Mukdi Mata Mandir Chhattisgarh: मुकड़ी माता मंदिर जहाँ वर्जित है बूढ़ों और बच्चों का जाना

हमारे देश में ढेरों मंदिर और पूजा स्थल मौजूद हैं लेकिन, क्या आपने कभी किसी ऐसे मंदिर के बारे में सुना है जहां बूढ़े और बच्चों का जाना वर्जित है? नहीं ना। तो आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पर बच्चों और बूढ़ों का प्रवेश वर्जित माना गया है। इस मंदिर का नाम है मुकड़ी माता मंदिर जो की छत्तीसगढ़ (Mukdi Mata Mandir Chhattisgarh) में स्थित है।इसके पीछे की वजह क्या है और साथ ही इस मंदिर से जुड़ी मान्यता क्या कहती है आइए जानते हैं सब कुछ। 

मुकड़ी माता मौली मंदिर छत्तीसगढ़ (Mukdi Mata Mauli Mandir Chhattisgarh)

यहां हम जिस मंदिर के बारे में बात कर रहे हैं उसका नाम है मुकड़ी माता मौली मंदिर जो कि छत्तीसगढ़ में स्थित है। इस मंदिर में बच्चों और बूढ़ों का प्रवेश जहां वर्जित है वहीं यह मंदिर प्रेमी प्रेमिकाओं के बीच काफी प्रसिद्ध है। ऐसी मान्यता है कि, यहां पर जो कोई भी प्रेमी अपने प्यार के लिए या अपनी प्रेमिका के लिए प्रार्थना करता है उसकी प्रार्थना अवश्य पूरी होती है। ऐसे में इस मंदिर में केवल युवा लोग ही नजर आते हैं। जानकारी के लिए बता दें कि, इस मंदिर में महिलाओं का भी प्रवेश वर्जित है।

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मुकड़ी माता मंदिर से जुड़ी मान्यता 

बेहद अनोखी है यहां की मान्यता। छत्तीसगढ़ में स्थित यह मंदिर आदिवासी बहुल दंतेवाड़ा जिले के पास स्थित है। यहां से तकरीबन 40 किलोमीटर दूर टेकरी में माता मुकड़ी का यह मंदिर स्थित है। बताया जाता है कि, यहां पर प्रेमी अपने पार्टनर की तस्वीर लेकर आते हैं। इसके बाद देवी के सामने आपको अपने प्रेमी प्रेमिका की तस्वीर और साथ ही उनके कपड़े का कोई टुकड़ा दिखाना होता है। 

इसके बाद इस तस्वीर और कपड़े के टुकड़े को पास ही पर पड़े पत्थर के नीचे दबा दिया जाता है। मान्यता है कि, ऐसा करने से मां प्रसन्न होती हैं और प्रेमी प्रेमिका का मिलन अवश्य कराती हैं। इसके बाद जब लोगों की मन्नत पूरी हो जाती है तो वह वापस मंदिर में आते हैं और भोग के रूप में माता को बकरा, मुर्गी या बत्तख चढ़ाते हैं। 

लोग बताते हैं कि, इस मंदिर में केवल युवक-युवतियों को ही प्रवेश दिया जाता है और वह भी अपनी बात देवी तक पहुंचाने के लिए मंदिर के पुजारियों का सहारा लेते हैं। इस मंदिर में पूजा के लिए यूं तो कोई विशेष दिन तय नहीं है हालांकि, आषाढ़ माह में यहां भव्य मेला लगता है और साथ ही आजकल के समय में वैलेंटाइन डे (Valentine Day) के बढ़ते क्रेज के मद्देनज़र साल के इस महीने में इस मंदिर में भारी तादाद में युवा पूजा करने और अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए आते हैं।

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मुकड़ी माता मंदिर की विशेषता 

मुकड़ी माता मौली मंदिर में स्थित देवी मुकड़ी मावली माता के नाम से विख्यात हैं। देवी का एक हाथ नहीं है और इनका चेहरा विकृत है। इसके अलावा देवी के दाँत भींचे हुए हैं और नाक सिकुड़ी हुई है। जिसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि, देवी या तो बहुत दर्द या क्रोध में हैं। यह मंदिर आसपास के इलाके में काफी ज्यादा प्रचलित और इसकी काफी मान्यता है। ऐसे में दो लोग दूर-दूर से यहां मन्नत मांगने आते हैं। 

घर परिवार का कोई विवाद हो, लंबे समय से चल रही बीमारी हो, या प्यार से जुड़ा कोई मुद्दा हो लोग तरह-तरह की मनोकामनाएं लेकर इस मंदिर में पहुंचते हैं और माता से अपनी प्रार्थना पूरी होने की गुहार लगाते हैं। हालांकि सबसे ज्यादा इस मंदिर में प्रेमी लोगों का आना जाना लगा रहता है। जहां युवा इस मंदिर में अंदर प्रवेश करते हैं वहीं युवतियां इस मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकती हैं। कहा जाता है ऐसा करना अपशकुन हो सकता है। 

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कैसे बना मुकड़ी माता मंदिर 

माना जाता है कि, काफी समय पहले एक गर्भवती महिला की प्रसव पीड़ा के दौरान मृत्यु हो गई। ऐसे में लोगों ने उस महिला को परंपरा के अनुसार दफनाया नहीं बल्कि जंगल में फेंक दिया और तब से ही उस महिला की आत्मा को क्योंकि मोक्ष प्राप्त नहीं था इसलिए वह आस-पास लोगों को परेशान करने लग गयी। विशेष तौर पर महिलाओं और युवतियों को। 

कुछ समय बीत जाने के बाद चरवाहों ने बाँसुरी की धुन से प्रेत आत्मा को अपने वश में किया और इसी टेकरी में रहने के लिए मना लिया। तब उस महिला की प्रेत आत्मा ने कहा कि, इस आश्रय स्थल पर कभी भी कोई महिला ना आए और यहां केवल प्रेम करने वाले पुरुष ही आयें। माना जाता है तब से इस मंदिर से जुड़ी अनोखी परंपरा चली आ रही है।

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