बुध का कुम्भ राशि में गोचर: 5 राशियों को अनुकूल और 2 को उठाने पड़ेंगे प्रतिकूल परिणाम!

एस्ट्रोसेज हमेशा अपने रीडर्स को किसी भी ज्योतिषीय घटना की जानकारी समय से पूर्व देता आया है ताकि आप खुद को उस घटना के लिए तैयार रख सकें। इसी कड़ी में आज हम आपके लिए लेकर आए हैं बुध का कुंभ राशि में गोचर से संबंधित यह खास ब्लॉग। बुध ग्रह 20 फरवरी 2024 को सुबह 5:48 पर कुंभ राशि में गोचर कर जाएगा। कुंभ राशि में इस गोचर का राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा ये जानने के लिए पढ़ें हमारा यह ब्लॉग अंत तक। 

कुंभ राशि में बुध गोचर के बारे में अधिक जानने के लिए विद्वान ज्योतिषियों से बात करें

बुध ग्रह से जुड़ी जानकारी 

बुध ग्रह को राजकुमार का दर्जा दिया गया है और इसे अक्सर देवताओं का दूत भी कहा जाता है। यह ग्रह तर्क और बुद्धि से जुड़ा हुआ है। बुध हमारी वाणी को भी नियंत्रित करता है। कुंडली में अगर बुध शुभ या सकारात्मक स्थिति में मौजूद हो तो इससे व्यक्ति मजबूत वक्त बनता है। वहीं इसके विपरीत अगर कुंडली में बुध अशुभ या फिर कमजोर है तो इससे व्यक्ति को मानसिक रूप से तमाम परेशानियां, दिमाग की कमजोरी, यहां तक की कई बार गूंगा बनाने की भी क्षमता रखता है।

बुध का कुंभ राशि में गोचर: इन राशियों को होगा फायदा

वृषभ राशि 

वृषभ राशि के जातकों के लिए बुध दूसरे और पांचवें घर पर शासन करता है और इस वक्त आपके दसवें घर में गोचर कर जाएगा। वृषभ राशि के जातकों के लिए बुध का यह गोचर उत्तम रहने वाला है। इस गोचर के दौरान आपकी आय के स्रोत बढ़ेंगे और आप संपत्ति संचित करने पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करने वाले हैं और ऐसा कर पाना आपके लिए आसान भी रहेगा। आप अपने प्रयासों से धन अर्जित करेंगे। इसके अलावा करियर के मोर्चे पर आप अपने करियर में अच्छा मुकाम हासिल करेंगे और आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने में भी आपको सहायता मिलेगी। इसके अलावा इस गोचर के दौरान आपको ढेरों यात्राएं भी करनी पड़ सकती हैं। यहां तक की विदेश यात्रा के शुभ मौके भी आपको मिलने वाले हैं।

करियर के मोर्चे पर आपको अच्छी संभावनाएं प्राप्त होंगी। आपको अपनी नौकरी के सिलसिले में विदेश यात्रा के मौके प्राप्त हो सकते हैं। इसके अलावा आपको पदोन्नति और विशेष प्रोत्साहन भी मिलने की संभावना बन रही है जो आपका मनोबल बढ़ाएगी। अगर आप व्यावसायिक क्षेत्र से जुड़े हुए हैं तो आप अच्छा मुनाफा कमाने के लिए अपने कार्यों को करने में ज्यादा गणनात्मक नजर आएंगे। आप अपने प्रतिस्पर्धियों के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा बनकर उभरेंगे। आपके विचारों को आपके व्यावसायिक साझेदार अच्छी तरह से स्वीकार करेंगे।

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मिथुन राशि 

मिथुन राशि के जातकों के लिए बुध पहले और चतुर्थ भाव का स्वामी है और आप यह आपके भाग्य, धर्म, आध्यात्मिकता, पिता, धर्म, आदि के नवम भाव में गोचर कर जाएगा। बुध के इस गोचर के प्रभाव स्वरूप आपको भाग्य का साथ मिलेगा और आप बहुत अधिक मात्रा में धन लाभ प्राप्त करने में कामयाब होंगे। व्यक्तिगत रूप से भी आपको गोचर का लाभ मिलने वाला है। आप किसी लंबी दूरी की यात्रा पर जा सकते हैं जिससे आपको चौतरफा लाभ मिलेगा। कार्यक्षेत्र में आपको अपने पिता और गुरुओं का सहयोग प्राप्त होगा। इसके अलावा इस गोचर के दौरान आप अपने वरिष्ठों को प्रभावित करने में भी कामयाब रहेंगे। 

मुमकिन है कि आपको इस दौरान संपत्ति या सुख सुविधा से संबंधित कोई चीज भी प्राप्त हो सकती है। इसके अलावा इस अवधि में आपमें आध्यात्मिकता की भावना ज्यादा विकसित होती नज़र आएगी और आप इस दौरान जीवन के तमाम मोर्चों पर सफल रहने वाले हैं। पेशेवर मोर्चे पर बात करें तो आप अपने काम के संबंध में ज्यादा संतुष्टि महसूस करेंगे और इसके अलावा इस दौरान आप ऑनसाइट नौकरी के नए अवसर हासिल करने में भी सफलता पाएंगे। आप पदोन्नति और अन्य व्यावसायिक लाभ प्राप्त करने के लिए भी अनुकूल स्थिति में नजर आ रहे हैं जिससे नौकरी के मोर्चे पर आपके जीवन में ज्यादा खुशियां और संतुष्टि बनी रहेगी। 

सिंह राशि 

सिंह राशि के जातकों के लिए बुध दूसरे और ग्यारहवें घर का स्वामी है और इस गोचर के दौरान आपके विवाह, साझेदारी और व्यवसाय के सातवें घर में आ जाएगा। बुध के गोचर के फल स्वरुप आप अच्छे दोस्त और सहयोगी बनाने में कामयाब होंगे। अगर आप व्यावसायिक क्षेत्र से जुड़े हुए हैं तो आप अपने दोस्तों और व्यावसायिक भागीदारों के साथ बुद्धिमानी पूर्ण फैसले लेकर व्यापार में अनुकूल स्थिति में नजर आएंगे। 

करियर के मोर्चे पर बात करें तो आप इस दौरान अपने काम के संबंध में किए गए प्रयासों से उत्कृष्ट सफलता प्राप्त करने में भी कामयाब होंगे। इस दौरान आपको अपने सहकर्मियों और वरिष्ठों से अच्छा सहयोग प्राप्त होगा। अपने वरिष्ठों से अच्छी पहचान प्राप्त करना भी इस समय अवधि में आपके लिए आसान रहने वाला है।

तुला राशि 

तुला राशि के जातकों के लिए बुध नवम और बारहवें भाव का स्वामी है और इस गोचर के दौरान आपके पंचम भाव में स्थित रहेगा। बुध के इस गोचर के दौरान आप आध्यात्मिक मामलों के संबंध में ज्यादा रुचि विकसित करते नजर आएंगे। साथ ही इस गोचर के दौरान आप आध्यात्मिक उद्देश्य के लिए यात्रा भी कर सकते हैं। करियर की मोर्चे पर बात करें तो नौकरी से संबंधित भी इस गोचर के दौरान आपको यात्राएं करनी पड़ सकती हैं और इन यात्राओं से आपके करियर में लंबे समय तक फायदा मिलेगा। 

करियर के मोर्चे पर बात करें तो इस गोचर के दौरान आपको पदोन्नति और अन्य प्रोत्साहन प्राप्त हो सकते हैं और मुमकिन है कि ऐसा आपके समर्पण और अपने काम पर ध्यान केंद्रित करने की वजह से मुमकिन हो। आपको अपने वरिष्ठों से कड़ी मेहनत के लिए उचित मान्यता प्राप्त होगी। अगर आप व्यापार के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं तो भी आपको फायदा मिलेगा। अगर आप रचनात्मकता के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं और इंटीरियर डिजाइनिंग आदि से संबंधित हैं तो इस गोचर का आपको निश्चित रूप से लाभ मिलने वाला है।

धनु राशि 

धनु राशि के जातकों के लिए बुध सप्तम और दशम भाव का स्वामी है और इस दौरान आपके तीसरे घर में स्थित रहने वाला है। बुध के गोचर के फल स्वरुप अगर आप व्यवसाय के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं तो आपको अच्छी प्रगति प्राप्त होगी। अगर आप विदेश जा रहे हैं तो भी आपको लाभ मिलेगा। इस गोचर के दौरान आपके व्यापार के संबंध में आपको विदेश यात्रा पर जाना पड़ सकता है। करियर के मोर्चे पर बात करें तो आप अपनी नौकरी में जो भी काम करेंगे उसके संबंध में आपको अच्छा लाभ और रिटर्न प्राप्त होगा। आप जो भी लाभ प्राप्त करेंगे मुमकिन है कि ऐसा आपके कठिन प्रयासों के चलते मुमकिन हो पाए। 

आपके वरिष्ठ आपकी मेहनत और समर्पण से प्रभावित नजर आएंगे। आप अपने आपको कुशल बनाएंगे और कार्यस्थल पर आगे बढ़ाने के बेहतर अवसर प्राप्त करेंगे। व्यावसायिक मोर्चे पर बात करें तो अगर आप व्यवसाय के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं तो आप अपने प्रयासों से अच्छा लाभ कमा सकते हैं। आप अपने व्यवसाय में एक मजबूत व्यक्ति के रूप में उभरेंगे और अपनी पूरी दक्षता दिखाकर अधिक लाभ प्राप्त करने में कामयाब होंगे। इस गोचर के दौरान आप अपने व्यवसाय के क्षेत्र में एक मजबूत प्रतिस्पर्धी के रूप में अपनी छवि बनाने में भी कामयाब रहेंगे।

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बुध का कुंभ राशि में गोचर: इन राशियों पर पड़ेगा नकारात्मक प्रभाव

मेष राशि 

मेष राशि के जातकों के लिए बुध तीसरे और छठे भाव का स्वामी है और इस गोचर के दौरान आपके ग्यारहवें घर में स्थित रहेगा। बुध के इस गोचर के फल स्वरुप आप उतना लाभ नहीं कमा पाएंगे जितने की आप उम्मीद कर रहे हैं। इसके अलावा आप जिस पदोन्नति की उम्मीद कर रहे हैं वह भी आपके हाथ से निकल सकती है। जहां पेशेवर तौर पर यह अवधि आपके लिए थोड़ी ठंडी साबित हो सकती है।

हालांकि लंबे समय में लाभ प्राप्त करने में आप खुद को सक्षम बनाने में इस समय का लाभ उठा सकते हैं। इसके लिए यह समय अनुकूल संकेत दे रही है। अगर आप व्यवसाय के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं तो आपको बहुत अधिक प्रयास करने पर मध्यम लाभ प्राप्त हो सकता है और व्यावसायिक साझेदारों से ज्यादा सहयोग की उम्मीद भी आप इस दौरान ना करें। आप व्यवसाय में नई नवीन पद्धतियां लाने की स्थिति में नजर आएंगे और इस प्रकार आप इन नवीन पद्धतियों से उच्च लाभ प्राप्त करने में कामयाब होंगे।

मीन राशि 

मीन राशि के जातकों के लिए बुध चतुर्थ और सप्तम भाव का स्वामी है और इस दौरान आपके बारहवें घर में गोचर कर जाएगा। बुध के इस गोचर के फल स्वरुप आपको अपने काम को लेकर और नौकरी को लेकर बहुत ज्यादा दबाव की स्थिति से जूझना पड़ सकता है। इस दौरान आपके खर्च भी बढ़ने वाले हैं। नौकरी के अवसर भी ज्यादा संतोषजनक नहीं रहेंगे। 

पेशेवर मोर्चे पर बात करें तो इस अवधि के दौरान आपको वह पहचान और मूल्य नहीं मिल पाएगा जिसके आप असल में हकदार हैं। आपको अपने सहकर्मियों और वरिष्ठों से सहयोग नहीं मिलेगा। आप में अधिक काम करने की प्रेरणा इसके चलते कम नजर आएगी। अगर आप व्यावसायिक क्षेत्र से जुड़े हुए हैं तो मुमकिन है कि आप इस दौरान अपने निर्धारित सेल्स लक्ष्य को हासिल ना कर पाएँ लेकिन धैर्य रखें भविष्य में चीज़ें अनुकूल हो जाएंगी।

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बुध का कुंभ राशि में गोचर प्रभावशाली उपाय

  • भगवान बुध के जप के लिए मंत्र ‘ॐ ब्राम ब्रीम ब्रौम सः बुधाय नमः’ का नियमित रूप से जप करें। इस उपाय को बुध से संबंधित सबसे कारगर उपायों में से एक माना गया है। 
  • बुध ग्रह को शांत करने के लिए तोता, कबूतर और अन्य पक्षियों को खाना खिलाएँ। 
  • खाने से पहले दिन में कम से कम एक बार गाय को खाना अवश्य खिलाएं। इससे बुध ग्रह के शुभ प्रभाव प्राप्त होते हैं। 
  • हरी सब्जियां जैसे पालक और अन्य पत्तेदार सब्जियां गरीब बच्चों को दान करें या फिर खिलाएँ। 
  • पक्षियों को भीगे हुए हरे चने खिलाएँ। इससे भी कुंडली में कमजोर बुध मजबूत बनता है। 
  • बुध के हानिकारक प्रभावों को कम करने के लिए अपनी मौखिक स्वच्छता बनाए रखें। यह भी एक बेहद ही कारगर उपाय माना गया है।

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बसंत पंचमी 2024: ग्रहों की युति से बन रहे हैं शुभ योग; इन राशियों के खुलने वाले भाग्य!

बसंत पंचमी 2024: एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको बसंत पंचमी में बनने वाले शुभ योगों के बारे में बताएंगे और साथ ही, इस बारे में भी चर्चा करेंगे कि यह योग किन राशि के जातकों को लाभ पहुंचाएंगे। तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि बसंत पंचमी 2024 में किन राशि के जातकों की चमकने वाली है किस्मत।

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14 फरवरी यानी आज बसंत पंचमी 2024 का त्योहार पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जा रहा है। खासतौर से उत्तर भारत में इस त्योहार का खास महत्व होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, आज के दिन ही सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा के मुख से ज्ञान और विद्या की देवी मां सरस्वती प्रकट हुई थीं इसलिए इस दिन पूरे विधि-विधान से माता सरस्वती की पूजा की जाती है।

इस बार बसंत पंचमी का महत्व बहुत अधिक बढ़ गया है क्योंकि ग्रहों की चाल से कई शुभ योग और नक्षत्र का महासंयोग बन रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, बसंत पंचमी में कई सालों बाद रेवती के साथ अश्विनी नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इसके अलावा, रवि योग, शुक्र-मंगल और बुध ग्रह की युति से त्रिग्रही योग का निर्माण होगा। यही नहीं इस पावन पर्व में मेष राशि में चंद्रमा और देव गुरु बृहस्पति की युति से गजकेसरी योग भी बन रहा है, जो बहुत ही शुभ माना जा रहा है। बसंत पंचमी 2024 पर त्रिग्रही योग और गजकेसरी योग से कई राशि के जातकों को लाभ मिलेगा। आइए जानते हैं 12 में से वह कौन सी राशियां हैं, जिन्हें इस दौरान शुभ फलों की प्राप्ति होगी।

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इन तीन राशि के जातकों की चमकेगी किस्मत

मेष राशि

मेष राशि के जातकों के लिए बसंत पंचमी 2024 पर गुरु, शुक्र, मंगल, बुध और चंद्रमा की युति से बनने वाले योग बहुत ही लाभकारी साबित होंगे। इस दौरान आपको करियर में अपार सफलता प्राप्त होगी और कई अवसर मिलेंगे। ये अवसर आपके भविष्य के लिए शानदार होंगे। यदि आप नौकरीपेशा हैं तो आपको पदोन्नति और वेतन वृद्धि की प्राप्ति होगी। कार्यक्षेत्र में आपका मान-सम्मान बढ़ेगा। आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल होंगे।

इस अवधि आपका पारिवारिक माहौल भी खुशनुमा होगा और आपके घर सुख समृद्धि का वास होगा। आपको अपने माता-पिता का पूरा साथ मिलेगा। बिज़नेस करने वाले जातकों के व्यापार में विस्तार होगा और लंबे समय तक धन वृद्धि होगी। आपके स्वास्थ्य की बात की जाए तो आप एकदम फिट महसूस करेंगे। इस अवधि कोई बड़ी समस्या आपको परेशान नहीं करेगी। आपकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी और आपको कई स्रोतों से धन की प्राप्ति होगी। प्रेम जीवन में रोमांस बना रहेगा और आप एक-दूसरे के बेहद करीब आएंगे।

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मिथुन राशि

मिथुन राशि वालों के लिए गजकेसरी योग और त्रिग्रही योग बेहद शुभ परिणाम देने वाले साबित होंगे। इस दौरान आप हर चुनौतियों से लड़ने में सक्षम होंगे और आपके जीवन से मुश्किलें धीरे-धीरे समाप्त होंगे। करियर में आपको नए मौके प्राप्त होंगे। यदि आप नौकरी के सिलसिले से विदेश जाने की योजना बना रहे थे तो आपकी ये योजना सफल होगी और आपको विदेश जाने के अच्छे अवसर प्राप्त होंगे। इस वजह से आपके करियर में चार चांद लगेगा। आपके कार्यक्षेत्र में आपके सहकर्मी व आपके वरिष्ठ आपकी सराहना और आपका मान-सम्मान करेंगे। करियर में आपकी मेहनत रंग लाती दिखेगी।

इस अवधि आप अपने परिवार या पार्टनर के साथ किसी यात्रा पर जा सकते हैं। आप काम के साथ-साथ अपने परिवार और पार्टनर के लिए भी समय निकालेंगे। आपकी आर्थिक स्थिति और स्वास्थ्य दोनों की मजबूत रहेगा। हालांकि फिर भी आपको सलाह दी जाती है कि छोटी-मोटी स्वास्थ्य समस्याओं को नज़रअंदाज़ न करें। यदि आपका खुद का व्यापार है तो आपको तरक्की प्राप्त होगी और आप तेजी से आगे बढ़ेंगे। इस दौरान आपको धन लाभ भी होगा, जिससे आपकी आर्थिक स्थिति में स्थिरता देखने को मिलेगी।

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वृश्चिक राशि

बसंत पंचमी 2024 में बन रहे योगों से वृश्चिक राशि के जातकों को बहुत अधिक लाभ होगा। यदि आप नौकरीपेशा हैं तो आपके लिए यह गोचर फलदायी रहेगा। कार्यक्षेत्र में आपके बेहतर काम के लिए आपके वरिष्ठ आपकी सराहना करते हुए नजर आएंगे। संभावना है कि पुरस्कृत के रूप में आपको प्रमोशन मिल जाए या आपके वेतन में वृद्धि हो जाए। इस दौरान आप साहस से भरपूर महसूस करेंगे, जिसके चलते आप अपने कार्य के प्रति जुनूनी हो सकते हैं। इस दौरान आपको भावनात्मक रूप से कई परिवर्तन देखने को मिलेंगे।

यदि आप कहीं निवेश करने की योजना बना रहे हैं तो आपके लिए यह अवधि शुभ साबित होगी और आपको अपने प्रयासों में सफलता प्राप्त होगी। इस दौरान आपका आध्यात्मिक गतिविधियों की तरफ झुकाव बढ़ेगा और जिसके चलते आप धर्म कर्म के कामों में रुचि ले सकते हैं। प्रेम जीवन की बात करें तो, जीवनसाथी के साथ आपके रिश्ते बेहतर होंगे और आप एक-दूसरे के अधिक नजदीक आएंगे। यदि आप सिंगल हैं तो किसी खास व्यक्ति से आपकी मुलाकात हो सकती है। इस अवधि आप अपने पार्टनर के साथ शानदार समय व्यतीत करेंगे और एक-दूसरे से अपने दिल की बातें करते हुए नजर आएंगे। इसके चलते आपके रिश्ते में अधिक गहराई देखने को मिलेगी।

हालांकि फिर भी आपको सलाह दी जाती है कि अपनी बातों को स्पष्ट रूप से कहें। आपके अंदर जो भी चल रहा है वह अपने पार्टनर से खुलकर बोले। इसके चलते आप और भी अधिक बेहतर सामंजस्य बैठाने में कामयाब होंगे। इस अवधि आपके नए कनेक्शन बनेंगे और यह आपके करियर के विकास में योगदान दे सकते हैं। इसके अलावा, आपको अपनी मेहनत की वजह से आर्थिक स्थिति में स्थिरता भी देखने को मिलेगी।

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बसंत पंचमी 2024: राशि अनुसार ये उपाय सालभर दिलाएँगे सफलता और माँ सरस्वती का आशीर्वाद!

बसंत पंचमी का दिन अर्थात मां सरस्वती को समर्पित एक ऐसा दिन जिसमें पूजा करने से सालों-साल माँ सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है साथ ही इस दिन से ही वसंत ऋतु की शुरुआत होती है। इस दिन का सनातन धर्म में विशेष महत्व माना जाता है। कहते हैं बसंत पंचमी के दिन ही मां सरस्वती (जिन्हें हिंदू धर्म में विद्या की देवी कहा जाता है) हाथों में पुस्तक, वीणा और माला लेकर श्वेत कमल पर विराजमान होकर प्रकट हुईं थीं।

यही वजह है कि इस दिन मां सरस्वती की विशेष पूजा की जाती है। अपने इस खास ब्लॉग में आज हम जानेंगे इस साल बसंत पंचमी किस दिन पड़ रही है, इस दिन सरस्वती पूजा का क्या महत्व होता है, क्या इस दिन किसी शुभ योग का भी निर्माण हो रहा है। साथ ही जानेंगे इस दिन से जुड़ी कुछ बेहद ही महत्वपूर्ण और जानने योग्य बातें।

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बसंत पंचमी 2024: कब और कैसे?

हिंदू पंचांग के अनुसार बात करें तो, हर साल माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष 2024 में पंचमी तिथि की शुरुआत 13 फरवरी को दोपहर 2 बजकर 41 मिनट से होने जा रही है। इसके बाद अगले दिन अर्थात 14 फरवरी को दोपहर 12 बजकर 09 मिनट पर इसका समापन हो जाएगा। 

चूंकि उदय तिथि 14 जनवरी को हो रही है इसलिए बसंत पंचमी का त्योहार 14 फरवरी के दिन मनाया जाएगा।

बसंत पंचमी 2024 का शुभ पूजा मुहूर्त 

इसके बाद बात करें इस दिन के शुभ पूजा मुहूर्त की तो, 14 फरवरी को बसंत पंचमी वाले दिन पूजा सुबह 7:00 से लेकर दोपहर 12:35 तक की जा सकती है। अर्थात इस दिन पूजा के लिए कुल मिलाकर 5 घंटे 34 मिनट का समय मिलने वाला है।

जानकारी: अपने शहर के अनुसार इस दिन का शुभ मुहूर्त और पूजा में शामिल मंत्रों की जानकारी जानने के लिए यहाँ क्लिक करें 

बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा

बसंत पंचमी का दिन मां सरस्वती का जन्मदिन होता है। ऐसे में यह दिन बेहद ही शुभ और फलदाई माना जाता है। इस दिन छात्र, शैक्षणिक संस्थान या किसी भी तरह के रचनात्मक प्रयासों में शामिल लोग मां सरस्वती का आशीर्वाद अपने जीवन पर प्राप्त करने के लिए देवी सरस्वती की पूजा करते हैं। मां सरस्वती को सृष्टि, ज्ञान, संगीत, कला, ज्ञान और शिक्षा से संबंधित देवी माना गया है। भारतीय उपमहाद्वीप के कई हिस्सों में बसंत पंचमी के दिन बच्चे अपनी स्कूली शुरू शिक्षा शुरू करते हैं। इस दिन लोग देवी सरस्वती को खुश करने और उनका आशीर्वाद अपने जीवन पर हमेशा बनाए रखने के लिए मंदिरों और कॉलेज स्कूलों आदि में पूजा पाठ करते हैं।

सरस्वती पूजा पर दो दुर्लभ संयोग 

इस वर्ष बसंत पंचमी अर्थात सरस्वती पूजा के दिन दो शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन रवि योग और रेवती नक्षत्र का शुभ संयोग बन रहा है जिसमें शुभ कार्य शुरू करने से व्यक्ति को असीम सफलता प्राप्त होती है। साथ ही लंबे समय तक शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। 

बात करें समय की तो रवि योग सुबह 10 बजकर 43 मिनट से अगले दिन सुबह 7:00 बजे तक रहेगा। वहीं रेवती नक्षत्र सुबह 10:43 तक रहने वाला है।

क्या यह जानते हैं आप? वसंत पंचमी को बहुत सी जगह पर ज्ञान पंचमी, श्री पंचमी, मधुमास जैसे नाम से भी जाना जाता है।

बसंत पंचमी की सही पूजन विधि 

  • इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद मुमकिन हो तो पीले या फिर सफेद रंग के कपड़े पहन लें। 
  • फिर मां सरस्वती की पूजा का संकल्प लें। 
  • पूजा वाली जगह पर मां सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर रख दें। 
  • मां सरस्वती को गंगाजल से स्नान कराएं और उन्हें पीले रंग के वस्त्र पहना दें। 
  • इसके बाद पूजा में पीले फूल, अक्षत, सफेद चंदन, पीली रोली, पीला गुलाल, धूप, दीप आदि अर्पित करें। 
  • इसके अलावा इस दिन मां को गेंदे के फूल की माला अवश्य अर्पित करें। साथ ही भोग में उन्हें पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएँ।
  • इसके बाद सरस्वती वंदना और मां सरस्वती के मंत्रों का जाप करें। 
  • सरस्वती कवच का पाठ करें। 
  • इसके बाद हवन कुंड बनाकर ‘ॐ श्री सरस्वत्यै नमः’ मंत्र की एक माला जाप करते हुए हवन करें। 
  • अंत में मां सरस्वती की आरती कहें, उनसे अपनी मनोकामना कहें और पूजा में शामिल सभी लोगों को प्रसाद अवश्य दें।

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बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा का महत्व 

बसंत पंचमी का यह त्यौहार मां सरस्वती को समर्पित होता है। ऐसे में मान्यता है कि इस दिन यदि मां सरस्वती की पूजा की जाए तो व्यक्ति को बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है। इसके अलावा यह दिन हर तरह के शुभ कार्य करने के लिए बेहद ही शुभ माना जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वसंत पंचमी का दिन अबूझ मुहूर्त में गिना जाता है। 

ऐसे में अगर आप कोई भी नया काम या शुभ काम करना हो तो आपको इस दिन कोई भी मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं पड़ती। बिना मुहूर्त के विचार किए आप इस दिन नए कार्य की शुरुआत कर सकते हैं आपको इसमें सफलता अवश्य मिलेगी।

बसंत पंचमी से जुड़ी दिलचस्प जानकारी: बसंत पंचमी का त्योहार ज्ञान, विद्या, संगीत और कला की देवी मां देवी सरस्वती को समर्पित होता है। यह त्यौहार मुख्य तौर पर हरियाणा, उड़ीसा, पंजाब, त्रिपुरा और वेस्ट बंगाल अर्थात पश्चिम बंगाल में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इसके अलावा कहा जाता है कि, बसंत पंचमी के दिन अगर मां सरस्वती की पूजा कर ली जाए तो इससे मां काली की भी प्रसन्नता हासिल की जा सकती है।

बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा की उचित सामग्री 

चांदी, पीतल या मिट्टी का दीपक, दीपक जलाने के लिए शुद्ध देसी घी या फिर तिल का तेल, सरसों का तेल, रूई की बत्ती, माचिस, सफेद या पीले कपड़े के दो टुकड़े, पीले सफेद फूल, सफेद कमल, पान और सुपारी, हल्दी, चंदन, कुमकुम, केले, पांच तरह के फल, नारियल, एक कलश, तोरण के पत्ते, अगरबत्ती, आरती के लिए कपूर, अक्षत, गंगाजल, किताबें, संगीत वाद्य यंत्र (अगर कोई हो तो) सिलाई मशीन या कला और शिल्प के लिए उपयोग किए जाने वाला कोई भी उपकरण, पेंसिल, कलम, लकड़ी या फिर कोई भी पूजा की चौकी।

बसंत पंचमी के दिन इन बातों का रखें विशेष ख्याल 

  • इस दिन नियम से ब्रह्मचर्य का पालन करें। 
  • भूल से भी इस दिन पेड़ पौधे ना काटे/तोड़ें। 
  • बसंत पंचमी के दिन किसी को भी बुरे शब्द कहने से बचें।
  • बसंत पंचमी के दिन विद्या के देवी मां सरस्वती की पूजा अवश्य करें और उन्हें फल, फूल आदि अर्पित करें। 
  • बसंत पंचमी के दिन भूल से भी कलम, कागज, या शिक्षा से जुड़ी किसी भी चीज का अपमान या अनादर न करें।

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सभी ऋतुओं में बसंत का विशेष महत्व होता है। वसंत ऋतु का आगमन हमारे जीवन में उल्लास और उमंग लेकर आता है। इस दौरान वातावरण में एक विशेष ऊर्जा का अनुभव होता है। सूर्य के कुम्भ राशि में प्रवेश के साथ ही वसंत उत्सव की शुरूआत हो जाती है। बसंत पंचमी का यह त्योहार दो मुख्य वजहों से सुर्खियों में रहता है, इनमें से एक है रति-काम महोत्सव। इस काल में पेड़-पौधे भी अपनी पुरानी पत्तियाँ त्याग देते हैं और उनमें नई पत्तियाँ उगने लगती हैं। फूलों की सुगंध और हर तरफ हरियाली से पूरा वातावरण मनुष्य को आनंद में मग्न करने लगता है। बसंत ऋतु के समय संपूर्ण प्रकृति में एक मोहक सौंदर्य छा जाता है। पक्षी चहचहाने लगते हैं और फूल भौंरों से गुंजन करने लगते हैं। यही कारण है कि इस माह को ‘मधुमास’ भी कहा जाता है। बसंत ऋतु पर शुक्र ग्रह का विशेष प्रभाव होता है। शुक्र ग्रह को कामुकता और आकर्षण का कारक माना जाता है।

जन्म कुंडली का चौथा और पांचवां घर शिक्षा का प्राकृतिक घर माना गया है। किसी व्यक्ति के जीवन में शिक्षा इन्ही भावों की ग्रह स्थिति पर ही निर्भर करता है। यदि कुंडली के ये भाव पीड़ित हों तो जातक की शिक्षा पूरी नहीं हो पाती है। जिन जातकों की कुंडली में ये भाव पीड़ित अवस्था में होते हैं वो बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती का स्मरण और पूजा करके वांछित सफलता प्राप्त कर सकते हैं। इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से व्यक्ति का दिमाग तेज होता है और उनकी स्मरण और एकाग्रता शक्ति भी बढ़ती है। साथ ही परीक्षाओं में अच्छे अंक भी आने लगते हैं। वाणी में मधुरता और सरसता आती है। वाणी की समस्या से पीड़ित बच्चों पर मां सरस्वती की कृपा बनी रहती है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा, व्रत और जप करने से भक्त को देवी की कृपा प्राप्त होती है।

नीचे हम आपको कुछ विशेष मंत्र प्रदान कर रहे हैं जिनके माध्यम से आपको लाभकारी परिणाम मिल सकते हैं। इन मंत्रों के जाप की विधि एक समान है। मुमकिन हो तो बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र पहनकर देवी के सामने बैठें, उन्हें माथे पर पीले चंदन का टीका लगाकर सजाएं और अपनी श्रद्धा के अनुसार निम्नलिखित मंत्रों में से किसी एक का 1, 3, 5, 7 या 11 माला जाप करें।

मंत्र 1: अयं

मंत्र 2: ‘नील सरस्वती स्तोत्र’ का पाठ करें।

मंत्र 3: ॐ वद वद वाग्वादिनी स्वाहा।

मंत्र 4: प्रतिदिन सुबह सरस्वती चालीसा का पाठ करें।

मंत्र 5: शिक्षा के लिए आप भगवान गणेश के बीज मंत्र- ओं गं गणपतये नम: का भी जाप कर सकते हैं।

बसंत पंचमी के दिन क्या करें 

  • अगर आपका बच्चा अर्थात आपकी संतान का मन बहुत ही चंचल है और वह एकाग्र होकर पढ़ाई नहीं कर पा रहा है तो बसंत पंचमी के दिन मां शारदा की पूजा विशेष रूप से करें और उनके लिए परीक्षा या प्रतियोगिता में सफलता और एकाग्रता का आशीर्वाद अवश्य मांगें। 
  • इस दिन बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा के साथ-साथ पढ़ाई लिखाई से जुड़ी चीजों की भी विशेष रूप से पूजा करें। अर्थात इस दिन कॉपी, किताब, पेन की पूजा भी करना विशेष शुभ माना गया है।
  • बसंत पंचमी के दिन भूल से भी काले रंग के वस्त्र न पहनें। इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनना बेहद ही शुभ होता है।

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बसंत पंचमी के दिन छात्र जातक अवश्य करें ये काम 

जैसा कि हमने पहले बताया कि बसंत पंचमी का दिन मां सरस्वती (जिन्हें विद्या की देवी कहा गया है उन्हें) को समर्पित होता है। ऐसे में अगर आप भी पढ़ाई लिखाई करने वाले छात्र हैं तो आपको बसंत पंचमी के दिन कुछ विशेष काम अवश्य करने चाहिए जैसे मां सरस्वती की तस्वीर बसंत पंचमी के दिन आप अपने घर में या अपने बच्चों के कमरे में मां सरस्वती की प्रतिमा या उनका कोई चित्र अवश्य लगाएँ। इसे अपने बच्चों की पढ़ाई वाली जगह के ठीक सामने रखें। ऐसा करने से उनकी एक एकाग्रता और ज्ञान में वृद्धि होगी और शिक्षा में अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे।

अपने बच्चों के पढ़ाई लिखाई वाले टेबल के बारे में एक बात का विशेष ध्यान रखें की टेबल दीवार से एकदम चिपकी हुई ना हो। इन दोनों के बीच पर्याप्त जगह खाली अवश्य होनी चाहिए तभी आपको शिक्षा में सफलता मिलेगी। 

अगर आपने पढ़ाई पूरी कर ली है और आप किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं या फिर नौकरी की तैयारी कर रहे हैं तो आप हमेशा उत्तर दिशा में बैठकर ही पढ़ाई की तैयारी या फिर नौकरी के संदर्भ में अपनी तैयारी करें। आपको सफलता अवश्य मिलेगी।

बसंत पंचमी पर राशि अनुसार अवश्य करें ये उपाय- हर काम में मिलेगी सफलता 

बसंत पंचमी का यह खास दिन बेहद ही शुभ माना गया है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है। ऐसे में चलिए अब हम जान लेते हैं ज्योतिष के अनुसार इस दिन क्या कुछ राशि अनुसार उपाय करने से व्यक्ति को मां सरस्वती के साथ मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है। 

मेष राशि: बसंत पंचमी के दिन सफेद रंग के वस्त्र पहनकर मां सरस्वती की पूजा करें और इस दिन सरस्वती कवच का पाठ अवश्य करें। 

वृषभ राशि: मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए उन्हें सफेद चंदन का तिलक लगाएँ और उन्हें पीले फूल अर्पित करें। 

मिथुन राशि: मिथुन राशि के जातक मां सरस्वती को हरे रंग की पेन अर्पित करें और उसी से अपने सभी महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा करें। 

कर्क राशि: कर्क राशि के जातकों को इस दिन मां को खीर का भोग लगाने की सलाह दी जाती है। विशेष तौर पर अगर आप संगीत के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं तो ऐसा करना आपके लिए बेहद ही फायदेमंद साबित होगा। 

सिंह राशि: सिंह राशि के जातकों को इस दिन मां गायत्री मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए। 

कन्या राशि: अगर आप कन्या राशि के जातक हैं तो वसंत पंचमी के दिन गरीब जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाई की चीज अवश्य वितरित करें। 

तुला राशि: तुला राशि के जातक वसंत पंचमी के दिन किसी ब्राह्मण को सफेद कपड़ों का दान करें।

वृश्चिक राशि: वृश्चिक राशि के जातक बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा अवश्य करें। पूजा के बाद उन्हें लाल रंग का पेन अवश्य अर्पित करें। 

धनु राशि: धनु राशि के जातक बसंत पंचमी के दिन मां को पीले रंग की मिठाई अवश्य अर्पित करें। 

मकर राशि: मकर राशि के जातक इस दिन निर्धन व्यक्ति को सफेद रंग का कोई भी अनाज अवश्य अर्पित करें। 

कुंभ राशि: कुंभ राशि के जातक वसंत पंचमी के दिन गरीब बच्चों में स्कूल बैग और शिक्षा की सामग्री अवश्य वितरित करें। 

मीन राशि: मीन राशि के जातक इस दिन छोटी कन्याओं में पीले रंग के कपड़ों का दान करें।

बसंत पंचमी के दिन पीले रंग का महत्व 

सवाल उठता है कि, आखिर बसंत पंचमी के दिन पीले रंग का इतना महत्व क्यों बताया जा रहा है? दरअसल इसके पीछे दो प्रमुख कारण होते हैं, पहला तो यह की बसंत पंचमी के बाद ठंड धीरे-धीरे खत्म होने लगती है और तापमान काफी आरामदायक हो जाता है क्योंकि इस समय ना ही ज्यादा ठंड होती है ना ही बहुत ज्यादा गर्मी इसलिए यह समय बेहद ही खूबसूरत लगने लगता है। पेड़, पौधे, फूल, नई फसलें खिलने लगती हैं और सरसों की फसलें गांव की खूबसूरती में चार चांद लगाने लगती है। इन्हीं वजहों के चलते बसंत पंचमी के दिन पीले रंग का महत्व बताया गया है। 

इसके अलावा इस दिन से जुड़ी दूसरी किवदंती के अनुसार इसी दिन सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। सूर्य की तेजस्वी किरणें मानव अवधारणा का प्रतिनिधित्व करती हैं कि सूर्य की तरह ही व्यक्ति का जीवन भी गंभीर और भावुक होना चाहिए। इन्हीं दो मान्यताओं की वजह से बसंत पंचमी का संबंध पीले रंग से जोड़कर देखा जाता है।

वाल्मिकी, वशिष्ठ, विश्वामित्र, शौनक और व्यास जैसे महान ऋषि देवी सरस्वती की आराधना से ही सफल हो सके इसलिए हमें भी देवी सरस्वती की कृपा पाने के लिए प्रयास करना चाहिए। 

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शनि कुंभ राशि में अस्त: कैसे करेंगे 12 राशियों को प्रभावित?

शनि कुंभ राशि में अस्त: वर्तमान समय में शनि ग्रह अपनी राशि कुंभ में गोचर कर रहे हैं जो कि लंबे समय तक इसी राशि में रहेंगे। लेकिन, 11 फरवरी 2024 को शनि ग्रह अस्त हो गए हैं और अपनी इस अवस्था में 17 मार्च 2024 तक रहेंगे। बता दें कि “अस्त” का अर्थ होता है डूब जाना यानी कि प्रभावहीन हो जाना। जब कोई ग्रह सूर्य के अधिक निकट चला जाता है, तो वह सूर्य के तेज़ से प्रभावहीन हो जाता है, तब ग्रह को “अस्त” कहा जाता है।

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ऐसा माना जाता है कि “अस्त” ग्रह शुभ फल देने में असमर्थ होते हैं। यदि हम शनि ग्रह के अस्त होने की बात करें, तो शनि के अस्त होने से कुछ राशियों को कमज़ोर परिणाम मिल सकते हैं। वहीं, कुछ राशियों के लिए शनि का अस्त होना फलदायी साबित होगा। शनि के अस्त होने की वजह से सभी 12 राशियों पर कैसा प्रभाव पड़ेगा? साथ ही, इस स्थिति का भारत पर कैसा प्रभाव पड़ेगा, आइए जानते हैं। 

शनि कुंभ राशि में अस्त: भारतवर्ष पर प्रभाव 

शनि के अस्त होने के कारण सत्तारूढ़ दलों के मार्ग में कुछ कठिनाइयां आ सकती हैं। विपक्ष या विरोधी दलों उनके अधूरे वादों को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश कर सकते हैं। जनता के मन में भी सरकार या शासन-प्रशासन से जुड़े लोगों को लेकर असंतोष देखने को मिल सकता है। कहीं-कहीं पर सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन आदि हो सकते हैं। यातायात संबंधी मामलों में भी कुछ समस्याएं या दुर्घटनाएं होने की आशंका हैं। शनि के अस्त होने से आपकी राशि पर क्या प्रभाव पड़ेगा? आइए जानते हैं। 

शनि कुंभ राशि में अस्त: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय 

मेष राशि

मेष राशि वालों के लिए शनि आपकी कुंडली में कर्म तथा लाभ भाव के स्वामी हैं और वर्तमान में शनि आपके लाभ भाव में ही अस्त हो रहे हैं। शनि के अस्त होने के कारण आपके लाभ मार्ग में कुछ समस्याएं देखने को मिल सकती हैं। कार्यक्षेत्र में भी व्यवधान आ सकते हैं अथवा किसी भी कार्य को पूरा करने में अधिक समय लग सकता है। ऐसे में, अपने धैर्य और निष्ठा को बनाए रखने की कोशिश करें। 

उपाय: प्रत्येक शनिवार सुंदरकांड का पाठ करें। 

वृषभ राशि

वृषभ राशि वालों के लिए शनि आपकी कुंडली में भाग्य तथा कर्म भाव के स्वामी हैं। वर्तमान में शनि आपके कर्म भाव में अस्त हो रहे हैं। अतः इसका असर आपके कार्यक्षेत्र यानी कि करियर पर पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में आपको अधिक मेहनत करने की आवश्यकता होगी यानी कि यदि आप पहले की तरह ही परिणाम प्राप्त करना चाह रहे हैं तो इस समय कड़ी मेहनत करनी होगी। वरिष्ठों के साथ बेहतर तालमेल बिठाने का प्रयास लगातार करते रहें। अनुभवी लोगों का सहयोग लेना न भूलें। पिता अथवा पिता तुल्य व्यक्तियों की सलाह और आशीर्वाद आपके लिए हितकारी रहेगा। यदि कभी ऐसा लगे कि आपके वरिष्ठ अथवा पिता आपकी किसी बात को नहीं समझ रहे हैं तो भी उनसे नाराज होने की बजाय उनका आदर करते रहना आपके लिए फायदेमंद रहेगा। हालांकि, यात्राओं को टालने का प्रयास करें। 

उपाय: शिव मंदिर में काले तिल के लड्डू चढ़ाना शुभ रहेगा। 

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मिथुन राशि

मिथुन राशि वालों के लिए शनि आपकी कुंडली में आठवें तथा भाग्य भाव के स्वामी हैं। वर्तमान में शनि आपके भाग्य भाव में अस्त हो रहे हैं और ऐसे में आपको भाग्य का सपोर्ट कम मिल सकता है। कभी-कभी आपको ऐसा लग सकता है मानो जाती हुई समस्या दोबारा लौटकर आ रही हो। हालांकि, आपको बहुत ज्यादा चिंतित या परेशान होने की बजाय धैर्य से काम करने की जरूरत होगी। साथ ही, अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा करते हुए वरिष्ठों के मार्गदर्शन के अनुसार काम करेंगे तो कोई बड़ी समस्या नहीं आएगी। इस अवधि में स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही बरतने से बचना होगा। अपने संबंधों को यथासंभव मेंटेन करने की कोशिश करते रहें। 

उपाय: संध्या के समय पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों अथवा तिल के तेल का दीपक जलाएं। 

कर्क राशि

कर्क राशि वालों के लिए शनि ग्रह आपकी कुंडली में सातवें तथा आठवें भाव के स्वामी हैं। वर्तमान में शनि आपके आठवें भाव में रहते हुए अस्त हो रहे हैं। आठवें भाव में शनि के गोचर को शनि की ढैया के रूप में जाना जाता है जिसे सामान्य तौर पर नकारात्मक कहा जाता है। अत: शनि के अस्त या प्रभावहीन या यूं कहे की शनि के नकारात्मक प्रभावों में कमी आने के कारण आपको राहत या अनुकूलता का अनुभव हो सकता है। हालांकि, इसके बावजूद भी आपको अपने स्वास्थ्य आदि के प्रति लापरवाह नहीं होना है। साथ ही, पहले की तरह ही किसी भी प्रकार के बड़े रिश्क या निवेश से भी बचना होगा। अपने आराध्य देवी-देवता की आराधना करते रहें जिससे शनि की नकारात्मकता नियंत्रण में आ सके। 

उपाय: नियमित रूप से महामृत्युंजय मंत्र का एक निश्चित संख्या में जाप करें। 

सिंह राशि

सिंह राशि वालों के लिए शनि आपकी कुंडली में छठे तथा सातवें भाव के स्वामी हैं। वर्तमान में शनि आपके सप्तम भाव में अस्त हो रहे हैं। वैसे तो सप्तम भाव में शनि के गोचर को अच्छा नहीं माना जाता है, लेकिन अपनी ही राशि में होने के कारण शनि ज्यादा नकारात्मकता न देकर सिर्फ आपको सीख देने या सही मार्ग पर बनाए रखने के लिए कुछ परेशानियां देते रहे होंगे, तो अब शनि के अस्त होने से उन परेशानियों में कमी आएगी। साथ ही, व्यापार-व्यवसाय में भी कुछ नए अवसर आपको मिल सकते हैं। हालांकि, सप्तमेश का अस्त होना एक दृष्टिकोण से खराब है। ऐसे में, नए सिरे से मिल रहे प्रपोजल्स को भली-भांति जानना-समझना और उनकी पड़ताल करना जरूर होगा। किसी भी तरीके के गैर कानूनी काम से जुड़ाव उचित नहीं रहेगा। साथ ही, विवाहित होने की स्थिति में अपने दांपत्य जीवन का ख्याल रखें। 

उपाय: काली उड़द की पकौड़ी बनाकर गरीबों में बांटना शुभ रहेगा। 

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कन्या राशि

कन्या राशि वालों के लिए शनि आपकी कुंडली में पांचवें तथा छठे भाव के स्वामी हैं। अब यह आपके छठे भाव में अस्त हो रहे हैं। सामान्य तौर पर शनि के इस गोचर को अच्छा नहीं माना गया है। अतः अस्त होने के कारण अच्छाइयों में कुछ कमी देखने को मिल सकती है और फलस्वरूप आपको अपने स्वास्थ्य के प्रति अधिक सजग रहना होगा। साथ ही, प्रतिस्पर्धात्मक कार्यों में अब तुलनात्मक रूप से अधिक मेहनत करनी पड़ सकती है। लेकिन, अनुकूल बात यह है कि इन्हीं मामलों में आपको कठिनाइयों के बाद अच्छे परिणाम मिल जाने चाहिए। संतान पक्ष को लेकर कुछ चिंताएं देखने को मिल सकती हैं। कमर या पेट के आसपास की कुछ परेशानियां भी बीच-बीच में परेशान कर सकती हैं जिन्हें जागरूक रहकर आपको मेंटेन करना होगा। 

उपाय: मजदूरों को अपने सामर्थ्य के अनुसार भोजन करवाएं। 

तुला राशि

तुला राशि वालों के लिए शनि आपकी कुंडली में चौथे तथा पांचवें भाव के स्वामी हैं और फिलहाल यह आपके पांचवें भाव में ही अस्त हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में यदि पिछले दिनों आपकी लव लाइफ में कोई परेशानी रही है, तो उस परेशानी का कारण आपको जानने को मिल सकता है। साथ ही, यदि आप कोशिश करेंगे तो उस समस्या को देर-सवेर आप दूर कर सकेंगे। हालांकि, नए सिरे से फिर से कोई दिक्कत न आने पाए इस बात का ख्याल रखना होगा। शनि के अस्त होने से घर-परिवार से जुड़ी कुछ नई दिक्कतें सामने आ सकती हैं, लेकिन अनुकूल बात यह होगी कि पुरानी दिक्कतों को दूर करने का रास्ता भी मिल सकता है। नौकरी इत्यादि में बदलाव की कोशिश भी कामयाब हो सकेगी। 

उपाय: शिवलिंग पर काले और सफेद तिल मिलाकर चढ़ाएं। 

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि वालों के लिए शनि आपकी कुंडली में तीसरे और चौथे भाव के स्वामी हैं और यह चौथे भाव में ही अस्त होने जा रहे हैं। हालांकि, चौथे भाव में शनि के गोचर को ढैया कहा जाता है, जो नकारात्मक परिणाम प्रदान करती है। ऐसे में, शनि के अस्त होने से शनि की ढैया के नकारात्मक प्रभावों में कमी देखने को मिल सकती है। लेकिन फिर भी चौथे भाव में किसी ग्रह का अस्त होना बहुत अनुकूल नहीं कहा जाएगा इसलिए मन-मस्तिष्क में कुछ तनाव रह सकता है। गृहस्थ या पारिवारिक मामलों में भी थोड़ी अशांति रहने की आशंका है। घर में यदि कोई बुजुर्ग हैं तो उनके स्वास्थ्य को लेकर सचेत रहना होगा। साथ ही, माता के साथ संबंध भी मेंटेन करने होंगे क्योंकि भले ही शनि अस्त हो रहे हैं लेकिन शनि की ढैया का प्रभाव बना रहेगा। अतः इन मामलों में किसी भी प्रकार की लापरवाही उचित नहीं होगी। सामान्य तौर पर शनि के द्वारा मिले-जुले परिणाम दिए जा सकते हैं यानी कि कुछ परिणाम अच्छे हो सकते हैं तो कुछ परिणाम कमज़ोर भी रह सकते हैं इसलिए हर हाल में लापरवाह होने से बचें। 

उपाय: नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करें। 

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धनु राशि

धनु राशि वालों के लिए शनि आपकी कुंडली में दूसरे तथा तीसरे भाव के स्वामी हैं। वर्तमान में यह आपके तीसरे भाव में ही अस्त हो रहे हैं। वैसे तो सामान्य तौर पर तीसरे भाव में शनि के गोचर को अच्छा कहा जाता है। लेकिन, अस्त होने के कारण जो अच्छे परिणाम अभी तक आपको मिल रहे थे उन अच्छाइयों में कुछ कमी देखने को मिल सकती है। जो काम पहले तेजी के साथ पूरे हो रहे थे, शायद अब उनमें ज्यादा वक्त लगे। इसके अलावा भाई-बंधु और पड़ोसियों के प्रति आपके अच्छे भाव होने की स्थिति में भी शायद उनकी मदद आपके काम न आए इसलिए आत्मनिर्भर रहना है, दूरसंचार से संबंधित चीजें टूटने या खराब न होने पाएं, इस बात का भी ख्याल रखना होगा। मोबाइल लैपटॉप जैसी जरूरी चीजों के रखरखाव में ज्यादा सावधानी अपनाने की जरूरत होगी।

उपाय: दशरथ कृत शनि स्त्रोत का पाठ करना शुभ रहेगा। 

मकर राशि

मकर राशि वालों के लिए शनि आपके लग्न या राशि स्वामी होने के साथ-साथ आपके दूसरे भाव के भी स्वामी हैं। वर्तमान में यह आपके दूसरे भाव अर्थात धन भाव में ही अस्त हो रहे हैं। चंद्र कुंडली के अनुसार, दूसरे भाव में शनि का गोचर शनि की साढ़ेसाती का निर्माण करता है। ऐसे में, शनि का अस्त होना मिले-जुले परिणाम दे सकता है अर्थात यदि कहीं से धन आगमन होने की प्रबल संभावना थी तो अब उस प्राप्ति में कुछ विलंब हो सकता है। बीच-बीच में मानसिक तनाव भी देखने को मिल सकता है। इन तमाम कारणों से किसी भी काम को जल्दबाजी में न करें। यदि आपको अपनी बात किसी वरिष्ठ व्यक्ति या शासन-प्रशासन से जुड़े लोगों के समक्ष रखनी हो. तो उस पर पहले प्रॉपर होमवर्क कर लें। साथ ही, अपनी वाणी को मीठा बनाए रखना होगा और न केवल मीठा बोलना है बल्कि सच भी बोलना है जिससे शनि की नकारात्मकता आपको पीड़ित न कर पाए। आर्थिक मामले में कोई बड़ा रिस्क लेने से बचें। 

उपाय: शनिवार के दिन सुंदरकांड का पाठ करें। 

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कुंभ राशि

कुंभ राशि वालों के लिए शनि आपकी कुंडली में लग्न या राशि स्वामी होने के साथ-साथ आपके द्वादश भाव के भी स्वामी हैं। वर्तमान में शनि आपके प्रथम भाव में गोचर कर रहे हैं और यहीं पर अस्त हो रहे हैं। शनि का प्रथम भाव में गोचर साढ़ेसाती की श्रेणी में आता है। ऐसे में, शनि के अस्त होने से साढ़ेसाती की नकारात्मकता कम होनी चाहिए, लेकिन आपके मामले में शायद ऐसा नहीं हो पाएगा क्योंकि पहले भाव में शनि का अस्त होना स्वास्थ्य में कमज़ोरी दे सकता है। अतः स्वास्थ्य के प्रति किसी भी प्रकार की लापरवाही उचित नहीं रहेगी। इस अवधि में अचानक से या किसी के बहकावे में आकर कोई बड़ा निर्णय नहीं लेना है। यदि कोई बड़ा या महत्वपूर्ण निर्णय लेना हो तो एक से अधिक एक्सपर्ट्स लोगों की एडवाइस लेने के बाद ही आप अपने कदम को आगे बढ़ाएं। 

उपाय: गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का पाठ करना शुभ रहेगा। 

मीन राशि

मीन राशि वालों के लिए शनि आपकी कुंडली में लाभ भाव के स्वामी होने के साथ-साथ द्वादश भाव के भी स्वामी हैं। वर्तमान में शनि आपके द्वादश भाव में गोचर करते हुए अस्त हो रहे हैं। द्वादश भाव में शनि का गोचर शनि की साढ़ेसाती का निर्माण करता है जिसे सामान्य तौर पर नकारात्मक परिणाम देने वाला कहा जाता है। ऐसी स्थिति में शनि के अस्त होने से संभवत: खर्चों में कुछ कमी देखने को मिल सकती है। यह आपके लिए एक सकारात्मक बात है लेकिन नींद में कुछ व्यवधान भी देखने को मिल सकते हैं जो कि एक कमज़ोर स्थिति है। इस दौरान यदि कोई स्वास्थ्य समस्या नजर आए तो उसे हल्के में न लें बल्कि उसका शीघ्र और समुचित उपचार करवा लें। अदालत आदि से संबंधित मामलों में थोड़ा विलंब देखने को मिल सकता है। ऐसे में, कर्ज आदि के लेनदेन से बचना होगा। 

उपाय: नियमित रूप से हनुमत साठिका का पाठ करें।

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वैलेंटाइन डे 2024: राशि अनुसार तोहफे से बनाएँ इस दिन को और भी खास और यादगार!

वैलेंटाइन डे अर्थात प्रेम को समर्पित एक बेहद ही खास दिन जब दुनिया भर के प्रेमी अपने पार्टनर को अपना प्यार दिखाने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते हैं। इसके अलावा कहा जाता है कि यदि इस दिन किसी से अपने प्यार का इजहार करना हो तो ऐसा करने के लिए भी यह दिन बेहद ही खास रहता है। 

आज अपने इस खास ब्लॉग में हम जानेंगे वैलेंटाइन डे का ज्योतिष में महत्व क्या होता है, इस दिन का इतिहास क्या है, प्रेम से ज्योतिष के तार किस तरह से जुड़े हैं। साथ ही जानेंगे इस वैलेंटाइन डे पर आप अपने पार्टनर को क्या कुछ उपहार देकर इस दिन को और भी खास और यादगार बना सकते हैं।

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वैलेंटाइन डे की शुरुआत 

जैसा कि हमने पहले भी बताया कि वैलेंटाइन डे यानी कि प्यार करने वालों के लिए एक ऐसा दिन जब उनके लिए पूरे पूरे वातावरण में प्यार का रंग फिज़ाओं में घुला रहता है। बात करें इस दिन की शुरुआत की तो वैलेंटाइन डे की शुरुआत रोमन फेस्टिवल से हुई थी। 5वीं शताब्दी के अंत तक पोप गेलैसियस ने 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे का नाम दिया था और तभी से वैलेंटाइन डे मनाया जाता है। रोम में रहने वाले लोगों के लिए लुपर्केलिया नामक एक त्योहार फरवरी के मध्य में मनाया जाता था, ऐसा माना जाता है कि इस दिन सामूहिक विवाह होते हैं।

बात करें ज्योतिष और वैलेंटाइन की तो प्रेम और रोमांस में सुंदरता और आकर्षक प्रधान है। वैदिक ज्योतिष में जन्म कुंडली में लग्न को इसका आधिपत्य दिया गया है। जातक की कुंडली में सप्तम भाव जीवनसाथी का होता है जो रोमांस और प्रेम के भौतिक परिणाम का प्रभाव होते हैं। रोमांस और प्रेम में ज्योतिष के अनुसार बात करें तो चंद्रमा, शुक्र और मंगल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

जहां चंद्रमा मन का कारक माना गया है वहीं मन की चंचलता पर चंद्रमा का एकाधिकार होता है। इसके अलावा दूसरा ग्रह मंगल साहस, पराक्रम और ऊर्जा को दिखाता है। चंद्र मंगल की भूमिका स्त्री के जीवन में ज्यादा महत्व रखती है। इसके अलावा शुक्र सुंदरता और आकर्षण का कारक माना गया है। शुक्र मंगल की युति रोमांस का कारण बनती है। ऐसे में चंद्रमा का प्रभाव व्यक्ति को रोमांटिक बनाता है।

वैलेंटाइन का अर्थ केवल प्रेमी तक सीमित नहीं है। यह किसी भी ऐसे व्यक्ति को दिया जा सकता है जिससे आप बहुत ज्यादा प्रेम करते हैं। ऐसे में जब लगन और पंचम भाव के स्वामी ग्रह अथवा भावों का संबंध चतुर्थ भाव से होता है तो व्यक्ति की वैलेंटाइन उसकी मां होती है। एकादश भाव मित्रता का भाव होता है। लग्न, पंचम भाव और एकादश भाव का संबंध हो तो वैलेंटाइन कोई दोस्त हो सकता है। 

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सरल शब्दों में बात करें तो वैलेंटाइन डे का संबंध ज्योतिष के अनुसार शुक्र, मंगल और चंद्र ग्रहों से जोड़कर देखा जाता है। जैसे कि हमने पहले भी बताया कि वैलेंटाइन सिर्फ प्रेमी नहीं कोई भी प्रिय व्यक्ति हो सकता है। ऐसे में आप इस वैलेंटाइन को अपने खास व्यक्ति के लिए और भी स्पेशल बना सकते हैं उन्हें राशि अनुसार तोहफे देखकर। अगर आप अपने वैलेंटाइन को राशि अनुसार तोहफा देना चाहते हैं और इसकी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें। हम इसके बारे में भी आपके यहां जानकारी देने जा रहे हैं।

वैलेंटाइन डे का इतिहास

वैलेंटाइन डे के इतिहास या इसकी शुरुआत की कहानी रोम के संत वैलेंटाइन से जोड़कर देखी जाती है। माना जाता है कि रोम के राजा क्लाउडियस प्यार के सख्त खिलाफ हुआ करते थे। उनका मानना था कि अगर सैनिक प्रेम में पड़ जाएंगे तो उनका मन भटक जाएगा और इससे सेना कमजोर हो जाएगी। ऐसे में उन्होंने सैनिकों की शादी पर रोक लगा रखी थी। 

वहीं दूसरी तरफ थे संत वैलेंटाइन, जो प्यार के बहुत बड़े प्रचारक थे। ऐसे में इन्होंने राजा के खिलाफ जाकर कई लोगों की शादियाँ भी करवाई थी। लोगों की शादियां करवा कर संत वैलेंटाइन ने राजा क्लॉडियस की धारणा को गलत साबित किया जिसकी वजह से रोम के राजा ने उन्हें फांसी की सजा सुना दी। 14 फरवरी के दिन ही संत वैलेंटाइन को फांसी दे दी गई थी और तभी से इस दिन वैलेंटाइन डे मनाने की शुरुआत हुई। 

14 फरवरी को रोम के साथ-साथ दुनिया भर में प्यार का दिन के रूप में जाने लगा। बात करें की पहली बार वैलेंटाइन डे कब बना था तो वैलेंटाइन डे की शुरुआत रोमन फेस्टिवल से हुई थी। दुनिया में पहली बार 496 में वैलेंटाइन का जश्न मनाया गया था। इसके बाद पांचवीं शताब्दी में रोम के पॉप गैलक्सी ने 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे के रूप में आधिकारिक पहचान दी और तब से ही रोम के साथ-साथ दुनिया भर में 14 फरवरी का दिन वैलेंटाइन डे के रूप में मनाया जाने लगा। 

आपको जानकर शायद अचरज हो लेकिन रोम के कई शहरों में आज भी 14 फरवरी के दिन सामूहिक विवाह का आयोजन भी किया जाता है।

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वैदिक ज्योतिष और वैलेंटाइन डे 

वेलेंटाइन डे प्यार के दाता कामदेव का भी प्रतीक माना गया है। रोमन पौराणिक कथाओं के अनुसार कामदेव को शुक्र ग्रह का पुत्र माना गया है जो प्रेम और सौंदर्यता की देवी होती है और कामदेव के धनुष और बाद का एक हृदय को छेदते हुए और प्रेम का मंत्र डालते हुए दर्शाया गया है। यही वजह है कि प्यार का यह त्यौहार बेहद ही उल्लास भाव और उत्सव के साथ मनाया जाता है।

वेलेंटाइन डे गिफ्ट आइडिया- राशि अनुसार 

अब जान लेते हैं कि इस वेलेंटाइन डे पर आप अपने पार्टनर को क्या कुछ तोहफे देकर इस दिन को अपने और उनके लिए और भी खास बना सकते हैं। यहाँ हम आपको राशि अनुसार गिफ्ट विकल्पों की जानकारी दे रहे हैं: 

मेष राशि: इस वेलेंटाइन डे को और भी खास और यादगार बनाने के लिए आप अपने पार्टनर को स्काइ डाइविंग, कोई लंबी रोड ट्रिप जैसा कोई तोहफा दे सकते हैं। 

वृषभ राशि: स्पा वाउचर जिसका लुफ्त आपका पार्टनर एकांत में उठा सके या फिर आप उनकी किसी वस्तु को बदल कर उसके बदले उन्हें नई चीज़ तोहफे में दे सकते हैं। आपके पार्टनर को नयापन अच्छा लगता है ऐसे में उन्हें ये तोहफा अवश्य पसंद आएगा। 

मिथुन राशि: इस राशि के जातकों को अच्छी, मज़ेदार, फन चीज़ें बहुत पसंद होती है। ऐसे में आप उन्हें पज़ल जैसा कोई तोहफा जिसमें उनके दिमाग की कसरत हो या ट्रैवल जर्नल जैसा कोई तोहफा इस वेलेंटाइन डे पर दे सकते हैं। 

कर्क राशि: इस राशि के जातकों को प्यारी चीजों से प्यार होता है। ऐसे में आप उनके दिन को और भी खास बनाने के लिए उन्हे कोई प्यारा सा सॉफ्ट टोय या कुशन आदि दे सकते हैं। यकीनन इस तोहफे से आप उनके दिन को और भी खास बना सकते हैं। 

सिंह राशि: सिंह राशि के जातकों के अंदर कमाल की ऊर्जा होती है। ऐसे में आप उनके लिए किसी अच्छे म्यूजिक कोन्सेर्ट का टिकिट या किसी अच्छे फेस्ट का टिकट गिफ्ट के रूप में चुन सकते हैं। 

कन्या राशि:  कन्या राशि के जातक परफेक्शनिस्ट होते हैं। ऐसे में आप उनके लिए हैंड जर्नल या एक प्यारा डिज़्नी कैलेंडर इस वैलेंटाइन उन्हें उपहार देने के लिए चुन सकते हैं।

तुला राशि: शुक्र के स्वामित्व वाली इस राशि के जातकों को आप कोई बढ़ियाँ स्टेटमेंट जेवेलेरी या कोई अच्छा ड्रेस तोहफे में दे सकते हैं। 

वृश्चिक राशि: वृश्चिक जातकों की पसंद बेहद ही खास और अनोखी होती है। ऐसे में आप उन्हें हैंडमेड साबुन, इसैन्श्यल ओइल्स आदि तोहफे में दे सकते हैं। 

धनु राशि: धनु राशि के जातकों को घूमना-फिरना हद से ज़्यादा पसंद होता है। ऐसे में आप इन्हें किसी म्यूज़ियम में घुमाने या फिर किसी छोटी ट्रिप की योजना बनाकर भी खुश कर सकते हैं।  

मकर राशि: मकर राशि के जातकों को अपने स्वभाव के अनुरूप शांत जगह पर रहना-खाना ज़्यादा प्रिय होता है। ऐसे में वैलेंटाइन की शाम आप अपने करीबी दोस्तों और अपने प्रेमी के साथ किसी अच्छी जगह पर डिनर डेट की योजना बना सकते हैं। 

कुम्भ राशि: कुम्भ राशि के जातक स्वभाव  में बेहद ही व्यावहारिक होते हैं। ऐसे में आप उन्हें गैजेट आदि दे सकते हैं। इससे उनका काम भी आसान होगा और उनका मनोरंजन भी होता रहेगा। आप चाहें तो इस वैलेंटाइन उन्हें आईपैड देकर उनका दिन बना सकते हैं। 

मीन राशि: मीन राशि के जातक स्वभाव में बहुत ही भावुक किस्म के होते हैं। उन्हे चीजों से अच्छे पल लगते हैं। ऐसे में आप उन्हे किसी खूबसूरत याद की तस्वीर या फिर और नई और खूबसूरत यादें बनाने के लिए कोई ट्रिप तोहफे में दे सकते हैं।

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वैलेंटाइन डे विशेष राशिफल 

अंत में चलिये बात कर लेते हैं वैलेंटाइन विशेष राशिफल। यहाँ हम जानेंगे कि इस दिन का राशिफल सभी 12 राशियों के लिए क्या भविष्यवाणी लेकर आया है। 

मेष राशि: मन के कारक चंद्रमा के प्रथम अर्थात लग्न भाव में स्थित होने के परिणाम स्वरुप मेष राशि के जातक इस वैलेंटाइन डे पर ज्यादा भावुक नजर आ सकते हैं। आप अपने साथी के साथ भावनात्मक स्तर पर जुड़ाव महसूस करेंगे। आपके रिश्ते में रोमांस आपके लिए प्राथमिकता रहने वाला है। आप अपने साथी के साथ कुछ भावुक और भावनात्मक क्षण व्यतीत करते भी नजर आएंगे।

वृषभ राशि: वृषभ राशि के जातकों के लिए तीसरे भाव का स्वामी चंद्रमा इस वैलेंटाइन’स डे पर आपके बारहवें भाव में स्थित रहेगा। चंद्रमा की यह स्थिति बेहद ही अनुकूल नजर आ रही है। ऐसे में इस दौरान आप किसी लंबी दूरी की यात्रा या किसी दूर देश में छुट्टियां मनाने जा सकते हैं। इस छुट्टी या रोमांटिक गेटअवे के रूप में आपको अपने जीवन साथी या अपने पार्टनर के साथ कुछ प्यार भले लम्हे व्यतीत करने का मौका प्राप्त हो सकता है।

मिथुन राशि: मिथुन राशि के जातकों के लिए चंद्रमा दूसरे घर का स्वामी है और इस वैलेंटाइन डे पर आपके ग्यारहवें घर में स्थित रहेगा। चंद्रमा की यह स्थिति आर्थिक रूप से एक सुंदर योग का निर्माण कर रही है। ऐसे में इस दौरान आप आर्थिक रूप से बहुत मजबूत स्थिति में रहेंगे और आप उतना ही उदार भी महसूस करेंगे जिससे आप अपने पार्टनर पर खुलकर खर्च करने में बिल्कुल भी कोताही नहीं करेंगे। आप अपने पार्टनर को किसी रोमांटिक या फिर भव्य डेट पर लेकर जा सकते हैं।

कर्क राशि: कर्क राशि के जातकों के लिए चंद्रमा जो कि आपका पहले घर का स्वामी है वह इस वैलेंटाइन डे पर आपके दसवें घर में स्थित रहेगा। दसवें घर में चंद्रमा आपको कार्यस्थल पर किसी खास से मिला सकता है जिसके साथ आप प्यार भरे रिश्ते की शुरुआत कर सकते हैं। मुमकिन है कि आप कार्यस्थल पर किसी को पसंद करते हैं और वह इस वैलेंटाइन डे पर आपसे बातचीत कर सकता है।

सिंह राशि: सिंह राशि के जातकों के लिए चंद्रमा आपके बारहवें घर का स्वामी है और इस वैलेंटाइन डे पर आपके नवम घर में स्थित रहने वाला है। ऐसे में यह विदेश यात्रा के प्रबल योग दर्शा रहा है। अगर आप अपने पार्टनर के साथ पिछले काफी समय से किसी अंतरराष्ट्रीय ट्रिप पर जाने की योजना बना रहे थे तो यह इस वैलेंटाइन डे पर यह सच हो सकता है। आप इस दिन का खुलकर लाभ उठाएंगे।

कन्या राशि: कन्या राशि के जातक स्वभाव से परफेक्शनिस्ट कहलाते हैं। इस वैलेंटाइन डे पर आप कुछ मौज मस्ती करने के मूड में नजर आ सकते हैं और मुमकिन है कि आप किसी विशेष के प्रति गंभीर रूप से प्रतिबद्ध या किसी सीरियस रिश्ते में तो ना हो लेकिन आप अपने दोस्तों के साथ अवश्य घिरे रहेंगे और उनके साथ एक यादगार शाम का लुफ्त उठाएंगे। आप किसी कंसर्ट में जा सकते हैं। कुल मिलाकर यह वैलेंटाइन डे आपके लिए यादगार रहेगा।

तुला राशि: तुला राशि के जातकों वैलेंटाइन डे के मौके पर चंद्रमा आपके विवाह के सप्तम भाव में मौजूद रहने वाला है। चंद्रमा के लिहाज से यह एक अच्छा स्थान माना जा रहा है क्योंकि यह आपका आपका साथी के प्रति स्नेहपूर्ण भाव प्रदर्शित करेगा। अगर आपने पहले ऐसा नहीं किया है तो आप अपने पसंदीदा व्यक्ति से संपर्क कर सकते हैं क्योंकि इसके लिए यह समय अनुकूल रहने वाला है और मुमकिन है कि आपको उत्तर भी हाँ में मिल जाए।

वृश्चिक राशि: वृश्चिक राशि के जातकों चंद्रमा आपके भाग्य का स्वामी है और इस वैलेंटाइन डे के मौके पर आपको निश्चित तौर पर भाग्य का साथ मिलने वाला है। आप अपने साथी को किसी शानदार डिनर डेट पर ले जाने का विचार कर सकते हैं और उन्हें पूरी तरह से प्यार और भावपूर्ण भावनाओं से सराबोर रखेंगे।

धनु राशि: वैलेंटाइन डे के मौके पर चंद्रमा आपके प्यार के पंचम भाव में स्थित होने वाला है। धनु राशि के जातकों के लिए यह उभरते हुए रोमांस के लिए एकदम सही स्थिति है। प्रेम संबंधों में धनु राशि के जातकों को भाग्य का साथ मिलेगा। आप अपने जीवन साथी या फिर पार्टनर के साथ कुछ निजी पलों का आनंद लेते हुए नजर आएंगे।

मकर राशि: मकर राशि के जातकों के लिए चंद्रमा आपके चतुर्थ भाव में स्थित रहेगा जो इस बात के संकेत दे रहा है कि आप अपने घर और परिवार के लिए कुछ बेहतरीन पल निकालने में कामयाब होंगे और उनके साथ मिलकर सुख विलासिता की चीजों की खरीदारी करेंगे। आपके प्रियजन या परिवार के लोग आपसे मिलने आ सकते हैं।

कुम्भ राशि: कुंभ राशि के जातकों चंद्रमा आपके लिए बहुत ज्यादा लाभकारी ग्रह तो नहीं है इसलिए इस दौरान आपके और आपके साथी के बीच झगड़ा होने की आशंका नजर आ रही है। ऐसे में आपको सलाह दी जाती है कि वैलेंटाइन डे के मौके पर धैर्य बनाए रखें और अपने शब्दों का चयन बेहद ही सोच समझकर करें।

मीन राशि: अंत में बात करें मीन राशि की तो मीन राशि के जातकों आपका वैलेंटाइन डे प्यार से भरा रहेगा। आप अपने साथी के साथ अपनी सारी भावनाएं प्रकट करने में कामयाब रहेंगे और इस दिन को यादगार बनाएंगे। इस दिन आपकी शादी होने की भी संभावनाएं हैं। आपको आगे की जीवन के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं।

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मान-सम्मान, धन, दौलत, सूर्य का गोचर दिलाएगा यह सब लेकिन सिर्फ इस एक राशि को: जानें राशि का नाम!

फरवरी का अगला महत्वपूर्ण गोचर है सूर्य का गोचर जिस दौरान सूर्य कुंभ राशि में प्रवेश कर जाएंगे अर्थात गोचर कर जाएंगे। आज अपने इस विशेष ब्लॉग के माध्यम से हम जानेंगे सूर्य का कुंभ राशि में गोचर कब होने वाला है, यह आपकी राशि को किस तरह से प्रभावित करेगा और इसके नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए आप क्या कुछ उपाय कर सकते हैं।

इसके अलावा इस खास ब्लॉग में हम जानेंगे कुंडली में मजबूत सूर्य का क्या प्रभाव होता है, सूर्य पीड़ित या कमजोर अवस्था में हो तो इससे व्यक्ति को क्या परेशानी उठानी पड़ती है, साथ ही जानेंगे कुंडली में सूर्य को मजबूत बनाने के ज्योतिषीय उपायों की संपूर्ण जानकारी। तो चलिए शुरू करते हैं यह खास ब्लॉग और सबसे पहले जान लेते हैं सूर्य का कुंभ राशि में गोचर कब होने वाला है।

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सूर्य का कुंभ राशि में गोचर: समय 

वैदिक ज्योतिष में सूर्य को ग्रहों का राजा कहा गया है और यह फरवरी के महीने में कुंभ राशि में गोचर करने वाले हैं। बात करें समय की तो सूर्य का यह महत्वपूर्ण गोचर 15:31 पर होने वाला है। सूर्य को बेहद भी महत्वपूर्ण ग्रह का दर्जा दिया गया है। माना जाता है कि सूर्य ऊर्जा का मुख्य स्रोत है और धरती पर सूर्य के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।

इस खास ग्रह के बारे में कुछ और महत्वपूर्ण बातों की जानकारी जानते हैं और सबसे पहले जान लेते हैं कुंडली में मजबूत शुक्र के सूर्य के प्रभाव क्या होते हैं।

मजबूत सूर्य के प्रभाव 

ज्योतिष की जानकार मानते हैं कि जिस भी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य ग्रह मजबूत स्थिति में होता है ऐसे व्यक्ति हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करते हैं, उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। इसके अलावा कुंडली में अगर सूर्य मजबूत स्थिति में हो तो व्यक्ति का उनके पिता के साथ संबंध बेहद ही मजबूत होता है और पिता के आशीर्वाद से व्यक्ति के सभी बिगड़े कार्य बनने लगते हैं। 

वहीं इसके विपरीत अगर कुंडली में सूर्य ग्रह पीड़ित या अशुभ अवस्था में हो तो इससे व्यक्ति को तमाम तरह की परेशानियाँ उठानी पड़ती हैं जैसे व्यक्ति को रोजगार नहीं मिलता, उन्हें स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां होने लगती है, व्यक्ति के जीवन में बिना कुछ किए ही झूठे आरोप लगने लगते हैं, मान सम्मान की कमी होने लगती है, पिता के साथ रिश्ते अच्छे नहीं होते, धन की हानि होती है। इसके अलावा सूर्य के अशुभ प्रभाव से कुंडली में पितृ दोष भी लग जाता है।

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क्या होता है पितृ दोष?

पितृ दोष कुंडली के बड़े दोषों में से एक माना गया है। आपकी कुंडली में भी कहीं ये दोष तो नहीं इस बात की जानकारी प्राप्त करने के लिए आप विद्वान ज्योतिषियों से फोन या चैट के माध्यम से जुड़कर इसका जवाब जान सकते हैं। हालांकि इसके अलावा कई बार व्यक्ति के जीवन में तमाम तरह के संकेत भी होने लगते हैं जिनसे आप पता कर सकते हैं कि कहीं आपके जीवन में पितृ दोष तो नहीं जैसे, अगर आपके बाल बहुत ज्यादा झड़ रहे हैं, हड्डियां बार-बार टूट रही हैं, या काफी कमजोर हो गई हैं, आंखों की रोशनी कम हो रही है, घर परिवार में कलह क्लेश बढ़ गया है, घर में लगे पेड़ पौधे सूखने लगे हैं, सपने में पितर नजर आने लगे हैं तो यह सारे संकेत बताते हैं कि व्यक्ति के जीवन में पितृ दोष का साया पड़ चुका है।

सूर्य के महत्व के चलते और इस दोष से जल्द-से-जल्द छुटकारा पाने के लिए ज्योतिष की जानकार जल्द से जल्द सूर्य को मजबूत बनाने के उपाय करने की सलाह देते हैं। क्या कुछ हैं ये उपाय चलिए जान लेते हैं।

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सूर्य को मजबूत बनाएंगे ये ज्योतिषीय उपाय 

  • अगर आपकी कुंडली में भी सूर्य कमजोर स्थिति में है तो आप 11 रविवार व्रत रखें और सूर्य को अर्घ्य अवश्य दें। 
  • सूर्य को अर्घ्य देते समय सूर्य के 12 नामों की नियमित रूप से पूजा करें। 
  • लाल वस्त्र धारण करें या मुमकिन हो तो रविवार के दिन लाल रंग के वस्त्र दान करें। 
  • सूर्य मंत्र का नियमित रूप से स्पष्ट उच्चारण पूर्वक जाप करें। 
  • सूर्य को अर्घ्य दें और अर्घ्य के पानी में लाल चंदन अवश्य मिला लें। 
  • कुंडली में सूर्य को मजबूत करने के लिए आप रविवार के दिन नमक वाला भोजन न करें। यह उपाय आपको सिर्फ 11 रविवार तक ही करना है। 
  • सूर्य को मजबूत करने के लिए आप रविवार के दिन दही, दूध, चीनी, घी, गेहूं आदि का सेवन अवश्य करें। 
  • इसके अलावा अगर आप भी 11 रविवार तक गुड़ का दान करते हैं तो इससे भी सूर्य ग्रह मजबूत होता है। 
  • सूर्य ग्रह को मजबूत बनाने के लिए आप माणिक रत्न धारण कर सकते हैं। हालांकि हम हमेशा यही सलाह देते हैं कि कोई भी रत्न हमेशा विद्वान ज्योतिषियों से परामर्श लेने के बाद ही धारण करें।

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दिलचस्प जानकारी: फरवरी के महीने में कुंभ राशि में शनि और सूर्य की युति होने वाली है। 20 फरवरी को इसमें बुध ग्रह भी शामिल हो जाएगा अर्थात कुंभ में बुध का भी गोचर होने वाला है। चलिए इसे ज्योतिष के नज़रिये से समझते हैं कि सूर्य और शनि की युति का महत्व क्या है और इससे मिलने वाले प्रभावों की जानकारी l

जैसे कि हमने पहले भी बताया कि कुंभ में सूर्य और शनि की युति होने वाली है। जहां कुंभ राशि में शनि पहले से ही विराजमान थे वहीं 13 फरवरी को सूर्य भी कुंभ राशि में प्रवेश कर जाएंगे। जहां एक पिता है तो दूसरे पुत्र, दोनों की युति बेहद ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। हालांकि अलग-अलग राशियों पर इसके अलग-अलग परिणाम देखने को मिल सकते हैं। 

जहां वैदिक ज्योतिष में सूर्य को ग्रहों का राजा माना गया है वहीं शनि को एक न्याय प्रिय ग्रह माना गया है। सूर्य स्वभाव में उग्र होता है तो वहीं शनि को एक ठंडा और शुष्क ग्रह माना किया जाता है जो अपने न्याय और अनुशासन के लिए जाने जाते हैं। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में यह दोनों ही ग्रह अच्छी जगह पर बैठे होते हैं तो ऐसे जातकों के लिए यह समय बेहद ही शानदार रहता है। हालांकि वहीं इसके विपरीत अगर दोनों ग्रह या इनमें से कोई एक ग्रह भी कुंडली में अनुकूल स्थिति में नहीं है तो इसके चलते व्यक्ति को नकारात्मक परिणाम भी उठाने पड़ सकते हैं।

अगर हम सामान्य प्रभाव की बात करें तो, जब सूर्य शनि की युति होती है तो इसका असर विशेष तौर पर पिता पुत्र रिश्ते पर देखने को मिलता है। अगर इस युति का नकारात्मक प्रभाव व्यक्ति के जीवन में पड़े तो पिता पुत्र के बीच सम्मान खत्म हो जाता है या स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां उठानी पड़ती हैं। सूर्य और शनि की युति होने के दुष्प्रभाव से व्यक्ति की आयु घटने लगती है। अगर सूर्य शनि के बीच लड़ाई हो तो उसमें राहु हावी हो सकता है। 

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सूर्य शनि की युति के दुष्प्रभाव को कम करने के उपाय

  • रोजाना सूर्य को अर्घ्य दें और सूर्य मंत्रों का जाप करें। 
  • शनिवार के दिन भगवान हनुमान की पूजा करें। 
  • शनिवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करना भी ना भूलें।  

आइये अब आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं सूर्य का कुंभ राशि में गोचर आपकी राशि को किस तरह से करेगा प्रभावित।

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सूर्य का कुंभ राशि में गोचर- राशि अनुसार भविष्यवाणी और उपाय 

मेष राशि 

मेष राशि के जातकों के लिए सूर्य पंचम का स्वामी है और आपके 11वें भाव में उसका यह गोचर होने जा रहा….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

वृषभ राशि 

वृषभ राशि के जातकों के लिए सूर्य चतुर्थ भाव का स्वामी है और इस दौरान आपके दशम भाव में गोचर करने जा ….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

मिथुन राशि 

मिथुन राशि के जातकों के लिए सूर्य तीसरे भाव का स्वामी है और इस दौरान आपके नवम भाव में गोचर करने जा रहा….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

कर्क राशि

कर्क राशि के जातकों के लिए सूर्य दूसरे भाव का स्वामी है और इस गोचर के दौरान आपके आठवें भाव में आ….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें) 

सिंह राशि 

सिंह राशि के जातकों के लिए सूर्य प्रथम भाव का स्वामी है और आपके सातवें भाव में गोचर करने जा रहा….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

कन्या राशि 

कन्या राशि के जातकों के लिए सूर्य बारहवें घर का स्वामी है और अब आपके छठे घर में गोचर करने जा रहा….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

तुला राशि 

तुला राशि के जातकों के लिए सूर्य 11वीं घर का स्वामी है और अब आपके पंचम भाव में गोचर करने जा रहा….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

वृश्चिक राशि 

सूर्य आपके दसवें घर का स्वामी है और इस गोचर के दौरान चौथे घर में स्थित हो ….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

धनु राशि 

सूर्य के इस गोचर के दौरान जातकों के लिए नवम घर का स्वामी होकर सूर्य तीसरे घर में स्थित होने वाला….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

मकर राशि 

मकर राशि के जातकों के लिए सूर्य आठवें घर का स्वामी है और अब आपके दूसरे घर में स्थित होने वाला….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

कुंभ राशि 

कुंभ राशि के जातकों के लिए सूर्य सातवें घर का स्वामी है और अब आपके पहले घर में गोचर करने जा रहा….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

मीन राशि

मीन राशि के जातकों के लिए सूर्य छठे भाव का स्वामी है और आपके बारहवें भाव में गोचर करने जा रहा ….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

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30 साल बाद कुंभ राशि में शनि और सूर्य की युति; इन जातकों का बिगड़ सकता है काम!

कुंभ राशि में सूर्य-शनि की युति: एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको कुंभ राशि में सूर्य और शनि की युति के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान करेंगे। बता दें कि पिता, आत्मा और तेज के कारक ग्रह सूर्य, परम तपस्वी और न्याय के कारक ग्रह शनि के साथ कुंभ राशि में युति करने जा रहे हैं। यह युति 13 फरवरी 2024 को होगी। आइये अब आगे जानते हैं कि कुंभ राशि में सूर्य-शनि की युति किन राशि के जातकों के लिए शुभ साबित होगी व किन राशि के जातकों को जीवन में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है। सभी जानकारी के लिए ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़ें।

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ज्योतिष में सूर्य और शनि ग्रह का महत्व

ज्योतिष के मुताबिक सूर्य एक शक्तिशाली ग्रह है, जो सभी ग्रहों के राजा हैं। इसका प्रभाव हमारे जीवन में विशेष रूप से पड़ता है। सूर्य प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली में व्यक्तित्व और जीवन पथ के बारे में बहुत कुछ बताता है। सूर्य हमारी पहचान, जीवन शक्ति और उद्देश्य का प्रतिनिधित्व करता है। हिन्दू धर्म और वैदिक ज्योतिष में सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया है। सूर्य के बिना पृथ्वी पर मानव जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। इसके अलावा, सूर्य देव को मान-सम्मान, उच्च पद और नेतृत्व क्षमता का कारक माना जाता है। इन्हें सिंह राशि का स्वामित्व प्राप्त है। सूर्यदेव मेष राशि में उच्च के और तुला राशि में नीच के होते हैं।

वहीं शनि ग्रह की बात करें तो, हिन्दू ज्योतिष में शनि ग्रह को आयु, दुख, रोग, पीड़ा, विज्ञान, तकनीकी, लोहा, खनिज तेल, कर्मचारी, सेवक, जेल आदि का कारक माना जाता है। यह मकर और कुंभ राशि का स्वामी होते हैं। तुला राशि शनि की उच्च राशि है जबकि मेष इनकी नीच राशि मानी जाती है। शनि वैदिक ज्योतिष में अशुभ ग्रह में से एक है। अलग-अलग पौराणिक कथाओं के अनुसार शनि की भूमिका अलग-अलग होती है। रोमन पौराणिक कथाओं में, शनि ग्रह को कृषि का देवता माना गया है। वैज्ञानिक रूप से शनि को सूर्य के चारों ओर एक चक्कर पूरा करने में लगभग 29.5 वर्ष लगते हैं। यानी शनि राशि चक्र के प्रत्येक राशि में लगभग 2.46 वर्ष व्यतीत करते हैं। वैदिक ज्योतिष में शनि को कर्म या न्याय का देवता कहा जाता है। यह नैतिकता, न्याय, करियर, जीवन में उपलब्धियों और गुणों का प्रतिनिधित्व करता है।

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कुंभ राशि में सूर्य और शनि की युति: ओवरव्यू

सूर्य व शनि की युति प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली में पिता और पुत्र के बीच अहंकार के कारण टकराव और अलग-अलग प्रक्रियाओं के कारण मतभेद पैदा कर सकती है। क्योंकि सूर्य पिता और शनि पुत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। आपको बता दें कि शनिदेव और सूर्य देव के बीच पिता-पुत्र का संबंध है लेकिन दोनों ग्रह एक दूसरे से शत्रु भाव रखते हैं। ऐसे में, जातक करियर में अपने पिता से अलग राह चुन सकता है। सूर्य और शनि के बीच रस्साकशी केवल तभी दिखाई देती है जब दोनों ग्रह एक दूसरे से 9-14 डिग्री के अंदर स्थित होते हैं क्योंकि शनि सूर्य से 9 डिग्री के भीतर अस्त होता है। सूर्य आपके आत्मविश्वास का प्रतिनिधित्व करता है, लेकिन जब नीच का सूर्य शनि के साथ युति करेगा, तो यह आपके आत्मविश्वास में कमी ला सकता है।

सूर्य-शनि की युति जातक को स्वभाव में अहंकारी बनाती है क्योंकि शनि जीवन की कड़वी सच्चाई को उजागर करता है जो आपके अहंकार को चोट पहुंचाता है। इस युति के परिणामस्वरूप आपको छोटी उम्र से ही कई ज़िम्मेदारियों व चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है जिससे आप जीवन में जल्दी ही परिपक्व हो जाते हैं। यह युति आपको विभिन्न क्षेत्रों में कड़ी मेहनत करवा सकती है। यदि शनि सूर्य से पहले भाव में स्थित हो तो आपको अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे। आप सरकारी, कानूनी और राजनीतिक क्षेत्र में आगे तेजी से बढ़ेंगे या आपको इन क्षेत्रों से लाभ हो सकता है। इसके अलावा, आप चिकित्सा पेशे में भी अच्छा करेंगे और सकारात्मक परिणाम प्राप्त करेंगे।

कुंभ राशि में सूर्य-शनि की युति: समय व तिथि

शनि जनवरी, 2023 से कुंभ राशि में गोचर कर रहे हैं और अब सूर्य 13 फरवरी, 2024 की दोपहर 03 बजकर 31 मिनट पर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। ज्योतिष गणना के मुताबिक लगभग 30 वर्ष बाद कुंभ राशि में शनि और सूर्य की युति होने जा रही है। ऐसे में, इस युति का विशेष महत्व होगा और यह दिलचस्प संयोजन भी होगा क्योंकि सूर्य और शनि दोनों ग्रह विपरीत ऊर्जाएं उत्सर्जित कर रहे हैं। आइए जानते हैं कि करीब एक महीने तक ये दोनों ग्रह एक-दूसरे के निकट आने पर सभी 12 राशियों पर किस प्रकार का प्रभाव डालेंगे।

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कुंभ राशि में सूर्य-शनि की युति: सभी 12 राशियों पर शुभ व अशुभ प्रभाव

मेष राशि

मेष राशि के जातकों के लिए सूर्य पांचवें भाव के स्वामी हैं और शनि दसवें व ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं। सूर्य और शनि आपके ग्यारहवें भाव में युति करेंगे। ग्यारहवें भाव में सूर्य और शनि की युति जातक की सामाजिक प्रतिष्ठा को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है। इस युति के माध्यम से जातक समाज में अधिक मान-सम्मान प्राप्त करेगा।

हालांकि, आपके करियर की बात करें तो सूर्य-शनि की कुंभ राशि में युति के परिणामस्वरूप आपको अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने और आगे बढ़ने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ सकती है तभी आपको सफलता प्राप्त होगी। साथ ही, आपको सलाह दी जाती है कि आप जो भी काम करेंगे उसमें पूरी तरह से केंद्रित हो। इस युति का नकारात्मक प्रभाव आपके वैवाहिक जीवन में देखने को मिल सकता है। जीवनसाथी के साथ आपकी किसी बात को लेकर नोकझोंक हो सकती है।

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वृषभ राशि

वृषभ राशि के जातकों के लिए सूर्य चौथे भाव के स्वामी हैं और शनि नौवें व दसवें भाव के स्वामी हैं। सूर्य और शनि की युति आपके दसवें भाव में होगी। इसके परिणामस्वरूप आपको करियर में अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे। आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में ध्यान केंद्रित करेंगे। इस युति के परिणामस्वरूप आपको यह महसूस हो सकता है कि आप जो नौकरी या जो काम कर रहे हैं वह आपके लिए नहीं हैं। यानी आपको लग सकता है कि आप अपने मन मुताबिक काम नहीं कर रहे हैं।

सकारात्मक पक्ष की बात करें तो शनि-सूर्य की युति के कारण आप अपने लक्ष्यों व शीर्ष तक पहुंचने के लिए कड़े प्रयास करेंगे और आपको सफलता भी प्राप्त होगी। हालांकि इस युति के दौरान आपको अपनी माता के स्वास्थ्य का अधिक ध्यान देना होगा क्योंकि इस युति में दो विपरीत ऊर्जाएं एक साथ आ रही हैं और सीधे चौथे भाव पर दृष्टि डाल रही है इसलिए इस अवधि के दौरान आपकी माता के स्वास्थ्य में गिरावट आ सकती है, जो आपके लिए चिंता का कारण बन सकती है। इसके अलावा माता जी के साथ आपके संबंधों में भी उतार-चढ़ाव आ सकता है और आप दोनों के बीच वाद-विवाद व झगड़े हो सकते हैं।

मिथुन राशि

मिथुन राशि के जातकों के लिए सूर्य तीसरे भाव के स्वामी हैं और शनि आठवें व नौवें भाव के स्वामी हैं। नवम भाव व्यक्ति के भाग्य को दर्शाता है। सूर्य और शनि की युति आपके नौवें भाव में हो रही है। इस भाव में सूर्य और शनि की युति जातक पर अलग-अलग प्रभाव डाल सकता है, जो व्यक्ति की कुंडली पर निर्भर करता है। इस युति के परिणामस्वरूप आप अपनी इच्छा को पूरा करने के लिए प्रयासरत होंगे और जीवन में उद्देश्य लेकर आगे बढ़ेंगे। इस दौरान आपका झुकाव आध्यात्मिक गतिविधियों की तरफ अधिक होगा और आप धर्म-कर्म के कामों में अधिक रुचि लेंगे। साथ ही, आपके अंदर अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त करने की लालसा पैदा होगी।

इस अवधि आप अपनी जिम्मेदारियों को बेहतर तरीके से समझेंगे और अपनी शिक्षा व अपने काम पर अधिक ध्यान केंद्रित करेंगे। आपको उच्च शिक्षा हासिल करने या कार्यक्षेत्र में कई नए अवसर प्राप्त होंगे। आप इस दौरान अपनी जीवनशैली में कुछ परिवर्तन कर सकते हैं।

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कर्क राशि

कर्क राशि के जातकों के लिए सूर्य दूसरे भाव के स्वामी हैं और शनि आपके सातवें व आठवें भाव के स्वामी हैं। सूर्य और शनि की युति आपके आठवें भाव में होगी। इसके परिणामस्वरूप आपके अंदर अपनी कमजोरियों व अपनी शक्तियों को पहचानने की क्षमता बढ़ेगी। जिसके चलते आपको अच्छे निर्णय लेने और अपने रिश्ते को मजबूत करने में मदद मिलेगी। इस अवधि आपके ऊपर बहुत अधिक जिम्मेदारियां हो सकती है, जिसके चलते आप तनाव में आ सकते हैं और आपका व्यवहार दूसरों के प्रति खराब हो सकता है। लोग आपके शब्दों का गलत अर्थ निकाल सकते हैं। इस दौरान आप किसी कानूनी मामलों में भी फंस सकते हैं। आपके पारिवारिक जीवन की बात करें तो परिवार के सदस्यों के साथ विवाद हो सकता है और अलगाव की स्थिति पैदा हो सकती है। पैतृक संपत्ति को लेकर परिवार में परेशानियां आ सकती है।

सिंह राशि

सिंह राशि के जातकों के लिए सूर्य पहले भाव के स्वामी हैं और शनि आपके छठे और सातवें भाव के स्वामी हैं। सूर्य और शनि की युति आपके सातवें भाव में होगी। इसके परिणामस्वरूप आपकी इच्छाशक्ति मजबूत होगी, जिसके चलते आप कठिन से कठिन कार्यों को भी आसानी से करने में सफलता हासिल करेंगे।

आपके आर्थिक जीवन की बात करें तो, सातवें भाव में सूर्य-शनि की युति आपके जीवन में आर्थिक स्थिरता लेकर आएगा और आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। इस दौरान आपके कार्यक्षेत्र में आपकी प्रतिभा उभर कर आएगी और आपके काम की चारों तरफ सराहना होगी। आपकी निर्णय लेने की क्षमता मजबूत होगी और आप पूरी समझदारी से महत्वपूर्ण फैसला लेने में सक्षम होंगे।

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कन्या राशि

कन्या राशि के जातकों के लिए सूर्य बारहवें भाव के स्वामी हैं और शनि आपके पांचवें व छठे भाव के स्वामी हैं। सूर्य और शनि की युति आपके छठे भाव में होगी। इसके परिणामस्वरूप आपके स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है क्योंकि छठा भाव स्वास्थ्य और कल्याण से जुड़ा है। इस दौरान आपको चिंता, अवसाद और नींद न आने की समस्या परेशान कर सकती है इसलिए आपको अपने स्वास्थ्य के प्रति इस दौरान सतर्क रहना होगा। आपके आर्थिक जीवन की बात करें तो आपको वित्तीय मामलों में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

तुला राशि

तुला राशि वालों के लिए सूर्य ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं और शनि आपके चौथे व पांचवें भाव के स्वामी हैं। सूर्य और शनि की युति आपके पांचवें भाव में होगी। इसके परिणामस्वरूप आप अपने जीवन के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए प्रयासरत होंगे और इसी सिलसिले में बड़ा फैसला ले सकते हैं। आपके आर्थिक जीवन की बात करें तो सूर्य और शनि की युति के दौरान आपको वित्तीय मामलों में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। यदि आपने शेयर बाजार में धन निवेश किया है तो आशंका है कि आपको अच्छे परिणाम प्राप्त न हो और हानि का सामना करना पड़े। यह अवधि शेयर बाजार में धन निवेश के लिए अच्छी प्रतीत नहीं हो रही है। दूसरी ओर, सूर्य और शनि की युति जातक की कुंडली के आधार पर कुछ सकारात्मक बदलाव भी ला सकती है।

यह युति कुछ अच्छे परिणाम भी ला सकती है, जैसे काम में आपका ध्यान केंद्रित हो सकता है और आपके दृढ़ संकल्प की वृद्धि होगी। साथ ही, आपके कौशल में सुधार देखने को मिल सकता है। यदि आपका खुद का बिज़नेस है या आप राजनीति से संबंधित क्षेत्रों से जुड़े हैं तो आपको अच्छी सफलता प्राप्त होगी। इसके अलावा, इस युति के फलस्वरूप आपके निजी जीवन में कुछ सकारात्मक बदलाव भी देखने को मिल सकते हैं, जिससे आपको संतुष्टि व खुशी महसूस होगी।

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए सूर्य दसवें भाव के स्वामी हैं और शनि तीसरे व चौथे भाव के स्वामी हैं। सूर्य और शनि की यह युति आपके चौथे भाव में होगी। चौथे भाव में सूर्य और शनि की युति आमतौर पर सकारात्मक प्रभाव डालती है। इसके परिणामस्वरूप आप अपने कर्तव्यों का निर्वहन बेहतर तरीके से करेंगे। आप मेहनती होंगे और पारिवारिक माहौल बेहतर बनाए रखने में सक्षम होंगे। आपके आर्थिक जीवन की बात करें तो आप इस दौरान आर्थिक रूप से स्थिर महसूस करेंगे और आपके पास धन लाभ कमाने के कई अच्छे व शानदार अवसर होंगे। इस युति के फलस्वरूप आप सामाजिक रूप से भी सक्रिय होंगे और आपके पास मित्रों की एक बड़ी मंडली हो सकती है। आपका झुकाव आध्यात्मिक गतिविधियों की तरफ अधिक होगा और आप धर्म-कर्म के कामों में अधिक रुचि लेंगे।

धनु राशि

धनु राशि के जातकों के लिए सूर्य नौवें भाव के स्वामी हैं और शनि दूसरे व तीसरे भाव के स्वामी हैं। शत्रु ग्रह सूर्य और शनि की युति आपके तीसरे भाव में होगी। इसके परिणामस्वरूप आपके व्यवहार में नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा। आप स्वभाव से अड़ियल हो सकते हैं, जिसके चलते आपके मित्र भी आपसे रूठ सकते हैं। इस दौरान आपके लिए खुद को स्पष्ट रूप से व्यक्त करना कठिन हो सकता है। जिसके कारण आपको संचार संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और आशंका है कि आपके शब्दों का गलत अर्थ निकाला जाए। ऐसे में, आपको सलाह दी जाती है कि अपनी वाणी पर नियंत्रण रखें और सोच समझकर बोलें।

इसके अलावा, इस युति के कारण आप अपने परिवेश के बारे में अधिक गहराई से और गंभीरता से सोचने पर मजबूर हो सकते हैं। आशंका है कि आप चीज़ों को लेकर गंभीर हो जाए और खुद के बारे में विचार करें। इस अवधि आपको अपने करियर में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं। हालांकि, आपके राजनीतिक संबंधों में वृद्धि होगी, जिससे आपको लाभ भी होगा।

मकर राशि

मकर राशि के जातकों के लिए सूर्य आठवें भाव के स्वामी हैं और शनि आपके पहले व दूसरे भाव के स्वामी हैं। सूर्य और शनि की युति आपके दूसरे भाव में होगी। दूसरे भाव में सूर्य और शनि की युति के परिणामस्वरूप आपको कई नकारात्मक प्रभाव से गुजरना पड़ सकता है। संभावना है कि इस दौरान आपको आर्थिक जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़े। आप धन कमाने और धन की बचत करने में असफल हो सकते हैं। इसके अलावा, कार्यक्षेत्र में भी उतार-चढ़ाव का सामना भी करना पड़ सकता है। संकेत है कि आपके लिए नौकरी में स्थिरता बनाए रखना मुश्किल साबित हो।

यह युति आपके रिश्ते में भी परेशानियां पैदा कर सकती है। आशंका है कि आपका अपने पार्टनर से वाद-विवाद हो जाए और बाद ब्रेकअप या अलगाव तक पहुंच जाए। इसके अलावा, सूर्य और शनि की युति आपके स्वास्थ्य पर भी प्रभाव डाल सकती है। इस दौरान आपको थकान महसूस हो सकती है। इसके अलावा, आपका पाचन तंत्र खराब हो सकता है और यहां तक कि आप तनाव महसूस कर सकते हैं इसलिए इस दौरान अपना खास ख्याल रखें।

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कुंभ राशि

कुंभ राशि के जातकों के लिए सूर्य सातवें भाव के स्वामी हैं और शनि पहले व बारहवें भाव के स्वामी हैं। सूर्य और शनि की युति आपके पहले भाव में होगी और इसका नकारात्मक प्रभाव आपके रिश्ते में पड़ सकता है। इसके परिणामस्वरूप आपको रिश्ते निभाने में कठिनाई हो सकती है। आशंका है कि आपका पार्टनर के साथ आप विवाद हो जाए और यह विवाद इतना बढ़ जाए कि स्थिति अलगाव तक आ जाए। आपको अकेलेपन की भावना महसूस हो सकती है और आप दूसरों से दूर-दूर रह सकते हैं। संभावना है कि आपको दूसरों से संवाद करने में कठिनाई हो और किसी कठिन परिस्थिति में फंसे होने का अहसास हो।

रिश्ते के लिहाज से यह युति आपको चुनौतीपूर्ण लग सकती है। आपको यह महसूस हो सकता है कि आपको अपने पार्टनर से वह नहीं मिल रहा है जिसकी आपने उम्मीद कर रखी है। इसके अलावा, संभावना है कि आप इस बात से भी परेशान रहे कि आपका पार्टनर आपकी जरूरतों को पूरा नहीं कर रहा है।

मीन राशि

मीन राशि के जातकों के लिए सूर्य छठे भाव के स्वामी हैं और शनि ग्यारहवें व बारहवें भाव के स्वामी हैं। सूर्य और शनि की युति आपके बारहवें भाव में होगी। ज्योतिष के अनुसार, यह एक दिलचस्प और अनोखा संयोजन है। वैदिक ज्योतिष में बारहवां भाव सबसे रहस्यमय और सबसे कठिन भाव होता है। यह वह भाव है जहां व्यक्ति के सबसे गहरे रहस्य छिपे होते हैं और इस भाव में सूर्य व शनि की युति व्यक्ति के जीवन पर शक्तिशाली प्रभाव डालती है। इस युति का प्रभाव जातक के जीवन में सकारात्मक व नकारात्मक दोनों तरह से पड़ेगा। सकारात्मक पक्ष की ओर देखें तो इस युति के परिणामस्वरूप आप जीवन की हर चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहेंगे और आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि और आंतरिक प्राप्त करेंगे। 

नकारात्मक पक्ष की बात करें तो, इस युति के दौरान आपके अंदर असुरक्षा की भावना महसूस हो सकती है। आप हर किसी को संदेह भरी दृष्टि से देखेंगे। बारहवें भाव में सूर्य और शनि की युति आपके रिश्ते में अलगाव की स्थिति पैदा कर सकती है। आशंका है कि आप खुद से कोई फैसला लेने से डरे क्योंकि यह एक ऐसा भाव है जो जातक की आंतरिक शक्तियों और कमजोरियों पर ध्यान केंद्रित करता है। इसके अलावा, इस युति का प्रभाव आपके आर्थिक जीवन में भी देखने को मिलेगा। संभावना है कि आपको धन हानि का सामना करना पड़े क्योंकि बारहवां भाव हानि और व्यय का भाव है इसलिए सोच समझकर व योजना बनाकर धन खर्च करें।

कुंभ राशि में सूर्य-शनि की युति: प्रभावशाली उपाय

  • रविवार के दिन गुड़, गेहूं और तांबे का दान करें।
  • रविवार को छोड़कर प्रतिदिन तुलसी के पौधे को जल अर्पित करें।
  • प्रतिदिन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
  • यदि संभव हो तो अक्सर लाल और नारंगी रंग के कपड़े पहनें।
  • प्रतिदिन तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें लाल गुलाब की पंखुड़ियां डालकर सूर्य को अर्घ्य दें।
  • अपने घरों और कार्यालयों में सूर्य यंत्र स्थापित करें और पूजा करें।
  • प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को शनि मंत्र ‘ऊँ शं शनैश्चराय नमः’ का 108 बार जाप करें।
  • गरीबों व जरूरतमंदों को काले चने या काले चने की खिचड़ी दान करें।
  • गरीबों और दिव्यांग लोगों को खाना खिलाएं।
  • अपने बड़ों का सम्मान करें और वृद्धाश्रम में दान करें।
  • प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें।

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साप्ताहिक राशिफल (12 से 18 फरवरी, 2024): इस सप्ताह इन राशियों को रहना होगा सावधान!

फरवरी का दूसरा सप्ताह आपके लिए कैसा रहने वाला है अगर आप भी इस सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो हम इसी विषय पर यह खास ब्लॉग लेकर आए हैं जिसके माध्यम से हम आपको बताएंगे कि सभी 12 राशियों के लिए फरवरी का यह दूसरा सप्ताह क्या नई सौगात लेकर आने वाला है। 

साथ ही यहां जानेंगे इस सप्ताह में कौन-कौन से व्रत त्योहार और ग्रहण गोचर पड़ने वाले हैं। सिर्फ इतना ही नहीं इस सप्ताह के बैंक होलीडेज और विवाह मुहूर्त की जानकारी भी हम आपके यहां देने जा रहे हैं। तो चलिए बिना देरी किए जानते हैं फरवरी का दूसरा सप्ताह आपके लिए कितना भाग्यशाली रहने वाला है और क्या कुछ उपाय करके आप इसे अपने लिए और भी ज्यादा भाग्यशाली बना सकते हैं। हालांकि सबसे पहले बात करेंगे इस सप्ताह की ज्योतिषीय गणना की। 

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इस सप्ताह का हिंदू पंचांग और ज्योतिषीय गणना 

सबसे पहले बात करें फरवरी के दूसरे सप्ताह के हिंदू पंचांग और ज्योतिषीय गणना की तो, फरवरी का दूसरा सप्ताह 12 फरवरी को शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के तहत माघ मास में शुरू हो जाएगा और इस सप्ताह का समापन 18 फरवरी को शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के तहत रोहिणी नक्षत्र में माघ मास में होने वाला है। 

इस सप्ताह में पड़ने वाले व्रत और त्योहारों की जानकारी 

बात करें व्रत और त्योहारों की तो फरवरी के इस दूसरे सप्ताह में, 

  • 13 फरवरी को गणेश जयंती, कुंभ संक्रांति, विनायक चतुर्थी के व्रत और त्योहार पड़ रहे हैं।  
  • 14 फरवरी को बसंत पंचमी, वैलेंटाइन डे जिसे प्यार का दिन भी कहते हैं मनाया जाएगा। साथ ही इस दिन स्कंद षष्ठी भी है।  
  • 16 फरवरी को रथ सप्तमी, भीम अष्टमी, नर्मदा जयंती, मासिक कार्तिगाई है।  
  • 17 फरवरी को मासिक दुर्गा अष्टमी है 
  • 18 फरवरी को रोहिणी व्रत किया जाएगा। 

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इस सप्ताह में पड़ने वाले ग्रहण और गोचर 

ग्रहण और गोचर व्यक्ति के जीवन को निश्चित तौर पर प्रभावित करने के लिए जाने जाते हैं। गोचर का अर्थ होता है जब भी कोई ग्रह अपना राशि परिवर्त या फिर नक्षत्र परिवर्तन करता है तो उसे गोचर कहा जाता है। बात करें फरवरी के इस सप्ताह में कौन-कौन से ग्रहों का का गोचर होने वाला है तो, 

12 फरवरी को शुक्र का मकर राशि में गोचर हो जाएगा 

13 फरवरी को सूर्य का कुंभ राशि में गोचर होने वाला है। 

इस सप्ताह शुक्र और सूर्य जैसे दो महत्वपूर्ण ग्रहों का गोचर निश्चित तौर पर जातकों के जीवन को प्रभावित करने वाला है। इस गोचर से संबंधित कोई भी सवाल पूछना चाहते हैं तो आप अभी विद्वान ज्योतिषियों को कॉल या चैट कर सकते हैं। इस गोचर का अपने जीवन पर व्यक्तिगत प्रभाव जानने के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं। 

बात करें ग्रहण की तो इस सप्ताह कोई भी ग्रहण नहीं लगने वाला है।

12-18 फरवरी 2024: विवाह मुहूर्त 2024

बात करें फरवरी के इस सप्ताह के विवाह मुहूर्त की तो इस सप्ताह विवाह के पांच मुहूर्त पड़ने वाले हैं।  

12 फरवरी 2024, 13 फरवरी 2024, 14 फरवरी 2024, 17 फरवरी 2024 और 18 फरवरी 2024 

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12-18 फरवरी 2024: बैंक अवकाश

इसके बाद बात करें बैंक अवकाशों की तो फरवरी के इस सप्ताह में दो बैंक होलीडेज पड़ने वाले हैं। 

पहला वसंत पंचमी और दूसरा लुई-नगाई-नी 

वसंत पंचमी पर आमतौर पर हरियाणा, उड़ीसा, त्रिपुरा, वेस्ट बंगाल में छुट्टी होती है और Lui-Ngai-Ni के लिए मणिपुर में छुट्टी होती है। 

इस सप्ताह जन्में कुछ मशहूर सितारों के जन्मदिन की जानकारी 

अब आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं 12 से 18 फरवरी के बीच जन्म लेने वाले मशहूर सितारों के जन्मदिन की जानकारी लेकिन इसको जानने से पहले हम जानेंगे फरवरी में जन्मे लोगों की लव लाइफ के बारे में।  

बात करें फरवरी में जन्मे लोगों के लव लाइफ की तो, यह काफी रोमांटिक स्वभाव के होते हैं क्योंकि इनका जन्मदिन वैलेंटाइन वाले महीने में होता है। इन्हें व्यक्ति की बाहरी सुंदरता से इतना फर्क नहीं पड़ता जितना यह व्यक्ति के दिल को परखना और प्यार करना जानते हैं। प्यार में इन्हें अपना 100% देना आता है और यह सामने वाले से भी यही उम्मीद करते हैं। इस महीने जन्म लेने वाले जातक हर किसी पर भरोसा कर लेते हैं। इसके अलावा अक्सर देखा गया है कि फरवरी में जन्म लेने वाले लोग अपने दिल की बात ज्यादा सुनते हैं। 

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अब बात करें इस सप्ताह जन्म लेने वाले मशहूर सितारों की तो,

12 फरवरी क्लाउडिया कलासिया 

13 फरवरी कुणाल रॉय कपूर, रश्मि देसाई 

14 फरवरी मोनीष बहल 

15 फरवरी बीना काक, आशुतोष गोवारिकर 

16 फरवरी सोम आनंद, अरुणोदय सिंह 

17 फरवरी सत्येंद्र सोनी 

18 फरवरी साजिद नडियादवाल 

यदि आप अपने फेवरेट सितारे की कुंडली देखकर उनके भविष्य के बारे में कुछ भी जानना चाहते हैं तो आप यहाँ क्लिक कर सकते हैं।

एस्ट्रोसेज की तरफ से इन सभी सितारों को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं।

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साप्ताहिक राशिफल 12-18 फरवरी 2024

अब जानते हैं सभी बारह राशियों के जातकों के लिए यह सप्ताह क्या कुछ लेकर आने वाला है:

यह भविष्यफल चंद्र राशि पर आधारित है। अपनी चंद्र राशि जानने के लिए क्लिक करें:
चंद्र राशि कैलकुलेटर

मेष साप्ताहिक राशिफल

इस सप्ताह आपको अपने काम पर, एकाग्रता बरक़रार रखने में दिक़्क़त महसूस हो सकती है। क्योंकि इस दौरान….. (विस्तार से पढ़ें) 

मेष प्रेम राशिफल 

प्रेम संबंधों में आपके अस्थिर स्वभाव के चलते, न चाहते हुए भी आपका इस सप्ताह….(विस्तार से पढ़ें)

वृषभ साप्ताहिक राशिफल

इस सप्ताह आपके ऊपर कुछ अधिक, भावुक मिज़ाज छाया रहेगा। जिसके कारण आप दूसरों से खुलकर बात….(विस्तार से पढ़ें)

वृषभ प्रेम राशिफल

इस हफ्ते आप अपने अतीत से जुड़े कई राज, अपने प्रियतम के साथ ….(विस्तार से पढ़ें)

मिथुन साप्ताहिक राशिफल

इस राशि के जो जातक 50 की उम्र पार कर चुके हैं, उन्हें तंत्रिका तंत्र और पाचन से जुड़ी अपनी पूर्व की….(विस्तार से पढ़ें)

मिथुन प्रेम राशिफल

इस सप्ताह अपने प्रेमी प्रेमिका को रिझाने के लिए आप कई स्वांग….(विस्तार से पढ़ें)

कर्क साप्ताहिक राशिफल

यदि आप इस सप्ताह ख़ुशनुमा ज़िंदगी व्यतीत करना चाहते हैं तो, आपको इसके लिए अपना ज़िद्दी और अड़ियल…. (विस्तार से पढ़ें)

कर्क प्रेम राशिफल

प्रेम में पड़े इस राशि के जातकों के जीवन में इस सप्ताह, कोई खूबसूरत….(विस्तार से पढ़ें)

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सिंह साप्ताहिक राशिफल

इस सप्ताह कुछ जातकों को अपनी आपको सेहत से जुड़ी परेशानियों के चलते, अस्पताल जाना भी पड़ सकता है। अतः ….(विस्तार से पढ़ें)

सिंह प्रेम राशिफल

इस सप्ताह ग्रहों के शुभ संयोग से, उत्तरार्ध में प्रेम विवाह के योग बनेंगे। जिस ……(विस्तार से पढ़ें)

कन्या साप्ताहिक राशिफल

आपका प्रतिरक्षा-तंत्र इस समय बेहद कमज़ोर होगा, इसलिए ज़रूरी हो तो बीमार होने से पहले ही आवश्यक दवा लें। परंतु ….(विस्तार से पढ़ें)

कन्या प्रेम राशिफल

आपकी राशि के प्रेमी लोगों के लिए, यह समय काफी अच्छा रहेगा और इससे आपके….(विस्तार से पढ़ें)

तुला साप्ताहिक राशिफल

इस सप्ताह आपकी सेहत में सुधार देखा जाएगा, जिसके कारण खेलों और आउटडोर गतिविधियों में आपका …..(विस्तार से पढ़ें)

तुला प्रेम राशिफल

इश्क की खुमारी इस दौरान सातवें आसमान पर होगी। अपने मनोभावों को अभिव्यक्त करने का….. (विस्तार से पढ़ें)

वृश्चिक साप्ताहिक राशिफल

इस सप्ताह आप अपने अच्छे स्वास्थ्य के कारण, उन लोगों को गलत साबित कर देंगे, जो सोचते थे कि आप नया सीख…..(विस्तार से पढ़ें)

वृश्चिक प्रेम राशिफल

यदि आप अभी तक सिंगल हैं और लम्बे समय से किसी ख़ास व्यक्ति की प्रतीक्षा कर रहे हैं, …..(विस्तार से पढ़ें)

धनु साप्ताहिक राशिफल

इस समय आपको अपने घर के किसी सदस्य की बिगड़ती तबियत में सुधार देखकर, खुद भी मानसिक तनाव से…..(विस्तार से पढ़ें)

धनु प्रेम राशिफल

इस सप्ताह सिंगल जातक प्रेम की तलाश में, किसी पर भी आँख मूंदकर विश्वास…..(विस्तार से पढ़ें)

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मकर साप्ताहिक राशिफल

रोज़मर्रा की गतिविधियाँ करते समय, इस सप्ताह सभी गर्भवती महिलाओं को सावधानी बरतने की आवश्यकता ….(विस्तार से पढ़ें)

मकर प्रेम राशिफल

आपके प्यार के लिए ये समय बहुत ही अनुकूल रहने वाला है। सबसे अच्छी बात यह है कि ….(विस्तार से पढ़ें)

कुम्भ साप्ताहिक राशिफल

सेहत के लिहाज़ से, ये समय अवधि आपके लिए अति महत्वपूर्ण है। क्योंकि इस दौरान आपको स्वास्थ्य संबंधित कष्टों…. (विस्तार से पढ़ें)

कुम्भ प्रेम राशिफल

रोमांस के नज़रिए से आपकी ज़िन्दगी कोई नया मोड़ ले सकती है। क्योंकि संभव है कि….(विस्तार से पढ़ें)

मीन साप्ताहिक राशिफल 

रोमांस के नज़रिए से आपकी ज़िन्दगी कोई नया मोड़ ले सकती है। क्योंकि संभव है कि…..(विस्तार से पढ़ें)

मीन प्रेम राशिफल

लंबे समय से यदि आप किसी रिश्ते में हैं तो, इस सप्ताह आप अपने घर वालों से अपने संगी …. (विस्तार से पढ़ें)

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मकर राशि में शुक्र का गोचर: इन राशियों का चमकाएगा भाग्य, हर काम में मिलेगी सफलता

सुख, विलासिता और सुंदरता का ग्रह शुक्र फरवरी के महीने में मकर राशि में गोचर करने जा रहा है। शुक्र का यह महत्वपूर्ण गोचर सभी 12 राशियों के जातकों के जीवन को निश्चित तौर पर प्रभावित अवश्य करेगा। आपकी राशि पर इसका क्या प्रभाव पड़ने वाला है इस बात की जानकारी लिए हमारा यह खास ब्लॉग आपके सामने पेश है। 

इस ब्लॉग के माध्यम से जानेंगे शुक्र का मकर राशि में गोचर का सभी राशियों पर क्या प्रभाव पड़ने वाला है और शुक्र के दुष्प्रभाव से बचने के लिए क्या कुछ उपाय किए जा सकते हैं। सबसे पहले जान लेते हैं शुक्र का मकर राशि में गोचर कब होने वाला है।

दुनियाभर के विद्वान ज्योतिषियों से करें कॉल/चैट पर बात और जानें अपने शुक्र के इस गोचर से जुड़ी हर जानकारी

शुक्र का मकर राशि में गोचर: समय 

सबसे पहले बात करें समय की तो, शुक्र का यह महत्वपूर्ण गोचर 12 फरवरी 2024 को सुबह 4:41 पर होने वाला है। वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह को सुंदरता, रिश्ते, प्रेम, विवाह, साझेदारी का कारक ग्रह माना गया है। ऐसे में निश्चित तौर पर जब शुक्र ग्रह का गोचर होगा तो इन मोर्चों से संबंधित परिणाम व्यक्ति के जीवन में देखने को अवश्य मिलेंगे।

शुक्र का मकर राशि में प्रभाव 

जब शुक्र मकर राशि में होता है तो इससे व्यक्ति ज्यादा वफादार, मेहनती और सामाजिक स्तर पर आगे बढ़कर काम करने के लिए प्रेरित होते हैं। शुक्र ग्रह व्यक्ति की भावनाओं को प्रभावित करता है और जहां एक तरफ मकर राशि एक व्यवहारिक राशि है ऐसे में यह व्यवहारिकता के स्तर पर व्यक्ति को ले जाने में सहायक साबित होती है। शुक्र और मकर राशि का योग व्यक्ति को उन सभी गुणों की ओर ले जाता है। 

मकर राशि शनि के स्वामित्व वाली राशि है। शनि और शुक्र का प्रभाव मित्रतव माना गया है। ऐसे में शुक्र के मकर राशि में स्थिति को सकारात्मक माना जाता है। शुक्र का मकर राशि में होना व्यक्ति के व्यक्तित्व को काफी परीक्षित बनता है, व्यक्ति के स्वभाव में स्वामिता का भाव लाता है, उसके अंदर परोपकारिता और दूसरों के लिए सेवा भाव बढ़ता है। ऐसे व्यक्ति सामाजिक रूप से प्रतिष्ठा और आर्थिक रूप से संपन्नता हासिल करने में कामयाब रहते हैं।

शुक्र की मकर राशि में स्थित करियर और व्यवसाय में व्यक्ति को कर्तव्य निष्ठ बनाती है। ऐसे व्यक्ति कड़ी मेहनत करने से पीछे नहीं हटते हैं। बात करें प्रेम और वैवाहिक संबंध में शुक्र और मकर राशि के योग की तो यह योग जातकों को अपने प्रेम में दिखावे की जगह सच्चे प्रेम को प्रदर्शित करने के लिए मजबूत बनाता है। ऐसे व्यक्ति स्पष्ट वादी होकर अपने रिश्तों को लेकर काफी वफादारी रखते हैं। यह परिवार को समर्पित होते हैं और अपने जीवन में मेहनती होते हैं।

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शुक्र का महत्व 

वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह को सुंदरता से संबंधित ग्रह माना गया है। ऐसे में जिन व्यक्तियों की कुंडली में शुक्र ग्रह मजबूत स्थिति में होता है उनके जीवन में सुंदरता, सुख, विलासिता की तमाम वस्तुएं आदि देखने को मिलती हैं। वहीं अगर शुक्र ग्रह कमजोर या पीड़ित अवस्था में होता है तो इससे जातकों को तमाम तरह की परेशानियां उठानी पड़ती है। इसके अलावा ऐसे व्यक्तियों को दुनिया के सुख भी कम मिलते हैं, आदि।

यही वजह है कि, ज्योतिष की जानकार मानते हैं की कुंडली में शुक्र का मजबूत होना बेहद आवश्यक होता है। हालांकि अगर आपका शुक्र ग्रह मजबूत नहीं है तो विशेष तौर पर आप कुछ चीज भूल कर भी शुक्रवार के दिन नहीं लेनी चाहिए। जैसे शुक्रवार के दिन सफेद चीजों का दान ना लें। 

इसके अलावा अगर आपका शुक्र कमजोर है तो काले रंग के कपड़े पहनने से बचें। 

मांस मदिरा का सेवन न करें। 

मंगलवार, गुरुवार और शुक्रवार के दिन विशेष तौर पर सात्विक भोजन करें। 

गरीबों को ना सताएँ। 

इसके अलावा ज्योतिष में शुक्र ग्रह को मजबूत करने के तमाम ज्योतिषीय उपायों की जानकारी भी दी गई है। क्या कुछ हैं ये उपाय चलिए जान लेते हैं।

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कमजोर शुक्र को मजबूत बनाने के ज्योतिषीय उपाय 

  • अगर आपकी कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर स्थिति में है तो आपको शुक्रवार के दिन सफेद चीजों का दान करना चाहिए। 
  • अपने जीवन में ज्यादा से ज्यादा सफेद रंग के कपड़े शामिल करने चाहिए। 
  • शुक्रवार के दिन उपवास करना चाहिए। 
  • जरूरतमंद या गरीब लोगों को भोजन करना चाहिए। 
  • गाय को घी और गुड़ वाली रोटी खिलानी चाहिए। 
  • शुक्र मंत्र का नियमित रूप से जाप करना चाहिए। 
  • महिलाओं का सम्मान करना चाहिए। 
  • शुक्र को मजबूत करने के लिए आपको कम से कम 11 शुक्रवार वैभव लक्ष्मी का व्रत करने की सलाह भी दी जाती है।

चलिए अब आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं शुक्र का मकर राशि में गोचर आपकी राशि को किस तरह से प्रभावित करेगा। साथ ही जान लेंगे कि जिन राशियों के जीवन पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है उन्हें इस दौरान क्या कुछ उपाय करने चाहिए।

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शुक्र का मकर राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय 

मेष राशि 

मेष राशि के जातकों के लिए शुक्र दूसरे और सातवें घर का स्वामी है जो आपके परिवार, धन, वाणी, विवाह और…..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

वृषभ राशि 

वृषभ राशि के जातकों के लिए शुक्र स्वयं, व्यक्तित्व, रोग, शत्रुओं के पहले और छठे घर का स्वामी है और इस गोचर के दौरान…..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

मिथुन राशि 

मिथुन राशि के जातकों के लिए शुक्र पांचवें और बारहवें घर का स्वामी है जो प्रेम, रोमांस, बच्चों, व्यय, मोक्ष और विदेशी भूमि …..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

कर्क राशि 

कर्क राशि के जातकों के लिए शुक्र चौथे और 11वें भाव का स्वामी है जिसे आराम, खुशी, भौतिक लाभ, आदि का घर…..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

सिंह राशि 

सिंह राशि के जातकों के लिए शुक्र तीसरे और दसवें घर का स्वामी है जो छोटी दूरी की यात्रा, संचार, पड़ोसी, और …..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

कन्या राशि 

कन्या राशि के जातकों के लिए शुक्र दूसरे और नवम भाव का स्वामी है जो परिवार, धन, वाणी, आध्यात्मिकता, धर्म और…..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

तुला राशि

तुला राशि के जातकों के लिए शुक्र स्वयं, चरित्र, व्यक्तित्व और अचानक हानि, लाभ, परिवर्तन के पहले और आठवें घर का…..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें) 

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए शुक्र आपके साझेदारी, मोक्ष, और व्यय के सातवें और बारहवें घर का स्वामी है और अब …..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

धनु राशि 

धनु राशि के जातकों के लिए शुक्र ऋण, शत्रु और प्रतिस्पर्धा, भौतिक लाभ और इच्छा के छठे और ग्यारहवें घर का स्वामी है। शुक्र अब …..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

मकर राशि 

मकर राशि के जातकों के लिए शुक्र संतान, नाम, प्रसिद्धि और पहचान के पांचवें और दसवें घर का स्वामी है और …..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

कुंभ राशि 

कुंभ राशि के जातकों के लिए शुक्र घर, आराम विलासिता, धर्म, संस्कृति और विदेश यात्रा के चौथे और…..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

मीन राशि

मीन राशि के जातकों के लिए शुक्र भाई, बहनों के तीसरे और छोटी यात्रा और अचानक लाभ, हानि, परिवर्तन के आठवें घर पर शासन करता है। मीन राशि के लिए शुक्र का…..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

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स्वराशि में अस्त होने जा रहे हैं शनि: आपको दिलाएंगे लाभ या करेंगे नुकसान?

11 फरवरी 2024 को शनि अपनी ही राशि कुंभ में अस्त होने जा रहे हैं। वैदिक ज्योतिष में शनि देव को कर्म फल दाता ग्रह का दर्जा दिया गया है। अर्थात यह व्यक्ति को उनके कर्मों के आधार पर फल देने के लिए जाने जाते हैं। 11 फरवरी को स्वराशि में शनि का अस्त होना निश्चित तौर पर सभी राशियों को प्रभावित करने वाला है। 

आपकी राशि पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा इस बात की जानकारी जानने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें। साथ ही इस ब्लॉग के माध्यम से हम आपको बताने जा रहे हैं कुंडली में मजबूत और पीड़ित शनि के प्रभाव, लक्षण और संबन्धित उपायों की जानकारी।

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शनि कुंभ राशि में अस्त: क्या रहेगा समय? 

सबसे पहले बात करें समय की तो, शनि 11 फरवरी 2024 को 1:55 पर अस्त हो जाएंगे। जैसा कि हमने पहले भी बताया कि शनि कुंभ राशि के ही स्वामी हैं, ऐसे में अपनी ही राशि में शनि का अस्त होना बेहद ही खास माना जा रहा है।

अधिक जानकारी: शनि अस्त 2024 के चलते जहां एक तरफ धनु राशि की शनि साढ़े साती समाप्त होने वाली है वहीं दूसरी तरफ मकर राशि के जातकों के लिए साढ़े साती का दूसरा चरण समाप्त हो जाएगा। कुंभ का पहला चरण खत्म हो जाएगा और दूसरा चरण चालू हो जाएगा। इसके साथ ही मीन राशि पर शनि की साढ़े साती का पहला चरण शुरू हो जाएगा। इसके अलावा तुला राशि के जातकों को शनि की ढैया और वृश्चिक राशि के जातकों को ढैया से मुक्ति मिलेगी। कर्क राशि के जातकों की अष्टम शनि ढैया शुरू हो जाएगी।

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वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह और क्या होता है अस्त होना

वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह की बात करें तो शनि एक कर्म फल दाता ग्रह है जो व्यक्ति के जीवन में उनके कर्मों के अनुसार उन्हें फल देते हैं। यह व्यक्ति को अनुशासित रहना और न्याय प्रिय तरीके से जीवन जीना सिखाते हैं। कहा जाता है कि, जिन भी जातकों के जीवन में शनि देव का आशीर्वाद होता है ऐसे व्यक्ति मर्यादा में रहकर अपना काम बेहद ही आसानी से कर लेते हैं, उनके कर्म हमेशा उचित रहते हैं, साथ ही इनकी निर्णय लेने की क्षमता शानदार होती है। 

वहीं इसके विपरीत अगर किसी कुंडली में शनि अनुकूल स्थिति में ना हो तो ऐसे व्यक्तियों को तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। शनि का प्रकोप रातों-रात राजा को रंक भी बना सकता है। बात करें शनि अस्त की तो शनि या कोई भी अन्य ग्रह जब अस्त होता है तो वह कमजोर अवस्था में आ जाता है। ऐसे में शनि अस्त के दौरान शनि का प्रतिकूल प्रभाव जातकों के जीवन पर कम देखने को मिलेगा। ज्योतिष के जानकारी मानते हैं कि शनि अस्त के दौरान व्यक्ति को पुराने कर्ज़ों से मुक्ति मिल सकती है। साथ ही इस दौरान शत्रु भी कमजोर रह सकते हैं।

कुंडली में शनि अस्त हो तो क्या करें? 

अब सवाल उठता है कि अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि अस्त अवस्था में मौजूद हो तो क्या किया जा सकता है। चलिये हम इसके निवारण के उपाय भी जान लेते हैं: 

  • ऐसे व्यक्तियों को शनिवार के दिन शनि मंदिर में जाकर सरसों के तेल का दान करना बेहद ही शुभ रहता है। 
  • साथ ही आप इस दिन पीपल के पेड़ की जड़ में दीपक भी प्रज्वलित करें। 
  • शनि के दुष्प्रभाव से बचने के लिए शनि चालीसा का पाठ करना बेहद ही कारगर उपाय माना गया है। 
  • इसके अलावा अगर आप नियमित रूप से श्रद्धापूर्वक भगवान बजरंगबली की पूजा करते हैं तो भी शनि देव की टेढ़ी दृष्टि के प्रकोप से बचा जा सकता है।

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इन संकेतों से जानें शनि हैं पीड़ित 

जब भी कोई ग्रह कुंडली में पीड़ित अवस्था में होता है या कमजोर होता है तो वह व्यक्ति को तमाम तरह के संकेत प्रदान अवश्य करता है। ऐसे में बात करें शनि ग्रह की तो अगर आपको लाख जतन के बावजूद आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है और आपके हाथों में पैसे टिक ही नहीं रहे हैं तो समझ लीजिए कि आपकी कुंडली में शनि कमजोर अवस्था में है। 

इसके अलावा अगर आप कड़ी मेहनत तो करते हैं लेकिन आपको सफलता नहीं मिल रही है तो यह भी इस बात की तरफ इशारा है कि आपका शनि कमजोर है। 

अगर किसी व्यक्ति को लगातार स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां बनी हुई है तो यह भी कमजोर शनि के संकेत माना गया है। 

अगर व्यक्ति अंदर से हमेशा उदास महसूस करें तो यह भी कमजोर शनि की तरफ संकेत देता है।

पीड़ित या कमजोर शनि की प्रभाव स्वरूप व्यक्ति को जीवन में तमाम परेशानियां, दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में ज्योतिष के जानकार शीघ्र ही शनि से संबंधित उपाय करने की सलाह देते हैं। क्या कुछ है यह उपाय चलिए आगे जान लेते हैं।

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शनि को मजबूत बनाएंगे यह ज्योतिषीय उपाय 

  • शनि ग्रह को मजबूत बनाने के लिए आप शनिवार के दिन गरीब और ज़रूरतमन्द लोगों को खाने-पीने, पहनने, ओढ़ने की वस्तुओं का यथाशक्ति अनुसार दान करें। 
  • शनिवार के दिन किसी शनि मंदिर में जाएं। यहां सरसों के या तिल के तेल का दीपक जलाएं और मुमकिन हो तो दीए में तिल के कुछ दाने अवश्य डालें। 
  • भगवान शंकर को शनि देव का गुरु माना गया है। ऐसे में शनिवार के दिन एक लोटे में जल और पुष्प लेकर गंगाजल और काले तिल मिला लें और इसे भगवान शिव जी पर चढ़ाएँ। भगवान शिव को प्रसन्न करके शनिदेव के प्रकोप से आसानी से बचा जा सकता है। 
  • शनिवार के दिन एक बर्तन में सरसों का तेल ले लें। इसमें अपना चेहरा देखें और फिर इस तेल को दान कर दें। इसे छाया दान कहा जाता है और शनि के प्रकोप से बचने का यह एक बेहद ही कारगर उपाय माना गया है।

अब आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं और शनि कुंभ राशि में अस्त का सभी 12 राशियों के जातकों के जीवन पर क्या कुछ असर पड़ेगा।

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शनि कुंभ राशि में अस्त: राशि अनुसार उपाय और भविष्यवाणी 

मेष राशि 

मेष राशि के जातकों के लिए शनि दसवें और ग्यारहवें घर का स्वामी है और आपके ग्यारहवें घर में ही …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

वृषभ राशि 

वृषभ राशि के जातकों के लिए शनि नवम और दशम भाव का स्वामी है और आपके दसवें घर में ही…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

मिथुन राशि 

मिथुन राशि के जातकों के लिए शनि आठवें और नवम भाव का स्वामी है और आपके नवम भाव में ही …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

कर्क राशि 

कर्क एक जलीय और चर राशि मानी गई है। कर्क राशि के जातकों के लिए शनि सप्तम और अष्टम भाव का स्वामी है और…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

सिंह राशि 

सिंह एक उग्र और स्थिर राशि चिन्ह है। सिंह राशि के जातकों के लिए शनि छठे और सातवें घर का स्वामी माना गया है और…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

कन्या राशि 

कन्या राशि के जातकों के लिए शनि पंचम भाव और षष्ठ भाव का स्वामी है और आपके छठे भाव में ही अस्त होने जा रहा है। जानकारी के लिए…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

तुला राशि 

तुला एक वायु तत्व की स्त्री राशि मानी गई है। शनि आपके चतुर्थ और पंचम भाव का स्वामी है और अब पंचम भाव में ही…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक एक जलीय राशि है और यह स्त्री राशि मानी गई है। शनि आपके तीसरे और चतुर्थ भाव का स्वामी है और चतुर्थ घर में ही…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

धनु राशि 

धनु एक अग्नि तत्व की पुरुष राशि मानी गई है। शनि आपके दूसरे और तीसरे घर का स्वामी है और यह तीसरे ही…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

मकर राशि 

मकर एक चल और पृथ्वी तत्व की राशि है। शनि आपके पहले और दूसरे घर का स्वामी है और आपके दूसरे ही…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

कुंभ राशि 

कुंभ एक स्थिर और वायु राशि है। शनि आपके पहले और 12वें घर का स्वामी है और यह आपके लग्न में ही…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

मीन राशि

राशि चक्र की आखिरी राशि मीन एक सामान्य और जल तत्व की राशि है। शनि आपके 11वें और 12वें घर का स्वामी है और अब …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

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