11 या 12 कब मनाया जाएगा दशहरा? यहां जानें सही तिथि मुहूर्त और पूजन की विधि

दशहरा एक हिंदू त्यौहार है जो भगवान राम की रावण पर जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। यह राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की जीत, नवरात्रि के अंत को भी दर्शाता है। दशहरा या विजयदशमी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह आश्विन या कार्तिक महीने के दसवें दिन पड़ता है। 

आज के हमारे इस विशेष ब्लॉग में जानेंगे कि वर्ष 2024 में दशहरे का यह त्यौहार किस दिन मनाया जाएगा, इस दिन की सही विधि, मुहूर्त क्या होते हैं, साथ ही जानेंगे इस दिन किए जाने वाले कुछ उपायों की जानकारी जिन्हें अपना कर आप भी अपने जीवन में प्रभु श्री राम का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

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2024 में कब है दशहरा?

सबसे पहले बात करें वर्ष 2024 में दशहरा कब पड़ रहा है तो दशहरे का त्योहार 2024 में 12 अक्टूबर 2024 शनिवार के दिन पड़ रहा है। बात करें इस दिन के शुभ मुहूर्त की तो,

विजय मुहूर्त :14:02:54 से 14:49:09 तक

अवधि :0 घंटे 46 मिनट

अपराह्न मुहूर्त :13:16:39 से 15:35:25 तक

दिलचस्प जानकारी: इसके अलावा इस त्यौहार को आयुध पूजा यानी शस्त्र पूजा के रूप में भी मनाया जाता है।

दशहरा मुहूर्त 

दशहरा का यह त्यौहार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को अपराह्न काल में मनाया जाता है। इस काल की अवधि सूर्योदय के बाद दसवें मुहूर्त से लेकर बाहरवें मुहूर्त तक की होती है। 

अगर दसवीं दो दिन की होती है और केवल दूसरे ही दिन अपराह्न काल को व्याप्त करती है तो विजयदशमी दूसरे दिन मनाई जाएगी। 

अगर दशमी दो दिन के अपराह्न काल में हो तो दशहरा का त्योहार पहले दिन मनाया जाता है। 

अगर दशमी दोनों दिन पड़ रही है लेकिन अपराह्न काल में नहीं उस समय में भी यह पर्व पहले दिन ही मनाया जाएगा।

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दशहरा पूजा और महोत्सव 

  • अपराजिता पूजा अपराह्न काल में की जाती है। बात करें इसकी सही विधि की तो सबसे पहले घर के पूर्वोत्तर दिशा में कोई पवित्र और शुभ स्थान चुन लें। 
  • यह स्थान कोई मंदिर, गार्डन के आसपास भी हो सकता है। 
  • कोशिश करें इस स्थान को साफ करके चंदन का लेप करें और फिर अष्टदल चक्र बनाएं। 
  • अब संकल्प लें कि देवी अपराजिता की पूजा आप अपने और अपने परिवार के खुशहाल जीवन के लिए करने जा रहे हैं। 
  • इसके बाद अष्टदल चक्र के बीचों-बीच अपराजिताय नमः मंत्र के साथ मां देवी की पूजा का आवाहन करें। 
  • इसके बाद मां जया को दाएं और दायीं ओर क्रियाशक्त्यै नमः मंत्र के साथ आह्वान करे।
  • बायीं ओर माँ विजया का उमायै नमः मंत्र के साथ आह्वान करें।
  • इसके उपरांत अपराजिताय नमः, जयायै नमः, और विजयायै नमः मन्त्रों के साथ शोडषोपचार पूजा करें।
  • इसके बाद प्रार्थना करें कि है देवी मैंने यह पूजा अपनी क्षमता के अनुसार की है कृपया करके मेरी यह पूजा स्वीकार करें। 
  • पूजा संपन्न होने के बाद सभी देवी देवताओं को प्रणाम करें हारेण तु विचित्रेण भास्वत्कनकमेखला। अपराजिता भद्ररता करोतु विजयं मम। मंत्र के साथ पूजा का विसर्जन करें।

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दशहरे से जुड़े कुछ रोचक तथ्य 

  • कहा जाता है कि दशहरे के दिन जब सूर्यास्त होता है और आसमान में कुछ तारे नजर आने लगते हैं तो इसे विजय मुहूर्त कहा जाता है। इस समय कोई भी पूजा या काम किया जाए तो इसके शुभ परिणाम व्यक्ति को प्राप्त होते हैं। 
  • मान्यता के अनुसार यह वही मुहूर्त है जब भगवान श्री राम ने रावण को हराने के लिए युद्ध प्रारंभ किया था। 
  • दशहरे का दिन साल के सबसे पवित्र दिनों में से एक माना जाता है। यह 3:30 मुहूर्त में से एक होता है। ऐसे में इस दिन अगर कोई भी नई चीज की शुरुआत की जाए तो यह बेहद ही उत्तम रहती है। 
  • क्षत्रिय, योद्धा और सैनिक लोग इस दिन अपने शास्त्रों की पूजा करते हैं जिसे आयुध पूजा या शस्त्र पूजा के नाम से जाना जाता है। 
  • इसके अलावा इस दिन शमी पूजन का भी विधान माना गया है। 
  • ब्राह्मण लोग इस दिन मां सरस्वती की पूजा करते हैं। 
  • वैश्य लोग अपने बहीखाते की पूजा करते हैं। 
  • नवरात्रि रामलीला का समापन दशहरे के दिन ही होता है। 
  • इसके अलावा इसी दिन रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले जलाकर भगवान राम की जीत का जश्न मनाया जाता है। 
  • इस दिन अगर मां भगवती, जगदंबा का अपराजिता स्तोत्र किया जाए तो इससे व्यक्ति को शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। 
  • बंगाल में मां दुर्गा पूजा का त्योहार भव्य रूप से मनाया जाता है। 
  • दशहरे को ज्योतिष में अबूझ मुहूर्त माना गया है। 
  • हिंदू मान्यता के अनुसार दशहरे के दिन अगर भूमि, भवन, वाहन, जैसी चीज़ें खरीदी जाए तो यह बेहद ही शुभ होता है। 
  • इसके साथ ही दशहरे के दिन शमी के पेड़ की पूजा करना भी शुभ माना गया है।
  • दशहरे के इस त्यौहार को कृषि उत्सव के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि दशहरे पर खरीफ फसलों की कटाई की जाती है और रवि फसलों का बीजारोपण किया जाता है। 
  • दशहरे का त्योहार केवल भारत में ही नहीं बल्कि बांग्लादेश, नेपाल और मलेशिया में भी मनाया जाता है। 
  • दशहरे के दिन ही सम्राट अशोक और डॉ बी आर अंबेडकर ने बौद्ध धर्म अपनाया था।

दशहरे से जुड़ी पौराणिक कथाएं 

दशहरे के त्योहार से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं जैसे कि, एक कथा के अनुसार कहा जाता है कि इस त्यौहार का नाम दशहरा इसलिए पड़ा क्योंकि इस दिन भगवान पुरुषोत्तम में 10 सिरों वाले रावण का वध किया था। इस दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता है ताकि हम अपने अंदर के क्रोध, लालच, नशा, ईर्ष्या, स्वार्थ, अज्ञानता और अहंकार को नष्ट कर सकें। 

महाभारत से जुड़ी दूसरी कथा के अनुसार कहा जाता है कि दुर्योधन ने जुए में पांडवों को हरा दिया था। शर्त के अनुसार सभी पांडवों को 12 वर्षों तक निर्वासित रहना था जबकि एक साल के लिए हो उन्हें अज्ञातवास में भी रहना था। अज्ञातवास के दौरान उन्हें हर किसी से छिपकर रहना था और अगर उन्हें कोई ढूंढ लेता तो उन्हें दोबारा 12 वर्षों का निर्वासन का दंश झेलना पड़ता। इसके चलते अर्जुन ने उस 1 साल के लिए अपनी गांडीव धनुष को शमी नामक वृक्ष पर छुपा दिया और राजा विराट के लिए एक ब्रिहन्नला का छद्म रूप धारण कर काम करने लगे। एक बार जब राजा के पुत्र ने अर्जुन से अपनी गाय की रक्षा के लिए मदद मांगी तो अर्जुन ने शमी के वृक्ष से अपने धनुष को वापस निकाल और दुश्मनों को हरा दिया था। 

दशहरे से जुड़ी तीसरी कथा के अनुसार भगवान श्री राम ने लंका की चढ़ाई के लिए अपनी यात्रा का जब शुभारंभ किया था तो शमी वृक्ष ने उनके विजय होने की घोषणा की थी।

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दशहरे का महत्व 

हर साल दशहरे का त्योहार बेहद ही उत्सव और उमंग के साथ मनाया जाता है। देश भर में लोग इस अवसर पर अपने अनोखे अंदाज में हिस्सा लेते हैं। यह वह दिन होता है जब भगवान राम 10 सिरों वाले रावण का वध किया था। यह एक बेहद ही शुभ त्यौहार है और बुराई पर अच्छाई की जीत के जश्न के रूप में मनाया जाता है।

दशहरे के उपाय 

मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि अगर दशहरे के दिन कुछ विशेष उपाय कर लिए जाएं तो इसके जीवन में धन लाभ होता है, करियर में उन्नति मिलती है, साथ ही प्रभु श्री राम का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है, क्या कुछ हैं ये उपाय आइये जान लेते हैं।  

  • इस दिन जया और विजया देवी की पूजा अवश्य करें। ऐसा करने से जया और विजया देवी प्रसन्न होती हैं और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है। साथ ही जो कोई भी व्यक्ति जया-विजया पूजा करता है उनके जीवन में तरक्की के शुभ संयोग बनने लगते हैं। 
  • अगर आपके जीवन में आर्थिक संकट बना हुआ है तो दशहरे के दिन कोशिश करें और नीलकंठ के दर्शन कर लें। इसे बेहद ही शुभ माना जाता है। 
  • इसके अलावा रावण दहन के बाद गुप्त दान भी करें। ऐसा करने से आपको लाभ मिलेगा। 
  • इसके अलावा माता लक्ष्मी का ध्यान करें और झाड़ू का दान करें। ऐसा करने से आर्थिक संकट दूर होता है और जीवन में शुभता बढ़ती है। 
  • अगर जीवन में कर्ज की समस्या बढ़ गई है तो दशहरे के दिन देवी माता के सामने जो जौ बोया जाता है उसकी जयंती को माथे पर रखें और उसको धन रखने वाले स्थान में रखते हैं जिसे कोई देख ना पाए। ऐसा करने से धन वृद्धि के शुभ संयोग जीवन में बनने लगते हैं और कर्ज से मुक्ति मिलती है। 
  • इसके अलावा अगर आप अपनी संतान को पढ़ाई में सफलता प्राप्त देखना चाहते हैं तो इस जयंती को उनकी पुस्तक में रख दें। ऐसा करने से बुद्धि का विकास होता है और एकाग्रता बढ़ती है। 
  • जीवन में उन्नति पानी है, नौकरी में सफलता पानी है या व्यवसाय में लाभ प्राप्त करना है तो दशहरे के दिन एक नारियल लेकर उसे पीले कपड़े में लपेट दें। इसके साथ एक जोड़ी जनेऊ, सवा पाव मिठाई किसी राम मंदिर में रख दें। ऐसा करने से जीवन में उन्नत होने लगेगी। 
  • दशहरे के दिन शमी के पेड़ की पूजा अवश्य करें। इस दिन शमी के पेड़ की पूजा करें। इसके समकक्ष दीपक जलाएं। ऐसा करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है और पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में सफलता मिलती है। 
  • साथ ही अगर आपका कोई कोर्ट केस भी चल रहा है तो उसमें भी फैसला आपके पक्ष में आने की संभावना बढ़ जाती है। 
  • इसके अलावा सेहत उत्तम बनाने के लिए या अगर आपके घर में कोई बार-बार बीमार पड़ रहा है और आप परेशान हो चुके हैं तो दशहरे के दिन एक सबूत पानी वाला नारियल ले लें और उसको अपने या जो भी बीमार सदस्य है उसके सिर के ऊपर से 21 बार उवार लें। फिर जहां रावण का दहन हो रहा हो उसी अग्नि में इस नारियल को डाल दें। ऐसा करने से परिवार पर आने वाला संकट या बीमारियां दूर हो जाती है।

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दशहरे के दिन क्या करें- क्या ना करें 

  • दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन करना बेहद ही शुभ माना जाता है। 
  • दशहरे के दिन गुप्त दान करना भी बेहद मंगलकारी होता है। इससे जीवन के सभी कष्ट दुख दूर होते हैं और जीवन में आने वाली बाधाएँ भी दूर होने लगती है। 
  • दशहरे के दिन शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। 
  • माना जाता है की विजयदशमी के पर्व पर किसी से वाद-विवाद भी नहीं करना चाहिए।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल 

1: नवरात्रि के नौवें दिन किस देवी की पूजा की जाती है? 

नवरात्रि के नवमी तिथि पर देवी के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है। 

2: दशहरे की शुरुआत सबसे पहले किसने की थी? 

दशहरे की शुरुआत सबसे पहले प्राचीन हिंदूओं द्वारा की गई थी। जैसा की प्राचीन हिंदू संस्कृत महाकाव्य रामायण में दर्शाया गया है यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होता है।

3: वर्ष 2024 में दशहरा कब है? 

दशहरे का त्योहार आश्विन माह के दसवें दिन मनाया जाता है। इस वर्ष दशहरा 12 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा। 

4: दशहरे के दिन किस देवी या देवता की पूजा की जाती है? 

कुछ स्थानों पर दशहरे के दिन भगवान राम की पूजा की जाती है वहीं कई अन्य जगहों पर इस दिन देवी दुर्गा की पूजा का विधान भी बताया गया है। 

5: क्या दशहरे के दौरान विवाह किया जा सकते हैं? 

बिल्कुल, दशहरे के दौरान अगर आप शुभ मुहूर्त प्राप्त करने में सक्षम हैं तो इस दौरान विवाह भी संपन्न किया जा सकते हैं क्योंकि ज्योतिष में दशहरे के दिन को अबूझ मुहूर्त माना गया है। 

6: दशहरा सभी के लिए भाग्यशाली दिन होता है?

दशहरा एक पवित्र दिन होता है और यह सभी के लिए भाग्यशाली माना जाता है क्योंकि यह बुराई पर अच्छाई की जीत की शुरुआत का प्रतीक है। ऐसे में बहुत से लोग इस दिन अपना नया काम शुरू करते हैं, नए घर का चयन करते हैं, गहने खरीदते हैं, वाहन खरीदते हैं जिसे भाग्यशाली माना गया है।

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इस खास ब्लॉग में आज हम बात करेंगे शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि के बारे में। जैसा कि हमने पहले भी बताया कि यूं तो नवरात्रि का हर एक दिन अपने आप में बेहद ही खास और महत्वपूर्ण होता है लेकिन जब बात आती है अष्टमी और नवमी तिथि को तो इन्हें अन्य दिनों की तुलना में सबसे अधिक महत्वपूर्ण और खास माना जाता है। 

आज के अपने इस विशेष ब्लॉग में हम जानेंगे कि आखिर नवमी तिथि को इतना महत्व क्यों दिया जाता है, नवमी तिथि पर माता के किस स्वरूप की पूजा होती है, मां की पूजा से क्या लाभ मिलता है, मां का प्रिय रंग और मंत्र क्या है, साथ ही जानेंगे नवमी तिथि पर किए जाने वाले कुछ अचूक उपाय की भी जानकारी। 

इसके अलावा अगर आप नवमी तिथि पर कन्या पूजन करने जा रहे हैं तो इस दौरान आपको किन बातों का ध्यान रखने की आवश्यकता पड़ेगी इसकी जानकारी भी आपको हमारे इस खास ब्लॉग में प्रदान की जाएगी। तो चलिए शुरू करते हैं हमारा यह स्पेशल ब्लॉग और सबसे पहले जान लेते हैं वर्ष 2024 में नवमी तिथि कब पड़ रही है।

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शारदीय नवरात्रि नवमी तिथि- शुभ मुहूर्त 

वर्ष 2024 में नवमी तिथि नवरात्रि के दसवें दिन अर्थात 12 अक्टूबर 2024 शनिवार के दिन पड़ रही है। इस दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा की जाएगी। साथ ही बहुत से लोग इस दिन नवरात्रि का पारणा भी करेंगे। इसके अलावा इसी दिन विजयदशमी भी प्रारंभ हो जाएगी। बात करें इस दिन के हिंदू पंचांग की तो इस दिन की तिथि नवमी रहेगी, पक्ष शुक्ल है, नक्षत्र श्रवण है, योग वृद्धि है, अभिजीत मुहूर्त 11:44:8 सेकंड से लेकर 12:30:24 सेकंड तक रहने वाला है।

माँ सिद्धिदात्री स्वरूप और महत्व 

नवरात्रि के नवमी तिथि के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री अपने भक्तों की सभी सिद्धियों को पूरा करने वाली मानी जाती हैं। मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से व्यक्ति को सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है और लौकिक और अलौकिक मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। साथ ही मां सिद्धिदात्री की पूजा जो कोई भी भक्त पूरी निष्ठा और ईमानदारी से करते हैं उनके घर में कभी भी धन्य धान्य की कमी नहीं रहती है। 

मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा स्वयं ऋषि, मुनि, यश, देव, दानव, साधक, किन्नर भी करते हैं। सिद्धि और मोक्ष देने वाली मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की बात करें तो माँ कमल के आसन पर विराजमान हैं और उनकी चार भुजाएं होती हैं जिसमें उन्होंने कमल, शंख, गदा और सुदर्शन चक्र धारण किया हुआ है। माँ सिंह की सवारी भी करती हैं। 

मां सिद्धिदात्री समस्त संसार का कल्याण करती हैं इसीलिए उन्हें जगत जननी भी कहते हैं। देवी पुराण के अनुसार कहा गया है कि मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही शिव शंकर ने सिद्धियां प्राप्त की थी। भगवान ने मां की कृपा से ही अपना आधा शरीर देवी का किया था। जिससे इन्हें अर्धनारीश्वर कहा गया। मां अपने साधकों की सभी सांसारिक इच्छाओं और आवश्यकताओं को पूरा करती हैं। 

मां की आराधना से जातक को अणिमा, लधिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व, सर्वकामावसायिता, दूर श्रवण, परकामा प्रवेश, वाकसिद्ध, अमरत्व भावना सिद्धि आदि समस्त सिद्धियों नव निधियों की प्राप्ति होती है।

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तो ऐसे पड़ा माँ का नाम सिद्धिदात्री

सिद्धिदात्री नाम का अर्थ है ‘सिद्धि देने वाली’ या ‘पुरस्कार देने वाली’। सिद्धि का अर्थ है ‘अलौकिक शक्ति’ या ‘ध्यान क्षमता’। सिद्धिदात्री, मां दुर्गा के नौ रूपों में से नौवें और आखिरी रूप हैं। नवरात्रि के नौवें दिन इनकी पूजा की जाती है।

मां सिद्धिदात्री पूजा मंत्र, भोग और प्रिय रंग 

सबसे पहले बात करें मां सिद्धिदात्री के पूजा मंत्र की तो इस दिन की पूजा में नीचे दिए गए मंत्रों का स्पष्ट उच्चारण पूर्वक जप अवश्य करें 

सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।

सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥

इसके अलावा बात करें भोग की तो कहा जाता है कि मां सिद्धिदात्री को चना, पूरी, मौसमी फल, खीर, हलवा और नारियल बेहद ही प्रिय होता है। ऐसे में आप अपनी यथाशक्ति अनुसार इस दिन की पूजा में इन चीजों को अवश्य शामिल करें। पूजा के बाद इन चीजों को प्रसाद रूप में ग्रहण भी करें। 

इसके बाद बात करें मां के प्रिय रंग तो चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि के दिन नीले या फिर जामुनी रंग के वस्त्र पहनना बेहद ही शुभ रहता है। इसके अलावा मां सिद्धिदात्री को इस दिन लाल रंग के गुड़हल के या गुलाब के फूल अर्पित करें। इससे भी माँ की प्रसन्नता हासिल की जा सकती है।

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महानवमी तिथि पर करने जा रहे हैं कन्या पूजन तो इन बातों का रखें विशेष ख्याल 

जहां बहुत से लोग अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन करते हैं वहीं बहुत से लोग नवमी तिथि पर भी कन्या पूजन करते हैं। बात करें इसके महत्व की तो कन्या पूजन के माध्यम से लोग माता रानी की प्रसन्नता हासिल करना चाहते हैं। मान्यता के अनुसार कन्या पूजन में आप 9 से 2 की संख्या में कन्याओं को शामिल कर सकते हैं। मतलब आप चाहे तो दो कन्याओं को पूजा में शामिल कर लें या फिर 9 को। इस बात का ख्याल अवश्य रखें कि कन्याओं के साथ एक बटुक अवश्य होना चाहिए। बात करें इस दौरान किन बातों का या नियम का विशेष रूप से ध्यान रखना है तो, 

  • देवी भागवत पुराण के अनुसार कन्या पूजन में केवल कुमारी कन्याएं ही शामिल की जानी चाहिए। 
  • जो कन्या किसी अंग से खराब हो या राजसवला हो उसे कन्या का पूजन नहीं करना चाहिए। 
  • इसके अलावा नौ कन्याओं के साथ आप कम से कम एक बालक कन्या पूजन में अवश्य शामिल करें। 
  • बालक को भैरव का स्वरूप माना जाता है। 
  • कन्याएं जब खाना खाकर घर से विदा लें तो तुरंत घर की साफ सफाई ना करें। 
  • कन्याओं के लिए इस दिन जो भी भोजन बनाया जाए उसमें भूल से भी लहसुन प्याज का प्रयोग ना करें। 
  • इसके अलावा कन्या पूजन के लिए तैयार किया गया भोजन भूल से भी जूठा ना करें। 
  • इस दिन किसी पर क्रोध न करें। 
  • घर आई कन्याओं का अपमान ना करें। इन बातों का ध्यान रखकर आप कन्या पूजन करते हैं तो आपको माँ की प्रसन्नता निश्चित रूप से प्राप्त होगी।

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महानवमी के राशि अनुसार उपाय

नवरात्रि के आखिरी दिन यानी कि महानवमी को बहुत ही खास माना जाता है। इस दिन मां के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा का विधान बताया गया है। इसके अलावा 9 दिन के व्रत और पूजन को सफल बनाने के लिए इस दिन कन्या पूजन और हवन भी करते हैं। मान्यता है कि नवरात्रि की महा नवमी पर अगर राशि अनुसार आप कुछ खास चीजों का दान करें तो इसे 9 दिनों की पूजा सफल तो होती ही है साथ ही मां दुर्गा की कृपा से आपके धन-धान्य के भंडार सालों साल भरे रहेंगे, साथ ही खुशहाली आपके जीवन से कभी भी नहीं जाएगी।

  • मेष राशि: मेष राशि के जातक मां दुर्गा को लाल चुनरी अर्पित करें और कुंवारी कन्याओं को लाल चुनरी का दान करें। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन सुखमय बना रहेगा। 
  • वृषभ राशि: वृषभ राशि के जातक नवरात्रि की नवमी तिथि पर चुनरी में बताशे रखकर माता के चरणों में अर्पित करें। इससे आपका सौभाग्य बढ़ेगा। 
  • मिथुन राशि: मिथुन राशि के जातक महानवमी पर गेहूं का दान करें। इससे आपके जीवन में धन का भंडार कभी भी खाली नहीं होगा। 
  • कर्क राशि: कर्क राशि के जातक महानवमी के दिन मां दुर्गा को गुड़ की मिठाई का दान करें। इससे आपको जीवन में सफलता मिलेगी। 
  • सिंह राशि: सिंह राशि के जातक महानवमी के दिन नौ कन्याओं को नारियल बांटें। ऐसा करने से आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत बनेगी। 
  • कन्या राशि: कन्या राशि के जातक महानवमी के दिन घी का दान करें। ऐसा करने से विवाह में आ रही अड़चनें दूर होगी। 
  • तुला राशि: तुला राशि के जातक महानवमी पर हलवा पूरी बांटे। इसके घर में खुशियां आएंगी। 
  • वृश्चिक राशि: वृश्चिक राशि के जातक अनार का फल मां दुर्गा को अर्पित करें। ऐसा करने से आपको नौकरी और व्यापार में सफलता मिलेगी। 
  • धनु राशि: धनु राशि के जातक जरूरतमंद कन्या को मिट्टी के घड़े में जल भरकर दान करें। इससे आपके जीवन में बरकत बढ़ेगी। 
  • मकर राशि: महानवमी के दिन मकर राशि के जातक काले चने का दान करें। इससे मां दुर्गा की कृपा से नवग्रह के दुष्प्रभाव कम होंगे। 
  • कुंभ राशि: कुंभ राशि के जातक नवमी पर केले का फल कन्याओं को बांटें। इससे आपके जीवन में सुख समृद्धि बढ़ेगी। 
  • मीन राशि: मीन राशि के जातक महानवमी के दिन अन्न, वस्त्र का दान करें। इससे आपका सोया हुआ भाग्य जाग उठेगा।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल 

1: शारदीय नवरात्रि 2024 नवमी कब है? 

वर्ष 2024 में शारदीय नवरात्रि नवमी तिथि 12 अक्टूबर 2024 शनिवार के दिन पड़ रही है। 

2: शारदीय नवरात्रि 2024 दशहरा किस दिन मनाया जाएगा? 

शारदीय नवरात्रि 2024 विजयदशमी का त्योहार 12 अक्टूबर 2024 शनिवार के दिन पड़ेगा। 

3: शारदीय नवरात्रि 2024 मां का आगमन वाहन क्या है? 

शारदीय नवरात्रि 2024 में माँ डोली में विराजमान होकर आएंगी। देवी पुराण में पालकी की सवारी को बहुत शुभ बताया गया है। 

4: शारदीय नवरात्रि में दुर्गा विसर्जन किस दिन है? 

इस वर्ष दुर्गा विसर्जन 13 अक्टूबर 2024 रविवार के दिन पड़ रहा है

महा-अष्टमी पर कन्या पूजन? जानें इसके नियम, विधि और राशि अनुसार दिये जाने वाले तोहफे की जानकारी

हर एक बीते दिन के साथ शारदीय नवरात्रि जैसे-जैसे अपने समापन के निकट आ रही है वैसे ही वैसे महत्वपूर्ण दोनों की शुरुआत होने लग रही है। दरअसल शारदीय नवरात्रि में यूं तो सभी दिन बेहद ही खास और महत्वपूर्ण माने जाते हैं लेकिन इनमें से सप्तमी, अष्टमी और नवमी का दिन सबसे ज्यादा खास और महत्वपूर्ण होता है। 

इस दिन बहुत से लोग कन्या पूजन भी करते हैं। एस्ट्रोसेज के आज के हमारे इस खास ब्लॉग में हम बात करेंगे शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि के बारे में। अष्टमी तिथि को महा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही जानेंगे इस दिन माता के किस स्वरूप की पूजा की जाएगी, इस दिन का शुभ मुहूर्त क्या है, साथ ही हम यहां जानेंगे कि अगर आप अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन कर रहे हैं तो आपको किन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखने की जरूरत पड़ने वाली है। तो चलिए बिना देरी किए शुरू करते हैं शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि से संबंधित हमारा यह खास ब्लॉग।

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दुनियाभर के विद्वान ज्योतिषियों से करें कॉल/चैट पर बात और जानें अपने संतान के भविष्य से जुड़ी हर जानकारी

शारदीय नवरात्रि अष्टमी तिथि- शुभ मुहूर्त 

सबसे पहले बात करें शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि की तो वर्ष 2024 में अष्टमी तिथि नवरात्रि के नौवें दिन पड़ रही है अर्थात 11 अक्टूबर 2024 को दुर्गा अष्टमी मनाई जाएगी। इस दिन मां महागौरी की पूजा करने का विधान है। बात करें इस दिन के शुभ मुहूर्त और हिंदू पंचांग की तो इस दिन की तिथि अष्टमी रहेगी, पक्ष शुक्ल रहेगा, नक्षत्र उत्तरा आषाढ़ रहेगा, योग सुकर्मा रहेगा, अभिजीत मुहूर्त की बात करें तो अभिजीत मुहूर्त इस दिन 11:44:20 सेकंड से लेकर 12:30:41 सेकंड तक रहने वाला है।

शारदीय नवरात्रि पर माँ महागौरी की पूजा का है विधान 

नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर माता के मां महागौरी स्वरूप की पूजा की जाती है। अष्टमी और नवमी तिथि पर बहुत से लोग भगवती की प्रसन्नता हासिल करने के लिए कन्या पूजन करते हैं। मान्यता है कि नवरात्रि में इन दिनों में मां दुर्गा स्वयं पृथ्वी लोक पर आती हैं और भक्तों के दुख दर्द दूर करती हैं। अष्टमी तिथि को नवरात्रि में सबसे महत्वपूर्ण दिन माना गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि कहते हैं कि अष्टमी तिथि पर ही मां दुर्गा असुरों का संघार करने के लिए प्रकट हुई थीं।  

अष्टमी के दिन ही देवी दुर्गा ने चंड-मुंड नामक राक्षसों का संघार किया था। यही वजह है कि माना जाता है कि अगर आप पूरे 9 दिनों का नवरात्र या पूजा व्रत नहीं कर पाए हैं तो अगर आप केवल अष्टमी और नवमी तिथि के दिन भी व्रत रख लें तो इससे भी आपको नवरात्रि में नौ दिनों के समान व्रत करने और पूजा करने के बराबर फल की प्राप्ति होती है। 

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बात करें माता के आठवें स्वरूप मां महागौरी को के बारे में तो, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है माता का वर्ण पूर्ण रूप से गौर अर्थात सफेद है। इन्होंने सफेद रंग के वस्त्र धारण किए हुए हैं। कहते हैं देवी महागौरी की पूजा करने से भक्तों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और साधक को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि मां महागौरी का ध्यान, स्मरण पूजा आदि करने से भक्तों के जीवन में सब कुछ कल्याणमय होने लगता है, मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं और ऐसे व्यक्ति को अक्षय पुण्य प्राप्त होता है।

जो कोई भी भक्त श्रद्धा भक्ति से मां महागौरी की पूजा करता है उनके सभी पाप नष्ट होते हैं और भविष्य में पाप, संताप, दैनिक दुख उनके पास कभी नहीं भटकते। माँ की कृपा से भक्तों को अलौकिक सिद्धियां की प्राप्ति होती है। यह भक्तों के कष्ट जल्द ही दूर कर देने के लिए जानी जाती हैं। भक्तों के लिए देवी का यह स्वरूप अन्नपूर्णा का स्वरूप माना गया है। यही वजह है कि बहुत से लोग अष्टमी तिथि के दिन कन्या पूजन करवाते हैं। मां महागौरी धन, वैभव और सुख शांति की देवी हैं। ऐसे में धन-धान्य और सुख समृद्धि की प्राप्ति के लिए मां गौरी की उपासना अवश्य की जानी चाहिए।

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माँ महागौरी के नाम का अर्थ और महत्व 

देवी दुर्गा की आठवीं शक्ति को मां महागौरी के नाम से जाना जाता है और नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर मां की उपासना की जाती है। इन्हें मां पार्वती, अन्नपूर्णा के रूप में भी पूजा जाता है क्योंकि मां पूर्ण रूप से गौर हैं इसलिए इन्हें महागौरी कहा गया है। मां के गौरता की उपमा शंखचंद्र और कुंद के फूल से की गई है और माना जाता है की मां की आयु केवल 8 वर्षों की है। 

मां ने समस्त वस्त्र और आभूषण भी श्वेत ही धारण किए हुए हैं। कहा जाता है कि अपनी कठिन तपस्या में मां ने गौर वर्ण प्राप्त किया था तभी से इन्हें उज्ज्वल स्वरूप महागौरी, धन ऐश्वर्य प्रदायिनी चैतन्यमयी त्रैलोक्य पूज्य मंगला, शारीरिक मानसिक और सांसारिक ताप का हरण करने वाली माता महागौरी का नाम दिया गया।

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शारदीय नवरात्रि अष्टमी तिथि- मंत्र- भोग- प्रिय रंग 

अब बात करें शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर पूजा में शामिल किए जाने वाले मंत्र की तो इस दिन की पूजा में मां महागौरी से संबंधित इस मंत्र को अवश्य शामिल करें।

मंत्र: श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा। या देवी सर्वभू‍तेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः 

इसके अलावा बात करें मां के प्रिय भोग की तो देवी भागवत पुराण के अनुसार नवरात्रि की अष्टमी तिथि को मां महागौरी को नारियल का भोग अवश्य लगाएँ। मां महागौरी को नारियल बेहद ही प्रिय होता है। इसके साथ ही क्योंकि बहुत से लोग इस दिन कन्या पूजन भी करते हैं ऐसे में भोग में काले चने का प्रसाद भी अवश्य शामिल करें। 

अब बात करें मां के प्रिय रंग और पुष्प की तो मां को रात रानी का पुष्प बेहद ही प्रिय होता है। इसके अलावा रंगों में श्वेत या हल्के रंग के वस्त्र मां को बेहद ही पसंद होते हैं। ऐसे में नवरात्रि की अष्टमी तिथि की पूजा में श्वेत और हल्के रंग के वस्त्र अवश्य शामिल करें। 

इसके अलावा कहा जाता है कि मां महागौरी का संबंध राहु ग्रह से भी है अर्थात राहु ग्रह पर मां का आधिपत्य होता है और यही वजह है कि जिन लोगों की कुंडली में राहु दोष मौजूद होता है उन्हें इस दोष से मुक्ति पाने के लिए मां महागौरी की पूजा करने की सलाह दी जाती है।

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महा-अष्टमी कन्या पूजन महत्व और नियम 

जैसा कि हमने पहले भी बताया कि बहुत से लोग महा अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन करते हैं। ऐसे में अगर आप भी इस दिन कन्या पूजन कर रहे हैं या करने का विचार कर रहे हैं तो यहाँ जान लेते हैं इसकी सही विधि और नियम क्या होते हैं। 

सबसे पहले विधि की बात करें तो, 

  • शास्त्रों के मुताबिक नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर भोजन करने से पूर्व एक दिन पहले कन्याओं को उनके घर जाकर सम्मानपूर्वक निमंत्रण दें।
  • अगले दिन जब कन्याएं भोजन के लिए आयें तो घर में घुसने से पहले ही उनका पुष्प वर्षा के साथ स्वागत करें और माता के सभी नामों के जयकारे लगाएँ। 
  • आप कन्याओं को आरामदायक और साफ जगह पर बिठा कर इनके पैर अपने हाथों से धोएँ।
  • उनके माथे पर अक्षत, फूल और कुमकुम लगाएँ। फिर मां भगवती का ध्यान करते हुए इन देवी रूपी कन्याओं को भोजन कराएं।
  • भोजन के बाद कन्याओं के हाथ और पांव वापस से धोएं। पैर धोकर इनका आशीर्वाद लें और अपने सामर्थ्य के अनुसार उन्हें कुछ दक्षिणा और उपहार अवश्य दें। 
  • इस बात का विशेष रूप से ध्यान दें कि जब भी आप नौ कन्याओं को भोजन करवाएँ तो उनके साथ किसी बालक को बटुक या काल भैरव के स्वरूप में अवश्य आमंत्रित करें और उन्हें भी स-सम्मान भोजन आदि कराएं।

कन्या पूजन के नियम 

महाअष्टमी पर अगर आप कन्या पूजन करने जा रहे हैं तो इन नियमों का विशेष रूप से ध्यान रखें। नवरात्रि की सभी तिथियां को एक-एक और अष्टमी और नवमी को नौ कन्याओं की पूजा की जाती है। अलग-अलग वर्षों की कन्याओं का अलग-अलग महत्व होता है। जैसे कि, 

  • 2 वर्ष की कन्या को कुमारी कहा जाता है और उनकी पूजा करने से दुख और दरिद्रता दूर होती है। 
  • 3 वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति मानी जाती है इनका पूजन करने से जीवन में धन्य धन्य आता है और परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है। 
  • 4 वर्ष की कन्या को कल्याणी माना जाता है इनकी पूजा से परिवार का कल्याण होता है। 
  • 5 वर्ष की कन्या रोहिणी कहलाती है। रोहिणी की पूजा करने से जीवन से रोग और दुख दूर होता है। 
  • 6 वर्ष की कन्या को कालिका कहा गया है। कालिका रूप की पूजा करने से व्यक्ति को विद्या, विजय और राजयोग की प्राप्ति होती है। 
  • 7 वर्ष की कन्या को चंडिका कहा गया है। चंडिका रूप का पूजन करने से ऐश्वर्या की प्राप्ति होती है। 
  • 8 वर्ष की कन्या शांभवी कहलाती है। इनकी पूजा करने से वाद विवाद में विजय प्राप्त होती है। 
  • 9 वर्ष की कन्या दुर्गा कहलाती है। इनका पूजन करने से शत्रुओं का नाश होता है और सभी कार्य पूर्ण होते हैं। 
  • 10 वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती है और सुभद्रा की पूजा और भोजन करने से व्यक्ति के सारे मनोरथ पूरे होते हैं।

क्या यह जानते हैं आप? शारदीय नवरात्रि में दुर्गा अष्टमी पर संधि पूजा करना क्यों है जरूरी माना गया है और संधि पूजा क्या होती है? 

तो दरअसल दो प्रहर, तिथि, दिन, पक्ष या अयन के मिलन को संधि कहा जाता है। जब सूर्य अस्त हो जाता है तब दिन और रात के बीच के समय को संध्या काल कहते हैं। इस तरह जब एक तिथि समाप्त होकर दूसरी तिथि प्रारंभ हो रही है तो उसके काल को संधि कहते हैं। इसी काल में पूजा करने को संधि पूजा कहा जाता है। 

बात करें यह पूजा कब की जाती है तो अष्टमी और नवमी दोनों दिनों तक संधि पूजा चलती है। संधि पूजा में अष्टमी समाप्त होने के अंतिम 24 मिनट और नवमी प्रारंभ होने की शुरुआती 24 मिनट के समय को संधिकाल कहते हैं। संधि पूजा करने से अष्टमी और नवमी दोनों ही देवियों की एक साथ पूजा की जा सकती है। 

माना जाता है कि इसी काल में देवी दुर्गा ने असुर चंड और मुंड का वध किया था और उसके अगले दिन महिषासुर का वध किया था। 

संधि काल का समय दुर्गा पूजा के हवन के लिए भी बेहद शुभ माना जाता है। कहते हैं इस काल में अगर हवन किया जाए तो उससे तुरंत ही फल प्राप्त होते हैं। संधि पूजा के समय केला, ककड़ी, कद्दू और अन्य फल और सब्जियों की बलि दी जाती है। संधि काल में 101 दीपक जलाकर मां की वंदना और आराधना करते हैं। ऐसा करने से माँ की प्रसन्नता हासिल होती है और मनोवांछित कामना पूर्ण होती है साथ ही जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है।

शारदीय नवरात्रि अष्टमी तिथि के सटीक उपाय दिलाएँगे जीवन में सफलता 

अब बात करें शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर किए जाने वाले उपायों की तो, 

  • इस दिन आप अगर कन्या पूजन कर रहे हैं तो घर आई कन्याओं को भोजन करने के पश्चात लाल चुनरी अवश्य भेंट करें। 
  • इस दिन मां दुर्गा को लौंग और लाल फूल अर्पित करें। इससे जीवन के कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। 
  • अगर आपके घर में नकारात्मक बढ़ गई है तो कपूर से मां महागौरी की पूजा करें। 
  • जीवन में धन्य धान्य और बरकत के लिए गुलाब के फूल में कपूर जलाकर मां दुर्गा को अर्पित करें। 
  • घर में सुख शांति का वास हो इसके लिए नवरात्रि की अष्टमी तिथि के दिन तुलसी के पौधे के पास 9 दीपक जलाएं और फिर उस पौधे की परिक्रमा करें। 
  • दुर्गा मंदिर में जाकर दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। इससे आपके जीवन में सुख समृद्धि और यश की प्राप्ति होगी। 
  • अष्टमी तिथि के दिन योग और ध्यान करने से परम सुख की प्राप्ति होती है।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल 

1: शारदीय नवरात्रि अष्टमी कब है? 

वर्ष 2024 में 11 अक्टूबर 2014 को अष्टमी तिथि पड़ रही है

2: अष्टमी तिथि पर संधि पूजा का क्या महत्व है?

माना जाता है कि इसी काल में देवी दुर्गा ने असुर चंड और मुंड का वध किया था और उसके अगले दिन महिषासुर का वध किया था। संधि काल का समय दुर्गा पूजा के हवन के लिए भी बेहद शुभ माना जाता है। कहते हैं इस काल में अगर हवन किया जाए तो उससे तुरंत ही फल प्राप्त होते हैं।

3: अष्टमी तिथि पर मां के किस स्वरूप की पूजा की जाती है?

नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा का विधान बताया गया है।

4: मां महागौरी का प्रिया भोग क्या है?

मां महागौरी को नारियल का भोग बेहद ही प्रिय होता है। इसके साथ ही इस दिन की पूजा में काले चने का भोग भी अवश्य चढ़ाना चाहिए।

टैरो साप्ताहिक राशिफल (13 से 19 अक्टूबर, 2024): इन राशियों के जीवन से दूर होंगे आर्थिक संकट!

टैरो साप्ताहिक राशिफल 13 से 19 अक्टूबर 2024: टैरो कार्ड एक प्राचीन विद्या है जिसका उपयोग भविष्य जानने के लिए किया जाता है। इसका प्रयोग प्राचीन काल से ही टैरो कार्ड रीडर और रहस्यवादियों द्वारा अंतर्ज्ञान प्राप्त करने और किसी विषय की गहराई तक पहुँचने के लिए होता रहा है। यदि कोई व्यक्ति बेहद आस्था और विश्वास के साथ मन में उठ रहे सवालों के जवाब ढूंढ़ने के लिए आता है, तो टैरो कार्ड की दुनिया आपको हैरान कर सकती है। बहुत से लोग मानते हैं कि टैरो एक मनोरंजन का साधन है और इसे ज्यादातर मनोरंजन के रूप में देखते हैं। 

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साल 2024 के दसवें महीने अक्टूबर का यह सप्ताह यानी कि टैरो साप्ताहिक राशिफल 13 से 19 अक्टूबर 2024 अपने साथ क्या कुछ लेकर आएगा? यह जानने से पहले हम टैरो कार्ड के बारे में बात करेंगे। आपको बता दें कि टैरो की उत्पति आज से 1400 वर्ष पहले हुई थी और इसका सबसे पहला वर्णन इटली में मिलता है। शुरुआत में टैरो को ताश के रूप में राजघरानों की पार्टियों में खेला जाता था। हालांकि, टैरो कार्ड का वास्तविक उपयोग 16वीं सदी में यूरोप के कुछ लोगों द्वारा किया गया जब उन्होंने जाना और समझा कि कैसे 78 कार्ड्स की मदद से भविष्य के बारे में जाना जा सकता है, उसी समय से इसका महत्व कई गुना बढ़ गया। मध्यकाल में टैरो को जादू-टोना से जोड़कर देखा जाने लगा और इसके परिणामस्वरूप आम लोगों ने भविष्य बताने वाली इस विद्या से दूरी बनाना सही समझा। 

लेकिन टैरो कार्ड का सफर यही थमा नहीं और इसने कुछ दशकों पहले पुनः प्रसिद्धि प्राप्त की जब दुनिया के सामने इसे एक भविष्य बताने वाली विद्या के रूप में पहचान मिली। भारत समेत दुनियाभर में टैरो की गिनती भविष्यवाणी करने वाली महत्वपूर्ण विद्याओं में होती है और अंत में टैरो कार्ड वह सम्मान पाने में सफल हुआ है जिसका वह हक़दार था। तो आइए अब इस साप्ताहिक राशिफल की शुरुआत करते हैं और जानते हैं कि अक्टूबर का यह सप्ताह यानी कि 13 से 19 अक्टूबर 2024 तक का समय सभी 12 राशियों के लिए कैसा रहने की संभावना है?

टैरो साप्ताहिक राशिफल 13 से 19 अक्टूबर, 2024: राशि अनुसार राशिफल

मेष राशि

प्रेम जीवन: ऐस ऑफ पेंटाकल्स

आर्थिक जीवन: जस्टिस 

करियर: किंग ऑफ वैंड्स

स्वास्थ्य: थ्री ऑफ कप्स

मेष राशि के जातकों के प्रेम जीवन के लिए ऐस ऑफ पेंटाकल्स कहता है कि यह सप्ताह आपके साथी की भावनात्मक जरूरतों को पूरा करने में सहायक साबित होगा। साथ ही, आप एक पत्नी या पति के रूप में अपनी जिम्मेदारियों को निभाएंगे। बता दें कि ऐस ऑफ पेंटाकल्स सुरक्षा, स्थिरता और रिश्ते की मज़बूत नींव का भी प्रतिनिधित्व करता है। 

आर्थिक जीवन के लिए जस्टिस को अच्छा कार्ड कहा जाएगा और यह आपको अपनी आर्थिक स्थिति को लेकर ईमानदार रहने के लिए कह रहा है। जब बात आती है धन की, तो पैसों को लेकर स्वयं से झूठ न बोलें। अगर आप धन के मामलों को लेकर ईमानदार रहेंगे, तब  परिस्थितियों में सुधार देखने को मिलेगा।

करियर की बात करें, तो किंग ऑफ वैंड्स सफलता का प्रतिनिधित्व करता है। बता दें कि यह कार्ड व्यक्ति के भीतर अहंकार को बढ़ावा देता है। कार्यक्षेत्र में सहकर्मी आपका आदर करते हैं और आपकी राय को महत्व देते हैं इसलिए आपके भीतर घमंड की झलक दिखाई दे सकती है। 

स्वास्थ्य को लेकर थ्री ऑफ कप्स भविष्यवाणी कर रहा है कि आने वाला समय अपने साथ अनेक सोशल इवेंट्स या फिर छुट्टियां लेकर आएगा। ऐसे में, आप हद से ज्यादा बाहर के खाने का सेवन करते हुए या जश्न मनाते हुए दिखाई दे सकते हैं। 

भाग्यशाली अक्षर: A

वृषभ राशि 

प्रेम जीवन: फोर ऑफ पेंटाकल्स

आर्थिक जीवन: सिक्स ऑफ पेंटाकल्स (रिवर्सड)

करियर: द हर्मिट

स्वास्थ्य: पेज ऑफ स्वॉर्ड्स 

वृषभ राशि के जो जातक रिश्ते में हैं, उनके लिए फोर ऑफ पेंटाकल्स भविष्यवाणी कर रहा है कि इन जातकों का रिश्ता जलन, पजेसिवनेस और असुरक्षा से भरा हो सकता है। ऐसे में, आपको शांति से बैठकर पार्टनर से बात करने की सलाह दी जाती है। 

सिक्स ऑफ पेंटाकल्स (रिवर्सड) आपको किसी भी बड़ी खरीदारी करने से पहले अपने बैंक-बैलेंस को दोबारा से चेक करने के लिए कह रहा है। यह कार्ड दर्शा रहा है कि आप बिना सोचे-समझे फ़िज़ूलखर्ची करके थोड़े समय के लिए ख़ुश तो हो सकते हैं, लेकिन इसका असर आपकी आर्थिक स्थिति पर नज़र आ सकता है इसलिए यदि आप किसी चीज़ को अफ़्फोर्ड नहीं कर सकते हैं, तो बस थोड़े समय की ख़ुशी के लिए उसे न खरीदें। 

करियर के क्षेत्र में आपको द हर्मिट कार्ड मिला है जो बता रहा है कि कार्यस्थल का माहौल अच्छा न होने या फिर तरक्की के अवसरों की कमी की वजह से आप अपनी मौजूदा कंपनी में फंसा हुआ महसूस कर सकते हैं। ऐसे में, इन जातकों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि यह परिस्थितियां आप पर हावी न होने पाएं। चिंता न करें, जल्द ही सब कुछ ठीक हो जाएगा।

स्वास्थ्य में पेज ऑफ स्वॉर्ड्स एलर्जी, फ्लू, सर्दी-जुकाम आदि की तरफ इशारा कर रहा है जो इस सप्ताह आपको परेशान कर सकती हैं। ऐसे में, आपको अपने स्वास्थ्य को नज़रअंदाज़ करने से बचना होगा और अपनी सेहत का ख्याल रखें। 

भाग्यशाली अक्षर: V

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा

मिथुन राशि

प्रेम जीवन: सेवेन ऑफ पेंटाकल्स

आर्थिक जीवन: टेन ऑफ स्वॉर्ड्स 

करियर: फाइव ऑफ स्वॉर्ड्स 

स्वास्थ्य: पेज ऑफ कप्स 

मिथुन राशि वालों के लिए सेवेन ऑफ पेंटाकल्स कहता है कि आप अपने परिवार को समर्पित एक ऐसे व्यक्ति हैं जो हर परिस्थिति में अपने घर-परिवार का साथ देने से नहीं घबराता है। ऐसे में, आप अपनी पूरी क्षमता से प्रयास करते हैं कि उनके जीवन में वह सब कुछ हो जिससे वह एक आरामदायक जीवन जी सकें। दूसरी तरफ, इस राशि के सिंगल जातक अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं में व्यस्त दिखाई देंगे इसलिए रिश्ते में आने पर आपका ध्यान नहीं होगा। 

आर्थिक जीवन में आपको टेन ऑफ स्वॉर्ड्स मिला है जो कि आपके लिए शुभ नहीं कहा जाएगा। इन जातकों के लिए पैसा एक बड़ी समस्या बन सकता है और ऐसे में, आपके लिए सच और सपने के बीच के फर्क को समझना बेहद आवश्यक होगा। इन जातकों को अपनी आर्थिक स्थिति पर नज़र डालने और जीवन में आने वाले हर आर्थिक संकट से निपटने के लिए योजना बनाकर चलने की सलाह दी जाती है। 

करियर में आपको फाइव ऑफ स्वॉर्ड्स मिला है और यह कार्ड कार्यक्षेत्र में समस्याओं और विवादों की तरफ इशारा कर रहा है। साथ ही, बातचीत की कमी या कमज़ोर संचार कौशल आपके लिए तनाव, चिंता या बहस का कारण बन सकता है। 

स्वास्थ्य की बात करें, तो पेज ऑफ कप्स बता रहा है कि इन जातकों की सेहत अच्छी रहेगी। साथ ही, इस सप्ताह आप स्वस्थ होने की राह में आगे बढ़ेंगे। अगर आपकी तबीयत ठीक नहीं हैं, तो अपनों के प्यार और देखभाल से आप जल्द ही सही हो जाएंगे। 

भाग्यशाली अक्षर: K

कर्क राशि

प्रेम जीवन: नाइन ऑफ वैंड्स (रिवर्सड)

आर्थिक जीवन: द सन (रिवर्सड)

करियर: किंग ऑफ पेंटाकल्स

स्वास्थ्य: फाइव ऑफ कप्स 

कर्क राशि के जातकों के प्रेम जीवन में नाइन ऑफ वैंड्स (रिवर्सड) आपके और पार्टनर के बीच विवाद या मतभेद को दर्शाता है। इस अवधि में आप दोनों के बीच टकराव और बहस होने की आशंका है जो कि हिंसक रूप ले सकते हैं। अगर आप सिंगल हैं, तो आपको एक सही जीवनसाथी की तलाश में काफ़ी मेहनत करनी पड़ेगी।

आर्थिक जीवन में द सन (रिवर्सड) का आना दर्शाता है कि धन से जुड़े मामलों में आपकी चिंता व्यर्थ हो सकती है। संभव है कि आपकी आर्थिक स्थिति उतनी बुरी न हो जितनी आप सोच रहे हैं। दूसरी तरफ, आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि धन से संबंधित आप जो भी फैसले लेंगे, उन्हें बहुत सोच-विचार करने के बाद ही लेंगे। आर्थिक जीवन में द सन (रिवर्सड) कार्ड आपको अपने सपनों की दुनिया से बाहर आने के लिए कह रहा है इसलिए इस दौरान अपनी आशाओं को थोड़ा कम ही रखें। 

किंग ऑफ पेंटाकल्स को करियर के लिए एक शुभ कार्ड माना जाएगा जो दर्शाता है कि इन जातकों का करियर प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है और ऐसे में, आप अपनी फील्ड के एक्सपर्ट बनने के सपने को हकीकत में बदलने के करीब पहुंचेंगे। 

सेहत को लेकर फाइव ऑफ कप्स कहता है कि आपको मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जैसे कि मानसिक रोग या कोई चोट आदि। ऐसे में, आपका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। 

भाग्यशाली अक्षर: H

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सिंह राशि

प्रेम जीवन: किंग ऑफ वैंड्स

आर्थिक जीवन: टू ऑफ वैंड्स

करियर: टू ऑफ कप्स 

स्वास्थ्य: टू ऑफ स्वॉर्ड्स

सिंह राशि वालों के लिए किंग ऑफ वैंड्स भविष्यवाणी कर रहा है कि इन जातकों के पार्टनर बाहर से भले ही कठोर और सख्त दिखाई दें, लेकिन वह आपसे बेहद प्रेम करते हैं। आपका जीवनसाथी एक ऐसा शख़्स होगा जो आत्मविश्वास से पूर्ण होने के साथ-साथ आपकी देखभाल करने में भी सक्षम होगा। साथ ही, वह अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में सक्षम होगा। 

आर्थिक जीवन की बात करें, तो टू ऑफ वैंड्स आय के नए स्रोतों की तरफ इशारा कर रहा है। यह कार्ड दर्शाता है कि सिंह राशि के जातक सोशल मीडिया के माध्यम से भी पैसा कमा सकते हैं। ऐसे में, निश्चित रूप से ही आपके आय में बढ़ोतरी होगी और यह आपकी उम्मीद से ज्यादा होने की संभावना है। जिन जातकों का खुद का व्यापार है, वह इस पूरे सप्ताह अच्छा-ख़ासा लाभ कमाने में सक्षम होंगे।

करियर के क्षेत्र में टू ऑफ कप्स नौकरी में प्रमोशन और व्यापार के नए अवसरों की तरफ इशारा कर रहा है। यह कार्ड बताता है कि आप बहुत आसानी से नौकरी से व्यापार में प्रवेश कर सकते हैं और इस क्षेत्र में अपने आपको मज़बूती के साथ स्थापित करेंगे। 

टू ऑफ स्वॉर्ड्स भविष्यवाणी कर रहा है कि इन जातकों का स्वास्थ्य इस सप्ताह कमज़ोर रह सकता है इसलिए आपको सेहत के प्रति सावधान रहना होगा। अगर आप किसी तरह की मानसिक बीमारी या फिर मानसिक समस्या का सामना कर रहे हैं, तो आपको डॉक्टर की सहायता लेने की सलाह दी जाती है ताकि आप जल्द ही स्वस्थ हो सकें। 

भाग्यशाली अक्षर: M

कन्या राशि 

प्रेम जीवन: सिक्स ऑफ स्वॉर्ड्स

आर्थिक जीवन: द एम्पेरर 

करियर: एट ऑफ स्वॉर्ड्स 

स्वास्थ्य: सेवेन ऑफ पेंटाकल्स 

कन्या राशि के जातकों को प्रेम जीवन में सिक्स ऑफ स्वॉर्ड्स मिला है जो कि आपके रिश्ते के मुश्किल समय के बीतने को दर्शाता है और ऐसे में, अब आपका रिश्ता रिश्ता और अच्छा रहेगा। हालांकि, स्थिरता, हीलिंग और वफ़ादारी वह गुण हैं जिनसे आपका रिश्ता मज़बूत और प्रेमपूर्ण बना रहेगा। 

आर्थिक जीवन में द एम्पेरर का आना आपको जीवन में धैर्य और आत्म-नियंत्रण रखने एवं धन से जुड़ी जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए कह रहा है। आपको सुनिश्चित करना होगा कि आप इस बात को भली-भांति जानते हैं कि आपका सारा पैसा कहाँ जा रहा है? ऐसे में, आपको एक बजट का निर्माण करके उस पर ही चलना होगा। इस बजट की साल में एक बार पुनः जांच करें। ऐसे में, अगर आप अपनी आर्थिक स्थिति को स्थिर बनाए रखेंगे, तो यह आपके लिए एक अच्छी स्थिति होगी।

करियर के क्षेत्र में एट ऑफ स्वॉर्ड्स कहता है कि यह जातक नए पद या जिम्मेदारियों को अपने कंधों पर लेने को लेकर असुरक्षित महसूस करने के साथ-साथ खुद पर संदेह करते हुए दिखाई देंगे। आत्मविश्वास की कमी होने की वजह से आपके हाथ से कई बेहतरीन अवसर निकल सकते हैं।   

स्वास्थ्य की दृष्टि से, सेवेन ऑफ पेंटाकल्स बता रहा है कि कन्या राशि के जातक अब स्वास्थ्य समस्याओं से बाहर आ जाएंगे। इन जातकों के धैर्य और हार न मानने की मज़बूत दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण आप जल्द ही स्वस्थ दिखाई देंगे और ऐसे में, आपको उन रोगों से छुटकारा मिलेगा जिसका आप सामना कर रहे थे। 

भाग्यशाली अक्षर: P

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तुला राशि

प्रेम जीवन: नाइट ऑफ कप्स

आर्थिक जीवन: ऐस ऑफ कप्स

करियर: टेन ऑफ पेंटाकल्स

स्वास्थ्य: फोर ऑफ वैंड्स (रिवर्सड)

तुला राशि वालों को प्रेम जीवन में नाइट ऑफ कप्स मिला है और यह जीवन में आपके पास जो भी कुछ है, उसके प्रति आभार को दर्शा रहा है। आप निजी जीवन में जितना आभार व्यक्त करेंगे, उतने ही आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे। इन जातकों के पास जीवन में खुश होने के लिए बहुत कुछ हैं। जो जातक सिंगल हैं, वह पार्टी जैसे सामाजिक मेलजोल में शामिल होते हुए दिखाई दे सकते हैं और यहां आपकी मुलाकात नए-नए लोगों से हो सकती है।

ऐस ऑफ कप्स आपके आर्थिक जीवन के लिए बता रहा है कि इस सप्ताह इन जातकों को पर्याप्त मात्रा में धन की प्राप्ति होगी। इसकी वजह उन लोगों से आर्थिक सहायता का मिलना होगा जिनसे आपने मदद मांगी थी। इसके विपरीत, तुला राशि के जिन जातकों को आर्थिक सहायता की आवश्यकता है, उनके लिए यह कार्ड मददगार साबित होगा।  

टेन ऑफ पेंटाकल्स करियर को लेकर भविष्यवाणी कर रहा है कि कार्यक्षेत्र में परिस्थितियां अनुकूल रहेंगी और काम में आपके द्वारा की जा रही मेहनत धीरे-धीरे सफल होने लगेगी। साथ ही, इन लोगों के रिश्ते सहकर्मियों के साथ मधुर बने रहेंगे और वह हर कदम पर आपका साथ देंगे। इस दौरान आपके प्रमोशन के योग बनेंगे।

स्वास्थ्य के लिए फोर ऑफ वैंड्स (रिवर्सड) कहता है कि इन जातकों का स्वास्थ्य सुधार की तरफ आगे बढ़ेगा। यदि आप एक लंबे समय से किसी बीमारी से परेशान थे, तो अब आपको जल्द ही इससे मुक्ति मिल जाएगी। 

भाग्यशाली अक्षर: R

वृश्चिक राशि

प्रेम जीवन: डेथ

आर्थिक जीवन: नाइन ऑफ वैंड्स

करियर: थ्री ऑफ कप्स (रिवर्सड)

स्वास्थ्य: सेवेन ऑफ कप्स

वृश्चिक राशि वालों को प्रेम जीवन में डेथ कार्ड मिला है जो आपके रिश्ते के लिए खतरे की घंटी कहा जाएगा। यह दर्शा रहा है कि आप या आपके पार्टनर का व्यवहार स्वार्थ से भरा होगा। साथ ही, यह रिश्ते के टूटने या फिर निजी जीवन में समस्याओं का सामना करने की तरफ भी संकेत कर रहा है। ऐसे में, आप मज़बूत बन सकेंगे और जीवन में तरक्की पाने के लिए आवश्यक सबक सीख सकेंगे।

आर्थिक जीवन में नाइन ऑफ वैंड्स प्राप्त हुआ है जो कि मुश्किल दौर का प्रतिनिधित्व करता है। संभव है कि इसके बारे में आप पहले से ही जानते होंगे। ऐसे में, यह सप्ताह आपके लिए कठिन रहने की आशंका है क्योंकि इस दौरान आप सीखें सकेंगे कि जरूरत की चीज़ों का अभाव होने पर जीवन कैसे जीते हैं। साथ ही, आपको इन हालातों में सामंजस्य बिठाने के लिए काफ़ी परेशानियों से जूझना पड़ सकता है और इस प्रकार, आपका जीवन आर्थिक समस्याओं से भरा हो सकता हैं।

करियर की बात करें तो, आपको थ्री ऑफ कप्स मिला है और यह कार्ड संकेत कर रहा है कि कार्यक्षेत्र में सहकर्मी या फिर टीम के सदस्य आपकी मदद करने का दिखावा कर सकते हैं क्योंकि वह आपकी पीठ पीछे किसी प्रोजेक्ट या आपके मान-सम्मान को हानि पहुंचाने की कोशिश में होंगे। ऐसे में, आपको टीम के सदस्यों से बात करते समय बहुत ज्यादा सावधान रहने की सलाह दी जाती है।

स्वास्थ्य को देखें, तो सेवेन ऑफ कप्स बता रहा है कि यह जातक अपनी ज़िन्दगी में हद से ज्यादा व्यस्त होने की वजह से अपनी सेहत को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं। ऐसे में, आप रोगों के शिकार हो सकते हैं क्योंकि आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर रहने की आशंका है। 

भाग्यशाली अक्षर: N

धनु राशि

प्रेम जीवन: द फूल

आर्थिक जीवन: किंग ऑफ कप्स

करियर: टेन ऑफ वैंड्स

स्वास्थ्य: सिक्स ऑफ कप्स

धनु राशि के जातकों के प्रेम जीवन के लिए द फूल भविष्यवाणी कर रहा है कि इन जातकों को अपना मनपसंद पार्टनर पाने से पहले कुछ चीज़ों को आज़माना पड़ सकता है। अगर आप जीवन में अवसर, साहसिक और अपनी सोच का दायरा बढ़ाने के लिए तैयार हैं, तो आपको अपना पार्टनर तब मिलेगा जब आपने सोचा भी नहीं होगा। ऐसे में, आप हैरान नज़र आ सकते हैं। 

आर्थिक जीवन की बात करें तो, किंग ऑफ कप्स कहता है कि व्यापार और आर्थिक जीवन में सफलता के लिए आपको कूटनीति एवं बुद्धि का उपयोग करना होगा। यह कार्ड दर्शाता है कि करियर के क्षेत्र में प्रगति पाने के लिए कोई बड़ा और अनुभवी व्यक्ति आपका मार्गदर्शन कर सकता है। 

करियर में टेन ऑफ वैंड्स संकेत कर रहा है कि इन लोगों पर पेशेवर जीवन में दबाव बढ़ सकता है। ऐसे में, आपको महसूस हो सकता है कि आप अपने कंधों पर दुनियाभर का बोझ लेकर चल रहे हैं। हालांकि, यह सिर्फ थोड़े दिन के लिए हो सकता है और कुल मिलाकर, इस अवधि में आपको मनचाहे परिणाम प्राप्त हो सकेंगे। 

स्वास्थ्य के लिए सिक्स ऑफ कप्स संकेत कर रहा है कि किसी ऐसे व्यक्ति के प्रति आपके मन में दया के भाव हो सकते हैं जो किसी स्वास्थ्य समस्या का सामना कर रहा है। संभव है कि उन्हें आपकी सहायता की आवश्यकता हो। साथ ही, यह कार्ड इस बात का भी प्रतिनिधित्व करता है कि आप बीमार हो रहे हैं या फिर अत्यधिक थके हुए होंगे जिसकी वजह आपकी भागदौड़ भरी ज़िन्दगी हो सकती है।

भाग्यशाली अक्षर: D

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मकर राशि

प्रेम जीवन: सिक्स ऑफ कप्स

आर्थिक जीवन: फाइव ऑफ स्वॉर्ड्स

करियर: सिक्स ऑफ वैंड्स

स्वास्थ्य: फोर ऑफ कप्स

मकर राशि के जातकों के लिए सिक्स ऑफ कप्स भविष्यवाणी कर रहा है कि इन जातकों की मुलाकात इस सप्ताह अपने पूर्व प्रेमी या पुराने दोस्त के साथ हो सकती है जिससे आप ख़ुश दिखाई देंगे। बता दें कि पुराने दोस्त या पूर्व प्रेमी से मिलने का मतलब रिश्ते को पुनर्जीवित करना नहीं होगा। हालांकि, आप दोनों के बीच सौहार्द बना रहेगा, लेकिन इसके अलावा कुछ नहीं। 

फाइव ऑफ स्वॉर्ड्स आर्थिक जीवन में आपको धन को लेकर विशेष रूप से सावधानी बरतने के लिए कह रहा है। जब बात आती है लोगों पर भरोसा करने की, तो हर किसी पर आंखें मूंदकर विश्वास करने से बचें। आशंका है कि कुछ लोग आपके साथ छलकपट करने या फिर आपका फायदा उठाने की कोशिश कर सकते हैं। दूसरी तरफ, यह कार्ड दर्शाता है कि इन जातकों को अपने खर्चों को कम करने की आवश्यकता होगी क्योंकि इस समय आपके पास धन की कमी हो सकती है।

करियर को लेकर सिक्स ऑफ वैंड्स इस सप्ताह प्रमोशन और आपको मिलने वाले नए अवसरों की तरफ इशारा कर रहा है। इस दौरान आपको कोई बड़ा पद मिलने की संभावना है और वरिष्ठ भी आपकी पदोन्नति के समर्थन में दिखाई देंगे। अगर आप विदेश में काम करने के इच्छुक हैं और किसी अवसर की तलाश में हैं, तो इस संबंध में आपको कोई अच्छा मौका मिल सकता है। 

फोर ऑफ कप्स स्वास्थ्य के क्षेत्र में कहता है कि आपको मानसिक समस्याओं या डिप्रेशन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। अगर आप इस तरह की परिस्थितियों से गुजर रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर की सहायता लें ताकि हालात बिगड़ न पाएं। ध्यान का अभ्यास करना आपके लिए फलदायी साबित होगा। 

भाग्यशाली अक्षर: F

कुंभ राशि

प्रेम जीवन: टेन ऑफ वैंड्स

आर्थिक जीवन: सेवेन ऑफ वैंड्स

करियर: व्हील ऑफ फॉर्च्यून

स्वास्थ्य: फाइव ऑफ पेंटाक्लेस (रिवर्सड)

कुंभ राशि के प्रेम जीवन में टेन ऑफ वैंड्स एक ऐसे रिश्ते का प्रतिनिधित्व करता है जो शुरुआत से ही समस्याओं से भरा रहा है। ऐसे में, संभव है कि आपके रिश्ते में आप या फिर दोनों ही बोझ तले दबा हुआ महसूस करते हो। यह कार्ड स्पष्ट कर देगा कि आप इन समस्याओं को पार कर पाएंगे या नहीं। साथ ही, क्या इनका असर आपके रिश्ते पर पड़ेगा।

आर्थिक जीवन में सेवेन ऑफ वैंड्स स्थिरता और सुरक्षा की आवश्यकता का प्रतिनिधित्व करता है। यह जातक अपने जीवन में जैसे-जैसे आर्थिक रूप से मज़बूत होने की दिशा में आगे बढ़ेंगे, कुछ लोग आपके धन-कमाने के तौर-तरीकों को बदनाम करने की कोशिश कर सकते हैं। ऐसे में, आपको अपनी आर्थिक स्थिति और मान-सम्मान की सुरक्षा करने के लिए तैयार रहना होगा।

व्हील ऑफ फार्च्यून करियर को लेकर आपके पास आने वाले नए अवसरों की भविष्यवाणी कर रहा है। यह संकेत करता है कि ब्रह्मांड चाहता है कि आप अपने लक्ष्यों को पाने की दिशा में आगे बढ़ें जैसे कि नए करियर को खोजना या नए व्यापार की शुरुआत करना। 

स्वास्थ्य की बात करें तो, फाइव ऑफ पेंटाकल्स दर्शा रहा है कि अगर आप किसी बीमारी से जूझ रहे थे या फिर आप किसी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं और अनेक प्रयासों के बाद भी स्वस्थ नहीं हो पा रहे थे, तो अब आपको सही इलाज मिल सकेगा। ऐसे में, आप स्वस्थ हो सकेंगे। 

भाग्यशाली अक्षर: S

मीन राशि

प्रेम जीवन: एट ऑफ वैंड्स

आर्थिक जीवन: द हैरोफ़न्ट

करियर: ऐस ऑफ कप्स

स्वास्थ्य: टेन ऑफ स्वॉर्ड्स 

मीन राशि के जातकों के लिए एट ऑफ वैंड्स संकेत कर रहा है कि इन जातकों को अपने रिश्ते में एक नया आकर्षण और चमक देखने को मिलेगी। आपका रिश्ता पार्टनर के साथ शुरूआती दिनों की तुलना में थोड़ा बोरिंग हो सकता है। साथ ही, यह कार्ड आपके जीवन में किसी नए व्यक्ति के प्रवेश को दर्शा रहा है। ऐसे में, जब बात आती है रिश्ते की, तो इस राशि के सिंगल जातक एक नए अध्याय की शुरुआत करने के लिए तैयार नज़र आएंगे।  

बात करें धन की तो, द हैरोफ़न्ट आपको धन कमाने के लिए पारंपरिक और सही तौर-तरीकों पर चलने की सलाह दे रहा है। साथ ही, आपको कोई बड़ा जोख़िम लेने से बचना होगा इसलिए आपको लापरवाही से धन न खर्च करने की सलाह दी जाती है। विशेष रूप से, इस सप्ताह आपको धन की बचत करने के साथ-साथ सोच-समझकर निवेश करना होगा। 

ऐस ऑफ कप्स करियर के क्षेत्र में अच्छे इरादों और नए अवसरों की तरफ संकेत करता है। आप इनका इस्तेमाल पेशेवर जीवन में आगे बढ़ सकते हैं। अगर आप नौकरी की तलाश कर रहे हैं, तो आप अब एक नई शुरुआत कर सकेंगे। 

स्वास्थ्य के क्षेत्र में टेन ऑफ स्वोर्ड्स संकेत कर रहा है कि आप थके या बेचैन होने के बावजूद भी काम को जारी रखेंगे और ऐसे में, आप सही से आराम नहीं कर पाएंगे। इसका असर आपके शरीर पर दिखाई दे सकता है और इसके परिणामस्वरूप, आपको किसी तरह की शारीरिक चोट या मांसपेशियों में दर्द की शिकायत हो सकती है। ऐसे में, आपको स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता होगी। 

 भाग्यशाली अक्षर: C

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

अक्टूबर का तीसरा सप्ताह किस राशि के लिए फलदायी रहेगा?

यह सप्ताह तुला, धनु और मीन राशि के लिए अच्छा रहेगा। 

टैरो के तीन सूट कार्ड का नाम बताएं?

किंग ऑफ वैंड्स, पेज ऑफ पेंटाकल्स और नाइट ऑफ कप्स

क्या टैरो की भविष्यवाणी हमेशा सटीक होती है?

टैरो की भविष्यवाणी जातक की जानकारी पर निर्भर करती है। 

कब है नवपत्रिका पूजन 2024, जानें पूजन विधि और इस दिन का महत्‍व

हिंदू धर्म में दुर्गा पूजा के दौरान सप्‍तमी तिथि को नवपत्रिका पूजा की जाती है। बंगाल और ओडिशा राज्‍य में इस पर्व को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। बंगाल में तो दुर्गा पूजा का अलग ही नज़ारा देखने को मिलता है।

दुर्गा पूजा के छठे दिन कल्पारंभ की परंपरा है, वहीं सप्‍तमी तिथि को नवपत्रिका की परंपरा है। इसे कुछ जगहों पर नबपत्रिका के नाम से भी जाना जाता है। आगे जानिए कि नवपत्रिका पूजा 2024 का क्‍या महत्‍व है और वर्ष 2024 में यह पूजा किस दिन एवं तिथि पर पड़ रही है।

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कब है नवपत्रिका पूजा 2024

10 अक्‍टूबर, 2024 को सप्‍तमी तिथि पर नवपत्रिका पूजा की जाएगी। 09 अक्‍टूबर को 12 बजकर 16 मिनट से सप्‍तमी तिथि का प्रारंभ होगा और इसका समापन 10 अक्‍टूबर को 12 बजकर 33 मिनट पर होगा।

नवपत्रिको को महासप्‍तमी के नाम से भी जाना जाता है और यह दुर्गा पूजा का पहला दिन है। नवपत्रिका दो शब्‍दों से मिलकर बना है। नव का अर्थ होता है नौ और पत्रिका का मतलब होता है पत्तियां।

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नवपत्रिका पूजा में क्‍या होता है

नवपत्रिका नौ पत्तियों को दर्शाता है। इन पत्तियों का उपयोग मां दुर्गा के पूजन में किया जाता है। दुर्गा पूजा के प्रथम दिन पर नवपत्रिका पूजा की जाती है और इसके बाद महासप्‍तमी पर दुर्गा पंडाल में नवपत्रिका को स्‍थापित कर दिया जाता है।

नौ पत्तियों का महत्‍व

नवपत्रिका पूजन में प्रयोग होने वाली हर एक पत्ती मां दुर्गा के विभिन्‍न अवतार को दर्शाती है। इसके केला, कछवी, हल्‍दी, अनार, अशोक, मनका, धान, बिल्‍व और जौ की पत्ती होती है। प्रत्‍येक पत्ती मां दुर्गा के नौ अवतारों को दर्शाती है, जैसे कि:

  • केला : केले का पेड़ और इसकी पत्तियां ब्राह्मणी देवी का प्रतीक हैं।
  • कछवी: यह मां काली को दर्शाती है और इसे कछी भी कहा जाता है।
  • हल्‍दी: हल्‍दी की पत्तियां मां दुर्गा के रूप को दर्शाती हैं।
  • जौ: यह मां कार्तिका से संबंधित हैं।
  • बेल पत्र: बेल पत्र भगवान शिव से संबंधित हैं।
  • अनार: इसे दादी मां भी कहते हैं और रक्‍तदंतिका को दर्शाती हैं।
  • अशोक: इसकी पत्तियां मां सोकराहिता की प्रतीक हैं।
  • मनका: ये चामुंडा देवी को दर्शाती हैं।
  • धान के पत्ते: इसे मां लक्ष्‍मी का प्रतीक माना जाता है।

इस तरह ये नौ पत्तियां मां दुर्गा के नौ अवतारों को दर्शाती हैं। पूजन में विशेष रूप से इन पत्तियों का उपयोग किया जाता है।

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नवपत्रिका पूजन विधि

नवपत्रिका पूजन की विधि निम्‍न प्रकार से है:

सबसे पहले आप पूजन के लिए सभी नौ पत्तियों को एक साथ बांध लें और फिर उन्‍हें पवित्र नदी में डुबोकर साफ कर लें।

इन पत्तियों को पकड़कर रखते हुए आप भी पवित्र नदी में स्‍नान कर लें। यदि आप नदी में स्‍नान नहीं कर सकते हैं, तो इस क्रिया को घर पर भी कर सकते हैं।

इसके बाद इन नौ पत्तियों को कई पवित्र जलों से शुद्ध किया जाता है। इसमें सबसे पहले गंगाजल, फिर बारिश का पानी, इसके बाद सरस्‍वती नदी का जल लिया जाता है। इसके पश्‍चात् समुद्र का पानी प्रयोग किया जाता है और फिर कमल के साथ तालाब का पानी लेते हैं। आखिर में झरने का पानी इस्‍तेमाल किया जाता है।

स्‍नान के बाद महिलाएं सफेद रंग की साड़ी पहनती हैं जिसकी लाल रंग की बॉर्डर होती है। नवपत्रिका को भी ऐसी ही एक साड़ी पहनाई जाती है और इस पर फूलों की माला अर्पित की जाती है। ऐसा माना जाता है कि नवपत्रिका को बंगाली दुल्‍हन की तरह सजाना चाहिए।

महा स्‍नान के बाद प्राण प्रतिष्‍ठा की जाती है। पूजन स्‍थल को साफ करने के बाद मां दुर्गा की मूर्ति स्‍थापित की जाती है और उसे रंग-बिरंगे फूलों एवं रोशनी से सजाया जाता है।

प्राण प्रतिष्‍ठा के बाद शोडोषापचार पूजा की जाती है। इस दौरान मां दुर्गा की सोलह अलग-अलग चीज़ों से पूजा की जाती है। इसके बाद नवपत्रिका की स्‍थापना की जाती है और फिर इस पर चंदन लगाकर पुष्‍प अर्पित किए जाते हैं। अब इसके दाईं ओर भगवान गणेश की मूर्ति स्‍थापित की जाती है। अंत में मां दुर्गा की महा आरती कर के प्रसाद वितरित किया जाता है।

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नवपत्रिका पूजा की कथा

कोलाबाऊ को भगवान गणेश की पत्‍नी माना जाता है। हालांकि, इसे लेकर अलग-अलग धारणाएं और मान्‍यताएं मौजूद हैं। इसके अलावा नवपत्रिका पूजन से एक और पौराणिक कथा जुड़ी है जिसके अनुसार कोलाबाऊ को नवपत्रिका के नाम से जाना जाता है। वह मां दुर्गा की परम भक्‍त थी और वृक्षों की अलग-अलग पत्तियों से मां दुर्गा के नौ अवतारों की पूजा किया करती थी।

महा स्‍नान के बाद महा सप्‍तमी की पूजा की जाती है जिसे कोलाबाऊ स्‍नान भी कहा जाता है। इस दिन महा स्‍नान का बहुत ज्‍यादा महत्‍व है। ऐसा माना जाता है कि जो भी श्रद्धालु इस दिन पवित्र नदी में स्‍नान करता है, उसे मां दुर्गा की कृपा प्राप्‍त होती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्‍न 1.  नवपत्रिका पूजा क्‍या है?

उत्तर. इसमें अलग-अलग नौ पत्तों से पूजा की जाती है।

प्रश्‍न 2. नवपत्रिका पूजन में किसकी पूजा होती है?

उत्तर. इसमें मां दुर्गा की पूजा का विधान है।

प्रश्‍न 3. किन राज्‍यों में नवपत्रिका पूजा का अधिक महत्‍व है?

उत्तर. बंगाल और ओडिशा में नवपत्रिका पूजन धूमधाम से किया जाता है।

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शारदीय नवरात्रि महासप्तमी- शनि देव के प्रकोप से छुटकारा दिलाएँगे इस दिन के ये अचूक उपाय!

शारदीय नवरात्रि के तिथि विशेष इस ब्लॉग के कड़ी में हम आ पहुंचे हैं सप्तमी तिथि पर। अपने इस विशेष ब्लॉग में आज हम जानेंगे की नवरात्रि की सप्तमी तिथि या महा सप्तमी के दिन देवी के किस स्वरूप की पूजा करते हैं, इस दिन का शुभ मुहूर्त क्या है, मां का स्वरूप कैसा है और साथ ही जानेंगे इस दिन क्या कुछ भोग और मंत्र पूजा में शामिल करके आप देवी की प्रसन्नता हासिल कर लेते हैं। 

इसके अलावा आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यूं तो नवरात्रि का हर एक दिन अपने आप में बेहद खास और पावन होता है लेकिन शारदीय नवरात्र की सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। इन दिनों पर विशेष विधि से हवन करने पर आपके जीवन में सुख समृद्धि आजीवन बनी रह सकती है। क्या कुछ हैं ये उपाय जानने के लिए यह ब्लॉग अंत तक पढ़ें लेकिन आगे बढ़ने से पहले जान लेते हैं नवरात्रि 2024 की महा सप्तमी तिथि कब पड़ने वाली है और इस दिन का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा।

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शारदीय नवरात्रि 2024- सप्तमी तिथि

शारदीय नवरात्रि 2024 की सप्तमी तिथि नवरात्रि के आठवें दिन अर्थात 10 अक्टूबर 2024 गुरुवार के दिन पड़ने वाली है। बात करें इस दिन के शुभ मुहूर्त की तो इस दिन तिथि सप्तमी रहेगी, पक्ष शुक्ल रहेगा, नक्षत्र पूर्वाषाढ़ा रहेगा, योग अतिगण्ड रहेगा। वहीं अभिजीत मुहूर्त इस दिन 11:44:31 सेकंड से लेकर 12:31 तक रहने वाला है।

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कैसा है माँ कालरात्रि का स्वरूप?

बात करें देवी कालरात्रि के स्वरूप की तो देवी का यह स्वरूप गधे की सवारी करता है। मां का रंग कृष्ण वर्ण का है और देवी कालरात्रि की चार भुजाएं होती हैं इनमें देवी ने दोनों हाथों को अभय और वरद मुद्रा में धारण किया हुआ है वहीं बाएँ दोनों हाथ में तलवार और खड़ग मौजूद होते हैं। यूं तो देवी का यह स्वरूप बेहद उग्र नजर आता है। माँ के बाल बिखरे हुए हैं और मां ने गले में विद्युत के समान चमकीली माला धारण की हुई है लेकिन मां का ये स्वरूप भी देवी के अन्य स्वरूपों की ही तरह बेहद ही निर्मल और पावन होता है। 

मां कालरात्रि के तीन नेत्र होते हैं। इसके अलावा कहते हैं कि जो कोई भी भक्त सच्ची भक्ति और निष्ठा से माँ कालरात्रि स्वरूप की पूजा करता है देवी उनको आसुरी शक्तियों से बचाती हैं, दैत्य, भूत, पिशाच, दानव आदि बाधाओं से भी मां अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। इन्हीं सभी कर्म के चलते मां कालरात्रि को वीरता और साहस का प्रतीक माना गया है। 

कहते हैं मां कालरात्रि की विधिवत पूजा करने से काल भी भयभीत होता है। कालरात्रि देवी अपने भक्तों को भय से मुक्ति दिलाती हैं और अकाल मृत्यु से रक्षा करती हैं। इसके अलावा जिन लोगों के शत्रु जीवन में बढ़ गए हैं उनके लिए मां कालरात्रि की पूजा बेहद ही सिद्ध साबित होती है। शत्रुओं का पराजय करने के लिए मां कालरात्रि की पूजा सबसे सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। इसके अलावा मां की पूजा करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है, भय, कष्ट और रोगों का नाश होता है, जीवन में आने वाले संकट से रक्षा होती है, शनि के दुष्प्रभाव भी कुंडली से दूर होने लगते हैं। नियमित रूप से माँ कालरात्रि की पूजा करने से शनि की साढ़ेसाती और ढैया के अशुभ प्रभाव कम होने लगते हैं।

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तो ऐसे पड़ा माँ का नाम कालरात्रि 

मां कालरात्रि का स्वरूप बेहद ही विकराल माना जाता है। मां का रंग उनके नाम की ही तरह घने अंधकार समान है। मां के तीन नेत्र होते हैं और मां के बाल खुले और बिखरे हुए हैं। गले में कड़कती बिजली की माला है। गधे की सवारी करने वाली मां कालरात्रि को शुभंकरी भी कहते हैं।

माँ कालरात्रि पूजा मंत्र- भोग- और शुभ रंग

बात करें मां कालरात्रि के पूजा मंत्र की तो इस दिन की पूजा में नीचे दिए गए मंत्रों का नियमित रूप से स्पष्ट उच्चारण पूर्वक जाप करें। इससे माता की प्रसन्नता जल्दी हासिल की जा सकती है।

मंत्र है: 

क्लीं ऐं श्रीं कालिकायै नम:

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:

इसके अलावा बात करें माता के प्रिय भोग की तो मां कालरात्रि को गुड़ का भोग बेहद ही प्रिय होता है। ऐसे में नवरात्रि की सप्तमी तिथि की पूजा में आप गुड का भोग अवश्य लगाएँ। गुड से बनी मिठाई या सिर्फ गुड भी आप पूजा में शामिल कर सकते हैं। ऐसा करने से मां कालरात्रि की प्रसन्नता बेहद ही शीघ्र हासिल करने में आपको मदद मिलेगी। 

अंत में बात करें नवरात्रि के सप्तमी तिथि के शुभ रंग की तो कालरात्रि देवी की पूजा में लाल रंग का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसे में आप देवी के वस्त्रों से लेकर खुद के कपड़ों तक अगर लाल रंग का इस्तेमाल करते हैं तो इससे भी देवी की प्रसन्नता हासिल करने में आपको मदद मिलेगी। इसके अलावा इस दिन की पूजा में लाल रंग के फूल भी शामिल करें।

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शारदीय नवरात्रि सप्तमी तिथि पर अवश्य आजमाएं यह अचूक उपाय

क्या यह जानते हैं आप की अष्टमी और नवमी तिथि पर तो बहुत से लोग हवन करते हैं लेकिन शारदीय नवरात्रि की महा सप्तमी तिथि भी हवन के लिए बेहद ही शुभ मानी गई है। हालांकि इस दिन के हवन से जुड़ी कुछ विशेष बातें हैं जिनका आपको मुख्य रूप से ध्यान रखना चाहिए जैसे कि, 

अगर आप सप्तमी तिथि पर हवन कर रहे हैं तो इसमें 9 चीजों का विशेष रूप से इस्तेमाल करें। इससे आप अपने जीवन में खुशहाली प्राप्त कर सकते हैं। क्या कुछ हैं ये चीज़ें आइये जान लेते हैं:  

  • काली मिर्च- हवन में काली मिर्च का प्रयोग करने से आपके रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। 
  • शहद- अपने जीवन में मिठास लाने, घर में सुख समृद्धि बढ़ाने के लिए हवन में शहद का इस्तेमाल अवश्य करें। 
  • सरसों- सप्तमी तिथि के दिन किए जाने वाले हवन में अगर आप सरसों का इस्तेमाल करते हैं तो आप अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में कामयाब होंगे। साथ ही बुरी नजर भी आपके जीवन से दूर जाने लगेगी। 
  • पालक- पालक को हरियाली का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में सप्तमी तिथि के हवन में अगर आप इसका प्रयोग करते हैं तो आपके घर में सुख शांति आती है। 
  • खीर- महादेवी को खीर बेहद ही पसंद होती है। ऐसे में अगर आप हवन में खीर की आहुति देते हैं तो आपके जीवन में धन्य धान्य की कभी भी कमी नहीं होती है। 
  • नींबू- हवन में नींबू इस्तेमाल करने से आधी व्याधि का नाश होता है। 
  • हलवा- अगर नवरात्रि की सप्तमी तिथि के हवन में आप हलवे का भोग लगाते हैं तो इससे माँ शीघ्र और निश्चित रूप से प्रसन्न होती हैं और आपके जीवन में खुशहाली हमेशा बनी रहती है। 
  • कमलगट्टा- हवन में कमलगट्टे का उपयोग करने से वंश और गोत्र की वृद्धि होती है और आपके घर में पैदा होने वाली संतान धार्मिक और दानी होती है। 
  • अनार- इसके अलावा अगर आप अनार की आहुति देते हैं तो इससे जो धुआँ उत्पन्न होता है वह रक्त शोधित करता है। 

शारदीय नवरात्र की सप्तमी तिथि शनि ग्रह से भी जोड़कर देखी जाती है अर्थात देवी कालरात्रि शनि ग्रह को नियंत्रित करती हैं। ऐसे में अगर आप इस दिन की विधिवत पूजा करते हैं तो आप शनि के प्रकोप से भी बच सकते हैं। शनि के अशुभ ढैया और साढ़ेसाती के प्रकोप से बचने में आपको मदद मिलती है और शनि ग्रह को मजबूती प्राप्त होती है। 

इसके अलावा सप्तमी तिथि के दिन रात में मां कालरात्रि के बीज मंत्र का सवा लाख बार जाप करने से और रात्रि जागरण करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती है। 

माता को प्रसन्न करना है तो रात को माता का सिंगार, पूजा करें। शृंगार पूजा में माता को श्रृंगार के समान के दो सेट अर्पित किए जाते हैं। एक तो आपको मंदिर में दान कर देना होता है और दूसरा आप खुद प्रसाद के रूप में ग्रहण कर सकते हैं। इससे भी माता प्रसन्न होती हैं। 

अगर आप अपने जीवन में सुख समृद्धि में वृद्धि करवाना चाहते हैं तो कालरात्रि मां की पूजा रात के समय भी करें। रात के समय पूजा में इन्हें 108 गुलदाउदी के फूलों की माला बनाकर अर्पित कर दें।

अगर आप अपने बल और विजय को मजबूत बनाना चाहते हैं तो पूजा के बाद पेठे की बलि अवश्य दें। 

इसके अलावा गुड से बनी मिठाई माता को अर्पित करें। ऐसा करने से आपके विजय और बल में वृद्धि होगी, सुख समृद्धि में वृद्धि करने के लिए रात को लाल कंबल के आसन पर बैठकर मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप और हवन करें।

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हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह ब्लॉग ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1: नवरात्रि की सप्तमी कब है 2024?

वर्ष 2024 में नवरात्रि की सप्तमी तिथि 10 अक्टूबर 2024 गुरुवार के दिन पड़ रही है।

2: दुर्गा पूजा कलश स्थापना कब है 2024?

साल 2024 में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 03 अक्टूबर 2024, सुबह 06:19 बजे से 07:23 बजे तक है।

3: शारदीय नवरात्रि 2024 की अष्टमी कब है?

11 अक्टूबर 2024 को शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि पड़ रही है। 

4: 2024 में शारदीय नवरात्रि कब है?

2024 में नवरात्रि 3 अक्टूबर से 13 अक्टूबर तक रहने वाली है।

शुक्र की राशि में ग्रहों के राजकुमार करेंगे प्रवेश, इन राशियों का जीवन होगा राजाओं जैसा!

एस्ट्रोसेज अपने पाठकों के लिए लेकर आया है “बुध का तुला राशि में गोचर” का यह विशेष ब्लॉग जिसके माध्यम से हम आपको बुध गोचर के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान करेंगे।  नवग्रहों में प्रमुख ग्रह होने के नाते बुध का प्रभाव मनुष्य जीवन पर काफ़ी अधिक होता है और अब यह 10 अक्टूबर 2024 को तुला राशि में गोचर करने जा रहे हैं। ऐसे में, बुध के इस गोचर का प्रभाव सभी 12 राशियों सहित देश-दुनिया को भी प्रभावित करेगा। तुला राशि में बुध गोचर के दौरान किन उपायों को करना फलदायी साबित होगा? इससे भी हम आपको अवगत करवाएंगे। तो चलिए अब हम बिना देर किये आगे बढ़ते हैं और शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की। 

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बुध का तुला राशि में गोचर: तिथि एवं समय 

सबसे पहले हम बात करेंगे बुध गोचर के बारे में, बुद्धि के कारक ग्रह बुध महाराज 10 अक्टूबर 2024 की सुबह 11 बजकर 09 मिनट पर कन्या राशि से निकलकर तुला राशि में प्रवेश करेंगे। बता दें कि तुला राशि के स्वामी शुक्र ग्रह हैं जो प्रेम के कारक हैं और इनके साथ बुध मित्रवत संबंध रखते हैं। ऐसे में, हमें तुला राशि में शुक्र और बुध की युति देखने को मिलेगी। इसके बाद, बुध ग्रह 29 अक्टूबर 2024 को तुला राशि से वृश्चिक राशि में चले जाएंगे।    

ज्योतिषीय दृष्टि से बुध का महत्व 

ज्योतिष शास्त्र में बुध को बुद्धि, तर्क, वाणी और व्यापार के कारक ग्रह माना जाता है जो कि सौरमंडल के सबसे छोटे ग्रह हैं, लेकिन बुध बहुत तेज़ गति से चलते हैं इसलिए इनकी चाल और दशा में जल्दी-जल्दी बदलाव देखने को मिलते हैं। बुध को “ग्रहों के युवराज” भी कहा जाता है और इनकी स्थिति सूर्य के सबसे नज़दीक होती है। मनुष्य जीवन में बुध ग्रह याददाश्त, सीखने की क्षमता, भाषा, प्रतिक्रिया अंतर्दृष्टि आदि को नियंत्रित करते हैं।    

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बुध एक शुभ ग्रह माने गए हैं क्योंकि यह व्यक्ति की कुंडली में जिस ग्रह के साथ विराजमान होते हैं, उसी के अनुसार आपको परिणाम प्रदान करते हैं। राशि चक्र में यह मिथुन और और कन्या राशि पर शासन करते हैं। वहीं, नक्षत्रों में इन्हें ज्येष्ठा, रेवती और अश्लेषा नक्षत्र पर आधिपत्य प्राप्त है। बुद्धि और चतुराई के ग्रह होने की वजह से इनकी कृपा जातकों को तेज़ बुद्धि और प्रभावी संचार कौशल प्रदान करती है।  

मनुष्य जीवन पर बुध का प्रभाव 

कुंडली में बुध महाराज की स्थिति व्यक्ति के जीवन के निर्धारण के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि यह बुद्धि और सीखने की क्षमता के भी ग्रह हैं। इनके आशीर्वाद के बिना कोई व्यक्ति अपने गुणों और क्षमताओं के साथ जीवन में सफलता प्राप्त नहीं कर सकता है। बुध ग्रह की कृपा से ही व्यापार के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। जिन लोगों का संबंध ट्रेड से होता है, उनके लिए कुंडली में बुध की स्थिति विशेष मानी जाती है क्योंकि इनकी कृपा से आप इस क्षेत्र में ऊंचाइयां छू सकते हैं। 

बुध की तुला राशि में विशेषताएं  

  • वायु तत्व के ग्रह बुध की निष्पक्ष राशि तुला में उपस्थिति जातक को कलामात्का गुण प्रदान करती है और ऐसे में, इनका झुकाव रचनात्मक क्षेत्रों में होता है।
  • शुक्र की राशि में बुध के होने पर व्यक्ति का स्वभाव विनम्र और वाणी मधुर रहती है। ऐसे में, वह चीज़ों को दूसरों की तुलना में जल्दी समझ लेते हैं।
  • बुध के तुला राशि में होने पर जातक अपने कार्यों को अच्छे तरीके से करने की वजह से खुद को मिलने वाले हर अवसर का लाभ उठाने में सक्षम होते हैं। 
  • कुंडली में तुला राशि में बुध के तहत जन्मे जातक बेहद दयालु, हंसमुख और मिलनसार स्वभाव के होते हैं। इन्हें लक्ज़री और सुख-सुविधाओं से पूर्ण घर पसंद होता है। 
  • तुला राशि में बुध देव के स्थित होने पर जातक का जीवन ज्यादातर सुखद होता है। साथ ही, इनकी रुचि संगीत में होती है। 
  • बता दें कि बुध बुद्धि के कारक ग्रह हैं जबकि तुला एक संतुलित राशि है और इसके परिणामस्वरूप, तुला राशि में बुध वाले लोग कोई भी फैसला लेने से पहले हर चीज़ का  बारीकी से विश्लेषण करते हैं। 

आइए अब हम आगे बढ़ते हैं और नज़र डालते हैं बुध की कुंडली में कमज़ोर या मज़बूत स्थिति को कैसे पहचाना जा सकता है। 

कुंडली में कमज़ोर बुध के लक्षण

बातचीत में परेशानी: जिन जातकों की कुंडली में बुध कमज़ोर होते हैं, वह बातचीत करते हुए हकलाते हैं और दूसरों के सामने अपनी बात या भावनाएं नहीं रख पाते हैं।

बालों का झड़ना: दुर्बल बुध होने पर व्यक्ति के बाल समय से पहले झड़ने लगते हैं। साथ ही, बार-बार नाखूनों का टूटना भी कमज़ोर बुध को दर्शाता है। 

करियर एवं व्यापार में समस्या: अगर कुंडली में बुध देव अशुभ या कमज़ोर होते हैं, तब व्यापार में हानि और करियर में परेशानी का सामना करना पड़ता है। 

महिला रिश्तेदारों से विवाद: बुध के अशुभ होने पर जातक के महिला रिश्तेदारों जैसे कि बहन, बुआ और मौसी आदि के साथ रिश्ते बिगड़ने लगते हैं।

दोस्तों से विवाद: जो जातक कमज़ोर बुध से पीड़ित होते हैं, दोस्तों के साथ उनके मतभेद की स्थिति उत्पन्न होती है। 

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कुंडली में मज़बूत बुध के लक्षण

तेज़ बुद्धि: बुध महाराज के कुंडली में बलवान होने पर जातक बुद्धिमान और चतुर होते हैं। बातों को जल्दी समझ जाते हैं।  

तार्किक दृष्टिकोण: ज्योतिष में बुध को तर्क के कारक ग्रह माना गया है और कुंडली में इनकी मज़बूत स्थिति आपको तार्किक बनाती है। ऐसे में, आप हर फैसला तार्किक होकर लेते हैं।

आर्थिक पक्ष: कुंडली में मज़बूत बुध वाले धन से जुड़े मामलों में काफ़ी अच्छे होते हैं और इन्हें बख़ूबी संभालने में सक्षम होते हैं। 

व्यापार की समझ: जिन जातकों का बुध बलवान होता है, उन्हें व्यापार की अच्छी समझ होती है और इस क्षेत्र में सफलता हासिल करते हैं।  

इसके अलावा, कुंडली में बुध ग्रह के शुभ होने पर व्यक्ति के संबंध बहन के साथ अच्छे होते है और इनकी त्वचा एकदम चमकदार होती है। 

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बुध की कृपा पाने के लिए करें ये सरल उपाय

  • बुध देव के प्रभावों से राहत के लिए कबूतर, तोता आदि पक्षियों को दाना खिलाएं।
  • बुध ग्रह की कृपा प्राप्ति के लिए आप “ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः’ मंत्र का जाप करें। 
  • पक्षियों को भीगे हुए हरे चने खिलाने से कमज़ोर बुध को मज़बूत करने में सहायता मिलती है। 
  • गरीबों एवं जरूरतमंदों को हरी सब्जियों एवं पत्तेदार सब्जियों का दान करें।
  • कुंडली में बुध की स्थिति मज़बूत करने के लिए दिन में एक बार भोजन करने से पूर्व गाय को रोटी खिलाएं। 
  • जिन लोगों की कुंडली में बुध कमज़ोर होते हैं, उन्हें अपने मुंह की साफ़-सफाई रखनी चाहिए। 

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बुध का तुला राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय 

मेष राशि 

मेष राशि वालों की कुंडली में बुध ग्रह तीसरे और छठे भाव के स्वामी हैं जो अब आपके सातवें भाव में गोचर…(विस्तार से पढ़ें)

वृषभ राशि 

वृषभ राशि  वालों के लिए बुध ग्रह आपके दूसरे और पांचवें भाव के स्वामी हैं जो अब आपके……(विस्तार से पढ़ें)

मिथुन राशि 

मिथुन राशि वालों के लिए बुध महाराज आपके पहले और चौथे भाव के स्वामी हैं। अब बुध का तुला राशि में गोचर आपके… (विस्तार से पढ़ें)

कर्क राशि

कर्क राशि वालों के लिए बुध ग्रह आपके तीसरे और बारहवें भाव के स्वामी हैं जो अब आपके चौथे भाव में गोचर… (विस्तार से पढ़ें)

सिंह राशि 

सिंह राशि के जातकों के लिए बुध ग्रह आपके दूसरे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं और अब यह आपके… (विस्तार से पढ़ें)

कन्या राशि 

कन्या राशि के जातकों की कुंडली में बुध ग्रह को पहले और दसवें भाव का स्वामित्व प्राप्त है। अब यह तुला राशि में…(विस्तार से पढ़ें)

तुला राशि 

तुला राशि वालों के लिए बुध देव बारहवें और नौवें भाव के स्वामी हैं जो अब आपके पहले…(विस्तार से पढ़ें)

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि वालों के लिए बुध ग्रह आपके आठवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं जो अब आपके बारहवें… (विस्तार से पढ़ें)

धनु राशि 

धनु राशि के जातकों के लिए बुध ग्रह सातवें और दसवें भाव के स्वामी हैं। अब बुध का तुला राशि में गोचर आपके… (विस्तार से पढ़ें)

मकर राशि 

मकर राशि के जातकों के लिए बुध ग्रह आपके छठे और नौवें भाव के स्वामी हैं। अब इनका गोचर आपके… (विस्तार से पढ़ें)

कुंभ राशि 

कुंभ राशि वालों के लिए बुध महाराज आपके पांचवें और आठवें भाव के स्वामी हैं जो अब आपके नौवें भाव में… (विस्तार से पढ़ें)

मीन राशि 

मीन राशि के जातकों के लिए बुध ग्रह को चौथे और सातवें भाव पर स्वामित्व प्राप्त हैं। अब बुध गोचर करके… (विस्तार से पढ़ें)

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. बुध ग्रह की देवी कौन है? 

बुध ग्रह को प्रसन्न करने के लिए देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करनी चाहिए। 

2. बुध ग्रह के शत्रु कौन हैं?

ज्योतिष में मंगल और चंद्रमा को बुध का शत्रु माना जाता है। 

3. बुध ग्रह की राशि कौन सी है?

 मिथुन और कन्या राशि के स्वामी बुध हैं।

विवाह में रुकावट या धन का है अभाव? नवरात्रि की षष्ठी तिथि पर अवश्य आजमाएँ ये उपाय, बन जाएगा भाग्य!

नवरात्रि में मां दुर्गा के भक्त श्रद्धा भाव से जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूप की पूजा करते हैं। इसी कड़ी में बात करें षष्ठी तिथि की तो इस दिन आदिशक्ति मां कात्यायनी की पूजा अर्चना का विधान बताया गया है। इस दिन मां दुर्गा के भक्त श्रद्धा भाव से मां कात्यायनी की पूजा अर्चना करते हैं। 

आज के हमारे इस विशेष ब्लॉग में हम जानेंगे शारदीय नवरात्रि की षष्ठी तिथि से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण और रोचक बातों की जानकारी। साथ ही जानेंगे मां कात्यानी का स्वरूप कैसा है, इनका यह नाम क्यों पड़ा, माता के नाम का अर्थ क्या है, माता का प्रिय भोग और प्रिय रंग क्या है, साथ ही जानेंगे इस दिन किए जाने वाले कुछ अचूक उपायों की भी जानकारी। 

तो चलिए बिना देरी किए शुरू करते हैं हमारा यह खास ब्लॉग और सबसे पहले जान लेते हैं नवरात्रि की षष्ठी तिथि का हिंदू पंचांग क्या कहता है।

शारदीय नवरात्रि 2024- षष्ठी तिथि

वर्ष 2024 में नवरात्रि की षष्ठी तिथि नवरात्रि के सातवें दिन यानी 9 अक्टूबर 2024 बुधवार के दिन पड़ रही है। इस दिन माता के कात्यायनी स्वरूप की पूजा की जाएगी। बात करें इस दिन के हिंदू पंचांग की तो इस दिन तिथि षष्ठी रहेगी, पक्ष शुक्ल रहेगा, नक्षत्र मूल रहने वाला है, और योग सौभाग्य और शोभन रहेगा। इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त की बात करें तो इस दिन का कोई भी अभिजीत मुहूर्त नहीं है।

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कैसा है माँ कात्यायनी का स्वरूप?

बात करें मां के स्वरूप की तो मां कात्यायनी की चार भुजाएं हैं जिसमें उन्होंने अस्त्र-शस्त्र और कमल धारण किया हुआ है। माँ कात्यायनी सिंह की सवारी करती हैं। इन्हें ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी का दर्जा प्राप्त है। कहते हैं गोपियों ने कृष्ण की प्राप्ति के लिए मां कात्यायनी की ही पूजा की थी। इसके अलावा जिन लोगों का विवाह नहीं हो पा रहा है या विवाह में रुकावट आ रही है उन्हें माँ कात्यायनी की पूजा करने की सलाह दी जाती है। साथ ही योग्य और मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए भी मां कात्यायनी की पूजा करना सर्वश्रेष्ठ रहता है। 

इसके अलावा ज्योतिष में मां कात्यायनी का संबंध बृहस्पति ग्रह से जोड़कर देखा जाता है। मां का वर्ण सुनहरा और चमकीला है। माता की चार भुजाएं हैं और उन्होंने रत्न आभूषण धारण किए हुए हैं। यह देवी खूंखार और झपट पड़ने वाली मुद्रा में रहने वाले सिंह पर सवारी करती हैं। इनका आभामंडल विभिन्न देवों के तेज अंशों से मिश्रित इंद्रधनुषी छटा देता है। मां कात्यायनी के दाहिने और ऊपर वाली भुजा अभय मुद्रा में है, नीचे वाली भुजा वर देने वाली मुद्रा में है, बाईं ओर की ऊपर वाली भुजा में उन्होंने तलवार धारण की है और नीचे वाली भुजा में कमल का फूल लिया हुआ है। 

कहते हैं प्राणियों में मां का वास आज्ञा चक्र में होता है और योग साधक इस दिन अपनी ध्यान आज्ञा चक्र में ही लगाते हैं। मां कात्यायनी पूजा से प्रसन्न होने पर साधक को दैवीय शक्तियाँ प्रदान करती हैं। जिन लोगों की भक्ति से मां कात्यायनी प्रसन्न होती हैं उन्हें देवी कृतार्थ कर देती हैं। ऐसे व्यक्ति इस लोक में रहकर भी अलौकिक तेज और प्रभाव को प्राप्त करते हैं। 

ऐसे व्यक्तियों के रोग, शोक, संताप, डर के साथ-साथ जन्म जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं। कहते हैं जो कोई भी भक्त निरंतर देवी कात्यानी की उपासना करता है उन्हें परम पद प्राप्त होता है। यही वजह है कि कहा जाता है की देवी कात्यानी जिस भी व्यक्ति से प्रसन्न हो जाए उसे अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

देवी के इस स्वरूप की पूजा करने से शरीर शांतिमय हो जाता है और गृहस्थ जीवन सुखमय बना रहता है। शत्रुओं पर विजय प्राप्ति के लिए भी मां कात्यायनी की पूजा बेहद ही सिद्ध साबित होती है। इसके अलावा देवी नकारात्मक शक्तियों का अंत करने वाली देवी मानी गई हैं।

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तो ऐसे पड़ा माँ का नाम कात्यायनी 

कहा जाता है कि मां कात्यायनी ऋषि कात्यायन की तपस्या के फल स्वरुप उनके घर में उनकी पुत्री के रूप में प्रकट हुई थी। अपने इसी स्वरूप में मां ने महिषासुर नामक असुर का वध किया था और इसी वजह से देवी का नाम मां कात्यायनी पड़ा। कात्यानी देवी को गुप्त रहस्यों का प्रतीक भी माना जाता है।

माँ कात्यायनी पूजा मंत्र- भोग- और शुभ रंग

बात करें मां कात्यायनी की पूजा में शामिल किए जाने वाले मंत्रों की तो इस दिन की पूजा में मां कात्यानी की प्रसन्नता हासिल करने के लिए नीचे दिए गए मित्रों को स्पष्ट उच्चारण पूर्वक पूजा में अवश्य शामिल करें: 

1.या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

2.चंद्र हासोज्जवलकरा शार्दूलवर वाहना|

कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानवघातिनि||

इसके अलावा जैसा कि हमने पहले भी बताया कि नवरात्रि के सभी 9 दिनों में अलग-अलग भोग चढ़ाने की परंपरा है। ऐसे में बात करें मां कात्यायनी के प्रिय भोग की तो मां कात्यायनी को शहद बहुत ही प्रिय होता है इसीलिए षष्ठी तिथि की पूजा के समय मां कात्यायनी को शहद का भोग अवश्य लगाएँ। कहते हैं कि ऐसा करने से व्यक्ति के व्यक्तित्व में निखार आने लगता है। 

अब बात करें मां कात्यायनी के प्रिय रंग की तो देवी को पीला और लाल रंग बहुत ही प्रिय होता है। ऐसे में इस दिन की पूजा में मां कात्यायनी को लाल और पीले रंग के गुलाब पीले और लाल रंग के वस्त्र अवश्य अर्पित करें। इसके साथ ही आप खुद भी इन्हीं रंगों का पूजा में इस्तेमाल करें। इससे मां कात्यानी के प्रसन्नता निश्चित रूप से आप हासिल कर सकेंगे।

शारदीय नवरात्रि षष्ठी तिथि पर अवश्य आजमाएं यह अचूक उपाय

अब जान लेते हैं कि नवरात्रि के छठे दिन आपको क्या कुछ उपाय करने हैं जिससे आपके विवाह में आ रही रुकावट दूर हो, साथ ही जीवन से धन का अभाव भी दूर जाने लगे। 

  • नवरात्रि की षष्ठी तिथि पर नारियल लेकर उसके साथ एक लाल, पीले और सफेद रंग का फूल माता को अर्पित कर दें। इसके बाद नवरात्रि की नवमी तिथि की शाम को यह फूल नदी में प्रवाहित कर दें और नारियल पर लाल कपड़ा लपेटकर इसे अपने तिजोरी या पैसे रखने वाली जगह पर रख दें। इस उपाय को करने से जीवन में धन-धान्य की वृद्धि होती है और अगर आपका धन कहीं अटका हुआ है तो वह भी आपको मिलने लगता है। 
  • इसके अलावा नवरात्रि की षष्ठी तिथि पर सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान करें और पीले वस्त्र धारण करके माँ की पूजा करें। माँ को पीले रंग के फूल अर्पित करें, भोग लगाएँ और सुख समृद्धि की कामना करें। ऐसा करके आप अपने जीवन में सुख शांति लेकर आ सकते हैं। 
  • इस दिन की पूजा में यदि आप मां कात्यायनी को शहद अर्पित करते हैं तो इसके वैवाहिक जीवन में मिठास बनी रहती है। साथ ही अविवाहित लोगों को योग्य वर वधु की भी प्राप्ति होती है। 
  • नवरात्रि के छठे दिन अगर आप मां कात्यायनी को तीन गांठ हल्दी चढ़ाते हैं और पूजा के बाद इन गांठों को शुद्ध स्थान पर रख देते हैं तो ऐसा करने से आपको अपने शत्रुओं पर विजय हासिल होती है। 
  • नवरात्रि के छठे दिन की पूजा में मां कात्यायनी से संबंधित मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति का आभामंडल मजबूत होता है। साथ ही सामाजिक स्तर पर आपको अच्छे परिणाम मिलते हैं और बिगड़े काम बनने लगते हैं। 
  • इस दिन की पूजा में दूध में केसर मिलाकर मां कात्यायनी का अभिषेक करें। ऐसा करने से जीवन की सभी समस्याएं दूर होने लगेगी, आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा, आत्मविश्वास में वृद्धि होगी और करियर में सफलता प्राप्त होगी।

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हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह ब्लॉग ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1: नवरात्रि के छठे दिन कौन सी माता की पूजा की जाती है?

नवरात्रि के छठे दिन मां भगवती के कात्यानी स्वरूप की पूजा का विधान बताया गया है।

2: मां कात्यायनी को कैसे प्रसन्न करें?

नवरात्रि के छठे दिन की पूजा में पीले रंग सदा से ज्यादा शामिल करें और मां को शहद का भोग लगाएँ, भक्ति भाव से पूजा करें, झूठ ना बोलें, किसी का अपमान ना करें, ऐसा करके आप मां कात्यायनी की प्रसन्नता हासिल कर सकते हैं।

3: मां कात्यायनी को कौन सा फूल चढ़ाया जाता है?

मां की पूजा में आप पीले और लाल रंग के गुलाब का फूल अवश्य शामिल करें। कहते हैं यह माँ को बेहद ही प्रिय होते हैं और इससे मां कात्यायनी की प्रसन्नता हासिल की जा सकती है।

4: नवरात्रि के छठे दिन मां को कौन सा भोग लगता है?

नवरात्रि के छठे दिन शहद का भोग अवश्य लगाया जाता है क्योंकि यह मां कात्यायनी को बेहद ही प्रिय होता है।

गुरु ग्रह की वक्री चाल, किन राशियों के बिगाड़ेगी बने-बनाए काम? जानें

बृहस्पति मिथुन राशि में वक्री: वैदिक ज्योतिष में गुरु ग्रह को प्रमुख एवं महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है। इन्हें शुभ एवं लाभकारी ग्रह का दर्जा प्राप्त है। सिर्फ इतना ही नहीं, हिंदू धर्म में बृहस्पति ग्रह को देव गुरु के नाम से जाना जाता है। यह ऐसे ग्रह हैं जो मनुष्य के जीवन में सौभाग्य लेकर आते हैं और मांगलिक कार्यों के कारक हैं। ऐसे में, गुरु देव की राशि, स्थिति या चाल में होने वाला किसी भी तरह का परिवर्तन आपके जीवन को प्रभावित करने का सामर्थ्य रखता है। अब यह जल्द ही मिथुन राशि में वक्री होने जा रहे हैं और इसका असर न सिर्फ सभी राशियों पर पड़ेगा, बल्कि देश-दुनिया पर भी दिखाई देगा। एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में आपको बृहस्पति मिथुन राशि में वक्री से जुड़ी जानकारी प्राप्त होगी। साथ ही, आपको बताएंगे कि गुरु की वक्री चाल आपको अच्छे या बुरे कैसे परिणाम देगी।

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भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके

हम इस खास लेख के माध्यम से चर्चा करेंगे कि राशि चक्र की किन राशियों के लिए गुरु की वक्री चाल फलदायी रहेगी और किन जातकों को नकारात्मक परिणामों का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा, बृहस्पति महाराज का ज्योतिष में महत्व, कुंडली में इसके शुभ-अशुभ होने पर प्रभाव और गुरु ग्रह को प्रसन्न करने के उपायों के बारे में भी बताएंगे। तो आइए अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि गुरु ग्रह की तिथि और समय के बारे में। 

बृहस्पति मिथुन राशि में वक्री: तिथि और समय

शायद ही आप जानते होंगे कि गुरु ग्रह को सौरमंडल का दूसरा सबसे शक्तिशाली ग्रह माना गया है। नवग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह होने के नाते मनुष्य जीवन पर इनका प्रभाव भी उतना ही अधिक होता है। अब यह जल्दी ही 09 अक्टूबर 2024 की सुबह 10 बजकर 01 मिनट पर मिथुन राशि में वक्री होने जा रहे हैं। बता दें कि बृहस्पति देव 03 जून 2024 की देर रात 03 बजकर 21 मिनट पर वृषभ राशि में वक्री हो गए थे और अब यह वक्री अवस्था में ही मिथुन राशि में प्रवेश कर जाएंगे। अगले साल यानी कि नए साल में बृहस्पति देव पुनः वक्री से मार्गी हो जाएंगे। अब आगे बढ़ने से पहले हम आपको अवगत करवाएंगे कि क्या होता है ग्रह का वक्री होना? 

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा

क्या होता है ग्रह का वक्री होना?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, एक ग्रह अपनी चाल और स्थिति में समय-समय पर बदलाव करता है जिसे अक्सर वक्री, मार्गी, अस्त या उदय आदि कहा जाता है। लेकिन, अगर हम बात करें गुरु के वक्री होने की,  तो इसका यह मतलब होता है कि जब कोई ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हुए आगे की तरफ बढ़ने की बजाय उल्टी चाल चलना शुरू कर देता है अर्थात पीछे की तरफ चलता हुआ प्रतीत होता है, उसे ग्रह का वक्री होना कहते हैं। हालांकि, यह वास्तव में नहीं होता है और विज्ञान भी ग्रहों के वक्री होने को नहीं मानता है। 

मान्यता है कि जब भी कोई ग्रह वक्री होता है, तब उससे मिलने वाले शुभ परिणामों में कमी आती है और अशुभ परिणाम मिलने लगते हैं। लेकिन, यह बात सभी राशियों पर लागू नहीं होती है क्योंकि जिनकी कुंडली में कोई विशेष ग्रह कमज़ोर या अशुभ होता हैं, उस समय इस ग्रह का वक्री होना जातकों के लिए फलदायी साबित होता है। साथ ही, ग्रहों की वक्री चाल आपको अचानक से परिणाम देती है जो कि अच्छे या बुरे दोनों तरह के हो सकते हैं।

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ज्योतिष में गुरु ग्रह का महत्व 

गुरु या बृहस्पति ग्रह को शुभ एवं मांगलिक कार्यों का ग्रह माना गया है और इनकी अस्त अवस्था को ही “तारा डूबना” कहा जाता है। इस दौरान सभी तरह के शुभ कार्यों को करना निषेध होता है।  इसके अलावा, बृहस्पति महाराज प्रसिद्धि, ज्ञान, शिक्षक, संतान, बड़े भाई, शिक्षा, धार्मिक कार्य, पवित्र स्थल, धन, दान, पुण्य और  ध्यान आदि के कारक ग्रह हैं। कुंडली में गुरु देव के शुभ स्थिति में होने पर व्यक्ति रातोंरात अमीर बन सकता है। वहीं, राशि चक्र की 12 राशियों में से इन्हें जल तत्व की राशि मीन और धनु पर आधिपत्य प्राप्त है।

27 नक्षत्रों में गुरु महाराज पुनर्वास, पूर्वाभाद्रपद और विशाखा नक्षत्र के स्वामी ग्रह हैं। बात करें इनके प्रिय रत्न की, तो बृहस्पति देव का रत्न पुखराज है और सप्ताह में इन्हें गुरुवार का दिन समर्पित होता है। गुरु आपके जीवन को किस तरह प्रभावित करते हैं, यह पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि कुंडली के किस भाव में बृहस्पति ग्रह मौजूद हैं। इन्हें करियर के क्षेत्र में फाइनेंस, कानून, बैंकिंग, शिक्षा, राजनीति और काउंसलिंग आदि पर नियंत्रण प्राप्त हैं। 

आइए अब नज़र डालते हैं बृहस्पति ग्रह के नकारात्मक और सकारात्मक प्रभावों पर। 

कुंडली में गुरु ग्रह के शुभ प्रभाव 

  • बृहस्पति देव की कुंडली में मज़बूत स्थिति होने पर जातक बुद्धिमान और धार्मिक प्रवृति के होते हैं। इनके प्रभाव से व्यक्ति में मानवता के भाव पैदा होते हैं।
  • गुरु ग्रह का शुभ प्रभाव आपको अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने का साहस देता है। ऐसे में, आप जीवन के विभिन्न पहलुओं में सफलता प्राप्त करते हैं।
  • कुंडली में गुरु ग्रह की मज़बूत स्थिति होने पर आपके व्यक्तित्व में निखार आता है और आप आकर्षक बनते हैं। 
  • बृहस्पति के बली होने पर व्यक्ति धर्म-कर्म के कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता है। साथ ही, आपकी दिनचर्या बेहतर होती है और एकाग्रता क्षमता भी मज़बूत रहती है।

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कुंडली में गुरु ग्रह के अशुभ प्रभाव 

  • किसी व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति कमज़ोर होने पर व्यक्ति उदारवादी बनता हैं। ऐसे में, अक्सर यह लोग कर्ज या विवादों के जाल में फंस जाते हैं।
  • गुरु ग्रह के नकारात्मक प्रभावों की वजह से जातक को फिजूलखर्ची की आदत लग जाती है और इंसान जुए की लत में पड़ जाता है। 
  • गुरु ग्रह अगर कमज़ोर होते हैं, तो जातक के जीवन में धन, समृद्धि और मान-सम्मान में कमी आती है।
  • कुंडली में बृहस्पति अशुभ होने पर व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत, एनीमिया, बवासीर, अपच और पेट से संबंधित बीमारी जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 
  • इनके प्रभाव से मनुष्य गलत फैसले लेने लगता है और चीजों की गलत व्याख्या करने लगता है जिससे बदनामी की आशंका बढ़ जाती है।

गुरु वक्री के दौरान करें ये सरल एवं प्रभावी उपाय

  • बृहस्पतिवार देव को प्रसन्न करने के लिए नहाते समय पानी में एक चुटकी हल्दी मिलाकर स्नान करें। 
  • इन जातकों को आटे की लोई में चने की दाल, गुड़ और हल्दी मिलाकर गाय को खिलाना चाहिए। ऐसा करने से गुरु ग्रह की कृपा प्राप्त होती है। 
  • आर्थिक जीवन को बेहतर बनाने के लिए गरीब एवं जरूरतमंद लोगों को केले और पीले रंग के वस्त्रों का दान करें।
  • अगर किसी की कुंडली में देवगुरु बृहस्पति कमज़ोर होते हैं, तो आप पुखराज रत्न धारण कर सकते हैं। हालांकि, इस रत्न को धारण करने से पहले किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी की सलाह अवश्य लें।
  • गुरु ग्रह का आशीर्वाद पाने के लिए गुरुवार के दिन पीले रंग के कपड़े धारण करें। इस उपाय को करने से बृहस्पति ग्रह के नकारात्मक प्रभाव भी दूर होते हैं।
  • गुरुवार के दिन सुबह जल्दी उठकर बृहस्पति देव के बीज मंत्र ‘ॐ बृं बृहस्पतये नमः’ का जाप करें। 

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बृहस्पति मिथुन राशि में वक्री: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय 

मेष राशि 

मेष राशि के जातकों के लिए बृहस्पति नौवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं। बृहस्पति मिथुन राशि में…(विस्तार से पढ़ें)

वृषभ राशि 

वृषभ राशि के जातकों के लिए बृहस्पति आठवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं और बृहस्पति मिथुन राशि में वक्री दूसरे……(विस्तार से पढ़ें)

मिथुन राशि 

मिथुन राशि के जातकों के लिए बृहस्पति सातवें और दसवें भाव के स्वामी हैं। बृहस्पति मिथुन राशि में वक्री आपके पहले… (विस्तार से पढ़ें)

कर्क राशि

कर्क राशि के जातकों के लिए बृहस्पति छठे और नौवें भाव के स्वामी हैं। बृहस्पति मिथुन राशि में वक्री आपके बारहवें… (विस्तार से पढ़ें)

सिंह राशि 

सिंह राशि के जातकों के लिए बृहस्पति आपके पांचवें और आठवें भाव के स्वामी हैं। बृहस्पति मिथुन राशि में वक्री ग्यारहवें… (विस्तार से पढ़ें)

कन्या राशि 

कन्या राशि वालों के लिए बृहस्पति चतुर्थ और सप्तम भाव का स्वामी होकर दशम भाव में वक्री…(विस्तार से पढ़ें)

तुला राशि 

तुला राशि के जातकों के लिए बृहस्पति तीसरे और छठे भाव के स्वामी हैं। बृहस्पति मिथुन राशि में वक्री आपके… (विस्तार से पढ़ें)

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए बृहस्पति पांचवें भाव के स्वामी हैं। बृहस्पति मिथुन राशि में वक्री आपके आठवें भाव… (विस्तार से पढ़ें) 

धनु राशि 

धनु राशि के जातकों के लिए बृहस्पति पहले और चौथे भाव के स्वामी हैं। बृहस्पति मिथुन राशि में वक्री सातवें… (विस्तार से पढ़ें) 

मकर राशि 

मकर राशि के जातकों के लिए बृहस्पति तीसरे और बारहवें भाव के स्वामी हैं। बृहस्पति मिथुन राशि में वक्री आपके… (विस्तार से पढ़ें)

कुंभ राशि 

कुंभ राशि के जातकों के लिए बृहस्पति दूसरे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं। बृहस्पति मिथुन राशि में वक्री आपके… (विस्तार से पढ़ें)

मीन राशि 

मीन राशि के जातकों के लिए बृहस्पति पहले और दसवें भाव के स्वामी हैं। बृहस्पति मिथुन राशि में वक्री आपके चौथे… (विस्तार से पढ़ें)

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. गुरु वक्री कब होंगे?

बृहस्पति ग्रह 09 अक्टूबर 2024 को मिथुन राशि में वक्री होने जा रहे हैं। 

2. बृहस्पति की कौन सी राशियां हैं? 

राशि चक्र में गुरु ग्रह मीन और धनु राशि के स्वामी हैं।  

3. मिथुन राशि के स्वामी कौन हैं?

बुध ग्रह को मिथुन राशि पर स्वामित्व प्राप्त है। 

बुध का तुला में गोचर 5 राशियों के जीवन में लाएगा स्थिरता और आर्थिक लाभ- विश्व पर भी पड़ेगा असर!

बुध गोचर 2024: एस्ट्रोसेज की हमेशा से यही पहल रही है कि हम अपने रीडर्स को किसी भी महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना की जानकारी या ग्रहों के कोई भी अहम परिवर्तन से आपको समय से पूर्व अवगत करा सकें क्योंकि इन परिवर्तनों और ग्रहों से संबंधित हर एक चीज का प्रभाव मानव जीवन पर पड़ता है।  

इसी कड़ी में आज हम आपके सामने लेकर आए हैं बुध गोचर से संबंधित हमारा यह विशेष लेख जिसमें हम जानेंगे जल्द तुला राशि में गोचर करने वाले बुध के बारे में और साथ ही जानेंगे कि इसका देश-दुनिया,  राशियों, शेयर बाजार, खेल जगत आदि महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर क्या कुछ असर पड़ेगा। आपकी जानकारी के लिए बता दें बुध का यह गोचर 10 अक्टूबर 2024 को होने वाला है।

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ज्योतिष में बुध ग्रह 

सौरमंडल में बुध 8 ग्रहों में सबसे छोटा माना जाता है। इसका व्यास लगभग 4880 किलोमिटर अर्थात (3032 मील) है। इसकी कक्षा ज्यादातर अंडाकार की है जिसका अर्थ हुआ कि सूर्य से इसकी दूरी पेरीहेलियन (निकटतम बिंदु) पर लगभग 46 मिलियन किलोमीटर (29 मिलियन मील) से लेकर अपहेलियन (सबसे दूर बिंदु) पर लगभग 70 मिलियन किलोमीटर (43 मिलियन मील) तक भिन्न होती है। सूर्य से इसकी निकटता और पर्याप्त वातावरण की कमी के चलते बुध ज्यादा तापमान भिन्नता का अनुभव करता है।

अगर आप बुध के तुला राशि में गोचर के बारे में अधिक जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो सर्वश्रेष्ठ ज्योतिषों से अभी प्रश्न करें

बुध ज्योतिष में प्रमुख ग्रहों में से एक माना गया है जो संज्ञानात्मक कार्यों और संचार को प्रभावित करता है। इसे कन्या और मिथुन राशि पर शासन करने वाले ग्रह के रूप में देखा जाता है। बुध एक ऐसा सांकेतिक ग्रह है जो हमारी मौखिक, लिखित और संचार अभिव्यक्ति के अन्य रूपों को नियंत्रित करता है। बुध मानसिक निपुणता, सोच और बुद्धि से जुड़ा ग्रह है।

बुध का तुला राशि में गोचर- क्या रहेगा समय?

तुला राशि के स्वामी बुध और शुक्र दोनों मित्र ग्रह माने जाते हैं और अब बुध 10 अक्टूबर 2024 को 11:09 पर तुला राशि में गोचर करेगा। 22 अक्टूबर को बुध तुला राशि में उदय हो जाएगा।

बुध का तुला राशि में गोचर- विशेषताएं 

तुला राशि में बुध व्यापारिक सौदों के लिए अनुकूल संकेत देता है विशेष रूप से उन दो पक्षों से जुड़े लेनदेन के लिए जिन्हें आपसी लक्ष्य और उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए समझौता करने की आवश्यकता पड़ती है। जब पेशेवर जीवन या काम जीवन संतुलन स्थापित करने, ग्राहकों और कस्टमरों, वरिष्ठों और अधीनस्थों, भौतिक और आध्यात्मिक जीवन, घर और समाज, बुराई और अच्छाई और भावनाओं और कारण के बीच संबंधों को संतुलित करने की बात आती है तो बुध का तुला राशि में स्थान शुभ माना जाता है। 

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बुध बुद्धि का प्रतीक है। यह वर्तमान में मिथुन, तुला और कुंभ राशि की वायु राशि में मौजूद है। तुला राशि वाले संतुलन बनाने में बुद्धिमान होते हैं और उनकी बुद्धि बातचीत करने और व्यावसायिक कौशल में नजर आती है। तुला राशि में बुध के माध्यम से एक समृद्ध करियर व्यक्ति को प्राप्त होता है। उदाहरण के तौर पर बात करें तो तुला राशि में बुध वाले जातक एक व्यावसायिक वकील, गवर्नर विशेष कर बैंक का, विदेशी राजनयिक, न्यायाधीश, क्रिकेट अंपायर, चुनाव आयोग का प्रमुख, या कोई अन्य पद जहां आप मध्यस्थता स्थापित कर सकते हैं, बन सकते हैं। हालांकि बुध तुला राशि के लिए अनुकूल राशि मानी जाती है। यह सभी स्थितियों में फायदे और नुकसान दर्शाती है। अगर यह स्थान बुरी तरह से पीड़ित होता है तो यह किडनी, बालों का झड़ना, थायराइड, पक्षाघात और नपुंसकता से संबंधित जटिलताएं लेकर आ सकता है। अगर नोडल प्लेसमेंट में हस्तक्षेप का कारण बनते हैं तो चेतना की हानि या चक्कर आना भी समस्या हो सकती है।

बुध का तुला राशि में गोचर- इन राशियों को होगा लाभ

मिथुन राशि 

मिथुन राशि के जातकों के लिए बुध पहले और चतुर्थ भाव को नियंत्रित करता है और अब यह आपके पंचम भाव में स्थित होने जा रहा है। ऐसे में मिथुन राशि के जातक धन, बुद्धि और अपने लिए समग्र धन बनाने के लिए किए गए प्रयासों में सफलता हासिल करने में सक्षम होंगे। बुध के तुला राशि में गोचर के दौरान आप अपने लिए सार्थक लक्ष्य और उच्च उम्मीदें स्थापित करने में भी कामयाब हो सकते हैं। 

आपके अंदर उच्च स्तर की सटीकता और आविष्कारशीलता नजर आएगी। इस दौरान आप अपने पेशे में कामकाज के संदर्भ में आशाजनक प्रगति हासिल करने में कामयाब होंगे। बुध गोचर की इस अवधि के दौरान आप अपने काम के संबंध में अपनी बुद्धिमता का प्रदर्शन करने में भी सफल होंगे और यह आपकी इसी रचनात्मकता की वजह से मुमकिन हो सकेगा। साथ ही आपको काम के नए अवसर भी प्राप्त हो सकते हैं जो आपकी उम्मीदों पर खरे उतरेंगे। अपने परिश्रमी काम से आप व्यावसायिक क्षेत्र में उच्च मानक स्थापित करेंगे और अपना राजस्व बढ़ाएंगे।

कन्या राशि 

कन्या राशि के जातकों के लिए बुध पहले भाव और दशम भाव पर शासन करता है और अब यह आपके दूसरे भाव में गोचर करने जा रहा है। इस दौरान तुला राशि के जातकों को पदोन्नति, वेतन वृद्धि जैसे शानदार लाभ प्राप्त होने की उच्च संभावना बन रही है और नई नौकरी की संभावनाएं पाकर आप अपने पेशे में अच्छी प्रगति हासिल करेंगे। सामान्य तौर पर यह गोचर आपको अधिक ऊर्जावान महसूस कराएगा और यह उत्साह आपके जीवन में प्रगति करने में मदद करेगा। 

अगर आप किसी कंपनी का प्रबंधन कर रहे हैं तो यह आपके लिए पर्याप्त मुनाफा कमाने का एक लाभप्रद समय भी हो सकता है। इस अनुकूल समय के दौरान आप नए व्यावसायिक अवसर के प्रति ज्यादा ग्रहणशील नजर आएंगे। इसके परिणाम स्वरुप आपकी कंपनी को अधिक सफलता और लाभ मिलेगा। इस दौरान आप सफलता के लिए आवश्यक वित्तीय सुरक्षा प्राप्त करने में भी कामयाब रहने वाले हैं।

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तुला राशि 

तुला राशि के जातकों के लिए बुध नवम और 12वें घर का स्वामी है और तुला राशि में बुध गोचर के दौरान यह आपके पहले घर में स्थित हो जाएगा। बुध के इस गोचर के परिणाम स्वरुप आप इस समय आपके सामने आने वाले किसी भी और सभी उच्च लाभों के प्रति ज्यादा ग्रहणशील नजर आएंगे। मुमकिन है कि आध्यात्मिक विषयों में आपकी रुचि बढ़ेगी और परिणाम स्वरुप आप इस अवधि के दौरान उसके संबंध में ज्यादा यात्राएं करते नजर आने वाले हैं।

व्यापार के संबंध में अगर आप व्यवसाय के क्षेत्र से संबंधित है तो आप अपने प्रयासों में सफलता के करीब पहुंचेगें और अगर आप विदेशी मुद्रा में रुचि रखते हैं तो आप इससे पर्याप्त लाभ प्राप्त करने में भी कामयाब होंगे। आर्थिक संबंध में बात करें तो आप अपने काम के बदले अधिक वेतन पाकर संतुष्ट नजर आएंगे। इस अवधि के दौरान प्रोत्साहन और अतिरिक्त आय आपके जीवन में आगे बढ़ते रहने और अपनी बचत बढ़ाने में मददगार साबित होगी।

मकर राशि 

मकर राशि के जातकों के लिए बुध छठे और नवम भाव का स्वामी है और इस गोचर के दौरान यह आपके दसवें घर में मौजूद रहेगा। बुध के गोचर के परिणाम स्वरुप आप ज्यादा सेवा उन्मुख व्यक्तित्व बनाए रखने और इससे लाभ प्राप्त करने में कामयाब हो सकते हैं। बुध के तुला राशि में गोचर के दौरान आप सिद्धांतों वाले व्यक्ति के रूप में अपनी छवि बनाएंगे और आपके पास उच्च पदोन्नति के अवसर भी आ सकते हैं जो आपको खुशियां देंगे। इस समय आप ज्यादा यात्राएं करेंगे और यह यात्राएं आपके लिए जरूरी और लाभदायक साबित होगी। 

मुमकिन है कि आध्यात्मिक विषयों में आपकी रुचि बढ़ें। अपने काम के संबंध में अगर आप वर्तमान में कार्यरत हैं तो यह आपके लिए एक नई स्थिति की तलाश करने का शानदार समय साबित हो सकता है। इससे आपको पूरी तरह से संतुष्टि और सफलता मिलेगी। अपने काम के लिए आपको दूरी की यात्राएं करनी पड़ सकती है और इन यात्राओं से आपको लाभ मिलेगा। व्यवसाईयों की बात करें तो मकर राशि के व्यवसाई जातकों को अपनी कंपनी को उसके क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ बनाने और अपने प्रतिद्वंदियों को उचित टक्कर देने के लिए ज्यादा समर्पित रहना होगा। अगर आप नई व्यावसायिक रणनीतियों का उपयोग करते हैं तो आप अपनी कंपनी के लिए भारी लाभ भी कमाने में सफल हो पाएंगे।

कुंभ राशि 

कुंभ राशि के जातकों के लिए बुध पंचम और अष्टम भाव का स्वामी है और इस गोचर के दौरान नवम भाव में गोचर करने जा रहा है। बुध के इस गोचर के परिणाम स्वरुप आपको अपने जीवन स्तर को ऊंचा बनाए रखने के लिए अपने जीवन को व्यवस्थित करने की आवश्यकता हो सकती है। जैसे-जैसे आपकी रुचि आध्यात्मिक विषयों की तरफ बढ़ेगी उनके प्रति आपके समर्पण का स्तर बढ़ने की भी संभावना है। इसके अलावा इस अवधि में आप विरासत आदि से लाभ प्राप्त कर सकते हैं। 

अपने काम के संबंध में आप बेहद ही भाग्यशाली नजर आएंगे और आपको कोई ऐसी नौकरी भी हासिल होगी जो आपके लिए शुभ साबित होगी। बुध के तुला राशि में गोचर के दौरान आप करियर के नए अवसर पाकर खुश रहने वाले हैं। इस अवधि में आप अपने काम के प्रति ज्यादा प्रतिबद्ध और उत्साहित होंगे। आपके पास मौजूद संसाधनों से आप ज्यादा पैसा कमाने में कामयाब होने वाले हैं। मुमकिन है कि आप भविष्य के लिए ज्यादा पैसा बचाना भी शुरू कर दें। बुध के तुला राशि में गोचर के दौरान आपको विरासत और सट्टेबाजी से अधिक वित्तीय लाभ प्राप्त होने की उच्च संभावना बन रही है।

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बुध का तुला राशि में गोचर- इन राशियों पर होगा नकारात्मक असर

मेष राशि 

मेष राशि के जातकों के लिए बुध तीसरे और छठे भाव का स्वामी है। मेष राशि के जातकों के लिए बुध इस समय सातवें भाव में गोचर करने जा रहा है। बुध के इस गोचर के फल स्वरुप मेष राशि के जातकों को आर्थिक और व्यावसायिक तौर पर नुकसान उठाना पड़ सकता है। अपने करियर के संबंध में आपको बुध के तुला राशि में गोचर के दौरान अपना काम पूरा करने पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पड़ेगी क्योंकि संभावना है कि आपसे इस दौरान ज्यादा गलतियां हो क्योंकि आपको अपने पर्यवेक्षकों से अधिक बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है इसलिए आपको अपना काम समय पर पूरा करने के लिए अपने काम की योजना बनाने और एक उचित शेड्यूल बनाने की सलाह दी जा रही है। 

मुमकिन है कि आप पर इस दौरान काम का ज्यादा दबाव बढ़ें जो आपके लिए परेशानी की वजह बन सकता है। अगर आपको लगता है कि आप काम के बोझ को नहीं संभाल पा रहे हैं या आपसे यह काम नहीं संभाल रहा है तो आप करियर बदल कर बेहतर अवसर की तलाश भी कर सकते हैं। 

करियर बदलना आपको बहुत कुछ नया सिखाएगा और आपके लिए नए अवसर जीवन में लेकर आएगा। आपकी कंपनी के लिए बाजार में नए प्रतिस्पर्धी प्रवेश कर सकते हैं और इसके परिणाम स्वरुप आप उनसे अतिरिक्त दबाव महसूस करने वाले हैं क्योंकि वह अधिक कमाई का लक्ष्य रखेंगे। कम मुनाफे के परिणाम स्वरुप आपको अपनी कंपनी के लिए ज्यादा कर्ज लेने के लिए भी मजबूर होना पड़ सकता है।

वृषभ राशि 

वृषभ राशि के जातकों के लिए बुध दूसरे और पंचम भाव का स्वामी है और आपके छठे भाव में गोचर करने जा रहा है। वृषभ राशि के जातकों के लिए यह गोचर बिल्कुल भी अनुकूल नहीं रहने वाला है क्योंकि इस दौरान आपको जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में नुकसान उठाना पड़ सकता है। मुमकिन है कि आप जो भी काम कर रहे हो वह आपके करियर के संदर्भ में आपको शुभ परिणाम न दे पाए। इस दौरान आप पदोन्नति या अन्य लाभ की उम्मीद भी कर सकते हैं लेकिन मुमकिन है कि वह आपको आसानी से नहीं मिलेगा। 

बुध के तुला राशि में गोचर के दौरान समय पर पदोन्नति और अन्य प्रोत्साहन न मिलने से आप निराश हो सकते हैं। इसके अलावा आप स्वयं को एक ऐसी स्थिति में फंसा हुआ महसूस करेंगे जहां आप एक व्यवसाय स्वामी के रूप में पर्याप्त पैसा नहीं कमा पाएंगे। आपकी कंपनी को ज्यादा सोच समझ कर योजना बनानी होगी और अधिक सुचारू रूप से व्यवसाय चलना होगा। बाजार से खतरे और तीव्र प्रतिद्वंदी आपकी कंपनी को नुकसान कर सकते हैं। आप आर्थिक तंगी के साथ-साथ कर्ज में भी डूबने वाले हैं। ऐसे में आपको एक अच्छी वित्तीय योजना बनाने की सलाह दी जा रही है।

मीन राशि 

मीन राशि के जातकों के लिए बुध वर्तमान में अष्टम भाव में गोचर कर रहा है और यह आपके चतुर्थ और सप्तम भाव का स्वामी है। मीन राशि के जातक अगर पहले से ही आप नौकरी पेशा हैं तो मुमकिन है कि आप इस समय अपने करियर के लक्ष्यों को पूरा करने में कामयाब ना हो पाएँ। बुध के तुला राशि में गोचर से आपको करियर के बड़े फैसले लेने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है या फिर बॉस के दबाव के चलते आपसे काम में गलतियां होने का भी खतरा बना हुआ है। 

इस राशि के जो जातक व्यवसाय के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं उनको धन हानि उठानी पड़ सकती है। साथ ही आपको घाटे भी होने वाले हैं। संभावना है कि इस अवधि में आपके विरोधी प्रगति करेंगे और आप उनकी बराबरी नहीं कर पाएंगे। इससे बचने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप सही दिशा में जा रहे हैं आपको अपने व्यवसाय ले आउट को समायोजित करने की आवश्यकता पड़ेगी। मुमकिन है कि आप वित्तीय घाटे का सामना कर रहे हो और वित्त का प्रबंध करने की कोशिश करते समय आपके जीवन में उतार-चढ़ाव आए। आपकी अतिरिक्त जिम्मेदारियां आपको बैंक से ऋण लेने के लिए भी मजबूर कर सकती है।

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बुध का तुला राशि में गोचर- उपाय 

  • बुधवार के दिन हरे रंग के कपड़े ज्यादा से ज्यादा पहनें। इससे बुध ग्रह मजबूत होता है। 
  • बुधवार का व्रत प्रारंभ कर दें। इससे भी बुधवार के दुष्प्रभाव कम होने लगेंगे। 
  • अपने दाहिने हाथ की छोटी उंगली में पन्ना रत्न धारण करें। इससे बुध ग्रह को मजबूती मिलती है।
  • बुध से संबंधित मंत्रों का स्पष्ट उच्चारण पूर्वक जाप करें। 
  • भगवान विष्णु की नियमित रूप से पूजा करें। 
  • जरूरतमंद लोगों को दान करें।

बुध का तुला राशि में गोचर- क्या पड़ेगा देश दुनिया पर असर?

मीडिया एवं पत्रकारिता 

  • मीडिया और पत्रकारिता जैसे क्षेत्र में भारत और दुनिया के अंत प्रमुख हिस्सों में लोकप्रियता और अवसरों में वृद्धि नजर आने वाली है। 
  • मीडिया, पत्रकारिता आदि इन सभी प्रोफाइल को गति मिलेगी और इन क्षेत्रों से जुड़े लोगों को इस दौरान बड़े पैमाने पर लाभ होगा।

बैंकिंग और कानून 

  • संचार और बौद्धिक अभिव्यक्ति गणना आदि की मांग करने वाले क्षेत्र जैसे बैंकिंग और वित्त में वृद्धि और मांग होगी। 
  • वकीलों और न्यायाधीशों को लाभ मिलेगा क्योंकि तुला राशि में बुध की इस अवधि के लिए अनुकूल माना जाता है। 
  • बुध के तुला राशि में गोचर के दौरान बैंकिंग क्षेत्र में कुछ सुधार देखने को मिल सकता है और इससे काफी लाभ मिलेगा। 
  • बुध के तुला राशि में होने वाले इस गोचर से गणितज्ञ और शोधकर्ताओं को भी लाभ मिलने की संभावना है।

प्रौद्योगिकी एवं अनुसंधान

  • तुला राशि में बुध प्रौद्योगिकी, आविष्कार और अनुसंधान का समर्थन करता है। इस अवधि में चिकित्सा अनुसंधान नई ऊंचाइयां छू सकते हैं। 
  • तुला राशि में बुध लंबे समय से संकट में चल रहे कंप्यूटर और सॉफ्टवेयर उद्योग में कुछ गति लेकर आ सकता है। 
  • इंजीनियरिंग क्षेत्र में कुछ महत्वपूर्ण आविष्कार या शोध देखने को मिल सकते हैं।

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बुध का तुला राशि में गोचर- स्टॉक मार्केट रिपोर्ट

बुध शेयर बाजार को नियंत्रित करता है क्योंकि यह व्यापार, शेयर और वित्त से जुड़ा ग्रह माना गया है और बुध का तुला राशि में गोचर हमेशा इस बात पर प्रभाव डालता है कि शेयर बाजार कितना अच्छा प्रदर्शन करता है। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं कि 10 अक्टूबर 2024 से शुरू होने वाले बुध के तुला राशि में गोचर का शेयर बाजार पर क्या प्रभाव पड़ेगा। आप स्टॉक मार्केट की पूरी रिपोर्ट आप यहां जान सकते हैं। 

  • समग्र शेयर बाजार में कभी कभार और अप्रत्याशित मामूली गिरावट के साथ तेजी ही रहने वाली है। 
  • बैंकिंग, सार्वजनिक क्षेत्र, भारी इंजीनियरिंग, कपड़ा उद्योग, हीरा व्यवसाय, चाय उद्योग, ऊनी उद्योग, सौंदर्य प्रसाधन, तंबाकू, रिलायंस इंडस्ट्रीज, रिलायंस कैपिटल, रिलायंस पावर, टाटा पावर और अदानी पावर सभी महत्वपूर्ण वृद्धि का अनुभव करेंगे। 
  • इसे हासिल करना संभव है लेकिन इस महीने की 18 तारीख के बाद गति थोड़ी कम हो जाएगी। 
  • मुनाफा वसूली से बाजार की हालत खराब हो सकती है और सार्वजनिक क्षेत्र के कारण यह विशेष रूप से कमजोर भी हो सकता है। 
  • इलेक्ट्रॉनिक उपकरण उद्योग, सूचना प्रौद्योगिकी, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयां, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर, पेपर प्रिंटिंग, विज्ञापन, फार्मास्यूटिकल्स और शिपिंग में पर्याप्त खामियां नजर आ सकती है और अक्टूबर के अंत में मंदी भी संभव है।

बुध का तुला राशि में गोचर- खेल प्रतियोगिताएं और इसके प्रभाव

बुध का गोचर खेल और टूर्नामेंट को भी प्रभावित करने के लिए जाना जाता है। तो चलिए एक नजर डाल लेते हैं इस अवधि में होने वाली खेल प्रतियोगिताओंऔर उस पर इस गोचर का क्या कुछ प्रभाव पड़ेगा। 

टूर्नामेंटखेलतारीख
फीफा विश्व कप क्वालीफायरफ़ुटबॉल13 अक्टूबर- 18 अक्टूबर
आईसीसी महिला टी20 क्रिकेट विश्व कपक्रिकेट3 अक्टूबर- 20 अक्टूबर
शंघाई मास्टर्सटेनिस2- 13 अक्टूबर

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हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह ब्लॉग ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल 

1: तुला राशि में कौन से नक्षत्र आते हैं?

चित्रा नक्षत्र, स्वाति नक्षत्र और विशाखा नक्षत्र तुला राशि में आते हैं।

2: तुला राशि का स्वामी कौन है? 

शुक्र ग्रह को तुला राशि का स्वामी माना गया है।  

3: कौन सा नक्षत्र बुध द्वारा शासित होता है? 

जेष्ठा नक्षत्र, अश्लेषा नक्षत्र और रेवती नक्षत्र पर बुध ग्रह का शासन होता है।