नवरात्रि 2021: जानें क्या है अष्टमी और नवमी का महत्व और साथ ही शुभ मुहूर्त भी जान लें

13 अप्रैल मंगलवार से चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ हो गयी है। इन 9 दिनों में मां दुर्गा की पूजा अर्चना की जाती है। चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होकर नवमी तिथि को नवरात्र समाप्त होता है। इस दौरान लोग माँ दुर्गा की पूजा करते हैं। जहां बहुत से लोग नवमी तिथि के दिन व्रत का पारण करते हैं वहीं बहुत से लोग दशमी तिथि के दिन व्रत का पारण करते हैं। इस आर्टिकल के माध्यम से जानने की कोशिश करते हैं कि नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि को विशेष महत्व क्या है और इन दिनों का महत्व क्या होता है?

इस वर्ष 20 अप्रैल को नवरात्रि की अष्टमी तिथि का व्रत और पूजन किया जाएगा वहीं उसके अगले दिन यानी 21 अप्रैल को नवमी राम नवमी पड़ रही है। इसके अलावा नवरात्रि का पारण या दशमी तिथि 22 अप्रैल गुरुवार की पड़ेगी।

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रामनवमी 2021 मुहूर्त 

दिनांक : 21 अप्रैल 2021, बुधवार

रामनवमी मुहूर्त : 11:02:08 से 13:38:08 तक

अवधि : 2 घंटे 36 मिनट

रामनवमी मध्याह्न समय : 12:20:09

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राम नवमी अष्टमी तिथि 

नवरात्रि के आठवें दिन यानी अष्टमी तिथि के दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में हासिल करने के लिए महागौरी स्वरूप में जन्म लिया था। कठोर तपस्या के चलते मां का शरीर एकदम काला पड़ गया था। हालांकि मां की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें गंगा के पवित्र जल से स्नान कराया जिसके बाद देवी का रंग गोरा हो गया था और इसी के बाद से देवी का नाम महागौरी पड़ा। 

नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है

इसके बाद नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा का विधान बताया गया है। सिद्धिदात्री देवी के नाम का अर्थ है सिद्धि प्रदान करने वाली देवी। 

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नवरात्रि में अष्टमी और नवमी का महत्व

नवरात्रि के सभी नौ दिन बेहद ही पावन और पवित्र माने गए। हालांकि इनमें से सबसे विशेष महत्व नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि का बताया गया है। यह दोनों ही दिन घट स्थापना तिथि की तरह बेहद ही महत्वपूर्ण होते हैं। इस दिन लोग व्रत करते हैं। जो लोग 9 दिन का व्रत नहीं रखते हैं वो भी अष्टमी और नवमी तिथि के दिन व्रत रखते हैं और मां की प्रसन्नता हासिल करने के लिए विधिवत तरीके से मां की पूजा अर्चना करते हैं। 

इसके अलावा अष्टमी और नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन किया जाता है। इसके बाद रामनवमी मनाई जाती है। प्रत्येक वर्ष राम नवमी मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाने वाला एक बेहद ही खास और पावन त्यौहार है।

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