मंगल दोष से चाहिए छुटकारा तो नवरात्रि के तीसरे दिन इस विधि से करें मां की पूजा और उपाय!
शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा को यह नाम कैसे मिला, उनके इस नाम का अर्थ क्या होता है, मां का स्वरूप कैसा है, मां की पूजा से क्या लाभ मिलता है, मां चंद्रघंटा का प्रिय रंग, प्रिय फूल, प्रिय भोग और मां का स्वरूप कैसा है यह सभी बातें जानने के लिए पढ़े हमारा यह खास ब्लॉग।
आगे बढ़ने से पहले इस बारे में जानकारी हासिल कर लेते हैं कि वर्ष 2024 में नवरात्रि की तृतीया तिथि किस दिन पड़ने वाली है। साथ ही इस दिन का हिंदू पंचांग क्या कुछ कहता है।
शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन और चौथे दिन तृतीया तिथि रहने वाली है। अर्थात इस वर्ष 5 अक्टूबर 2024 शनिवार और 6 अक्टूबर 2024 रविवार के दिन तृतीया तिथि रहेगी और इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाएगी। बात करें इस दिन से संबंधित हिंदू पंचांग की तो 5 अक्टूबर को पूर्ण रात्रि तक तृतीया तिथि रहने वाली है। इस दिन शुक्ल पक्ष रहेगा, स्वाति नक्षत्र रहेगा और विश्कुंभ योग रहेगा। इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त की बात करें तो 11:45:38 सेकंड से लेकर अभिजीत मुहूर्त 12:32:40 सेकंड तक रहने वाला है।
इसके अलावा रविवार 6 अक्टूबर 2024 को भी इस वर्ष तृतीया तिथि ही पड़ रही है। यह 7:51:44 सेकंड तक रहेगी। इस दिन भी शुक्ल पक्ष है, विशाखा नक्षत्र रहेगा और प्रीति योग पूर्ण रात्रि तक रहने वाला है। इस दिन के अभिजीत मुहूर्त की बात करें तो इस दिन 11:45:24 सेकंड से लेकर 12:32:19 सेकंड तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा।
कैसा है माँ का स्वरूप?
मां चंद्रघंटा के स्वरूप की बात करें तो यह बेहद ही शांति दायक और कल्याणकारी है। माता ने मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र धारण किया हुआ है जिसकी वजह से माँ को चंद्रघंटा नाम से जाना जाता है। मां चंद्रघंटा शेर पर सवारी करती हैं। मां के 10 हाथों में कमल और कमंडल के अलावा शास्त्र हैं। मां के माथे पर अर्धचंद्र सुशोभित है। मां के कंठ में श्वेत पुष्प की माला और रत्न जड़ित मुकुट विराजमान है। मां चंद्रघंटा युद्ध की मुद्रा में नजर आती हैं।
मान्यता है कि जो कोई भी भक्त मां चंद्रघंटा की पूजा करता है उन्हें शांति प्राप्त होती है। इसके अलावा मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप अर्थात चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा करने से व्यक्ति को परम शक्ति का अनुभव होता है। इसके साथ ही जो कोई भी भक्त मां चंद्रघंटा की भक्ति पूर्वक पूजा करता है उनके जीवन में सौम्यता और शांति बनी रहती है, कष्टों का निवारण होता है। ऐसे साधक परम पराक्रमी और निर्भीक स्वभाव के हो जाते हैं।
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मां का यह स्वरूप अपने भक्तों की प्रेत बाधा से रक्षा करता है। साथ ही ऐसे साधक चिरायु, आरोग्य, सुखी और संपन्न जीवन का सुख भोगते हैं। अगर आपका स्वभाव क्रोधी है या आप छोटी-छोटी बातों पर भी क्रोध करने लगते हैं, छोटी-छोटी बातों से विचलित हो जाते हैं, तनाव लेने लगते हैं या पित्त प्रकृति के हैं तो आपको मां चंद्रघंटा की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
…तो ऐसे पड़ा माँ का नाम चंद्रघण्टा
मां चंद्रघंटा में ब्रह्मा, विष्णु और महेश इन तीनों देवों की शक्तियां समाहित है। चूंकि मां के माथे पर घंटे के आकार में अर्थ चंद्र सुशोभित होता है यही वजह है की मां का नाम चंद्रघंटा पड़ा।
अब बात करें मां के पूजा मंत्र, प्रिय भोग और शुभ रंग की तो इस दिन की पूजा में इस मंत्र को अवश्य शामिल करें
“या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नमः।”
पिंडजप्रवरारूढा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।
बीजमंत्र- ऐं श्रीं शक्तयै नम:।
मां के प्रिय भोग की बात करें तो जैसा कि हमने पहले भी बताया कि नवरात्रि के नौ दिनों के लिए अलग-अलग भोग निर्धारित किए गए हैं। ऐसे में अगर आप मां चंद्रघंटा की प्रसन्नता हासिल करना चाहते हैं तो इन्हें केसर की खीर और दूध से बनी हुई मिठाई अवश्य अर्पित करें।
इसके अलावा पंचामृत, चीनी और मिश्री भी माता रानी को बेहद प्रिय होती है। आप चाहे तो नवरात्रि की तृतीया तिथि की पूजा में आप माँ को इन चीजों का भी भोग अवश्य लगाएँ।
अब बात करें मां के प्रिय रंग की तो इस दिन की पूजा में आप सुनहरे या फिर पीले रंग के वस्त्र अवश्य धारण करें। इसे बेहद शुभ माना गया है। इसके अलावा मां चंद्रघंटा की पूजा में सफेद कमल या फिर पीले गुलाब की माला अगर आप शामिल करते हैं तो आपकी मनोकामना शीघ्र और अवश्य पूरी होने लगती है।
शारदीय नवरात्रि तीसरा दिन- अवश्य आजमाएं यह अचूक उपाय
अब बात करें शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन किए जाने वाले उपायों की तो यहां हम आपको कुछ राशि अनुसार उपाय बता रहे हैं जिन्हें करने से आप अपनी मनोकामना पूर्ति करवा सकते हैं।
मेष राशि- मेष राशि के जातक मां को दूध से बनी मिठाई और लाल रंग के फूल चढ़ाएँ।
वृषभ राशि- वृषभ राशि के जातक मां को सफेद फूल और सफेद चंदन अवश्य अर्पित करें।
मिथुन राशि- मिथुन राशि के जातक माता को खुद खीर बनाकर उसका भोग लगाएँ।
कर्क राशि- कर्क राशि के जातक नवरात्रि की तृतीया तिथि पर मां को दही चावल और बताशे का भोग लगाएँ।
सिंह राशि- सिंह राशि के जातक मां को रोली और केसर अवश्य अर्पित करें।
कन्या राशि- कन्या राशि के जातक मां को दूध और चावल से बनी खीर का भोग लगाएँ।
तुला राशि- अगर आपकी राशि तुला है तो इस दिन मां को लाल चुनरी अवश्य अर्पित करें।
वृश्चिक राशि- वृश्चिक राशि के जातक दोनों पहर की पूजा में आरती अवश्य करें और मां को गुड़हल के पुष्प अर्पित करें।
धनु राशि- धनु राशि के जातक नवरात्रि की तृतीया तिथि के दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करें।
मकर राशि- मकर राशि के जातक माता को दूध से बनी हुई मिठाई का भोग लगाएँ।
कुंभ राशि- कुंभ राशि के जातक माता रानी को हलवे का भोग लगाएँ और देवी कवच का पाठ करें।
मीन राशि- मीन राशि के जातक नवरात्रि की तृतीया तिथि पर दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और मां को केले और फूल अर्पित करें।
इसके अलावा अगर आपको मंगल ग्रह से संबंधित दोष अपने जीवन में उठाने पड़ रहे हैं तो नवरात्रि के तीसरे दिन मां को लाल रंग के फूल, एक तांबे का सिक्का, हलवा और सुख मेवे अर्पित करें। पूजा करने के बाद आप इस सिक्के को अपनी पर्स में रखें या मुमकिन हो तो धागे में पिरो कर गले में धारण करें।
मां चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्त निर्भीक होते हैं, जीवन से प्रेत बाधा का साया हटता है, व्यक्ति के पराक्रम में वृद्धि होती है, जीवन सुखमय बनता है, साथ ही कुंडली में मौजूद मंगल दोष से भी छुटकारा मिलता है।
4: माता चंद्रघंटा को कौन सा कलर पसंद है?
मां चंद्रघंटा को पीले या फिर सुनहरे रंग के वस्त्र अति प्रिय होते हैं यही वजह है कि इस दिन की पूजा में इन दोनों ही रंग हो या इनमें से कोई भी एक रंग को शामिल करने की सलाह दी जाती है।
मिथुन राशि में गुरु वक्री देश-दुनिया और राशि समेत शेयर बाज़ार में भी मचाएंगे उथल-पुथल!
गुरु वक्री 2024: एस्ट्रोसेज की हमेशा से यही पहल रही है कि किसी भी महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना की नवीनतम अपडेट हम अपने रीडर्स को समय से पहले दे पाएँ और इसी कड़ी में हम आपके लिए लेकर आए हैं जल्द ही वक्री होने वाले गुरु से संबंधित यह खास ब्लॉग।
दरअसल इस ब्लॉग के माध्यम से हम जानेंगे मिथुन राशि में गुरु वक्री होने के बारे में जो की 9 अक्टूबर 2024 को 10:01 पर होने वाला है। साथ ही जानेंगे कि इसका राशियों पर, देश पर, विश्व की घटनाओं पर और शेयर बाजार पर कैसा प्रभाव पड़ेगा।
हिंदू पंचांग के अनुसार शनि के अलावा बृहस्पति एकमात्र ऐसा ग्रह माना गया है जिसे एक पूर्ण चक्र पूरा करने में लंबा समय लगता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बृहस्पति का गोचर 13 महीना तक चलता है जिसका अर्थ होता है कि बृहस्पति को एक राशि का चक्र पूरा करने में अर्थात एक राशि में अपना गोचर करने में तकरीबन 13 महीने का समय लगता है। इसी तरह बृहस्पति के वक्री होने की घटना को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। औसतन बृहस्पति हर साल कम से कम एक बार वक्री आवश्यक होता है।
गुरु गोचर का अर्थ होता है कि जब भी गुरु अर्थात बृहस्पति या अंग्रेजी में जिसे जुपिटर कहते हैं वह एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है। वहीं वक्री की बात करें तो जब कोई भी ग्रह आगे बढ़ने की जगह पीछे की तरफ बढ़ने लगता है तो इसे वक्री होना कहते हैं। पृथ्वी से देखने पर वक्री स्थिति में ग्रह आगे की ओर चलते हुए नजर आते हैं। हालांकि जब यह पीछे की ओर जाने लगते हैं तो इससे वक्री घटना के नाम से जाना जाता है।
मिथुन राशि में गुरु वक्री- विशेषताएं
बृहस्पति की वक्री गति विशेष रूप से मिथुन राशि में व्यस्तता और समझ तक पहुंचने में देरी लेकर आ सकती है। बुनियादी शिक्षा और उच्च शिक्षा के बीच चयन से भ्रम और बाधाएँ पैदा हो सकती हैं। बृहस्पति की वक्री गति के चलते आपको दूसरों के साथ बातचीत करने अपने विचार व्यक्त करने और जरूरत पड़ने पर सहायता प्राप्त करने में महत्वपूर्ण कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।
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इसके अलावा इस अवधि में बातचीत में कठिनाइयां और असहमति नजर आ सकती है जिससे वित्तीय प्रबंधन, कर्तव्यों को पूरा करना आपके लिए मुश्किल हो सकता है। यदि आपके और आपके बच्चों के बीच बेवजह और अप्रत्याशित बहस होती है तो आपका पारिवारिक रिश्ते खराब हो सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ गुरु आपको धर्म और धार्मिक ग्रंथो के बारे में ज्यादा जानकारी और जिज्ञासु भी बना सकता है।
मिथुन राशि में गुरु वक्री से इन राशियों पर पड़ेगा नकारात्मक प्रभाव
मेष राशि
गुरु की वक्री स्थिति किसी व्यक्ति के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है। खासकर जब वह मेष राशि के तीसरे घर में स्थित हो। तृतीय भाव में बृहस्पति शत्रु राशि में स्थित माना जाता है। इसका अर्थ हुआ कि बृहस्पति का प्रभाव काफी हद तक हानिकारक हो सकता है। ऐसे में जीवन में मिलने वाले लाभ को पूरी तरह से साकार करने में आपको कुछ कठिनाइयां या बाधाएँ दूर करने की आवश्यकता पड़ेगी।
बृहस्पति नवम और 12वें घर पर शासन करता है इसलिए तीसरे घर में बृहस्पति की स्थिति का मूल्यांकन करते समय इन संबंधों पर विचार करना महत्वपूर्ण रहेगा। यह दोनों ही भाव ज्ञान, आध्यात्मिकता नई जगह की खोज और खुद को भौतिक संबंधों से मुक्त करने से जुड़े माने जाते हैं। इस अवधि में मेष राशि के जातक कुछ ऐसे उत्तर खोजते नजर आएंगे जो आपको आध्यात्मिक मार्ग पर ले जाएंगे। बृहस्पति के वक्री होने पर आपका वैवाहिक जीवन कष्ट भी उठाने पड़ सकते हैं।
वृषभ राशि
वृषभ राशि के जातकों के लिए बृहस्पति आठवें घर का स्वामी है और साथ ही 11वें घर का भी स्वामी है। क्योंकि बृहस्पति की मूल त्रिकोण राशि अष्टम भाव में आती है और बृहस्पति दूसरे घर में वक्री हो रहा है ऐसे में बृहस्पति वृषभ राशि के जातकों के लिए विशेष रूप से हानिकारक माना जा सकता है इसलिए दूसरे घर में स्थित होने पर बृहस्पति आर्थिक मुद्दों या व्यक्तिगत संपत्ति से संबंधित कुछ समस्याएं आपके जीवन में लेकर आ सकता है। वक्री बृहस्पति अल्प लाभ के लिए भी आपसे अतिरिक्त प्रयास कर सकता है अर्थात थोड़े से लाभ के लिए भी आपको ज्यादा प्रयास करने की आवश्यकता पड़ेगी।
इस अवधि के दौरान वित्त क्षेत्र में काम करने वाले या बड़े निवेश करने वाले लोगों को नुकसान हो सकता है और उन्हें इस अवधि के दौरान धन संचय करने के लिए अधिक संघर्ष करना पड़ेगा। इसका स्पष्ट अर्थ यह हुआ की वृषभ राशि के जातकों को विभिन्न निवेश विकल्पों के बारे में सीखने या अपने संचार कौशल में सुधार करने से लाभ हो सकता है जो व्यापारिक सौदों में सहायता करेगा जिसके परिणाम स्वरुप धन संचय में आप वृद्धि कर सकेंगे।
तीसरी जिस राशि के लिए गुरु वक्री की ये अवधि हानिकारक रहने वाली है वह है कर्क राशि। कर्क राशि के जातकों के लिए बृहस्पति छठे और नवम भाव पर शासन करता है और अब आपके 12वें घर में वक्री होने जा रहा है। हालांकि इस राशि के जातकों को निवेश या वित्तीय सुरक्षा के रास्ते में कुछ चुनौतियों का सामना अवश्य करना पड़ेगा लेकिन आपके मजबूत आध्यात्मिक संबंध आपको इन चुनौती पूर्ण परिस्थितियों को शालीनता से संभालने के काबिल बनेंगे।
बढ़ी हुई अस्थिरता के इस दौर में निर्णय लेते समय सावधानी बरतना आपके लिए महत्वपूर्ण रहेगा क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति का चार्ट अद्वितीय होता है और ग्रहों की स्थिति इसका केवल एक घटक माना जाता है। ऐसे में निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले ग्रहों की स्थिति के समग्र परिणाम पर हमेशा विचार किया जाना चाहिए। इस अवधि के दौरान विदेश यात्रा या स्थानांतरण बाधाओं और देरी से भरा रहने वाला है। आपकी किस्मत अच्छे से बुरे और इसके विपरीत भी बदल सकती है।
मकर राशि
आखिरी जिस राशि के लिए गुरु वक्री परेशानी जनक साबित हो सकते हैं वह है मकर राशि। मकर राशि के जातकों के लिए बृहस्पति तीसरे और 12वें घर का स्वामी है और अब अपनी वक्री अवस्था में आपके छठे घर में स्थित होगा। ऐसे में बृहस्पति जातकों के लिए अधिक नकारात्मक संकेत दे रहा है। पारस्परिक रिश्ते, तनाव पूर्ण हो सकते हैं और सहकर्मियों के साथ टकराव होने की भी प्रबल आशंका है जो आपको अजीब परिस्थितियों में डाल सकता है और आपको अनुचित लाभ उठा सकता है।
तीसरे और छठे घर का स्वामी होने के बाद छठे घर में बृहस्पति का वक्री होना आपको त्वचा की एलर्जी, अन्य पर्यावरणीय एलर्जी, गले या स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं आने के संकेत भी दे रहा है। अगर बृहस्पति बहुत अच्छी स्थिति में नहीं है तो कुछ लोगों के लिए घातक दुर्घटनाएं भी हो सकती है। हालांकि यह व्यक्तिगत राशिफल पर निर्भर करता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से यह स्थिति बहुत खराब मानी जाती है। इस राशि के जातकों को मोटापे से संबंधित परेशानियां भी हो सकती है।
मिथुन राशि में गुरु का वक्री- राहत दिलाएंगे ये उपाय
मिथुन राशि में वक्री बृहस्पति के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए आप बृहस्पति से संबंधित कुछ सटीक और अचूक उपाय भी कर सकते हैं जैसे कि,
रोजाना नहाने के पानी में एक चुटकी हल्दी डाल लें।
गरीब लोगों और गायों को केले खिलाएँ।
मंदिर में गुड़ और चने की दाल का दान करें।
विष्णु सहस्त्रनाम कर नियमित रूप से पाठ करें।
गरीबों को पीली मिठाई या फिर पीले रंग के कपड़ों का दान करें।
अपने दाहिने हाथ की तर्जनी में पीला नीलम रत्न धारण करें।
मिथुन राशि में बृहस्पति का वक्री होना लोगों को ऐसी स्थिति में डाल सकता है जो उन्हें आध्यात्मिक मार्गदर्शन के लिए प्रेरित करेगी और भारत में आध्यात्मिक प्रथाओं में शामिल लोगों की संख्या में इजाफा देखने को मिलेगा।
इस समय के आसपास भारत आने वाले अंतरराष्ट्रीय आगंतुकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिलेगी जो स्वयं को प्रबुद्ध करने के लिए आध्यात्मिकता की तलाश कर रहे हैं।
तेल, घी, दूध और अन्य डेयरी उत्पादों सहित खाद्य पदार्थों की कीमत में थोड़ी वृद्धि देखी जाएगी।
आध्यात्मिक उद्देश्यों के लिए उपयोग किए जाने वाले उत्पादों के निर्यात में अचानक और अस्पष्ट रूप से गिरावट नजर आ सकती है।
सरकार एवं प्राधिकारी
सरकार में मंत्री और उच्च पदों पर आसीन लोग देश और दुनिया की मौजूदा जरूरत के अनुरूप विभिन्न नीतियों में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव करते नजर आएंगे।
मंत्री और सरकारी अधिकारी अगर सोच विचार नहीं करेंगे और सार्वजनिक रूप से नहीं बात करेंगे तो मुसीबत में फंस सकते हैं। उनके बयान पर निगाहें और सवाल खड़े हो सकते हैं।
देश और दुनिया में हेल्थ केयर सेक्टर महत्वपूर्ण कर्मियों को बताया और उनसे निपटने की तैयारी करेगा।
विशेष रूप से संचार से संबंधित नौकरियां या व्यवसाय, वित्तीय प्रबंधन, बैंकिंग और वित्तीय संस्थानों से जुड़े लोगों को कुछ असफलताओं और तनाव का अनुभव हो सकता है।
परामर्शदाता, शिक्षक, प्रशिक्षक, प्रोफेसर जैसे शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों को इस गोचर से लाभ होगा लेकिन कार्य स्थल पर कुछ अनिश्चित या प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना भी आपको करना पड़ सकता है।
इस गोचर के दौरान लेखन और दार्शनिकों को अपनी शोध थीसिस या कहानियां और अन्य प्रकाशन कार्यों का पुनर्गठन करते हुए देखा जा सकता है। यह परिवर्तन आपके लिए निराशा और मानसिक रुकावट का कारण बन सकते हैं।
शोधकर्ताओं, सरकार के सलाहकारों, वैज्ञानिकों को इस गोचर से दुनिया भर में इस तरह से लाभ होगा कि वह विभिन्न समस्याओं का पता लगाने या नए समाधान ढूंढने में कामयाब होंगे और चीजों को पूरी अलग तरह से अलग दृष्टिकोण से देख पाएंगे।
मिथुन राशि में बृहस्पति वक्री- क्या पड़ेगा शेयर बाजार पर असर?
9 अक्टूबर 2024 को बृहस्पति ग्रह मिथुन राशि में वक्री हो जाएंगे और अन्य सभी ग्रहों की तरह इस घटना का भी शेयर बाजार पर निश्चित रूप से प्रभाव पड़ेगा। एस्ट्रोसेज आपको 9 अक्टूबर के लिए शेयर बाजार के लिए अपनी भविष्यवाणी यहां प्रदान करने जा रहा है। यहां आप जान पाएंगे कि बृहस्पति जब मिथुन राशि में वक्री होंगे तो बृहस्पति से संबंधित हर उद्योग या क्षेत्र में क्या कुछ बदलाव नजर आ सकते हैं।
हालांकि अचानक और अप्रत्याशित गिरावट के साथ पूरे शेयर बाजार में तेजी देखने को मिलेगी।
बैंकिंग, सार्वजनिक क्षेत्र, भारी इंजीनियरिंग, कपड़ा उद्योग, हीरा व्यवसाय, चाय, कॉफी उद्योग, ऊनी उद्योग, सौंदर्य प्रसाधन, तंबाकू, रिलायंस इंडस्ट्रीज, रिलायंस कैपिटल, रिलायंस पावर, टाटा पावर, और अदानी पावर मजबूती से आगे बढ़ेंगे लेकिन अचानक से नुकसान की भी आशंका बन रही है।
हालांकि 18 तारीख के बाद गति धीमी होने लगेगी। मुनाफा वसूली से बाजार की हालत खराब होती नजर आएगी और सार्वजनिक क्षेत्र की वजह से बाजार खास तौर पर कमजोर हो सकता है।
इलेक्ट्रिक उपकरण व्यवसाय, सूचना प्रौद्योगिकी, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर, पेपर प्रिंटिंग, विज्ञापन, फार्मास्यूटिकल उद्योग और शिपिंग में महत्वपूर्ण कमजोरी नजर आ सकती है।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह ब्लॉग ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
1: बृहस्पति किस राशि में उच्च का माना जाता है?
कर्क राशि में बृहस्पति उच्च के माने जाते हैं।
2: क्या मिथुन राशि में बृहस्पति एक अच्छा स्थान है?
मिथुन राशि में बृहस्पति किसी व्यक्ति को कुछ पहलुओं में लाभ दिला सकता है। खासकर अगर वह संचार क्षेत्र, बैंकिंग या विद्युत क्षेत्र में काम कर रहे हैं तो।
3: क्या बृहस्पति आकाशीय क्षेत्र में सबसे अधिक लाभकारी ग्रह है?
बृहस्पति सभी ग्रहों में सबसे अधिक लाभकारी और सकारात्मक ग्रह माना जाता है क्योंकि यह देवगुरु है।
शश राजयोग से शनि इन राशियों को बनाएंगे धनवान, सुख-वैभव की नहीं होगी कमी
साल 2025 में न्याय के देवता शनि ग्रह स्वराशि कुंभ से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करेंगे। 29 मार्च, 2025 को शनि बृहस्पति की राशि मीन में गोचर करेंगे। हालांकि, इस समय शनि कुंभ राशि में विराजमान हैं जिससे शश राजयोग का निर्माण हो रहा है। इस तरह कुंभ राशि से जाते-जाते भी शनि देव कुछ राशियों के जातकों की किस्मत को चमका देंगे।
मार्च 2025 तक शश राजयोग का प्रभाव देखने को मिलेगा और इस योग से कुछ राशियों के लोगों को असीम लाभ होने की संभावना है। इन्हें धन लाभ के साथ-साथ करियर में बड़ी उपलब्धि मिलने के आसार हैं। पारिवारिक जीवन सुखमय रहेगा और व्यापार में भी मुनाफा होगा।
इस ब्लॉग में आगे उन राशियों के बारे में विस्तार से बताया गया है जिन्हें शनि के कुंभ राशि में उपस्थित रहने से बन रहे शश राजयोग से लाभ होने के संकेत हैं लेकिन उससे पहले आप शश राजयोग के बारे में जान लीजिए।
ज्योतिष में शश राजयोग का महत्व
यह पंच महापुरुष राजयोग में से एक है। शनि के लग्न भाव या चंद्र भाव से केंद्र के भाव में स्थित होने पर शश राजयोग बनता है। इसका अर्थ है कि जब शनि लग्न या चंद्रमा से पहले, चौथे, सातवें या दसवें भाव में तुला, मकर या कुंभ राशि में उपस्थित होंगे, तब शश राजयोग का निर्माण होगा। यह एक दुर्लभ राजयोग है जिसे अत्यंत शुभ और प्रभावशाली माना जाता है। जिन लोगों की कुंडली में यह राजयोग होता है, उन्हें समाज में खूब मान-सम्मान मिलता है।
तो चलिए अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि शनि का शश राजयोग किन राशियों की किस्मत पलटने वाला है।
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
इन राशियों का चमकेगा भाग्य
वृषभ राशि
शनि देव वृषभ राशि के दशम भाव में गोचर करेंगे। इस समय आपको चारों दिशाओं से लाभ प्राप्त होने की उम्मीद है। आपको अचानक से धन लाभ भी हो सकता है। इसके साथ ही आपको वाहन सुख भी मिलेगा। आप अपने लिए नया घर या प्रॉपर्टी भी खरीद सकते हैं। इस दौरान आप अपने करियर को लेकर कोई महत्वपूर्ण निर्णय ले सकते हैं जिससे आपको आगे चलकर ज़रूर फायदा होगा।
आप कोई ऐसा निर्णय ले सकते हैं जिसके लिए बहुत साहस की ज़रूरत हो। आपकी आमदनी में जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिलेगी जिससे आप पैसों की बचत कर पाने में भी सक्षम होंगे।
तुला राशि के पांचवे भाव में शनि देव मौजूद हैं। इस समय समाज में आपका मान-सम्मान बढ़ेगा और आपकी पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। नौकरीपेशा जातकों के लिए पदोन्नति के योग बन रहे हैं। आप नौकरी बदलने के बारे में भी सोच सकते हैं। इस दिशा में आपके प्रयास ज़रूर सफल होंगे। आपके वेतन में भी वृद्धि होने के आसार हैं।
छात्रों के लिए अच्छा समय है। इन्हें परीक्षा में शानदार सफलता मिलने के योग हैं। इसके अलावा आप अपने कार्यक्षेत्र में कोई बड़ी उपलब्धि हासिल कर सकते हैं।
इस राशि के तृतीय भाव में शनि देव उपस्थित हैं। आपको इस समय काफी संघर्ष करना पड़ेगा लेकिन उसके बाद आपको सफलता ज़रूर मिलेगी। आपको अपने कार्यक्षेत्र में जिन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था, अब वे सब समाप्त हो जाएंगी। हालांकि, आप अपनी संतान को लेकर थोड़ी चिंता में आ सकते हैं लेकिन धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा।
शनि मकर राशि के दूसरे भाव में स्थित हैं। आपको इस समयावधि में अपनी कड़ी मेहनत का पूरा फल प्राप्त होगा। अपनी मेहनत का फल पाकर आप काफी प्रसन्न महसूस करेंगे। अगर आप विदेश जाने का सपना देख रहे हैं, तो अब आपकी यह इच्छा भी पूरी हो सकती है।।
आपके घर में कोई शुभ या मांगलिक कार्यक्रम आयोजित हो सकता है। लंबे समय से अटके हुए काम भी पूरे हो सकते हैं। वहीं जिन लोगों के विवाह में कोई बाधा या रुकावट आ रही थी, अब वह
भी दूर हो जाएगी। सिंगल जातकों के लिए विवाह के योग बन रहे हैं।
अब घर बैठे विशेषज्ञ पुरोहित से कराएं इच्छानुसार ऑनलाइन पूजा और पाएं उत्तम परिणाम!
कुंभ राशि
कुंभ राशि में शनि देव विराजमान हैं इसलिए यह समय आपके लिए बहुत भाग्यशाली रहने वाला है। आपके धन में वृद्धि देखने को मिलेगी। आपको अधिक पैसा कमाने के शानदार अवसर प्राप्त होंगे। आपके लिए आकस्मिक धन लाभ के योग भी बन रहे हैं। आपकी पद-प्रतिष्ठा में भी इज़ाफा देखने को मिलेगा।
नौकरीपेशा जातकों को भी अपने कार्यक्षेत्र में उन्नति मिलेगी। व्यापारियों को भी मोटा मुनाफा होने के आसार हैं। अगर आप किसी कानूनी पचड़े में फंसे हुए हैं, तो अब आपको उससे मुक्ति मिल सकती है।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह ब्लॉग ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!
अक्टूबर में दो बार बुध बदलेंगे अपनी चाल, चमकाने वाले हैं इन राशियों की किस्मत
बुध के गोचर के लिए अक्टूबर का महीना बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस महीने में बुध दो बार गोचर करने वाले हैं और एक बार उदित भी होंगे। बता दें कि पहले बुध महाराज 10 अक्टूबर 2024 की सुबह 11 बजकर 09 मिनट पर तुला राशि में गोचर करेंगे। इसके बाद 22 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 58 मिनट पर तुला राशि में उदित होंगे और फिर 29 अक्टूबर को रात को 10 बजकर 24 मिनट पर वृश्चिक राशि में प्रवेश कर जाएंगे।
इस प्रकार अक्टूबर में बुध का दो बार गोचर होगा। ज्ञान और बुद्धि के कारक बुध के संचरण से सभी राशियों के लोगों का जीवन प्रभावित होगा लेकिन कुछ राशियां ऐसी हैं जिन्हें इस दौरान सबसे अधिक लाभ मिलने की संभावना है। इस ब्लॉग में आगे विस्तार से उन्हीं राशियों के बारे में बताया गया है जिन्हें बुध के गोचर से अपार सफलता मिलने के आसार हैं।
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
इन राशियों का चमकेगा भाग्य
तुला राशि
बुध का पहला गोचर तुला राशि में ही होने जा रहा है। इसके अलावा बुध उदित भी इस ग्रह की राशि में ही होंगे। तुला राशि के जातकों के लिए बुध के दोनों ही गोचर फायदेमंद साबित होंगे। इस समय आपका आत्मविश्वास काफी बढ़ जाएगा। आपको अपने करियर में जिन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, अब वे सब समाप्त हो जाएंगी। व्यापारियों को भी अधिक मुनाफा होने की उम्मीद है।
आपकी धन-संपत्ति में वृद्धि होगी और आपको समय-समय पर आकस्मिक धन लाभ होने की उम्मीद है। सिंगल जातकों के लिए शादी का प्रस्ताव आ सकता है। इस समय आपकी वाणी में मधुरता बढ़ेगी जिससे आप लोगों को प्रभावित करने में सफल होंगे।
बुध के गोचर वृश्चिक राशि के जातकों के आर्थिक जीवन को सीधी तरह से प्रभावित करेंगे। आप इस समय पैसों की बचत करने में सक्षम होंगे। सेविंग करने के कारण आपकी वित्तीय स्थिति मज़बूत रहने वाली है। यदि आपको अब तक पैसों की तंगी का सामना करना पड़ रहा है, तो अब आपकी यह समस्या दूर हो जाएगी।
आप सभी प्रकार की सुख-सुविधाओं का आनंद लेंगे। आपका जीवन पहले से बेहतर होने वाला है। इस समय आपके अंदर एक अलग ही जुनून देखने को मिलेगा। आपका आत्मविश्वास भी बहुत ज्यादा बढ़ जाएगा। आपको अपने कार्यों में निश्चित ही सफलता मिलेगी। आपकी योजनाओं के भी सफल होने की उम्मीद है। आपके सारे सपने पूरे होंगे और समाज में आपका मान-सम्मान भी बढ़ेगा। नौकरीपेशा जातकों के लिए तरक्की के योग बन रहे हैं।
बुध के गोचरों से लाभान्वित होने वाली राशियों में आखिरी नाम मकर राशि का है। यह महीना मकर राशि के जातकों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा। आपको अपने व्यवसाय में सफलता मिलने के योग हैं। नौकरीपेशा जातकों को भी प्रमोशन मिल सकता है। आपको अपने कार्यक्षेत्र में वो सब कुछ मिलेगा, जिसकी आपने बस कल्पना ही की थी।
आपने पूर्व में जो मेहनत की है, अब आपको उसका फल मिलने वाला है। इस समय आप तरक्की की सीढ़ी चढ़ते हुए नज़र आएंगे। आपको आकस्मिक धन लाभ हो सकता है। व्यापारी कोई नया बिज़नेस शुरू करने के बारे में सोच सकते हैं। नौकरी की तलाश कर रहे जातकों को भी अच्छी नौकरी मिल सकती है।
बुध को बुद्धि और सीखने की क्षमता का कारक बताया गया है। बुध सीखने की क्षमता को बढ़ाते हैं और व्यापार के क्षेत्र में सफलता प्रदान करते हैं। कुंडली में बुध ग्रह की स्थिति उत्तम स्वास्थ्य और खुशियां लेकर आती है। इस ग्रह के प्रभाव में जातक अपने व्यापार के संबंध में गहराई से रिसर्च करने और सोच-समझकर निर्णय लेने के लिए प्रेरित रहते हैं। कुंडली में बुध देव की मज़बूत स्थिति अध्यात्म और व्यापार में रुचि रखने को बढ़ावा देती है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1. बुध तुला राशि में कब गोचर कर रहे हैं?
उत्तर. बुध 10 अक्टूबर को तुला राशि में संचरण करेंगे।
प्रश्न 2. अक्टूबर में बुध किस राशि में उदित हो रहे हैं?
उत्तर. 22 अक्टूबर को बुध तुला राशि में उदित होंगे।
प्रश्न 3. 29 अक्टूबर को बुध किस राशि में प्रवेश करेंगे?
उत्तर. 29 अक्टूबर को बुध का संचरण वृश्चिक राशि में होगा।
प्रश्न 4. बुध ग्रह किन राशियों के स्वामी हैं?
उत्तर. बुध को मिथुन और कन्या राशि का आधिपत्य प्राप्त है।
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शारदीय नवरात्रि: दूसरे दिन के ये अचूक उपाय भर देंगे झोली- एक बार अवश्य आजमाएँ!
समय चल रहा है शारदीय नवरात्रि का और प्रतिपदा या घट स्थापना के बाद अब बारी है नवरात्रि की द्वितीया तिथि की। वर्ष 2024 में नवरात्रि की द्वितीया तिथि कब पड़ने वाली है, द्वितीया तिथि पर देवी के किस स्वरूप की पूजा की जाती है, इनकी पूजा करने का क्या महत्व होता है, देवी के द्वितीय स्वरूप को किस चीज का भोग प्रिय होता है, कौन सा रंग प्रिया होता है और क्या कुछ उपाय करके हम देवी की कृपा अपने जीवन में प्राप्त कर सकते हैं आपके इन सभी सवालों का जवाब आपको मिलेगा एस्ट्रोसेज के इस खास ब्लॉग में।
तो चलिए बिना देरी किए शुरू करते हैं हमारा नवरात्रि स्पेशल यह विशेष अंक और जान लेते हैं शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण और जानने वाली बातों की जानकारी। सबसे पहले बात करें कि वर्ष 2024 में नवरात्रि की द्वितीया तिथि कब पड़ने वाली है तो,
वर्ष 2024 में नवरात्रि का दूसरा दिन द्वितीया तिथि के रूप में मनाया जाएगा जो की 4 अक्टूबर 2024 शुक्रवार के दिन पड़ने वाला है। इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व बताया गया है। इसके अलावा बात करें नवरात्रि की द्वितीया तिथि के हिंदू पंचांग की तो, इस दिन द्वितीया तिथि रहेगी, पक्ष शुक्ल रहेगा, नक्षत्र चित्रा रहेगा, योग वैधृति योग रहेगा। बात करें इस दिन के अभिजीत मुहूर्त की तो यह 11:45:53 सेकंड से लेकर 12:33:2 सेकंड तक का रहेगा।
कैसा है माँ का स्वरूप?
अब बात करें मां के स्वरूप की तो जैसा कि हमने पहले भी बताया कि नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व बताया गया है। मां का स्वरूप कैसा है इस बारे में बात करें तो मां ब्रह्मचारिणी को इस लोक के समस्त चर और अचर जगत की विद्याओं का ज्ञाता माना जाता है। मां का स्वरूप श्वेत वस्त्र में लिपटी हुई कन्या के रूप में दर्शाया गया है जिनके एक हाथ में अष्टदल की माला है, दूसरे हाथ में इन्होंने कमंडल धारण किया हुआ है, यह अक्षय माला और कमंडल धारिणी ब्रह्मचारिणी नामक दुर्गा शास्त्रों के ज्ञान और निगमागम तंत्र मंत्र से संयुक्त मानी जाती हैं।
मान्यता है कि जो कोई भी भक्त मां ब्रह्मचारिणी की पूजा भक्ति भाव से करता है मां उन पर अपनी सर्वज्ञ संपन्न विद्या न्योछावर कर देती हैं। मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप बहुत ही सदा और भव्य है। अन्य देवियों की तुलना में देखें तो मां का यह स्वरूप बेहद ही सौम्य, क्रोध से रहित और बहुत जल्द प्रसन्न होकर वरदान देने वाला माना गया है।
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
देवी ब्रह्मचारिणी का नाम दो अक्षरों से मिलकर बना है ब्रह्मा जिसका अर्थ होता है तपस्या और चारणी का अर्थ होता है आचरण करने वाली, अर्थात माता के नाम का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली माता। कहा जाता है कि जो कोई भी भक्त मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना करते हैं उन्हें सुख, सौभाग्य, आरोग्य जीवन, आत्मविश्वास में वृद्धि, आयु और अभय की प्राप्ति होती है।
बहुत से लोग मां ब्रह्मचारिणी को ब्राह्मी के नाम से भी जानते हैं। अगर आप परिस्थितियों में या यूं कहिए नकारात्मक परिस्थितियों में बहुत जल्दी व्याकुल हो उठते हैं या आपके जीवन में कोई कठिन दौर चल रहा है जिससे आपके जीवन से शांति भंग हो गई है तो माता के इस स्वरूप की पूजा और उपवास अवश्य करें। इससे आपको शांति मिलेगी।
…तो ऐसे पड़ा माँ का नाम ब्रह्मचारिणी
कहते हैं मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में पर्वत राज के यहां पुत्री बनाकर जन्म लिया और इसके बाद महर्षि नारद के कहने पर उन्होंने अपने जीवन में महादेव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की। हजारों वर्षों तक कठिन तपस्या के कारण मां का नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी पड़ गया। अपनी तपस्या की अवधि ने उन्होंने कई वर्षों तक निराहार रहकर और बेहद ही कठिन तप करके महादेव को प्रसन्न किया था। उनके इसी तप के प्रतीक के रूप में नवरात्रि के दूसरे दिन मां के इस स्वरूप की पूजा की जाती है।
बात करें मां के पूजा मंत्र, प्रिय भोग और शुभ रंग की तो इस दिन की पूजा में यह मंत्र अवश्य शामिल करें:
या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
दधाना कपाभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।
नवरात्रि के बारे में कहा जाता है कि नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों को अलग-अलग भोग लगाने का महत्व होता है। ऐसे में बात करें दूसरे दिन के भोग की तो मां भगवती को चीनी का भोग बेहद प्रिय है। ऐसे में अगर कुछ बहुत भव्य नहीं तो आप इस दिन की पूजा में माँ को चीनी का भोग अवश्य लगाएँ। ऐसा करने से आपको लंबी आयु का वरदान प्राप्त होगा। जीवन से रोग, शोक और दुख दूर होंगे, साथ ही आपके जीवन में अच्छे विचार आने लगेंगे।
इसके अलावा रंग की बात करें तो नवरात्रि के दूसरे दिन का संबंध पीले रंग से जोड़कर देखा जाता है। ऐसे में इस दिन माता को भी पीले रंग के वस्त्र धारण कराएं और हो सके तो खुद भी पीले रंग के वस्त्र पहनकर इस दिन की पूजा करें। इसके अलावा आप छोटे-छोटे उपाय भी कर सकते हैं जैसे इस दिन की पूजा में पीले फूल, पीली मिठाई, आदि भी शामिल करें। पीला रंग माँ के पालन पोषण करने के स्वभाव को दर्शाता है। इसके साथ ही पीला रंग सीखने और ज्ञान का संकेत भी माना गया है और यह रंग उत्साह, खुशी और बुद्धि का प्रतीक माना जाता है।
शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन अवश्य आजमाएं यह अचूक उपाय
अंत में बात करें इस दिन किए जाने वाले कुछ ज्योतिषीय उपायों की तो,
नवरात्रि के दूसरे दिन आप थोड़ी सी मिश्री लेकर इस पर 108 बार माता के मंत्र का जाप करें। इसके बाद इस मिश्री को अपने बच्चों को खिला दें। ऐसा करने से आपका बच्चा मेधावी, होनहार, बुद्धिमान बनेगा।
वैवाहिक जीवन में प्रेम और सद्भावना बनाए रखने के लिए आप लाल या फिर काले गुंजा के पांच दाने ले लें। इसे एक मिट्टी के बर्तन में या फिर मिट्टी के दीए में शहद भरकर उसमें डुबो दें। इस उपाय को करते समय अपने जीवनसाथी का नाम अवश्य लेते रहें और कोशिश करें कि यह उपाय जीवनसाथी के अलावा कोई और ना जान पाए।
जिन लोगों की कुंडली में मंगल दोष की समस्या है जिसकी वजह से उनका विवाह नहीं हो पा रहा है उन्हें चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी का आशीर्वाद पाकर शुद्ध किया हुआ मंगल रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है।
आर्थिक परेशानी जीवन में निरंतर बनी हुई है और धन संचित नहीं कर पा रहे हैं तो नवरात्रि के दूसरे दिन स्नान करने के बाद एक सबूत फिटकरी का टुकड़ा लेकर इसे लाल कपड़े में बांधकर घर या ऑफिस के मुख्य द्वार पर टांग दें।
करियर में तरक्की प्राप्त करना चाहते हैं तो नवरात्रि के दूसरे दिन थोड़ा सा कच्चा सूत लेकर उसे केसर से रंग लें फिर इस रंगे हुए सूत्र को अपने व्यापार स्थल पर बांध दें। अगर आप नौकरी करते हैं तो आप इसे अपनी अलमारी, दराज, मेज में भी रख सकते हैं।
इसके अलावा अगर आप अपने जीवन में मनोबल बढ़ाना चाहते हैं, अपने जीवन में ऊर्जा के बढ़ोतरी करना चाहते हैं तो माँ ब्रह्मचारिणी के चरणों में तीन मुखी रुद्राक्ष रखकर उसकी विधिपूर्वक पूजा करें और फिर इसे धारण कर लें। हालांकि कोई भी रुद्राक्ष या फिर रत्न धारण करने से पहले विद्वान ज्योतिषियों से परामर्श हमेशा ले लें।
अगर आप अपने ज्ञान में बढ़ोतरी करना चाहते हैं, जीवन में शांति हासिल करना चाहते हैं तो मां ब्रह्मचारिणी के स्रोत का पाठ करें। तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्। ब्रह्मरूप धरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥ शङ्कर प्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी। शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
1: नवरात्रि का 2 दिन कौन सा है?
वर्ष 2024 में नवरात्रि का दूसरा दिन या द्वितीया तिथि 4 अक्टूबर 2024 शुक्रवार के दिन पड़ रही है।
2: नवरात्रि के दूसरे दिन क्या करना चाहिए?
नवरात्रि के दूसरे दिन मां के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा करें, उन्हें भोग में मिश्री अवश्य अर्पित करें, साथ ही इस दिन की पूजा में पीले रंग ज्यादा से ज्यादा शामिल करें।
3: नवरात्रि के दूसरे दिन माता को क्या भोग लगाएँ?
नवरात्रि के दूसरे दिन माता को चीनी मिश्री या फिर पीले रंग की वस्तुओं का भोग लगाएँ।
घटस्थापना पर बन रहे हैं अद्भुत संयोग- शुभ मुहूर्त में की पूजा तो मिलेगा अक्षय फल!
सनातन धर्म का सबसे खूबसूरत त्यौहार नवरात्रि का त्योहार जल्द ही शुरू होने वाला है। हम बात कर रहे हैं शारदीय नवरात्रि की। दरअसल वर्ष में कुल चार नवरात्रि पड़ती है जिनमें से दो गुप्त नवरात्रि कहलाती है और एक चैत्र नवरात्रि कही जाती है और एक शारदीय नवरात्रि काही जाती है। गुप्त नवरात्रि की तुलना में शारदीय और चैत्र नवरात्रि का महत्व अधिक माना जाता है।
आज के अपने इस खास ब्लॉग में हम शारदीय नवरात्रि के बारे में जानकारी हासिल करेंगे। साथ ही जानेंगे कि इस वर्ष शारदीय नवरात्रि किस दिन से प्रारंभ हो रही है, इस दिन घट स्थापना का मुहूर्त क्या रहेगा, इस दिन कौन-कौन से शुभ और दुर्लभ योग बन रहे हैं, साथ ही जानेंगे मां इस वर्ष कौन से वाहन पर बैठकर आगमन करने वाली हैं और उसका क्या अर्थ होता है।
सबसे पहले बात करें नवरात्रि प्रारंभ कब हो रही है तो दरअसल वर्ष 2024 में अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि अर्थात 3 अक्टूबर को सुबह 12:19 तक रहेगी और यह अगले दिन यानी 4 अक्टूबर को सुबह 2:58 पर समाप्त होगी। ऐसे में उदय तिथि के हिसाब से शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ 3 अक्टूबर 2024 गुरुवार से होगा और 12 अक्टूबर 2024 शनिवार के दिन शारदीय नवरात्रि का समापन हो जाएगा।
शारदीय नवरात्रि 2024- घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
हिंदू मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है और साथ ही इस दिन कलश भी स्थापित किया जाता है जिसे घट स्थापना कहते हैं। घट स्थापना हमेशा शुभ मुहूर्त में ही करना फलदाई रहता है। ऐसे में बात करें वर्ष 2024 में घट स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है तो 3 अक्टूबर को 6:19 से लेकर 7:23 तक घट स्थापना का शुभ मुहूर्त रहेगा।
साथ ही इस दिन अभिजीत मुहूर्त 11:52 से लेकर 12:40 तक रहेगा। ऐसे में इस दौरान घट स्थापना की जा सकती है। इससे आपको शुभ परिणाम प्राप्त होंगे।
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
क्या रहेगा मां का आगमन वाहन?
नवरात्रि के बारे में एक बेहद दिलचस्प बात होती है जो बहुत लोगों को नहीं पता होती है दरअसल यह है कि माँ किसी एक निश्चित वाहन पर बैठकर आगमन करती हैं और एक अन्य वाहन से उनका प्रस्थान हो जाता है। इसका अपने आप में एक अलग और महत्वपूर्ण अर्थ होता है।
बात करें शारदीय नवरात्रि में मां का आगमन वाहन क्या रहेगा तो दरअसल वर्ष 2024 में चूंकि नवरात्रि गुरुवार के दिन से प्रारंभ हो रही है ऐसे में मां का आगमन डोली से होगा। इसके अर्थ की बात करें तो जब भी माँ डोली से आगमन करती हैं तो यह सुख समृद्धि लेकर आने वाला साबित होता है।
इसके अलावा मां के प्रस्थान वाहन की बात करें अर्थात माँ किस वाहन पर बैठकर वापस अपने लोक को जाएंगी तो दरअसल इस वर्ष का माँ का प्रस्थान वाहन चरणायुध होने वाला है अर्थात बड़े पंजे वाला मुर्गा। जहां एक तरफ डोली की सवारी को शुभ माना गया है वहीं दूसरी तरफ मुर्गे की सवारी का देश पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है।
इस नवरात्रि पर बन रहे हैं कई दुर्लभ और शुभ योग
घटस्थापना अपने आप में बेहद महत्वपूर्ण होती है। हालांकि इस वर्ष जो बात घट स्थापना को और भी ज्यादा खास और महत्वपूर्ण बना रही है वो है इस दिन बनने वाले तमाम अद्भुत और शुभ योग। दरअसल इस साल घट स्थापना के दिन दुर्लभ योग इंद्र योग का निर्माण हो रहा है। इसके अलावा भी कई योग बन रहे हैं।
ज्योतिष के जानकार मानते हैं कि अगर इन योगों में मां देवी दुर्गा की पूजा की जाए तो साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इन दुर्लभ योगों के बारे में विस्तार से बात करें तो एक तरफ तो इंद्र योग बन रहा है। इस योग का समापन 4 अक्टूबर को सुबह 4:24 पर होगा। इसके बाद आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर शिव वास योग का निर्माण होता है। इस दिन भगवान शिव कैलाश पर जगत की देवी मां गौरी के साथ विराजमान रहेंगे। ऐसे में इन योगों में अगर मां शक्ति दुर्गा की पूजा की जाए तो इससे व्यक्ति को मनोरथ सिद्धियों की प्राप्त होती है।
नवरात्रि का यह समय मां दुर्गा का आशीर्वाद पाने के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। ऐसे में यहां हम आपको कुछ ऐसे बेहद ही सरल और चमत्कारी उपाय बताने जा रहे हैं जिन्हें अपना कर आप अपने जीवन में सफलता, सुख, समृद्धि, संपन्नता, हासिल कर सकते हैं।
अगर आपके जीवन में आर्थिक परेशानी बनी हुई है तो इसके लिए शारदीय नवरात्रि के दौरान एक पीला कपड़ा लेकर इसमें लौंग बांधकर घर की तिजोरी में रख दें। आप खुद महसूस करेंगे कि धीरे-धीरे आपके जीवन में आर्थिक स्थिति में सुधार होने लग रहा है और कर्ज और दरिद्रता की परेशानी दूर हो रही है।
इसके अलावा अगर आपके जीवन में लड़ाई झगड़ा बहुत बढ़ गया है, घर में नकारात्मकता फैली हुई है, उदासी छाई रहती है तो नवरात्रि के दौरान सुबह के समय कपूर में दो लौंग डालकर जला दें और ऐसा आपको पूरी 9 दिनों तक करते रहना है। ऐसा करने से गृह कलेश और घर में फैली नकारात्मकता दूर होती है।
अगर आपके काम पूरे ना हो पा रहे हों, आपकी मेहनत के बावजूद आपको सफलता नहीं मिल रही हो जिससे आपका तनाव बढ़ रहा हो तो इसके लिए नवरात्रि के पूरे 9 दिनों तक चमेली के तेल में दो लौंग डालकर जलाएं और इस दीपक को बजरंगबली की तस्वीर के सामने रख दें। इस दौरान आपको दुर्गा चालीसा और हनुमान चालीसा का पाठ भी करना है। धीरे-धीरे आपको महसूस करेंगे कि आपके सभी रुके और अटके काम पूरे होने लग रहे हैं।
अगर आप अपने जीवन में सुख समृद्धि बनाए रखना चाहते हैं तो नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा को दो लौंग अवश्य अर्पित करें। ऐसा करने से आपके जीवन में सुख समृद्धि आने लगेगी और घर पर लगा नजर दोष भी दूर होगा।
अगर आपके घर में कोई बार-बार बीमार पड़ रहा है या आपका खुद का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता तो नवरात्रि के दौरान तवे पर भुने हुए सात आठ लौंग घर के किसी कोने में रख दें। ऐसा करने से सेहत में धीरे-धीरे सुधार आने लगेगा।
घटस्थापना की सही विधि
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा की चौकी उत्तर पूर्व दिशा में रख दें।
इसके बाद इस पर लाल रंग का साफ कपड़ा बिछा दें।
फिर मां दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति इस पर स्थापित कर दें।
इसके बाद पहले गणेश भगवान की पूजा करें और फिर कलश स्थापना करें।
इसके लिए शुद्ध मिट्टी में जौ मिला लें और इसे चौकी के बगल में रख दें। इसके ऊपर मिट्टी के कलश में जल भरकर रख दें। इसके साथ ही इसमें लौंग, हल्दी की गांठ, सुपारी, दूर्वा और ₹1 का सिक्का डालकर आम के पत्ते रखकर मिट्टी के ढक्कन से बंद कर दें। अब इसके ऊपर चावल या फिर गेहूं भर दें।
अब आपको पूरी नवरात्रि भर मां दुर्गा के साथ इस कलश की भी विधि व्रत पूजा करते रहना है।
सनातन धर्म में शारदीय नवरात्रि का यह समय बेहद ही शुभ, पावन और फलदाई माना जाता है। ऐसे में इस दौरान कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होता है जैसे कि,
सुबह की पूजा करने के बाद साधक को सोना नहीं है।
शारदीय नवरात्रि के दौरान लड़ाई, झगड़ा, अपशब्दों का इस्तेमाल भूल से भी ना करें।
शराब, मांस, मदिरा, नॉनवेज खाने से परहेज करें।
शारदीय नवरात्रि शुरू होने से पहले घर की साफ सफाई अच्छे से कर लें।
नवरात्रि में मंदिर को अच्छे से साफ करके नया आसान तैयार करें।
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की करें पूजा
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विधान बताया गया है। बात करें मां के स्वरूप की तो मां ने दाहिने हाथ में त्रिशूल लिया हुआ है, बाएं हाथ में कमल का फूल है और मां बैल की सवारी करती हैं। मां शैलपुत्री का रूप बेहद ही दिव्य और मनमोहक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि अगर मां शैलपुत्री की पूजा सच्चे मन और श्रद्धा के साथ की जाए तो इससे कुंडली में मौजूद चंद्रमा के बुरे प्रभाव दूर किए जा सकते हैं।
इसके अलावा क्योंकि माँ शैलपुत्री का जन्म पर्वत राज हिमालय के घर में हुआ था इसलिए माँ के इस स्वरूप को शैलपुत्री नाम से जाना जाता है।
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मां शैलपुत्री की पूजा का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवी दुर्गा के मां शैलपुत्री स्वरूप की पूजा करने से व्यक्ति को शुभ फल की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि जिन लोगों के विवाह में दिक्कत आ रही है उन्हें माँ शैलपुत्री की पूजा अवश्य करनी चाहिए। ऐसा करने से विवाह से जुड़ी सभी तरह की रुकावटें, परेशानियां दूर होती है। इसके अलावा मां शैलपुत्री पूजा से प्रसन्न होकर अच्छी सेहत का भी आशीर्वाद देती हैं।
मां शैलपुत्री को अत्यंत प्रिय है यह भोग
भोग की बात करें तो पहले दिन की पूजा में सफेद रंग को शामिल करना बेहद ही शुभ माना गया है। कहा जाता है मां शैलपुत्री को सफेद रंग बेहद ही प्रिय होता है। ऐसे आप उन्हें सफेद रंग की चीज अर्पित कर सकते हैं। साथ ही सफेद रंग के फूल, सफेद रंग के वस्त्र भी पूजा में शामिल करें। भोग की बात करें तो माता रानी को सफेद बर्फी या दूध से बनी कोई भी शुद्ध मिठाई अर्पित की जा सकती है। यह माता रानी को बेहद ही प्रिय होती है।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह ब्लॉग ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
1: शारदीय नवरात्रि कब से प्रारंभ हो रही है?
वर्ष 2024 में शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर 2024 गुरुवार से प्रारंभ हो जाएगी और 12 अक्टूबर 2024 शनिवार के दिन समापन हो जाएगा।
2: घट स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या है 2024 में?
घट स्थापना का शुभ मुहूर्त 6:19 से 7:23 तक रहने वाला है।
3: शारदीय नवरात्रि के पहले दिन मां के किस स्वरूप की पूजा की जाती है?
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा की जाती है।
4: वर्ष 2024 में मां का आगमन वाहन क्या है?
वर्ष 2024 में चूंकि शारदीय नवरात्रि गुरुवार के दिन से प्रारंभ हो रही है ऐसे में मां का आगमन वाहन डोली रहेगा और इस वर्ष मां चरणयुद्ध पर बैठकर विदा लेंगी। अर्थात उनका प्रस्थान वाहन चरणयुद्ध रहेगा।
आश्विन अमावस्या में इन दो चीजों से तर्पण करने से पितर हो जाते हैं तृप्त और वंशजों को देते हैं आशीर्वाद!
सनातन धर्म में अश्विन माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या का विशेष महत्व है। इस अमावस्या को अश्विन अमावस्या, विसर्जनी अमावस्या और सर्वपितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है। अश्विन अमावस्या के साथ ही श्राद्ध की भी समाप्ति हो जाती है और पूर्वज अपने लोक वापस लौट जाते हैं। इसके अगले दिन से नवरात्रि की शुरुआत हो जाती है। अश्विन अमावस्या के दिन अपने पूर्वजों का पूरे विधि-विधान से श्राद्ध किया जाता है और वे अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
तो आइए आगे बढ़ते हैं और एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम जानते हैं अश्विन अमावस्या के बारे में और साथ ही, इस पर भी चर्चा करेंगे कि इस दिन किस प्रकार के उपाय करने चाहिए ताकि आप इन उपायों को अपनाकर अपने पितरों का विशेष कृपा प्राप्त कर सके। बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि विस्तार से।
सनातन धर्म में अश्विन अमावस्या के दिन बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। अश्विन अमावस्या का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है और इस दिन कई विशेष कर्मकांड और अनुष्ठान किए जाते हैं। इस दिन पितरों का तर्पण और श्राद्ध कर्म करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे प्रसन्न होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। इस दिन गंगा, यमुना या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करके पितरों का तर्पण करना अत्यधिक पुण्यकारी होता है।
जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष होता है, उनके लिए अश्विन अमावस्या का दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इस दिन पितृ दोष की शांति के लिए अनुष्ठान किए जाते हैं, जिससे व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति आती है।
अश्विन अमावस्या के दिन पितृ पक्ष का समापन होता है, जो श्राद्ध पक्ष के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पूर्वजों के लिए विशेष पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं, जिससे वे संतुष्ट होते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। अश्विन अमावस्या का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह पितरों के प्रति आस्था, श्रद्धा, और कृतज्ञता प्रकट करने का दिन है। इस दिन की गई पूजा-अर्चना और दान-पुण्य से न केवल पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और खुशहाली का भी संचार होता है।
अश्विन अमावस्या के दिन इस विधि से करें पितरों की पूजा
अश्विन अमावस्या का दिन पितरों की पूजा, तर्पण और श्राद्ध कर्म के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन विशेष पूजा विधि का पालन करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। आइए जानते हैं पूजा विधि के बारे में।
इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी, तालाब या घर के ही पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें।
स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।
पूजा स्थल पर पूर्वजों की तस्वीर या पितृ यंत्र स्थापित करें।
कुश, तिल, जल, और पुष्प से पितरों का आह्वान करें और उनका ध्यान करें।
कुश के आसन पर बैठकर, दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों का तर्पण करें। तर्पण करते समय अपने पितरों का नाम लेकर जल, दूध, और तिल मिश्रित पानी अर्पित करें।
इस दिन “ॐ पितृ देवताभ्यो नमः” मंत्र का जाप करते हुए पितरों को तर्पण अर्पित करें।
इस दिन अपने पितरों के नाम पर श्राद्ध कर्म करें। इसमें भोजन, पिंडदान, और अन्य आवश्यक कर्मकांड शामिल होते हैं। श्राद्ध कर्म के दौरान ब्राह्मणों को भोजन कराना बहुत अधिक पुण्यकारी माना जाता है।
अश्विन अमावस्या के दिन दान का विशेष महत्व होता है। इस दिन वस्त्र, अन्न, धन, और अन्य आवश्यक वस्तुएं ब्राह्मणों, गरीबों, और जरूरतमंदों को दान करें।
गौ-दान, अन्न-दान, और तिल-दान विशेष रूप से शुभ माना जाता है। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
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अश्विन अमावस्या व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक ब्राह्मण परिवार रहता था। इस परिवार का मुखिया देवदत्त था। वह बहुत धर्म-कर्म में विश्वास रखते थे और हमेशा अपने कर्तव्यों का पालन करते थे। लेकिन उनकी एक समस्या थी कि उनके घर में हमेशा किसी न किसी प्रकार की अशांति और दरिद्रता बनी रहती थी।
देवदत्त ने कई प्रयास किए, लेकिन उन्हें अपनी समस्याओं का समाधान नहीं मिल पा रहा था। एक दिन, उन्होंने एक ऋषि से इस बारे में परामर्श किया। ऋषि ने उन्हें बताया कि उनके पितृ दोष के कारण उनके घर में यह समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। उन्होंने कहा कि अश्विन अमावस्या के दिन व्रत रखें, पितरों का तर्पण करें और श्रद्धा पूर्वक उनकी पूजा-अर्चना करें।
ऋषि के निर्देशानुसार, देवदत्त ने अश्विन अमावस्या के दिन व्रत रखा। उन्होंने अपने पितरों का तर्पण किया, ब्राह्मणों को भोजन कराया और दान-पुण्य किया। इस व्रत और पूजा के प्रभाव से उनके पितर संतुष्ट हो गए और उन्हें आशीर्वाद दिया। इसके बाद, उनके घर में सुख-समृद्धि का वास हो गया और सभी समस्याएं दूर हो गईं। इस प्रकार, अश्विन अमावस्या व्रत का महत्व और अधिक बढ़ गया। इस व्रत और पूजा के माध्यम से व्यक्ति पितृ दोष से मुक्ति पा सकता है और अपने जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि की प्राप्ति कर सकता है।
अश्विन अमावस्या का दिन पितरों की शांति और कृपा प्राप्ति के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इस दिन कुछ ख़ास उपाय करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति का वास होता है।
पितरों का तर्पण और श्राद्ध
अश्विन अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण और श्राद्ध कर्म अवश्य करें। इस दिन कुश, तिल, जल, और जौ से तर्पण करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और वे प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
पीपल के वृक्ष की पूजा
इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसे में, इस दिन पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाकर, जल चढ़ाकर और सात बार परिक्रमा करके पितरों की कृपा अवश्य प्राप्त करें। साथ ही, पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर पितरों के लिए प्रार्थना करें और उन्हें याद करें।
गाय को रोटी खिलाएं
अश्विन अमावस्या के दिन गाय को रोटी, हरा चारा, और गुड़ खिलाने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। गाय को अन्न खिलाने से पितरों की आत्मा संतुष्ट होती है और वे अपने वंशजों को सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं।
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तुलसी और दीपक का उपाय
घर के आंगन में तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलाएं। तुलसी की पूजा और दीपदान से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
दान-पुण्य करें
इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, और धन का दान करना अत्यधिक पुण्यकारी होता है। तिल, गुड़, और काले वस्त्रों का दान करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है। इसके अलावा, इस दिन गौ-दान और भूमि-दान करना भी शुभ माना जाता है। इस दिन किया गया दान सौ गुना फलदायी होता है।
जल में तिल और जौ डालकर स्नान
अश्विन अमावस्या के दिन जल में तिल और जौ मिलाकर स्नान करें। इससे शरीर और मन की शुद्धि होती है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. साल 2024 में अश्विन अमावस्या कब मनाई जाएगी?
अश्विन अमावस्या इस वर्ष 02 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी।
2. अश्विन अमावस्या का महत्व क्या है?
अश्विन अमावस्या का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है और इस दिन कई विशेष कर्मकांड और अनुष्ठान किए जाते हैं।
3. अश्विन अमावस्या को किन-किन नामों से जाना जाता है?
अश्विन अमावस्या को विसर्जनी अमावस्या और सर्वपितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है।
साल के आखिरी सूर्यग्रहण से रहें सावधान, राशियों सहित गर्भवती महिलाओं पर डालेगा प्रभाव!
सूर्य ग्रहण 2024: 02 अक्टूबर 2024 को लगने वाला सूर्य ग्रहण साल का आखिरी सूर्य ग्रहण होगा। धार्मिक नजरिए से ग्रहण की घटना को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। ग्रहण के दौरान कई तरह के कार्य करने की मनाही होती है। ऐसी मान्यता है कि सूर्य ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को अपने गर्भ में पल रहे बच्चों का विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि इन पर ग्रहण का बुरा प्रभाव जल्दी पड़ता है। साल के आखिरी सूर्य ग्रहण का प्रभाव गर्भवती महिलाओं के अलावा सभी 12 राशियों पर भी देखने को मिलेगा। आइए एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में जानते हैं सूर्य ग्रहण से जुड़ी सभी जरूरी बातें।
सूर्य ग्रहण प्रकृति में होने वाली अद्भुत घटना है और इसे देखना एक मंत्रमुग्ध करने वाला नजारा होता है। सरल शब्दों में कहे तो सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा, पृथ्वी की परिक्रमा करते समय, सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है, जिससे सूर्य अवरुद्ध हो जाता है और सूर्य की रोशनी हम तक और पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाती है। सूर्य का कितना भाग चंद्रमा द्वारा ढका हुआ है, इसके आधार पर ग्रहण कई प्रकार के होते हैं: पूर्ण, आंशिक और वलयाकार।
सूर्य ग्रहण के प्रकार
पूर्ण सूर्य ग्रहण: यह वह स्थिति होती है कि जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है। वह इतनी दूरी पर होता है कि सूर्य का प्रकाश कुछ समय के लिए पूरी तरह से पृथ्वी पर जाने से रोक लेता है और चंद्रमा की पूर्ण छाया पृथ्वी पर पड़ती है, जिससे लगभग अंधेरा सा हो जाता है। इस दौरान सूर्य पूर्ण रूप से दिखाई देना बंद हो जाता है। इसी घटना को पूर्ण सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
आंशिक सूर्य ग्रहण: जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी के बीच की दूरी इतनी होती है कि चंद्रमा सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी पर जाने से पूर्ण रूप से नहीं रोक पाता है। इस वजह से चंद्रमा का कुछ ही साया पृथ्वी पर पड़ता है और पृथ्वी से देखने पर सूर्य पूर्ण रूप से काला या अदृश्य नहीं होता। बल्कि उसका कुछ भाग दिखाई देता है। इस अवस्था को आंशिक सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
वलयाकार सूर्य ग्रहण: वलयाकार सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा सूर्य को आंशिक रूप से ढक लेता है, लेकिन पृथ्वी के चारों ओर अपनी आगे की कक्षा के कारण छोटा दिखाई देता है, इसे वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं।
हाइब्रिड सूर्य ग्रहण: सूर्य ग्रहण का सबसे असामान्य प्रकार, जो वलयाकार और पूर्ण ग्रहण के बीच बारी-बारी से होता है। हाइब्रिड ग्रहण के दौरान ग्रह के कुछ हिस्सों में वलयाकार ग्रहण होगा, जबकि अन्य में पूर्ण ग्रहण होगा।
सूर्य ग्रहण न केवल एक शानदार दृश्य अनुभव है, बल्कि वैज्ञानिक अवलोकन और ज्योतिषीय अंतर्दृष्टि के लिए एक अवसर भी है, जो सौर मंडल और उनकी कक्षाओं में पृथ्वी-चंद्रमा-सूर्य संरेखण के बारे में जानकारी प्रदान करता है। चाहे आप एक अनुभवी खगोलशास्त्री, ज्योतिषी हों या ब्रह्मांड के चमत्कारों के बारे में जानने के लिए उत्सुक हों। सूर्य ग्रहण देखना हमारे सौर मंडल की जटिल और विस्मयकारी प्रकृति की याद दिलाता है।
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सूर्य ग्रहण 2024: समय, महीना और तिथि
अभी तक हमने सूर्य ग्रहण के बारे में बहुत कुछ जान लिया है कि वास्तव में सूर्य ग्रहण क्या होता है, यह कैसे दिखता है और यह कितने प्रकार का होता है। अब हम बात करेंगे 2024 में लगने वाले आखिरी सूर्य ग्रहण के बारे में। बता दें कि दूसरा व आखिरी सूर्य ग्रहण कंकणाकृति सूर्य ग्रहण या वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा। यह बुधवार, 2 अक्टूबर 2024 की रात 09 बजकर 13 मिनट से शुरू होकर गुरुवार, 3 अक्टूबर 2024 की सुबह 03 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगा।
सूर्य ग्रहण कन्या राशि में हस्त नक्षत्र में घटित होगा। इस दिन सूर्य, बुध, केतु और चंद्रमा तीनों एक सीध में होंगे। साथ ही, मंगल और देवगुरु बृहस्पति पर भी इनकी दृष्टि रहेगी। शुक्र ग्रह सूर्य से दूसरे भाव में और वक्री शनि छठे भाव में स्थित होंगे। इस प्रकार का सूर्य ग्रहण कन्या राशि और हस्त नक्षत्र में जन्मे जातकों और लोगों के लिए लाभकारी रहेगा।
सूर्य ग्रहण 2024: दृश्यता
तिथि
दिन व दिनांक
सूर्य ग्रहण प्रारंभ समय
सूर्य ग्रहण समाप्त समय
दृढ़ता के क्षेत्र
आश्विन मास कृष्ण पक्ष अमावस्या
बुधवार 2 अक्टूबर, 2024
रात्रि 21 बजकर 13 मिनट से
मध्यरात्रि उपरांत 27:17 बजे तक (3 अक्टूबर की प्रातः 03:17 बजे तक)
दक्षिणी अमेरिका के उत्तरी भागों, प्रशांत महासागर, अटलांटिक, आर्कटिक, चिली, पेरू, होनोलूलू, अंटार्कटिका, अर्जेंटीना, उरुग्वे, ब्यूनस आयर्स, बेका आइलैंड, फ्रेंच पॉलिनेशिया महासागर, उत्तरी अमेरिका के दक्षिण भाग फिजी, न्यू चिली, ब्राजील, मेक्सिको, पेरू (भारत में दृश्यमान नहीं)
2024 का आखिरी सूर्य ग्रहण: सूतक काल
अभी तक हमने सूर्य ग्रहण 2024 के बारे में बहुत कुछ जान लिया है लेकिन अब एक और सबसे महत्वपूर्ण बात करते हैं, वह है सूर्य ग्रहण के सूतक काल की। चूंकि 2 अक्टूबर 2024 को लगने जा रहा है और यह भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए सूतक काल लागू नहीं होगा।
हालांकि, सूतक क्या है और इस दौरान क्या सावधानियां बरतनी चाहिए, इसके बारे में सभी को पता होना चाहिए। सूतक काल ग्रहण से पहले और बाद का वह काल होता है, जब शुभ कार्य या अनुष्ठान नहीं किए जाते हैं। इसे “निषेध काल” के रूप में जाना जाता है। इस दौरान किसी भी तरह के शुभ कार्य को शुरू या खत्म करना वर्जित होता है और इस अवधि को बेहद अशुभ माना जाता है। सूतक काल सूर्य ग्रहण से लगभग चार घंटे पहले या बारह घंटे पहले शुरू होता है और सूर्य ग्रहण काल समाप्त होने पर समाप्त होता है।
हर किसी को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि सूर्य ग्रहण हो या चंद्र ग्रहण, ग्रहण काल शुरू होने से पहले ही ग्रहण के दौरान अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं को शुरू कर देना चाहिए। ग्रहण काल के दौरान हवन करना चाहिए। ग्रहण खत्म होने के बाद, लोगों को स्नान करना चाहिए शास्त्रों में भी ग्रहण के महत्व को समझाया गया है। माना जाता है कि ग्रहण खत्म होने के तुरंत बाद स्नान करने से शारीरिक और भावनात्मक रूप से व्यक्ति शुद्ध होता है।
2 अक्टूबर, 2024 को सूर्य और केतु की वजह से ग्रहण दोष बनेगा। जब सूर्य राहु और केतु की छाया में आ जाता है तोइस घटना को ग्रहण दोष के रूप में जाना जाता है। राहु और केतु को वैदिक ज्योतिष में पापी ग्रह माना जाता है, जो कर्म प्रभावों से जुड़ा हुआ है। जहां राहु और केतु की छाया सूर्य पर पड़ती है, वहां नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है, जो लोगों को कई तरह से प्रभावित करती है।
ग्रहण दोष के प्रभाव
ग्रहण दोष का प्रभाव व्यापक हो सकता है, जो आपके जीवन के कई पहलुओं को प्रभावित कर सकता है। चंद्र दोष या सूर्य ग्रहण दोष के संकेतों को पहचानना महत्वपूर्ण है। आइए जानते हैं ग्रहण दोष के प्रभाव से क्या होता है।
ग्रहण दोष धन से जुड़ी समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। व्यक्ति को बार-बार धन की हानि हो सकती है और आर्थिक स्थिति कमजोर हो सकती है।
इस दोष के प्रभाव से करियर में अनिश्चितता, अस्थिरता और रोजगार में चुनौतियाँ हो सकती हैं। व्यक्ति को अपनी मेहनत का पूरा फल नहीं मिल सकता।
व्यक्ति को मानसिक उलझनों और अनावश्यक चिंता का सामना करना पड़ता है। सही निर्णय लेने में कठिनाई हो सकती है, जिससे जीवन में परेशानियां बढ़ती हैं।
व्यक्ति वरिष्ठ नागरिकों का अनादर कर सकता है और उनकी सलाह को मानने से इंकार कर सकता है।
सामाजिक प्रतिष्ठा में कमी और नुकसान, ये सभी ग्रहण दोष के नकारात्मक प्रभावों के संभावित परिणाम हैं। इसके परिणामस्वरूप अलगाव, अकेलापन, दोस्तों और परिवार से समर्थन की कमी की भावनाएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। इस प्रकार आप सामाजिक रूप से अलग-थलग महसूस कर सकते हैं।
ग्रहण दोष से विवाह में विलंब या समस्याएं आ सकती हैं। । आपकी जन्म कुंडली में ग्रहण दोष की उपस्थिति आपके लिए अनुकूल जीवन साथी की तलाश में देरी और कठिनाइयों का कारण बन सकती है। इसके अलावा, दांपत्य जीवन में असंतोष और कलह हो सकता है।
रिश्तों में सामंजस्य और विश्वास की कमी हो सकती है।
इसके अलावा, ग्रहण दोष से व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं, जैसे मानसिक तनाव, आंखों की समस्या, और कभी-कभी लंबी बीमारियां।
दूसरे लोगों के कामों में दोष खोजने की प्रवृत्ति उत्पन्न हो सकती है।
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सूर्य ग्रहण 2024: सभी 12 राशियों पर प्रभाव
मेष राशि
मेष राशि के जातकों के छठे भाव के स्वामी बुध के साथ केतु और सूर्य भी विराजमान हैं। छठे भाव में केतु और सूर्य आरामदायक स्थिति में होंगे। ऐसे में, यह अवधि आपके लिए अच्छी साबित होगी। आप अपने शत्रुओं पर हावी होंगे और आप हर प्रकार के कर्ज से मुक्त होंगे।
दूसरी ओर, सूर्य और केतु की युति ग्रहण दोष बनाती है इसलिए यह जातक के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। इस अवधि के दौरान आप स्वार्थी व्यवहार कर सकते हैं। आप पर अहंकार हावी हो सकता है और आप बहुत जल्दी उत्तेजित हो सकते हैं। इसके अलावा, आप में भय और आंतरिक आत्मविश्वास की कमी हो सकती है। आपको अपने बॉस के साथ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। गर्भवती महिलाओं को ध्यान रखना चाहिए क्योंकि आपको प्रसव संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
वृषभ राशि
वृषभ राशि के जातकों के लिए सूर्य चौथे भाव के स्वामी हैं और अब केतु के साथ पांचवें भाव में स्थित होंगे। कुंडली के पांचवें भाव में सूर्य और केतु की युति आपको असहज महसूस करना सकती है। साथ ही, आप मकान या अपनी कार से जुड़ी समस्याओं का सामना कर सकते हैं। शेयर बाजार से भी धन कमाना आपके लिए मुश्किल हो सकता है। आपको सलाह दी जाती है कि इस अवधि किसी भी प्रकार के निवेश करने से बचे। स्वास्थ्य के लिहाज, से आपको पेट से जुड़ी समस्या होने की संभावना है। हालांकि, इन बाधाओं के बावजूद, आपको अपने हर काम में सफल मिलेगी।
मिथुन राशि के जातकों के लिए सूर्य तीसरे भाव के स्वामी हैं। सूर्य और केतु आपके विलासिता, आराम और मां के चौथे भाव में स्थित होंगे। कुंडली के चौथे भाव में सूर्य और केतु की युति के परिणामस्वरूप, आपको कुछ वैवाहिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
हालांकि, आप संपत्ति, सुख- सुविधाओं आनंद उठाएंगे। इस दौरान आप बहुत सारे नए दोस्त बनाएंगे। आप अपनी माँ की स्थिति को लेकर चिंतित हो सकते हैं। आपको आर्थिक नुकसान हो सकता है और आशंका है कि कार्यक्षेत्र में समस्याओं और तनाव का सामना करना पड़े।
कर्क राशि
कर्क राशि के जातकों के लिए सूर्य दूसरे भाव के स्वामी हैं और यह केतु के साथ तीसरे भाव में स्थित होंगे, जो छोटे भाई-बहनों, साहस और कौशल का भाव है। कुंडली के तीसरे भाव में सूर्य और केतु की युति व्यक्ति को अपने विरोधियों को हराने की क्षमता प्रदान करती है, लेकिन इस अवधि आपके अपने छोटे भाई-बहनों के साथ आपके रिश्ते खराब हो सकते हैं और निश्चित रूप से आपको परेशानी हो सकती है।
आपको सलाह दी जाती है कि सूर्य ग्रहण काल के दौरान उनसे झगड़ा न करें। सफलता प्राप्त करने के लिए, तीसरे भाव में केतु और सूर्य वाले लोगों को अपनी क्षमताओं पर विश्वास रखने और बहुत प्रयास करने की आवश्यकता होगी।
सिंह राशि
सिंह राशि के जातकों के लिए सूर्य पहले भाव या लग्न भाव के स्वामी हैं और यह परिवार, धन और वाणी के दूसरे भाव में स्थित होंगे। जब कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य और केतु की युति होगी, तो आपको अपने आस-पास के लोगों से संवाद करने में कठिनाई हो सकती है।
हालांकि, यदि आपका धन रुका हुआ है या कहीं फंसा हुआ है तो आपको उसकी प्राप्ति होगी और इससे आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। लेकिन आपका स्वास्थ्य इस दौरान प्रभावित हो सकता है।
कन्या राशि
कन्या राशि के जातकों के लिए सूर्य बारहवें भाव के स्वामी हैं और अब वह स्वयं के पहले भाव में स्थित होंगे। कुंडली के पहले भाव में सूर्य और केतु की युति के परिणामस्वरूप व्यक्ति को अच्छे व बुरे दोनों प्रकार के परिणाम प्राप्त होंगे। आप आत्मविश्वास से भरा हुआ महसूस करेंगे। जो कुछ भी करेंगे उसमें सफलता प्राप्त करेंगे।
हालांकि, पहले भाव में सूर्य के साथ केतु की युति आपको स्वभाव में अभिमानी बना सकती है और आपको गलत दिशा में ले जा सकती है। इस दौरान आपको धन हानि होने की आशंका है। इसके अलावा, रिश्ते में किसी तीसरे व्यक्ति के आने से आपके वैवाहिक जीवन में कलह हो सकती है। इस युति के प्रभाव में व्यक्ति घर बदलने का फैसला कर सकता है।
तुला राशि
तुला राशि के जातकों के लिए सूर्य ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं और अब केतु आपके बाहरवें भाव में स्थित होंगे। कुंडली के बारहवें भाव में सूर्य और केतु की युति होने पर आपके खर्चे बढ़ सकते हैं। इस युति के दौरान, आपका कोई मित्र आपको धोखा देने की कोशिश कर सकता है।
इसके अलावा, व्यापार में समस्याएं आ सकती हैं। आपको हल्की-फुल्की नेत्र संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। साथ ही, आपके साथ कोई भयानक घटना घट सकती है। इसके अलावा, विदेश यात्रा आपके लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है।
वृश्चिक राशि
सूर्य आपके करियर के दसवें भाव के स्वामी हैं और अब आपके ग्यारहवें भाव घर में स्थित होंगे। कुंडली के ग्यारहवें भाव में सूर्य और केतु की युति के कारण आशंका है कि आपकी आय और धन के स्रोतों में कमी आएगी। इस अवधि कुछ लोगों के निवेश करने से सतर्क रहना होगा।
इस अवधि के दौरान, आपको और आपके साथ के बीच अधिक समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि, आपके करियर लगातार बेहतर होता रहेगा। वृश्चिक राशि के कुछ जातकों के लिए इस ग्रहण के दौरान शेयर बाजार में निवेश करना उनके लिए फायदेमंद होगा। लेकिन आपको पेट से जुड़ी समस्या हो सकती है।
धनु राशि
धनु राशि के जातकों के लिए सूर्य नौवें भाव के स्वामी हैं और अब सूर्य केतु के दसवें भाव में मौजूद होंगे। इस दौरान आपकी नौकरी पर अधिक प्रभाव पड़ सकता है। आशंका है कि अधिक प्रयासों के बावजूद भी आपको मनचाहा परिणाम प्राप्त न हो।
इस दौरान आपको नई-नई कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। आपको सलाह दी जाती है कि इस युति के दौरान अपने स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान दें। आपको वित्तीय समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है। यदि आपने किसी से उधार लिया था, तो उसे वापस करना आपके लिए इस दौरान मुश्किल हो सकता है।
सूर्य मकर राशि में बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं करता है क्योंकि यह आपके आठवें भाव के स्वामी हैं और नौवें भाव में स्थित होने के कारण यह निश्चित रूप से आपके काम में देरी, रुकावट, बाधाएं और निराशा पैदा कर सकते हैं। कुंडली के नौवें भाव में सूर्य और केतु की युति के कारण व्यक्ति अभिमानी हो सकता है।
आप कंपनी के राजस्व में गिरावट को लेकर चिंतित हो सकते हैं। साथ ही, किसी कानूनी समस्याओं में फंस सकते हैं। इस दौरान आप विलासिताओं और फिजूलखर्ची अधिक कर सकते हैं। आशंका है कि आप किसी गंभीर स्वास्थ्य ग्रस्त हो, जिसके चलते तनाव में आ सकते हैं। आपको अपने पिता के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना चाहिए क्योंकि उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
कुंभ राशि
कुंभ राशि के जातकों के लिए सूर्य सातवें भाव के स्वामी हैं और आठवें भाव में स्थित होंगे। कुंडली के आठवें भाव में सूर्य और केतु की युति असहमति का कारण बन सकती है और व्यक्ति के सम्मान या प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकती है, जिसके परिणामस्वरूप मानहानि हो सकती है।
आपको जुए की लत हो सकती है। हालांकि, पैतृक संपत्ति से आपको लाभ होगा। लेकिन, यात्रा करते समय आपको समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। वेतन पाने वाले लोग काम पर तनाव का अनुभव कर सकते हैं। इस अवधि में साथी के साथ बार-बार बहस हो सकती है। एक छोटी सी लड़ाई कुछ लोगों के लिए तलाक का कारण भी बन सकती है।
मीन राशि
मीन राशि के लिए सूर्य छठे भाव के स्वामी हैं और केतु के साथ सातवें भाव में स्थित होंगे। केतु के साथ सातवें भाव में सूर्य का होना बिल्कुल भी अनुकूल प्रतीत नहीं हो रहा है। कुंडली के सातवें भाव में सूर्य और केतु की युति के परिणामस्वरूप व्यक्ति का वैवाहिक जीवन प्रभावित हो सकता है। ऐसे में, आपको अपने जीवनसाथी के साथ बहस या टकराव से बचना चाहिए।
यह संयोजन आपके लिए स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है। इसके अलावा, माता-पिता और उनके बच्चों के बीच गलतफहमी हो सकती है। बिज़नेस पार्टनरशिप करने वाले लोगों का अपने पार्टनर से बहस या विवाद हो सकता है। आशंका है कि बात इतनी बढ़ जाए कि व्यापार पूरी तरह से बंद हो जाए और इस वजह से आपको आर्थिक जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़े।
सूर्य ग्रहण 2024 : प्रभावशाली उपाय
केतु के शांति के लिए पूजा करें।
मंगलवार को जरूरतमंद व गरीब लोगों को दान करें।
गरीबों को गेहूं दान करें।
संतुलित आहार खाकर, नियमित व्यायाम करके और अपने तनाव को नियंत्रित करके अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें।
भगवान गणेश की पूजा करें।
केतु मंत्र का जाप करने के लिए दिन में 108 बार “ऊँ कें केतवे नमः” का जाप करें।
केतु के अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए लेहसुनिया (बिल्ली की आंख) वाला रत्न पहनें।
सूर्य ग्रहण 2024: गर्भवती महिलाओं के लिए सावधानियां
सूर्य ग्रहण का प्रभाव गर्भवती महिलाओं को विशेष रूप से प्रभावित कर सकता है इसलिए हम आपको वे कुछ विशेष बातें बता रहे हैं जिनका ध्यान गर्भवती महिलाओं को सूर्य ग्रहण के सूतक काल के प्रारंभ होने से लेकर सूतक काल की समाप्ति तक यानी कि सूर्य ग्रहण के समाप्त होने तक विशेष रूप से रखना चाहिए क्योंकि ऐसा माना जाता है कि सूर्य ग्रहण का गर्भवती महिलाओं पर विशेष प्रभाव पड़ता है और उनके गर्भ में पल रही संतान पर भी इसका प्रभाव दृष्टिगोचर हो सकता है।
अब हम आपको बताते हैं कि ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचने के लिए आप क्या विशेष उपाय कर सकते हैं, जिनसे आपको ग्रहण का कोई दुष्प्रभाव न हो।
सबसे पहले, एक गर्भवती महिला को ग्रहण को सीधे नहीं देखना चाहिए। ग्रहण काल के दौरान महिला को घर के अंदर रहना चाहिए और बाहर जाने से बचना चाहिए।
ग्रहण के दौरान, घर में चाकू या किसी अन्य नुकीली वस्तु का उपयोग करने से बचना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि ग्रहण काल में अगर फल और सब्ज़ियां काटी जाएं तो बच्चे के अंग कटे हुए होते हैं।
धातु के गहने, साड़ी पिन, हेयरपिन, कसने वाली पिन और अन्य सामान से दूर रहें।
ग्रहण के दौरान गायत्री मंत्र का जाप गर्भवती महिलाओं को अपनी भावनाओं को संतुलित करने में मदद कर सकता है और उन पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
ग्रहण के दौरान बहुत सी महिलाएं जागती रहती हैं। ऐसे में, कुछ परंपराओं के अनुसार, महिलाओं को दूर्वा घास के साथ बिस्तर पर बैठकर ही संतान गोपाल मंत्र का जाप करना चाहिए।
ग्रहण से पहले और बाद में, महिलाओं को स्नान करना चाहिए।
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1- क्या किसी भी कुंडली में सूर्य और केतु की युति शुभ होती है?
किसी भी कुंडली और किसी भी भाव में सूर्य और केतु की युति अधिकतर नकारात्मक परिणाम दे सकते हैं। सूर्य के आधिपत्य, भाव और दशा के अनुसार परिणामों की तीव्रता महसूस की जा सकती है।
2- मीन राशि के जातकों के लिए सूर्य किस भाव के स्वामी हैं?
मीन राशि के जातकों के लिए सूर्य प्रतिस्पर्धा, शत्रु और ऋण के छठे भाव के स्वामी हैं।
3- केतु किस राशि के स्वामी हैं?
केतु को वृश्चिक राशि का सह-स्वामी माना जाता है।
शेयर मार्केट में जबरदस्त प्रॉफिट दिलाता है राहु, जानें कौन से भाव में मिलता है शुभ परिणाम
बहुत लोग शेयर बाजार में हाथ आजमाते हैं, लेकिन बहुत कम लोग ही सफल हो पाते हैं जबकि बहुत सारे ऐसे मामले भी है, जिसमें शेयर बाजार में लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। आइए आचार्य भीम से जानते हैं व्यक्ति को कब मिलती है शेयर बाजार में सफलता, कुंडली में कौन से ग्रह शेयर बाजार में सफलता दिलाते हैं।
शेयर बाजार में सफलता के लिए जन्म कुंडली राहु का मजबूत होना जरूरी है। राहु एक छाया ग्रह है। साथ ही साथ राहु को तीक्ष्ण कूटनीति और तेज दिमाग का स्वामी माना जाता है जो कि शेयर बाजार में जरूरी है। राहु को चीज़ों के विस्तार और जुनून का कारक भी माना जाता है। यही नहीं अचानक धन लाभ का कारक भी राहु है। यदि कोई व्यक्ति शेयर बाजार में करियर बनाना चाह रहा हैं तो उसके कुंडली में राहु का मजबूत होना बहुत अधिक जरूरी है। खासकर जो जातक ट्रेडिंग के क्षेत्र में करियर बनाना चाह रहे हो।
बृहत् कुंडलीमें छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरालेखा-जोखा
इस भाव में राहु देते हैं शुभ परिणाम
राहु तृतीय, पंचम और ग्यारहवें भाव में उच्च का माने जाते हैं। दशम भाव का भी राहु शेयर बाजार के लिए अच्छा माना जाता है। जिन जातकों की कुंडली में राहु इस भाव में होते हैं, ऐसे जातक खूब सफलता प्राप्त करते हैं। हालांकि, ऐसे जातक यदि शेयर ब्रोकिंग में सलाहकार और इससे संबंधित कोई नौकरी करते हैं, तो संभव है कि इन्हें करियर में इतनी सफलता न मिले। यदि राहु उच्चतम स्थिति में हैं तो जातक को शेयर बाजार में बहुत शानदार सफलता मिलती है। राहु मकर, कुंभ, कन्या राशि में उच्चतम प्रभाव देता है।
इसके साथ ही साथ कुंडली में बुध और बृहस्पति की स्थिति भी शेयर बाजार में सफलता के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।
यदि बुध और बृहस्पति की स्थिति कुंडली में अच्छी नहीं है तो ऐसे लोगों को शेयर बाजार में निवेश करने के लिए इंतजार करना चाहिए और ट्रेडिंग से दूर रहना चाहिए।
दसवें, पंचम और छठा भाव का बुध शेयर बाजार में अच्छी सफलता दिलाता है। कुंडली का नौवां भाव अचानक धन लाभ की स्थिति पैदा करता है।
अगर कुंडली में केवल राहु अच्छा हो लेकिन बुध, बृहस्पति और नौवां भाव किसी जातक की कुंडली में ठीक ना हो फिर भी ऐसे जातक शेयर बाजार में प्रवेश करना चाहते हैं, तो ट्रेडिंग, और फ्यूचर ऑप्शन जैसे चीजों में न उलझ कर लंबी अवधि के लिए निवेश करें।
साथ ही साथ किसी जातक की कुंडली में राहु की स्थिति सही हो पर चंद्र की स्थिति सही ना हो या ग्रहण दोष या विष दोष जैसा कोई दोष हो तो ऐसे जातक को बिल्कुल भी ट्रेडिंग नहीं करना चाहिए। ऐसे जातकों को ट्रेडिंग की लत बहुत जल्दी लगती है और ये इस कारण बहुत बार भारी नुकसान झेलते है।
ऐसे लोग को सलाह दी जाती है कि आप लंबी अवधि के लिए निवेश करें। अचानक धन लाभ के चक्कर में ना पड़े।
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. शेयर मार्केट के लिए कौन सा ग्रह मजबूत होना चाहिए?
कुंडली के पंचम भाव में पंचम भाव के स्वामी ग्रह मजबूत होते हैं, तब ऐसे लोगों को शेयर मार्केट में अच्छी सफलता मिलती है।
2. क्या राहु शेयर बाजार के लिए अच्छा है?
राहु काल का भारतीय संदर्भ में शेयर बाजार की चाल और गतिविधि पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
3. कौन सा ग्रह आपको अमीर बनाता है?
कुंडली में राहु की स्थिति मजबूत होने पर व्यक्ति रातों-रात अमीर हो जाता है। इसके साथ ही, व्यक्ति तरक्की करने लगता है।
इन राशियों के लिए अक्टूबर का महीना रहेगा शुभ- हर तरफ से मिलेगी सफलता!
अक्टूबर मासिक राशिफल 2024: अक्टूबर मासिक राशिफल के इस विशेष ब्लॉग के माध्यम से हम जानेंगे अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार साल के दसवें महीने से जुड़ी ढ़ेरों महत्वपूर्ण और जानने योग्य बातें। साथ ही हम आपको यहां पर बताएंगे कि इस महीने में कौन-कौन से व्रत और त्योहार कब-कब किए जाएंगे, इस महीने कौन-कौन से ग्रहों का गोचर होने वाला है, कौन सा ग्रहण लगेगा, आदि। ऐसे में इन सभी महत्वपूर्ण बातों की जानकारी जानने के लिए यह खास ब्लॉग अंत तक अवश्य पढ़ें।
बात करें हिंदू माह की तो अक्टूबर के महीने में हिंदू कैलेंडर के दो बेहद ही अहम महीने अश्विन और कार्तिक के महीने पड़ने वाले हैं।
अधिक जानकारी: इस वर्ष अश्विन का महीना 19 सितंबर से शुरू होकर 17 अक्टूबर तक रहेगा। वहीं कार्तिक मास 18 अक्टूबर से 15 नवंबर तक रहने वाला है। हिंदू धर्म के अनुसार इन दोनों ही महीना का विशेष महत्व बताया गया है।
आश्विन माह का महत्व
अश्विन महिना साल का सातवां महीना होता है और ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह सितंबर से अक्टूबर के बीच में आता है। विक्रम संवत के अनुसार भाद्रपद महीने की पूर्णिमा के बाद की प्रतिपदा अश्विनी माह की पहली तिथि होती है। आश्विन मास का नाम अश्विनी नक्षत्र के चलते पड़ा है। जिस तरह सावन का महीना भगवान शिव का महीना माना जाता है और भाद्रपद को भगवान कृष्ण का महीना बोला जाता है ठीक उसी तरह आश्विन महीने को देवी दुर्गा का महीना कहा जाता है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें साल में चार नवरात्रि मनाई जाती है और आमतौर पर चैत्र और शारदीय नवरात्र को बेहद ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। शारदीय नवरात्रि आश्विन माह के शुक्ल पक्ष में शुरू हो जाती है और विजयदशमी से ही इसका समापन हो जाता है। इन नौ दिनों की अवधि में हिंदू धर्म के अनुयाई व्रत रखते हैं और विधि विधान से मां दुर्गा की पूजा।
आश्विन मास के उत्सव
हिंदू धर्म के लोगों के लिए आश्विन मास का विशेष महत्व बताया गया है। इस महीने में पितरों को मुक्ति दिलाने और उन्हें शांति दिलाने और अपनी कुंडली से पितृ दोष दूर करने के लिए श्राद्ध कर्म किया जाता है। पितृपक्ष आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष में आता है। इसके बाद नवरात्रि का त्योहार शुरू हो जाता है जिसे मां दुर्गा का आशीर्वाद पाने का सबसे उत्तम समय माना जाता है।
अश्विन मास 2024 महत्वपूर्ण व्रत- त्यौहार- जयंती और उत्सव
अब बात करें कि अश्विन के महीने में इस वर्ष कौन-कौन से महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार किए जाने वाले हैं तो,
कार्तिक का महीना हिंदू कैलेंडर का आठवां महीना माना गया है जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार अक्टूबर और नवंबर में आता है। इस महीने के महत्व की बात करें तो यह भगवान विष्णु के प्रिय महीनों में से एक माना गया है और यह हिंदू धर्म के लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है क्योंकि कार्तिक के इस पूरे महीने में स्नान- दान, पूजा आदि किया जाता है। कहा जाता है जगत के पालनहार भगवान विष्णु ने इस महीने को अक्षय फल देने वाला महीना बताया है। इसके अलावा कार्तिक मास की महिमा का वर्णन करते हुए स्वयं भगवान ब्रह्मा ने कहा है कि, “कार्तिक महीना सभी महीनों में सबसे श्रेष्ठ है।”
कार्तिक मास में, भगवान विष्णु देवताओं में, तथा नारायण (बद्रिकाश्रम) तीर्थ में सबसे श्रेष्ठ है।
‘न कार्तिकसमो मासो न कृतेन सामं युगं, न वेदं सदृशं शास्त्रं न तीर्थ गंगाय समं’ अर्थात् कार्तिक के समान कोई मास नहीं, सतयुग के समान कोई युग नहीं, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं और गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं। ऐसे में इस महीने भगवान विष्णु के साथ तुलसी मां की पूजा करना बेहद फलदाई होता है। इसके अलावा इस महीने में गंगा स्नान, दीपदान, यज्ञ दान, आदि भी करने से व्यक्ति को अपनी सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
कार्तिक मास 2024 व्रत- त्यौहार, जयंती और उत्सव
अब बात करें कि इस साल कार्तिक के महीने में कौन-कौन से व्रत और त्योहार किस किस दिन किए जाने वाले हैं तो,
इतना तो स्पष्ट है कि, हिंदू धर्म में अश्विन का महीना और कार्तिक का महीना बेहद ही शुभ माना जाता है। इस महीने को और भी ज्यादा फलदाई बनाने के लिए इस महीने से संबंधित कुछ विशेष उपाय भी किए जा सकते हैं। क्या कुछ हैं ये उपाय चलिए जान लेते हैं:
अश्विन माह के ज्योतिषीय उपाय
बात करें आश्विन माह के दौरान किए जाने वाले उपायों की तो,
अगर आपकी कुंडली में पितृ दोष है तो इस महीने में पितरों के लिए पूजा अवश्य करें।
इसके अलावा अपने माता-पिता का सम्मान करें, उनकी सेवा करें। अगर आपको इस बात का ज्ञान नहीं है कि आपकी कुंडली में पितृ दोष है या नहीं तो आप अभी विद्वान ज्योतिषियों को अपनी कुंडली दिखाकर इस बात की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
इसके अलावा अगर आपके विवाह में बाधा आ रही है तो अपने बड़े भाई की सेवा और सम्मान करें, अपने भाई बहनों के साथ मिलजुल कर रहे हैं।
कुंडली में मौजूद पितृ दोष को दूर करने के लिए पितृपक्ष के दौरान भगवान शिव की विशेष पूजा उपासना अवश्य करें।
अगर शादी तय होने में रुकावट आ रही है तो महामृत्युंजय मंत्र का रोजाना जाप करें।
पितृपक्ष के दौरान हर शनिवार के दिन पीपल की जड़ में काले तिल मिलाकर जल अर्पित करें।
इसके अलावा अगर आप शीघ्र विवाह करना चाहते हैं तो मां कात्यायनी की पूजा करें।
कार्तिक माह के ज्योतिषीय उपाय
अब बात करें कार्तिक माह में किए जाने वाले उपायों की तो,
इस महीने रोजाना तुलसी के पौधे में जल अर्पित करें, शाम के समय तुलसी के पास घी का दीपक अवश्य जलाएं। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और आपके जीवन में धन संपदा बनी रहती है।
इसके अलावा तुलसी पर कच्चा दूध भी चढ़ाएं। इससे दरिद्रता का नाश होता है। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि तुलसी का पौधा हमेशा उत्तर या फिर पूर्व दिशा में ही रखें। ऐसा करने से आपके भाग्य में वृद्धि होगी।
भगवान विष्णु को तुलसी बेहद ही प्रिय मानी गई है। ऐसे में जब भी भगवान विष्णु का भोग तैयार किया जाता है तो उसमें एक तुलसी का पत्ता अवश्य डाला जाता है इसीलिए कार्तिक के महीने में भगवान विष्णु को जब भी भोग लगाएँ तो उसमें तुलसी दल जरूर डालें। ऐसा करने से भगवान विष्णु के साथ-साथ मां लक्ष्मी की भी कृपा आपके जीवन पर बरसने लगेगी।
तुलसी विवाह के दिन तुलसी पर सुहाग की सामग्रियां चढ़ाएँ। इसके अलावा तुलसी को लाल चुनरी अर्पित करें। ऐसा करने से पति-पत्नी के रिश्ते की मिठास बनी रहती है।
ग्रहों का ज्योतिष में विशेष महत्व बताया गया है। ऐसे में जब भी कोई महत्वपूर्ण भविष्यवाणी करनी होती है तो इसके लिए ग्रहों की स्थिति और चाल का विशेष आकलन करना अनिवार्य हो जाता है। अक्टूबर का यह महीना सभी 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा इस बात को जानने के लिए पहले ये जानने और समझने की आवश्यकता पड़ेगी कि इस महीने कौन-कौन से ग्रह कब-कब गोचर करने वाले हैं।
बात करें अक्टूबर 2024 के ग्रहण और गोचर की तो, 9 अक्टूबर को गुरु मिथुन राशि में वक्री होने वाले हैं इसका समय रहेगा 10 बजकर 01 मिनट।
इसके ठीक अगले दिन यानी 10 अक्टूबर को बुध का तुला राशि में गोचर हो जाएगा और इसका समय रहेगा 11 बजकर 09 मिनट।
13 अक्टूबर को 5 बजकर 49 मिनट पर शुक्र का वृश्चिक राशि में गोचर हो जाएगा।
17 अक्टूबर को 7 बजकर 27 मिनट पर सूर्य का तुला राशि में गोचर होने वाला है।
इसके बाद 20 अक्टूबर को मंगल का कर्क राशि में गोचर होगा। इसका समय होगा 15 बजकर 04 मिनट
फिर 22 अक्टूबर को 18 बजकर 58 मिनट पर तुला राशि में बुध उदय होने जा रहे हैं और
अंत में 29 अक्टूबर को 22 बजकर 24 मिनट पर बुध का वृश्चिक राशि में गोचर हो जाएगा।
यानी कि, अक्टूबर के महीने में जहां वृश्चिक राशि में शुक्र और बुध की युति होगी वहीं तुला राशि में सूर्य और बुध की युति होगी। यह दोनों ही युति बेहद महत्वपूर्ण रहने वाली है। आपकी राशि पर इन दोनों ही युतियों का क्या प्रभाव पड़ेगा यह जानने के लिए आप अभी विद्वान ज्योतिषियों से परामर्श ले सकते हैं।
इसके अलावा अक्टूबर के महीने में साल का दूसरा सूर्य ग्रहण भी लगने वाला है। यह सूर्य ग्रहण 2 अक्टूबर 2024 को लगेगा। बात करें इससे संबन्धित जानकारी की तो,
दूसरा सूर्य ग्रहण 2024 – कंकणाकृति सूर्यग्रहण रहेगा।
तिथि- आश्विन मास कृष्ण पक्ष अमावस्या
दिन तथा दिनांक- बुधवार 2 अक्टूबर, 2024
सूर्य ग्रहण प्रारंभ समय (भारतीय स्टैंडर्ड टाइम के अनुसार)- रात्रि 21:13 बजे से
सूर्य ग्रहण समाप्त समय- मध्यरात्रि उपरांत 27:17 बजे तक (3 अक्टूबर की प्रातः 03:17 बजे तक)
दृश्यता का क्षेत्र- दक्षिणी अमेरिका के उत्तरी भागों, प्रशांत महासागर, अटलांटिक, आर्कटिक, चिली, पेरू, होनोलूलू, अंटार्कटिका, अर्जेंटीना, उरुग्वे, ब्यूनस आयर्स, बेका आइलैंड, फ्रेंच पॉलिनेशिया महासागर, उत्तरी अमेरिका के दक्षिण भाग फिजी, न्यू चिली, ब्राजील, मेक्सिको, पेरू(भारत में दृश्यमान नहीं)
अक्टूबर 2024- शेयर बाज़ार की रिपोर्ट
अगर आप भी शेयर बाजार भविष्यवाणी में रुचि रखते हैं और जानना चाहते हैं कि अक्टूबर का महीना शेयर बाजार में क्या कुछ बदलाव या परिवर्तन लेकर आने वाला है तो चलिए इसके बारे में भी जानकारी हासिल कर लेते हैं। महीने की शुरुआत में अर्थात अक्टूबर की शुरुआत में सूर्य और बुध कन्या राशि में स्थित रहने वाले हैं। इसके अलावा मंगल मिथुन राशि में रहेंगे और शुक्र तुला राशि में बृहस्पति वृषभ राशि में और शनि कुंभ राशि में रहने वाले हैं। इसके अलावा नेप्चून और राहु मीन राशि में और प्लूटो मकर राशि में रहेंगे। इसके चलते शेयर बाजार में महीने की शुरुआत में तेजी देखने को मिल सकती है। इसके बाद 7 तारीख के बाद और भी ज्यादा तेजी शेयर बाजार में नजर आएगी। विशेष तौर पर बैंकिंग, फाइनेंस, पब्लिक सेक्टर, हेवी इंजीनियरिंग, टेक्सटाइल इंडस्ट्री, हीरा उद्योग, चाय कॉफी उद्योग, वूलन इंडस्ट्री, इत्यादि में इस महीने तेजी देखने को मिल सकती है। आप भी शेयर बाजार भविष्यवाणी विस्तार से पढ़ना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें।
अक्टूबर 2024- जन्मे लोगों का व्यक्तित्व और जन्मदिन की जानकारी
ज्योतिष के अनुसार हमारा जन्म जिस भी महीने में हुआ होता है हमारे जीवन पर उस महीने से संबंधित शुभ अशुभ प्रभाव हमारे जीवन पर नजर आने लगते हैं। ऐसे में बात करें अक्टूबर के महीने में जन्म लेने वाले लोगों के व्यक्तित्व की तो, अक्टूबर में जन्म लेने वाले लोग अपनी बातों से लोगों का मन मोह लेते हैं और उन्हें लोगों से दोस्ती करना पसंद होता है। उनकी वाणी इतनी मीठी होती है कि लोग इनसे बात किए बिना खुद को रोक नहीं पाते हैं। इसके अलावा अक्टूबर में जन्म लेने वाले लोगों का स्वभाव बेहद ही शांत होता है।
आपको जल्दी लोगों पर गुस्सा नहीं आता है। यही वजह है कि आपके जीवन में दोस्त ज्यादा और दुश्मन कम होते हैं। इसके साथ ही आप अपने जीवन से नेगेटिविटी को दूर रखते हैं और सकारात्मकता अपने जीवन में लाने और दूसरों के जीवन में भी सकारात्मकता लाने में विश्वास रखते हैं। इसके अलावा अक्टूबर में जन्म लेने वाले लोग बहुत ही जल्दी लोगों से घुल मिल जाते हैं, लोगों से मीठी-मीठी बातें करते हैं और अपने जीवन के प्रति आशावादी होते हैं।
अपने जीवन में यह जो कुछ भी हासिल करते हैं वो अपनी मेहनत के दम पर नौकरी, प्रेम और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण मोर्चों पर अक्टूबर के महीने में जन्म लेने वाले लोग बेहद ही भाग्यशाली रहते हैं। इन्हें जीवन में भाग्य का साथ मिलता है, इसके अलावा अक्टूबर में जन्म लेने वाले लोग स्वभाव से बेहद ही दयालु होते हैं। यह हर किसी की मदद के लिए हमेशा तत्पर तैयार नजर आते हैं।
अब बात करें कुछ मशहूर और चर्चित लोगों की जिनका जन्म अक्टूबर के महीने में हुआ है तो,
1 अक्टूबर श्रद्धा निगम
2 अक्टूबर रजिया खानम
4 अक्टूबर सोहा अली खान, श्वेता तिवारी
5 अक्टूबर अनुज सचदेवा
6 अक्टूबर मयंक चंद, सनी सिंह मेजर
8 अक्टूबर गौरी खान, मोना सिंह
9 अक्टूबर सयानी गुप्ता
10 अक्टूबर रेखा, रकुल प्रीत
11 अक्टूबर अमिताभ बच्चन, चंद्रचूर सिंह
12 अक्टूबर शक्ति मोहन
13 अक्टूबर पूजा हेगड़े
14 अक्टूबर परमीत सेठी
15 अक्टूबर अली फैज़ल
16 अक्टूबर राजीव खंडेलवाल, हेमा मालिनी
17 अक्टूबर सरिता जोशी, सिमी ग्रेवाल
18 अक्टूबर कुणाल कपूर
19 अक्टूबर सनी देओल
20 अक्टूबर नवजोत सिंह सिद्धू
21 अक्टूबर हेलेन, दुर्गेश कुमार
22 अक्टूबर परिणीति चोपड़ा
23 अक्टूबर मलाइका अरोड़ा, प्रभास
24 अक्टूबर मल्लिका शेरावत, ब्रूना अब्दुल्लाह
25 अक्टूबर सोनी राज़दान, कृतिका कामरा
26 अक्टूबर असीम, रवीना टंडन
27 अक्टूबर अनुराधा पौडवाल, पूजा बत्रा
28 अक्टूबर अदिति राव हैदरी
29 अक्टूबर रीमा सेन, विजेंद्र सिंह
30 अक्टूबर अभिजीत भट्टाचार्य, अनन्या पांडे
अक्टूबर 2024- सभी बारह राशियों की विस्तृत जानकारी
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अब जानते हैं सभी बारह राशियों के जातकों के लिए यह महीना क्या कुछ लेकर आने वाला है
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मेष राशि
यह महीना मेष राशि के जातकों के लिए मिश्रित परिणाम लेकर आने वाला है। इस महीने आपको विशेष …..विस्तार से पढ़ें
वृषभ राशि
यह महीना वृषभ राशि के जातकों के लिए अनुकूल रहने की संभावना है। आर्थिक रूप से आपको बहुत …..(विस्तार से पढ़ें)
मिथुन राशि
यह महीना आपके लिए उतार-चढ़ाव से भरा महीना रहने की संभावना है। आपको कई मामलों में सावधानी …..(विस्तार से पढ़ें)
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यह महीना कर्क राशि के जातकों के लिए मध्य रूप से फलदायक रहने की संभावना है। जहां तक आपके …..(विस्तार से पढ़ें)
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यह महीना आपके लिए मिले-जुले परिणाम लेकर आने वाला है। जहां तक आपके करियर का …..(विस्तार से पढ़ें)
कन्या राशि
कन्या राशि में जन्मे जातकों के लिए यह महीना मिश्रित परिणाम लेकर आएगा। आपको अपने ….(विस्तार से पढ़ें)
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तुला राशि में जन्मे जातकों के लिए यह महीना सावधानी से भरा महीना है। न केवल स्वास्थ्य …..(विस्तार से पढ़ें)
वृश्चिक राशि
यह महीना वृश्चिक राशि के जातकों के लिए अनुकूल रहने की अच्छी संभावना दिखाई देती है। इस महीने…..(विस्तार से पढ़ें)
धनु राशि
यह महीना धनु राशि के जातकों के लिए बहुत ज्यादा उथल-पुथल वाला महीना रह …..(विस्तार से पढ़ें)
मकर राशि
यह महीना मकर राशि में जन्म लेने वाले जातकों के लिए अनुकूल रहने की संभावना है। अक्टूबर में …..(विस्तार से पढ़ें)
कुंभ राशि
कुंभ राशि में जन्मे जातकों के लिए यह महीना कुछ सावधानी बरतने वाला रहेगा। सर्वप्रथम तो…..(विस्तार से पढ़ें)
मीन राशि
यह महीना मीन राशि के जातकों के लिए औसत रूप से फलदायक रहने वाला है। आर्थिक चुनौतियां…...(विस्तार से पढ़ें)