अंक ज्योतिष साप्ताहिक राशिफल: 19 जनवरी से 25 जनवरी, 2025

कैसे जानें अपना मुख्य अंक (मूलांक)? 

अंक ज्योतिष साप्ताहिक भविष्यफल जानने के लिए अंक ज्योतिष मूलांक का बड़ा महत्व है। मूलांक जातक के जीवन का महत्वपूर्ण अंक माना गया है। आपका जन्म महीने की किसी भी तारीख़ को होता है, उसको इकाई के अंक में बदलने के बाद जो अंक प्राप्त होता है, वह आपका मूलांक कहलाता है। मूलांक 1 से 9 अंक के बीच कोई भी हो सकता है, उदाहरणस्वरूप- आपका जन्म किसी महीने की 10 तारीख़ को हुआ है तो आपका मूलांक 1+0 यानी 1 होगा। 

इसी प्रकार किसी भी महीने की 1 तारीख़ से लेकर 31 तारीख़ तक जन्मे लोगों के लिए 1 से 9 तक के मूलांकों की गणना की जाती है। इस प्रकार सभी जातक अपना मूलांक जानकर उसके आधार पर साप्ताहिक राशिफल जान सकते हैं।

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अपनी जन्मतिथि से जानें साप्ताहिक अंक राशिफल (19 जनवरी से 25 जनवरी, 2025)

अंक ज्योतिष का हमारे जीवन पर सीधा प्रभाव पड़ता है क्योंकि सभी अंकों का हमारे जन्म की तारीख़ से संबंध होता है। नीचे दिए गए लेख में हमने बताया है कि हर व्यक्ति की जन्म तिथि के हिसाब से उसका एक मूलांक निर्धारित होता है और ये सभी अंक अलग-अलग ग्रहों द्वारा शासित होते हैं। 

जैसे कि मूलांक 1 पर सूर्य देव का आधिपत्य है। चंद्रमा मूलांक 2 का स्वामी है। अंक 3 को देव गुरु बृहस्पति का स्वामित्व प्राप्त है, राहु अंक 4 का राजा है। अंक 5 बुध ग्रह के अधीन है। 6 अंक के राजा शुक्र देव हैं और 7 का अंक केतु ग्रह का है। शनि देव को अंक 8 का स्वामी माना गया है। अंक 9 मंगल देव का अंक है और इन्हीं ग्रहों के परिवर्तन से जातक के जीवन में अनेक तरह के परिवर्तन होते हैं।

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मूलांक 1

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 1, 10, 19, 28 तारीख़ को हुआ है)

इस मूलांक वाले जातकों का दृष्टिकोण एकदम स्‍पष्‍ट होता है और ये इसे एक लक्ष्‍य के रूप में अपना सकते हैं। इसके अलावा ये जातक अपने कार्यों को लेकर अधिक सचेत रहते हैं।

प्रेम जीवन: इस सप्‍ताह आपके और आपके जीवनसाथी के बीच आपसी समझ में कमी होने की आशंका है। इस वजह से आप दोनों के बीच विवाद हो सकता है जिससे आप दोनों के रिश्‍ते में खटास आने की आशंका है।

शिक्षा: इस सप्‍ताह आप जो भी करेंगे, उसमें एकाग्रता की कमी देखी जा सकती है। इस वजह से आप पढ़ाई में पीछे रह सकते हैं।

पेशेवर जीवन: यह सप्‍ताह नौकरीपेशा जातकों के लिए अनुकूल नहीं है। आप अपने कार्यक्षेत्र में अच्‍छे संबंध बनाए रखने में असफल हो सकते हैं। व्‍यापारियों को इस समय नुकसान होने के आसार हैं इसलिए उन्‍हें सचेत रहने की सलाह दी जाती है।

सेहत: इस सप्‍ताह आपके अंदर ऊर्जा और उत्‍साह की कमी हो सकती है। इससे आपकी सेहत में अस्थिरता देखने को मिल सकती है। इसलिए इस समय आपको अपनी सेहत का खास ख्‍याल रखने की सलाह दी जाती है।

उपाय: आप रोज़ 108 बार ‘ॐ गं गणपतये नम:’ मंत्र का जाप करें।

मूलांक 2

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 2, 11, 20, 29 तारीख़ को हुआ है)

इस मूलांक वाले जातकों में घूमने-फिरने या यात्रा करने की इच्‍छा अधिक होती है और ये इसे अपना जुनून बना सकते हैं। इसके अलावा ये लोग बिज़नेस करने को उत्‍सुक रहते हैं और नई ॐचाईयों को छूते हैं।

प्रेम जीवन: इस सप्‍ताह आपके परिवार में कोई शुभ या मांगलिक कार्यक्रम हो सकता है जिसका आप और आपका जीवनसाथी दोनों ही आनंद उठाएंगे।

शिक्षा: इस सप्‍ताह आप शिक्षा के क्षेत्र में अपने स्किल्‍स को प्रदर्शित करने और लोगों के बीच अपनी एक विशेष जगह बनाने में सफल होंगे। आप केमिस्‍ट्री और मरीन इंजीनियरिंग आदि विषयों में उत्‍कृष्‍टता हासिल करने में सक्षम होंगे।

पेशेवर जीवन: इस सप्‍ताह नौकरीपेशा जातकों को उच्‍च सफलता मिलने के योग हैं। अपको इस समय नौकरी के नए अवसर प्राप्‍त हो सकते हैं और ये अवसर आपको असीम संतुष्टि प्रदान करेंगे। व्‍यापारियों को इस समय अपनी उम्‍मीद से ज्‍यादा मुनाफा होने की संभावना है। आप अपनी योग्‍यता साबित करने के लिए अपने प्रतिद्वंदियों को कड़ी टक्‍कर देने में सक्षम होंगे।

सेहत: इस सप्‍ताह आपके अंदर उच्‍च स्‍तर की ऊर्जा रहने वाली है जिससे आपका स्‍वास्‍थ्‍य उत्तम रहेगा। आपको मामूली सिरदर्द के अलावा और कोई स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या परेशान नहीं करेगी।

उपाय: आप रोज़ 20 बार ‘ॐ चंद्राय नम:’ मंत्र का जाप करें।

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मूलांक 3

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 3, 12, 21, 30 तारीख़ को हुआ है)

इस मूलांक वाले जातक किसी भी परिस्थिति को लेकर खुले विचार रखते हैं। ये लोग आध्‍यात्मिक प्रवृत्ति के हो सकते हैं और इससे ये अपने जीवन में कुछ बड़ा हासिल करने में सक्षम होते हैं।

प्रेम जीवन: आपके मैत्रीपूर्ण व्‍यवहार के कारण इस सप्‍ताह आपके और आपके पार्टनर के बीच नज़दीकियां रहने वाली हैं। इस समय आप खुश रहेंगे और अपनी खुशियों को अपने जीवनसाथी के साथ साझा कर सकते हैं।

शिक्षा: इस सप्‍ताह छात्र प्रोफेशनल स्‍टडीज़ जैसे कि फाइनेंशियल अकाउंटिंग, मैनेजमेंट अकाउंटिंग आदि में अच्‍छा प्रदर्शन करेंगे और इनमें उच्‍च अंक प्राप्‍त करने में सफल होंगे। इस समय आप जो भी पढ़ेंगे, उसे याद रख पाने का विशेष गुण रख सकते हैं।

पेशेवर जीवन: नौकरीपेशा जातक काम के प्रति समर्पण और कड़ी मेहनत के साथ उत्‍कृष्‍ट प्रदर्शन देंगे। व्‍यापारी मुनाफा कमाने में सक्षम होंगे और प्रसन्‍न रहेंगे।

सेहत: इस सप्‍ताह आपके जोश और उत्‍साह से भरपूर रहने की वजह से आपकी फिटनेस अच्‍छी रहने वाली है। इसके कारण आपका स्‍वास्‍थ्‍य उत्तम रहने वाला है।

उपाय: आप बृहस्‍पतिवार के दिन बृहस्‍पति ग्रह के लिए यज्ञ-हवन करें।

मूलांक 4

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 4, 13, 22, 31 तारीख़ को हुआ है)

इस मूलांक वाले जातक जुनून से भरे होते हैं और अपनी इस प्रवृत्ति के कारण सकारात्‍मक रहते हैं और अपने कौशल की मदद से बड़ी चीज़ें हासिल करने को लेकर आशान्वित रहते हैं।

प्रेम जीवन: इस सप्‍ताह आपके और आपके पार्टनर के बीच नज़दीकियां बढ़ने वाली हैं। आप दोनों का रिश्‍ता मज़बूत होगा। इस समय आप अपने पार्टनर के साथ खुश रहेंगे और उन्‍हें भी खुश रखेंगे।

शिक्षा: इस सप्‍ताह विद्यार्थी शिक्षा के क्षेत्र में अच्‍छा प्रदर्शन करेंगे अैर बड़ी उपलब्धियां हासिल करेंगे।

पेशेवर जीवन: नौकरीपेशा जातकों को विदेश जाने का मौका मिल सकता है और ये अवसर आपको अधिक सफलता दिला सकते हैं। वहीं व्‍यापारी इस समय उच्‍च मुनाफा कमाने और उसे बनाए रखने में सक्षम होंगे।

सेहत: इस समय आपकी इम्‍युनिटी मज़बूत रहने और आपके ऊर्जावान रहने की वजह से आपका स्‍वास्‍थ्‍य अच्‍छा रहेगा।

उपाय: आप रोज़ 22 बार ‘ॐ दुर्गाय नम:’ मंत्र का जाप करें।

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मूलांक 5

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 5, 14, 23 तारीख़ को हुआ है)

इस मूलांक वाले जातक अपने कार्यों को लेकर अधिक कुशल, रचनात्‍मक और तर्कशील होते हैं। इसके अलावा ये जातक बहुत सोच-विचार कर के कोई कार्य करते हैं।

प्रेम जीवन: इस सप्‍ताह आप अपने पार्टनर के साथ अधिक हंसमुख व्‍यवहार करेंगे और आपके इस व्‍यवहार के कारण आप दोनों के रिश्‍ते में खुशियां बढ़ जाएंगी।

शिक्षा: छात्र इस सप्‍ताह उच्‍च शिक्षा प्राप्‍त करने में आसानी से सफलता प्राप्‍त कर सकते हैं। आप हर काम को आसानी से कर पाएंगे। एकाग्रता के मज़बूत होने की वजह से आप सफलता प्राप्‍त करने में सक्षम होंगे।

पेशेवर जीवन: नौकरीपेशा जातक इस समय पूरे उत्‍साह के साथ काम करेंगे और उच्‍च स्‍तर की कार्यक्षमता हासिल करेंगे। इस सप्‍ताह व्‍यापारी आसानी से अपने प्रतिद्वंदियों को पीछे छोड़ने में सफल होंगे।

सेहत: इस समय आपके सकारात्‍मक रहने की वजह से आपका स्‍वास्‍थ्‍य भी अच्‍छा रहने वाला है। आपके अंदर अधिक उत्‍साह और साहस रहेगा जिससे आपको खुद को फिट रखने में मदद मिलेगी।

उपाय: आप रोज़ 41 बार ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:’ मंत्र का जाप करें।

मूलांक 6

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 6, 15, या 24 तारीख को हुआ है)

इस मूलांक वाले जातकों की मनोरंजन और मीडिया कला में अधिक रुचि हो सकती है।  ऐसे लोग जीवन के प्रति अपने दृष्टिकोण में अधिक प्रभावशाली हो सकते हैं।

प्रेम जीवन: इस सप्‍ताह आपकी अपने पार्टनर से बहस होने की आशंका है। इस वजह से आप अपने जीवनसाथी के साथ खुश नहीं रह पाएंगे और आपके रिश्‍ते की सुख-शांति भंग हो सकती है।

शिक्षा: इस सप्‍ताह आपको पढ़ाई के मामले में अच्‍छे परिणाम न मिल पाने के संकेत हैं। आपका पढ़ाई पर से ध्‍यान भटक सकता है जिसकी वजह से आप उच्‍च अंक प्राप्‍त करने से पीछे रह सकते हैं।

पेशेवर जीवन: नौकरीपेशा जातक इस समय कुछ बड़ा हासिल करने, नई ॐचाईयों को छूने या नाम और शोहरत कमाने में पीछे रह सकते हैं। वहीं व्‍यापारी इस समय उच्‍च मुनाफा कमाने में सक्षम होंगे।

सेहत: आपको इस सप्‍ताह पाचन से संबंधित समस्‍याएं और त्‍वचा पर खुजली की शिकायत हो सकती है। इससे बचने के लिए आपको तली-भुनी चीज़ों से परहेज़ करने की सलाह दी जाती है ताकि आपका स्‍वास्‍थ्‍य बना रहे।

उपाय: आप शुक्रवार के दिन मां लक्ष्‍मी के लिए यज्ञ-हवन करें।

मूलांक 7

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 7, 16, या 25 तारीख को हुआ है)

इस मूलांक वाले जातक ईश्‍वर के प्रति समर्पित रहते हैं और उन्‍हीं की खोज में लगे रहते हैं। ये जातक धार्मिक यात्रा पर जा सकते हैं जिससे इन्‍हें राहत और संतुष्टि मिलती है।

प्रेम जीवन: इस सप्‍ताह आप अपने जीवनसाथी के साथ संतुष्‍ट महसूस नहीं कर पाएंगे। ऐसा आपकी ओर से आपसी तालमेल की कमी की वजह से हो सकता है और इसका नकारात्‍मक प्रभाव आपके रिश्‍ते पर पड़ सकता है।

शिक्षा: छात्र शिक्षा के क्षेत्र में सफलता और उच्‍च परिणाम प्राप्‍त करने में असफल हो सकते हैं। एकाग्रता में कमी के कारण आप पीछे रह सकते हैं।

पेशेवर जीवन: नौकरीपेशा जातकों को अपने काम में कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। आपको समय पर काम पूरा करने में देरी हो सकती है। वहीं व्‍यापारियों को पार्टनर के साथ कुछ समस्‍याएं होने की आशंका है।

सेहत: आपको एलर्जी और इम्‍युनिटी कमज़ोर होने की वजह से आपकी त्‍वचा पर दाने निकल सकते हैं। इस वजह से आपको खुजली की शिकायत भी हो सकती है।

उपाय: आप मंगलवार के दिन केतु ग्रह के लिए यज्ञ-हवन करें।

मूलांक 8

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 8, 17, या 26 तारीख को हुआ है)

इस मूलांक वाले जातकों को करियर के सिलसिले में अधिक यात्राएं करनी पड़ सकती हैं। ये जातक अपने काम के प्रति समर्पित रहते हैं और इन्‍हें अपने परिवार के लिए कम ही समय मिल पाता है।

प्रेम जीवन: आपके और आपके जीवनसाथी के बीच आापसी समझ की कमी की वजह से आपके रिश्‍ते की सुख-शांति भंग हो सकती है। आपको इसे फिर से बनाने की आवश्‍यकता है।

शिक्षा: इस सप्‍ताह छात्रों ने जो कुछ भी सीखा और पढ़ा है, उसे याद करने में दिक्‍कत आ सकती है। आपको फिर से आशावादी बनने और पढ़ाई में अच्‍छा प्रदर्शन करने का लक्ष्‍य बनाना चाहिए।

पेशेवर जीवन: नौकरीपेशा जातकों से काम में कुछ गलतियां होने की आशंका है और आपकी ये गलतियां आपके साथियों की नज़रों में आ सकती हैं। इस सप्‍ताह आपकी प्रतिष्‍ठा में भी कमी होने के संकेत हैं। व्‍यापारी अपने प्रतिस्‍पर्धियों के लक्ष्‍यों को पार करने में असफल हो सकते हैं।

सेहत: आपकी इम्‍युनिटी कमज़ोर होने की वजह से आपको जांघों और पैरों में दर्द की शिकायत हो सकती है। आपको खुद को ठीक करने के लिए उपचार लेने की ज़रूरत है।

उपाय: आप रोज़ 11 बार ‘ॐ हनुमते नम:’ मंत्र का जाप करें।

मूलांक 9

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 9, 18, या 27 तारीख को हुआ है)

इस मूलांक वाले जातक कभी-कभी आवेग में आकर निर्णय ले सकते हैं जिससे इनके हितों को बढ़ावा नहीं मिल पाता है। ये जातक कुछ सामान्‍य विचारधाराओं और सिद्धांतों पर अड़े रहते हैं।

प्रेम जीवन: आप अपने पार्टनर के प्रति अधिक समर्पित रहेंगे। आप पूरी ईमानदारी के साथ अपने जीवनसाथी के साथ अपनी भावनाओं को साझा करेंगे और इसका आनंद लेंगे।

शिक्षा: इस सप्‍ताह आप शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियां हासिल कर सकते हैं और मैनेजमेंट और फाइनेंशियल स्‍टडीज़ आदि में अच्‍छा प्रदर्शन करेंगे। आप इस सप्‍ताह अपने विशेष गुण दिखाने में सक्षम हो सकते हैं।

पेशेवर जीवन: नौकरीपेशा जातकों को काम को लेकर उनकी प्रतिबद्धता और कड़ी मेहनत के लिए मान्‍यता मिल सकती है। वहीं व्‍यापारियों को कई ऑडर्र के रूप में नया काम मिल सकता है और इससे उन्‍हें  लाभ होगा।

सेहत: आपके दृढ़ संकल्‍प और साहस की वजह से इस सप्‍ताह आपकी सेहत बहुत अच्‍छी रहने वाली है।

उपाय: रोज़ 27 बार ‘ॐ भौमाय नम:’ मंत्र का जाप करें।

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अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

प्रश्‍न 1. मूलांक 3 पर किस ग्रह का आधिपत्‍य है?

उत्तर. मूलांक 3 के स्‍वामी बृहस्‍पति ग्रह हैं।

प्रश्‍न 2. मूलांक 5 के स्‍वामी ग्रह कौन हैं?

उत्तर. 5 मूलांक के स्‍वामी बुध ग्रह हैं।

प्रश्‍न 3. मूलांक 2 वाले जातक कैसे होते हैं?

उत्तर. ये जातक भावुक स्‍वभाव के होते हैं।

ग्रहों के राजकुमार के अस्त होने से, इन राशियों पर टूट सकता है मुसीबत का पहाड़!

बुध धनु राशि में अस्त: वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह को तेज़ गति से चलने वाला ग्रह माना जाता है जो सूर्य के सबसे निकट स्थित हैं। ऐसे में, बुध देव की चाल, स्थिति और दशा में समय-समय पर बदलाव देखने को मिलता है। अब यह जल्द ही धनु राशि में अस्त होने जा रहे हैं जिसका प्रभाव देश-दुनिया और सभी राशियों पर दिखाई देगा। एस्ट्रोसेज एआई का यह विशेष ब्लॉग आपको बुध धनु राशि में अस्त से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा जैसे कि तिथि, समय और सभी राशियों पर इसका प्रभाव आदि। साथ ही, इस लेख के माध्यम से हम यह भी बताएंगे कि कुंडली में बुध ग्रह के अशुभ या दुर्बल स्थिति में होने पर किन उपायों को अपनाकर आप बुध के दुष्प्रभावों को कम कर सकते हैं। इसके अलावा, बुध की अस्त अवस्था आपके जीवन में किस तरह के बदलाव लेकर आएगी, इससे भी आपको रूबरू करवाएंगे। 

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आइए इस ब्लॉग की शुरुआत करते है और सबसे पहले नज़र डालते हैं बुध अस्त के समय और तिथि पर। 

बुध धनु राशि में अस्त: तिथि एवं समय

बुध देव तेज़ गति से चलने वाले ग्रह हैं जो लगभग 23 से 27 दिनों में गोचर करते हैं। साथ ही, यह समय-समय पर अस्त, वक्री और मार्गी भी होते रहते हैं। अब बुध 18 जनवरी 2025 की सुबह 06 बजकर 54 मिनट पर धनु राशि में अस्त हो जाएंगे। यह अपनी अस्त अवस्था से 26 फरवरी 2025 की रात 08 बजकर 41 मिनट पर कुंभ राशि में उदित हो जाएंगे। ऐसे में, एक लंबे समय तक बुध ग्रह के अस्त रहने से सभी 12 राशियों पर इसका प्रभाव पड़ेगा। चलिए अब जानते हैं बुध अस्त के बारे में। 

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बुध की अस्त अवस्था और इसका महत्व 

ज्योतिष में ग्रह की अस्त अवस्था वह प्रक्रिया है जब कोई ग्रह अपनी सारी शक्तियों को खो बैठता हैं। साथ ही, ग्रह कमजोर और शक्तिहीन हो जाता है। बता दें कि राहु/केतु के अलावा कोई भी ग्रह उस समय अस्त होता है जब वह 10 डिग्री के भीतर सूर्य के करीब चला जाता है। ऐसे में, सूर्य देव के प्रभाव की वजह से ग्रह कमजोर हो जाते हैं। इस प्रकार, धनु राशि में बुध के अस्त होने के कारण जातकों को एकाग्रता की कमी, सोचने-समझने की क्षमता कमजोर होना और असुरक्षा की भावना जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

कब और किस डिग्री पर अस्त होते हैं ग्रह? 

ज्योतिष के अनुसार, हर ग्रह एक विशेष डिग्री पर अस्त हो जाता है। मन के कारक ग्रह चंद्रमा 12 अंश पर, शुक्र ग्रह 9 अंश, बुध ग्रह 13 अंश, मंगल देव 07 अंश, शनि 15 अंश पर और गुरु ग्रह 11 अंश पर अस्‍त हो जाते हैं। सामान्य शब्दों में कहें तो, जब कोई ग्रह सूर्य की परिधि में इतने अंश पर चले जाते हैं, तब वह अस्त हो जाते हैं। इसी प्रकार, जब कोई ग्रह सूर्य से 15 डिग्री की दूरी पर चले जाते है, तो ग्रह उदित माना जाता है। 

कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर

बुध ग्रह और इसका स्वभाव 

बुध ग्रह के स्वभाव की बात करें तो, बुध को एक तटस्थ और परिवर्तनशील ग्रह माना जाता है जो कि स्‍त्री स्वभाव का अस्थिर ग्रह है। बुध वायु प्रकृति का ग्रह है और इनकी उत्तर दिशा है। बुध की उच्च राशि कन्‍या है और यह मीन राशि में नीच के होते हैं। कहते हैं कि बुध देव कभी भी स्‍वतंत्र रूप से काम नहीं करते हैं और सदैव उस राशि और भाव के अनुसार कार्य करते हैं या परिणाम देते हैं जिसमें वह विराजमान होते हैं। शुभ ग्रहों के साथ मौजूद होने पर यह जातकों को सकारात्‍मक परिणाम प्रदान करते हैं जबकि अशुभ ग्रहों के साथ होने पर कमज़ोर परिणाम देते हैं।  

उदाहरण के रूप में, अगर कुंडली में बुध पापी ग्रहों जैसे राहु-केतु और मंगल आदि के साथ युति करते हैं, तो जातकों को अपने जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही, इनके मंगल के साथ उपस्थित होने पर जातक में बुद्धि का अभाव रहता है। 

मनुष्य पर बुध ग्रह का प्रभाव 

एक तरफ, कुंडली में बुध देव के शुभ स्थान पर बैठ होने से जातकों को अच्छा स्वास्थ्य, वाणी में मधुरता और ज्ञान का आशीर्वाद मिलता है। इनकी कृपा से जातक का संचार कौशल बेहतर होता है और ऐसे में, वह अपनी वाणी से दूसरों को आसानी से प्रभावित करने में सक्षम होता है। वह एक साथ कई कार्यों को कर सकते हैं। 

जब बुध ग्रह अनुकूल या उच्च राशि में विराजमान होते हैं. तो व्‍यक्‍ति अपने विचारों को अच्‍छे से दूसरों के सामने रख पाता है और उसकी वाणी भी प्रभावशाली बनती है। बुध ग्रह की मज़बूत स्थिति जातक को सरल, विश्‍लेष्‍णात्‍मक और बुद्धिमान बनाती है। साथ ही, यह इंसान को ज्ञानी के साथ-साथ तर्कशास्‍त्र का ज्ञाता बनाते हैं। ऐसे जातक राजनीति के क्षेत्र में महारत हासिल करते हैं और वाद-विवाद में हराना बेहद मुश्किल होता है। साथ ही, इनमें सब कुछ सीखने की क्षमता होती है।

लेकिन, कुंडली में बुध ग्रह के दुर्बल होने पर जातक का संचार कौशल प्रभावित होता है। ऐसा इंसान चतुर और चालाक बनता है। साथ ही, अशुभ बुध इंसान को जुआरी, धोखेबाज़, झूठे और दिखावा करने वाला बना सकता है। ये दूसरों से किए गए वादे को बड़ी आसानी से भूल जाते हैं। इनका मूड भी बार-बार बदलता होता रहता है।

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बुध ग्रह को प्रिय रंग और शुभ अंक  

ज्योतिष में नवग्रहों में से प्रत्येक ग्रह का एक प्रिय रंग, प्रिय अंक और दिन होता है जिनकी सहायता से उस ग्रह को प्रसन्न करना आसान हो जाता है जिस ग्रह की कृपा आप पाना चाहते हैं। बात करें ग्रहों के युवराज की, तो वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह के अंक, रंग और दिन का वर्णन किया गया है जिनके माध्यम से आप कुंडली में बुध की स्थिति मज़बूत कर सकते हैं। ऐसे जानते हैं कौन सा है वह शुभ अंक, रंग और दिन। 

हरा रंग: बुद्धि के कारक ग्रह बुध को हरा रंग अति प्रिय है। यदि आप बुध ग्रह की कृपा पाना चाहते हैं, तो हरे रंग के कपड़े पहनना, हरे रंग की वस्तुओं या हरी सब्ज़ियों का दान करना श्रेष्ठ रहता है। 

बुधवार: सप्ताह के सात दिनों में से बुध देव को बुधवार का दिन समर्पित है इसलिए हरे रंग के कपड़े धारण करना या फिर हरे रंग की वस्तुओं या सब्ज़ियों का दान बुधवार के दिन करना फलदायी साबित होता है। 

अंक 05: अंक ज्योतिष में अंक 05 का स्वामी बुध ग्रह को माना जाता है। अगर आप बुध देव से शुभ फल प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको अपने जीवन में अंक 5 का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए। 

चलिए अब जानते हैं उन उपायों के बारे में जिनकी मदद से कुंडली में बुध को मज़बूत किया जा सकता है।

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इन ज्योतिषीय उपायों से करें बुध ग्रह को मज़बूत 

  • कुंडली में बुध ग्रह के कमज़ोर होने पर जातक को प्रतिदिन स्नान करने के बाद बुध ग्रह के मंत्रो “ॐ बुं बुधाय नमः”, “ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः” का जाप करना चाहिए। 
  • प्रतिदिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। 
  • संभव हो, तो बुधवार के दिन बुध ग्रह के लिए व्रत करें।
  • घर में बुध यंत्र को स्थापित करें और नियमित रूप से उसकी पूजा-अर्चना करें। 
  • जातक को ज्यादा से ज्यादा हरे रंग का प्रयोग करना चाहिए। 
  • नियमित रूप से भगवान विष्णु और बुध की आराधना करें। 

बुध धनु राशि में अस्त: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय 

मेष राशि

मेष राशि के जातकों के लिए बुध तीसरे और छठे भाव के स्वामी हैं। अब यह आपके नौवें भाव… (विस्तार से पढ़ें) 

वृषभ राशि

वृषभ राशि वालों के लिए बुध महाराज आपके दूसरे और पांचवें भाव के स्वामी हैं जो अब…(विस्तार से पढ़ें)

मिथुन राशि

मिथुन राशि के जातकों के लिए बुध देव आपके लग्न/पहले और चौथे भाव के स्वामी हैं। अब…(विस्तार से पढ़ें)

कर्क राशि

कर्क राशि के जातकों के लिए बुध ग्रह आपके बारहवें और तीसरे भाव के स्वामी हैं जो अब…(विस्तार से पढ़ें)

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सिंह राशि

सिंह राशि वालों के लिए बुध देव आपके दूसरे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं। अब यह…(विस्तार से पढ़ें) 

कन्या राशि

कन्या राशि के जातकों की कुंडली में बुध ग्रह आपके लग्न भाव और दसवें भाव के स्वामी हैं जो…(विस्तार से पढ़ें))

तुला राशि

तुला राशि वालों की कुंडली में बुध महाराज आपके बारहवें और नौवें भाव के स्वामी हैं जो… (विस्तार से पढ़ें) 

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए बुध देव आपके ग्यारहवें और आठवें भाव के स्वामी हैं। अब…(विस्तार से पढ़ें)

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धनु राशि 

धनु राशि वालों के लिए बुध ग्रह आपके सातवें और दसवें भाव के स्वामी हैं जो अब आपके…(विस्तार से पढ़ें)

मकर राशि

मकर राशि के जातकों की कुंडली में बुध ग्रह आपके छठे भाव और नौवें भाव के स्वामी हैं जो…(विस्तार से पढ़ें)

कुंभ राशि

कुंभ राशि वालों के लिए बुध देव आपके पांचवें और आठवें भाव के स्वामी हैं। अब यह आपके…(विस्तार से पढ़ें)

मीन राशि

मीन राशि वालों के लिए बुध महाराज आपके चौथे और सातवें भाव के अधिपति देव हैं। अब यह… (विस्तार से पढ़ें)

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. बुध ग्रह के अस्त होने पर क्या होता है? 

जब बुध अस्त होते हैं, तब यह आपको त्वचा से संबंधित रोग दे सकते हैं। 

2. बुध किसके कारक हैं?

ज्योतिष में बुध देव को बुद्धि, वाणी और तर्क का कारक ग्रह माना जाता है।

3. धनु राशि का स्वामी कौन हैं?

राशि चक्र की नौवीं राशि धनु के अधिपति देव गुरु ग्रह हैं।  

सकट चौथ के व्रत से मिलेगा संतान को लंबी आयु का आशीर्वाद, जानें तिथि, मुहूर्त, महत्व एवं कथा!

सकट चौथ 2025: हिदू धर्म में सकट चौथ का व्रत प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश को समर्पित होता है। वैसे तो सनातन धर्म में हर माह अनेक व्रत एवं त्योहार मनाए जाते हैं, लेकिन उनमें से माघ माह में आने वाले व्रत का अपना अलग महत्व होता है। इसी में से एक है सकट चौथ का व्रत। यह व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए करती हैं। ऐसी मान्यता है कि सकट चौथ व्रत से संतान को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है और जीवन से सभी विघ्न-बाधाओं का अंत होता है।

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एस्ट्रोसेज एआई  “सकट चौथ 2025” का यह विशेष ब्लॉग अपने पाठकों के लिए लेकर आया है जिसके माध्यम से आपको सकट चौथ का व्रत कब किया जाएगा और किस मुहूर्त में पूजा की जाएगी, पूजा की सही विधि सहित कथा आदि के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्राप्त होगी। साथ ही, इस दिन गणेश जी की कृपा पाने के लिए आपको कौन सी चीज़ें अर्पित करनी चाहिए, यह भी हम आपको बताएंगे। तो आइए सबसे पहले जान लेते हैं सकट चौथ व्रत की तिथि और मुहूर्त। 

सकट चौथ 2025 की तिथि एवं पूजा मुहूर्त 

सकट चौथ व्रत को संतान के सुख एवं दीर्घायु की कामना से हर वर्ष माताओं द्वारा किया जाता है जो कि माघ के पवित्र माह में आता है। पंचांग के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ व्रत रखा जाता है। सकट चौथ को तिलकुटा और लंबोदर चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। इस तिथि पर श्री गणेश की पूजा करने के साथ-साथ चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण  किया जाता हैं। 

सकट चौथ व्रत की तिथि: 17 जनवरी 2025, शुक्रवार

सकट चौथ पर चंद्रोदय का समय: रात 09 बजकर 07 मिनट पर 

चतुर्थी तिथि आरंभ: 17 जनवरी 2025 की सुबह 04 बजकर 09 मिनट पर

चतुर्थी तिथि समाप्त: 18 जनवरी 2025 की सुबह 05 बजकर 39 मिनट पर 

चलिए अब आपको रूबरू करवाते हैं सकट चौथ 2025 पर बनने वाले शुभ योग से।

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सकट चौथ पर बन रहा है ये शुभ योग

ज्योतिष में हर दिन कई तरह के शुभ-अशुभ योग बनते हैं, लेकिन जब किसी पर्व के दिन कोई शुभ योग बनता है, तब उस त्योहार का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। ऐसे में, अब सकट चौथ के दिन बेहद शुभ माने जाना वाला सौभाग्य योग बनने जा रहा है। इस योग को विवाह के लिए बेहद शुभ माना जाता है। ऐसा कहता हैं कि सौभाग्य योग में विवाह करने से सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही, यह योग जातक के भाग्य को बढ़ाने का काम करता है। 

सकट चौथ का धार्मिक महत्व 

जैसे कि हम सभी जानते हैं कि हिंदू धर्म में श्री गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है जिसका अर्थ है भक्तों के जीवन से तमाम दुख, दर्द एवं कष्टों को हरने वाला और उन्हें खुशियों एवं सौभाग्य का आशीर्वाद देने वाले से हैं। हालांकि, भगवान गणेश को सनातन धर्म में अनेक व्रत एवं त्योहार समर्पित होते हैं और उनमें से सबसे प्रमुख संकष्टी चतुर्थी का व्रत है जो हर महीने आती है। बात करें संकष्टी के अर्थ की, तो संकष्टी संस्कृत भाषा का शब्द है और इसका अर्थ है मुश्किल समय से मुक्ति पाना। सामान्य शब्दों में कहें तो, संकष्टी चतुर्थी का अर्थ हुआ संकट को हरने वाली चतुर्थी। 

साल भर में आने वाली संकष्टी चतुर्थी में से सकट चौथ को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस व्रत को दुखों के अंत और संतान के सुख की कामना के लिए किए जाने का विधान है। संकष्टी चतुर्थी पर महिलाएं अपनी संतान के लिए सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक उपवास रखती हैं। साथ ही, भगवान गणेशा की विधि-विधान से पूजा करती हैं। इसके अलावा, चंद्र देव की भी पूजा की जाती है। सकट चौथ का व्रत संतान को दीर्घायु का आशीर्वाद देता है और उन्हें जीवन की तमाम समस्याओं से छुटकारा दिलाता है।   

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सकट चौथ व्रत पर इस विधि से करें श्रीगणेश की पूजा 

  • सकट चौथ व्रत के दिन प्रातःकाल उठकर स्नान करें और इसके बाद, व्रत का संकल्प लें। 
  • इस पूजा का आरंभ सर्वप्रथम भगवान गणेश की पूजा के साथ करें। 
  • पूजा के दौरान ध्यान रखें कि जब आप भगवान गणेश की पूजा करें, उस समय आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए। 
  • सकट चौथ 2025 के व्रत की पूजा में आप गुड़, तिल, तांबे के लोटे में पानी, फूल, भोग, चंदन, केला, नारियल और प्रसाद अवश्य शामिल करें। 
  • पूजा स्थान पर श्री गणेश के साथ-साथ मां दुर्गा की प्रतिमा भी रखें क्योंकि ऐसा करना बेहद शुभ होता है। 
  • इसके बाद भगवान को फल, फूल और भोग अर्पित करें। 
  • सकट चौथ के व्रत में फलाहार का सेवन करें और इस दिन नमक का सेवन करने से बचें क्योंकि कुछ लोग भोजन में सेंधा नमक का सेवन कर लेते हैं।
  • संभव हो, तो इस तिथि पर गणेश जी की पूजा चंद्रोदय से पहले कर लें। 
  • इसके बाद, सकट चौथ की कथा पढ़ें, सुने, और अन्य लोगों को भी सुनाएं।
  • पूजा समाप्त होने के बाद सबको प्रसाद दें। 
  • यह व्रत चांद को देखने और उन्हें अर्घ्य देने के बाद ही पूरा होता है।

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सकट चौथ 2025 से जुड़ी परंपराएं

  • सकट चौथ पर श्री गणेश और चंद्र देव की उपासना की जाती है। 
  • महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु और अच्छे जीवन के लिए सकट चौथ 2025 पर निर्जला व्रत करती हैं। 
  • इस दिन तिल का विशेष रूप से उपयोग किया जाता है और तिल के लड्डू बनाए जाते हैं। सकट चौथ 2025 पर तिल के पहाड़ बनाकर उसे काटा जाता है। 
  • देश के कई स्थानों पर सकट चौथ का व्रत तारों को देखकर तोड़ा जाता है। 
  • यह व्रत चांद या तारों को अर्घ्य देने के बाद ही पूर्ण माना जाता है।

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सकट चौथ 2025 पर इन कामों को करने से बचें 

  • सकट चौथ तिथि पर काले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए। सामान्य रूप से हिंदू धर्म में किसी व्रत, त्योहार या शुभ कार्य पर काल रंग के कपड़े पहनने से मना किया जाता है। लेकिन, सकट चौथ के दिन भूल से भी यह रंग न धारण करें। 
  • इस दिन गणेश जी की पूजा के पश्चात चंद्र देव को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन चंद्रमा को जल में चावल और दूध मिलाकर अर्घ्य देना चाहिए और उन्हें अर्घ्य देते समय इस बात का ध्यान रखें कि उसकी छींटे आपके पैरों पर न पड़ें।
  • सकट चौथ के व्रत की पूजा में भूल से भी तुलसी की पत्तियों को शामिल न करें। भगवान गणेश को तुलसी के पत्ते के बजाय दूर्वा घास अर्पित करें। 

सकट चौथ से जुड़ी पौराणिक कथा

सकट चौथ से जुड़ी एक पौराणिक कथा है और इस संबंध में कहा जाता है कि सकट चौथ पर विघ्नहर्ता भगवान गणेश पर आने वाला सबसे बड़ा संकट टला था इसलिए इस व्रत को सकट चौथ के नाम से जाना गया। धर्म ग्रंथों में वर्णित कथा के अनुसार, एक दिन मां पार्वती स्नान करने के लिए जा रही थी और उन्होंने पुत्र गणेश को दरवाज़े पर पहरा देने का आदेश दिया और बोली, ‘जब तक मैं स्नान करके बाहर नहीं आ जाती हूँ, तब तक किसी को भी अंदर आने मत देना।’ ऐसा कहने के बाद माता स्नान के लिए चली गई और भगवान गणेश जी माता की आज्ञा के अनुसार, स्नानघर के बाहर पहरा देने लगे। 

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उसी समय, वहां माता पार्वती से मिलने के लिए भगवान शिव पहुंचे, परंतु गणेश जी ने माता के कथन अनुसार भगवान शिव को अंदर नहीं जाने दिया और दरवाज़े पर ही रोक दिया। इस बात से क्रोधित होकर महादेव ने अपने त्रिशूल से भगवान गणेश की गर्दन को धड़ से अलग कर दिया। जब माँ पार्वती गणेश जी की आवाज़ सुनकर भागती हुई बाहर आईं और अपने पुत्र गणेश की कटी हुई गर्दन देखी, तो वह विलाप करने लगी और शिव जी से अपने बेटे को पुनः जीवित करने का आग्रह किया, तब भगवान शिव ने माता पार्वती के कहने पर गणेश जी के शरीर पर हाथी के बच्चे का सिर लगाकर उन्हें पुनः जीवनदान दिया। उस दिन से सभी महिलाएं अपनी संतान की रक्षा और दीर्घायु के लिए गणेश चतुर्थी का व्रत करने लगी। 

सकट चौथ पर करें ये उपाय, गणेश जी की मिलेगी कृपा 

समस्याओं से छुटकारे के लिए

सकट चौथ के दिन भगवान गणेश के सामने दो सुपारी और दो इलायची रखकर इनकी पूजा करने से गणेश जी की कृपा से सभी बाधाएं दूर होती हैं और कार्य भी सिद्ध होते हैं। 

धन-दौलत में बढ़ोतरी के लिए

इस अवसर पर गणेश जी की पूजा करते समय आप एक लाल रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर श्रीयंत्र और बीच में सुपारी रख दें, फिर बप्पा की पूजा करें। इसके बाद श्रीयंत्र और सुपारी को तिजोरी में रखें। ऐसा करने से आपके धन-दौलत में बढ़ोतरी होगी।

परिवार की खुशहाली के लिए 

सकट चौथ पर चंद्रमा को जल में लाल चंदन, पुष्प, कुश, अक्षत आदि मिलकर अर्घ्य दें। इस उपाय को करने से घर-परिवार में ख़ुशहाली बनी रहती है। 

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. सकट चौथ कब है 2025 में?

वर्ष 2025 में सकट चौथ का व्रत 17 जनवरी 2025 को किया जाएगा।

2. सकट चौथ के व्रत में किसकी पूजा की जाती है?

सकट चौथ का पर्व भगवान गणेश को समर्पित होता है। 

3. 2025 में मकर संक्रांति कब है?

नए साल यानी कि वर्ष 2025 में मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी। 

मंगल का मिथुन राशि में गोचर, इन राशियों पर टूट सकता है दुखों का पहाड़!

मंगल गोचर 2025: एस्ट्रोसेज एआई की हमेशा से यही पहल रही है कि किसी भी महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना की नवीनतम अपडेट हम अपने रीडर्स को समय से पहले दे पाएं और इसी कड़ी में हम आपके लिए लेकर आए हैं मंगल के गोचर से संबंधित यह खास ब्लॉग। मंगल का अर्थ होता है ‘शुभ’ और इस ग्रह को पृथ्‍वी के भूमि पुत्र के रूप में भी जाना जाता है। ज्‍योतिष शास्‍त्र में मंगल को ऊर्जा, कार्य, उत्‍साह और कर्मशक्‍ति का कारक माना गया है।

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इसे ‘योद्धा ग्रह’ के रूप में भी जाना जाता है। हम अपने आप को कैसा दिखाते हैं, किस तरह से पहल करते हैं और अपनी इच्‍छाओं को कैसे पूरा करने का प्रयास करते हैं, यह सब मंगल पर ही निर्भर करता है। मंगल ग्रह का संबंध दृढ़ता, मानसिक रूप से मज़बूत होने, साहस और दृढ़ संकल्‍प से है। ये ग्रह कामुकता, प्रतिस्‍पर्धा और संघर्ष को भी नियंत्रित करता है। हम अपनी इच्‍छाओं को पूरा करने के लिए कैसे काम करते हैं और चुनौतियों का कैसे सामना करते हैं, इसमें मंगल ग्रह अहम भूमिका निभाता है। इसके अलावा यह ग्रह हमारी भावनात्‍मक और शारीरिक ऊर्जा के स्‍तर, साहस और मतभेदों एवं प्रतिस्‍पर्धा के प्रति हमारे दृष्टिकोण का निर्माण करता है।

मंगल का मिथुन राशि में गोचर : समय

मंगल लगभग 40 से 45 दिनों में एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करते हैं। कुछ मामलों में मंगल एक ही राशि में पांच महीने तक भी रह सकते हैं। इस बार मंगल 21 जनवरी, 2025 को सुबह 08 बजकर 04 मिनट पर बुध की राशि मिथुन में गोचर करने जा रहे हैं। इस ब्‍लॉग में आगे बताया गया है कि मंगल के मिथुन राशि में गोचर करने पर राशियों पर इसका क्‍या प्रभाव देखने को मिलेगा।

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मंगल का मिथुन राशि में गोचर : इन राशियों को होगा लाभ

मेष राशि

मंगल मेष राशि के पहले और आठवें भाव के स्‍वामी हैं और अब वह आपके तीसरे भाव में रहेंगे। इस दौरान आपको अप्रत्‍याशित रूप से आर्थिक लाभ होने की उम्‍मीद है लेकिन आपको अपनी सेहत का ख्‍याल रखने की सलाह दी जाती है।

आप अपने प्रयासों की वजह से करियर के क्षेत्र में प्रगति और सुधार कर सकते हैं। मंगल के मिथुन राशि में गोचर करने के दौरान व्‍यवसाय में आपकी अपने सहकर्मियों के साथ असहमति हो सकती है और इसकी वजह से आपकी आमदनी में कमी आने की आशंका है। रोज़मर्रा के खर्चों को पूरा करने के लिए आपको लोन लेने के बारे में सोचना पड़ सकता है और यह स्थिति आपके लिए तनावपूर्ण हो सकती है।

मेष राशिफल 2025

सिंह राशि

मंगल सिंह राशि के चौथे और नौवें भाव के स्‍वामी हैं और अब वह आपके ग्‍यारहवें भाव में गोचर करने जा रहे हैं। इस दौरान आपकी सुख-सुविधाओं में वृद्धि होगी, आपको वित्तीय लाभ होगा और आपकी इच्‍छाओं की भी पूर्ति होगी।

करियर के मामले में आपको नए अवसर मिल सकते हैं और आप अपने काम को लेकर संतुष्ट रहेंगे। इसकी वजह से आपका प्रमोशन हो सकता है। व्‍यापारियों को मुनाफे वाली डील के साथ-साथ नए प्रोजेक्‍ट मिलने की उम्‍मीद है। इस समय व्‍यापारी उच्‍च सफलता हासिल करेंगे। इस गोचर के दौरान आपको पैसों की बचत करने के अधिक अवसर प्राप्‍त होंगे और इससे आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार आ सकता है। आपके और आपके जीवनसाथी के बीच मधुर संबंध रहेंगे और आप दोनों एक-दूसरे के साथ खुश रहेंगे।

सिंह राशिफल 2025

मीन राशि

मीन राशि के तीसरे और दसवें भाव के स्‍वामी मंगल ग्रह हैं और अब वह आपके पांचवे भाव में गोचर करने जा रहे हैं। आपको अपने भाग्‍य का साथ मिलेगा, परिवार में कोई सकारात्‍मक घटना हो सकती है और आपका अध्‍यात्‍म में रुझान बढ़ सकता है।

करियर के क्षेत्र में आप बहुत ज्‍यादा संतुष्‍ट महसूस करेंगे, आपको प्रमोशन मिलने की संभावना है और आपको अपने प्रयासों का अच्‍छा फल प्राप्‍त होगा। व्‍यापारियों को बड़ा मुनाफा होने की उम्‍मीद है और आपके एवं आपके पार्टनर के बीच आपसी तालमेल काफी अच्‍छा रहने वाला है। व्‍यापारियों के लिए सफलता के योग बन रहे हैं।  आपको पैतृक संपत्ति से लाभ होगा और व्‍यापारिक कार्यों में सफलता मिलेगी। आपके और आपके पार्टनर के बीच गहरा प्‍यार रहेगा और आप दोनों का रिश्‍ता मज़बूत होगा एवं आपसी तालमेल भी अच्‍छा रहेगा।

मीन राशिफल 2025

कन्‍या राशि

मंगल ग्रह कन्या राशि के तीसरे और आठवें भाव के स्‍वामी हैं और अब वह आपके दसवें भाव में गोचर करने जा रहे हैं। आपको अपने पेशेवर और आर्थिक जीवन में लाभ होने के संकेत हैं और आपको अपने भाग्‍य का साथ भी मिलेगा।

आप अपनी नौकरी में सफलता हासिल करेंगे और जो काम करेंगे, उसका आनंद लेंगे। व्‍यापारियों को खूब पैसा कमाने का मौका मिलेगा। आपकी वित्तीय स्थिति अच्‍छी रहने वाली है और आपको पैसे बचाने के अधिक अवसर मिलेंगे एवं आप खूब पैसा कमाएंगे। आप अपने पार्टनर के साथ रिश्‍ते में संतुष्ट महसूस करेंगे और आप दोनों का रिश्‍ता मज़बूत होगा। आपकी सेहत भी अच्‍छी रहने वाली है और आपके जोश की वजह से इसमें बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। इससे आप अच्‍छा महसूस करेंगे।

कन्या राशिफल 2025

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मंगल का मिथुन राशि में गोचर: इन राशियों को होगा नुकसान

वृषभ राशि

वृषभ राशि के सातवें और बारहवें भाव के स्‍वामी मंगल अब आपके दूसरे भाव में रहेंगे। इस दौरान आपको अपनी सेहत और बच्‍चों के विकास को लेकर चिंता हो सकती है।

आपके पेशे में आपकी योग्‍यता का पूरी तरह से उपयोग नहीं हो पाएगा और इस वजह से आप नाखुश और तनाव में नज़र आ सकते हैं। व्‍यापार में लापरवाही की वजह से आमदनी के कम होने की आशंका है। इससे बिज़नेस को चलाने में परेशानी हो सकती है। भाग्‍य का साथ ने देने की वजह से आपको वित्तीय नुकसान होने के संकेत हैं और इसकी वजह से आपको आगे चलकर पैसों की तंगी हो सकती है। मंगल के मिथुन राशि में गोचर करने पर आपके और आपके पार्टनर के बीच बातचीत में कमी आ सकती है और इससे आप दोनों के बीच के आपसी तालमेल में गिरावट आ सकती है। इस वजह से आप नाखुश रह सकते हैं।

मिथुन राशि

मंगल आपके छठे और बारहवें भाव के स्‍वामी हैं और अब मंगल आपके पहले भाव में रहेंगे। इस दौरान आपके परिवार में समस्‍याएं उत्‍पन्‍न होने की आशंका है। इसके साथ ही आपका ऐसी जगह पर स्‍थानांतरण हो सकता है, जहां आप नहीं चाहते हैं।

आपको अपने करियर के किसी पड़ाव पर काम के सिलसिले में स्‍थानांतरित होना पड़ सकता है। इस बात से आप नाखुश नज़र आएंगे। व्‍यापारियों को अपने बिज़नेस पार्टनर के साथ कुछ समस्‍याओं का सामना करना पड़ सकता है एवं व्‍यापारी कम पैसा कमाएंगे। वित्तीय स्‍तर पर आपको अपनी लापरवाही और योजना बनाकर न चलने की वजह से बड़े खर्चे देखने पड़ सकते हैं। इसके अलावा अपनी आय को बढ़ाने के महत्‍वपूर्ण अवसर आपके हाथ से छूट सकते हैं। आप अपने जीवनसाथी से नाखुश हो सकते हैं और यह बात आपको परेशान कर सकती है।

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कर्क राशि

कर्क राशि के पांचवे और दसवें भाव के स्‍वामी मंगल ग्रह हैं और अब वह आपके बारहवें भाव में रहेंगे। इस समय आप बेचैन महसूस कर सकते हैं और आपके और आपके पार्टनर के बीच तनाव आने की आशंका है। आप दोनों के बीच बातचीत भी कम हो सकती है।

करियर के क्षेत्र में आपको काम की वजह से अधिक तनाव हो सकता है और आपमें से कुछ लोगों को प्रतिकूल स्‍थान पर जाना पड़ सकता है। अगर कॉर्पोरेट जगत में आप अपने विचारों पर काम करने में देरी करते हैं, तो इसकी वजह से आपकी चिंताएं बढ़ सकती हैं। मंगल के मिथुन राशि में गोचर करने पर आपकी आर्थिक स्थिति में बदलाव और खर्चों में वृद्धि देखने को मिल सकती है। इसकी वजह से आप चिंतित रह सकते हैं। आपके और आपके पार्टनर के बीच गलतफहमी हो सकती है और यह आपके लिए चिंता का विषय बन सकता है।

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मकर राशि

मंगल मकर राशि के चौथे और ग्‍यारहवें भाव के स्‍वामी हैं और मिथुन राशि में गोचर करने के दौरान वह आपके छठे भाव में रहेंगे। इस वजह से आपको अपने कार्यक्षेत्र, निजी जीवन और आर्थिक क्षेत्र में समस्‍याएं होने की आशंका है।

आपको काम की वजह से अधिक तनाव हो सकता है। इसके साथ ही नौकरी में आपके प्रयासों की सराहना भी कम हो सकती है। व्‍यापारियों को अपने भाग्‍य का साथ नहीं मिल पाएगा। इसके अलावा आपको औसत मुनाफे से ही खुद को संतुष्‍ट करना पड़ेगा एवं आपके अपने पार्टनर के साथ भी मतभेद हो सकते हैं। मांग बढ़ने से लागत बढ़ेगी और इसकी वजह से आपके ऊपर आर्थिक बोझ बढ़ सकता है। आपके और आपके जीवनसाथी के बीच आपसी समझ कम होने के कारण आप दोनों एक-दूसरे के साथ कम समय बिताएंगे।

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मंगल के मिथुन राशि में गोचर करने पर करें ये उपाय

  • आप नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • मंगलवार के दिन व्रत रखें।
  • बच्‍चों को बेसन के लड्डू या बूंदी खिलाएं।
  • आप बजरंग बाण का पाठ करें।
  • अपने घर और ऑफिस में मंगल यंत्र की स्‍थापना कर उसकी पूजा करें।

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अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

उत्तर. मंगल स्‍वराशि मेष या वृश्चिक के अलावा अपनी उच्‍च राशि मकर में सहज होते हैं।

प्रश्‍न 1. मंगल ग्रह किस राशि में सहज होते हैं?

प्रश्‍न 2. क्‍या मंगल मिथुन राशि में सहज होते हैं?

उत्तर. नहीं, मिथुन मंगल की शत्रु राशि है।

प्रश्‍न 3. क्‍या मंगल और बुध एक-दूसरे के शत्रु हैं?

उत्तर. बुध मंगल के प्रति तटस्‍थ है लेकिन मंगल बुध को अपना शत्रु मानता है।

स्वास्थ्य राशिफल 2025 से जानें, वर्ष 2025 में कैसा रहेगा आपकी सेहत का हाल?

प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में अनेक सपने देखता है और इन सपनों को वह तब ही हकीकत में बदल सकता है जब आपकी सेहत आपका साथ दे। सरल शब्दों में कहें तो, अगर आप स्वस्थ हैं और एक स्वस्थ जीवन जी रहे हैं, तब आप अपनी सभी इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं। साथ ही, सभी लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं। इसी क्रम में, जैसे-जैसे नए साल आने लगता है, वैसे-वैसे नए साल को लेकर हमारे मन में सवाल और उत्सुकता दोनों ही बढ़ने लगती है। नए साल में कैसा रहेगा स्वास्थ्य? रोग करेंगे परेशान या स्वस्थ जीवन का मिलेगा आशीर्वाद? कब रहना होगा सावधान? तो आपको इन सभी सवालों के जवाब मिलेंगे एस्ट्रोसेज एआई के इस विशेष लेख में। यह ब्लॉग स्वास्थ्य से जुड़ी हर तरह की दुविधा को दूर करेगा। तो आइए बिना देर किये आगे बढ़ते हैं और शुरू करते हैं यह ब्लॉग। 

यह भी पढ़ें: राशिफल 2025

भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके 

एस्ट्रोसेज एआई के अनुभवी एवं विद्वान ज्योतिषियों द्वारा स्वास्थ्य राशिफल 2025 को ग्रह-नक्षत्रों की चाल एवं स्थिति का गहन विश्लेषण करने के बाद तैयार किया गया है। इसके माध्यम से आप अपनी राशि के आधार पर जान सकते हैं कि वर्ष 2025 में आपके स्वास्थ्य का हाल कैसा रहेगा। साथ ही, आपको यह भी बताएंगे कि राशि चक्र की किन राशियों को नए साल में सेहत के प्रति बेहद सावधान रहना होगा। तो आइए बिना देर किये शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की और जानते हैं वर्ष 2025 में आपके स्वास्थ्य के बारे में। 

स्वास्थ्य राशिफल कैसे करेगा आपकी सहायता?

अक्सर ऐसा देखा जाता है लोग अपनी भागदौड़ भरी और व्यस्त ज़िन्दगी की वजह से अपने स्वास्थ्य को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। जीवन की व्यस्तता में इंसान अपनी हर-छोटी बड़ी बात का ध्यान रखता है, लेकिन अपना ध्यान रखना भूल जाता है जो व्यक्ति की सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। हालांकि, पिछले कुछ समय से लोगों में अपनी फिटनेस को लेकर जागरूकता देखने को मिल रही है जिसे हम सकारात्मक कहेंगे। 

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा

एस्ट्रोसेज का स्वास्थ्य राशिफल 2025 पढ़कर आप उन रोगों के प्रति सावधान रह सकते हैं जो नए साल अर्थात वर्ष 2025 में आपको अपना शिकार बना सकते हैं। साथ ही, यह राशिफल आपको उस समय के बारे में बताता है जब आपकी फिटनेस अच्छी रहेगी और उस समय से भी अवगत करवाता है जब आपको वाहन चलाते समय या सड़क पर चलते समय सावधान रहना होगा ताकि आप किसी भी तरह की दुर्घटना से बच सकें इसलिए आपको स्वास्थ्य राशिफल अवश्य पढ़ने की सलाह दी जाती है।    

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नवग्रह कैसे करते हैं स्वास्थ्य को प्रभावित? 

ज्योतिष में मनुष्य के शरीर और स्वास्थ्य से ग्रहों का गहरा संबंध माना गया है जो भिन्न-भिन्न तरीकों से स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। चलिए नज़र डालते हैं नवग्रहों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव पर। 

सूर्य ग्रह: ग्रहों के राजा सूर्य के कुंडली में बलवान होने पर स्वस्थ शरीर का आशीर्वाद मिलता है जबकि इनकी कमज़ोर स्थिति हृदय, नेत्र, चर्म, पित्त आदि से जुड़े रोगों का कारण बनती है। 

चंद्रमा: मन के कारक चंद्रमा के कमज़ोर होने पर जातक कफ, मूत्र, नासिका और मानसिक रोगों आदि का शिकार हो जाता है।

मंगल ग्रह: मंगल देव के अशुभ होने पर व्यक्ति के कान, शारीरिक शक्ति, साहस, धैर्य एवं पित्त आदि पर प्रभाव पड़ता है। इनकी शुभ स्थिति से जातक के शरीर की हड्डियां मज़बूत होती हैं।  

बुध ग्रह: बुध महाराज की दुर्बलता के कारण व्यक्ति की वाणी, जिह्वा, केश, मुंह और हाथ आदि से जुड़ी समस्याएं जन्म लेती हैं। 

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बृहस्पति ग्रह: गुरु देव की अशुभ स्थिति से व्यक्ति को मोटापे, उदर, रक्त, धमनी, और कफ आदि से संबंधित रोग परेशान कर सकते हैं। 

शुक्र ग्रह: कुंडली में शुक्र देव के अशुभ या दुर्बल होने पर जातक को नेत्र, स्वर, गर्भाशय और जननेंद्रिय आदि से जुड़ी समस्याएं बनी रहती हैं। 

शनि ग्रह: अगर कुंडली में शनि महाराज कमज़ोर होते हैं, तो व्यक्ति को हड्डियों के जोड़, पैर और घुटने की परेशानी रह सकती हैं। 

राहु: कुंडली में राहु की अशुभता जातक के रक्त, त्वचा, वात और  मस्तिष्क आदि को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। 

केतु: जिन लोगों की कुंडली में केतु अशुभ स्थिति में होता है, उन्हें चर्म, रक्त और वात से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।  

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स्वास्थ्य राशिफल 2025: सभी 12 राशियों के लिए स्वास्थ्य राशिफल 

मेष राशि

मेष राशि के जातकों की बात करें तो साल की शुरुआत से लेकर मार्च तक शनि ग्रह आपके लाभ भाव….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

वृषभ राशि 

राशि चक्र की दूसरी राशि की बात करें तो मार्च के बाद शनि का गोचर आपके लाभ भाव में….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

मिथुन राशि 

राशि चक्र की तीसरी राशि मिथुन की बात करें तो इस साल बृहस्पति का गोचर स्वास्थ्य….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

कर्क राशि 

राशि चक्र की चौथी राशि की बात करें तो साल की शुरुआत से लेकर मार्च के महीने तक इस अवधि….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

सिंह राशि 

अब बात करें राशि चक्र की पांचवी राशि की तो इस वर्ष आपको अपने स्वास्थ्य के प्रति….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

कन्या राशि 

बात करें राशि चक्र की छठी राशि कन्या राशि की तो स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से यह साल थोड़ा कमजोर….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

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तुला राशि 

बात करें तुला राशि की तो जनवरी से लेकर मई के मध्य तक बृहस्पति का गोचर अष्टम….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के जातकों की बात करें तो मार्च के महीने तक शनि का गोचर आपके स्वास्थ्य….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

धनु राशि 

धनु राशि के जातकों की बात करें तो साल की शुरुआत से मार्च तक का समय स्वास्थ्य के लिए अनुकूल….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

मकर राशि 

मकर राशि के जातकों के स्वास्थ्य की बात करें तो वर्ष 2025 में आपको अच्छे परिणाम प्राप्त….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

कुंभ राशि 

अब बात करें कुंभ राशि के जातकों के स्वास्थ्य की तो स्वास्थ्य राशिफल 2025 के अनुसार जनवरी….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

मीन राशि

अंत में बात करें मीन राशि के जातकों के स्वास्थ्य की 2025 स्वास्थ्य राशिफल के अनुसार यह साल सेहत….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

बुद्धि और वाणी का कारक कौन सा ग्रह है?

ज्योतिष में ग्रहों के राजकुमार को बुद्धि और संचार कौशल के कारक ग्रह माना जाता है।

तुला राशि वालों का स्वास्थ्य 2025 में कैसा रहेगा?  

स्वास्थ्य राशिफल 2025 के अनुसार, वर्ष 2025 में तुला राशि वाले अपने स्वास्थ्य के प्रति सावधानी बरतकर सेहत का आनंद ले सकेंगे। 

सूर्य मानव शरीर में किसके कारक हैं? 

ग्रहों के राजा सूर्य मानव शरीर में आयु, सिर, हृदय, रख, प्राण और पित्त को नियंत्रित करते हैं। 

 

बुध धनु राशि में अस्‍त : देश-दुनिया समेत राशियों पर क्‍या पड़ेगा प्रभाव!

वैदिक ज्‍योतिष में बुध ग्रह बुद्धि, तार्किक क्षमता, समझने की शक्‍ति, अपने विचारों को व्‍यक्‍त करने की क्षमता और संचार कौशल को दर्शाते हैं। बुध को एक तटस्‍थ या स्थिर ग्रह के रूप में देखा जाता है। बुध बुद्धि, वाणी, व्‍यापार और यात्रा के कारक हैं। इसके अलावा इस ग्रह को नवग्रहों में राजकुमार की उपाधि दी गई है और इसे किशोर माना जाता है। इस वजह से जिन लोगों पर बुध का प्रभाव होता है, वे अक्‍सर अपनी उम्र से अधिक युवा दिखाई देते हैं।

इसके अलावा ज्‍योतिषियों के अनुसार बुध या तो सूर्य के समान भाव में रहता है या डिग्री में इसके नज़दीक रहता है। चंद्र राशि के आधार पर, इस ब्‍लॉग में बताया गया है कि 18 जनवरी, 2025 को बुध के धनु राशि में अस्‍त होने का लोगों के व्‍यापार, करियर, शिक्षा, प्रेम जीवन और पारिवारिक जीवन आदि पर क्‍या प्रभाव पड़ेगा। साथ ही जानेंगे बुध के सकारात्‍मक प्रभाव को बढ़ाने वाले ज्‍योतिषीय उपायों के बारे में।

बुध के धनु राशि में अस्‍त होने के दौरान कुल सात राशियों के जातकों को सावधान रहने की ज़रूरत है। आगे इन राशियों के बारे में विस्‍तार से बताया गया है लेकिन उससे पहले यह जान लीजिए कि बुध 18 जनवरी को किस समय पर धनु राशि में अस्‍त हो रहे हैं।

बुध धनु राशि में अस्‍त: समय

बुध बहुत कम समय के लिए किसी एक राशि में गोचर करते हैं और वह लगभग 23 दिनों के अंदर ही राशि परिवर्तन कर लेते हैं। अब 18 जनवरी, 2025 को सुबह 06 बजकर 54 मिनट पर बुध ग्रह धनु राशि में अस्‍त होने जा रहे हैं। तो चलिए अब जानते हैं कि बुध के धनु राशि में अस्‍त होने का राशियों और देश-दुनिया पर क्‍या प्रभाव देखने को मिलेगा।

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बुध धनु राशि में अस्‍त: विशेषताएं

बुध ग्रह के धनु राशि में अस्‍त होने का मतलब है कि वह सूर्य से बहुत नज़दीक यानी 8 से 10 डिग्री के अंदर हैं। सूर्य ग्रह का बुध पर शक्‍तिशाली प्रभाव पड़ने की वजह से बुध की ऊर्जा कमज़ोर या क्षीण हो जाती है। ज्योतिष में ग्रह की अस्त अवस्था वह प्रक्रिया है जब कोई ग्रह अपनी सारी शक्तियों को खो बैठता हैं। साथ ही, ग्रह कमजोर और शक्तिहीन हो जाते हैं।

धनु राशि विस्‍तार और साहसिक ऊर्जा का प्रतीक है जबकि बुध ग्रह संचार कौशल और बौद्धिक क्षमता के कारक हैं। धनु राशि में बुध के अस्‍त होने पर इन गुणों का मेल होता है। जब सूर्य का प्रभाव बुध पर हावी हो जाता है, तब कभी-कभी इन गुणों में टकराव देखा जा सकता है या इन्‍हें नियंत्रित करना मुश्किल हो सकता है। इस स्थिति में व्‍यक्‍ति के पास ऊंचे विचार और ज्ञान पाने की ललक होती है लेकिन उसे स्‍पष्‍टता, फोकस और खुद को प्रभावी रूप से व्‍यक्‍त करने के मामले में संघर्ष करना पड़ सकता है। धैर्य विकसित कर के और अपने संचार कौशल में निखार लाकर इन चुनौतियों को पार किया जा सकता है।

बुध के धनु राशि में अस्‍त होने की निम्‍नलिखित विशेषताएं हैं:

बौद्धिक स्‍तर पर संघर्ष और स्‍पष्‍टता

  • बुध ग्रह बुद्धि, संचार और सीखने का कारक हैं जबकि धनु राशि का संबंध उच्‍च ज्ञान, दर्शनशास्‍त्र और व्‍यापक सोच से है। हालांकि, धनु राशि में बुध के अस्‍त होने पर दार्शनिक या जटिल विचारों को समझने या स्‍पष्‍ट रूप से व्‍यक्‍त करने में कमी हो सकती है। व्‍यक्‍ति को अपने ऊंचे विचारों को स्‍पष्‍ट रूप से व्‍यक्‍त करने में दिक्‍कत हो सकती है।
  • ज्‍यादा सोचना या सरल बना देना: इस स्थिति में व्‍यक्‍ति की विचारों को अधिक जटिल बनाने की प्रवृत्ति हो सकती है या फिर वह महत्‍वपूर्ण मामलों को बहुत ज्‍यादा सरल बना सकता है जिससे छोटी-छोटी बारीकियों के छूटने का डर रहता है।

आवेग में आकर बात करना

  • धनु अग्नि तत्‍व की राशि है और इसे सीधी बात करने और आवेगशीलता के लिए जाना जाता है। बुध के इस राशि में अस्‍त होने पर व्‍यक्‍ति बेबाक और सहज होकर बात करता है या लापरवाह तरीके से बात कर सकता है। ये परिणाम के बारे में सोचे बिना बात कर सकते हैं जिसकी वजह से कभी-कभी गलतफहमियां या मतभेद होने का डर रहता है।
  • आशावादी लेकिन अस्थिर: इनकी बातें आशावादी और उत्‍साहित हो सकती हैं लेकिन इनके विचारों में अनुरूपता की कमी देखी जा सकती है।

ध्‍यान लगाने में दिक्‍कत

  • धनु राशि के जातकों की रोमांच और खोज करने की इच्‍छा की वजह से अक्‍सर इनका स्‍वभाव अस्‍त-व्‍यस्‍त और विचलित होता है। बुध के अस्‍त होने पर इस ऊर्जा के कारण किसी काम पर फोकस बनाए रखने में दिक्‍कतें आ सकती हैं।
  • सीखने को लेकर अधीरता: इनकी किसी एक काम को पूरा किए बिना या उसमें महारत हासिल किए बिना दूसरे विचार या विषय पर चले जाने की प्रवृत्ति हो सकती है।

अधिकार या पारंपरिक ज्ञान को लेकर संघर्ष

  • धनु राशि आत्‍मनिर्भरता और प्रतिबंधों से मुक्‍ति पाने की इच्‍छा का प्रतीक है। इस राशि में बुध के अस्‍त होने पर व्‍यक्‍ति को संचार के पारंपरिक रूपों या ज्ञान के स्‍थापित नियमों का सम्‍मान करने में दिक्‍कत हो सकती है। ये पारंप‍रिक ज्ञान को पूरी तरह से समझे बिना उस पर सवाल उठा सकते हैं या उसे अस्‍वीकार कर सकते हैं।
  • संरचित शिक्षा से संबंधित चुनौतियां: इस स्थिति में जातक को औपचारिक शिक्षा या संरचित माहौल प्रतिबंधित करने वाला लग सकता है और उन्‍हें शिक्षा के पारंपरिक माहौल में संघर्ष करना पड़ सकता है।

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बुध धनु राशि में अस्‍त: विश्‍व पर प्रभाव

सरकारी और अंतर्राष्‍ट्रीय संबंध

  • भारत और अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर लाभ की औसत संभावनाएं नज़र आ रही हैं।
  • बुध के अस्‍त होने पर भारत समेत विश्‍व की अन्‍य महाशक्‍तियों को धन की हानि होने की आशंका है।
  • पड़ोसी देशों के संबंध और बातचीत में कमी आ सकती है और इसकी वजह से कई अवसर छूट सकते हैं।
  • विश्‍व स्‍तर पर बुध के अस्‍त होने का कनाडा और यूके जैसे देशों के व्‍यापार पर नकारात्‍मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • इस दौरान प्रमुख देशों के बीच कोई निर्णय लेना प्रतिकूल साबित हो सकता है और इसके परिणामस्‍वरूप प्रमुख देशों के संबंध खराब या टूट सकते हैं।

व्‍यापार, सूचना प्रौद्योगिकी और मीडिया

  • सॉफ्टवेयर, दूरसंचार और नेटवर्किंग जैसे क्षेत्रों में मंदी आ सकती है और इस वजह से इन क्षेत्रों में समस्‍याएं और नुकसान देखने को मिल सकता है।
  • बुध के अस्‍त होने पर नेटवर्किंग, परिवहन और सॉफ्टवेयर क्षेत्रों में भी समस्‍याओं के आने की आशंका है।
  • इस समय व्यापार में मंदी या घाटा होने के संकेत हैं।

गूढ़ विज्ञान और अध्‍यात्‍म

  • इस दौरान गूढ़ विज्ञान आदि क्षेत्र खूब फल-फूलेंगे।
  • चूंकि, बुध बृहस्‍पति की राशि धनु में अस्‍त होने जा रहे हैं इसलिए इस समय ज्‍योतिषी, आकाशिक रीडर, टैरो रीडर को आलोचनाओं का सामना करना पड़ सकता है।

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बुध धनु राशि में अस्‍त: स्‍टॉक मार्केट पर असर

  • शेयर मार्केट रिपोर्ट के अनुसार मीडिया और प्रसारण, दूरसंचार और अस्‍पताल प्रबंधन के क्षेत्र अच्‍छा प्रदर्शन करेंगे।
  • बुध के धनु राशि में अस्‍त होने पर ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन के उद्योगों के कारोबार में गिरावट देखने को मिल सकती है।
  • इस समय संस्‍थानों, आयात और निर्यात सभी क्षेत्र समृद्ध होंगे।
  • फार्मास्‍यूटिकल और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों के मज़बूत प्रदर्शन करने के संकेत हैं।
  • रिसर्च एंड डेवलपमेंट के क्षेत्र भी प्रगति देखने को मिलेगी।

बुध धनु राशि में अस्‍त: इन राशियों को होगा नुकसान

मेष राशि

मेष राशि के तीसरे और छठे भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं और अब धनु राशि में अस्‍त होने के दौरान वे आपके नौवें भाव में रहेंगे। इस दौरान मेष राशि के जातकों को अपने पिता और सलाहकार का मार्गदर्शन मिलेगा।

आप अपने एडवांस कोर्स को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे लेकिन बुध के अस्‍त होने के दौरान आपको इसमें सफलता मिल पाने की संभावना कम ही है। लंबी दूरी की यात्रा या तीर्थयात्राओं में बाधाएं आने की आशंका है। आप अपने अच्‍छे कर्मों को बढ़ाने का प्रयास करेंगे और इसके साथ ही आपका रुझान आध्‍यात्मिक मार्ग की ओर भी बढ़ेगा लेकिन हो सकता है कि आप इस समयावधि में आध्‍यात्मिक मार्ग पर चलने में सक्षम न हों। बुध की आपके तीसरे घर पर पड़ रही दृष्टि की वजह से आपकी अपने छोटे भाई-बहनों के साथ बहस हो सकती है।

मेष राशिफल 2025

मिथुन राशि

मिथुन राशि के पहले और चौथे भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं और अब वह आपके सातवें भाव में अस्‍त होने जा रहे हैं। बुध के चौथे भाव के स्‍वामी होने के कारण विवाहित जातकों को अपने जीवनसाथी के साथ रिश्‍ते में कुछ समस्‍याओं का सामना करना पड़ सकता है। आप और आपका पार्टनर घर में शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखने में असमर्थ हो सकते हैं।

यदि आप वाहन या प्रॉपर्टी खरीदना चाहते हैं, तो इसके लिए यह सही समय नहीं है। चूंकि, बुध ग्रह व्‍यापार के कारक हैं इसलिए बुध के धनु राशि में अस्‍त होने के दौरान आपको किसी नई बिज़नेस डील पर भी हस्‍ताक्षर करने से बचना चाहिए। यह आपकी नई कंपनी के लिए भी अच्‍छा रहेगा।

 मिथुन राशिफल 2025 

सिंह राशि

सिंह राशि के जातकों के लिए बुध दूसरे और ग्‍यारहवें भाव के स्‍वामी हैं और अब वह आपके पांचवे भाव में अस्‍त होने जा रहे हैं। आपको अपनी या अपनी संतान की शिक्षा और विकास को लेकर धन निवेश करने की ज़रूरत हो सकती है। पांचवां भाव सट्टेबाज़ी और स्‍टॉक मार्केट को भी दर्शाता है। बुध के अस्‍त होने के दौरान आपको बड़े निवेशों पर धन हानि होने की आशंका है इसलिए आप निवेश करते समय सावधानी बरतें।

चूंकि, बुध बुद्धि के कारक हैं इसलिए छात्रों को इस समयावधि में ध्‍यान लगाकर पढ़ाई करने में दिक्‍कत आ सकती है। धनु राशि में बुध के अस्‍त होने से खासतौर पर बुध से संबंधित पाठ्यक्रमों जैसे कि लेखन, गणित, मास कम्‍युनिकेशन और अन्‍य किसी भाषा की पढ़ाई कर रहे छात्रों की सीखने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। आपको कोर्स को पूरा या शुरू करने में अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है।

सिंह राशिफल 2025

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बुध धनु राशि में अस्‍त: इन राशियों को होगा लाभ

वृषभ राशि

वृषभ राशि के दूसरे और पांचवे भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं और अब वह आपके आठवें भाव में अस्‍त होने जा रहे हैं। वृषभ राशि के जातकों के लिए यह समय अनुकूल नहीं रहने वाला है। कुंडली के अष्‍टम भाव का संबंध अचानक होने वाली घटनाओं और बदलावों से होता है।

मुमकिन है कि अचानक से आपकी नौकरी छूट जाए या जिस प्रमोशन की आप उम्‍मीद कर रहे थे, वो आपको न मिल पाए। इसके अलावा आपको पैसे मिलने में देरी हो सकती है या आपको अचानक से वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

वृषभ राशिफल 2025

कर्क रा‍शि

कर्क राशि के छठे भाव में बुध अस्‍त होने जा रहे हैं एवं इस राशि के तीसरे और बारहवें भाव के स्‍वामी बुध ग्रह हैं। बारहवें भाव के स्‍वामी के छठे भाव में होने पर आपको कानूनी मसलों और बिल आदि को लेकर समस्‍याएं, देरी या निराशा होने की आशंका है। इस प्रकार यह समय आपके लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

अगर आपने कर्ज़ लिया हुआ है, तो इस समय इसे न चुका पाने की वजह से आप परेशानी में पड़ सकते हैं। आपके खर्चों में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। इस वजह से आप उलझन में पड़ सकते हैं और आपको यह समझ नहीं आ पाएगा कि आपको क्‍या करना चाहिए।

कर्क राशिफल 2025

बुध के धनु राशि में गोचर करने पर करें ये उपाय

  • बुध ग्रह की पूजा करने का सबसे बेहतरीन तरीका है भगवान बुध के ‘ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:’ मंत्र का जाप करना।
  • बुध को शांत करने के लिए आप तोते, कबूतर और अन्‍य पक्षियों को दाना दे सकते हैं।
  • बुध के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए नियमित रूप से खुद भोजन करने से पहले गाय को चारा खिलाएं।
  • हरी सब्जियां जैसे कि पालक और अन्‍य पत्तेदार सब्जियां खासतौर पर गरीब बच्‍चों को खिलाएं या उन्‍हें दान में दें।
  • भीगी हुई हरी मूंग की दाल पक्षियों को खिलाने से भी कुंडली में बुध की स्थिति मज़बूत होती है।

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

प्रश्‍न 1. ग्रह के अस्‍त होने का क्‍या मतलब है?

उत्तर. जब कोई ग्रह सूर्य से कुछ अंश की दूरी पर आ जाता है, तब उसे अस्‍त माना जाता है।

प्रश्‍न 2. क्‍या बुध अक्‍सर अस्‍त होता रहता है?

उत्तर. हां, सूर्य के नज़दीक होने के कारण बुध अस्‍त होता रहता है।

प्रश्‍न 3. क्‍या धनु राशि में बुध सहज होता है?

उत्तर. हां, ज्‍यादातर समय बुध धनु राशि में सहज होता है।

शनि देव की राशि में आएंगे सूर्य, इन राशियों को होगा लाभ और इन्हें रहना होगा सावधान!

सूर्य का मकर राशि में गोचर: सूर्य देव को ज्योतिष में नवग्रहों के जनक का दर्जा प्राप्त है क्योंकि यह पूरी दुनिया में ऊर्जा का एकमात्र स्रोत है। सनातन धर्म में सूर्य देव ऐसे देवता हैं जो अपने भक्तों को साक्षात दर्शन देते हैं। आत्मा के कारक सूर्य ग्रह का राशि परिवर्तन हर महीने होता हैं इसलिए सूर्य गोचर को महत्वपूर्ण माना जाता है। अब नए साल अर्थात वर्ष 2025 में सूर्य का मकर राशि में गोचर होने जा रहा है। सूर्य देव का यह गोचर देश-दुनिया सहित सभी 12 राशियों को प्रभावित करेगा। एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम सूर्य गोचर का समय व इसके प्रभावों के बारे में विस्तार से बात करेंगे। साथ ही, सूर्य का मकर राशि में गोचर से मिलने वाले नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए सरल उपायों भी बताएंगे, इसलिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ना जारी रखें। 

यह भी पढ़ें: राशिफल 2025

भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके 

ऐसे में, अगर आपके मन में सवाल उठ रहे हैं कि सूर्य का मकर राशि में गोचर किन राशियों के लिए शुभ और किन राशियों के लिए अशुभ रहेगा? करियर, प्रेम, विवाह और व्यापार आदि क्षेत्रों में आपको कैसे परिणाम मिलेंगे? इन सभी सवालों के जवाब मिलेंगे आपको हमारे इस विशेष ब्लॉग में। तो चलिए बिना देर किये शुरुआत करते हैं और सबसे पहले जानते हैं सूर्य गोचर का समय और तिथि। 

सूर्य का मकर राशि में गोचर: तिथि व समय

ज्योतिष में सूर्य और शनि दोनों को विशेष स्थान प्राप्त है जहाँ सूर्य देव ग्रहों के राजा हैं, तो वहीं शनि देव न्याय के देवता है। सबसे महत्वपूर्ण बात भगवान शनि के पिता सूर्य देव हैं और ऐसे में, अगले एक महीने पिता सूर्य अपने पुत्र की राशि मकर में रहेंगे। बता दें कि सूर्य ग्रह 14 जनवरी 2025 की सुबह 08 बजकर 41 मिनट पर मकर राशि में गोचर कर जाएंगे। इनके मकर में प्रवेश के साथ ही शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे। सूर्य के इस गोचर का सभी राशियों पर अलग-अलग असर देखने को मिलेगा। चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और नज़र डालते हैं सूर्य के महत्व पर। 

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा

ज्योतिष की दृष्टि से सूर्य 

वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह को आत्मा, पिता और सरकार का कारक माना गया है। यह आपके बाहरी स्वरूप का प्रतिनिधित्व करते हैं। सामान्य शब्दों में कहें तो, दुनिया के सामने आप खुद को कैसे प्रस्तुत करते हैं और आपका व्यवहार दूसरों से कैसे आपको अलग बनाता है। राशि चक्र में सूर्य को सिंह राशि पर स्वामित्व प्राप्त हैं और यह कभी अस्त, मार्गी या वक्री नहीं होते हैं। इन्हें एक राशि से दूसरी राशि में जाने में एक महीने का समय लगता है और इस प्रकार, सूर्य देव राशि चक्र का अपना एक चक्र एक साल में पूरा करते हैं। सूर्य ग्रह पुरुषों की कुंडली में पिता और महिलाओं की कुंडली में पति और बालक का प्रतिनिधित्व करते हैं।    

कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर

कुंडली में सूर्य की स्थिति का प्रभाव 

जिन लोगों की कुंडली में सूर्य ग्रह की स्थिति मजबूत होती है, उनका भाग्य उदय होता है। ऐसे लोग जीवन में मान-सम्मान प्राप्त करते हैं। साथ ही, इन लोगों को राजनीति और बिजनेस के क्षेत्र में अपार सफलता मिलती है और यह ऊंचे पद हासिल करने में सक्षम होते हैं। इसके विपरीत, यदि कुंडली में सूर्य की दशा प्रतिकूल होती है, तो व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष निर्मित होता है। 

कमज़ोर सूर्य के लक्षण 

  • कमज़ोर सूर्य के कारण जातक कानूनी मामलों में फंस सकता है।
  • कुंडली में सूर्य के दुर्बल होने पर व्यक्ति को पिता और गुरु का साथ मिलने में समस्याएं आती हैं। 
  • अगर सूर्य देव लग्न भाव में बैठे होते हैं, तो व्यक्ति को स्वास्थ्य समस्याएं परेशान करती हैं। 
  • आपको जीवन में अहंकार की वजह से परेशानी का सामना करना पड़ता है।
  • सूर्य के कमज़ोर होने पर व्यक्ति को गठिया रोग और हड्डियों से जुड़ी समस्याएं रहती हैं। 

सूर्य गोचर के दौरान करें ये उपाय 

  •  रविवार के दिन स्नान करने के पश्चात लाल रंग के वस्त्र धारण करें और सूर्य देव को लाल फूल, लाल चंदन और अक्षत मिलाकर जल चढ़ाएं।
  • सूर्य ग्रह के लिए “ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:” मंत्र का जाप करें।
  • संभव हो, तो रविवार के दिन नमक का सेवन न करें। साथ ही, खाने में सिर्फ दलिया, दूध, चीनी, दही और गेहूं की रोटी का सेवन करें।
  • सूर्य ग्रह के लिए रविवार को व्रत रखें।
  • सूर्य देव को मजबूत करने के लिए लाल या पीले रंग के वस्त्र, तांबा, गेहूं, माणिक्य, मसूर दाल और लाल कमल का दान करें।।

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कुंडली के 12 भावों में सूर्य का प्रभाव 

प्रथम/लग्न भाव: लग्न भाव में सूर्य के होने से जातकों का स्वभाव स्पष्ट होता है और वह अपने छोटे भाई-बहनों के लिए भाग्यशाली होते हैं। 

दूसरा भाव: कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य की मौजूदगी आपको धनवान बनाती है, लेकिन इसके लिए आपको ईश्वर में विश्वास करने वाला होना चाहिए।

तीसरा भाव: सूर्य के तीसरे भाव में बैठे होने से व्यक्ति आकर्षक और साहसी होता है। ऐसे में, आप मुश्किल काम को आसानी से कर लेते हैं। 

चौथे भाव: जिन जातकों की कुंडली में सूर्य देव चौथे भाव में होते हैं, वह आर्थिक रूप से संपन्न होता है और बचत करना पसंद करता है। 

पांचवें भाव: पांचवें भाव में बैठे सूर्य आपको बुद्धिमान बनाने के साथ-साथ क्रोधी स्वभाव का बना सकते हैं। 

छठे भाव:कुंडली के छठे भाव में उपस्थित सूर्य देव की वजह से आपका स्वभाव कठोर होता है और आप अपने शत्रुओं को परास्त करने में सक्षम होते हैं। 

सातवें भाव: ऐसे जातक जिनकी कुंडली में सातवें भाव में सूर्य विराजमान होते हैं, वह बहुत स्वाभिमानी होते हैं जिसके चलते लोग उन्हें अक्सर घमंडी समझ लेते हैं।

आठवें भाव: सूर्य आठवें भाव में आपको अच्छे परिणाम देने के साथ-साथ आपकी समस्याएं भी बढ़ा सकते हैं। साथ ही, ऐसे जातक आर्थिक रूप से मजबूत होते हैं। 

नौवें भाव: नौवें भाव में बैठे सूर्य आपसे लंबी यात्राएं करवा सकते हैं। इनका स्वभाव परोपकारी होता है और यह परिवार से बेहद प्रेम करने वाले होते हैं। 

दसवें भाव: कुंडली के दसवें भाव में मौजूद सूर्य के प्रभाव से जातक बुद्धिमान, प्रसिद्ध और विद्वान बनता है। साथ ही, आप आत्मविश्वास से भरे अमीर इंसान होते हैं। 

ग्यारहवें भाव: ग्यारहवें भाव में उपस्थित सूर्य आपको धनवान और मज़बूत बनाने के साथ-साथ सुखी जीवन भी प्रदान करते हैं। 

बारहवें भाव: जिन लोगों के बारहवें भाव में सूर्य स्थित होते हैं, उन्हें सूर्य ग्रह कमज़ोर परिणाम दे सकते हैं। साथ ही, यह जातक रसायन या मनोविज्ञान के क्षेत्र में करियर बनाते हैं। 

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सूर्य का मकर राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय 

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कन्या राशि के जातकों की कुंडली में सूर्य महाराज आपके बारहवें भाव के स्वामी हैं और अब…(विस्तार से पढ़ें)

तुला राशि

तुला राशि वालों के लिए सूर्य महाराज आपके ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं और अब यह आपके चौथे… (विस्तार से पढ़ें) 

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि वालों के लिए सूर्य ग्रह आपके दसवें भाव के स्वामी हैं जो अब आपके… (विस्तार से पढ़ें) 

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धनु राशि 

धनु राशि के जातकों के लिए सूर्य ग्रह नौवें भाव के स्वामी हैं और अब यह गोचर करके आपके…(विस्तार से पढ़ें)

मकर राशि

मकर राशि वालों के लिए सूर्य देव आपके आठवें भाव के स्वामी हैं जो अब आपके लग्न…(विस्तार से पढ़ें)

कुंभ राशि

कुंभ राशि के जातकों के लिए सूर्य महाराज आपके सातवें भाव के अधिपति देव हैं और अब यह…(विस्तार से पढ़ें)

मीन राशि

मीन राशि वालों के लिए सूर्य देव आपके छठे भाव के स्वामी हैं और अब यह आपके ग्यारहवें भाव में… (विस्तार से पढ़ें)

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

खरमास कब ख़त्म होगा?

वर्ष 2025 में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही खरमास का अंत हो जाएगा। 

सूर्य किस राशि के स्वामी हैं?

राशि चक्र में सूर्य देव सिंह राशि के स्वामी माने गए हैं। 

मकर राशि किसकी है?

मकर राशि का आधिपत्य शनि ग्रह को प्राप्त हैं। 

कब है मकर संक्रांति 2025 में? जानें तिथि एवं दान-स्नान का मुहूर्त!

हिंदू धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक है मकर संक्रांति का त्योहार और नए साल की शुरुआत में इस पर्व को बेहद धूमधाम से मनाया जाता है। सामान्य रूप से लोहड़ी के अगले दिन मकर संक्रांति आती है और इनके साथ ही नए साल में त्योहारों का आगाज़ हो जाता है। मकर संक्रांति धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से विशेष मानी गई है जो सर्दी के अंत और गर्मी की शुरुआत का प्रतीक है।  इस पर्व को देशभर में अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। साथ ही, इस दिन गंगा स्नान और दान का अत्यधिक महत्व बताया गया है। हालांकि, हर साल मकर संक्रांति की तिथि को लेकर थोड़ी कन्फूयजन देखने को मिलती है। एस्ट्रोसेज एआई के इस ब्लॉग में आपको मकर संक्रांति से जुड़ी समस्त जानकारी प्राप्त होगी और इस दिन किये जाने वाले राशि अनुसार दान के बारे में भी आपको बताएंगे, तो आइए शुरुआत करते हैं इस लेख की।

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भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके 

लोहड़ी के दूसरे दिन मकर संक्रांति को पूरे देश में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। साथ ही, यह पर्व भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है जैसे कि पोंगल, उत्तरायण, टिहरी, खिचड़ी आदि। मकर संक्रांति से प्रकृति में परिवर्तन आने लगते हैं और दिन बड़े होने लगते हैं जबकि रातें छोटी होने लगती हैं। प्रत्येक वर्ष जब भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि देव की मकर राशि में प्रवेश करते हैं, इसलिए इसे मकर संक्रांति कहा जाता है। हालांकि, हर साल कुल 12 संक्रांति तिथि आती है जिसमें से मकर संक्रांति को सबसे शुभ माना जाता है। चलिए बिना देर किये आगे बढ़ते हैं और सबसे पहले जानते हैं मकर संक्रांति की तिथि और मुहूर्त। 

मकर संक्रांति 2025: तिथि एवं पूजा मुहूर्त 

पंचांग के अनुसार, पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मकर संक्रांति के त्योहार के रूप में मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, यह पर्व जनवरी के महीने में पड़ता है। हिंदू धर्म के अन्य त्योहारों की तरह ही इसे चंद्रमा की स्थिति के आधार पर मनाया जाता है। बता दें कि सूर्य महाराज 14 जनवरी 2025 की सुबह 08 बजकर 41 मिनट पर मकर राशि में गोचर कर जाएंगे। इसी के साथ, खरमास का अंत हो जाएगा और शुभ कार्यों का पुनः आरंभ हो जाएगा। 

मकर संक्रांति 2025 की तिथि: 14 जनवरी, 2025, मंगलवार

मकर संक्रांति पुण्य काल मुहूर्त : सुबह 08 बजकर 40 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक 

अवधि: 3 घंटे 49 मिनट

महापुण्य काल मुहूर्त: सुबह 08 बजकर 40 मिनट से 09 बजकर 04 मिनट तक

अवधि: 0 घंटे 24 मिनट

संक्रांति का क्षण: सुबह 08 बजकर 40 मिनट  

मकर संक्रांति पर गंगा स्नान का मुहूर्त: सुबह 09 बजकर 03 मिनट से सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक 

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मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व 

मकर संक्रांति को सनातन धर्म का प्रमुख पर्व माना जाता है और इस दिन दान एवं पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ होता है। इस पर्व से जुड़ी पौराणिक मान्यता है कि सूर्य देव मकर संक्रांति के दिन अपने रथ से खर अर्थात गधे को निकालकर दोबारा सात घोड़ों पर सवार हो जाते हैं और एक बार फिर अपने सात अश्वों के रथ पर सवार होकर चारों दिशाओं का भ्रमण करते हैं। इस दौरान से सूर्य के प्रभाव एवं चमक में वृद्धि होती है। 

कहते हैं कि मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर सभी देव धरती पर आते हैं और आत्माओं को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से भगवान सूर्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही, मकर संक्रांति पर उड़द दाल की खिचड़ी खाने के साथ-साथ दान करने से जातक पर भगवान सूर्य और शनि देव की कृपा बनी रहती है। ऐसा करने से शनि दोष का निवारण हो जाता है और खिचड़ी का भोग लगाना भी शुभ रहता है।

ज्योतिषीय दृष्टि से मकर संक्रांति 

ज्योतिष में सूर्य देव को ग्रहों के राजा कहा जाता है और इन्हें सभी ग्रहों का अधिपति माना गया है। वर्ष में एक बार मकर संक्रांति के दिन सूर्य महाराज अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए उनके घर जाते हैं। सामान्य शब्दों में कहें तो, सूर्य का गोचर मकर राशि में होता है और मकर राशि के स्वामी शनि देव हैं। ऐसे में, मकर राशि में सूर्य के प्रभाव से सभी तरह की नकारात्मकता का नाश हो जाता है। 

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मकर संक्रांति से शुरू हो जाएंगे शुभ कार्य 

सूर्य के धनु राशि में प्रवेश के साथ ही खरमास लग जाता है और इस प्रकार, एक माह तक शुभ कार्य वर्जित होते हैं। ऐसे में, सूर्य के मकर राशि में गोचर के साथ ही खरमास समाप्त हो जाएगा। एक बार फिर से शुभ एवं मांगलिक कार्यों जैसे कि शादी-विवाह, सगाई, गृह प्रवेश और मुंडन आदि कार्य किये जा सकेंगे। 

मकर संक्रांति पर मनाये जाने वाले प्रसिद्ध त्योहार 

जनवरी में आने वाले पर्व मकर संक्रांति के दिन अनेक त्योहार मनाए जाते हैं। कौन से हैं ये पर्व और कैसे मनाये जाते हैं, आइए जानते हैं। 

उत्तरायण: उत्तरायण भगवान सूर्य से संबंधित है और इस दिन सूर्य देव की पूजा का विधान है। यह पर्व मुख्य रूप से गुजरात में मनाया जाता है जहाँ इस दिन तरह-तरह की पतंगें उड़ाई जाती हैं। 

पोंगल: दक्षिण भारत का प्रमुख पर्व है पोंगल जो कि मुख्यतः केरल, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में मनाया जाता है। यह त्योहार किसानों से जुड़ा है क्योंकि इस दिन धान की कटाई के बाद लोग पोंगल को मनाते हैं। हालांकि, पोंगल में सूर्य और इंद्र देव की पूजा की जाती है और अच्छी फसल और बारिश के लिए भगवान के प्रति आभार प्रकट किया जाता है। यह पर्व लगातार तीन दिनों तक चलता है। 

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लोहड़ी: लोहड़ी का पर्व पंजाब में मनाया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण पर्व है और इसका संबंध पंजाबियों एवं सिख धर्म के लोगों से है। हालांकि, बदलते समय के साथ इसकी रौनक देश भर में देखने को मिलती है। इस दिन फसलों की कटाई की जाती है और रात को अग्नि जलाकर आसपास लोक गीत गाए जाते हैं। 

माघ या बिहू: असम में माघ बिहू को हर साल माघ माह में आने वाली संक्रांति से एक दिन पूर्व मनाया जाता है। असम में इस दौरान तिल, चावल, नारियल और गन्ने की अच्छी फसल होती है इसलिए इस मौके पर कई तरह के पकवान और व्यंजन बनाए जाते हैं। भोगली बिहू के दिन टेकली नामक एक खेल खेले जाने की भी परंपरा है। 

घुघुती: उत्तराखंड में मकर संक्रांति के दिन घुघुती त्योहार को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह प्रवासी पक्षियों के स्वागत का प्रतीक माना गया है और इस दिन लोग आटे और गुड़ की मिठाइयां बनाते हैं, फिर यह कौवों को खिलाते हैं। 

आइए अब हम आपको बताने जा रहे हैं मकर संक्रांति पर किए जाने वाले उपायों से। 

मकर संक्रांति पर जरूर करें ये उपाय 

  • मकर संक्रांति पर प्रातःकाल घर के मुख्य द्वार की सफाई करके दरवाजे के दोनों तरफ हल्दी का जल छिड़कना चाहिए। इसके पश्चात, सूर्य देव को प्रणाम करें। 
  • मकर संक्रांति के दिन गंगा जल से स्नान करने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है। साथ ही , इस अवसर पर घर के मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं को नए वस्त्र पहनाने चाहिए। 
  • मकर संक्रांति पर नमक, रुई, तेल, गर्म वस्त्र, तिल, चावल, आलू, गुड़ और धन आदि का दान गरीबों, जरूरतमंदों या फिर किसी ब्राह्मण को करना चाहिए।  

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मकर संक्रांति पर राशि अनुसार करें दान, सुख-समृद्धि का मिलेगा आशीर्वाद 

मेष राशि: मेष राशि के जातकों को मकर संक्रांति पर गुड़ और मूंगफली का दान करना चाहिए।

वृषभ राशि: मकर संक्रांति पर वृषभ राशि वाले सफेद तिल के लड्डू दान करें।

मिथुन राशि: मिथुन राशि के लोगों के लिए इस दिन हरी सब्जियों का दान करना शुभ रहेगा।

कर्क राशि: कर्क राशि वाले मकर संक्रांति पर चावल और उड़द की दाल दान करें।

सिंह राशि: सिंह राशि के जातकों को इस तिथि पर गुड़, शहद और मूंगफली का दान करना चाहिए।

कन्या राशि: मकर संक्रांति पर आप गरीब एवं जरूरतमंदों को मौसमी फलों और सब्जियों का दान करें।

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तुला राशि: मकर संक्रांति पर तुला राशि के लिए दही, दूध, सफेद तिल और चूड़ा दान करना श्रेष्ठ रहेगा।

वृश्चिक राशि: यह जातक इस अवसर पर चिक्की, शहद और गुड़ का दान करें।

धनु राशि: धनु राशि वालों को मकर संक्रांति पर केला, हल्दी और धन का दान करना चाहिए।

मकर राशि: इन लोगों के लिए मकर संक्रांति पर चावल और उड़द की दाल का दान करना सर्वश्रेष्ठ रहेगा।

कुंभ राशि: कुंभ राशि वालों को इस अवसर पर तिल, काले कंबल और गुड़ का दान करना चाहिए।

मीन राशि: मीन राशि के लोग मकर संक्रांति पर वस्त्र और धन का गरीब एवं जरूरतमंदों को दान करें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. लोहड़ी 2025 में कब है?

साल 2025 में लोहड़ी का पर्व 13 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा। 

2. सूर्य का मकर राशि में गोचर कब होगा?

मकर राशि में सूर्य देव 14 जनवरी 2025 को प्रवेश कर जाएंगे। 

3. खरमास कब खत्म होगा?

वर्ष 2025 में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही खरमास का अंत हो जाएगा यानी कि 14 जनवरी 2025 से शुभ कार्य किये जा सकेंगे।

महाकुंभ 2025 के दौरान जरूर करें ये उपाय, गंगा स्नान के समान मिलेगा पुण्य; ग्रह दोष भी होंगे दूर!

आस्था का पर्व कहे जाने वाले महाकुंभ का आरंभ पौष पूर्णिमा के साथ हो गया है। इस महाकुंभ में लाखों भक्त आस्था की डुबकी लगाएंगे। हालांकि, ज्योतिष शास्त्र में ऋषि-मुनियों ने अनेक वैदिक उपायों के बारे में बताया है जिसमें हवन, यज्ञ, दान, मंदिर जाना, औषधि, आयुर्वेद ज्ञान आदि शामिल हैं जिन्हें अपनाकर महाकुंभ स्नान के दौरान आप ग्रह दोष से मुक्ति पा सकते हैं। एस्ट्रोसेज एआई के इस लेख में हम आपको महाकुंभ मेला 2025 की तिथि और इस दौरान किये जाने वाले उपाय के बारे में बताएंगे। साथ ही जानेंगे, गंगा स्नान में राहु की भूमिका के विषय में। 

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महाकुंभ 2025: तिथि एवं समय 

भारतीय संस्कृति, आस्था और अध्यात्म का प्रतीक महाकुंभ का मेला उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी, 2025 से शुरू होकर 26 फरवरी 2025 को समाप्त होगा। महाकुंभ का मेला प्रत्येक  12 वर्ष में आयोजित किया जाता है जो कि प्रयागराज में संगम के किनारे आयोजित होता है जहां पर गंगा, यमुना और सरस्वती नदी का मिलन होता है। यहां हम आपको महाकुंभ के अलावा यह भी बताएंगे कि ज्योतिष के अनुसार राहु की स्थिति गंगा स्नान के लिए किस तरह शुभ होती है, आइए जानते हैं।   

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राहु की स्थिति गंगा स्नान के लिए होती है शुभ 

गंगा स्नान और राहु के संबंध में ज्योतिषी कहते हैं कि जब सूर्य या राहु दशम भाव में होते हैं, तब वह गंगा स्नान आयोजित हो सकता है। अब आप सोच रहे होंगे कि सूर्य एक सात्विक ग्रह है, लेकिन राहु जैसा पापी ग्रह कैसे गंगा स्नान के लिए जिम्मेदार हो सकता है। बता दें कि राहु के दशम भाव में होने पर गंगा स्नान करने से कष्ट कम होते हैं। ऐसे ही, राहु के द्वादश भाव और नवम भाव में स्थिति भी स्नान के महत्व को दर्शाती है जिसके अंतर्गत चंद्रमा स्नान भी आता है।

कुंभ मेला में स्नान का महत्व 

कुंभ के मेले में स्नान का क्या महत्व है? यह आप भी जानते होंगे कि इस दौरान धर्मगुरु, साधु और संत दूर-दूर से महाकुंभ में भाग लेने के लिए पहुंचते हैं और गंगा के पवित्र जल में तीन बार डुबकी लगाते हैं। ज्योतिष के आधार पर चंद्रमा, केतु, राहु, शनि के साथ हो या छठे,आठवें,बारहवें भाव में होता है या शकट योग या केमद्रुम योग होता है अर्थात चंद्रमा या नवम भाव से जुड़े जितने भी दोष होते हैं, वह स्नान के माध्यम से दूर हो सकते हैं, विशेषकर गंगा स्नान से।  

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महाकुंभ में गंगा स्नान से दूर होंगे कष्ट

महाकुंभ में किया गया गंगा स्नान न सिर्फ मनुष्य के पाप नष्ट करने की क्षमता रखता है, बल्कि ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव से भी मुक्ति प्रदान करता है। महाकुंभ स्नान से जातक के जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं और असीम पुण्य की प्राप्ति होती है। हालांकि, ग्रहों के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए औषधि स्नान भी फलदायी माना जाता है। अगर आप गंगा स्नान नहीं कर सकते हैं, तो इन उपायों को अपनाकर स्नान करके ग्रह दोष दूर कर सकते हैं। चलिए नज़र डालते हैं इन उपायों पर।

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महाकुंभ 2025 के दौरान ऐसे करें स्नान, ग्रह दोष से मिलेगी मुक्ति  

  • कुंडली में शुक्र देव के कमज़ोर होने पर नहाने के जल में इत्र डालकर स्नान करें। ऐसा करने से शुक्र का अशुभ प्रभाव कम होगा। 
  • जिन लोगों की कुंडली में चंद्र देव दुर्बल हैं, वह स्नान के जल में दूध मिलाकर नहाएं। 
  • ऐसे जातक जिनकी कुंडली में मंगल कमज़ोर हैं, उनके लिए मुल्तानी मिट्टी से स्नान करना फलदायी सिद्ध होगा। 
  • यदि आपकी कुंडली में चंद्रमा या नवम भाव से संबंधित कोई भी दोष है, तो आप तीर्थ स्थान का जल लेकर स्नान करें। संभव हो, तो आप महाकुंभ मेला 2025 में गंगा स्नान भी कर सकते हैं जो आपके लिए सर्वश्रेष्ठ रहेगा। 

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1. साल 2025 में महाकुंभ कब से शुरू है?

इस वर्ष महाकुंभ 13 जनवरी 2025 से शुरू होकर 26 फरवरी 2025 तक चलेगा।

2. महाकुंभ का आयोजन कहां होगा?

वर्ष 2025 में महाकुंभ प्रयागराज में संगम के किनारे आयोजित होगा।

3. महाकुंभ कितने वर्ष में आयोजित होता है?

महाकुंभ का आयोजन हर 12 वर्ष में होता है।  

माघ के महीने में राशि अनुसार करें उपाय, मिट जाएंगे हर जन्‍म के पाप!

हिंदू धर्म में पवित्र नदी में स्‍नान करने और दान-पुण्‍य एवं तप आदि के लिए माघ महीने 2025 को बहुत शुभ और पवित्र माना जाता है। इस महीने में भगवान सूर्य, मां गंगा और भगवान विष्‍णु की उपासना की जाती है। ऐसी मान्‍यता है कि जो भी व्‍यक्‍ति इस पावन महीने में पवित्र नदी में स्‍नान करता है, उसके पिछले जन्‍म के सारे पाप धुल जाते हैं और उसे पुण्‍य की प्राप्‍ति होती है।

वहीं दूसरी ओर, इस माह में भगवान सूर्य और भगवान विष्‍णु की पूजा करने से मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं।

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कब शुरू हो रहा है माघ माह 2025

वर्ष 2025 में 14 जनवरी से माघ माह 2025 की शुरुआत हो रही है और यह 12 फरवरी, 2025 को समाप्‍त होगा। इस माह में कई बड़े व्रत एवं त्‍योहार पड़ रहे हैं जिनके बारे में आगे विस्‍तार से बताया जा रहा है।

माघ माह 2025 का महत्व 

शास्‍त्रों के अनुसार माघ के महीने में गौतम ऋषि ने इंद्रदेव को श्राप दिया था। इस श्राप से मुक्‍ति पाने के लिए माघ के महीने में ही इंद्रदेव ने गंगा नदी में स्नान किया था। यही वजह है कि इस दौरान पूर्णिमा और अमावस्या तिथि पर विशेष तौर पर गंगा में स्नान करने को अत्‍यंत पवित्र और लाभकारी माना जाता है।  

मान्‍यता है कि इस माह में दान करने से मृत्यु काल में लाभ मिलता है। मन की ग्रंथियां खुलती हैं और शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके अलावा इस माह में पवित्र नदियों में स्नान करने से दस हज़ार अश्वमेध यज्ञ करने के बराबर फल की प्राप्ति होती है।

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माघ माह में पड़ने वाले व्रत एवं त्‍योहार

दिनव्रत-त्‍योहार
14 जनवरी, 2025गंगा स्‍नान, मकर संक्रां‍ति
17 जनवरी, 2025संकष्‍टी चतुर्थी, सकट चौथ
21 जनवरी, 2025कालाष्‍टमी
25 जनवरी, 2025षटतिला एकादशी
26 जनवरी, 2025गणतंत्र दिवस
27 जनवरी, 2025प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि
29 जनवरी, 2025अमावस्‍या, मौनी अमावस्‍या
30 जनवरी, 2025माघ गुप्‍त नवरात्रि
01 फरवरी, 2025गणेश जयंती, वरद चतुर्थी
02 फरवरी, 2025बसंत पंचमी
04 फरवरी, 2025रथ सप्‍तमी
05 फरवरी, 2025बुधाष्‍टमी व्रत, दुर्गाष्‍टमी व्रत
06 फरवरी, 2025महानंदा नवमी
07 फरवरी, 2025रोहिणी व्रत
08 फरवरी, 2025जया एकादशी
10 फरवरी, 2025प्रदोष व्रत
12 फरवरी, 2025पूर्णिमा व्रत, कुंभ संक्रांति, रविदास जयंती, माघ पूर्णिमा, माघस्‍नान समाप्‍त

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माघ मास 2025 के नियम

माघ के महीने में पवित्र नदी या गंगा नदी में स्नान करने का बहुत महत्व है। यदि आप ऐसा नहीं कर सकते हैं, तो अपने नहाने के पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाकर उससे स्नान कर लें। इससे भी आपको फायदा होगा।

माघ के महीने में रोज़ श्रीमद्भगवद्गीता गीता का पाठ करें। ऐसा करने से भगवान विष्‍णु का आशीर्वाद मिलता है और घर में सुख-शांति आती है।

आप नहाने के पानी में तिल के बीज डाल सकते हैं या इनका सेवन भी कर सकते हैं।

माघ मास में रोज़ तुलसी के पौधे के आगे घी का दीपक जलाएं और उसकी पूजा करें। ऐसा करने से भगवान विष्‍णु प्रसन्‍न होते हैं और जीवन के सारे कष्‍ट दूर होते हैं।

माघ माह 2025 में क्‍या करें या क्‍या न करें

  • अगर आपको शनि दोष है, तो आप माघ महीने में इससे मुक्‍ति पाने के लिए काले तिल का दान कर सकते हैं।
  • वहीं राहु दोष से मुक्‍ति पाने के लिए माघ माह में कंबल या गर्म कपड़ों का दान करना चाहिए।
  • शास्‍त्रों के अनुसार इस महीने में ब्रह्मचर्य का पालन करने का बहुत महत्‍व है।
  • इसके अलावा माघ के पवित्र मास में आलस से बचना चाहिए, सुबह देर तक सोना नहीं चाहिए और रोज़ स्‍नान करना चाहिए।
  • इस मास में तुलसी की पूजा एवं गीता का पाठ करना चाहिए। इससे ईश्‍वर आपसे प्रसन्‍न होंगे।
  • माघ के महीने में कल्‍पवास की शुरुआत भगवान शालिग्राम और मां तुलसी के पूजन से होती है।
  • इस महीने में मूली का सेवन करना वर्जित माना गया है।
  • इसके अलावा इस दौरान तामसिक भोजन करने एवं मदिरा का पान करने से बचना चाहिए।

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माघ माह 2025 में राशि अनुसार उपाय

आगे बताया गया है कि आप अपनी राशि के अनुसार माघ के महीने में कौन से उपाय कर सकते हैं।

  • मेष राशि: आप माघ मास में रोज़ हनुमान जी की पूजा करें या हनुमान चालीसा का पाठ करें। ऐसा करने से आपके मार्ग की सभी बाधाएं दूर होंगी और आपके आत्‍मविश्‍वास में वृद्धि होगी।।
  • वृषभ राशि: आप माघ मास में सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करें और उन्‍हें बेल पत्र चढ़ाएं। इसके अलावा महामृत्‍युंजय मंत्र का जाप करने से भी लाभ होगा।
  • मिथुन राशि: आप नियमित रूप से गायत्री मंत्र का जाप करें और रविवार के दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं।
  • कर्क राशि: माघ मास में गरीब एवं ज़रूरतमंद लोगों को चावल या गेहूं का दान करें। इससे आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा।
  • सिंह राशि: आप रविवार के दिन सूर्य देव को सूरजमुखी के बीज या लाल रंग के पुष्‍प अर्पित करें।
  • कन्‍या राशि: किसी मंदिर में या गरीब व्‍यक्‍ति को सफेद रंग के वस्‍त्र या दूध दान करें। इससे आपके भाग्‍य में वृद्धि होगी।
  • तुला राशि: मानसिक शांति के लिए तुला राशि वाले शुक्रवार के दिन घी और चीनी का दान करें।
  • वृश्चिक राशि: आप बुधवार के दिन भगवान गणेश को मोदक चढ़ाएं और गणपति स्‍तोत्र का पाठ करें।
  • धनु राशि: बृहस्‍पतिवार के दिन धनु राशि वाले भगवान विष्‍णु को हल्‍दी और पीले रंग के पुष्‍प अर्पित करें।
  • मकर राशि: करियर और जीवन में प्रगति पाने के लिए आप तिल के बीजों और काले रंग के वस्‍त्रों का दान करें।
  • कुंभ राशि: भाग्‍य में वृद्धि के लिए कुंभ राशि वाले गरीब लोगों को जल का दान करें और जल अभिषेक करें।
  • मीन राशि: आर्थिक संकट दूर करने के लिए आप दूध, चीनी और चावल का दान करें।

माघ पूर्णिमा का महत्‍व

माघ के महीने में पड़ने वाली अमावस्‍या और पूर्णिमा का बहुत महत्‍व है। माघ माह 2025 में पूर्णिमा तिथि 11 फरवरी को शाम 06 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 12 फरवरी को शाम 07 बजकर 26 मिनट पर होगा।

माघी पूर्णिमा को लेकर पद्म पुराण में कहा गया है कि, अगर माघ पूर्णिमा वाले दिन व्यक्ति पवित्र नदी में स्नान करे, इसके बाद ध्यान, तप, दान कर, तो इससे श्री हरि प्रसन्‍न होते हैं। 

इसके अलावा इस दिन दान का विशेष महत्व होता है। ऐसे में आप चाहें तो इस दिन गोदान, तिल, गुड़ और कंबल का दान कर सकते हैं। इसके साथ ही आप वस्त्र, गुड, घी, कपास, लड्डू, फल, आदि का भी दान कर सकते हैं। इसके साथ ही माघी पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। ऐसे में अगर आपके लिए मुमकिन हो तो इस दिन गंगा स्नान अवश्य करें, गरीबों और ज़रूरतमंद लोगों की मदद करें।

माघ माह 2025 में किए जाने वाले ज्‍योतिषीय उपाय

  • गरीबों को भोजन खिलाने, मंदिरों एवं तीर्थस्‍थलों पर दान आदि करने के लिए माघ क महीना बहुत उत्तम माना जाता है। वैदिक ज्‍योतिष के अनुसार गरीब एवं ज़रूरतमंद लोगों की मदद करने से नकारात्‍मक कर्मों का नाश होता है और भाग्‍य में वृद्धि होती है। इस दौरान सफेद या हल्‍के रंग के वस्‍त्रों का दान करने, चावल, दाल या अनाज, अन्‍न या जल और बच्‍चों को किताबों का दान करना चाहिए।
  • चंद्रमा को मज़बूत करने के लिए माघ का महीना बहुत महत्‍वपूर्ण होता है। चंद्रमा मन, भावनाओं और मस्तिष्‍क का कारक हैं और जल के पास ध्‍यान करने, पौधों को जल चढ़ाने या चंद्रमा के नीचे बैठकर प्रार्थना करने से मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य बेहतर होता है और भावनात्‍मक ऊर्जा मिलती है।
  • शाम के समय खासतौर पर घर के प्रवेश द्वार या मंदिर में घी का दीपक जलाएं। कहते हैं कि इस उपाय को करने से ईश्‍वर की कृपा प्राप्‍त होती है और नकारात्‍मक ऊर्जा खत्‍म होती है। माघ के महीने में घी का दीया जलाने का बहुत महत्‍व है।
  • माघ के महीने में धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना अच्‍छा रहता है। आप इस दौरान श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ कर सकते हैं। इससे मानसिक शांति, आध्‍यात्मिक शक्‍ति मिलती है और नकारात्‍मक ऊर्जाओं से सुरक्षा मिलती है।

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अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

प्रश्‍न 1. माघ का महीना कब शुरू हो रहा है?

उत्तर. 14 जनवरी से माघ माह शुरू हो रहा है।

प्रश्‍न 2. माघ माह कब खत्‍म होगा?

उत्तर. यह 12 फरवरी को खत्‍म होगा।

प्रश्‍न 3. माघ माह में किसकी पूजा की जाती है?

उत्तर. इसमें भगवान विष्‍णु की उपासना होती है।