व्यापार का विस्तार या नौकरी में सफलता का सपना होगा पूरा, बस अष्टमी तिथि पर कर लें ये उपाय !

यूं तो नवरात्रि के सभी 9 दिन बेहद ही पावन शुभ और फलदाई माने जाते हैं लेकिन अष्टमी तिथि को सबसे खास माना गया है। सबसे खास क्यों माना गया है और इसका क्या महत्व होता है? चलिए इस विशेष ब्लॉग के माध्यम से जान लेते हैं इन सभी सवालों का जवाब।

सिर्फ इतना ही नहीं हमारे इस खास ब्लॉग में आज हम जानेंगे नवरात्रि की अष्टमी तिथि जिसे दुर्गा अष्टमी के नाम से भी जानते हैं उससे जुड़ी कुछ बेहद ही दिलचस्प बातों की जानकारी, इस दिन किए जाने वाले उपायों की जानकारी, साथ ही जानेंगे इस दिन अगर आप भी कन्या पूजन करने जा रहे हैं तो आपको किन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखने की आवश्यकता है।

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मां महागौरी का स्वरूप

सबसे पहले बात कर ले मां के स्वरूप की तो नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर मां के महागौरी स्वरूप की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि जो कोई भी सच्चे मन से माँ की प्रार्थना करता है मां उसे अवश्य स्वीकार करती हैं। महागौरी का अर्थ होता है महा अर्थात बड़ा गौरी मतलब गोरी। इसके अलावा देवी का रंग बेहद ही गोरा है जिसके चलते इन्हें महागौरी कहा जाता है। 

बात करें स्वरूप की तो महागौरी की चार भुजाएं हैं और वह वृषभ पर सवारी करती हैं। माँ ने दाहिने हाथ को अभय मुद्रा में धारण किया हुआ है, दूसरे दाहिने हाथ में त्रिशूल है, बाएं हाथ में डमरू है और दूसरा बायाँ हाथ वरद मुद्रा में है।

मां महागौरी की पूजा का ज्योतिषीय संदर्भ

मां महागौरी की पूजा के ज्योतिषीय संदर्भ की बात करें तो कहा जाता है की देवी महागौरी राहु ग्रह को नियंत्रित करती हैं। ऐसे में जिन भी जातकों की कुंडली में राहु परेशानी की वजह होते हैं या आप राहु पीड़ित या कमजोर अवस्था में हो या जीवन में राहु की महादशा चल रही हो उन्हें विशेष रूप से मां महागौरी की पूजा करने की सलाह दी जाती है। देवी की पूजा करने से राहु के बुरे प्रभाव जीवन से कम होने लगते हैं।

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मां महागौरी की पूजा महत्व 

सबसे पहले बात कर ले मां महागौरी के पूजा महत्व की तो धार्मिक शास्त्रों के अनुसार पहली बात तो नवरात्रि के आखिरी दो दिन है अर्थात अष्टमी नवमी बहुत ही खास माने जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि अष्टमी के दिन देवी दुर्गा ने चंड मुंड का संघार किया था और नवमी के दिन महिषासुर का वध किया था। ऐसे में यह दोनों तिथियां विशेष रूप से खास मानी जाती है। इसके अलावा बहुत से लोग इन्हीं महत्व के चलते अष्टमी तिथि और नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन भी करते हैं।

कहा जाता है कि अगर आप नवरात्रि के 9 दिन तक उपवास नहीं कर पाए हैं तो भी परेशान होने की आवश्यकता नहीं है आप अष्टमी और नवमी के दिन अगर व्रत रह लेते हैं तो भी आपको पूरे 9 दिन की पूजा का फल मिल जाता है।

मां महागौरी की पूजा से मिलने वाले महत्व के बारे में बात करें तो कहा जाता है जो कोई भी भक्त मां महागौरी के पूजा करता है उसे अपने जीवन के सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है और हर तरह की मनोकामना पूरी होती है। इसके अलावा चूंकि देवी महागौरी ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी ऐसे में जिन लोगों को विवाह से संबंधित परेशानियां जीवन में उठानी पड़ रही है या विवाह नहीं हो पा रहा है उन्हें महागौरी की पूजा करने से इस संदर्भ में शुभ परिणाम की प्राप्ति होती है।

मां महागौरी को अवश्य लगाएँ ये भोग 

देवी महागौरी का स्वरूप बेहद ही शांत है। बात करें उनके प्रिय भोग की तो मां महागौरी को नारियल से बनी वस्तुएं मिठाई या नारियल का भोग विशेष रूप से प्रिय होता है। ऐसे में अष्टमी तिथि के दिन अपनी पूजा में नारियल, नारियल से बनी कोई मिठाई या नारियल का कोई भी भोग अवश्य शामिल करें। इससे माँ की प्रसन्नता शीघ्र हासिल होगी। इसके अलावा मां महागौरी को काले चने का भोग भी लगाया जा सकता है। इस दिन कन्या पूजन करते हैं और कन्याओं के लिए बनाए गए भोजन में काले चने शामिल किए जाते हैं। आप इस काले चने का भोग मां को भी अवश्य लगाएँ इससे भी माँ को प्रसन्नता मिलती है।

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देवी महागौरी का पूजा मंत्र

ॐ देवी महागौर्यै नमः॥

प्रार्थना मंत्र

श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥

स्तुति

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

नवरात्रि के आठवें दिन अवश्य करें यह अचूक उपाय

  • नवरात्रि के अष्टमी तिथि के दिन अगर आप मां महागौरी के मंत्र का 21 बार जाप करते हैं तो इससे आपको दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है। मंत्र: सर्वमङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोsस्तुते।।
  • अगर आप अपने दांपत्य संबंध में सुख बनाए रखना चाहते हैं या सुख बढ़ाना चाहते हैं तो इसके लिए नवरात्रि के अष्टमी तिथि के दिन मां को सफेद फूलों की पुष्पांजलि अवश्य दें, दुर्गा चालीसा का पाठ अवश्य करें। 
  • मनचाहा वर या वधू पाना चाहते हैं तो देवी दुर्गा को इलायची का भोग अवश्य लगाएँ।
  • अगर आप नौकरी या व्यवसाय में तरक्की करना चाहते हैं या अपने व्यवसाय का विस्तार करना चाहते हैं तो स्नान के बाद दुर्गा मां की विधिपूर्वक पूजा करें, कपूर से उनकी आरती उतारें और उसके बाद उन्हें हलवे और उबले चने का भोग लगाएँ और सुंदर निरोगी काया और जीवन में सुख प्राप्त करना चाहते हैं तो स्नान के बाद साफ कपड़े पहनकर मां दुर्गा को प्रणाम करें और उनसे अपनी मनोकामना कहें। 
  • अपने बच्चों के करियर को बेहतर बनाना चाहते हैं या चाहते हैं कि आपके बच्चे बहुत तरक्की करें तो अष्टमी तिथि के दिन मां दुर्गा के समक्ष घी का दीपक जलाएं और देवी के मंत्रों का जाप करें। 
  • अगर परिवार में किसी तरह की परेशानी है या आपके घर से सुख शांति गायब हो चुकी है तो नवरात्रि की अष्टमी तिथि के दिन दो कपूर और 12 लौंग एक गोबर के कंडे पर जलाएं। ऐसा करने से आपके परिवार की परेशानियां समाप्त हो जाएगी। 
  • आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए एकाक्षी नारियल ले लें, उस पर सात बार मौली लपेटकर मां दुर्गा के समक्ष रख दें। पूजा के बाद इस नारियल को अपनी तिजोरी में रख लें। इससे आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। 

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क्या यह जानते हैं आप? 

बहुत से लोग नवरात्रि की अष्टमी तिथि के दिन कन्या पूजन करते हैं। देवी भागवत पुराण में उल्लेख है कि आठवां दिन मां दुर्गा के मूल भाव को दर्शाता है। महागौरी देवी भगवान शिव के साथ उनकी अर्धांगिनी के रूप में विराजमान रहती हैं इसीलिए महागौरी देवी को शिवा नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है की देवी महागौरी ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या की थी और अपनी तपस्या से ही माता ने गौर वर्ण प्राप्त किया था।

इन लोगों को विशेष रूप से करनी चाहिए मां की पूजा 

जिन लोगों को मनचाहा वर या वधू चाहिए हो या फिर जो अपने दांपत्य जीवन में सुख बनाए रखना चाहते हो, जो लोग अपने व्यापार की तरक्की और विस्तार करना चाहते हों, अपने जीवन में धन और सुख समृद्धि बनाना चाहते हैं उन्हें विशेष रूप से मां महागौरी की पूजा करने की सलाह दी जाती है। सच्ची श्रद्धा और भक्ति के साथ मां महागौरी की पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।

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मां महागौरी से संबंधित पौराणिक कथा 

मां महागौरी से संबंधित पौराणिक कथा के अनुसार बताया जाता है कि मां ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। इस दौरान उन्होंने केवल कंदमूल, फल और पत्तों का भोजन किया था इसके बाद मां ने केवल हवा पर ही तप करना आरंभ किया। तपस्या से मां पार्वती को महान गौरव प्राप्त हुआ और तभी उनका नाम महागौरी पड़ा। 

मां की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनको गंगा में स्नान करने को कहा। जब गंगा में मां स्नान करने गई तब देवी एक स्वरूप श्याम वर्ण में प्रकट हुआ जिसे कौशिकी कहा गया और एक स्वरूप उज्जवल चंद्र के समान प्रकट हुआ जिसे महागौरी कहा गया। मां महागौरी अपने भक्तों का कल्याण करती हैं और उनकी समस्त परेशानियों को हर लेती है।

नवरात्रि अष्टमी तिथि हवन और कन्या पूजन

अगर आप भी नवरात्रि के अष्टमी तिथि पर हवन और कन्या पूजन करना चाहते हैं तो लिए इससे जुड़े नियम और सामग्री की जानकारी प्राप्त कर लेते हैं।

नवरात्रि हवन सामग्री: हवन कुंड, आम की लड़कियां, चावल, जौ, कलवा, शक्कर, गाय का शुद्ध घी, पान के पत्ते, काले तिल, सूखा हुआ नारियल, लौंग, इलायची, कपूर और बताशे

कन्या पूजन नियम 

बहुत से लोग नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन करते हैं। ऐसे में अगर आप भी इस दिन कन्या पूजन करने जा रहे हैं तो चलिए जान लेते हैं इससे जुड़े नियम क्या कुछ कहते हैं। 

  • कन्या पूजन में कन्याओं को हलवा, चना और पूरी, खीर अपने सामर्थ्य के अनुसार परोसे। 
  • किसी को जबरदस्ती भोजन न कराएं।
  • जो जितना खाए उतना ही आदर पूर्वक खिलाएँ।
  • घर बुलाकर कभी भी किसी कन्या का अनादर न करें। 
  • भोजन के बाद उनको अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिण अवश्य दें, उपहार दें और लाल चुनरी ओढ़ाकर उनका पैर छूकर आशीर्वाद अवश्य लें।

कन्या पूजन की सही विधि

  • कन्या पूजन से एक दिन पहले ही कन्याओं को आदर पूर्वक आमंत्रित कर लें। 
  • कन्या पूजन वाले दिन अपने घर को साफ कर लें क्योंकि घर आने वाली कन्याओं को मां दुर्गा का प्रतीक माना जाता है। 
  • जब कन्याएं घर पर आयें तो पहले उनके पैर धोएँ, फिर उन्हें खाने के लिए बिठाएँ। 
  • खाने से पहले उन्हें तिलक लगाएँ फिर साफ आसन पर उन्हें बिठाने के बाद उन्हें खाना परोसें। 
  • खाना खाने के बाद उनके बर्तन खुद हटाएँ। 
  • दोबारा उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें और उन्हें अंत में अपने सामर्थ्य के अनुसार कुछ ना कुछ तोहफा अवश्य दें।

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बुध का मीन राशि में उदय: जानें राशियों सहित देश-दुनिया पर बुध उदय का प्रभाव

बुध का मीन राशि में उदय : एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको बुध का मीन राशि में उदय के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान करेंगे। बता दें कि बुध 19 अप्रैल, 2024 को बृहस्पति ग्रह द्वारा शासित राशि मीन में उदय होने जा रहे हैं। बुद्धि, एकाग्रता, वाणी, त्वचा के कारक ग्रह बुध उदय का आपके जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सकारात्मक व नकारात्मक प्रभाव डालेगा। तो आइए जानते हैं बुध का उदय किस राशि के जातकों के लिए शुभ व किस राशि के जातकों के लिए अशुभ साबित होने वाला है। साथ ही, जानेंगे देश दुनिया व शेयर बाजार में इसका प्रभाव।

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बुध तीसरे भाव के स्वामी हैं। हालांकि इनकी स्थिति पहले भाव में अनुकूल होती है। पौराणिक कथाओं में बुध को देवताओं का दूत कहा जाता है। यह अभिव्यक्ति और अनुभूति से जुड़ा ग्रह है। बुध का कार्य चीजों को अलग करना और उन्हें फिर से एक साथ जोड़ना है। यह छाती, तंत्रिका तंत्र, त्वचा, नाक, नाभि, पित्ताशय, फेफड़े, तंत्रिकाएं, जीभ, भुजाएं, चेहरा और बालों के कारक ग्रह है। यदि यह अशुभ ग्रहों से पीड़ित हो तो जातक को छाती और मांसपेशियों से संबंधित परेशानियां दे सकता है।

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मीन राशि में बुध: विशेषताएं

मीन राशि में बुध के संचार, रचनात्मकता और आध्यात्मिकता को प्रभावित करता है। कल्पनाशक्ति और खुद को जानने समझने की शक्ति को मजबूत करता है। इन लोगों को कलात्मक क्षेत्र में किये जाने वाले प्रयासों में सफलता और आध्यात्मिक विकास के लिए आपकी वाणी स्पष्ट और आपका ज्ञान मज़बूत होना चाहिए। मीन राशि में बुध हो तो जातक एक-दूसरे से अच्छा आचरण करते हैं। इसके प्रभाव से विदेश में रहने वाले लोग शानदार तरक्की प्राप्त करते हैं। इसके अलावा, ये लोग अत्यधिक संवेदनशील होते हैं इसलिए इन्हें जल्दी बुरा भी लग जाता है। ये लोग किसी पर भरोसा करने में देर नहीं लगाते।

मीन राशि में बुध के प्रभाव से जातक बातचीत करने में कुशल होते हैं। ये लोग हर एक चीज को अच्छे से सुनते हैं और समझते हैं। साथ ही, दूसरों को यह महसूस कराते हैं कि वे उनके लिए महत्वपूर्ण है। ये जातक दूसरों को सहज महसूस करना और आलोचना की चिंता किए बिना अपनी राय साझा करने में सक्षम होते हैं। ये लोग उन चीजों का भी ख्याल रखते हैं जो उनके प्रियजनों के लिए महत्वपूर्ण हैं। वे अपनी सम्पूर्ण मानसिक क्षमताओं की बदौलत अन्य लोगों के दर्द या दुःख का पता लगाने में सक्षम होते हैं। ये दूसरों को बेहतर महसूस कराने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं।

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बुध का मीन राशि में उदय: समय व तिथि

बुद्धि और वाणी के कारक ग्रह बुध का मीन राशि में उदय 19 अप्रैल 2024 की सुबह 10 बजकर 23 मिनट पर होने जा रहा है। 

बुध का मीन राशि में उदय: इन राशियों पर पड़ेगा सकारात्मक प्रभाव

मेष राशि

मेष राशि के जातकों के लिए बुध आपके तीसरे और छठे भाव के स्वामी हैं अब यह आपके बारहवें भाव में उदित हो रहे हैं। बुध का मीन राशि में उदय होने से आपका व्यक्तिगत विकास तेज़ रफ़्तार से होगा और आपके जीवन में चल रही समस्याएं अब दूर हो सकती हैं। आपके साहस में कमी आ सकती है जो कि आपके लिए नकारात्मक साबित होने की आशंका है। इस अवधि आपका झुकाव आध्यात्मिक गतिविधियों की तरफ अधिक होगा और आप इसे बनाए रखने में आप सक्षम होंगे। इस दौरान आपके द्वारा की गई यात्राएं सफलता लेकर आएंगी और यह यात्राएं निजी या पेशेवर जीवन से जुड़ी हो सकती हैं। हालांकि, आप भ्रमित हो सकते हैं और इस वजह से असुरक्षा की भावना से ग्रस्त हो सकते हैं, ऐसे में आपको इससे बचने की सलाह दी जाती है। आपके स्वास्थ्य की बात करें तो इस दौरान यात्रा करते समय आपको खुद की देखभाल की आवश्यकता हो सकती है। वहीं, पढ़ाई करने वाले छात्रों का मन शिक्षा से हट सकता है और यह आपके लिए समस्या बन सकता है इसलिए आपके लिए जरूरी होगा कि भविष्य को ध्यान में रखते हुए एकाग्रचित्त होकर पढ़ाई करें। दूसरी तरफ, आपको पैतृक संपत्ति के माध्यम से लाभ प्राप्त होने के योग बनेंगे।

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मिथुन राशि

मिथुन राशि के जातकों की कुंडली में बुध ग्रह पहले और चौथे भाव के अधिपति देव हैं। अब यह आपके दसवें भाव में उदित हो रहे हैं। बुध का मीन राशि में उदय होने से आप निवेश के माध्यम से अपने जीवन में सुख-सुविधाओं को बढ़ाने में सक्षम होंगे, जिससे आपको संतुष्टि मिलेगी। इसके अलावा, आप कोई नई संपत्ति खरीद सकते हैं। आपको काम के सिलसिले में काफ़ी यात्राओं पर जाना पड़ सकता हैं। साथ ही, आप अपनी माता की ख़ुशी के लिए धन खर्च भी करते हुए दिखाई दे सकते हैं।

करियर की बात करें, तो इन जातकों को नौकरी में स्थिरता की प्राप्ति होगी। साथ ही, वरिष्ठ भी आपकी सराहना करते हुए नज़र आएंगे।  इस दौरान आपकी इच्छा शक्ति दृढ़ और विश्लेषण की क्षमता मज़बूत होंगी जिसका इस्तेमाल आप बुद्धि के बल पर काम में कर सकते हैं। इन लोगों को  अपने तेज़ दिमाग की वजह से विदेश में नौकरी करने का अवसर मिल सकता है।

सिंह राशि

सिंह राशि के जातकों की कुंडली में बुध ग्रह आपके दूसरे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं जो अब आपके आठवें भाव में उदित होने जा रहे हैं। बात करें आपके करियर की, आपको अलग-अलग स्थानों पर नौकरी में स्थानांतरण का सामना करना पड़ सकता है। आशंका है कि इससे आप संतुष्टि महसूस न कर पाए। बुध के उदित के दौरान आपको हर काम की योजना बनाकर चलना होगा क्योंकि आप पर काम का बोझ अधिक हो सकता है। व्यापार की दृष्टि से, सिंह राशि वालों का प्रदर्शन बिज़नेस में शानदार रहेगा और आप पर्याप्त मात्रा में लाभ कमाएंगे। अगर आपका संबंध ट्रेड, सट्टेबाजी आदि से है, तो आपको अच्छा मुनाफा होने के योग बनेंगे। लेकिन, दूसरे बिज़नेस आपको उचित लाभ देने में पीछे रह सकते हैं।

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मकर राशि

मकर राशि वालों के लिए बुध छठे और नौवें भाव के स्वामी हैं और यह आपके तीसरे भाव में उदित हो जाएंगे। बुध तीसरे भाव का नैसर्गिक कारक है। करियर के लिहाज़ से, इन जातकों को नौकरी में तेज़ रफ़्तार से प्रगति मिलेगी और यह वृद्धि अपने साथ नौकरी के नए अवसर लेकर आ सकती है जिससे आप ख़ुश दिखाई देंगे। वहीं, कुछ जातकों को विदेश जाने का मौका मिलने की संभावना है जो आपको अपने सभी सपने सच करने का अवसर देगा। 

व्यापार की दृष्टि से, बुध की उदित अवस्था उन जातकों को अच्छा लाभ प्रदान करेगी जिनका अपना व्यापार है। ऐसे में, आप खुश और संतुष्ट नज़र आएंगे। साथ ही, इस अवधि में आप नए ऑर्डर प्राप्त करने में सक्षम होंगे और व्यापार में आप अच्छी सफलता हासिल कर सकेंगे।

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वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि वालों के लिए बुध आठवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं। अब बुध महाराज आपके पांचवें भाव में उदित होने जा रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप आप भविष्य को लेकर चिंतित नज़र आ सकते हैं और आप तनाव में रह सकते हैं। वहीं दूसरी ओर, वृश्चिक राशि वालों को सट्टेबाजी के माध्यम से अच्छा खासा लाभ प्राप्त हो सकता है।

करियर के लिहाज़ से, जो जातक नौकरी करते हैं, बुध उदित अवस्था के दौरान नौकरी में आप पर अधिक दबाव होने की संभावना है जो कि काम की सही से योजना न बनाने और दृढ़ता की कमी की वजह से हो सकता है। इन लोगों की नौकरी में बदलाव होने की आशंका है जो कि आपके लिए इतना जरूरी नहीं होगा। 

इस राशि के जिन जातकों का अपना व्यापार है, वह बुध का मीन राशि में उदय होने से ज्यादा लाभ कमाने में पीछे रह सकते हैं। लेकिन, फिर भी आपके बिज़नेस पर इसका उतना असर नहीं पड़ेगा और यह स्थिर बना रहेगा। हालांकि, इस अवधि में आपके और बिज़नेस पार्टनर के बीच समस्याएं आ सकती हैं। साथ ही, किसी बात को लेकर वह आपका विरोध कर सकते हैं।

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धनु राशि

धनु राशि वालों के लिए बुध महाराज आपके सातवें और दसवें भाव के स्वामी हैं जो अब मीन राशि में आपके चौथे भाव में उदित हो जाएंगे। इसके परिणामस्वरूप, आप अपने जीवन में चलने वाली चीज़ों को लेकर नाख़ुश दिखाई दे सकते हैं। साथ ही, आपको घर-परिवार के साथ भी समस्याओं से जूझना पड़ सकता है और संभवतः यह विवाद क़ानूनी रूप ले सकते हैं। इसके अलावा, पार्टनर के साथ मतभेद होने की आशंका है।

करियर के लिहाज़ से, इस राशि के जो जातक नौकरी करते हैं, वह कार्यस्थल में अपनी योग्यता साबित करने में नाकाम रह सकते हैं। हो सकता है कि आप नौकरी में मिलने वाले लक्ष्यों को पूरा न कर पाएं और आप कोई बड़ी उपलब्धि भी हासिल न कर सकें। साथ ही, आप पर नौकरी में दबाव हो सकता है। 

बुध के उदय की अवधि व्यापार करने वालों के लिए थोड़ी प्रतिकूल रह सकती है। आशंका है कि जो जातक व्यापार करते हैं, उन्हें इस दौरान नुकसान उठाना पड़ें। साथ ही, बिज़नेस पार्टनर के साथ आपको समस्याएं झेलनी पड़ सकती हैं। इसके अलावा, आपको अपने व्यवसाय के विस्तार में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

कुंभ राशि

कुंभ राशि वालों की कुंडली में बुध देव आपके पांचवें और आठवें भाव के स्वामी हैं। अब मीन राशि में बुध ग्रह आपके दूसरे भाव में उदित होने जा रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप, इन जातकों को ज्यादा धन कमाने में समस्याओं और बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही, यह आपको धन हानि, निजी जीवन में परेशानियां और पार्टनर के साथ रिश्ते में असफलता आदि देने का काम भी कर सकते हैं। साथ ही, आप अपने बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित रह सकते हैं और उनके विकास व भविष्य पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। करियर के क्षेत्र में कुंभ राशि के नौकरी करने वाले जातकों के हाथ से नौकरी के कई सुनहरे अवसर निकल सकते हैं और इस तरह के अवसर आपके जीवन से सुख-सौभाग्य समाप्त कर सकते हैं। वहीं, आपको बेवजह की यात्राओं पर जाना पड़ सकता है और यह आपके लिए ज्यादा फलदायी साबित न होने की आशंका है जबकि कुछ लोग नौकरी में बदलाव करने के लिए मज़बूर हो सकते हैं और इसके परिणामस्वरूप, आपको मिलने वाले सकारात्मक परिणामों में कमी आ सकती है। जिन जातकों का अपना व्यापार है, उन्हें बिज़नेस में प्रतिद्वंदियों से कड़ी टक्कर मिलने की वजह से नुकसान उठाना पड़ सकता है। ऐसे में, आपको सावधान रहने की आवश्यकता हो सकती है।

बुध का मीन राशि में उदय: प्रभावशाली उपाय

  • बुध यंत्र को स्थापित करें और विधि विधान से पूजा करें।
  • छोटी कन्याओं का आशीर्वाद लें और उन्हें उपहार दें।
  • मौखिक और दंत स्वच्छता बनाए रखें।
  • बुध के लिए हवन करें।
  • गाय को हरा चारा खिलाएं।
  • बुध के बीज मंत्र ‘ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः’ का जाप करें।

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बुध का मीन राशि में उदय: विश्वव्यापी प्रभाव

  • बुध के मेष राशि में उदय के दौरान सॉफ्टवेयर कंपनियों और आईटी इंडस्ट्री को कुछ ज्यादा लाभ नहीं होने की आशंका है। साथ ही, मंदी इस स्थिति को और बदतर बना सकती है।
  • इस दौरान शेयर बाज़ार और सट्टेबाजी से जुड़े व्यापार में गिरावट देखने को मिल सकती है।
  • इस अवधि में चिकित्सा के क्षेत्र में कुछ सकारात्मक सुधार आने की संभावना है और कुछ सुधार भी देखने को मिल सकता है।
  • कविता, कहानी सुनाना, पटकथा लेखन आदि रचनात्मक क्षेत्रों से जुड़े लोग फल-फूल सकते हैं।
  • बुध को व्यापार का कारक ग्रह माना गया है और इस दौरान बुध अपनी नीच राशि में होने के कारण व्यवसाय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • व्यवसाय में सुस्ती का दौर आ सकता है और जातकों के लिए यह अवधि थोड़ी मुश्किल भरी रह सकती है। इस दौरान लोग अपनी नौकरी से हाथ धो सकते हैं। साथ ही, नई नौकरी पाना भी उनके लिए एक समस्या बन सकता है।
  • बुध उदय के दौरान कई नए व्यवसाय बंद हो सकते हैं या उनका टिके रहना मुश्किल हो सकता है।
  • वित्त और बैंकिंग सेक्टर में मंदी देखने को मिल सकती है।
  • इस समय मीडिया से संबंध रखने वाले लोग और लेखक आदि समृद्धि प्राप्त करते हुए नज़र आएंगे।

बुध का मीन राशि में उदय: शेयर बाजार रिपोर्ट

19 अप्रैल, 2024 को बृहस्पति द्वारा शासित राशि मीन में उदय होंगे। यह घटना आने वाले हफ्तों में शेयर बाजार को प्रभावित करेगी।  तो आइए ऐसे में जानते हैं बुध का मीन राशि में उदय के दौरान शेयर बाजार में किस तरह के बदलाव देखने को मिलेंगे। शेयर बाजार भविष्यवाणी 2024 के अनुसार,

  • महीने की शुरुआत में सीमेंट, चाय और कॉफी उद्योग, इस्पात उद्योग, रसायन उद्योग, उर्वरक उद्योग, भारी उद्योग, ऑटोमोबाइल पार्ट्स उद्योग और लोहा और इस्पात उद्योग में विकास देखने को मिल सकता है।
  • फार्मा क्षेत्र, ऊनी मिलों और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों में पूरे महीने वृद्धि देखने को मिलेगी।
  • बैंकिंग और वित्त क्षेत्र में मंदी का दौर आ सकता है।

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साप्ताहिक राशिफल (15 से 21 अप्रैल 2024): इस सप्ताह अपने ही दे सकते हैं धोखा- फूँक-फूँक कर रखें कदम!

आने वाले 7 दिन आपके लिए कैसे रहने वाले हैं? क्या इस सप्ताह में आपकी किस्मत के सितारे चमकेंगे या अभी आपको और इंतजार करना पड़ेगा? इसके अलावा आर्थिक पक्ष के लिहाज से यह सप्ताह कैसा रहने वाला है? अगर आप इन सभी सवालों का जवाब जानना चाहते हैं तो एस्ट्रोसेज के साप्ताहिक राशिफल ब्लॉग में आपको इनका जवाब बेहद आसानी से प्राप्त होने वाला है।

सिर्फ इतना ही नहीं इस खास ब्लॉग में हम आपके आने वाले सात दिनों में पड़ने वाले व्रत त्यौहार, ग्रहण, गोचर, विवाह मुहूर्त, बैंक अवकाश आदि की भी जानकारी देने वाले हैं। तो चलिए बिना देरी किए शुरू करते हैं हमारा यह खास ब्लॉग और जान लेते हैं अप्रैल के तीसरे सप्ताह से जुड़ी कुछ बेहद दिलचस्पातों की जानकारी।

देशभर के ज्योतिषियों से बेहद ही कम दरों पर फोन पर करें बात और अपने वर्ष 2024 को बनाएँ और भी खास

इस सप्ताह का हिंदू पंचांग और ज्योतिषीय गणना 

सबसे पहले बात कर लें इस सप्ताह के हिंदू पंचांग और ज्योतिषीय गणना की तो अप्रैल का तीसरा सप्ताह शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र के तहत प्रारंभ हो जाएगा और इस सप्ताह का समापन शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के तहत हो जाएगा। 

इस सप्ताह पड़ने वाले व्रत और त्योहारों की जानकारी 

अपने व्यस्त जीवन में आप भी कोई त्यौहार या महत्वपूर्ण तिथि भूल न जाएँ इसलिए हम आपके सामने आने वाले सात दिनों में पड़ने वाले महत्वपूर्ण व्रत त्योहार की जानकारी भी आपको यहां प्रदान करने जा रहे हैं। तो चलिए जान लेते हैं 15 से 21 अप्रैल के बीच कौन-कौन से व्रत और त्योहार पड़ने वाले हैं। 

  • 15 अप्रैल चैत्र नव पद औली प्रारंभ 
  • 16 अप्रैल माँ तारा जयंती, मासिक दुर्गा अष्टमी 
  • 17 अप्रैल रामनवमी, स्वामी नारायण जयंती 
  • 19 अप्रैल कामदा एकादशी 
  • 20 अप्रैल त्रिशूल पुरम, वामन द्वादशी 
  • 21 अप्रैल महावीर स्वामी जयंती, प्रदोष व्रत

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा

इस सप्ताह पड़ने वाले ग्रहण और गोचर 

ग्रहण और गोचर का सीधा प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है। ऐसे में चलिए जान लेते हैं कि इस सप्ताह कौन-कौन से ग्रहों का गोचर होने वाला है और यह किस तरह से आपको प्रभावित करेंगे। इस सप्ताह में केवल एक महत्वपूर्ण ग्रह का परिवर्तन होने वाला है यह परिवर्तन होगा 19 अप्रैल को जब बुध मीन राशि में अस्त अवस्था से निकलकर उदित हो जाएंगे। निश्चित तौर पर इसका सभी 12 राशियों के जातकों के जीवन पर प्रभाव अवश्य पड़ेगा।

वहीं बात करें ग्रहण की तो इस सप्ताह में कोई भी ग्रहण नहीं लगने वाला है। 

15-21 अप्रैल 2024: विवाह मुहूर्त 2024 

बात करें के इस तीसरे सप्ताह विवाह मुहूर्त की तो इस सप्ताह में विवाह के चार मुहूर्त पड़ने वाले हैं। पहला होगा 18 अप्रैल को, दूसरा 19 अप्रैल को, तीसरा 20 अप्रैल और चौथा 21 अप्रैल। बात करें समय की तो,

18 अप्रैल 2024 मध्य रात्रि 00:44 – 19 अप्रैल, 05:51 एकादशी

19 अप्रैल 2024 प्रातः 05:51 से 06:46 एकादशी

20 अप्रैल 2024 दोपहर, 02:04 से 21 अप्रैल प्रातः 02:48 द्वादशी

21 अप्रैल 2024 दोपहर 03:45 से 22 अप्रैल, प्रातः 05:48 त्रयोदशी

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15-21 अप्रैल 2024: बैंक अवकाश 

बैंक होलीडेज की बात करें तो इस सप्ताह 

15 अप्रैल को हिमाचल दिवस है जिसका अवकाश हिमाचल प्रदेश में मनाया जाएगा।  

17 अप्रैल को रामनवमी है जिसका अवकाश भारत भर में राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाएगा हालांकि बंगाल, त्रिपुरा, तमिलनाडु, पुडुचेरी, नागालैंड, मिजोरम, मेघालय, मणिपुर, केरल, कर्नाटक, झारखंड और गोवा में इसका अवकाश नहीं होगा।  

इसके बाद 21 अप्रैल को गरिया पूजा का अवकाश त्रिपुरा में किया जाएगा और इसी दिन महावीर जयंती भी है जिसका अवकाश उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान, पंजाब, उड़ीसा, मिजोरम, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, झारखंड, हरियाणा, गुजरात, छत्तीसगढ़ में होगा।

इस सप्ताह जन्में कुछ मशहूर सितारों के जन्मदिन की जानकारी 

अब अंत में हम बात कर लेते हैं इस सप्ताह जन्मे कुछ मशहूर सितारों के जन्म के बारे में। तो अगर आपका भी जन्म अप्रैल के महीने में हुआ है तो निश्चित तौर पर आप स्वभाव से बेहद ही दिलखुश व्यक्ति हैं। आप जहां भी जाते हैं आप महफिल की जान बन जाते हैं। आप अपने काम को लेकर बेहद ही गंभीर रहते हैं। जो भी काम उठाते हैं उसे पूरा करके ही सांस लेते हैं। 

इसके अलावा अप्रैल के महीने में जन्म लेने वाले लोगों का जन्म हीरा रत्न से जोड़कर देखा जाता है। अप्रैल में जन्मे बच्चे ज्यादा भाग्यशाली होते हैं। अगर अप्रैल में जन्म लेने वाले लोग हीरा रत्न धारण करें तो  जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ऑफ अमेरिका के अनुसार इससे आपको दीर्घायु ताकत सुंदरता और जीवन में खुशियां प्राप्त होती हैं। हीरा रत्न को सभी रत्न में सबसे टिकाऊ भी माना गया है। इसके अलावा बात करें विवाह की तो अगर अप्रैल में जन्म लेने वाला व्यक्ति अप्रैल में ही विवाह भी कर ले तो उनका विवाह बहुत ही ज्यादा सफल होने की संभावना बढ़ जाती है। 

अगर अप्रैल के आखिरी 10 दिनों के दौरान शादी की जाए तो संभावना बढ़ जाती है कि व्यक्ति की शादी बहुत ही ज्यादा जमीनी स्तर पर होगी और आपका रिश्ता जीवन भर मजबूत बना रहेगा। इसके अलावा क्या यह जानते हैं आप? एक्सेटर विश्वविद्यालय के एक अध्ययन के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका में पहली बार माँ बनने वाली माताएँ अपने बच्चों का जन्मदिन वसंत ऋतु में मनाना पसंद करेंगी। 

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अब बात करें इस सप्ताह में किन सितारों का जन्मदिन पड़ने वाला है तो, 

15 अप्रैल मंदिरा बेदी, रघुराम 

16 अप्रैल लारा दत्ता, नारायणी शास्त्री 

17 अप्रैल सिद्धार्थ नारायण 

18 अप्रैल पूनम ढिल्लों 

19 अप्रैल अरशद वारसी, सुरेखा सिकरी 

20 अप्रैल मनीष चौधरी, राजीव मेनन 

21 अप्रैल शिवाजी सत्यम, ताहिर राज भसीन

यदि आप अपने फेवरेट सितारे की कुंडली देखकर उनके भविष्य के बारे में कुछ भी जानना चाहते हैं तो आप यहाँ क्लिक कर सकते हैं।

एस्ट्रोसेज की तरफ से इन सभी सितारों को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं।

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साप्ताहिक राशिफल 15-21 अप्रैल 2024

अब जानते हैं सभी बारह राशियों के जातकों के लिए यह सप्ताह क्या कुछ लेकर आने वाला है:

यह भविष्यफल चंद्र राशि पर आधारित है। अपनी चंद्र राशि जानने के लिए क्लिक करें:
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मेष साप्ताहिक राशिफल

खुद को फिट रखने के लिए, इस सप्ताह आपको ज्यादा मशक्कत नहीं करनी होगी। क्योंकि इस दौरान ….. (विस्तार से पढ़ें) 

मेष प्रेम राशिफल 

प्रेम संबंधों में आपको इस पूरे ही सप्ताह रोमांस और प्रेम की काफी कमी खलेगी। क्योंकि ….(विस्तार से पढ़ें)

वृषभ साप्ताहिक राशिफल

इस सप्ताह आपके ऊपर कुछ अधिक, भावुक मिज़ाज छाया रहेगा। जिसके कारण आप दूसरों से खुलकर ….(विस्तार से पढ़ें)

वृषभ प्रेम राशिफल

इस सप्ताह आपके घरवाले आपके प्रेम संबंधों के बीच आकर, आपके प्रेमी को अपशब्द ….(विस्तार से पढ़ें)

मिथुन साप्ताहिक राशिफल

इस सप्ताह आपको अपनी व्यस्त ज़िंदगी में से, कुछ पल निकालते हुए आराम करने और क़रीबी दोस्तों व ….(विस्तार से पढ़ें)

मिथुन प्रेम राशिफल

सिंगल जातकों को इस सप्ताह किसी भी ख़ास व्यक्ति के प्रति अपनी दिल कि भावनाओं को ….(विस्तार से पढ़ें)

कर्क साप्ताहिक राशिफल

रक्तचाप, मधुमेह या मोटापे के मरीज़ों को, इस सप्ताह अपना ख़ास ख़याल रखने और सही व समय के …. (विस्तार से पढ़ें)

कर्क प्रेम राशिफल

किसी भी ख़ास व्यक्ति से दिल की बात कहना इस सप्ताह, आपके लिए प्रतिकूल साबित हो ….(विस्तार से पढ़ें)

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सिंह साप्ताहिक राशिफल

आपको इस बात का एहसास होगा कि आपका स्वास्थ्य यदि अच्छा है तो, आप जीवन के हर पक्ष का आनंद ….(विस्तार से पढ़ें)

सिंह प्रेम राशिफल

मुमकिन है कि यह सप्ताह आपके प्रेम जीवन के लिए, सबसे मुश्किल दौर होगा। क्योंकि ……(विस्तार से पढ़ें)

कन्या साप्ताहिक राशिफल

इस सप्ताह आपके ऊपर काम का अतिरिक्त बोझ, आपकी सेहत को बाधित कर सकता है। ऐसे में अपने ….(विस्तार से पढ़ें)

कन्या प्रेम राशिफल

 सिंगल जातकों को इस सप्ताह किसी भी ख़ास व्यक्ति के प्रति अपनी दिल कि भावनाओं को ….(विस्तार से पढ़ें)

तुला साप्ताहिक राशिफल

इस सप्ताह आपको अपने खानपान में सही सुधार कर, अच्छा भोजन करने की ज़रूरत होगी। क्योंकि ये …..(विस्तार से पढ़ें)

तुला प्रेम राशिफल

आपके कार्यक्षेत्र पर चल रही विपरीत परिस्थितियों के कारण, इस सप्ताह आप अपने प्रिय….. (विस्तार से पढ़ें)

वृश्चिक साप्ताहिक राशिफल

इस सप्ताह आपको दूसरों की आलोचना में, अपना ज्यादातर समय और ऊर्जा बर्बाद करने से बचना होगा। …..(विस्तार से पढ़ें)

वृश्चिक प्रेम राशिफल

 इस सप्ताह यदि आप प्रेमी की किसी आदत को लेकर, काफी समय से परेशान चल रहे हैं ,…..(विस्तार से पढ़ें)

धनु साप्ताहिक राशिफल

आपकी राशि के लोगों के स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से, ये सप्ताह बेहद उत्तम रहेगा। क्योंकि इस दौरान आपको …..(विस्तार से पढ़ें)

धनु प्रेम राशिफल

प्रेम एक ऐसी रोशनी है जो आपको अंधेरों में भी उजाला दिखा सकती है। आपका लवमेट …..(विस्तार से पढ़ें)

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मकर साप्ताहिक राशिफल

ख़ुद को परिष्कृत करने की आपकी कोशिश, कई तरीक़ों से आपके स्वास्थ्य जीवन पर अपना सकारात्मक ….(विस्तार से पढ़ें)

मकर प्रेम राशिफल

सिंगल जातकों को हर रोज़, किसी विपरीत लिंगी व्यक्ति के प्रेम में पड़ने की अपनी आदत….(विस्तार से पढ़ें)

कुम्भ साप्ताहिक राशिफल

इस सप्ताह आपके स्वास्थ्य राशिफल को देखें तो, आपका स्वास्थ्य बेहतरीन रहेगा। जिसके चलते आप …. (विस्तार से पढ़ें)

कुम्भ प्रेम राशिफल

इस सप्ताह आपके रोमांटिक मनोभावों में अचानक आया यूँ बदलाव, आपको काफ़ी खिन्न ….(विस्तार से पढ़ें)

मीन साप्ताहिक राशिफल 

ये सप्ताह वैसे तो स्वास्थ्य के लिहाज से अच्छा है, लेकिन आपका किसी भी बात पर अत्यधिक सोचना, …..(विस्तार से पढ़ें)

मीन प्रेम राशिफल

प्रेम संबंधों में आपके अस्थिर स्वभाव के चलते, न चाहते हुए भी आपका इस सप्ताह अपने …. (विस्तार से पढ़ें)

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मंगल चलेंगे मीन राशि में चाल, खुल जाएगी इन राशियों की किस्‍मत, छप्‍पर फाड़ के मिलेगा पैसा

ग्रहों के गोचर का प्रभाव मनुष्‍य के जीवन के हर पहलू पर देखा जाता है। प्रेम जीवन की बात हो या करियर की या फिर व्‍यापार का मामला हो, हर क्षेत्र में ग्रहों के गोचर का असर पड़ता है। ज्‍योतिषशास्‍त्र के अनुसार एक तय समयावधि के बाद प्रत्‍येक ग्रह गोचर करता है जिसका प्रभाव देश-दुनिया समेत सभी 12 राशियों पर पड़ता है। गोचर की दृष्टि से अप्रैल का महीना बहुत महत्‍वपूर्ण बताया जा रहा है।

अप्रैल, 2024 में मंगल ग्रह का एक अहम गोचर होने जा रहा है जो कि कुछ राशियों की आर्थिक स्थिति को सुधारने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएगा। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि मंगल का गोचर किस तिथि एवं समय पर होने जा रहा है।

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कब हो रहा है मंगल का गोचर

वैदिक ज्‍योतिष में मंगल ग्रह को युद्ध और साहस का कारक माना गया है। इन्‍हें एक उग्र ग्रह की उपाधि दी गई है और अब यह ग्रह 23 अप्रैल, 2024 को सुबह 08 बजकर 19 मिनट पर मीन राशि में गोचर करने जा रहे हैं। मीन राशि में मंगल देव का गोचर आपको आध्यात्मिकता की तरफ लेकर जाएगा। इस समय आपको धार्मिक यात्राएं भी करनी पड़ सकती है।

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ज्‍योतिष में मंगल का महत्‍व

ज्‍योतिषशास्‍त्र में मंगल ग्रह को पुरुष तत्‍व वाला ग्रह माना गया है। मंगल अपनी मूल त्रिकोण राशि यानी कि मेष में होने पर अच्‍छे परिणाम देते हैं। यह ग्रह सिद्धांतों और प्रशासन से जुड़े कार्यों का प्र‍तिनिधित्‍व करते हैं। मंगल की कृपा के बिना करियर में अच्‍छे परिणाम या सफलता मिल पाना मुश्किल होता है। यही वह ग्रह है जो व्‍यक्‍ति को जीवन में सभी तरह की सुख-सुविधाएं प्रदान करता है। मंगल की शुभ स्थिति से जातक को समाज में मान-सम्‍मान और पद-प्रतिष्‍ठा मिलती है।

तो चलिए अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि मंगल के मीन राशि में प्रवेश करने पर किन राशियों के लोगों को आर्थिक लाभ होने की संभावना है।

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इन राशियों को होगा धन लाभ

वृषभ राशि

अगर आपकी वृषभ राशि है, तो आपको मंगल के मीन राशि में गोचर करने पर आर्थिक लाभ होने के संकेत हैं। यदि अब तक आप पैसों की तंगी से जूझ रहे थे, तो अब आपकी सारी परेशानियां दूर होने वाली हैं। आप अपने लिए अधिक धन कमाने में सफल होंगे और अपनी एवं अपने परिवार की जरूरतों को पूरा कर पाएंगे। आपकी आमदनी के नए स्रोत भी खुलेंगे जिससे आपकी प्रसन्‍नता में इज़ाफा होगा। धन कमाने के मामले में आपको अपने भाग्‍य का पूरा साथ मिलेगा। आप खर्चों को आसानी से संभालने के साथ-साथ पैसों की बचत करने में भी सफल होंगे।

वृषभ साप्ताहिक राशिफल

मिथुन राशि

पैसों के मामले में मिथुन राशि के लोगों के लिए यह गोचर फलदायी साबित होगा। आप पैसों की बचत कर पाएंगे जिससे आपका वर्तमान ही नहीं बल्कि भविष्‍य भी संवर जाएगा। विदेश में रहने वाले लोगों को आमदनी के नए स्रोत मिलेंगे और इनके लिए धन लाभ के अवसर भी बने हुए हैं। आप अपने साथ-साथ अपने परिवार के खर्चों को भी अच्‍छे से संभाल पाएंगे और पैसों की बचत भी करेंगे। आपको अचानक पैतृक संपत्ति के रूप में भी धन लाभ होने की संभावना है। आपके ऊपर परिवार की जिम्‍मेदारियां बढ़ सकती हैं और इन्‍हें पूरा करने के लिए आपको लोने लेने की जरूरत पड़ सकती है। आपको इस समय लोन लेने में कोई परेशानी नहीं आएगी।

मिथुन साप्ताहिक राशिफल

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कर्क राशि

कर्क राशि के जातक भी धन लाभ के मामले में बहुत भाग्‍यशाली रहने वाले हैं। आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा और अगर अब तक कोई आर्थिक समस्‍या या पैसों की तंगी चल रही थी, तो अब वो भी दूर हो जाएगी। कर्क रा‍शि के लोगों को विदेश से भी धन कमाने के अवसर मिल सकते हैं। इससे आप काफी संतुष्‍ट महसूस करने वाले हैं। आप पूरी मेहनत और लगन के साथ अपना काम करेंगे और आपके अच्‍छे काम के लिए आपके वेतन में वृद्धि होने की भी संभावना है। इस तरह भी आपको धन लाभ हो सकता है। वेतन बढ़ने से आपका मन प्रसन्‍न रहेगा। कुल मिलाकर आपको धन के मामले में चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।

कर्क साप्ताहिक राशिफल

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धनु राशि

धनु राशि के लोगों को मंगल के मीन राशि में प्रवेश करने पर पैसों को लेकर किसी भी तरह से परेशान होने की जरूरत नहीं है। यह समय आपके लिए काफी अनुकूल रहने वाला है। आप खूब पैसा कमाएंगे और अपनी एवं अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करेंगे। इसके साथ ही आप पैसों की बचत करने पर भी ध्‍यान देंगे। विदेश में रहने वाले लोगों के लिए भी यह गोचर भाग्‍यशाली सिद्ध होगा। आप जो भी काम करेंगे, उसमें आपको अपने भाग्‍य का साथ मिलेगा।

धनु साप्ताहिक राशिफल

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मीन राशि

मीन राशि के लोगों के लिए मंगल का यह गोचर अच्‍छा रहने वाला है। आपको पैसा कमाने के खूब अवसर प्राप्‍त होंगे और आप अपने खर्चों एवं जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ पैसों की बचत भी कर पाएंगे। आपके सामने अचानक से कुछ खर्चे भी आ सकते हैं। इन खर्चों की आपूर्ति के लिए आपको लोन लेना पड़ सकता है। हालांकि, आपको इस समय लोन लेने में कोई परेशानी नहीं आएगी।

मीन साप्ताहिक राशिफल

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नौकरी में सफलता- दुश्मनों पर जीत- सब दिलाएँगी माँ कालरात्रि, बस कर लें ये छोटा सा उपाय !

आप सभी को चैत्र नवरात्रि की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। अपने इस नवरात्रि विशेष ब्लॉग की कड़ी  में हम आ पहुंचे हैं नवरात्रि के सातवें दिन के ब्लॉग पर। ऐसे में आज बात करेंगे नवरात्रि के सातवें दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में।

साथ ही जानेंगे नवरात्रि के सातवें दिन मां के किस स्वरूप की पूजा की जाती है, मां का स्वरूप कैसा है, मां की पूजा करने से किस तरह के लाभ मिलते हैं, क्या ज्योतिषीय महत्व होता है और क्या कुछ उपाय करके आप इस दिन का महत्व अपने जीवन में बनाए रख सकते हैं।

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मां कालरात्रि का स्वरूप

नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है जिन्हें देवी पार्वती के समतुल्य माना गया है। देवी के नाम का शाब्दिक अर्थ निकालें तो काल अर्थात मृत्यु या समय और रात्रि का अर्थ होता है रात। ऐसे में मां के नाम का अर्थ होता है अंधेरे को खत्म करने वाली देवी। बात करें मां के स्वरूप की तो देवी कालरात्रि का वर्ण कृष्ण के वर्ण के समान है। यह गधे की सवारी करती हैं। देवी की चार भुजाएं होती हैं जिसमें से दोनों दाहिने हाथ में उन्होंने अभय मुद्रा और वरद मुद्रा में धारण किए हुए हैं जबकि बाएँ दोनों हाथ में उन्होंने तलवार और खड़ग लिया हुआ है।

मां कालरात्रि की पूजा का ज्योतिषीय संदर्भ

मां कालरात्रि की पूजा से मिलने वाले ज्योतिषीय महत्व की बात करें तो कहा जाता है देवी कालरात्रि शनि ग्रह को नियंत्रित करती हैं। ऐसे में अगर देवी कालरात्रि की नियमित रूप से और विधिपूर्वक पूजा की जाए तो व्यक्ति के जीवन से शनि के बुरे प्रभाव कम होने लगते हैं।

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मां कालरात्रि की पूजा महत्व 

मां कालरात्रि की पूजा से मिलने वाले लाभ की बात करें तो मां कालरात्रि को दोषों का विनाश करने वाली देवी माना जाता है। इसके साथ ही जो लोग मां की भक्ति पूर्वक पूजा पाठ करते हैं उन्हें माता हमेशा शुभ फल प्रदान करती हैं। यही वजह है की मां का एक नाम शुभंकारी भी है। मां कालरात्रि की पूजा करने से व्यक्ति को भय और रोग से छुटकारा मिलता है। इसके साथ ही भूत, प्रेत, अकाल मृत्यु, रोग, शोक, इस तरह की परेशानियां भी व्यक्ति के जीवन से समाप्त होने लगती है। मां का यह रूप भय उत्पन्न करने वाला है हालांकि केवल पापियों के लिए। यह पापियों का नाश करती हैं। माता के तीन बड़े-बड़े नेत्र हैं जिससे माँ अपने भक्तों पर हमेशा अनुकंपा की दृष्टि बनाए रखती है।

कहा जाता है की मां दुर्गा का कालरात्रि स्वरूप शुभ निशुंभ और रक्तबीज को करने के लिए लिया गया स्वरूप है और देवी कालरात्रि का शरीर अंधकार की तरह है। उनके श्वास से अग्नि निकलती है और गले में विद्युत की चमक वाली माला होती है। मां के केश बड़े-बड़े और बिखरे हुए होते हैं।

मां कालरात्रि को अवश्य लगाएँ ये भोग 

अब बात कर लें माँ कालरात्रि के प्रिय भोग की तो माँ कालरात्रि को गुड़ बहुत प्रिय होता है। ऐसे में नवरात्रि के सातवें दिन की पूजा में आप माता रानी को फल, मेवे आदि अर्पित करने के साथ गुड़ का भोग अवश्य लगाएँ।

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देवी कालरात्रि का पूजा मंत्र

ॐ देवी कालरात्र्यै नमः॥

प्रार्थना मंत्र

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥

वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।
वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

स्तुति

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

नवरात्रि के सातवें दिन अवश्य करें ये अचूक उपाय

  • जो कोई भी भक्त नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि के बीज मंत्र का जाप करता है, रात्रि जागरण करता है और दुर्गा सप्तशती का पाठ करता है ऐसे व्यक्ति के जीवन से सभी नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है। इस मंत्र का सवा लाख बार जाप करना होता है। कहा जाता है तभी यह मंत्र सिद्ध होता है और व्यक्ति की समस्त मनोकामनाएं पूरी होती है। 
  • नवरात्रि की सप्तमी तिथि के दिन माँ कालरात्रि को पेठे का भोग अवश्य लगाएँ और मुमकिन हो तो पेठे की बाली भी अवश्य दें। इससे व्यक्ति को बल और विजय की प्राप्ति होती है। साथ ही अगर आपका कोई कानूनी मामला फंसा हुआ है तो इसमें भी आपको विजय मिलती है। 
  • अगर आपके जीवन में नकारात्मक शक्तियां बनी हुई है या घर में छोटे बच्चे हैं जिनको आए दिन नजर लगती रहती है तो नवरात्रि के सातवें दिन उन्हें ताबीज पहना दें। इसके लिए आप एक काले कपड़े में पीली सरसों ले लें, टूटी हुई सूई डालकर कपड़े में लपेट दें और इस ताबीज को बच्चों के गले में पहना दें। कहा जाता है इससे बच्चों को बुरी नजर नहीं लगती और जीवन से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  • देवी के 32 नाम का जाप विशेष फलदाई माना जाता है। ऐसे में सप्तमी तिथि के दिन जो कोई भी भक्त रात में मां के 32 नाम का 108 बार जाप करता है उनके जीवन से सभी परेशानियां दूर होती है और उन्हें रोग और शोक से भी मुक्ति मिलती है। 
  • नवरात्रि की सप्तमी तिथि पर देवी को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि अगर सप्तमी तिथि के दिन माँ कालरात्रि को आप उड़द दाल की खिचड़ी बनाकर भोग लगा दें और इस पूजा के बाद प्रसाद के रूप में लोगों को बाँट देते हैं तो इससे माँ की कृपा आपके जीवन में बनी रहती है। साथ ही तमाम ग्रहों का प्रतिकूल प्रभाव भी आपके जीवन से दूर होने लगता है। 
  • मां कालरात्रि को गुड़हल का फूल बहुत पसंद होता है। ऐसे में नवरात्रि में गुड़हल के फूल को पूजा में अवश्य शामिल करें और सप्तमी तिथि पर पूजा के दौरान मां को लाल गुड़हल की माला पहना दें। ऐसा करने से भी व्यक्ति के सभी मनोकामनाएं पूरी अवश्य होती है। 

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क्या यह जानते हैं आप? 

देवी कालरात्रि दोषों का विनाश करने वाली होती है। मां के स्मरण मात्र से दानव, दैत्य, राक्षस, भूत, पिशाच, भयभीत होते हैं। इसके अलावा देवी को ग्रह बाधाओं को दूर करने वाली देवी भी माना जाता है। देवी कालरात्रि की पूजा कर ली जाए तो व्यक्ति को अग्नि, जल, जंतु शत्रु, रात्रि, इन सभी से संबंधित भय  कभी नहीं होता है। इसके अलावा मां की कृपा से भक्त को सर्वथा भय से मुक्ति मिलती है।

इन लोगों को विशेष रूप से करनी चाहिए मां कालरात्रि की पूजा 

मां कालरात्रि की पूजा करने से व्यक्ति को रोग, भय की परेशानी से निजात मिलती है। इसके अलावा विशेष रूप से जिन लोगों के जीवन में बीमारी बनी हुई है या फिर शत्रुओं से पराजय मिल रही है उन्हें माँ कालरात्रि की पूजा करने से लाभ मिलता है। इसके अलावा अगर किसी व्यक्ति के जीवन में ग्रह बाधा हो या किसी बात को लेकर भय बना हुआ हो तो ऐसे लोगों को भी नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा करनी चाहिए।

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मां कालरात्रि से संबंधित पौराणिक कथा 

पौराणिक कथा की बात करें तो कहा जाता है कि एक बार रक्तबीज नाम के दैत्य ने चारों तरफ हाहाकार और आतंक मचा के रखा था। इसके आतंक से मानव से लेकर देवी देव सभी परेशान होने लगे थे। रक्तबीज को ऐसा वरदान मिला था कि अगर उसके रक्त की एक भी बूंद धरती पर गिरेगी तो उसी के समान एक और शक्तिशाली दैत्य तैयार हो जाएगा। 

ऐसे में रक्तबीज के सामान्य बलशाली दैत्य तैयार होता गया और उसका आतंक भी बढ़ता गया। तब रक्तबीज से परेशान होकर सभी देवगण भगवान शिव के पास पहुंचे। भगवान शिव को पता था कि रक्तबीज का अंत केवल मां पार्वती ही कर सकती हैं। तब उन्होंने मां पार्वती से अनुरोध किया और इसके बाद मां पार्वती ने अपनी शक्ति और तेज से माँ कालरात्रि को उत्पन्न किया। इसके बाद रक्त बीज के साथ मां का युद्ध हुआ। इस युद्ध में रक्तबीज के शरीर से जितनी भी रक्त की बूंदे निकली उसे मां कालरात्रि ने अपने मुख में ले लिया। ऐसा करते-करते अंत में जब रक्तबीज का रक्त क्षीण हो गया  तब इस तरह से रक्तबीज का अंत हुआ।

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विवाह में बार-बार आ रही है अड़चन तो नवरात्रि की षष्ठी तिथि पर अवश्य करें ये उपाय!

आज के अपने इस खास ब्लॉग में हम बात करेंगे नवरात्रि के छठे दिन से जुड़ी कुछ विशेष बातों की। यहां हम जानेंगे नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के किस स्वरूप की पूजा की जाती है। साथ ही जानेंगे मां की पूजा का महत्व और ज्योतिषी महत्व क्या है।

सिर्फ इतना ही नहीं इसके अलावा मां का पूजा मंत्र, इस दिन किए जाने वाले उपाय, मां से संबंधित पौराणिक कथा, आदि की जानकारी भी हम आपको इस ब्लॉग के माध्यम से देने वाले हैं। तो चलिए बिना देरी किए शुरू करते हैं हमारा यह खास ब्लॉग और सबसे पहले जान लेते हैं देवी के छठे स्वरूप से जुड़ी कुछ बेहद ही दिलचस्प बातें।

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मां कात्यायनी का स्वरूप

चैत्र नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। अर्थात मां कात्यायनी मां दुर्गा का छठ स्वरूप है। देवी ने अपना यह रूप महिषासुर नामक राक्षस का वाढ करने के लिए धारण किया था। माना जाता है की माता का यह रूप काफी हिंसक है इसीलिए मां कात्यायनी को युद्ध की देवी भी कहते हैं।  

बात करें मां के स्वरूप की तो कात्यायनी देवी शेर पर सवारी करती हैं, इनकी चार भुजाएं हैं जिसमें से बाएं दोनों हाथों में इन्होंने कमल लिया हुआ है और तलवार लिया हुआ है। दाहिने दोनों हाथ वरद और अभय मुद्रा में है। देवी लाल रंग के वस्त्र में बेहद ही सुंदर नजर आती है।

मां कात्यायनी की पूजा का ज्योतिषीय संदर्भ

बात करें ज्योतिषीय संदर्भ की तो ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है की देवी कात्यायनी का सीधा संबंध बृहस्पति ग्रह से है। वह बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करती हैं। ऐसे में मां की पूजा करने से बृहस्पति से संबंधित बुरे प्रभावों को कम किया जा सकता है।

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मां कात्यायनी की पूजा महत्व 

चैत्र नवरात्रि का छठा दिन मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप को समर्पित होता है। मां का स्वरूप बेहद ही भव्य और दिव्य माना जाता है। मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान मां के कात्यानी स्वरूप की पूजा करने से व्यक्ति को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। इसके अलावा मां की कृपा से ऐसे व्यक्ति दुनिया के सभी सुखों को भोगते हुए मोक्ष की प्राप्ति करते हैं। साथ ही मां अपने भक्तों के जीवन से सभी कष्टों को दूर करती हैं।

इसके अलावा जैसा कि अक्सर देखा क्या है कि बहुत से लोगों को जीवन में सौभाग्य बहुत देरी से प्राप्त होता है। ऐसे लोगों को भी मां कात्यायनी की विशेष रूप से पूजा करने की सलाह दी जाती है। अगर कोई व्यक्ति विधि विधान से मां कात्यायनी के स्वरूप की पूजा करें फिर हो चाहे स्त्री हो या फिर पुरुष उन्हें शीघ्र विवाह की मनोकामना भी पूरी होती है।

मां कात्यायनी को अवश्य लगाएँ ये भोग 

देवी के छठे अर्थात कात्यानी स्वरूप को सफलता और यश का प्रतीक माना गया है। इसके अलावा नवरात्रि के छठे दिन का संबंध पीले रंग से भी जोड़कर देखा जाता है। बात करें भोग की तो इस दिन मां को यदि शहद का भोग लगाया जाए तो इसे बेहद ही शुभ मानते हैं। ऐसे में आप इस दिन मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाना ना भूलें।

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देवी कात्यायनी का पूजा मंत्र

ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥

प्रार्थना मंत्र

चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥

स्तुति

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

नवरात्रि के छठे दिन अवश्य करें यह अचूक उपाय

  • नवरात्रि के छठे दिन अगर आप छोटी कन्याओं को घर पर बुलाकर खिलौना या उनके मनपसंद की चीज देते हैं तो ऐसा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और अपनी कृपा हमेशा अपने भक्तों पर बनाए रखती हैं। 
  • जिन लोगों का विवाह नहीं हो पा रहा है, विवाह में रुकावटें आ रही है या बात बनते-बनते बिगड़ जा रही है उन्हें नवरात्रि के छठे दिन शाम के समय में मां कात्यायनी की पूजा अर्चना करने की सलाह दी जाती है। इस दौरान पूजा में हल्दी की तीन गांठ चढ़ाएँ और माँ से सुयोग्य वर/वधू की कामना करें। आपकी मनोकामना निश्चित और जल्दी पूरी होगी। 
  • अगर आपके जीवन में आर्थिक तंगी बनी हुई है और आप इससे निजात पाना चाहते हैं तो नवरात्रि के छठे दिन पान के पांच पत्ते ले लें और इन्हें साफ कर लें। इसके बाद सभी पत्तों पर मां दुर्गा के बीज मंत्र लिखकर मां के चरणों में से अर्पित कर दें। अगले दिन इन पत्तों को लाल रंग के साफ कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी में रख लें। अगली नवरात्रि में इन पत्तों को जल में प्रवाहित कर दें। 
  • इसके अलावा आप नवरात्रि के षष्ठी तिथि पर पान के पत्तों पर गुलाब के पंखुड़ियां रखकर मां दुर्गा को अर्पित करें। इस उपाय को करने से व्यक्ति के घर में धन का प्रवाह बना रहता है और बढ़ता रहता है। 
  • शीघ्र विवाह की कामना है तो नवरात्रि के छठे दिन 11 पान के पत्ते ले लें, इन पर हल्दी लगा दें और मां कात्यायनी को एक-एक करके अर्पित करते जाएं। ऐसा करने से जल्द ही विवाह के योग बनने लगते हैं। 
  • अगर आपके घर में अक्सर लड़ाई झगड़े होते रहते हैं या पति पत्नी के बीच क्लेश होता रहता है तो नवरात्रि की षष्ठी तिथि पर पान के पत्ते पर केसर रखकर मां दुर्गा को अर्पित कर दें। इसके बाद इसे प्रसाद के रूप में परिवार के सभी लोगों को बाँट दें। 
  • नवरात्रि के आखिरी शनिवार के दिन पान के पांच पत्तों पर सिंदूर से जय श्री राम लिख दें और इन पत्तों को हनुमान मंदिर में जाकर चढ़ा दें। इस बेहद ही सरल उपाय को करने से आपको नौकरी और कारोबार में आ रही हर तरह की समस्या से छुटकारा मिलता है और आपको तरक्की मिलेगी। 

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क्या यह जानते हैं आप? 

अगर किसी व्यक्ति का विवाह नहीं हो रहा है या विवाह में बार-बार अड़चनें आ रही है या बात बनते बनते बिगड़ जाती है तो ऐसे में परेशान होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि नवरात्रि के छठे दिन मां के कात्यायनी स्वरूप की पूजा करने से व्यक्ति को इन सभी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है।

इन लोगों को विशेष रूप से करनी चाहिए मां कात्यायनी की पूजा 

बात करें कि किन लोगों को विशेष रूप से मां कात्यायनी की पूजा करनी चाहिए तो जिन जातकों का विवाह नहीं हो पा रहा है या विवाह के संदर्भ में परेशानियां आ रही है उन्हें विशेष रूप से मां कात्यायनी की पूजा करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा जिन जातकों की कुंडली में गुरु ग्रह अर्थात बृहस्पति ग्रह कमजोर अवस्था में हो उन्हें भी मां कात्यायनी की पूजा करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।

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मां कात्यायनी से संबंधित पौराणिक कथा 

पौराणिक कथा के अनुसार बताया जाता है कि, एक बार महर्षि कात्यायन ने कठोर तपस्या की। इस तपस्या के पीछे वजह थी संतान प्राप्ति। तब महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर मां भगवती ने उन्हें दर्शन दिए। इसके बाद ऋषि कात्यायन ने मां के सामने संतान प्राप्ति की अपनी इच्छा प्रकट की। तब मां ने उनसे कहा और उन्हें वचन दिया कि वह उनके घर में पुत्री के रूप में जन्म लेंगी।

इसके कुछ समय बाद महिषासुर नामक एक राक्षस हुआ जो तीनों लोगों में अत्याचार करने लगा। दिन-ब-दिन उसका अत्याचार बढ़ता जा रहा था जिससे सभी देवी देवता परेशान होने लगे। तब ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने अपने तेज से एक देवी को उत्पन्न किया जिन्होंने महर्षि कात्यायन के घर में जन्म लिया। क्योंकि मां देवी का जन्म महर्षि कात्यायन के घर में हुआ था इसलिए उनका नाम कात्यायनी पड़ा। पुत्री के रूप में जन्म लेने के बाद ऋषि कात्यायन ने सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि पर मां कात्यायनी की विधिपूर्वक पूजा की। इसके बाद दशमी तिथि के दिन मां कात्यायनी ने महिषासुर का वध किया और तीनों लोगों को उसके अत्याचार से मुक्ति दिलाई।

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मीन में आने वाले हैं मंगल, पैसों की तंगी से परेशान हो जाएंगे इन राशियों के लोग

ज्‍योतिषशास्‍त्र के अनुसार ग्रहों के गोचर करने पर देश-दुनिया में कई तरह के बदलाव आते हैं और सभी राशियों के जीवन में उतार-चढ़ाव आने की संभावना रहती है। ग्रहों के गोचर करने के दौरान किसी के जीवन में खुशियां आती हैं, तो किसी को दुखों एवं अड़चनों का सामना करना पड़ता है। ग्रहों में मंगल ग्रह को प्रमुख स्‍थान दिया गया है और उनके गोचर करने पर सभी राशियों के जीवन में विभिन्‍न तरह के प्रभाव देखने को मिलते हैं।

अब अप्रैल के महीने में मंगल ग्रह का गोचर होने जा रहा है और इस दौरान कुछ राशियों के लोगों को अपने आर्थिक जीवन में समस्‍याओं का सामना करना पड़ सकता है। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि मंगल का गोचर कब और किस राशि में हो रहा है और इसके दौरान किन राशियों के लोगों को पैसों की तंगी होने की आशंका है।

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मंगल कब करेंगे गोचर

मंगल ग्रह को क्रोध और आक्रामकता का कारक माना गया है और अब वह 23 अप्रैल, 2024 को सुबह 08 बजकर 19 मिनट पर मीन राशि में प्रवेश कर जाएंगे। वैदिक ज्‍योतिष में मंगल को अशुभ ग्रह माना गया है जबकि बृहस्‍पति अत्‍यंत ही शुभ ग्रह हैं और मीन राशि के स्‍वामी ग्रह बृहस्‍पति ही हैं। हालांकि, मंगल और बृहस्‍पति के बीच मित्रता का संबंध है।

अब जब मंगल मीन राशि में प्रवेश करेंगे, तो इस समयावधि में कुछ राशियों के लोगों को अपने आर्थिक जीवन में संभलकर रहने की जरूरत है।

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इन राशियों को होगी पैसों की तंगी

मेष राशि

मेष राशि के लोगों को धन के मामले में सतर्क रहने की जरूरत है। आपके लिए यह समय औसत रहने वाला है। आपकी आमदनी में कमी आने की आशंका है। आपके लिए धन कमा पाना बहुत मुश्किल रहने वाला है। आपका पैसा बेकार की चीज़ों पर खर्च हो सकता है और आपको धन की हानि होने का भी डर है। आपको इस दौरान पैसों को लेकर बहुत ज्‍यादा सावधान रहने की जरूरत है। आपको अपने पैसों को बहुत संभालकर रखना होगा।

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सिंह राशि

सिंह राशि के लोगों को मंगल के गोचर के दौरान धन की हानि होने की आशंका है। आपको धन से जुड़ा कोई भी फैसला बिना सोचे-समझे नहीं लेना है वरना आपको पैसों का नुकसान हो सकता है। आपकी लापरवाही की वजह से कोई बड़ा नुकसान होने की आशंका है। आप एक-एक रुपए को बहुत सोच-समझकर खर्च करें क्‍योंकि आगे चलकर आपकी परिस्थिति और ज्‍यादा खराब हो सकती है। इसके विपरीत, यह जातक अप्रत्याशित स्रोतों जैसे पैतृक संपत्ति और अन्य माध्यमों से लाभ कमाने में सक्षम होंगे।

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कन्‍या राशि

आर्थिक जीवन में कन्‍या राशि के लोगों को पैसा कमाने में दिक्‍कत हो सकती है। इस दिशा में आपको कई तरह की दिक्‍कतें होने की भी संभावना है। आपके लिए अपने खर्चों को पूरा कर पाना मुश्किल हो जाएगा और इस स्थिति में आप पैसों की बचत भी नहीं कर पाएंगे। आपके खर्चे भी बढ़ जाएंगे जिसकी वजह से आपको तनाव होने की आशंका है। पैसों की तंगी को देखकर आपका मन परेशान हो सकता है और आप निराश हो सकते हैं।

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तुला राशि

मंगल के मीन राशि में आने पर तुला राशि के लोगों की धन कमाने की सारी कोशिशें व्‍यर्थ होने वाली हैं। आप पैसे तो कमाएंगे लेकिन बचत करने में पीछे रह जाएंगे। आप जितना भी पैसा कमाएंगे, उससे आपको संतुष्टि नहीं मिल पाएगी और अपनी आय में गिरावट को देखकर आपका मन बेचैन हो सकता है। आपके लिए अपने परिवार की जरूरतों को पूरा कर पाना मुश्किल हो जाएगा। आपको अपने फिजूल के खर्चों पर नियंत्रण रखने की सलाह दी जाती है वरना आपको हो रही पैसों की तंगी और ज्‍यादा बढ़ सकती है।

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मकर राशि

अगर आपकी मकर राशि है, तो आपको पैसों के मामले में थोड़ा सतर्क रहना चाहिए। यह समय आपके लिए अनुकूल नहीं रहने वाला है। बहुत प्रयास करने के बाद भी आप अधिक पैसा कमाने में असफल रहेंगे और कम आय होने की वजह से आप पैसों की बचत भी नहीं कर पाएंगे। पारिवारिक जिम्‍मेदारियां बढ़ने के कारण आपके खर्चों में भी वृद्धि होने की आशंका है। आपके लिए बचत करना भी मुश्किल होने वाला है। यह समय आपके लिए अनुकूल नहीं है।

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वृश्चिक राशि

मंगल का गोचर वृश्चिक राशि के लोगों पर भी भारी पड़ने वाला है। आप धन से संबंधित किसी फैसले को लेकर कंफ्यूज़ हो सकते हैं। वहीं आपके बढ़े हुए खर्चे भी आपको परेशान कर सकते हैं। आप जो भी कमाएंगे, वो सारा पैसा खर्च हो जाएगा और इस वजह से आपको पैसों की बचत करने में परेशानी आएगी। अगर आपकी वृश्चिक राशि है, तो आप मंगल के गोचर के दौरान संभलकर रहें और छोटे-छोटे फैसलों में भी सावधानी बरतें। ध्‍यान रखें कि आपका छोटा-सा गलत फैसला भी आपके ऊपर भारी पड़ सकता है।

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सूर्य के मेष राशि में गोचर से, इन जातकों की चमक उठेगी किस्मत!

सभी ग्रह एक अवधि के बाद अपनी राशि में बदलाव करते हैं। इसी क्रम सूर्य गोचर करने जा रहे हैं सूर्य एक राशि में एक महीने तक रहते हैं और जिस दिन सूर्य राशि में प्रवेश करते हैं, उस दिन को संक्रांति के नाम से जाना जाता है। इस बार सूर्य मेष राशि में गोचर करने जा रहे हैं इसलिए इस दिन मेष संक्रांति का उत्सव मनाया जाएगा। सूर्य का मेष राशि में गोचर होने पर सभी राशियों पर प्रभाव पड़ेगा। कुछ राशियों की की सैलरी बढ़ सकती है तो कुछ जातकों को व्यापार में वृद्धि देखने को मिलेगी, तो वहीं कुछ जातकों को उतार-चढ़ाव का सामना भी करना पड़ सकता है। तो आइए एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में विस्तारपूर्वक जानते हैं कि सूर्य के गोचर का सभी राशि के जातकों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है और इसके अशुभ प्रभावों से बचने के क्या उपाय हैं।

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सूर्य का मेष राशि में गोचर: तिथि व समय

नवग्रहों के राजा कहे जाने वाले सूर्य का मेष राशि में गोचर 13 अप्रैल 2024 की रात 08 बजकर 51 मिनट पर होगा। सूर्य ग्रह का यह गोचर सभी 12 राशियों समेत देश-दुनिया को प्रभावित करेगा। एस्ट्रोसेज का यह विशेष ब्लॉग आपको सूर्य का मेष राशि में गोचर के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान करेगा। साथ ही, इस गोचर के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए हम आपको कुछ सरल एवं अचूक उपायों से भी अवगत कराएंगे। लेकिन इससे पहले जान लेते हैं मेष राशि में सूर्य किस प्रकार के परिणाम देते हैं।

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मेष राशि में सूर्य

ज्योतिष के अनुसार, मेष राशि में सूर्य का गोचर बहुत अधिक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। ज्योतिषीय दृष्टि से, सूर्य महाराज जब मेष राशि में मौजूद होते हैं, तो यह ऊर्जा, उत्साह और नई शुरुआत का प्रतिनिधित्व करते हैं। बता दें कि मेष एक उग्र राशि है जिसके आधिपत्य देव मंगल हैं। ऐसे में, यह जीवन शक्ति और प्रेरणा आदि को दर्शाती है। कुंडली में मेष राशि में यदि सूर्य होता है तो जातक गौरवमयी, पराक्रमी बलवान तो बनता ही है साथ ही वह राजाओं की तरह जीवन जीता है। ऐसे जातक व्यापार के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करते हैं। ऐसे लोग आवेगी होते हैं और उनके पास अतिरिक्त ऊर्जा होती है। वे दृढ़ इच्छाशक्ति वाले होते हैं और कठिन से कठिन समय में जीवित रहने की सहनशक्ति रखते हैं। ये जातक चुनौती से कभी पीछे नहीं हटते बल्कि डटकर उसका सामना करते हैं। 

बता दें कि मेष एक उग्र राशि है जिसके आधिपत्य देव मंगल हैं। ऐसे में, यह जीवनशक्ति और प्रेरणा आदि को दर्शाती है। सूर्य के मेष में प्रवेश के दौरान जातक कार्यों को संपन्न करने की दिशा में कदम उठाने और अपने लक्ष्यों को दृढ़ संकल्प के साथ पाने की दिशा में आगे बढ़ते हैं। ये अपने लक्ष्यों को प्राप्त किए हार नहीं मानते हैं। ये अपना सारा ध्यान दूसरे से आगे निकलने और खुद को साबित करने में लगाते हैं। ये इतनी दृढ़ता से काम करते हैं कि अपने हर प्रयास में सफलता अर्जित करते हैं।

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ज्योतिष में सूर्य ग्रह का महत्व

ज्योतिष में सूर्य का विशेष महत्व है। यह हर महीने अपनी राशि में परिवर्तन करते हैं। सूर्य देव को मान-सम्मान, उच्च पद और नेतृत्व क्षमता का कारक माना जाता है, जिन्हें  सिंह राशि का स्वामित्व प्राप्त है। सूर्यदेव मेष राशि में उच्च के और तुला राशि में नीच के होते हैं। हिन्दू ज्योतिष में सूर्य ग्रह जब किसी राशि में प्रवेश करता है तो वह धार्मिक कार्यों के लिए बहुत ही शुभ समय होता है। इस दौरान लोग आत्म शांति के लिए धार्मिक कार्यों का आयोजन कराते हैं तथा सूर्य की उपासना करते हैं। जब कुंडली में सूर्य महाराज शुभ भाव में बैठे होते हैं, तब वह जातक को अच्छी नौकरी और समाज में प्रसिद्धि, मान- सम्मान आदि प्रदान करते हैं। हालांकि, जब सूर्य शुभ भाव में विराजमान होते हैं, तो उस समय यह ज्यादा शुभ परिणाम नहीं देते हैं क्योंकि यह एक उग्र ग्रह होने की वजह से उस भाव के कारक तत्वों को नष्ट कर देते हैं। 

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मेष राशि का स्वभाव

बात मेष राशि करें तो इस राशि के लिए बहुत अधिक होशियार होते हैं और ये अपना काम निकलवाना अच्छे से जानते हैं। दूसरों के प्रति इनका व्यवहार अच्छा रहता है। इनकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये बहुत अधिक जोशीले होते हैं और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए जिद्दी भी होते हैं। ये अपना अपमान बर्दाश्त नहीं करते हैं। इस राशि के लोग अच्छे मित्र और प्रेमी होते हैं। एक बार किसी के हो जाते हैं, तो उसे अपना सब कुछ मान बैठते हैं। ये लोग कपड़े, फर्निचर और पुस्तकों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। मेष राशि के स्वामी ग्रह मंगल हैं इसके परिणामस्वरूप इस राशि के जातक साहसी, निडर, पराक्रमी और ऊर्जावान होते हैं। यदि मेष राशि के जातकों की कुंडली में मंगल शुभ हो तो जातक को हर काम में सफलता मिलती है। ऐसे जातकों को जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती है।

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कुंडली में सूर्य के कमज़ोर होने के संकेत

अगर आपकी कुंडली में सूर्य कमजोर होता है तो आपके जीवन में कई प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं। आइए जानें आपके जीवन में मिलने वाले संकेतों के बारे में।

  • यदि आपकी कुंडली में सूर्य कमजोर है तो आपको इच्छाशक्ति में कमी महसूस हो सकती है और ऐसा हो सकता है कि आपका किसी काम में मन न लगे, जिसके चलते आपको असफलता का सामना करना पड़ सकता है।
  • कमज़ोर सूर्य की वजह से आपके अंदर आत्मविश्वास की कमी हो सकती है। अगर आप कोई भी काम करते हैं और आपको उस पर भरोसा नहीं होता है कि वह सही है या गलत, तो ये कमजोर सूर्य की वजह से भी हो सकता है।
  • यदि आप किसी काम को करने का ज्यादा प्रयास ही नहीं करते हैं तो ये आपकी कुंडली में कमजोर सूर्य की स्थिति का संकेत हो सकता है। कमज़ोर सूर्य की इस बात को भी दर्शाता है कि यदि आप कोई काम शुरू कर रहे हैं तो उसे पूरा करने की बजाए बीच में ही छोड़ देते हैं। 
  • कुंडली में यदि सूर्य कमज़ोर है तो आप किसी भी काम के लिए आत्मनिर्भर नहीं होंगे। ऐसा भी हो सकता है कि आपको हर काम के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़े या दूसरों की सलाह की आवश्यकता पड़े और आप खुद के लिए सही निर्णय न ले पाएं।
  • सूर्य पिता के कारक हैं, ऐसे में यदि आपका अपने पिता से रोजाना बहस या विवाद हो रहा है तो और आप उनके निर्देशों का पालन नहीं करते हैं तो ये कमजोर सूर्य का कारण भी हो सकता है।
  • यदि सूर्य की स्थिति कुंडली में कमजोर है तो आपको बिना वजह स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। ऐसा भी हो सकता है कि आपको कोई ऐसी बीमारी हो जिसका पता लगा पाना मुश्किल हो रहा हो और आप सही इलाज कराने में असमर्थ हो।
  • यदि सोते समय यदि मुंह खुला रहता है और लार गिरती है तो सूर्य ग्रह कमजोर है।

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कुंडली में सूर्य की मजबूत स्थिति के संकेत

  • सूर्य शुभ स्थिति होने पर जातक के नाखून खूबसूरत होते हैं और आंखों में चमक होती है।
  • यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य मजबूत स्थिति में हैं तो वह व्यक्ति अपने जीवन में खूब तरक्की प्राप्त करता है और ऊंचे मुकाम को हासिल करता है।
  • ऐसे जातकों को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। 
  • कुंडली में सूर्य के मजबूत होने पर व्यक्ति को हर तरह की सुख-सुविधा प्राप्त होती है, इन जातकों को कभी भी पैसों और सुख सुविधा की कमी नहीं होती है।
  • ऐसे जातकों को कभी भी धनवान होते हैं।
  • सूर्य की शुभ स्थिति के परिणामस्वरूप जातक को अपने पिता का पूरा सहयोग मिलता है और पिता के आशीर्वाद से ये जातक खूब आगे बढ़ते हैं।

सूर्य मजबूत करने के आसान उपाय

  • कुंडली में सूर्य को मजबूत करने के लिए रविवार के दिन जल में लाल रंग या रोली मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें और इस दौरान “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें।
  • यदि आप सूर्य देव को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो रविवार के दिन लाल रंग के वस्त्र का दान करें। यदि आप दान नहीं कर सकते हैं, तो रविवार के दिन लाल रंग के कपड़े पहनें। इस उपाय को करने से सूर्य देव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • कुंडली में सूर्य को मजबूत करने के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए। मंत्र है- ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:’। इस मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करना चाहिए।
  • यदि आप सरकारी नौकरी पाना चाहते हैं, तो 11 रविवार को सूर्य देव के लिए व्रत रखें और पूजा पाठ करें।
  • सूर्य को मजबूत करने के लिए संक्रांति तिथि पर दान-पुण्य करें। इसके अलावा, रविवार के दिन भी दान कर सकते हैं। रविवार के दिन गुड़ का दान अवश्य करें।
  • यदि कुंडली में सूर्य कमज़ोर हैं तो ऐसी स्थिति में जब भी घर से बाहर जाएं थोड़ा सा मीठा खाकर निकलें। ऐसा करने से कमज़ोर सूर्य को मजबूती मिलती है।

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सूर्य का मेष राशि में गोचर: सभी राशियों पर प्रभाव

मेष राशि

करियर की बात करें, तो सूर्य का मेष राशि में गोचर आपके लिए ऊर्जा और प्रेरणा लेकर लाएगा। इस अवधि में आप दृढ़ता और आत्मविश्वास से भरे रहेंगे(विस्तार से पढ़ें)

वृषभ राशि

कुंडली में चौथा भाव विलासिता, सुख-सुविधाओं और ख़ुशियों का होता है जबकि बारहवां भाव असुविधा और धन हानि का होता है(विस्तार से पढ़ें)

मिथुन राशि

करियर की बात करें तो, सूर्य का मेष राशि में गोचर आपके लाभ और इच्छाओं के भाव में हो रहा है। इसके परिणामस्वरूप(विस्तार से पढ़ें)

कर्क राशि

करियर की बात करें, तो सूर्य का गोचर आपके दसवें भाव में होगा जो आपके करियर में वृद्धि लेकर आएगा। इस अवधि में आपका प्रदर्शन शानदार रहेगा और ऐसे में(विस्तार से पढ़ें)

सिंह राशि

करियर को देखें, तो सूर्य का मेष राशि में गोचर आपके लिए शानदार रहेगा क्योंकि यह आपके लिए वेतन में वृद्धि, पदोन्नति और तरक्की के अनेक अवसर लेकर आएगा(विस्तार से पढ़ें)

कन्या राशि

बारहवें भाव में सूर्य का गोचर आपके करियर में समस्याएं और बाधाएं देने का काम कर सकता है। आपके ऊपर काम का बढ़ता बोझ और लापरवाही की वजह से काम में गलती हो सकती है(विस्तार से पढ़ें)

तुला राशि

इस राशि वालों के लिए सूर्य का यह गोचर आपके सातवें भाव में होगा और ऐसे में, यह आपके करियर में चुनौतियां लेकर आ सकता है, विशेषकर सहकर्मियों और वरिष्ठों के साथ(विस्तार से पढ़ें)

वृश्चिक राशि

करियर के लिए सूर्य का मेष राशि में गोचर उन्नति लेकर आएगा और यह तरक्की आपको काम में की गई मेहनत के लिए पदोन्नति, वेतन में बढ़ोतरी आदि के रूप में मिल सकती है(विस्तार से पढ़ें)

धनु राशि

करियर के लिहाज़ से, सूर्य का मेष राशि में गोचर धनु राशि वालों के करियर के लिए फलदायी रहने का अनुमान है। पांचवें भाव में सूर्य महाराज की उपस्थिति(विस्तार से पढ़ें)

मकर राशि

सूर्य का मेष राशि में गोचर करियर के क्षेत्र में समस्याएं और परेशानियां लेकर आ सकता है। हालांकि, चौथे भाव में सूर्य की स्थिति स्थिरता, सुख-सुविधाओं और पारिवारिक जीवन का(विस्तार से पढ़ें) 

कुंभ राशि

करियर की बात करें, तो इस राशि के जातक काम में जो भी प्रयास करेंगे, उसमें उत्कृष्टता हासिल करने में सक्षम होंगे। साथ ही(विस्तार से पढ़ें)

मीन राशि

सूर्य का मेष राशि में गोचर करियर के क्षेत्र में समस्याएं और परेशानियां लेकर आ सकता है। इन जातकों को कड़ी मेहनत करने के बावजूद भी नौकरी में अपने लक्ष्यों को पाने में बाधाओं से(विस्तार से पढ़ें)

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चैत्र नवरात्रि पाँचवाँ दिन: विवाह में आ रही है अड़चन तो इस दिन अवश्य करें ये अचूक उपाय!

और देखते-देखते आ चुका है नवरात्रि का पांचवा दिन। नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा की जाती है। देवी के स्वरूप के नाम का अर्थ देखें तो स्कंद का मतलब होता है भगवान कार्तिकेय और मां का मतलब होता है माता। अर्थात यह माता का यह स्वरूप स्कंद देव की माता है। 

आज अपने इस खास ब्लॉग में हम नवरात्रि की पांचवें दिन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों की जानकारी हासिल करेंगे। साथ ही जानेंगे इस दिन मां को किस वस्तु का भोग लगाया जा सकता है जिससे व्यक्ति को शुभ परिणाम प्राप्त हो। इसके अलावा जानेंगे इस दिन की पूजा का ज्योतिषीय संदर्भ और पूजा महत्व क्या है, मां का स्वरूप कैसा है और इस दिन क्या कुछ उपाय करके आप स्कंदमाता देवी का शुभ प्रभाव अपने जीवन में प्राप्त कर सकते हैं।

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मां स्कंदमाता का स्वरूप

सबसे पहले बात करें मां का स्वरूप कैसा है तो कहा जाता है की देवी स्कंदमाता की चार भुजाएं होती है जिसमें से देवी ने दो हाथों में कमल, एक हाथ में कार्तिकेय भगवान को लिया हुआ है और एक हाथ अभय मुद्रा में है। देवी स्कंदमाता कमल पर भी विराजमान होती है जिसके चलते इनका एक नाम पद्मासना भी है।

कहा जाता है की माता की पूजा करने से भक्तों को सुख और ऐश्वर्या की प्राप्ति होती है। जो कोई भी भक्त देवी की सच्चे मन से पूजा करता है उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा देवी के स्वरूप को अग्नि देवी के रूप में भी जाना जाता है।

मां स्कंदमाता की पूजा का ज्योतिषीय संदर्भ

अब बात करें देवी की पूजा के ज्योतिषीय संदर्भ की तो ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है की देवी स्कंदमाता बुध ग्रह को नियंत्रित करती हैं। ऐसे में अगर किसी की कुंडली में बुध ग्रह कमजोर अवस्था में है या पीड़ित अवस्था में है तो देवी की पूजा करने से उन्हें बुध ग्रह से संबंधित शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं साथ ही बुध ग्रह के दुष्प्रभाव जीवन में कम होने लगते हैं।

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मां स्कंदमाता की पूजा महत्व 

बात करें मां स्कंदमाता की पूजा के से मिलने वाले महत्व की तो, कहा जाता है की मां दुर्गा के सभी नौ रूपों में स्कंदमाता स्वरूप सबसे ममतामई है। इनकी पूजा करने से व्यक्ति की बुद्धि का विकास होता है और ज्ञान की असीमित प्राप्ति होती है।

इसके अलावा कहा जाता है कि जो कोई भी भक्त संतान हीन है या संतान के अभिलाषा रखते हैं वह अगर सच्चे मन से नवरात्रि के पांचवें दिन का व्रत करें, मां की पूजा पाठ करें तो उनकी सूनी गोद जल्दी भर जाती है। इसके अलावा मां अपने भक्तों की इच्छाओं को पूरा करती हैं उनके जीवन से कष्ट को दूर करती हैं।

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मां स्कंदमाता को अवश्य लगाएँ ये भोग 

अब बात करें मां के प्रिय भोग की तो कहा जाता है कि माँ के इस स्वरूप को पीले रंग की वस्तुएं सबसे ज्यादा प्यारी होती है। ऐसे में इस दिन आप माता को पीले रंग के फल, पीले रंग के मिठाई भोग के रूप में अर्पित कर सकते हैं। इसके अलावा आप चाहे तो केसर की खीर का भोग भी माँ को लगा सकते हैं। अगर आप विद्या या फिर बुद्धि के लिए मां की पूजा कर रहे हैं तो इस दिन मां को पांच हरी इलायची अवश्य अर्पित करें। साथ ही लौंग का एक जोड़ा भी चढ़ा दे।

देवी स्कंदमाता का पूजा मंत्र

ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

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नवरात्रि के पांचवें दिन अवश्य करें यह अचूक उपाय

सर्व बांधा निवारण मन्त्र

सर्वबाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः।

मनुष्यों मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः।|।

  • अगर परिवार में किसी का विवाह नहीं हो पा रहा है या कोई रुकावट आ रही है तो इसे दूर करने के लिए नवरात्रि के पांचवें दिन 36 लौंग और 6 कपूर का टुकड़ा ले लें। इसमें हल्दी और चावल मिलाकर मां दुर्गा को आहुति दें। आहुति से पहले ऊपर दिया गया बाधा निवारण मंत्र का जाप अवश्य करें। 
  • संतान प्राप्ति की कामना है तो लौंग और कपूर में अनार के दाने मिलकर मां दुर्गा को आहुति दें। इससे पहले पांच माला बाधा निवारण मंत्र जरूर पढ़ें। 
  • अगर व्यवसाय सही ढंग से नहीं चल पा रहा है तो लौंग और कपूर में अमलतास के फूल मिला लें या तो कोई भी पिला फूल मिल सकते हैं फिर मां दुर्गा को आहुति दें। 
  • अगर परिवार में किसी को स्वास्थ्य संबंधित परेशानी है तो 152 लौंग 42 कपूर के टुकड़े लेकर इसमें नारियल की गिरी, शहद और मिश्री मिलाकर हवन करें। आहुति से पहले सामग्री पर बाधा निवारण मंत्र की पांच माला का जाप करें। 
  • अगर संपत्ति से संबंधित कोई परेशानी है तो आप लौंग और कपूर में गुड़ और खीर मिलकर मां दुर्गा को आहुती दें। इससे पहले सामग्री पर बाधा निवारण मंत्र की दो माला का जाप करें। 
  • नवरात्रि के दौरान पीपल के पेड़ की मिट्टी अपने घर में ले आयें। इसके आगे दीपक जलाएं। अगले दिन मिट्टी को वापस पीपल के पेड़ के नीचे डाल दें। ऐसा करने से कार्य में आ रही रुकावटें दूर होती है। 

क्या यह जानते हैं आप

कहा जाता है कि माँ स्कंदमाता की पूजा करने या उनसे संबंधित कथा पढ़ने या सुनने मात्र से भी संतान सुख की प्राप्ति होती है। इसके अलावा स्कंदमाता की कृपा से मूर्ख से मूर्ख व्यक्ति भी ज्ञानी हो सकता है। कालिदास द्वारा रचित रघुवंशम महाकाव्य और मेघदूत तक रचनाएं मां स्कंदमाता की कृपा से ही मुमकिन हो पाई है।

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इन लोगों को विशेष रूप से करनी चाहिए मां स्कंदमाता की पूजा 

बात करें विशेष रूप से किंहें मां स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए तो जिन लोगों को स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां हैं, विवाह में रुकावटें आ रही हैं या फिर संतान प्राप्ति से संबंधित दिक्कतें जीवन में बनी हुई है उन्हें विशेष रूप से देवी स्कंदमाता की पूजा करने की सलाह दी जाती है।

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मां स्कंदमाता से संबंधित पौराणिक कथा 

माँ स्कंदमाता से जुड़ी प्राचीन कथा के अनुसार कहा जाता है कि एक बार तारकासुर नामक राक्षस का आतंक बहुत बढ़ गया था लेकिन इस असुर का कोई भी अंत नहीं कर सकता था क्योंकि भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय के हाथों ही उसका अंत होना मुमकिन था। ऐसे में मां पार्वती ने अपने पुत्र स्कंद यानी कार्तिकेय देव को युद्ध के लिए तैयार किया करने के लिए स्कंदमाता का रूप धारण किया। स्कंदमाता से युद्ध का प्रशिक्षण लेने के बाद भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर का अंत किया।

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साप्ताहिक राशिफल (15 अप्रैल से 21 अप्रैल, 2024): किन राशियों की चमकेगी किस्मत और किनकी बढ़ेगी परेशानी?

साप्ताहिक राशिफल 15 अप्रैल से 21 अप्रैल 2024: एस्ट्रोसेज का यह ब्लॉग आपके लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है जिसमें आपको साप्ताहिक राशिफल 15 अप्रैल से 21 अप्रैल, 2024 की जानकारी प्राप्त होगी। इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे कि अप्रैल का यह सप्ताह राशि चक्र की 12 राशियों के लिए कैसे परिणाम लेकर आएगा। साथ ही, इस राशिफल की मदद से कैसे आप इस सप्ताह को बेहतर बना सकते हैं, तो आइए बिना देर किये शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की।

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साप्ताहिक राशिफल 15 अप्रैल से 21 अप्रैल, 2024: राशि अनुसार राशिफल और उपाय

मेष राशि

सप्ताह का पहला दिन यानी कि 15 अप्रैल का दिन उस पर भी शाम 8 बजकर 40 मिनट तक का समय आपको काफ़ी अच्छे परिणाम देता हुआ प्रतीत हो रहा है। अच्छे समाचार और अच्छी ऊर्जा आपको यह अवधि दे सकती है जबकि 15 अप्रैल की शाम 8 बजकर 40 मिनट से लेकर 18 अप्रैल की सुबह 8:00 बजे के मध्य परिणाम थोड़े कमजोर रह सकते हैं। हालांकि, चंद्रमा अपनी राशि में रहेगा और ऐसे में धैर्य के साथ काम करने पर परिणाम संतोषप्रद भी रह सकते हैं।

वहीं, सप्ताह के मध्य भाग अर्थात 18 अप्रैल की सुबह 8:00 बजे से लेकर 20 अप्रैल की शाम 8 बजकर 50 मिनट के मध्य परिणाम तुलनात्मक रूप से बेहतर रह सकते हैं। विशेषकर मित्रों से संबंधित काम और शिक्षा से संबंधित लाभ अनुकूल दिशा में रहेंगे।

सप्ताहांत अर्थात 20 अप्रैल की शाम 8 बजकर 50 मिनट से लेकर 21 अप्रैल के बीच आपको काफ़ी हद तक अनुकूल परिणाम मिल सकते हैं। इसके बावजूद भी चंद्रमा पर राहु-केतु के प्रभाव को देखते हुए आवेगी होकर काम करने से बचना होगा। ऐसा करने से सामान्य तौर पर आप अच्छी स्थिति में रह सकते हैं।

उपाय: मंदिर जाकर भगवान के चरणों में दंडवत प्रणाम करना शुभ रहेगा। 

वृषभ राशि

सप्ताह का पहला दिन यानी कि 15 अप्रैल का दिन उस पर भी शाम 8 बजकर 40 मिनट तक का समय आपको मिले-जुले परिणाम दे सकता है। आत्मविश्वास के साथ काम करने की स्थिति में आर्थिक और पारिवारिक मामलों में अच्छे परिणाम प्राप्त किए जा सकेंगे जबकि 15 अप्रैल की शाम 8 बजकर 40 मिनट से लेकर 18 अप्रैल की सुबह 8:00 बजे के मध्य परिणाम काफ़ी शानदार रह सकते हैं। यात्राओं के माध्यम से लाभ और अच्छी खबरें सुनने के मौके मिल सकते हैं।

वहीं, सप्ताह के मध्य भाग अर्थात 18 अप्रैल की सुबह 8:00 बजे से लेकर 20 अप्रैल की शाम 8 बजकर 50 मिनट के मध्य का समय कुछ हद तक कमजोर रह सकता है। अतः इस अवधि में धैर्य के साथ काम करना बहुत जरूरी होगा। कही सुनी बातों पर यकीन करने की बजाय तथ्यों तक पहुंचने की कोशिश करें।

सप्ताहांत अर्थात 20 अप्रैल की शाम 8 बजकर 50 मिनट से लेकर 21 अप्रैल के बीच आपको तुलनात्मक रूप से बेहतर किंतु मिले-जुले परिणाम मिल सकते हैं। मन की बेचैनी को शांत करके अपनों के लिए समय निकालने पर परिणाम अनुकूल मिल सकते हैं।

उपाय: यदि घरेलू स्तर पर दूध या दूध के बने उत्पादों का व्यापार करते हैं, संभव हो, तो कम से कम इस सप्ताह ऐसा करने से बचें। 

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मिथुन राशि

सप्ताह का पहला दिन यानी कि 15 अप्रैल का दिन उस पर भी शाम 8 बजकर 40 मिनट तक का समय आपको काफ़ी अच्छे परिणाम दे सकता है। न केवल काम बनने के योग बन रहे हैं बल्कि मानसिक प्रसन्नता के भी अच्छे योग प्रतीत हो रहे हैं। साथ ही, 15 अप्रैल की शाम 8 बजकर 40 मिनट से 18 अप्रैल की सुबह 8:00 बजे के मध्य अपनी राशि का चंद्रमा आपको आर्थिक और पारिवारिक मामलों में अच्छी संतुष्टि दे सकता है।

वहीं, सप्ताह के मध्य भाग अर्थात 18 अप्रैल की सुबह 8:00 बजे से लेकर 20 अप्रैल की शाम 8 बजकर 50 मिनट के मध्य परिणाम काफ़ी हद तक अनुकूल रह सकते हैं। संतुलित आत्मविश्वास के साथ किए गए प्रयास अच्छी सफलता दिलाने में मददगार बनेंगे।

सप्ताहांत अर्थात 20 अप्रैल की शाम 8 बजकर 50 मिनट से लेकर 21 अप्रैल के बीच आपको परिणाम कुछ हद तक कमजोर मिल सकते हैं। इस समय मन में एक अजीब सी बेचैनी रह सकती है। बेहतर होगा कि इस दौरान महत्वपूर्ण निर्णय को कुछ समय के लिए टाल दें।

उपाय: दादाजी या किसी बुजुर्ग के साथ मंदिर जाएं और वहां पर उनका आशीर्वाद लें। 

कर्क राशि

सप्ताह का पहला दिन यानी कि 15 अप्रैल का दिन उस पर भी शाम 8 बजकर 40 मिनट तक का समय आपके लिए कुछ कमजोर रह सकता है। राशि स्वामी का द्वादश में जाना स्वास्थ्य और आर्थिक मामलों के लिए भी थोड़ा कमजोर रह सकता है। जबकि 15 अप्रैल की शाम 8 बजकर 40 मिनट से 18 अप्रैल की सुबह 8:00 बजे के मध्य परिणाम काफ़ी अच्छे रह सकते हैं। पिछली समस्याओं से छुटकारा तो मिल जाएगा। साथ ही, नई योजनाओं के बनने से नया उत्साह भी देखने को मिलेगा।

वहीं, सप्ताह के मध्य भाग अर्थात 18 अप्रैल की सुबह 8:00 बजे से लेकर 20 अप्रैल की शाम 8 बजकर 50 मिनट के मध्य परिणाम मिले-जुले रह सकते हैं। संयमित वाणी लाभ दिलाने का काम करेगी और समझदारी भरा निवेश भी फायदेमंद रह सकता है।

सप्ताहांत अर्थात 20 अप्रैल की शाम 8 बजकर 50 मिनट से लेकर 21 अप्रैल के बीच आपको काफ़ी हद तक अनुकूल परिणाम मिल सकते हैं। यात्राएं फायदेमंद रह सकती हैं, लेकिन राहु-केतु के प्रभाव को देखते हुए सावधानी के साथ आगे बढ़ना जरूरी रहेगा।

उपाय: नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करें। 

सिंह राशि

सप्ताह का पहला दिन यानी कि 15 अप्रैल का दिन उस पर भी शाम 8 बजकर 40 मिनट तक का समय आपको अच्छे परिणाम दे सकता है। आर्थिक मामलों में अच्छे परिणाम मिलने की संभावनाएं बन रही हैं। साथ ही, दूर के स्थान से जुड़े मामले भी अनुकूल रह सकते हैं जबकि 15 अप्रैल की शाम 8 बजकर 40 मिनट से 18 अप्रैल की सुबह 8:00 बजे के मध्य परिणाम थोड़े कमजोर रह सकते हैं। अतः बेकार के खर्चों को रोकने की कोशिश करें और अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखें।

वहीं, सप्ताह के मध्य भाग अर्थात 18 अप्रैल की सुबह 8:00 बजे से लेकर 20 अप्रैल की शाम 8 बजकर 50 मिनट के मध्य परिणाम काफ़ी हद तक आपके फेवर में रह सकते हैं। दूर की यात्राएं फायदेमंद रहेंगी। पिछले दिनों से चला आ रहा तनाव अब दूर होने लग जाएगा।

सप्ताहांत अर्थात 20 अप्रैल की शाम 8 बजकर 50 मिनट से लेकर 21 अप्रैल के बीच आपको मिले-जुले परिणाम मिल सकते हैं। इस अवधि में वाणी पर संयम रखना बहुत जरूरी होगा। साथ ही, उचित खान-पान अपनाना होगा और ऐसा करने की स्थिति में कोई बड़ी परेशानी नहीं आएगी।

उपाय: माता-पिता और गुरुजनों का सम्मान करें। 

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कन्या राशि

सप्ताह का पहला दिन यानी कि 15 अप्रैल का दिन उस पर भी शाम 8 बजकर 40 मिनट तक का समय आपको काफ़ी अच्छे परिणाम दे सकता है। विशेषकर कार्यक्षेत्र और सामाजिक जीवन से जुड़े मामलों में आप सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ेंगे। साथ ही, 15 अप्रैल की शाम 8 बजकर 40 मिनट से 18 अप्रैल की सुबह 8:00 बजे के मध्य भी परिणाम अनुकूल रह सकते हैं। विभिन्न माध्यमों से लाभ प्राप्त होगा।

वहीं, सप्ताह के मध्य भाग अर्थात 18 अप्रैल की सुबह 8:00 बजे से लेकर 20 अप्रैल की शाम 8 बजकर 50 मिनट के मध्य परिणाम कमजोर रह सकते हैं। काम बनते बनते रुक सकते हैं। अतः इस दौरान कोई नया प्रयोग करने से बचें और बेकार के खर्चों को रोकने की कोशिश करें।

सप्ताहांत अर्थात 20 अप्रैल की शाम 8 बजकर 50 मिनट से लेकर 21 अप्रैल के बीच आपको काफ़ी हद तक अनुकूल परिणाम मिल सकते हैं। यदि आप अपने जज्बातों को नियंत्रण में रखेंगे और निष्ठापूर्वक अपना काम करेंगे, तो आपको अधिकांश मामलों में सफलता मिल सकेगी।

उपाय: नियमित रूप से मंदिर जाना शुभ रहेगा। 

तुला राशि

सप्ताह का पहला दिन यानी कि 15 अप्रैल का दिन उस पर भी शाम 8 बजकर 40 मिनट तक का समय आपको मिले-जुले परिणाम देने का काम कर सकता है। मन में अध्यात्म के प्रति लगाव बढ़ सकता है और वरिष्ठों का सहयोग फायदेमंद रह सकता है जबकि 15 अप्रैल की शाम 8 बजकर 40 मिनट से 18 अप्रैल की सुबह 8:00 बजे के मध्य का समय लगभग पूरी तरह ही आपका फेवर करना चाहेगा। कार्यक्षेत्र से जुड़े मामले हो या फिर सामाजिक पद-प्रतिष्ठा से संबंधित मामले, इनमें आपको अच्छे परिणाम मिल सकते हैं।

वहीं, सप्ताह के मध्य भाग अर्थात 18 अप्रैल की सुबह 8:00 बजे से लेकर 20 अप्रैल की शाम 8 बजकर 50 मिनट के मध्य का समय आपको विविध प्रकार के लाभ करवा सकता है। आर्थिक मामलों में विशेष अनुकूलता देखने को मिल सकती है। किए गए प्रयत्न सफलता देने का काम करेंगे।

सप्ताहांत अर्थात 20 अप्रैल की शाम 8 बजकर 50 मिनट से लेकर 21 अप्रैल के बीच आपको कमजोर परिणाम मिल सकते हैं। अतः इस अवधि में किसी भी प्रकार का रिस्क लेने से बचें। साथ ही, अपने स्वास्थ्य का ख्याल भी रखें।

उपाय: तामसिक चीज़ें जैसे कि मांस, मदिरा, आदि से बचें और अपना चरित्र स्वच्छ बनाए रखें। 

वृश्चिक राशि

सप्ताह का पहला दिन यानी कि 15 अप्रैल का दिन उस पर भी शाम 8 बजकर 40 मिनट तक का समय आपके लिए कमजोर रह सकता है। किसी भी मामले में रिस्क नहीं लेना है, परंतु 15 अप्रैल की शाम 8 बजकर 40 मिनट से लेकर 18 अप्रैल की सुबह 8:00 बजे के मध्य तुलनात्मक रूप से बेहतर परिणाम मिल सकते हैं। अपनी राशि का चंद्रमा भाग्य का अच्छा साथ दिलाने में मददगार बनेगा। साथ ही, वरिष्ठों का मार्गदर्शन भी आपके लिए हितकारी सिद्ध होगा।

वहीं, सप्ताह के मध्य भाग अर्थात 18 अप्रैल की सुबह 8:00 बजे से लेकर 20 अप्रैल की शाम 8 बजकर 50 मिनट के मध्य परिणाम काफ़ी अच्छे रह सकते हैं। आप अपने टारगेट को आसानी से पूरा कर सकेंगे। वरिष्ठों के साथ आपके संबंध बेहतर होंगे और सामाजिक प्रतिष्ठा के दृष्टिकोण से भी यह अवधि अनुकूल कही जाएगी।

सप्ताहांत अर्थात 20 अप्रैल की शाम 8 बजकर 50 मिनट से लेकर 21 अप्रैल के बीच आपको काफ़ी हद तक अनुकूल परिणाम मिल सकते हैं, फिर भी राहु-केतु के प्रभाव के चलते थोड़ी सावधानी के साथ आगे बढ़ने पर परिणाम अच्छे मिलेंगे।

उपाय: कन्याओं का पूजन करके उनका आशीर्वाद लें। 

धनु राशि

सप्ताह का पहला दिन यानी कि 15 अप्रैल का दिन उस पर भी शाम 8 बजकर 40 मिनट तक का समय आपके लिए काफ़ी अच्छे परिणाम लेकर आ सकता है। विशेषकर साझेदारी का मामले के लिए समय अच्छा रहेगा जबकि 15 अप्रैल की शाम 8 बजकर 40 मिनट से 18 अप्रैल की सुबह 8:00 बजे के मध्य अपनी राशि का होते हुए भी चंद्रमा आपको अनुकूल परिणाम दिलाने में असमर्थ रह सकता है। अत: इस अवधि में किसी भी प्रकार का रिस्क बिल्कुल नहीं लेना है।

वहीं, सप्ताह के मध्य भाग अर्थात 18 अप्रैल की सुबह 8:00 बजे से लेकर 20 अप्रैल की शाम 8 बजकर 50 मिनट के मध्य परिणाम तुलनात्मक रूप से बेहतर रह सकते हैं। यदि आपने निष्ठापूर्वक काम किया, तो भाग्य का साथ मिलने के कारण आप अपने लक्ष्य तक पहुंच सकेंगे।

सप्ताहांत अर्थात 20 अप्रैल की शाम 8 बजकर 50 मिनट से लेकर 21 अप्रैल के बीच आपको काफ़ी अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। सावधानी और निष्ठा के साथ आगे बढ़ने पर न केवल आपके कामों के संपन्न होने के योग मजबूत होंगे बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी आप स्वयं को बेहतर और मजबूत स्थिति में पाएंगे।

उपाय: मंदिर में चने की दाल का दान करें। 

मकर राशि

सप्ताह का पहला दिन यानी कि 15 अप्रैल का दिन उस पर भी शाम 8 बजकर 40 मिनट तक का समय आपको काफ़ी अच्छे परिणाम देता हुआ प्रतीत हो रहा है। आप प्रतिस्पर्धात्मक मामलों में अच्छा कर सकते हैं। साथ ही, 15 अप्रैल की शाम 8 बजकर 40 मिनट से 18 अप्रैल की सुबह 8:00 बजे के मध्य भी आप अनुकूल परिणाम प्राप्त करते रहेंगे। साझेदारी के कामों में अच्छा लाभ मिल सकता है। दांपत्य जीवन भी अनुकूल रहने की संभावना है।

वहीं, सप्ताह के मध्य भाग अर्थात 18 अप्रैल की सुबह 8:00 बजे से लेकर 20 अप्रैल की शाम 8 बजकर 50 मिनट के मध्य परिणाम कमजोर रह सकते हैं। अत: इस अवधि में किसी भी प्रकार का रिस्क नहीं लेना है, खासकर घर-गृहस्थी से जुड़े मामलों में तो बिल्कुल ही नहीं लेना है।

सप्ताहांत अर्थात 20 अप्रैल की शाम 8 बजकर 50 मिनट से लेकर 21 अप्रैल के बीच आपको राहत भरे परिणाम मिल सकते हैं। पुरानी समस्याएं दूर होने लग जाएंगी और वरिष्ठों के मार्गदर्शन से आप नए रास्ते पर बेहतर स्फूर्ति के साथ बढ़ सकेंगे।

उपाय: किसी पूर्वज के निमित्त अपने सामर्थ्य के अनुसार गरीबों को भोजन करवाएं। 

कुंभ राशि

सप्ताह का पहला दिन यानी कि 15 अप्रैल का दिन उस पर भी शाम 8 बजकर 40 मिनट तक का समय आपको एवरेज या फिर एवरेज से बेहतर परिणाम दे सकता है। प्रेम प्रसंग और शिक्षा से संबंधित मामलों में अच्छी अनुकूलता देखने को मिल सकती है जबकि 15 अप्रैल की शाम 8 बजकर 40 मिनट से लेकर 18 अप्रैल की सुबह 8:00 बजे के मध्य परिणाम लगभग पूरी तरह से आपके फेवर में रह सकते हैं। इस समय आप कठिन कामों को भी बड़े प्यार से संपन्न कर सकेंगे।

वहीं, सप्ताह के मध्य भाग अर्थात 18 अप्रैल की सुबह 8:00 बजे से लेकर 20 अप्रैल की शाम 8 बजकर 50 मिनट के मध्य परिणाम आपके फेवर में ही रहने चाहिए। आपका पराक्रम और आपका आत्मविश्वास आपको विभिन्न मामलों में सफलता दिलाने का काम कर सकता है।

सप्ताहांत अर्थात 20 अप्रैल की शाम 8 बजकर 50 मिनट से लेकर 21 अप्रैल के बीच आपको कमजोर परिणाम मिल सकते हैं। अतः इस अवधि में किसी भी प्रकार का रिस्क नहीं लेना है, विशेषकर दांपत्य संबंधी मामलों में। साथ ही, साझेदारी के कामों में बहुत ही सावधानी से आगे बढ़ने की सलाह दी जाती है।

उपाय: मंदिर में चने की दाल का दान करें। 

मीन राशि

सप्ताह का पहला दिन यानी कि 15 अप्रैल का दिन उस पर भी शाम 8 बजकर 40 मिनट तक का समय आपके लिए कुछ हद तक कमजोर रह सकता है। घर-गृहस्थी से संबंधित मामलों को लेकर कुछ चिंताएं रह सकती हैं जबकि 15 अप्रैल की शाम 8 बजकर 40 मिनट से 18 अप्रैल की सुबह 8:00 बजे के मध्य परिणाम एवरेज या फिर एवरेज से बेहतर भी रह सकते हैं। अपनी राशि का चंद्रमा आत्मीय आनंद देकर तनाव को दूर करने में मददगार बनेगा।

वहीं, सप्ताह के मध्य भाग अर्थात 18 अप्रैल की सुबह 8:00 बजे से लेकर 20 अप्रैल की शाम 8 बजकर 50 मिनट के मध्य परिणाम पूरी तरह आपके फेवर में रह सकते हैं। आप अपने प्रतिस्पर्धियों से बेहतर करते हुए देखे जा सकेंगे। इन सभी कामों में परिजनों का सहयोग भी विशेष रह सकता है।

सप्ताहांत अर्थात 20 अप्रैल की शाम 8 बजकर 50 मिनट से लेकर 21 अप्रैल के बीच आपको काफ़ी हद तक अनुकूल परिणाम मिल सकते हैं। आप दैनिक रोजगार के कामों में अच्छा करते हुए देखे जा सकेंगे, लेकिन राहु-केतु तथा मंगल का प्रभाव चंद्रमा पर होने के कारण स्वयं को आवेगी होने से बचाना होगा और मन को शांत रखना होगा। 

उपाय:  भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करना शुभ रहेगा। 

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