आने वाले चंद्र ग्रहण का गर्भवती महिलाओं पर विशेष असर- जानें धार्मिक और वैज्ञानिक कारण

जल्द ही चन्द्र ग्रहण शुक्रवार, 19 नवंबर 2021 को लगने वाला है। आपने अक्सर सुना होगा जब चन्द्र ग्रहण लगता है तो दो बातों का विशेष ध्यान रखना पड़ता है एक, तो इस दौरान घर में जितने भी पके हुए भोजन होते हैं उनमें तुलसी के पत्ते डालने होते हैं और दूसरा ख्याल रखना होता है गर्भवती महिलाओं का। 

भोजन के लिए तर्क यह दिया जाता है कि, ग्रहण के दौरान वातावरण में जो अशुद्धियां फैलती हैं वो हमारे पके हुए भोजन में आ जाती हैं और इसी वजह से या तो हमें ग्रहण से पहले ही पके हुए भोजन को समाप्त कर देना होता है या फिर उनमें तुलसी के पत्ते डाल देने होते हैं। ऐसा करने से ग्रहण की अशुद्धियां भोजन को प्रभावित नहीं कर पाती हैं। लेकिन गर्भवती महिलाओं के लिए ग्रहण के विशेष नियम क्यों होते हैं? आखिर ग्रहण का गर्भवती महिलाओं पर खास असर क्यों देखने को मिलता है?

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चन्द्र ग्रहण विशेष एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में आज हम इसी विषय पर बात करेंगे और साथ ही जानेंगे ग्रहण और गर्भवती महिलाओं का क्या कनेक्शन होता है। साथ ही जानेंगे कि आने वाले चंद्र ग्रहण के दौरान यदि आपके घर में कोई भी गर्भवती महिला है तो किस तरह से आप उनका विशेष ख्याल रख सकते हैं, और इस दौरान गर्भवती महिलाओं को क्या कुछ काम करने की मनाही होती है?

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2021 का दूसरा चंद्र ग्रहण: कब?

वर्ष का दूसरा चंद्र ग्रहण शुक्रवार, 19 नवंबर 2021 को पड़ेगा, जो एक आंशिक चंद्र ग्रहण होगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस चंद्र ग्रहण का समय दोपहर 11:32 बजे से, रात्रि 17:33 बजे तक होगा। इसकी दृश्यता भारत, अमेरिका, उत्तरी यूरोप, पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया और प्रशांत महासागर क्षेत्र में होगी।

चंद्रग्रहण की समय अवधि: 6 घंटे 1 मिनट 

वैदिक ज्योतिष के अनुसार चंद्र ग्रहण

सूर्य और चंद्रमा यह दोनों ही मनुष्य को जीवन देने के स्त्रोत माने गए हैं। इन दोनों के बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार ग्रहण की स्थिति तब बनती है जब राहु और केतु ग्रह सूर्य और चंद्रमा को निगल लेते हैं या अपने अंदर समा लेते हैं। वैदिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण की स्थिति विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं के लिए शुभ नहीं मानी जाती है।

चंद्र ग्रहण गर्भवती महिलाओं के लिए ज्यादा अधिक प्रभावशाली इसलिए भी होता है क्योंकि चंद्रमा को माँ का, पोषण का, भोजन का, दूध का, पानी का, कारक माना गया है और ऐसे में यदि चंद्रमा नकारात्मक प्रभाव में है तो उसके सभी कारक तत्व को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा। यही वजह है कि, चंद्रग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को ज्यादा सावधानी और सतर्कता बरतने की सलाह दी जाती है। इस दौरान सावधानी बरतकर गर्भवती महिला अपने बच्चे और उसके स्वास्थ्य को अच्छा रखना सुनिश्चित कर सकती हैं। 

इसी तर्ज पर हम इस ब्लॉग में आपको चंद्र ग्रहण और गर्भवती महिलाओं पर इसके प्रभाव से जुड़ी कुछ मान्यताओं और अनुष्ठानों की जानकारी प्रदान कर रहे हैं जिनका पालन करना आपके लिए मददगार साबित हो सकता है। आगे बढ़ने से पहले जान लेते हैं चंद्रग्रहण के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण और जानने वाले जानकारियां।

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गर्भवती महिलाओं पर आने वाले चंद्र ग्रहण  का प्रभाव: जानें धार्मिक और वैज्ञानिक कारण

कोई भी बात जब बिना तर्क या बिना आधार के की जाए तो उसे मानना मुश्किल होता है लेकिन, वहीं जब किसी बात में तर्क जुड़ जाता है या आधार बता दिया जाता है तो उस बात को मानना भी आसान होता है और उसका पालन करना भी आसान हो जाता है। इसी तर्ज पर आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं कि आखिर ग्रहण से गर्भवती महिलाओं को डर क्यों रहता हैं? इसका धार्मिक और वैज्ञानिक कारण क्या है?

खगोलीय रूप से बात करें तो एक चंद्र ग्रहण की स्थिति तब बनती है जब चन्द्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है। ऐसा तभी हो सकता है जब सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा इस क्रम में लगभग एक सीधी रेखा में अवस्थित हों। यह केवल पूर्णिमा की रात को ही मुमकिन होता है।

धार्मिक कारण: धार्मिक मान्यताओं के आधार पर बात करें तो कहा जाता है, चन्द्र ग्रहण के दौरान यदि गर्भवती महिलाओं पर चन्द्रमा की रौशनी गलती से भी पड़ जाये तो इससे गर्भ में पल रहे बच्चे की कुंडली में दोष होने की आशंका बढ़ जाती है।

वैज्ञानिक कारण: गर्भ में पल रहे बच्चे को ग्रहण से क्या डर रहता है इसके पीछे के वैज्ञानिक कारण की बात करें तो, विज्ञान भी मानता है कि चन्द्र ग्रहण के दौरान चाँद धरती के काफी नज़दीक होता है और इसका गुरुत्वाकर्षण भी बेहद तेज़ रहता है।  ऐसे में चंद्र ग्रहण के दौरान महिलाओं के हार्मोनल चेंज की संभावना ज्यादा रहती है।

हालांकि चंद्रमा को उर्वरता का प्रतीक माना जाता है ऐसे में चंद्र ग्रहण का समय उन महिलाओं के लिए बेहद ही शुभ और अच्छा माना जाता है जो गर्भवती होने के लिए ओवुलेशन महीने में होती हैं।

इन्हीं दोनों महत्वपूर्ण कारणों की वजह से आज से नहीं बल्कि प्राचीन समय से गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान घर के अंदर रहने की सलाह दी जाती है ताकि ग्रहण का दुष्प्रभाव या ग्रहण की किरणें गर्भ में पल रहे बच्चे पर ना पड़े। साथ ही इस दौरान गर्भवती महिलाओं को किसी भी नुकीली वस्तु जैसे कैंची, चाकू, या फिर सिलाई कटाई इत्यादि काम से बचना चाहिए। इन कामों से भी बच्चे के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

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चंद्र ग्रहण का सूतक काल

किसी भी ग्रहण से पूर्व कुछ समय अवधि को सूतक काल कहा जाता है। सूतक काल ग्रहण से पहले का समय होता है और इस दौरान कोई भी शुभ काम वर्जित होते हैं। सूतक काल के दौरान मंदिरों के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं और घर में मंदिरों के पर्दे भी गिरा दिए जाते हैं। इसके अलावा सूतक काल के दौरान पूजा पाठ करने के लिए मनाही होती है। 

जहां चंद्रग्रहण के 9 घंटे पहले उसका सूतक काल लागू होता है वहीं सूर्य ग्रहण के 12 घंटे पहले से सूतक प्रारंभ हो जाता है। ग्रहण जब समाप्त होता है तब उसका सूतक काल भी समाप्त हो जाता है। इसके बाद स्नान करने की सलाह दी जाती है, घर को साफ करने की सलाह दी जाती है, मंदिर और घर के कोने कोने की सफाई की जाती है, इसके बाद पूजा पाठ की जाती है। कहा जाता है ऐसा करने से ग्रहण के दुष्प्रभाव हमारे जीवन पर नहीं पड़ते हैं।

चंद्र ग्रहण 2021: गर्भवती महिलाएं रखें इन बातों का ध्यान

  • मुमकिन हो तो ग्रहण के दौरान बाहर निकलने से बचें: चंद्र ग्रहण के दौरान घर से बाहर ना निकलने की सलाह दी जाती है। विशेष तौर पर गर्भवती महिलाओं को। माना जाता है कि बाहर निकलने से बच्चे के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि, जो भी गर्भवती महिलाएं चंद्र ग्रहण की रौशनी के संपर्क में आती है उनके गर्भ में पल रहे बच्चे के शरीर पर लाल धब्बे या किसी प्रकार का निशान मौजूद सकता है जो जीवन काल तक उसके साथ बना रहता है।
  • ग्रहण काल के दौरान किसी भी नुकीली या धारदार वस्तु का उपयोग करने से बचें: चंद्र ग्रहण की पूरी अवधि के दौरान गर्भवती महिलाएं किसी भी नुकीली या धारधार वस्तुओं का उपयोग करने से बचें। ग्रहण और सूतक काल के दौरान कोई भी कैंची, चाकू या सुई का इस्तेमाल ना करें।
  • ग्रहण काल के दौरान कुछ भी ना खाएं और ना ही पियें: जैसा कि बताया जाता है कि, चंद्रमा भोजन का भी कारक है इसलिए ग्रहण के दौरान इसमें अशुद्धियां भी मिल जाती हैं। यही वजह है की सलाह दी जाती है कि गर्भवती महिलाएं ग्रहण के दौरान ना ही कोई भोजन ग्रहण करें और ना ही पानी पिए क्योंकि इससे बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। भोजन में अशुद्धियां ना पहुंचे इसके लिए आप एक छोटा उपाय यह कर सकते हैं कि पके हुए भोजन में आप तुलसी के कुछ पत्ते डालकर रख दें।
  • ग्रहण की किरणों से सतर्क रहें: चंद्र ग्रहण की किरणों को भी हानिकारक माना गया है। ऐसे में इनके संपर्क में न आने की सलाह दी जाती है। ग्रहण की किरणों से बचने के लिए खिड़कियों और दरवाजों पर मोटे पर्दे लगा दें, या फिर अखबारों और गत्तों से इन्हें ढक दें ताकि ग्रहण की किरणें किसी भी सूरत में आपके घर में प्रवेश ना कर सकें।
  • ग्रहण के बाद स्नान करने की दी जाती है सलाह: चंद्रग्रहण एक बार खत्म हो जाए तो इसके बाद गर्भवती महिलाओं को पानी में सेंधा नमक डालकर उससे स्नान करने की सलाह दी जाती है। माना जाता है कि ऐसा करने से ग्रहण के सभी नकारात्मक प्रभाव नष्ट किए जा सकते हैं।
  • ग्रहण के दौरान अपने पास रखें नारियल: चंद्र ग्रहण की पूरी अवधि के दौरान यदि गर्भवती महिला अपने पास नारियल रखती है तो इससे ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु के पास नहीं पहुंचते हैं। ऐसे में नारियल रखना आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
  • ध्यान और पूजा करने की दी जाती है सलाह: चंद्र ग्रहण की पूरी अवधि के दौरान गर्भवती महिलाएं अपनी जीभ के ऊपर तुलसी का एक पत्ता रख लें और हनुमान चालीसा और दुर्गा चालीसा का जाप करें। ऐसा करने से चंद्र ग्रहण के दुष्प्रभाव बच्चे पर नहीं पड़ते हैं और ग्रहण से बच्चे की रक्षा होती है।
  • दान करना साबित हो सकता है फलदायी: सनातन धर्म में और वैदिक संस्कृति में दान का विशेष प्रभाव माना जाता है इसीलिए चंद्र ग्रहण के बाद दूध और दूध से बने उत्पादों, सफेद तिल, सफेद कपड़े, इत्यादि का दान करने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से भी ग्रहण के दुष्प्रभाव जीवन पर नहीं पड़ते हैं।
  • चंद्र ग्रहण के दौरान इन मंत्रों का करें जप: चंद्र ग्रहण के दौरान कुछ मंत्रों का जाप करना भी गर्भवती महिलाओं और गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए शुभ साबित हो सकता है।

“तमोमय महाभीम सोमसूर्यविमर्दन
हेमताराप्रदानेन मम शांतिप्रदो भव ॥”

“विधुन्तुद नमस्तुभ्यं सिंहिकानन्दनाच्युत
दानेनानेन नागास्य रक्ष मां वेधजादभयात॥”

  • इसके अलावा शिव मंत्र और संतान गोपाल मंत्र का जप करने से भी गर्भवती महिलाओं के मन को शांति मिलेगी और उनके गर्भ में पल रहे संतान की रक्षा होगी।

हम उम्मीद करते हैं कि यह लेख चंद्र ग्रहण के दौरान आपके और आपके बच्चे के स्वास्थ्य की देखभाल करने के लिहाज से आपके लिए मददगार साबित होगा।

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

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