नरक चतुर्दशी 2025: पाप से मुक्ति दिलाने वाला व्रत, जानें तिथि और पूजन विधि!
नरक चतुर्दशी 2025 को लोग छोटी दिवाली के नाम से भी जानते हैं। यह पर्व दिवाली 2025 से एक दिन पहले आता है और धार्मिक मान्यता है कि इस दिन स्नान, दान, और व्रत करने से पापों से मुक्ति मिलती है तथा नरक के दुखों से छुटकारा मिलता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध कर 16000 कन्याओं को उसके अत्याचार से मुक्त कराया था। तभी से यह दिन अंधकार और पाप से मुक्ति का प्रतीक माना जाता है।
हिंदू धर्म में नरक चतुर्दशी का अत्यधिक महत्व है। इस दिन प्रातःकाल स्नान को अभ्यंग स्नान कहा जाता है, जिसे करने से पूरे वर्ष आरोग्य, सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वहीं शाम के समय यमराज की पूजा और दीपदान करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है। कई लोग इस दिन विशेष व्रत और पूजा करभगवान विष्णु, यमराज और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
2025 में यह पर्व विशेष रूप से शुभ संयोग लेकर आ रहा है। अगर सही विधि और सही मुहूर्त में पूजा की जाए तो न केवल पापों का नाश होता है, बल्कि घर में सुख-समृद्धि और दीर्घायु का आशीर्वाद भी मिलता है। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते है इस साल कब है नरक चतुर्दशी, इसकी पूजा विधि महत्व आदि के बारे में।
चतुर्दशी तिथि समाप्त: 20 अक्टूबर 2025 की दोपहर 03 बजकर 46 मिनट तक
अभ्यंग स्नान मुहूर्त: 20 अक्टूबर 2025 की सुबह 05 बजकर 02 मिनट से 06 बजकर 10 मिनट तक।
अवधि :1 घंटे 8 मिनट
नरक चतुर्दशी 2025 का महत्व
नरक चतुर्दशी, जिसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है, दिवाली से एक दिन पहले मनाई जाती है और इसका धार्मिक व आध्यात्मिक महत्व बहुत गहरा है। मान्यता है कि इस दिन सुबह गंगाजल में स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है और नरक जाने का भय समाप्त हो जाता है। इसे अभ्यंग स्नान कहा जाता है और माना जाता है कि यह स्नान पूरे वर्ष के के लिए आरोग्य, सौंदर्य और दीर्घायु प्रदान करता है।
धार्मिक मान्यता यह भी है कि नरक चतुर्दशी पर व्रत, पूजा और दान करने से घर में सुख-शांति, समृद्धि और सौभाग्य का वास होता है। यही कारण है कि लोग इस दिन दीप प्रज्वलित कर न केवल अपने घरों को रोशन करते हैं, बल्कि पितरों और देवताओं की कृपा भी प्राप्त करते हैं।
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नरक चतुर्दशी 2025 की पूजन विधि
नरक चतुर्दशी का व्रत और पूजा बहुत ही शुभ और फलदायी माना जाता है। इसे सही विधि से करने पर व्यक्ति को पाप मुक्ति और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। आइए जानते हैं इसकी पूजन विधि।
सुबह सूर्योदय से पहले तिल के तेल से उबटन करें और फिर गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करें।
इस स्नान को पाप नाशक और नरक मुक्ति प्रदान करने वाला माना गया है।
घर के आंगन, द्वार और तुलसी चौरा पर दीपक जलाएं।
यमराज के नाम से दक्षिण दिशा की ओर दीपदान करना बहुत शुभ होता है।
स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें।
भगवान श्री कृष्ण, देवी लक्ष्मी और यमराज का ध्यान करके दीप जलाएं। धूप, दीप, रोली, चंदन और पुष्प अर्पित करें।
इस दिन ॐ यमाय नमः मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है। श्रीकृष्ण की स्तुति और विष्णु सहस्रनाम का पाठ भी उत्तम होता है।
तिल, दीपक, वस्त्र और अन्न का दान विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।
गरीब और जरूरतमंदों को भोजन कराने से नरक भय का नाश होता है।
इस दिन संध्या समय पुनः दीपक जलाकर भगवान यमराज को दीप अर्पित करें। इससे परिवार को अकाल मृत्यु से रक्षा मिलती है।
नरक चतुर्दशी 2025: पौराणिक कथा
नरक चतुर्दशी, जिसे रूप चौदस या छोटी दिवाली भी कहा जाता है, का महत्व पौराणिक कथाओं से गहराई से जुड़ा है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध करके संसार को उसके अत्याचारों से मुक्त कराया था। कथा के अनुसार, नरकासुर नामक दैत्य बहुत बलवान और अत्याचारी था। उसने अपनी शक्ति के बल पर इंद्रलोक सहित उनके लोकों पर अधिकार कर लिया और 16000 देव कन्याओं को बंदी बना लिया। उसके आतंक से देवता, ऋषि और मनुष्य सभी भयभीत थे।
अंत में सभी देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। भगवान विष्णु ने यह वचन दिया था कि वे नरकासुर का वध करेंगे, लेकिन यह कार्य तभी संभव होगा जब उनकी पत्नी भूदेवी (पृथ्वी देवी) स्वयं इस कार्य की अनुमति दें। समय आने पर भगवान विष्णु ने श्री कृष्ण के रूप में अवतार लिया। माता भूदेवी की सहमति से भगवान श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ युद्ध में नरकासुर का अंत किया। नरकासुर के वध के बाद सभी देवकन्याएं स्वतंत्र हुईं और संसार उसके आतंक से मुक्त हुआ।
उसी दिन कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी थी। तभी से इस तिथि को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाने लगा। इस दिन प्रातःकाल स्नान करके तेल-उबटन करने की परंपरा है। मान्यता है कि इस दिन विशेष स्नान और दीपदान करने से पापों का नाश होता है और नरक जाने का भय समाप्त होता है। इसलिए इसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है। नरक चतुर्दशी असत्य पर सत्य, अन्याय पर न्याय और पाप पर पुण्य की विजय का प्रतीक है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा और दीपदान से घर में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है।
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नरक चतुर्दशी 2025 के दिन क्या करें क्या न करें
नरक चतुर्दशी 2025 पर क्या करें
सूर्योदय से पहले स्नान करें उबटन (आटे, हल्दी, तेल आदि) का प्रयोग करें। इससे शरीर और मन दोनों शुद्ध होते हैं।
घर के आंगन, मंदिर और मुख्य द्वार पर दीपक जलाएं। यह पाप नाश और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है।
इस दिन श्रीकृष्ण की पूजा और यमराज को दीपदान करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है।
पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए विशेष दीप जलाएं।
इस दिन शुद्ध, सात्विक भोजन करें और व्रत या उपवास रखें।
गरीब और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या दीपक दान करना अत्यंत शुभ फलदायी होता है।
नरक चतुर्दशी 2025 पर क्या न करें
इस दिन किसी से झगड़ा करना या बुरी बातें कहना अशुभ माना जाता है।
इस दिन तामसिक भोजन, शराब या मांस खाने से पुण्य का नाश होता है।
इस दिन घर की साफ-सफाई सुबह ही कर लें, चतुर्दशी के दिन सूर्यास्त के बाद झाड़ू-पोछा करना अशुभ माना जाता है।
अनावश्यक खर्च करना और दिखावे में धन बहाना शुभ फल नहीं देता।
इस दिन चांद से संबंधित अपशब्द या मजाक करना पाप माना जाता है।
नरक चतुर्दशी 2025: राशि अनुसार उपाय
मेष राशि
मेष राशि वाले लाल रंग के फूल और गुड़ का दीपक हनुमान जी को अर्पित करें। इससे शत्रु बाधाएं दूर होंगी और साहस बढ़ेगा।
वृषभ राशि
वृषभ राशि वाले कपड़े के पोटली में चावल और सफेद मिठाई रखकर लक्ष्मी माता को अर्पित करें। आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
मिथुन राशि
मिथुन राशि वाले हरे रंग की मिठाई और तुलसी के पत्ते भगवान विष्णु को चढ़ाएँ। इससे शिक्षा और कार्यक्षेत्र में प्रगति होगी।
कर्क राशि
कर्क राशि वाले दूध का दीपक जलाकर माता लक्ष्मी को अर्पित करें। इससे घर में शांति और परिवार में प्रेम बढ़ेगा।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. नरक चतुर्दशी कब मनाई जाती है?
नरक चतुर्दशी कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। यह दीपावली से एक दिन पहले आती है, जिसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है।
2. नरक चतुर्दशी का महत्व क्या है?
इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध करके 16,000 कन्याओं को मुक्त किया था। इसलिए इसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है। यह दिन पाप नाश और शुभ फल देने वाला माना जाता है।
3. नरक चतुर्दशी पर क्या करना चाहिए?
प्रातःकाल स्नान, तिल से अभिषेक, दीपदान, यमराज और लक्ष्मी-गणेश की पूजा करनी चाहिए। इससे पितृ दोष, पाप और अशुभ प्रभाव दूर होते हैं।
गुरु का कर्क राशि में गोचर: इन राशियों का लगेगा जैकपॉट और होगी धन-दौलत की बरसात!
गुरु का कर्क राशि में गोचर: हिंदूधर्म और ज्योतिष शास्त्र दोनों में ही गुरु ग्रह को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। देवताओं के गुरु के नाम से प्रसिद्ध बृहस्पति देव मानव जीवन में कितनी अहम भूमिका निभाते हैं? इसका अंदाज़ा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि जब गुरु ग्रह अपनी अस्त अवस्था में होते हैं, तब सभी तरह के शुभ एवं मांगलिक कार्यों को करना वर्जित होता है।
साथ ही, इनकी चाल, दशा और राशि में होने वाला हर बदलाव व्यक्ति के जीवन के साथ-साथ पूरे विश्व को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। सिर्फ़ इनका गोचर ही नहीं, लाभकारी ग्रह के रूप में बृहस्पति देव की दृष्टि को भी शुभ मानी जाती है। ऐसे में, अब गुरु ग्रह जल्द ही अपनी राशि में परिवर्तन करते हुए कर्क राशि में गोचर करने जा रहे हैं।
एस्ट्रोसेज एआई का यह विशेष लेख आपको “गुरु का कर्क राशि में गोचर” से जुड़ी समस्त जानकारी विस्तारपूर्वक प्रदान करेगा जैसे तिथि और समय आदि। साथ ही, गुरु का यह गोचर कब और किस समय होगा? किन राशियों के लिए यह गोचर सौभाग्य लेकर आएगा और किन राशियों को करना होगा जीवन में समस्याओं का सामना? करियर, व्यापार और जीवन में विभिन्न आयामों में कैसे मिलेंगे आपको परिणाम? इन सभी सवालों के जवाब आपको हमारे इस ब्लॉग में प्राप्त होंगे। चलिए अब आगे बढ़ते हैं और बिना देर किए शुरुआत करते हैं इस लेख की।
गुरु का कर्क राशि में गोचर: तिथि और समय
बात करें गुरु ग्रह की, तो वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति देव को शुभ और लाभकारी ग्रह माना जाता है। यह लगभग 13 महीने तक एक राशि में रहते हैं और उसके बाद, एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में गोचर कर जाते हैं।
गुरुदेव के एक साल से अधिक एक राशि में रहने के कारण इनका हर गोचर महत्वपूर्ण माना गया है। अब यह जल्द ही 19 अक्टूबर 2025 की दोपहर 12 बजकर 57 मिनट पर कर्क राशि में प्रवेश कर जाएंगे जिसके स्वामी चंद्र देव हैं जो गुरु की मित्र राशि है। साथ ही, बृहस्पति ग्रह की उच्च राशि भी है और ऐसे में, कर्क राशि में इनकी मौजूदगी अनुकूल कही जा सकती है।
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गुरु का कर्क राशि में गोचर:गुरु ग्रह का कर्क राशि में प्रभाव
जैसे कि हम आपको बता चुके हैं कि कर्क राशि में गुरु ग्रह का गोचर काफ़ी हद तक अच्छा कहा जा सकता है क्योंकि इस राशि के अधिपति देव चंद्रमा हैं जो बृहस्पति देव के मित्र हैं। इसके अलावा, कर्क राशि में गुरु ग्रह उच्च अवस्था में होते हैं।
जिन जातकों का जन्म कर्क राशि में बृहस्पति ग्रह के अंतर्गत होता है, वह अपने घर-परिवार के प्रति समर्पित होते हैं और अपने परिवार को बेहद प्रेम करते हैं।
साथ ही, यह जातक अपने परिवार को लेकर किया गया कोई भी मजाक बर्दाश्त नहीं करते हैं। गुरु की कर्क राशि में मौजूदगी के तहत जन्म लेने वाले जातक अपने प्रिय और करीबी लोगों से बात करते हुए बहुत संवेदनशील और सुरक्षात्मक होते हैं। इस बात का हमेशा ध्यान रखते हैं कि इनकी किसी से बात उनका दिल न दुखें।
करियर में आपकी मेहनत, समर्पण और प्रगति पाने की चाहत प्रबल होती है क्योंकि यह अपनों को एक बेहतर जीवन देना चाहते हैं।
आइए अब हम आपको अवगत करवाते हैं गुरु ग्रह के धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व से।
एक साल में गुरु ग्रह के दूसरे गोचर का संयोग
शुभ एवं लाभकारी ग्रह गुरु हर 13 महीने में अपनी राशि बदलते हैं जो शनि देव के बाद सबसे मंद गति से चलने वाले माने गए हैं। बता दें कि कर्क राशि में बृहस्पति देव अपनी उच्च अवस्था में होते हैं और मकर राशि इनकी नीच राशि है।
ऐसे में, यह बात आपको थोड़ा हैरान कर सकती है कि वर्ष 2025 में गुरु ग्रह के दो गोचर होने का एक दुर्लभ संयोग बन रहा है, इसलिए इसे विशेष माना जाएगा। बता दें कि इस साल इनके दो गोचर बृहस्पति के अतिचारी होने के कारण होंगे। सरल शब्दों में कहें तो, इस वर्ष गुरु देव अपनी सामान्य गति से तेज़ चलने के कारण दो बार अपनी राशि में बदलाव करेंगे।
वर्ष 2025 में गुरु ग्रह का पहला गोचर मिथुन राशि में 15 मई 2025 को होगा और इसके बाद, यह दूसरी बार अपनी राशि में परिवर्तन करते हुए 19 अक्टूबर 2025 को कर्क राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं। हालांकि, बृहस्पति देव का यह गोचर आपको शुभ परिणाम देगा, लेकिन इनकी अतिचारी गति को अच्छा नहीं कहा जा सकता है।
गुरु का कर्क राशि में गोचर:गुरु ग्रह का धार्मिक महत्व
गुरु ग्रह को सनातन धर्म में विशेष स्थान प्राप्त हैं जिन्हें देव गुरु के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि सभी देवताओं के गुरु बृहस्पति महाराज हैं इसलिए इन्हें शुक्र ग्रह के शत्रु माना गया है क्योंकि शुक्र असुरों के गुरु हैं।
हिंदू धार्मिक ग्रंथ महाभारत के अनुसार, बृहस्पति देव के पिता महर्षि अंगिरा हैं।
इसके अलावा, पौराणिक शास्त्रों में देवगुरु बृहस्पति को ब्रह्मा जी का स्वरूप भी माना जाता है।
सप्ताह में गुरु देव को बृहस्पतिवार का दिन समर्पित है, इसलिए इस दिन इनकी पूजा-अर्चना की जाती है।
हिंदू धर्म में गुरु को केले के वृक्ष के रूप में पूजा जाता है और इनका वर्ण पीला है, इसलिए गुरुवार के दिन पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना गया है। साथ ही, गुरु देव को शील और धर्म का अवतार माना जाता है।
अब हम नज़र डाल लेते हैं गुरु ग्रह के ज्योतिषीय महत्व पर।
ज्योतिष की दृष्टि से गुरु ग्रह का महत्व
वैदिक ज्योतिष में लाभकारी ग्रह गुरु को विस्तार, प्रगति और ज्ञान का कारक माना जाता है। साथ ही, यह सभी प्रकार के शुभ और मांगलिक कार्यों के लिए भी जिम्मेदार होते हैं इसलिए इनकी चाल, दशा और राशि में होने वाला छोटा सा छोटा बदलाव भी ज्योतिषियों के लिए बहुत मायने रखता है। प्रत्येक मनुष्य के जीवन में बृहस्पति देव करियर, व्यापार और नौकरी के साथ-साथ अध्यात्म जैसे प्रमुख क्षेत्रों को प्रभावित करने का सामर्थ्य रखते हैं। यदि किसी व्यक्ति से बृहस्पति देव प्रसन्न होते हैं, तो उस व्यक्ति के अंदर सात्विक गुण विकसित होते हैं। साथ ही, यह लोग अपने जीवन में सत्य की राह पर चलना पसंद करते हैं।
जिन जातकों की कुंडली में बृहस्पति महाराज बेहद शुभ या बलवान अवस्था में होते हैं, उन्हें अपने जीवन में ज्यादातर क्षेत्रों में अपार सफलता प्राप्त होती है। लेकिन, यह जातक मोटापे का शिकार हो सकते हैं। इसके विपरीत, ऐसे जातक जिनकी कुंडली में गुरु देव अशुभ, दुर्बल या पीड़ित होते हैं, उनको पाचन या पेट से जुड़ी समस्याओं की शिकायत रह सकती हैं। वहीं, इनका आशीर्वाद आपको मज़बूत पाचन क्षमता प्रदान करता है और पेट से जुड़े रोगों से भी मुक्ति मिलती है।
गुरु देव की स्थिति और गोचर के साथ-साथ इनकी दृष्टि भी बहुत शुभ मानी जाती है। अगर, आपकी कुंडली के किसी कमज़ोर भाव पर बृहस्पति की दृष्टि पड़ती है, तो वह भाव मज़बूत हो जाता है और आपको नकारात्मक प्रभावों से राहत मिलती है। बता दें कि गुरु ग्रह को अपना राशि चक्र पूरा करने में लगभग 12 साल से अधिक का समय लगता है इसलिए इनका हर गोचर ख़ास होता है। यदि बृहस्पति ग्रह किसी खास भाव या ग्रह से होकर गुजरते हैं, तो इनकी उपस्थिति उस भाव में विकास, भाग्य और नई सोच को बढ़ावा देती है।
अब हम आपको बताने जा रहे हैं गुरु ग्रह के नक्षत्र और उनका आपके जीवन पर प्रभाव।
गुरु का कर्क राशि में गोचर:गुरु ग्रह के नक्षत्र और उनका प्रभाव
गुरु ग्रह को राशि चक्र की बारह राशियों में से धनु और मीन राशि का स्वामित्व प्राप्त है। यह कर्क राशि में उच्च और मकर राशि में नीच अवस्था में होते हैं। बृहस्पति देव शिक्षक, ज्ञान, बड़े भाई, संतान, धार्मिक कार्य, शिक्षा और दान-पुण्य को नियंत्रित करते हैं। सभी 27 नक्षत्रों में गुरु देव पुनर्वसु, विशाखा और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के अधिपति देव हैं। चलिए अब हम आपको अवगत करवाते हैं इन नक्षत्रों में जन्मे जातकों को गुरु ग्रह कैसे प्रभावित करते हैं।
पुनर्वसु नक्षत्र
गुरु ग्रह के पुनर्वसु नक्षत्र के अंतर्गत जन्म लेने वाले जातकों का स्वभाव बहुत उदार, और दयालु होता है। साथ ही, यह परिस्थितियों के अनुसार स्वयं को ढालने वाले होते हैं।
यह जातक जीवन में एक नई शुरुआत करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं, इसलिए इन्हें एक नई शुरुआत करने के अनेक अवसर मिलते हैं।
पुनर्वसु नक्षत्र के तहत जन्म लेने के कारण व्यक्ति का झुकाव आध्यात्मिकता और ज्ञान पाने में होता है।
विशाखा नक्षत्र:
बृहस्पति देव विशाखा नक्षत्र के भी स्वामी हैं इसलिए इनका प्रभाव इस नक्षत्र पर रहता है। ऐसे में, जिन जातकों का जन्म विशाखा नक्षत्र के अंतर्गत होता है, वह अपने जीवन के लक्ष्यों को पाने को लेकर दृढ़ होते हैं।
यह जातक एक बार कोई लक्ष्य निर्धारित कर लें, तो अपने समर्पण और मेहनत से उसे पाकर ही रहते हैं।
करियर में ऐसे लोग अक्सर दूसरों का नेतृत्व करते हुए नज़र आते हैं। साथ ही, इनके भीतर जीवन में बड़े बदलाव लाने का सामर्थ्य होता है।
पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र
जिन जातकों का जन्म पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के अंतर्गत होता है, वह बहुत सोच-समझकर काम करने वाले होते हैं और इनकी रुचि अध्यात्म में होती है।
पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में जन्मे लोग जीवन के गहरे अर्थों को समझने के साथ-साथ दूसरों की सहायता करने में सक्षम होते हैं।
कमज़ोर गुरु का जीवन पर प्रभाव
कुंडली में गुरु ग्रह की अशुभ स्थिति व्यक्ति के ज्ञान प्राप्त करने की क्षमता को प्रभावित करती है और उसमें ज्ञान की कमी नज़र आती है।
बृहस्पति देव के कमजोर होने पर जातक को समाज में समस्याओं और कष्ट का सामना करना पड़ता है।
गुरु की दुर्बल अवस्था के प्रभाव से जातक समाज में सम्मान प्राप्त नहीं कर पाता है।
अगर आपका बृहस्पति पीड़ित होता है, तो आपको लोगों को समझाने में कठिनाई का अनुभव होता है।
दुर्बल गुरु होने के कारण व्यक्ति को उन सभी गलतियों के लिए दोषी ठहराया जाता है जो उसने कभी की ही नहीं होगी।
इनका नकारात्मक प्रभाव होने से आप अपना सोना या पैसा खो देंगे।
बृहस्पति की अशुभता की वजह से आप धर्म में विश्वास नहीं करेंगे जिसके चलते आपके आसपास के लोग आपको विद्रोही मान लेते हैं।
प्रतिदिन मस्तक पर चंदन या हल्दी का लेप लगाएं। संभव हो, तो नियमित रूप से सोने के गहने धारण करें क्योंकि इन्हें बृहस्पति ग्रह का पूरक माना जाता है।
गुरुवार के दिन बृहस्पति देव से जुड़ी पीली वस्तुओं जैसे सोना, हल्दी, चना और पीले फल आदि का दान करें।
संभव हो, तो गुरुवार का व्रत करें और इस दिन गुरु ग्रह की पूजा-अर्चना करें। साथ ही, इस दिन ‘ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः’ मंत्र का 3 या 5 माला जाप करें।
बृहस्पतिवार के दिन केले के पेड़ की पूजा करें और उसके नीचे दीपक जलाएं।
गुरु देव से शुभ फल पाने के लिए बृहस्पति देव का रत्न पुखराज या फिर उपरत्न सुनेला धारण करें। हालांकि, आपको ऐसा करने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श लेने की सलाह दी जाती है।
बृहस्पति देव की कृपा पाने के लिए भगवान विष्णु को केसर या पीले चंदन से तिलक करें और इसके पश्चात, विष्णु जी की आराधना करें।
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
गुरु का कर्क राशि में गोचर कब होगा?
गुरु देव 19 अक्टूबर 2025 को कर्क राशि में गोचर कर जाएंगे।
बृहस्पति देव की कर्क राशि में स्थिति कैसी होती है?
ज्योतिष के अनुसार, कर्क राशि में गुरु ग्रह उच्च अवस्था में होते हैं और अपने मित्र चंद्रमा की राशि में होते हैं, इसलिए इसे अनुकूल कहा जाएगा।
मीन राशि का स्वामी कौन है?
राशि चक्र की बारहवीं राशि मीन के अधिपति देव गुरु ग्रह हैं।
दिवाली सेल 2025 में होगी बंपर ऑफर्स की बौछार, महालक्ष्मी की कृपा संग मिलेगा महाबचत का मौका!
दिवाली के शुभ अवसर पर दीयों की रोशनी हमारी आशाओं और उम्मीदों के रूप में जगमगाती है, और मां लक्ष्मी की कृपा से हमारा घर धन-समृद्धि और खुशियों से भर जाता है। अब जल्द ही पूरा देश दीयों की रोशनी से जगमगाता हुआ नज़र आएगा। ऐसे में, आपका जीवन भी इन दीयों की तरह रोशन रहे इसलिए एस्ट्रोसेज एआई इस दिवाली आपके लिए कुछ ख़ास लेकर आया है।
इस साल एस्ट्रोसेज एआई आपके लिए सिर्फ़ ऑफर्स या डिस्काउंट आधारित सेल लेकर नहीं आया है, बल्कि यह आपको सितारों की सहायता से अपने लक्ष्य पाने, अंधकार को मिटाने और जीवन में सुख-शांति को आमंत्रित करने का अवसर आपको प्रदान करेगा।
दिवाली 2025 के लिए एस्ट्रोसेज एआई के स्पेशल ऑफर्स
दिवाली को साल का सबसे शुभ समय माना जाता है इसलिए इस अवधि में नए कार्यों की शुरुआत करना सर्वश्रेष्ठ होता है। अगर आप इस दौरान कुछ नया करने की सोच रहे हैं, तो आपके इस सफर को आसान बनाने और आपकी सहायता करने के लिए एस्ट्रोसेज एआई दिवाली पर स्पेशल ऑफर्स और किफायती दामों पर ज्योतिषीय मार्गदर्शन लेकर आया है, जिससे आपके लिए कुछ भी पाना असंभव न रहे। चलिए नज़र डालते हैं इन आकर्षक ऑफर्स पर!
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दिवाली 2025: तिथि एवं मुहूर्त
इस साल कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि का आरंभ 20 अक्टूबर 2025 की दोपहर 03 बजकर 46 मिनट पर होगा और इसका समापन 21 अक्टूबर 2025 की शाम 05 बजकर 56 मिनट पर होगा।
अगर आप दिवाली 2025 पर लक्ष्मी पूजा 20 अक्टूबर 2025, सोमवार के दिन कर रहे हैं, तो पूजा मुहूर्त इस प्रकार रहेगा।
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: शाम 07 बजकर 08 मिनट से रात 08 बजकर 18 मिनट तक
अवधि: 1 घंटा 11 मिनट
प्रदोष काल: शाम 05 बजकर 46 मिनट से रात 08 बजकर 18 मिनट तक।
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दिवाली के जश्न को करें डबल: हमारे सभी ऑफर्स और डिस्काउंट न सिर्फ़ आपकी बचत करवाएंगे, बल्कि आपके जीवन में धन-समृद्धि, सकारात्मकता और आध्यात्मिक प्रगति भी लेकर आएंगे।
इस साल दिवाली के जश्न को बनाएं और भी शानदार, और अपने जीवन में आमंत्रित करें धन-समृद्धि और माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद। एस्ट्रोसेज एआई दिवाली 2025 स्पेशल सेल के द्वारा आपको धन की बचत करने के साथ-साथ ज्योतिषीय मार्गदर्शन पाने का मौका भी प्रदान कर रहा है। रोशनी के इस त्योहार पर अपने घर लाएं ऐसे प्रोडक्ट्स जिनसे जीवन में आएं रिद्धि-सिद्धि, समृद्धि और खुशियां अपार।
इसलिए, दिवाली 2025 स्पेशल सेल में मिलने वाले शानदार ऑफर्स और बंपर डिस्काउंट का फायदा उठाएं, और एस्ट्रोसेज एआई के साथ दीपों के इस पर्व को यादगार बनाएं।
धनतेरस पर भूलकर भी न करें ये खरीदारी, वरना दरिद्रता घर में बना लेगी डेरा
धरतेरस 2025 का पर्व दीपावली के पांच दिवसीय उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है और उसे बेहद ही शुभ और मंगलकारी दिन माना जाता है। इस दिन घर परिवार में लक्ष्मी और धन के आगमन की कामना के साथ खरीदारी करने की परंपरा है।
मान्यता है किधनतेरसपर खरीदी गई वस्तुएं केवल सामान नहीं होती, बल्कि वे सुख, शांति, समृद्धि और दीर्घायु का आशीर्वाद भी लेकर आती है यही कारण है कि इस दिन बाजारों में रौनक छा जाती है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार धनतेरस के दिन मृत्यु के देवता यमराज और धन के देवता कुबेर की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसा करने से घर में स्वास्थ्य, ऐश्वर्य और धन का वास होता है। साथ ही, इस दिन लक्ष्मी जी की कृपा पाने के लिए दीपदान और खास चीज़ों की खरीदारी का विधान है। यही वजह है कि लोग इस दिन नए सामान को शुभ मानते हैं और सोचते हैं कि यह उनके जीवन में समृद्धि का मार्ग खोलेगा।
हालांकि, हर चीज़ धनतेरस पर खरीदना लाभकारी नहीं माना जाता। शास्त्रों और परंपराओं में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि इस दिन किन वस्तुओं की खरीदारी घर के लिए शुभ फल देती है और किन्हें भूलकर भी नहीं खरीदना चाहिए। तो आइए इस विशेष ब्लॉग में जानते हैं धनतेरस पर किन चीजों की खरीदारी करनी चाहिए और किन्हें टालना ही बेहतर है, ताकि लक्ष्मी जी की कृपा से घर-परिवार में सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहे।
धनतेरस 2025 में कब मनाया जाएगा
हिंदू पंचांग के अनुसार, बता दें कि साल 2025 में धनतेरस की तिथि की तो इस वर्ष 18 अक्टूबर, शनिवार के दिन धनतेरस का त्योहार मनाया जाएगा।
त्रयोदशी तिथि समाप्त: अक्टूबर 19, 2025 की 01 बजकर 53 मिनट तक
धनतेरस 2025 मुहूर्त
धनतेरस मुहूर्त : 18 अक्टूबर की शाम 07 बजकर 31 मिनट से 08 बजकर 20 मिनट तक।
अवधि : 0 घंटे 49 मिनट
प्रदोष काल : शाम 05 बजकर 52 मिनट से 08 बजकर 20 मिनट तक
वृषभ काल : 07 बजकर 31 मिनट से 09 बजकर 31 मिनट तक
(जानकारी: अगर आप अपने शहर के अनुसार इस दिन का शुभ मुहूर्त जानना चाहते हैं तो इस लिंक पर क्लिक करें। )
धनतेरस 2025 की पूजन विधि
धनतेरस के दिन सुबह स्नान करके घर को अच्छे से साफ करें। दरवाजे पर तोरण और रंगोली बनाएं तथा दीप जलाएं।
शाम के समय दक्षिण दिशा की ओर घर के बाहर यमदीप अवश्य जलाएं। मान्यता है कि इसे अकाल मृत्यु का भय टलता है।
पूजन के लिए घर के मंदिर या साफ़ स्थान पर एक चौकी बिछाएं।
चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर उस पर माँ लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और भगवान कुबेर की मूर्ति/चित्र स्थापित करें।
दीपक, धूप, रोली, चावल, फूल मिठाई, जल, पंचामृत, धातु या चांदी के सिक्के, नए बर्तन और तुलसी पत्ते पूजा में रखें।
पहले भगवान गणेश का पूजन करें। इसके बाद भगवान धन्वंतरी, कुबेर और माता लक्ष्मी की पूजा करें।
नए खरीदे गए बर्तन या सामान को भी पूजन स्थल पर रखें और रोली, अक्षत और पुष्प अर्पित करके उसका पूजन करें।
पूजा के समय ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः, ॐ श्री धन्वंतरये नमः, ॐ कुबेराय नमः मंत्रों का जाप करें।
प्रसाद सभी को बांटें और अंत में परिवार सहित लक्ष्मी जी और कुबेर जी की आरती करें।
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धनतेरस 2025 के दिन भूल से भी ना करें ये गलती
धनतेरस का त्योहार सिर्फ धन की प्राप्ति ही नहीं, बल्कि घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा लाने वाला दिन माना जाता है। इस दिन जहां एक और लोग मां लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं, वहीं खरीदारी को भी बेहद शुभ माना जाता है। लेकिन कुछ गलतियां अगर इस दिन कर दी जाएं, तो लक्ष्मी कृपा के बजाय घर में दरिद्रता और कंगाली का वास हो सकता है।
लोहे का सामान न खरीदें। इस दिन लोहे की वस्तु खरीदना अशुभ माना जाता है।
तेल, झाड़ू और काले कपड़े से परहेज करें, मान्यता है कि ये चीज़ें नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती हैं।
पुराने बर्तनों का उपयोग न करें। पूजा में हमेशा नए व साफ-सुथरे बर्तनों का प्रयोग करें।
शाम के पूजन में देरी न करें। लक्ष्मी पूजन संध्या काल में ही करना चाहिए। देर से पूजन करने पर फल कम मिलता है।
अशुद्ध होकर पूजा न करें। स्नान, स्वच्छ वस्त्र और साफ स्थान पर ही पूजा करना जरूरी है।
घर अंधकारमय न रखें। घर के हर कोने में दीपक जलाना शुभ होता है, अंधेरा नकारात्मकता लाता है।
धनतेरस 2025 के दिन जरूर खरीदें ये सामान
धनतेरस, दीपावली महापर्व की शुरुआत का दिन है। इस दिन को धन और तेरस यानी धन की देवी मां लक्ष्मी और धन्वंतरि देव की आराधना के लिए सबसे शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई चीज़ें घर में सुख, समृद्धि और सौभाग्य का द्वार खोलती हैं।
सोने-चांदी : आभूषण या सिक्का खरीदना लक्ष्मी कृपा का प्रतीक माना जाता है।
बर्तन : नए बर्तन खरीदकर उनमें मिठाई या धान-दाल डालकर घर लाना शुभ होता है।
धनिया के बीज: धनतेरस की पूजा में धनिया के बीच अवश्य खरीदें, ये धन और समृद्धि का संकेत हैं।
झाड़ू: यह घर से नकारात्मक ऊर्जा और दरिद्रता दूर करने का प्रतीक है।
गोमती चक्र व शंख: लक्ष्मी कृपा और घर में सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए खरीदा जाता है।
दीपक व पूजा सामग्री: नए दीपक व पूजा की वस्तुएं घर में सुख-शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा लाती है।
इलेक्ट्रॉनिक व कीमती सामान: इस दिन नई गाड़ी, मोबाइल, घर या प्रॉपर्टी खरीदना भी बेहद शुभ माना गया है।
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क्यों मनाया जाता है धनतेरस 2025 का त्योहार
धनतेरस 2025 का पर्व दीपावली महोत्सव की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। यह दिन कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है और इसका धार्मिक व आध्यात्मिक महत्व बहुत गहरा है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद और चिकित्सा शास्त्र का जनक माना जाता है, इसलिए इस दिन को धन्वंतरि त्रयोदशी भी कहा जाता है। लोग इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं और अच्छे स्वास्थ्य व लंबी आयु की कामना करते हैं।
धनतेरस का संबंध माता लक्ष्मी से भी है। मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी घर-घर भ्रमण करती हैं और जहां स्वच्छता, पवित्रता व भक्ति होती है वहां स्थायी रूप से निवास करती है। इसी कारण इस दिन सोना, चांदी नए बर्तन, झाड़ू या अन्य शुभ वस्तुएं खरीदने की परंपरा है।
यह खरीदारी घर में समृद्धि और सौभाग्य लाने वाली मानी जाती है। साथ ही, यह विश्वास भी है कि धनतेरस को खरीदी गई वस्तुएं पूरे साल घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मकता बनाए रखती हैं। धनतेरस के दिन एक और खास परंपरा है दीपदान। कथा के अनुसार, इस दिन यमराज के नाम से दीप जलाने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है और परिवार पर कोई संकट नहीं आता। लोग अपने घर के बाहर दक्षिण दिशा में दीपक जलाकर यमराज की आराधना करते हैं और अपने प्रियजनों के दीर्घायु होने की प्रार्थना करते हैं।
इस प्रकार, धनतेरस केवल धन प्राप्ति का ही नहीं बल्कि सेहत, सौभाग्य और दीर्घायु का भी पर्व है। यही कारण है कि यह दिन पूरे वर्ष भर के लिए शुभ शुरुआत का प्रतीक माना जाता है और हर कोई इसे बड़े उत्साह और श्रद्धा से मनाता है।
इस दिन सोना, चांदी या तांबे का सिक्का खरीद कर पूजा घर में रखें। इसे माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है और यह घर में स्थायी सुख-समृद्धि लाता है।
मान्यता है कि धनतेरस पर झाड़ू खरीदकर घर में लाने से दरिद्रता और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। इसे लक्ष्मी का प्रिय माना जाता है।
इस दिन यमराज को प्रसन्न करने और अकाल मृत्यु के भय को दूर करने के लिए घनतेरस की रात घर के बाहर दक्षिण दिशा में दीपक जलाएं। यह टोटका घर में शांति और सुरक्षा लाता है।
धनतेरस पर मां लक्ष्मी को गुलाब के फूल अर्पित करके चांदी का सिक्का रखें। मान्यता है कि इससे कभी पैसों की कमी नहीं होती और व्यापार में तरक्की होती है।
पूजा के समय धान और कौड़ी को लक्ष्मीजी के चरणों में रखें और दीपावली के दिन तिजोरी या अलमारी में रखें। यह धन की वृद्धि और लक्ष्मी का स्थायी वास कराता है।
धनतेरस की शाम तुलसी के पास दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा और सुख-समृद्धि आती है।
इस दिन सात प्रकार के अनाज गरीबों को दान करने से घर में कभी अन्न और धन की कमी नहीं होती है।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. धनतेरस कब मनाया जाता है?
धनतेरस कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन से दिवाली उत्सव की शुरुआत होती है।
2. धनतेरस पर क्या खरीदना शुभ माना जाता है?
इस दिन सोना-चांदी, बर्तन, झाड़ू, धातु के सिक्के, धन्वंतरि प्रतिमा, दीपक और झाड़ू खरीदना बेहद शुभ माना जाता है।
3. क्या धनतेरस पर झाड़ू खरीदना जरूरी है?
हां, झाड़ू लक्ष्मी का प्रतीक मानी जाती है। इसे खरीदने और बदलने से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
टैरो साप्ताहिक राशिफल 19 से 25 अक्टूबर 2025: इन राशियों को मिलेगा भाग्य का साथ!
टैरो साप्ताहिक राशिफल 19 से 25 अक्टूबर 2025: दुनियाभर के कई लोकप्रिय टैरो रीडर्स और ज्योतिषियों का मानना है कि टैरो व्यक्ति की जिंदगी में भविष्यवाणी करने का ही काम नहीं करता बल्कि यह मनुष्य का मार्गदर्शन भी करता है। कहते हैं कि टैरो कार्ड अपनी देखभाल करने और खुद के बारे में जानने का एक ज़रिया है।
टैरो इस बात पर ध्यान देता है कि आप कहां थे, अभी आप कहां हैं या किस स्थिति में हैं और आने वाले कल में आपके साथ क्या हो सकता है। यह आपको ऊर्जा से भरपूर माहौल में प्रवेश करने का मौका देता है और अपने भविष्य के लिए सही विकल्प चुनने में मदद करता है। जिस तरह एक भरोसेमंद काउंसलर आपको अपने अंदर झांकना सिखाता है, उसी तरह टैरो आपको अपनी आत्मा से बात करने का मौका देता है।
आपको लग रहा है कि जैसे जिंदगी के मार्ग पर आप भटक गए हैं और आपको दिशा या सहायता की ज़रूरत है। पहले आप टैरो का मजाक उड़ाते थे लेकिन अब आप इसकी सटीकता से प्रभावित हो गए हैं या फिर आप एक ज्योतिषी हैं जिसे मार्गदर्शन या दिशा की ज़रूरत है। या फिर आप अपना समय बिताने के लिए कोई नया शौक ढूंढ रहे हैं। इन कारणों से या अन्य किसी वजह से टैरो में लोगों की दिलचस्पी काफी बढ़ गई है। टैरो डेक में 78 कार्ड्स की मदद से भविष्य के बारे में जाना जा सकता है। इन कार्ड्स की मदद से आपको अपने जीवन में मार्गदर्शन मिल सकता है।
टैरो की उत्पति 15वीं शताब्दी में इटली में हुई थी। शुरुआत में टैरो को सिर्फ मनोरंजन के रूप में देखा जाता था और इससे आध्यात्मिक मार्गदर्शन लेने का महत्व कम था। हालांकि, टैरो कार्ड का वास्तविक उपयोग 16वीं सदी में यूरोप के कुछ लोगों द्वारा किया गया जब उन्होंने जाना और समझा कि कैसे 78 कार्ड्स की मदद से भविष्य के बारे में जाना जा सकता है, उसी समय से इसका महत्व कई गुना बढ़ गया।
टैरो एक ऐसा ज़रिया है जिसकी मदद से मानसिक और आध्यात्मिक प्रगति को प्राप्त किया जा सकता है। आप कुछ स्तर पर अध्यात्म से, थोड़ा अपनी अंतरात्मा से और थोड़ा अपने अंतर्ज्ञान और आत्म-सुधार लाने से एवं बाहरी दुनिया से जुड़ें।
तो आइए अब इस साप्ताहिक राशिफल की शुरुआत करते हैं और जानते हैं कि 19 अक्टूबर से 25 अक्टूबर 2025 तक का यह सप्ताह राशि चक्र की सभी 12 राशियों के लिए किस तरह के परिणाम लेकर आएगा?
टैरो साप्ताहिक राशिफल 19 अक्टूबर से 25 अक्टूबर, 2025: राशि अनुसार राशिफल
मेष राशि
प्रेम जीवन: द एम्परर
आर्थिक जीवन: द हाई प्रीस्टेस
करियर: किंग ऑफ पेंटाकल्स
स्वास्थ्य: द लवर
मेष राशि के प्रेम जीवन की बात करें तो द एम्परर कार्ड देखभाल, समृद्धि, आकर्षण और लंबे समय तक चलने वाले स्थिर प्रेम का प्रतीक है। किसी रिश्ते में यह कार्ड मस्ती, भावनात्मक जुड़ाव और प्यार भरे, सहायक माहौल के बढ़ने की ओर इशारा करता है, जो आगे चलकर शादी या परिवार तक पहुंच सकता है। लेकिन दूसरी ओर, यह आत्मविश्वास की कमी, आत्म- मूल्य न समझना,, नियंत्रण या मनमानी की स्थिति भी दिखा सकता है।
आर्थिक जीवन में द हाई प्रीस्टेस कार्ड निवेश करते समय सावधानी बरतने, अवसरों को अच्छी तरह परखने और अपने अंदर की आवाज को मानकर सही वित्तीय निर्णय लेने का संदेश देता है। यह कार्ड आपको सतर्क करता है कि धोखाधड़ी या छुपे हुए इरादों से बचें और ज़रूरत पड़ने पर किसी भरोसेमंद और जानकार व्यक्ति से सलाह ज़रूर लें।
किंग ऑफ पेंटाकल्स अपराइट सीधे रूप में यह कार्ड करियर में सफलता स्थिरता और मजबूत नेतृत्व का प्रतीक है। यह अक्सर सफल व्यवसाय या मेहनत का फल मिलने की ओर इशारा करता है। यह किसी मार्गदर्शक या ऐसे व्यक्ति को भी दर्शा सकता है, जो आपको मदद और प्रोफेशनल अवसर देता है। लेकिन उल्टी स्थिति में यह आर्थिक गैर जिम्मेदारी और लंबे समय की स्थिरता के प्रति लापरवाही को दिखाता है।
द लवर स्वास्थ्य के मामले में यह कार्ड संपूर्ण सुख-शांति का प्रतीक है। यह आपके मन, शरीर और आत्मा के बीच संतुलन को बढ़ावा देता है और प्रियजनों से मिलने वाले सहयोग को दर्शाता है। यह बताता है कि आपके स्वास्थ्य से जुड़े फैसले आपके मूल्यों से मेल खाने चाहिए और आपको आंतरिक शांति और ऊर्जा पाने के लिए सही चुनाव करने की जरूरत है।
शुभ तिथियां: 09, 18
वृषभ राशि
प्रेम जीवन: फाइव ऑफ पेंटाकल्स
आर्थिक जीवन: ऐस ऑफ वैंड्स
करियर: किंग ऑफ पेंटाकल्स
स्वास्थ्य: सिक्स ऑफ कप्स
वृषभ राशि वालों को प्रेम जीवन की बात करें तो फाइव ऑफ पेंटाकल्सकार्ड रिश्ते की मुश्किलों को दर्शाता है। जैसे पैसों की दिक्कत, भावनात्मक उपेक्षा या अलग-थलग महसूस करना। इसका असर बेचैनी और अकेलेपन की भावना के रूप में सामने आ सकता है।
आर्थिक जीवन में ऐस ऑफ वैंड्स कार्ड नए और शुभ आरंभ का संकेत देता है। इसका मतलब है आर्थिक तरक्की, नए मौके और मेहनत या बिज़नेस से अचानक लाभ मिलने की संभावना है। यह बताता है कि नए प्रोजेक्ट शुरू करें और आत्मविश्वास, रचनात्मकता और उत्साह के साथ आगे बढ़ें।
किंग ऑफ वैंड्स करियर से जुड़े मामलों में यह कार्ड सफलता, लीडरशिप और पहचान का प्रतीक है। यह अक्सर प्रमोशन या ऊंचे पद का संकेत देता है, जहां आप दूसरों को प्रेरित करने वाले और बड़े फैसले लेने वाले व्यक्ति बनते हैं। यह बताता है कि आपकी हिम्मत और सोच समझकर उठाए गए कदम बिज़नेस को बढ़ाएंगे और लंबे समय तक सफलता देंगे।
सिक्स ऑफ कप्स यह कार्ड जिंदगी की छोटी-छोटी खुशियों से दोबारा जुड़ने की ओर इशारा करता है। जैसे – खेलना, घूमना-फिरना या बीते पलों की मीठी यादों से सुकून पाना। यह बताता है कि मासूमियत और दयालुता अपनाकर आप अपने मन की शांति पा सकते हैं। कभी-कभी यह इशारा करता है कि बचपन की कोई अनसुलझी समस्या या पुराना आघात अभी भी आपके भीतर दबा हुआ है, जिसे अब ठीक करने की जरूरत है।
शुभ तिथियां : 06, 15
बृहत् कुंडलीमें छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरालेखा-जोखा
मिथुन राशि
प्रेम जीवन: जस्टिस
आर्थिक जीवन: नाइट ऑफ कप्स
करियर: जजमेंट
स्वास्थ्य: फोर ऑफ स्वॉर्ड्स
मिथुन राशि वालों के प्रेम जीवन की बात करें तो यह कार्ड बताता है कि अपने साथी के साथ वैसा ही व्यवहार करें जैसा आप खुद से उम्मीद करते हैं। रिश्ते में संतुलन, ईमानदारी और न्याय बनाए रखना जरूरी है। वहीं, यदि यह कार्ड अपराइट आता है तो यह अन्याय, अनसुलझी समस्याएं, असुंतलन या धोखा देने की ओर इशारा करता है। यह बताता है कि रिश्ते को सुधारने के लिए आत्मचिंतन, ईमानदारी से बातचीत और संतुलन जरूरी है।
नाइट ऑफ कप्स वित्तीय स्थिति में यह कार्ड अच्छे वित्तीय प्रस्तावों या पैसों के अच्छे प्रवाह का संकेत देता है, खासकर रचनात्मक क्षेत्रों से। लेकिन यह यह भी दर्शा सकता है कि पैसों के मामले में अनुशासन की कमी है और भौतिक चीज़ों पर जरूरत से ज्यादा खर्च करने से धन जल्दी खत्म हो सकता है।
जस्टिस कार्ड करियर में यह कार्ड करियर में जिम्मेदारी, ईमानदारी, न्याय निष्ठा और संतुलित निर्णयों को दर्शाता है। यह बताता है कि यदि आप पेशेवर रवैया अपनाएंगे और तार्किक ढंग से फैसले लेंगे तो परिणाम सकारात्मक रहेंगे। विवादों का हल भी निष्पक्ष और व्यावहारिक तरीके से करना चाहिए।
फोर ऑफ स्वॉर्ड्स स्वास्थ्य में यह कार्ड आराम, दोबारा ऊर्जा पाने और मानसिक शांति की जरूरत को दर्शाता है। यह बताता है कि खुद का ख्याल रखें, तनाव से दूरी बनाएं और शरीर के संकेतों को सुनें। ध्यान, जर्नलिंग या डिजिटल डिटॉक्स जैसी आदतें अपनाने से आपको फिर से स्पष्टता और सुकून मिलेगा।
शुभ तिथियां : 05, 14
कर्क राशि
प्रेम जीवन: टू ऑफ पेंटाकल्स
आर्थिक जीवन: सेवेन ऑफ पेंटाकल्स
करियर: क्वीन ऑफ वैंड्स
स्वास्थ्य: जजमेंट
कर्क राशि के लिए टू ऑफ पेंटाकल्सकार्ड बताता है कि आप अलग-अलग जिम्मेदारियों को संभालने में संतुलन बनाने की कोशिश कर रहे हैं। कभी रिश्ते की जिम्मेदारियां और कभी जीवन के दूसरी पहलू, इन दोनों के बीच संतुलन बैठाना पड़ सकता है। यह एक ऐसे नए रिश्ते की ओर भी इशारा कर सकता है, जिसमें साथी चंचल, मजेदार और थोड़ा अप्रत्याशित हो। वहीं पक्का रिश्ता होने पर यह कार्ड लचीलापन समझौता और बदलती परिस्थितियों में सामंजस्य बिठाने ी जरूरत दर्शाता है।
सेवेन ऑफ पेंटाकल्स आर्थिक जीवन के मामले में यह कार्ड बताता है कि आपकी लंबी योजना, धैर्य से किए गए निवेश और मेहनत अब रंग लाने लगे हैं। यह स्थायी प्रगति, निरंतर प्रयास और उस संतोष का प्रतीक है, जो अपनी मेहनत को भौतिक लाभ और आर्थिक विकास में बदलते देख कर मिलता है।
क्वीन ऑफ़ वैंड्स करियर में दर्शाता है कि यदि आप नौकरी या करियर से जुड़े मार्गदर्शन के लिए यह कार्ड निकालते हैं, तो यह बताता है कि आपकी आत्मविश्वास और उत्साह ही सफलता की कुंजी है। आप जन्म से ही एक लीडर हैं और यह कार्ज संकेत देता है कि आपको अपने आकर्षण और दृढ़ निश्चय से अपने प्रोफेशनल लक्ष्य पूरे करने चाहिए। क्वीन ऑफ वैंड्स आपको प्रेरित करती है कि आप नए कम को उत्साह और सकारात्मकता के साथ अपनाएं। ब्रह्मांड आपके साथ है, इसलिए निडर होकर मौके लीजिए और साहसी बनकर कदम बढ़ाइए।
जजमेंट कार्ड स्वास्थ्य के मामले में दर्शाता है कि किसी कठिन दौर के बाद अब आपको ठीक होने और नई शुरुआत का समय मिलेगा। यह पुनर्जन्म, रिकवरी और आध्यात्मिक जागृति का प्रतीक है। यह आत्मचिंतन का समय भी दर्शाता है, जहां आप बुरी आदतों को छोड़कर नए जोश और ताज़गी से भरपूर जीवन अपना सकते हैं।
सिंह राशि के लिए फोर ऑफ पेंटाकल्स कार्ड ऐसे रिश्ते को दर्शाता है, जो सुरक्षा, स्थिरता और समर्पण पर आधारित हो। इसमें साथी भरोसेमंद, जिम्मेदार और साथ देना वाला होता है। यह कार्ड लंबे लक्ष्यों, आपसी सम्मान और विश्वास से बने रिश्ते का प्रतीक है, जहां प्यार सिर्फ शब्दों से नहीं बल्कि कर्मों, उपहारों और एक सुरक्षित व स्नेहपूर्ण घर बनाने से दिखाया जाता है।
आर्थिक मामलों में यह कार्ड स्थिरता,समृद्धि और आपकी मेहनत की सकारात्मक पहचान को दर्शाता है। यह अक्सर सफल व्यापार, प्रमोशन या आय में बढ़ोतरी का संकेत देता है। इसका अर्थ है कि आप समझदारी से आर्थिक निर्णय ले रहे हैं और आत्मविश्वास के साथ अपने लक्ष्यों की ओर बड़ रहे हैं।
करियर में यह कार्ड नेतृत्व, अनुशासन, संरचना और रणनीतिक योजना के साथ लक्ष्यों को पाने का प्रतीक है। यह किसी वरिष्ठ या मेंटर से सलाह मिलने का संकेत भी देता है और प्रमोशन व अधिक जिम्मेदारियां मिलने की संभावना दिखाता है। यह कार्ड प्रेरित करता है कि आप पहल करें, अपने काम को योजना से आगे बढ़ाएं और भविष्य की सफलता के लिए मजबूत नींव रखें।
स्वास्थ्य की बात करें तो, हैंग्ड मैन कार्ड यह संकेत देता है कि अगर आप इस समय किसी बीमारी या स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हैं, तो आपको धैर्य बनाए रखने की आवश्यकता हो सकती है। क्योंकि ठीक होने की प्रक्रिया थोड़ी धीमी रहेगी। साथ ही यह भी दर्शाता है कि इस समय कोई छिपी हुई या पुरानी बीमारी दोबारा उभर सकती है। यह एक तरह की चेतावनी है, इसलिए बेहतर होगा कि आप अपने नियमित स्वास्थ्य जांच को बिल्कुल न छोड़ें।
कन्या राशि के लिए एस ऑफ पेंटाकल्स कार्ड प्रेम जीवन में निर्णय लेने की स्थिति को दर्शाता है। अक्सर इसमें भ्रम, कल्पनाएं या सपने शामिल होते हैं। आप या तो किसी रोमांटिक ख्यालों में खोए हो सकते हैं या आपके सामने बहुत सारे विकल्प हो सकते हैं। अगर आप सिंगल हैं तो यह संभावित पार्टनर को लेकर उलझन का संकेत है और अगर आप रिश्ते में हैं, तो यह आपके भविष्य से जुड़ा कोई बड़ा निर्णय लेने की ओर इशारा करता है।
पेज़ ऑफ पेंटाकल्स कार्ड अपराइट आता है तो यह नए मौकों, कड़ी मेहनत और एक ठोस वित्तीय योजना की शुरुआत को दर्शाता है। इसमें नए हुनर सीखना या कोई नया बिज़नेस शुरू करना शामिल हो सकता है। यदि उल्टा आता है, तो यह टालमटोल, ध्यान की कमी या आर्थिक लापरवाही का संकेत देता है। यह चेतावनी देता है कि पिछली गलतियों या अवसर खोने का असर अब भुगतना पड़ सकता है।
करियर में यह कार्ड उपलब्धि, सफलता और पहचान का प्रतीक है। यह किसी बड़ी प्रोजेक्ट की पूर्ति, प्रमोशन या लंबे समय से तय किए गए लक्ष्य तक पहुंचने का संकेत देता है। यह आपको अपनी उपलब्धियों पर गर्व करने और जश्न मनाने की सलाह देता है। साथ ही, यह नए अवसरों या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर करियर के विस्तार की संभावना भी दिखाता है।
स्वास्थ्य के मामले में यह बहुत सकारात्मक कार्ड है। यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य, बीमारी से ठीक होने और ऊर्जा से भरपूर होने का संकेत देता है। यह दर्शाता है कि आपके पास खुद को ठीक करने की क्षमता है और आप नए और समग्र (holistic) उपचारों से लाभ उठा सकते हैं।
तुला राशि के लिए द चैरियट कार्ड बताता है कि अब आप अपने प्रेम जीवन की दिशा खुद तय कर रहे हैं। इसमें आत्मविश्वास, हिम्मत और आगे बढ़ने का संकेत हैं। रिश्ते में कुछ विरोधाभासी इच्छाएं हो सकती हैं, लेकिन आप धैर्य और दृढ़ संकल्प से उन्हें संतुलित कर पाएंगे। यह आपको चुनौतियों से जीतने की ताकत देता है, लेकिन साथ ही यह सोचने पर भी मजबूर कर सकता है कि कहीं आप रिश्ते के लिए अपनी पहचान तो नहीं खो रहे।
सेवेन ऑफ स्वॉर्ड्स कार्ड चेतावनी देता है कि पैसों के मामले में धोखाधड़ी,फरेब या छल-कपट हो सकता है। यह आपको सलाह देता है कि किसी भी डील को ध्यान से जांचें और जल्दबाजी में निर्णय न लें। साथ ही, यह संकेत देता है कि आप खुद भी किसी शॉर्टकट या गलत तरीके से पैसा कमाने की कोशिश में न फंसें।
एट ऑफ पेंटाकल्स कार्ड करियर के क्षेत्र में आपकी मेहनत, लगन और हुनर को पहचान दिलाता है। यह दर्शाता है कि आप अपने काम में निपुण हो रहे हैं और आपकी स्किल्स आपको प्रमोशन, स्थिरता और सफलता दिला सकती हैं। यह मेहनत और धैर्य का पुरस्कार मिलने का समय है।
स्वास्थ्य के मामले में टेन ऑफ कप्स बहुत ही सकारात्मक कार्ड है। यह बताता है कि आप शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से संतुलन महसूस करेंगे। आपकी कोशिशें रंग ला रही हैं और आप खुद को अधिक स्वस्थ, ऊर्जावान और संतुष्ट पाएंगे। यह कार्ड पारिवारिक और आत्मिक खुशी का भी प्रतीक है।
शुभ तिथियां : 24, 06
वृश्चिक राशि
प्रेम जीवन: थ्री ऑफ स्वॉर्ड्स (रिवर्सड)
आर्थिक जीवन: किंग ऑफ स्वॉर्ड्स
करियर: टेन ऑफ पेंटाकल्स
स्वास्थ्य: फाइव ऑफ कप्स (रिवर्सड)
थ्री ऑफ स्वॉर्ड्स (रिवर्सड) कार्ड बताता है कि आप किसी पुराने दिल टूटने या दर्द से बाहर निकल रहे हैं। लेकिन पूरी तरह से ठीक होने के लिए आपको खुद को समय और समर्पण देना होगा। यह भी संकेत देता है कि आप कहीं अपने घाव छुपाने या दर्द से बचने के लिए किसी और रिश्ते में जल्दबाजी तो नहीं कर रहे।
किंग ऑफ स्वॉर्ड्स कार्ड समझदारी और तर्कसंगत सोच का प्रतीक है। यह बताता है कि आपको पैसों और करि.र से जुड़े फैसले भावनाओं से नहीं बल्कि बुद्धि और रिसर्च के आधार पर लेने चाहिए। सही प्लानिंग और विवेक से आप मजबूत आर्थिक निर्णय ले पाएंगे।
टेन ऑफ पेंटाकल्स कार्ड दर्शाता है कि आपकी मेहनत का फल मिलने वाला है। यह एक स्थिर और समृद्ध करियर की ओर इशारा करता है, जहाँ आपको सम्मान, आर्थिक सुरक्षा और एक स्थायी पहचान मिलेगी। यह पारिवारिक बिज़नेस की सफलता, बड़ी उपलब्धि, या किसी बड़ी संस्था में लंबे समय तक टिकने का भी संकेत हो सकता है।
स्वास्थ्य के मामले में फाइव ऑफ कप्स (रिवर्सड) आपने पर यह कार्ज बताता है कि आप भावनात्मक परेशानियों से धीरे-धीरे बाहर आ रहे हैं। यह आत्म क्षमा, मानसिक मजबूती और सकारात्मक सोच की ओर बढ़ने का प्रतीक है। यदि पहले किसी बीमारी या निराशा से जूझे हैं तो अब आप धीरे-धीरे बेहतर महसूस करेंगे। यह कार्ड आपको मदद लेने और खुद पर विश्वास रखने की सलाह देता है।
धनु राशि राशि वालों को प्रेम जीवन की बात करें तो, यह कार्ड बताता है कि आपके जीवनसाथी या साथी बेहद वफादार, संवेदनशील, परिपक्क और कोमल स्वभाव वाले होंगे। उनका साथ आपके रिश्ते में स्थिरता, गहरी समझ और भावनात्मक सुरक्षा लाएगा। यह एक मजबूत और देखभाल करने वाले रिश्ते कां संकेत है, जो धैर्य और समझदारी पर आधारित होगा।
यह कार्ड आर्थिक मामलों में सावधानी बरतने की सलाह देता है। यह कहता है सिर्फ दौलत कमाने की होड़ में भागने के बजाय थोड़ा ठहरें और सोचें कि असली संतोष कहां हैं। खर्च करने से ज्यादा बचत और आत्मचिंतन पर ध्यान देना चाहिए। यह कार्ड बताता है कि आर्थिक निर्णय लेने से पहले गहराई से विचार करना और आत्मनिरीक्षण करना जरूरी है।
करियर के मामले में यह कार्ड उम्मीद, प्रेरणा और सफलता का प्रतीक है। यह नए अवसरों, रचनात्मक और ईमानदारी से किए गए काम के जरिए मिलने वाली उपलब्धियों को दर्शाता है। यदि यह अपराइट आए तो यह आपको आत्मविश्वास वापस पाने, अपने लक्ष्यों पर पुनः विचार करने और सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ने की सलाह देता है। कठिन समय के बाद यह नया उत्साह और ऊर्जा लाने का संकेत है।
डेथ कार्ड अपराइट आए तो यह कार्ड बदलाव को स्वीकार करने और पुराने बंधनों, आदतों या नकारात्मक सोच को छोड़ने का संदेश देता है। यह बताता है कि शारीरिक और मानसिक दोनों स्तरों पर नएपन को अपनाने से ही वास्तविक विकास संभव है। यह कार्ड आध्यात्मिक और मानसिक पुनर्जन्म का प्रतीक है।
शुभ तिथियां: 12, 30
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मकर राशि
प्रेम जीवन: ऐस ऑफ पेंटाकल्स
आर्थिक जीवन: क्वीन ऑफ पेंटाकल्स
करियर: फोर ऑफ कप्स
स्वास्थ्य: द टॉवर
मकर राशि के जातकों के प्रेम जीवन की बात करें तो यह कार्ड नए रिश्ते की शुरुआत या किसी पुराने रिश्ते को और मज़बूत करने का संकेत देता है। इसमें स्थिरता, भरोसा और लंबे समय तक चलने वाले प्यार की संभावना होती है। यह आपको प्रेरित करता है कि रिश्ते में निवेश करें, इसे समय दें और आपसी सहयोग के साथ इसे आगे बढ़ाएँ। यह एक सुरक्षित और मजबूत नींव वाले प्रेम का प्रतीक है।
यह कार्ड भौतिक समृद्धि, अच्छे धन प्रबंधन और आर्थिक सुरक्षा का प्रतीक है। यह बताता है कि मेहनत और व्यावहारिक समझदारी से स्थिर धन की प्राप्ति होगी। यह कार्ड उस व्यक्ति को दर्शाता है, जो अपने परिवार और खुद दोनों की देखभाल करता है और जीवन की छोटी-छोटी खुशियों का आनंद लेता है।
करियर में यह कार्ड ऊब, असंतोष और ठहराव की भावना को दर्शाता है। ऐसा हो सकता है कि आप अपनी वर्तमान नौकरी या स्थिति से खुन हों और सिर्फ कमियों पर ध्यान दें और सिर्फ कमियों पर ध्यान दे रहे हों। यह कार्ड आपको आत्मचिंतन करने, अपने अंदर झांकने और नए अवसरों की तलाश करने के लिए प्रेरित करता है। यह इशारा करता है कि अपनी असी रुचि और मूल्यों को समझने के लिए आपको गहराई से विचार करना चाहिए।
स्वास्थ्य के मामले में यह कार्ड अचानक आने वाली समस्याओं, दुर्घटनाओं या बड़ी चुनौतियों का संकेत देता है। यह बताता है कि आपको अपनी पुरानी जीवनशैली में बदलाव लाने की जरूरत है, वरना कठिनाइयां बढ़ सकती हैं। यह कार्ड शारीरिक, मानसिक या भावनात्मक तकलीफ का संकेत हो सकता है, लेकिन साथ ही, यह आपको चेतावनी भी देता है कि बदलाव स्वीकार कर सही जीवनशैली अपनाएं। अंत में यह कार्ड ताकत और स्पष्टता की ओर ले जाता है।
शुभ तिथियां: 08, 17
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कुंभ राशि
प्रेम जीवन: द हाई प्रीस्टेस
आर्थिक जीवन: फाइव ऑफ वैंड्स
करियर: द मून (रिवर्सड)
स्वास्थ्य: एस ऑफ कप्स
कुंभ राशि राशि के जातकों के प्रेम जीवन में यह कार्ड रिश्तों में गहरी अंतर्ज्ञान, छुपे हुए रहस्यों और अपनी भावनाओं की आवाज सुनने का संकेत देता है। यह गहरे और सूक्ष्म भावनात्मक जुड़ाव की ओर इशारा करता है, जिसमें आकर्षण बहुत प्रबल होता है। लेकिन यह भी बताता है कि धैर्य और सच्चाई के बिना सच सामने नहीं आएगा। अविवाहित लोगों के लिए यह कार्ड दर्शाता है कि सही साथी की पहचान अपने दिल की सुनकर करनी होगी।
फाइव ऑफ वैंड्स सीधे रूप से यह कार्ड थोड़े समय के लिए आर्थिक अस्थिरता या पैसों को लेकर विवाद की स्थिति दिखाता है। यह अलग-अलग आय स्रोतों पर मतभेद या किसी के साथ धन संबंधी झगड़े की वजह से हो सकता है, जिसे सुलझाने के लिए मेहनत करनी पड़ेगी। यदि यह कार्ड रिवर्सड आता है और साथ में सकारात्मक कार्ड हों तो यह आर्थिक समस्याओं के हल का संकेत देता है। लेकिन नकारात्मक स्थिति में यह बताता है कि विवादों से बचने की कोशिश में समस्याएं और बढ़ सकती हैं, खासकर अपने नजदीकी लोगों के साथ
द मून रिवर्सड आने पर पर करियर में भ्रम और असामंजस्य खत्म होने का संकेत देता है। यह स्पष्टता लाता है और बताता है कि झूठ, गलतफहमियां या छुपी हुई साजिशें उजागर हो सकती हैं। यह सलाह देता है कि अब अंदर की शंकाओं को छोड़कर तर्क और विश्लेषण के आधार पर करियर संबंधी निर्णय लें।
स्वास्थ्य के मामले में यह कार्ड नए आरंभ, ऊर्जा और बीमारी या चोट से उबरने का संकेत देता है। यह बताता है कि अब समय है अपनी ऊर्जा फिर से हासिल करने का, सही खानपान और एक्सरसाइज जैसी नई स्वस्थ आदतों को अपनाने का। यह कार्ड प्रजनन क्षमता और गर्भधारण की संभावना की ओर भी इशारा करता है, खासकर उनके लिए जो परिवार बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।
शुभ तिथियां: 26, 31
मीन राशि
प्रेम जीवन: नाइन ऑफ कप्स
आर्थिक जीवन: स्ट्रेंथ
करियर: नाइट ऑफ स्वॉर्ड्स
स्वास्थ्य: द हीरोफेंट
मीन राशि राशि के जातकों के प्रेम जीवन में यह कार्ड बेहद शुभ संकेत माना जाता है। यह इच्छाओं की पूर्ति, गहरी संतुष्टि, भावनात्मक खुशी और रिश्तों में सफलता का द्योतक है। अविवाहित लोगों के लिए यह एक स्वस्थ और सुखद प्रेम संबंध की ओर इशारा करता है। यह शादी परिवार बनाने या रिश्ते में गहराई और आत्मीयता लाने का संकेत भी देता है। साथ ही, यह यह भी सिखाता है कि खुद से प्रेम करना और अपनी अहमियत समझना जरूरी है।
आर्थिक मामलों में यह कार्ड बताता है कि मजबूत कदमों की बजाय धैर्य, आत्मविश्वास और योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़ना आपके लिए लाभकारी होगा। यह दर्शाता है कि आपके पास अपने पैसों को समझदारी से संभालने की शक्ति है। आप कठिनाइयों को पार कर सकते हैं और साहसिक व निर्णायक कदमों से वित्तीय सफलता हासिल करें।
यह कार्ड करियर में ऊर्जा, महत्वाकांक्षा और तेजी से आगे बढ़ने का संकेत देता है। यह बताता है कि आप चुनौतियों का डटकर सामना करने के लिए तैयार हैं। आपकी तेज सोच और मजबूत इच्छाशक्ति आपको नए अवसरों, जल्दी तरक्की और सफलता दिला सकती है।
स्वास्थ्य के मामले में यह कार्ड पारंपरिक और प्रमाणित तरीकों को अपनाने की सलाह देता है। यह बताता है कि आपको विशेषज्ञ डॉक्टर की राय लेनी चाहिए और आयुर्वेद या वैकल्पिक तरीकों की बजाय वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित इलाज करना फायदेमंद रहेगा। यह कार्ड यह भी इंगित करता है कि उम्र बढ़ने से जुड़ी कुछ स्वास्थ्य समस्याएं सामने आ सकती हैं, जिन्हें सही सलाह और देखभाल से नियंत्रित किया जा सकता है।
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. कौन सा टैरो कार्ड प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहता है?
द हाई प्रीस्टेस
2. कौन सा टैरो कार्ड सच्ची खुशी को दर्शाता है?
टेन ऑफ़ पेंटाकल्स
3. कौन सा टैरो कार्ड स्वतंत्रता का आनंद लेने को दर्शाता है?
नाइन ऑफ़ पेंटाकल्स
तुला संक्रांति 2025 पर ग्रहों के राजा करेंगे राशि परिवर्तन, जानें तिथि, महत्व व उपाय!
तुला संक्रांति 2025:भारत एक ऐसा देश है जहाँ ग्रहों की स्थिति में होने वाला बदलाव कोई सामान्य खगोलीय घटना नहीं होती है, बल्कि यह धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से गहराई से जुड़ी होती है।
ग्रहों की स्थिति में होने वाले हर बदलाव का अपना विशेष महत्व होता है, लेकिन सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना संक्रांति के नाम से जाना जाता है जिसका धार्मिक रूप से अपना विशेष महत्व होता है। साल भर में आने वाली सभी संक्रांतियों में से सूर्य के राशि चक्र की सातवीं राशि तुला में गोचर को तुला संक्रांति कहते हैं।
वर्ष 2025 के अक्टूबर माह में सूर्य देव कन्या राशि से निकलकर तुला राशि में गोचर करेंगे, तब इस अवधि को शुभ माना जाएगा। शायद ही आप जानते होंगे कि तुला संक्रांति का संबंध मौसम में होने वाले परिवर्तन, फसलों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और विभिन्न परंपराओं से भी है। यह एक ऐसा पर्व है जो विज्ञान, भक्ति और धर्म-संस्कृति का प्रतीक माना जाता है।
एस्ट्रोसेज एआई के “तुला संक्रांति 2025” के इस विशेष ब्लॉग के माध्यम से आप इस पर्व के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के बारे में जान सकेंगे। साथ ही, आपको तुला संक्रांति 2025 पर किए जाने वाले सरल एवं प्रभावी उपायों की भी जानकारी प्रदान करेंगे। तो आइए बिना देर किए शुरुआत करते हैं इस लेख की।
तुला संक्रांति 2025: तिथि और मुहूर्त
तुला संक्रांति की तिथि: 17 अक्टूबर 2025, शुक्रवार
पुण्य काल मुहूर्त: सुबह 10 बजकर 05 मिनट से शाम 05 बजकर 43 मिनट तक।
अवधि: 07 घंटे 38 मिनट
महापुण्य काल मुहूर्त: दोपहर 12 बजे से 03 बजकर 48 मिनट तक।
अवधि: 03 घंटे 49 मिनट
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वैदिक ज्योतिष में संक्रांति का महत्व
वैदिक ज्योतिष में संक्रांति शब्द का अर्थ सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में जाने से होता है। जैसे कि हम जानते हैं कि सूर्य देव हर महीने एक राशि में लगभग 30 से 31 दिन यानी कि एक महीने रहते हैं, इसलिए इनका गोचर हर महीने होता है। ऐसे में, सूर्य के राशि परिवर्तन को महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि सूर्य देव को ज्योतिष में नवग्रहों के राजा का पद प्राप्त है। ऐसे में, हर माह होने वाला सूर्य का गोचर संसार के साथ-साथ मानव जीवन को भी प्रभावित करता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, एक वर्ष में कुल 12 संक्रांति तिथि आती है जो सूर्य के एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश का प्रतिनिधित्व करती है।
मेष संक्रांति: सूर्य मेष राशि में गोचर करता है।
वृषभ संक्रांति: सूर्य वृषभ राशि में गोचर करता है।
मिथुन संक्रांति: सूर्य मिथुन राशि में गोचर करता है।
कर्क संक्रांति: सूर्य कर्क राशि में गोचर करता है।
सिंह संक्रांति: सूर्य सिंह राशि में गोचर करता है।
कन्या संक्रांति: सूर्य कन्या राशि में गोचर करता है।
वृश्चिक संक्रांति: सूर्य वृश्चिक राशि में गोचर करता है।
धनु संक्रांति: सूर्य धनु राशि में गोचर करता है।
मकर संक्रांति: सूर्य मकर राशि में गोचर करता है।
कुंभ संक्रांति: सूर्य कुंभ राशि में गोचर करता है।
मीन संक्रांति: सूर्य मीन राशि में गोचर करता है।
प्रत्येक संक्रांति का धार्मिक, ज्योतिष और आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष महत्व होता है जिसे हमारे देश के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग पर्वों, परंपराओं और मान्यताओं के रूप में मनाया जाता है।
तुला संक्रांति 2025: वैदिक ज्योतिष में तुला राशि का महत्व
राशि चक्र की सातवीं राशि तुला का प्रतीक चिन्ह तराजू है और इस राशि के जातकों में आंतरिक क्षमताएं और संतुलन बनाकर चलने के गुण जन्मजात होते हैं। एक तरफ, जहां अन्य राशियों के प्रतीक चिन्ह पशु या मानव आदि रूप में होते हैं, तो वहीं तुला राशि को न्याय, समानता और निष्पक्षता के प्रतीक द्वारा चिन्हित किया गया है। तुला राशि का प्रतीक चिन्ह हमें शिक्षा देता है कि जीवन में संतुलन बनाकर चलना आवश्यक होता है। आपको अपने कर्मों के फल अवश्य मिलते हैं और जीवन में संतुलन कायम करने से ही शांति प्राप्त की जा सकती है।
तुला संक्रांति 2025: ज्योतिषीय दृष्टि से सूर्य की तुला राशि में स्थिति
वैदिक ज्योतिष में तुला राशि के अधिपति देव शुक्र ग्रह को माना गया है जो प्रेम, रिलेशनशिप, सुंदरता और विलासिता के कारक ग्रह हैं। जब उग्र ग्रह सूर्य देव तुला राशि में प्रवेश करते हैं, तब इस राशि में सूर्य की स्थिति नीच की होती है। सामान्य शब्दों में कहें तो, तुला राशि में सूर्य की स्थिति कमज़ोर होती है और वह ज्यादा अच्छे परिणाम देने में समर्थ नहीं होते हैं। तुला राशि में सूर्य की मौजूदगी व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन दोनों को प्रभावित करती है।
बता दें कि ग्रहों के जनक सूर्य महाराज अधिकार, आत्मा, नेतृत्व क्षमता, अहंकार और जीवन शक्ति को नियंत्रित करते हैं, जबकि तुला राशि संतुलन, आपसी सहयोग और निष्पक्षता की राशि है। ऐसे में, सूर्य देव के तुला राशि में नीच अवस्था में होने से अहंकार, अधिकार जैसे गुणों पर विनम्रता, मानवता और आपसी सहयोग जैसे गुण हावी होंगे। इसके परिणामस्वरूप, तुला संक्रांति का पर्व अक्सर मानव को निजी और सामाजिक जीवन में संतुलन बनाकर चलने के लिए प्रेरित करता है।
तुला संक्रांति 2025 का महत्व
जब सूर्य देव तुला राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे तुला संक्रांति कहा जाता है जिसको हिंदू धर्म में विशेष महत्व दिया गया है। इस पर्व को हर साल अक्टूबर के मध्य में मनाया जाता है और यह कोई सामान्य खगोलीय घटना नहीं होती है, बल्कि यह दान, संतुलन और कृतज्ञता का भी प्रतीक मानी जाती है।
ज्योतिष में तुला राशि का प्रतीक चिन्ह तराजू है और यह संतुलन और न्याय को दर्शाता है। जब सूर्य का तुला राशि में गोचर होता है, तो यह एक ऐसी अवधि होती है जब विनम्रता, सौहार्द और न्याय को बढ़ावा मिलता है। जैसे कि हम आपको ऊपर भी बता चुके हैं कि सूर्य तुला राशि में दुर्बल अवस्था में होने के कारण जातकों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। इसके परिणामस्वरूप, अहंकार और अधिकार में कमी आएगी और सौहार्द, विनम्रता और समानता में वृद्धि होगी। यह अवधि जातकों के लिए स्वयं के बारे में सोच-विचार करने, धैर्य रखने और अपने मन में दया पैदा करने की होगी।
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तुला संक्रांति 2025 का धार्मिक महत्व
धार्मिक दृष्टि से तुला संक्रांति के दिन आप दान और स्नान के माध्यम से अपने पूर्व जन्मों के पाप से मुक्ति पा सकते हैं। इस तिथि को मुख्य रूप से पवित्र नदियों में स्नान के लिए बहुत शुभ माना जाता है जो आपके तन और मन को शुद्ध करता है। तुला संक्रांति के दिन की गई सूर्य देव की पूजा आपके जीवन से सभी समस्याओं को दूर करती है, आपके विचारों को स्पष्ट बनाती है और सुख-शांति से पूर्ण जीवन का आशीर्वाद देती है। इसके अलावा, तुला संक्रांति के दिन किया गया दान कल्याणकारी माना जाता है जिसे महादान भी कहा जाता है। इस अवसर पर गेहूं, वस्त्र और घी का दान करना पुण्यदायक होता है।
तुला संक्रांति का संबंध ऋतु में परिवर्तन से भी होता है क्योंकि इस दिन से वर्षा ऋतु समाप्त हो जाती है और शरद ऋतु का आगमन होता है। हिंदू धर्म में तुला संक्रांति का त्योहार भगवान गणेश और माता लक्ष्मी से भी जुड़ा है। मान्यता है कि तुला संक्रांति पर इनके पूजन से जातक को धन-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। तुला संक्रांति को गर्भाना संक्रांति भी कहा जाता है और इसे देश के कुछ हिस्सों, विशेषकर कर्नाटक और उड़ीसा बहुत धूमधाम से मनाया जाता है, जिसके बारे में आगे विस्तार से बात करेंगे।
तुला संक्रांति 2025 और धार्मिक अनुष्ठान
तुला संक्रांति के पर्व को देश भर में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है, विशेष रूप से दक्षिण भारत के उड़ीसा और कर्नाटक राज्य में। चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कैसे मनाया जाता है इन राज्यों में तुला संक्रांति को।
उड़ीसा
उड़ीसा में तुला संक्रांति को गर्भाना संक्रांति के रूप में मनाया जाता है।
इस अवसर पर किसान फसल की अच्छी पैदावार के लिए ईश्वर के प्रति आभार व्यक्त करते हैं और खेती में उपयोग होने वाले औजारों और मवेशियों की पूजा करते हैं।
महिलाएं अपने घर-परिवार की समृद्धि के लिए कई तरह के अनुष्ठान करती हैं।
मान्यता है कि तुला संक्रांति के दिन माँ दुर्गा आपके घर आती हैं और आपको अपना आशीर्वाद देती हैं।
कर्नाटक
कर्नाटक में मुख्य तौर पर कुर्ग (कोडागु) में तुला संक्रांति को कावेरी संक्रमण के रूप में मनाया जाता है।
ऐसा माना जाता है कि इस अवसर पर कावेरी नदी अपना जल शुद्ध करती है और तुला संक्रांति के दिन लोग तालकावेरी से जल लेकर जाते हैं और उससे विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान संपन्न करते हैं।
विवाहित महिलाएं अपने परिवार और पति की लंबी आयु के लिए पूजा-अर्चना करती हैं।
भारत के विभिन्न राज्यों में तुला संक्रांति के दिन सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है और नदियों के पवित्र जल में स्नान किया जाता है। साथ ही, इस तिथि पर खिचड़ी बनाने की भी परंपरा है। तुला संक्रांति के मौके पर कई तरह के मेले और समारोह आयोजित किए जाते हैं। वहीं, दक्षिण भारत में सूर्य का तुला राशि में गोचर का संबंध कृषि से है क्योंकि साल भर किसान अच्छी फसल के लिए बारिश की प्रार्थना करते हैं।
उड़ीसा में तुला संक्रांति 2025 के अवसर पर लोगों द्वारा नए कपड़े पहनने की परंपरा है और इसे एक नए दौर का प्रतीक माना जाता है। इस पर्व को बहुत हर्षोल्लास और उत्साह से मनाने का विधान है। इस दिन भिन्न-भिन्न पकवान और व्यंजन बनाए जाते हैं और पूरा परिवार एक साथ मिलकर इनका आनंद लेता है। कर्नाटक में तुला संक्रांति को कावेरी संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है और यहाँ इस पर्व की एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है। इस दिन लोग मांस-मदिरा का त्याग करते हुए शाकाहारी भोजन करते हैं और परिवार के साथ भोजन करते हैं।
तुला संक्रांति की पौराणिक कथा
हिंदू धार्मिक ग्रंथों में से एक स्कंद पुराण में कावेरी नदी की उत्पत्ति के संबंध में कथा का वर्णन मिलता है और इस कथा के अनुसार, प्राचीन समय में लोपामुद्रा नाम की एक युवती थी जिसे संसार के रचयिता ब्रह्मा जी की पुत्री विष्णुमाया के नाम से भी जाना जाता था। इस कन्या को ऋषि कावेरा ने गोद लिया था और वह अपनी पुत्री को प्यार से कावेरी कहकर पुकारा करते थे।
कावेरी अत्यंत सुन्दर थी और उसके सौंदर्य पर ऋषि अगस्त्य मोहित हो गए थे, और उन्होंने कावेरी से विवाह कर लिया। एक दिन वह अपने ध्यान में इतने लीन हो गए कि उन्होंने अपनी पत्नी को नज़रअंदाज़ कर दिया। पति से उपेक्षित होकर कावेरी बेहद दुखी हुई और उन्होंने ऋषि अगस्त्य के स्नान कुंड में प्रवेश करके स्वयं को बहते जल की धारा में परिवर्तित कर लिया। इस प्रकार, वह स्नान कुंड से एक पवित्र नदी कावेरी के रूप में बाहर आई जिन्होंने अपने जल से मानव का कल्याण किया और भूमि को अपने जल से उपजाऊ बनाया। इस प्रकार, कावेरी नदी ने मानव जीवन का कल्याण किया और कोडागु क्षेत्र में अपने जल से उर्वरता लेकर आई, जिससे यह क्षेत्र समृद्धशाली बना।
कावेरी नदी अपने मार्ग पर आगे बढ़ते हुए अन्य नदियों जैसे काबिनी, हेमावती और भवानी से मिलती है। कावेरी नदी विभिन्न राज्यों से निकलते हुए बंगाल की खाड़ी में जाकर मिल जाती है। तुला संक्रांति के अवसर पर भक्त कावेरी नदी के जल में पवित्र स्नान करते हैं और देवी का आशीर्वाद व कृपा प्राप्त करते हैं।
सूर्योदय के समय आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें और जल में लाल फूल, चावल और गुड़ मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें।
पवित्र नदी के जल विशेष रूप से कावेरी नदी में डुबकी लगाएं या स्नान के पानी में गंगाजल मिलाकर नहाएं। साथ ही, नदी में स्नान करते समय सूर्य मंत्र का जाप करें।
तुला संक्रांति के दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार सफेद वस्त्र, अनाज, गुड़, धन, तिल आदि का दान करें। मान्यता है कि इन चीज़ों का दान करने से पूर्वजन्मों के कर्ज़ से मुक्ति मिलती है।
उड़ीसा में तुला संक्रांति के मौके पर देवी लक्ष्मी को नई फसल से कटे हुए चावल और करी के पौधे अर्पित किए जाते हैं जबकि कर्नाटक में देवी पार्वती को पान, चूड़ियां और चंदन का लेप लगाते हैं।
तुला संक्रांति 2025 पर राशि अनुसार करें ये उपाय
मेष राशि
मेष राशि के जातक तुला संक्रांति 2025 पर चावल और चीनी का दान करें।
वृषभ राशि
वृषभ राशि वालों के लिए तुला संक्रांति के मौके पर सफेद रंग के वस्त्र दान करना और किसी वृद्ध महिला की सहायता करना फलदायी साबित होगा।
मिथुन राशि
मिथुन राशि के जातकों के लिए तुला संक्रांति के अवसर पर गायत्री मंत्र का जाप करना शुभ रहेगा। साथ ही, धन की देवी माता लक्ष्मी को दूर्वा घास अर्पित करें।
कर्क राशि
कर्क राशि के जातक तुला संक्रांति 2025 पर माँ पार्वती की पूजा करें और इस दिन मंदिर में चीनी और घी का दान करें।
सिंह राशि
सिंह राशि वालों को इस अवसर पर आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। इन जातकों को अपनी ऊर्जा का उपयोग सकारात्मक दिशा में करना चाहिए।
कन्या राशि
कन्या राशि के जातक तुला संक्रांति 2025 पर देवी लक्ष्मी की पूजा चावल और धान की फसल से करें। ऐसा करना आपके लिए लाभदायक रहेगा।
तुला राशि
तुला राशि वाले इस दिन माता लक्ष्मी के मंदिर में दीपक जलाएं और दूध से बनी मिठाई का देवी को भोग लगाएं।
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के जातक तुला संक्रांति के दिन क्षेत्रपाल काल भैरव की पूजा करें। साथ ही, देवी लक्ष्मी को प्रसाद के रूप में खीर का भोग लगाएं।
धनु राशि
धनु राशि वाले तुला संक्रांति 2025 पर जरूरतमंदों को चावल, गेहूं और चीनी का दान करें।
मकर राशि
मकर राशि के जातक तुला संक्रांति के दिन माँ पार्वती और देवी लक्ष्मी की पूजा करें। गरीबों को तिल और गुड़ का भी दान करें।
कुंभ राशि
कुंभ राशि वालों को तुला संक्रांति 2025 पर गरीबों को कंबल, गुड़ चावल और काले चने का दान करना चाहिए।
मीन राशि
मीन राशि वाले इस अवसर पर मंदिर में दूध, दही, चीनी और काले चने का दान करें। साथ ही, कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह ब्लॉग ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. तुला संक्रांति 2025 में कब है?
तुला संक्रांति का पर्व 17 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा और इस दिन सूर्य का तुला राशि में गोचर होगा।
2. क्यों तुला संक्रांति महत्वपूर्ण मानी जाती है?
सूर्य के तुला राशि में प्रवेश को तुला संक्रांति के नाम से जाना जाता है, जिसे संतुलन, न्याय और सौहार्द का प्रतीक माना जाता है। साथ ही, इसका संबंध धन-समृद्धि और कृषि से भी है।
3. तुला संक्रांति पर किस देवी-देवता की पूजा की जाती है?
उड़ीसा में देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है जबकि कर्नाटक में देवी पार्वती की पूजा का विधान है। इसके अलावा, इस दिन सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है।
कब है रमा एकादशी 2025? जानें सही पूजन विधि और उपाय!
रमा एकादशी 2025: हिंंदू धर्म में एकादशी के व्रत का अत्यंत महत्व है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार सालभर में कुल 24 और हर माह 2 एकादशी तिथि पड़ती हैं। प्रत्येक एकादशी का अपना एक अलग महत्व और फल होता है। भगवान विष्णु को समर्पित एकादशियों में रमा एकादशी का नाम भी शामिल है।
मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस एकादशी पर व्रत करता है, उसकी हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है। इस व्रत को परम फलदायी माना जाता है। इस व्रत की महिमा ऐसी है कि इसे करने से श्रद्धालु के जाने-अनजाने में किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं। तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं रमा एकादशी 2025 की तिथि, पूजा मुहूर्त, महत्व, प्रचलित पौराणिक कथा और आसान ज्योतिषीय उपाय के बारे में।
हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन रमा एकादशी मनाई जाती है। इस एकादशी का नाम भगवान विष्णु की पत्नी मां लक्ष्मी जी के नाम रमा पर रखा गया है।
इस दिन महालक्ष्मी के रमा स्वरूप के साथ-साथ भगवान विष्णु के पूर्णावतार केशव स्वरूप की पूजा की जाती है।
रमा एकादशी 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
साल 2025 में रमा एकादशी 17 अक्टूबर, 2025 को शुक्रवार के दिन है।
रमा एकादशी पारणा मुहूर्त: 18 अक्टूबर, 2025 को सुबह 06 बजकर 23 मिनट से 08 बजकर 40 मिनट तक।
अवधि: 2 घंटे 17 मिनट की।
रमा एकादशी 2025 का महत्व
हिंदू मान्यताओं के अनुसार रमा एकादशी अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रमा एकादशी पड़ती है। इसे कार्तिक कृष्ण एकादशी या रंभा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है और यह दीपावली से चार दिन पहले पड़ती है।
रमा एकादशी को सभी एकादशियों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को अपने सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।
कार्तिक मास में देवउठनी एकादशी
कार्तिक मास में रमा एकादशी के अलावा देवउठनी एकादशी भी आती है जिसका खास महत्व है। बात करें, कार्तिक माह की तो इस महीने संसार के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। मान्यता है कि देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु श्रीर सागर में अपनी योग निद्रा से जागते हैं। देवउठनी एकादशी 2025 से ही शुभ एवं मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं। इसके एक दिन बाद तुलसी विवाह भी मनाया जाता है।
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रमा एकादशी 2025 की पूजा विधि
अगर आप भी इस बार रमा एकादशी का व्रत करना चाहते हैं, तो जान लें कि इस दिन की पूजन विधि क्या है:
एकादशी 2025 के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ वस्त्र धारण करें।
अब भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को साफ स्थान पर स्थापित करें।
पूजन स्थल को गंगाजल या शुद्ध जल से साफ करें और वहां पर घी का दीपक जलाएं।
भगवान विष्णु को चंदन, पुष्प, धूप, दीप, फल, और तुलसी के पत्ते अर्पित करें। एकादशी के दिन विष्णु जी के पूजन में तुलसी रखना बहुत शुभ होता है लेकिन ध्यान रखें कि इस दिन तुलसी बिल्कुल न तोड़ें। पूजा के लिए तुलसी का पत्ता एक दिन पहले तोड़कर रख लें।
इसके बाद विष्णु सहस्रनाम या भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें, जैसे: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”।
भगवान विष्णु की कथा सुनें या पढ़ें। कथा सुनने से व्रत का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है।
शाम के समय भगवान विष्णु की पूजा करें। दीप जलाकर, भगवान विष्णु को भोग अर्पित करें और आरती करें।
रमा एकादशी की रात्रि को जागरण करने से भी मनोकामना की पूर्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। भगवान विष्णु के भजन, कीर्तन, और मंत्रों का जाप करें।
रमा एकादशी 2025 की व्रत कथा
रमा एकादशी की कथा के बिना यह व्रत पूरा नहीं होता है। प्राचीन समय में मुचुकुंद नाम का एक पराक्रमी और धर्मनिष्ठ राजा रहता था। राजा मुचुकुंद को भगवान विष्णु में गहरी आस्था थी। वे अपने राज्य में धार्मिक कार्य और यज्ञ कराते रहते थे। उनकी प्रजा अपने राजा से बहुत प्रसन्न एवं सुखी और समृद्ध थी।
राजा की एक सुंदर और सुशील रानी थी जिसका नाम चंपा था। राजा और रानी का एक पुत्र भी था, जिसका नाम शंखधार था। शंखधार बचपन से ही अधर्मी और पापी स्वभाव का था। वह सदैव बुरे कर्म करता और दूसरों को कष्ट पहुंचाता था। उसके पाप कर्मों से राजा और रानी बहुत चिंतित रहते थे, लेकिन शंखधार पर किसी भी प्रकार का उपदेश या सलाह का कोई असर नहीं पड़ता था।
एक बार की बात है कि शंखधार ने राज्य के खजाने को लूट लिया और वहां से भाग गया। उसने सभी धन का दुरुपयोग किया और फिर कंगाल हो गया। जब उसकी बुरी दुर्दशा हुई, तब उसे बहुत दुखी हुआ और वह जंगल की ओर निकल गया। वहां उसने एक ऋषि को तपस्या करते देखा। ऋषि का नाम लोमश ऋषि था, जो भगवान विष्णु के अनन्य भक्त और ज्ञानी थे।
दुखी शंखधार ने ऋषि से अपने कष्टों और पापों का वर्णन किया और प्रायश्चित के लिए मार्गदर्शन पूछा। तब ऋषि ने उसकी बात सुनकर कहा, “हे राजकुमार, तुमने अपने जीवन में बहुत पाप किए हैं, लेकिन अगर तुम भगवान विष्णु की शरण में ले लोग और कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की रमा एकादशी का व्रत रखोगे, तो तुम्हें अपने सारे पापों से मुक्ति मिल जाएगी और तुम्हारे सारे कष्ट दूर हो जाएंगे।”
ऋषि की बात सुनकर शंखधार प्रसन्न हो गया और उसने उनके बताए अनुसार रमा एकादशी 2025 का व्रत किया। उसने रमा एकादशी पर पूरे नियम और विधि से भगवान विष्णु की पूजा की, व्रत रखा और पूरी श्रद्धा से व्रत कथा सुनी। इस व्रत के प्रभाव से उसके सारे पाप नष्ट हो गए और वह पाप से मुक्त हो गया। भगवान विष्णु की कृपा से उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई।
वह अपने पिता के राज्य में वापस लौट आया और एक धार्मिक व सच्चे राजा के रूप में अपने राज्य को संभाला। जो भी व्यक्ति रमा एकादशी 2025 पर इस कथा को सुनता और व्रत रखता है, उसके सारे पाप खत्म हो जाते हैं और उसे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
इस व्रत के प्रभाव से उसके सारे पाप नष्ट हो गए और वह पाप से मुक्त हो गया। भगवान विष्णु की कृपा से उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई। वह अपने पिता के राज्य में वापस लौट आया और एक धार्मिक व सच्चे राजा के रूप में अपने राज्य को संभाला।
हिंदू मान्यताओं और शास्त्रों जैसे कि ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार रमा एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को अपने सभी पाप कर्मों से मुक्ति मिल सकती है। जो भक्त इस दिन भगवान विष्णु की महिमा का ध्यान करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। कई अश्वमेघ यज्ञ और राजसूय यज्ञ करने के बाद जो पुण्य प्राप्त होता है, वह इस एकादशी का व्रत रखने मात्र से मिल सकता है। श्रद्धा भाव से इस व्रत को रखने वाले लोगों को अपने जीवन में सफलता मिलती है।
रमा एकादशी पर क्या करते हैं
रमा एकादशी पर व्रत रखना बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस व्रत की शुरुआत एकादशी तिथि से एक दिन पूर्व दशमी पर ही हो जाती है। इस दिन कुछ खास चीज़ों को खाने की मनाही होती है और सूर्यास्त से पहले केवल एक बार सात्विक भोजन ही करना होता है। व्रत के समापन को पारण कहा जाता है जो कि द्वादश तिथि पर होता है।
यदि कोई व्यक्ति एकादशी 2025 पर व्रत नहीं भी रख रहा है, तो उसे भी इस दिन चावल और अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए।
रमा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी में स्नान करें। इस दिन भगवान विष्णु की सच्चे मन से पूजा की जाती है। उन्हें फल, फूल, धूप और दीप आदि दिया जाता है। भक्त एक खास तरह का भोग बनाते हैं और उसे विष्णु जी को अर्पित करते हैं। इसके बाद आरती की जाती है और फिर पूजा में उपस्थित लोगों एवं परिवारजनों को प्रसाद दिया जाता है।
चूंकि, मां लक्ष्मी का ही नाम रमा है इसलिए रमा एकादशी पर उनकी भी भगवान विष्णु के साथ पूजा की जाती है। इससे घर में सुख-समृद्धि और आरोग्यता आती है।
रातभर रमा एकादशी पर भजन-कीर्तन किया जाता है। इस दिन भगवद् गीता का पाठ करना बहुत शुभ माना गया है।
रमा एकादशी 2025 पर धन प्राप्ति के लिए तुलसी के उपाय
आप रमा एकादशी 2025 पर अपनी समस्या के अनुसार निम्न उपाय कर सकते हैं:
रमा एकादशी 2025 पर पैसों की तंगी दूर करने का उपाय
इस एकादशी पर विष्णु जी को श्रीफल और तुलसी की मंलरी अर्पित करनी चाहिए। पूजा के बाद एक लाल रंग का कपड़ा लें और उसमें नारियर को तुलसी के साथ रख दें। अगले दिन रमा एकादशी पर इसे मंदिर में दान कर दें। पैसों की तंगी दूर करने के लिए यह एक अचूक उपाय है।
नौकरी पाने का उपाय
यदि आपकी नौकरी नहीं लग पा रही है, तो आपको रमा एकादशी की शाम को तुलसी के पौधे के आगे 11 घी के दीपक जलाकर तुलसी चालीसा का पाठ करें और 7 बार इसकी परिक्रमा करें। इस उपाय को करने से आपकी नौकरी में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
रमा एकादशी 2025 पर आर्थिक तंगी दूर करने के लिए
अगर आपके घर में पैसों की कमी है, तो रमा एकादशी पर तुलसी के पूजन का बहुत महत्व है। इस दिन स्नान करने के बाद तुलसी पर जल या कच्चा दूध चढ़ाएं।
धन-धान्य के लिए
अगर आप अपने घर को धन-धान्य से संपन्न करना चाहते हैं, तो रमा एकादशी पर कपड़े, कामधेनु गाय की मूर्ति, पितरों के नाम जौ और काले तिल, अन्न और तुलसी का पौधा का दान करें।
बिज़नेस में तरक्की पाने के लिए रमा एकादशी 2025 पर क्या करें
व्यापारी रमा एकादशी पर अपने बिज़नेस को बढ़ाने के लिए तुलसी के पौधे को गंगाजल से साफ कर के उस पर पीले रंग का कपड़ा ओढ़ा दें। इस उपाय से धन से संबंधित परेशानियां दूर होती हैं।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1. रमा एकादशी 2025 पर आर्थिक तंगी दूर करने के लिए क्या करें?
उत्तर. तुलसी का पूजन करें।
प्रश्न 2. साल 2025 में रमा एकादशी कब है?
उत्तर. साल 2025 में रमा एकादशी 17 अक्टूबर, 2025 को शुक्रवार के दिन है।
प्रश्न 3. रमा एकादशी पर किसकी पूजा की जाती है?
उत्तर. भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है।
गुरु का कर्क राशि में गोचर: राजनीति, व्यापार और समाज में बड़ा बदलाव
एस्ट्रोसेज एआई के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको बृहस्पति का कर्क राशि में गोचरके बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। साथ ही, यह भी बताएंगे कि गुरु के गोचर का प्रभाव सभी 12 राशियों पर किस प्रकार से पड़ेगा।
बता दें कुछ राशियों को गुरु के गोचर से बहुत अधिक लाभ होगा तो, वहीं कुछ राशि वालों को इस अवधि बहुत ही सावधानी से आगे बढ़ने की आवश्यकता होगी क्योंकि उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, इस ब्लॉग में गुरुग्रह को मजबूत करने के कुछ शानदार व आसान उपायों के बारे में भी बताएंगे और देश-दुनिया व शेयर मार्केट पर भी इसके प्रभाव के बारे में चर्चा करेंगे।
बता दें कि गुरु का कर्क राशि में गोचर 19 अक्टूबर 2025 की दोपहर 12 बजकर 57 मिनट पर होगा। तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं किस राशि के जातकों को इस दौरान शुभ परिणाम मिलेंगे और किन्हें अशुभ।
गुरु का कर्क राशि में गोचर: ज्योतिष में बृहस्पति का महत्व
ज्योतिष में बृहस्पति, जिस गुरु या बृहस्पति देव भी कहा जाता है, ज्ञान, समृद्धि और विस्तार का ग्रह माना जाता है। यह शिक्षा, आध्यात्मिकता, नैतिकता, धन, भाग्य और उच्च ज्ञान का प्रतीक है। इसलिए इसे अक्सर देवताओं का गुरु भी कहा जाता है। ज्योतिष में बृहस्पति को शुभ ग्रह माना जाता है, जो जिस भी कुंडली में स्थिति होते हैं, वहां आशावाद, प्रगति, दानशीलता और दिव्य आशीर्वाद लाते हैं।
यदि बृहस्पति मजबूत हो तो व्यक्ति को धन, ज्ञान, मान-सम्मान और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। वहीं यदि बृहस्पति कमजोर या अशुभ स्थिति में हो तो जीवन में आर्थिक अस्थिरता, गलत फैसले लेने की आदत या सोच में उलझन जैसी परेशानियां आ सकती हैं। बृहस्पति धनु और मीन राशि के स्वामी होते हैं। यह कर्क राशि में उच्च का और मकर राशि में नीच के होते हैं।
कुंडली के दूसरे, पांचवें, नौवें और ग्यारहवें भाव पर इसका विशेष प्रभाव रहता है। इसलिए यह ग्रह भौतिक सफलता और आध्यात्मिक संतुलन दोनों के बीच राह दिखाने वाला मार्गदर्शक माना जाता है।
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
गुरु का कर्क राशि में गोचर: विशेषताएं
बृहस्पति ज्ञान, आध्यात्मिकता और समृद्धि का ग्रह है, जो हमें आत्म-प्रकाश और आध्यात्मिक विकास की राह दिखाता है। कर्क राशि संवेदनशीलता, भावनाओं और सहज-बुद्धि से जुड़ी होती है, ये हमारे पोषण करने वाले, स्नेह और देखभाल करने वाले पक्ष को दर्शाती है।
जब किसी व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति कर्क राशि में स्थित होता है, तो यह संयोजन भावनात्मक और आध्यात्मिक विकास के लिए अनुकूल होता है। इस स्थिति में व्यक्ति अपनी सहज-बुद्धि का सही उपयोग कर जीवन की जटिल परिस्थितियों को समझ सकता है और उनमें सफलता पा सकता है।
कर्क में बृहस्पति व्यक्ति के भीतर विस्तार, सफलता और आध्यात्मिक जागृति को प्रोत्साहित करता है। यह व्यक्ति को ज्ञान और विवेक का सहज अनुभव देता है, साथ ही उसकी देखभाल करने वाला और स्नेही प्रकृति को भी मजबूत करता है। इस प्रभाव से किसी व्यक्ति की भावनात्मक बुद्धिमत्ता बढ़ती है, जिससे वह रिश्तों और परिस्थितियों की गहराई को बेहतर समझ पाता है।
जिन्हें अपनी सहज-बुद्धि का सही इस्तेमाल करना आता है, वे इन परिस्थितियों से लाभ उठाकर अपने व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में तरक्की कर सकते हैं। कर्क राशि में बृहस्पति का प्रभाव व्यक्ति को धैर्य, समझदारी और सकारात्मक दृष्टिकोण से काम करने की क्षमता देता है, जिससे जीवन में चुनौतियों का सामना करना आसान हो जाता है।
गुरु का कर्क राशि में गोचर: इन राशियों पर पड़ेगा सकारात्मक प्रभाव
मेष राशि
मेष राशि के जातकों के लिए गुरु का कर्क राशि में गोचर बेहद फलदायी रहने वाला है। इस समय भाग्य के स्वामी ग्रह जो अब तक आपके नौवें और द्वादश भाव में स्थित था, आपके चौथे भाव में प्रवेश कर रहा है। इस गोचर से आपको आध्यात्मिक रूप से प्रबुद्धता मिलेगी और मातृस्नेह का अत्यंत सशक्त समर्थन मिलेगा। इस दौरान आप अपने भौतिक और आर्थिक लक्ष्यों को भी आसानी से प्राप्त कर पाएंगे। धार्मिक गतिविधियों में आपकी रुचि बढ़ेगी और तीर्थयात्राओं का आयोजन या भागीदारी अधिक होगी।
मित्र और सहकर्मी आपकी मदद करेंगे और आपको नए-नए अनुभवों और जगहों से परिचित कराएंगे। साथ ही, बहनोंं के साथ आपके रिश्ते और अधिक मजबूत होंगे, जिससे आपके जीवन में आनंद और संतोष की अनुभूति होगी। व्यापारिक मामलों में भी यह समय अनुकूल है। बृहस्पति की आठवें, दसवें और बारहवें भाव पर दृष्टि आपके व्यवसाय में वृद्धि, वैवाहिक, प्रेम में सुधार, रिश्तों में सामंजस्य और आय में संभावित वृद्धि लाएगी।
कुल मिलाकर, यह गोचर मेष राशि के जातकों के लिए धार्मिक, पारिवारिक, आर्थिक और व्यावसायिक सभी क्षेत्रों में सकारात्मक परिणाम लाएगा। इस समय का सही उपयोग करने से जीवन में संतुलन और समृद्धि दोनों की प्राप्ति होगी।
मिथुन राशि के जातकों के लिए कर्क राशि में बृहस्पति का गोचर शुभ रहेगा। इस समय आपका भाग्य और सफलता का ग्रह बृहस्पति आपके द्वितीय भाव में प्रवेश कर रहा है, जो परिवार, वाणी और आय का कारक होता है। खास बात यह है कि बृहस्पति अपने ही राशि में स्थित होने से आपके जीवन पर बहुत ही सकारात्मक प्रभाव डालेगा। इस गोचर से आपके बच्चों से जुड़े सुखद समाचार मिलेंगे। यदि आप माता-पिता बनने की इच्छा रखते हैं, तो इस अवधि में आपके सपने पूरे होने की संभावना है।
शिक्षा और अध्ययन के क्षेत्र में भी सफलता प्राप्त होगी। आप अपने सीखने के लक्ष्यों को आसानी से हासिल करेंगे और अध्ययन में आपकी रुचि और भी बढ़ेगी। विवाह के अवसर भी इस समय बढ़ेंगे। यदि आप अविवाहित हैं, तो शादी के लिए अनुकूल समय है। विवाहित जोड़ों के लिए यह गोचर वैवाहिक जीवन सामंजस्य और प्यार बढ़ाएगा, जिससे संबंधों में संतोष और खुशी बढ़ेगी।
व्यवसाय और आय के क्षेत्र में भी लाभ के योग बनेंगे। इस समय आपको समाज के प्रतिष्ठित और प्रभावशाली लोग मिल सकते हैं, जो आपके व्यवसाय और सामाजिक प्रतिष्ठा को बढ़ाने में मदद करेंगे। आय में वृद्धि और लाभकारी व्यावसायिक अवसरों का लाभ लेने का यह समय अनुकूल रहेगा। कुल मिलाकर यह गोचर मिथुन राशि के जातकों के लिए परिवार, शिक्षा, विवाह, व्यवसाय और सामाजिक उन्नति सभी क्षेत्रों में सकारात्मक परिणाम लेकर आएगा।
कर्क राशि
कर्क राशि के जातकों के लिए बृहस्पति आपके पहले भाव में गोचर कर रहे हैं। बृहस्पति का यह गोचर आपके जीवन में धार्मिकता, दान और समाजसेवा के कामों को बढ़ावा देगा। इस समय आप धर्म, पूजा, तीर्थयात्रा और सामाजिक कल्याण के कार्यों में अधिक रुचि लेंगे। इससे न केवल मानसिक संतोष मिलेगा बल्कि दूसरों के बीच आपका मान-सम्मान भी बढ़ेगा। धार्मिक यात्रा और लंबी दूरी की यात्राओं की संभावना बढ़ जाएगी। यदि आप पूरी मेहनत और प्रयास करेंगे, तो विदेश यात्रा और अध्ययन के अवसर भी मिल सकते हैं। इस दौरान अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना जरूरी है।
मोटापे या पेट संबंधी समस्याओं के कारण कभी-कभी पेट या पाचन से जुड़े रोग हो सकते हैं। साथ ही, बृहस्पति के चौथे, छठे और आठवें भाव पर प्रभाव के कारण कुछ खर्चे अचानक बढ़ सकते हैं। इस गोचर के दौरान परिवार के सुख संपत्ति और सामंजस्य बढ़ेगा। पारिवारिक वातावरण में संतुलन आएगा और आप अपने घर की स्थिति से अधिक संतुष्ट महसूस करेंगे। ससुराल से भी खुशखबरी मिलने की संभावना है।
अक्टूबर में बृहस्पति का आपके राशि में प्रवेश करना आपके लिए सौभाग्यशाली रहेगा। शिक्षा, धन, संतान, वैवाहिक जीवन, व्यवसाय और भाग्य में अनुकूल परिणाम प्राप्त होंगे। यह समय राजयोग जैसे फल देने वाला माना जा सकता है। दिसंबर में बृहस्पति का बारहवें घर में वक्री होना स्वास्थ्य और खर्चों में कुछ बढ़ोतरी कर सकता है इसलिए इस समय अतिरिक्त सावधानी और व्यय प्रबंधन की आवश्यकता होगी। कुल मिलाकर, कर्क राशि के जातकों के लिए यह अवधि धार्मिकता, पारिवारिक सुख, शिक्षा और भाग्य में वृद्धि के लिहाज से बेहद शुभ रहेगी।
सिंह राशि के जातकों के लिए बृहस्पति आपके बारहवें भाव में गोचर करेंगे। इस समय आपके लिए विदेश में सफलता के अवसर बढ़ेंगे और आर्थिक परेशानियां धीरे-धीरे कम होंगी। धन अर्जित करना आसान होगा और आपकी आय में सुधार आएगा। नौकरी या व्यवसाय में आपके उचित वेतन और लाभ मिलने की संभावना बढ़ेगी। पुराने आर्थिक मसले सुलझेंगे और धन संबंधित मामलों में राहत महसूस होगी। बृहस्पति का चौथे, छठे और आठवें भाव पर दृष्टि बनी रहने के कारण वैवाहिक मामलों में भी सुधार आएगा।
यदि आप अविवाहित हैं, तो शादी के अवसर बढ़ सकते हैं। प्रेम संबंध अधिक मजबूत और रोमांचक रहेंगे। संतान से जुड़े मामलों में वृद्धि होगी, यदि आपकी इच्छा है तो माता-पिता बनने का अवसर भी मिल सकता है। शैक्षिक क्षेत्र में भी इस समय सफलता प्राप्त होगी। विद्यार्थियों के लिए यह समय अध्ययन और परीक्षा में अच्छे परिणाम लाने वाला रहेगा। साथ ही, अचानक धन लाभ की संभावना भी बनी रहेगी।
किसी तरह की संपत्ति का उत्तराधिकार में मिलना या गुप्त धन प्राप्त होना संभव है। भाई-बहनों के साथ संबंध सुधारने का भी यह समय उपयुक्त है। परिवार में मेलजोल और सहयोग बढ़ेगा। कुल मिलाकर, सिंह राशि जातकों के लिए यह अवधि धन, विदेश में अवसर, शैक्षिक सफलता और पारिवारिक संबंधों में सुधार के लिहाज से अत्यंत शुभ रहेगी।
कुंभ राशि
कुंभ राशि वालों के लिए बृहस्पति धन (द्वितीय भाव) और लाभ (एकादश भाव) के स्वामी हैं। वर्ष 2025 में यह आपकी राशि के छठे भाव से गोचर करेंगे। इस दौरान आपके धन कमाने के अवसर बढ़ेंगे। आप आर्थिक रूप से मजबूत बनेंगे और आपकी योजनाएं सफल होंगी। मनचाही इच्छाएं पूरी हो सकती हैं और आमदनी में बढ़ोतरी के अच्छे योग बनेंगे। नौकरीपेशा लोग तरक्की पा सकते हैं और चाहे तो इस समय नौकरी बदलने का भी सही मौका मिलेगा।
बृहस्पति की दृष्टि आपके दूसरे आठवें भाव और दसवें भाव पर रहेगा। इसका असर यह होगा कि आपकी संतान में अच्छे संस्कार और संस्कृति आएगी। पढ़ाई-लिखाई में आपको सफलता मिलेगी। उच्च शिक्षा और डिग्री प्राप्त करने के बाद अच्छे अवसर मिलने के योग हैं। इस समय आप धन कमाने के नए-नए रास्ते खोजेंगे। बच्चों से जुड़ी कोई शुभ खबर मिल सकती है।
स्वास्थ्य में सुधार होगा और पुराने रोगों से राहत मिलेगी। सबसे अच्छी बात यह है कि आपके निर्णय लेने की क्षमता और आत्मविश्वास बढ़ेगा, जिससे आप सही फैसले ले पाएंगे। कुल मिलाकर, कुंभ राशि वालों के लिए यह गोचर धन, नौकरी, शिक्षा, संतान और स्वास्थ्य सभी मामलों में सकारात्मक परिणाम लाने वाले रहेगा।
मीन राशि
मीन राशि के जातकों के लिए बृहस्पति का यह गोचर बहुत महत्वपूर्ण रहेगा क्योंकि बृहस्पति आपकी राशि लग्न और कर्म भाव (दसवें भाव) दोनों के स्वामी हैं। यह गोचर आपकी राशि के पांचवें भाव में होगा। इस समय आप अपने काम में पूरी मेहनत और ध्यान देंगे, जिससे आपको कार्यक्षेत्र में सफलता मिलेगी। आपकी मेहनत रंग लाएगी और उन्नति के अवसर बढ़ेंगे। हालांकि, खर्चों में भी बढ़ोतरी होगी क्योंकि बृहस्पति यहां से आपके भाग्य (नौवें भाव) लाभ (एकादश भाव) और लग्न (प्रथम भाव) को देखेगा। इससे आपके जीवन में लंबी उम्र और ससुराल पक्ष को भी मिलेगा।
इस दौरान ससुराल पक्ष से शुभ समाचार मिल सकता है। काम के सिलसिले में आपको एक शहर से दूसरे शहर यात्रा करनी पड़ सकती है। अक्टूबर का समय बच्चों के लिए और धन कमाने के लिहाज़ से बहुत अच्छा रहेगा। इस समय प्रेम संबंधों में भी सफलता मिलेगी और रिश्ते मजबूत होंगे।
लेकिन दिसंबर से जब बृहस्पति वक्री होकर चौथे भाव में आएगा, तब पारिवारिक तनाव बढ़ सकता है। परिवार में असंतुलन की स्थिति बन सकती है। ऐसे समय में आपको अधिक धैर्य और मेहनत करनी होगी। काम और घर दोनों जगह जिम्मेदारियों को निभाने में सतर्क रहना जरूरी रहेगा। कुल मिलाकर, यह गोचर आपके लिए काम, धन, संतान और प्रेम जीवन में शुभ रहेगा, लेकिन साल के अंत में परिवार से जुड़े मामलों पर अधिक ध्यान देने की जरूरत होगी।
गुरु का कर्क राशि में गोचर: इस राशि पर पड़ेगा नकारात्मक प्रभाव
कन्या राशि
कन्या राशि वालों के लिए बृहस्पति चौथे और सातवें भाव के स्वामी हैं। साल 2025 में जब बृहस्पति कर्क राशि में गोचर करेंगे, तब यह आपकी राशि के ग्यारहवें भाव में रहेंगे। इस दौरान आपको कार्यस्थल पर कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। कई बार आप जरूरत से ज्यादा आत्मविश्वास में आकर अपने काम को अधूरा छोड़ सकते हैं या काम की गति धीमी हो सकती है।
इसलिए इस समय आपको बेहद समझदारी और चतुराई से काम करना होगा। ऐसे हालात में जरूरी है कि आप जिन कामों को नहीं जानते, उनकी जिम्मेदारी उठाना सीखें और धीरे-धीरे उन्हें पूरा करें। यही समय है जब आपको अपने परिवार की जरूरतों की जिम्मेदारी भी संभालनी होगी। इस गोचर के दौरानबृहस्पतिआपकी राशि के तृतीय, पंचम और अष्टम भाव पर दृष्टि डालेगा। इससे आपके अंदर धन कमाने और संपत्ति बढ़ाने की इच्छा जागेगी। आप अपनी पूरी कोशिश करेंगे कि जितना हो सके उतना धन एकत्रित कर सकें।
गुरु का कर्क राशि में गोचर: उपाय
बृहस्पति जब कर्क राशि में आते हैं तो यह उच्च का हो जाता है। इसे बहुत ही शक्तिशाली और शुभ गोचर माना जाता है, क्योंकि यह आध्यात्मिक प्रगति, धन, ज्ञान और सफलता को बढ़ावा देता है। फिर भी हर व्यक्ति की जन्म कुंडली अलग होती है। इसलिए कई बार कुछ चुनौतियां भी सामने आ सकती है। ऐसे में उपाय करने से कठिनाइयां कम होती हैं और शुभ फल और भी अच्छे प्राप्त होते हैं।
“ॐ गुरुवे नमः” या बृहस्पति बीज मंत्र (प्रतिदिन 108 बार) का जाप करें।
गुरुवार को गुरु पूजा करें और भगवान विष्णु या भगवान बृहस्पति को पीले फूल या मिठाई अर्पित करें।
गुरुवार को हल्दी, चना दाल, पीले कपड़े या केले जैसी पीली वस्तुएं दान करें।
शिक्षकों, पुजारियों या आध्यात्मिक मार्गदर्शकों की मदद करें, उनका समर्थन करने से बृहस्पति का आशीर्वाद बढ़ता है।
गुरुवार का व्रत रखें (सूर्यास्त तक मांसाहार, शराब और नमकीन खाद्य पदार्थों का त्याग करें)।
सत्य और विनम्रता का अभ्यास करें, बृहस्पति नैतिकता और धर्म को पुरस्कृत करता है।
नेता शासन में ज्यादा नरम और दयालु तरीके अपना सकते हैं।
जनता के लिए कल्याणकारी योजनाएं, स्वास्थ्य सेवाएं और आवास सुधारों पर जोर दिया जाएगा।
नैतिक नेतृत्व और न्याय आधारित फ़ैसलों की ओर बढ़ावा मिलेगा।
देश आपसी शांति समझौतों और सहयोगी समझौतों की दिशा में काम कर सकते हैं।
शरणार्थियों या विस्थापित लोगों की मदद और मानवीय सहायता को प्राथमिकता दी जाएगी।
विवादों को सुलझाने के लिए कूटनीति और करुणा से सामूहिक प्रयास किए जाएंगे।
अर्थव्यवस्था, व्यापार और व्यवसाय
रियल एस्टेट, कृषि, खाद्य और पानी से जुड़े उद्योगों में विस्तार देखने को मिलेगा।
परिवार से जुड़े बिज़नेस, हॉस्पिटैलिटी और देखभाल से जुड़े क्षेत्रों में तरक्की होगी।
आर्थिक स्थिति में सकारात्मक बदलाव होंगे, लेकिन भावनाओं पर आधारित फैसले बाजार की स्थिरता को प्रभावित कर सकते हैं।
मानवता, आध्यात्मिकता और शिक्षा क्षेत्र में वृद्धि
कर्क राशि पालन-पोषण, सुरक्षा और देखभाल का प्रतीक है और गुरु (बृहस्पति) बच्चों के स्वाभाविक कारक माने जाते हैं। इस स्थिति में बृहस्पति लोगों में परिवार, बच्चों और समाज की भलाई के प्रति चिंता को और बढ़ा देगा।
खाद्य सुरक्षा योजनाओं, बच्चों की देखभाल से जुड़े कार्यक्रमों, मानवीय प्रोजेक्ट्स और महिलाओं को प्राथमिकता देने वाली नीतियों में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।
कर्क राशि परंपरा से जुड़ी है, इसलिए बृहस्पति का यह गोचर सांस्कृतिक इतिहास, पूर्वजों की परंपराओं और प्राचीन ज्ञान के प्रति लोगों की रुचि को फिर से जगा सकता है।
शिक्षा के क्षेत्र में भी सुधार होंगे, जहां आधुनिक विज्ञान के साथ-साथ नैतिकता, मूल्य और सांस्कृतिक अध्ययन पर भी ज़ोर दिया जाएगा।
गुरु का कर्क राशि में गोचर: शेयर मार्केट रिपोर्ट
गुरु का कर्क राशि में गोचर का शेयर बाजार में प्रभाव जानें तो, रियल एस्टेट, कृषि, खाद्य, जल स्वास्थ्य और घरेलू सेक्टर के लिए तेजी लेकर आ सकता है। लेकिन वैश्विक बाजारों में भावनात्मक उतार-चढ़ाव और संरक्षणवादी नीतियां देखने को मिल सकती हैं। निवेशक सुरक्षित संपत्तियों और परिवार केंद्रित निवेशों को प्राथमिकता देंगे, जबकि अंतरराष्ट्रीय व्यापार थोड़ा धीमा हो सकता है।
इस दौरान निर्माण कंपनियों, आवास वित्त, सीमेंट और निर्माण सामग्री उद्योगों में स्थिर वृद्धि देखी जा सकती है।
किफायती आवास योजनाओं और रियल एस्टेट को समर्थन देने वाली सरकारी नीतियों से बाज़ारों को बढ़ावा मिल सकता है।
कृषि, डेयरी, जैविक खेती, पैकेज्ड फ़ूड और जल-आधारित उद्योग फल-फूल सकते हैं।
सिंचाई, उर्वरक, अनाज और खाद्य आपूर्ति श्रृंखलाओं से जुड़ी कंपनियों का विस्तार हो सकता है।
यदि मांग आपूर्ति से अधिक होती है, तो खाद्य मुद्रास्फीति भी बढ़ सकती है।
कृषि, डेयरी, जैविक खेती, पैकेज्ड फ़ूड और जल-आधारित उद्योग फल-फूल सकते हैं।
सिंचाई, उर्वरक, अनाज और खाद्य आपूर्ति श्रृंखलाओं से जुड़ी कंपनियों का विस्तार हो सकता है। यदि मांग आपूर्ति से अधिक होती है, तो खाद्य मुद्रास्फीति भी बढ़ सकती है।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
1. बृहस्पति किस राशि में और कब गोचर करेगा?
बृहस्पति 19 अक्टूबर, 2025 को कर्क राशि में गोचर करेगा।
2. कर्क राशि पर किस ग्रह का आधिपत्य है?
चंद्रमा
3. बृहस्पति की नीच राशि पर किस ग्रह का आधिपत्य है?
शनि
सूर्य का तुला राशि में गोचर पर बनेगा बेहद शुभ योग, इन पर बरसेगा धन!
सूर्य का तुला राशि में गोचर: एस्ट्रोसेज एआई हमेशा से अपने पाठकों को ज्योतिष की दुनिया में होने वाले परिवर्तनों से अवगत करवाता रहा है, ताकि आप ग्रहों की राशि, चाल और दशा में होने वाले बदलावों और उनका अपने जीवन पर प्रभाव जान सकें। इसी क्रम में, अब जल्द ही सूर्य देव का गोचर होने जा रहा है।
बता दें कि सूर्य देव को वैदिक ज्योतिष में नवग्रहों के जनक माना जाता है और इन्हें जीवन का ग्रह भी कहा जाता है। वैसे तो सूर्य ग्रह का गोचर हर महीने होता है, लेकिन अब लगभग एक साल के बाद सूर्य देव तुला राशि में प्रवेश करने के लिए तैयार हैं जो राशि चक्र की कुछ राशियों के जीवन में बड़े परिवर्तन लेकर आ सकता है। ऐसे में, आत्मा के ग्रह सूर्य का तुला राशि में प्रवेश महत्वपूर्ण साबित होगा।
जैसे कि हम आपको ऊपर बता चुके हैं कि सूर्य का यह गोचर तुला राशि में 365 दिनों के बाद होगा। इसके परिणामस्वरूप, सूर्य के इस गोचर का महत्व बढ़ जाता है क्योंकि यह सभी 12 राशियों के जातकों के जीवन को गहराई से प्रभावित करेगा।
एक तरफ, कुछ राशियों को सूर्य गोचर से बहुत लाभ होगा जबकि कुछ राशियों के लिए यह अवधि समस्याओं से भरी रहेगी। साथ ही, इस दौरान सूर्य देव से शुभ परिणाम पाने के लिए हम आपको सरल एवं अचूक उपाय प्रदान करेंगे। इसके अलावा, देश-दुनिया और शेयर बाजार को भी सूर्य की यह स्थिति कैसे प्रभावित करेंगे, इससे भी रूबरू करवाएंगे।
तो चलिए बिना देर किए शुरुआत करते हैं इस लेख की और सबसे पहले जान लेते हैं सूर्य गोचर का समय।
सूर्य का तुला राशि में गोचर: समय व तिथि
बता दें कि सूर्य का गोचर हर माह होता है और यह 30 दिन एक राशि में रहने के बाद दूसरी राशि में प्रवेश कर जाते हैं। अब सूर्य देव 17 अक्टूबर 2025 की दोपहर 01 बजकर 36 मिनट पर तुला राशि में गोचर करने जा रहे है। ज्योतिष की मानें तो, तुला राशि के स्वामी शुक्र ग्रह हैं और इन्हें सूर्य देव के शत्रु माना जाता है।
इसके फलस्वरूप, सूर्य का यह गोचर आपकी शत्रु राशि में होगा इसलिए इसे ज्यादा अच्छा नहीं कहा जा सकता है। यह एक कमज़ोर स्थिति होगी इसलिए सूर्य सभी राशियों को सकारात्मक परिणाम देने में असमर्थ रह सकते हैं। चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और नज़र डालते हैं सूर्य गोचर 2025 से बनने वाले योगों पर।
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तुला राशि में सूर्य, बुध और मंगल की होगी युति
ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के राशि परिवर्तन से अनेक तरह के शुभ और अशुभ योगों का निर्माण होता है। जहां शुभ योग जातकों के जीवन को धन-संपदा और सफलता से भर देते हैं, तो वहीं अशुभ योगों के प्रभाव से जातकों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
ऐसे में, अब सूर्य का तुला राशि में गोचर 13 सितंबर 2025 को होगा, उस समय वहां पहले से बुद्धि और वाणी के ग्रह बुध देव विराजमान होंगे। इस प्रकार, तुला राशि में सूर्य और बुध युति करेंगे, जिससे बुधादित्य योग का निर्माण होगा।
हालांकि, यह योग सिर्फ़ आठ दिनों तक रहेगा, क्योंकि इसके बाद अर्थात 24 अक्टूबर 2025 को बुध ग्रह वृश्चिक राशि में गोचर कर जाएंगे। बता दें कि सूर्य और बुध के एक साथ एक राशि में होने पर बनने वाला बुधादित्य राजयोग बहुत शुभ माना जाता है।
यह योग जातकों के जीवन को धन-समृद्धि, आय में वृद्धि और सफलता का आशीर्वाद देता है। इसके अलावा, जब तुला राशि में सूर्य का गोचर होगा, उस समय वहां मंगल ग्रह भी मौजूद होंगे।
इस प्रकार, शुक्र देव की राशि तुला में तीन बड़े ग्रह सूर्य, बुध और मंगल एक साथ बैठे होंगे। इन तीन ग्रहों की युति से त्रिग्रही योग का निर्माण होगा। हालांकि, तुला राशि में सूर्य नीच अवस्था में होंगे और ऐसे में, बुधादित्य योग और त्रिग्रही योग आपको अशुभ फल दे सकते हैं। इसके प्रभाव से जातकों के क्रोध में बढ़ोतरी होगी और बने-बनाए काम बिगड़ने लगेंगे।
तुला राशि में सूर्य का प्रभाव
ऐसे जातक जिनका जन्म तुला राशि में सूर्य के अंतर्गत होता है, उन जातकों को महत्वपूर्ण फैसले लेने में समस्या का सामना करना पड़ता है। सरल शब्दों में कहें, तो यह जातक कोई भी फैसला लेने में सामान्य से अधिक समय लेते हैं।
सूर्य की तुला राशि में मौजूदगी से प्रभावित लोग हमेशा दूसरों को प्रसन्न करने के प्रयास में नज़र आते हैं। साथ ही, इन्हें अपने द्वारा किए गए वादों को पूरा करने में समस्याओं से जूझना पड़ता है।
जिन जातकों के जन्म के समय सूर्य तुला राशि में बैठा होता है, उन्हें काम को टालते रहने की आदत होती है।
कोई कार्य मन मुताबिक न होने पर यह स्वयं को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देते हैं। उस समय इन्हें ऐसा लगता है कि इनकी दुनिया बिखर रही है और पूरा संसार इनके खिलाफ हैं।
सूर्य के तुला राशि में होने से यह जातक बिना सोचे-समझे कुछ भी बोल देते हैं, जिससे इनके शब्द दूसरों के दिल को ठेस पहुंचा सकते हैं।
इस राशि में सूर्य से प्रभावित लोग किस परिस्थिति से क्या लाभ होगा, इसके आधार पर ही चीज़ों का चुनाव करते हैं। साथ ही, यह थोड़े घमंडी स्वभाव होते है और दूसरों की राय को महत्व नहीं देते हैं।
आइए अब आपको रूबरू करवाते हैं ज्योतिष में सूर्य ग्रह के महत्व से।
वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह को प्रमुख ग्रह का दर्जा प्राप्त है और जब यह किसी राशि में गोचर करते हैं, तो इस अवधि को धार्मिक कार्यों के लिए बहुत शुभ माना जाता है।
सूर्य गोचर के दौरान आत्म शांति के लिए अनेक तरह के धार्मिक कार्य किए जाते हैं। साथ ही, इस दिन सूर्य पूजा विशेष रूप से की जाती है।
हिंदू पंचांग में जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे एक सौर माह कहा जाता है।
राशि चक्र की 12 राशियों का एक चक्र पूरा करने में सूर्य देव को एक वर्ष का समय लगता है। बता दें कि सूर्य कभी भी अन्य ग्रहों की तरह वक्री, उदित और अस्त नहीं होते हैं।
सूर्य देव व्यक्ति को आशा देते हैं और सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। यह हमें ऊर्जावान रहते हुए जीवन के लक्ष्य पाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
ज्योतिष में सूर्य ग्रह पिता के कारक माने गए हैं जबकि स्त्री की कुंडली में यह पति को दर्शाते हैं।
सूर्य ग्रह सेवा क्षेत्र में उच्च, प्रशासनिक पद और समाज में मान-सम्मान को भी नियंत्रित करते हैं। यह लीडर पद के भी प्रतीक माने जाते हैं।
अगर किसी जातक की कुंडली में सूर्य की महादशा चल रही होती है, तो रविवार के दिन जातक को शुभ परिणामों की प्राप्ति होती है।
सूर्य देव को राशि चक्र में सिंह राशि का स्वामित्व प्राप्त है और यह मेष राशि में उच्च अवस्था में होते हैं और तुला इनकी नीच राशि है।
अब हम आपको बताने जा रहे हैं सूर्य ग्रह से निर्मित होने वाले शुभ योगों के बारे में।
ज्योतिष के अनुसार, जब कुंडली में एक राशि या एक भाव में दो या दो से ज्यादा ग्रह एक साथ मौजूद होते हैं, तो अनेक प्रकार के शुभ और अशुभ योगों का निर्माण होता है। यह योग सकारात्मक और नकारात्मक रूप से जातकों के जीवन को प्रभावित करते हैं। लेकिन, यहां हम आपको सूर्य से बनने वाले शुभ योगों के बारे में बताने जा रहे हैं।
बुधादित्य योग: वैदिक ज्योतिष में बुधादित्य योग की गिनती सबसे शुभ योगों में होती है। इस योग को निपुण योग भी कहा जाता है। ज्योतिष में सूर्य देव को सहनशीलता, जीवन शक्ति और ऊर्जा का कारक माना जाता है जबकि बुध ग्रह बुद्धि, वाणी, और तार्किक क्षमता के कारक हैं। ऐसे में, जब यह दोनों ग्रह एक राशि में विराजमान होते हैं, तब बुधादित्य योग का निर्माण होता है। कुंडली में बुधादित्य योग होने पर जातक बुद्धिमान और हर कार्य में निपुण होता है।
वैशी योग: कुंडली में सूर्य से बनने वाला बेहद शुभ और दुर्लभ राजयोग होता है वेशी योग। इस योग का निर्माण उस समय होता है, जब राहु–केतु और चंद्रमा को छोड़कर कोई भी ग्रह सूर्य से अगले भाव में कोई भी ग्रह न बैठा हो। वेशी योग के प्रभाव से जातकों को बहुत शुभ फल प्राप्त होते हैं और इसके प्रभाव से जातक को धन-धान्यके साथ-साथ मधुर वाणी का आशीर्वाद मिलता है।
कुंडली में कैसे पहचानें कमज़ोर और मज़बूत सूर्य को।
जिन लोगों की कुंडली में सूर्य ग्रह मज़बूत होता है, वह बेहद ज्ञानी होते हैं और समाज में जो भी बोलते हैं, उनकी बात सुनी जाती है। साथ ही, वह मान-सम्मान प्राप्त करते हैं। ऐसे जातक वेदज्ञ, शिक्षक और सलाहकार होते हैं।
कुंडली के लग्न भाव में सूर्य के बैठे होने पर जातक थोड़े अभिमानी स्वभाव के होते हैं और किसी भी तरह के नीच काम का करना पसंद नहीं करते हैं। साथ ही, इनमें नेतृत्व क्षमता कूट-कूट कर भरी होती है।
बलवान सूर्य के प्रभाव से जातकों के चेहरे पर एक अलग ही तेज देखने को मिलता है, जिसकी वजह से वह लोगों के बीच लोकप्रिय होते हैं। इनकी अपनी समाज में एक विशेष पहचान होती है।
आपके व्यक्तित्व पर सूर्य का अत्यधिक प्रभाव होने के कारण आप स्पष्ट और साफ बोलना पसंद करते हैं। इन लोगों को समाज लो पहचान होती है इसलिए इनसे छलकपट करना आसान नहीं होता है।
सूर्य का तुला राशि में गोचर: कमज़ोर सूर्य का प्रभाव
ऐसे जातक जिनकी कुंडली में सूर्य महाराज कमज़ोर अवस्था में होते हैं, उनके भीतर इच्छाशक्ति की कमी देखने को मिलती है।
सूर्य की पीड़ित अवस्था का नकारात्मक असर आपके कार्यक्षेत्र को भी प्रभावित कर सकता है। कुंडली में कमजोर सूर्य होने पर आपके काम बने-बनाए बिगड़ने लगते हैं और उनमें आत्मविश्वास की भी कमी रहती है।
यह लोग सूर्य के दुर्बल अवस्था में होने पर सही और गलत के बीच अंतर को समझ नहीं पाते हैं इसलिए इन्हें फैसला लेने में समस्या का अनुभव होता है।
जिन जातकों का सूर्य अशुभ होता है, उनका रिश्ता पिता के साथ कमजोर हो जाता है और आपको उनके साथ मतभेदों का सामना करना पड़ता है।
सूर्य देव के दुष्प्रभावों से आपको स्वास्थ्य समस्याएं घेर सकती हैं और मान-सम्मान की भी हानि हो सकती है।
सूर्य का तुला राशि में गोचर: इस दौरान करें ये सरल उपाय
सूर्य देव की कृपा पाने के लिए रविवार के दिन व्रत रखें।
नियमित रूप से सूर्य ग्रह के लिए “ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:” मंत्र का जाप करें।
रविवार को स्नान करने के बाद लाल रंग के वस्त्र धारण करें और सूर्योदय के समय सूर्य देव को लाल चंदन, अक्षत और लाल फूल मिलाकर जल का अर्घ्य दें।
रविवार के दिन सूर्य ग्रह को प्रसन्न के लिए नमक का सेवन न करें। संभव हो, तो भोजन में दूध, दलिया, दही, गेहूं की रोटी और चीनी का सेवन करें।
कुंडली में सूर्य देव को बलवान के लिए माणिक्य, तांबा, लाल या पीले रंग के वस्त्र, मसूर दाल, लाल कमल और गेहूं का दान करें।
सूर्य को बलवान करने के लिए आप माणिक्य रत्न भी धारण कर सकते हैं, लेकिन ऐसा किसी अनुभवी और विद्वान ज्योतिषी से सलाह लेने के बाद ही करें।
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. सूर्य का तुला राशि में गोचर कब होगा?
सूर्य देव 17 अक्टूबर 2025 को तुला राशि में गोचर करेंगे।
2. तुला राशि का स्वामी कौन है?
राशि चक्र की सातवीं राशि तुला के स्वामी शुक्र देव हैं।
3. सूर्य की तुला राशि में स्थिति कैसी होती है?
ज्योतिष में तुला राशि को सूर्य की नीच राशि माना जाता है इसलिए इस स्थिति को सूर्य देव के लिए अच्छा नहीं कहा जा सकता है।
दिवाली 2025 में राशि अनुसार ये उपाय चमका देंगे आपका भाग्य, तुरंत अपना लें!
हिंदू धर्म में दिवाली 2025 का पर्व अत्यंत पावन और शुभ माना गया है। यह त्योहार हर वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व हर साल करोड़ों लोगों के जीवन में नई रोशनी, नई उम्मीदें और सुख-समृद्धि लेकर आता है। यह त्योहार न केवल घर-आंगन को दीपों की रोशनी से जगमगाता है, बल्कि मन और आत्मा में भी सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
दीपावली का पर्व इस बार और भी खास माना जा रहा है क्योंकि ग्रह-नक्षत्रों की विशेष स्थिति हर राशि के लोगों पर अलग-अलग प्रभाव डालने वाली है। ऐसे में, अगर इस शुभ दिन पर अपनी राशि के अनुसार सही उपाय किए जाएं, तो मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करना और भी आसान हो जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, दिवाली के दिन देवी लक्ष्मीऔरभगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व होता है। जहां एक ओर मां लक्ष्मी घर में धन, वैभव और ऐश्वर्य का वास कराती हैं, वहीं भगवान गणेश ज्ञान और बुद्धि प्रदान कर जीवन को संपूर्ण बनाते हैं। लेकिन अक्सर लोग यह नहीं जानते कि उनकी राशि के अनुसार कौन-से उपाय करना सबसे ज्यादा फलदायी रहेगा।
तो आइए जानते हैं कि इस दिवाली 2025 में आपकी राशि के अनुसार कौन-से खास उपाय आपके भाग्य को चमका सकते हैं और किस तरह आप इस महापर्व को और भी शुभ बना सकते हैं।
दिवाली 2025: तिथि व समय
कार्तिक माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत: अक्टूबर 20, 2025 की दोपहर 03 बजकर 46 मिनट से
कार्तिक माह की अमावस्या तिथि समाप्त: अक्टूबर 21, 2025 की शाम 05 बजकर 56 मिनट तक।
ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, दिवाली 2025 का पर्व 21 अक्टूबर, मंगलवार को मनाया जाएगा।
दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त :17:50:49 से 17:56:07 तक
अवधि :0 घंटे 5 मिनट
प्रदोष काल :17:50:49 से 20:18:50 तक
वृषभ काल :19:19:10 से 21:20:05 तक
दिवाली 2025 महानिशीथ काल मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त :कोई नहीं
अवधि :0 घंटे 0 मिनट
महानिशीथ काल :23:36:12 से 24:25:32 तक
सिंह काल : 25:45:12 से 27:52:10 तक
दिवाली शुभ चौघड़िया मुहूर्त
प्रातःकाल मुहूर्त (चल, लाभ, अमृत): 09:05:40 से 13:28:14 तक
अपराह्न मुहूर्त (शुभ):14:55:46 से 16:23:17 तक
बृहत् कुंडलीमें छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरालेखा-जोखा