जल्दबाजी में ही अपने लिए गलत निर्णय ले बैठते हैं। इन जातकों को हृदय से संबंधित परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, आर्थिक रूप से आप मजबूत रहते हैं और धन की बचत करने में भी सक्षम होते हैं। ये जातक कुछ ऐसा कर सकते हैं, जिससे देश-दुनिया में खूब मान-सम्मान प्राप्त करते हैं।

कुंडली के नौवें भाव में सूर्य का प्रभाव

इस भाव में बैठे सूर्य के परिणामस्वरूप जातक की नेतृत्व करने की क्षमता बेहतर होती है। ऐसे लोग आध्यात्मिक क्षेत्र में भी आगे बढ़ सकते हैं। साथ ही, इन्हें विदेश में घूमने का भी अच्छा मौका मिलता है और विदेशों से लाभ भी प्राप्त करते हैं। हालांकि यह स्थिति संतान पक्ष के लिए बहुत अनुकूल नहीं मानी गई है। 

कुंडली के दसवें भाव में सूर्य का प्रभाव

दसवें भाव में सूर्य की स्थिति जातक को बुद्धिमान और तेज दिमाग बनाती है। ऐसे लोग सही समय पर सही फैसला लेने वाले माने जाते हैं। सरकारी क्षेत्रों से ऐसे लोगों को लाभ की प्राप्ति होती है। सूर्य की यह स्थिति माता के लिए बहुत अधिक अनुकूल नहीं मानी गई है। ऐसे जातक गलत कार्यों में लिप्त रहते हैं और नकारात्मक विचारों से घिरे रहते हैं।

कुंडली के ग्यारहवें भाव में सूर्य का प्रभाव

एकादश भाव यानी ग्यारहवें भाव को लाभ का भाव कहा जाता है और इस भाव में सूर्य के होने से जातक को खूब धन लाभ होता है। ऐसे लोग कम बोलने वाले और ज्यादा सुनने वाले होते हैं। आध्यात्मिक गतिविधियों की तरफ इनका झुकाव बहुत अधिक होता है और ये धर्म कर्म के कामों में बहुत अधिक भाग लेते हैं। हालांकि, यह स्थिति संतान पक्ष को कुछ परेशानियां दे सकती है। 

कुंडली के बारहवें भाव में सूर्य का प्रभाव

सूर्य का बारहवें भाव में मौजूदगी आपको परोपकारी बनाता है। ये जातक शुरुआती जीवन में बहुत अधिक परेशान रहते हैं और कई चुनौतियों का भी इन्हें सामना करना पड़ सकता है। लेकिन, धीरे-धीरे आपकी स्थिति में सुधार देखने को मिल सकता है। विदेशी कारोबार करने वालों या घूमने-फिरने के शौकीन लोगों के लिए सूर्य का इस भाव में होना बहुत अधिक अनुकूल साबित होता है।

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सूर्य ग्रह को मजबूत करने के उपाय

  • कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत करने के लिए कम से कम 11 रविवार तक व्रत रखें और सूर्य को अर्घ्य दें।
  • कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत करने के लिए सूर्य के 12 नामों का नियमित रूप से जाप करें।
  • सूर्य ग्रह को बलवान बनाने के लिए हर रविवार लाल वस्त्र या तो धारण करें या दान करें।
  • इसके अलावा ‘ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:’ मंत्र का जाप करें।
  • कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत करने के लिए सूर्य को जल देने से पहले उसमें लाल चंदन मिलाएं।
  • कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत करने के लिए मात्र 11 रविवार तक नमक और उससे बने भोजन का सेवन न करें।
  • सूर्य को मजबूत बनाने के लिए रविवार के दिन दलिया, दूध चीनी, घी और गेहूं आदि का सेवन अवश्य करें।
  • कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत करने के लिए प्रत्येक रविवार गुड़ का दान करें और गरीब व जरूरतमंदों की सेवा करें।
  • कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत करने के लिए अगर आपकी क्षमता हो तो आप माणिक्य रत्न धारण कर सकते हैं।
  • कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत करने के लिए सबसे सरल व श्रेष्ठ उपाय है कि हर रविवार को सूर्य चालीसा का पाठ करें।

सूर्य का सिंह राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय 

मेष राशि 

आपको जीवन में प्रगति देखने को मिलेगी और आप आराम से अपना जीवन यापन करेंगे। इस अवधि…(विस्तार से पढ़ें)

वृषभ राशि 

करियर के मोर्चे पर, आपको कार्यक्षेत्र में लाभ प्राप्त होगा और नौकरी में अच्छी प्रगति देखने को मिलेगी…(विस्तार से पढ़ें)

मिथुन राशि 

करियर के मोर्चे पर, आपको विदेश में नौकरी के नए अवसर मिल सकते हैं और ऐसे अवसर…(विस्तार से पढ़ें)

कर्क राशि

आपके अंदर आत्मविश्वास में कमी देखने को मिल सकती है और साथ ही…(विस्तार से पढ़ें)

सिंह राशि 

आप विदेश में काम करके सफलता प्राप्त कर सकते हैं या आपको विदेश जाने का…(विस्तार से पढ़ें)

कन्या राशि 

आपको नौकरी में दबाव का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, कुछ लोगों के …(विस्तार से पढ़ें)

तुला राशि 

आपको कार्यक्षेत्र में भाग्य का साथ प्राप्त होगा और आप अपने मजबूत प्रयासों से सफलता …(विस्तार से पढ़ें)

वृश्चिक राशि 

आपको कार्यक्षेत्र में अधिक लाभ की प्राप्ति होगी और आपके काम की सराहना होगी…(विस्तार से पढ़ें)

धनु राशि 

आप काम के माध्यम से लाभ प्राप्त करने के लिए भाग्यशाली हो सकते हैं और किसी…(विस्तार से पढ़ें)

मकर राशि 

आप बेहतर संभावनाओं के लिए अपनी वर्तमान नौकरी बदल सकते हैं और…(विस्तार से पढ़ें)

कुंभ राशि 

आप अपने काम के माध्यम से लाभ प्राप्त करने और विदेश में काम करने का शानदार अवसर आपको प्राप्त होगा…(विस्तार से पढ़ें)

मीन राशि 

पैतृक संपत्ति के माध्यम से लाभ हो सकता है या आपको आसानी से ऋण प्राप्त हो सकता… (विस्तार से पढ़ें)

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. सूर्य का सिंह राशि में गोचर कब होने जा रहा है?

उत्तर. सूर्य का सिंह राशि में गोचर 16 अगस्त 2024 की शाम 07 बजकर 32 मिनट पर होगा। 

प्रश्न 2. ज्योतिष में सूर्य का गोचर क्या है?

उत्तर. सूर्य हर महीने एक राशि से दूसरी राशि में अपना स्थान बदलता है और ठीक उसी तरह सूर्य पूरे साल सभी राशियों में गोचर करता है। ज्योतिष में सूर्य के गोचर का विशेष महत्व है।

प्रश्न 3. सूर्य कौन सी राशि में उच्च का होता है?

उत्तर. ज्योतिष में सूर्य को ग्रहों का राजा कहा गया है और सूर्य आत्मा, सरकारी नौकरी, प्रशासन, सोना, पिता के कारक ग्रह हैं। सूर्य ‘सिंह’ राशि के स्वामी हैं और ‘मेष’ उनकी उच्च राशि है।

प्रश्न 4. सूर्य का गोचर कितने दिनों का होता है?

उत्तर. सूर्य ग्रह का गोचर 29 से 30 दिन का होता है।

15 अगस्त 2024 – नए भारत का 78वां स्वतंत्रता दिवस

15 अगस्त 2024 – 78वां स्वतंत्रता दिवस (15th August, 2024, the 78th Independence Day of India)एक विकसित भारत का स्वप्न – किसी भी राष्ट्र के लिए उसके स्वाधीनता दिवस का विशेष महत्व होता है। ठीक उसी प्रकार, भारत का स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को मनाया जाता है और इस बार वर्ष 2024 में यह एक नए उभरते हुए भारत का 78वां स्वतंत्रता दिवस होने वाला है। यह एक राष्ट्रीय पर्व है जो सभी भारतवासियों के लिए एक विशेष गौरव का पल लेकर आता है। इसे न केवल भारत में रहने वाले भारतीय नागरिक अपितु संपूर्ण विश्व में रहने वाले भारतवंशी अपनी-अपनी तरह से मनाते हैं। यह प्रत्येक भारतवासी को जोश और जुनून से भर देता है क्योंकि यह हमें याद दिलाता है कि हमारे इस महान देश को अंग्रेजों से मुक्ति दिलाने के लिए हमारे रणबांकुरों ने अपना तन-मन-धन न्योछावर किया था और उन्हीं के बलिदानों के फलस्वरूप हमें यह आजादी 15 अगस्त 1947 को प्राप्त हुई थी। 

भारत विश्व के सर्वाधिक महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक देशों में शुमार है और अब यह एक उभरती हुई वैश्विक अर्थव्यवस्था का हिस्सा है। भारत युवाओं का देश भी कहा जाता है क्योंकि यहां अधिकांश युवा रहते हैं। इन युवाओं के मन में देश प्रेम का जज्बा 15 अगस्त के दिन विशेष रूप से जोर पकड़ता है, जो इन्हें अपने देश की धरोहरों को समझने, अपनी सभ्यता और संस्कृति को अपनाने और अपने देश के लिए कुछ कर गुजरने का हौसला प्रदान करता है। यह 15 अगस्त 2024 जो कि भारत का 78 वां स्वतंत्रता दिवस होने वाला है, प्रत्येक भारतीय के लिए गौरवपूर्ण राष्ट्रीय पर्व है और इसे प्रत्येक भारतवासी को पूरे मन से मनाना चाहिए। भारत की स्वाधीनता को प्रदर्शित करने वाले इस 78वें स्वतंत्रता दिवस पर ज्योतिष और कुंडली के माध्यम से जानते हैं कि कैसा रहने वाला है भारत का भविष्य? क्या भारत को फिर एक बार मिलेगा विश्व गुरु का दर्जा, क्या भारत की अर्थव्यवस्था नई ऊंचाइयां छुएगी, क्या भारत का होगा समृद्ध विकास या अनेक चुनौतियां हमारा इंतजार कर रही हैं। यह सब कुछ जानने के लिए की 15 अगस्त 2024 से आगे वाले एक वर्ष के दौरान हमारे भारत देश में किस तरह की परिस्थितियों का निर्माण होगा और उनसे हमारा देश किस दिशा में जाएगा, इसकी एक झलक आपको इस लेख में जानने को मिलेगी। इस लेख को एस्ट्रोसेज के जाने-माने ज्योतिषाचार्य एस्ट्रोगुरु मृगांक ने तैयार किया है। 

वर्तमान समय में यदि भारत के स्वतंत्रता दिवस की बात की जाए तो यह 78वां भारतीय स्वाधीनता दिवस हमें बताता है कि यह स्वाधीनता हमें आसानी से नहीं मिली बल्कि पूरे विश्व में अपनी सोच, समझ, संस्कृति, सभ्यता, ज्ञान, बल का डंका बजाने वाले भारत को उसके रणबांकुरों के बलिदान के कारण प्राप्त हुई है। 15 अगस्त की तारीख न केवल भारतीय अपितु संपूर्ण विश्व के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखती है क्योंकि इसी दिन अंग्रेजों की गुलामी और उनकी दास्तान से भारतीयों को मुक्ति मिली थी और भारत का एक आजाद मुल्क यानी स्वतंत्र राष्ट्र बनने का सपना पूरा हुआ था। 

आज हमारे यहां अपनी चुनी हुई सरकार है जो हमें स्वतंत्र होने का गर्व अनुभव कराती है और वही हमारा अपना एक ध्वज है जिसे हम तिरंगे के नाम से लहराते हैं और जब भी हमारे देश में कोई राष्ट्रीय पर्व होता है तो तिरंगे की आन-बान-शान को हम अपनी आन-बान समझते हैं। यही हमारे देश को एकता और अखंडता के सूत्र में पिरोए रखता है। आज जब 15 अगस्त का त्योहार मनाया जाता है तो प्रत्येक देशवासी पूरे दिल से इस‌ पर्व को मनाता है और इस दिन तिरंगे झंडे को लहराता है जो हमें यह बताता है कि जीवन में कुछ भी प्राप्त करना असंभव नहीं है लेकिन उसके लिए हमें तत्पर रहना होगा और एक निश्चित उद्देश्य के लिए सदैव अपने प्रयत्न करते रहना होगा।

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15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस एक ऐसा महान दिन है जब हमें यह निश्चय करते हुए प्रण लेना चाहिए कि हम एक भारतवासी के रूप में अपने देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए हर संभव कोशिश करेंगे। हम जात-पात और अमीर-गरीब जैसी छोटी बातों को दरकिनार करते हुए अपने देश की उन्नति के लिए अपना सर्वस्व लगाने को तैयार रहेंगे। हम न तो भ्रष्टाचार करेंगे न भ्रष्टाचार को पनपने देंगे। हम वंचितों को लाभ प्राप्त करने में मदद करेंगे और गरीबों की सहायता करेंगे। जब हम मन से सबको समान समझेंगे तो असमानता की भावना स्वत: ही दूर हो जाएगी। इसके साथ ही हमारे समाज में जो वर्तमान समय में कुछ कुरीतियां हैं, उन्हें दूर करने का प्रयास करना होगा जिनमें महिलाओं का सम्मान करना और सबसे ज्यादा देश के कानून का पालन करना, संविधान में आस्था रखना, कर चोरी से बचना, समय पर अपना कर चुकाना और जनसंख्या नियंत्रण करना आदि ऐसी बातें हैं जिसके लिए भारत की जनता का जागरूक होना भी आवश्यक है क्योंकि इन सभी चुनौतियों को दूर करते हुए ही हम अपने देश को एक समृद्ध राष्ट्र बना सकते हैं और तभी हमारा राष्ट्र उन्नति कर सकता है। हमें सभी को समान मानना होगा क्योंकि हम सभी भारतीय हैं।

बृहत् कुंडली से आपको अपने जीवन में ग्रहों के प्रभाव को समझने में मदद मिलेगी। 

उभरते हुए भारत की नई तस्वीर और देश के नागरिकों के लिए भविष्य का भारत 

हमारा भारत वर्ष प्राचीन काल से मौजूद है और भारत की प्रभाव राशि मकर है लेकिन कई बार ज्योतिषीय गणनाओं को सरल बनाने के उद्देश्य से हमें कुछ कुंडलियों की आवश्यकता होती है जो हमें किसी विशेष समय खंड में किसी विशेष राष्ट्र के बारे में जानकारी प्रदान करती है। यदि वर्तमान समय की बात की जाए तो हम मानते हैं कि जन्म कुंडली उनकी होती है जिनका जन्म होता है और भारत तो प्राचीन काल से ही दुनिया में उपस्थित था। मकर राशि प्रभाव राशि होने के कारण शनि प्रधान देश भारत को माना जाता है और यही कारण है कि भारत में सेवा प्रदाता क्षेत्र सबसे अधिक पाया जाता है। यहां पर श्रमिक और मजदूर वर्ग बहुतायत से मिल जाते हैं, जिन्हें विदेश में भी खूब अच्छे स्तर पर काम करने का मौका मिलता है। 

हमारे देश में शारीरिक मेहनत करने वाले लोग अधिक मिलते हैं और यही वजह है कि जुझारू होने के कारण यह जीवन में आने वाली चुनौतियों का आसानी से सामना कर पाते हैं। भारत को 15 अगस्त 1947 की मध्य रात्रि में औपनिवेशिक दासता से मुक्ति मिली थी और इस प्रकार भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा प्राप्त करने वाला देश बना। उसी समय को हम स्वतंत्र भारत की जन्म कुंडली बनाने के लिए प्रयोग करते हैं और उसी के आधार पर स्वतंत्र भारत की कुंडली का निर्माण किया जाता है। इसके आधार पर यह देखा जाता है कि किसी खास वर्ष में या आने वाले वर्षों में देश की स्थिति किस प्रकार की रहेगी, किस प्रकार की उपलब्धियां मिल सकती हैं और किन क्षेत्रों में चुनौतियां आने की स्थिति बनेगी। 

स्वतंत्र भारत वर्ष की कुंडली

  • स्वतंत्र भारत की उपरोक्त कुंडली में वृषभ लग्न उदित हो रहा है और लग्न के स्वामी शुक्र तीसरे भाव में विराजमान हैं। 
  • लग्न में ही राहु की उपस्थिति एक मजबूत स्थिति को दर्शाती है। हालांकि इससे कई बार यह भी पता चलता है कि हम कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं।
  • वृषभ लग्न एक स्थिर लग्न है। वृषभ लग्न की खासियत है कि यह स्वयं किसी को कष्ट नहीं देते अपितु मेहनत के द्वारा अपने सभी कार्यों में सफलता अर्जित करते हैं, लेकिन कोई इन्हे तंग करें या परेशान करे तो फिर यह उसे भरपूर सबक सिखाते हैं। यही स्थिति भी हमारे देश की है। हम स्वयं पहले किसी देश पर आक्रमण नहीं करते लेकिन कोई हमारे देश को कष्ट पहुंचाने का प्रयास करे तो हमारे देश के द्वारा उसे भरपूर जवाब भी मिलता है।
  • लग्न में स्थिर राशि के उदय होने के कारण देश में एकता और अखंडता की स्थिति मजबूत रूप से दिखाई देती है और इससे देश के अस्तित्व को बल मिलता है।
  • दूसरे भाव से बैंक और वित्तीय संस्थानों को देखा जाता है। सेनापति मंगल जो सप्तम और द्वादश भाव के स्वामी हैं, कुंडली के दूसरे भाव में विराजमान हैं जिससे विदेशी माध्यमों और जनता के द्वारा वित्तीय संस्थानों को मजबूती प्राप्त होती है और विदेशी निवेश हमें लाभ देता है। इसके अतिरिक्त मंगल के कारण ही हमारे प्रधान नेताओं की वाणी में गर्व भी झलकता दिखाई देता है।
  • तीसरे भाव से हमारे सहयोगी और मित्र देशों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। तीसरे भाव में कर्क राशि में चंद्रमा स्वराशि के होकर शुक्र, बुध और शनि के साथ तथा सूर्य की उपस्थिति में विराजमान हैं। इस प्रकार तीसरे भाव में पंचग्रही योग बन रहा है और शनि तथा शुक्र अस्त अवस्था में हैं। इतने ग्रहों का प्रभाव होने के कारण ही भारत की सीमाएं अनेक राष्ट्रों से मिलती हैं और भारत के अनेक पड़ोसी देश हैं।
  • तीसरे भाव में विभिन्न प्रकृति के ग्रह होने के कारण पड़ोसी देशों में कुछ हमारे मित्र तो कुछ शत्रुता का व्यवहार करते हैं और कुछ सम अवस्था में हैं।
  • देवगुरु बृहस्पति जो कि अष्टम और एकादश भाव के स्वामी हैं, कुंडली के छठे भाव में विराजमान हैं।
  • इससे अगले भाव में यानी कि वृश्चिक राशि में सप्तम भाव में केतु महाराज विराजमान हैं।
  • यदि लग्न कुंडली के साथ नवमांश कुंडली का अध्ययन किया जाए तो इसमें लग्न कुंडली का एकादश भाव यानी कि मीन राशि उदित हो रही है। एकादश भाव का नवांश राशि में उदित होना बताता है कि देश की आर्थिक उन्नति होने की अच्छी स्थिति है और देश को पूरी दुनिया में मान-सम्मान के साथ ऊंचाइयां प्राप्त होने के योग बनेंगे। 
  • नवमांश कुंडली के लग्न में सूर्य महाराज विराजमान हैं। बृहस्पति महाराज वृषभ राशि में तीसरे भाव में हैं।
  • चंद्रमा केतु के साथ छठे भाव में उपस्थित हैं।
  • बुध महाराज वृश्चिक राशि में नवम भाव में और मंगल धनु राशि में दशम भाव में स्थित हैं।
  • इसके अतिरिक्त शुक्र और शनि एकादश भाव में मकर राशि में तथा द्वादश भाव में कुंभ राशि में राहु उपस्थित हैं। 
  • सूर्य का लग्न भाव में उपस्थित होना बताता है कि हमारे देश का डंका पूरे विश्व में बजेगा और भारत को सम्मान की दृष्टि से देखा जाएगा। हालांकि छठे भाव में चंद्रमा, केतु और राहु के प्रभाव से पीड़ित होने के कारण कई बार हमें ऐसी घटनाओं का सामना करना पड़ेगा जिससे देश के लोगों के मन में अत्यंत भावुकता बढ़ेगी और गलत कार्य करने वालों के प्रति क्रोध की अधिकता हो सकती है। 
  • नवमांश कुंडली में नवमेश मंगल का दशम भाव में जाना बताता है कि हम अपने कार्यों से संपूर्ण विश्व में अच्छा स्थान बना सकते हैं। 
  • इसी नवमांश कुंडली में एकादश भाव में शनि और शुक्र का उपस्थित होना यह बताता है कि हम किसी भी चुनौती का सामना करने से घबराते नहीं हैं और हर काम को दृढ़ निश्चय के साथ पूरा करते हैं जिससे अर्थव्यवस्था और सैन्य क्षेत्र में भी मजबूती प्राप्त होने के सुंदर योग बनते हैं।
  • अब यदि महादशा का अवलोकन किया जाए तो हम देखेंगे कि वर्तमान समय में स्वतंत्र भारत की कुंडली में चंद्रमा की महादशा और शुक्र की अंतर्दशा चल रही है। यह मार्च 2025 तक प्रभावी रहेगी।
  • इस प्रकार आने वाले पूरे वर्ष में हमें चंद्रमा की महादशा और शुक्र की अंतर्दशा का प्रभाव मिलेगा और उसके बाद चंद्रमा की महादशा में सूर्य की अंतर्दशा का प्रभाव नज़र आएगा जिसमें विभिन्न ग्रहों की प्रत्यंतर दशाएं आती-जाती रहेंगी। 
  • यदि ग्रह-गोचर की बात की जाए तो मुख्य ग्रहों में बृहस्पति का गोचर स्वतंत्र भारत की कुंडली के लग्न भाव यानी कि प्रथम भाव में हो रहा है तो शनि महाराज दशम भाव से गोचर कर रहे हैं और मार्च 2025 में यह एकादश भाव में जाएंगे, जो भारत को सुख और समृद्धि के साथ मजबूत अर्थव्यवस्था प्रदान करने में सबसे निर्णायक भूमिका निभाएंगे। 
  • केतु महाराज जहां पंचम भाव में हैं तो वहीं राहु महाराज एकादश भाव  में हैं। 
  • एकादश भाव में राहु महाराज का होना दर्शाता है कि अपनी इच्छाओं की पूर्ति होगी और देश का डंका पूरे विश्व में बजेगा क्योंकि एकादश भाव में राहु जैसे ग्रहों का होना भारत देश को ऊंचाइयों पर ले जा सकता है। ऐसे में अर्थव्यवस्था बहुत मजबूत रहने की संभावना बनेगी लेकिन इसी समय पर केतु के पंचम भाव में होने से हमें कुछ अपने मित्रों के प्रति सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि उनमें से कुछ लोग, जिनसे हमारी गहरी मित्रता हो, हमें चोरी छुपे धोखा देने का प्रयास भी कर सकते हैं। ऐसे में भारत देश के प्रधान नेताओं को सजग रहना होगा।
  • यदि महादशा नाथ चंद्रमा की बात की जाए तो तीसरे भाव के स्वामी होकर तीसरे भाव में ही पुष्य नक्षत्र में विराजमान हैं। इनसे अष्टम भाव में शनि का गोचर, जिसे कंटक शनि के रूप में जाना जाता है, जो कार्यों में सफलता प्राप्ति में बाधा बन रहे हैं तो मार्च 2025 से शनि देव के राशि परिवर्तन के बाद यह पनौती समाप्त हो जाएगी और शनि भारत की कुंडली में एकादश भाव में आ जाएंगे जो उनकी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
  • वर्तमान समय में बृहस्पति का चंद्रमा से एकादश भाव में गोचर करना भी लाभदायक साबित होगा। इस दौरान भारत के संबंध विदेशी देशों से उतार-चढ़ाव भरे रहेंगे। जिस प्रकार चंद्रमा की कलाएं कम होती और बढ़ती रहती हैं, उसी प्रकार मित्र देशों से भी संबंध कभी अच्छे तो कभी बुरे होते रहेंगे।
  • शुक्र की अंतर्दशा चल रही है जो लग्न भाव के साथ छठे भाव के स्वामी होकर चंद्रमा के साथ ही तीसरे भाव में अस्त अवस्था में बैठे हैं और गंड मूल नक्षत्र अश्लेषा के हैं जो बुध का नक्षत्र है। इस प्रकार देश में महिलाओं के साथ समस्याएं बढ़ेंगी लेकिन कई मामलों में महिलाओं का दबदबा रहेगा। कई महत्वपूर्ण सूचना केंद्रों में महिलाओं की भूमिका विशेष रूप से देखने को मिलेगी और देश के अंदर महिलाओं को कई मुख्य जगहों पर मुख्यधारा में लाने का प्रयास रहेगा। इस दौरान महिला सशक्तिकरण धीरे-धीरे आगे बढ़ेगा।
  • शुक्र के चंद्रमा से शत्रुवत् व्यवहार रखने के कारण कई बार भारत को विरोधियों से कठिन समस्याएं महसूस हो सकती हैं।
  • इस वर्ष सूचना सेवा और खेल के क्षेत्र में भारतीय महिलाएं सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित कर सकती हैं।
  • नवमांश कुंडली में यही चंद्रमा छठे भाव में केतु के साथ विराजमान हैं तथा शुक्र शनि के साथ एकादश भाव में स्थित है। इससे पता चलता है कि देश में विदेशी गुप्तचर सक्रिय हो सकते हैं। कुछ विरोधी देशों के द्वारा भारत के अंदर आतंकवाद जैसी घटनाओं को बढ़ावा देने में उनकी परोक्ष भूमिका रहेगी, लेकिन भारत इन चुनौतियों से कुछ समय तक लड़खड़ाने के बाद आगे बढ़ेगा और सफलता प्राप्त करेगा।
  • इस प्रकार हम कह सकते हैं कि वर्तमान समय में बृहस्पति, शनि और राहु का गोचर भारत के पक्ष में चल रहा है जो आने वाले एक वर्ष में भारत को उन्नति की नई सीढ़ियों पर चढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। लेकिन, अत्यधिक आत्मविश्वास से बचकर रहना होगा और अपने कुछ खास पड़ोसी और मित्र देशों से शत्रुता न बढ़े, इसका हमें ध्यान रखना होगा। कुछ पड़ोसी देश की सीमाओं पर तनाव बढ़ेगा जबकि कुछ नए मित्र भी बन सकते हैं। 
  • देश में व्यावसायिक संस्थानों में बढ़ोतरी होगी और बैंकों की स्थिति में सुधार होने के योग बनेंगे।

(ताजिक वर्षफल कुंडली)

  • वर्ष प्रवेश तिथि 14 अगस्त 2024 वर्ष प्रवेश समय सायंकाल 17:45 बजे की है। 
  • मुंथा तुला राशि में वर्षफल कुंडली के दशम भाव में और स्वतंत्र भारत की मुख्य कुंडली के षष्ठ भाव में स्थित है। 
  • मुंथा के स्वामी शुक्र हैं। जन्म लग्न के स्वामी भी शुक्र हैं और वर्ष लग्न के स्वामी शनि हैं। इससे भारत के सेवा प्रदाता क्षेत्र में बढ़ोतरी होगी।
  • उपरोक्त स्थितियों को देखकर यह कहा जा सकता है कि यह वर्ष भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होने वाला है। 
  • इस वर्ष जहां भारत को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। वहीं, धीरे-धीरे संपूर्ण विश्व में उसकी धाक जमने की स्थिति भी उत्पन्न होगी। 
  • उपरोक्त कुंडली में सबसे अच्छी बात यह है कि दूसरे भाव और लग्न भाव के स्वामी शनि महाराज दूसरे भाव में अपनी मजबूत राशि कुंभ में स्थित हैं जिससे देश की आर्थिक स्थिति मजबूत होने के प्रबल योग बनेंगे।
  • शेयर बाजार, मुद्रा स्थिति, व्यापार आदि के क्षेत्रों में शनि की मजबूत स्थिति अनुकूल रहने की संभावना है जिससे बदलते हुए वैश्विक परिदृश्य में भारत की संपूर्ण विश्व में एक अलग और मजबूत पहचान बनेगी। भारत के नेतृत्व को भी स्वीकार किया जाएगा। 
  • तीसरे भाव में उपस्थित राहु पराक्रम के द्वारा अपने विरोधी देशों को दबाकर रखने में सक्षम बनने की ओर इशारा करते हैं। 
  • नवम भाव में केतु धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने और धार्मिक क्रियाकलापों में वृद्धि का संकेत भी देते हैं। 
  • पंचम भाव में मंगल और बृहस्पति शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव की ओर इशारा करते हैं। 
  • देश में शिशुओं के लिए कुछ नए टीके आने की व्यवस्था बन सकती है।
  • सप्तम भाव में उपस्थित सूर्य के कारण कुछ ऐसे देश, जो बाहर से भारत को अपना मित्र बताते हैं लेकिन अंदर ही अंदर भारत की सफलता से जलते हैं, उनका अहम सामने आएगा जिससे संपूर्ण विश्व में उनकी सच्चाई का पता लगेगा और इससे भारत की छवि को लाभ होगा। 
  • अष्टम भाव में शुक्र और बुध उपस्थित रहेंगे। उन पर शनि की दृष्टि होगी जिससे भारत अपना कर्ज उतारने में सफल हो सकता है। इसके अतिरिक्त शेयर बाजार में कई बार अभूतपूर्व तेजी देखने को मिलेगी और वह नया इतिहास रच सकता है। 
  • सप्तम भाव के स्वामी चंद्र एकादश भाव में होंगे जिससे भारत कई अनेक विदेशी देशों से मित्रता पूर्ण संबंध स्थापित करने में कामयाब होगा। ऐसे में, भारत का व्यापार भी बढ़ेगा और कई महत्वपूर्ण संगठनों में भारत को विशेष प्रतिनिधित्व प्राप्त हो सकता है।
  • दशम भाव में मुंथा होने के कारण देश की सरकार को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा लेकिन वह मजबूती से अपना कार्य करने में सफल रह सकते हैं जिससे देश को कई क्षेत्रों में ऊंचाइयां प्राप्त हो सकती हैं।

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78वें स्वतंत्रता दिवस से नई उम्मीदें – अर्थव्यवस्था में मजबूती

  • भारत के 78वें स्वतंत्रता दिवस से एक वर्ष के समय में अनेक प्रकार के अनुकूल क्रियाकलापों का घटित होना भारत को नई उम्मीद और नई ऊंचाइयों तक ले जाने वाला समय साबित होगा।
  • इस वर्ष ऊर्जा दक्षता के क्षेत्र में भारत को अच्छी सफलता मिल सकती है। 
  • कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में भारत कमी लाने में सफल हो सकता है।
  • पर्यावरण को बढ़ावा मिलेगा और पर्यटन उद्योग को नई गति और नई ऊर्जा के साथ अनेक लाभ मिलेंगे जिससे देश में देशी और विदेशी पर्यटकों का जमावड़ा लगेगा। 
  • भारत के आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कुछ नए और मजबूत स्टार्टअप शुरू होंगे और कुछ नए यूनिकॉर्न भी बनेंगे।
  • देश में कर्ज व्यवस्था आसान होगी मगर कर्ज को नियंत्रित करने वाले तंत्र को भी मजबूत बनाया जाएगा जिससे बैंकिंग क्षेत्र को बढ़ोतरी मिलेगी। 
  • ऑटोमोबाइल सेक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स का क्षेत्र सफलता की नई परिभाषा लिखेगा।
  • देश में सेमीकंडक्टर के संबंध में अच्छे समाचार सुनने को मिलेंगे और न केवल देश बल्कि विदेश से भी भारत को इस संदर्भ में लाभ मिलेगा। 
  • कुछ नई विदेशी कंपनियां भारत में अपना संयंत्र लगाने में कामयाब रहेंगी और इससे न केवल उन्हें बल्कि भारतीयों को भी लाभ होगा। 
  • रक्षा क्षेत्र में भारत को बहुत ज्यादा लाभ मिलेगा। अनेक नए ऑर्डर भारत को मिलेंगे जिससे रक्षा व्यापार से भारत को विदेशी आमदनी प्राप्त होने के प्रबल योग बनेंगे। 
  • भारत के यूपीआई की विश्व में तेजी से मांग बढ़ेगी और कई अन्य देश भारत के साथ इस क्षेत्र में जुड़ सकते हैं। 
  • इस वर्ष के प्रारंभ में रुपए के मुकाबले डॉलर नई ऊंचाई पकड़ सकता है लेकिन धीरे-धीरे रुपया मजबूत होगा।
  • कई देशों से उन्हीं की मुद्रा में लेनदेन भारत से उनके संबंधों को और मजबूत बनाएगा। 
  • ऑटोमोबाइल सेक्टर में विशेष प्रगति देखने को मिलेगी और देश में निर्माण और इंफ्रास्ट्रक्चर पर ज्यादा खर्च होने के योग बनेंगे। 
  • देश में खाद्यान्न भंडार के विषय में सोचने की आवश्यकता पड़ेगी। 
  • भारत की सकल घरेलू आय में बढ़ोतरी होने के योग बनेंगे यानी कि जीडीपी में सुधार हो सकता है। 
  • समुद्री क्षेत्र में दुर्घटनाएं बढ़ सकती हैं। इस दिशा में भारत को अपनी समुद्री सेना को मजबूत बनाने का प्रयास करना होगा। 
  • भारत के रक्षा बजट में विशेष रूप से बढ़ोतरी हो सकती है। 
  • अंतरिक्ष के क्षेत्र में कोई नया कीर्तिमान स्थापित होने की स्थिति भी बन सकती है।

पड़ोसी राष्ट्रों से बनते-बिगड़ते संबंध

  • भारत के लिए अपने मित्र देशों से संबंध सामान्य बनाए रखना एक चुनौती होगा।
  • कुछ देश चाह कर भी अच्छी स्थिति नहीं रख पाएंगे क्योंकि उनके ऊपर विभिन्न प्रकार के दबाव होंगे।
  • अगले वर्ष अप्रैल से मई के बीच में पड़ोसी देशों से संबंध बिगड़ सकते हैं। इस दौरान गुप्तचर विभाग को सक्रिय रहने की अत्यंत आवश्यकता हो सकती है। 
  • उसके बाद जून से अगस्त के मध्य किसी बाहरी देश का मित्रता प्रस्ताव मिल सकता है लेकिन किसी चिर प्रतिद्वंद्वी से तनाव बढ़ने के योग बन सकते हैं।

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भारतीय राजनीति के नए रूप और रंग 

  • यदि राजनीति की बात की जाए तो वर्तमान मोदी सरकार को कुछ भीतर घात का सामना करना पड़ सकता है। इसके साथ ही विपक्ष द्वारा भी समय-समय पर नई-नई चुनौतियां प्रस्तुत करने से सत्ता पक्ष की समस्याएं बढ़ेंगी और उनकी जवाबदेही भी बढ़ेगी। हालांकि, केंद्र सरकार अपने कई पुराने वादों को पूरा करने में सफल हो सकती है। 
  • ऐसी संभावना है कि इस वर्ष कुछ बड़े निर्णय सरकार द्वारा लिए जाएं जिसमें एक जैसी कर व्यवस्था को लागू किया जाना शामिल हो सकता है।
  • जीएसटी में कुछ क्षेत्रों में दलों को कम और बदलने पर विचार होगा।
  • इसके अतिरिक्त जनसंख्या नियंत्रण से संबंधित भी कोई कार्य आगे बढ़ सकता है। 
  • किसी बड़े राजनेता का अपदस्थ होना या बिछोह होना अगस्त से सितंबर के बीच संभव हो सकता है।
  • अशांत राज्यों में सत्ता परिवर्तन भी संभव हो सकता है।
  • सितंबर से नवंबर के बीच राजनीतिक माहौल अशांत रहेगा। सरकार और विपक्ष एक-दूसरे पर तरह-तरह के आरोप लगाएंगे और देश के पश्चिमी राज्यों में तनाव बढ़ सकता है। 
  • नवंबर से दिसंबर के बीच किसी राज्य में अचानक से सत्ता परिवर्तन की स्थिति बन सकती है। 
  • जनवरी से मार्च के बीच राजनीतिक गतिरोध उत्पन्न हो सकते हैं। ईंधन और पेट्रोल, आदि के दामों में बढ़ोतरी हो सकती है। सांप्रदायिकता बढ़ने के योग बनेंगे। 
  • इस वर्ष किसी नए घोटाले का खुलासा हो सकता है जिसमें कुछ बड़े लोगों का नाम सामने आ सकता है। 
  • इस वर्ष सत्ताधारी दल को विपक्ष के दबाव के आगे कुछ निर्णयों पर पुनर्विचार की आवश्यकता पड़ सकती है।

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भारतीय नागरिक और उनसे संबंधित विशेष

  • इस वर्ष अनेक राजनेताओं के ऐसे राष्ट्र विरोधी बयान सुनने को मिल सकते हैं जिनसे आम जनमानस को कष्ट महसूस होगा। 
  • इस वर्ष मुख्य रूप से कहें तो भारत आतंकवाद पर नियंत्रण पाने में बहुत हद तक सफल होगा और अनेक ऐसे कार्य होंगे जिससे आतंकवाद को काफी हद तक नियंत्रित कर लिया जाएगा। 
  • नए कानूनों के लागू होने से कई सामाजिक तत्वों और सांप्रदायिकता फैलाने वाले लोगों पर शिकंजा कड़ा रहेगा।
  • अगस्त से सितंबर के महीने में प्राकृतिक आपदा और वर्षा से संबंधित तथा बाढ़ जनित समस्याएं परेशानी का कारण बन सकती हैं।
  • इसके अतिरिक्त पहाड़ी क्षेत्रों में विशेष समस्या बनी रह सकती है। 
  • हिंसक घटनाओं, सांप्रदायिक तनाव और अग्निकांड बढ़ सकते हैं। इन पर अंकुश लगाने के लिए सरकार भी कुछ कठिन कदम उठाएगी। 
  • धार्मिक कार्यक्रम अनेक स्थानों पर होते रहेंगे।
  • भारत की आम जनता के बीच कोर्ट-कचहरी के मामले बढ़ सकते हैं और कुछ बड़ी कंपनियों का बैंकों के साथ विलय हो सकता है। 
  • बड़े औद्योगिक घराने छोटे उद्योगों को अधिग्रहित करेंगे। 
  • अगले वर्ष अप्रैल से मई के बीच प्राकृतिक असंतुलन के कारण फसलों का ह्रास हो सकता है और कृषि क्षेत्र को नुकसान हो सकता है। इससे देश में खाद्यान्नों की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
  • इस वर्ष संक्रामक बीमारियों का प्रकोप बढ़ने का खतरा रहेगा। 
  • किसी विशेष बैक्टीरिया या छोटे परजीवियों के कारण शारीरिक समस्याओं में बढ़ोतरी के योग बन सकते हैं। 
  • आम जनमानस को बचत योजनाओं में निवेश करने पर ध्यान देना होगा क्योंकि इसी से उन्हें आने वाले समय में अपनी आर्थिक समस्याओं से काफी हद तक राहत मिल सकती है।
  • मौसम में बदलाव के समय विशेष रूप से सतर्कता रखनी होगी क्योंकि नए तरीके के बुखार पनप सकते हैं जिन्हें समझने में समय लगेगा।

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इस प्रकार भारत के 78वें स्वतंत्रता दिवस के वर्ष के भीतर कुछ विशेष बातों में हम यह कह सकते हैं कि इस वर्ष भारत अपने कुछ खास पड़ोसी मित्र देशों से बेहतर संबंध बनाने में सफल होगा जिसमें रूस जैसा मित्र देश शामिल है। वहीं, चीन जैसे देश जो दुनिया के सामने तो भारत के विरोध की बात करेंगे, लेकिन आंतरिक रूप से भारत को सहयोग देने के लिए तत्पर रहेंगे क्योंकि इसमें ही उन्हें एशिया क्षेत्र में मजबूती प्राप्त करने और अपनी अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ने का रास्ता दिखाई देगा जबकि कुछ पश्चिमी देश भारत से रिश्तों को खराब करने की राह में आगे बढ़ सकते हैं। 

इस प्रकार यह वर्ष भारतीय विदेश नीति के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होगा। इन सभी बिंदुओं के अतिरिक्त हमें यह समझना होगा कि प्रत्येक भारतीय नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह अपने देश की अस्मिता पर कोई आंच न आने दे। 

देश की एकता और अखंडता को बनाए रखें। जात-पात के चक्कर में अपने देश को कमजोर करने का प्रयास न करें बल्कि भारत को एक सक्षम और समर्थ राष्ट्र बनाने में अपना जिस रूप में भी योगदान बन सके, वह हमें करना चाहिए। चलिए हम सब मिलकर अपनी आजादी का 78वां स्वतंत्रता दिवस पूरे जोश के साथ मनाते हैं और अपना विजयी विश्व तिरंगा फहराते हैं।

जय हिंद ! जय भारत !!

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एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. क्या स्वतंत्रता दिवस 2024 77वां है?

उत्तर 1. नहीं, साल 2024 का 15 अगस्त देश का 78वां स्वतंत्रता दिवस होगा। 

प्रश्न 2. भारत को आज़ादी कब मिली थी?

उत्तर 2. भारत को अंग्रेज़ों से आज़ादी 15 अगस्त 1947 में मिली थी।

प्रश्न 3. आजादी के बाद भारत के पहले प्रधानमंत्री कौन थे?

उत्तर 3. स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू बने थे।

इस साल कब है वरलक्ष्मी व्रत? जानिए तिथि, मुहूर्त एवं पूजा विधि

हिंदू धर्म में व्रत एवं उपवास को महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इन व्रतों की सहायता से देवी-देवताओं को प्रसन्न करके उनकी कृपा एवं आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। मान्यताओं के अनुसार, किसी इच्छा या मनोकामना को मन में और ईश्वर के प्रति आस्था रखकर व्रत किया जाता है, तो भक्त की मनोकामना अवश्य पूरी होती है। सनतान धर्म में संकष्टी, मासिक शिवरात्रि, प्रदोष समेत अनेक व्रतों को करने की परंपरा है। इन्हीं में से एक प्रसिद्ध व्रत है वरलक्ष्मी व्रत और इस व्रत में धन-धान्य की देवी माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। एस्ट्रोसेज के इस ब्लॉग के माध्यम से आपको वरलक्ष्मी व्रत से जुड़ी समस्त जानकारी प्राप्त होगी जैसे कि साल 2024 में कब है यह व्रत और किस मुहूर्त में करें देवी की पूजा? इसके अलावा, वरलक्ष्मी व्रत में किन नियमों का करना होता है पालन आदि। लेकिन, इसके लिए यह ब्लॉग आपको अंत तक पढ़ना होगा। 

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देवी वरलक्ष्मी को धन की देवी महालक्ष्मी का अवतार माना जाता है। कहते हैं कि वरलक्ष्मी व्रत को श्रद्धापूर्वक करने से माता लक्ष्मी को प्रसन्न करके मनोवांछित फल का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। यह व्रत दक्षिण भारत में विशेष महत्व रखता है, लेकिन इसे महाराष्ट्र में भी महिलाओं द्वारा किया जाता है। कहते हैं कि वरलक्ष्मी व्रत को पति-पत्नी दोनों मिलकर करते हैं, तो इस व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है। साथ ही, घर की दरिद्रता का नाश होता है और सदैव लक्ष्मी का वास रहता है। व्रती के घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। वरलक्ष्मी व्रत के दिन माता लक्ष्मी की उपासना भक्तिभाव से करने पर भक्त को सुख, समृद्धि और धन संपत्ति का आशीर्वाद मिलता है।

आज का गोचर

वरलक्ष्मी व्रत 2024: तिथि एवं मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष श्रावण माह के शुक्ल पक्ष के अंतिम शुक्रवार को वरलक्ष्मी व्रत  करने का विधान है। यह व्रत सावन पूर्णिमा और रक्षाबंधन से पहले आता है। वरलक्ष्मी व्रत को सुहागिन महिलाओं द्वारा देवी लक्ष्मी की कृपा दृष्टि पाने के लिए किया जाता है। साल 2024 में वरलक्ष्मी व्रत को 16 अगस्त 2024, शुक्रवार के दिन रखा जाएगा। वरलक्ष्मी व्रत की पूजा सदैव शुभ मुहूर्त में करनी चाहिए। अब हम आपको रूबरू करवाते हैं वरलक्ष्मी व्रत पूजा के सबसे शुभ मुहूर्त से। 

वरलक्ष्मी व्रत 2024 की तिथि एवं पूजा मुहूर्त

सिंह लग्न प्रातःकाल पूजा मुहूर्त: सुबह 05 बजकर 54 मिनट से सुबह 08 बजकर 13 मिनट तक,

वृश्चिक लग्न अपराह्न पूजा मुहूर्त: दोपहर 12 बजकर 53 मिनट से दोपहर 03 बजकर 13 मिनट तक, 

कुंभ लग्न संध्या पूजा मुहूर्त: शाम 06 बजकर 57 मिनट से रात 08 बजकर 22 मिनट तक, 

वृषभ लग्न मध्यरात्रि पूजा मुहूर्त: रात 11 बजकर 18 मिनट से रात 01 बजकर 13 मिनट तक (17 अगस्त)

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वरलक्ष्मी व्रत में पूजा का महत्व 

ज्योतिष में धन की देवी महालक्ष्मी की आराधना के लिए लग्न की अवधि सबसे सर्वश्रेष्ठ होती है। मान्यता है कि लग्न के दौरान देवी लक्ष्मी की पूजा करने से जातक को देवी दीर्घकालिक समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। वरलक्ष्मी व्रत की पूजा दिन के चार प्रहर में की जा सकती है, उस समय जब एक निश्चित लग्न प्रबल होता है। हालांकि, इस व्रत के पूजन के लिए किसी भी समय का चुनाव आप कर सकते हैं। 

बता दें कि संध्या में प्रदोष काल भी होता है इसलिए यह अवधि लक्ष्मी पूजा के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है। वरलक्ष्मी व्रत के दिन देवी वरलक्ष्मी की पूजा करने से अष्टलक्ष्मी यानी कि धन की आठ देवियों की कृपा मिलती हैं। इन आठ देवियों के नाम इस प्रकार हैं: आदिलक्ष्मी, धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, गजलक्ष्मी, सन्तानलक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, विजयलक्ष्मी और विद्यालक्ष्मी आदि। इस व्रत को उत्तर भारत की तुलना में दक्षिण भारत में अधिक किया जाता है। 

कौन है माता वरलक्ष्मी?

धर्म शास्त्रों में देवी वरलक्ष्मी को स्वयं देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान दुधिया सागर से माता वरलक्ष्मी अवतरित हुई थी जो कि क्षीर सागर के नाम से जाना जाता है। इनका वर्ण एकदम उजला है और वह उजले वस्त्र धारण करती है।

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वरलक्ष्मी व्रत का धार्मिक महत्व 

सनातन धर्म में माता लक्ष्मी को धन की देवी के रूप में पूजा जाता है। किसी व्यक्ति पर देवी लक्ष्मी की कृपा दृष्टि होने से जीवन में सुख, शांति, धन एवं समृद्धि सदैव बनी रहती है। हिंदू धर्म में मां लक्ष्मी को शुक्रवार का दिन समर्पित होता है और इसी प्रकार, श्रावन माह के अंतिम शुक्रवार के दिन वरलक्ष्मी व्रत करने की परंपरा है। वरलक्ष्मी व्रत को वरलक्ष्मी व्रतम के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत वरलक्ष्मी को समर्पित होता है जिन्हें महालक्ष्मी का अवतार माना गया है। सामान्य शब्दों में कहें, तो वरलक्ष्मी व्रत जगत के पालनहार और धन की देवी माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने का पर्व है। 

वरलक्ष्मी व्रत से अष्टलक्ष्मी यानी कि माता लक्ष्मी के आठ स्वरूपों की कृपा प्राप्त की जा सकती है।  इस दिन विशेष रूप से लक्ष्मी पूजा को संपन्न किया जाता है। वरलक्ष्मी व्रत से देवी का वरलक्ष्मी स्वरूप भक्त को मनचाहा वरदान देता है। साथ ही, यह भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं इसलिए ही देवी के स्वरूप को वर+लक्ष्मी के नाम से जाना जाता है। 

इस व्रत से धन की अधिष्ठात्री देवी की कृपा बनी रहती है और व्यक्ति को धन-संपत्ति, वैभव, संतान, सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यह पर्व मुख्य रूप से दक्षिण भारतीय राज्यों में मनाया जाता है। वरलक्ष्मी व्रत के दिन महिलाएं अपने पति, बच्चों और परिवार की मंगल कामना के लिए दिनभर उपवास रखकर मां लक्ष्मी की आराधना करती हैं।

भक्त द्वारा वरलक्ष्मी व्रत पर माँ लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करने से आपके जीवन में खुशहाली और सुख-शांति भी बनी रहती है। इस व्रत से घर में धन का प्रवाह रहता है और निर्धनता का अंत होता है। वहीं, विवाहित जातकों के जीवन में ख़ुशियां एवं प्रेम बना रहता है। इस व्रत को करने से जातक का घर-भंडार हमेशा भरा रहता है।

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वरलक्ष्मी व्रत के पूजा अनुष्ठान 

वरलक्ष्मी व्रत की पूजा को विधिवत किया जाना चाहिए और इसकी सही पूजा विधि इस प्रकार है:

  • वरलक्ष्मी व्रत के दिन भक्त जल्दी उठकर व्रत का संकल्प लेते हैं और देवी वरलक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस पूजा में माता को ताजा बनी हुई मिठाई और फूल चढ़ाएं।
  • इस व्रत के दौरान महिलाएं कुछ विशेष खाद्य पदार्थों के सेवन से परहेज करती हैं और इनमें क्षेत्रों के आधार पर भिन्नता देखने को मिल सकती है।
  • देवी-देवता के प्रतीक के रूप में एक कलश स्थापित करके इस पर कुमकुम एवं चंदन के लेप से स्वास्तिक बनाया जाता है। 
  • अंत में, कलश के मुख पर आम के पत्ते रखे जाते हैं और फिर कलश के ऊपर नारियल रखा जाता है। इस कलश पर एक पवित्र धागा बांधा जाता है जिसे दोरक कहते हैं।
  • पूजा में उपयोग की जाने वाली मिठाई और प्रसाद को वायना कहा जाता है।
  • संध्या काल में देवी वरलक्ष्मी की आरती करें।
  • अगले दिन, कलश में भरे जल को घर में चारों तरफ छिड़कें।

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वरलक्ष्मी व्रत के दिन करें ये उपाय

  1. वरलक्ष्मी व्रत के दिन देवी लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए घर में नारियल लेकर आएं। ऐसा करने से आपके परिवार में लक्ष्मी जी का आशीर्वाद रहता है। 
  2.  इस दिन माँ लक्ष्मी की पूजा करते समय 11 कौड़ियों को पीले रंग के कपड़े में बांधकर उत्तर दिशा में रखने से धन लाभ की प्राप्ति होती है। 
  3. शंख में देवी लक्ष्मी का वास माना गया है और वरलक्ष्मी व्रत के दिन घर में शंख लेकर आने से धन से जुड़ी समस्याओं का अंत होता है। 
  4. माँ लक्ष्मी को प्रिय पारिजात के फूल घर में लाने से देवी वरलक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।        

कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर

वरलक्ष्मी व्रत की पौराणिक कथा 

वरलक्ष्मी व्रत की पौराणिक कथा के अनुसार, मगध में एक कुंडी नामक शहर था जिसमें चारुमति नाम की महिला रहती थी। वह देवी लक्ष्मी की भक्त थी और उनके प्रति बहुत आस्था रखती थी। एक बार जब वह रात को सो रही थी, तो माता लक्ष्मी ने चारुमति को सपने में दर्शन देकर वरलक्ष्मी व्रत के बारे में बताया। अगले दिन चारुमति ने सुबह उठकर सभी महिलाओं को इस व्रत के बारे में बताया। इसके बाद, चारुमति की बात मानकर सभी महिलाओं ने इस व्रत को रखा और देवी लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। महिलाओं द्वारा वरलक्ष्मी व्रत को पूरे विधि-विधान से करने पर उनका शरीर सोने के गहनों से लद गए और घर भी धन-दौलत से भर गया। इसके पश्चात, वरलक्ष्मी व्रत की महिमा धीरे-धीरे फैलने लगी और दूसरी महिलाएं भी माता लक्ष्मी की पूजा करने लगी, उस समय से ही इस व्रत को वरलक्ष्मी कहा जाने लगा।   

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हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. वरलक्ष्मी व्रत क्यों मनाया जाता है? 

वरलक्ष्मी व्रत करने से देवी लक्ष्मी भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।

2.  वरलक्ष्मी व्रत कब है?

इस साल वरलक्ष्मी व्रत को 16 अगस्त 2024, शुक्रवार के दिन किया जाएगा। 

3. वरलक्ष्मी व्रत में किसकी पूजा की जाती है।

वरलक्ष्मी व्रत में देवी लक्ष्मी के वरलक्ष्मी स्वरूप का पूजन किया जाता है।    

इस नागपंचमी पर बन रहे हैं कई शुभ योग, पांच राशियों को मिलेगी शिव-पार्वती की कृपा

09 अगस्‍त को शुक्रवार के दिन नागपचंमी का पर्व मनाया जाएगा। इस बार नागपचंमी बहुत ही ज्‍यादा खास और शुभ रहने वाली है क्‍योंकि इस दिन सि‍द्धि योग और साध्‍य योग बन रहे हैं। ज्‍योतिष की मानें तो इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती धरती पर निवास करेंगे।

नागपंचमी पर बुध और शुक्र ग्रह दोनों मिलकर लक्ष्‍मी नारायण योग का निर्माण कर रहे हैं। वहीं शनि स्‍वराशि कुंभ में विराजमान होकर शश राजयोग बना रहे हैं। इस प्रकार ग्रहों के शुभ योग के बीच नागपंचमी का यह पर्व कुछ राशियों के लोगों के लिए बहुत शुभ और मंगलकारी साबित होगा।

भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके  

इस ब्‍लॉग में हम आपको उन राशियों के बारे में बता रहे हैं जिन्‍हें इस बार नागपंचमी पर शानदार परिणाम मिलने की संभावना है। इन लोगों को असीम धन लाभ होगा और इनकी मनोकामनाओं की भी पूर्ति होगी। 

तो चलिए जानते हैं कि नागपंचमी पर बन रहे शुभ योग किन राशियों के जातकों के लिए खुशियां लेकर आ रहे हैं।

नागपंचमी पर इन राशियों को मिलेंगे शुभ प्रभाव

मेष राशि

मेष राशि के नौकरीपेशा जातकों को अपने करियर में नए और बेहतरीन अवसर मिलने की संभावना है। यदि आप काफी समय से तनाव में थे, तो अब आपकी परेशानियों का अंत हो सकता है। आपको कोर्ट-कचहरी के मामलों में सफलता मिलेगी जिससे आप काफी खुश और संतुष्‍ट महसूस करेंगे।

व्‍यापा‍रीगण नए आइडिया पर काम कर सकते हैं। व्‍यापारियों को मुनाफा कमाने के मामले में अपने भाग्‍य का साथ मिलेगा। आप कोई बड़ी डील भी कर सकते हैं। यदि आपका पैसा कहीं अटका हुआ है, तो अब आपको वह मिल सकता है। आपके रुके हुए काम भी पूरे होंगे।

मेष साप्ताहिक राशिफल

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा 

वृषभ राशि

यदि आपकी वृषभ राशि है, तो आपके लिए भी इस बार की नागपंचमी शुभ परिणाम लेकर आ रही है। आपके करियर को नई दिशा मिलेगी। नौकरीपेशा जातकों के लिए सफलता के योग बन रहे हैं। परिवार के सदस्‍यों के बीच आपसी तालमेल बेहतर होगा। इससे रिश्‍तों में मज़बूती आएगी।

आपके वैवाहिक जीवन में भी खुशियां आने के संकेत हैं। आप जहां भी निवेश करेंगे, उसमें आपको फायदा ही होगा। आपको अपनी कड़ी मेहनत का पूरा फल प्राप्‍त होगा और आपकी संपन्‍नता में भी वृद्धि देखने को मिलेगी। आपके रुके हुए काम अब पूरे हो सकते हैं।

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सिंह राशि

सिंह राशि के लोगों को नागपंचमी पर बन रहे शुभ योगों से अनुकूल परिणाम प्राप्‍त होंगे। आपको अपने भाग्‍य का साथ मिलेगा। इसके साथ ही आपकी आय में भी वृद्धि देखने को मिलेगी। संतान प्राप्ति की कामना रखते हैं, तो अब आपको अच्‍छी खबर मिल सकती है। सिंह राशि के लोगों के लिए तरक्‍की के योग बन रहे हैं। आपकी शादीशुदा जिंदगी में खुशहाली आएगी और आपके परिवार में भी सुख-शांति बढ़ेगी।

नौकरी करने वाले जातक अपने बॉस को इंप्रेस करने में सफल होंगे। उनकी मदद से आपको पदोन्‍नति या वेतन में वृद्धि भी मिल सकती है। इसके अलावा आपके जीवन में सुख-सुविधाओं में बढ़ोत्तरी देखने को मिलेगी। आप पूरे ऐशो-आराम के साथ जीवन जिएंगे। आपको नौकरी के बेहतर प्रस्‍ताव भी मिल सकते हैं।

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तुला राशि

नागपंचमी पर तुला राशि के लोगों को असीम धन लाभ होने की संभावना है। आपको खूब पैसा कमाने का मौका मिलेगा। आपकी सुख-समृद्धि में भी बढ़ोत्तरी देखने को मिलेगी। आप अपने बिज़नेस पार्टनर के साथ मिलकर कोई नई योजना बना सकते हैं। इससे आपको आगे चलकर लाभ ज़रूर मिलेगा।

विद्यार्थियों के लिए भी सफलता के योग बन रहे हैं। शादीशुदा लोगों के जीवन में प्‍यार बढ़ेगा। आपके और आपके पार्टनर के बीच आपसी तालमेल में वृद्धि देखने को मिलेगी। व्‍यापारियों को भी अपने कार्यक्षेत्र में सफलता मिल सकती है। प्रेम संबंधों के लिए भी अच्‍छा समय है। सिंगल जातकों को अपनी पसंद का साथी मिल सकता है।

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कुंभ राशि

नागपंचमी पर बन रहे शुभ योग कुंभ राशि के लोगों के लिए सौभाग्‍य लेकर आएंगे। आपकी आय के स्रोतों में वृद्धि देखने को मिलेगी। आप एक से ज्‍यादा माध्‍यम से आमदनी करेंगे। कार्यक्षेत्र में आपके सहकर्मी आपका सहयोग करेंगे। आपके उच्‍च अधिकारी भी आपके काम से खुश हो सकते हैं। समाज में आपका मान-सम्‍मान बढ़ेगा और आपकी प्रतिष्‍ठा में भी वृद्धि देखने को मिलेगी।

आपको अचानक कहीं से बहुत सारा पैसा मिलने के आसार हैं। इससे आपकी आर्थिक स्थिति मज़बूत होगी। जो लोग पार्टनरशिप में बिज़नेस करते हैं, उनके अपने पार्टनर के साथ बेहतर संबंध स्‍थापित होंगे। आप दोनों मिलकर कोई नया व्‍यवसाय भी शुरू कर सकते हैं। करियर के क्षेत्र में आप नई ऊंचाईयों को छू पाएंगे।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

प्रश्‍न 1. नागपंचमी के दिन क्‍या-क्‍या नहीं करना चाहिए?

उत्तर. इस दिन नुकीली और धारदार वस्‍तुओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

प्रश्‍न 2. नागपंचमी के दिन नाग देखने से क्‍या होता है?

उत्तर. सपने में नाग-नागिन दिखें, तो आपको सुख-समृद्धि मिल सकती है।

प्रश्‍न 3. नागपंचमी के दिन भोजन में क्‍या खाना चाहिए?

उत्तर. इस दिन सेंवई चावल बनाकर खाने चाहिए।

प्रश्‍न 4. नागपंचमी पर शिव की पूजा कैसे करें?

उत्तर. शिवलिंग का घी, दूध, दही और शहद एवं गंगाजल से अभिषेक करें।

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शुक्र देव करेंगे सालों बाद पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में गोचर, इन राशियों को धन-दौलत समेत मिलेगा हर सुख!

वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह को एक अहम स्थान प्राप्त है जो कि प्रेम, ऐश्वर्य एवं भौतिक सुख-सुविधाओं के कारक ग्रह हैं। ऐसे में, शुक्र ग्रह की स्थिति, दशा, चाल या राशि में होने वाला परिवर्तन मनुष्य जीवन को अत्याधिक प्रभावित करने की क्षमता रखता है। हालांकि, शुक्र महाराज हर 23 दिनों में एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करते हैं और इसी प्रकार, यह एक निश्चित अवधि में अपना नक्षत्र भी बदलते हैं। शुक्र के राशि गोचर के साथ-साथ इनका नक्षत्र परिवर्तन भी किसी व्यक्ति पर अच्छे-बुरे दोनों तरीके से प्रभाव डालता है। एस्ट्रोसेज का यह विशेष ब्लॉग आपको शुक्र देव का पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में गोचर से संबंधित समस्त जानकारी प्रदान करेगा। इसके अलावा, शुक्र का यह परिवर्तन कुछ राशियों के लिए भाग्यशाली साबित होगा। तो आइए हम बिना देर किये आगे बढ़ते हैं और शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की। 

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शुक्र का पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में गोचर  

ज्योतिष शास्त्र में विलासिता, ऐश्वर्य, भौतिक सुख, प्रेम एवं वैवाहिक जीवन के प्रमुख ग्रह के नाम से विख्यात शुक्र देव का नक्षत्र गोचर मनुष्य जीवन के विभिन्न क्षेत्रों पर अपना असर डालेगा। ऐसा माना जाता है कि शुक्र ग्रह को पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र बेहद प्रिय है और अब यह लगभग एक लंबे समय के बाद 11 अगस्त 2024, रविवार की सुबह 11 बजकर 15 मिनट पर पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में प्रवेश कर जाएंगे। इसका प्रभाव राशि चक्र की सभी राशियों पर पड़ेगा, लेकिन कुछ राशियों को यह सकारात्मक परिणाम देगा।  तो आइए जानते हैं कि कौन सी हैं वह भाग्यशाली राशियां।

आज का गोचर

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पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में शुक्र गोचर से, चमक उठेगी इन 3 राशियों की किस्मत 

मेष राशि

मेष राशि वालों के लिए शुक्र ग्रह का नक्षत्र गोचर बहुत शुभ कहा जाएगा क्योंकि यह आपको जीवन के विभिन्न आयामों में बेहतरीन परिणाम देगा। यह नक्षत्र गोचर आपके लिए फलदायी साबित होगा। इसके फलस्वरूप, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में गोचर होने से यह आपकी सुख-सुविधाओं में बढ़ोतरी करवाने का काम करेंगे। सिर्फ इतना ही नहीं, यह जातक अपने जीवन में चली आ रही समस्याओं से अब मुक्ति पाएंगे। करियर के क्षेत्र में आपको किसी दूसरे स्‍थान से नौकरी का कोई शानदार अवसर प्राप्त होगा। इसके अलावा, आपको इस दौरान वाहन या प्रॉपर्टी का सुख मिलने की प्रबल संभावना है। मेष राशि के नौकरीपेशा जातकों को ऑफिस में नई जिम्मेदारियां सौंपी जा सकती हैं जिससे आप खुश दिखाई। यह लोग समाज में अपनी एक अलग जगह बनाने के साथ-साथ अपनी अलग पहचान भी बना सकेंगे।

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मिथुन राशि 

मिथुन राशि के जातकों के लिए शुक्र ग्रह का पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में गोचर लाभकारी रहेगा और यह आपको अच्छे परिणाम देने का काम करेगा। ऐसे में, शुक्र नक्षत्र परिवर्तन की अवधि आपको मानसिक तनाव से छुटकारा दिलाने का काम करेगी। जो जातक खुद का व्यापार करते हैं, उन्हें बिज़नेस में आय में बढ़ोतरी के नए स्रोत प्राप्त होंगे। इस राशि के नौकरीपेशा जातकों के प्रमोशन और वेतन में वृद्धि होने की संभावना है जिसके चलते आप प्रसन्न दिखाई देंगे। इसके विपरीत, मिथुन राशि के जो लोग नौकरी ढूंढ रहे हैं, उन्हें एक अच्छी नौकरी मिल सकती है। यह अवधि आपकी सुख- सुविधाओं में बढ़ोतरी करवाएगी और आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। आप धन की बचत करने में भी सक्षम होंगे। हालांकि, जो लोग किसी रिश्ते में हैं, उनका रिश्ता अब शादी में बदल सकता है।

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तुला राशि 

तुला राशि वालों के जातकों के लिए शुक्र देव का पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में प्रवेश बहुत उत्तम रहेगा। प्रेम के कारक ग्रह का यह नक्षत्र परिवर्तन आपके लिए अच्छे दिन लेकर आएगा। यह अवधि आपकी आय में भारी वृद्धि करवाने का काम करेगी जिससे आप खुश एवं संतुष्ट दोनों रहेंगे। साथ ही, आय के बढ़ोतरी के नए स्त्रोत प्राप्त होंगे। इस दौरान आपको हर कदम पर अपने भाग्य का साथ मिलेगा। जो जातक नौकरी करते हैं, उनके लिए यह समय सकारात्मक कहा जाएगा। अगर आप निवेश करने के बारे में सोच रहे हैं, तो अब आपके द्वारा किया गया निवेश आपको अच्छा ख़ासा लाभ प्रदान करेगा। जिन लोगों का अपना व्यापार है, वह शुक्र नक्षत्र की अवधि में कोई बड़ी डील करने में सक्षम होंगे और इसका लाभ आपको भविष्य में होगा। तुला राशि के जातकों को संतान से संबंधित शुभ समाचार सुनने को मिलेगा।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र किसका है? 

उत्तर 1. ज्योतिष में 27 नक्षत्रों में से पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र को ग्यारहवां स्थान प्राप्त है और यह सिंह राशि के अंतर्गत आता है।

प्रश्न 2. शुक्र का गोचर कितने दिनों में होता है?

उत्तर 2. शुक्र ग्रह का गोचर लगभग 23 दिनों में होता है अर्थात यह एक राशि में 23 दिनों तक रहते हैं।

प्रश्न 3. पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति कैसे होते हैं? 

उत्तर 3. पूर्वाफाल्गुनी में जन्मे व्यक्ति चतुर, भोग-विलासी, बातचीत में मधुर, गंभीर और साहसी स्वभाव के होते हैं।

11 अगस्त को इन राशियों से खुश होंगे शुक्र, पैसों से भर देंगे जेब, तरक्‍की के योग

शुक्र एक ऐसा ग्रह है जो हर महीने राशि परिवर्तन करता है। राशि परिवर्तन करने के अलावा शुक्र के नक्षत्र में भी परिवर्तन होता रहता है। जिस प्रकार शुक्र के गोचर का असर सभी राशियों के जीवन पर पड़ता है, ठीक उसी तरह नक्षत्र परिवर्तन का भी प्रभाव पड़ता है।

आपको बता दें कि 11 अगस्‍त को शुक्र का नक्षत्र परिवर्तन होने जा रहा है। इस समय शुक्र माघ नक्षत्र में उपस्थित हैं और इसके बाद वे 11 अगस्‍त को पूर्वाफाल्‍गुनी नक्षत्र में प्रवेश कर जाएंगे। इस नक्षत्र के स्‍वामी स्‍वयं शुक्र ग्रह हैं इसलिए इस दौरान सभी राशियों के लोगों को अपने जीवन में विशेष परिणाम मिलने की संभावना है।

शुक्र के इस नक्षत्र में प्रवेश करने पर कुछ खास राशियों के लोगों का भाग्‍योदय होगा। इस ब्‍लॉग में हम आपको उन्‍हीं राशियों के बारे में बता रहे हैं जिन्‍हें शुक्र के पूर्वाफाल्‍गुनी नक्षत्र में गोचर करने पर लाभ ही लाभ प्राप्‍त होगा।

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ज्‍योतिष में पूर्वाफाल्‍गुनी नक्षत्र

वैदिक ज्‍योतिष में पूर्वाफाल्‍गुनी नक्षत्र कुल 27 नक्षत्रों में से ग्‍यारहवें स्‍थान पर आता है। इस नक्षत्र के स्‍वामी ग्रह शुक्र ही हैं। वैदिक ज्‍योतिष में इस नक्षत्र को जन्‍म नक्षत्र भी कहा जाता है। इस नक्षत्र का संबंध सिंह राशि से है जिसके स्‍वामी ग्रह सूर्य देव हैं। इस नक्षत्र को भाग्‍य और सफलता के संबंध में अंतदृष्टि प्रदान करने वाला माना गया है।

तो चलिए अब जानते हैं कि शुक्र के पूर्वाफाल्‍गुनी नक्षत्र में आने पर किन राशियों की किस्‍मत चमकने वाली है।

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इन राशियों को मिलेगा लाभ

मिथुन राशि

मिथुन राशि के तीसरे भाव में शुक्र का यह गोचर होने जा रहा है। यह समय आपके लिए बहुत ही ज्‍यादा भाग्‍यशाली साबित होगा। आपको अपने कार्यक्षेत्र में अपने काम के लिए सराहना प्राप्‍त होगी। आपके काम को देखते हुए आपके उच्‍च अधिकारी आपको प्रमोशन या वेतन में वृद्धि की सौगात दे सकते हैं।

आपको काम के सिलसिले में यात्रा पर जाना पड़ सकता है। व्‍यापारियों के भी खूब मुनाफा कमाने के आसार हैं। आपको इस समय हर क्षेत्र में लाभ होगा। आपके वैवाहिक जीवन में कोई परेशानी चल रही है या आपके और आपके पार्टनर के बीच कोई गलतफहमी हो गई थी, तो अब इन सभी समस्‍याओं का अंत हो जाएगा। आप सुखी वैवाहिक जीवन का आनंद लेंगे। आर्थिक क्षेत्र में आपको धन लाभ होने के संकेत हैं। आप अपने खर्चों को पूरा करने के साथ-साथ पैसों की बचत करने में भी सक्षम हो पाएंगे। इस दौरान आपका स्‍वास्‍थ्‍य भी अच्‍छा रहने वाला है।

मिथुन साप्ताहिक राशिफल

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कर्क राशि

कर्क राशि के लोगों के लिए शुक्र का राशि परिवर्तन करना लाभकारी सिद्ध होगा। आपको अपने भाग्‍य का साथ मिलेगा। नौकरीपेशा जातकों को अपने कार्यक्षेत्र में सफलता हासिल होगी। आपके लिए पदोन्‍नति के योग बन रहे हैं। इसके अलावा आपके वरिष्‍ठ अधिकारी आपके काम की प्रशंसा कर सकते हैं।

आपकी आर्थिक स्थिति मज़बूत रहेगी। व्‍यापारियों को मुनाफा कमाने के कई मौके मिल सकते हैं। आपकी आय के नए स्रोत खुलेंगे और आप खूब धन कमाने में सफल हो पाएंगे। अगर आप लंबे समय से किसी परेशानी में फंसे हुए हैं, तो अब आपको उससे छुटकारा मिल सकता है। आपके रिश्‍तों में खुशियां आने की संभावना है। आपको अपने परिवार के साथ अच्‍छा समय बिताने का मौका मिलेगा। आपको धन लाभ होगा।

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कुंभ राशि

कुंभ राशि के लोगों को शुक्र के नक्षत्र परिवर्तन करने पर हर क्षेत्र में लाभ प्राप्‍त होगा। इन्‍हें इस समय अपने भाग्‍य का पूरा साथ मिलेगा। रिश्‍तों में आई दूरियां अब कम हो सकती हैं। विदेश में नौकरी करने का सपना देख रहे हैं, तो अब आपको इस दिशा में सफलता मिल सकती है। आपके सहकर्मी आपका सहयोग करेंगे और आपको अपने उच्‍च अधिकारियों से भी प्रशंसा प्राप्‍त होगी।

व्‍यापारियों के लिए भी बड़े मुनाफे के योग बन रहे हैं। आपको नए प्रोजेक्‍ट मिल सकते हैं जिससे आपका मन प्रसन्‍न महसूस करेगा। सिंगल लोगों के लिए शादी का प्रस्‍ताव आ सकता है। शादीशुदा लोगों की जिंदगी में भी प्‍यार और स्‍नेह कायम रहेगा। प्रेम संबंधों के लिए भी अनुकूल समय है। छात्रों को शिक्षा के क्षेत्र में सफलता मिलेगी। सेहत को लेकर भी चिंता करने की ज़रूरत नहीं है।

कुंभ साप्ताहिक राशिफल

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

प्रश्‍न 1. पूर्वाफाल्‍गुनी नक्षत्र के स्‍वामी कौन हैं?

उत्तर. इस नक्षत्र के स्‍वामी शुक्र देव हैं।

प्रश्‍न 2. पूर्वाफाल्‍गुनी नक्षत्र में जन्‍मे व्‍यक्‍ति कैसे होते हैं?

उत्तर. ये लोग चतुर, प्रिय वक्‍ता और गंभीर स्‍वभाव के होते हैं।

प्रश्‍न 3. पूर्वाफाल्‍गुनी नक्षत्र की राशि कौन सी है?

उत्तर. पूर्वाफाल्‍गुनी नक्षत्र की राशि सिंह है।

प्रश्‍न 4. पूर्वाफाल्‍गुनी नक्षत्र किस ग्रह पर शासन करती है?

उत्तर. यह नक्षत्र शुक्र ग्रह का है।

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सूर्य के गोचर से मेष सहित इन जातकों की चमकेगी किस्मत; जानें देश दुनिया पर प्रभाव!

सूर्य का सिंह राशि में गोचर: एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको सूर्य का सिंह राशि में गोचर के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। साथ ही, यह भी बताएंगे कि इस गोचर का प्रभाव सभी 12 राशियों पर किस प्रकार से पड़ेगा। बता दें कुछ राशियों को सूर्य के गोचर से बहुत अधिक लाभ होगा तो, वहीं कुछ राशि वालों को इस अवधि बहुत ही सावधानी से आगे बढ़ने की आवश्यकता होगी क्योंकि उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, इस ब्लॉग में सूर्य ग्रह को मजबूत करने के कुछ शानदार व आसान उपायों के बारे में भी बताएंगे और देश-दुनिया व शेयर मार्केट पर भी इसके प्रभाव के बारे में चर्चा करेंगे।

बता दें कि सूर्य 16 अगस्त 2024 की शाम 07 बजकर 32 मिनट पर अपनी ही राशि सिंह में गोचर करने जा रहे हैं। तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं किस राशि के जातकों को इस दौरान शुभ परिणाम मिलेंगे और किन्हें अशुभ।

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ज्योतिष में, सूर्य व्यक्ति के मूल सार, उनके अहंकार, पहचान, जीवन शक्ति और बुनियादी व्यक्तित्व लक्षणों का प्रतिनिधित्व करता है। सूर्य को जीवन, स्वास्थ्य एवं शक्ति के देवता के रूप में मान्यता हैं। सूर्यदेव की कृपा से ही पृथ्वी पर जीवन बरकरार है। जन्म कुंडली में सूर्य की स्थिति यह संकेत दे सकती है कि आपके पास कितनी ऊर्जा है और आप इसे कैसे व्यक्त करते हैं। यह नियंत्रित करता है कि आप खुद को बाहरी रूप से कैसे व्यक्त करते हैं। इसके साथ ही, आपकी रचनात्मकता को भी नियंत्रित करता है।

सूर्य का सिंह राशि में गोचर: विशेषताएं

सूर्य उग्र और अग्नि तत्व के ग्रह हैं, जो रचनात्मकता, एथलेटिक्स, एथलीट, कलाकार, मनोरंजन आदि का प्रतिनिधित्व करता है। सूर्य सिंह राशि में प्रवेश कर रहे हैं और यह सूर्य की अपनी ही राशि है। सूर्य रचनात्मकता से जुड़ा हुआ ग्रह है। सिंह राशि चक्र की यह पांचवीं राशि है। काल पुरुष कुंडली के पांचवें भाव में स्थित होती है। रचनात्मकता पांचवें भाव से जुड़ा है। ऐसे में, सूर्य का सिंह राशि में गोचर के परिणामस्वरूप ये जातक बेहतरीन चित्रकार होने के अलावा, बेहतरीन डॉक्टर या सर्जन भी बनते हैं। ये लोग अपने विरोधियों पर जीत हासिल करते हैं और प्रतिद्वंद्वियों पर दबाव बनाने में सक्षम होते हैं।

ये काफी शक्तिशाली और आत्मविश्वास से भरे हुए होते हैं। इसके अलावा, नेतृत्व करने की क्षमता इनकी बढ़िया होती है। चूंकि किसी भी कुंडली में सूर्य पिता का भी प्रतिनिधित्व करते हैं इसलिए इन व्यक्तियों को अपने पिता से भी बहुत अधिक समर्थन प्राप्त होता है। वे अपने प्रियजनों के प्रति समर्पित होते हैं और उनका ध्यान आकर्षित करने पर ज़ोर देते हैं। वे अपने दोस्तों और परिवार के प्रति समर्पित होते हैं और अच्छे से उनकी देखभाल करते हैं। ये जातक जिनकी परवाह करते हैं उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। सूर्य का सिंह राशि में होने से जातक उच्च प्रतिष्ठा वाले लोग, जैसे डॉक्टर, एथलीट, सर्जन, प्रशासक और सरकारी अधिकारी होते हैं।

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सूर्य का सिंह राशि में गोचर: इन राशियों पर पड़ेगा सकारात्मक प्रभाव

मेष राशि

मेष राशि के जातकों के लिए सूर्य पांचवें भाव के स्वामी हैं और अब सूर्य का सिंह राशि में गोचर आपके पांचवें भाव में होगा। कुंडली में पांचवां भाव शिक्षा, प्रेम जीवन, संतान आदि का प्रतिनिधित्व करता है और और पिछले जन्म के कर्मों का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे में, सूर्य का सिंह राशि में गोचर मेष राशि के छात्रों के लिए फलदायी साबित होगा। इस दौरान आपकी एकाग्रता, ऊर्जा और बुद्धि काफ़ी मज़बूत रहेगी और इसका उपयोग आप पढ़ाई में सुधार लाने के लिए कर सकते हैं।

पांचवें भाव से सूर्य ग्यारहवें भाव पर दृष्टि डाल रहे हैं, जिसके फलस्वरूप आपकी आर्थिक दृष्टि अच्छी रहेगी। आपको अपने कार्यस्थल पर की गई मेहनत का पूरा लाभ मिलेगा। लेकिन जो जातक सट्टा से जुड़ी गतिविधियों जैसे निवेश या गैर-क़ानूनी सट्टेबाजी से संबंध रखते हैं, उन्हें इस अवधि में सतर्क रहना होगा क्योंकि आपको नुकसान होने की संभावना है। कुल मिलाकर, मेष राशि के जातकों के लिए यह समय अनुकूल रहेगा। हालांकि, इस दौरान आपको छोटी-मोटी बातों पर ओवर-रिएक्ट करने से बचना होगा।

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वृषभ राशि 

वृषभ राशि के जातकों के लिए सूर्य चौथे भाव के स्वामी हैं, जो अब आपके चौथे भाव में गोचर कर रहे हैं और यह भाव माता, घरेलू जीवन, घर, वाहन, संपत्ति आदि का प्रतिनिधित्व करता है। सूर्य का सिंह राशि में गोचर आपको अच्छे परिणाम प्रदान करेगा। आपको निश्चित रूप से लाभ होगा, समाज में मान-सम्मान बढ़ेगा और आपके काम की सराहना होगी। यह अवधि प्रॉपर्टी में निवेश के लिए या नया घर खरीदने के लिए भी उपयुक्त है। यदि आप ऐसा करने के बारे में सोच रहे हैं, तो आप माता के साथ मिलकर या उनके नाम पर संपत्ति खरीद सकते हैं।

चौथे भाव में स्थित सूर्य की दृष्टि आपके दसवें भाव पर पड़ेगी जिसका लाभ आपको पेशेवर जीवन में मिलेगा। इस दौरान आप कार्यस्थल पर अधिकारियों और वरिष्ठों को प्रभावित करने में सक्षम होंगे तथा उनका समर्थन भी आपको प्राप्त होगा। लेकिन चौथे भाव में सूर्य दिग्बल खो देते हैं और इसके परिणामस्वरूप आप भ्रमित हो सकते हैं। साथ ही, योजनाओं को सही तरीके से लागू करने में असफल हो सकते हैं। ऐसे में, सूर्य का सिंह राशि में गोचर को ध्यान में रखते हुए आपको सलाह दी जाती है कि अपने मेंटर से मार्गदर्शन प्राप्त करें।

तुला राशि

तुला राशि के जातकों के लिए सूर्य ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं,जो अब आपके ग्यारहवें भाव में ही गोचर करेंगे। कुंडली में यह भाव धन लाभ, इच्छाओं, बड़े भाई-बहन, पिता के परिवार के सदस्यों आदि का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे में, आपके ग्यारहवें भाव में सूर्य का सिंह राशि में गोचर होने से तुला राशि वालों को निश्चित रूप से ही बड़े भाई-बहनों, चाचा और पिता का समर्थन प्राप्त होगा। आपके धन-धान्य में वृद्धि तो होगी ही, लेकिन सामाजिक मान-सम्मान में भी बढ़ोतरी होगी। इन जातकों की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होगी। पिछले एक वर्ष में आपने करियर और व्यापार में जितनी भी मेहनत की है उसका फल आपको सूर्य गोचर के दौरान धन लाभ, सराहना और पहचान के रूप में मिलेगा। सूर्य का सिंह राशि में गोचर आपकी सामाजिक स्थिति और सामाजिक दायरे में वृद्धि करेगा और आपको नेटवर्किंग से लाभ हो सकता है।

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वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए सूर्य आपके दसवें भाव के स्वामी हैं और अब यह आपके दसवें भाव में प्रवेश करेंगे जो कि पेशे और कार्यस्थल का भाव है। कुंडली में सूर्य देव को दसवें भाव में दिशाओं का बल यानी कि दिग्बल प्राप्त होता है और इस वजह से सूर्य का सिंह राशि में गोचर आपके पेशेवर जीवन के लिए फलदायी साबित होगा। इन जातकों को कई बेहतरीन अवसर प्राप्त होंगे, विशेष तौर पर उन लोगों को जो सरकारी क्षेत्र, एमएनसी में काम करते हैं या फिर राजनेता, सर्जन, डॉक्टर आदि के रूप में कार्यरत हैं।

जिन लोगों का अपना व्यापार है उन्हें सरकार या उच्च अधिकारियों के माध्यम से लाभ प्राप्त होगा। सूर्य की इस भाव में मौजूदगी इन जातकों को कार्यस्थल पर ऊर्जावान बनाए रखेगी। साथ ही, आपकी बेहतरीन नेतृत्व क्षमता को दूसरों से सराहना मिलेगी। हालांकि, सूर्य का सिंह राशि में गोचर वृश्चिक राशि वालों के स्वाभिमान को उच्च स्तर पर लेकर जा सकता है जो कि कभी-कभी घमंड में बदल सकता है और इसे दूसरों के द्वारा गलत समझा जा सकता है। । ऐसे में, आपको सलाह दी जाती है कि सावधान रहें और किसी भी तरह की आलोचना को सकारात्मक रूप से लें, अन्यथा आपके अहंकार में वृद्धि हो सकती है।

धनु राशि

धनु राशि के जातकों के लिए सूर्य आपकी कुंडली में नौवें भाव के स्वामी हैं और यह अब आपके नौवें भाव में गोचर करने जा रहे हैं। कुंडली में नौवां भाव धर्म, पिता, लंबी दूरी की यात्राओं, तीर्थस्थल, भाग्य आदि का भाव है। ऐसे में, हम धनु राशि वालों को कहना चाहेंगे कि सूर्य आपके लिए भाग्येश हैं यानी कि आपके भाग्य के स्वामी जो अब अपने ही भाव में गोचर कर रहे हैं और इसके परिणामस्वरूप आपको भाग्य का भरपूर साथ मिलेगा। धनु राशि वालों के पेशेवर जीवन की बात करें तो, सूर्य का सिंह राशि में गोचर उन लोगों के लिए अच्छा रहेगा जो कंसलटेंट, मेंटर और टीचर के रूप में कार्यरत हैं। इस दौरान वह आसानी से दूसरों को प्रभावित करने, प्रेरित करने और अपनी बात को समझाने में सक्षम होंगे।

जो छात्र विदेश में पढ़ाई करने की योजना बना रहे हैं उनके लिए यह समय अच्छा रहेगा। इस दौरान आपको पिता, गुरु और मेंटर का समर्थन मिलेगा। नौवें भाव में बैठकर सूर्य की दृष्टि आपके तीसरे भाव पर होगी और इसके परिणामस्वरूप आपके साहस और आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। सूर्य का सिंह राशि में गोचर होने से धनु राशि के जातकों के बातचीत का तरीका प्रभावी रहेगा और छोटे भाई-बहनों का समर्थन भी आपको प्राप्त होगा।

सूर्य का सिंह राशि में गोचर: इन राशियों पर पड़ेगा नकारात्मक प्रभाव

मकर राशि

मकर राशि के जातकों के लिए सूर्य आपके आठवें भाव के स्वामी हैं जो कि मकर राशि के स्वामी शनि के साथ शत्रुता का भाव रखते हैं और अब यह आठवें भाव में गोचर करने जा रहे हैं। यह भाव दीर्घायु, अचानक से होने वाली घटनाओं, गोपनीयता आदि का प्रतिनिधित्व करता है। आठवें भाव में सूर्य का सिंह राशि में गोचर मकर राशि के जातकों के लिए चुनौतीपूर्ण रहेगा। आपको बता दें कि यह समय आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं रहने की आशंका है और ऐसे में, आपको हृदय एवं हड्डियों से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

इसके परिणामस्वरूप, आपको सलाह दी जाती है कि अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें और संतुलित खानपान अपनाने के साथ-साथ आपको अच्छी जीवनशैली बनाए रखनी होगी। किसी यात्रा के दौरान सतर्क रहें जिससे अचानक से होने वाली घटनाओं से बचा जा सके। इस अवधि में कुछ अप्रत्याशित घटनाएं हो सकती हैं जो कि आपको मानसिक तनाव दे सकती हैं। ससुराल पक्ष के साथ आपके संबंध ख़राब हो सकते हैं। इसके अलावा, आपको अनचाहे ख़र्चों से बचना होगा, अन्यथा आपको आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

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कुंभ राशि

कुंभ राशि के जातकों के लिए सूर्य आपके लग्नेश शनि से शत्रुता का भाव रखते हैं और आपके लिए सूर्य सातवें भाव के स्वामी हैं जो अब सातवें भाव में प्रवेश करने जा रहे हैं। कुंडली में सातवां भाव विवाह, जीवनसाथी और व्यापारिक साझेदारी का प्रतिनिधित्व करता है। इसके परिणामस्वरूप आपका अपने बिज़नेस पार्टनर या कार्यक्षेत्र में अपने सहकर्मियों के बीच टकराव हो सकता है इसलिए अपने शब्दों और व्यवहार पर नियंत्रण रखें।

सूर्य गोचर को वैवाहिक जीवन के लिए अनुकूल नहीं कहा जा सकता है क्योंकि सूर्य एक उग्र ग्रह है जो गुस्से, क्रोध तथा आक्रामकता का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे में, आपके पार्टनर के साथ अनचाहे विवाद और बहस होने की आशंका है जिसके चलते पार्टनर के साथ आपको संबंधों में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है इसलिए आपको वैवाहिक जीवन पर ध्यान देना होगा और अहंकार की भावना मन में लाने से बचना होगा।

सूर्य का सिंह राशि में गोचर: आसान उपाय

  • रविवार को गुड़, गेहूं और तांबा का दान करें।
  • रविवार को छोड़कर प्रतिदिन तुलसी के पौधे को जल दें।
  • हर रोज़ आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
  • अक्सर लाल और नारंगी रंग के कपड़े पहनें।
  • हर रोज़ तांबे के बर्तन में जल लेकर उसमें लाल गुलाब की पंखुड़ियां डालकर सूर्य को अर्घ्य दें।

सूर्य का सिंह राशि में गोचर: विश्वव्यापी प्रभाव

राजनीति और सरकार

  • सूर्य के सिंह राशि में गोचर करने से दुनिया भर के राजनेताओं और सरकारी संगठनों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
  • इस अवधि के दौरान भारत सरकार की नीतियां जनता को प्रभावित करेंगी और सरकार के कुछ निर्णयों की प्रशंसा होगी।
  • सरकार अधिकारपूर्वक देश की कमान संभालने के साथ-साथ दुश्मनों या बाहरी या पड़ोसी देशों से आने वाले किसी भी खतरे को रोकने के लिए साहसिक कदम उठाते नज़र आएंगे।
  • हमारे नेता आक्रामक लेकिन सोच-समझकर और समझदारी से काम लेते नज़र आएंगे।

क्रिएटिव राइटिंग और मीडिया

  • इस अवधि के दौरान, कलाकार और कला, वास्तुकला, डिजाइनिंग आदि जैसे रचनात्मक क्षेत्रों में लगे लोग उत्कृष्ट प्रदर्शन करेंगे।
  • लोग कला और संगीत के विभिन्न रूपों के बारे में अधिक जागरूक हो सकते हैं।
  • इस अवधि के दौरान फैशन उद्योग में तेजी आएगी।
  • संचार कौशल और बुद्धि से संबंधित क्षेत्रों जैसे मार्केटिंग, ग्राफिक डिजाइनिंग, फैशन कम्युनिकेशन आदि में वृद्धि देखने को मिलेगी।
  • फिल्म उद्योग और संगीत उद्योग में भी तेजी आएगी।
  • इस अवधि के दौरान फैशन या कला के छात्रों को अच्छे ऑफर मिल सकते हैं।

मेडिसिन और रिसर्च

  • भारत समेत दुनियाभर में रिसर्च और तकनीकी क्षेत्र प्रगति प्राप्त करेंगे। 
  • नर्सिंग, हीलिंग, मेडिसिन जैसे उद्योगों में विकास देखने को मिलेगा। फिर चाहे व्यापार बड़ा या छोटा हो, लोग इन व्यवसायों में रुचि लेते हुए नज़र आएंगे।
  • मेडिसिन या सर्जरी के क्षेत्र में नए अनुसंधानों को सफलता प्राप्त होगी। 

सूर्य का सिंह राशि में गोचर: शेयर बाजार रिपोर्ट

आइए अब इस शेयर बाजार भविष्यवाणी 2024 रिपोर्ट की मदद से देखें कि सूर्य का सिंह राशि में गोचर शेयर बाजार को किस तरह प्रभावित करेगा।

  • सूर्य के सिंह राशि में गोचर करने से रासायनिक उर्वरक उद्योग, चाय उद्योग, कॉफी उद्योग, इस्पात उद्योग, हिंडाल्को, ऊनी मिलों सहित अन्य उद्योगों के फलने-फूलने की उम्मीद है।
  • रिलायंस इंडस्ट्रीज, परफ्यूम और कॉस्मेटिक इंडस्ट्रीज, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी, सूचना प्रौद्योगिकी और अन्य क्षेत्रों में महीने के अंत तक मंदी रहेगी, लेकिन निरंतरता की संभावना है।
  • ऑप्टिकल और ग्लास से जुड़े उद्योग उच्च स्तर पर फलते-फूलते दिखाई देंगे।

सूर्य का सिंह राशि में गोचर: रिलीज होने वाली फिल्में और उनका भाग्य

फिल्म का नामस्टार कास्टरिलीज़ की तारीख
स्त्री 2श्रद्धा कपूर, राजकुमार राव15 अगस्त, 2024
वेदाजॉन अब्राहम15 अगस्त, 2024
क्रावेन हंटरआरोन टेलर जॉनसन30 अगस्त, 2024

जैसे ही सूर्य अपनी स्वयं की राशि (सिंह) में प्रवेश करेंगे, मनोरंजन उद्योग पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा क्योंकि सूर्य शुक्र की तरह रचनात्मकता के कारक हैं और इस अवधि के दौरान रिलीज होने वाली ऊपर सूचीबद्ध सभी फिल्में अच्छा या औसत से ऊपर का व्यवसाय करने के लिए तैयार हैं।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. क्या सिंह राशि में सूर्य उच्च के होते हैं?

उत्तर. नहीं, मेष राशि में सूर्य उच्च के होते हैं।

प्रश्न 2. सूर्य से कौन सी धातुएं जुड़ी हैं?

उत्तर. सोना और तांबा

प्रश्न 3. कुंडली में सूर्य को मज़बूत बनाने के लिए कौन सा रत्न पहनने की सलाह दी जाती है?

उत्तर. माणिक

शनि का होगा नक्षत्र परिवर्तन, तीन लोगों को नौकरी-बिज़नेस में मिलेगा जबरदस्‍त लाभ, सुख में होगी वृद्धि

शनि ग्रह उन ग्रहों में से एक हैं जो एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करने में बहुत अधिक समय लेते हैं। इन्‍हें सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह भी माना गया है। राशि के अलावा शनि नक्षत्र परिवर्तन करते हैं और जिस प्रकार शनि के गोचर का असर मानव जीवन पर पड़ता है, ठीक उसी प्रकार नक्षत्र परिवर्तन का प्रभाव भी होता है।

06 अप्रैल, 2024 को शनि देव ने बृहस्‍पति के पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में प्रवेश किया था। अब 18 अगस्‍त को शनि इसी नक्षत्र के प्रथम पद में प्रवेश करने जा रहे हैं। शनि इस पद में 03 अक्‍टूबर तक रहेंगे। शनि के पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र के पहले पद में आने पर कुछ राशियों के लोगों की बंद किस्‍मत के दरवाजे खुल सकते हैं।

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ज्‍योतिष में पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र

वैदिक ज्‍योतिष में कुल 27 नक्षत्र हैं जिनमें से पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र 25वें स्‍थान पर आता है। इस नक्षत्र के स्‍वामी ग्रह बृहस्‍पति हैं। इस नक्षत्र में जन्‍म लेने वाले लोग दूसरों को निर्देश देने और प्रेरित करने में निपुण होते हैं। ये बहुत नम्र, सभ्‍य और संस्‍कारी होते हैं लेकिन इनके अंदर हिंसक प्रवृत्ति भी देखी जा सकती है।

तो चलिए अब जानते हैं कि शनि के पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में आने पर किन राशियों के अच्‍छे दिन शुरू हो जाएंगे।

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इन राशियों को मिलेगा सौभाग्‍य

मिथुन राशि

मिथुन राशि के लोगों को इस समय अपने भाग्‍य का साथ मिलेगा। इन्‍हें हर क्षेत्र में सफलता मिलने के योग हैं। यदि आपका कोई काम लंबे समय से अटका हुआ है, तो अब वह बन सकता है। आपको अपने जीवन में सकारात्‍मक परिणाम प्राप्‍त होंगे। आप अपनी बुद्धिमानी से कई क्षेत्रों में सफलता पाने में सक्षम होंगे।

नौकरीपेशा जातकों को अपने कार्यक्षेत्र में उच्‍च सफलता प्राप्‍त होने की उम्‍मीद है। अगर आप किसी प्रकार के शारीरिक या मानसिक तनाव से ग्रस्‍त हैं, तो अब आपको उससे छुटकारा मिल सकता है। पारिवारिक समस्‍याओं का भी अब अंत होने वाला है। इस समय आपका स्‍वास्‍थ्‍य बहुत अच्‍छा रहेगा। कुल मिलाकर आपको इस समय किसी भी बात की चिंता करने की जरूरत नहीं है।

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कुंभ राशि

कुंभ राशि में शनि की साढ़ेसाती का आखिरी चरण चल रहा है। हालांकि, बृहस्‍पति के माध्‍यम से शनि देव इस राशि के लोगों को शुभ फल प्रदान करेंगे। आपके भौ‍तिक सुखों में वृद्धि देखने को मिलेगी। आपकी आय के नए स्रोत बनेंगे जिससे आपका मन प्रसन्‍न रहेगा। लंबे समय से अटके हुए काम भी अब पूरे हो सकते हैं।

यदि आप किसी प्रकार की स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या से ग्रस्‍त हैं, तो अब आपको उससे छुटकारा मिल सकता है। आपके अंदर जोश और उत्‍साह बढ़ेगा। आपके लिए धन लाभ के योग बन रहे हैं। आप अपने खर्चों को पूरा करने के साथ-साथ पैसों की बचत करने में भी सक्षम होंगे। बृहस्‍पति की शुभ दृष्टि आपके बारहवें भाव पर पड़ने की वजह से आपके अनावश्‍यक खर्चों में कमी आएगी। इससे आपकी आर्थिक‍ स्थिति बेहतर हो पाएगी। आपने अपने जीवन में जो बड़े लक्ष्‍य निर्धारित किए हैं, अब उन्‍हें पूरा करने का समय आ गया है। आपको सुख-समृद्धि मिलेगी और आपके जीवन में खुशहाली आएगी।

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तुला राशि

तुला राशि के लोगों को भी शनि के नक्षत्र परिवर्तन करने से लाभ मिलेगा। आपको अपने कार्यक्षेत्र में जिन समस्‍याओं का सामना करना पड़ रहा है, अब वे खत्‍म होंगी। नौकरीपेशा जातकों को नए और बेहतरीन अवसर मिलने के संकेत हैं। आपको व्‍यापार या अन्‍य किसी स्रोत से धन लाभ होने के आसार हैं।

आपकी आय के स्रोतों में वृद्धि देखने को मिलेगी। रुका हुआ पैसा वापस मिल सकता है। आपको अपनी कड़ी मेहनत का फल मिलने वाला है। रिश्‍तों में आई गलतफहमियां दूर होंगी जिससे आप खुश रहेंगे। आपकी इच्‍छाओं की पूर्ति होगी और आपको अपने दोस्‍तों का पूरा सहयोग मिलेगा। आपको अपने मित्रों की सहायता से धन लाभ होने की भी संभावना है।

आपको पैसों की तंगी से छुटकारा मिलेगा। फिज़ूलखर्चों में भी कटौती देखने को मिलेगी। आप पैसों की बचत कर पाने में भी कामयाब होंगे। आप अपने लिए प्रॉपर्टी या वाहन आदि खरीद सकते हैं।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

प्रश्‍न 1. पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में जन्‍मे बच्‍चे कैसे होते हैं?

उत्तर. ये नम्र, सभ्‍य और संस्‍कारी होते हैं।

प्रश्‍न 2. पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र का स्‍वामी ग्रह कौन है?

उत्तर. इस नक्षत्र के स्‍वामी ग्रह बृहस्‍पति हैं।

प्रश्‍न 3. पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में कौन से प्रसिद्ध लोग पैदा हुए थे?

उत्तर. श्री रामकृष्‍ण परमहंस और माइकल जैक्‍सन का जन्‍म हुआ था।

प्रश्‍न 4. पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र की कौन सी राशि है?

उत्तर. इसके पहले, दूसरे और तीसरे चरण की राशि कुंभ है।

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इन आसान उपायों से रोग होंगे दूर, मिलेगा स्वस्थ जीवन का आशीर्वाद!

हर इंसान एक स्वस्थ जीवन जीना और निरोगी काया पाना चाहता है, लेकिन कभी-कभी तमाम कोशिशों के बाद भी ऐसा नहीं हो पाता है। ऐसे में, व्यक्ति कई तरह के रोगों और बीमारियों का शिकार हो जाता है जिसकी वजह से न सिर्फ आपको बल्कि आपके करीबियों को भी समस्याओं का सामना करना पड़ता है और इलाज के बावजूद परिणाम निराशाजनक ही रहते हैं। अगर आप भी किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं, सब कुछ करके हार गये हैं और बीमारी पीछा नहीं छोड़ रही है तो यह पोस्ट आपके लिए है। एस्ट्रोसेज का यह विशेष ब्लॉग अनुभवी ज्योतिषी स्वामी अमितानंद जी महाराज द्वारा तैयार किया गया है। इस लेख में आप स्वामी जी द्वारा बताए गए सरल उपायों को अपनाकर स्वस्थ जीवन प्राप्त कर सकते हैं। 

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स्वस्थ एवं निरोगी जीवन के लिए करें ये उपाय  

नासै रोग हरै सब पीरा जपत निरंतर हनुमत बीरा” हनुमान जी का जाप सभी प्रकार की पीड़ा से मुक्ति देता है, यह आप सभी जानते हैं। आपको हम आज एक दिव्य प्रयोग बताने जा रहे हैं, अगर आपने इस प्रयोग को कर लिया तो आपकी हर व्याधि, रोग, दोष, पीड़ा छुमंतर हो जाएगी। 

  • कोई भी परेशानी या रोग होने पर आप मंगलवार के दिन से “हनुमान बाहुक ” का 11 बार पाठ प्रतिदिन कम से कम 11 दिनों तक संकल्पपूर्वक करें।  आपकी जो भी पीड़ा हो उसे दूर करने की प्रार्थना करते हुए संकल्प के साथ हनुमान जी से निवेदन करें कि “मै हनुमान बाहुक के 11 पाठ प्रतिदिन 11 बार करूंगा। आप हमारी अमूक पीड़ा/रोग दूर करें।” 

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  • इसके बाद, गौरी गणेश, राम पंचायत और हनुमान जी की पूजा करें। साथ ही, गुड़हल का लाल पुष्प समर्पित करें और भोग, आरती, क्षमा प्रार्थना आदि करने के बाद हनुमान बाहुक का पाठ बताई हुई विधि (पुस्तक मे विधि लिखी रहती है) से करें। 
  • प्रतिदिन पूजन पूर्ण होने पर सामने लोटे मे रखे जल को रोगी को पिला दें और कुछ जल घर मे छिड़क दें। ऐसा करने से रोग दूर हो जाएंगे। 

यह बहुत ही अद्भुत, दिव्य एवं अमोघ प्रयोग है। इसका लाभ उठाएं और दूसरों को भी बताएं। 

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. स्वास्थ्य की कमज़ोरी के लिए क्या ग्रह-नक्षत्र जिम्मेदार होते हैं? 

हाँ, कुंडली में ग्रहों की अशुभ या कमज़ोर स्थिति से व्यक्ति रोगों का शिकार हो जाता है। 

2.  कौन सा ग्रह कमज़ोर होने पर त्वचा से जुड़े रोग परेशान करते हैं?

बुध ग्रह के अशुभ होने पर त्वचा संबंधी समस्याएं परेशान करती हैं। 

3. अच्छे स्वास्थ्य के लिए किस भगवान की पूजा करें?

हनुमान जी की पूजा से उत्तम स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है।

 

रक्षाबंधन 2024: शुभ मुहूर्त, महत्व और राशि अनुसार तोहफे की संपूर्ण जानकारी मिलेगी सिर्फ यहां!

भाई बहन के रिश्ते को दर्शाता एक ऐसा खूबसूरत त्योहार जिसकी डोर बेहद ही मजबूत, पक्की और विश्वसनीय होती है। दरअसल सनातन धर्म में इस पवित्र और पावन त्यौहार को रक्षाबंधन कहते हैं। इस त्यौहार पर बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर उनकी रक्षा की, लंबी उम्र की, उत्तम स्वास्थ्य की और जीवन में सफलता की कामना करती है वहीं बदले में भाई उन्हें तोहफे देकर ता-उम्र उनकी हिफाजत करने का विश्वास दिलाते हैं। 

एस्ट्रोसेज का हमारा आज का यह खास ब्लॉग इसी बेहद ही खूबसूरत रिश्ते के इर्द-गिर्द तैयार किया गया है। इस ब्लॉग के माध्यम से हम जानेंगे साल 2024 में रक्षाबंधन का त्यौहार कब मनाया जा रहा है, इसका शुभ मुहूर्त और समय क्या रहने वाला है, रक्षाबंधन के त्यौहार का महत्व क्या होता है, इसके नियम और सावधानियां क्या-क्या है, साथ ही अगर आप अपनी बहन को रक्षाबंधन पर राशि अनुसार तोहफा देना चाहते हैं तो इसकी जानकारी भी हम आपको इस ब्लॉग के माध्यम से प्रदान कर रहे हैं। 

दुनियाभर के विद्वान ज्योतिषियों से करें कॉल/चैट पर बात और जानें रक्षाबंधन को और भी खास बनाने के उपाय

तो चलिए बिना देरी की शुरू करते हैं ये स्पेशल ब्लॉग और जानते हैं वर्ष 2024 में रक्षाबंधन कब मनाया जाएगा।

रक्षाबंधन 2024 समय- मुहूर्त 

सबसे पहले बात करें समय की तो साल 2024 में रक्षाबंधन का यह त्यौहार 19 अगस्त 2024 सोमवार के दिन मनाया जाएगा। इसके अलावा अगर आप मुहूर्त जानना चाहते हैं तो,

राखी बांधने का मुहूर्त :13:34:40 से 21:07:31 तक

अवधि :7 घंटे 32 मिनट

रक्षा बंधन अपराह्न मुहूर्त :13:42:42 से 16:19:24 तक

रक्षा बंधन प्रदोष मुहूर्त :18:56:06 से 21:07:31 तक

अधिक जानकारी: यहां हम आपको जो मुहूर्त प्रदान कर रहे हैं वह नई दिल्ली के लिए मान्य है। अगर आप अपने शहर के अनुसार इस दिन का शुभ मुहूर्त जानना चाहते हैं तो इस लिंक पर क्लिक करें।

रक्षाबंधन 2024 महत्व 

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट होता है कि, रक्षाबंधन का त्योहार रक्षा और बंधन जैसे दो शब्दों से जोड़कर बनाया गया है जिसमें एक तरफ तो भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देता है तो दूसरी तरफ एक पवित्र सूत्र को बहन अपने भाई की कलाई पर बांधकर उनके उत्तम स्वास्थ्य, दीर्घायु की कामना करती है। ऐसे में यह एक ऐसा बंधन होता है जो एक रिश्ते में रक्षा प्रदान करता है। 

रक्षाबंधन के इस त्यौहार को बहुत सी जगह पर राखी का त्यौहार भी कहा जाता है। इसके अलावा यहां एक बात का विशेष ध्यान रखना होता है कि राखी हमेशा शुभ मुहूर्त में ही बांधनी चाहिए। कभी भी भद्रा काल में रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाया जाता है। 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बात करें तो हिंदू ग्रंथो के अनुसार कहा जाता है कि जब असुरों और देवताओं के बीच युद्ध चल रहा था और इसमें इंद्रदेव हार गए थे तब उनकी पत्नी इंद्राणी ने इंद्रदेव की रक्षा और उनके युद्ध में जीतने के लिए इंद्र की कलाई पर पवित्र पीला धागा बांधा था। कहा जाता है इसके बाद वह विजई भी हुए। 

जब राजा बलि ने भगवान विष्णु से वचन लेकर उन्हें अपने साथ पाताल लोक में रख लिया था तब मां लक्ष्मी ने रक्षा राजा बलि ही कलाई पर राखी बांधी थी और बदले में उपहार के तौर पर उनसे भगवान विष्णु की वापसी का अनुरोध किया था। 

महाभारत से जुड़ी कहानी के अनुसार बात करें तो रानी द्रौपदी ने एक बार कृष्ण की चोट को ठीक करने के लिए उनकी कलाई पर अपनी पोशाक से एक कपड़ा फाड़ कर बांध दिया था। भगवान श्री कृष्णा इस बात से इतनी ज्यादा खुश और प्रभावित हुए कि उन्होंने द्रौपदी को अपनी बहन बना लिया और उनकी रक्षा करने की जिम्मेदारी ली।

आज का गोचर

रक्षाबंधन नियम और सावधानियाँ 

रक्षाबंधन के इस खास और पवित्र त्यौहार से संबंधित कुछ विशेष नियम और सावधानियां भी बताए गए हैं जिनका पालन करना बेहद ही अनिवार्य होता है। जैसे कि, 

  • इस दिन जल्दी उठकर भाई और बहन दोनों को स्नान अवश्य करना चाहिए। 
  • इस दिन दोनों साफ या मुमकिन हो तो नए वस्त्र धारण करें। 
  • इसके बाद भाई पूर्व या उत्तर की तरफ मुंह करके बैठ जाए। इस बात का ख्याल रखें कि भाई की पीठ पश्चिम या फिर दक्षिण दिशा में होनी चाहिए। 
  • इसके बाद भाई अपने हाथ में दक्षिणा या फिर चावल लेकर मुट्ठी बांध ले और अपनी बहन से राखी बंधवाएँ। 
  • सबसे पहले बहन खुद का और अपने भाई का सिर ढके, इसके बाद माथे पर कुमकुम का तिलक लगाकर अक्षत लगाए, सीधे हाथ में नारियल देकर भाई के हाथ में रक्षा सूत्र बाँधें। 
  • इस राखी में तीन गांठे लगाना बेहद शुभ माना जाता है।
  • रक्षा सूत्र बांधने के बाद बहनें भाई का मुंह मीठा कराएं और उनकी आरती उतारें और बदले में भाई अपनी बहन के पैर छुए, उनकी रक्षा का वादा करें और बदले में अपनी यथाशक्ति अनुसार उन्हें कोई उपहार अवश्य दें।
  • इसके अलावा इस विशेष नियम का खास करके ख्याल रखें की रक्षा सूत्र कभी भी काले रंग का नहीं होना चाहिए।

रक्षाबंधन राशि अनुसार तोहफे 

रक्षाबंधन का यह बेहद खूबसूरत त्यौहार भाई-बहन के रिश्ते की खूबसूरती को दर्शाता है। जहां हर बहन की कामना होती है कि उसका भाई स्वस्थ रहे, खुशहाल जीवन व्यतीत करें और सफलता की सीढ़ियां चढ़े वहीं भाई हमेशा अपनी बहन की हिफाजत करना चाहते हैं। ऐसे में अगर आप इस त्यौहार पर चार चांद लगाना चाहते हैं तो आप अपनी बहन को राशि अनुसार उपहार देकर भी ऐसा कर सकते हैं। 

आइए अपने इस विशेष सेगमेंट के माध्यम से जान लेते हैं कि इस रक्षाबंधन को और भी ज्यादा खास बनाने के लिए आप अपनी बहन को क्या कुछ राशि अनुसार तोहफे दे सकते हैं:

मेष राशि: मेष राशि के जातकों पर मंगल ग्रह का प्रभाव होता है ऐसे में अगर आपकी बहन की राशि मेष है तो आप उन्हें धातु से बनी कोई वस्तु, कोई शोपीस गिफ्ट दे सकते हैं। इसके अलावा आप चाहें तो उन्हें लाल रंग की कोई चीज, कोई ड्रेस या कोई भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस दे सकते हैं। 

वृषभ राशि: अगर आपकी बहन की राशि वृषभ है तो आप उन्हें परफ्यूम, कोई खूबसूरत रेशमी कपड़ा या संगमरमर की कोई मूर्ति उपहार में दे सकते हैं। दरअसल वृषभ राशि पर शुक्र का स्वामित्व होता है और ये सभी चीज़ें शुक्र ग्रह से संबंधित होती हैं। 

मिथुन राशि: अगर आपकी बहन की राशि मिथुन है तो आप उन्हें पेन का सेट, खेलने कूदने का कोई समान, या हरे रंग की कोई फोटो जिसमें हरियाली नजर आ रही हो यह उपहार में दे सकते हैं क्योंकि मिथुन राशि का स्वामी बुध होता है।

कर्क राशि: कर्क राशि के जातकों पर चंद्रमा का विशेष प्रभाव देखने को मिलता है। ऐसे में अगर आपकी बहन की राशि कर्क है तो आप उन्हें चांदी से बनी कोई चीज या फिर मोतियों से बना कोई गहना, सफेद चीज, कोई गाड़ी या ऐसी कोई चीज उपहार में दे सकते हैं।

सिंह राशि: अगर आपकी बहन की राशि सिंह है तो आप उन्हें सोने का कोई आभूषण, तांबे की कोई वस्तु, लकड़ी का कोई शोपीस या फिर सुनहरे रंग की कोई वस्तु उपहार में दे सकते हैं।

कन्या राशि: कन्या राशि का स्वामी भी बुध को माना गया है। ऐसे में अगर आपकी बहन की राशि कन्या है तो आप इस रक्षाबंधन पर उन्हें कांसे की कोई मूर्ति, हरे रंग की कोई ड्रेस, पन्ना की अंगूठी, गणेश जी की मूर्ति, कोई अच्छी किताब या पेन गिफ्ट में दे सकते हैं।

इष्ट देवता

तुला राशि: अगर आपकी बहन तुला राशि की है अर्थात शुक्र के स्वामित्व वाली राशि से संबंधित है तो आप अपनी बहन को कपड़े, आभूषण, इतर या फिर परफ्यूम तोहफे में दे सकते हैं।

वृश्चिक राशि: वृश्चिक राशि का स्वामी भी मंगल ग्रह होता है। ऐसे में अगर आपकी बहन की राशि वृश्चिक है तो आप उन्हें लाल रंग की कोई मिठाई, मूँगे से बना कोई आभूषण, कोई अंगूठी या फिर तांबे की कोई वस्तु उपहार में दे सकते हैं।

धनु राशि: धनु राशि के जातकों पर गुरु ग्रह अर्थात बृहस्पति का प्रभाव होता है। ऐसे में अगर आपकी बहन की राशि भी धुन है तो आप इन्हें किताब, सोने का कोई आभूषण, वस्त्र उपहार में दे सकते हैं।

मकर राशि: मकर राशि के जातकों पर शनि का प्रभाव देखा जाता है। अगर आपकी बहन की राशि भी मकर है तो आप उन्हें मोबाइल, लैपटॉप या कोई वाहन उपहार में दे सकते हैं।

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कुंभ राशि: कुंभ राशि के जातकों पर भी शनि का प्रभाव देखने को मिलता है। ऐसे में अगर आपकी बहन की राशि कुंभ है तो आप उन्हें कोई खूबसूरत फुटवियर, ब्रेसलेट, पत्थर से बना कोई शो पीस या फिर नीलम के आभूषण उपहार में दे सकते हैं।

मीन राशि: राशि चक्र की आखिरी राशि मीन पर गुरु का स्वामित्व होता है। अगर आपकी बहन भी मीन राशि की है तो आप उन्हें सोने के आभूषण, पीली मिठाई, पीले रंग का वस्त्र, फिश एक्वेरियम आदि उपहार में दे सकते हैं।

क्या यह जानते हैं आप? मान्यता के अनुसार रक्षाबंधन के दिन आप अपनी बहन को उपहार में चाहे कुछ भी दें लेकिन चांदी की कोई वस्तु अवश्य उन्हें दें। कहा जाता है कि बहन को चांदी का तोहफा देने से ऐश्वर्य, सुख और शांति जीवन में बनी रहती है। चांदी को एक ऐसी धातु मान जाता है जो व्यक्ति के जीवन में सौभाग्य बढ़ाती है। इसके अलावा इस बात का भी विशेष ध्यान रखें कि थाली पर अर्थात जिस थाल में रक्षाबंधन की पूजा की गई हो उसमें कुछ पैसे अवश्य रखें। इसके बिना रक्षाबंधन की पूजा अधूरी मानी जाती है।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल 

प्रश्न 1: 2024 में रक्षाबंधन कब है? 

उत्तर: 2024 में 19 अगस्त 2024 को रक्षाबंधन मनाया जाएगा। 

प्रश्न 2: भद्रा में रक्षाबंधन क्यों नहीं मनाते हैं?

उत्तर: भद्रा का समय रक्षाबंधन के लिए शुभ नहीं माना जाता है। ऐसे में इस दौरान राखी बांधना वर्जित होता है। 

प्रश्न 3: क्या पंचक में राखी बांध सकते हैं? 

उत्तर: जिस तरह से भद्रा में रक्षाबंधन मनाना वर्जित होता है उसी तरह से पंचक में भी भाई की कलाई पर राखी बांधने से बचने की सलाह दी जाती है। 

प्रश्न 4: राखी रात में क्यों नहीं बांधी जाती है? 

उत्तर: हिंदू धर्म के अनुसार भद्राकाल या रात्रि के समय राखी नहीं बांधी जाती है क्योंकि सूर्यास्त के बाद कोई भी शुभ कार्य वर्जित होता है। 

प्रश्न 5: क्या रक्षाबंधन बैंक अवकाश है?

उत्तर: रक्षाबंधन 2024 बैंक अवकाश होता है और 19 अगस्त को देशभर के सभी बैंक बंद होंगे।