नरक चतुर्दशी 2025 को लोग छोटी दिवाली के नाम से भी जानते हैं। यह पर्व दिवाली 2025 से एक दिन पहले आता है और धार्मिक मान्यता है कि इस दिन स्नान, दान, और व्रत करने से पापों से मुक्ति मिलती है तथा नरक के दुखों से छुटकारा मिलता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध कर 16000 कन्याओं को उसके अत्याचार से मुक्त कराया था। तभी से यह दिन अंधकार और पाप से मुक्ति का प्रतीक माना जाता है।

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हिंदू धर्म में नरक चतुर्दशी का अत्यधिक महत्व है। इस दिन प्रातःकाल स्नान को अभ्यंग स्नान कहा जाता है, जिसे करने से पूरे वर्ष आरोग्य, सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वहीं शाम के समय यमराज की पूजा और दीपदान करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है। कई लोग इस दिन विशेष व्रत और पूजा कर भगवान विष्णु, यमराज और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
2025 में यह पर्व विशेष रूप से शुभ संयोग लेकर आ रहा है। अगर सही विधि और सही मुहूर्त में पूजा की जाए तो न केवल पापों का नाश होता है, बल्कि घर में सुख-समृद्धि और दीर्घायु का आशीर्वाद भी मिलता है। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते है इस साल कब है नरक चतुर्दशी, इसकी पूजा विधि महत्व आदि के बारे में।
नरक चतुर्दशी 2025: तिथि व मुहूर्त
नरक चतुर्दशी तिथि: 20 अक्टूबर 2025, सोमवार
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 19 अक्टूबर 2025 की दोपहर 01 बजकर 53 मिनट
चतुर्दशी तिथि समाप्त: 20 अक्टूबर 2025 की दोपहर 03 बजकर 46 मिनट तक
अभ्यंग स्नान मुहूर्त: 20 अक्टूबर 2025 की सुबह 05 बजकर 02 मिनट से 06 बजकर 10 मिनट तक।
अवधि :1 घंटे 8 मिनट
नरक चतुर्दशी 2025 का महत्व
नरक चतुर्दशी, जिसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है, दिवाली से एक दिन पहले मनाई जाती है और इसका धार्मिक व आध्यात्मिक महत्व बहुत गहरा है। मान्यता है कि इस दिन सुबह गंगाजल में स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है और नरक जाने का भय समाप्त हो जाता है। इसे अभ्यंग स्नान कहा जाता है और माना जाता है कि यह स्नान पूरे वर्ष के के लिए आरोग्य, सौंदर्य और दीर्घायु प्रदान करता है।
धार्मिक मान्यता यह भी है कि नरक चतुर्दशी पर व्रत, पूजा और दान करने से घर में सुख-शांति, समृद्धि और सौभाग्य का वास होता है। यही कारण है कि लोग इस दिन दीप प्रज्वलित कर न केवल अपने घरों को रोशन करते हैं, बल्कि पितरों और देवताओं की कृपा भी प्राप्त करते हैं।
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नरक चतुर्दशी 2025 की पूजन विधि
नरक चतुर्दशी का व्रत और पूजा बहुत ही शुभ और फलदायी माना जाता है। इसे सही विधि से करने पर व्यक्ति को पाप मुक्ति और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। आइए जानते हैं इसकी पूजन विधि।
- सुबह सूर्योदय से पहले तिल के तेल से उबटन करें और फिर गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करें।
- इस स्नान को पाप नाशक और नरक मुक्ति प्रदान करने वाला माना गया है।
- घर के आंगन, द्वार और तुलसी चौरा पर दीपक जलाएं।
- यमराज के नाम से दक्षिण दिशा की ओर दीपदान करना बहुत शुभ होता है।
- स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें।
- भगवान श्री कृष्ण, देवी लक्ष्मी और यमराज का ध्यान करके दीप जलाएं। धूप, दीप, रोली, चंदन और पुष्प अर्पित करें।
- इस दिन ॐ यमाय नमः मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है। श्रीकृष्ण की स्तुति और विष्णु सहस्रनाम का पाठ भी उत्तम होता है।
- तिल, दीपक, वस्त्र और अन्न का दान विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।
- गरीब और जरूरतमंदों को भोजन कराने से नरक भय का नाश होता है।
- इस दिन संध्या समय पुनः दीपक जलाकर भगवान यमराज को दीप अर्पित करें। इससे परिवार को अकाल मृत्यु से रक्षा मिलती है।
नरक चतुर्दशी 2025: पौराणिक कथा
नरक चतुर्दशी, जिसे रूप चौदस या छोटी दिवाली भी कहा जाता है, का महत्व पौराणिक कथाओं से गहराई से जुड़ा है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध करके संसार को उसके अत्याचारों से मुक्त कराया था। कथा के अनुसार, नरकासुर नामक दैत्य बहुत बलवान और अत्याचारी था। उसने अपनी शक्ति के बल पर इंद्रलोक सहित उनके लोकों पर अधिकार कर लिया और 16000 देव कन्याओं को बंदी बना लिया। उसके आतंक से देवता, ऋषि और मनुष्य सभी भयभीत थे।
अंत में सभी देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। भगवान विष्णु ने यह वचन दिया था कि वे नरकासुर का वध करेंगे, लेकिन यह कार्य तभी संभव होगा जब उनकी पत्नी भूदेवी (पृथ्वी देवी) स्वयं इस कार्य की अनुमति दें। समय आने पर भगवान विष्णु ने श्री कृष्ण के रूप में अवतार लिया। माता भूदेवी की सहमति से भगवान श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ युद्ध में नरकासुर का अंत किया। नरकासुर के वध के बाद सभी देवकन्याएं स्वतंत्र हुईं और संसार उसके आतंक से मुक्त हुआ।
उसी दिन कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी थी। तभी से इस तिथि को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाने लगा। इस दिन प्रातःकाल स्नान करके तेल-उबटन करने की परंपरा है। मान्यता है कि इस दिन विशेष स्नान और दीपदान करने से पापों का नाश होता है और नरक जाने का भय समाप्त होता है। इसलिए इसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है। नरक चतुर्दशी असत्य पर सत्य, अन्याय पर न्याय और पाप पर पुण्य की विजय का प्रतीक है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा और दीपदान से घर में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है।
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नरक चतुर्दशी 2025 के दिन क्या करें क्या न करें
नरक चतुर्दशी 2025 पर क्या करें
- सूर्योदय से पहले स्नान करें उबटन (आटे, हल्दी, तेल आदि) का प्रयोग करें। इससे शरीर और मन दोनों शुद्ध होते हैं।
- घर के आंगन, मंदिर और मुख्य द्वार पर दीपक जलाएं। यह पाप नाश और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है।
- इस दिन श्रीकृष्ण की पूजा और यमराज को दीपदान करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है।
- पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए विशेष दीप जलाएं।
- इस दिन शुद्ध, सात्विक भोजन करें और व्रत या उपवास रखें।
- गरीब और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या दीपक दान करना अत्यंत शुभ फलदायी होता है।
नरक चतुर्दशी 2025 पर क्या न करें
- इस दिन किसी से झगड़ा करना या बुरी बातें कहना अशुभ माना जाता है।
- इस दिन तामसिक भोजन, शराब या मांस खाने से पुण्य का नाश होता है।
- इस दिन घर की साफ-सफाई सुबह ही कर लें, चतुर्दशी के दिन सूर्यास्त के बाद झाड़ू-पोछा करना अशुभ माना जाता है।
- अनावश्यक खर्च करना और दिखावे में धन बहाना शुभ फल नहीं देता।
- इस दिन चांद से संबंधित अपशब्द या मजाक करना पाप माना जाता है।
नरक चतुर्दशी 2025: राशि अनुसार उपाय
मेष राशि
मेष राशि वाले लाल रंग के फूल और गुड़ का दीपक हनुमान जी को अर्पित करें। इससे शत्रु बाधाएं दूर होंगी और साहस बढ़ेगा।
वृषभ राशि
वृषभ राशि वाले कपड़े के पोटली में चावल और सफेद मिठाई रखकर लक्ष्मी माता को अर्पित करें। आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
मिथुन राशि
मिथुन राशि वाले हरे रंग की मिठाई और तुलसी के पत्ते भगवान विष्णु को चढ़ाएँ। इससे शिक्षा और कार्यक्षेत्र में प्रगति होगी।
कर्क राशि
कर्क राशि वाले दूध का दीपक जलाकर माता लक्ष्मी को अर्पित करें। इससे घर में शांति और परिवार में प्रेम बढ़ेगा।
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सिंह राशि
सिंह राशि वाले गाय के घी का दीपक जलाकर सूर्य देव और श्री कृष्ण को अर्पित करें। इससे मान-सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़ेगी।
कन्या राशि
कन्या राशि वाले हरे कपड़े में मूंग की दाल बांधकर मंदिर में दान करें।
तुला राशि
तुला राशि वाले चांदी या चांदी के कलश में जल भरकर लक्ष्मी जी को चढ़ाएं। धन वृद्धि और वैवाहिक जीवन में सुख मिलेगा।
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि वाले लाल फूल और बेलपत्र भगवान शिव को अर्पित करें। इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होगी और स्वास्थ्य लाभ होगा।
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धनु राशि
धनु राशि वाले पीले कपड़े पहनकर पीली मिठाई दान करें। इससे भाग्य चमकेगा और धार्मिक कार्यों में रुचि बढ़ेगी।
मकर राशि
मकर राशि वाले काले तिल और तेल का दीपक शनिदेव के मंदिर में जलाएं। नौकरी और व्यापार में उन्नति होगी।
कुंभ राशि
कुंभ राशि वाले नीले फूल और सरसों का तेल का दीपक जलाकर हनुमानजी को अर्पित करें। संकटों से मुक्ति और आत्मबल मिलेगा।
मीन राशि
मीन राशि वाले पीले कपड़े और हल्दी का दीपक भगवान विष्णु को चढ़ाएँ। घर में सुख-समृद्धि और धन की वृद्धि होगी।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
नरक चतुर्दशी कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। यह दीपावली से एक दिन पहले आती है, जिसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है।
इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध करके 16,000 कन्याओं को मुक्त किया था। इसलिए इसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है। यह दिन पाप नाश और शुभ फल देने वाला माना जाता है।
प्रातःकाल स्नान, तिल से अभिषेक, दीपदान, यमराज और लक्ष्मी-गणेश की पूजा करनी चाहिए। इससे पितृ दोष, पाप और अशुभ प्रभाव दूर होते हैं।